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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
अरुणिमा दीदी मुझसे 2 साल बड़ी हैं.

मैं बहुत खुश था.
अचानक मेरे होश उड़ गये … जब दीदी ने अपना हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और पीछे मूड कर बोली- तुम क्या कर रहे हो? मैं अशुद्ध हो जाऊंगी. और तुम मेरे छोटे भाई हो और हम भाई बहन में यह सब नहीं होता.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैं अपनी प्यारी पत्नी के साथ किराये के मकान में रहता था. मैं अपनी पत्नी को बहुत शानदार चुदाई का मजा देता था.
मेरी बुआ की लड़की का नाम निशा (बदला हुआ नाम) है। निशा की शादी हो चुकी है लेकिन शायद उसकी उफनती जवानी का रस उसका पति नहीं निकाल पाता था।
यह हॉट कजिन Xxx कहानी उसी निशा के साथ की है.
एक बार की बात है, निशा कुछ दिनों के लिए मेरे घर रहने को आई।
बातों ही बातों में निशा और मेरी पत्नी रेखा के बीच चुदाई की बात शुरू हो गई।
जब मेरी पत्नी ने बताया कि कैसे मैं उसकी चुदाई करता हूं तो निशा ये सुनकर बिल्कुल पागल हो गई।
उसका भी मन मेरे मोटे लंड से चुदने को बेताब हो गया।
ये बात उसने मेरी प्यारी बीवी रेखा से कही।
रेखा ने उससे कहा कि अगर इतना ही चुदने का मन कर रहा है तो वह कुछ जुगाड़ कर देगी।
मेरी पत्नी रेखा ने ये बात मुझे बताई।
मैंने अपनी प्रियतमा से कहा- देख लो, कल को कोई दिक्कत न हो?
रेखा ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है, उसका मर्द उसको संतुष्ट नहीं कर पा रहा है, बेचारी बहुत प्यासी है। आप उसकी प्यास बुझा दो।
मैंने कहा- ठीक है।
उसी दिन शाम को रेखा अपनी मम्मी से मिलने चली गई।
ये हम दोनों का प्लान था क्योंकि रेखा चाहती थी कि निशा चुदाई का पूरा मजा ले सके।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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उस दिन शाम को जब मैं रूम पर गया तो दरवाजा निशा ने खोला।
कसम से क्या क़यामत लग रही थी … बड़ी सी बिंदी, आंखों में काजल, सुर्ख लाल लिपस्टिक और टाइट कुर्ती पजामी।

मैं अंदर जाकर नहाने चला गया।
मुझे नहीं पता था कि निशा कुछ शुरुआत करेगी या नहीं।
मैं बस उसको चोदने के बारे में सोच रहा था।

जब मैं नहाकर बाहर निकला तो देखकर हैरान हो गया कि निशा किचन में खड़ी थी।
उसने केवल ब्लैक ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी और किचन की स्लैब पर टेक लगाकर मुस्कराते हुए मुझे उसके पास आने का इशारा कर रही थी।
उस वक्त वह किसी कामदेवी से कम नहीं लग रही थी।

मैंने सोचा नहीं था कि वो इस तरह से खुलकर मेरे सामने आएगी।
मैं भी खुद को रोक नहीं पाया और तौलिया लपेटे हुए ही उसके पास चला गया।

जाते ही वो मुझसे लिपटने लगी।
मेरे होंठों, गालों, गर्दन और छाती पर लगातार किस करने लगी।

उसके चुम्बनों की बारिश से मेरा लंड तौलिया में तोप की तरह तनकर खड़ा हो गया और उसकी जांघों पर टकराने लगा।
वो भी अपनी चूत को बार बार मेरे लंड से टकराने की कोशिश कर रही थी।

मैं बोला- रेखा बता रही थी कि तुम बहुत प्यासी हो।
निशा- हां, बहुत प्यासी हूं। बहुत समय से मर्द का सुख नहीं मिला है। मेरी प्यास को बुझा दो प्लीज!
मैंने जोर से उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया।

फिर दो मिनट किस करने के बाद वो अलग हो गई और बोली- चलो मैं तुम्हारे लिए पैग बनाती हूं।
उसके पीछे चलते हुए मैंने कहा- असली नशा तो तुम में है।
वो मुस्कराती हुई मटकती मेरे आगे आगे चलती रही।

हॉल में जाकर उसने जल्दी से पैग बना दिया और दोनों ने एक-एक पैग खत्म कर दिया।

फिर वो मेरी गोद में आकर बैठ गई और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिल गए।
हम लगातार दस मिनट के लगभग एक दूसरे के होंठों का रस पीते रहे।

फिर मैंने उसे सोफे पर लिटा लिया और पेट के बल लिटाकर उसकी पीठ पर से ब्रा के हुक खोल दिए।
उसकी गोरी चिकनी पीठ नंगी हो गई।
मैंने उसकी पीठ को चूमना शुरू कर दिया।

हर चुम्बन के साथ उसके बदन में सिहरन हो उठती थी।
चूमते हुए मैं उसकी मोटी उठी हुई गांड तक पहुंच गया जिस पर काले रंग की पैंटी कसी हुई थी।
उसकी गांड के उभार देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था और मन कर रहा था चोद चोदकर इसका बैंड बजा दूं।

फिर मैंने उसकी गांड को दबाना शुरू किया।
वो और ज्यादा कसमसाने लगी।

फिर मैं उसके सिर की ओर गया और घुटनों के बल बैठकर अपना तौलिया उसके सामने खोल दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मेरा तना हुआ लंड उसके मुंह के सामने फुफकार रहा था।
वो उठी और मुझे सोफे पर गिरा लिया, मेरी टांगों के बीच में आकर मेरे लंड को मुंह में लेकर ऐसे चूसने लगी जैसे वो कोई लॉलीपोप हो।

पूरे लंड को वो मुंह में लेने की कोशिश कर रही थी। उसके होंठ मेरे झांटों तक जाकर टकरा रहे थे। लंड की प्यास उसके चूसने के अंदाज से साफ झलक रही थी।

उसने दो मिनट की चुसाई में ही मुझे बेहाल कर दिया, लंड फटने को हो गया।
मुझे लगा कि अगर इसे ज्यादा छूट दी तो ये जल्दी ही लंड का माल निकाल कर पी जाएगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैंने उसको वहीं स्लैब पर बिठा लिया और उसकी पैंटी में बर्फ का टुकड़ा डाल दिया।
टुकड़ा ठीक उसकी चूत के होंठों के ऊपर फंसा था।

एकदम से वो मेरे बदन से लिपट गई और मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही बर्फ के टुकड़े को उसकी चूत पर सहलाना शुरू किया।

वो मचलने लगी।
फिर मैंने नीचे झुकते हुए उसकी पैंटी को चूसना चाटना शुरू किया जो बर्फ के ठंडे पानी से गीली हो चुकी थी।

निशा पूरी तड़प उठी थी, उससे ये गुदगुदी बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
लग रहा था जैसे वो अभी पेशाब कर देगी।

फिर मैंने उसकी पैंटी को निकलवा दिया और उसकी चूत में मुंह लगाकर चाटने लगा।
वो अपनी चूचियों को अपने ही हाथों से दबाने लगी।

फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी।
मैं उंगली को अंदर बाहर करने लगा।
उसकी चूत से चिकना रस निकलने लगा था।
मैं बीच बीच में उसकी चूत के रस को जीभ से चाट लेता था जिससे वो जोर से सिसकार उठती थी।

उसकी चूत फूल चुकी थी और गर्म होकर पूरी लाल हो गई थी।
उसने मुझे ऊपर खींचा और अपनी चूचियों पर मेरा मुंह दबा दिया।
मैं उसके बड़े बड़े बूब्स को भींचते हुए निप्पलों को मुंह में चूसने लगा।

ऐसा लग रहा था जैसे उसके चूचों से दूध निकल आएगा।
अब हम दोनों हवस में जैसे पागल हो चुके थे।

उसने मुझे पीछे धकेला और दीवार के साथ सटाकर मेरे होंठों को बुरी तरह से लबड़ते हुए मेरे लंड को पकड़ कर फेंटने लगी।

फिर वो एकदम से नीचे गई और रंडियों की तरह लंड की चुसाई करने लगी।
मैं फिर से पागल होने लगा।

कुछ पल लंड चुसाने के बाद ही मैंने उसको उठाकर दीवार से सटा दिया और उसकी टांग उठाकर उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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वो भी इस हरकत से बहुत चुदासी हो गई और लंड डालने के लिए मिन्नतें करने लगी।
मैंने वहीं पर उसकी चूत में लंड पेलना चाहा लेकिन वो मुझे पकड़ कर सीढ़ियों की तरफ ले जाने लगी।

वो सीढ़ियां चढ़ते हुए अपनी नंगी गांड मेरे लंड की ओर मटका मटका कर चल रही थी।
फिर बीच सीढ़ियों पर जाकर उसने अपनी गांड को मेरे लंड से सटा दिया और गांड को गोल गोल घुमाकर लंड पर रगड़ने लगी।

निशा शायद चुदाई का पूरा मजा लेना चाहती थी।
मैंने भी उसकी टांग को उठाया और उसकी चूत में लंड को घुसा दिया।
वो चिहुंक उठी।

मैं बोला- क्या हुआ मेरी चुदक्कड़ रानी?
निशा- पहली बार इतना मोटा लंड ले रही हूं मेरे राजा! जरा धीरे से चोदना।

मैंने भी उसकी बात को मानते हुए धीरे धीरे से उसकी मखमली बुर को चोदना शुरू किया।
रेलिंग को पकड़े हुए जब वो चुद रही थी तो उसकी मस्त चूचियां हिलते हुए अलग आनंद दे रहीं थीं।
जितना ही मैं उसकी प्यासी बुर में पीछे से धक्का देता उतनी ही चूचियां जोर से हिल जातीं।

ये मुझसे देखा नहीं जा रहा था और फिर मैंने उसकी चूचियों को हाथों में थाम लिया और पीछे से उसकी रसीली चूत को चोदने लगा।
मैं बहुत जोर से धक्के लगाता जा रहा था और वो भी कहती जा रही थी- और जोर से … आह्ह … और फाड़ो … आईई … आह्ह … लंड … आह्ह मैं चुद गई … आह्ह … और चोदो राजा …. उम्म … मेरी चूत … आह्ह … चुदाई का मजा … हाए … पेल दो मेरी चूत को।
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फिर दो मिनट बाद उसने बीच चुदाई में मुझे रोक दिया।
मैं हैरान था।

वो मुझे ऊपर छत पर ले गई।
ऊपर गए तो पानी की टंकी के पास बेड लगा हुआ था।
मैं बोला- ये सब क्या है?
वो बोली- मेरे राजा, मैं ऐसे चुदना चाहती हूं जैसे कुत्ता किसी कुतिया को खुले में चोदता है।

ये कहकर वो फिर से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
कुछ देर चुसाने के बाद मैंने उसको बेड पर धकेल दिया।
वो कुतिया बन गई और मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड को पेल दिया।

कसम से खुले आसमान के नीचे चुदाई करने में बहुत मज़ा आ रहा था।
मेरा मोटा लंड उसकी कुतिया जैसी बुर में पूरा घुस कर उसकी रसीली बुर की मलाई निकाल रहा था।
हर धक्के पर निशा कुतिया की ऊंह ऊंह कर रही थी।

बेड अब जोर जोर से हिलने लगा था।

ऊपर ठंडी हवा चल रही थी और लंड और चूत, दोनों जैसे आग में तप रहे थे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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ने सेक्स में ऐसा मजा कभी नहीं लिया था।
शायद निशा चुदाई की बहुत ज्यादा शौकीन थी और वह मजा उसका पति उसे नहीं दे पा रहा था।
वो लंडखोर रंडी की तरह लंड को बस खाए जा रही थी।

मेरा लंड पूरा ऐंठ चुका था। उसकी नसें फूलकर फटने को हो गई थीं।
निशा की चूत के रस से वो पूरा चिकना होकर चमक रहा था और चूत में अंदर बाहर होते हुए पच-पच की आवाज से उसकी चूत को रौंदने में लगा था।

चोदते हुए दस मिनट के लगभग बीत चुके थे।
फिर एकदम से निशा की जोर से आह्ह निकली और उसकी चूत ने गर्म गर्म रस छोड़ दिया जो मुझे मेरे लंड पर लगता हुआ महसूस हुआ।

अब मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी; पूरी ताकत के साथ मैं उसकी चूत को पेलने लगा।

मैंने उसके बालों को पकड़ लिया और अपनी तरफ खींचते हुए उस कुतिया को पेलने लगा।
अब उससे लंड के धक्के बर्दाश्त नहीं हो रहे थे क्योंकि उसका पानी निकल चुका था और उसकी चूत में अब जलन और दर्द हो रहा था।

फिर मेरा भी अब स्खलन नजदीक था। मैंने उसे बताया कि होने वाला है, अंदर निकालना है या बाहर?
वो बोली- मुझे तुम्हारे लंड की मलाई खानी है।
ये कहते हुए वो एकदम से उठकर बैठ गई और मेरे लंड को तुरंत मुंह में भर लिया।

वो बड़ी मस्ती से चूत-रस लगे मेरे लंड को चूसने लगी।
मैं भी सातवें आसमान पर था।
जल्द ही मेरे लंड से वीर्य का गर्म गर्म लावा बाहर निकलने लगा जिसे निशा पूरा का पूरा साथ ही साथ पीती गई।

मैं उसके मुंह में झटके देता रहा और वो मेरे चूतडों को भींचते हुए जैसे लंड से एक एक बूंद को निचोड़ने की कोशिश करती रही। मैं बुरी तरह से हांफ रहा था और वो भी बेहाल हो गई थी।

उसने मेरे वीर्य की एक एक बूंद को चाट लिया।
फिर हम दोनों हांफते हुए वहीं पर गिरे पड़े रहे।

छत पर पूरा अंधेरा था और खुले में नंगे लेटने का मजा भी अलग ही आ रहा था।

लेटे हुए हम वहीं पर एक दूसरे के अंगों को सहलाते रहे।
सहलाते हुए वो मुझे इस चुदाई के अनुभव के बारे में बताने लगी।
उसने कहा कि उसको चुदाई में इतना मजा कभी नहीं आया।
मैंने भी उससे कहा कि ऐसी प्यास मैंने किसी औरत के अंदर नहीं देखी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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फिर हम लोग कुछ देर तक बातें करते रहे और फिर नीचे वापस आ गए।
आकर हमने खाना खाया और फिर नंगे ही एक दूसरे के साथ लिपटकर सोने लगे।
मगर थोड़ी ही देर में दोनों फिर से गर्म हो गए।

सोने से पहले चुदाई का एक और राउंड हुआ।
मैंने निशा को मिशनरी पोज में चोदा।

आधे घंटे की लगातार चुदाई के बाद हम दोनों थक गए और अबकी बार हमें गहरी नींद आ गई।

इस तरह से उस रात मैंने दो बार निशा की चूत मारी।

अगले दिन भी मैंने उसको घर के कोने-कोने में चोदा।
उसने भी कुछ ऐसी चुदाई करवाई कि मैं भी उसके अंदाज का कायल हो गया।

दो दिन के बाद मेरी बीवी लौट आई।
निशा की चूत अब तृप्त हो चुकी थी; वो खुशी से चहक रही थी।

शायद उसने रेखा को भी सारी बात बता दी और रेखा के चेहरे पर भी अलग ही मुस्कराहट तैरने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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(07-06-2022, 06:07 PM)neerathemall Wrote:
[Image: 11217731_008_9efa.jpg]

चुदाई के अनजाने खेल का पूरा मज़ा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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आप गांव की जिंदगी के बारे में जानते ही होंगे कि मध्यम वर्ग के परिवार में प्रेम प्रसंग शुरू होने में कितनी दिक्कतें आती हैं.
अगर आप मध्यम वर्गीय परिवार से नहीं हों, तो मैं आपको बताती हूँ.
पहले तो किसी लड़की को घर से इतनी छूट नहीं होती है कि वो किसी लड़के से बात कर सके.
किसी भी तरह बात होने भी लग जाए, तो उसे अपनी चाहत सामने वाले को बताना बड़ा कठिन होता है.
ये मुझे शब्दों में बताना नहीं आता, बस आप अंदाज लगा सकते हैं.
मेरा चक्कर उस समय से चलना शुरू हो गया था. जब मेरी 12 वीं की पढ़ाई पूरी हुई थी, तब तक मैं इस पूरे खेल से बिल्कुल अंजान थी.
फिर 12वीं पास करने के एक साल बाद मुझे एक लड़के से प्रेम प्रस्ताव मिला.
मगर मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उस प्रस्ताव को स्वीकार कर सकूँ.
जैसे ही मुझे प्रस्ताव मिला, मैं शर्म की वजह से मानो पिघल सी रही थी.
उस वक्त मेरे दिमाग में बस एक ही बात आयी कि उसके सामने से भाग जाऊं.
मैं भाग कर अपने घर में जाकर छिप भी गयी. उस समय मेरी हृदय गति इतनी तेज थी, मानो दिल फट ही जाएगा.
मुझे पूरी रात नींद नहीं आयी.
फिर मेरे अन्दर इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं उसका सामना कर पाऊं.
मैं 3 दिन तक अपने घर से बाहर नहीं निकली लेकिन उसके बाद जब उससे मिली, तब मैं अपनी नजरें चुरा कर उसे देख रही थी.
मैंने उससे कभी प्यार या दोस्ती के लिए हां नहीं की थी लेकिन वो मेरा प्यार मानो एक जादूगर था.
मेरे कुछ कहने से पहले ही समझ जाता था.
शायद उसने तब भी मेरे मन की बात जान ली थी.
उसने उस दिन मुझसे बस इतना कहा- दिब्बू, तुम्हारे मन में ये डर है कि बाहर किसी को ये बात पता ना चले, तो परेशान न हो. मुझ पर भरोसा करो.
मैं सुन कर एकदम से चौंक गयी.
जिस बन्दे को लेकर मैं प्यार में थी उसका नाम लव था.
उसने मुझसे ये बात अब कही थी मगर मैं भी लव से काफी पहले से प्यार करती थी.
उसका प्यार मुझे मिलेगा, ये नहीं पता था, बस करती थी.
आपको सुनकर हंसी आएगी कि मैं इतना भी नहीं जानती थी कि प्यार में क्या क्या होता है.
लव मेरे लिए एक ऐसा नाम था, जिसे याद मात्र करने से पूरे शरीर में बिजली दौड़ जाती थी.
लव के बारे में मैं आपको कुछ बता देती हूँ.
वो दिखने में स्मार्ट बन्दा था. उसकी लंबाई 5 फुट 6 इंच थी.
उसके लौड़े का नाप बताकर मैं अपनी बहनों की चूत की हालत और ज्यादा खराब करना नहीं चाहती लेकिन मैं इतना जानती हूँ कि एक बार उसका लंड कोई देख ले, तो वो हर हाल में उसका लंड लेने के लिए पागल हो जाएगी.
मेरे घर में छोटे छोटे भतीजे हैं. मैं उनकी नुन्नू देखती थी तो लगता था कि ये बस सूसू करने के लिए होती है.
बाद में पता चला कि इसका काम कितना महान होता है.
मध्यम वर्गीय परिवारों में लड़कियों के लिए अलग फोन तभी मिलता है, जब उनका बाहर आना जाना होने लग जाए, ताकि वो अपने घर के सम्पर्क में बनी रहें.
मेरी चुदाई में सहायता करने वाला फोन मेरी मम्मी का था.

(07-06-2022, 06:08 PM)neerathemall Wrote:
चुदाई के अनजाने खेल का पूरा मज़ा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मम्मी के फोन से लव से मेरी धीरे धीरे बात होने लगी.
आपको मैंने बताया कि मेरा लव एक जादूगर था. उसे ये बात बहुत अच्छे से पता थी कि क्या बात कब और कैसे शुरू करनी है.

ऐसे ही सामान्य बातें कब रोमांटिक होने लग गईं, कब फोन सेक्स होने लगा, पता ही नहीं चला.

मेरे मन में अपने लव से मिलने की बात तो आती थी, पर मैं उससे कह नहीं पाती थी.
जब वो मिलने की कहता तो मैं टालमटोल कर देती थी.

लेकिन कब तक करती.
फिर एक दिन आया, जब हम लोगों का मिलने का प्लान बना.

छोटे कस्बों में मिलने के लिए होटल तो होते नहीं हैं, शहर पास में था भी, तो भी हम लोग कभी हिम्मत नहीं जुटा पाए.

उसका घर कभी खाली नहीं रहता था.
इधर मेरे घर में भी मुझसे दो साल छोटी बहन और मेरी मम्मी हमेशा घर में रहती थीं तो वहां भी इंतजाम होना मुमकिन नहीं था.

अंततः मिलने को जो जगह मिली, वो था एक खेत.

चूंकि अब तक मैं लंड को चुच्चू समझने वाली थी और लंड का काम मूतना भर होता है, ये समझने वाली लड़की थी. लंड चुत में कैसे घुसेगा और चुदाई की बात तो क्या ही जानती होऊंगी.

मगर वाह री प्रकृति … क्या बात बनाई है कि कुछ भी न जानते हुए भी एक लड़की को लड़के में क्या पसंद आ जाता है, ये मुझे समझ ही नहीं थी.

मैं अपने लव से मिलने तो जा रही थी और मन में क्या था, कुछ नहीं मालूम था.
आज मैं पहली बार उसे इतने पास से देखूंगी, उसका हाथ पकड़कर बातें करूंगी.
मुझे क्या पता था कि उधर से आऊंगी तो अनुभव ही अलग सा होगा.

मैं घर से कुछ बहाना बनाकर निश्चित स्थान पर पहुंच गयी.
वहां जाकर देखा वो पहले से वहीं था.

उसने मुझे पकड़कर अपने सीने से लगा लिया.
मैं तो मानो उसमें ही समा गयी थी.
मेरी धड़कनें इतनी तेज हो गयी थीं मानो दिल छाती फाड़कर बाहर आने वाला हो गया था.

धीरे से उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर लाकर रख दिया.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है.

मैं बिल्कुल निढाल हो चुकी थी.
उसका दायां हाथ मेरे एक दूध पर था और बायां हाथ मेरी गांड पर था.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं.

जैसे ही उसके ठंडे होंठों ने मेरे गर्म होंठों को चूमा, मेरी आंखें बंद हो चुकी थीं और मेरा शरीर ढीला हो चुका था. मेरा पूरा वजन उसके ही ऊपर हो गया था.

ऐसे ही लगभग आधा घंटे चिपके रहने के बाद वो मुझसे अलग हुआ.

उसने पूछा- कैसा लगा?
मैं क्या जवाब देती, जब कुछ पता ही नहीं कि हुआ क्या है तो क्या जवाब देती.

मैं चुप रही लेकिन वो मेरी हालत समझ रहा था.
ऐसे ही बात करते करते अचानक से लव बोला- सेक्स करोगी?

मैंने पूछा- ये क्या होता है?
वो बोला- ये जो भी होता है, बहुत मजेदार होता है … तुम्हें मजा आ जाएगा.

उसके मुँह से मजे की बात सुनकर मैंने हां बोल दिया.

उसने मुझसे मेरे कपड़े निकालने को कहा, पर मैं डर गई.

मैंने कहा- यहां?
वो बोला कि यहां मेरे अलावा कोई नहीं है. क्या तुम मेरे सामने अपने कपड़े नहीं निकाल सकती!

मैंने अपनी जींस पैंट को निकालते हुए पैंटी भी निकाल दी.
मेरी रोंएदार चूत जिसको मैंने आज तक क्लीनशेव नहीं किया था, पूरी तरह गीली थी. मैंने शर्म से अपने दोनों हाथों से अपनी चुत ढक ली.

इस पर उसने अपना पैंट खोलकर अपना लंड निकाल कर मेरे सामने ला दिया और बोला- क्या तुम बालों की वजह से शर्मा रही हो … तो देखो मैंने भी बाल साफ नहीं किए हैं.

मैं उसका लंड देखकर इतना ज्यादा आश्चर्य में थी कि अचानक से बोल पड़ी- ये क्या है?

मैं मन ही मन सोच रही थी कि बच्चों का छोटा सा होता है. इसका इतना बड़ा कैसे है!

उसने जवाब दिया- लंड, लंड कहते हैं इसे … अभी देखकर घबरा रही हो, जब ये तुम्हारी चूत के अन्दर जाएगा, तो बहुत मजा देगा. अभी जितना घबरा रही हो न … बाद में उतना ही मजा आने वाला है, दीवानी हो जाओगी इसकी.

जब उसने कहा कि चुत के अन्दर जाकर मजा देगा, तो मेरे दिमाग में आया कि ये इतना बड़ा मोटा अन्दर कैसे जाएगा, पर मुझे उस पर भरोसा था.

उसने मुझे अपने लंड को हाथ में लेने को कहा.
मैंने मना कर दिया.
मना करती भी क्यों ना … मुझे उससे डर सा लग रहा था.

फिर वो अपनी उंगलियों से मेरी बुर के दाने को छूने लगा.
मुझे नशा सा होने लगा था.

उसने देखते ही देखते मेरी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी.
मेरे मुँह से ‘आह्ह्ह …’ निकल गई.
उस नशे में मैं जमीन पर पड़ी तड़प सी रही थी.
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लव अपनी उंगली को जितना आगे पीछे करता, मुझे उतना ही ज्यादा मजा आता.

ये खेल करीब 15 मिनट तक चला और उतनी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था.
जब उसने देखा मैं खूब गर्म हो चुकी हूँ, तब उसने कंडोम लगाकर अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया.

जैसे ही वो लंड डालने की कोशिश करता, उसका लंड इधर उधर फिसल जाता.

मुझे थोड़ा बहुत वो अन्दर जाते महसूस होता भी, तो दर्द इतना होता कि मुझे लगता मर ही जाऊंगी.
मैं उछल जाती और उसका लंड अन्दर नहीं जा पाता.

वो शायद ये सोचकर मुझे छोड़ देता कि मुझे दर्द ना हो.

वो पहला दिन था, जब मैं चुदते चुदते बच गयी.

इसी तरह मैं बार बार उसके पास जाती थी पर बिना चुदे वापस आ जाती थी.

मेरा तो पहली बार था ही, उसका भी पहली बार ही था और जगह भी सही नहीं मिल रही थी.
इस वजह से कंडोम लगाकर या तेल लगाकर भी हम लोग किसी तरह से सफल ना हो पाए.

अंततः वो दिन आ ही गया, जब मेरा चुत का भेदन हो गया.

उसने मुझे मिलने को बुलाया. इस बार मैं भी घर से ये सोचकर निकली थी कि कितना भी दर्द हो, पर मैं उसका पूरा साथ दूंगी.
कुछ ही मिनटों में मैं उसके आगोश में थी.
उसकी गोद में बैठकर कुछ देर इधर उधर की बातें करते करते कब हम लोग नंगे हो गए, पता ही ना चला.

इस बार मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ा भी और मुँह में भी लिया.
कुछ मिनट तक लॉलीपॉप के जैसे लंड चूसने के बाद मेरा मुँह वीर्य से भर चुका था.
पर मैंने उसे पिया नहीं, बाहर ही थूक दिया.

अब वो धीरे धीरे मेरी चूत में अपनी उंगलियां घुसाने लगा था.
मुझे दर्द सा महसूस होता तो मैं आह्ह ह्ह करके रह जाती, पर मुझे भी चुदाई का मजा लेने की बहुत जल्दी थी.

मैं लव से कह रही थी- जानू, अब और मत तड़पाओ, डाल दो अपना बड़ा और सख्त लंड मेरी चूत में.
उससे भी रहा नहीं जा रहा था. वो भी मुझे चोदने का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

अब उसने अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया और एक जोरदार धक्का लगाते हुए मेरी चूत में अपना लंड घुसाना चाहा.
पर उसका लंड फिसल कर बाहर आ गया.

मुझे बहुत दर्द होने लगा था.
फिर उसने मुझे खड़ा किया और मेरा एक पैर अपने कंधे पर रखते हुए अपने लंड को मेरी चूत पर सैट किया. फिर एक ही धक्के में उसने टोपा मेरी चूत में घुसा दिया.

मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरी आंखों से आंसू बहने लगे.
मैं दर्द से छटपटा रही थी. दर्द की वजह से मैं खड़ी नहीं रह पाई तो लव ने मेरी चूत से लंड निकाले बिना ही मुझे जमीन पर लिटा लिया.

मैंने उसे अपने ऊपर से हटाना चाहा, पर मैं उसे हटा नहीं पायी.

मेरी चीख निकलने से पहले उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया था.
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अब मेरे आंसू लगातार निकल रहे थे. मैं छूटने के लिए छटपटा रही थी, पर लव मुझे ऐसे ही कहां छोड़ने वाला था.
उसने एक झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत चीरते हुए अन्दर उतार दिया.

उसका लंड खून से लथपथ ही गया था, जिसे देखकर मैं डर गयी.

उसने मुझे समझाया कि पहली बार में ऐसा होता है.

अपने रूमाल से उसने लंड साफ किया.
फिर 5 मिनट तक चुम्मा चाटी करने के बाद उसने धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
अब मुझे दर्द कम हो रहा था. कुछ धक्के लगते ही मानो जैसे मेरा दर्द गायब सा हो गया था.
मुझे चुत चुदाई में मजा आने लगा था.

मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्हह उम्म्म आह्ह आह्ह हाए आह्हह.

इन्हीं आवाजों के साथ मैं चुदाई के नशे में खो गई.
लव मुझसे हमेशा ही कहता था- मजा आएगा, मजा आएगा.
आज मैं चुदाई के मज़े का आनन्द उठा रही थी और अपनी कमर उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी.

साथ ही मैं चिल्ला रही थी- आह मुझे जोर से चोदो … हां हां हां ऐसे ही चोदो … ऊह आह ओह … ओह … आऊ!
लव- ले ले और ले … और अन्दर तक ले … तेरी चूत प्यासी है … प्यास बुझा अपनी चूत की … तेरी चूत का भोसड़ा!

मैं- चोदो … मुझे चोदो … जोर से चोदो … और जोर से चोदो … हां ऐसे ही मेरी चूत को फाड़ डालो … जोर जोर से झटका दो … घुसा दो अन्दर तक … पेलो पेलो और तेज पेलो मुझे … और जोर से अन्दर करो … ओह्ह आऊ … ओईई आऊओ … मुझे जोर से चोदो.
कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा. अब शायद मैं झड़ चुकी थी.

कुछ ही देर में लव का बदन भी कुछ इस तरह से अकड़ने लगा और उसने अपना सारा माल मेरी चूत में ही निकाल दिया.

मेरी चूत उसके गरम वीर्य का अनुभव कर रही थी और उसका माल मेरी चूत से बाहर आने लगा.

वहीं लव निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गया.

कुछ मिनट लेटने के बाद उसका लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया और हमने फिर से चुदाई के मज़े लिए.

अब मुझ पर पूरी तरह से उसकी मोहर लग चुकी थी. अगले दिन मुझे चलने में बहुत दिक्कत हो रही थी. मेरी चूत ब्रेड की तरह फूल चुकी थी.

मैं लड़की से औरत बन चुकी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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खूबसूरत भाभी की कुंवारी चूत

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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ये बात 2 महीने पहले की है जब मैं अपनी इंजीनियरिंग के सेकण्ड ईयर में था. मेरी परीक्षा चल रही थी. तब मम्मी और पापा किसी काम से बाहर जाने वाले थे तो घर पर मैं अकेला रहने वाला था। मम्मी पापा के जाने के बाद फिर मुझे मम्मी का कॉल आया कि साना भाभी आ रही है.
माँ ने बोला कि तुम घर पर ही रहना, कहीं बाहर मत जाना.
माँ की बात सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई कि भाभी आ रही है.
फिर भाभीजी शाम को 6:00 बजे हमारे घर आ गई. मैंने दरवाजा खोला और देखा कि सामने साना भाभी थी. वो बहुत हॉट और सेक्सी दिखाई दे रही थी. भाभी ने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। दोस्तो, आप सबको पता ही होगा कि काले रंग की साड़ी में गोरा बदन कितना हॉट लगता है।
फिर भाभी अंदर आई तो भाभी ने मुझे देखते ही गले लगा लिया. 36 के साइज के उभरे हुए बूब्स मुझसे सट गये। मैं तो आप सभी को बताना भूल ही गया कि मेरा और भाभी का रिश्ता बहुत ही अच्छा और हँसी-मजाक वाला है।
भाभी से मैंने कहा- भाभी, आप हाथ-मुंह धो लो तब तक मैं आपके लिए कॉफी बनाता हूँ.
उन्होंने मुझे गाल पर किस किया और रूम में चली गई।

मैंने हम दोनों के लिए कॉफी बनाई और भाभी को आवाज दी- आप जल्दी से आकर कॉफी पी लीजिये नहीं तो कॉफी ठंडी हो जायेगी।
भाभी बाहर आई और बोली कि उनके पति यानि कि मेरे भाई का कॉल आया था इसीलिए उनको देर हो गई.
हम दोनों ने साथ में बैठ कर कॉफी पी. भाभी ने मेरी बनाई कॉफी की तारीफ करते हुए कहा कि तुम कॉफी बहुत अच्छी बनाते हो. मैंने जवाब में कहा कि यह तो सब आपसे ही सीखा है. उसके बाद हमने थोड़ी देर यहां-वहां की बातें कीं तो तब तक शाम के आठ बज गये थे.

डिनर के लिए मैंने भाभी को कहा- कहीं बाहर चलते हैं.
भाभी बोली- ठीक है फिर किसी फाइव स्टार होटल में चलते हैं.
मैंने कहा- ओके.
हम तैयार होकर डिनर के लिए होटल में चले गये. वहाँ पर जाकर हमने खाना खाया और मैंने वेटर से एक वाइन भी मंगवा ली. भाभी ने वाइन के लिए मना कर दिया तो मैंने वाइन का ऑर्डर कैंसिल कर दिया.
हम बाहर आकर गाड़ी में बैठ गये. चलने लगा तो भाभी बोली- वोडका के शॉट्स ले आओ.
मैं जाकर वोडका के शॉट्स ले आया.
उसके बाद हम घर आ गये.
घर आकर कांच के गिलास में मैंने भाभी को वोडका सर्व की. पीने के बाद हम दोनों को नशा सा हो गया.
उसके बाद भाभी ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैंने कहा- अभी तक आपके जैसी कोई मिली ही नहीं.
भाभी बोली- तुम बहुत शरारती हो.

अचानक से बाहर बिजली कड़की और भाभी मेरी छाती से आकर लिपट गई. उसके चूचे मेरी छाती पर जा लगे. मैंने कहा- क्या हुआ भाभी?
वो बोली- मुझे डर लगा इसलिए तुमसे लिपट गई.


उसके बाद हम दोनों अपने-अपने कमरों में सोने के लिए चले गये. मैं कपड़े बदल रहा था कि फिर से बिजली कड़की. भाभी दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और पीछे से मुझे पकड़ लिया. मैंने टी-शर्ट उतार रखी थी और मेरी छाती बिल्कुल नंगी थी. भाभी के कोमल हाथों का स्पर्श मेरी छाती पर हुआ तो मेरे अंदर एक सरसरी सी दौड़ गई.
मैंने भाभी को अपने से अलग कर लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भाभी बोली- क्या मैं आज रात को तुम्हारे कमरे में सो सकती हूँ? मुझे अपने रूम में बहुत डर लग रहा है.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
वो बोली- मुझे भाभी मत कहा करो. तुम्हारे मुंह से साना ही अच्छा लगता है.
मैंने कहा- ठीक है. मैं आपको भाभी नहीं बुलाऊंगा.

उसके बाद मैं शावर लेने के लिए बाथरूम में चला गया. जब मैं बाहर आया तो साना भी शावर लेने के लिए बाहर मेरा इंतजार कर रही थी. उसने अपने बदन पर एक तौलिया लपेटा हुआ था. जो उसके घुटनों से भी ऊपर तक पहुंचा हुआ था. उसके बाद वो बाथरूम में चली गई. जब वो बाहर आई तो उसके भीगे हुए चूचों की दरार दिख रही थी. उसके बाल उसके चूचों पर बिखरे हुए थे. उसके बाद वो अपने कमरे में चली गई.

मैंने अपनी नाइट ड्रेस पहन ली और अपने लैपटॉप पर कुछ काम करने लगा. कुछ ही देर के बाद साना मेरे कमरे में आई और उसने अपने बदन पर लॉन्ज़री डाली हुई थी. वह किसी पॉर्न फिल्म की हिरोइन के जैसे लग रही थी. मैं उसको देखता ही रह गया.
वो बोली- क्या देख रहे हो प्रिंस?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
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उसके बाद मैंने लाइट ऑफ कर दी और हम दोनों सोने लगे. मुझे काफी देर के बाद नींद आई.

फिर रात को करीब 12 बजे मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे लंड को सहला रहा है. मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि साना xxx bhabhi videos वाली की तरह मेरे लंड पर अपना हाथ फिरा रही थी. मेरा लंड तनाव में आना शुरू हो गया था.
इससे पहले मैं कुछ कहता, साना ने मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों को चूस लिया और मुझे बेड पर लेकर लेट गई. वह मुझे गालों पर तो कभी गर्दन पर किस करने लगी. उसने एक हाथ से मेरे लंड को सहलाना और दबाना जारी रखा जिससे मेरा लौड़ा पूरा तन गया और मेरे अंदर की हवस का शैतान जाग गया. मैंने साना को नीचे पटका और उसको बेतहाशा चूमने लगा. मैंने उसकी लॉन्जरी को उतार दिया और उसने मेरी टी-शर्ट को उतार कर मेरी छाती को नंगी कर दिया.
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बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे को किस करते रहे. साना नंगी थी. के बदन को देख कर मैं पागल सा हो गया. उसके 36 के चूचे नंगे होने के बाद और भी ज्यादा मस्त लग रहे थे.
उसकी चूत पूरी गर्म हो गई थी. उसकी चूत बिल्कुल कसी हुई लग रही थी.
मैंने पूछा- तुम्हारी चूत इतनी कसी हुई कैसे है?
वो बोली- तुम्हारे भाई ने मेरे साथ कुछ किया ही नहीं है. शादी के तीन दिन बाद ही वो लंदन चले गये थे काम के सिलसिले में. इसलिए मेरी चूत अभी तक ऐसी है. यह बहुत गर्म हो चुकी है प्रिंस … इसको तुम ही शांत कर सकते हो अब!
उसने मेरी लोअर के ऊपर से ही मेरे तने हुए लंड को किस करना शुरू कर दिया. ऐसा लग रहा था कि वो मेरे लंड की बहुत दिनों से प्यासी है. वह उसको प्यार से किस कर रही थी. मेरा लंड पूरा का पूरा तन कर जैसे फटने ही वाला था. भाभी ने मेरी लोअर के ऊपर से मेरे लंड को किस करते हुए मेरी ग्रे रंग की लोअर को पूरी गीली कर दिया. लेकिन वह पागलों की तरह मेरे लंड को प्यार किये जा रही थी.
मैं पीछे से उसकी गांड को दबा रहा था. साथ ही उसके चूचों को भी भींच रहा था. फिर उसने मेरी लोअर को खींच दिया और मेरे शॉर्ट्स में से मेरे लंड को अपने दांतों में पकड़ लिया. वो उसको दांतों में लेकर काटने सा लगी. वह लंड की दिवानी सी लग रही थी मुझे. फिर उसने मेरे शॉर्ट्स को भी उतार दिया और मेरे लौड़े को नंगा कर दिया.मेरा तना हुआ लौड़ा देख कर वो उस पर टूट पड़ी. उसने उसको मुंह में लेकर एक बार जोर से चूसा और अपनी आंखें बंद कर लीं. आह्ह … उसकी ऐसी हरकत से मेरी खुद की आंखें भी बंद हो गईं. फिर उसने मेरे लंड को पूरा का पूरा गले तक उतार लिया. मेरा लंड उसके थूक से लथ-पथ हो गया.
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