(14-06-2022, 06:12 PM)neerathemall Wrote:
मेरे उनके घर जाते ही बच्चों ने मेरा फोन ले लिया. दीदी और मैंने एक दूसरे को कातिल मुस्कान दे दी.
मैं दीदी के पास गया और धीरे से कहा- लेग पीस खिलाएंगी क्या?
मैं हंसने लगा, वो होंठों पर उंगली रखती हुई बोलीं- शश … चुप.
मैंने कहा- चिकन कहां है?
वो बोलीं- छत पर.
वो नानवेज अपने किचन में नहीं बनाती थीं. छत पर ही बनाती थीं. बाकी नीचे किचन में रोटी वगैरह.
दीदी और मैं छत पर चले गए, उन्होंने अपनी लड़की को रोटी बनाने को बोल दिया और लड़का मेरे फोन पर गेम खेलने लगा.
हम दोनों छत पर चले गए.
अब 7.30 बज चुके थे, अंधेरा हो गया था.
दीदी ने छत पर पहुंचते ही मुझे पलट कर जोर से गले से लगा लिया.
मैंने भी वही किया.
फिर उनसे अलग होकर छत का मुयायना करने के बाद उनको दीवार से लगा दिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा, चूची दबाने लगा.
दीदी ‘आह आह उं …’ करने लगीं. मेरी कमर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत मेरे लंड पर ऊपर से रगड़ने लगीं.
मैंने भी लंड चुत से रगड़ा और उनके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
एक मिनट बाद दीदी चुदासी आवाज में बोलीं- अब छोड़, काम करने दे. मैं यहीं तो हूं.
मैंने छोड़ दिया और कहा- जरा अपनी चूची दिखाओ दीदी.
दीदी बोलीं- पहले चिकन चूल्हे पर चढ़ा लेने दो … फिर अपने चूल्हे की आग बुझवाती हूं.
मैंने तुरंत निक्कर खोल कर अपना लंड उनके हाथ में दे दिया.
लंड पकड़ते ही उनकी आंखें बंद हो गईं.
उन्होंने छत पर एक चटाई बिछा रखी थी. मैं उसी पर बैठ कर लंड सहलाने लगा.
मैंने कहा- छत की लाइट बंद कर दीजिए.
दीदी ने लाइट बन्द कर दी और झुक कर प्याज़, मसाला वगैरह भूनने लगीं.
मैंने पीछे से लंड उनकी गांड के दरार में फंसा दिया. मैं उनके कूल्हे पकड़ कर चूत से गांड तक लंड रगड़ रहा था. मैंने थोड़ा झुक कर एक चूची को पकड़ लिया.
दीदी पलटा दिखाती हुई बोलीं- हट जा … मैं मार दूंगी.
मगर मुझे चूत का भूत सवार हो गया था; मैंने उनकी मैक्सी को कमर पर चढ़ा दिया और चूत पर दो उंगली फिरा दीं.
दीदी की चुत एकदम गीली पानी पानी हो चुकी थी.
दीदी- रुको ना, अभी दे रही हूं, जाओ पहले जीने का दरवाज़ा बन्द करके आओ … बच्चे ना आ जाएं!
मैं दरवाज़ा बंद करके आ गया और चटाई पर बैठ गया. दीदी चिकन कुकर में डाल कर आ गईं.
वो पास में बैठ गईं … तो मैं अपना हाथ सीधे उनकी चूची पर ले गया और क्लॉक वाइज एंटी क्लॉक वाइज चूची को घुमाने लगा.
उनकी चूची को मैंने मैक्सी से ऊपर से बाहर निकाल दिया और उनको चटाई पर लिटा कर चूची पीने लगा.
दोनों चूचियों को एक साथ सटा कर मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने की कोशिश कर रहा था और लंड उनकी चूत पर रगड़ रहा था.
दीदी टांगें मोड़ कर लेटी हुई थीं. मैं उनकी टांगों के बीच में था.
मैं उनके होंठों पर, गर्दन पर खूब चुम्मा लेता रहा … नीचे से वो कमर हिला हिला कर लंड का स्वाद ले रही थीं.
मैंने अभी निक्कर पहन ही रखा था.
दीदी बोलीं- रुको मैं एक बार चिकन चला दूं, नहीं तो जल जाएगा.
मैंने कहा- जल जाने दीजिए … कौन सा भोसड़ी वाला जिन्दा हो जाएगा.
वो हंसने लगीं.
मैं- दीदी, मैक्सी उतार दीजिए.
वो बोलीं- नहीं, ऐसे ही रहने दो.
मैं खड़ा हो गया.
मेरा लंड तम्बू में बम्बू की तरह अकड़ा हुआ था.
दीदी ने हाथों से निक्कर के ऊपर से ही लंड को दबाया और मुँह में लेकर दांतों से पकड़ने लगीं.
फिर उन्होंने मेरी निक्कर नीचे खींच दी, तो लंड एकदम उनके मुँह पर जाकर लगा.
अंधेरा होने के कारण कोई डर नहीं था. हमारे बीच बातें कम, काम ज्यादा हो रहा था.
दीदी ने मेरा लंड पकड़ कर अपने पूरे चेहरे पर फेरा, फिर मेरे लंड का टोपा होंठ गोल करके अपने मुँह में ले लिया.
अभी दीदी ने पूरा लंड मुँह में नहीं लिया था, वो अपनी जीभ लंड के टोपे पर चारों ओर फेरने लगी थीं.
मैं उनका सिर पकड़ कर खड़ा रहा और जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने पूरा लंड गच्च से उनके मुँह में पेल दिया.
उनके बाल पकड़ कर लंड पेलने लगा.
दीदी भी गों गों करके लंड गले तक लेने लगीं.
कुछ ही देर में मेरी टांगें कांपने लगी थीं.
फिर जब मुझसे नहीं रहा गया, तो मैं लेट गया और दीदी लंड चूसने लगीं.
मैं झड़ने को हुआ तो दीदी ने अपनी मैक्सी लंड पर लगा दी ताकि वीर्य छत के फर्श पर ना गिरे या चटाई पर … क्योंकि चटाई पर दाग पड़ जाते, तो उसे धोना मुश्किल था.
दीदी ने लंड का माल अपनी मैक्सी से पौंछ दिया.
फिर मैं उनकी चूची पीने लगा, चूचुकों को काटने लगा.
दीदी बस अपने कंठ से कामुक आवाज़ें निकाल रही थीं.
उधर कुकर की सीटी बजने लगी थी और चिकन पकने वाला था. इधर लंड खड़ा हुआ था और दीदी अपनी मैक्सी कमर तक करके लेट गई थीं.
मैंने घुटनों के बल बैठ कर दीदी की चूत में उंगली डाल दी.
उंगली घुसेड़ते ही ऐसा लगा कि चूत में पानी है या पानी में चूत है.
मैं उनकी चूत के छल्ले को रगड़ने लगा तो दीदी की मादक आह निकल गई.
उसी पल उन्होंने झट से उठकर मुझे गर्दन से पकड़ लिया और चूमने लगीं.
दीदी हद से ज्यादा चुदासी हो गई थीं.
वो कहने लगीं- आंह अब अन्दर डाल दो.
मैं दीदी की जांघ को चूमने लगा, जीभ से चाटने लगा.
दीदी ‘आह आह उम्म …’ कर रही थीं.
मैंने उनकी दोनों जांघों को फैला कर चूत पर जीभ लगा दी. दीदी अपनी कमर उठाने और पटकने लगीं.
वो मेरे बाल खीं चने लगीं, अपने पैर से धकेलने लगीं.
कभी अपनी कमर ऊपर उठा कर अपनी जांघों से और हाथों से मेरे सिर को चूत में दबाने लगीं.
दीदी की लम्बी लंबी सांसों से बहुत तेज आवाज आने लगी थी.
तभी नीचे से उनकी बेटी ने आवाज दी- मम्मी, रोटी बन गई.
दीदी कामुकता को दबाती हुई बोलीं- हां, आती हूं.
दीदी लंड लेने को बेताब थीं … मगर मामला जल्दी का था.
हम दोनों को काफी पसीना भी आ गया था.
लंड तो एकदम खड़ा था ही. मैंने कुछ नहीं सोचा बस अपनी निक्कर नीचे करके उनकी टांगों के बीच आकर चूत में लगा दिया.
न दीदी ने लंड को हाथ लगाया … ना मैंने.
दोनों की समझ की बाती बुझ चुकी थी. लंड और चूत ने अपना रास्ता खुद ढूंढ लिया था.
चूत के मुँह पर लंड का टोपा लगा … और चूत में रास्ता बनता चला गया.
दीदी की चुत इतनी पानी वाली हो गई थी कि पूरा लंड एक बार में सरसराता हुआ चूत में घुसता चला गया.
एक मादक आह लेकर दीदी मुझे चूमने लगीं. उन्होंने मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया. अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर जकड़ ली.
मैंने जैसे ही धक्का देने को अपनी कमर को ऊपर किया, दीदी कामुकता से भरी आवाज में बोलीं- आंह थोड़ी देर रुक जा … ऐसे ही अच्छा लग रहा है.
वो लंड को भरपूर तरीके से चूत में महसूस करना चाह रही थीं और मैं तो जैसे स्वर्ग में था.
तभी नीचे मेरा फोन बज गया उसकी घंटी की आवाज सुनाई दे गई.
दीदी का लड़का मुझे आवाज देता हुआ फोन लेकर ऊपर आने लगा.
मैंने झट से चूत से लंड निकाला और निक्कर पहन कर तुरंत जाकर दरवाज़ा खोल दिया.
दीदी ने भी अपनी मैक्सी से पसीना पौंछ लिया और उसे नीचे कर लिया.
उनकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं, रुक ही नहीं रही थीं, सांसों ने पूरी रफ्तार पकड़ी हुई थी.
मैंने देखा कि पापा का फोन था.
पापा बोले- खाना खा लिया?
मैंने कहा- अभी नहीं.
पापा बोले- तुमको गांव जाना है, गांव में जमीन का विवाद हो गया था.
मैंने हां कहा, तो दीदी उदास हो गईं.
बच्चे भी छत पर रोटियां लेकर आ गए. हम सब खाना खाने लगे.
मैंने दीदी को देखा तो उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं. खाते वक्त लेग पीस को मुँह में लेकर चूसते हुए ऐसे इशारा करे जा रही थीं, जैसे लंड चूस रही हों.
खाना निपटने के बाद, मैंने कहा- मैं जा रहा हूं.
दीदी ने कहा- चलो नीचे तक छोड़ दूं.
दीदी नीचे जाते वक़्त बोलीं- एक बार पूरा करके जाओ, मुझे प्यासी ना छोड़ो … बहुत आग लगी है.
मैंने कहा- मेरा भी वही हाल है.
हम दोनों उनके बेडरूम में आ गए.
दीदी ने मैक्सी उतार दी और पूरी नंगी हो गईं. उनकी चूचियां तनी हुई थीं और निप्पल्स अकड़े हुए थे.
अब दीदी बोलीं- दो मिनट के लिए अपने कपड़े खोल कर मुझे अपने जिस्म की गर्मी दे जाओ.
मैंने तुरंत कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया. मैं भी डर रहा था कि कहीं बच्चे ना आ जाएं.
दीदी मदहोश थीं, वो मुझे बांहों में भरके मुझे अपने ऊपर लेकर बेड पर गिर गईं और चूमने लगीं.
कुछ देर यूं ही मेरे नंगे जिस्म से अपने जिस्म को रगड़ कर दीदी मजा लेने लगी थीं.
मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- गांव से वापस आकर सब होगा, मुझे 2-3 दिन लगेंगे.
फिर मैंने कपड़े पहने और चल दिया.
गांव जाने के बाद वक़्त लग गया, दीदी से एक हफ्ते तक बात हुई.
आठवें दिन दीदी ने बताया कि तुम्हारे जीजा आ रहे हैं.
मैंने कहा- अब क्या चाहिए मौज लीजिए जीजा से.
वो बोलीं- चुप रहो, मुझे तुम्हारा लेना है.
मगर इधर गांव में रायता फैला हुआ था विवाद बढ़ गया था, तो मैं गांव में ही रुक गया.
मुझे 4 महीने लग गए.
फिर मैं वहां से दिल्ली चला गया, जहां लॉकडाउन में कजिन दीदी को चोदा. वो सेक्स कहानी मैंने आपको पहले भेजी थी आपने पढ़ी ही होगी. मैं कजिन दीदी को चोदकर वापस आ गया.
यहां पर आकर मेरी दीदी से मेरी बात हुई और बीच में मौका पाकर वो भी कर बात लेती थीं.
इधर वापस आया तो दीदी ने फोन करके कहा- घर आओ.
मैं घर गया तो स्कूटी खड़ी मिली. मुझे लगा कोई आया है.
दीदी को मैंने देखा और उन्होंने मुझे!
वो मैक्सी में ही थीं.
हम दोनों की बांहें गले लगाने को मचलने लगीं. हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था.
पर बच्चे लॉकडाउन की वजह से घर पर ही थे. बच्चे भी मुझे आया देख कर खुश हो गए थे.
मैं लॉबी में बैठा था, दीदी पानी और चाय लेकर आईं और बगल में ही बैठ गईं.
मौका देखकर हम दोनों गले लग गए.
बच्चे टीवी देख रहे थे, मौका पाकर मैंने चूची मींजने लगा, इससे दीदी गर्म हो गईं.
वो बोलीं- उफ्फ तेरे हाथों के इस जादू को मैं बहुत मिस कर रही थी.
मैंने कहा- और मैं इन रसभरी चुचियों को.
दीदी हंस दीं.
मैंने कहा- ऊपर ऊपर ही मज़ा लेंगी-देंगी या नीचे भी कुछ होगा!
दीदी बोलीं- कैसे होगा यार … बच्चे दिन भर घर में ही रहते हैं.
मैंने पूछा- ये स्कूटी किसकी है?
दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा आए थे, तब लेकर दे गए हैं.
फिर लॉबी में ही धीरे धीरे मैं कभी दीदी की चूची पी रहा था, कभी उनसे लंड चुसवा रहा था.
मैंने कहा- चूत देखनी है.
दीदी सामने सोफे पर बैठ गईं और मैक्सी कमर तक उठा ली. उनकी चूत एकदम चमक रही थी. चुत की झांटें साफ़ थीं.
मैंने उंगलियों के इशारे से चुत की चमक की तारीफ़ की तो दीदी ने शर्माते हुए कहा- आज सुबह ही सफाई की है.
फिर वो मेरे बगल में आ गईं.
मैंने कहा- मेरा झाड़ दीजिए.
दीदी ने दरवाजे को बंद किया और लंड की मुठ मारके, कभी मुँह में लेकर लंड झाड़ दिया.
फिर दीदी बोलीं- अब मेरा भी कुछ सोचो.
मैंने कहा- घर में तो ये सब होना मुश्किल है. अगर आप स्कूटी सीखने के बहाने सुबह आइए, तो कुछ हो सकता है.
दीदी बोलीं- बाहर … ना बाबा डर लगता है … कोरोना है.
मैंने कहा- आप बस मुझ पर भरोसा रखिए.
सितंबर के इस महीने में सुबह 6 बजे तक अंधेरा रहता है.
अगली सुबह 4 बजे ही फोन आया ‘फ्रेश होकर आ जाओ, मैं भी फ्रेश होकर आती हूं.’
सुबह 4.30 दीदी और मैं मिले.
मैं बस निक्कर में गया था, दोनों चुदाई के लिए वशीभूत हुए चल दिए.
स्कूटी पर बैठते ही मैंने दीदी को कमर से पकड़ लिया और एकदम सट कर बैठ गया. मैं अपने हाथ दीदी की कमर से उनकी चूची पर ले गया. जैसे ही मैंने चूची दबाई, तो देखा कि दीदी ने ब्रा पहन रखी थी.
मैंने कहा- ब्रा क्यूं?
वो बोलीं- ब्रा नहीं पहनती तो तुम सारा समय चूची पीने में बिता देते. अब छोड़ो न … ऐसे में मैं गाड़ी नहीं चला पाऊंगी.
मैंने गाल पर चुम्मा लेते हुए कहा- आप गाड़ी चलाइए … मैं हॉर्न दबाता हूं.
दीदी बोलने लगीं- पूरे बदतमीज हो.
मेरा लंड खड़ा हो गया था, मैंने लंड सीधा किया और उनके चूतड़ों पर हाथ रखकर कहा- इनको उठाइए.
जैसे ही वो उठीं, मैंने लंड सीधा करके कहा- अब बैठ जाइए.
दीदी मेरे खड़े लंड पर बैठ गईं.
अब दीदी स्कूटी चला तो ले रही थीं, पर स्कूटी चलाने में उनका हाथ साफ नहीं था.
थोड़ी दूर चलकर एक कच्चा रास्ता पड़ता था. मैंने कहा- इस रास्ते पर ले चलिए.
दीदी ने उसी रास्ते पर स्कूटी डाल दी. वहां घुप्प अंधेरा था, मैंने गाड़ी रुकवा दी.
मैंने गाड़ी को डबल स्टैंड पर लगा कर उसे खड़ी कर दी.
हम दोनों गले लग गए. मैंने दीदी के होंठों पर होंठ रख दिए और अपना हाथ दीदी की चूची पर ले गया. उनका हाथ मेरे लंड पर आ गया.
दीदी लंड सहलाती हुई बोलीं- अब लंड डाल दो. चूची, लंड चूसने का खेल घर पर मौका देख कर कर लिया जाएगा.
उनको तो बस अपनी चूत में मेरा लंड समाया हुआ चाहिए था.
मैंने दीदी को सीट पर लिटाया, उनकी कमर पर मैक्सी उठा कर दोनों पांव दोनों तरफ की फुटरेस्ट पर रखवा दिए.
वो चुत पसार कर लेट गईं और मैं स्कूटी के बीच में जो जगह होती है, उसमें खड़ा हो गया. मैंने अपना दीदी की चूत में सैट किया और एक झटके डाल दिया.
लंड पेल कर मैं दीदी के ऊपर लेट गया और पीछे जो फाइबर का पकड़ने वाला होता है, उसे पकड़ कर धक्का मारने लगा.
दीदी इतने दिनों बाद मेरा लंड लेकर तृप्त हो गईं, उनकी कामुक आह निकल गई.
मैं धीरे धीरे दीदी को चोदने लगा.
टांगें फैलाकर लेटने से चूत में लंड एकदम घस घस कर जाने लगा था. मुझे कुछ डर भी लग रहा था कि गाड़ी स्टैंड से ना उतर जाए.
जब लगा कि नहीं उतरेगी, तब मैंने धक्का देना तेज कर दिया. दीदी मुझे पीठ से पकड़ कर लेटी हुई थीं.
मैं चोदता गया और दीदी ‘अम्म उह …’ कर रही थीं.
कुछ ही देर में मेरी कमर दर्द होने लगी क्योंकि मुझे ज्यादा झुकना पड़ रहा था.
मैंने कहा- अब उतरकर घोड़ी हो जाइए.
दीदी स्कूटी का सहारा लेकर घोड़ी बन गईं.
मैंने पीछे से लौड़ा पेला और मैं दीदी के कंधे पकड़ कर धकापेल करने लगा.
मैं इतनी गन्दी तरह से चूत मारने लगा था कि वो बस अपना सिर ऊपर करके सिसकारियां ले रही थीं.
दस मिनट तक हचक कर चोदने के बाद में दीदी की चूत में ही स्खलित हो गया.
दीदी लंड का रस लेकर एकदम खुश हो गई थीं.
कुछ देर बाद हम दोनों ने अपने कपड़े सही करते हुए उधर से निकलना तय किया और स्कूटी लेकर सड़क पर आ गए.
दीदी की चुदाई के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े सही किए और वहां से सड़क पर आ गए.
मैं उन्हें गाड़ी सिखाते हुए उनकी चूची दबाने लगा.
मैंने दीदी की गर्दन पर चूमा लेते हुए पूछा- मज़ा आया?
दीदी बोलीं- हां बहुत … तुम बहुत ताकत से कर रहे थे, मजा तो बहुत आया … पर मुझे ये सब खुल कर करना है.
मैंने कहा- खुल कर कैसे?
दीदी- अरे कमरे में पूरी तरह से बिंदास होकर … मुझे चोदते हुए तुम मेरी चूची पियो, मेरे बदन को काटो, ऐसा वाला सेक्स करना है. मैं पूरी नंगी होकर बिस्तर पर तुम्हारे साथ चुदाई का मजा लेना चाहती हूँ. ऐसे थोड़ी सी जगह में मजा नहीं आता.
मैंने कहा- ठीक है, घर में कोई जुगाड़ लगाइए. उधर आपकी चुदाई का खेल खेलेंगे.
वो जरा उदास होकर बोलीं- कैसे जुगाड़ लगाऊं … बच्चे हमेशा घर में ही रहते हैं.
मैंने कहा- चिंता मत करो … मौक़ा मिलेगा.
वो बोलीं- हां ये तो है.
उस दिन दीदी को घर छोड़ कर आ गया.
उसके बाद से हम दोनों का ऐसे ही चलता रहा.
रोज सुबह मॉर्निंग वॉक के बहाने मैं उनको चोद देता.
कभी पेड़ के नीचे, कभी कहीं दुकान के बेसमेंट में, कभी खड़े खड़े चुदाई चल ही रही थी.
एक दिन मैंने दीदी से कहा- मुर्गे वाला प्रोग्राम बनाइए और उस रात को मैं आपके घर ही रुक जाऊंगा.
दीदी बोलीं- ठीक है.
दीदी ने दो दिन बाद मेरी मम्मी को फोन करके कहा- मैं घर पर चिकन बना रही हूं, सब लोगों को आना है.
मम्मी ने कह दिया- राज ही आ जाएगा, हम सब नहीं आ पाएंगे.
दीदी ने अपनी ख़ुशी दबाते हुए कह दिया- ठीक है.
उस शाम को मैं दीदी के घर चला गया.
मुझे रात भर दीदी को चोदना था तो मैंने देर तक चोदने वाली गोली खा लीं और एक ताकत की भी ले ली.
दीदी के घर पहुंचा तो आवाज लगाई. दीदी ने गेट खोला. वो काफी खुश दिख रही थीं.
हम दोनों लॉबी में चले आए.
बच्चे भी आ गए. बच्चों ने मेरा फोन ले लिया और लॉबी में ही गेम खेलने लगे.
मैं दीदी को इशारे करने लगा, वो मुस्कुरा रही थीं.
उन्होंने हाथ से मुँह में केला लेकर चूसते हुए लंड काटने का इशारा किया.
मैंने लंड की तरफ इशारा कर दिया.
उन्होंने दांत से कच्च करके काट खाने का इशारा कर दिया.
मैं हंस दिया.
दीदी ने भी एक बार झुक कर अपने खरबूजे दिखाए और जल्दी से सिनेमा बंद कर दिया.
मैंने एक बार फिर से दिखाने का कहा.
तो दीदी ने साउथ की हीरोइन की तरह अपनी मैक्सी जांघों तक उठा कर अपनी टांगें दिखाईं और मुझे गर्म करने लगीं.
फिर मैक्सी की चैन भी थोड़ा खोल कर क्लीवेज दिखाने लगीं.
कुछ देर में खाने का समय हो गया.
मैंने दीदी से कहा- एक बार मम्मी को बोल दीजिए कि टाइम लगेगा, मैं रात में यहीं रुक जाऊंगा.
दीदी ने मम्मी को फोन कर दिया.
मम्मी ने कहा- ठीक है.
दीदी अपने बेटे और बेटी से बोलीं- चलो छत पर चलते हैं. वहीं चिकन बनाएंगे. तुम दोनों वहीं छत पर खेलते रहना.
दोनों बच्चों ने मना कर दिया.
दीदी की बेटी बोली- मैं अपनी रोटी बनाने जा रही हूँ. नीचे ही खा लूंगी. मुझे चिकन नहीं खाना है.
बेटा बोला- मैं भी यहीं हूं, मोबाइल में गेम खेलूंगा. दीदी के साथ ही खा लूंगा.
दीदी मुझसे बोलीं- राज चलो.
और दीदी मुर्गा और बाकी का सामान लेकर चल दीं.
कुछ सामान मेरे हाथ में भी था, नहीं तो मैं दीदी की गांड में फिंगर करने की सोच रहा था.
छत पर सामान रखने के बाद दीदी ने कहा- राज, अब जल्दी से सामान रेडी करो. मैं मुर्गा तैयार करती हूं.
कुछ देर में मुर्गा मसाला आदि सब रेडी हो गया.
दीदी गांड झुका कर मसाला भूनने लगीं मैंने अपनी एक उंगली दीदी की गांड में पेल दी.
अब फ्री सेक्स इन ओपन का मौक़ा मिला था.
दीदी चिहुंक गईं- उई मम्मी.
मैं जोर से हंस पड़ा.
दीदी बोलीं- साले, मैं कलछी मार दूंगी.
मैंने कहा- लंड लेना है न?
दीदी ने वासना से कहा- हां.
मैंने झट से छत के दरवाजे की कुण्डी लगा दी.
दीदी समझ गईं.
वो गैस स्लो करके दरी पर लेट गईं और उन्होंने अपनी बांहें फैला दीं.
मैं उनकी टांगों के बीच से आकर उनके ऊपर चढ़ गया.
सबसे पहले मैंने उनके माथे को चूमा, फिर आंखों को, गाल को, होंठ और गर्दन को चूमा.
दीदी खुश होती हुई बोलीं- आज ये सब करके मुझे बेहद मजा आ रहा है. नहीं तो तुम सीधे मेरे दूध पीने के लिए बावले हो जाते ही.
मैं हंसकर उनके होंठों को चूसने लगा.
वो भी इत्मीनान से साथ मेरा देने लगीं.
धीरे धीरे दीदी ने अपनी मैक्सी कमर तक सरका ली और बोलीं- चूत में डाल कर प्यार करो.
मैंने अपना पजामा और कच्छा सरका दिया और खड़ा लंड दीदी की चूत में डाल दिया.
दीदी ने लंड लेते ही आह भरी और गांड उठा कर लंड का मजा लेने लगीं.
मैं मस्ती से चूत में धक्का देने लगा.
हर झटके पर दीदी उन्ह आंह कर रही थीं.
मैंने एक दूध चूसते हुए पूछा- जीजा जी इतने दिन थे कि क्या आपने उनका नहीं लिया?
दीदी बोलीं- अभी उनकी बात नहीं करो. तुम बस मजा दो और लो. लो अब इस वाली को चूसो.
दीदी ने अपनी दूसरी चूची मेरे मुँह में दे दी.
मैं दीदी के दूध और निप्पल काटते हुए उन्हें हौले हौले चोदने लगा.
दीदी बोलीं- एक बार चिकन देख लो, कहीं ज्यादा न पक जाए.
मैंने उठकर चिकन देखा और फिर से आ गया.
मैंने दीदी की चूत में फिर से लंड डाल दिया.
दीदी बोलीं- तुम अपने कपड़े उतार दो, आज तक नंगा होकर नहीं चोदा.
मैंने हामी भर दी और कपड़े हटा दिए.
दीदी मेरी छाती पर हाथ फेरने लगीं. वो बोलीं- क्या मर्दाना छाती है तेरी.
मैं दीदी को चूमते हुए उनकी चूत में धक्के मारने लगा.
वो मेरी छाती चूम कर मेरे सीने की दोनों घुंडियों को चुभलाती हुई मजा दे रही थीं.
अब मेरा घुटने में जलन होने लगी थी. दरी पर कुछ दर्द सा होने लगा था.
मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचों पर रख दिए और चूचे मसलते हुए जोर जोर से चोदने लगा.
कुछ मिनट बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया.
उन्होंने मेरे माथे का पसीना पौंछा और लंड निकाल कर बैठ गईं.
कुछ देर बाद चिकन भी तैयार हो गया था.
दीदी मुझसे बात करने लगीं.
फिर दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा बहुत मोटे हो गए हैं ना … वो अब मेरी अच्छे से नहीं कर पाते हैं. मैं उनका वजन नहीं झेल पाती हूं. इस बार लॉकडाउन में पांच महीने घर पर रहे. लेकिन 15-16 बार ही किया. डालते ही झड़ जाते थे और मैं गर्म रह जाती थी. उस वक्त मैं तुमको याद करती थी कि कब तुम मेरे ऊपर आओगे.
मैंने कहा- अब आ गया हूं, तो सारी गर्मी शांत कर दूंगा.
दीदी बोलीं- मैं भी जब तक तुम्हारी सेवा कर सकती हूं, करूंगी. अब बच्चे भी बड़े हो रहे हैं, तो संभल कर करना पड़ता है.
मैंने कहा- हां ये तो है.
दीदी कुछ भरे गले से बोलीं- तुम मेरे अलावा किसी और को नहीं देखोगे, भले शादी के बाद अपनी बीवी से कर लेना, पर अभी मुझे ही अपनी बीवी समझो. तुम्हारा मुझ पर पूरा हक है.
वे भावुक हो गई थीं.
मैंने कहा- जैसा आप चाहती हैं, वैसा ही होगा.
दोस्तो, दीदी ये बात इसलिए कह रही थीं क्योंकि मैं चढ़ती जवानी पर था और उनकी जवानी ढलान पर थी.
फिर भी मेरा ख्याल था कि अभी लगभग दस साल तक उनकी चूत चुदने लायक रहेगी.
अब हम दोनों चिकन खाने की व्यवस्था में लग गए.
मैंने बैग से बोतल निकाली और दीदी से कहा- लोगी?
दीदी ने कहा- एकाध पैग ले लूंगी.
हम दोनों ने दो दो पैग खींचे और चिकन पर हाथ साफ किया.
अब तक 10 बज गए थे.
तभी मम्मी का फोन आया कि घर आओगे क्या?
मैंने मना कर दिया.
मम्मी बोलीं- ठीक है.
फिर खाना खाने के बाद हम लोग नीचे चले गए.
दीदी ने दो ग्लास दूध गर्म किया और दोनों बच्चों को दे दिया.
दोनों बच्चे टीवी देखने लगे.
दीदी मेरे साथ बैठ गईं.
मैंने कहा- बच्चे कब तक सोएंगे?
दीदी बोली- सो जाएंगे अभी!
मैंने कहा- आज आप कराहने वाली हैं.
दीदी बोलीं- वो तो तुम्हारी ताकत और हथियार देख कर लगता है. मैं हर दर्द के लिए तैयार हूं.
दीदी मेरे कंधे पर सिर रखकर बोलीं- मुझे प्यार हो गया है तुमसे, तुम्हारा नहीं पता.
मैंने कहा- मुझे भी हो गया है. मर्द अपनी पूरी चाहत नहीं दिखा पाता.
दीदी बोलीं- मैंने कभी गलत कदम नहीं उठाया, ये मत सोचना कि मैं ऐसी वैसी हूं.
वो शायद नशे में आ गई थीं.
मैंने कहा- अरे नहीं यार.
फिर दीदी अपना हाथ मेरे लंड पर ले आईं और मसलती हुई बोलीं- आज इसको मैं तबाह कर दूंगी.
मैंने कहा- ऐसा क्या!
वो बोलीं- हां, आज तुमको अपने प्यार की गहराई दिखाऊंगी.
मैंने कहा- जिसने सब कुछ सौंप दिया, अब उसकी गहराई क्या देखना!
वो बोलीं- हां ये तो है.
मैंने कहा- देखो, बच्चे सो गए क्या?
दीदी बोलीं- देख कर आती हूं.
हम दोनों ये लॉबी में ही करने वाले थे क्यूंकि बेडरूम में बच्चे सोते हैं.
लॉबी एक तरह से गेस्ट रूम है. दीदी का घर ज्यादा बड़ा नहीं है. लॉबी में सोफ़ा और एक बेड पड़ा है.
मेरे ऊपर दवा असर कर रही थी. लंड अपने आकार में आ गया था.
दीदी आईं और बोलीं- बच्चे बस सोने वाले हैं, पर आएंगे नहीं. मैं गेट भिड़ा के आईं हूं और हमारे रूम का पर्दा लगा दिया है.
मैंने दीदी को बांहों में भर लिया. उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन में डाल दिए.
मैं उनकी कमर पर हाथ रखकर डांस करने लगा, वो भी साथ देने लगीं.
मेरी छाती से चूची, लंड से चूत, कमर से कमर चिपकी पड़ी थी.
दीदी बोलीं- तुम तो बड़े रोमांटिक हो. मैंने तो सोचा था कि तेरे अन्दर बस एक जंगली मर्द है.
मैं उनकी गांड दबाने लगा. वो मेरे सीने पर सिर रखकर बात करती रहीं और डांस करती रहीं.
मैंने कहा- आज सब सुकून से हो रहा है … मुझे कोई जल्दी नहीं है.
दीदी हूँ बोलीं.
मैंने बोला- आज मुझे आपको ब्रा और पैंटी में देखना है.
दीदी बोलीं- अभी आती हूं.
मेरे होंठ पर चुम्मा देकर वो अपने बेडरूम से ब्रा पैंटी ले आईं.
बच्चे सो गए थे.
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी.
दीदी ने मैक्सी को उतार दिया. उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं.
चूत से सफ़ेद पानी आ रहा था. लाल ब्रा और काली पैंटी थी.
दीदी ने पैंटी पहन ली और चूची दिखाती हुई बोलीं- पहले इनको प्यार कर दो.
वो एकदम मासूम बन गई थीं. कह कह कर प्यार करवा रही थीं. एकदम जैसे बीवी हों. उनको प्यार की सख्त जरूरत थी.
मैंने दोनों निप्पलों को चुम्मा दिया.
फिर दीदी ब्रा डाल कर पीछे मुड़ गईं और बोलीं- हुक लगाओ.
मैंने हुक लगाकर अपनी तरफ मोड़ा.
हाय क्या मस्त लग रही थीं. एकदम मस्त रांड सी … थोड़ी सी तोंद निकली थी.
लुगाई की तोंद का मज़ा तब आता है, जब उसे चोदो और वो हिले.
वो कामुक होकर बोलीं- अब उतार रही हूँ … तुम चूसो इनको.
मैं सोफे पर बैठ कर उनको अपनी गोद में लेकर चूमने लगा.
ब्रा को खोले बिना, ऊपर करके चूची पीने लगा.
वो अपनी चूत लंड पर रगड़ने लगीं, बोलीं- एक बार गोद में बैठाकर करो.
उनको बस लंड चूत में चाहिए था.
मैंने कहा- चूत चाटने के बाद.
मैं सोफे पर लेट गया और कहा- मैं चूत चाटता हूं, आप लंड चूसिए.
ऐसे ही हुआ. गर्म गर्म जीभ का स्पर्श और मुँह में लंड देने से मुझे किसी और दुनिया में ले आया था.
वो अपनी गांड हिला हिला कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं.
दीदी के बाल बिखरे हुए थे, आंखें वासना से लबरेज थीं.
मैंने उनको लिटा दिया और लंड चूत में डाल दिया.
अब मैं दीदी की चूत पेलने लगा.
मैं इतनी जोर जोर से धक्का मारने लगा था कि दीदी कराहने लगीं, चीखने लगीं.
उन्होंने मुँह में चादर डाल ली कि आवाज बाहर ना जाए.
मैंने दौड़ कर दरवाज़ा बंद किया और फिर से लंड पेल कर चोदना शुरू कर दिया.
पट पट, सिसकारियां और बस तेज सांसें चल रही थीं.
दीदी की टांगें आसमान में लहरा रही थीं. चूचियां डोल रही थीं, पेट हिल रहा था.
मैं दीदी की चूचियां भींच भींच कर चूत चोद रहा था.
फिर मैंने एक नया तरीका इजाद कर दिया.
मैं खड़ा हो गया और दीदी के दोनों पैर अपनी जांघों पर टिकवा दिए.
दीदी मेरी गर्दन पकड़ कर मेरी गोद में आ गईं. मैंने उनकी गांड से उनको पकड़ लिया.
अब वो भी धक्का मारने लगीं. पूरा लंड चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
पसीने के कारण दीदी फिसलने लगीं.
फिर मैं लेट गया और वो लंड पर बैठ कर अपना कमाल दिखाने लगीं.
यही सुख जीजा नहीं दे पा रहे थे.
दीदी लंड पर उछल उछल कर मजा ले रही थीं.
मैं भी बहन चोद कर मस्त था.
कुछ देर के बाद दीदी ने चूत से फुहार फैंक दी और निढाल मेरे ऊपर गिर गईं.
मैं नीचे से धक्का मारने लगा.
पच पच …
उनकी चूत का पानी मेरी गांड तक आ गया. मैं भी स्खलित हो गया.
दीदी हांफ रही थीं और मुझे बेशुमार पप्पियां देने लगी थीं.
मेरा लंड अभी चूत में ही था, मगर छोटा हो गया था.
जब मैंने निकाला तो दीदी लंड चूमने लगीं.
वो आज लंड से मुहब्बत कर बैठी थीं.
फिर हम दोनों लेट कर बात करने लगे.
दीदी बोलीं- राज, मेरी चूचियों का साइज़ बढ़ रहा है. तुम रोज इनको मसलते हो न.
मैंने कहा- क्या करूं, ये तो मेरी जान हैं.
मैं चूची चूमने लगा.
दीदी बोलीं- चूची बढ़ेगी तो तुम्हारे जीजा को शक हो जाएगा.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, बोल दीजियेगा कि घर में ब्रा नहीं पहनती हूँ. बाहर कहीं जाना होता नहीं है.
उस रात मैंने दीदी को रुक रुक कर 4 बार चोदा. दो दो पैग और लगाए और चूत और चूची का बुरा हाल कर दिया था.
मैंने दीदी के शरीर का एक एक अंग आगे पीछे सब जगह से चूमता रहा.
मेरा लंड सुबह तक दुहाई मांगने लगा था कि छोड़ दो मुझे, चूत में मेरा दम घुटने लगा है.
सुबह मैं दीदी के घर से चला आया.
शाम को दीदी का फोन आया- राज, मैं चल नहीं पा रही हूं. तुमने रात भर में बहुत दर्द दिया है. दिन भर सोई रही.
मैंने कहा- कल सुबह आइए, दर्द ठीक कर दूंगा.
दीद हंस कर बोलीं- रहने दो … चूत सूज कर गुझिया हो गई है.
मैंने कहा- इस बार दही बड़ा बना दूंगा.
दीदी हंस कर बोलीं- राज सुनो ना.
मैं- हां बोलो.
दीदी- आई लव यू.
मैं- आई लव यू टू.
अब दीदी के साथ मेरी चुदाई वही सड़कों के किनारे, पेड़ के नीचे, कभी कुतिया बना कर हो रही है. बच्चों के कॉलेज खुलने का इंतजार है. तब दीदी की सही से चुदाई का मजा आएगा.