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Adultery पड़ोस की भाभी
#1
पड़ोस की भाभी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मुझसे ठीक नीचे वाली फ्लोर पर रजत भैया रहते थे, जो एक बड़ी कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट, सेल्स थे. वे अपनी जॉब के चलते अधिकतर टूर पर ही रहते थे. उनकी पत्नी शशि भाभी भी काफ़ी पढ़ी लिखी थीं, लेकिन आजकल घर पर ही रहती थीं. क्योंकि उनका एक साल का बेटा था, उसकी देखभाल ज़्यादा ज़रूरी थी.

भैया के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी. भाभी की मदद के लिए पूरे दिन एक आया भी घर पर रहती थी, जो भाभी के घर के काम भी करती थी.

भाभी की उम्र करीब 27-28 साल थी. उनके बाल कंधे से थोड़ा नीचे तक थे. भाभी देखने में बहुत सुंदर थीं. एकदम दूध सी गोरी, कद करीब साढ़े पांच फिट का होगा. और भाभी की फिगर का तो बस पूछो ही मत … कसा हुआ 36-30-38 का मस्त बदन था. भाभी के चूचे एकदम मस्त गोल और टाइट थे. लचीली और बलखाती कमर के नीचे भाभी के उभरे हुए चूतड़ ऐसे ठुमकते थे, जो किसी को भी दीवाना कर दें.

भाभी सेक्स के लिए मस्त माल थी. पर वे बहुत समझदार और सलीकेदार महिला थीं. जब वो बोलती थीं, तो जैसे फूल से झड़ते थे.

कभी कभी आते जाते मैं भैया भाभी दोनों को नमस्ते कर देता था. मेरे मन में कुछ भी ग़लत नहीं था. मेरे ऑफिस का टाइम 8 से 5 तक था. सब कुछ ठीक चल रहा था.

ये लगभग 6 महीने पहले की बात है. ऑफिस से आते हुए रास्ते में मुझे रजत भैया मिले. मैंने उनको नमस्ते किया और दोनों लोग घर की तरफ आने लगे.
उन्होंने आज पहली बार मुझसे मेरे बारे में पूछा … और मैंने उनके बारे में.

रास्ते में ही हमारे बीच अच्छी दोस्ती हो गयी … क्योंकि हम दोनों ही इंजीनियर थे. उन्होंने आई आई टी दिल्ली से इंजीनियरिंग की थी और मैंने दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी से अपनी इंजीनियरिंग की थी.

उस दिन पता चला कि भैया और भाभी दोनों उत्तराखंड से हैं और भाभी ने एफ एम एस से एम बी ए किया था.

उनकी फ्लोर पर आते ही उन्होंने मुझसे चाय पीकर जाने की कही, तो मैं मना नहीं कर पाया. मैंने उनसे कमरे में जाकर आने का कहा और वो ‘ठीक है.’ कह कर अपने फ्लैट में घुस गए.

ऊपर पहुंचकर मैंने चेंज किया और नीचे जाकर उनका दरवाजा खटखटाया. भाभी ने दरवाजा खोला, तो मैंने नमस्ते किया. उन्होंने अच्छे से मुस्कुराहट दी और अन्दर बुला लिया. भैया शायद बाथरूम में थे.

उस दिन मेरी भाभी से बात हुई. मैं करीब एक घंटा उन दोनों के साथ रहा और दोनों लोग मेरे बहुत अच्छे दोस्त बन गए.

उसके बाद आते जाते मैं भाभी से बात भी कर लेता था, वो भी मुझसे बहुत अच्छे से बात करती थीं. भाभी की मासूम मुस्कराहट से मेरा दिल खुश हो जाता था.

करीब 3 महीने में मैं और भाभी अच्छे दोस्त बन गए थे. भैया जनरली टूर पर रहते थे, तो भाभी मुझसे बात करके अपने दिल का हाल भी बता देती थीं.

नवम्बर के महीने में सर्दी शुरू हो जाती है. उनके फ्लोर पर धूप कम ही आती थी.

एक शनिवार को भाभी के घर उनकी आया नहीं आई थी और मैं घर पर था. मैं दूध लेने नीचे जा रहा था, तो भाभी मिल गईं.

भाभी- आज ऑफिस नहीं गए?
मैं- आज ऑफ है भाभी.

भाभी- कहां जा रहे हो?
मैं- भाभी दूध लेने मार्केट जा रहा हूँ … आज टिफिन भी नहीं आया है, तो कुछ खाने का भी लाना है.
भाभी- ठीक है … प्लीज़ एक लीटर दूध मेरे लिए भी ला दो, आज आया भी नहीं आई और तुम्हारे भैया भी बाहर गए हैं.

मैंने ओके कहा और चला गया. फिर मैंने दूध लाकर उनको दे दिया और ऊपर आ गया. थोड़ी देर में भाभी ऊपर छत पर आईं, तब मुझे पता चला कि वो हर रोज धूप के लिए ऊपर आ जाती थीं … क्योंकि छत का दरवाजा खुला ही रहता था.

मैं- अरे भाभी आप ऊपर … इतना बड़ा सर्प्राइज़!
भाभी- मैं तो हर रोज ऊपर आती हूँ, नीचे धूप नहीं आती है न … और बेटे की हर रोज मालिश करनी होती है.

उस समय भाभी ने सलवार सूट पहना हुआ था, जिसमें वो बहुत सुंदर लग रही थीं.
मेरे मन में उनके लिए आज तक कभी कुछ बुरा ख्याल नहीं था … लेकिन आज उनको देखा तो मन बदलने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
आज भाभी गजब की सुंदर लग रही थीं. वैसे वो मुझसे बहुत बात करती थीं लेकिन कभी भी ऐसी वैसी कोई बात नहीं की थी. उनकी नज़रों में मैं भी बहुत समझदार और शरीफ़ लड़का था क्योंकि मैं भी सलीके से और लिमिटेड बात करता था.

आज उनको देखकर मेरे मन में ख्याल आया कि अगर मैं भाभी पर लाइन मारूं, तो क्या वो पट जाएंगी. मन ने कहा कि असम्भव … ऐसा हो नहीं सकता. लेकिन फिर भी लाइन मारने में क्या हर्ज है, हो सकता है किस्मत खुल जाए.
भाभी के मदमस्त रूप कर वर्णन तो मैंने ऊपर किया ही है. उनके मस्त चुचे और उठी हुई गांड किसी को भी दीवाना बना देने में सक्षम थे. ऊपर से वो शायद सिंगल हैंडेड ड्रिवन थीं, समझदार थीं, अगर मुझसे पट गईं … तो मेरी तो किस्मत ही खुल जाएगी. ऐसी औरत को अपने लंड के नीचे लेना अपने आपमें बहुत बड़ी बात थी. ये सोचकर मैंने ट्राइ मारने का फ़ैसला किया, लेकिन सलीके से … ताकि भाभी को बुरा ना लगे.
भाभी चटाई पर बैठी थीं और बेटे की मालिश कर रही थीं. उनके चूतड़ फैल कर बाहर की तरफ आ रहे थे. चुचे भी मस्त हिल रहे थे. ये सब देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा.
मैं- भाभी, क्या आप एक कप चाय लेंगी!
भाभी- हां ले लूंगी, लेकिन कप अच्छे से साफ कर लेना.
मैं- मैं हमेशा किचन साफ़ ही रखता हूँ.
भाभी- हा हा … बैचलर के कमरे जरा यूं ही अस्त व्यस्त रहते हैं … इसलिए कहा.
मैंने मन में सोचा कि आज कितना नाटक कर रही हो कि कप साफ़ कर लेना. एक दिन वो भी आएगा, जब आप मेरा लंड चूसोगी और मैं आपकी चूत. उस समय सारी साफ़ सफाई गांड में घुस जाएगी.
खैर … मैंने चाय बनाई और दो कप में लेकर छत पर आ गया. हम दोनों ने चाय पी. उस दिन काफ़ी देर तक भाभी से बात होती रही. फिर भाभी बेबी को लेकर नीचे चली गईं.
उसी दिन शाम को मुझे पता चला कि भैया बाहर से 15 दिन तक नहीं आने वाले हैं और आया भी कुछ दिन नहीं आएगी.
इसी तरह कुछ दिन बीत गए, भाभी और मैं बहुत बात करने लगे थे.
एक दिन जब मैं ऑफिस से आया, तो भाभी का गेट खुला था. मैंने दरवाजा खटखटाया, तो भाभी बेडरूम से बाहर आईं. शायद वो बेटे को सुला रही थीं.
मैं- भाभी, आप कहो तो आज डिनर करने बाहर चलें?
भाभी- नहीं, रजत मना कर देंगे. अभी बेटा छोटा है ना!
मैं- तो उनसे मत कहो कुछ भी. हम लोग जल्दी वापस आ जाएंगे और वैसे भी हर बात हज़्बेंड को नहीं बतानी चाहिए. आप इतने दिन अकेली रहती हो, थोड़ा घूम लोगी, तो मन भी बहल जाएगा.
थोड़ा सोचकर भाभी ने हां कर दिया और कहा कि हम 8 बजे से पहले वापस आ जाएंगे.
मैंने गाड़ी निकाली और हम दोनों पड़ोस के एक रेस्ट्रोरेंट में चले गए. मैंने ऑर्डर कर दिया.
भाभी- तुमने ऐसा क्यों कहा कि सारी बात हज़्बेंड को नहीं बतानी चाहिए.
मैं- अरे भाभी, आदमी का दिमाग़ ऐसा ही होता है … कितना भी विश्वास हो, लेकिन कुछ भी सोच सकता है. इसीलिए मैं तो कहता हूँ कि आप हम दोनों की बातें उनके सामने कभी मत किया करो. हो सकता है … उनको बुरा लग जाए. उनको उतना ही बताओ, जितना ज़रूरी है.
भाभी- लेकिन अगर तुमने बताया तो!
मैं- अरे, मैं क्यों बताने लगा. वैसे भी मेरी खुशी इसमें है कि आप मुझसे बात करती रहें … और आपका घर परिवार भी अच्छा चले. मैं आपको खुश देखना चाहता हूँ, खुश रखना चाहता हूँ ना कि दुखी.
तब तक खाना आ गया और हम खाने लगे.
भाभी- वैसे संजय, तुम्हारी गर्ल फ्रेंड तो खुश रहती होगी, कितने समझदार हो तुम, कितना ध्यान रखते हो.
मैं- मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है भाभी, कॉलेज में एक थी, उसकी शादी हो गयी. उसके बाद मैं यहां आ गया. बाकी सब आपको पता ही है. वैसे बुरा नहीं मानो तो एक बात कहूँ.
भाभी- हां कहो न!
मैं- आप बहुत सुंदर हो, समझदार हो. मेरा मन करता है कि आपको ही गर्लफ्रेंड बना लूं … हा हा हा हा.
भाभी- हा हा हा हा … अरे पागल मैं तो शादीशुदा हूँ.
मैं- तो क्या हुआ, क्या शादीशुदा गर्लफ्रेंड नहीं हो सकती!
भाभी- किसी बिना शादीशुदा को पटाओ … हा हा हा हा … वैसे भी रजत को पता चलेगा तो जान ले लेंगे … हा हा हा हा.
मैं- अरे भाभी उनको कौन बताएगा. मैं तो कभी भी उनके होते हुए आपको ना तो मैसेज करूंगा और ना ही मिलूंगा. आपकी इज़्ज़त और आदर हमेशा बना कर रखूंगा, आप हमेशा खुश रहें … यही तो मैं चाहता हूँ.
भाभी- तुम्हारे होते हुए मैं खुश ही रहती हूँ, मुझे अकेलापन नहीं लगता. इतना बहुत है मेरे लिए … गर्ल फ्रेंड बना लेने से क्या अलग हो जाएगा. हा हा हा.
मैं- भाभी मेरे मन में बहुत सारी बातें होती हैं, जो मैं कह नहीं पाता हूँ. अगर आप मेरी गर्लफ्रेंड बन जाओगी, तो दिल की बातें आपके साथ करने में मुझे हिचक नहीं होगी. वैसे भी आपको गर्लफ्रेंड के रूप में पाने वाला इस दुनिया का सबसे लकी आदमी होगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#4
भी- अच्छा … हा हा हा … चलो अब चलते हैं बहुत देर हो गई है. आठ भी बजने वाले हैं. रजत का भी फोन आने वाला है … उनको बुरा लगेगा.

मैं- ठीक है भाभी, चलते हैं.
मैंने समझ लिया था कि भाभी ने मेरी बात को घुमा दिया और कोई रिप्लाई नहीं किया. इस विषय पर मेरी दुबारा बात करने की हिम्मत नहीं हुई.
इसी तरह करीब एक महीना और बीत गया, लेकिन मैंने फील किया कि भाभी अब कुछ ज्यादा ही बिंदास रहने लगी थीं. मैं बहुत बार उनके घर चाय पीने चला जाता था और वो भी ऊपर आ जाती थीं.
उस समय रजत भैया एक हफ्ते से बाहर गए हुए थे, फ्राइडे का दिन था. रजत भैया को अगले हफ्ते वापस आना था. मैं घर पहुंचा, भाभी का दरवाजा खटखटाया. भाभी किचन में कुछ काम कर रही थीं. उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी … गजब माल लग रही थीं.
मैं- भाभी आज तो गजब ढा रही हो आप!
भाभी- अच्छा, ऐसा क्या है आज?
मैं- साड़ी में आप गजब लगती हो.
भाभी- हर कोई गजब लगती है.
मैं- आप कुछ ज़्यादा ही लगती हो, भगवान ने आपको फुर्सत में बनाया है, लिमिटेशन है वरना …
भाभी- वरना क्या … हा हा हा हा!
मैं- वरना, मैं आपको बांहों में ले लेता, आपको किस करता और बहुत प्यार करता … हा हा हा हा.
भाभी ने इस पर कुछ नहीं कहा और मुस्कुराते हुए किचन में काम करने लगीं. मैं सोफे पर बैठकर उन्हें पीछे से देख रहा था, उनके चूतड़ मस्त हिल रहे थे और वो काम किए जा रही थीं.
मैंने सोचा कि बेटा आज मौका है, हिम्मत करके चौका मार दे, देखा जाएगा. भाभी नहीं मानी, तो सॉरी बोल देना.
ये सोचकर मैं उठा और भाभी के पीछे खड़ा हो गया. मैंने उनको कंधे पर हाथ लगाया. उन्होंने कुछ नहीं कहा, तो मैं समझ गया. मैंने उनको अपनी तरफ घुमाया, वो आराम से घूम गईं और सर नीचे करके खड़ी हो गईं.
मैने झटके से उनको गले लगा लिया, उन्होंने कुछ नहीं कहा. मेरी तो लॉटरी लग गई कि भाभी सेक्स के लिए तैयार हैं.

.................................................... Big Grin Tongue
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#5
Big Grin Tongue
मैंने उनको कमर से पकड़ा और अपने साथ चिपका लिया. मैं उनकी कमर पर हाथ फिराने लगा, फिर बिना कुछ बोले उनके कान के नीचे किस कर दिया. उन्होंने आंख बंद ली. मैंने उनके गालों को चूमा और दोनों हाथों में उनके गालों को लेकर, उनके होंठों पर किस कर दिया.

हम दोनों बिना कुछ बोले खड़े रहे और दोनों के शरीर उत्तेजना से कांपने लगे. ये गजब का एहसास था. एक तरीके से वो भी अनटच थीं, तो भाभी का कांपना जायज़ था.
हमें बात करते हुए अब तक करीब 6 महीने हो चुके थे. हम दोनों बहुत नज़दीक आ चुके थे. बस शुरुआत नहीं हो रही थी, जो आज हो गयी थी. अब पड़ोसन भाभी की चुदाई सुनिश्चित थी.
हम दोनों ऐसे ही गले लगे हुए खड़े थे. मैं भाभी की कमर पर हाथ फिरा रहा था. उन्होंने भी मुझे कमर पकड़ लिया था. मेरे 5’7″ कद के कारण उनका सर मेरे कंधे पर आ रहा था. मेरा 7 इंच का लंड खड़ा हो गया था, जो उनको अच्छे से फील हो रहा था. हम दोनों को मज़ा आ रहा था.
मैं- भाभी आज तो मेरी किस्मत खुल गयी … मैं सबसे लकी इंसान हूँ.
भाभी- प्लीज़ शशि कहो मुझे!
मैं- शशि, मैं एक बात पूछ सकता हूँ?
भाभी- हां, अब तुम कुछ भी पूछ सकते हो और अपने मन की कुछ भी बता सकते हो.
मैं- थैंक्स, मुझे लगा आप मेरी गर्लफ्रेंड नहीं बनोगी. उस दिन के बाद मैंने आस ही छोड़ दी थी … मगर मैं ग़लत था.
भाभी- संजय, तुम बहुत समझदार और केयरिंग हो. पिछले 6 महीनों में मैंने तुम्हें काफी करीब से देखा है. तुमने कभी कोई ग़लत हरकत नहीं की, जब कि तुम जानते थे कि मैं ज़्यादातर अकेली ही रहती हूँ. तुम्हारे मन में मेरे लिए कुछ भी आया, तो तुमने इज़्ज़त से मुझे बताया और मेरे विचारों का भी ध्यान रखा. आज एक महीना हो गया है, उस दिन मैंने बात को टाल दिया. तुमने आज तक कुछ नहीं कहा, ये मुझे बहुत अच्छा लगा.
मैं भाभी को सुने जा रहा था.
भाभी- तुम मेरा बहुत ध्यान रखते हो, रजत के ना होने के बावजूद मैंने 6 महीने से अपने आपको कभी अकेला नहीं पाया. दूसरे मुझे लगता है कि तुम्हारे साथ मैं सेफ रहूंगी, कभी भी मेरी फैमिली लाइफ डिस्टर्ब नहीं होगी. इसीलिए मुझे तुम अच्छे लगने लगे हो. प्लीज़ संजय, प्रॉमिस करो कि तुम हमेशा मुझे और मेरी फैमिली को सेफ रखोगे. चाहे कुछ भी हो जाए, हम दोनों की बात को राज रखोगे, वरना मेरी जिंदगी और घर दोनों बर्बाद हो जाएंगे. मैंने तुम पर यकीन किया है, प्लीज़ इस भरोसे को तोड़ना नहीं.
मैं- शशि, आई लव यू. मैं प्रॉमिस करता हूँ कि मैं हमेशा तुम्हारा ध्यान रखूंगा. तुम्हें कभी शिकायत नहीं होने दूँगा और जैसे मैंने कहा था कि रजत भैया के होने पर मैं ना ही मैसेज करूंगा, ना ही मिलूंगा. तुम्हें ठीक लगे, तो ही मुझे मैसेज करना या मिलना.
भाभी- ओ संजय … यू आर सो स्वीट. … जानते हो, रजत के अलावा तुम पहले आदमी हो, जिसके गले मैं लगी हूँ. आह … अच्छा अब हटो, मुझे कुछ काम करने दो.
मैं- प्लीज़ शशि, रहने दो ना ऐसे ही … काश टाइम रुक जाए.
भाभी- ओ महाराज … प्लीज़ हटो अभी, मुझे काम करना है.
मैं- शशि, आज साथ में डिनर करें?
भाभी- मैं बाहर नहीं जाने वाली.
मैं- घर पर ही कुछ बना लेते है, कल शनिवार है … मेरा ऑफ है, बहुत सारी बातें करेंगे.
भाभी- ठीक है … अभी तुम जाकर फ्रेश हो लो. तुम 7 बजे नीचे आ जाना.
मैं- जाने का मन तो नहीं है, पर आपका आदेश मानना हो पड़ेगा.
मैं ऊपर आ गया, मैं बहुत खुश था. नहाते हुए मैंने अपने लंड को देखा और उसे हिलाते हुए कहा- खुश हो जा भाई, तेरी किस्मत में साफ़ सुथरी, सुंदर और गजब की सिंगल हैंडड चूत लिखी है. आज नहीं तो कल मिल ही जाएगी.
मैं सोच कर खुश हो रहा था और अपनी किस्मत पर फख्र कर रहा था कि जिस पड़ोसन भाभी की चुदाई के मैं सपने देखता था, वो शशि भाभी बिस्तर में मेरे लंड के नीचे नंगी लेटेंगी और मैं उनकी मस्त करारी चूत में अपना लंड पेलूंगा.
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#6
यही सब सोचते हुए बड़ी मुश्किल से 7 बजे. मैं नाइट ड्रेस पहनकर नीचे आ गया. शशि भाभी किचन में रोटी बना रही थीं. उन्होंने झीना सा गाउन पहना हुया था, जिसमें उनकी ब्रा और पेंटी साफ़ दिख रहे थे.

छह महीने में पहली बार मैंने भाभी को इन कपड़ों में देखा था. वरना आज तक सलवार सूट या साड़ी में हो देखा था.
मैं समझ गया कि आज कुछ होना पक्का है … क्योंकि शशि भाभी की आज की ड्रेसिंग सेंस में सेक्स का पुट था.
मैं जाकर भाभी के पीछे खड़ा हो गया और अपने हाथ उनके पेट पर ले गया. वो रोटी बेल रही थीं.
भाभी- अरे क्या हुआ है तुम्हें … जाकर आराम से बैठो ना … क्यों चिपके जा रहे हो!
मैं- मैं तो आपसे एक मिनट भी दूर ना रहूँ अब … किस्मत से मिली हो तो ऐसे कैसे दूर रहूँ … मैं तो ऐसे ही चिपका रहूँगा.
भाभी- अरे बाबा … रोटी तो बनाने दो … ऐसे चिपके रहोगे, तो काम ही नहीं हो पाएगा.
मैं हटा नहीं और धीरे से शशि भाभी के मम्मों पर हाथ लगा दिया. मेरा लंड उनके चूतड़ों की दरार पर लगा हुआ था, जिसे भाभी अच्छे से फील कर पा रही थीं.
जब मैंने शशि भाभी के चुचे पकड़े, तो उन्होंने रोटी बेलना रोक देना, गैस की लौ कम कर दी और आंखें बंद कर लीं. मैंने भाभी की गर्दन पर किस कर दिया.
भाभी- आहह … प्लीज़ संजय, मत करो ना … कुछ होता है यार मुझे.
मैं- शशि, प्लीज़ मत रोको ना … मैंने इस दिन के लिए बहुत इंतजार किया है.
भाभी- मैं जानती हूँ कि तुम मुझे पसंद करते हो. मगर थोड़ा टाइम तो रूको प्लीज़ … ऐसे मत बहकाओ यार. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. थोड़ा तो वेट करो.
मैं- ठीक है … प्लीज़ जल्दी फ्री हो जाओ.
मैंने भाभी को छोड़ दिया और सोफे पर बैठकर उनको देखने लगा. गजब का शरीर था भाभी का. उनका एक एक अंग खिल रहा था. हाय रे किस्मत … आज तो खुल ही गयी. भाभी भी खुश होकर काम कर रही थीं. वो जान बूझकर अपने चुचे और चूतड़ को हिला कर रिझा रही थीं … ऐसा लग रहा था, जैसे भाभी मुझे दीवाना बना रही हों.
मैं खुश था कि आज तो ऐसी चूत मिलने वाली है, जिसका सपना हर कोई देखता है.
आख़िरकार 9 बजे तक काम खत्म हुआ हम दोनों ने खाना खाया, साथ में बहुत सारी बातें की.
बर्तन साफ़ करके वो मेरे पास सोफे पर आकर बैठ गईं और मुस्कुराते हुए कहने लगीं- कैसा लगता है वेट करना? वैसे संजय तुम में बहुत धैर्य है यार. इसीलिए तुम मुझे पसंद हो … क्योंकि तुम मुझे और मेरी फीलिंग्स की इज्जत करते हो … उन्हें समझते हो.
मैंने बैठे हुए शशि भाभी को अपने गले लगा लिया और वो भी बड़े आराम से मेरी गोद में लेट सी गईं. मैं उनके बालों में हाथ फिराने लगा.
मैं- शशि, कहीं ये सपना तो नहीं है ना कि तुम मेरे पास, मेरी बांहों में हो और मैं तुम्हें प्यार कर रहा हूँ!
भाभी- सपना नहीं है संजय … बस मुझे ऐसे ही प्यार करना. बदल नहीं जाना, तुम्हारी शादी हो जाएगी, तो क्या तुम बदल जाओगे?
मैं- ना शशि … मैं कभी नहीं बदलूंगा … हमेशा साथ रहूँगा और प्यार करूंगा.
मैंने शशि भाभी के गालों पर किस किया. उन्होंने आंखें बंद कर लीं और मुझे फील करने लगीं. मैंने उनके मम्मों पर हाथ लगाया और धीरे से दबाने लगा. भाभी ने आह भरी और मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया, लेकिन हटाया नहीं. मैं धीरे धीरे भाभी के मम्मों को उनके गाउन के ऊपर से मसलने लगा और उनके गालों पर किस करने लगा. भाभी भी आंख बंद करके मज़ा लेने लगीं.
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#7
मैं- शशि, क्या आज की रात हम साथ रह सकते हैं?

भाभी- किसी की पता चल गया तो?
मैं- कैसे पता चलेगा … हम दोनों हो टॉप फ्लोर पर रहते हैं, कोई ऊपर आता ही नहीं है. वैसे भी अब रात को कौन आएगा. मैं सुबह 5 बजे ऊपर चला जाऊंगा.
भाभी- पर मुझे डर लग रहा है संजय!
मैं- डरो मत शशि … सब कुछ सेफ है. आज की रात हम दोनों की रात है … इसे अच्छे से बिताते हैं.
भाभी- ठीक है, पर तुम एक बार बाहर देखकर आओ.
तभी बेबी जाग गया, भाभी उसको सुलाने के लिए बेडरूम में चली गईं और मैं बाहर देखने आ गया. सब कुछ सेफ था … कोई नहीं था. बस पहली बार रात में हम दोनों चुदाई करने वाले थे, तो भाभी डर रही थीं.
मैं पांच मिनट बाद दबे कदमों से वापस आ गया. बेबी सो चुका था. मैंने धीरे से दरवाजा बंद किया और भाभी को इशारे में कहा कि सब सेफ है.
भाभी ने दूसरे बेडरूम का टीवी ऑन कर दिया था. मैं समझ गया कि आज की रात मुझे उस बिस्तर पर शशि भाभी की जवानी का रस पीना है. पड़ोसन भाभी की चुदाई का सोच कर मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था.
भाभी- तुम उस रूम में चलो, मैं आती हूँ.
मैं उस बेडरूम में चला गया और भाभी टॉयलेट में घुस गईं. पांच मिनट बाद भाभी वापस आ गईं. मैंने अपनी बांहें फैला दीं और भाभी धीरे से मेरी बांहों में सिमट गईं.
मैं- ओह शशि … यू आर सो ब्यूटीफ़ुल … कितना मस्त शरीर है तुम्हारा … एक एक अंग मस्त है शशि.
भाभी- तुम भी बहुत अच्छे हो संजय … मुझे बहुत प्यारे लगने लगे हो तुम. देख लो मैं आज की रात तुम्हारे साथ हूँ, जब कि रजत को होना चाहिए.
मैं- ओ शशि!
मैं शशि भाभी के गालों को चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगीं.
भाभी- संजय … तुम्हें मुझमें क्या पसंद है?
मैं- तुम्हारा नेचर, तुम बहुत सुंदर हो शशि, सच कहूँ तो मुझे तुम्हारे चूतड़ बहुत पसंद हैं और चुचे भी. जानती हो एक दिन जब तुम ऊपर आई थीं बेबी की मालिश करने … तब मैंने तुम्हारे चूतड़ों को बड़े ध्यान से देखा था … ये एकदम गोल गोल मस्त हैं. वैसे रजत तो बड़े मज़े से तुम्हारी लेते होंगे.
भाभी- रजत के पास आजकल टाइम ही नहीं रहता है. मैं भी कुछ कहूँ?
मैं- हां कहो ना प्लीज़!
भाभी- आज किचन में जब तुमने मुझे पीछे पकड़ा था, तो मुझे बड़ा अच्छा लगा था … मैंने तुम्हें फील किया था.
मैं- फील किया था मतलब?
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#8
भाभी- अरे बाबा … मैंने तुम्हारे इसको फील किया था.

ये कहते हुए भाभी ने खड़े खड़े ही धीरे से मेरे लंड को पकड़ लिया. मेरी तो जैसे सांस ही रुक गयी.
मैं- आअहह शशि … कितनी मस्त हो तुम … तुम्हें आज खा जाऊं क्या?
भाभी- खा जाओ यार, अच्छे से खा जाओ.
मैं- सोच लो शशि, मैं तुम्हारे चूतड़, चूत, चुचियां सब खा लूंगा.
भाभी- सब खा लो यार … और …
मैं- और!
भाभी ने मेरा लंड हाथ में लेकर कहा कि मैं तुम्हारा ये मैं भी खा लूंगी.
मैं- ये क्या है? इसका नाम तो बताओ.
भाभी- नहीं … मुझे शर्म आती है.
मैं- प्लीज़ बोलो ना.
भाभी- ओके … मैं तुम्हारा ये खा लूंगी … ये तुम्हारा मोटा सा लंड. … हाईईईई.
हम दोनों धीरे से बिस्तर पर लेट गए, मैंने भाभी को पैरों से चूमना शुरू कर दिया. भाभी का एकदम गोरा बदन था. वो आंख बंद करके लेटी रहीं. फिर भाभी ने बिस्तर के पास वाली बटन से लाइट कम कर दी.
मैंने भाभी का गाउन धीरे से ऊपर कर दिया. आह गजब की जांघें थीं उनकी … केले के तने सी मस्त चिकनी और गोरी.
भाभी की जांघों को चूमते हुए मैं ऊपर आ पहुंचा.
भाभी वासना से छटपटा रही थीं और अपने मुँह से कामुकता से ‘हाईईईईई … आह..’ कर रही थीं. भाभी अपने दोनों हाथों से चादर को पकड़े हुए थीं. मैंने उनके गाउन को पेट तक सरका दिया. मेरे सामने भाभी की पैंटी में छिपी हुई गजब की फूली हुई चूत थी. मैंने धीरे से किस किया तो भाभी उत्तेजना से कांपने लगीं. मैंने प्यार से धीरे से पैंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया. आह एकदम साफ़ गुलाबी चूत लपलप कर रही थी. शायद आज ही भाभी ने चुत की झांटों को साफ़ किया था.

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#9
Sleepy Angry
(15-06-2022, 02:39 PM)neerathemall Wrote: Shy Smile Tongue
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#10
(15-06-2022, 02:39 PM)neerathemall Wrote: Sleepy Angry
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#11
मैं- शशि … तुम बहुत मस्त हो … यार … कसम से मैं तो मर ही गया.

भाभी- उन्हह … मार ही डालोगे क्या संजय … मैं कांप रही हूँ … मुझे ऐसा लग रहा है … जैसे ये सब आज मैं पहली बार कर रही हूँ … लव यू संजय … आह खा जाओ मुझे आज.
मैंने धीरे से भाभी की पैंटी उतारना शुरू कर दी. भाभी ने खुद अपने चूतड़ उठाकर मेरी मदद की. मैंने भाभी की पैंटी उतार दी और उनकी चूत पर अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया.
भाभी- हाईईईई संजय … तुम तो पागल कर दोगे यार … कितना मस्त सेक्स करते हो … रजत ने तो कभी इतना मज़ा नहीं दिया मुझे … आह.
मैं- शशि मेरी जान … चिंता ना करो, मैं तुम्हें जिंदगी के ऐसे मज़े दूंगा कि हमेशा याद रखोगी.
भाभी- हां संजय … ऐसे ही मेरे साथ रहना. अकेलापन मुझे खा जाता है यार … मैंने भी यही सोचा था कि मैं अकेलेपन को क्यों खा जाने दूं … अपनी जवानी तुम्हें ना खिला दूं. हाईईईई संजय … लव यू जान.
मैंने भाभी की चूत को बहुत चूसा और धीरे से उनका गाउन पूरी तरह से उनके बदन से अलग कर दिया. भाभी का मस्त यौवन अब एक ब्रा में क़ैद था. मैंने धीरे से उन्हें उठाया और सीने से लगा कर भाभी की ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा ने चूचों को आजादी दे दी थी.
अब भाभी मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थीं. उन्हीं के बिस्तर में आज मैं भाभी को चोदने वाला था. मैंने सोचा कि उस दिन भाभी मुझसे कप को साफ़ करके चाय पिलाने को कह रही थीं … आज देखो अपने बिस्तर में मेरे सामने एकदम नंगी हैं और आज ये मेरे लौड़े का पानी भी पियेंगी. मैं दिल ही दिल में बहुत खुश हो रहा था.
मैंने भाभी के मम्मों को चूसना शुरू किया. गजब के टाइट मम्मे थे. बेबी होने के बावजूद एकदम कसे हुए थे. उनमें दूध भी आ रहा था.
मैं- शशि, लगता है रजत ने कभी तुम्हारे जिस्म को चूसा ही नहीं है.
भाभी- हां यार, उसमें ताक़त तो है पर कभी मेरी मुनिया को चूसता ही नहीं है, बस सीधा पेल कर सेक्स करने लगता है. आह तुम तो गजब कर रहे हो संजू … आह लगता है तुमको बहुत अनुभव है … कहां से सीखा?
मैं- अन्तर्वासना वेबसाइट से सब पता चल जाता है जानेमन.
मैंने भाभी के मम्मों को चूसा और उनके दूध का भी मजा लिया. फिर मैंने उन्हें उल्टा लिटा दिया. अब भाभी के मस्त मोटे मोटे नंगे चूतड़ मेरे सामने थे. जिनके मैं सपने देखता था, आज वो नंगे मेरे सामने थे. मैंने भाभी के चूतड़ों पर अपना गाल फिराया और उन्हें चूसना शुरू कर दिया. इससे तो भाभी बिल्कुल पागल हो गयी थीं.
भाभी- आह संजू तूने मुझे तो पूरा नंगा कर दिया और अपना एक भी कपड़ा नहीं उतारा … ये तो ग़लत है यार.
मैंने भाभी से कहा कि तुम्हें रोका किसने है जान.
मेरी बात सुनकर भाभी उठीं और मेरी टी-शर्ट को उतार दिया, साथ ही बनियान को भी उतार दिया. फिर मुझे झटके से धक्का बिस्तर पर देकर लिटा दिया और मेरी छाती पर चूमने लगीं.
भाभी- उम्म्हा … मुझे मर्द की छाती पर बाल बहुत पसंद है संजय … रजत के कम हैं, तुम्हारे तो बहुत हैं. आह मुझे इनमें उंगलियां फिरा कर बड़ा मज़ा आता है.
मैं आराम से लेट गया और बाजी भाभी ने अपने हाथ में ले ली. वो अपने गालों को मेरी छाती पर फिराने लगीं. मैं आंख बंद करके भाभी की कोमलता को फील करने लगा.
फिर भाभी धीरे धीरे मेरे पेट की तरफ जाने लगीं. मैं तो मदहोश हो गया था. वो एकदम पागलों की तरह मेरे पेट पर चूम रही थीं. मुझे एहसास हुआ कि ये तो बहुत प्यासी हैं, भाभी को लंड की बहुत ज़रूरत है. वैसे भी भाभी की अभी सिर्फ़ 27 साल की उम्र थी. हालांकि वो लंड का मज़ा चख चुकी थीं. लेकिन बिना लंड के इतने इतने दिन तक कैसे रहती होंगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
मेरे साथ भाभी ने विश्वास करने में 6 महीने लगा दिए थे. मुझे पूरा आईडिया लग चुका था कि अगर मैं भाभी के साथ अच्छे से रहूँगा, इनका और फैमिली का ध्यान रखूंगा, तो ये मुझे जिंदगी का मज़ा देती रहेंगी और खुद भी मज़ा लेती रहेंगी.

भाभी मुझे पेट पर मदहोशी से चूम रही थीं. फिर धीरे से उन्होंने अपने होंठों को नीचे की तरफ सरकाया. मैं कंपकंपाने लगा था क्योंकि इससे नीचे तो मेरा पज़ामा था. मैंने धीरे से आंखें खोलकर भाभी को देखा. वो मस्ती से आंखें बंद करके बस मुझे चूमे जा रही थीं, असली मज़ा ले रही थीं.
तभी भाभी ने मुझे देखा, तो मुस्कुराने लगीं- प्लीज़ यार संजय … तुम अपनी आंखें बंद रखो … ऐसे मत देखो, मुझे शर्म आती है. बस मुझे फील करने दो.
मैं- हाईईईई ठीक है जानेमन … जो मान चाहे, वो करो … तुम बस खुश रहा करो.
भाभी ने धीरे से मेरे पज़ामे और अंडरवियर को एक साथ नीचे सरका दिया. मेरे लंड पर हल्के हल्के बाल थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#13
भाभी- साफ़ नहीं किया तुमने?

मैं- अरे, मुझे उम्मीद थोड़ी ही थी कि आज ही मेरी किस्मत खुल जाएगी. आगे से ध्यान रखूंगा.
भाभी- हां, मुझे एकदम साफ़ पसंद है.
फिर भाभी ने धीरे से मेरे पज़ामे और अंडरवियर को नीचे सरका दिया. मेरा लंड पूरा टाइट था और चड्डी में अटक रहा था. भाभी ने अपने कोमल हाथों से लंड को पकड़ा और बाहर निकाल लिया. आह उसके हाथों का स्पर्श पाकर लंड और टाइट हो गया.
भाभी- हाईई … संजय, तुम्हारा तो बहुत मस्त है यार … रजत का भी अच्छा है पर तुम्हारा ज़्यादा अच्छा है.
बस इतना कहा भाभी ने और लंड को हाथों में लेकर ऊपर-नीचे करने लगीं. फिर भाभी ने धीरे से लंड को अपने मुँह में ले लिया और प्यार से चूसने लगीं.
मैं तो उस टाइम बिल्कुल पागल हो गया था.
थोड़ी देर लंड चूसने के बाद भाभी ने कहा- संजय, अब रहा नहीं जा रहा … प्लीज़ ऊपर आ जाओ ना.
मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और धीरे से उनकी मस्त चूत में अपने लंड का टोपा लगा दिया. भाभी की चुत एकदम चिकनी हो गयी थी. मेरा लंड आराम से अन्दर जाने लगा.
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#14
आह गर्म गर्म सा लगा. उस टाइम तो मुझे जन्नत का मज़ा आ रहा था. हम दोनों आंखें बंद करके एक दूसरे के शरीर का मज़ा ले रहे थे.

भाभी मेरे लंड की मोटाई को अपनी चुत में फील कर रही थीं और मैं उनकी चूत की गहराई को माप रहा था. हम दोनों आंखें बंद करके एक दूसरे का मज़ा ले रहे थे.
मैं धीरे धीरे लंड को आगे पीछे कर रहा था, दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था.
भाभी- आह संजय, तुम तो गजब हो यार, इतना मस्त मज़ा तो मैंने दो साल की शादी में कभी फील नहीं किया … आह सच में सेक्स का अपना मज़ा है यार … बस साथी मस्त होना चाहिए. तुम्हारा लंड भी गजब का है संजय … मेरे अन्दर तक जा रहा है … आह गर्म गर्म और बड़ा मजेदार लग रहा है यार. संजय तुम तो गजब का चोदते हो यार … मैं तो तुम्हारी दीवानी हो गयी हूँ. मुझे तो ऐसा लग रहा है कि असली मज़ा तो आज ही आया है संजय. तुम्हारा बदन भी बड़ा जोरदार है यार … मजबूत बांहें हैं, मस्त छाती है. उस पर ये मखमली बाल और लंड को तो पूछो मत … मैं तो जन्नत में चली गयी हूँ यार.
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#15
मैं- हाईय शशि … तुम्हारा बदन भी तो मस्त है जानेमन … कितनी गोरी हो तुम, मस्त चुचे है तुम्हारे और चूतड़ों की तो पूछो ही मत … तुम्हारी चूत में लंड जा रहा है, ऐसा तो लग रहा है, जैसे बस यही जिंदगी है. जानती हो, तुम्हारे बिस्तर पर तुम्हें पूरी नंगी करके तुम्हारी चूत को चोदना ही मेरा सपना था शशि. मैंने सोचा था कि तुम शायद कभी नहीं मानोगी … लेकिन कोशिश करने में क्या हर्ज है, यही सोचकर मैंने तुमसे बात की थी.

भाभी- तुमने सही किया संजय … जिस दिन तुमने मुझे गर्लफ्रेंड बनने के लिए ऑफर किया था, तो मैं डर गयी थी. लेकिन तुमने जब कहा कि तुम मेरी फैमिली लाइफ को डिस्टर्ब नहीं होने दोगे, तो मैं तुम्हारी दीवानी हो गयी थी यार. उस दिन मैंने जानबूझ कर साड़ी पहनी थी ताकि तुम कुछ कहो. तुम तो उसके बाद गायब ही हो गए थे. और जानते हो, जब आज तुमने मुझे पीछे से पकड़ा था न … मैंने तुम्हारे लंड के साइज़ को फील किया था, मैं खुश हो गयी थी कि तुम्हारा लंड बड़ा मस्त है. मैं उसी दिन से सपने लेने लगी थी कि कब तुम मेरी चूत में इसे उतारोगे और मुझे शांति दोगे. आह संजय, बस ऐसे ही मुझे संभाल कर रखना … मैं तुम्हें जिंदगी भर खुश रखूंगी … सारी उम्र तुम्हारे लंड को अपनी चूत का रस पिलाऊंगी
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#16
मैं भाभी को बड़े आराम से चोदे जा रहा था. थोड़ी देर बाद हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए. भाभी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया और मैंने उनकी चूत.

क्या गजब लंड चूस रही थीं वो … रुकना मुश्किल हो रहा था. आधे से ज़्यादा लंड भाभी के मुँह में चला गया था. भाभी का पूरा मुँह थूक से भर गया था, लेकिन उन्होंने लंड चूसना कम नहीं किया था.
मैंने सोचा कि हाय रे किस्मत, कभी ये चाय के कप को भी साफ़ करने को कह रही थी … और आज देखो, मेरे लंड के रस को भी कैसे मज़े से चूस रही है.
उन्होंने मेरे आंड भी चूस डाले, सच में बहुत आग थी शशि भाभी में.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी को उल्टा लिटाया और उनके चूतड़ों के नीचे तकिया लगा दिया. उनकी मस्त गांड उभर कर बाहर आ गयी. कमाल के चूतड़ थे उनके … एकदम गोल गोल.
मैंने बड़े प्यार से भाभी के चूतड़ों के बीच के किशमिशी छेद पर होंठ लगा दिए. वो एकदम से उछल पड़ीं- आह संजय … मार ही डालोगे क्या आज … आह कितना सुख दे रहे हो यार … तुम तो आज मेरे शरीर के एक एक अंग को चूस ही जाओगे.
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#17
मैं- जानेमन, मुझे तुम्हारा शरीर का हर हिस्सा प्यारा लगता है और चूतड़ों का इलाका तो सबसे ज़्यादा मजा देता है. तुम बस लेटी रहो … और मज़ा लो. सच बताओ … तुम्हें रजत के साथ मज़ा आता है या मेरे साथ?

भाभी- अरे, मज़ा तो आज ही लिया है यार, वरना अब तक तो मैं बस सेक्स कर रही थी. आंह असली मज़ा तो आज तुमने दिया है संजय … बस फिर से पेल दो मेरी चूत में अपना लंड यार … आह चोद डालो मुझे अच्छे से … मेरी जान … आज के बाद जब भी तुम कहोगे, मैं उसी टाइम तुम्हारे लिए अपनी सलवार का नाड़ा खोल दूंगी … तुम्हारा जब मन करे, तब मेरी चूत का भोग लगा लेना. आज से तुम अपने लंड को समझा देना कि अपना पानी बाथरूम में ना बहाए, उसका जब मन करे मेरी चूत की नाली में छोड़ दे. हाईईईई संजय … कहां थे अभी तक यार …
मैं- जानेमन, अब तो मैं सारी उम्र तुम्हारी चूत को भोगूंगा … तुम्हारे चिकने बदन को खा जाया करूंगा जानेमन.
फिर मैंने पीछे से आकर भाभी की चूत में अपना लंड डाल दिया और दोनों हाथों से उनके चुचे पकड़ लिए. मैं उनकी गर्दन को चूमने लगा.
भाभी- आह संजय … तुम तो गजब हो यार … सच में जन्नत दिखा रहे हो.
थोड़ी देर बाद भाभी ने मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर बैठ गईं. भाभी ने अपनी चूत में मेरा लंड सैट किया और धीरे से पूरा लंड चुत के अन्दर घुसा लिया. पूरा लंड अन्दर लेने के बाद भाभी धीरे धीरे गांड हिलाने लगीं. मैंने भी उनके उछलते हुए चुचों को पकड़ लिया और मसलने लगा.
भाभी- आंह उफ़ … संजय … कितना मज़ा आ रहा है यार … तुम्हारा लंड तो मेरी बच्चेदानी तक पहुंच रहा है … आह अब तो जब जब मेरा मन करेगा, मैं तुम्हारी पैंट की ज़िप को खोल लूंगी, तुम्हारा लंड निकाल लूंगी और अपनी चूत में ले लूंगी. आह चोदो मेरी जान … मैं बस जाने वाली हूँ..
मैं- हां शशि … बस मेरा भी निकलने वाला है … क्या करूं?
भाभी- अन्दर मत निकालना प्लीज़, गड़बड़ हो सकती है.
फिर भाभी ने झटके से मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाला और गॅप से अपने मुँह में ले लिया. इतनी सफाई पसंद लड़की मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी.
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#18
हाय रे सेक्स … यही तो कामवासना है, जो सब साफ़ सफाई भुला देती है.

थोड़ी देर में मेरे लंड ने पिचकारी मारी और मैंने भाभी के मुँह में पूरा वीर्य भर दिया. वो उठ कर बाथरूम में गईं और मुँह साफ़ करके मेरे पास आकर लेट गईं.
भाभी- संजय, वैसे मैं दो बार झड़ चुकी थी. पर प्लीज़ एक बार मुझे चूस कर झाड़ो ना!
मैं समझ गया और मैंने उनकी टांगों को फैलाकर अपनी जीभ से पड़ोसन को चोदा. दो मिनट बाद ही भाभी ने अपना पानी छोड़ दिया और सुस्त होकर लेट गईं.
भाभी- आह असली मज़ा आज आया संजय … सच में तुम बहुत प्यारे हो मेरे सनम … प्लीज़ मेरा साथ देते रहना.
मैं- हां शशि … मैं हमेशा तुम्हें प्यार करूंगा और साथ दूंगा.
हम दोनों एक दूसरे की बांहों में सिमट गए. फिर पता नहीं, कब नींद आ गयी.
कुछ देर बाद जब आंख खुली तो फिर से चुदाई शुरू हो गई. उस दिन मैंने भाभी को बहुत देर तक कई सारे तरीकों से पड़ोसन को चोदा. भाभी ने भी मेरा पूरा साथ दिया. सुबह 5 बजे तक हमने 3 बार सेक्स किया और पूरा मज़ा लिया.
सुबह मैं ऊपर आ गया.
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#19
सके बाद जब भी हम दोनों को मौका मिलता, हम सेक्स कर लेते. मैंने कभी भी उनको परेशान या नाराज़ नहीं किया.
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#20
ज भाभी का बड़ा लड़का 14 साल का हो गया है और छोटा 10 साल का है. रजत भैया कम्पनी में सीईओ हो गए हैं और शशि भाभी एक मैनेजमेंट कॉलेज में लेक्चरर हो गई हैं.
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