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Incest बाप ने बेटी को चोदा
#21
खैर मुझे तो जागना था तो मैं टीवी देखने लगी. लेकिन पता नहीं कब मेरी आंख लग गयी और मैं सो गयी। लेकिन दिमाग में तो ‘जागना जागना’ चल रहा था तो करीब एक बजे हड़बड़ा कर मेरी आंख खुली और मैं उठी. कमरे में से ही पहले खिड़की में से गेस्ट हाउस की ओर देखा. लेकिन यहाँ से कोई हलचल नहीं दिखी. तो फिर भी मेरा मन नहीं माना मैं चुपचाप दबे पाँव कमरे से निकल कर चल दी और धीरे-धीरे गेस्ट हाउस की खिड़की के पास पहुँच कर कान लगा कर सुनने लगी.

अभी भी मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था तो धीरे से मैंने दरवाजा खोला और अन्दर जाने लगी. अन्दर के कमरे का दरवाजा बन्द था लेकिन एसी चालू था तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि अन्दर जरूर कोई है।
चुपचाप से मैंने उस खिड़की के काँच से देखा तो अन्दर की लाईट जल रही थी.
और अन्दर का नजारा देखा कर मेरे होश उड़ गये … अन्दर कोई और नहीं मेरे ससुर और उनकी सगी बेटी यानि कि मेरी ननद सुमीना थी. मुझे मेरी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ, मैंने दोबारा से अपनी आँखें मली और फिर से देखा कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रही हूँ.
लेकिन यह सच था, सपना नहीं था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
अन्दर का सीन कुछ इस तरह था कि सुमीना ने सारे कपड़े उतार रखे थे और ससुर जी भी पूरे नंगे थे और अपनी बेटी की चूत को चाट रहे थे. सुमीना अपनी मस्ती में आँख बन्द करके चूत चूसाई का आनन्द ले रही थी. बाप बेटी दोनों इस बात से बेखबर थे कि कोई उन्हें देख रहा है. वो तो बस अपने मजे में मस्त थे।

ससुर जी ने सुमीना यानि अपनी बेटी की चूत में अपनी पूरी जीभ घुसा रखी थी और बड़े ही मजे उसे खा जाने वाले तरीके चाट रहे थे. सुमीना बोल रही थी- बस आआआ आअआ आअहह हहह उम्म मम्मह अआआ आअआउउ उउउउउ पापा खा जाओ … पी जाओ मेरी चूत को … बहुत तड़पती है ये!
और नीचे से अपने नंगे चूतड़ उचका उचका कर अपनी चूत को अपने पापा के मुँह पर रगड़ रही थी. दोनों मजे में तल्लीन थे.
मैंने सोचा कि अभी इन्हें रोक दूँ कि ‘पिताजी आप ये क्या कर रहे हो? ये आपकी बेटी है.’
लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया. मैं और देखना चाहती थी कि ये और क्या करेंगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
अचानक से सुमीना और तेज चिल्लाने लगी- आअ अअहह हह पाहपहापा पापपापापाह पहाहप गयी मैं तो आअअ अअआ आआ आआ गगया!

और यह कहते हुए अपने दोनों हाथों से अपने पापा का मुँह अपनी चूत पर दबा लिया. उसको मजा मिल चुका था, उसकी चूत का रस निकल चुका था. लेकिन पापा अभी भी उसकी चूत को चाट रहे थे.
तो सुमीना बोली- पापा, अब कुछ और भी करो! मैं तड़प रही हूँ.
तो पिताजी ने अपना नाड़े वाला कच्छा उतारा. मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गयीं. उनका लण्ड पूरा 8-9 इन्च के बराबर था, शायद कुछ ज्यादा ही होगा. और मेरी कलाई के बराबर मोटा होगा, लण्ड नहीं पूरा मूसल लग रहा था।
मैं सोचने लगी कि इसके मारे तो मेरी चीख निकल जायेगी. ये कुँवारी सुमीना इतना बड़ा लण्ड कैसे ले पायेगी.
मैं ये सोच ही रही थी कि पिता जी ने सुमीना की टांगें चौड़ी कर दी और अपना मूसल जैसा लण्ड उसकी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे रगड़ने लगे. सुमीना यानि कि मेरी ननद अअआ अहह हहह अअह करने लगी.
मौका देख कर पिताजी ने एक झटका मार दिया जिससे उनका आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया और सुमीना के मुँह से एक चीख सी निकल गयी- आआहहह पापा धीरे … लगती है!
लेकिन वो लगभग नार्मल लग रही थी.
इससे मैं ये समझ गयी आज पहली बार नहीं हो रहा, ये सब शायद बहुत पहले से चल रहा है।
इधर पिताजी ने अपनी बेटी सुमीना के 36 के चूचे मुंह में ले लिये और उन्हें चूसते चूसते चुदाई की स्पीड तेज कर दी और पूरा लण्ड सुमीना की चूत में उतार दिया. सुमीना मजे से आआ आउउ उउउ उम्म मममउ आआअ आहाहा हहाह उफ आआअहह कर रही थी और पिताजी चोदते समय कह रहे थे- ले लण्ड … पूरा लण्ड ले चूत में … और ले ले … उम्म्ह… अहह… हय… याह… तेरे भोसड़े में उतार दिया. और ले ले मेरा लण्ड!
पिता पुत्री दोनों मजे से चुदायी का आनन्द ले रहे थे.
इधर मेरी चूत ने जवाब दे दिया था और उसमें से पानी निकलने लगा तो मैं भी अपनी मेक्सी ऊपर करके अपनी चूत में उंगली करने लगी। उधर ससुर जी गपागप चूत में लण्ड पेले जा रहे थे. करीब 20 मिनट के बाद ससुर जी का पानी निकलने को हुआ तो सुमीना बोली- पापा, अन्दर मत निकालना … नहीं तो मुझे गोली खानी पड़ेगी.
लेकिन वो नहीं माने और जोर के धक्के लगाते हुए सारा पानी सुमीना की चूत में ही निकाल दिया और बोले- नहीं सुमीना, तेरे पापा को बाहर मजा निकालना अच्छा नहीं लगता.
और अआअ आअआह हहह अअअ अअह हहह करके सुमीना के चूचों पर ही निढाल हो कर लेट गये.
इधर मेरी चूत का भी पानी निकल चुका था।
इस सब में मैंने एक काम कर लिया था कि सुमीना और मेरे ससुर की रासलीला की वीडियो अपने मोबाइल से बना ली थी. और फिर मैं चुपके से अपने रूम में आ गयी और सोचा कि इस बारे में बात सुबह को करेंगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
किन मुझे नींद नहीं आ रही थी, बार बार ससुर जी का लण्ड ही दिखायी दे रहा था और सोच रही थी कि जब एक बेटी अपने बाप से चुदवा सकती है तो मैं अपने ससुर से क्यों नहीं चुदवा सकती? मुझे भी बहुत दिन हो गये थे बिना चुदवाये … आखिर मेरे ससुर का लण्ड भी था भी तो ऐसा कि दुनिया की हर औरत लड़की उनसे चुदने को राजी हो जाये।

यही सब सोचते सोचते एक बार और मेरी चूत से पानी निकल गया और मैं सो गयी।
अगली सुबह मैं देर से सोकर जागी, देखा कि सुमीना किचन में चाय बना रही है और ससुर जी अखबार पड़ रहे हैं. दोनों एकदम नार्मल लग रहे थे जैसे कुछ हुआ ही ना हो!
आज रविवार था तो सब घर पर ही रहने वाले थे. मैं जल्दी से नहा धोकर फ्रेश हो गयी और सबको नाश्ता करा दिया और दोपहर का खाना खिला कर टीवी देखने लगी.
तभी मुझे रात वाले वीडियो का ध्यान आया, मैंने सोचा कि इसका कैसे प्रयोग करूँ?
इतने में मुझे एक आइडिया आया कि मैंने वो वीडियो अपनी ननद के मोबाइल पर भेज दिया।
थोड़ी देर बाद मैसेज मार्क नीला हो गया यानि कि उसने वो देख लिया और उसके दो मिनट बाद ही गोली की तरह से सुमीना मेरे कमरे आ गयी और पूछने लगी- भाभी, ये क्या है?
मैं- यही तो मैं तुझसे पूछ रही हूँ कि ये क्या है? तूने अपने बाप के साथ ही ये सब कर डाला?
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#25
सुमीना- लेकिन भाभी ये आपको कहाँ से मिला।

वो थोड़ी डरे डरे से स्वर में बात कर रही थी।
मैं- रात को मैंने सब अपनी आँखों से देखा था कि तुम दोनों बाप बेटी क्या गुल खिला रहे थे गेस्ट हाउस में!
सुमीना- भाभी, आप ये सब किसी को बताना नहीं!
मैं- पहले मुझे पूरी बात बता कि ये सब क्यों किया और कब से चल रहा है तुम्हारे बीच?
सुमीना- भाभी, मैं पूरी बात शुरू से बताती हूँ, मम्मी के जाने के बाद पापा बहुत अकेले अकेले से रहने लगे, किसी से बात नहीं करते थे. बड़े भईया तो बाहर जॉब करते थे और छोटे भईया अपने हॉस्टल में थे. घर पर सिर्फ मैं और पापा ही रहते थे. धीरे धीरे पापा डिप्रेशन में जाने लगे तो मैंने उन्हें डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने माहौल बदलने की बात कही. तो मैं पापा को शिमला घुमाने ले गयी और वहीं एक रात को बारिश की वजह से ठंड अधिक बढ़ गयी तो पापा और मैं कब एक दूसरे से चिपक गये पता ही नहीं चला. धीरे धीरे पापा मेरी चूत में उंगली करने लगे और मैं पापा का लण्ड दबाने लगी. और कब यह चुम्माचाटी लिपटा लिपटी में बदल गयी, कुछ पता नहीं चला और पापा ने लण्ड पूरा मेरी चूत में उतार दिया तो उसमें से खून निकलने लगा. लेकिन मुझे मजा आने लगा था. पापा बेतहाशा मुझे चोद रहे थे. करीब आधा घण्टे बाद पापा का पानी मेरी चूत में निकला और मैं करीब करीब बेहोश हो चुकी थी. सुबह मेरी आंख खुली तो पाया कि पापा और मैं एक दूसरे नंगे चिपके पड़े हैं. मैं समझ गयी कि पापा ने मुझे अपने बड़े से लण्ड चोद दिया. तभी पापा की नींद खुल गयी और उनके चेहरे पर कई महीने बाद मुझे एक मुस्कान दिखी तो मैं अपना सारा दर्द भूल गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#26
Nice story
Keep posting such
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#27
thanks
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#28


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#34
ye adhi adhi kahaniya rakhne ka koi matlab ? neeraji?
puri kahani na ho to copy paste mat kiya karo
kahani ki maza maari jaati hai
chalo adhuri hi sahi par achchhi thi
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#35
Yaar Aage Bataao

Bahut mazaa aa raha tha

Beti chudai padkar muth maarne mein..
Aahaaa
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#36
(06-06-2022, 04:21 PM)neerathemall Wrote: neerathemallसुमीना- लेकिन भाभी ये आपको कहाँ से मिला।

Angry Angry Angry पापा बेतहाशा मुझे चोद रहे थे. करीब आधा घण्टे बाद पापा का पानी मेरी चूत में निकला और मैं करीब करीब बेहोश हो चुकी थी. सुबह मेरी आंख खुली तो पाया कि पापा और मैं एक दूसरे नंगे चिपके पड़े हैं. मैं समझ गयी कि पापा ने मुझे अपने बड़े से लण्ड चोद दिया. तभी पापा की नींद खुल गयी और उनके चेहरे पर कई महीने बाद मुझे एक मुस्कान दिखी तो मैं अपना सारा दर्द भूल गयी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#37
(27-06-2022, 11:14 PM)maitripatel Wrote: ye adhi adhi kahaniya rakhne ka koi matlab ?  neeraji?
puri kahani na ho to copy paste mat kiya karo
kahani ki maza maari jaati hai
chalo adhuri hi sahi par achchhi thi

कहाँनियाँ पूरी हैँ ।
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#39
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#40
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