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मैंने बुआ चोद दी
#21
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
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#24
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
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#26
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#27
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#28

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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#29
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#30
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
मैंने अपनी दूसरी बुआ को भी चोदा

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#32
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Michelle Russo[Image: 26212707_004_e74f.jpg]

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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#33
पूजा बुआ के बड़े बड़े 36 नाप के चुचे, बलखाती कमर 30 इंच की और 42 की गांड ऐसी थी कि मां कसम किसी के भी लंड का पानी एक झटके में निकाल दे.

मेरी इन शहर वाली पूजा बुआ की एक बेटी और एक बेटा है. उनकी बेटी की शादी हो चुकी है और बेटा और बाप यानि मेरे फूफा जी अक्सर शहर से बाहर रहते हैं.
पूजा बुआ की लड़की की शादी होने के बाद फूफा जी ने मुझसे कहा कि योगी तू यहीं अपनी बुआ के पास रह जा और यहीं काम ढूंढ़ ले. तू यहां रह कर अपनी बुआ की देखभाल भी कर लेना और काम करते रहना. हम दोनों को विदेश जाना है.
मैं उनकी बातें सुनकर खुश हो गया, लेकिन मैंने अपनी ख़ुशी को संभाला और फूफा जी से कहा कि फूफा जी, मैं अपने घर पर बात करके बताता हूँ.
फिर मैं घर आया और मम्मी पापा से पूछा.
तो उन्होंने कह दिया- ठीक है बेटा, तू शहर चला जा और अपनी बुआ का ख्याल रखना.
अब मैं शहर आ गया. दूसरे दिन फूफा जी और उनके बेटे को जाना था.
फूफा जी मुझे देखकर खुश हो गए.
मैंने ध्यान किया कि जब से मैं बुआ के घर आया था, तब से ही बुआ मंद मंद मुस्कुरा रही थीं. उनकी मुस्कुराहट के पीछे क्या राज था, वो तो बाद में पता चलने वाला था.
अगले दिन फूफा जी और उनका लड़का अपने काम से विदेश चले गए. उनका कुछ ऐसा था कि दोनों को ही दो तीन महीने से पहले देश वापस नहीं आना था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#34

Shyमेरी पूजा बुआ पक्की चुदक्कड़ थीं और वो मुझसे चुदवाना चाहती थीं. ये मुझको मेरी बड़ी बुआ मीना ने मुझे बता दिया था.
मेरी ये दोनों बुआ लेस्बियन थीं और एक दिन उन दोनों को मैंने लेस्बियन सेक्स करते देख लिया था. उस समय छोटी बुआ रेखा मुझे देख कर बिना कुछ कहे उधर से चली गई थीं.
मैंने मीना बुआ से मस्ती की तो उसी समय मीना बुआ ने मुझको अपने साथ बिस्तर में खींच लिया था और चुदाई करवाते समय बड़ी बुआ ने बताया था कि ये दोनों भी चुदवाने को मचलती रहती हैं.
मगर मीना बुआ ने मुझे उन दोनों के साथ सेक्स करने में मुझे टाल दिया था.
मैं समझ गया था कि बुआ अपने माल को किसी दूसरी चूत के साथ शेयर करना नहीं चाहती थीं.
मैंने उसी समय ये तय कर लिया था कि मैं उन दोनों रेखा और पूजा बुआ को एक दिन जरूर चोद कर मजा लूंगा.
रेखा बुआ विधवा थीं वो मेरे लिए आसान शिकार थीं.
मगर वो घर में सभी के साथ रहती थीं तो मुझे उनको चोद पाने का मौका नहीं मिल पा रहा था.
फिर मीना बुआ भी मुझे छोड़ना नहीं चाहती थीं इस वजह से रेखा बुआ की चुत मिलने में कुछ समस्या आ रही थी.
मैं शहर में पूजा बुआ के साथ रहने आ गया था.
हालांकि मुझे मालूम चल गया था कि पूजा बुआ मेरे लंड से चुदना चाहती थीं … लेकिन तब भी मैं खुद से पहल नहीं करना चाहता था.
मुझे कुछ डर भी था कि कहीं उनका मूड न बदल गया हो. क्योंकि इस विषय में मैंने जो जाना था, वो एक साल पहले की बात थी.
पूजा बुआ के घर में रात बिताने के बाद अगले दिन मैं काम ढूंढने निकल गया पूजा बुआ भी वर्किंग लेडी थीं, तो वो भी अपने काम पर चली गईं.
एक हफ्ते बहुत ढूंढने के बाद मुझे काम मिल गया.
अगले दिन रविवार था. उस दिन बुआ और मैं मार्केट गए, तो सब्जी और बाकी का सामान आदि लिया.
फिर बुआ मुझे एक अंडरगारमेंट की दुकान में लेकर गईं और अपने लिए ब्रा पैंटी खरीदने लगीं.
मैं उनके साथ ही था, बुआ एक ब्रा मुझे दिखाते हुए मुझसे पूछ रही थीं- ये पीस कैसा है योगी … बता न ये सैट मुझे सूट करेगा या नहीं.
इसमें मुझको शर्म भी आ रही थी और दिल ही दिल ही उत्तेजना भी बढ़ रही थी.
बुआ एकदम छोटी सी दिखने वाली ब्रा पैंटी ले रही थीं, जिसमें से उनका कुछ भी छुपने वाला नहीं था.
शायद वो जानबूझ कर ऐसे सैट ले रही थीं … ताकि मुझे वो अपने मदमस्त यौवन को दिखा सकें.
बाजार से आकर मैं अपने कमरे में चला गया और रात को डिनर के बाद हम दोनों सोने चले गए.
बुआ ने उस रात कुछ भी जाहिर नहीं किया. इससे मुझे समझ नहीं आया कि ये क्या चाह रही हैं.
फिर अगले दिन वो काम से वापस आईं तो शाम गहरा गई थी.
मैं भी आ गया था.
बुआ ने अपने कपड़े बदले और वो एक टी-शर्ट लोअर में आकर खाना बनाने लगीं.
उनकी टी-शर्ट से उनके मदमस्त मम्मे मुझे गर्म कर रहे थे.
मगर मैं सजग था, अपनी तरफ से कुछ भी ऐसा जाहिर नहीं कर रहा था कि मुझे बुआ के साथ कुछ करने का मन है.
हम दोनों ने खाना खाया, फिर बुआ टीवी चालू करके सोफे पर लेट गईं.
मैं भी उनके सामने वाले सोफे पर बैठ गया.






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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#35
[Image: 26212707_138_1b30.jpg]
भी पूजा बुआ ने मुझे बुलाया और बोलीं- योगी आज तू मेरे पैरों की मालिश कर दे, मैं बहुत थक गई हूँ. और आज तू मेरे कमरे में ही सो जाना, मुझे अकेला अच्छा नहीं लगता है.
उन्होंने ये कहा, तो मैंने उनसे हामी भरते हुए कह दिया- ठीक है बुआ, मैं आपके पैर दबा देता हूँ. आपने ये बात इतने दिनों से क्यों नहीं बोली कि आपको अकेले सोने में अच्छा नहीं लगता है.
बुआ बोलीं- बेटा मैं बोलना तो चाहती थी … पर मैं तुमसे बोल ही नहीं पाई.
मैंने कहा- अरे बुआ, अपने भतीजे से काहे का डर.
फिर उन्होंने कहा- चल वो सब छोड़, आज तू मेरे शरीर की अच्छी से मालिश कर दे.
मैंने उनसे हंस कर कहा- आपने तो अभी पैर दबाने का कहा था, पर अभी पूरे शरीर की मालिश करने का कह रही हैं.
उन्होंने भी मस्ती से मुझे निहारा और वासना से कहा- अरे गलती से शरीर बोल दिया. चल तू पैर ही दबा दे.
मैंने कहा- तो यहीं सोफे पर कैसे होगा. आप कमरे में चलिए, मैं वहीं ठीक से आपकी मालिश कर देता हूँ.
ये कह कर मैं उनके कमरे की तरफ जाने लगा.



जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#36





बुआ मुस्कुराते हुए बोलीं- बदमाश ये क्या कर रहा है. अपनी बुआ की वो देखता है … शर्म नहीं आती.

मैंने बुआ को देखा और ढेर सारा तेल लेकर उनकी चूत की दरार में डाल दिया और हाथ से बुआ की चुत को रगड़ना चालू कर दिया.
मैंने उनसे कहा- आपने मुझसे छुपाया क्या है … सब तो खुला पड़ा है.[Image: 64577809_031_fcc1.jpg]
बुआ भी हंसने लगीं और बोलीं- हां, तुझसे क्या छिपाना.



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मैंने एक ही झटके में बुआ की पैंटी में उंगलियां फंसाईं और पैंटी बाहर निकाल दी.
बुआ की लिसलिसाती चूत मेरे सामने थी.
मैंने बुआ की चुत के दाने को उंगलियों से पकड़ कर मींजा.
तो बुआ आह करते हुए बोलीं- आह इसी को ठीक से मसल दे … मेरे पूरे शरीर का दर्द यहीं है. इसी को रगड़ कर शांत कर दे.
मैंने कहा- बुआ इसके लिए उंगली से काम नहीं बनेगा.
बुआ मदांध स्वर में बोलीं- तो लौड़े से रगड़ दे. पर खुजली मिटा दे.
ये सुनते ही मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और नंगा हो गया.
मैंने बुआ को भी नंगी कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#37
वो खुद चुदवाने के लिए मचली जा रही थीं. मैंने अपनी नंगी बुआ को अपनी बांहों में ले लिया और उनके होंठों को बेतहाशा चूमने लगा.

बुआ भी मुझसे चूमाचाटी में मस्त हो गईं.
फिर मैंने बुआ के शरीर के हर अंग को चूमा. उनके दूध चूसे और निप्पल खींचते हुए उनकी चुदास बढ़ा दी.
बुआ चुदने के लिए बेहद गर्मा रही थीं और मुझसे चोदने के लिए कहे जा रही थीं.
मैंने नीचे आते हुए उनकी चूत को चाटा तो बुआ बोलीं- मुझको भी मजा लेना है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#38
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#39
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[Image: 64577809_194_b457.jpg]बुआ ने मेरे लंड को मुँह में लेते हुए कहा- आह इतने बड़े लंड को मैं कबसे अपने चूत में लेना चाहती थी. तुमने अपनी बड़ी बुआ को इतना चोदा … कभी अपनी इस बुआ के बारे में नहीं सोचा योगी.
मैंने कहा- आपने कभी मुझसे कहा नहीं था बुआ … आज जैसे ऑफर पहले दे देतीं, तो अब तक कभी का मजा ले चुकी होतीं.
बुआ ने कहा- हां ये तो है योगी … चल जब जागे तब सवेरा … अब तो मुझे तृप्त कर दे.





जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#40
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मैंने पोजीशन बनाई और बुआ की चूत में अपना लंड डाल दिया. वो मेरे मोटे लंड से चुत में हुए दर्द से कराह उठीं.
वो काफी दिन बाद चुद रही थीं और फूफा जी ने उनको कभी तृप्त नहीं कर पाया था, ये उन्होंने मुझे बाद में बताया था.
शुरुआत में मैंने उनको किस करते करते धीरे धीरे चोदा ताकि बुआ की चुत रवां हो जाए.
जैसे ही बुआ ने अपनी गांड उछाल कर मस्ती बढ़ जाने का इशारा किया. बस उसके बाद मैंने स्पीड बढ़ा दी और बुआ को धकापेल चोदने लगा.






जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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