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Adultery अंजलि
#61
और मेरा साला पहले से वहां पर था और मेरी पत्नी और में सुबह से वहां पर चले गये, लेकिन दस बजे मेरी पत्नी ने मुझसे बोला कि आप दीपिका को लेकर आ जाओ. फिर में कार लेकर उसे लेने के लिए चला गया और जब में घर गया तो वो मेरा इंतजार कर रही थी. मैंने उसे कार में बैठने को कहा तो वो मुस्कुराकर बैठ गई.
फिर मैंने उससे बोला कि क्या हुआ आप क्यों इतने शरमाते हो? तो उसने बताया कि आप बहुत शरारती हो और हम बात करने लगे, लेकिन मैंने बातों ही बातों में बोल दिया कि वाह नई ब्रा का अच्छा अहसास आया है. तो वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम से चकित हो गई और उसने मुझसे पूछा कि आपको कैसे पता चला कि मैंने वही ब्रा का सेट पहना है? “
तो मैंने उसे बताया कि जब आप कार में बैठने के लिए थोड़ा झुकी तो वो मुझे दिखाई दिया और अब उसने मुझे मेरे हाथ पर हाथ मारकर बोला कि आप बहुत शरारती हो. फिर मैंने कहा कि वैसे आप इस साड़ी में बहुत सेक्सी लग रही हो, उसने मुझे धन्यवाद बोला.
लेकिन तभी मैंने बोला कि मुझे अफ़सोस है कि मैंने सारी चीज़ पसंद करवाई और आपने मुझे सबकी फिटिंग दिखाई, लेकिन मुझे अब तक इसकी फिटिंग देखने को नहीं मिली. मेरी यह बात सुनकर एकदम से शरमा गई और तब तक हम वहां पर पहुंच गये थे और उसके एक दिन बाद वो अपने घर यानि कि मेरे ससुर के घर चले गये.
और दूसरे दिन मैंने उसे कॉल किया कि आप अच्छी तरह से पहुंच तो गये ना? और में उसके बाद में उससे फोन पर अक्सर बात करने लगा. वो भी मुझे खुद ही कॉल करती थी और में उससे बहुत देर तक बात करता और एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझसे कहा कि क्यों आपको अपने ससुराल आना नहीं है?
तो मैंने बोला कि क्या करेंगे वहां पर आकर? तो वो बोली कि यहाँ पर बहुत कुछ करने का मौका मिल सकता है. फिर मैंने कहा कि लेकिन फिटिंग तो देखने को नहीं मिलेगी ना? तो उसने कहा कि आप एक बार आओ तो सही और फिर मैंने कहा कि ठीक है.
फिर एक महीने के बाद मुझे मेरे गावं जाना था तो मैंने सोचा कि ससुराल भी जाकर आता हूँ तो में मेरे ससुराल गया, लेकिन मैंने मेरे ससुर के घर पर किसी को नहीं बताया था कि में आने वाला हूँ. लेकिन हुआ यह कि में जब वहां पर गया तो सब लोग मेरी साली के लिए लड़का देखने के लिए गये हुए थे.
लेकिन सिर्फ़ मेरे साले की पत्नी दीपिका घर पर थी और वो मुझे देखकर एकदम से चकित हो गई और बहुत खुश भी हुई उसने मुझे बताया कि सब लोग बाहर लड़का देखने गये है और उसने उस दिन गुजराती स्टाईल की साड़ी पहनी हुई थी और उसमे वो बहुत सेक्सी लग रही थी और वो उस समय घर का कम कर रही थी.
फिर उसने मुझे पीने को पानी दिया और मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और थोड़ी उसके लिए भी लेकर आई और फिर हम बात करने लगे और चाय पीने लगे. तभी उसने मुझसे पूछा कि क्या खाना खाओगे? तो मैंने कहा कि तुम्हे जो भी अच्छा लगे बना लो और हम इस बात पर मस्ती, मजाक करने लगे कि तुम बताओ और वो बोल रही थी कि तुम बताओ?
और मस्ती मस्ती में मैंने कब उसका हाथ पकड़ लिया मुझे पता ही नहीं चला और उसको अपनी तरफ खींच लिया और हम मस्ती करने लगे, और इस बीच अचानक से मैंने मेरे होंठ उसके होंठो पर रख दिए कि उसे पता भी नहीं चलने दिया और करीब हमारी वो पहली किस पांच मिनट तक चली और फिर कुछ देर के बाद में वो मुझसे छूटकर बोली कि में खाना बनाने जा रही हूँ.
यह बोलकर वो किचन में चली गई और अब वो खाना बनाने लगी. फिर करीब तीस मिनट बाद जब में किचन में गया तो मैंने देखा कि वो भजिया बना रही थी. और फिर मैंने उसे पीछे से जकड़कर पकड़ लिया और अब में उसके बालों को एक साइड करके उस जगह पर किस करने लगा. ये कहानी आप हमारी वासना डॉट नेट पर पढ़ रहे है.
कुछ देर बाद के में गैस बंद करके उसको मैंने मेरी गोद में उठाकर सीधा रूम में लेकर आ गया. और मैंने उसे हाथ भी साफ करने नहीं दिये क्योंकि उस दिन वो गुजराती स्टाइल साड़ी में इतनी सेक्सी लग रही थी कि मुझसे रहा नहीं गया और फिर में उसे किस करने लगा और साथ में उसके ब्लाउज पर हाथ घुमाने लगा.
और अब धीरे धीरे करके मैंने उसके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिये, लेकिन मैंने जब बटन खोला तो मुझे पता चला कि उसने आज भी वही ब्रा, पेंटी पहनी हुई थी. कुछ देर के बाद में मैंने उसकी साड़ी को भी उतार दिया और वो अब सिर्फ़ चोली और ब्रा में थी.
मैंने मेरी शर्ट को भी उतार दिया और अब तो वो भी मुझे हर जगह पर किस किए जा रही थी और मैंने उसकी ब्रा को भी उतार दिया. जब मैंने उसकी ब्रा को उतारा तो में उसके बूब्स को देखकर एकदम से चकित हो गया, क्योंकि इतने सेक्सी बड़े बड़े एकदम गोल बूब्स मैंने कभी नहीं देखे थे.
अब में तो बस उसको मुहं मे लेकर चूसने लगा और करीब में उसके बूब्स को बीस मिनट तक चूसता रहा और किस करता रहा. उसके बाद मैंने उसकी चोली का नाड़ा खोल दिया और पेंटी को भी उतार दिया. में उसे बस किस करते करते उसकी चूत तक पहुंच गया और उसकी चूत को में बहुत अच्छी तरह से चूसने लगा.
वो पागल होती जा रही थी और बार बार मुहं में से आआहह उूउऊहहह्ह्ह्हह उफफ्फ्फ्फ़ माँ मरी जैसी आवाज़ निकाल रही थी. और करीब दस मिनट के बाद उसने मेरे मुहं को ज़ोर से पकड़कर अपनी चूत के मुहं पर दबा दिया, शायद वो अब झड़ गई थी उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के पास में सो गये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#62
लेकिन मुझे उससे कुछ कहना नहीं पड़ा और अब उसने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और वो मेरा लंड देखकर चकित हो गई और उसे अपने एक हाथ से सहलाने और हिलाने लगी. लेकिन बीच में उसने मुझसे पूछा कि चूत चूसने में कैसे लगा? मैंने कहा कि मुझे बहुत मज़ा आया तो उसने बोला कि मुझे भी बहुत मज़ा आया, लेकिन में बहुत सोच में हूँ कि में आपका यह मुहं में लूँ या नहीं? और यह कैसे लगेगा?
तो मैंने कहा कि तुम एक बार कोशिश करो, अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगे तो बाहर निकाल देना. फिर वो उसे अब सहलाते सहलाते हुये धीरे धीरे करके मुहं में लेने लगी और फिर थोड़ी देर में क्या हुआ? कि वो पागल की तरह मेरा लंड चूसने लगी जैसे कि उसको पहली बार लोलीपोप मिला हो और अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. “करीब 15 मिनट के बाद में भी उसके मुहं में झड़ गया, लेकिन उसने बाथरूम में जाकर अपने मुहं से सारा वीर्य बाहर निकालकर साफ करके चली आई और उसके बाद उसने खाना बनाया और हमने खाना खाया. फिर हमने जो मॉल से खरीदी हुई फिटिंग वाली ड्रेस और ब्रा का दूसरा सेट था वो उसे पहनकर तैयार हो गई.
लेकिन मैंने इस बार कुछ नहीं देखा, क्योंकि में सेक्स करने के लिए बहुत उतावला हो रहा था. बस मैंने जल्दी से उसके और मेरे सारे कपड़े उतार दिए और उसको किस करने लगा और बूब्स चूसने लगा. उसने मेरे लंड को हिलाकर एकदम टाईट कर दिया. “
फिर मैंने उसके दोनों पैरों को पकड़ कर चौड़ा किया और मेरा लंड उसकी चूत पर रखकर एक ज़ोर का झटका दिया. जिससे मेरा लंड थोड़ा सा अंदर चल गया और फिर चार पांच झटको में मैंने मेरा पूरा लंड लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसको धक्के देकर चोदने लगा और वो भी मेरे साथ साथ अपनी चुदाई के मज़े लेने लगी. और एक बार झड़ जाने के बाद मेरा दूसरा चुदाई का दौर बहुत लंबा चलता रहा.
फिर हमने डॉगी स्टाईल में भी सेक्स किया. पहले तो वो मुझसे डॉगी स्टाइल में चुदाई करने से मना कर रही थी. लेकिन मेरे समझाने के बाद में वो ठीक तरह से कुतिया की तरह मेरा साथ देने लगी थी और में बस उसको ज़ोर ज़ोर से झटके दिए जा रहा था. “

लेकिन अब वो डॉगी स्टाइल में बहुत देर चुदने की वजह से बहुत थक गई थी, लेकिन में अब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था, लेकिन में भी तो अभी तक नहीं झड़ा था. फिर कुछ देर के बाद में मैंने मेरे शॉट के साथ उसे मेरे ऊपर आने को कहा और वो मेरे ऊपर आ गई.
मैंने मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में एक ही झटके के साथ डाल दिया और वो एकदम से बहुत ज़ोर से चिल्ला उठी ऊऊईईईईईईईईई माँ मममाआआआआअ मर गई में उह्ह्ह्ह प्लीज धीरे करो ओह्ह्ह्हह्ह थोड़ा धीरे आईईइईईईइ माँ प्लीज मुझ पर थोड़ा रहम करो.
दोस्तों इस बार वो पहली बार इतनी ज़ोर से चीखी थी. तब मुझे पता चला कि वो चुदाई करवाने में कितनी ताकतवर है और बस उसके बाद तो में उसको ऊपर से हिलाने लगा. इस चुदाई में उसे भी बहुत मज़ा आ रहा था.
क्योंकि ऐसे ऊपर वो पहली बार आई थी और हम दोनों के चिल्लाने की आवाज पूरे रूम को फेलने लगी. और फिर वो तो बस आह्ह्ह्हहअहह ऊह्हहह आआआआआआअहह बस और ज़ोर से चोदो मुझे हाँ और ज़ोर से कर रही थी, लेकिन में अब भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था क्योंकि मुझे दूसरी बार झड़ने में बहुत समय लगता है और फिर उसके बाद मैंने उसे वापस नीचे किया और में उसके ऊपर आकर इस बार बहुत ज़ोर से धक्के देने लगा और वो भी बहुत अच्छी तरह से मेरा साथ दे रही थी.
अब मेरी और उसकी साँसे तेज हो गई थी और पूरा रूम हमारी आवाज़ से गूँज रहा था. बस उसके बाद करीब 20 या 25 मिनट के बाद में झड़ गया और तब तक वो दो बार झड़ चुकी थी. मैंने मेरा सारा पानी उसकी चूत में निकाल दिया और बस हम ऐसे ही करीब एक घंटे तक लेटे रहे. फिर करीब एक घंटे के बाद हम साथ में नहाए और बहुत मज़े किए. फिर उसके थोड़ी देर बाद सारे घरवाले भी आ गये. दोस्तों में आज भी उसको चोदता हूँ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#63





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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#64
Nice story
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#65
बुआ एक बार फिर फफक पड़ी। मैंने अपने होंठों से बुआ की गालों पर आये आँसूओं को पीते हुए अपने होंठ बुआ के होंठों पर रख दिए। फिर तो एक प्यासी औरत और एक जवान लड़का दीन-दुनिया को भूल कर एक दूसरे में समाते चले गए। कब कपड़ों ने हम दोनों के शरीर को छोड़ दिया पता ही नहीं चला। कुछ देर के बाद ही हम दोनों बिलकुल नंगे एक दूसरे की बाहों में समाये हुए थे। फिर चूमा-चाटी का ऐसा दौर चला कि थोड़ी देर बाद ही मेरा लंड बुआ के मुँह में था और मेरा मुँह बुआ की चूत पर। लंड पूरा तन चुका था। मैंने बुआ को सीधा लेटाया और अपना मोटा लंड बुआ के गीली चूत पर रख दिया।
बुआ, जिसकी प्यास अब बुझने वाली थी, अपने चूतड़ एक दम से ऊपर उछाल कर मेरे लंड का स्वागत किया। जवाब में मैंने भी एक जोरदार धक्का लगा दिया। बुआ थोड़ी कसमसाई पर बोली कुछ नहीं क्यूंकि प्यासी तो वो भी थी। चूत बहुत तंग थी लंड पूरा फंस-फंस कर जा रहा था। मैंने धीरे धीरे पूरा लंड बुआ की चूत में घुसा दिया। फिर शुरू हुआ हल्के-हल्के धक्कों का दौर और फिर धीरे धीरे गति बढ़ती चली गई। बुआ चूत में होने वाले घर्षण से मस्त उठी और गांड उछाल-उछाल कर लंड अंदर लेने लगी। मस्त चुदाई हो रही थी। आधे घंटे के जबरदस्त चुदाई के दौरान बुआ तीन बार झड़ गई थी। फिर मैंने भी अपना सारा माल बुआ की मस्त चूत में डाल दिया।
फूफा पांच बजे के बाद आने वाले थे और घर पर और कोई काम भी नहीं था तो हम दोनों ने समय का पूरा मजा लिया और तीन बार चुदाई की। उस दिन के बाद से बुआ मेरी बीवी की तरह से रहने लगी थी। दिन में रात में जब भी दिल करता हम एक दूसरे में समां जाते। आज बुआ का एक बेटा भी है। मेरे समझाने के बाद अब तो फूफा भी बुआ में रुचि लेने लगे है। अब दिन में मैं और रात में फूफा जी बुआ की मस्त चुदाई करते है बुआ अब पहले से ज्यादा मस्त हो गई है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#66
दूर के रिश्ते में दीदी को खुल कर चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#67
दीदी स्कूटी का सहारा लेकर घोड़ी बन गई थीं और मैं दीदी के कंधे पकड़ कर इतनी गन्दी तरह से उनकी चूत चोदने लगा था कि वो अपना सिर ऊपर करके बस मादक सिसकारियां ले रही थीं.

बीस मिनट चूत चोदने के बाद मैं दीदी की चूत में ही स्खलित हो गया.
दीदी मेरा लंड लेकर एकदम खुश हो गई थीं.

अब आगे फ्री सेक्स इन ओपन:

दीदी की चुदाई के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े सही किए और वहां से सड़क पर आ गए.
मैं उन्हें गाड़ी सिखाते हुए उनकी चूची दबाने लगा.

मैंने दीदी की गर्दन पर चूमा लेते हुए पूछा- मज़ा आया?
दीदी बोलीं- हां बहुत … तुम बहुत ताकत से कर रहे थे, मजा तो बहुत आया … पर मुझे ये सब खुल कर करना है.

मैंने कहा- खुल कर कैसे?
दीदी- अरे कमरे में पूरी तरह से बिंदास होकर … मुझे चोदते हुए तुम मेरी चूची पियो, मेरे बदन को काटो, ऐसा वाला सेक्स करना है. मैं पूरी नंगी होकर बिस्तर पर तुम्हारे साथ चुदाई का मजा लेना चाहती हूँ. ऐसे थोड़ी सी जगह में मजा नहीं आता.

मैंने कहा- ठीक है, घर में कोई जुगाड़ लगाइए. उधर आपकी चुदाई का खेल खेलेंगे.
वो जरा उदास होकर बोलीं- कैसे जुगाड़ लगाऊं … बच्चे हमेशा घर में ही रहते हैं.

मैंने कहा- चिंता मत करो … मौक़ा मिलेगा.
वो बोलीं- हां ये तो है.

उस दिन दीदी को घर छोड़ कर आ गया.

उसके बाद से हम दोनों का ऐसे ही चलता रहा.
रोज सुबह मॉर्निंग वॉक के बहाने मैं उनको चोद देता.
कभी पेड़ के नीचे, कभी कहीं दुकान के बेसमेंट में, कभी खड़े खड़े चुदाई चल ही रही थी.[Image: 66697544_013_358f.jpg]

एक दिन मैंने दीदी से कहा- मुर्गे वाला प्रोग्राम बनाइए और उस रात को मैं आपके घर ही रुक जाऊंगा.
दीदी बोलीं- ठीक है.

दीदी ने दो दिन बाद मेरी मम्मी को फोन करके कहा- मैं घर पर चिकन बना रही हूं, सब लोगों को आना है.
मम्मी ने कह दिया- राज ही आ जाएगा, हम सब नहीं आ पाएंगे.
दीदी ने अपनी ख़ुशी दबाते हुए कह दिया- ठीक है.

उस शाम को मैं दीदी के घर चला गया.[Image: 66697544_007_fa5a.jpg]
मुझे रात भर दीदी को चोदना था तो मैंने देर तक चोदने वाली गोली खा लीं और एक ताकत की भी ले ली.

दीदी के घर पहुंचा तो आवाज लगाई. दीदी ने गेट खोला. वो काफी खुश दिख रही थीं.

हम दोनों लॉबी में चले आए.
बच्चे भी आ गए. बच्चों ने मेरा फोन ले लिया और लॉबी में ही गेम खेलने लगे.

मैं दीदी को इशारे करने लगा, वो मुस्कुरा रही थीं.
उन्होंने हाथ से मुँह में केला लेकर चूसते हुए लंड काटने का इशारा किया.
मैंने लंड की तरफ इशारा कर दिया.

उन्होंने दांत से कच्च करके काट खाने का इशारा कर दिया.
मैं हंस दिया.[Image: 20998099_145_512c.jpg]

दीदी ने भी एक बार झुक कर अपने खरबूजे दिखाए और जल्दी से सिनेमा बंद कर दिया.
मैंने एक बार फिर से दिखाने का कहा.
तो दीदी ने साउथ की हीरोइन की तरह अपनी मैक्सी जांघों तक उठा कर अपनी टांगें दिखाईं और मुझे गर्म करने लगीं.

फिर मैक्सी की चैन भी थोड़ा खोल कर क्लीवेज दिखाने लगीं.
कुछ देर में खाने का समय हो गया.
[Image: 20998099_034_68a3.jpg]
मैंने दीदी से कहा- एक बार मम्मी को बोल दीजिए कि टाइम लगेगा, मैं रात में यहीं रुक जाऊंगा.
दीदी ने मम्मी को फोन कर दिया.
मम्मी ने कहा- ठीक है.

दीदी अपने बेटे और बेटी से बोलीं- चलो छत पर चलते हैं. वहीं चिकन बनाएंगे. तुम दोनों वहीं छत पर खेलते रहना.
दोनों बच्चों ने मना कर दिया.

दीदी की बेटी बोली- मैं अपनी रोटी बनाने जा रही हूँ. नीचे ही खा लूंगी. मुझे चिकन नहीं खाना है.
बेटा बोला- मैं भी यहीं हूं, मोबाइल में गेम खेलूंगा. दीदी के साथ ही खा लूंगा.

दीदी मुझसे बोलीं- राज चलो.
और दीदी मुर्गा और बाकी का सामान लेकर चल दीं.[Image: 20998099_024_3a07.jpg]
कुछ सामान मेरे हाथ में भी था, नहीं तो मैं दीदी की गांड में फिंगर करने की सोच रहा था.

छत पर सामान रखने के बाद दीदी ने कहा- राज, अब जल्दी से सामान रेडी करो. मैं मुर्गा तैयार करती हूं.
कुछ देर में मुर्गा मसाला आदि सब रेडी हो गया.

दीदी गांड झुका कर मसाला भूनने लगीं मैंने अपनी एक उंगली दीदी की गांड में पेल दी.
अब फ्री सेक्स इन ओपन का मौक़ा मिला था.

दीदी चिहुंक गईं- उई मम्मी.
मैं जोर से हंस पड़ा.[Image: 37987994_086_12ae.jpg]

दीदी बोलीं- साले, मैं कलछी मार दूंगी.
मैंने कहा- लंड लेना है न?
दीदी ने वासना से कहा- हां.

मैंने झट से छत के दरवाजे की कुण्डी लगा दी.

दीदी समझ गईं.
वो गैस स्लो करके दरी पर लेट गईं और उन्होंने अपनी बांहें फैला दीं.
मैं उनकी टांगों के बीच से आकर उनके ऊपर चढ़ गया.

सबसे पहले मैंने उनके माथे को चूमा, फिर आंखों को, गाल को, होंठ और गर्दन को चूमा.

दीदी खुश होती हुई बोलीं- आज ये सब करके मुझे बेहद मजा आ रहा है. नहीं तो तुम सीधे मेरे दूध पीने के लिए बावले हो जाते ही.
मैं हंसकर उनके होंठों को चूसने लगा.
[Image: 37987994_032_49a8.jpg]
वो भी इत्मीनान से साथ मेरा देने लगीं.
धीरे धीरे दीदी ने अपनी मैक्सी कमर तक सरका ली और बोलीं- चूत में डाल कर प्यार करो.

मैंने अपना पजामा और कच्छा सरका दिया और खड़ा लंड दीदी की चूत में डाल दिया.

दीदी ने लंड लेते ही आह भरी और गांड उठा कर लंड का मजा लेने लगीं.
मैं मस्ती से चूत में धक्का देने लगा.

हर झटके पर दीदी उन्ह आंह कर रही थीं.

मैंने एक दूध चूसते हुए पूछा- जीजा जी इतने दिन थे कि क्या आपने उनका नहीं लिया?
दीदी बोलीं- अभी उनकी बात नहीं करो. तुम बस मजा दो और लो. लो अब इस वाली को चूसो.

दीदी ने अपनी दूसरी चूची मेरे मुँह में दे दी.
मैं दीदी के दूध और निप्पल काटते हुए उन्हें हौले हौले चोदने लगा.

दीदी बोलीं- एक बार चिकन देख लो, कहीं ज्यादा न पक जाए.
मैंने उठकर चिकन देखा और फिर से आ गया.

मैंने दीदी की चूत में फिर से लंड डाल दिया.
दीदी बोलीं- तुम अपने कपड़े उतार दो, आज तक नंगा होकर नहीं चोदा.

मैंने हामी भर दी और कपड़े हटा दिए.
दीदी मेरी छाती पर हाथ फेरने लगीं. वो बोलीं- क्या मर्दाना छाती है तेरी.

मैं दीदी को चूमते हुए उनकी चूत में धक्के मारने लगा.
वो मेरी छाती चूम कर मेरे सीने की दोनों घुंडियों को चुभलाती हुई मजा दे रही थीं.

अब मेरा घुटने में जलन होने लगी थी. दरी पर कुछ दर्द सा होने लगा था.
मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचों पर रख दिए और चूचे मसलते हुए जोर जोर से चोदने लगा.

कुछ मिनट बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया.

उन्होंने मेरे माथे का पसीना पौंछा और लंड निकाल कर बैठ गईं.

कुछ देर बाद चिकन भी तैयार हो गया था.
दीदी मुझसे बात करने लगीं.

फिर दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा बहुत मोटे हो गए हैं ना … वो अब मेरी अच्छे से नहीं कर पाते हैं. मैं उनका वजन नहीं झेल पाती हूं. इस बार लॉकडाउन में पांच महीने घर पर रहे. लेकिन 15-16 बार ही किया. डालते ही झड़ जाते थे और मैं गर्म रह जाती थी. उस वक्त मैं तुमको याद करती थी कि कब तुम मेरे ऊपर आओगे.

मैंने कहा- अब आ गया हूं, तो सारी गर्मी शांत कर दूंगा.

दीदी बोलीं- मैं भी जब तक तुम्हारी सेवा कर सकती हूं, करूंगी. अब बच्चे भी बड़े हो रहे हैं, तो संभल कर करना पड़ता है.
मैंने कहा- हां ये तो है.

दीदी कुछ भरे गले से बोलीं- तुम मेरे अलावा किसी और को नहीं देखोगे, भले शादी के बाद अपनी बीवी से कर लेना, पर अभी मुझे ही अपनी बीवी समझो. तुम्हारा मुझ पर पूरा हक है.
वे भावुक हो गई थीं.
मैंने कहा- जैसा आप चाहती हैं, वैसा ही होगा.

दोस्तो, दीदी ये बात इसलिए कह रही थीं क्योंकि मैं चढ़ती जवानी पर था और उनकी जवानी ढलान पर थी.

फिर भी मेरा ख्याल था कि अभी लगभग दस साल तक उनकी चूत चुदने लायक रहेगी.

अब हम दोनों चिकन खाने की व्यवस्था में लग गए.

मैंने बैग से बोतल निकाली और दीदी से कहा- लोगी?
दीदी ने कहा- एकाध पैग ले लूंगी.

हम दोनों ने दो दो पैग खींचे और चिकन पर हाथ साफ किया.
अब तक 10 बज गए थे.

तभी मम्मी का फोन आया कि घर आओगे क्या?
मैंने मना कर दिया.
मम्मी बोलीं- ठीक है.

फिर खाना खाने के बाद हम लोग नीचे चले गए.
दीदी ने दो ग्लास दूध गर्म किया और दोनों बच्चों को दे दिया.

दोनों बच्चे टीवी देखने लगे.
दीदी मेरे साथ बैठ गईं.

मैंने कहा- बच्चे कब तक सोएंगे?
दीदी बोली- सो जाएंगे अभी!

मैंने कहा- आज आप कराहने वाली हैं.
दीदी बोलीं- वो तो तुम्हारी ताकत और हथियार देख कर लगता है. मैं हर दर्द के लिए तैयार हूं.

दीदी मेरे कंधे पर सिर रखकर बोलीं- मुझे प्यार हो गया है तुमसे, तुम्हारा नहीं पता.
मैंने कहा- मुझे भी हो गया है. मर्द अपनी पूरी चाहत नहीं दिखा पाता.

दीदी बोलीं- मैंने कभी गलत कदम नहीं उठाया, ये मत सोचना कि मैं ऐसी वैसी हूं.
वो शायद नशे में आ गई थीं.

मैंने कहा- अरे नहीं यार.
फिर दीदी अपना हाथ मेरे लंड पर ले आईं और मसलती हुई बोलीं- आज इसको मैं तबाह कर दूंगी.

मैंने कहा- ऐसा क्या!
वो बोलीं- हां, आज तुमको अपने प्यार की गहराई दिखाऊंगी.

मैंने कहा- जिसने सब कुछ सौंप दिया, अब उसकी गहराई क्या देखना!
वो बोलीं- हां ये तो है.

मैंने कहा- देखो, बच्चे सो गए क्या?
दीदी बोलीं- देख कर आती हूं.

हम दोनों ये लॉबी में ही करने वाले थे क्यूंकि बेडरूम में बच्चे सोते हैं.
लॉबी एक तरह से गेस्ट रूम है. दीदी का घर ज्यादा बड़ा नहीं है. लॉबी में सोफ़ा और एक बेड पड़ा है.

मेरे ऊपर दवा असर कर रही थी. लंड अपने आकार में आ गया था.
दीदी आईं और बोलीं- बच्चे बस सोने वाले हैं, पर आएंगे नहीं. मैं गेट भिड़ा के आईं हूं और हमारे रूम का पर्दा लगा दिया है.

मैंने दीदी को बांहों में भर लिया. उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन में डाल दिए.

मैं उनकी कमर पर हाथ रखकर डांस करने लगा, वो भी साथ देने लगीं.
मेरी छाती से चूची, लंड से चूत, कमर से कमर चिपकी पड़ी थी.

दीदी बोलीं- तुम तो बड़े रोमांटिक हो. मैंने तो सोचा था कि तेरे अन्दर बस एक जंगली मर्द है.
मैं उनकी गांड दबाने लगा. वो मेरे सीने पर सिर रखकर बात करती रहीं और डांस करती रहीं.

मैंने कहा- आज सब सुकून से हो रहा है … मुझे कोई जल्दी नहीं है.
दीदी हूँ बोलीं.

मैंने बोला- आज मुझे आपको ब्रा और पैंटी में देखना है.
दीदी बोलीं- अभी आती हूं.
[Image: 37987994_022_76ab.jpg]
मेरे होंठ पर चुम्मा देकर वो अपने बेडरूम से ब्रा पैंटी ले आईं.
बच्चे सो गए थे.

मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी.
दीदी ने मैक्सी को उतार दिया. उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं.

चूत से सफ़ेद पानी आ रहा था. लाल ब्रा और काली पैंटी थी.
दीदी ने पैंटी पहन ली और चूची दिखाती हुई बोलीं- पहले इनको प्यार कर दो.

वो एकदम मासूम बन गई थीं. कह कह कर प्यार करवा रही थीं. एकदम जैसे बीवी हों. उनको प्यार की सख्त जरूरत थी.

मैंने दोनों निप्पलों को चुम्मा दिया.[Image: 37987994_027_5663.jpg]

फिर दीदी ब्रा डाल कर पीछे मुड़ गईं और बोलीं- हुक लगाओ.
मैंने हुक लगाकर अपनी तरफ मोड़ा.

हाय क्या मस्त लग रही थीं. एकदम मस्त रांड सी … थोड़ी सी तोंद निकली थी.

लुगाई की तोंद का मज़ा तब आता है, जब उसे चोदो और वो हिले.

वो कामुक होकर बोलीं- अब उतार रही हूँ … तुम चूसो इनको.
मैं सोफे पर बैठ कर उनको अपनी गोद में लेकर चूमने लगा.
ब्रा को खोले बिना, ऊपर करके चूची पीने लगा.

वो अपनी चूत लंड पर रगड़ने लगीं, बोलीं- एक बार गोद में बैठाकर करो.
उनको बस लंड चूत में चाहिए था.

मैंने कहा- चूत चाटने के बाद.[Image: 37987994_048_8381.jpg]
मैं सोफे पर लेट गया और कहा- मैं चूत चाटता हूं, आप लंड चूसिए.

ऐसे ही हुआ. गर्म गर्म जीभ का स्पर्श और मुँह में लंड देने से मुझे किसी और दुनिया में ले आया था.

वो अपनी गांड हिला हिला कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं.

दीदी के बाल बिखरे हुए थे, आंखें वासना से लबरेज थीं.
मैंने उनको लिटा दिया और लंड चूत में डाल दिया.

अब मैं दीदी की चूत पेलने लगा.
मैं इतनी जोर जोर से धक्का मारने लगा था कि दीदी कराहने लगीं, चीखने लगीं.
उन्होंने मुँह में चादर डाल ली कि आवाज बाहर ना जाए.

मैंने दौड़ कर दरवाज़ा बंद किया और फिर से लंड पेल कर चोदना शुरू कर दिया.
पट पट, सिसकारियां और बस तेज सांसें चल रही थीं.

दीदी की टांगें आसमान में लहरा रही थीं. चूचियां डोल रही थीं, पेट हिल रहा था.
मैं दीदी की चूचियां भींच भींच कर चूत चोद रहा था.

फिर मैंने एक नया तरीका इजाद कर दिया.
मैं खड़ा हो गया और दीदी के दोनों पैर अपनी जांघों पर टिकवा दिए.
दीदी मेरी गर्दन पकड़ कर मेरी गोद में आ गईं. मैंने उनकी गांड से उनको पकड़ लिया.

अब वो भी धक्का मारने लगीं. पूरा लंड चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
पसीने के कारण दीदी फिसलने लगीं.

फिर मैं लेट गया और वो लंड पर बैठ कर अपना कमाल दिखाने लगीं.
यही सुख जीजा नहीं दे पा रहे थे.

दीदी लंड पर उछल उछल कर मजा ले रही थीं.
मैं भी बहन चोद कर मस्त था.

कुछ देर के बाद दीदी ने चूत से फुहार फैंक दी और निढाल मेरे ऊपर गिर गईं.

मैं नीचे से धक्का मारने लगा.
पच पच …

उनकी चूत का पानी मेरी गांड तक आ गया. मैं भी स्खलित हो गया.
दीदी हांफ रही थीं और मुझे बेशुमार पप्पियां देने लगी थीं.

मेरा लंड अभी चूत में ही था, मगर छोटा हो गया था.
जब मैंने निकाला तो दीदी लंड चूमने लगीं.
वो आज लंड से मुहब्बत कर बैठी थीं.

फिर हम दोनों लेट कर बात करने लगे.
दीदी बोलीं- राज, मेरी चूचियों का साइज़ बढ़ रहा है. तुम रोज इनको मसलते हो न.

मैंने कहा- क्या करूं, ये तो मेरी जान हैं.
मैं चूची चूमने लगा.

दीदी बोलीं- चूची बढ़ेगी तो तुम्हारे जीजा को शक हो जाएगा.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, बोल दीजियेगा कि घर में ब्रा नहीं पहनती हूँ. बाहर कहीं जाना होता नहीं है.

उस रात मैंने दीदी को रुक रुक कर 4 बार चोदा. दो दो पैग और लगाए और चूत और चूची का बुरा हाल कर दिया था.
मैंने दीदी के शरीर का एक एक अंग आगे पीछे सब जगह से चूमता रहा.

मेरा लंड सुबह तक दुहाई मांगने लगा था कि छोड़ दो मुझे, चूत में मेरा दम घुटने लगा है.

सुबह मैं दीदी के घर से चला आया.
शाम को दीदी का फोन आया- राज, मैं चल नहीं पा रही हूं. तुमने रात भर में बहुत दर्द दिया है. दिन भर सोई रही.

मैंने कहा- कल सुबह आइए, दर्द ठीक कर दूंगा.
दीद हंस कर बोलीं- रहने दो … चूत सूज कर गुझिया हो गई है.

मैंने कहा- इस बार दही बड़ा बना दूंगा.
दीदी हंस कर बोलीं- राज सुनो ना.
मैं- हां बोलो.

दीदी- आई लव यू.
मैं- आई लव यू टू.

अब दीदी के साथ मेरी चुदाई वही सड़कों के किनारे, पेड़ के नीचे, कभी कुतिया बना कर हो रही है. बच्चों के कॉलेज खुलने का इंतजार है. तब दीदी की सही से चुदाई का मजा आएगा.
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#68
2
मेरे उनके घर जाते ही बच्चों ने मेरा फोन ले लिया. दीदी और मैंने एक दूसरे को कातिल मुस्कान दे दी.
मैं दीदी के पास गया और धीरे से कहा- लेग पीस खिलाएंगी क्या?
मैं हंसने लगा, वो होंठों पर उंगली रखती हुई बोलीं- शश … चुप.
मैंने कहा- चिकन कहां है?
वो बोलीं- छत पर.
वो नानवेज अपने किचन में नहीं बनाती थीं. छत पर ही बनाती थीं. बाकी नीचे किचन में रोटी वगैरह.
दीदी और मैं छत पर चले गए, उन्होंने अपनी लड़की को रोटी बनाने को बोल दिया और लड़का मेरे फोन पर गेम खेलने लगा.
हम दोनों छत पर चले गए.
अब 7.30 बज चुके थे, अंधेरा हो गया था.
दीदी ने छत पर पहुंचते ही मुझे पलट कर जोर से गले से लगा लिया.
मैंने भी वही किया.
फिर उनसे अलग होकर छत का मुयायना करने के बाद उनको दीवार से लगा दिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा, चूची दबाने लगा.
दीदी ‘आह आह उं …’ करने लगीं. मेरी कमर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत मेरे लंड पर ऊपर से रगड़ने लगीं.
मैंने भी लंड चुत से रगड़ा और उनके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
एक मिनट बाद दीदी चुदासी आवाज में बोलीं- अब छोड़, काम करने दे. मैं यहीं तो हूं.
मैंने छोड़ दिया और कहा- जरा अपनी चूची दिखाओ दीदी.
दीदी बोलीं- पहले चिकन चूल्हे पर चढ़ा लेने दो … फिर अपने चूल्हे की आग बुझवाती हूं.
मैंने तुरंत निक्कर खोल कर अपना लंड उनके हाथ में दे दिया.
लंड पकड़ते ही उनकी आंखें बंद हो गईं.
उन्होंने छत पर एक चटाई बिछा रखी थी. मैं उसी पर बैठ कर लंड सहलाने लगा.
मैंने कहा- छत की लाइट बंद कर दीजिए. [Image: 54444370_093_01e1.jpg]
दीदी ने लाइट बन्द कर दी और झुक कर प्याज़, मसाला वगैरह भूनने लगीं.
मैंने पीछे से लंड उनकी गांड के दरार में फंसा दिया. मैं उनके कूल्हे पकड़ कर चूत से गांड तक लंड रगड़ रहा था. मैंने थोड़ा झुक कर एक चूची को पकड़ लिया.
दीदी पलटा दिखाती हुई बोलीं- हट जा … मैं मार दूंगी.
मगर मुझे चूत का भूत सवार हो गया था; मैंने उनकी मैक्सी को कमर पर चढ़ा दिया और चूत पर दो उंगली फिरा दीं.
दीदी की चुत एकदम गीली पानी पानी हो चुकी थी.
दीदी- रुको ना, अभी दे रही हूं, जाओ पहले जीने का दरवाज़ा बन्द करके आओ … बच्चे ना आ जाएं!
मैं दरवाज़ा बंद करके आ गया और चटाई पर बैठ गया. दीदी चिकन कुकर में डाल कर आ गईं.
वो पास में बैठ गईं … तो मैं अपना हाथ सीधे उनकी चूची पर ले गया और क्लॉक वाइज एंटी क्लॉक वाइज चूची को घुमाने लगा.[Image: 54444370_106_5921.jpg]
उनकी चूची को मैंने मैक्सी से ऊपर से बाहर निकाल दिया और उनको चटाई पर लिटा कर चूची पीने लगा.
दोनों चूचियों को एक साथ सटा कर मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने की कोशिश कर रहा था और लंड उनकी चूत पर रगड़ रहा था.[Image: 54444370_115_a704.jpg]
दीदी टांगें मोड़ कर लेटी हुई थीं. मैं उनकी टांगों के बीच में था.
मैं उनके होंठों पर, गर्दन पर खूब चुम्मा लेता रहा … नीचे से वो कमर हिला हिला कर लंड का स्वाद ले रही थीं.
मैंने अभी निक्कर पहन ही रखा था.
दीदी बोलीं- रुको मैं एक बार चिकन चला दूं, नहीं तो जल जाएगा.
मैंने कहा- जल जाने दीजिए … कौन सा भोसड़ी वाला जिन्दा हो जाएगा.
वो हंसने लगीं.
मैं- दीदी, मैक्सी उतार दीजिए.
वो बोलीं- नहीं, ऐसे ही रहने दो.
मैं खड़ा हो गया.
मेरा लंड तम्बू में बम्बू की तरह अकड़ा हुआ था.[Image: 54444370_049_7139.jpg]
दीदी ने हाथों से निक्कर के ऊपर से ही लंड को दबाया और मुँह में लेकर दांतों से पकड़ने लगीं.
फिर उन्होंने मेरी निक्कर नीचे खींच दी, तो लंड एकदम उनके मुँह पर जाकर लगा.
अंधेरा होने के कारण कोई डर नहीं था. हमारे बीच बातें कम, काम ज्यादा हो रहा था.
दीदी ने मेरा लंड पकड़ कर अपने पूरे चेहरे पर फेरा, फिर मेरे लंड का टोपा होंठ गोल करके अपने मुँह में ले लिया.
अभी दीदी ने पूरा लंड मुँह में नहीं लिया था, वो अपनी जीभ लंड के टोपे पर चारों ओर फेरने लगी थीं.
मैं उनका सिर पकड़ कर खड़ा रहा और जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने पूरा लंड गच्च से उनके मुँह में पेल दिया.
उनके बाल पकड़ कर लंड पेलने लगा.
दीदी भी गों गों करके लंड गले तक लेने लगीं.[Image: 54444370_078_9091.jpg]
कुछ ही देर में मेरी टांगें कांपने लगी थीं.
फिर जब मुझसे नहीं रहा गया, तो मैं लेट गया और दीदी लंड चूसने लगीं.
मैं झड़ने को हुआ तो दीदी ने अपनी मैक्सी लंड पर लगा दी ताकि वीर्य छत के फर्श पर ना गिरे या चटाई पर … क्योंकि चटाई पर दाग पड़ जाते, तो उसे धोना मुश्किल था.
दीदी ने लंड का माल अपनी मैक्सी से पौंछ दिया.[Image: 54444370_082_531d.jpg]


[Image: 54444370_040_691c.jpg]
फिर मैं उनकी चूची पीने लगा, चूचुकों को काटने लगा.
दीदी बस अपने कंठ से कामुक आवाज़ें निकाल रही थीं.
उधर कुकर की सीटी बजने लगी थी और चिकन पकने वाला था. इधर लंड खड़ा हुआ था और दीदी अपनी मैक्सी कमर तक करके लेट गई थीं.
मैंने घुटनों के बल बैठ कर दीदी की चूत में उंगली डाल दी.
उंगली घुसेड़ते ही ऐसा लगा कि चूत में पानी है या पानी में चूत है.
मैं उनकी चूत के छल्ले को रगड़ने लगा तो दीदी की मादक आह निकल गई.
उसी पल उन्होंने झट से उठकर मुझे गर्दन से पकड़ लिया और चूमने लगीं.
दीदी हद से ज्यादा चुदासी हो गई थीं.
वो कहने लगीं- आंह अब अन्दर डाल दो.
मैं दीदी की जांघ को चूमने लगा, जीभ से चाटने लगा.
दीदी ‘आह आह उम्म …’ कर रही थीं.
मैंने उनकी दोनों जांघों को फैला कर चूत पर जीभ लगा दी. दीदी अपनी कमर उठाने और पटकने लगीं.
वो मेरे बाल खीं चने लगीं, अपने पैर से धकेलने लगीं.
कभी अपनी कमर ऊपर उठा कर अपनी जांघों से और हाथों से मेरे सिर को चूत में दबाने लगीं.
दीदी की लम्बी लंबी सांसों से बहुत तेज आवाज आने लगी थी.
तभी नीचे से उनकी बेटी ने आवाज दी- मम्मी, रोटी बन गई.
दीदी कामुकता को दबाती हुई बोलीं- हां, आती हूं.
दीदी लंड लेने को बेताब थीं … मगर मामला जल्दी का था.[Image: 17409917_064_d3e9.jpg]
हम दोनों को काफी पसीना भी आ गया था.
लंड तो एकदम खड़ा था ही. मैंने कुछ नहीं सोचा बस अपनी निक्कर नीचे करके उनकी टांगों के बीच आकर चूत में लगा दिया.
न दीदी ने लंड को हाथ लगाया … ना मैंने.
दोनों की समझ की बाती बुझ चुकी थी. लंड और चूत ने अपना रास्ता खुद ढूंढ लिया था.
चूत के मुँह पर लंड का टोपा लगा … और चूत में रास्ता बनता चला गया.
दीदी की चुत इतनी पानी वाली हो गई थी कि पूरा लंड एक बार में सरसराता हुआ चूत में घुसता चला गया.
एक मादक आह लेकर दीदी मुझे चूमने लगीं. उन्होंने मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया. अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर जकड़ ली. [Image: 17409917_034_10cd.jpg]
मैंने जैसे ही धक्का देने को अपनी कमर को ऊपर किया, दीदी कामुकता से भरी आवाज में बोलीं- आंह थोड़ी देर रुक जा … ऐसे ही अच्छा लग रहा है.
वो लंड को भरपूर तरीके से चूत में महसूस करना चाह रही थीं और मैं तो जैसे स्वर्ग में था.
तभी नीचे मेरा फोन बज गया उसकी घंटी की आवाज सुनाई दे गई.
दीदी का लड़का मुझे आवाज देता हुआ फोन लेकर ऊपर आने लगा.[Image: 53098387_067_f8b4.jpg]
मैंने झट से चूत से लंड निकाला और निक्कर पहन कर तुरंत जाकर दरवाज़ा खोल दिया.
दीदी ने भी अपनी मैक्सी से पसीना पौंछ लिया और उसे नीचे कर लिया.
उनकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं, रुक ही नहीं रही थीं, सांसों ने पूरी रफ्तार पकड़ी हुई थी.
मैंने देखा कि पापा का फोन था.
पापा बोले- खाना खा लिया?
मैंने कहा- अभी नहीं.
पापा बोले- तुमको गांव जाना है, गांव में जमीन का विवाद हो गया था.
मैंने हां कहा, तो दीदी उदास हो गईं.
बच्चे भी छत पर रोटियां लेकर आ गए. हम सब खाना खाने लगे.
मैंने दीदी को देखा तो उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं. खाते वक्त लेग पीस को मुँह में लेकर चूसते हुए ऐसे इशारा करे जा रही थीं, जैसे लंड चूस रही हों.
खाना निपटने के बाद, मैंने कहा- मैं जा रहा हूं.
दीदी ने कहा- चलो नीचे तक छोड़ दूं.
दीदी नीचे जाते वक़्त बोलीं- एक बार पूरा करके जाओ, मुझे प्यासी ना छोड़ो … बहुत आग लगी है.
मैंने कहा- मेरा भी वही हाल है.
हम दोनों उनके बेडरूम में आ गए.
दीदी ने मैक्सी उतार दी और पूरी नंगी हो गईं. उनकी चूचियां तनी हुई थीं और निप्पल्स अकड़े हुए थे.
अब दीदी बोलीं- दो मिनट के लिए अपने कपड़े खोल कर मुझे अपने जिस्म की गर्मी दे जाओ.
मैंने तुरंत कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया. मैं भी डर रहा था कि कहीं बच्चे ना आ जाएं.
दीदी मदहोश थीं, वो मुझे बांहों में भरके मुझे अपने ऊपर लेकर बेड पर गिर गईं और चूमने लगीं.
कुछ देर यूं ही मेरे नंगे जिस्म से अपने जिस्म को रगड़ कर दीदी मजा लेने लगी थीं.
मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- गांव से वापस आकर सब होगा, मुझे 2-3 दिन लगेंगे.
फिर मैंने कपड़े पहने और चल दिया.
गांव जाने के बाद वक़्त लग गया, दीदी से एक हफ्ते तक बात हुई.
आठवें दिन दीदी ने बताया कि तुम्हारे जीजा आ रहे हैं.
मैंने कहा- अब क्या चाहिए मौज लीजिए जीजा से.
वो बोलीं- चुप रहो, मुझे तुम्हारा लेना है.
मगर इधर गांव में रायता फैला हुआ था विवाद बढ़ गया था, तो मैं गांव में ही रुक गया.
मुझे 4 महीने लग गए.
फिर मैं वहां से दिल्ली चला गया, जहां लॉकडाउन में कजिन दीदी को चोदा. वो सेक्स कहानी मैंने आपको पहले भेजी थी आपने पढ़ी ही होगी. मैं कजिन दीदी को चोदकर वापस आ गया.
यहां पर आकर मेरी दीदी से मेरी बात हुई और बीच में मौका पाकर वो भी कर बात लेती थीं.
इधर वापस आया तो दीदी ने फोन करके कहा- घर आओ.
मैं घर गया तो स्कूटी खड़ी मिली. मुझे लगा कोई आया है.
दीदी को मैंने देखा और उन्होंने मुझे!
वो मैक्सी में ही थीं.
हम दोनों की बांहें गले लगाने को मचलने लगीं. हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था.
पर बच्चे लॉकडाउन की वजह से घर पर ही थे. बच्चे भी मुझे आया देख कर खुश हो गए थे.
मैं लॉबी में बैठा था, दीदी पानी और चाय लेकर आईं और बगल में ही बैठ गईं.
मौका देखकर हम दोनों गले लग गए.
बच्चे टीवी देख रहे थे, मौका पाकर मैंने चूची मींजने लगा, इससे दीदी गर्म हो गईं.
वो बोलीं- उफ्फ तेरे हाथों के इस जादू को मैं बहुत मिस कर रही थी.
मैंने कहा- और मैं इन रसभरी चुचियों को.
दीदी हंस दीं.
मैंने कहा- ऊपर ऊपर ही मज़ा लेंगी-देंगी या नीचे भी कुछ होगा!
दीदी बोलीं- कैसे होगा यार … बच्चे दिन भर घर में ही रहते हैं.
मैंने पूछा- ये स्कूटी किसकी है?
दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा आए थे, तब लेकर दे गए हैं.
फिर लॉबी में ही धीरे धीरे मैं कभी दीदी की चूची पी रहा था, कभी उनसे लंड चुसवा रहा था.
मैंने कहा- चूत देखनी है.
दीदी सामने सोफे पर बैठ गईं और मैक्सी कमर तक उठा ली. उनकी चूत एकदम चमक रही थी. चुत की झांटें साफ़ थीं.
मैंने उंगलियों के इशारे से चुत की चमक की तारीफ़ की तो दीदी ने शर्माते हुए कहा- आज सुबह ही सफाई की है.
फिर वो मेरे बगल में आ गईं.
मैंने कहा- मेरा झाड़ दीजिए.
दीदी ने दरवाजे को बंद किया और लंड की मुठ मारके, कभी मुँह में लेकर लंड झाड़ दिया.
फिर दीदी बोलीं- अब मेरा भी कुछ सोचो.
मैंने कहा- घर में तो ये सब होना मुश्किल है. अगर आप स्कूटी सीखने के बहाने सुबह आइए, तो कुछ हो सकता है.
दीदी बोलीं- बाहर … ना बाबा डर लगता है … कोरोना है.
मैंने कहा- आप बस मुझ पर भरोसा रखिए.
सितंबर के इस महीने में सुबह 6 बजे तक अंधेरा रहता है.
अगली सुबह 4 बजे ही फोन आया ‘फ्रेश होकर आ जाओ, मैं भी फ्रेश होकर आती हूं.’
सुबह 4.30 दीदी और मैं मिले.
मैं बस निक्कर में गया था, दोनों चुदाई के लिए वशीभूत हुए चल दिए.
स्कूटी पर बैठते ही मैंने दीदी को कमर से पकड़ लिया और एकदम सट कर बैठ गया. मैं अपने हाथ दीदी की कमर से उनकी चूची पर ले गया. जैसे ही मैंने चूची दबाई, तो देखा कि दीदी ने ब्रा पहन रखी थी.
मैंने कहा- ब्रा क्यूं?
वो बोलीं- ब्रा नहीं पहनती तो तुम सारा समय चूची पीने में बिता देते. अब छोड़ो न … ऐसे में मैं गाड़ी नहीं चला पाऊंगी.
मैंने गाल पर चुम्मा लेते हुए कहा- आप गाड़ी चलाइए … मैं हॉर्न दबाता हूं.
दीदी बोलने लगीं- पूरे बदतमीज हो.
मेरा लंड खड़ा हो गया था, मैंने लंड सीधा किया और उनके चूतड़ों पर हाथ रखकर कहा- इनको उठाइए.
जैसे ही वो उठीं, मैंने लंड सीधा करके कहा- अब बैठ जाइए.
दीदी मेरे खड़े लंड पर बैठ गईं.
अब दीदी स्कूटी चला तो ले रही थीं, पर स्कूटी चलाने में उनका हाथ साफ नहीं था.
थोड़ी दूर चलकर एक कच्चा रास्ता पड़ता था. मैंने कहा- इस रास्ते पर ले चलिए.
दीदी ने उसी रास्ते पर स्कूटी डाल दी. वहां घुप्प अंधेरा था, मैंने गाड़ी रुकवा दी.
मैंने गाड़ी को डबल स्टैंड पर लगा कर उसे खड़ी कर दी.
हम दोनों गले लग गए. मैंने दीदी के होंठों पर होंठ रख दिए और अपना हाथ दीदी की चूची पर ले गया. उनका हाथ मेरे लंड पर आ गया.
दीदी लंड सहलाती हुई बोलीं- अब लंड डाल दो. चूची, लंड चूसने का खेल घर पर मौका देख कर कर लिया जाएगा.
उनको तो बस अपनी चूत में मेरा लंड समाया हुआ चाहिए था.
मैंने दीदी को सीट पर लिटाया, उनकी कमर पर मैक्सी उठा कर दोनों पांव दोनों तरफ की फुटरेस्ट पर रखवा दिए.
वो चुत पसार कर लेट गईं और मैं स्कूटी के बीच में जो जगह होती है, उसमें खड़ा हो गया. मैंने अपना दीदी की चूत में सैट किया और एक झटके डाल दिया.
लंड पेल कर मैं दीदी के ऊपर लेट गया और पीछे जो फाइबर का पकड़ने वाला होता है, उसे पकड़ कर धक्का मारने लगा.
दीदी इतने दिनों बाद मेरा लंड लेकर तृप्त हो गईं, उनकी कामुक आह निकल गई.
मैं धीरे धीरे दीदी को चोदने लगा.
टांगें फैलाकर लेटने से चूत में लंड एकदम घस घस कर जाने लगा था. मुझे कुछ डर भी लग रहा था कि गाड़ी स्टैंड से ना उतर जाए.
जब लगा कि नहीं उतरेगी, तब मैंने धक्का देना तेज कर दिया. दीदी मुझे पीठ से पकड़ कर लेटी हुई थीं.
मैं चोदता गया और दीदी ‘अम्म उह …’ कर रही थीं.
कुछ ही देर में मेरी कमर दर्द होने लगी क्योंकि मुझे ज्यादा झुकना पड़ रहा था.
मैंने कहा- अब उतरकर घोड़ी हो जाइए.
दीदी स्कूटी का सहारा लेकर घोड़ी बन गईं.
मैंने पीछे से लौड़ा पेला और मैं दीदी के कंधे पकड़ कर धकापेल करने लगा.
मैं इतनी गन्दी तरह से चूत मारने लगा था कि वो बस अपना सिर ऊपर करके सिसकारियां ले रही थीं.
दस मिनट तक हचक कर चोदने के बाद में दीदी की चूत में ही स्खलित हो गया.
दीदी लंड का रस लेकर एकदम खुश हो गई थीं.
कुछ देर बाद हम दोनों ने अपने कपड़े सही करते हुए उधर से निकलना तय किया और स्कूटी लेकर सड़क पर आ गए.
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#69
Smile Smile Smileफिर हम दोनों वहां से सड़क पर आ गए और मैंने गाड़ी सिखाते हुए दीदी की चूचियों को दबाने लगा.
मैंने पूछा- मज़ा आया?
दीदी बोलीं- हां बहुत … तुम पूरी ताकत से कर रहे थे, पर मुझे खुल कर मजा लेना है. चुदाई करते हुए तुम मेरी चूची पियो, बदन को काटो ऐसा वाला, पूरी नंगी होकर बिस्तर पर लेट कर चुदना है. ऐसे थोड़ी सी जगह में कुछ नहीं होता.
मैंने कहा- कोई जुगाड़ लगाइए न दीदी, घर पर चुदाई का मजा लेते हैं.
वो बोलीं- क्या लगाऊं यार … बच्चे हमेशा घर ही रहते हैं.
घर का कोई जुगाड़ बन ही नहीं पा रहा था, तो हम दोनों का ऐसे ही चलता रहा.
रोज सुबह मॉर्निंग वॉक के बहाने मैं दीदी को चोदता रहा.
कभी पेड़ के नीचे चोदता तो कभी कहीं दुकान के बेसमेंट में मजा ले लेता. कभी खड़े खड़े ही चुदाई चल जाती थी.
एक दिन मैंने दीदी से कहा- मुर्गा वाला प्रोग्राम बनाइए. मैं रात में घर पर रुक जाऊंगा.
दीदी को बात जम गई, वो बोलीं- ठीक है.
दीदी ने दो दिन बाद मम्मी को फोन करके कहा कि मैं घर पर चिकन बना रही हूं, आप सब लोगों को आना है.
मम्मी ने कह दिया- राज ही आ जाएगा … हम सब नहीं आ पाएंगे.
बात जम गई और मैं चला गया.
रात भर दीदी को चोदना था, तो मैंने चुदाई की पावर बढ़ाने वाली दो गोली ले लीं.
उनके घर पहुंचा तो दीदी ने गेट खोला.
हम दोनों लॉबी में चले गए, बच्चे भी आ गए.
बच्चों ने मेरा फोन ले लिया और लॉबी में ही गेम खेलने लगे.
मैं दीदी को इशारे करने लगा, वो मुस्कुरा रही थीं.
उन्होंने मुँह से काटने का इशारा किया, तो मैंने लंड की तरफ इशारा कर दिया.
तो उन्होंने लंड काट खाने का इशारा कर दिया.
अब दीदी अपनी मैक्सी उठा कर अपनी चिकनी टांगें दिखा कर सिड्यूस करने लगीं. मैक्सी की चैन को भी थोड़ा खोल दिया और अपना क्लीवेज दिखाने लगीं.
जब घड़ी ने 8.30 का टाइम बताया, तो मैंने दीदी से कहा- मम्मी को बोल दीजिए कि टाइम लगेगा, मैं रात में यहीं रुक जाऊंगा.
दीदी ने मम्मी को फोन कर दिया.
मम्मी ने कहा- ठीक है.
दीदी अपने बच्चों से बोलीं- चलो छत पर चिकन बनाने चलते हैं, तुम दोनों वहीं छत पर रहना.
उन दोनों ने मना कर दिया.
बेटी बोली- मैं रोटी बनाने जा रही हूँ.
बेटा बोला- मैं यहीं हूं गेम खेलूंगा.
दीदी ने मुझसे कहा- राज, तुम चलो.
दीदी प्याज़, मसाला, सब सामान लेकर चल दीं, कुछ सामान मेरे हाथ में भी था, नहीं तो दीदी की गांड में मैं उंगली करने की सोच रहा था.
छत पर सामान रखने के बाद दीदी ने कहा- प्याज़ जल्दी से काटो, मैं बाकी का सब तैयार करती हूं.
दस मिनट में काट-पीट कर सब रेडी हो गया. दीदी झुक कर मसाला भूनने लगीं, तो मैंने अपनी उंगली दीदी की गांड में कर दी.
दीदी उछल गईं और मैं जोर से हंस पड़ा.
तो दीदी बोली- उधर नहीं, साले मैं मार दूंगी.
मैंने धीरे से जाकर गेट में कुण्डी लगा दी.
दीदी छत पर लेट गईं और अपनी बांहें फैला दीं.
मैं उनकी टांगों के बीच से होकर उनके ऊपर लेट गया. मैंने सबसे पहले उनके माथे को चूमा, फिर आंखों को, गाल को, होंठ और गर्दन को चूमता चला गया.
दीदी मस्ती से बोलीं- आज ये बदलाव कैसे हो गया … इतना प्यार! नहीं तो सीधे चूची पीने के लिए पगलाए रहते हो.
मैं मुस्कुरा कर उनके होंठ चूसने लगा. वो भी इत्मीनान से साथ देने लगीं. धीरे धीरे उन्होंने अपनी मैक्सी कमर तक सरका ली.
अब दीदी बोलीं- जो भी करना है, अपना अन्दर डालकर जल्दी से करो.
मैंने अपनी निक्कर और चड्डी सरका कर लंड चूत में डाल दिया और धीरे धीरे धक्का मारने लगा.
हर धक्के पर दीदी उह उह कर रही थीं.
मैंने कहा- जीजा जी इतने दिन रहे … क्या आपने उनसे मजा नहीं लिया!
वो बोलीं- अभी उनकी बात मत करो, लो दूध चूसो.
उन्होंने अपनी एक चूची निकाल कर मेरे मुँह में दे दी. मैं चूची और निप्पल काटते हुए दीदी की चुत चोदने लगा.
कुछ पल बाद दीदी बोलीं- एक बार चिकन चला दो.
मैं उठकर चिकन चला आया और वापस आकर घुटने के बल बैठ कर चूत में लंड डाल दिया.
दीदी बोलीं- अपने ऊपर के कपड़े उतार दो … आज तक नहीं उतारे.
मैंने टी-शर्ट को उतार दिया. दीदी मेरी छाती पर हाथ से सहलाने लगीं. मैं चुत में धक्के मारने लगा, वो मेरी छाती चूमती हुई मेरे निप्पल्स काट रही थीं.
छत के फर्श पर चुदाई हो रही थी, चटाई सरक कर निकल गई थी.
इस वजह से मेरा घुटना छिलने को हो रहा था, दर्द होने लगा था. मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचियों पर रखे और चूची मसल मसल कर जोर जोर से चोदने लगा.
पन्द्रह मिनट में झड़ कर मैं उनके ऊपर ही लेट गया.
उन्होंने मेरा पसीना पौंछा और बैठ गईं.
चिकन भी तैयार होने को था, तब तक हम दोनों बात करने लगे.
दीदी अचानक बोल पड़ीं- तुम्हारे जीजा बहुत मोटे हो गए हैं. ना तो वो अच्छे से कर पाते हैं और ना मैं उनका वजन झेल पाती हूं. इस बार 5-6 महीने घर पर रहे, मगर 15-16 बार ही किए होंगे. वो आठ दस झटके देकर अन्दर झड़ जाते थे और मैं गर्म रह जाती थी. उस समय मैं तुमको याद करती थी कि कब आओगे.
मैंने कहा- अब मैं आ तो गया हूं!
वो बोलीं- हां मैं भी जब तक तुम्हारी सेवा कर सकती हूं, करूंगी. अब बच्चे भी बड़े हो रहे हैं तो संभल कर करना पड़ेगा. पर एक वादा करो राज … तुम मेरे अलावा किसी को नहीं देखोगे, भले शादी के बाद अपनी बीवी से कर लेना, पर अभी मुझे ही अपनी बीवी समझो. तुमको हर तरह का हक है.
दीदी भावुक हो गई थीं.
मैंने कहा- जैसा आप चाहती हैं, वैसा ही होगा.
मैं अभी जवान हो रहा था और दीदी की जवानी ढल रही थी. फिर भी अभी लगभग 10 साल तक उनकी चूत चोदने को मिलेगी.
फिर हम चिकन खाने के व्यस्था में लग गए. अब वक़्त 10 बजे का हो गया था.
मम्मी का कॉल आया- आओगे?
मैंने मना कर दिया.
मम्मी बोलीं- ठीक है.
खाना खाने के बाद हम लोग नीचे चले गए.
दीदी ने तीन गिलास दूध गर्म किया. दोनों बच्चों और मुझे दिया. मैंने दूध ठंडा किया और सेक्स की गोली खा ली.
मैंने सोच लिया था कि आज उनकी चूत लाल कर दूंगा. बच्चे टीवी देखने लगे दीदी मेरे साथ बैठ गईं.
मैंने कहा- बच्चे कब तक सोएंगे?
दीदी बोलीं- सो जाएंगे अभी, मैंने दूध में उनको नींद की गोली दे दी है.
मैंने पूछा- गोलियां कहां से आईं?
वो बोलीं- मैं कभी कभी रात में लेकर सोती हूं … डॉक्टर ने लिखा है.
मैंने कहा- आज आप कराहने वाली हैं.
दीदी बोलीं- वो तो तुम्हारी ताकत और हथियार देख कर लगता है. मैं हर दर्द के लिए तैयार हूं.
दीदी मेरे कंधे पर सिर रखकर बोलीं- राज मुझे तुमसे प्यार हो गया है, तुम्हारा नहीं पता.
मैंने कहा- मुझे भी हो गया है, मर्द अपनी पूरी चाहत नहीं दिखाता.
दीदी बोलीं- मैंने कभी गलत कदम नहीं उठाया, ये मत सोचना कि मैं ऐसी वैसी हूं.
मैंने कहा- अरे ना ना!
दीदी अपना हाथ मेरे लंड पर ले आईं और लंड मसलती हुई बोलीं- आज इसको मैं तबाह कर दूंगी.
मैंने कहा- ऐसा क्या!
वो बोलीं- हां आज तुमको अपने प्यार की गहराई दिखाऊंगी.
मैंने कहा- जिसने सब कुछ सौंप दिया … अब क्या उसकी गहराई देखना.
वो मुस्कुराने लगीं.
मैंने पूछा- बच्चे सो गए क्या?
दीदी बोलीं- मैं देख कर आती हूं.
हम दोनों आज लॉबी में ही चुदाई करने वाले थे क्योंकि बेडरूम में बच्चे सोते हैं.
लॉबी एक तरह से गेस्ट रूम है. दीदी का घर ज्यादा बड़ा नहीं है. उसी में सोफ़ा और एक बेड लगा है.
मेरी दवा असर कर रही थी, लंड अपने आकार में आ गया था.
दीदी आईं और बोलीं- बस बच्चे सोने ही वाले हैं. पर आएंगे नहीं, गेट भिड़ा कर आई हूं.
उन्होंने हमारे रूम का पर्दा डाल दिया. मैंने दीदी को बांहों में भर लिया, उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन में डाल दिए.
मैं उनकी कमर पर हाथ रखकर डांस करने लगा. वो भी साथ देने लगीं, छाती से चूची, लंड से चूत, कमर से कमर चिपकी पड़ी थीं.
दीदी बोलीं- बहुत रोमांटिक हो तुम … मैं तो सोच रही थी कि तुझमें बस एक जंगली लड़का है.
मैं उनकी गांड दबाने लगा, वो मेरे सीने पर सिर रखकर बात करती रहीं और डांस करती रहीं.
मैंने कहा- आज सुकून से सब हो रहा तो कोई जल्दी नहीं है.
वो ‘हम्म …’ कह कर सांसें मेरे सीने में छोड़ती रहीं.
मैं बोला- आज आपको ब्रा और पैंटी में देखना है.
दीदी बोलीं- अभी आती हूं.
वो मेरे होंठों पर चुम्मा देकर अपने बेडरूम से ब्रा पैंटी ले आईं. आकर बताया कि बच्चे सो गए हैं.
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी, दीदी ने भी मैक्सी को उतार दिया.
दीदी की चूचियां एकदम तनी हुई थीं और चूत से सफ़ेद पानी आ रहा था.
लाल ब्रा और काली पैंटी थी.
दीदी ने पैंटी पहन ली और चूची दिखाती हुई बोलीं- पहले चुम्मा दो इसको.
वो एकदम मासूम बन गईं थीं, कह कह कर प्यार करवा रही थीं.
एकदम जैसे बीवी हों और उनको पति के प्यार की सख्त जरूरत हो.
मैंने दोनों निप्पल्स को चुम्मा दिया और दीदी ब्रा अपने मम्मों पर डाल कर पीछे मुड़ गईं.
वो बोलीं- हुक लगाओ.
मैंने हुक लगाकर दीदी को अपनी तरफ मोड़ा.
हाय क्या लग रही थीं … एकदम मस्त माल … थोड़ा सा पेट निकला था. फूले हुए पेट का मज़ा तब आता है, जब चोदो और वो हिले.
वो बोलीं- अब उतार रही हूँ … तुम इनको चूसो.
मैं सोफे पर बैठ गया और उनको अपनी गोद में लेकर चूमने लगा.
ब्रा खोले बिना ऊपर करके चूची पीने लगा.
वो अपनी चूत लंड पर रगड़ने लगीं.
दीदी बोलीं- एक बार गोद में बैठकर करो.
उनको बस मेरा लंड चूत में चाहिए था.
मैंने कहा- जल्दी क्या है … चूत चाटने के बाद करूंगा.
मैं सोफे पर लेट गया और बोला कि मैं चूत चाटता हूं … आप लंड चूसिए.
ऐसे ही हुआ … गर्म गर्म जीभ और मुँह के मेरा लंड मुझे किसी और दुनिया में ले गया.
वो अपनी गांड हिला हिला चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं.
उनके बाल बिखरे हुए, आंखें वासना से लबरेज … सच में दीदी इस समय पक्की रांड लग रही थीं.
मैंने उनको बेड पर लिटा दिया और लंड चूत में डाल कर धीरे धीरे पेलने लगा.
दवा खाकर तो मुझमें मानो असीम ताकत आ गई थी.
मैं इतनी जोर जोर से धक्का मारने लगा कि दीदी कराहने लगीं, चीखने लगीं.
उन्होंने चादर का सिरा मुँह में डाल लिया ताकि आवाज ना आए.
मैंने लंड खींच कर दौड़ के दरवाज़ा बंद किया और फिर से लौड़ा अन्दर पेल दिया.
अब कमरे में ‘पट पट …’ की ध्वनि के साथ मादक सिसकारियों की आवाज आ रही थी और तेज सांसें चल रही थीं.
उनकी टांगें आसमान में लहरा रही थीं. चूचियां डोल रही थीं, पेट हिल रहा था.
मैं दीदी की चूचियां भींच भींच कर उन्हें ताबड़तोड़ चोद रहा था.
फिर एक नया तरीका मैंने इजाद कर दिया.
मैं खड़ा हो गया, दीदी के दोनों पैर अपनी जांघों पर टिकवा दिए.
दीदी मेरी गर्दन पकड़ कर ऊपर आ गईं और मैंने उनकी गांड से उनको पकड़ लिया.
मेरा लंड चुत में था.
वो भी धक्का मारने लगीं. पूरा लंड चूत में समाहित हो रहा था.
पसीने के कारण दीदी फिसलने लगीं.
अब मैं लेट गया और वो लंड पर बैठ कर अपना कमाल दिखाने लगीं- आह यही सुख तो तेरे जीजा जी नहीं दे पा रहे थे.
दीदी लंड पर उछल उछल कर अन्दर ले रही थीं.
मैं भी मस्त था.
काफी देर बाद दीदी ने चूत से फुहार छोड़ दी और निढाल मेरे ऊपर गिर गईं.
मैं नीचे से धक्का मारने लगा.
पच पच … करता हुआ उनकी चूत का पानी मेरी गांड तक आ गया.
मैं भी स्खलित हो गया.
दीदी हांफ रही थीं और मुझे बेशुमार पप्पियां देने में लगी थीं.
मेरा लंड अभी दीदी की चूत में ही था, पर छोटा हो गया था.
जब मैंने बाहर निकाला तो दीदी लंड चूमने लगीं.
फिर हम दोनों लेट के बात करने लगे दीदी बोलीं- राज, मेरी चूची का साइज़ बढ़ रहा है. तुम रोज इनको मसलते हो.
मैंने कहा- क्या करूं … ये तो मेरी जान हैं.
मैं फिर से चुची चूमने लगा.
दीदी बोलीं- चूची बढ़ेगी तो तुम्हारे जीजा को शक हो जाएगा.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा … बोल दीजिएगा कि घर में ब्रा नहीं पहनती हूँ और कहीं जाना होता नहीं है, इसलिए ऐसा हुआ है.
उस रात मैंने रुक रुक कर दीदी को 4 बार चोदा.
मैंने उनकी चूत और चूची का बुरा हाल कर दिया था, शरीर का एक एक अंग आगे पीछे चूमता रहा था.
लंड सुबह तक दुहाई मांगने लगा कि छोड़ दो मुझे, चूत में मेरा दम घुटने लगा है.
सुबह मैं लंड पकड़ कर घर चला आया.
शाम को दीदी का फोन आया कि राज चल नहीं पा रही हूं … तुमने बहुत दर्द दिया है. रात भर में तोड़ कर रख दिया है. दिन भर सोई रही हूँ अभी उठी, तो चल ही नहीं पा रही हूँ.
मैंने कहा- कल सुबह स्कूटी सीखने आइए, पूरा दर्द ठीक कर दूंगा.
दीदी बोलीं- रहने दो, चुत सूज कर गुझिया हो गई है.
मैं हंसने लगा.
दीदी- राज सुनो ना!
मैं- हां बोलो.
दीदी- आई लव यू.
मैं- आई लव यू टू.
दोस्तो, इस तरह से दीदी की चुदाई का खेल चलने लगा. कभी सड़कों के किनारे, कभी पेड़ के नीचे, कभी घड़ी बना कर चुत में लंड चल रहा है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#70
(14-06-2022, 06:12 PM)neerathemall Wrote: Smile Smile 
मेरे उनके घर जाते ही बच्चों ने मेरा फोन ले लिया. दीदी और मैंने एक दूसरे को कातिल मुस्कान दे दी.
मैं दीदी के पास गया और धीरे से कहा- लेग पीस खिलाएंगी क्या?
मैं हंसने लगा, वो होंठों पर उंगली रखती हुई बोलीं- शश … चुप.
मैंने कहा- चिकन कहां है?
वो बोलीं- छत पर.
वो नानवेज अपने किचन में नहीं बनाती थीं. छत पर ही बनाती थीं. बाकी नीचे किचन में रोटी वगैरह.
दीदी और मैं छत पर चले गए, उन्होंने अपनी लड़की को रोटी बनाने को बोल दिया और लड़का मेरे फोन पर गेम खेलने लगा.
हम दोनों छत पर चले गए.
अब 7.30 बज चुके थे, अंधेरा हो गया था.
दीदी ने छत पर पहुंचते ही मुझे पलट कर जोर से गले से लगा लिया.
मैंने भी वही किया.
फिर उनसे अलग होकर छत का मुयायना करने के बाद उनको दीवार से लगा दिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा, चूची दबाने लगा.
दीदी ‘आह आह उं …’ करने लगीं. मेरी कमर को जोर से पकड़ कर अपनी चूत मेरे लंड पर ऊपर से रगड़ने लगीं.
मैंने भी लंड चुत से रगड़ा और उनके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा.
एक मिनट बाद दीदी चुदासी आवाज में बोलीं- अब छोड़, काम करने दे. मैं यहीं तो हूं.
मैंने छोड़ दिया और कहा- जरा अपनी चूची दिखाओ दीदी.
दीदी बोलीं- पहले चिकन चूल्हे पर चढ़ा लेने दो … फिर अपने चूल्हे की आग बुझवाती हूं.
मैंने तुरंत निक्कर खोल कर अपना लंड उनके हाथ में दे दिया.
लंड पकड़ते ही उनकी आंखें बंद हो गईं.
उन्होंने छत पर एक चटाई बिछा रखी थी. मैं उसी पर बैठ कर लंड सहलाने लगा.
मैंने कहा- छत की लाइट बंद कर दीजिए.
दीदी ने लाइट बन्द कर दी और झुक कर प्याज़, मसाला वगैरह भूनने लगीं.
मैंने पीछे से लंड उनकी गांड के दरार में फंसा दिया. मैं उनके कूल्हे पकड़ कर चूत से गांड तक लंड रगड़ रहा था. मैंने थोड़ा झुक कर एक चूची को पकड़ लिया.
दीदी पलटा दिखाती हुई बोलीं- हट जा … मैं मार दूंगी.
मगर मुझे चूत का भूत सवार हो गया था; मैंने उनकी मैक्सी को कमर पर चढ़ा दिया और चूत पर दो उंगली फिरा दीं.
दीदी की चुत एकदम गीली पानी पानी हो चुकी थी.
दीदी- रुको ना, अभी दे रही हूं, जाओ पहले जीने का दरवाज़ा बन्द करके आओ … बच्चे ना आ जाएं!
मैं दरवाज़ा बंद करके आ गया और चटाई पर बैठ गया. दीदी चिकन कुकर में डाल कर आ गईं.
वो पास में बैठ गईं … तो मैं अपना हाथ सीधे उनकी चूची पर ले गया और क्लॉक वाइज एंटी क्लॉक वाइज चूची को घुमाने लगा.
उनकी चूची को मैंने मैक्सी से ऊपर से बाहर निकाल दिया और उनको चटाई पर लिटा कर चूची पीने लगा.
दोनों चूचियों को एक साथ सटा कर मैं दोनों निप्पलों को एक साथ चूसने की कोशिश कर रहा था और लंड उनकी चूत पर रगड़ रहा था.
दीदी टांगें मोड़ कर लेटी हुई थीं. मैं उनकी टांगों के बीच में था.
मैं उनके होंठों पर, गर्दन पर खूब चुम्मा लेता रहा … नीचे से वो कमर हिला हिला कर लंड का स्वाद ले रही थीं.
मैंने अभी निक्कर पहन ही रखा था.
दीदी बोलीं- रुको मैं एक बार चिकन चला दूं, नहीं तो जल जाएगा.
मैंने कहा- जल जाने दीजिए … कौन सा भोसड़ी वाला जिन्दा हो जाएगा.
वो हंसने लगीं.
मैं- दीदी, मैक्सी उतार दीजिए.
वो बोलीं- नहीं, ऐसे ही रहने दो.
मैं खड़ा हो गया.
मेरा लंड तम्बू में बम्बू की तरह अकड़ा हुआ था.
दीदी ने हाथों से निक्कर के ऊपर से ही लंड को दबाया और मुँह में लेकर दांतों से पकड़ने लगीं.
फिर उन्होंने मेरी निक्कर नीचे खींच दी, तो लंड एकदम उनके मुँह पर जाकर लगा.
अंधेरा होने के कारण कोई डर नहीं था. हमारे बीच बातें कम, काम ज्यादा हो रहा था.
दीदी ने मेरा लंड पकड़ कर अपने पूरे चेहरे पर फेरा, फिर मेरे लंड का टोपा होंठ गोल करके अपने मुँह में ले लिया.
अभी दीदी ने पूरा लंड मुँह में नहीं लिया था, वो अपनी जीभ लंड के टोपे पर चारों ओर फेरने लगी थीं.
मैं उनका सिर पकड़ कर खड़ा रहा और जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने पूरा लंड गच्च से उनके मुँह में पेल दिया.
उनके बाल पकड़ कर लंड पेलने लगा.
दीदी भी गों गों करके लंड गले तक लेने लगीं.
कुछ ही देर में मेरी टांगें कांपने लगी थीं.
फिर जब मुझसे नहीं रहा गया, तो मैं लेट गया और दीदी लंड चूसने लगीं.
मैं झड़ने को हुआ तो दीदी ने अपनी मैक्सी लंड पर लगा दी ताकि वीर्य छत के फर्श पर ना गिरे या चटाई पर … क्योंकि चटाई पर दाग पड़ जाते, तो उसे धोना मुश्किल था.
दीदी ने लंड का माल अपनी मैक्सी से पौंछ दिया.
फिर मैं उनकी चूची पीने लगा, चूचुकों को काटने लगा.
दीदी बस अपने कंठ से कामुक आवाज़ें निकाल रही थीं.
उधर कुकर की सीटी बजने लगी थी और चिकन पकने वाला था. इधर लंड खड़ा हुआ था और दीदी अपनी मैक्सी कमर तक करके लेट गई थीं.
मैंने घुटनों के बल बैठ कर दीदी की चूत में उंगली डाल दी.
उंगली घुसेड़ते ही ऐसा लगा कि चूत में पानी है या पानी में चूत है.
मैं उनकी चूत के छल्ले को रगड़ने लगा तो दीदी की मादक आह निकल गई.
उसी पल उन्होंने झट से उठकर मुझे गर्दन से पकड़ लिया और चूमने लगीं.
दीदी हद से ज्यादा चुदासी हो गई थीं.
वो कहने लगीं- आंह अब अन्दर डाल दो.
मैं दीदी की जांघ को चूमने लगा, जीभ से चाटने लगा.
दीदी ‘आह आह उम्म …’ कर रही थीं.
मैंने उनकी दोनों जांघों को फैला कर चूत पर जीभ लगा दी. दीदी अपनी कमर उठाने और पटकने लगीं.
वो मेरे बाल खीं चने लगीं, अपने पैर से धकेलने लगीं.
कभी अपनी कमर ऊपर उठा कर अपनी जांघों से और हाथों से मेरे सिर को चूत में दबाने लगीं.
दीदी की लम्बी लंबी सांसों से बहुत तेज आवाज आने लगी थी.
तभी नीचे से उनकी बेटी ने आवाज दी- मम्मी, रोटी बन गई.
दीदी कामुकता को दबाती हुई बोलीं- हां, आती हूं.
दीदी लंड लेने को बेताब थीं … मगर मामला जल्दी का था.
हम दोनों को काफी पसीना भी आ गया था.
लंड तो एकदम खड़ा था ही. मैंने कुछ नहीं सोचा बस अपनी निक्कर नीचे करके उनकी टांगों के बीच आकर चूत में लगा दिया.
न दीदी ने लंड को हाथ लगाया … ना मैंने.
दोनों की समझ की बाती बुझ चुकी थी. लंड और चूत ने अपना रास्ता खुद ढूंढ लिया था.
चूत के मुँह पर लंड का टोपा लगा … और चूत में रास्ता बनता चला गया.
दीदी की चुत इतनी पानी वाली हो गई थी कि पूरा लंड एक बार में सरसराता हुआ चूत में घुसता चला गया.
एक मादक आह लेकर दीदी मुझे चूमने लगीं. उन्होंने मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया. अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर जकड़ ली.
मैंने जैसे ही धक्का देने को अपनी कमर को ऊपर किया, दीदी कामुकता से भरी आवाज में बोलीं- आंह थोड़ी देर रुक जा … ऐसे ही अच्छा लग रहा है.
वो लंड को भरपूर तरीके से चूत में महसूस करना चाह रही थीं और मैं तो जैसे स्वर्ग में था.
तभी नीचे मेरा फोन बज गया उसकी घंटी की आवाज सुनाई दे गई.
दीदी का लड़का मुझे आवाज देता हुआ फोन लेकर ऊपर आने लगा.
मैंने झट से चूत से लंड निकाला और निक्कर पहन कर तुरंत जाकर दरवाज़ा खोल दिया.
दीदी ने भी अपनी मैक्सी से पसीना पौंछ लिया और उसे नीचे कर लिया.
उनकी सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं, रुक ही नहीं रही थीं, सांसों ने पूरी रफ्तार पकड़ी हुई थी.
मैंने देखा कि पापा का फोन था.
पापा बोले- खाना खा लिया?
मैंने कहा- अभी नहीं.
पापा बोले- तुमको गांव जाना है, गांव में जमीन का विवाद हो गया था.
मैंने हां कहा, तो दीदी उदास हो गईं.
बच्चे भी छत पर रोटियां लेकर आ गए. हम सब खाना खाने लगे.
मैंने दीदी को देखा तो उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं. खाते वक्त लेग पीस को मुँह में लेकर चूसते हुए ऐसे इशारा करे जा रही थीं, जैसे लंड चूस रही हों.
खाना निपटने के बाद, मैंने कहा- मैं जा रहा हूं.
दीदी ने कहा- चलो नीचे तक छोड़ दूं.
दीदी नीचे जाते वक़्त बोलीं- एक बार पूरा करके जाओ, मुझे प्यासी ना छोड़ो … बहुत आग लगी है.
मैंने कहा- मेरा भी वही हाल है.
हम दोनों उनके बेडरूम में आ गए.
दीदी ने मैक्सी उतार दी और पूरी नंगी हो गईं. उनकी चूचियां तनी हुई थीं और निप्पल्स अकड़े हुए थे.
अब दीदी बोलीं- दो मिनट के लिए अपने कपड़े खोल कर मुझे अपने जिस्म की गर्मी दे जाओ.
मैंने तुरंत कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया. मैं भी डर रहा था कि कहीं बच्चे ना आ जाएं.
दीदी मदहोश थीं, वो मुझे बांहों में भरके मुझे अपने ऊपर लेकर बेड पर गिर गईं और चूमने लगीं.
कुछ देर यूं ही मेरे नंगे जिस्म से अपने जिस्म को रगड़ कर दीदी मजा लेने लगी थीं.
मैंने उन्हें चूमते हुए कहा- गांव से वापस आकर सब होगा, मुझे 2-3 दिन लगेंगे.
फिर मैंने कपड़े पहने और चल दिया.
गांव जाने के बाद वक़्त लग गया, दीदी से एक हफ्ते तक बात हुई.
आठवें दिन दीदी ने बताया कि तुम्हारे जीजा आ रहे हैं.
मैंने कहा- अब क्या चाहिए मौज लीजिए जीजा से.
वो बोलीं- चुप रहो, मुझे तुम्हारा लेना है.
मगर इधर गांव में रायता फैला हुआ था विवाद बढ़ गया था, तो मैं गांव में ही रुक गया.
मुझे 4 महीने लग गए.
फिर मैं वहां से दिल्ली चला गया, जहां लॉकडाउन में कजिन दीदी को चोदा. वो सेक्स कहानी मैंने आपको पहले भेजी थी आपने पढ़ी ही होगी. मैं कजिन दीदी को चोदकर वापस आ गया.
यहां पर आकर मेरी दीदी से मेरी बात हुई और बीच में मौका पाकर वो भी कर बात लेती थीं.
इधर वापस आया तो दीदी ने फोन करके कहा- घर आओ.
मैं घर गया तो स्कूटी खड़ी मिली. मुझे लगा कोई आया है.
दीदी को मैंने देखा और उन्होंने मुझे!
वो मैक्सी में ही थीं.
हम दोनों की बांहें गले लगाने को मचलने लगीं. हमारी खुशी का ठिकाना नहीं था.
पर बच्चे लॉकडाउन की वजह से घर पर ही थे. बच्चे भी मुझे आया देख कर खुश हो गए थे.
मैं लॉबी में बैठा था, दीदी पानी और चाय लेकर आईं और बगल में ही बैठ गईं.
मौका देखकर हम दोनों गले लग गए.
बच्चे टीवी देख रहे थे, मौका पाकर मैंने चूची मींजने लगा, इससे दीदी गर्म हो गईं.
वो बोलीं- उफ्फ तेरे हाथों के इस जादू को मैं बहुत मिस कर रही थी.
मैंने कहा- और मैं इन रसभरी चुचियों को.
दीदी हंस दीं.
मैंने कहा- ऊपर ऊपर ही मज़ा लेंगी-देंगी या नीचे भी कुछ होगा!
दीदी बोलीं- कैसे होगा यार … बच्चे दिन भर घर में ही रहते हैं.
मैंने पूछा- ये स्कूटी किसकी है?
दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा आए थे, तब लेकर दे गए हैं.
फिर लॉबी में ही धीरे धीरे मैं कभी दीदी की चूची पी रहा था, कभी उनसे लंड चुसवा रहा था.
मैंने कहा- चूत देखनी है.
दीदी सामने सोफे पर बैठ गईं और मैक्सी कमर तक उठा ली. उनकी चूत एकदम चमक रही थी. चुत की झांटें साफ़ थीं.
मैंने उंगलियों के इशारे से चुत की चमक की तारीफ़ की तो दीदी ने शर्माते हुए कहा- आज सुबह ही सफाई की है.
फिर वो मेरे बगल में आ गईं.
मैंने कहा- मेरा झाड़ दीजिए.
दीदी ने दरवाजे को बंद किया और लंड की मुठ मारके, कभी मुँह में लेकर लंड झाड़ दिया.
फिर दीदी बोलीं- अब मेरा भी कुछ सोचो.
मैंने कहा- घर में तो ये सब होना मुश्किल है. अगर आप स्कूटी सीखने के बहाने सुबह आइए, तो कुछ हो सकता है.
दीदी बोलीं- बाहर … ना बाबा डर लगता है … कोरोना है.
मैंने कहा- आप बस मुझ पर भरोसा रखिए.
सितंबर के इस महीने में सुबह 6 बजे तक अंधेरा रहता है.
अगली सुबह 4 बजे ही फोन आया ‘फ्रेश होकर आ जाओ, मैं भी फ्रेश होकर आती हूं.’
सुबह 4.30 दीदी और मैं मिले.
मैं बस निक्कर में गया था, दोनों चुदाई के लिए वशीभूत हुए चल दिए.
स्कूटी पर बैठते ही मैंने दीदी को कमर से पकड़ लिया और एकदम सट कर बैठ गया. मैं अपने हाथ दीदी की कमर से उनकी चूची पर ले गया. जैसे ही मैंने चूची दबाई, तो देखा कि दीदी ने ब्रा पहन रखी थी.
मैंने कहा- ब्रा क्यूं?
वो बोलीं- ब्रा नहीं पहनती तो तुम सारा समय चूची पीने में बिता देते. अब छोड़ो न … ऐसे में मैं गाड़ी नहीं चला पाऊंगी.
मैंने गाल पर चुम्मा लेते हुए कहा- आप गाड़ी चलाइए … मैं हॉर्न दबाता हूं.
दीदी बोलने लगीं- पूरे बदतमीज हो.
मेरा लंड खड़ा हो गया था, मैंने लंड सीधा किया और उनके चूतड़ों पर हाथ रखकर कहा- इनको उठाइए.
जैसे ही वो उठीं, मैंने लंड सीधा करके कहा- अब बैठ जाइए.
दीदी मेरे खड़े लंड पर बैठ गईं.
अब दीदी स्कूटी चला तो ले रही थीं, पर स्कूटी चलाने में उनका हाथ साफ नहीं था.
थोड़ी दूर चलकर एक कच्चा रास्ता पड़ता था. मैंने कहा- इस रास्ते पर ले चलिए.
दीदी ने उसी रास्ते पर स्कूटी डाल दी. वहां घुप्प अंधेरा था, मैंने गाड़ी रुकवा दी.
मैंने गाड़ी को डबल स्टैंड पर लगा कर उसे खड़ी कर दी.
हम दोनों गले लग गए. मैंने दीदी के होंठों पर होंठ रख दिए और अपना हाथ दीदी की चूची पर ले गया. उनका हाथ मेरे लंड पर आ गया.
दीदी लंड सहलाती हुई बोलीं- अब लंड डाल दो. चूची, लंड चूसने का खेल घर पर मौका देख कर कर लिया जाएगा.
उनको तो बस अपनी चूत में मेरा लंड समाया हुआ चाहिए था.
मैंने दीदी को सीट पर लिटाया, उनकी कमर पर मैक्सी उठा कर दोनों पांव दोनों तरफ की फुटरेस्ट पर रखवा दिए.
वो चुत पसार कर लेट गईं और मैं स्कूटी के बीच में जो जगह होती है, उसमें खड़ा हो गया. मैंने अपना दीदी की चूत में सैट किया और एक झटके डाल दिया.
लंड पेल कर मैं दीदी के ऊपर लेट गया और पीछे जो फाइबर का पकड़ने वाला होता है, उसे पकड़ कर धक्का मारने लगा.
दीदी इतने दिनों बाद मेरा लंड लेकर तृप्त हो गईं, उनकी कामुक आह निकल गई.
मैं धीरे धीरे दीदी को चोदने लगा.
टांगें फैलाकर लेटने से चूत में लंड एकदम घस घस कर जाने लगा था. मुझे कुछ डर भी लग रहा था कि गाड़ी स्टैंड से ना उतर जाए.
जब लगा कि नहीं उतरेगी, तब मैंने धक्का देना तेज कर दिया. दीदी मुझे पीठ से पकड़ कर लेटी हुई थीं.
मैं चोदता गया और दीदी ‘अम्म उह …’ कर रही थीं.
कुछ ही देर में मेरी कमर दर्द होने लगी क्योंकि मुझे ज्यादा झुकना पड़ रहा था.
मैंने कहा- अब उतरकर घोड़ी हो जाइए.
दीदी स्कूटी का सहारा लेकर घोड़ी बन गईं.
मैंने पीछे से लौड़ा पेला और मैं दीदी के कंधे पकड़ कर धकापेल करने लगा.
मैं इतनी गन्दी तरह से चूत मारने लगा था कि वो बस अपना सिर ऊपर करके सिसकारियां ले रही थीं.
दस मिनट तक हचक कर चोदने के बाद में दीदी की चूत में ही स्खलित हो गया.
दीदी लंड का रस लेकर एकदम खुश हो गई थीं.
कुछ देर बाद हम दोनों ने अपने कपड़े सही करते हुए उधर से निकलना तय किया और स्कूटी लेकर सड़क पर आ गए.

Idea Idea Ideaदीदी की चुदाई के बाद हम दोनों ने अपने कपड़े सही किए और वहां से सड़क पर आ गए.
मैं उन्हें गाड़ी सिखाते हुए उनकी चूची दबाने लगा.
मैंने दीदी की गर्दन पर चूमा लेते हुए पूछा- मज़ा आया?
दीदी बोलीं- हां बहुत … तुम बहुत ताकत से कर रहे थे, मजा तो बहुत आया … पर मुझे ये सब खुल कर करना है.
मैंने कहा- खुल कर कैसे?
दीदी- अरे कमरे में पूरी तरह से बिंदास होकर … मुझे चोदते हुए तुम मेरी चूची पियो, मेरे बदन को काटो, ऐसा वाला सेक्स करना है. मैं पूरी नंगी होकर बिस्तर पर तुम्हारे साथ चुदाई का मजा लेना चाहती हूँ. ऐसे थोड़ी सी जगह में मजा नहीं आता.
मैंने कहा- ठीक है, घर में कोई जुगाड़ लगाइए. उधर आपकी चुदाई का खेल खेलेंगे.
वो जरा उदास होकर बोलीं- कैसे जुगाड़ लगाऊं … बच्चे हमेशा घर में ही रहते हैं.
मैंने कहा- चिंता मत करो … मौक़ा मिलेगा.
वो बोलीं- हां ये तो है.
उस दिन दीदी को घर छोड़ कर आ गया.
उसके बाद से हम दोनों का ऐसे ही चलता रहा.
रोज सुबह मॉर्निंग वॉक के बहाने मैं उनको चोद देता.
कभी पेड़ के नीचे, कभी कहीं दुकान के बेसमेंट में, कभी खड़े खड़े चुदाई चल ही रही थी.
एक दिन मैंने दीदी से कहा- मुर्गे वाला प्रोग्राम बनाइए और उस रात को मैं आपके घर ही रुक जाऊंगा.
दीदी बोलीं- ठीक है.
दीदी ने दो दिन बाद मेरी मम्मी को फोन करके कहा- मैं घर पर चिकन बना रही हूं, सब लोगों को आना है.
मम्मी ने कह दिया- राज ही आ जाएगा, हम सब नहीं आ पाएंगे.
दीदी ने अपनी ख़ुशी दबाते हुए कह दिया- ठीक है.
उस शाम को मैं दीदी के घर चला गया.
मुझे रात भर दीदी को चोदना था तो मैंने देर तक चोदने वाली गोली खा लीं और एक ताकत की भी ले ली.
दीदी के घर पहुंचा तो आवाज लगाई. दीदी ने गेट खोला. वो काफी खुश दिख रही थीं.
हम दोनों लॉबी में चले आए.
बच्चे भी आ गए. बच्चों ने मेरा फोन ले लिया और लॉबी में ही गेम खेलने लगे.
मैं दीदी को इशारे करने लगा, वो मुस्कुरा रही थीं.
उन्होंने हाथ से मुँह में केला लेकर चूसते हुए लंड काटने का इशारा किया.
मैंने लंड की तरफ इशारा कर दिया.
उन्होंने दांत से कच्च करके काट खाने का इशारा कर दिया.
मैं हंस दिया.
दीदी ने भी एक बार झुक कर अपने खरबूजे दिखाए और जल्दी से सिनेमा बंद कर दिया.
मैंने एक बार फिर से दिखाने का कहा.
तो दीदी ने साउथ की हीरोइन की तरह अपनी मैक्सी जांघों तक उठा कर अपनी टांगें दिखाईं और मुझे गर्म करने लगीं.
फिर मैक्सी की चैन भी थोड़ा खोल कर क्लीवेज दिखाने लगीं.
कुछ देर में खाने का समय हो गया.
मैंने दीदी से कहा- एक बार मम्मी को बोल दीजिए कि टाइम लगेगा, मैं रात में यहीं रुक जाऊंगा.
दीदी ने मम्मी को फोन कर दिया.
मम्मी ने कहा- ठीक है.
दीदी अपने बेटे और बेटी से बोलीं- चलो छत पर चलते हैं. वहीं चिकन बनाएंगे. तुम दोनों वहीं छत पर खेलते रहना.
दोनों बच्चों ने मना कर दिया.
दीदी की बेटी बोली- मैं अपनी रोटी बनाने जा रही हूँ. नीचे ही खा लूंगी. मुझे चिकन नहीं खाना है.
बेटा बोला- मैं भी यहीं हूं, मोबाइल में गेम खेलूंगा. दीदी के साथ ही खा लूंगा.
दीदी मुझसे बोलीं- राज चलो.
और दीदी मुर्गा और बाकी का सामान लेकर चल दीं.
कुछ सामान मेरे हाथ में भी था, नहीं तो मैं दीदी की गांड में फिंगर करने की सोच रहा था.
छत पर सामान रखने के बाद दीदी ने कहा- राज, अब जल्दी से सामान रेडी करो. मैं मुर्गा तैयार करती हूं.
कुछ देर में मुर्गा मसाला आदि सब रेडी हो गया.
दीदी गांड झुका कर मसाला भूनने लगीं मैंने अपनी एक उंगली दीदी की गांड में पेल दी.
अब फ्री सेक्स इन ओपन का मौक़ा मिला था.
दीदी चिहुंक गईं- उई मम्मी.
मैं जोर से हंस पड़ा.
दीदी बोलीं- साले, मैं कलछी मार दूंगी.
मैंने कहा- लंड लेना है न?
दीदी ने वासना से कहा- हां.
मैंने झट से छत के दरवाजे की कुण्डी लगा दी.
दीदी समझ गईं.
वो गैस स्लो करके दरी पर लेट गईं और उन्होंने अपनी बांहें फैला दीं.
मैं उनकी टांगों के बीच से आकर उनके ऊपर चढ़ गया.
सबसे पहले मैंने उनके माथे को चूमा, फिर आंखों को, गाल को, होंठ और गर्दन को चूमा.
दीदी खुश होती हुई बोलीं- आज ये सब करके मुझे बेहद मजा आ रहा है. नहीं तो तुम सीधे मेरे दूध पीने के लिए बावले हो जाते ही.
मैं हंसकर उनके होंठों को चूसने लगा.
वो भी इत्मीनान से साथ मेरा देने लगीं.
धीरे धीरे दीदी ने अपनी मैक्सी कमर तक सरका ली और बोलीं- चूत में डाल कर प्यार करो.
मैंने अपना पजामा और कच्छा सरका दिया और खड़ा लंड दीदी की चूत में डाल दिया.
दीदी ने लंड लेते ही आह भरी और गांड उठा कर लंड का मजा लेने लगीं.
मैं मस्ती से चूत में धक्का देने लगा.
हर झटके पर दीदी उन्ह आंह कर रही थीं.
मैंने एक दूध चूसते हुए पूछा- जीजा जी इतने दिन थे कि क्या आपने उनका नहीं लिया?
दीदी बोलीं- अभी उनकी बात नहीं करो. तुम बस मजा दो और लो. लो अब इस वाली को चूसो.
दीदी ने अपनी दूसरी चूची मेरे मुँह में दे दी.
मैं दीदी के दूध और निप्पल काटते हुए उन्हें हौले हौले चोदने लगा.
दीदी बोलीं- एक बार चिकन देख लो, कहीं ज्यादा न पक जाए.
मैंने उठकर चिकन देखा और फिर से आ गया.
मैंने दीदी की चूत में फिर से लंड डाल दिया.
दीदी बोलीं- तुम अपने कपड़े उतार दो, आज तक नंगा होकर नहीं चोदा.
मैंने हामी भर दी और कपड़े हटा दिए.
दीदी मेरी छाती पर हाथ फेरने लगीं. वो बोलीं- क्या मर्दाना छाती है तेरी.
मैं दीदी को चूमते हुए उनकी चूत में धक्के मारने लगा.
वो मेरी छाती चूम कर मेरे सीने की दोनों घुंडियों को चुभलाती हुई मजा दे रही थीं.
अब मेरा घुटने में जलन होने लगी थी. दरी पर कुछ दर्द सा होने लगा था.
मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचों पर रख दिए और चूचे मसलते हुए जोर जोर से चोदने लगा.
कुछ मिनट बाद मैं झड़ गया और दीदी के ऊपर ही लेट गया.
उन्होंने मेरे माथे का पसीना पौंछा और लंड निकाल कर बैठ गईं.
कुछ देर बाद चिकन भी तैयार हो गया था.
दीदी मुझसे बात करने लगीं.
फिर दीदी बोलीं- तुम्हारे जीजा बहुत मोटे हो गए हैं ना … वो अब मेरी अच्छे से नहीं कर पाते हैं. मैं उनका वजन नहीं झेल पाती हूं. इस बार लॉकडाउन में पांच महीने घर पर रहे. लेकिन 15-16 बार ही किया. डालते ही झड़ जाते थे और मैं गर्म रह जाती थी. उस वक्त मैं तुमको याद करती थी कि कब तुम मेरे ऊपर आओगे.
मैंने कहा- अब आ गया हूं, तो सारी गर्मी शांत कर दूंगा.
दीदी बोलीं- मैं भी जब तक तुम्हारी सेवा कर सकती हूं, करूंगी. अब बच्चे भी बड़े हो रहे हैं, तो संभल कर करना पड़ता है.
मैंने कहा- हां ये तो है.
दीदी कुछ भरे गले से बोलीं- तुम मेरे अलावा किसी और को नहीं देखोगे, भले शादी के बाद अपनी बीवी से कर लेना, पर अभी मुझे ही अपनी बीवी समझो. तुम्हारा मुझ पर पूरा हक है.
वे भावुक हो गई थीं.
मैंने कहा- जैसा आप चाहती हैं, वैसा ही होगा.
दोस्तो, दीदी ये बात इसलिए कह रही थीं क्योंकि मैं चढ़ती जवानी पर था और उनकी जवानी ढलान पर थी.
फिर भी मेरा ख्याल था कि अभी लगभग दस साल तक उनकी चूत चुदने लायक रहेगी.
अब हम दोनों चिकन खाने की व्यवस्था में लग गए.
मैंने बैग से बोतल निकाली और दीदी से कहा- लोगी?
दीदी ने कहा- एकाध पैग ले लूंगी.
हम दोनों ने दो दो पैग खींचे और चिकन पर हाथ साफ किया.
अब तक 10 बज गए थे.
तभी मम्मी का फोन आया कि घर आओगे क्या?
मैंने मना कर दिया.
मम्मी बोलीं- ठीक है.
फिर खाना खाने के बाद हम लोग नीचे चले गए.
दीदी ने दो ग्लास दूध गर्म किया और दोनों बच्चों को दे दिया.
दोनों बच्चे टीवी देखने लगे.
दीदी मेरे साथ बैठ गईं.
मैंने कहा- बच्चे कब तक सोएंगे?
दीदी बोली- सो जाएंगे अभी!
मैंने कहा- आज आप कराहने वाली हैं.
दीदी बोलीं- वो तो तुम्हारी ताकत और हथियार देख कर लगता है. मैं हर दर्द के लिए तैयार हूं.
दीदी मेरे कंधे पर सिर रखकर बोलीं- मुझे प्यार हो गया है तुमसे, तुम्हारा नहीं पता.
मैंने कहा- मुझे भी हो गया है. मर्द अपनी पूरी चाहत नहीं दिखा पाता.
दीदी बोलीं- मैंने कभी गलत कदम नहीं उठाया, ये मत सोचना कि मैं ऐसी वैसी हूं.
वो शायद नशे में आ गई थीं.
मैंने कहा- अरे नहीं यार.
फिर दीदी अपना हाथ मेरे लंड पर ले आईं और मसलती हुई बोलीं- आज इसको मैं तबाह कर दूंगी.
मैंने कहा- ऐसा क्या!
वो बोलीं- हां, आज तुमको अपने प्यार की गहराई दिखाऊंगी.
मैंने कहा- जिसने सब कुछ सौंप दिया, अब उसकी गहराई क्या देखना!
वो बोलीं- हां ये तो है.
मैंने कहा- देखो, बच्चे सो गए क्या?
दीदी बोलीं- देख कर आती हूं.
हम दोनों ये लॉबी में ही करने वाले थे क्यूंकि बेडरूम में बच्चे सोते हैं.
लॉबी एक तरह से गेस्ट रूम है. दीदी का घर ज्यादा बड़ा नहीं है. लॉबी में सोफ़ा और एक बेड पड़ा है.
मेरे ऊपर दवा असर कर रही थी. लंड अपने आकार में आ गया था.
दीदी आईं और बोलीं- बच्चे बस सोने वाले हैं, पर आएंगे नहीं. मैं गेट भिड़ा के आईं हूं और हमारे रूम का पर्दा लगा दिया है.
मैंने दीदी को बांहों में भर लिया. उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन में डाल दिए.
मैं उनकी कमर पर हाथ रखकर डांस करने लगा, वो भी साथ देने लगीं.
मेरी छाती से चूची, लंड से चूत, कमर से कमर चिपकी पड़ी थी.
दीदी बोलीं- तुम तो बड़े रोमांटिक हो. मैंने तो सोचा था कि तेरे अन्दर बस एक जंगली मर्द है.
मैं उनकी गांड दबाने लगा. वो मेरे सीने पर सिर रखकर बात करती रहीं और डांस करती रहीं.
मैंने कहा- आज सब सुकून से हो रहा है … मुझे कोई जल्दी नहीं है.
दीदी हूँ बोलीं.
मैंने बोला- आज मुझे आपको ब्रा और पैंटी में देखना है.
दीदी बोलीं- अभी आती हूं.
मेरे होंठ पर चुम्मा देकर वो अपने बेडरूम से ब्रा पैंटी ले आईं.
बच्चे सो गए थे.
मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी.
दीदी ने मैक्सी को उतार दिया. उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं.
चूत से सफ़ेद पानी आ रहा था. लाल ब्रा और काली पैंटी थी.
दीदी ने पैंटी पहन ली और चूची दिखाती हुई बोलीं- पहले इनको प्यार कर दो.
वो एकदम मासूम बन गई थीं. कह कह कर प्यार करवा रही थीं. एकदम जैसे बीवी हों. उनको प्यार की सख्त जरूरत थी.
मैंने दोनों निप्पलों को चुम्मा दिया.
फिर दीदी ब्रा डाल कर पीछे मुड़ गईं और बोलीं- हुक लगाओ.
मैंने हुक लगाकर अपनी तरफ मोड़ा.
हाय क्या मस्त लग रही थीं. एकदम मस्त रांड सी … थोड़ी सी तोंद निकली थी.
लुगाई की तोंद का मज़ा तब आता है, जब उसे चोदो और वो हिले.
वो कामुक होकर बोलीं- अब उतार रही हूँ … तुम चूसो इनको.
मैं सोफे पर बैठ कर उनको अपनी गोद में लेकर चूमने लगा.
ब्रा को खोले बिना, ऊपर करके चूची पीने लगा.
वो अपनी चूत लंड पर रगड़ने लगीं, बोलीं- एक बार गोद में बैठाकर करो.
उनको बस लंड चूत में चाहिए था.
मैंने कहा- चूत चाटने के बाद.
मैं सोफे पर लेट गया और कहा- मैं चूत चाटता हूं, आप लंड चूसिए.
ऐसे ही हुआ. गर्म गर्म जीभ का स्पर्श और मुँह में लंड देने से मुझे किसी और दुनिया में ले आया था.
वो अपनी गांड हिला हिला कर अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं.
दीदी के बाल बिखरे हुए थे, आंखें वासना से लबरेज थीं.
मैंने उनको लिटा दिया और लंड चूत में डाल दिया.
अब मैं दीदी की चूत पेलने लगा.
मैं इतनी जोर जोर से धक्का मारने लगा था कि दीदी कराहने लगीं, चीखने लगीं.
उन्होंने मुँह में चादर डाल ली कि आवाज बाहर ना जाए.
मैंने दौड़ कर दरवाज़ा बंद किया और फिर से लंड पेल कर चोदना शुरू कर दिया.
पट पट, सिसकारियां और बस तेज सांसें चल रही थीं.
दीदी की टांगें आसमान में लहरा रही थीं. चूचियां डोल रही थीं, पेट हिल रहा था.
मैं दीदी की चूचियां भींच भींच कर चूत चोद रहा था.
फिर मैंने एक नया तरीका इजाद कर दिया.
मैं खड़ा हो गया और दीदी के दोनों पैर अपनी जांघों पर टिकवा दिए.
दीदी मेरी गर्दन पकड़ कर मेरी गोद में आ गईं. मैंने उनकी गांड से उनको पकड़ लिया.
अब वो भी धक्का मारने लगीं. पूरा लंड चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
पसीने के कारण दीदी फिसलने लगीं.
फिर मैं लेट गया और वो लंड पर बैठ कर अपना कमाल दिखाने लगीं.
यही सुख जीजा नहीं दे पा रहे थे.
दीदी लंड पर उछल उछल कर मजा ले रही थीं.
मैं भी बहन चोद कर मस्त था.
कुछ देर के बाद दीदी ने चूत से फुहार फैंक दी और निढाल मेरे ऊपर गिर गईं.
मैं नीचे से धक्का मारने लगा.
पच पच …
उनकी चूत का पानी मेरी गांड तक आ गया. मैं भी स्खलित हो गया.
दीदी हांफ रही थीं और मुझे बेशुमार पप्पियां देने लगी थीं.
मेरा लंड अभी चूत में ही था, मगर छोटा हो गया था.
जब मैंने निकाला तो दीदी लंड चूमने लगीं.
वो आज लंड से मुहब्बत कर बैठी थीं.
फिर हम दोनों लेट कर बात करने लगे.
दीदी बोलीं- राज, मेरी चूचियों का साइज़ बढ़ रहा है. तुम रोज इनको मसलते हो न.
मैंने कहा- क्या करूं, ये तो मेरी जान हैं.
मैं चूची चूमने लगा.
दीदी बोलीं- चूची बढ़ेगी तो तुम्हारे जीजा को शक हो जाएगा.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा, बोल दीजियेगा कि घर में ब्रा नहीं पहनती हूँ. बाहर कहीं जाना होता नहीं है.
उस रात मैंने दीदी को रुक रुक कर 4 बार चोदा. दो दो पैग और लगाए और चूत और चूची का बुरा हाल कर दिया था.
मैंने दीदी के शरीर का एक एक अंग आगे पीछे सब जगह से चूमता रहा.
मेरा लंड सुबह तक दुहाई मांगने लगा था कि छोड़ दो मुझे, चूत में मेरा दम घुटने लगा है.
सुबह मैं दीदी के घर से चला आया.
शाम को दीदी का फोन आया- राज, मैं चल नहीं पा रही हूं. तुमने रात भर में बहुत दर्द दिया है. दिन भर सोई रही.
मैंने कहा- कल सुबह आइए, दर्द ठीक कर दूंगा.
दीद हंस कर बोलीं- रहने दो … चूत सूज कर गुझिया हो गई है.
मैंने कहा- इस बार दही बड़ा बना दूंगा.
दीदी हंस कर बोलीं- राज सुनो ना.
मैं- हां बोलो.
दीदी- आई लव यू.
मैं- आई लव यू टू.
अब दीदी के साथ मेरी चुदाई वही सड़कों के किनारे, पेड़ के नीचे, कभी कुतिया बना कर हो रही है. बच्चों के कॉलेज खुलने का इंतजार है. तब दीदी की सही से चुदाई का मजा आएगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#71
फिर हम दोनों वहां से सड़क पर आ गए और मैंने गाड़ी सिखाते हुए दीदी की चूचियों को दबाने लगा.

मैंने पूछा- मज़ा आया?
दीदी बोलीं- हां बहुत … तुम पूरी ताकत से कर रहे थे, पर मुझे खुल कर मजा लेना है. चुदाई करते हुए तुम मेरी चूची पियो, बदन को काटो ऐसा वाला, पूरी नंगी होकर बिस्तर पर लेट कर चुदना है. ऐसे थोड़ी सी जगह में कुछ नहीं होता.

मैंने कहा- कोई जुगाड़ लगाइए न दीदी, घर पर चुदाई का मजा लेते हैं.
वो बोलीं- क्या लगाऊं यार … बच्चे हमेशा घर ही रहते हैं.

घर का कोई जुगाड़ बन ही नहीं पा रहा था, तो हम दोनों का ऐसे ही चलता रहा.

रोज सुबह मॉर्निंग वॉक के बहाने मैं दीदी को चोदता रहा.
कभी पेड़ के नीचे चोदता तो कभी कहीं दुकान के बेसमेंट में मजा ले लेता. कभी खड़े खड़े ही चुदाई चल जाती थी.

एक दिन मैंने दीदी से कहा- मुर्गा वाला प्रोग्राम बनाइए. मैं रात में घर पर रुक जाऊंगा.
दीदी को बात जम गई, वो बोलीं- ठीक है.

दीदी ने दो दिन बाद मम्मी को फोन करके कहा कि मैं घर पर चिकन बना रही हूं, आप सब लोगों को आना है.
मम्मी ने कह दिया- राज ही आ जाएगा … हम सब नहीं आ पाएंगे.

बात जम गई और मैं चला गया.

रात भर दीदी को चोदना था, तो मैंने चुदाई की पावर बढ़ाने वाली दो गोली ले लीं.

उनके घर पहुंचा तो दीदी ने गेट खोला.

हम दोनों लॉबी में चले गए, बच्चे भी आ गए.
बच्चों ने मेरा फोन ले लिया और लॉबी में ही गेम खेलने लगे.

मैं दीदी को इशारे करने लगा, वो मुस्कुरा रही थीं.
उन्होंने मुँह से काटने का इशारा किया, तो मैंने लंड की तरफ इशारा कर दिया.
तो उन्होंने लंड काट खाने का इशारा कर दिया.

अब दीदी अपनी मैक्सी उठा कर अपनी चिकनी टांगें दिखा कर सिड्यूस करने लगीं. मैक्सी की चैन को भी थोड़ा खोल दिया और अपना क्लीवेज दिखाने लगीं.

जब घड़ी ने 8.30 का टाइम बताया, तो मैंने दीदी से कहा- मम्मी को बोल दीजिए कि टाइम लगेगा, मैं रात में यहीं रुक जाऊंगा.

दीदी ने मम्मी को फोन कर दिया.
मम्मी ने कहा- ठीक है.

दीदी अपने बच्चों से बोलीं- चलो छत पर चिकन बनाने चलते हैं, तुम दोनों वहीं छत पर रहना.

उन दोनों ने मना कर दिया.
बेटी बोली- मैं रोटी बनाने जा रही हूँ.
बेटा बोला- मैं यहीं हूं गेम खेलूंगा.

दीदी ने मुझसे कहा- राज, तुम चलो.

दीदी प्याज़, मसाला, सब सामान लेकर चल दीं, कुछ सामान मेरे हाथ में भी था, नहीं तो दीदी की गांड में मैं उंगली करने की सोच रहा था.

छत पर सामान रखने के बाद दीदी ने कहा- प्याज़ जल्दी से काटो, मैं बाकी का सब तैयार करती हूं.

दस मिनट में काट-पीट कर सब रेडी हो गया. दीदी झुक कर मसाला भूनने लगीं, तो मैंने अपनी उंगली दीदी की गांड में कर दी.

दीदी उछल गईं और मैं जोर से हंस पड़ा.

तो दीदी बोली- उधर नहीं, साले मैं मार दूंगी.

मैंने धीरे से जाकर गेट में कुण्डी लगा दी.
दीदी छत पर लेट गईं और अपनी बांहें फैला दीं.

मैं उनकी टांगों के बीच से होकर उनके ऊपर लेट गया. मैंने सबसे पहले उनके माथे को चूमा, फिर आंखों को, गाल को, होंठ और गर्दन को चूमता चला गया.

दीदी मस्ती से बोलीं- आज ये बदलाव कैसे हो गया … इतना प्यार! नहीं तो सीधे चूची पीने के लिए पगलाए रहते हो.

मैं मुस्कुरा कर उनके होंठ चूसने लगा. वो भी इत्मीनान से साथ देने लगीं. धीरे धीरे उन्होंने अपनी मैक्सी कमर तक सरका ली.

अब दीदी बोलीं- जो भी करना है, अपना अन्दर डालकर जल्दी से करो.

मैंने अपनी निक्कर और चड्डी सरका कर लंड चूत में डाल दिया और धीरे धीरे धक्का मारने लगा.
हर धक्के पर दीदी उह उह कर रही थीं.

मैंने कहा- जीजा जी इतने दिन रहे … क्या आपने उनसे मजा नहीं लिया!
वो बोलीं- अभी उनकी बात मत करो, लो दूध चूसो.

उन्होंने अपनी एक चूची निकाल कर मेरे मुँह में दे दी. मैं चूची और निप्पल काटते हुए दीदी की चुत चोदने लगा.

कुछ पल बाद दीदी बोलीं- एक बार चिकन चला दो.

मैं उठकर चिकन चला आया और वापस आकर घुटने के बल बैठ कर चूत में लंड डाल दिया.

दीदी बोलीं- अपने ऊपर के कपड़े उतार दो … आज तक नहीं उतारे.

मैंने टी-शर्ट को उतार दिया. दीदी मेरी छाती पर हाथ से सहलाने लगीं. मैं चुत में धक्के मारने लगा, वो मेरी छाती चूमती हुई मेरे निप्पल्स काट रही थीं.

छत के फर्श पर चुदाई हो रही थी, चटाई सरक कर निकल गई थी.

इस वजह से मेरा घुटना छिलने को हो रहा था, दर्द होने लगा था. मैंने अपने दोनों हाथ उनकी चूचियों पर रखे और चूची मसल मसल कर जोर जोर से चोदने लगा.

पन्द्रह मिनट में झड़ कर मैं उनके ऊपर ही लेट गया.
उन्होंने मेरा पसीना पौंछा और बैठ गईं.

चिकन भी तैयार होने को था, तब तक हम दोनों बात करने लगे.

दीदी अचानक बोल पड़ीं- तुम्हारे जीजा बहुत मोटे हो गए हैं. ना तो वो अच्छे से कर पाते हैं और ना मैं उनका वजन झेल पाती हूं. इस बार 5-6 महीने घर पर रहे, मगर 15-16 बार ही किए होंगे. वो आठ दस झटके देकर अन्दर झड़ जाते थे और मैं गर्म रह जाती थी. उस समय मैं तुमको याद करती थी कि कब आओगे.

मैंने कहा- अब मैं आ तो गया हूं!
वो बोलीं- हां मैं भी जब तक तुम्हारी सेवा कर सकती हूं, करूंगी. अब बच्चे भी बड़े हो रहे हैं तो संभल कर करना पड़ेगा. पर एक वादा करो राज … तुम मेरे अलावा किसी को नहीं देखोगे, भले शादी के बाद अपनी बीवी से कर लेना, पर अभी मुझे ही अपनी बीवी समझो. तुमको हर तरह का हक है.

दीदी भावुक हो गई थीं.
मैंने कहा- जैसा आप चाहती हैं, वैसा ही होगा.

मैं अभी जवान हो रहा था और दीदी की जवानी ढल रही थी. फिर भी अभी लगभग 10 साल तक उनकी चूत चोदने को मिलेगी.

फिर हम चिकन खाने के व्यस्था में लग गए. अब वक़्त 10 बजे का हो गया था.

मम्मी का कॉल आया- आओगे?
मैंने मना कर दिया.
मम्मी बोलीं- ठीक है.

खाना खाने के बाद हम लोग नीचे चले गए.

दीदी ने तीन गिलास दूध गर्म किया. दोनों बच्चों और मुझे दिया. मैंने दूध ठंडा किया और सेक्स की गोली खा ली.

मैंने सोच लिया था कि आज उनकी चूत लाल कर दूंगा. बच्चे टीवी देखने लगे दीदी मेरे साथ बैठ गईं.

मैंने कहा- बच्चे कब तक सोएंगे?
दीदी बोलीं- सो जाएंगे अभी, मैंने दूध में उनको नींद की गोली दे दी है.

मैंने पूछा- गोलियां कहां से आईं?
वो बोलीं- मैं कभी कभी रात में लेकर सोती हूं … डॉक्टर ने लिखा है.

मैंने कहा- आज आप कराहने वाली हैं.
दीदी बोलीं- वो तो तुम्हारी ताकत और हथियार देख कर लगता है. मैं हर दर्द के लिए तैयार हूं.

दीदी मेरे कंधे पर सिर रखकर बोलीं- राज मुझे तुमसे प्यार हो गया है, तुम्हारा नहीं पता.
मैंने कहा- मुझे भी हो गया है, मर्द अपनी पूरी चाहत नहीं दिखाता.

दीदी बोलीं- मैंने कभी गलत कदम नहीं उठाया, ये मत सोचना कि मैं ऐसी वैसी हूं.
मैंने कहा- अरे ना ना!

दीदी अपना हाथ मेरे लंड पर ले आईं और लंड मसलती हुई बोलीं- आज इसको मैं तबाह कर दूंगी.
मैंने कहा- ऐसा क्या!

वो बोलीं- हां आज तुमको अपने प्यार की गहराई दिखाऊंगी.
मैंने कहा- जिसने सब कुछ सौंप दिया … अब क्या उसकी गहराई देखना.

वो मुस्कुराने लगीं.

मैंने पूछा- बच्चे सो गए क्या?
दीदी बोलीं- मैं देख कर आती हूं.

हम दोनों आज लॉबी में ही चुदाई करने वाले थे क्योंकि बेडरूम में बच्चे सोते हैं.

लॉबी एक तरह से गेस्ट रूम है. दीदी का घर ज्यादा बड़ा नहीं है. उसी में सोफ़ा और एक बेड लगा है.

मेरी दवा असर कर रही थी, लंड अपने आकार में आ गया था.

दीदी आईं और बोलीं- बस बच्चे सोने ही वाले हैं. पर आएंगे नहीं, गेट भिड़ा कर आई हूं.

उन्होंने हमारे रूम का पर्दा डाल दिया. मैंने दीदी को बांहों में भर लिया, उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन में डाल दिए.
मैं उनकी कमर पर हाथ रखकर डांस करने लगा. वो भी साथ देने लगीं, छाती से चूची, लंड से चूत, कमर से कमर चिपकी पड़ी थीं.

दीदी बोलीं- बहुत रोमांटिक हो तुम … मैं तो सोच रही थी कि तुझमें बस एक जंगली लड़का है.

मैं उनकी गांड दबाने लगा, वो मेरे सीने पर सिर रखकर बात करती रहीं और डांस करती रहीं.

मैंने कहा- आज सुकून से सब हो रहा तो कोई जल्दी नहीं है.

वो ‘हम्म …’ कह कर सांसें मेरे सीने में छोड़ती रहीं.

मैं बोला- आज आपको ब्रा और पैंटी में देखना है.
दीदी बोलीं- अभी आती हूं.

वो मेरे होंठों पर चुम्मा देकर अपने बेडरूम से ब्रा पैंटी ले आईं. आकर बताया कि बच्चे सो गए हैं.

मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी, दीदी ने भी मैक्सी को उतार दिया.
दीदी की चूचियां एकदम तनी हुई थीं और चूत से सफ़ेद पानी आ रहा था.

लाल ब्रा और काली पैंटी थी.
दीदी ने पैंटी पहन ली और चूची दिखाती हुई बोलीं- पहले चुम्मा दो इसको.

वो एकदम मासूम बन गईं थीं, कह कह कर प्यार करवा रही थीं.
एकदम जैसे बीवी हों और उनको पति के प्यार की सख्त जरूरत हो.

मैंने दोनों निप्पल्स को चुम्मा दिया और दीदी ब्रा अपने मम्मों पर डाल कर पीछे मुड़ गईं.

वो बोलीं- हुक लगाओ.
मैंने हुक लगाकर दीदी को अपनी तरफ मोड़ा.

हाय क्या लग रही थीं … एकदम मस्त माल … थोड़ा सा पेट निकला था. फूले हुए पेट का मज़ा तब आता है, जब चोदो और वो हिले.
वो बोलीं- अब उतार रही हूँ … तुम इनको चूसो.

मैं सोफे पर बैठ गया और उनको अपनी गोद में लेकर चूमने लगा.
ब्रा खोले बिना ऊपर करके चूची पीने लगा.
वो अपनी चूत लंड पर रगड़ने लगीं.

दीदी बोलीं- एक बार गोद में बैठकर करो.
उनको बस मेरा लंड चूत में चाहिए था.

मैंने कहा- जल्दी क्या है … चूत चाटने के बाद करूंगा.
मैं सोफे पर लेट गया और बोला कि मैं चूत चाटता हूं … आप लंड चूसिए.

ऐसे ही हुआ … गर्म गर्म जीभ और मुँह के मेरा लंड मुझे किसी और दुनिया में ले गया.
वो अपनी गांड हिला हिला चूत मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं.

उनके बाल बिखरे हुए, आंखें वासना से लबरेज … सच में दीदी इस समय पक्की रांड लग रही थीं.

मैंने उनको बेड पर लिटा दिया और लंड चूत में डाल कर धीरे धीरे पेलने लगा.
दवा खाकर तो मुझमें मानो असीम ताकत आ गई थी.

मैं इतनी जोर जोर से धक्का मारने लगा कि दीदी कराहने लगीं, चीखने लगीं.
उन्होंने चादर का सिरा मुँह में डाल लिया ताकि आवाज ना आए.

मैंने लंड खींच कर दौड़ के दरवाज़ा बंद किया और फिर से लौड़ा अन्दर पेल दिया.

अब कमरे में ‘पट पट …’ की ध्वनि के साथ मादक सिसकारियों की आवाज आ रही थी और तेज सांसें चल रही थीं.

उनकी टांगें आसमान में लहरा रही थीं. चूचियां डोल रही थीं, पेट हिल रहा था.
मैं दीदी की चूचियां भींच भींच कर उन्हें ताबड़तोड़ चोद रहा था.

फिर एक नया तरीका मैंने इजाद कर दिया.
मैं खड़ा हो गया, दीदी के दोनों पैर अपनी जांघों पर टिकवा दिए.

दीदी मेरी गर्दन पकड़ कर ऊपर आ गईं और मैंने उनकी गांड से उनको पकड़ लिया.
मेरा लंड चुत में था.

वो भी धक्का मारने लगीं. पूरा लंड चूत में समाहित हो रहा था.
पसीने के कारण दीदी फिसलने लगीं.

अब मैं लेट गया और वो लंड पर बैठ कर अपना कमाल दिखाने लगीं- आह यही सुख तो तेरे जीजा जी नहीं दे पा रहे थे.

दीदी लंड पर उछल उछल कर अन्दर ले रही थीं.
मैं भी मस्त था.

काफी देर बाद दीदी ने चूत से फुहार छोड़ दी और निढाल मेरे ऊपर गिर गईं.
मैं नीचे से धक्का मारने लगा.

पच पच … करता हुआ उनकी चूत का पानी मेरी गांड तक आ गया.
मैं भी स्खलित हो गया.
दीदी हांफ रही थीं और मुझे बेशुमार पप्पियां देने में लगी थीं.

मेरा लंड अभी दीदी की चूत में ही था, पर छोटा हो गया था.

जब मैंने बाहर निकाला तो दीदी लंड चूमने लगीं.

फिर हम दोनों लेट के बात करने लगे दीदी बोलीं- राज, मेरी चूची का साइज़ बढ़ रहा है. तुम रोज इनको मसलते हो.
मैंने कहा- क्या करूं … ये तो मेरी जान हैं.
मैं फिर से चुची चूमने लगा.

दीदी बोलीं- चूची बढ़ेगी तो तुम्हारे जीजा को शक हो जाएगा.
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा … बोल दीजिएगा कि घर में ब्रा नहीं पहनती हूँ और कहीं जाना होता नहीं है, इसलिए ऐसा हुआ है.

उस रात मैंने रुक रुक कर दीदी को 4 बार चोदा.

मैंने उनकी चूत और चूची का बुरा हाल कर दिया था, शरीर का एक एक अंग आगे पीछे चूमता रहा था.

लंड सुबह तक दुहाई मांगने लगा कि छोड़ दो मुझे, चूत में मेरा दम घुटने लगा है.

सुबह मैं लंड पकड़ कर घर चला आया.

शाम को दीदी का फोन आया कि राज चल नहीं पा रही हूं … तुमने बहुत दर्द दिया है. रात भर में तोड़ कर रख दिया है. दिन भर सोई रही हूँ अभी उठी, तो चल ही नहीं पा रही हूँ.

मैंने कहा- कल सुबह स्कूटी सीखने आइए, पूरा दर्द ठीक कर दूंगा.
दीदी बोलीं- रहने दो, चुत सूज कर गुझिया हो गई है.

मैं हंसने लगा.

दीदी- राज सुनो ना!
मैं- हां बोलो.

दीदी- आई लव यू.
मैं- आई लव यू टू.

दोस्तो, इस तरह से दीदी की चुदाई का खेल चलने लगा. कभी सड़कों के किनारे, कभी पेड़ के नीचे, कभी घड़ी बना कर चुत में लंड चल रहा है.

अब तो बस बच्चों के कॉलेज खुलने का इंतजार है. जैसे ही वो कॉलेज जाना शुरू करें तो दीदी की गांड मारी जाए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#72
पड़ोसन दीदी की कुंवारी बुर खोली
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#73
मेरे पड़ोस वाली हरप्रीत दीदी की उम्र 25 साल है. वो पंजाबी परिवार की हैं. पंजाबी गर्ल सेक्सी होती हैं. वो बहुत सुंदर हैं.
दीदी की शादी की उम्र हो चुकी थी पर उनका रिश्ता कहीं नहीं हो पा रहा था क्योंकि उनके पैर में मामूली नुक्स था, उनकी चाल थोड़ी अलग थी.

उनको देख कर मेरा दिल उनकी चुदाई करने का करता था.

उनके और हमारे परिवार में एकदम घर जैसे सम्बन्ध हैं.
मैं इसी अभिलाषा से दीदी के घर जाया करता था कि किसी तरह से दीदी को देख सकूँ और मौक़ा खोज सकूँ कि दीदी को चोद लूं.

एक दिन मेरे घर के सारे लोग कहीं गए हुए थे.
मैं शाम को दीदी के घर गया.

मैंने उनसे कहा- मेरे घर पर आज कोई नहीं है. मैं कुछ देर बाद घर जाऊंगा. अकेले में मेरा मन नहीं लगेगा.

दीदी ने पूछा- घर के सब लोग कहाँ गए हैं?
मैंने बताया- शादी में.
दीदी ने पूछा- तुम क्यों नहीं गए?
मैंने कहा- मेरा मन नहीं था. फिर मम्मी ने एक जन घर पर रुकने के लिए भी कहा था.

दीदी ने ओके कहा.
फिर कुछ देर रूकने के बाद दीदी बोलीं- तू आज यहीं रुक जा!

मैं सोचने लगा कि क्या दीदी भी कुछ मूड में हैं.

वो बोलीं- चल, तेरे घर में ताला लगा आते हैं.[Image: 40906656_066_04dd.jpg]
मैंने कहा- ठीक है.

हम दोनों ताला लगाने आ गए.
उस वक्त मेरे घर की लाइट बंद थी, एकदम अंधेरा पड़ा था.

मैं लाइट चालू करने गया तो उसी बीच दीदी किसी चीज़ से टकरा गईं और वो गिर गईं.
उनकी आवाज आई- आह मर गई सोनू … जल्दी आ.

मैंने झट से दीदी को अपनी गोद में उठाया और उन्हें अन्दर कमरे में ले गया.
कमरे में मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया.
[Image: 40906656_053_f912.jpg]
मैंने उनसे पूछा- आपको किधर चोट आई है?
तो दीदी ने अपनी गांड पर हाथ फेर कर कहा- मैं एकदम से गिरी थी तो मेरे कूल्हे में दर्द हो रहा है.

मैंने उन्हें पेन किलर गोली दे दी.
अब मैं उनकी लॉन्ग स्कर्ट को ऊपर करके देखने लगा कि कहीं खून आदि तो नहीं निकल रहा है.

मैंने उनकी टांग पर हाथ फेर कर फिर से पूछा- बताओ … कहां दर्द हो रहा है?
दीदी ने कहा- इधर नहीं … थोड़ा ऊपर की तरफ हो रहा है.[Image: 40906656_045_56a4.jpg]

मैंने उनकी स्कर्ट और ऊपर की तो दीदी की पैंटी दिख गई. दीदी ने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी.
फिर मैंने दीदी की टांग में तेल लगाया और उनसे चलने को कहा.

दीदी ने मेरा सहारा लेकर चल कर देखा, वो अब ठीक थीं.
कुछ देर में मैं और दीदी के घर वापस आ गए.

दीदी के घर में 3 रूम थे.[Image: 40906656_047_ff7c.jpg]
दो कमरों में उनके मम्मी पापा और दादी के लिए थे. तीसरा रूम दीदी का था. उसमें दीदी अकेली रहती थीं.

दीदी की मम्मी ने दीदी से कहा- अब ये कहां सोएगा?
तो दीदी बोलीं- ये मेरे रूम में सो जाएगा. मेरा रूम खाली है. वैसे भी मैं अकेली ही सोती हूँ.

दीदी की मम्मी ने कुछ नहीं कहा.
उसके बाद खाना हुआ और हम दोनों कमरे में आ गए.

दीदी बोलीं- मैं नहा कर आती हूँ.[Image: 40906656_013_19f5.jpg]
मैंने कहा- हां ठीक है.

दीदी नहाने चली गईं और मैं लेट गया. दीदी नहा कर बाहर सर निकाल कर देख रही थीं. शायद उनके कपड़े रूम में ही रखे थे.

दीदी ने कहा- सोनू, मेरे कपड़े कमरे में ही रखे हैं. मुझे कमरे में आना है.
मैंने कहा- आप आ जाओ दीदी मैं आंख बंद कर लेता हूँ.

मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं.
वो रूम में पैंटी और ब्रा में ही आ गईं.
[Image: 40906656_009_1953.jpg]
कमरे में आकर वो अपने कपड़े पहनने लगीं.

तभी मैं उठ गया और दीदी से पूछा- दीदी पानी कहां रखा है?
मैंने पूछा, तो दीदी डर गईं और उन्होंने झट से अपने बदन पर एक चादर लपेट ली.

मैंने कहा- दीदी, सॉरी … मुझे लगा कि आपने कपड़े पहन लिए हैं.
दीदी- कोई बात नहीं.

कुछ देर और आंख बंद कर, मैं कपड़े पहन लूं.
मैंने कहा- ओके, एक मिनट मैं बाहर ही चला जाता हूँ.
[Image: 40906656_003_03e0.jpg]
मैं बाहर चला गया.
दस मिनट बाद अन्दर से आवाज आई- सोनू अन्दर आ जा.

मैं अन्दर गया, तो देखा दीदी ने मिनी स्कर्ट और टॉप पहन रखा था.
मैंने पूछा- आप ये पहन कर सोती हैं?

दीदी बोलीं- नहीं रे पागल … आज तू है न … इसलिए पहने हैं.
मैंने कहा- मेरी वजह से आप परेशान हों, ये मुझे अच्छा नहीं लगेगा. मैं अपने घर जा रहा हूँ.

मैं बाहर जाने लगा.[Image: 40906656_005_7b87.jpg]
दीदी- रुक पागल.

मैं- अब क्या हुआ?
दीदी बोलीं- मुझे तेरे रहने से कोई परेशानी नहीं है. तू रूम में आ जा.

मैं रूम में वापस आ गया.
दीदी बोलीं- कोई बात नहीं, एक दिन की ही तो बात है.

 अपनी चूत चुदाई का मजा ले लेती हैं
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#74
मैंने कहा- नहीं दीदी, मुझे अच्छा नहीं लगता कि कोई मेरी वजह से परेशान रहे.
दीदी मुस्कुरा दीं.

मैंने कहा- आप पहले जैसे अपने रूम में रहती थीं, आप वैसे ही रहोगी.
दीदी हंस कर बोलीं- एक बार फिर सोच ले.
मैंने कहा- हां सोच लिया.

दीदी ने कहा- मैं जैसे रोज अपने कमरे में सोती हूँ वैसे ही रहूँगी, उससे तुझे कोई दिक्कत नहीं होगी … पक्का न!
मैंने कहा- हां पक्का.

कुछ देर में दीदी ने टॉप और स्कर्ट उतार दिए. वो ब्रा और पैंटी में आ गईं.
मैं दीदी को देखता ही रह गया.

वो बोलीं- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं. मुझे नहीं मालूम था कि आप ब्रा पैंटी में सोती हैं.

दीदी हंस कर बोलीं- क्या तू पूरे कपड़ों में ही सोता है?
मैंने कहा- नहीं.

दीदी- तो उतार दे अपने कपड़े … और सो जा.
मैंने सिर्फ चड्डी पहने रखी और हम दोनों बेड पर आ गए.

कुछ देर में दीदी सो गईं, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैंने देखा दीदी टांगें फैला कर मस्त सो रही थीं.

मैंने अपना एक हाथ दीदी के पेट पर रख दिया.
दीदी ने कुछ नहीं बोला तो मैं उनकी ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्मों को दबाने लगा.
लेकिन दीदी कुछ नहीं कह रही थीं.

मुझे दीदी के दूध सहलाने और दबाने में मज़ा आने लगा.
मैं दीदी के और पास हो गया और उनसे चिपकने लगा.

तभी दीदी ने मेरे हाथ को पकड़ कर साइड में रख दिया.
मैं डर गया और शान्त हो गया.
कुछ देर बाद दीदी फिर से सो गईं.

अब मैं फिर से उनकी तरफ सरका और दीदी की चूत पर हाथ फेरने लगा.
एक हाथ से मैं अपने लंड की मुठ मारने लगा.

कुछ ही देर में मैंने अपना सारा माल दीदी की चूत पर और उनके मुँह पर लंड करके होंठों पर गिरा दिया.

अब मैं थक गया था इसलिए पलट कर सो गया.

सुबह जब मैं उठा तो देखा रूम में कोई नहीं है.

मैंने नीचे झांका, दीदी कुछ काम कर रही थीं.
मैं वापस कमरे में आ गया.

कुछ देर बाद दीदी के ऊपर आने की आवाज आती सुनाई दी.
मैं दुबारा सोने का नाटक करने लगा.

दीदी कमरे में आईं और बाथरूम में चली गईं, बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आने लगी.
कुछ देर बाद दीदी नहा कर बाहर नंगी ही आ गईं और कपड़े पहनने लगीं.

मैं उठ गया तो मुझे जागा देख कर दीदी बोलीं- गुड मॉर्निंग.
दीदी ने ब्रा पैंटी पहनी हुई थी.

मैंने उनसे गुड मॉर्निंग कहा.
दीदी ने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए.

अब मैं नहाने गया, तो दीदी नीचे चली गईं.

कुछ देर बाद मैंने नीचे आकर नाश्ता खाया और बाहर चला गया.

दोपहर में खाना खाकर मैं फिर से खेलने चला गया.
शाम को वापस घर आया तो पापा का फोन आया कि वो लोग आज भी नहीं आ रहे हैं.

मैंने आज भी दीदी के घर रुकने का सोच लिया.
मैं और दीदी रात को रूम में आ गए.

रूम में जाते ही मैं सोने का बहाना करने लगा.
दीदी नहाने चली गईं.

आज दीदी ने बाथरूम का गेट खुला रखा था.

मैं उठा और दीदी को देखने लगा.
अंदर देख कर मैं चौंक गया.
दीदी गाजर को अपनी चूत में पेल रही थीं और आंह आंह कर रही थीं.

कुछ देर तक दीदी मुठ मारती रहीं.

फिर दीदी का पानी निकल गया और दीदी एकदम से निढाल हो गईं.

दीदी का पानी बहुत ज्यादा निकला था.[Image: 81344211_035_f230.jpg]
मुझे पता चल गया था कि दीदी अन्दर से खौल रही थीं, उनको एक मर्द के लंड की सख्त जरूरत थी.

तभी मैंने देख लिया था कि दीदी ने मुझे मुठ मारते हुए देख लिया है.
वो कुछ नहीं बोलीं.

मैं बेड पर आकर बैठ गया.
कुछ देर में दीदी कपड़े पहनकर कमरे में आ गईं.

आज दीदी ने लाल रंग का सूट पहना था.
मैंने कुछ नहीं कहा.

तो दीदी बोलीं- सॉरी सोनू. वो मैं बहुत असहज महसूस कर रही थी इसलिए …
मैंने कहा- कोई बात नहीं दीदी, ऐसा होता है. मगर एक बात कहूँ … यदि आप बुरा न मानें.

दीदी ने मेरी तरफ देखा और बोलीं- हां बताओ?
मैंने आंख दबा कर कहा- दीदी गाजर तो पतली होती है. उससे क्या मजा आएगा?

इस पर दीदी मेरी तरफ आशा भरी निगाहों से देखती हुई बोलीं- तो क्या करूं?
मैं बोला- क्या मैं आपकी इच्छा पूरी कर सकता हूँ?[Image: 81344211_041_1f74.jpg]

दीदी कुछ नहीं बोलीं.
मैं समझ गया कि दीदी का चुदने का मन है मगर वो संकोच कर रही हैं.

मैं उनके पास को गया और उन्हें समझाया.
दीदी मान गईं.

मैं दीदी को किस करने लगा.
दीदी भी मेरे साथ लग गईं.[Image: 81344211_071_dc84.jpg]


हमारा चुम्बन 10 मिनट तक चला.
दीदी के होंठों की हालत खराब हो गई थी.

अब मैं दीदी के मम्मों ऊपर से ही उनके एक दूध को पीने लगा.
दीदी कुछ नहीं बोलीं.

फिर मैंने दीदी का शर्ट उतार दिया. अन्दर दीदी ने सफेद रंग की छोटी सी ब्रा पहनी थी.
मैं देखता ही रह गया. ब्रा में दीदी मस्त माल लग रही थीं.[Image: 81344211_054_9289.jpg]

अब मैंने दीदी की सलवार भी उतार दी. दीदी मेरे सामने पैंटी और ब्रा में मस्त चोदने लायक माल लग रही थीं.

मैं दीदी की पैंटी को खींचने लगा.[Image: 84830215_018_6385.jpg]
दीदी बोली- फत जायेगी … आराम से उतार दो.
मैंने दीदी की पैंटी उतार दी.

दीदी चित लेट गईं और मैं दीदी की चूत को कुत्ते के तरह काटने चाटने लगा.
कुछ ही देर में दीदी गर्म हो गईं.

दीदी एक तरह से सिसकारने लगी थीं- प्लीज़ सोनू जल्दी से डालो.
मैंने कहा- रूको अभी.
[Image: 44322910_007_8a6a.jpg]
मैं दीदी की चूत चाटता रहा और दीदी ने कुछ ही देर में अपनी चूत से बहुत सारा पानी निकाल दिया.

मैं दीदी की चूत का सारा रस चाट गया और चूत को लगातार चाटता रहा.

इससे दीदी दुबारा गर्म होने लगीं. वो फिर से बोलने लगीं- जल्दी से अन्दर डालो.
मैंने कहा- डालता हूँ.

तब मैंने लंड बाहर निकाला तो दीदी की गांड फट गई.
वो बोलीं- सोनू ये क्या है … तेरा इतना बड़ा लंड कैसे हो गया?
मैंने कहा- अब क्या करूं दीदी … मेरे पास इसे छोटा करने का कोई तरीका ही नहीं है.

दीदी मेरे लंड से सहम सी गई थीं, वो बोलीं- इससे तो मेरी चूत का भोसड़ा बन जाएगा.
मुझे लगा कि दीदी शायद मुझे लंड नहीं डालने देंगी.[Image: 44322910_010_9e92.jpg]

मैंने कहा- आप डरो मत. मेरे पास इसका इंतजाम है. बस आप मना मत करना.
दीदी कुछ नहीं बोलीं.

मैंने बेड से दीदी के दुपट्टे से उनके हाथ बांध दिए.
फिर दीदी की चूत में लंड सैट किया और झटका दे दिया.

एक ही बार में मेरा लंड दीदी की चूत को फाड़ते हुए अन्दर घुस गया.
दीदी को लंड लेते समय ही बेहोशी छ गई.
उन्हें कोई होश ही नहीं रहा.

मैं डर गया और मैंने दीदी के मुँह पर पानी के छींटे मारे.
अब दीदी होश में आ गईं और रोने लगीं.

मैं धीरे धीरे से लंड को अन्दर डालने लगा.
मगर दीदी रोए जा रही थीं.

मैं दीदी की चूचियां चूसने चाटने लगा.

वो कुछ देर तक चुदाई का दर्द सहन करती रहीं. फिर आराम मिलने के बाद दीदी मेरा साथ देने लगीं.

मैंने 20 मिनट तक दीदी की टाईट बुर चोदी.[Image: 44322910_021_135d.jpg]
इसके बाद मेरे लंड का पाने गिरने ही वाला था तो मैंने लंड चूत से निकाला और दीदी के मुँह में गिरा दिया.

दीदी का मुँह मेरे वीर्य से भर गया. दीदी ने मेरे मुँह से मुँह लगाया और अपने मुँह में भरा सारा रस मेरे मुँह में डाल दिया.

मैंने फिर से दीदी के मुँह में डाला.
दीदी इशारे से बोलीं- इसे अपने मुँह से मेरी चूत में डालो.[Image: 44322910_024_8d0d.jpg]

मैंने सारा माल अपने मुँह में लिया और दीदी की चूत को दो उंगली से फैला कर देखना शुरू किया.
उन्हें चूत में दर्द होने लगा था.

मैंने अपना मुँह दीदी की चूत पर रखा और दीदी की चूत में प्रेशर से लंड रस टपका दिया.

इस तरह से उस रात में मैंने सेक्सी पंजाबी गर्ल को एक बार और चोदा.

अब दीदी को जब भी लंड की जरूरत होती है, वो मेरे लंड से
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#75
[Image: 38085004_005_7aca.jpg]


[Image: 38085004_006_a913.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#76
[Image: 38085004_008_f300.jpg]

[Image: 38085004_007_f300.jpg]
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#77
[Image: 38085004_002_c109.jpg]



[Image: 38085004_003_666d.jpg]
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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