17-06-2022, 04:18 PM
बड़ी भाभी की चूत की चुदास
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery बड़ी भाभी की चूत की चुदास
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17-06-2022, 04:18 PM
बड़ी भाभी की चूत की चुदास
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2022, 04:22 PM
मेरे सगे बड़े ताऊ जी की बहू।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2022, 04:24 PM
चोदना तो मैं भाभी को बहुत पहले ही चाहता था लेकिन परिवार की भाभी हैं इसलिए कुछ भी करने से डर लगता था. क्योंकि मुझे ऐसा लगता था कि उनके पति उन्हें नहीं चोदते या सही से नहीं चोदते. जो कि बाद में पता चला कि मैं सही था कि उनके पति ने उन्हें 10 साल से चोदा ही नहीं है।
आज वो सपना भी पूरा हो गया। अब आपको इस कहानी की नायिका यानि कि अपनी भाभी के बारे में बताता हूँ। भाभी का नाम पायल (परिवर्तित नाम), उम्र 35 साल, हाईट 4’7″ फिगर 36-34-36, रंग साँवला है और भाभी के दो बच्चे भी है, लड़की 13 साल की और लड़का 10 साल का। वो कहते हैं ना ‘मुहब्बत की ऐसी लगी बिमारी कि दो बच्चे की मां भी लगे कुँवारी!’ भाभी मेरे से 10 साल बड़ी हैं, मतलब हमारे खानदान की सबसे बड़ी बहू (भाभी) की चुदाई उनके सबसे छोटे देवर (मैंने) ने की। हमारे घर से उनके घर की दूरी 1 किमी है। मैं अपना नाम नहीं बताना चाहूंगा। मेरा लन्ड 5 इन्च का है, उम्र 25 साल है, और हम बरेली में रहते हैं। यह घटना छः महीने पहले यानि जून 2019 की है, जब मेरे बीच वाले ताऊ जी की बेटी की शादी के लिए हम सबको शहर से बाहर जाना था। लड़के वाले तो लोकल के ही थे लेकिन शादी बाहर जाकर करने का प्लान था उनका। हमने शादी में जाने के लिए मिनी बस कर रखी थी जिसमें मेरी और दोनों ताऊ जी की ही फैमिली ही जानी थी. बाकी रिश्तेदार सीधे वही पहुँचने थे। आखिर शादी का दिन भी आ गया. सुबह ही हमें जाने के लिए निकलना था. ताऊ जी के घर पर ही बस लग गई थी, सब आ गए थे। उस दिन भाभी बहुत ही अच्छी लग रही थी और उनके चेहरे पर कुछ अलग ही मुस्कान थी। भाभी मेरे पास आकर मुझसे बाते करने लगी और मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगी. हम बस में बैठने जा ही रहे थे कि उनका पैर मुड़ गया और उनको सम्भालने में मेरा हाथ उनके बूब्स पर चला गया. मेरा लन्ड भी उभार मारने लगा, उनका इस पर कोई रिएकशन नहीं था। फिर हम सही हुए और वो मेरे लन्ड से टच होते हुए वो बस में जाकर बैठ गई। हम सब बस में बैठ कर चल दिए। बस में बहुत बार मेरा हाथ उनके बूब्स पर और उनका हाथ मेरे लन्ड पर लग जाता था क्योंकि पानी और नाश्ता मैं ही सबको पकड़ा रहा था। वहाँ पहुँच कर दिन के प्रोग्राम किए और पास में ही होटल था जो पूरा हमारे लिए ही बुक था. रूम में जाकर आराम किया, शादी के लिए तैयार होने शुरू हो गए. मैं जल्दी तैयार हो गया था इसीलिए शादी वाली जगह पर चला गया। थोड़ी ही देर में और सब भी आ गए. जैसे ही मेरी नजर पायल भाभी पर पड़ी, मैं तो उन्हें देखता ही रह गया. क्या कयामत लग रही थी! उन्हें देखते ही मेरा लन्ड भी खड़ा हो गया. वो रेड कलर के लहंगे में थी. मन कर रहा था कि इन्हें होटल में ले जा कर चोद दूँ। उनकी नजरों से ऐसा लग रहा था कि वो किसी को ढूँढ रहीं हों। इतने में भाभी की नजर मुझसे मिली. वे मेरे पास आयीं और बोलीं- इतनी जल्दी क्यों आ गए आप? मैं आप को वहाँ ढूँढ रही थी। मैं- जल्दी तैयार हो गया इसलिए! क्यों कोई काम था क्या? भाभी- नहीं बस ऐसे ही। मैं- वैसे अच्छी लग रही हो आप। भाभी- थैंक्यू भईया। इतना कह कर वो मेरे लन्ड से टच होती हुई निकल गईं। मुझे आज उनके इरादे कुछ अलग ही लग रहे थे जैसे कि वो भी मुझसे चुदना चाहती हों। फिर स्नैक्स खाकर और जयमाल की तैयारी थी. जयमाल का समय हो गया सब वहाँ पहुँच गए। पायल भाभी मेरे आगे ही खड़ी थी और वो अपनी गांड से मेरा लन्ड बार बार टच कर रही थी जिससे मेरा लन्ड खड़ा होने लगा. उन्हें भी इस बात का पता लग गया. वहाँ लोग भी ज्यादा ही खड़े थे जिससे ये सब किसी को भी पता नहीं चला। इतने में भाभी ने मेरी तरफ देखा और मुस्करा कर बाथरूम की तरफ चल दीं। बाथरूम बिल्कुल पीछे के हिस्से में था, मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया. उस समय वहाँ पर कोई भी नहीं था। भाभी बाथरूम में घुसी और दरवाजा बन्द करने ही वाली थी कि इतने मैं दरवाजा आधा रोक कर और हिम्मत करके अन्दर घुस गया। भाभी बोलीं- अरे देवर जी, ये लेडीज टॉयलेट है। मैं- पता है। भाभी- आज आप के इरादे भी कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं? मैं- इरादे तो आप के भी ठीक नहीं लग रहे हैं। इतना कहते ही मैंने उनके होंठ पर अपने होंठ रख दिए इस पर उनकी कोई प्रतिक्रिया न देखते हुए मैंने उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए. वो भी मेरा साथ देने लग गयीं मैं अपना हाथ उनके बूब्स पर ले गया और दबाने लगा लगभग 5 मिनट तक हमारा चुम्बन चला। भाभी बोलीं- अब जाकर आपने कुछ करने की हिम्मत कर ही दी। मैं- आपने साथ दिया तो हिम्मत दिखानी ही पड़ी। भाभी- कम से कम साँस तो लेने देते। मैं- ऐसे कैसे आपको कुछ होने देता। भाभी अपना हाथ मेरे लन्ड पर ले जा कर बोलीं- सुबह से साहब (मतलब मेरा लन्ड) बहुत खड़े हो रहे हैं। मैं- आज आप लग ही बहुत अच्छी रही हो। भाभी- बस आज? मैं- मतलब आज कुछ ज्यादा ही। भाभी- तो आज आप सुबह से ही अपनी भाभी पर नजर डाले हुए हैं? मैं- आप भी तो सुबह से इस साहब (मेरा लन्ड) पर ध्यान दे रही हो। भाभी- ये बस खड़ा ही होता है या कुछ करता भी है। मैं- अभी लो. अपना लंड बाहर निकालने के लिए मैं अपनी जीन्स का बटन खोल ही रहा था कि भाभी ने मेरा हाथ रोक कर कहा- यहीं करोगे क्या? मैं- क्या भाभी … आपने ही तो कहा कि ये बस खड़ा ही होता है या कुछ करता भी है. अब कर रहा हूँ तो कुछ आप करने नहीं दें रही हो? भाभी- अरे देवर जी, यहाँ हमें किसी ने देख लिया और हम पकड़े गए तो? मैं- कुछ नहीं होगा भाभी जान। तभी भाभी के फोन पर भईया की कॉल आ गया. भाभी ने मुझे शान्त रहने के लिए कहा और बात करने लगीं. उनकी बात खत्म होते ही भाभी कुछ ज्यादा ही खुश लगीं। मैं- क्या हुआ? भाभी- लो जी, आपके भईया ने ही हमारा प्रोग्राम सैट कर दिया, दोनों बच्चों को नींद आ रही है मुझे उन्हें सुलाने होटल जाना है और वहीं रूकना पड़ेगा, आपके भईया यहीं रूकेंगे। मैं- वाह! अब तो कोई दिक्कत ही नहीं है फिर, आपके साथ ही मैं भी चल चलूँगा सोने का बहाना करके। लेकिन हमें जल्दी चलना होगा क्योंकि 11:30 बज रहे हैं और उस होटल वाले का रुल है कि वो रात 12:00 बजे के बाद से सुबह के 5:00 बजे तक किसी को भी न आने देगा और न ही बाहर जाने देगा। भाभी ने किस किया मुझे और कहा- मैं बाहर जाकर देखती हूँ कि कोई है या नहीं तभी आप बाहर आ जाना. फिर भाभी ने मेरे लन्ड पर हाथ लगा कर कहा- सी यू ऑन द बैड डियर। बाहर सब कुछ ठीक था वो मुझे बता कर चली गई. मैं भी बाहर निकलकर जेन्टस टॉयलेट में थोड़ा रुक लॉन में आ गया। वहाँ मुझे भईया मिल गए भाभी और बच्चों के साथ! मैं समझ गया था कि वो उन्हें छोड़ने ही जा रहे होंगे। वो मुझसे बोले- कहाँ था तू? मैंने उन्हें इशारो में समझा दिया कि मैं बीयर पी रहा था। भईया- अच्छा बेटे … चल भाभी को होटल तक छोड़ आ बच्चों को नींद आ रही है। मैं- नींद तो मुझे भी आ रही है मैं कब से पापा को ढूँढ रहा हूँ रूम की चाबी के लिए, आप को पता है कि पापा कहाँ हैं? भईया- इन सबके साथ ही सो जाना अपना रूम क्या खोलने की जरूरत है, हमारे रूम में तो दो डबल बैड हैं। मैं- अरे नहीं … मुझे चेंज भी तो करना है और डबल बैड तो हमारे रूम में भी हैं। भईया- तेरे पापा अन्दर हैं जा जल्दी जा कर चाबी ले आ क्योंकि 12 बजने वाले हैं। फिर मैं पापा से चाभी लेकर और भाभी के साथ होटल की तरफ चल दिया. रास्ते में भाभी मेरे साथ और बच्चे आगे चल रहे थे तभी भाभी ने मुझसे धीरे से कहा- मेरे रूम की खिड़की से होटल का मेन गेट दिखता है. जब वो बन्द हो जाएगा तो मैं आपके रूम पर आ जाऊँगी। तभी होटल आ गया. रूम्स फस्ट फ्लोर पर थे। दोनों अपने अपने रूम्स में चले गए। ठीक 12:10 पर मेरे रूम के गेट पर खट खट हुई मतलब मेन गेट बन्द हो गया। और यहाँ से शुरू होती है भाभी की चुदाई की रासलीला। मैंने तुरन्त दरवाजा खोल कर भाभी को अन्दर लेकर दरवाजा बन्द कर दिया और दरवाजे से सटा कर उन्हें दबाकर उनके होंठ चूसने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं। हम एक दूसरे की जीभ भी चूस रहे थे। मेरा एक हाथ उनकी कमर पर, दूसरा उनके बूब्स पर और अपने लन्ड से उनकी चूत पर दबाव बना रहा था। वो अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़े हुए थी और लन्ड का दबाव जब उनकी चूत पर पड़ रहा था तो उनके मुंह से उत्तेजित होकर वो सिसकारी निकल रही थी और उनकी सिसकारियों से मैं उत्तेजित हो रहा था। भाभी के साथ मेरा चुम्बन 10 तक मिनट चला और इस बार भाभी ने मुझे रोका भी नहीं. वो भी चुम्बन का पूरा मजा ले रही थीं। फिर उन्होंने मुझे रुकने के लिए कहा और उन्होंने अपना मंगलसूत्र उतार के रख दिया। इस पर न मैंने उनसे कुछ कहा और न ही उन्होंने। मंगलसूत्र उतारते ही भाभी ने मुझे दीवार बार सटा दिया और मुझे चूमने लगी। इस बार मेरे दोनों हाथ उनकी गांड पर थे जो उनकी गांड को दबा रहे थे। मैंने लन्ड से चूत को दबाना जारी रखा। धीरे धीरे मैं अपना एक हाथ उनके ब्लाउज पर ले गया और उनकी ब्लाउज की डोर खोल दी. उसमें चैन भी थी वो भी खोल दी। मैंने भाभी का ब्लाउज उतार दिया। दुपट्टा और ज्वैलरी वो अपने ही रूम में छोड़ कर आयीं थी। फिर मैं अपना हाथ लहंगे की डोरी की ओर ले गया और उसे भी खोल दी. उसकी चैन को मैं ढूँढता … इतने में उनका लहँगा अपने आप ही नीचे सरक गया। मैं सोचने लगा कि ये लहँगा क्या सिर्फ एक डोर पर ही टिका था? अगर ऐसे में किसी ने गलती से या जानबूझ कर ये डोर खोल दी तो इनके जिस्म की नुमाइश लग सकती थी। मुझसे रूका नहीं गया और मैंने भाभी से पूछ भी लिया तो भाभी बोलीं- नहीं ऐसा नहीं है, मैंने फ्रेश होने के लिए उतारा था तो उसके हल्की सी डोर पर टिका लिया क्योंकि थोड़ी देर में तो उतरना ही है। मैं हँस दिया उनकी बात पर! तभी मेरा ध्यान उनकी बिकिनी पर गया जोकि उन्होंने रेड कलर की ब्रा और पैन्टी पहन रखी थी जिसमें वो बहुत ही ज्यादा अच्छी लग रही थीं। मैंने कहा- भाभी आप बिकिनी ? में बहुत ही अच्छी लग रही हो। [email protected] जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2022, 04:25 PM
भाभी मेरी शर्ट और जीन्स के बटन खोलने लगीं, जीन्स टाईट थी उनसे उतरी नहीं फिर मैंने उतारी। वो मेरे छाती को चूमे जा रही थी।
मैं उन्हें गोद में उठा कर बैड पर ले गया और लेटा कर मैं भी उनके ऊपर लेट गया। अपना हाथ पीछे ले जाकर उनकी ब्रा का हुक खोल कर उनके बूब्स को आजाद कर दिया फिर एक दूध अपने हाथ से दबाने लगा दूसरा मुंह में लेकर चूसने लगा। भाभी के मुँह से बस सिसकारी ही निकल रही थी। यही काम फिर मैंने दूसरे वाले स्तन के साथ किया. लेकिन दूसरे वाले को चूसने के बाद उनके निप्पल को मैंने काट दिया उनकी बहुत तेज सिसकारी निकल गई- आहह! देवर जी ये क्या कर रहे हो … आह!! मैं उनकी बात अनसुना करते हुए उनके पेट पर आ गया, चूमने लगा और नाभि चाटने लगा। भाभी- आआहह इतना क्यों तड़पा रहे हो आप … आआआहह! धीरे धीरे मैं उनकी पैन्टी के ऊपर आ गया जो पूरी गीली थी उनके पानी से। मैं पैन्टी के ऊपर से ही उनकी चूत को चूम रहा था। भाभी- आआआ हहआ आआह!!!! मैं भाभी की पैन्टी उतारने लगा भाभी ने अपनी कमर उठा कर अपनी पैन्टी उतरवाने में मेरी मदद की। पैन्टी को उतारने के बाद मैंने उतनी चूत देखी तो मुझे बहुत ही बुरा लगा क्योंकि उनकी चूत पर लम्बी लम्बी झाँटें थी, उनके जंगल में चूत दिखी ही नहीं रही थी। मैं- भाभी आप झाँटें कभी साफ नहीं करती हो क्या? भाभी- नहीं, इसे क्या साफ करना। आप अपना साफ रखते हो क्या? मैं- हाँ, मेरे तो बहुत चुभती हैं, इसलिए मैं तो साफ ही रखता हूँ। लेकिन चूत चाटे बगैर मेरे लिए सेक्स अधूरा है इसलिए मैं उस झाँटों वाली चूत को चाटने लगा। भाभी- छीः ये गन्दी जगह है इसे क्यों चूम रहे हो? मैं चूत चाटे जा रहा था इतने में मैंने उनके चूम के दाने को ढूँढ कर काट दिया। भाभी अपने एक हाथ से अपना दूध और दूसरे से मेरे सर के बाल खींच रही थीं। भाभी- आआहह आहह आआआ हहआ आआआ. भाभी ज्यादा देर नहीं टिक पाईं वो झड़ गई और उनका सारा नमकीन चूत रस मैं पी गया। भाभी- आहह आओआहह!!!!! चूत साफ करने के बाद मैंने अपना अन्डरवियर उतार कर भाभी को अपने लन्ड के दर्शन कराये, भाभी मेरा लन्ड देख कर बहुत ही खुश लग रही थी। इशारे में मैंने उनसे चूसने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया, मैं भी ज्यादा जोर न देकर उनके ऊपर लेट गया। भाभी- अब और न तड़पाओ देवर जी, अपना लिंग मेरी योनि में डाल कर मेरी प्यास बुझा दो। पास में पानी की बोतल रखी थी मैंने उठा कर उन्हें देकर कहा- लो पानी पी कर अपनी प्यास बुझा लो। भाभी- कौन सी प्यास, इतना भी नहीं समझते क्या? मैं- ये बात पहले आप गन्दी भाषा में कहो फिर मैं कुछ करूंगा। भाभी- अच्छा जी, देवर जी अपनी प्यासी भाभी की चूत की चुदाई अपने लन्ड से कर दो। अब तो डाल दो। चुम्बन फिर शुरू हो गया. मैं लन्ड से उनकी चूत की लकीर पर हल्के से रगड़ने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी बेचैन हो गई और लन्ड लेने को उत्सुक हो गई, वो अपनी गांड उठा कर लन्ड लेना चाह रही थी मैं भी लन्ड पीछे कर ले रहा था। चार बार ऐसा करने के बाद बाद पांचवी बार में मैंने भाभी की चूत मैं लन्ड डाल दिया. मेरा लन्ड 2 इन्च ही घुस पाया था कि भाभी की बहुत तेज चीख निकल गई। भाभी- आराम से करो भईया! आपके भईया ने मुझे हमारे दूसरे बच्चे के बाद से छुआ तक नहीं है। (जैसा मैंने आप लोगों को शुरू में बताया था.) मैं- सॉरी भाभी। मैंने चुम्बन करते हुए उनकी दोनों टांगों को फैला दिया और दोनों हाथो को अपने हाथ से पकड़ लिया। चुम्बन करते करते थोड़ी ही देर में मैंने पूरा लन्ड चूत में एक बार में ही घुसेड़ दिया। भाभी ने मुझे पैरों से कस कर जकड़ लिया, वे अपने हाथ छुड़ाना चाह रही थी। मैं भाभी का दर्द समझ सकता था, लेकिन उनकी चूत बहुत टाईट थी तो दर्द होना ही था। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2022, 04:25 PM
थोड़ी देर में सब नोर्मल हो गया तो मैंने उन्हें ढीला छोड़ दिया. भाभी की आँखों में आंसू थे.
मैंने उन्हें फिर से सॉरी कहा लेकिन भाभी कुछ नहीं बोली। मेरा पूरा लन्ड उनकी चूत में ही था। फिर मैंने भाभी की चूत में झटके लगाने शुरू कर दिए। भाभी- आआहह आआओहह हहआ आआआ हम्मह आहह!! हम दोनों ही ज्यादा देर नहीं टिक पाए और दोनों एक साथ दस मिनट में झड़ गए। भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उन्होंने मेरी पीठ पर नाखून भी गड़ा दिए। मुझे पहली बार किसी की चूत में झरने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और उन्हें दस साल बाद चूत में लन्ड लेने का। थोड़ी देर में मैं अलग हुआ तो मैंने अपने लन्ड पर खून देखा तो मैं समझ गया कि भाभी की चूत बंद हो गई थी जो मैंने खोल दी। फिर कुछ देर आराम करके मैं उन्हें अपनी फेवरेट पोजीशन में ले आया और उनकी दोबारा चुदाई शुरू कर दी, इस बार लन्ड को डालने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। भाभी- आआआ आआहह आहह आआ… भर दो मेरी चूत … आआआ आओओ आआहह …भईया …बहुत मजा आ रहा है आआ आआहह. ऐसा लग रहा था कि भाभी को भी इस पोजीशन में चुदना पसन्द आया। भाभी सिसकारियाँ लेते हुए फिर से झड़ गईं। मैं नहीं झड़ा था इसीलिए मैं धक्के लगाए जा रहा था तो भाभी ने मुझे रूकने के लिए कहा. तो मैं रूक कर भाभी की गांड देखने लगा, उनकी गांड का छेद बहुत छोटा था। मैंने उनसे गांड चोदने के लिए पूछा तो उन्होंने मना कर दिया। भाभी- मैंने वहाँ कभी नहीं लिया और न ही कभी लूँगी। फिर मैं भाभी को गोद उठाकर बैड पर मैं नीचे लेट गया और उन्हें अपने ऊपर बैठा लिया। फिर मैंने नीचे से ही उनकी चूत चोदना शुरू कर दी। भाभी- आआहह आआआ आआहह आहह आहह … चोदो मुझे … बहुत तंग करती है ये… चोदो … आउहह आआआ ओहह. इस बार हम दोनों फिर एक साथ ही झड़ गए। कमरे में उनकी और मेरी साँसों की ही आवाज गूँज रही थी। भाभी झड़ कर मेरे ऊपर लेट कर मेरे को चूमने लगी। हम दोनों ही थक गए। मैं सुबह से शादी के काम और अब एक असन्तुष्ट औरत को सन्तुष्ट करने में थक चुका था। भाभी मुझसे चुद कर सन्तुष्ट लग रही थी- आपने मेरी प्यासी ज़िन्दगी की चुदाई करके मुझे सन्तुष्ट कर दिया। काश आप ही मेरे पति होते, मैं आपके बच्चे की मां बनती। सच में देवर जी मुझे इतना मजा पहले कभी नहीं आया। बात करते करते भाभी सो गई। मैंने घड़ी में टाईम देखा 2:40 बज रहे थे। मैं मोबाइल में सुबह पाँच बजे का आलर्म लगा कर भाभी को देखते हुए सोचने लगा कि चुत क्या क्या करवाती है। अपने से छोटे के साथ सेक्स करना। इतने में मुझे कब नीन्द आ गई पता ही नहीं चला। सुबह आलर्म बजा मैं उठा, मैंने भाभी को उठाया और उनसे उनके कमरे में जाकर नहा कर तैयार होने को कहा। भाभी कपड़े पहनने लगी, मैंने उन्हें रोका और कहा- ऐसे ही चली जाओ आप, अभी बाहर कोई नहीं होगा। भाभी- आपको पता है बाहर कैमरा लगा हुआ है जिसका डायरेक्शन हमारे कमरे की साईड ही है। मैं- मुझे पता है। मैंने रात में आपके यहाँ आने से पहले उस कैमरे का डायरेक्शन दीवार की साईड कर दिया ताकि आप यहाँ आते हुए कैमरे में न दिखो। भाभी- अरे वाह देवर जी। भाभी नंगी ही अपने कमरे में चली गई और मैं नहाने कर तैयार होने लगा। कुछ देर में दरवाजे पर खटखट हुई तो खोला, भाभी का लड़का था। उनकी लड़की उस बाथरूम में नहाने गयी थी तो वो यहाँ आ गया। मेरी नजर भाभी के मंगलसूत्र पर पड़ी, उसे तुरन्त मैंने जेब में डाल लिया और उससे कहा- तुम गेट लॉक लगा लो, मैं बाहर जा रहा हूँ. इतना कह कर मैं भाभी के रूम में आ गया। भाभी ने दरवाजा खोला, भाभी अपने शरीर पर बस तौलिया लपेटे हुए ही थी और भाभी ने मुझे अन्दर ले लिया। मैं- आपको रात इतना मजा आया कि आप अपना मंगलसूत्र ही भूल गई। भाभी- ओह! धन्यवाद देवर जी, वरना आज तो मैं मर ही जाती। इतने में मैंने भाभी का तौलिया खोल दिया और अपनी जीन्स नीचे करने लगा। भाभी- प्लीज भईया,अभी कुछ मत करो, लड़की नहा रही है, वो बाहर आ जाएगी। मैंने बाथरूम की बाहर से ही कुंडी लगा दी और उन्हें खड़े खड़े ही चोदने लगा। भाभी- आआ आह आहह आओआह हह! चुम्बन करते करते लगभग 10 मिनट में हम दोनों ही झड़ गए। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-06-2022, 04:26 PM
भाभी ने मुझसे छुट कर कपड़े पहने। मैंने भी अपने को सही किया और बाहर चला गया।
हम तैयार होकर लॉन में चले गए दीदी को विदाई करके बरेली आ गए। हमारा मिलना बहुत ही कम हो पाता था क्योंकि हम दोनों के घर में कोई न कोई होता ही था। ठीक एक महीने बाद मेरे घर वालों को शहर से बाहर जागरण में जाना था जिसमें मैंने जाने से मना कर दिया था। उस दिन पहले तो मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को आने के लिए कॉल की. पर उसके पीरियड्स चल रहे थे तो उसने मना कर दिया. फिर मैंने भाभी को मैसेज किया तो भाभी ने कहा- आपकी किस्मत कुछ ज्यादा ही अच्छी है. कल ही मेरे पीरियड्स खत्म हुए हैं, आती हूँ कोई बहाना करके। एक घन्टे में भाभी फ्रैंड के यहाँ बर्थडे पार्टी की बोल कर मेरे घर आ गई। भाभी आज ब्लैक कलर की साडी़ में थी। आकर अपना मंगलसूत्र उतार कर रख दिया और मुझे चुम्बन किया। मेरे मन में कुछ प्लानिंग सूझी कि हम आज शादी ही कर लेते हैं। मैंने भाभी से बैठने को कहा और पूजा वाले कमरे को बन्द करके हवनकुंड जला कर भाभी को बुला लिया। मैंने उन्हें अपनी शादी करने का प्लान बताया जो उन्हें अच्छा लगा। हमने सात फेरे लिए उनकी माँग में सिन्दूर भी भरा और उनका मंगलसूत्र पहना कर कहा- अब आपको इसे हर बार उतारने की जरुरत नहीं। भाभी इस बात से खुश हुई और बोली- आज से आप मेरे पति देव हैं और मैं आपकी पत्नी. अब आप मुझे भाभी कहना छोड़ दीजिए, मुझे मेरे नाम से बुलाइएगा जब भी हम अकेले होंगे। अब शादी तो हो गई सुहागरात का क्या प्लान है? मैं- चलो मेरे रूम में भाभी। भाभी- भाभी? मैं- मतलब पायल। फिर मैं उन्हें गोद में उठा कर अपने रूम में ले गया, वहां मैंने उनकी साडी़ खोल दी, पेटीकोट और ब्लाउज भी उतार दिया। उन्होंने ब्लैक कलर की ब्रा पैन्टी पहन रखी थी। उसे भी उतार दिया, उसके बाद देखा कि उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं। मैं- शेव कर ली? भाभी- आपके लिए। मुझसे रूका नहीं गया और मैं भाभी की चूत चाटने लगा। इस बार भाभी अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा रही थी. 10 मिनट में वो झड़ गई और उनका रस पी गया। मैंने अपने कपड़े उतार कर उनसे फिर लन्ड चूसने के लिए कहा. इस बार वो मान गई लेकिन एक शर्त पर कि वो मेरा वीर्य नहीं पीएंगी. और घुटनों के बल बैठ कर मेरा लन्ड चूसने लगी। भाभी बहुत अच्छे से मेरा लन्ड चूस रही थी। लेकिन झड़ते समय मैंने भाभी के साथ थोड़ी चिटिगं कर दी कि उनका सर पकड़ कर अपने लन्ड पर दबा दिया और सारा वीर्य उनके मुंह के अन्दर छोड़ दिया उन्हें तब तक नहीं छोड़ा जब तक वो सारा वीर्य पी नहीं गयी। उसके बाद भाभी बोलीं- इटस् टेस्टी। मैंने उनसे गांड मारने के लिए भी पूछा तो उन्होंने कहा- वो तो कभी भी नहीं। फिर हमारी चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया और शाम हो गई। खाना हमने आनलाइन आर्डर कर दिया, खाना खा खाकर वो घर चली गई। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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