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Incest मैंने बुआ को चोदा गर्मियों की छुट्टी में।
#21
(19-05-2022, 04:10 PM)neerathemall Wrote:
बुआ का प्यार


बुआ का प्यार
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
यह कहानी एक ऐसी औरत की है जो सती सावित्री थी, परंतु एक नाटकीय मोड़ ने उसे कुछ और ही बना दिया। यह कहानी उसी की जुबानी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#23
यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। कहानी के सभी पात्र अठारह वर्ष या उससे ऊपर के हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। कहानी के सभी पात्र अठारह वर्ष या उससे ऊपर के हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
मेरा नाम उषा है। मेरी उम्र 39 साल है। मेरे पति विवेक एक मल्टीनेशनल कंपनी में बडे़ अधिकरी हैं। मेरा बेटा मानव अभी 18 साल का है और बंगलौर में इंजीनियरिंग कर रहा है। मैं अपने पति के साथ मुंबई में रहती हुँ। हमारे साथ मेरे भाई का बेटा रवि भी रहता है जो कोई कंप्यूटर कोर्स कर रहा है। उसकी उम्र तेईस साल है।
एक दिन टीवी पर योग का कोई प्रोग्राम दिखाया जा रहा था जिसमें गोमुत्र के बारे में बताया जा रहा था। चूँकि मेरे पति औफिस गये हुए थे इसीलिए मैं और रवि घर पर समय बिताने के लिए टीवी देख रहे थे।
उस प्रोग्राम को देखते हुए मैंने कहा "कोई कैसे गोमुत्र पी सकता है। यह तो बहुत ही गंदा होता है।"
तभी रवि ने कहा"बुआ उसे मशीन से साफ करके पीने लायक बनाया जाता है। तब उसे पीते हैं।"
मेरा भतीजा कभी कभी मुझसे चुहलबाजी भी करता है और मैं उसका मजा लेती हुँ।
मैंने बात बढा़ते हुए कहा"तभी तो कोई किसी का मुत्र ऐसे कैसे कोई पीये।"
तभी रवि ने कहा"कोई किसी का क्या मतलब । युँ तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं। आपने लोगो को लोगों का न पीने का तो सुना ही होगा तो मूत पीना कौन सी बडी़ बात है।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
मैने कहा"दुसरों की छोड़ तु बता। बडी़ डींग हाँकता है। तु कर सकता है क्या।"
मेरी डींग हाँकने वाली बात पर वह उत्तेजित होते हुए बोला"इसमें कौन सी बडी़ बात है, जरुर करके दिखा सकता हुँ।"
"लगी शर्त तु नहीं कर पाएगा।"
"करुँगा जरुर,लगी शर्त।"
"परंतु अपनी नहीं किसी और की। समझे। मेरे सामने पीनी होगी। अगर मर्द हो तो इनकार मत करना।"ऐसा कहकर मैं हँसने लगी।
फिर उसने मेरी शर्त मानते हुए बोला "बुआ यहाँ कोई और तो है नहीं, मैं तुम्हारी मूत ही पियुँगा वह भी सीधे बिना कोई अन्य चीज के।"
अब मैं शर्मिंदा हो ग़ई। मैने उसे यह बात भुलने को कहा। परंतु उसने कहा"न करना हो तो ठीक ही है। सभी औरतें अपने बात से मुकरती ही हैं।"
अब मैने ताव में उसकी बात मानी पर यह काम अभी न करने को कहा।
तब रवि ने कहा कि अगर वह यह काम कर लेगा तो मुझे उसकी एक बात माननी होगी।झिझकते हुए मैनें उसकी बात मानी और कहा"परंतु ये बातें किसी को पता नहीं लगनी चाहिए।"
उसके बाद मैं अपने घर के काम में लग गयी। मेरे पति शाम को घर आए तब तक रवि से कोई विशेष बात नहीं हुई।
दो दिनों के बाद मेरे पति ने औफिस जाने के बाद फोन कर कहा कि उन्हें 10 दिनों के लिए काम से यूरोप टुर पर जाना है, इसलिए उनका सामान तैयार कर दूँ। मैंने उनका सामान तैयार कर पैक कर दिया। विवेक शाम को आए और सो गये। उनकी फ्लाइट सुबह 4बजे की थी। सुबह उनके जाने के बाद मैं थोडी़ देर सोयी।
फिर सुबह के कामकाज समाप्त होने के बाद मैं टीवी पर सीरियल देख रही थी,उसी समय रवि आया और पूछा "बुआ फुफा तो विदेश गये हैं कब तक आएँगें।"
मैने कहा कि दस दिनों में आएँगे। तभी मैं बाथरुम जाने को उठी तब उसने पूछा "बुआ आप मुझसे गुस्सा तो नहीं हो क्योंकि उस दिन के बाद से आपने मुझसे विशेष बात भी नहीं की और थोडा़ दुर रहने लगी हो"। मैंने कहा "ऐसी कोई बात नहीं है"।
"बुआ अगर बुरा न लगे तो उस दिन की शर्त याद है न।"
"बुरा मानने वाली कोई बात तो नहीं है। फिर बात तो मैंने ही शुरु की थी। मैंने मजाक किया था।" मैंने बात टालने के मूड में कहा।
परंतु वह आज बात टालना नहीं चाहता था। उसने फिर कहा "बुआ तो फिर आज देख ही लो मैं मर्द हुँ या नहीं। तुम भी अपनी जुबान से मत फिरना। मैं यह बाय किसी को नहीं बताऊँगा।"
मुझे बडी़ कोफ्त होने लगी कि मैंने एक साधारण बात को कहाँ से कहाँ ला दिया।
आखिर झिझकते हुए मैंने कहा "पर मैं तुम्हारे आँख पर पट्टी बाँधुंगी और इस बात पर आगे कोई बात नहीं होगी, समझे।" मैं अपने कमरे में कोई कपडा़ लाने गयी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
उसने हाँ कहा और वहीं बैठा रहा। कमरे से आकर मैंने उसे अपने कपडे़ खोलकर बाथरुम में जाने को कहा। बाथरुम में जब मैं गयी तो वह तौलिया लपेट कर खडा़ था। मैंने उसके आँखों पर मोटी पट्टी बाँधी जिससे उसे कुछ दिखाई न दे। फिर सहारा देकर मैंने उसके सिर को नीचे किया। उस समय मैं साडी़ पहने हुए थी। अब मुझे भी सिहरन हो रही थी। फिर मैं उसके सिर पर अपनी चुत को उसके मुँह के पास रखकर पिशाब करने लगी। उत्तेजनावश पिशाब की एक मोटी धार उसके मुँह में गिरी और मैं पिशाब करने के बाद उठी। उसे देखा तो मैं आश्चर्यचकित हो गयी। उसने मेरा पूरा मूत पी लिया था। मैंने बिना कुछ कहे उसके आँखों की पट्टी खोली और उसे नहाने को बोलकर बाररुम से बाहर आ गयी।
बाहर आकर मैं अपने दुसरे कामों में व्यस्त हो गयी। रवि से नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। खैर किसी तरह दो दिन बित गये।
इन दो दिनों में जब भी वह बात याद आती मेरी चूत गीली हो जाती थी।
तिसरे दिन मेरे टीवी देखते समय रवि मेरे पास आया। वह बोला "बुआ जो हुआ सो हुआ। मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगा और यह बात सताने वाली है भी नहीं कि मैंने आपका मूत पिया है।"
मैंने भी कहा कि यह बात किसी हालत में कोई न जाने क्योंकि इससे मेरी बदनामी होगी।
"बुआ ऐसे देखा आपने मैंने असंभव वाला काम कर दिया। मूत पीने समय तो बहुत ही खारा लगा पर मैं किसी तरह पी ही गया। आपके बाथरुम से निकलने के बाद थोडी़ उबकाई हुई पर सब ठीक हो गया। वैसे मेरी शर्त तो याद है ना।"
"हाँ याद है, बोलो क्या करना है।" मैनें थोडे़ कडे़ लहजे में उससे पूछा।
"रहने दीजिए बुआ आप नहीं कर पाएँगी।"
"ऐसा कौन सा काम है जो मैं नहीं कर पाउँगी।"
"आप मुझसे नाराज हो जाएँगी। और फिर आप से नहीं हो पाएगा।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#28
अगर  Shyतुम वह वाली बात किसी को न बताओ तो मैं नाराज नहीं होउँगी और तुम जो कहोगे मैं करुँगी।"
"मैं किसी को कुछ नहीं कहुँगा, लेकिन आप कर नहीं पाएँगीं।"
"ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर पाऊँगी।"
"बुआ वो...वो...।"
"क्या वो... बोलकर देखो, मैं कुछ भी कर सकती हुँ।"
"मैं चाहता हूँ कि...।"
"क्या चाहते हो? मुझे कमजोर मत समझो। मैं तुम्हें कुछ भी करके दिखा सकती हूँ।"
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#29
.... Shy Shy Angel
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#30
Smilewrongone Shy
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#31
बुआ, मैं आपके चूत के दर्शन करना चाहता हूँ और उसे जीभर के चूमना चाहता हूँ। उसकी गंध अभी भी मुझे बेचैन कर रही है।"

अब मैं चौंक उठी।
मैं कुछ बोलती इससे पहले ही रवि ने कहा "बुआ आपने पहले ही कहा है आप नाराज नहीं होंगीं और आप कुछ भी कर सकती हैं। अगर नहीं करना चाहती हैं तो कोई बात नहीं। मुझे पहले ही मालुम था कि आपसे नहीं होगा।पर आप नाराज ना हों।"
मैंने उससे कहा "क्या मालुम था मुझे कि तुम ऐसा कुछ कहोगे और औरतें भी अपने जुबान की पक्की होती है।" ऐसा कहकर मैं अपने कमरे में चली गयी।
वहाँ मैं सोचने लगी कि ये मैंने क्या कर दिया। खैर बहुत सोचने के बाद मैंने अपनी चड्डी उतारी और रवि को आवाज दिया।
थोडी़ देर में रवि आया और बिस्तर पर बैठा। मैंने कहा "देखो बेटा, यह जो तुम कह रहे हो वह कहीं से भी सही नहीं है। परंतु चुँकि शुरुआत मैंने की और मुझे तुम्हारी शर्त पूरी करनी है, इसीलिए मैं तुम्हारी बात मानूँगी। लेकिन यह सब बातें किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए।"
तब रवि ने कहा "बुआ यह बातें मैं किसी को नहीं बताऊँगा चाहे कुछ भी हो जाए।"
मैंने उसे आँख बंद करने को कहा और अपना पेटिकोट उठाया। फिर उसे आँख खोलने को कहा। वह कुछ देर युँ ही मेरी नंगी जाँघ और चूत को निहारता रहा, फिर काफी करीब से देखने लगा। फिर तेजी से उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर फिरायी। मेरी तो हालत खराब हो गयी। मेरी जिंदगी में यह पहली बार था कि कोई मेरी चूत पर जीभ फिरा रहा हो। मेरे पति ने भी मेरे साथ ऐसा कभी नहीं किया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#32
पति के साथ मेरी सेक्स लाइफ सामान्य ही थी। हमनें कुछ नया करने की कभी सोची ही नहीं।

इधर मेरी चूत पर जीभ फिरने से मुझे अजीब सी सिहरन महसूस हो रही थी। मैंने अपनी आँखे बंद कर लीं। अब उसने तेजी से अपनी जीभ चलाना शुरु किया। मेरी हालत पतली हो रही थी। एक अजीब सी मदहोशी मुझ पर छा रही थी। उसके जीभ से चाटते चाटते लगा कि मैं सातवें आसमान पर पहुँच गयीं हूँ। अब उसने अपनी जीभ अंदर डालनी शुरु। कब तो मुझे लगा कि मैं मर ही जाऊँगी।
अचानक मेरे अंदर कुछ अजीब लगने लगा। अब मैं नहीं चाहती थी कि वह रुके कि तभी वह रुका और बोला "बुआ मैं तो और भी चाटना चाहता हूँ। "
"तो चाटो न रुक क्यों गये।" मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराया और बोला कि जबतक फुफा जी नहीं आते हैं तबतक दिन में एक बार मैं आपका चूत जमकर चाटुँगा। अगर मंजुर हो तो बोलिये।
मेरी हालत यह थी कि मुझे अपनी चूत चटवाने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था।
मैंने कहा "तुम जो कहो मुझे मंजूर है पर अभी रुको मत अपना काम जारी रखो।"
मेरी बात सुनकर उसने मेरी चूत को जमकर चाटना चालू कर दिया। दो मिनट बाद ही ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर का सबकुछ बाहर निकल आएगा। और फिर मैंने अचानक उसका सिर पकड़ कर अपने चूत पर कसकर सटाया कि तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया। मैं झड़कर निढाल पर गयी। ऐसा लगा मानो मेरी पूरी ताकत किसी ने निचोड़ ली हो। परंतु उसने मेरी चूत को चाटना नहीं छोडा़। तभी फिर एक बार मैं झड़ने लगी । ऐसा उसने दो बार और मुझे झडा़या। फिर मैंने उसे जबरदस्ती हटाया और मैं निढा़ल होकर पडी़ रही। फिर कब मुझे नींद आ गयी पता ही चला।
जब मैं उठी तो शाम ढ़ल चुकी थी। मैं नहाने चली गयी। नहाने वक्त भी मैंने अपनी चूत को रगड़कर झाडा़ पर मुझे वैसा शुकुन नहीं मिला जैसा कि चूत चटवाते वक्त मिला था।
फिर मैं नहाकर निकली और तैयार होकर बैठी ही थी कि रवि आ गया। उसने मेरा हाल पूछा।
मैने कहा कि मैं ठीक हूँ। मैंने उससे पूछा कि उसने यह सब कहाँ से सीखा।
उसने कहा कि यह सब उसने विडियो देखकर और किताबों से सीखा है। फिर उसने पूछा "बुआ कैसा लगा, ये तो बताइए।"
तब मैंने कहा कि जैसे मैं स्वर्ग में पहुँच गयी हुँ। मैंने पहली बार अपनी चूत चटवायी। इसका अनुभव मैं बयां नहीं कर सकती। तुमने मेरी हरकतों से पकड़ लिया होगा।
मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराने लगा और बोला अब तो जब भी मन होगा तब करवाओगी न।
मैंने झेंपते हुए कहा "ऐसा कोई जरुरी थोडे़ ही है। ऐसे भी हमें अपने रिश्ते की देखते हुए ही कोई काम करना है। अगर तुम इसे राज रखो तो करने में कोई हर्ज नहीं।" अब मैं भी बहकने लगी थी।
तभी रवि मेरे गोद में आकर बैठ गया और मुझे तुरंत करने के लिए मनाने लगा। मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे अपने गोद से उतारते हुए किचेन में चली गयी। फिर रवि भी मेरे पीछे पीछे किचेन आ गया। उसने मेरी गाँड सहलाते हुए मुझसे जिद्द करने लगा। मै युँ ही इनकार करती रही।
तभी वह मेरे कदमों में गिर कर मनुहार करने लगा। फिर भी मैं इनकार करती रही। मेरे अंदर भी खलबली मची थी। मैं भी उससे अपने चूत को जमकर चटवाना चाहती थी। इसीलिए मैं उसे अनमने ढंग से मना कर रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#33
भी उसने मेरी साडी़ उठायी और अंदर घुस गया। फिर तेजी से उसने मेरी पैंटी नीचे सरकायी और मेरे चूत पर अपनी ऊँगली फिराने लगा। मैं अब पूरी तरह मस्त हो चुकी थी। मैंने उसे इशारे से मेरी पैंटी उतारने को कहा। उसने मेरी पैंटी उतारने के बाद मेरे चूत को चाटना शुरु किया। अब मैं साँतवे आसमान पर पहुँच गयी थी। चूत चाटते चाटते कब उसने मेरी साडी़ पेटीकोट सहित उतारा मुझे इसका भी ध्यान नहीं रहा। अब मैं पूरी तरह उसके नियंत्रण में थी। तभी उसने मेरी झाँटो भरी चूत को चाटना छोड़ मुझे झाँट साफ करने को कहा।

मैंने उससे कहा कि उसका जो भी मन है वो करे। तब उसने रेजर लाकर मेरे झाँटो को साफ करना शुरु किया। जैसे जैसे झाँट साफ होते गये मुझे अजीब सा महसूस होने लगा।
मेरे झाँटों को साफ करने के बाद उसने फिर से चूत को चाटना शुरु किया। अब मेरे अपने जाँघों से उसके सिर को दबाने लगी। अचानक मुझे अपने अंदर अजीब सा सिहरन होने लगा और मैं तेजी से झड़ गयी। मैं किचेन में ही फर्श पर बैठ गयी।
फिर न जाने मुझे क्या हुआ कि मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिया और उसे चूमना चालू कर दिया। पाँच मिनट तक ऐसे ही चूमने के बाद मैंने उसे खाने के लिए इंतजार करने को कहा।
फिर मैंने अपने कपडे़ समेट कर रखा और आधे नंगे रहकर ही खाना बनाया और खाने को डायनिंग टेबल पर लगाया। फिर मैं और रवि दोनों खाना खाने लगे।
खाना खाने के बाद सारे काम निपटाकर मैं अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी। मैं अब तक अर्धनग्न ही चादर ओढ़कर लेटी थी।
तभी रवि केवल अंडरवियर में आया और बोला "बुआ मुझे नींद नहीं आ रही है और मुझे फिर तुम्हारा चूत चाटने की इच्छा है।" यह कहकर वह मेरे बगल में चादर के अंदर आकर लेट गया और मेरे जाँघों को फैलाने लगा।
मैंने भी उसे पूरी छुट देते हुए अपने कमर को हिलाने लगी। थोडी़ ही देर में मैं झड़ गयी।
मैं बिस्तर पर ही लेटी थी कि रवि ने मुझे अपना लंड चूसने को कहा। थोडी़ ना नुकुर के बाद मैं उसका लंड चूसने को तैयार हो गयी। फिर मैंने उसके अंडरवियर को नीचे सरकाया।
उसका लंड सामान्य से थोडा़ मोटा और एकदम तन कर खडा़ था। यह पहली बार था जब मैं अपने पति के अलावा किसी और का लंड देख रही थी। मैंने इससे पहले अपने पति का भी लंड कभी नहीं चूसा था।
सबसे पहले मैंने अपने जीभ से उसके लंड के सुपारे को चाटा। थोडा़ नमकीन जैसा जरुर था पर स्वाद उतना बुरा भी नहीं था।
फिर मैंने उसके पूरे लंड को मुँह में भर लिया। मुँह में भरकर मैं उसे जीभ से ही हिलाने लगी। अब रवि साँतवें आसमान पर था। लगभग दस मिनट लंड चूसने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा।
तभी रवि बोला "उषा डार्लिंग कसकर चूसो मेरा लंड अब मैं झड़ने वाला हूँ।" उसके मुँह से इसतरह अपना नाम सुनकर मैं चौंक उठी पर मैंने उसका लंड चूसना जारी रखा। तभी उसने मेरे सिर को कसकर पकडा़ और अपने लंड को तेजी से मेरे मुँह में हिलाने लगा। थोडी़ ही देर में उसके लंड ने वीर्य का फव्वारा मेरे मुँह में छोडा़।
मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने जबरदस्ती मेरे मुँह मे गर्म पानी डाल दिया हो। परंतु पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने उसे उगला नहीं बल्कि किचेन में जाकर एक गिलास पानी के साथ पी गयी।
उसके बाद मैं अपने बिस्तर पर रवि के बगल में ही सो गयी।
सुबह मेरी नींद रवि के मेरे चूत चाटते समय ही खुली। अचानक मुझे उत्तेजना महसूस हुई और मैंने रवि के सिर को कसकर पकडा़ और मैं झड़ गयी। फिर मैं उठकर बाथरुम चली गयी और रवि सो गया।
सुबह का काम खत्म होने के बाद अपने लिभिंग रुम में बैठकर सोच रही थी कि मैंने अपने भतीजे के साथ इस नये संबंध से कैसे निपटुँ। हालांकि अभी तक मैंने संभोग नहीं किया था फिर भी मुझे अजीब लग रहा था।
तभी रवि आया और बोला "क्या कर रही हो उषा"।
मैं उसके मुँह से इस तरह अपना नाम सुनकर चौंकि और बोली "ये क्या बार बार मेरा नाम लेकर बुला रहे हो"।
तब उसने कहा "देखो उषा यह सच है कि तुम मेरी बहुत ही प्यारी बुआ हो पर अब मैं तुमसे सच्चा प्यार करने लगा हूँ और प्यार में और कोई रिश्ता तो होता नहीं। फिर तुम इतनी प्यारी और खुबसूरत हो कि मैं बयां नहीं कर सकता। वैसे ये सब तभी होगा जब हम दोनों अकेले होंगें। सबके सामने हम बुआ भतीजा ही रहेंगें।"
उसके इस तरह कहने पर मैं थोडा़ आश्वशत हुई।
तभी वह मेरे पास आया और मुझे स्मूच करने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#34
अब मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने मेरा गाउन निकाल फेंका। गाउन के नीचे मैं पूरी तरह नंगी थी। फिर उसने मुझे सोफे पर लिटा कर चूत चाटने लगा।

अब मैं मदमस्त हो चूकी थी। मैंने उसे उठाकर उसका पजामा खोला और उसके लंड से खेलने लगी।
उसने मुझे फिर लिटाया और चूत को चाटने लगा। अब हम एक दुसरे के अंगों को एक साथ चाट रहे थे। मैं अब पूरी तरह उसके काबू में थी।
तभी उसने मेरे निप्पल को जमकर मसलना शुरु किया। मैं तुरंत ही झड़ गयी। उस दिन एक बार और हमने ऐसा किया।
फिर रात भर हम दोनों नंगे ही एक साथ सोये।
सुबह मेरे पति विवेक ने मुझे फोन किया और कहा कि वह शाम तक आ रहे हैं। मैं जल्दी उठी और फ्रेश होकर घर की साफ सफाई में लग गयी।
उसके बाद मैं रवि को उठाने गयी तो देखा कि वह नंगे ही सो रहा है और उसका लंड तनकर खडा़ था। मैं बिना कुछ सोचे उसका लंड चूसने लगी। अब मुझे लंड चूसने में मजा आने लगा था। लंड चूसते समय ही वह उठ गया और मेरा सिर पकड़ कर हिलाने लगा। थोडी़ ही देर में वह मेरे मुँह में ही झड़ गया। मैं भी उसका सारा वीर्य पी गयी। अब मुझे वीर्य पीना अच्छा लगने लगा था।
मैंनें उसे बताया कि उसके फुफा शाम तक आ जाएँगे इसीलिए ठीक से व्यवहार करे। शाम तक मैं सारा काम खत्म कर खाना खाकर चाय पी रही थी। रवि अपना क्लास करने गया था।
मेरे पति आ गये। टुर के बारे में पूछ कर उन्हें तौलिया देकर मैं रात का खाना बनाने चली गयी। खाना बनाकर मैं अपने कमरे में गयी तो देखा कि मेरे पति फ्रेश होकर अखबार पढ़ रहे थे। मुझे उन्होंने आलिंगन में भरा और चूमने लगे। मैंने उन्हें छोड़ने को कहा और बोली कि रवि कभी भी आ जाएगा, रात को करेंगे।
फिर हम लोग टीवी देखने लीभिंग रुम में आ गये। लगभग नौ बजे रवि भी आ गया। उसके फ्रेश होते ही मैंने खाना लगाया और खा पीकर हमलोग सोने चले गये। कमरे में आने पर मैंने कपडे़ बदलकर नाइट गाउन पहना और पति के पास आकर लेट गयी।
मैंने अपने पति को थोडा़ परेशान देखा और परेशानी की वजह पूछी। उन्होंने मुझे औफिस के काम का हवाला दिया। मैंने कहा "यह औफिस के काम की वजह से आप परेशान नहीं हैं कुछ और ही वजह है। मैं आपको इतने सालों से जानती हूँ। जरुर आप कुछ छुपा रहे हैं। बताईये मुझे क्या बात है"।
इस तरह मैंने उन्हें बहुत बोला तब उन्होंने कहा कि अगर तुम गुस्सा न हो तो ही मैं कुछ कहुँगा।
मैंने कहा कि मैं गुस्सा नहीं होंगी।
तब उन्होंने कहा "उषा तुम्हे मालुम है कि मैं ब्लू फिल्म नहीं देखता, पर इस बार टुर में जब मैं इंग्लैंड में था मुझे मेरे कलीग ने एक ब्लू फिल्म दिखाई। उसमें दो आदमी और एक औरत होती है। एक आदमी अधेड़ है और औरत उसकी पत्नी होती है। दुसरा आदमी बहुत ही कम उम्र का होता है लगभग उनके बेटे के उम्र का। अधेड़ आदमी अपनी नीरस सेक्स लाइफ में कुछ नया करना चाहता है। इसीलिए अपनी पत्नी और उस लड़के को अपने सामने सेक्स करने के लिए मनाता है। दोनों उसके कहने पर सेक्स करते हैं और फिर उनका सेक्स लाइफ अच्छा चलने लगता है।"
यह कहते हुए मेरे पति ने एक विडियो अपने लैपटाॅप पर चलाया। उसमें एक लड़का और औरत सेक्स कर रहे थे, अधेड़ आदमी बगल में बैठकर उन्हें देख रहा होता है। लड़का उस महिला का चुंबन लेता है और धीरे धीरे महिला को नंगा करता है। फिर लड़का महिला को चुमते हुए उसके चुचियों को चुसने लगता है। थोडी़ देर चुसने के बाद वह नीचे बढ़ता है और उसकी नाभि को चुमता है और नीचे जाते हुए चूत चाटने लगता है। महिला अपने आपे से बाहर हो जाती है और लड़के को अपना चूत चाटने को उकसाती है। थोडी़ देर चूत चाटने के बाद महिला लड़के को नंगा करती है और उसका लंड देखकर आश्चर्य करती है। लड़का उसे अपना लंड चूसने को कहता है। महिला उसका लंड चूसने लगती है। वह उसका पूरा लंड मुँह में नहीं ले पाती है क्योंकि वह सामान्य से बडा़ होता है। फिर भी महिला कोशिश करती है और खाँसने लगती है।
फिर वह लड़का महिला को बिस्तर पर लिटाता है और अपना लंड उसके चूत में डालने लगता है पर एक बार में लंड चूत में नहीं जाता है। फिर दुसरी बार धक्का लगाने पर लंड सरसराकर चूत में चला जाता है। महिला चित्कार उठती है और थोडा़ रुककर धक्का लगाने को बोलती है। लड़का पहले तो धीरे धीरे फिर तेजी से धक्का लगाते हुए झड़ जाता है।
फिर अधेड़ आदमी वीर्य से भरे महिला के चूत को चाटता है और वह भी चुदाई करता है।
पूरा विडियो देखकर मैं भी गर्म हो जाती हूँ और पति को चूमने लगती हूँ। मेरे पति मेरा नाइटगाउन उतार फेंकते हैं और मेरी चिकनी चूत को देखकर हाथों से सहलाने लगते हैं। वह मेरी चूत के बारे में पूछते हैं तो मैं उन्हें कहती हूँ कि यह आपके लिए है।
मेरे पति मुझे चोदना शुरु करते हैं और कुछ ही क्षण में झड़ जाते हैं। मैं युँ ही रह जाती हूँ। हमदोनों बिस्तर पर पडे़ होते हैं। मेरे पति मुझसे पूछते हैं कि तुम्हारा क्या विचार है।
"किस बारे में"
"यही कि क्या हम भी किसी तिसरे को अपने बेडरुम में जगह दे सकते हैं। अगर तुम राजी हो तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है।" मैं उनकी बात सुनकर बिना कोई जवाब दिए करवट बदलकर सो जाती हूँ। वह भी सो जाते हैं।
अगले दिन उठकर मैं फ्रेश होकर किचन का काम निपटाती हूँ। मेरे पति भी फ्रेश होकर औफिस जाते समय नाश्ता कर निकल जाते हैं। मेरी अपने पति से कोई बात नहीं होती। रवि भी अपने क्लास के लिए नाश्ता कर निकल जाता है।
अब मैं अकेली सोचतीं हूँ कि पति की बात मानी जाए कि नहीं। मन तो था कि मान जाती हूँ और रवि को शामिल कर लेती हूँ, पर कुछ सोच कर रुक जाती हूँ। यूँ ही सोचते सोचते दिन निकल जाता है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#35
फिर रात को बेडपर जाने के बाद मेरे पति फिर से वही बात पूछते हैं। मैं शांत ही रहती हूँ।

फिर पति के बार बार कहने पर मैं बोली "अगर मैं आपकी बात मान भी लुँ तो क्या भरोसा कि अगला इस बात को राज ही रखेगा"।
तब विवेक(मेरे पति) ने कहा "अगर तुम राजी हो तो हम कोई ऐसे आदमी को ही शामिल करेंगे जो कोई भी बात किसी को ना कहे।"
"कौन है वह आदमी? तुम्हारा कोई दोस्त"
"नहीं! कोई ऐसा जो हमारे राज को राज रखे। जो बहुत ही नजदीकी हो।"
"ऐसा कौन है नजदीकी व्यक्ति"
कुछ देर सोचने के बाद मेरे पति ने कहा "रवि के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है।"
रवि का नाम सुनकर एक बार तो मैं खुश हो गयी क्योंकि रवि के साथ तो मेरा संबंध आगे बढ़ने के बावजूद मैं उससे अभी तक चुदी नहीं थी। मैंने अपनी खुशी दबाते हुए कहा "यह आप क्या कह रहे हैं? रवि मेरा भतिजा है और फिर वह मानव से थोडा़ ही तो बडा़ है।"
"रवि इसलिए क्योंकि हम उस पर विश्वास कर सकते हैं कि वह हमारी बातों को राज रखेगा। फिर उम्र तो कोई मायने नहीं रखता है।"
"ठीक है पर क्या आप उससे जाकर कहेंगें कि आओ और अपनी बुआ को चोदो। क्या यह ठीक रहेगा?"
"दो दिन बाद उसका जन्मदिन है। मैं उसे शाम को किसी तरह बाहर भेज दुँगा। उस दौरान तुम तैयार होकर उसके कमरे में चली जाना और बत्ती बंद कर लेना। मैं उससे कहुँगा कि वह कमरा बंद कर बत्ती जलाए, उसका तोहफा वहीं है। फिर देखते हैं वह क्या करता है। अगर वह मान जाता है तब आगे देखते हैं।"
"ठीक है। अगर कुछ गड़बड़ हुई तो आप ही संभालना।" यह कहकर मैं करवट लेकर सो गयी।
अगले दो दिनों तक मेरी अपने पति से कोई विशेष बात नहीं हुई।
तिसरे दिन सुबह उठने पर मैंने रवि को जन्मदिन की बधाई दी और अपने काम में लग गयी। मेरे पति ने भी रवि को जन्मदिन की बधाई दी और मुझे शाम के लिए इशारा किया। फिर तैयार होकर औफिस चले गये। अपना काम खत्म कर मैं भी ब्युटि पार्लर चली गयी। दोपहर बाद मैं घर आई तो रवि घर ही था। हमनें खाना खाया। खाने के बाद रवि अपने क्लास चला गया। मैं भी थोडा़ आराम करने लगी।
शाम को सात बजे के आसपास मेरे पति भी आ गये। थोडी़ देर बाद रवि भी आया। आते ही मेरे पति ने कुछ कुछ काम बताकर बाहर भेज दिया और मुझे तैयार होकर उसके कमरे में जाने को बोला। मैं भी तैयार होने लगी।
तैयार होने के बाद मैंने रवि का कमरा भी थोडा़ ठीक किया। उसके आने से पहले मैं उसके कमरे में गयी और बिस्तर पर बैठ गयी। मेरे पति ने मुझे चादर से ढ़ककर बत्ती बंद कर दिया और बाहर चले गये।
रवि के आने के बाद मेरे पति ने उससे कहा "रवि आज तुम्हारे जन्मदिन पर मैंने तुम्हारा तोहफा तुम्हारे कमरे में रख दिया है। कमरे में जाओ और कमरा बंद कर अपना तोहफा ले लो। अगर पसंद आए तो ठीक नहीं तो तोहफा वापस भी कर सकते हो। लेकिन किसी भी सूरत में तोहफे के बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है, यह याद रखना।
रवि अब कमरे में आया और कमरा बंद कर बत्ती जलायी। बत्ती जलाने के बाद उसने बिस्तर मुझे ढ़ँका हुआ पाया और उसने मेरे उपर से चादर हटाया। चादर हटाने के बाद मुझे देखने पर सोचने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#36
मैंने उससे कहा "रवि मैंने तुम्हारे फुफा से हमारे बारे में कोई बात नहीं की है। टुर से आने के बाद पता नहीं क्या सोचकर उन्होंने मुझे किसी और से चुदते समय देखने की बात की और उन्होंने ही तुम्हारा नाम सुझाया। फिर तुमसे सीधे ना बोलकर इस तरह किया है। अब तुम जो चाहो कर सकते हो।"
रवि को तो जैसे मुँह मांगी मुराद मिल गयी, उसने मुझे बेतहाशा चूमना शुरु कर दिया। चूमने के बाद उसने मुझे जल्दी से नंगा कर दिया।
मुझे नंगा देखकर वह बहुत खुश हुआ। मैंने ब्युटि पार्लर जाकर थ्रेडिंग वैक्सिंग कराया था और अपने काँख और चूत के बाल भी हटवाये थे। मैं पूरी तरह चिकनी होकर नंगे ही उसके सामने पडी़ थी।
उसने पूछा "क्या तुमने यह सब मेरे लिए कराया है।"
"हाँ, जानूं तुम ही अब मेरे नये मालिक हो और मैं अब तुम्हें जानूं ही कहुँगी और जो भी तुम कहोगे मैं करुँगी।" इतना कहने के बाद मैं उसे स्मूच करने लगी।
थोडी़ देर बाद उसने मेरे टाँगों को उठाया और कहा कि बहुत दिन के बाद तुम्हारा चूत चाटने को मिला है। आज तो मैं तुम्हें खा ही जाऊँगा। उसके बाद मेरे चूत को उसने जमकर चाटा और मुझे झाड़कर पस्त कर दिया।
मैं थोडा़ लेटी ही थी कि दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैंने देखा तो रवि बाहर जा चुका था और मेरे सारे कपडे़ और चादर भी ले गया था। मैं भी नंगे ही दरवाजे तक आई तो देखा बाहर मेरे पति को रवि मेरा सारा कपडा़ दे रहा है।
उसने मेरे पति से कहा "फुफाजी आपका तोहफा मुझे पसंद है और विश्वास कीजिए यह सब बात मैं हमेशा राज ही रखुंगा। यह कपडे़ आप रखिए। मैं आज अपने हिसाब से काम करुँगा।" यह कहकर वह कमरे में आयाऔर मुझे अपने आप को नंगाकर लंड चूसने को कहा।
मैंने उसे नंगा कर उसका लंड चूसना शुरु कर दिया। तबतक लंब चूसा जब तक कि वह मेरे मुँह में ही झड़ नहीं गया। इसके उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखा और अपने रस का भी स्वाद लेने लगा।
इसके बाद उसने मेरी चुँचियों को चूसना शुरु किया। मेरे निप्पल को जमकर मसला। मैं कराहने लगी। मेरी काँखों को चाटा। फिर मेरी नाभि चाटते हुए वह मेरी चूत तक पहुँचा और मेरे चूत को फिर चाटा। अब मैं पूरी तरह से गरम हो चुकी थी।
मैंने कहा "जानूं अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है। अब जल्दी से मुझे चोद दो और अपनी रानी बना लो।"
अब मैंने लंड चूसकर खडा़ किया और बिस्तर पर लेटकर उसे चोदने का इशारा किया। अब मैं उसकी बुआ से उसकी रखैल बनने जा रही थी। उसने अपने लंड को मेरे चूत पर सटाया और धक्का दिया। मेरी गिली चूत में उसका लंड झटके से समा गया।
फिर वह युँ थोडी़ देर रुका और मुझे चुमने लगा। मैं अब पूरी तरह उसका साथ देने लगी। उसने धीरे धीरे धक्का मारना शुरु किया और मैं भी कमर उचका उचका कर उसका साथ देने लगी। इसीतरह लगभग आधा घंटा तक काम चला। अब मैं दो बार झड़ने के कारण थकने लगी थी। तभी उसने अपनी स्पीड बढा़ई और मेरे अंदर ही झड़ कर निढा़ल पड़ गया। हम दोनों थक गये थे इसीलिए जल्द ही सो गये।
फिर रात में एक बार और रवि ने मुझे जमकर चोदा। सुबह उठने पर मैंने देखा रवि अभी सोया है और उसका लंड आधा खडा़ था।
मैंने उसका लंड चूसकर उसे उठाया। उठने पर उसने मुझे फिर चोदा और मेरे चूत में ही अपना रस निकाल दिया। चूँकि मेरे सारे कपडे़ रवि पहले ही रुम से हटा दिया था इसीलिए मैं नंगे ही उसी अवस्था में अपने कमरे में गयी। मेरे चूत से रस टपककर जाँघों तक आ गया था। मैंने उसे तौलिया से पोछा।
तबतक मेरे पति औफिस जाने के लिए तैयार हो चुके थे। उन्होंने मुझे कसकर किस किया और औफिस चले गये। फिर मैं फ्रेश होकर नहायी और घर का काम खत्म किया।
तबतक रवि भी उठा और फ्रेश होकर नाश्ता करके क्लास करने चला गया। उसके बाद मैंने दिनभर आराम किया क्योंकि रात की चुदाई का थकान उतारना था। शाम को मेरे पति आ गये। उसके बाद मैं और पति लीभिंग रुम में बैठ कर बातें कर थे।
"कैसा लगा रवि के साथ रात बिताकर"
"ठीक ही था।"
"सुबह तुम्हें देखकर लग रहा था कि रातभर जमकर चोदा उसने तुम्हें"
मैं शर्मा गयी और कुछ बोलती इससे पहले रवि आ गया। विवेक और रवि एक दुसरे को देखकर मुस्कुराए। विवेक ने पूछा "कैसी है तुम्हारी बुआ चुदने में"
क्रमशः...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#37
"अच्छी है। मैं आपका एहसानमंद हुँ कि आपने मुझे ये मौका दिया। इसे मैं किसी कीमत पर राज ही रखुँगा।"

तभी वह मेरे बगल में बैठ गया और मुझसे पूछा "आप ठीक तो हैं ना बुआ।"
मैं बोली "ठीक हुँ।"
उसके बाद उसने मेरे पति के सामने ही मुझे किस करने लगा। मैं थोडा़ हिचकिचायी फिर रवि के सिर पकड़कर किस करते हुए उसका साथ देने लगी।
उसने मेरे नाइटी के उपर से ही मेरी चुँचियों को मसलना शुरु किया। मैं अब उत्तेजित हो रही थी। तभी उसने एक झटके से मेरी नाइटी निकाल फेंकी।
मैंने कोई अंडरवियर नहीं पहना था। अब मैं नंगे ही अपने पति के सामने पडी़ थी।
तभी रवि ने मेरे चूत को चाटना शुरु किया। अब मेरी हालत पतली होने लगी। मैंने रवि को अपने चूत से हटाया और उसे नंगा कर दिया। उसका लंड पूरी तरह खडा़ हो चुका था। मैंने उसके लंड को थोडी़ देर चूसा और अपनी टाँगों को फैलाकर चोदने का इशारा किया।
तभी मैंने विवेक को देखा। वो धीरे धीरे अपना लंड मसल रहे थे। तभी रवि ने अपना लंड मेरे चूत पर सटाया और एक झटके से अंदर कर दिया।
मैं थोडा़ चिहुँकी और कमर हिलाकर रवि का साथ देने लगी। अब मैं गरम हो चुकी थी।
मैं बोली "जानूं अब मैं तुम्हारी रांड बन चुकी हुँ। तुम्हारे फुफा भी यही चाहते हैं। अब तुम्हें जब मन हो मुझे चोद सकते हो।"
तभी उसने पूछा "जब तुम मेरी रंडी बन ही चुकी हो तो यह बताओ कि किसकी चुदाई तुम्हें अच्छी लगती है।"
मैं यह सुनकर अपने पति की ओर देखा तो वो मजे से अपना लंड निकालकर सहला रहे थे।
मैं बोली "जानूं तुम्हारा"
"तो क्या अब फुफाजी से चुदोगी।"
"चुदुँगी जरुर, पर तुमसे पुछकर"
इतना सुनते ही उसने अपनी रफ्तार बढा़ दी और जल्द ही वह मेरी चूत में झड़ गया।
मैं भी थक चुकी थीऔर आँखें बंद कर लेटी थी कि लगा कोई मुझे किस कर रहा है। आँखे खोलकर देखा तो विवेक थे। मुझे किस कर वो बाथरुम चले गये।
मैं उठी और नाइटी पहनकर खाना बनाने चली गयी। रवि भी अपने कमरे में चला गया। खाना बनाने के बाद सबने खाना खाया। मैं बर्तन समेटकर कर वाशबेसिन में धोने लगी।
तभी रवि पीछे से आया और बोला "जल्दी से आओ मेरे कमरे में, बिना कपडो़ के आना।" यह कहकर वह चला गया।
मैं बर्तन धोकर अपने कमरे में गयी तो देखा मेरे पति नंगे होकर अपना लंड सहला रहे थे। मैं उनके लंड को चूसने लगी। विवेक आँखें बंद कर लंड चूसवाने का मजा ले रहे थे। मैंने अपनी शादी के बाद पहली बार उनका लंड चूसा था।
तभी विवेक मेरा सिर पकड़ कर दबाने लगे। मैं जल्दी से पीछे हटी। जैसे लंड मुँह से बाहर निकला सारा वीर्य मेरे चेहरे पर गिरा दिया।
मैं अपना चेहरा पोंछ कर अपने पति से बोली "रवि ने मुझे नंगे ही बुलाया है। इसीलिए उसके पास जा रही हुँ। आप सो जाइए।"
यह कहते हुए मैंने अपना गाउन उतार फेंका और नंगे ही रवि के कमरे में आ गयी। कमरे में जाकर देखा तो रवि नंगे ही बिस्तर पर लेटा हुआ था। मुझे देखकर कहा "बडी़ देर लगा दी आने में" "तुम्हारे फुफाजी को सुलाकर आ रही हुँ।" इसके बाद उसने मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी चूत को चाटने लगा। उसके ऐसा करने से मैं तुरंत ही उत्तेजित हो गयी। तब उसने मुझे पहली बार डाॅगी जैसा होने को कहा। उसके बाद उसने डॉगी स्टाइल में ही मेरी चुदाई शुरु की। अब तो मैं सातवें आसमान पर पहुँच चुकी थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपने भतीजे के साथ मैं यह सब करुँगी। उसके द्वारा नये नये तरीके की चुदाई के कारण अब मैं केवल उससे ही चुदना चाहती थी। डॉगी स्टाइल में चुदते चुदते मैं दो बार झड़ चुकी थी पर रवि अभी भी मुझे जमकर चोद रहा था तभी मैं बोली "जानूं आज मेरी बुर का भोंसडा़ ही बना दे। अब तो मैं तेरी दासी बन चुकी हुँ।" तभी रवि ने तेजी से धक्का मारना शुरु किया और कुछ ही देर में मेरे अंदर ही झड़ गया। झड़ने के बाद वह निढा़ल होकर मेरे उपर ही सो गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#38
सुबह मैं उठी तो देखा रवि नंगे ही मेरे बगल में लेटा हुआ था। उसका लंड तना हुआ था। मैंने उसके लंड को चूसना शुरु किया और तब तक चूसा जब तक कि वह मेरे मुँह में ही झड़ नहीं गया।

रवि भी उठ चुका था।
मैं उठ कर अपने कमरे में गयी। नौ बज चुके थे। मेरे पति तब तक औफिस जा चुके थे। मैं भी फ्रेश हुई और खाना बनाने लगी। खाना बनाने के बाद मैं रवि को उठाने गयी। रवि उठकर नंगे ही बिस्तर पर बैठा कुछ सोच रहा था।
मैंने पूछा "क्या हुआ जानूं क्या सोच रहे हो"।
"सोच रहा हुँ कि पिछले कुछ दिनों में हम कहाँ से कहाँ आ गये हैं। अब मैं तुम्हारे बिना रह नहीं पाऊँगा।"
"मैं भी यही सोच रही थी। लेकिन यह अधिक दिनों तक संभव नहीं है।मानव के आने के बाद हमें सतर्क रहना होगा।"
"अगर मानव को भी हमारे संबंध पर आपत्ति ना हो तो।"
"क्या कहना चाहते हो तुम।"
"अगर मानव को पहले ही पता हो जाए हमारे संबंधों के बारे में तो वह आपत्ति नहीं करेगा।"
रवि की बात सुनकर मैं सोचने लगी यह कैसे संभव है कि मेरे बेटे को मेरे प्रेम संबंध के बारे में पहले ही जानकारी हो। यह तो तभी संभव है जब या तो मैं या मेरे पति या रवि उसे कुछ बताएँ।
बहुत सोचने के बाद मैं बोली "तब तो यह काम तुम्हारे फुफाजी ही करेंगे।"
यह बात रवि को भी ठीक लगी।
शाम को विवेक आॅफिस से आने के बाद फ्रेश होकर टीवी देख रहे थे।
तभी रवि आया और बोला "फुफा जी अब मैं बुआ से सचमुच प्यार करने लगा हूँ। बुआ के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। आप ही कुछ ऐसा करें कि हम अपने संबंध को जारी रख सकें।"
विवेक ने मुझसे पूछा "देखो उषा, यह तो तुम्हारा आशिक बन गया है।"
मैं बोली "मुझे भी अगर आप उसकी प्रेमिका बोलें तो कोई हर्ज नहीं है।"
"प्रेमिका या रखैल"
"आप कुछ भी कहें क्योंकि पिछले कुछ दिनों से तो मैं रवि से ही चुद रही हुँ। उससे चुदते चुदते मैं भी इसे चाहने लगी हुँ।"यह कहकर मैं रवि के पास जाने लगी तो विवेक ने मुझे रोका और रवि से बोले "रवि बेटा, आज मैं तुम्हारी प्रेमिका को चोदुँगा।"
यह कहकर वह मुझे लेकर कमरे में चले आए।
फिर मुझसे कहा "तुम्हें रवि से चुदना अच्छा लगता है। और क्या क्या अच्छा लगता है, पूरी तरह बताओ।"
मैं बोली "उसके द्वारा मेरा चूत चाटना, पीछे से मुझे चोदना और मेरे बदन को सहलाना सब अच्छा लगता है। मैं तो उसका लंड हमेशा चूसना चाहती हूँ।"
अब विवेक ने कसकर मेरे होंठ काटे और मेरी नाइटी निकालकर मुझे नंगा कर दिया। फिर मेरी चुची को जमकर चूसा और चुमते हुए मेरे चूत तक आ गये। फिर उन्होंनें मेरे चूत को जमकर चाटा। अब मैं पूरी तरह उत्तेजित हो गयी थी। मैंने भी विवेक को नंगे करके उनका लंड चूसा और चोदने को कहा। उन्होंने शुरु में धीरे धीरे मेरी चुदाई की। अब मैं झड़ने लगी थी तभी विवेक ने तेजी से धक्के लगाने लगे। कुछ ही देर में मैं और विवेक पस्त होकर बिस्तर पर पड़ गये।
थोडी़ देर बाद विवेक ने कहा "मैंने मानव से बात की थी और उसने कहा आप लोग खुद ही जानो।"
मैंने आश्चर्य से पूछा "आपने या बात की।"
"मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हें नहीं संभाल पा रहा हूँ। इसीलिए तुम्हें मैंने अलग अपनी खुशी तलाशने को कहा।"
अब मैं सोचने लगी कि मेरा बेटा मेरे बारे में क्या सोचेगा।
फिर विवेक ने कहा "इस बार हमारी शादी की सालगिरह पर मानव भी यहीं होगा क्योंकि उस समय उसके कॉलेज में छुट्टी है। उसी दौरान उससे विस्तार में बात की जाएगी। तुम चिंतित मत हो।"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#39
तब मैं भी उनकी बात सुनकर पानी पीने उठकर किचेन गयी। मैंने कोई भी कपडा़ नहीं पहना था। पानी पीकर जैसे ही आने लगी रवि ने मुझे पकड़ कर किस करना शुरु किया। मैंने भी उसका पूरा साथ दिया। फिर मैं उसके कमरे में गयी। उसके बाद उसने मेरे पूरे बदन को चूमा। फिर वह मेरे चूत में ऊँगली डाली। मैं चिहुँक उठी।

मैं बोली "अभी अभी तुम्हारे फुफाजी ने बहुत दिनों बाद मेरी जमकर चुदाई की है। क्या अब तुम भी मुझे चोदोगे।"
उसने बिना कुछ कहे मेरा चूत चाटने लगा और जब मैं झड़ने को हुई तो उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। जब उसका लंड पूरी तरह कड़क हो गया तो उसने मेरी चुदाई शुरु कर दी। अब मैं भी अपने चुतड़ उछालकर कर उसका साथ देने लगी। थोडी़ ही देर में मैं झड़कर निढा़ल पड़ गयी। रवि ने कब तक मुझे चोदा मुझे यह भी पता नहीं चला क्योंकि मैं तबतक सो चुकी थी।
सुबह जब मैं उठी तो देखा कि रवि मेरे बगल में पडा़ था। मैं उठकर अपने कमरे में गयी तो देखा मेरे पति भी अभी तक सोये हुए हैं।
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#40
बुआ के साथ मेरा पहला सेक्स अनुभव

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