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Incest सगी बहन के साथ अधूरा सेक्स
#41
अब मैंने उसकी तरफ से कोई भी विरोध ना देखकर मन ही मन बहुत खुश होकर अपने हाथों की रफ़्तार को अब पहले से भी ज्यादा तेज़ कर दिया, लेकिन उसने अब भी मुझे अपनी तरफ से कोई भी सिग्नल नहीं दिया.

अब मैंने उसके पैर पर ज़ोर दिया और उसको सीधा कर दिया, वो मेरे सामने एकदम चित होकर लेटी हुई थी और उसके उभरे हुए बड़े आकार के बूब्स उसकी तेज़ी से चलती हुई सांसो की वजह से मुझे ऊपर नीचे होते हुए नजर आ रहे थे और फिर में धीरे धीरे अपने हाथ को उसकी चूत पर ले गया और उसको सहलाने लगा और मेरा ऐसा करने की वजह से मेरे लंड का आकार अब बढ़ने लगा था, लेकिन अब मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि में अब क्या करूं?

अब में जोश में आकर लगातार अपने हल्के हाथ से उसकी चूत को सहलाता जा रहा था, लेकिन वो मुझे अपनी तरफ से कोई भी इशारा नहीं दे रही थी और ना ही वो मुझे यह सब करने से मना कर रही थी और ना ही आगे कुछ ज्यादा करने के लिए कोई इशारा दे रही थी और कुछ देर बाद आख़िर में तंग आकर वहां से उठ गया और में वापस अपने कमरे में आकर लेट गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#42
कुछ देर में उसके बारे में सोचता हुआ ना जाने कब गहरी नींद में सो गया. फिर जब में सुबह उठा तो मैंने देखा कि मेरी बहन नौकरी पर जा चुकी थी और मेरी माँ और वो घर के काम में व्यस्त थी. मैंने उठकर नहाने के बाद सुबह का नाश्ता किया और उसके बाद में बाहर चला गया और में उसके बाद दोपहर के समय अपने घर पर आया, तो मैंने खाना खाया और उसके बाद में सीधा किसी कुछ भी बोले बिना अपने कमरे में चला गया. थोड़ी ही देर के बाद वो जब घर के काम से फ्री हो गई तो वो मुझसे बातें करने के लिए मेरे कमरे में आ गई और तभी बातों ही बातों में मैंने उससे पूछा कि क्या कल रात को तुम जाग रही थी? तो वो अब मेरे सामने बिल्कुल अंजान बनकर मुझसे कहने लगी कि कब और तुम मुझसे क्या बोल रहे हो, मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा है?

मैंने उसी समय उस बात को टाल दिया, लेकिन दोस्तों में बहुत अच्छी तरह से जानता था कि वो यह सब मेरे सामने नाटक कर रही है और उसको रात में जो कुछ भी मैंने उसके साथ किया था, वो सब बहुत अच्छी तरह से याद है और वो भी अपने साथ यही सब चाहती है और उसके मन में भी वो सब चल रहा था, जो में उसके साथ अब करना चाहता था, लेकिन मुझे इस बात की भी बहुत ख़ुशी थी कि उसने जो काम मैंने उसके साथ बीती रात को किया था, उसके बारे में घर में किसी को नहीं बताया और सभी से उसको छुपाया.

उसके ऐसा व्यहवार करने की वजह से अब मेरी हिम्मत पहले से ज्यादा बढ़ गई थी. फिर कुछ देर बाद मैंने फायदा उठाते हुए बातों ही बातों में मैंने उससे एक किस माँगी तो उसने शरमाकर मुझसे मना कर दिया और उस बात को उसने टाल दिया, जिसका मतलब में पूरी तरह से समझ चुका था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#43
जब मैंने देखकर महसूस किया कि उसने मेरी उस बात का बिल्कुल भी बुरा नहीं माना, तो मैंने एक बार फिर से उसको कहा कि में तुम्हें किस करना चाहता हूँ, लेकिन उसने अब भी मुझे किस देने के लिए साफ मना कर दिया और उसका व्यहवार मेरे लिए अब भी पहले की तरह शांत ही था. अब मैंने देखा कि मेरे कोचिंग जाने का अब समय हो गया था और वो उस समय मेरे बिल्कुल सामने बैठी हुई थी. में अपने कोचिंग जाने के लिए तैयार होने के लिए जैसे ही उठ रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#44
भी मैंने उठते समय उसके नरम गुलाबी होठों को ज़बरदस्ती किस कर दिया और जब मैंने अपने होंठ उसके होंठो से हटाकर अलग कर दिए तो उसने मुझे हल्का सा धक्का दे दिया और वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी.अब में तुरंत समझ गया कि मेरे जबरदस्ती करने की वजह से उसको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा. फिर में उठा और कोचिंग जाने की तैयारी करने लगा और घर से बाहर निकलने से पहले में दोबारा उस कमरे में चला गया. फिर मैंने देखा कि वो अब बेड पर लेटी हुई थी तो में उसके पास बैठकर उसको किसिंग करने लगा और इस बार वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

दोस्तों में चाहता तो उस दिन अपनी कोचिंग की छुट्टी कर लेता, लेकिन में यह बात जानता था कि मेरे छुट्टी करने का कोई भी फ़ायदा नहीं था, क्योंकि कुछ देर बाद मेरी बहन के आने का समय हो गया था और वो अब कभी भी आ सकती थी, उस बात को मन में सोचकर में अपनी कोचिंग चला गया और फिर में करीब आठ बजे रात को वापस आ गया, तो मैंने देखा कि वो उस समय मेरी बहन के साथ टी.वी. देख रही थी. अब में हर रोज़ की तरह खाना खाने के बाद बाहर अपने दोस्तो के पास चला गया और फिर में रोज़ ही की तरह थोड़ा देर से वापस आ गया और जब में अपने घर आया, तो मैंने देखा कि वो और मेरी बहन से बातें कर रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#45
में अपने कमरे में चला गया और थोड़ी देर के बाद वो मेरे कमरे में आ गई, तब मैंने उससे अपनी बहन के बारे में पूछा कि वो क्या कर रही है? तो वो कहने लगी कि वो अब अपने कमरे के जाकर सो चुकी थी और मेरी माँ तो पहले से ही सोई हुई थी और अब हम दोनों ने इधर उधर की बातें करना शुरू कर दिया था और फिर मैंने उससे पूछा कि जो कुछ भी आज दोपहर को हमारे बीच में हुआ है, तुमको उसका बुरा तो नहीं लगा? तब उसने मुझसे कहा कि अगर मुझे उस सबका बुरा लगा होता तो में अभी तुम्हारे पास यहाँ ना आती.

तभी मैंने उससे कहा कि अगर हम दोबारा कुछ करें तो तुम्हारा उसमें क्या विचार है? लेकिन अब उसने मुझसे कुछ नहीं कहा और वो बिल्कुल चुप हो गई और बहुत देर तक बातें करने के बाद वो जाने के लिए खड़ी हो गई. फिर में भी उसी समय उसके साथ खड़ा हो गया और मैंने उससे कहा कि तुम मुझे किस करने दो, लेकिन तब भी उसने मुझसे कुछ नहीं कहा और फिर मैंने उसको पकड़कर किस करना शुरू कर दिया और उस समय में उसको बहुत देर तक किस करता रहा, कभी में उसकी गर्दन पर तो कभी गाल पर और कभी उसके बूब्स पर उसको लगातार चूमता रहा.

फिर मैंने उसको छोड़कर अब कमरे की लाईट को तुरंत बंद कर दिया और उसको बेड पर लेटाकर में उसके ऊपर लेट गया और अब में उसके नरम रसीले होंठो को लगातार चूसता रहा और फिर में उसके होंठो और गर्दन पर भी किस कर रहा था और अपने दोनों हाथों से में उसके बूब्स को दबा भी रहा था और कुछ देर बाद मैंने उसको अपने ऊपर कर दिया और में उसकी गांड को दबाने लगा और बहुत देर तक हम इसी तरह मज़े करते रहे.

फिर कुछ देर बाद मैंने उसको सीधा लेटा दिया और अब मैंने उसकी कमीज़ को ऊपर करना चाहा, लेकिन उसकी वो कमीज़ ज्यादा टाईट होने की वजह से मुझसे ऊपर नहीं हो रही थी. तभी उसने मुझसे पीछे से उसकी चेन को खोलने के लिए कहा. तब मैंने उसको उठाया और उसकी कमर के पीछे से चेन को झट से खोल दिया.

उसके बाद मैंने उसकी कमीज़ को आगे से ऊपर किया और तब मैंने देखा कि उसने उसके नीचे सफेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी और उसको उस रूप में अपने सामने पहली बार देखकर में बिल्कुल पागल हो गया और मैंने उसकी ब्रा को भी तुरंत ऊपर कर दिया, जिसकी वजह से उसके बड़े आकार के गोरे गोरे बूब्स अब मेरे सामने आ चुके थे और में अपने पूरे होश खोकर उसके नंगे लटकते हुए बूब्स को दबाने लगा और उसकी निप्पल को ज़ोर से निचोड़ने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#46
फिर में कुछ देर बाद अपने मुहं को उसके दोनों बूब्स के बीच में रखकर में अपनी जीभ से चाटने लगा और उसके बाद में उसके हल्के भूरे रंग के तने हुए निप्पल को भी अपनी जीभ से चाटने लगा और फिर चूसने लगा. दोस्तों में उसके एक एक करके दोनों बूब्स को चूस और चाट रहा था. मुझे ऐसा करने में बड़ा मज़ा और जोश आ रहा था. अब मैंने अपनी शर्ट के बटन खोल लिए और मैंने अपनी नंगी छाती को उसके बूब्स से मिला दिए और में उसको किस करने लगा.मेरा लंड एकदम तनकर खड़ा हो चुका था और वो कपड़ो के ऊपर से उसकी चूत के साथ टकरा रहा था. अब मैंने उससे पूछा कि क्या में तुम्हारी सलवार को भी उतार सकता हूँ? तब उसने मुझसे सलवार उतारने के लिए मना कर दिया और वो मुझसे कहने लगी कि मेरे अभी पीरियड चल रहे है, लेकिन अब दोस्तों में नहीं जानता था कि वो मुझसे सच बोल रही थी या झूठ और फिर में उसको ऊपर से ही झटके मारने लगा, क्योंकि में अब तक बहुत गरम हो चुका था, इसलिए में लगातार झटके मार रहा था, जिसकी वजह से में कुछ देर धक्के देने के बाद ही झड़ गया और मेरे लंड ने अपने वीर्य के साथ साथ मेरा जोश भी अब कम कर दिया और फिर बहुत देर तक में उसके ऊपर ही लेटा रहा और में अब भी उसको चूमता, बूब्स को सहलाता रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#47
में उठा और मैंने कमरे की लाईट को वापस जला दिया, वो अब अपनी कमीज़ को ठीक कर रही थी और उसने मुझसे पीछे की चेन को बंद करने को कहा और मैंने उसकी कमीज की चेन को बंद कर दिया. अब थोड़ी देर हम दोनों ने साथ में बैठकर कुछ बातें की. उसके बाद उसने मुझसे पूछा कि क्या में अब सोने के लिए जा सकती हूँ? फिर मैंने उससे कहा कि हाँ बिल्कुल और वो जाने के लिए उठी.

मैंने उसको दोबारा पकड़ लिया और में उसको चूमने सहलाने लगा और इस बार करीब पांच मिनट तक में उसके साथ मज़े मस्ती करता रहा और फिर वो चली गई और में सो गया, लेकिन मुझे अब नींद नहीं आ रही थी और में सारी रात उसके बारे में ही सोचता रहा और में अब कैसे भी करके उसकी चूत में अपना लंड डालना चाहता था, लेकिन पता नहीं क्यों उसने मुझे ऐसा करने दिया? हो सकता है कि वो मुझसे सच बोल रही थी और यह भी हो सकता है कि झूठ बोल रही हो और फिर पता नहीं कब मेरी आंख लग गयी और में सो गया.

फिर जब में सुबह उठा तो कुछ देर बाद मेरी बहन हर रोज़ की तरह अपनी नौकरी पर जा चुकी थी और वो और मेरी माँ घर के काम में व्यस्त थी. अब में नाश्ता करने के बाद उस दिन बाहर नहीं गया और रात को जो कुछ हुआ उसके बारे में सोचता रहा और आज के बारे में सोच रहा था कि आज चाहे जो कुछ भी हो जाए, आज रात को उसकी चूत में लंड ज़रूर डालकर उसकी चुदाई जरुर करूंगा और फिर दोपहर को वो दोबारा मेरे कमरे में आ गई.

मैंने उससे मेरी माँ के बारे में पूछा तो उसने मुझे बताया कि वो किसी काम से बाहर गई है, उनको वापस आने में कुछ समय लगेगा और मैंने देखा कि वो मुझे बहुत खुश नजर आ रही थी और फिर हम दोनों बिल्कुल बिना चिंता के बातें करने लगे और बातें करते करते में बार बार उसके बूब्स को दबाता तो कभी किस करता और उसके गोरे कामुक बदन को धीरे धीरे सहलाने लगता और वो मेरे साथ मज़े लेती रही. फिर ऐसे ही हमारा पूरा दिन गुज़र गया और हमें पता भी नहीं चला और में कोचिंग चला गया.

रात को जब में घर वापस आया तो मैंने देखा कि टीना का भाई उसको अपने साथ घर ले जाने के लिए आया हुआ था, क्योंकि उसकी एक बहन की तबियत बहुत खराब हो गई थी और अब में कुछ भी नहीं कर सकता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#48
चाहता तो था कि वो किसी तरह रुक जाए, लेकिन में कुछ ना कह सका और वो भी मन ही मन यही चाहती थी, लेकिन अब हम दोनों अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकते थे और फिर वो अपने भाई के साथ चली गई और इस तरह से मेरी यह कहानी उसके चले जाने के बाद यहीं पर खत्म हो गई,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#49
बहन की चुदाई की ख्वाहिश पूरी हुई
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#50
री बहन का नाम खुशी है. मैं उससे 3 साल छोटा हूँ. वो 23 साल की है और मैं 20 साल का.

मेरी बहन का कद 4 फुट 9 इंच है. वो कुछ नाटी है. उसका फिगर 32-28-34 का है.
जब वो चलती है, तो उसकी गांड बड़ी मस्त मटकती है.
मुझे अपनी बहन का मादक जिस्म बड़ा लुभाता है.

ये पिछले साल की बात है.
एक दिन मैं अपनी दीदी को ताड़ रहा था.
मैं उसको बहुत दिनों से कामुक नज़रों से देख रहा था.

हम दोनों एक साथ ही सोते थे.
जब रात होती थी और वो गहरी नींद में सो जाती थी तो मैं उसकी गांड पर हाथ फेर देता था; उसके 32 इंच के मम्मों को दबा देता था और सहला देता था.

ऐसा करते हुए मुझे बहुत समय हो गया था.
मुझे भी लगता था कि मेरी बहन मेरी हरकतों को समझने लगी है.
लेकिन मुझे उससे सीधे सीधे चुदाई की बात करने से डर लगता था.

कुछ दिनों बाद मेरी बहन सलवार पहनना छोड़ कर टॉप और लोअर पहनने लगी.
वो उसमें बहुत ही सेक्सी लगती थी.

अपनी टी-शर्ट के अन्दर वो ब्रा नहीं पहनती थी जिससे उसके मम्मे बड़े मस्त उछलते थे.
उसके मम्मों के निप्पल भी उसकी टी-शर्ट के ऊपर से ही नुमाया होते थे जो मुझे बड़े ही उत्तेजक कर देने वाले लगते थे.

मैं कई बार देखता था कि मेरी बहन के लोअर में उसके चूतड़ बिना पैंटी के बड़े ही मादक लगते थे.

जब वो घर का काम कर रही होती थी, तब उसके मम्मों को देखने के लिए मैं उसके आस पास ही मंडराता रहता था.
उसके 32 इंच के दूध देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
मैं मुठ मार कर अपने लौड़े को शांत कर लेता था.

बहुत दिनों तक ऐसे ही चलता रहा.

एक दिन घर पर कोई नहीं था.
उस दिन मम्मी पापा गांव गए हुए थे.
घर पर बस हम दोनों भाई बहन ही थे.

मैंने उस दिन ध्यान दिया कि मेरी बहन ने अपनी टी-शर्ट और लोअर के नीचे ब्रा पैंटी नहीं पहनी हुई थी.
उस दिन मेरी नजर उसके लोअर पर उसकी टांगों के जोड़ पर चली गई.

उधर उसका लोअर गीला हुआ पड़ा था.
मैं समझ गया कि मेरी बहन की चूत कामरस से टपक रही है.

उस वक्त वो मोबाइल में कुछ देख रही थी.
मैंने चुपके उसके पीछे से जाकर देखा तो वो अन्तर्वासना में भाई बहन सेक्स कहानी पढ़ रही थी.

मैं खुद काफी उत्तेजित हो गया.

उस दिन जब वो नहाने गयी तो मैं भी उसको देखने के लिए चला गया.

मैं दरवाजे के पीछे से देखने लगा और मुठ मारने लगा.
उस वक्त वो अपनी चूत में उंगली कर रही थी.

मैं समझ गया कि दीदी को भी अब लंड की जरूरत है.
तो मैं मौके की तलाश में लग गया.

अब मैं उसे जानबूझ कर टच करने लगा, उसके साथ मस्ती करने लगा.
वो भी मेरी हरकतों का मजा लेने लगी.

ये देख कर रात को सोते वक्त सोने का नाटक करते हुए मैं उसे हग करने लगा.
वो भी मेरी टांगों में टांगें फंसा कर सोने लगी.

इस तरह से हम दोनों के बीच सेक्स को लेकर एक मूक सहमति सी बन गई थी.

कुछ दिनों बाद मम्मी पापा फिर से नाना के यहां किसी काम से चले गए.
उस दिन मैंने बड़ी हिम्मत करके दीदी से बात करना शुरू कर दी.

मैंने उससे कहा- खुशी दीदी, आज आप बहुत हॉट लग रही हो.
उसने मुस्कुराते हुए थैंक्यू बोला और किचन में चली गयी.

मैंने किचन में जाकर उससे पूछा- दीदी आपका फिगर बहुत टाइट है और सेक्सी भी. ऐसा आप क्या करती हो?
ये सुनकर उसने मुझ पर गुस्सा किया और कमरे में चली गयी.

रात को खाना खाने के बाद मैंने उससे सॉरी बोला और उससे बातें करने लगा.
वो भी सामान्य हो गई.

मैंने उससे कहा- खुशी दी अगर आप बुरा न मानें, तो मैं एक बात बोलूं?
उसने कहा- हां बोलो?

मैं- क्या मैं आपको एक किस कर सकता हूं?
दीदी- तू पागल हो गया है क्या … किससे क्या बात कर रहा है, ये तुझे पता भी है!

मैं- लेकिन दीदी सिर्फ एक बार करने दो. मुझे भी किस करके देखना है और आपको भी मजा आएगा. किसी को पता भी नहीं चलेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#51
दीदी- तू अब सो जा, कल बात करूंगी.

मैं कुछ नहीं बोला और सो गया.

दूसरे दिन मैंने फिर से उंगली की- दीदी क्या सोचा आपने?
दीदी- कुछ नहीं.

मैं- प्लीज़ दीदी सिर्फ एक बार तो करके तो देखने दो न कि कैसा लगता है.
दीदी- ठीक है, लेकिन अभी नहीं, बाद में … अभी मुझे बहुत काम है.

मैं- ठीक है दीदी.
मुझे तो अब पता चल गया था कि आज खुशी दी मुझसे चुद जाएगी.

मैं मेडिकल स्टोर पर गया और देर तक चुदाई करने वाली एक गोली लेकर आ गया.

कुछ देर बाद दीदी का काम हो गया.
इसके बाद दीदी टीवी देख रही थी.

मैं उसके पास गया और उससे बोला- दीदी किस!
वो बोली- ठीक है लेकिन सिर्फ एक बार … और एक शर्त पर कि तू किसी को बोलेगा नहीं.
मैंने बोला- ठीक है.

हम दोनों खड़े हुए और मैंने खुशी को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा.
वो थोड़ी डर गई और उसने आंखें बंद कर लीं.
मैंने फायदा उठाते हुए उसके होंठों पर होंठ रख दिए और किस करना शुरू कर दिया.

एक मिनट बाद वो हट गई.

मैंने उससे कहा- मुझे तो कुछ समझ नहीं आया. आप हट क्यों गईं?
वो बोली- क्या समझ नहीं आया?
मैंने कहा- आप इतनी जल्दी हट गईं, मुझे किस का मतलब ही समझ नहीं आया.

उसे शायद अन्दर तक सनसनी होने लगी थी और अच्छा भी लगा था तो वो फिर से चुम्बन देने के लिए राजी हो गई.

मैं फिर से उसे किस करने लगा.
अब वो भी मुझे किस करने लगी.

मैं उसकी कमर को पकड़ कर सहला रहा था.
कुछ देर में वो गर्म हो गयी और मुझको जोर-जोर से किस करने लगी. मेरे होंठों को काटने लगी.

मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसका टॉप उतार दिया.
इससे पहले कि वो कुछ बोल पाती, मैंने उसको किस करना चालू कर दिया.

कुछ देर बाद मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसके 32 नाप के मम्मों को आजाद कर दिया.
वो खुद अपनी ब्रा को हटा कर मेरे साथ लग गई.

मैं अपनी बहन के मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा.
वो भी बड़ी वासना से मेरे मुँह में अपने दोनों दूध ठेलने लगी और मैं उसके चूचुकों को खींच खींच कर मजा लेने लगा.

कुछ देर बाद मैंने उसको उठाया और बेड पर लिटा दिया.
वो टांगें पसार कर चुदने के लिए लेट गई.

मैंने उसके लोवर को उसके शरीर से अलग कर दिया और उसकी पैंटी को भी खींच कर हटा दिया.
मेरी बहन की चूत एकदम सफाचट थी और उसकी चूत से चमकीला पानी बाहर आने लगा था.

मैं उसकी चूत चाटने लगा.
तो वो मेरे सर पर हाथ रख कर चूत उठाने लगी और मादक सिसकारियां लेने लगी- आ हहह आ हहह नीरज रुक जाओ … आहह आह हह!
ऐसा बोलती हुई मेरी बहन झड़ गयी.

मैं भी अब पूरा नंगा हो गया और उससे लंड चूसने को बोला.
उसने लंड चूसने से मना कर दिया.
मैंने भी उसको ज्यादा नहीं कहा.

अब मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके एक निप्पल को खींच कर चूसने लगा.
वो गर्म होती गयी और उसकी कामुक सिसकारियां निकलने लगीं ‘आह हहह उमंह उह उम्म आह हह …’

फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.
वो खुद भी अपनी चूत मेरे लंड पर घिस रही थी.

मैंने बहुत सारा थूक अपने लंड पर लगाया और चूत के अन्दर डालने की कोशिश करने लगा.
उसकी चूत बहुत टाइट थी, तो लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया.
इससे उसकी चूत उभर कर ऊपर को उठ गई.

मैंने चूत की फांकों में लंड का सुपारा घिसा और एक जोरदार धक्का दे मारा; मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया.

वो एकदम से चिल्लाने लगी- उई मम्मी रे मर गई … छोड़ मुझे आंह साले मैं मर जाऊंगी … आंह छोड़ दे!
मैं उसको किस करने लगा ताकि उसका दर्द कम हो जाए और आवाज भी न निकले.

कुछ देर बाद उसका दर्द कम हो गया और वो अपनी गांड उठाने लगी.
मैंने धक्के लगाकर पूरा लंड अन्दर कर दिया.
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#52
वो अब कामुक सिसकारियां लेने लगी- आह उह हहह नीरज आह हहाह उह हहह नीरज और तेज करो नीरज. मजा आ रहा है.
मैं अपनी बहन की चुदाई करता गया और वो ऐसे ही बोलती हुई झड़ गयी.
पर मैं अभी बाकी था, मैं अपना लंड आगे पीछे करने लगा.
वो बोली- मुझे पता था कि तू मुझे चोदने की फिराक में है … आहह आह साले इसी लिए तू मुझे नहाते हुए देखता था. उहम्म आहह … आराम से कर भैनचोद, मैं कहीं भाग नहीं रही हूँ.
मैंने पूछा- दी आपको और क्या क्या मालूम था?
वो लंड का मजा लेती हुई बोली- तू रात को भी मेरे मम्मे दबाया करता था. मेरी गांड में अपना लंड घिसता था.
मैंने जब ये सुना तो मैं समझ गया कि मेरी बहन की चूत में काफी पहले से ही आग लगी थी और ये खुद ही मेरे लंड से चुदने मचल रही थी.
अब मैं उसको और जोर जोर से चोदने लगा.
वो बोल रही थी- आहह हह उमम हम्मम ओहह आह … आराम से आह नीरज मेरे भाई आह चोद दे अपनी बहन की चूत को … आह साले कितना अन्दर तक पेल रहा है तू!
ऐसा कहती हुई मेरी बहन फिर से झड़ गयी.
मैं अभी भी धक्के लगा रहा था.
कुछ डर बाद मैं भी झड़ने वाला हो गया था, मैंने उससे कहा- मेरा होने वाला है, रस कहां लोगी दीदी?
उसने कहा- अपनी बहन की चूत के अन्दर ही छोड़ दे.
कुछ देर तक बहन की चूत रगड़ने के बाद मैं उसकी चूत के अन्दर ही झड़ गया.
मेरी बहन भी कामुक सिसकारियां लेती हुई झड़ गई और हंसने लगी.
मैंने कहा- आप खुश हो न!
बहन बोली- हां बहुत खुश हूँ.
मैंने कहा- तो दीदी इस ख़ुशी का मुझे इनाम भी मिलना चाहिए.
बहन बोली- अब क्या चाहिए?
मैंने कहा- मुझे अपना लंड चुसवाना है.
हॉट बहन हंस दी और बोली- ला मेरे मुँह में लंड दे दे.


[Image: office-sex.jpg]
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#53
अब वो वापस से मेरी टांगों के बीच आ गया.
वो फिर से अपना लंड मेरी चूत की फांकों में रख कर रगड़ने लगा जिससे मेरी चूत में चीटियां सी रेंगने लगीं.
मेरे दोनों हाथ अपने आप उठ गए और मैंने उसे अपनी तरफ खींच लिया.
फिर मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए.
उसने अपने दोनों हाथों से मेरे दोनों मम्मों के चूचक पकड़ लिए और मसलने लगा.
साथ ही अपना लंड मेरी फांकों में रगड़ने लगा.
अब मेरी टांगें अपने आप उठ गईं और उसके चूतड़ों पर अपनी टांगों को फंसा कर मैं उसे अपनी तरफ खींचने लगी.
मेरा उतावलापन देख कर मनीष ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर लगा कर एक ही झटके में पूरा जड़ तक घुसेड़ दिया.
मेरे मुँह से वापस से ‘आहह … यहांहा बेदर्दी … ओहहह … मार दिया …’ निकल गया.
मैंने मनीष से कहा- मेरे भोले राजा आराम से करो … मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. आराम से चोद ले … फ्री का माल मत समझ.!
मनीष हंस कर बोला- सुधा मेरी जान, आह … तू तो अपनी बहन से भी मस्त माल है. इतना मजा तो मुझे कभी तेरी बहन को चोद कर नहीं आया. आज तो मैं तुझे चोद चोद कर तेरा कचूमर निकाल दूँगा.
मनीष अब तू तड़ाक की भाषा पर आ गया था.
हालांकि मुझे ये सब पसंद नहीं था लेकिन मैंने उस समय कुछ बोलना उचित नहीं समझा.
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