Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery नयी नवेली पड़ोसन भाभी को चोदने की लालसा
#1
नयी नवेली पड़ोसन भाभी को चोदने की लालसा


उस घर में 4 लोग रहते हैं. भईया भाभी और उनके मम्मी पापा.
जो भईया हैं, उनका नाम सूरज है. उनकी उम्र यही कोई 30 साल के आस-पास है. भैया मुझसे दो साल बड़े हैं. जबकि भाभी मुझसे एक साल छोटी हैं. भाभी का नाम मोना है.
मोना भाभी दिखने में बहुत सेक्सी हैं. उनका बदन एकदम भरा हुआ है … फुल गोरी-चिट्टी हैं. भाभी का फिगर 32-28-34 का है. उनकी गोल गांड देखकर मन करता है कि बस भाभी के पीछे से शुरू हो जाओ और उनकी चुदाई करना चालू कर दो.
सूरज भैया की शादी हुए एक साल से ज्यादा हो गया है, पर भाभी अभी भी ऐसी ही लगती हैं कि उनकी आज ही शादी हुई हो.
सच बताऊं तो मोना भाभी की चुदाई का सपना मैंने उस वक्त ही देख लिया था, जब भैया से उनकी रिश्ते की बात चल रही थी. मैंने उस वक्त केवल मोना भाभी की फोटो देखी थी. उनकी फोटो देख कर ही मैं मस्त हो गया था.
मैंने उसी समय अपने मन में सोच लिया था कि यदि इनकी शादी सूरज भैया से हुई और अगर ये यहां आईं, तो इनको अपने लौड़े के नीचे करने के लिए जो भी मुझसे बन पड़ेगा, वो करूंगा.
सूरज भैया की शादी भाभी से तय हो गई. मैं मन बनाने लगा कि किसी भी तरह से भाभी को सैट करना ही है.
शादी वाले दिन मैंने मोना भाभी को देखा तो मुठ मारे बिना रह ही नहीं पाया.
भाभी की शादी फरवरी में हुई थी और उस टाइम ठंड भी थी. मैं बस मोना भाभी के संग सुहागरात मनाने के सपने देख रहा था.
शादी हुई, सब घर आ गए.
दो दिन बाद मैं भी उनसे मिला. सूरज भईया ने मुझसे भाभी को अकेले में तब मिलवाया, जब सब मेहमान चले गए.
उस समय मोना भाभी ने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी.
मेरे आने पर भाभी अपने मुँह को घूंघट से ढकने लगीं.
तो सूरज भईया बोले- अरे ये तो तुम्हारा देवर है … इससे क्या पर्दा करना.
मैंने कहा- हैलो भाभी, मेरा नाम यश है.
मोना भाभी बोलीं- हैलो … मेरा नाम तो आप जानते ही होंगे.
भाभी की आवाज भी बहुत प्यारी थी.
मैंने कहा- हां भाभी, आपका नाम मालूम है. आपको घर पसंद आया?
थोड़ा रुकने के बाद भाभी हल्की सी आवाज में बोलीं- हां अच्छा है.
इतने में सूरज भईया बोले- मोना ये तुम्हारा देवर और मेरा ख़ास दोस्त जैसा भाई. तुम्हें कोई भी बात करनी हो, सामान मंगाना हो तो मुझे नहीं, तुम यश को बोल देना.
फिर मैंने कहा- चलो आप लोग टाइम बिताओ … मैं बाद में आऊंगा.
मैं वापस आ रहा था, तो आंखों में भाभी का ही चेहरा था. जैसे तैसे मन को मना कर घर वापस आ गया.
अब बस ये ही था कि भाभी की नजर में आना है और उनको अपने करीब लाना है.
टाइम बीतता गया … चार महीने हो गए थे. मोना भाभी और हम दोनों में अच्छी बनने लगी थी.
मुझे उनका मोबाइल नंबर भी मिल गया था, तो जब भी भाभी खाली होतीं, वो मुझे बुला लेतीं या हम दोनों की फोन पर बात होने लगती थी.
भाभी को मैंने बहुत बार छत पर बाल सुखाते हुए देखा भी था, वो इतनी हॉट लगती थीं कि मैं अपने आपको रोक ही नहीं पाता था और किसी न किसी बहाने उनके पास चला जाता.
उनको छूता तो एक अलग ही फीलिंग आती थी … मेरा लंड सलामी देने लग जाता था.
मेरे दिमाग में बस ये था कि कैसे भाभी की चुदाई करने को मिले. मोना भाभी को ऐसे देख देख कर मुझसे रहा नहीं जाता था.
दो महीने और बीत गए. मुझे इतना टाइम इसलिए लग रहा था कि घर के पास की बात थी और मैं कोई गलती नहीं करना चाहता था.
इससे पहले कई चूतें मेरे लौड़े को मिली थीं मगर भाभी को चोदने के लिए मेरा एक जुनून और सपना था, जिस वजह से मैं कुछ ख़ास सावधानी बरत रहा था.
मैं मोना भाभी जैसी भरी हुई माल को तो गलती से भी नहीं खोना चाहता था, इसलिए कोई भी जल्दी नहीं कर रहा था.
अभी तक भाभी ने मुझसे कोई सेक्स की बात नहीं की थी, तो मैं भी नार्मल बात करता था.
एक दिन मौसम भी ठीक ही था … न गर्मी, न ठंडी थी. ये सितंबर का महीना चल रहा था.
मैं और भाभी बातें कर रहे थे.
उस दिन भाभी ने हल्के पीले रंग की नेट वाली साड़ी पहनी हुई थी.
इस साड़ी में उनके चूचे बड़े ही मदहोश करने वाले और कातिलाना लग रहे थे.
बातों बातों में भाभी ने पूछा- एक बात पूछ सकती हूँ … बुरा तो नहीं मानोगे?
मैंने भी मजे लेते हुए कहा- भाभी आप भी न … आपसे बुरा मान कर मैं कहां जाऊंगा. आपको देखना भी तो होता है ना, तभी तो हम ज़िंदा हैं.
भाभी हंस कर बोलीं- तुम भी न …
मैं हंस दिया.
फिर भाभी बोलीं- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- इस बंदे को कोई लड़की अपना बॉयफ्रेंड बनाएगी भी?
तो मोना भाभी बोलीं- हां क्यों नहीं. क्या मेरा देवर कुछ कम है. तुम हैंडसम हो … स्मार्ट हो … और किसी लड़की को क्या चाहिए!
मैंने पूछा- आपको मैं कैसा लगता हूँ?
भाभी बोलीं- बहुत अच्छे लगते हो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
तो मैंने मजे लेते हुए बोला- आप ही बना लो मुझे अपना बॉयफ्रेंड.
भाभी जोर से हंसते हुए बोलीं- शरारती कहीं के.

मैंने कहा- आपकी कोई रिश्तेदार नहीं है, जो बिल्कुल आपकी तरह हो दिखने में!
मोना भाभी बोलीं- हां है तो एक.

भाभी ने मुझे मोबाइल में उसकी फोटो दिखाई.

मैं बोला- अच्छी है, पर आपके जैसी नहीं है.
भाभी बोलीं- अच्छा जी … ऐसा क्या है मुझमें?

मैं- ऐसे कैसे बता दूं … आप बुरा मान जाओगी तो!
मोना भाभी बोलीं- नहीं मानूंगी … आप बोलो न!

मैंने कहा- कभी शीशे में देखा है अपने आपको … इतनी सुंदर और गोरी हो, आपके गाल इतने गुलाबी है.
बस ये कहते हुए मैंने भाभी के गालों को छू लिया.

और अभी वो कुछ कहतीं कि मैंने आगे बोला- इतने गोल गोल गाल किसे नसीब होते हैं भाभी जी. ये आपके मुलायम होंठ इतने मस्त लगते हैं, आंखें इतनी प्यारी कि कोई भी डूब जाए इनमें … आपका फिगर इतना सेक्सी है कि कौन न मर जाए देख कर!

मैं इस तरह से भाभी की तारीफ भी कर रहा था और उनके जिस्म के उन हिस्सों को पहली बार स्पर्श भी कर रहा था जिन्हें छूने की ख्वाहिश मेरे मन में न जाने कबसे थी.
उधर भाभी शर्मा भी रही थीं और मेरी तरफ बड़ी गौर से देख भी रही थीं.

भाभी ने अपने हाथ में नाखून काटने वाली नेलकटर ले रखी थी.
उसे हाथ में लेकर खेलते हुए बोलीं- तुम तो सब जगह नजर रखते हो. मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होगी.

मैंने कहा- भाभी, ऐसी बात नहीं है. आपने पूछा तो मैंने बता दिया कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, आप ही बन जाओ.
भाभी बोलीं- अच्छा जी. तो ये आपके मन का चोर है.
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है. मगर काजू किशमिश को पाने के लिए किस का जी नहीं मचलेगा.

इतने में भाभी के हाथ से नाखून कटनी नीचे गिर गई … और भाभी जैसे ही उसे उठाने को हुईं … तो उनका पल्लू नीचे गिर गया.
आह … जिस सीन को में बहुत दिन से देखने के लिए आतुर था, वो आज सामने दिख रहा था.

भाभी के गहरे गले वाले ब्लाउज में से इतने गोरे गोरे चुचे मुझे मानो पागल करने लगे थे.
मैंने ध्यान से इस झलक को देखा.

भाभी ने पीले रंग की ही ब्रा पहनी हुई थी.

इतने में भाभी अपने पल्लू को जैसे ही सम्भालने लगीं, तो उनकी तिरछी नजर मुझ पर पड़ी और वो जल्दी से उठ गईं.
भाभी मेरी आंखों को पढ़ते हुए बोलीं- शर्म नहीं आती!
मैंने कहा- सॉरी भाभी, अब आप जैसी सुंदरी को कोई भी देखेगा तो अपने आपको तो भूल ही जाएगा न.

भाभी कुछ नहीं बोलीं … बस मुस्कुरा कर रह गईं.
न जाने मुझे ऐसा लगा कि भाभी को भी मेरा उनके दूध देखना अच्छा लगा था.

मैंने कहा- भाभी एक बात पूछूँ, आप तो बुरा नहीं मानेंगी?
भाभी बोलीं- नहीं, बोलो.

मैंने कहा- आप सच सच बताओगी न?
मोना भाभी बोलीं- ओके बोलो.

मैं- आपका बॉयफ्रेंड था क्या शादी से पहले?
भाभी थोड़ा सोचने के बाद बोलीं- किसी को बताओगे तो नहीं ना?

मैं बोला- क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं है?
भाभी बोलीं- पूरा भरोसा है … हां था एक.
मैंने कहा- तो क्या हुआ?

भाभी ने सब बताया कि उनकी फ्रेंडशिप ज्यादा नहीं चली, बस 2 महीने ही चली थी. उनको ये सब ठीक नहीं लगा था तो उन्होंने सब खत्म कर दिया.

मैंने कहा- क्यों?
भाभी बोलीं- देखो मेरी फ्रेंड है, उसने भी बहुत छुपाने की कोशिश की थी, पर हुआ नहीं. पर मैं नहीं चाहती थी कि घर में पता चले और घर में डांट पड़े.

कुछ पल बाद मैं बोला- भाभी आप इतनी सुंदर हो, लड़के तो बहुत पीछे पड़ते ही होंगे.
भाभी बोलीं- हां बहुत … पर मैं घर के डर से किसी से बात नहीं करती थी.

अब मुझे लगा कि भाभी अब मुझसे अपनी कुछ पर्सनल बातें करने लगी हैं … तो कुछ चांस बन सकता है.

अभी भी मैं मैंने जल्दी नहीं की. मुझे देर होना मंजूर था, पर मोना भाभी की चुदाई हर हाल में करनी थी.

इसी तरह कुछ समय बीत गया और इस दौरान मैंने महसूस किया कि भाभी मेरे और भी करीब आ रही थीं. कभी कभी भाभी का मूड ठीक नहीं होता था, तो वो मुझे बुला लिया करती थीं.

एक दिन बातों बातों में मुझे पता चला कि जो पहले उनका बॉयफ्रेंड था, उससे उनकी दोस्ती इसलिए खत्म हुई थी कि वो उनके साथ जबरदस्ती सेक्स करने की कोशिश करने लगा था.
भाभी को वो बात पसंद नहीं थी तो उन्होंने उससे सब खत्म कर दिया.

मुझे ये भी समझ आ रहा था कि ये भाभी दूसरी भाभियों से थोड़ी अलग हैं. इनके साथ कोई सही मौका देख कर ही काम करना पड़ेगा.

भाभी अब मुझसे खुल कर बातें करती थीं, तो अब मैं उनके साथ सेक्स की हल्की फुल्की बातें भी कर लिया करता था.

कभी भाभी बहुत रोमांटिक मूड में दिखती थीं, तो कभी सती सावित्री सी दिखने लगती थीं.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि करूं तो क्या करूं. कैसे पता चले कि भाभी तैयार हो गई हैं या नहीं.

फिर कुछ दिन में होली आने वाली थी.

मैंने भाभी से पहले ही कहा था कि होली तो आप मेरे साथ ही खेलना.
भाभी ने कुछ नहीं कहा, बस मुस्कुरा कर रह गईं.

मैं सोचने लगा कि भाभी की मुस्कान तो हरी झंडी दे रही है मगर किस हद तक वो मेरे साथ खुलती हैं ये अभी मुझे समझ नहीं आ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#3
होली वाले दिन मैं पहले तो अपने दोस्तों से मिला और उनको विश किया.
फिर जल्दी से घर वापस आ गया और गुलाल, रंग आदि सब लेकर भाभी जी के घर की तरफ चल पड़ा.

गली के और भी लड़के भाभी को रंग लगाने को मचल रहे थे.
मैंने देखा कि भाभी उनसे बारी बारी से हल्का सा टीका लगवा लेतीं … बस उससे ज्यादा कुछ नहीं.

पहले तो मुझे भी लगा कि एक टीका लगाने से क्या होगा.
मगर मैं गलत था. भाभी मेरा ही इंतजार कर रही थीं कि मैं कब आऊंगा.

मैं कुछ सोच कर वापस अपने घर में आ गया.

थोड़ी देर में मैं घर के बाहर आया, तो देखा कि सूरज भईया बाइक पर बैठकर कहीं जा रहे थे.
ये मेरे लिए अच्छा मौका था.

मैं भाभी के घर में गया, तो अंकल आंटी पकौड़े बना रहे थे.
मैंने दोनों को विश किया और पूछा- भाभी कहां हैं?
आंटी बोलीं- ऊपर गई है, अभी नीचे ही थी और बोल रही थी कि सब आ गए … बस यश ही नहीं आया.

मैं ये सुनकर खुश हो गया कि चलो भाभी को मेरा इंतजार है. मैं आंटी से कुछ पकौड़े लेकर ऊपर गया.

भाभी अपने रूम में थीं. उन्होंने जैसे ही मुझे देखा तो गुस्से से दूसरी तरफ मुँह करके खड़ी हो गईं.

मैंने कहा- भाभी पकौड़े खाओगी?
भाभी बोलीं- तुम्हीं खाओ पकौड़े … मुझे बात नहीं करनी तुमसे.
मैंने कहा- अच्छा जी, इतना गुस्सा?

अब मैंने अपने हाथों में गुलाल लिया और उनके दोनों गालों को कसके रगड़ना चालू कर दिया.
मैंने गालों पर गुलाल लगाने के बाद भाभी के पीछे से उनको कसके पकड़ लिया.
भाभी कुछ समझ ही नहीं पाईं.

मैंने फिर से भाभी के गालों को रगड़ना शुरू कर दिया.
भाभी पीछे की तरफ हो रही थीं, जिससे भाभी की मस्त गांड मेरे लंड से रगड़ने लगी.
मुझे मजा आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि आज मजाक मजाक में ही मैं इनकी चुदाई कर दूंगा.

भाभी की गांड से रगड़ कर मेरा लंड भी अब टाइट हो रहा था.
मैंने भाभी को छोड़ा नहीं.

भाभी बोले जा रही थीं- यश, छोड़ो मुझे.
मैंने भी बोला- होली है जी, होली है … बुरा ना मानो होली है.

मैंने अब अपने हाथों को धीरे धीरे गुलाल उनकी गर्दन पर लगाना शुरू कर दिया, जिससे भाभी को अच्छा लगने लगा.
उनका मुझसे छूटने के मन अब कम होने लगा था और मेरे लंड की रगड़ उनको अपनी गांड अच्छी लगने लगी थी.

इसलिए जो विरोध वो पहले कर रही थीं, वैसा विरोध अब नहीं कर रही थीं. बस ऊपरी मन से बोले जा रही थीं- यश, छोड़ो ना … किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी.
मैंने कहा- होली है भाभी, कोई दिक्कत नहीं होगी.

जिस तरह से भाभी बोल रही थीं, मुझे भी लगा कि भाभी का भी मन है.

मैंने अपने हाथ भाभी की गर्दन से नीचे ले जाते हुए मोना भाभी के ब्लाउज़ के ऊपर से ही हल्का सहलाना शुरू ही किया था कि किसी की ऊपर आने की आवाज आ गई.
हम दोनों जल्दी से अलग हो गए.

मैंने देखा तो सूरज भईया थे.
मैं मन ही मन में कुढ़ रहा था कि सूरज भईया को अभी ही आना था, कुछ देर बाद आ जाते तो मेरा काम हो जाता.

भईया आते ही बोले- अरे यश तुम … हैप्पी होली.
फिर सूरज भईया भाभी को देख कर बोले- अरे वाह लगता है दोनों देवर भाभी होली के मजे ले रहे हैं.

मैं मन में बोला कि मजे ले तो रहा था मगर मजे लेने कहां दिया आपने.

फिर मैंने भाभी की तरफ देखा तो भाभी मुझसे अपनी नजरें चुरा रही थीं.

मैंने भी थोड़ी देर बात की और भैया को गुलाल लगा कर वापस अपने दोस्तों के पास होली खेलने चला गया.

होली खत्म होने के बाद भाभी और मेरी बातें भी कम होने लगी थीं.
मैं ही जानबूझ कर भाभी को देखता और नजरअंदाज कर देता था. बस चुपके से उनको देख लेता था.

एक हफ्ते से हम दोनों में कोई बात नहीं हो रही थी, बस कोई काम होता तो मैं वो करके वापस आ जाता था.

एक रात मैं मोबाइल में गेम खेल रहा था. उस समय कोई एक बज रहे होंगे.
मुझे मोबाइल में गेम खेलना और मूवी देखने बहुत पसंद है. रात में मैं बहुत देर तक जागता हूँ.

अब हुआ ये कि भाभी को मैं व्हाट्सएप पर ऑनलाइन दिख रहा होऊंगा क्योंकि नेट ऑन ही रहता है.

तभी एक मैसेज आया.
मैंने देखा तो मोना भाभी का मैसेज था. उसमें लिखा था- हैल्लो यश … क्या बात है तुम आजकल मुझसे ठीक से बातें नहीं कर रहे हो!
मैंने उनको मैसेज किया- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है. बस कुछ काम है तो टाइम नहीं मिलता.

मोना भाभी बोलीं- अच्छा जी, पहले भी तो काम होता था … तब तो तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम होता था. अब क्यों नहीं है?
मैं कुछ नहीं बोला.

उनका दूसरा मैसेज आया- वो बात भूल जाओ, जो होली पर हुई थी. कोई बात नहीं है.

मैं यही तो सुनना चाहता था कि वो खुद बोलें कि कोई बात नहीं. मतलब अब मैं उनसे बात कर सकता था, पर मुझे देखना था कि होली वाले दिन जो भी हुआ था, उसका भाभी पर क्या असर हुआ था.

कुछ देर बात करने के बाद भाभी ने बताया कि मम्मी पापा कुछ दिन के लिए गांव जा रहे हैं. तुम दोपहर में आ जाया करना, नहीं तो मैं बोर हो जाउंगी.
मैंने कहा- ठीक है, आ जाऊंगा.

फिर भाभी बोलीं- मैं सोने जा रही हूँ … कल बात करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर मैं सोचने लगा कि अब तो मौका भी है. बस कैसे ना कैसे करके पूरी तरह से पक्का करना होगा.

ये ही सोचते सोचते ही मैं कब सो गया, पता नहीं चला.

सुबह उठा, तो आंटी अंकल आए मेरे घर हुए थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#4
वो मुझे और घर में बोले- कुछ काम है, तो आज ही गांव जाना पड़ रहा है. मोना को और सूरज को देखना … और यश, अपनी भाभी का कोई सामान वगैरह लाना हो, तो ला देना.
मैंने कहा- ठीक है.

इतना बोलने के बाद वो सब चले गए. अब करीब 11 बजे होंगे, मैं ऊपर छत पर खड़ा था. इतने में भाभी की कॉल आई.

वो पूछने लगीं- यश कहां हो?
मैंने कहा- अभी तो छत पर हूँ.

फिर भाभी बोलीं- घर पर आना, कुछ काम है.
मैंने कहा- ठीक है … अभी आता हूं.

पांच मिनट बाद मैं भाभी के घर के बाहर गेट पर खड़ा था.
मैंने दरवाजे की घंटी बजाई तो भाभी की आवाज आई- गेट खुला है … आ जाओ और आते हुए कुंडी लगा देना.

मैं अन्दर आ गया और मेन गेट की कुंडी लगा दी.

मैंने आवाज दी- भाभी?
भाभी बोलीं- ऊपर आ जाओ … ऊपर हूँ मैं!

मैं जैसे ही ऊपर आया, भाभी रूम में नहीं थीं. मैंने फिर से आवाज लगाई- भाभी कहां हो?
तो बाथरूम से आवाज आई- तुम वहीं बैठो … में अभी आती हूँ नहा कर.

थोड़ी देर में भाभी ने फिर से आवाज लगाई- यश!
मैंने बोला- हां जी भाभी जी!

मोना भाभी बोलीं- यश जरा बेड पर मेरा पेटीकोट और ब्लाउज़ रखा है … दे दोगे मुझे!
मैंने कहा- ठीक है … लाता हूँ.

भाभी ने बाथरूम का दरवाजा खोला लेकिन मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ किया हुआ था और भाभी को कपड़े देने लगा.

इतने में भाभी बोलीं- वाह जी, अब बड़ा शरीफ बन रहे हो. तुम पीछे मुड़ सकते हो … अभी मैंने कुछ कपड़े पहने हुए हैं.

मैंने पीछे मुड़ कर देखा. मैं सोच रहा था कि अभी भाभी ने पता नहीं क्या पहना होगा.

उन्होंने पानी से भीगा हुआ पेटीकोट अपने जिस्म पर कसा हुआ था. उसे ऊपर अपने मम्मों तक करके पहना हुआ था. नीचे उनकी गोरी गोरी टांगें दिख रही थीं.

अभी भी मेरे हाथों में उनके कपड़े थे. एक तरफ से उन्होंने पकड़े हुए थे और दूसरी तरफ से मैंने.

इतने में भाभी बोलीं- क्या हुआ … अभी भी नाराज हो?
मैं बोला- आपसे कोई कैसे नाराज हो सकता है.

मोना भाभी बोलीं- रहने दो … एक हफ्ते से बात तो कर नहीं रहे हो.
फिर मैंने बोला- आप तो नहा ली अकेले अकेले.

भाभी बोलीं- अकेले ही तो नहाते हैं.
मैंने कहा- ऐसा कुछ नहीं है. दो लोग एक साथ भी नहा सकते हैं.

इस बार मोना भाभी मजाक में ही बोली होंगी- अच्छा जी … तो अन्दर आ जाओ.
मैंने कहा- देख लो, आ गया तो दिक्कत न हो जाए आपको!
मोना भाभी बोलीं- आओ तो सही.

अब हो ये रहा था कि मोना भाभी के कपड़े जो मैंने और भाभी ने पकड़ रखे थे वो कभी भाभी खींच रही थीं, तो कभी मैं अपनी तरफ खींचता.

इतनी देर में मुझसे कपड़े हाथ से छूट गए और भाभी जल्दी से दरवाजे को बंद करने लगीं. मैंने भी जोर देते हुए दरवाजे को धक्का लगाया, तो दरवाजा खुल गया.

मैंने भी इस मौके को जाने नहीं दिया. मैंने जल्दी से अन्दर आकर दरवाजे को बंद कर दिया.

भाभी मजाक करते हुए अपने दोनों हाथों से मुझे रोकने लगीं.

मैंने भी एक हाथ से भाभी को पीछे किया और शॉवर को चालू कर दिया.
भाभी बोलने लगीं- ये क्या कर रहे हो … गीले हो जाओगे.
मैंने कहा- गीला ही तो होना है.

ये कह के मैंने भाभी के दोनों हाथों को दीवार से लगा दिया.
इतने में भाभी बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- जो उस दिन नहीं हुआ था … वो आज करूंगा.

इतना बोलते ही मैं मोना भाभी की गर्दन पर जोर जोर से किस करने लगा.

भाभी अचानक से इस चीज़ को होने से रोक नहीं पाईं. वो बोलने लगीं- यश प्लीज़ रुको तो रुको भी यार.

मैंने उनको दोनों हाथों को जोर से पकड़ रखा था. अगले ही पल मैंने मोना भाभी का मुँह दीवार की तरफ कर दिया. भाभी अभी भी मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थीं.
मैं एक हाथ से उनके चुचों को दबा रहा था तो दूसरे हाथ उनके पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी चूत को सहला रहा था.

मोना भाभी मुझसे छूटने की कोशिश भी ऐसे कर रही थीं, जैसे उनके मन भी मुझसे छूटने का मन न हो.
वो मुझसे मजे लेने के मूड में दिख रही थीं. वो छूटने का ऊपर से दिखावा भर कर रही थीं और बोल रही थीं- यश छोड़ो मुझे … ये क्या कर रहे हो यार.

मैं भाभी की चूत को और जोर जोर से सहला रहा था, जिससे भाभी शांत हो रही थीं और गर्म हो रही थीं.

भाभी दबी जुबान से अब भी बोल रही थीं- यश … तुम रुको तो … एक मिनट रुको तो.

मैंने उनकी एक न सुनी. मैं अपने लंड को पजामे के ऊपर से ही उनकी गांड पर कसके दबाने लगा और पीछे से ही उनकी गर्दन, पीठ पर चूमने लगा.
मोना भाभी का विरोध एकदम कम हो गया था.

मैंने कुछ देर ऐसे ही किया. फिर भाभी को सीधा करके उनके होंठों पर अपने होंठों को लगा दिया.
मैं भाभी को जोर जोर से चूसने लगा.

अभी भी भाभी दिखावा करने के लिए आराम आराम से बोल रही थीं- यश कोई देख लेगा.
मैंने कहा- आज कोई नहीं है देखने वाला. भाभी आज मुझे मत रोको.

आज पहली बार मैंने मोना भाभी के होंठों का रस पीना शुरू किया था. इतने मुलायम, इतने रसीले होंठ थे भाभी के कि बस मन किए जा रहा था कि भाभी के होंठों का सारा रस पी जाऊं.

फिर मैंने पेटीकोट को थोड़ा ऊपर करके उनकी कमर को प्यार से सहलाने लगा.
एक साथ दो काम हो रहे थे. कमर को सहलाना और उनकी गर्दन पर जोर जोर से किस किये जा रहा था.

मोना भाभी गर्म होने लगी थीं और अब उनके मुँह से मादक सिस्कारियां निकल रही थीं- अअह … उहह!

भाभी ने जो पेटीकोट पहना था, वो उन्होंने अपने मम्मों के ऊपर चढ़ा कर पहना हुआ था. जिससे उनके चुचे भी ढके हुए थे और पैंटी भी.

मैंने नीचे से उनके पेटीकोट के अन्दर हाथ डाल दिया और उनके चुचों को सहलाने लगा. कभी कभी में भाभी के रसीले मम्मों को दबा भी रहा था.

अब मोना भाभी ने भी विरोध करना बंद कर दिया था. वो मादक आवाजों में ‘आह्ह्ह ऊओह्ह ..’ कर रही थीं.

अगले ही पल में मैंने मोना भाभी का पेटीकोट भी उतार दिया.
हम दोनों ही गीले हो गए थे.

मैंने देखा कि उन्होंने काले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#5
आज मुझे भाभी ने फिर से प्रीत भाभी की याद दिला दी थी. सच में क्या मस्त माल लग रही थीं.

इस वक्त मोना भाभी ब्रा पैंटी में ऐसी लग रही थीं जैसे कोई अप्सरा हो. एकदम दूध सा गोरा-चिट्टा मखमल जैसा बदन, भरे हुए चुचे ब्रा से बाहर आने को आतुर हो रहे थे और नीचे उनकी कोमल कोमल चिकनी टांगें मेरे लंड की मां चोदने को उतारू थीं.

ऊपर से भाभी एकदम गीली थीं, जो कि भाभी के हुस्न को चार चांद लगा रहा था.

मुझसे रहा नहीं गया और मैं एकदम से भाभी की गर्दन और सीने पर किस करने लगा.
मोना भाभी और भी जोर से खुल कर सिसकारियां लेने लगीं- ऊऊहह ऊह्ह!

कुछ ही देर में भाभी काफी गर्म हो चुकी थीं. भाभी को कितना मजा आ रहा था ये साफ़ पता चल रहा था.

मोना भाभी ने अपना हाथ मेरे लोअर के ऊपर से ही लंड को सहला दिया.
मैं अभी लोअर उतारने की सोच ही रहा था कि अगले ही पल भाभी ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाल दिया और मेरे लंड को निकाल लिया.
वो मेरे लंड को आगे पीछे करने लगीं.

मैंने भी भाभी की ब्रा उतार दी. मोना भाभी के चुचे जैसे इसी आज़ादी के लिए बेताब हो रहे थे.
आज मुझे दूसरी बार भाभी के इतने गोरे-चिट्टे चुचों के खुले दर्शन हो रहे थे.

पहली बार में लगभग आधे दिख सके थे, मगर आज तो मानो लंका में आग लग गई थी. घर में भी कोई नहीं था जो रोक-टोक करता.

मैंने अगले ही पल भाभी की गर्दन पर जोर जोर से चूमना चालू कर दिया. साथ ही अपना एक हाथ उनकी पैंटी में डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगा.

इससे मोना भाभी और भी गर्म हो गई और सेक्सी आवाजें भरने लगीं- ओहह हहह … अअ अहहह!

कुछ ही देर ऐसे करने के बाद मैंने मोना भाभी की पैंटी को भी उतार दिया और साथ मैंने अपनी लोअर टी-शर्ट और अंडरवियर को भी उतार दिया.

हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे थे.

भाभी का इतना सेक्सी बदन देख कर मुझे अपने आप पर काबू करना बहुत मुश्किल हो रहा था. पर पता नहीं कैसे रोक सका अपने आपको.

मेरी नीचे नजर गई, तो भाभी की चूत पर हल्के हल्के बाल थे और चूत एकदम गुलाबी सी थी. मेरा मन किया कि अभी चुत को खा जाऊं.

इस बार मैं अपने आपको सम्भाल नहीं पाया और एक झटके में नीचे बैठ कर मोना भाभी की टांगों को खोल दिया. भाभी की टांगें क्या खुलीं … जन्नत आ दरवाजा लपलप करता हुआ सामने आ गया. मैंने उनकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया और जीभ से दाना चाट लिया.

जैसे ही भाभी की चूत पर मेरा मुँह लगा, भाभी की सिसकारी निकल गई.

मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से भाभी की टांगों को पकड़ा और उनकी पिघलती चूत की फांकों के बीचे में जीभ रगड़ दी.
इससे भाभी मस्ता गईं और उन्होंने अपनी टांगें फैला दीं.

मैंने उसी वक्त उनकी टांगों को छोड़ा और चुत की दोनों पुत्तियों को पकड़ कर अगल अलग तरफ खींच लिया.
इससे भाभी की चूत का छेद बड़े आराम से देखा जा सकता था.
अन्दर का गुलाबी रंगत लिए हुए गुफा का दृश्य दिखने लगा था.

मैंने भाभी की चूत के दाने को अपनी जीभ से सहलाना शुरू किया तो भाभी की कामुक सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं.
वो मेरे बालों को सहला रही थीं और आह आह कर रही थीं.

मैं भाभी की चूत के दाने को कभी कभी जब अपने होंठों में दबा कर खींचता तो भाभी गांड आगे करके उछल सी पड़तीं.

मैंने पूरे मनोयोग से भाभी की चूत को चाटना शुरू कर दिया. साथ ही अपनी दो उंगलियों से दाने को भी जोर जोर से मींजने लगा.
मेरी इस हरकत से तो भाभी पागलों की तरह आवाजें लेने लगीं.

मुझे भाभी की चूत की गर्माहट साफ़ महसूस हो रही थी.

मैं कुछ देर चुत चाटने के बाद वापस खड़ा हुआ और उनके चुचों को बारी बारी से मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. एक हाथ से एक चुचे को दबाता और दूसरे को चूसता. इसी के साथ खाली हाथ से अगले ही पल उनकी चुत को भी जोर जोर से रगड़ने लगता.

इधर भाभी भी मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़े हुए आगे पीछे किए जा रही थीं.

जब मैं भाभी की चूत को तेज तेज मसलने लगा तो वो भी मेरे लंड को जोर जोर से आगे पीछे करने लगीं.

कुछ ही देर में हम दोनों शांत हो गए और नहा कर बिना कपड़ों के ही भाभी को अपनी गोद में उठा लिया और उनके रूम में ले जाने लगा.

आज मुझे अपना सपना पूरा करना था. मैं उनको दुल्हन बना कर चोदना चाहता था.

मैंने रुकते हुए कहा- भाभी, आप एक काम करोगी? मना मत करना.
भाभी बोलीं- क्या काम … और रुक क्यों गए?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#6
.


आज मुझे भाभी ने फिर से प्रीत भाभी की याद दिला दी थी. सच में क्या मस्त माल लग रही थीं.
इस वक्त मोना भाभी ब्रा पैंटी में ऐसी लग रही थीं जैसे कोई अप्सरा हो. एकदम दूध सा गोरा-चिट्टा मखमल जैसा बदन, भरे हुए चुचे ब्रा से बाहर आने को आतुर हो रहे थे और नीचे उनकी कोमल कोमल चिकनी टांगें मेरे लंड की मां चोदने को उतारू थीं.
ऊपर से भाभी एकदम गीली थीं, जो कि भाभी के हुस्न को चार चांद लगा रहा था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं एकदम से भाभी की गर्दन और सीने पर किस करने लगा.
मोना भाभी और भी जोर से खुल कर सिसकारियां लेने लगीं- ऊऊहह ऊह्ह!
कुछ ही देर में भाभी काफी गर्म हो चुकी थीं. भाभी को कितना मजा आ रहा था ये साफ़ पता चल रहा था.
मोना भाभी ने अपना हाथ मेरे लोअर के ऊपर से ही लंड को सहला दिया.
मैं अभी लोअर उतारने की सोच ही रहा था कि अगले ही पल भाभी ने मेरे लोअर के अन्दर हाथ डाल दिया और मेरे लंड को निकाल लिया.
वो मेरे लंड को आगे पीछे करने लगीं.
मैंने भी भाभी की ब्रा उतार दी. मोना भाभी के चुचे जैसे इसी आज़ादी के लिए बेताब हो रहे थे.
आज मुझे दूसरी बार भाभी के इतने गोरे-चिट्टे चुचों के खुले दर्शन हो रहे थे.
पहली बार में लगभग आधे दिख सके थे, मगर आज तो मानो लंका में आग लग गई थी. घर में भी कोई नहीं था जो रोक-टोक करता.
मैंने अगले ही पल भाभी की गर्दन पर जोर जोर से चूमना चालू कर दिया. साथ ही अपना एक हाथ उनकी पैंटी में डाल कर उनकी चूत को सहलाने लगा.
इससे मोना भाभी और भी गर्म हो गई और सेक्सी आवाजें भरने लगीं- ओहह हहह … अअ अहहह!
कुछ ही देर ऐसे करने के बाद मैंने मोना भाभी की पैंटी को भी उतार दिया और साथ मैंने अपनी लोअर टी-शर्ट और अंडरवियर को भी उतार दिया.
हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगे थे.
भाभी का इतना सेक्सी बदन देख कर मुझे अपने आप पर काबू करना बहुत मुश्किल हो रहा था. पर पता नहीं कैसे रोक सका अपने आपको.
मेरी नीचे नजर गई, तो भाभी की चूत पर हल्के हल्के बाल थे और चूत एकदम गुलाबी सी थी. मेरा मन किया कि अभी चुत को खा जाऊं.
इस बार मैं अपने आपको सम्भाल नहीं पाया और एक झटके में नीचे बैठ कर मोना भाभी की टांगों को खोल दिया. भाभी की टांगें क्या खुलीं … जन्नत आ दरवाजा लपलप करता हुआ सामने आ गया. मैंने उनकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया और जीभ से दाना चाट लिया.
जैसे ही भाभी की चूत पर मेरा मुँह लगा, भाभी की सिसकारी निकल गई.
मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से भाभी की टांगों को पकड़ा और उनकी पिघलती चूत की फांकों के बीचे में जीभ रगड़ दी.
इससे भाभी मस्ता गईं और उन्होंने अपनी टांगें फैला दीं.
मैंने उसी वक्त उनकी टांगों को छोड़ा और चुत की दोनों पुत्तियों को पकड़ कर अगल अलग तरफ खींच लिया.
इससे भाभी की चूत का छेद बड़े आराम से देखा जा सकता था.
अन्दर का गुलाबी रंगत लिए हुए गुफा का दृश्य दिखने लगा था.
मैंने भाभी की चूत के दाने को अपनी जीभ से सहलाना शुरू किया तो भाभी की कामुक सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं.
वो मेरे बालों को सहला रही थीं और आह आह कर रही थीं.
मैं भाभी की चूत के दाने को कभी कभी जब अपने होंठों में दबा कर खींचता तो भाभी गांड आगे करके उछल सी पड़तीं.
मैंने पूरे मनोयोग से भाभी की चूत को चाटना शुरू कर दिया. साथ ही अपनी दो उंगलियों से दाने को भी जोर जोर से मींजने लगा.
मेरी इस हरकत से तो भाभी पागलों की तरह आवाजें लेने लगीं.
मुझे भाभी की चूत की गर्माहट साफ़ महसूस हो रही थी.
मैं कुछ देर चुत चाटने के बाद वापस खड़ा हुआ और उनके चुचों को बारी बारी से मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. एक हाथ से एक चुचे को दबाता और दूसरे को चूसता. इसी के साथ खाली हाथ से अगले ही पल उनकी चुत को भी जोर जोर से रगड़ने लगता.
इधर भाभी भी मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़े हुए आगे पीछे किए जा रही थीं.
जब मैं भाभी की चूत को तेज तेज मसलने लगा तो वो भी मेरे लंड को जोर जोर से आगे पीछे करने लगीं.
कुछ ही देर में हम दोनों शांत हो गए और नहा कर बिना कपड़ों के ही भाभी को अपनी गोद में उठा लिया और उनके रूम में ले जाने लगा.
आज मुझे अपना सपना पूरा करना था. मैं उनको दुल्हन बना कर चोदना चाहता था.
मैंने रुकते हुए कहा- भाभी, आप एक काम करोगी? मना मत करना.
भाभी बोलीं- क्या काम … और रुक क्यों गए?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
मैंने भाभी को अपनी गोद में लिए हुए था. तो उनको चूम कर उनके रूम में ले गया. रूम में ले जाकर मैंने भाभी को बेड पर बैठा दिया.

अब मैंने कहा- भाभी मेरी एक ख्वाहिश है … जो सिर्फ आप ही पूरी कर सकती हो.
मोना भाभी बोलीं- अब बोलोगे भी कि क्या ख्वाहिश है.

मैंने कहा कि मुझे आपको भाभी के रूप में नहीं. बल्कि आपको दुल्हन बना कर प्यार करना है.
भाभी बोलीं- ठीक है, तुम ये तौलिया पहन कर नीचे चले जाओ. जब मैं आवाज लगाऊं … तब आना.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा भाभी ने कहा था.
मैं नीचे चला गया.

करीब 20 से 25 मिनट हुए होंगे कि मोना भाभी ने आवाज लगा दी- यश ऊपर आ जाओ.

मैं जैसे ही ऊपर गया, तो दरवाजा लगा हुआ था.
मैंने दरवाजा खोला तो मोना भाभी बेड पर बैठी हुई थीं और उन्होंने अपनी शादी का लहंगा चोली पहना हुआ था. चुनरी से घूंघट डाल रखा था.

मैंने जल्दी से दरवाजे को बंद किया और मोना भाभी के पास जाकर बैठ गया. मैंने मोना भाभी के घूंघट को अपने दोनों हाथों से ऊपर किया और उन्हें निहारा.

भाभी इतनी सुंदर लग रही थीं कि मेरे पास उनकी खूबसूरती को बयान करने के लिए कोई शब्द ही नहीं है.

मोना भाभी ने लाल रंग की चोली और लहंगा पहना हुआ था. उन्होंने होंठों को भी लाल किया हुआ था और एक छोटी सी बिंदी लगाई हुई थी. आंखों में लाइनर लगाया हुआ था.
इसके अतिरिक्त और कोई मेकअप नहीं किया हुआ था.
भाभी एकदम सिंपल सी, पर लाखों में एक लग रही थीं.

मुझे तो ये कोई सपना सा लग रहा था. मैंने मोना भाभी के चेहरे को अपने एक हाथ को ऊपर किया. भाभी मुझे देख रही थीं.

मैंने कहा- भाभी, सच में आप कितनी सुंदर लग रही हो.
मोना भाभी बोलीं- भाभी नहीं … सिर्फ मोना कहो.
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान!

मैंने मोना भाभी के हाथों को अपने हाथों में लिया और उसको धन्यवाद बोला.

अब मैंने एक हाथ भाभी के गाल पर रखा और उनके रसीले लाल होंठों का रस पीने लगा.
मोना भाभी भी अब मेरा साथ देने में कोई संकोच नहीं कर रही थीं.

कुछ ही देर में मैंने भाभी को लेटा दिया और उनके ऊपर आकर कभी उनके गालों को चूमता, तो कभी उनकी गर्दन को जोर जोर से चूसता चूमता, जिससे मोना भाभी को भी बहुत अच्छा लग रहा था.

मैं अब अपने आपे में ही नहीं था. मुझे कुछ सूझ ही नहीं रहा था … बस मुझे मोना भाभी ही दिख रही थीं. बौराया सा मैं भाभी के ऊपर चढ़ा हुआ कभी उनके होंठों को चूमता चूसता तो कभी उसके कानों के पीछे अपनी जीभ से सहलाने लगता, तो कभी उनकी गर्दन को जीभ से चाटते हुए गीला कर रहा था.

ये सब करते हुए भाभी एकदम मस्त हो गई थीं. उन्होंने नीचे हाथ करके मेरा लंड पकड़ लिया था जिससे लंड एकदम टाइट हो गया था.

मेरा लंड मोना भाभी के लहंगे के ऊपर से ही उनकी चूत को दबा रहा था.
साथ ही साथ मेरे दोनों हाथ कभी भाभी के चुचों को ब्लाउज़ के ऊपर से सहलाते, तो कभी उनकी कमर को मसलने लगते, जिससे मोना भाभी के ऊपर बहुत मस्ती छाने लगी.

भाभी की मादक आवाजें आने लगीं- आह यश … मेरी जान आज तुमने ये क्या कर दिया … मुझे अभी तक सूरज ने भी ऐसा प्यार नहीं किया है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#8
ये कहते हुए मोना भाभी मेरे बालों को अपने दोनों हाथों को सहला रही थीं. उनकी मस्ती के मारे आंखें बंद हो रही थीं.

मैंने अब भाभी के ब्लाउज़ के ऊपर से ही उनके चुचों को मुँह में दबा कर चुभलाना शुरू कर दिया था. कभी कभी उनके निप्पल को ब्लाउज़ के ऊपर से ही पकड़ कर खींच लेता, तो मोना भाभी एकदम से सिसक उठतीं.

फिर मैंने अपने हाथ को धीरे से नीचे ले जाते हुए भाभी के पेट को जैसे ही सहलाया, मोना भाभी आह करते हुए हल्की सी ऊपर को हो गईं.
अगले ही पल मैंने एक हाथ को मोना भाभी के लहंगे के ऊपर से ही उनकी चूत पर रख दिया और चुत को सहलाने लगा.

उनकी टांगें ऐसे भिंच गईं, जैसे वो अपनी चुत को मुझसे छिपाना चाह रही हों. ऊपर मैंने एक हाथ से उनके एक चुचे को पकड़ कर हॉर्न जैसे दबा दिया.
साथ ही मेरे होंठ भाभी के होंठों पर कस गए और मैं उनके कोमल होंठों का रस भी चूसने लगा.

इस वक्त तो मैं क्या बताऊं दोस्तो, हम दोनों को ही इतना मजा आ रहा था कि हम दोनों जन्नत का मजा ले रहे थे.

अभी तो ये खेल हमारे कपड़ों के ऊपर से ही हो रहा था. मोना भाभी सेक्स के मजे में मानो डूब गई थीं.
उन्हें होश ही नहीं था कि वो किस लोक में विचर रही हैं.

मुझे इतना मजा जब बिना कपड़े उतारे आ रहा था, तो उनें नंगी करके जब मैं भाभी की चुत चुदाई करूंगा, तो क्या होगा.

मैंने मोना भाभी को मोड़ कर करवट दिला दी और उन्हें औंधा करके पेट के बल लेटा दिया; पीछे से उनके ब्लाउज़ को खोल दिया. उनकी नंगी हो चुकी पीठ को मैं चूमने ओर चाटने लगा.

मोना भाभी को इस सबसे काफी अच्छा लग रहा था; वो आंखें बंद किए मादक आवाजें भरते हुए मजा ले रही थीं.

अब मैंने अपनी तौलिया निकाल दी. तौलिया के नीचे मैंने कुछ नहीं पहना था.
मेरा नंगा कड़क लंड भाभी के लहंगे के ऊपर से ही उनकी गांड की दरार में रगड़ने लगा था.

मैं नीचे लंड रगड़ रहा था और ऊपर उनके कानों को भी चूम रहा था.

मैंने जब मोना भाभी के ब्लाउज़ को खोला था, तो देखा था कि भाभी ने ब्रा भी पहनी हुई थी. उनकी रेशमी ब्रा लाल रंग की थी.

मैं उसकी पीठ को चूमते हुए नीचे आता जा रहा था. मैं लहंगे के ऊपर से ही उनकी गांड को चूमता हुआ, उनकी जांघों पर हाथ फेर रहा था.
इसी तरह भाभी के कटि प्रदेश से चूमता हुआ नीचे आ गया.

नीचे आकर मैंने एक हाथ से मोना भाभी के लहंगे को ऊपर कर दिया. मोना भाभी ने अन्दर लाल रंग की पैंटी पहनी हुई थी.

मैं देर न करते हुए भाभी की टांगों को चूमते हुए फिर से को ऊपर आने लगा.
इस बार मेरे हाथ से उनका लहंगा भी ऊपर आता जा रहा था.

मैं ऊपर को आकर अपने दोनों हाथों से उनके मस्त चूतड़ों को मसलने लगा.

मोना भाभी मेरी इन सब हरकतों से काफी आनन्दित लग रही थीं, इसलिए वो अपने आंखें बंद किए हुए आने वाले पलों का इंतजार कर रही थीं.

भाभी मेरी सारी हरकतों को अपने जीवन में अब तक का सबसे बढ़िया समागम महसूस कर रही थीं.
वो कहे जा रही थीं- आह जानू … तुमने मुझे ये क्या कर दिया … अह … करते रहो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है यश आह.

उनकी इन बातों से मैं और भी अधिक जोश में आता जा रहा था.

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने भाभी को सीधा खड़ा होने का कहा.

भाभी खड़ी हो गईं.
मोना भाभी अभी सिर्फ लहंगे और पैंटी में थीं. वो मेरी आंखों में वासना से देखते हुए मेरे अगले कदम का बेसब्री से इंतजार करते दिख रही थीं.
वो ज्यादा कुछ बोल नहीं रही थी, बस वो आज सब हरकतों को दिल से फील कर रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#9
Smile Smile Shy Tongue
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10
(17-06-2022, 04:56 PM)neerathemall Wrote: Smile Smile Shy Tongue

मैंने मोना भाभी को कसके अपनी बांहों में भर लिया और अपने दोनों हाथों को पीछे उनकी नंगी पीठ को सहलाने लगा.
भाभी मेरी बांहों में सिमट गई थीं और अपने होंठों से मेरे कान की लौ को चूमने लगी थीं. उनकी जीभ मेरे कान की लौ को कुरेद रही थी.
अब मैंने मोना भाभी के लहंगे के ऊपर से ही उनकी गांड को फिर से दबाना शुरू कर दिया. मैं उनकी गांड को हाथों से भरकर दबाता, तो मोना भाभी ऊपर की तरफ उठ जाती थीं और उनकी नंगी चुचियां मेरे सीने से कस कर मसल जा रही थीं.
भाभी मेरे कान में बोलीं- आह यश, ये सब कैसे कर रहे हो … आह मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा है.
मैंने भाभी को जवाब नहीं दिया.
कुछ पल बाद मैं उनके पीछे आ गया और मेरा ध्यान बस मोना भाभी के हुस्न को प्यार करने का था. मैं बस उनके मदमस्त हुस्न में ही खोया हुआ था.
मैंने अपने हाथ आगे ले जाकर मोना भाभी के दोनों चुचों को जकड़ लिया और उनको सहलाने लगा.
बीच बीच में मैं उनके दोनों चुचों को कभी एक साथ दबा देता, तो कभी उनके निप्पलों को उंगलियों के बीच में दबा कर मसल देता. जिससे भाभी की उत्तेजना और भी ज्यादा होने लगी थी.
जैसे जैसे मैंने भाभी के चुचों को दबाना जारी रखा, तो भाभी सिसकारियां और तेज होने लगीं.
उन्होंने अपने एक हाथ को पीछे लाते हुए मेरे लंड को पकड़ रखा था और उसको ही सहलाये जा रही थी.
मैंने भाभी से बोला- आप बहुत सेक्सी और बहुत ही हॉट हो यार … मुझे ये सब कोई सपना लग रहा है.
भाभी कामुक हंसी हंसते हुए बोलीं- यश तुमने मेरे अरमानों को पंख लगा दिए हैं. मैं न जाने कबसे ऐसे प्यार के लिए तरस रही थी.
मैं बस उनकी गर्दन को चूमता हुआ उन्हें प्यार करता रहा.
अब मैंने मोना भाभी के लहंगे की गाँठ ढीली कर दी और लहंगे को उतार दिया. मेरे हाथ भाभी के चुचों की दबा रहे थे, उसमें से एक हाथ से नीचे पेट को सहलाते हुए उनकी पैंटी के ऊपर से ही मोना भाभी की चूत को सहलाने लगा.
मदमस्त औरत की चुत जब वासना की आग में जल रही हो और उसकी चुत पर उन्मुक्त मर्द का हाथ खेलना शुरू कर दे, तब कामांध औरत का क्या हाल होता है ठीक वैसा ही इस समय मोना भाभी का हो रहा था.
कुछ ही पलों में भाभी की मादक सिसकारियां एकदम से बढ़ने लगी थीं. क्योंकि इस समय मैं सीधा उनकी चूत को मसल रहा था. इससे मोना भाभी गर्म होते हुए बेकाबू हुए जा रही थीं.
एक मिनट तक भाभी की चुत रगड़ने के बाद उनकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो गई थी. भाभी की मदभरी आवाजों को सुन कर मेरे लंड की भी हालत खराब हो रही थी.
मैंने उसी वक्त भाभी को पीठ के बल बेड पर लेटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया. मैं एक बार फिर से उनके होंठों के रस को चूसने लगा. मोना भाभी भी मस्ती में थीं और मेरा पूरी तरह से साथ दे रही थीं.
कुछ पल ऐसे ही मोना के होंठों को चूमने चूसने के बाद मैंने पागलों की तरह जल्दी जल्दी चूमना शुरू कर दिया. कभी कान पर, तो कभी गाल पर, तो कभी गर्दन पर … बस जोर जोर से चूमने लगा था. जिससे मोना भाभी की उत्तेजना और भी ज्यादा हो गई और वो जोर जोर से सिसकारियां निकालने लगीं.
‘ओह … अअह … हहहह … यश ..’
मैं मोना भाभी को चूमते हुए उनके चुचों के पास आ गया.
जैसे ही मैं उनके एक चुचे को अपने मुँह से लगाया, मोना भाभी की एक तेज कराह निकली- आह … आहहह … खा ले यश … आह
भाभी ने अपने दोनों हाथ से मेरे बालों को पकड़ कर अपने चूचे पर दबा लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
मैं अपने एक हाथ से उनके चुचे को दबा रहा था और दूसरे चुचे को मुँह में लेकर चूस रहा था.
भाभी अपने हाथ से अपनी चूची पकड़ कर मेरे मुँह में ठेलने लगीं और मुझे अपने बच्चे के जैसे दूध पिलाने लगीं.

ऐसे ही भाभी ने अपने दूसरे चुचे को मेरे मुँह में दे दिया और उसको भी दबा दबा कर पिलाया. हम दोनों की हालत बेकाबू सांड की तरह हो गई थी और हम दोनों ही एकदम गर्म हो उठे थे.

मोना भाभी अब चुदना चाह रही थीं पर मैं उन्हें अभी और गर्म करना चाहता था.
मेरा सपना था कि भाभी को पूरी तरह से उन्मुक्त कर दूं और तभी उनकी चुदाई का मजा लूं.

मैं अब मोना भाभी की टांगों के बीच में आ गया और उनकी पैंटी के ऊपर से ही चूत को चाटने लगा.
मैंने उनकी पैंटी को भी टांगों से नीचे खींचा तो भाभी ने अपनी गांड उठा कर झट से पैंटी को उतर जाने दिया.
उनकी चुत चुदवाने की लालसा अब एक शोला बन चुकी थी.

मैं भाभी की टांगों के बीच आ गया और उनकी संगमरमर सी चिकनी जांघों को को किस करने लगा.
जांघों को चूमते हुए हल्का सा ऊपर हुआ और चुत के बगल से जीभ का स्पर्श देते हुए मैं भाभी की नाभि पर अपनी जीभ को गोल गोल घुमाने लगा.

‘प्लीज़ … ह्ह ऊओ हह आअह्ह आःह्ह्ह आःह्ह्ह आआजह्ह ..’

भाभी चाह रही थीं कि जल्दी से चुत पर हमला हो … मगर मैं अपनी कामना को पूरा करना चाहता था.

एक दो पल भाभी की नाभि को चूमने चूमने के बाद मैं दुबारा नीचे भाभी की टांगों के बीच आ गया.
अब मैं अपनी जीभ से भाभी की चूत के दाने को चाटने लगा.

यही तो भाभी चाह रही थीं.

अपनी चुत पर मेरी जुबान का स्पर्श पाते ही मोना भाभी मस्ती के मारे सीत्कार भरने लगीं- आअह्ह्ह ऊओह्हह्हह और चाटो यश … आह जानू और जोर जोर से चाटो … आह्ह्ह.

मैं भी कामांध हाथी की तरह जोर जोर से भाभी की चूत के दाने को चाटने लगा.

भाभी की चूत एकदम गीली हो गई थी.
मैं उनकी चूत के अन्दर जीभ डालकर चुत की भीतरी दीवारों को चाटने लगा.

भाभी इस तरह की चुसाई को झेल नहीं पा रही थीं.
वो जोर जोर से सांस लेने लगीं और अपने बदन को अकड़ाते हुए सिसकारियाँ ले रही थीं- आह यश … आह क्या कर दिया … आह.

उनका हाथ मेरे सर पर था और वो उसे लगातार अपनी चुत पर दबा रही थीं.

मैंने मोना की चूत को चाट चाट कर लाल कर दिया था.
फिर मैंने मोना भाभी की चुत से सर हटा लिया.

भाभी को अपनी चुत से जीभ हटते ही ऐसा लगा मानो उनकी मस्ती को मैंने छीन लिया हो.
मैंने भाभी से पूछा- कोई क्रीम मिलेगी?

उन्होंने उंगली के इशारे से मुझे बताया.

मैं क्रीम ले आया और मोना भाभी की चूत में दो उंगलियों से क्रीम लगाने लगा.
भाभी की चूत एकदम गीली थी मगर मुझे मालूम था कि भाभी की चुत मेरे लौड़े के हिसाब से अभी भी काफी टाइट है.

मैंने एक उंगली जैसे ही उसकी चूत में डाली, भाभी की आह की तेज आवाज निकल गई- ओओह … मत करो … आह

मैंने भाभी की आवाज को नजरअंदाज किया और अपनी उंगली को चुत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

कुछ ही देर बाद चुत ने मेरी उंगली से मजा लेना शुरू कर दिया था.

मैंने अब दो उंगलियां चुत में डाल दीं और जोर जोर से भाभी की चूत में उंगली चलाने लगा.
मोना भाभी मस्ती में आवाज निकालने लगीं- ऊऊह्ह्ह … आआह्ह … मर गई …

इसी तरह मैंने अपनी उंगलियों से भाभी की चूत में ढेर सारी क्रीम भर दी और कुछ अपने लंड पर भी लगा ली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
भाभी समझ गईं कि अब चुत लंड के बीच युद्ध शुरू होने वाला है. मैं अपने लंड को भाभी की चूत पर रगड़ने लगा.
कुछ देर रगड़ने के बाद मैंने भाभी की चूत की फांकों में अपने लंड का सुपारा फंसाया और जोर से धक्का दे मारा.

‘ओओ हह आहह … मर गई यश … आह मेरी फट गई.’
मोना भाभी को मोटे लंड से दर्द हो रहा था.

मैं कुछ पल के लिए रुक गया और उनके दोनों चुचों के निप्पलों से खेलने लगा, उन्हें बारी बारी से चूसने लगा.

कुछ ही देर में लंड से चुत की दोस्ती हो गई और मोना भाभी ने अपनी गांड हिला कर इसका संकेत भी दे दिया.

मैं समझ गया कि मोना भाभी को मजा आने लगा था या वो खुद को ठीक महसूस कर रही हैं.

मैंने भी धीरे धीरे लंड के धक्के मारने शुरू कर दिए.

मेरा आधा लंड मोना भाभी की चूत में चला गया था. अब मैंने देर ना की … और हल्का सा लंड बाहर निकाल कर पूरी ताकत से धक्का दे दिया.

‘ऊओईई ईईईई मर गई ..’ भाभी की चीख निकल गई और उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे.

इस बार मोना भाभी को काफी दर्द हो रहा था और वो हटाने के लिए मुझे धक्का भी दे रही थीं, पर मैं उनको कसके जकड़े हुए था.
साथ ही मैं भाभी के दोनों चुचों को भी दबा रहा था.

भाभी बस कराह रही थीं- ऊओह्ह आअह्ह्ह ऊओईई ह्हह्हाआ.

कुछ देर बाद मोना भाभी को जब ठीक लगने लगा, तो मैंने लंड को मोना भाभी की चूत में पेलना शुरू कर दिया.

अब भाभी को कम दर्द हो रहा था और उन्हें मजे आने लगे थे. वो अपनी गांड को आगे पीछे हिलाने लगीं.

मैंने भी अब मोना भाभी की ताबड़तोड़ चुदाई करना शुरू कर दी.

कुछ देर बाद मैंने अपनी स्पीड थोड़ी तेज कर दी और जोर जोर से मोना भाभी की चुदाई करने लगा.

मोना भाभी तो बस ‘आह्हह … उह्ह्ह … ऊओह्हह्ह ..’ की आवाजें निकाले जा रही थीं. जब वो ऐसी आवाज निकालतीं, तो उनकी चुदाई मैं और जोर जोर से करने लगता.

ऐसे ही चुदाई करते करते मैंने मोना भाभी की एक टांग को ऊपर अपने कंधे पर रख ली और फिर से उनकी जोर से चुदाई करना शुरू कर दिया.

मोना भाभी को इस आसन में और भी मजा आ रहा था और वो मस्ती से अपनी मादक सीत्कार निकाल रही थीं- ऊओह्ह आअह्ह ह्हहा ऐसे ही … और अन्दर तक पेल कर चोदो … आह और जोर से चोदो … आह.

इस पर मैंने उनकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लिया और लंड फिर से मोना भाभी की चुत में पेल कर उनकी चुदाई करना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद मैंने मोना भाभी को घोड़ी बना दिया और पीछे से चुदाई के लिए लंड सैट करने लगा.
भाभी की कमर इतनी मस्त लग रही थी और उनकी गोरी गोरी गांड को देख कर मुझे और भी जोश आ रहा था.

मैंने भाभी की चूत पर लंड रखा और एक जोर के धक्के में आधे से ज्यादा लंड पेला तो उसकी चूत कांप उठी.

मैं हल्के हल्के लंड को अन्दर बाहर करने लगा और भाभी की चुदाई करने लगा. साथ साथ में मैं भाभी की गांड को थप्पड़ मारे जा रहा था, जिससे मोना भाभी की आवाज और तेज हो जा रही थीं. थप्पड़ मारने से उनकी गांड लाल हो गई थी.

मोना भाभी की आवाज पूरे रूम में गूंज रही थी और वो पागलों की तरह बोले जा रही थीं- आह यश … चोदो ओर जोर जोर से … फाड़ दो मेरी चूत को … आह चोदो मुझे … और जोर जोर से चोदो और जोर जोर से.

हम दोनों ही मस्ती में डूबे हुए थे. मोना भाभी अपनी चुत चुदाई का पूरा मजा ले रही थीं.

मैंने बीस मिनट चुदाई करने के बाद फिर से भाभी को पेट के बल लेटा दिया और उनकी चूत में लंड डाल कर फिर से चुदाई करना चालू कर दी.

मोना भाभी और मैं दोनों ही पसीने से पूरे नहा लिए थे.

कुछ देर बाद मोना भाभी बोलीं- आआह्ह्ह्ह यश … ऊओह्ह्ह मेरा होने वाला है.
भाभी ने इतना ही बोला होगा कि वो ‘इह्ह गई आह ..’ करते हुए निढाल हो गईं.

मैंने भी अपनी फुल स्पीड में मोना भाभी की चुदाई करना चालू कर दिया.
फिर कुछ बीसेक धक्के मारने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला और लंड का सारा माल मोना भाभी की गांड और पीठ पर डाल दिया.

मैं भी निढाल हो गया और हम दोनों ऐसे ही लेट गए.

कुछ देर बाद मैंने मोना भाभी को चूमा और पूछा- कैसा लगा अपना देवर?

मोना भाभी बोलीं- मस्त लगा. यश सच सच बताओ … कितनों के साथ किया है तुमने … क्योंकि जैसे तुम कर रहे थे, वैसे तो कोई एक्सपीरियंस वाला ही कर सकता है.

मैंने कहा- हां भाभी मैंने पहले भी सेक्स किया है.
भाभी- कितनी को ठोका?

मैंने कहा- चार को … आप पांचवीं हो.
भाभी चौंक कर बोलीं- चार के साथ.

पर मुझे भाभी को सच थोड़ी बताना था कि मैं कितनी लड़कियों, भाभियों की चुदाई कर चुका हूँ.

मैंने पूछा- वो सब छोड़ो … कैसा लगा, ये बताओ?
भाभी बोलीं- बहुत मजा आया … जैसे तुमने किया, वैसे तो आपके भैया ने अभी तक कभी नहीं किया.

मैंने कहा- मजे आए ना?
भाभी बोली- बहुत.

फिर मैं बोला- लेकिन मुझे और करना है.
भाभी बोलीं- मुझे भी और करना है!

मैंने कहा- थोड़ा आराम करने के बाद … खाना खाने के बाद.
भाभी बोलीं- ठीक है.

उन्होंने जाकर कपड़े पहने और मैंने भी तौलिया ही पहन लिया. कपड़े सूखने पड़े थे.

फिर हम दोनों ने खाना खाया और शाम होते होते भाभी और मैंने एक बार फिर से फुल मस्ती की.

इस बार तो मैंने उनकी चीखें निकाल दी थीं. कभी घोड़ी बना कर चोदा … तो कभी कुतिया बनाया. इतनी मस्त चुदाई हुई कि उनकी और मेरी हालत खड़े होने की भी नहीं हो रही थी.

शाम 7 बजे मैं अपने घर पर आ गया.

बीस मिनट बाद दुबारा भाभी के पास गया उन्हें चुम्बन किया और उनको कसके अपनी बांहों में ले लिया.

करीब 9 बजे भईया घर आए, तो मैं भी वहीं था.
थोड़ी देर मैं वहां से चला आया.

घर आकर खाना खाकर लेट गया और आज भाभी के साथ जो जो हुआ, वो सब सोचने लगा.

मेरा भाभी की चुदाई का सपना पूरा हो गया था.

ये सब सोचते सोचते मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला.

मोना भाभी ने मुझे प्रीत भाभी की याद दिला दी. इसके बाद मैंने एक हफ्ते में 4 दिन भाभी की नंगी चुदाई की. एक बार उन्हें अपने घर में भी लाकर चोदा. अब जब भी मुझे मौका मिलता है, तो मोना भाभी की चुदाई जरूर कर लेता हूँ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#13
cool2 xxc Shy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: