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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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(23-05-2022, 02:15 PM)neerathemall Wrote:
लगभग एक महीने बाद मेरे मामा के लड़के की शादी थी और हम सब का जाना बहुत जरूरी था. मेरे घर वालों ने पैसे भेज दिये थे कि मैं शादी के लिए कपड़े दिल्ली से ही खरीद लूँ।
मैंने तन्वी को बोला- तू भी चल शादी में, मैं वहाँ ज्यादा किसी को जानती नहीं तो तू भी चल, मजा आयेगा. वरना मैं बोर हो जाऊँगी.
तो वो भी मान गयी।
फिर मैं तन्वी के साथ मार्केट गयी और वहाँ से हम दोनों कुछ अच्छे कपड़े खरीदे. मैंने एक लाइट पिंक लहंगा चुन्नी का जोड़ा खरीदा शादी में पहनने के लिए. इसके अलावा एक झुमकों का सेट भी लिया।
मैंने हॉस्टल में आकर उसे ट्राई किया अच्छे से, तन्वी ने देखा तो बोली- क्या बात है यार … तू इसमें बहुत खूबसूरत लग रही है, शादी में जाने से पहले अपने बाल स्टाइल करा के जाइयो यहीं से। मैंने कहा- ठीक है, चलेंगे।
अब शादी को सिर्फ 3 दिन ही बचे थे तो मैं तन्वी के साथ पार्लर चली गयी. वहाँ पर मैंने नया पूरा मेकओवर करवाया और बाल भी स्टाइल करने को बोला।
तन्वी ने कहा- तू कृति सेनन जैसे करा ले, तेरे पे बहुत अच्छे लगेंगे.
तो मैंने वैसे ही करा लिए।
अगले दिन हम दोनों सीधे मेरे मामा के घर पहुंचे तो सभी ने हमारा बहुत स्वागत किया. वहाँ शादी की तयारियाँ पूरे ज़ोरों पर थी।
शादी वाले दिन मैं और तन्वी पार्लर जाकर तैयार होकर आई थी। सभी रिश्तेदार मुझे देख के बोल रहे थे कि बहुत प्यारी लग रही है, खूब खिल रही है, लगता है, लगता है दिल्ली का पानी रास आ गया.
और मैं मुस्कुरा के शरमा जाती।
तन्वी ने मज़ाक में धीरे से मेरे कान में कहा- आंटी, पानी दिल्ली का नहीं किसी और का रास आ रहा है.
और हम दोनों हंसने लगी।
फिर शाम को बारात चढ़ी और हम दोनों भाई की शादी में खूब नाची और मजे किए। फिर कार से मैं, तन्वी और परिवार की कुछ लड़कियां के साथ बारात में चले गये। शादी का फंकशन एक मैरिज हाल में था। वहाँ हम डी जे के गानों पे खूब नाचे, लड़की वालों के रिश्तेदार भी हमें ही देख रहे थे और मैं थोड़ी ही देर में उनके परिवार में भी फ़ेमस हो गयी।
सभी लड़कियां खूबसूरत लग रही थी पर शायद मैं सबसे खूबसूरत और अलग लग रही थी, ये वहाँ के लड़कों की नजरें बता रही थी।
फिर हम नाश्ता करने चली गयी.
तो खाना खाते खाते तन्वी ने मेरे से कहा- यार, वो लड़का देख कितना क्यूट है, कब से तुझे देखे जा रहा है।
मैंने ध्यान नहीं दिया था पर उसके कहने पे ध्यान से देखा तो सच में लड़का बहुत स्वीट और हैंडसम था। करीब 5-10 सेकंड तक हम दोनों एक दूसरे को लगातार देखती रही. फिर जब तन्वी को लगा कि मैं उसे लगातार देखे जा रही हूँ, उसने मुझे कोहनी मारी तो मैं शरमा के मुस्कुरा के नीचे देखने लगी।
तन्वी ने कहा- पता तो कर कि है कौन ये।
मैंने कहा- तुझे क्या करना है, सेटिंग करनी है क्या?
तन्वी ने कहा- यार करा दे तो तेरा एहसान मानूँगी।
मैंने कहा- चल देखते हैं, जब कोई रिश्तेदार न हो आसपास तब देखते हैं, अभी कुछ और खाते हैं।
फिर हम दोनों खाने चली गई, वो लड़का भी हमारे आसपास ही घूमता रहा।
तन्वी ने कहा- देख यार, यहीं घूम रहा है.
मैंने तन्वी से ज़ोर से कहा ताकि वो लड़का भी सुन सके- चल यार, बाथरूम चलते हैं।
फिर हम दोनों बाथरूम चली गयी।
जैसा कि मुझे उम्मीद थी, वो लड़का भी बहाना सा करके हमारे पीछे पीछे आ गया।
हम दोनों ने मज़ाक में गुस्से से उससे कहा- तुम हम दोनों का पीछा क्यूँ कर रहे हो, बताऊँ अभी भैया को? अभी हड्डी पसली एक कर देंगे।
वो लड़का सच में डर गया और सॉरी बोल के चला गया।
उसके जाने के बाद हम दोनों खूब हँसी.
तन्वी बोली- बेचारे को इतना क्यूँ डरा दिया?
मैंने कहा- मैं तो मज़ाक कर रही थी, मुझे क्या पता था कि वो सच में डर जाएगा।
फिर वो लड़का हमें बस दूर से ही देखता रहा, मुझे उसपे बहुत तरस सा आया कि ‘यार इतना सीधा कौन होता है आज के जमाने में!’
फिर वरमाला की रस्म शुरू हो गयी और सब बहुत खुश हुए। सबने दूल्हा दुल्हन के साथ फोटो खिंचाई और हमने भी खिंचाई। मेरे परिवार वाले शादी में बिजी थे तो वो हम दोनों पे ध्यान नहीं दे रहे थे।
थोड़ी देर में मेहमान भी खाना खाकर इधर उधर होने लगे थे, भीड़ कम सी होने लगी थी।
मौका सा देख के मैंने उस लड़के को चुपके से मुस्कुरा के इशारा किया और मुड़ के दुबारा बाथरूम की तरफ जाने लगी। तन्वी को मैं वहीं पे छोड़ गयी थी।
जैसे ही मैं बाथरूम से निकली तो वो सामने ही खड़ा था। मैं मुसकुराते हुए नीचे देखते हुए थोड़ा साइड में चली गयी और जब देखा कि कोई नहीं देख रहा तो उसे अपने पास बुलाया।
वो आया तो मैंने बोला- सॉरी यार, मैंने तुम्हें डरा दिया, मैं मज़ाक कर रही थी।
तब उसकी जान में जान आई और वो बोला- सच में आपने तो मुझे डरा ही दिया।
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मैंने कहा- हम्म … अब बताओ कि तुम मेरी फ्रेंड को क्यूँ देखे जा रहे हो?
उसने बोला- सॉरी यार, मैं उसे नहीं, तुम्हें देखे जा रहा हूँ। सच बताऊँ तो मैंने आप जितनी खूबसूरत लड़की कहीं नहीं देखी, आप बहुत क्यूट और प्यारी लग रही हो इस ड्रेस में।
मैंने कहा- थैंक यू!
उसने बोला- क्या मैं आपका नाम जान सकता हूँ?
मैंने कहा- ठीक है, पर एक शर्त है, तुम फॉटोग्राफर को पटाओगे मेरे और तन्वी के कुछ अच्छे फोटोस लेने के लिए।
उसने हंस के कहा- बस इतनी सी बात … पक्का, अब बताओ।
मैंने कहा- मेरा नाम सुहानी चौधरी है, तुम्हारा नाम क्या है?
उसने कहा- मेरा नाम करन है, मैं दुल्हन का चचेरा भाई हूँ।
मैंने कहा- अच्छा, तुम्हारी बहन बहुत सुंदर लग रही है अपनी शादी में … और तुम भी काफी हैंडसम लग रहे हो।
वो मुस्कुराने लगा और बोला- आप भी बहुत खूबसूरत लग रही हो, तो क्या मुझे आप का नंबर मिल सकता है?
फिर मैंने उसे अपना नंबर दिया और कहा- अब चलो यहाँ से, वरना किसी ने देख लिया तो अभी हमारी भी शादी हो जाएगी यहाँ।
फिर मैं तन्वी के पास वापस आ गयी और मज़ाक में बोली- सॉरी यार, वो मेरे पे फिदा है, तू कट ले।
तन्वी बोली- रख ले चुड़ैल … मैं दूसरा ढूंढ लूँगी।
थोड़ी देर में हमारे पास फॉटोग्राफर आया और बोला- मुझे आपकी फोटो लेने को बोला है उन सर ने!
तो मैं समझ गयी कि किसने कहा है।
हम दोनों ने बहुत सी फोटो खिंचाई और फिर हम दोनों कुरसियों पे आ कर बैठ गयी और इधर उधर की बातें करने लगी। और साथ ही साथ में फोन पे करन से चैट कर रही थी।
हालांकि वो हमसे थोड़ी दूर ही बैठा था पर हम दोनों फोन पे चैट कर रहे थे और मुस्कुरा रहे थे।
हम दोनों की दोस्ती एक दो घंटे में ही बढ़ गयी। उसने मुझसे पूछा- क्या आपका कोई बॉयफ्रेंड है?
तो मैंने मना कर दिया।
फिर मैंने पूछा- तुमने क्यूँ पूछा?
उसने बोला- यकीन नहीं आता कि आप जितनी खूबसूरत लड़की को आज तक किसी ने नहीं किया प्रपोज़?
मैंने कहा- किया तो बहुतों ने है … पर मैंने ही मना कर दिया।
उसने बोला- ओह … मतलब मेरा कोई चान्स नहीं है।
मैंने कहा- मैंने तुम्हें मना कब किया?
वो कन्फ्यूज हो गया कि अब क्या करे।
तभी उसके पापा उसके पास आए और बोले- बेटा जाओ घर चले जाओ, वहाँ पे तुम्हारी दो मौसी हैं घर पे अकेली क्योंकि घर की रखवाली को वे वहीं रुक गयी थी। जाओ, उन्हें ले आओ गाड़ी से! और फिर तुम घर चले जाना 1-2 घंटे के लिए। फिर आ जाना बाद में।
उसने मुझे मैसेज कर के ये सब बताया और उन्हें लेने चला गया।
15 मिनट बाद ही वो उन्हें लेकर आ गया और मुझे मैसेज करके कहा- कार पार्किंग में आओ जल्दी से।
मैंने तन्वी को बताया- मैं थोड़ी देर के लिए जा रही हूँ, कोई मेरे बारे में पूछे तो बोल दियो कि मैं सोने चली गयी हूँ, नींद आ रही थी।
उसने बोला- ठीक है!
और मैं मौका सा देख के पार्किंग में पहुँच गयी।
करन ने मुझे बोला- मुझे 2 घंटे के लिए घर जाना होगा, वहाँ कोई नहीं है देखने को।
मैंने पूछा- तो ये बोलने के लिए तुमने मुझे यहाँ बुलाया है, ये तो फोन पे बता दिया था तुमने।
उसने बोला- नहीं मैं तो ये कह रहा था कि तुम भी चलो न साथ में, बहुत सारी बातें करेंगे।
मैं यही तो चाह रही थी कि थोड़ा टाइम मिला जाये बात करने को … तो मैंने कहा- ठीक है.
और उसके साथ गाड़ी में बैठ गयी।
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हम दोनों उसके घर आ गए। शादी की वजह से पूरा घर सजा हुआ था और बहुत खूबसूरत लग रहा था। हम दोनों अंदर गए और उसने बोला- घर लॉक कर देता हूँ अंदर से, यहाँ चोरों का डर रहता है।
फिर वो मुझे अपना घर दिखने लगा। उसने बोला- एक बात पूछूं?
मैंने कहा- पूछो।
करन बोला- जब मैंने चैट में कहा था कि मतलब मेरा कोई चान्स नहीं है. तो तुमने कहा था कि मैंने कब मना किया तुम्हें, इसका मतलब क्या निकालूं, क्या मेरा चान्स है?
मैं मुस्कुराने लगी तो वो और बैचन हो गया और बोला- प्लीज बोलो न कुछ तो?
मैं बोली- हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता।
उसने बोला- चलो मैं ट्राई कर लेता हूँ.
और वो मेरे पास आया और मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोला- सुहानी चौधरी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, जब से तुम्हें देखा है, मैं तो तुम्हारा दीवाना हो गया हूँ, सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोच रहा हूँ, क्या तुम मेरी लाइफ पार्टनर बनोगी?
मैंने कहा- बस इतनी बात कहने से डर रहे थे? तुम देखा कितना सिम्पल था।
उसने बोला- तो मैं हाँ समझूँ?
मैंने कहा- हाँ इडियट हाँ।
मैंने पहली बार किसी का प्रोपोज़ल स्वीकार किया था।
करन तो मानो खुशी से पागल हो गया और उछल के ज़ोर से मेरे गले लग गया। जब वो गले लग के हटा तो हम दोनों एक दूसरे की आँखों में देखने लगे और कभी वो मेरे पिंक होंठों को देखता कभी मैं उसके होंठों को।
मुझे यह समझने में ज्यादा देर नहीं लगी कि अब वो किस करना चाहता है। उसने मेरा सिर अपने हाथों में पकड़ा मेरे होंठों के पास होंठ ले आया, मैंने भी अपनी बांहें उसके गले में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे. हम दोनों की आँखें बंद हो गयी और हम दोनों उस लम्हे में डूब गए।
अब किस हुई तो बात आगे भी बढ़नी ही थी. हम कब उस रोमांटिक पल से काम वासना की ओर चल दिये हमें पता ही नहीं चला। हम दोनों की किस और टाइट होती चली गयी और उसने मुझे धकेल के दीवार से सटा दिया और हम दोनों काफी ज़ोर से एक दूसरे को किस कर रहे थे, हम दोनों एक दूसरे के होंठों की होंठों से रगड़ रहे थे, अब वो मेरे और मैं उसके होंठों को चूस रही थी। लगभग 1-2 मिनट के किस के बाद हम हटे, हम दोनों के दिल ज़ोरों से धड़क रहे थे।
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उसने पहल करते हुए मुझे अपनी बांहों में उठाया और बेडरूम में ले आया। वहाँ लाकर वो मेरे खुले बालों में हाथ फिराने लगा और अपने हाथ मेरे झुमके को छूते हुए कंधे पे लाकर मेरे कंधे से चुन्नी सरका के नीचे गिरा दी। अब उसके सामने मैं सिर्फ अपने लाइट पिंक लहंगे और चोली में खड़ी थी जो छोटे छोटे शीशों और सितारों से चमक रही थी।
मेरी सांसें तेज़ चल रही थी तो मेरी छाती ऊपर नीचे हो रही थी। अब उसका ध्यान मेरे उरोज यानि बूब्स पे गया और बड़ी गौर से मेरे क्लीवेज में से मेरे उभार देख रहा था। मैंने उसे आँखों ही आँखों में हर चीज़ की अनुमति दे दी थी। अब वो अपने हाथ मेरे कंधे से सरकाता हुआ मेरे बूब्स पे ले आया हाथों में भर के प्यार से हल्का हल्का दबाने लगा। मुझे उसकी मासूमियत पे बहुत प्यार आ रहा था।
धीरे धीरे मेरे बूब्स कठोर होने लगे थे। वो मेरी कमर पे हाथ ले गया धीरे धीरे अपना हाथ पूरी पीठ पे फिराने लगा, मुझे उसके इस प्यार भरे स्पर्श से बहुत मजा आ रहा था। फिर उसने एक एक कर के मेरी चोली के पीछे की डोरी खोलनी शुरू की और चारों डोरी खोल दी. मैंने अपने हाथ आगे कर दिये तो उसने चोली आगे से खींच के उतार दी. अब मैं सिर्फ ब्रा और लहंगे में उसके सामने खड़ी थी।
वो हैरानी मेरी ब्रा में फंसे मेरे बूब्स को देख रहा था। करन फिर मेरे पीछे गया और पीछे से मुझे बांहों में भर लिया। हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह से सामने लगे शीशे में देख रहे थे। अब उसने मेरी ब्रा का हुक खोला और उसके स्ट्रैप्स यानि फीते मेरे कंधे से नीचे सरका दिये। मेरी ब्रा मेरे पैरों में गिर गयी और मैं ऊपर से उसके सामने पूरी नंगी हो गयी।
वो शीशे में मेरे गोरे और सख्त बूब्स को देख रहा था और मेरी नंगी पीठ उसकी तरफ थी जिस पर वो प्यार से हाथ फिरा रहा था। मुझे उसका ऐसे अपने जिस्म पे हाथ फिरना बहुत उत्तेजित कर रहा था और मुझे उस रोमांटिक पल में बहुत आनंद आ रहा था।
उसने मेरे बाएँ कंधे पे अपनी ठुड्डी रखी और मेरी कमर के चारों ओर अपने हाथ ले जा के पकड़ लिया और मेरे आधे नंगे शरीर को शीशे में देखने लगा। अब उसने अपने हाथ मेरे बूब्स पे रखे और प्यार से दबाने लगा और निप्पल को धीरे धीरे प्यार से मसलने लगा. मैं काम वासना में डूबी जा रही थी और अपने निचले होंठ को दाँतों से दबा के स्सस स्सश स्शस कर रही थी।
कुछ देर ऐसे ही मेरे नंगे चूचे दबाने के बाद उसने मेरे लहंगे पे हाथ ले जा के ऊपर से ही मेरी चूत को भींच दिया हल्के से। मैंने ज़ोर की सिसकारी भरी और कसमसा गयी। फिर मैं उसकी तरफ घूमी और उसका कोट उतार के साइड में रख दिया। इतने में उसने अपनी टाई उतार दी। मैंने उसकी चौड़ी छाती पे अपने हाथ फिराये और एक एक कर के उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी। सारे बटन खोल के मैंने उससे सट के उसकी शर्ट उसकी बाजुओं में से निकाल के पीछे फर्श पे गिरा दी।
वो भी पूरा जोश में आ चुका था, मैंने उसकी पैंट में खड़ा लंड अपनी चूत पर सटे हुए महसूस किया। उसने मेरी कमर में हाथ डाल रखा था और कस के पकड़ा हुआ था। उसके लंड की हलचल मेरी चूत पे साफ महसूस हो रही थी।
मैंने कहा- आगे बढ़ो डियर!
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तो उसने मेरे लहंगे का नाड़ा भी खोल दिया और वो वहीं गिर गया। अब मैं उसके सामने सिर्फ सफ़ेद पैंटी में खड़ी थी। मैंने भी अपन दायाँ हाथ उसकी पैंट पर लंड पे फिराया और घुटने के बल बैठ कर उसकी पैंट खोल दी।
इसके साथ ही उसने अपना बानियान भी उतार दिया। मैंने उंगलियाँ दे के उसका कच्छा भी उतार दिया। उसका तना हुआ लंड मेरे सामने था जो किसी साँप की तरह फुँकार मार के ऊपर नीचे हो रहा था। मैंने उसे अपने हाथों में भरा प्यार से सहलाया।
करन ने ज़ोर की आह भरी और बोला- आआह सुहानी … एक बार और करो प्लीज!
मैंने फिर से किया तो उसने कहा- बहुत मजा आ रहा है।
मैंने कहा- और मजा चाहिए क्या?
और उसके लंड को प्यार से किस कर लिया।
उसके आनंद की सीमा ही नहीं थी. मैंने धीरे धीरे उसका लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। करन को शायद इतना मजा कभी नहीं आया था और वो ज़ोर ज़ोर के आह भर रहा था। मैंने लगभग 2 मिनट तक उसका लंड जीभ लगा कर चूसा और रुक के खड़ी हो गयी।
मैं बोली- अब तुम्हारी बारी।
इतना सुनते ही उसने मुझे पीछे धकेल के बेड पे गिरा दिया और मेरी पैंटी उतार दी।
हालांकि मैं सेक्स कर चुकी थी पर काफी टाइम हो जाने की वजह से न मेरी चूत ज्यादा फैली थी और न ही उसकी शेप खराब हुयी थी, वो अब भी कुँवारी चूत जैसी दिख रही थी।
करन ने मेरी टांगें चौड़ी की अपना मुँह मेरी चूत में देकर चाटने लगा।
मैं जोश और वासना के समुंदर में डूब चुकी थी और स्सस शस्सस स्सशस करके कामुक सिसकारियाँ ले रही थी ज़ोर ज़ोर से। क्योंकि घर पे हम दोनों के अलावा कोई और नहीं था तो हम दोनों खुल के आवाज कर सकते थे।
ऐसे ही लगभग 2-3 मिनट चूत चाटने के बाद मेरी चूत गीली हो चुकी थी और मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने उसका सिर अपने हाथों से पकड़ के निकाला और बोली- अब देर न करो और मुझे ऐसा प्यार करो कि मैं कभी न भूल पाऊँ।
वो मेरे ऊपर आ गया, मेरे होंठों को किस कर के बोला- आई लव यू डियर सुहानी!
मैंने भी कहा- आई लव यू टू।
अब उसका लंड मुझे चोदने को और मैं उससे चुदने को तयार थी। उसने अपना लंड मेरी चूत पे सेट किया और धीरे धीरे अंदर धकेलना शुरू किया.
हालांकि मेरी चूत कुँवारी तो नहीं थी पर उसका लंड काफी लंबा और मोटा था, तकरीबन 7 इंच का और 2.5 इंच मोटा होगा। मैंने कहा- काफी बड़ा है तुम्हारा लंड … मुझे डर सा लग रहा है।
उसने कहा- कोई बात नहीं, मैं प्यार से डालूँगा तुम्हें तकलीफ नहीं होने दूंगा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, थोड़ी तकलीफ तो मैं बर्दाश्त कर लूँगी, तुम घुसाओ।
उसने लंड मेरी चूत पे रखा और ज़ोर लगाने लगा, मुझे हल्का सा दर्द हो रहा था पर मजा भी बहुत आ रहा था उसका गर्म लंड अपनी गर्म चूत में लेने में।
थोड़ी कोशिश के बाद उसने पूरा लंड एक बार में घुसा दिया और मुझे उसके धक्के से हल्का सा झटका ऊपर को लगा। मैं ‘आआह …’ करके हल्के से चिल्लाई और फिर मेरी आंखों में एक दो आँसू से आ गए तो वो बोला- सॉरी सॉरी, तुम्हें दर्द हो रहा होगा न … मैं अभी निकालता हूँ.
मैंने उसकी बाजुओ को पकड़ा और कहा- रहने दो, तुम धक्के मारना शुरू करो, मैं ठीक हूँ।
उसने मुझे होंठों पे ज़ोर से किस किया और हल्के हल्के धक्के मारना शुरू किया। मुझे मजा आने लगा और मैं स्सस्स उम्म्ह… अहह… हय… याह… स्सस्सस आह आह करके आवाज करने लगी। करन भी उम्मह उम्मह अम्महह उम्म करके धक्के मार रहा था। मेरे बूब्स उसके धक्कों से ऊपर नीचे हिल रहे थे और हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे। कमरे में हम दोनों की ज़ोर ज़ोर की सिसकारियों की और जिस्म से जिस्म टकराने की पट्ट पट्ट की हल्की सी आवाज आ रही थी।
ऐसे ही लगभग 7-8 मिनट तक वो मुझे प्यार से चोदता रहा और मैं मजे ले ले के चुदती रही। फिर वो थक गया तो मैंने कहा- थोड़ा आराम कर लो!
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और हम दोनों हाँफते हुए सांसें काबू करने लगे और आराम करने लगे.
वो वही स्टूल पे बैठ गया और मैं भी बेड से पैर लटका के बैठ गयी।
मैंने कहा- घर तो बहुत अच्छा है, अच्छा सजाया हुआ है.
वो हंसने लगा तो मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने बोला- यार, खुशी हो रही है तुम्हारे साथ ये पल बिता के! मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि इन कुछ घंटों में हम यहाँ तक पहुँच जाएंगे।
मैंने कहा- हम्म … अब देखो न … शादी मेरे भाई और तुम्हारी बहन की है और सुहागरात हम दोनों मना रहे हैं।
“कितना टाइम है अभी हमारे पास?” मैंने पूछा।
उसने घड़ी देखी और कहा- अभी एक डेढ़ घंटा है।
मैंने कहा- तो देर नहीं करनी चाहिए, चलो शुरू करते हैं।
उसने कहा- रुको, मेरा लंड थोड़ा ढीला पड़ गया है, फिर से खड़ा कर लूँ।
मैंने कहा- तुम बैठो बेड पे … मैं इसे खड़ा करती हूँ।
वो बैठ गया और मैं उसका लंड मुँह में ले के चूसने लगी।
करन का लंड फिर खड़ा होने लगा और एक मिनट में ही पूरा तन गया।
मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ के अपनी चूत में घुसाया और उसकी गोदी में बैठ के लंड पे कूदने लगी। मेरे मुँह से ‘आह उम्म्ह आह आह …’ की आवाज निकलने लगी ज़ोर ज़ोर से।
क्योंकि मैं थक भी रही थी तो सांस फूलने की वजह से ‘हूह हूह हुहह हूहह …’ की आवाज भी आ रही थी। मैं ऐसे जल्दी थक जाती हूँ.
पर करन को बहुत मजा आ रहा था। वो भी हम्म हम्म हम्म कर आवाज कर रहा था, मेरे बूब्स ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे हिल रहे थे और वो उन्हें हाथ से दबा रहा था।
करीब ऐसे ही 4-5 मिनट तक मैं उसके लंड पे बैठ के चुदती रही और फिर थक कर उसके साइड में गिर गयी।
हम दोनों सांसें भरने लगे और मैं उसकी आँखों में देखते हुए उसके लंड को सहला रही थी, वरना वो फिर ढीला हो जाता।
मैंने कहा- मुझे नहीं पता था कि तुम में इतनी देर तक चोदने की ताकत है।
उसने कहा- अरे बाबू, आपको धीरे धीरे पता चलेगा मेरी क्षमता के बारे में। चलो अब जल्दी से घोड़ी बन जाओ! मैं भी तो घोड़ी चढ़ जाऊँ आज!
मैं मुस्कुरा के बेड पे घोड़ी बन गयी और शीशे की तरफ मुँह कर लिया।
उसने पूछा- शीशे में क्या देखोगी जो इस तरफ मुंह कर लिया?
मैंने कहा- अपने को चुदती हुई देखूँगी, तुम लंड डालो ना और चढ़ लो घोड़ी।
वो हंस के आया और एक बार में पूरा लंड घुसा के अंदर तक दबा दिया और रुक गया। मैंने आहह करी और कहा- क्या हुआ, रुक क्यूँ गए? घोड़ी को धक्के नहीं मारोगे तो आगे कैसे चलेगी।
वो हंसने लगा और पट्ट पट्ट धक्के मारने लगा।
मेरे मुँह से ‘आह आह आह हम्म म्म्ह्ह उम्म …’ की आवाजें निकालने लगी। मेरा पूरा शरीर, बूब्स, बाल, झुमके सब कुछ उसके धक्कों से हिलने लगे।
वो शीशे में देख के हैरानी से मुझे देखने लगा तो मैंने पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो?
उसने कहा- यार, तुम्हारा जिस्म कितना खूबसूरत है, आधे से ज्यादा जोश तो मुझे शीशे में तुम्हारे हिलते बाल और बूब्स देख के ही मिल रहा है।
मैंने कहा- जोश मिल रहा है ना … तो स्पीड बढ़ाओ और तेज़।
उसने और स्पीड बढ़ा दी और मैं ज़ोर ज़ोर से बिना डरे ‘आआआ आआह आह अः आहह …’ चिल्लाने लगी और वो भी हम्म हम्म हम्म … करके पट्ट पट्ट करके धक्के मार रहा था।
इसी पोजिशन में 8-10 मिनट तक चुदवाने के बाद मैं अपने चरम सुख की ओर चल दी थी, मुझे पूरे शरीर में सुरसुरी सी होने लगी और आनंद से भर गयी, पूरे शरीर में झनझननाहट सी होने लगी तो मैंने कहा- और तेज़ और तेज़ और तेज़ आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह आ आ… आ… आ… आ… आ आआ आआहहह… कर के ज़ोर से चिल्ला के वहीं फच्च फच्च फच्च के साथ झड़ गयी.
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उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही फंसा था तो उसे पता चल गया कि मैं झड़ चुकी हूँ तो उसने लंड निकाल दिया और इसके साथ ही मैं बेड पर पेट के बल ही गिर के लेट गयी और टाँगें सीधी कर ली।
उसने कहा- मेरी तरफ मुँह कर के लेटो!
तो मैं घूम गयी।
उसने मेरी गीली चूत में अपना लंड डाला और मेरे ऊपर आ के धक्के मारने लगा ज़ोर ज़ोर से! हालांकि मैं झड़ चुकी थी पर फिर भी उसका साथ दे रही थी और आह आह आह हह हह कर रही थी। लगभग 2-3 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद वो मेरी चूत में ही ज़ोर की आहहह के साथ 4-5 झटके ले के झड़ गया और मेरे बगल में आ के गिर गया और हाँफने लगा।
हम दोनों हाँफ रहे थे और एक दूसरे को देख रहे थे। मेरी चूत से पानी बह रहा था और उसके लंड से गिरे वीर्य की बूंदें भी पड़ी थी पेट तक। उसका लंड भी मेरे पानी और उसके वीर्य से सना हुआ था। हम दोनों संतुष्ट हो चुके थे और मुस्कुरा रहे थे।
जब हम दोनों नॉर्मल हो गए तो उठे और टाइम देखा। रात का 1 बज चुका था, उसने कहा- अब कपड़े पहन लेने चाहिएँ, फोन आने ही वाला होगा।
हमने खुद के शरीर को बाथरूम में जाकर साफ किया और पानी पौंछ के कपड़े पहनने लगे।
मैंने उसे कहा- मेरी ब्रा का हुक लगा देना डियर!
फिर चोली की डोरी भी उसी से बँधवाई।
लहंगा पहन के शीशे के सामने खुद को तैयार किया जैसे कि कुछ हुआ ही ना हो।
करन ने बेड की गीली हो चुकी चादर बदल दी और उसपे जान बूझ कर चटनी गिरा दी ताकि किसी को शक न हो और उस चादर को गंदे कपड़ों के साथ वॉशिंग मशीन में डाल आया।
करन के पापा का फोन भी आ गया था।
हम दोनों ने घर लॉक किया और गाड़ी से मैरिज हाल में आ गए और सबकी नजर बचा के मैं अंदर चली गयी तन्वी के पास। वो वहीं स्टेज के पास कुर्सी पे बैठी सो रही थी।
मैंने उसे उठाया और पूछा- कोई मुझे ढूंढ तो नहीं रहा था?
उसने कहा- तेरे पापा ही पूछ रहे थे कि सुहानी दिख नहीं रही, कहाँ गई?
मैंने पूछा- तो तूने क्या बोला?
तन्वी बोली- तो मैंने बोल दिया कि अंकल, चिंता मत करो चुदवाने गयी है थोड़ी देर में आ जाएगी.
और फिर तन्वी हंसने लगी।
मैंने कहा- चुप कर चुड़ैल, सच सच बता कि क्या कहा?
उसने कहा- अरे बोल दिया कि उसे नींद आ रही थी तो सोने चली गयी थोड़ी देर! अब तू सच बता चुदवा के आई है न?
मैंने कहा- नहीं तो, पागल है क्या? ऐसे ही बात करने गयी थी।
उसने बोला- बेटा, तू मुझे बेवकूफ नहीं बना सकती अभी नहीं बता रही तो बाद में बताएगी।
शादी में अब थोड़े से ही मेहमान बचे थे, मुश्किल से 25-30 … बाकी सब वापस जा चुके थे। अब फेरे होने की तैयारी चल रही थी और सब उसमें व्यस्त थे।
रात के 3 बज चुके थे और फेरे शुरू होने वाले थे। फिर शादी हो जाती और सब घर चले जाते थोड़ी देर बाद।
मैं करन से चैट कर रही थी। वो कह रहा था- बस अब कुछ घंटों में हम फिर से दूर हो जाएंगे, जाने से पहले मिल के जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
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थोड़ी देर बाद मैंने मैसेज किया- सब शादी कराने में बिजी हैं, अभी टाइम है।
उसका रिप्लाई आया- चलो ठीक है, अभी मिलते हैं, मैं गेट के बाहर जा रहा हूँ, तुम भी मौका सा देख के पीछे पीछे आ जाओ।
मैंने देखा कि वो गेट के पास पहुँच के खड़ा हो गया और मुझे देखने लगा।
मैंने तन्वी से कहा- तू रुक, मैं अभी आई।
तन्वी बोली- कहाँ जा रही है, अभी 2 घंटे पहले ही तो चुदवा के आई है, फिर जा रही है क्या चुदने?
मैंने मज़ाक में उसके कंधे पे हाथ मारा और हँसती हुई नज़र बचा के बाहर आ गयी।
करन मेन गेट से निकल के मैरिज हाल की दीवार के साइड में खड़ा हो गया और मैं पीछे पीछे पहुँच गयी।
हम दोनों लास्ट बार मिले, मैंने उसको गले लगाया और हम कुछ देर गले लगे रहे। वो मुझे छोड़ने को ही तैयार नहीं था।
मैंने कहा- छोड़ो भी अब!
उसने कहा- रुको यार, जी भर के गले तो लगने दो।
मैंने कहा- कोई देख लेगा तो बखेड़ा हो जाएगा … छोड़ो मुझे!
वो हटा और मेरा हाथ पकड़ कर बोला- चलो मेरे साथ!
और मुझे खींच के ले जाने लगा। हम घूम के मैरिज हाल की दीवार के पीछे आ गए। वहाँ बिल्कुल सुनसान था, पीछे दूर दूर तक सिर्फ खेत ही खेत थे क्योंकि मैरीज हाल शहर से थोड़ा हट के था। हालांकि दीवारों पर मैरिज हाल की लाइट जल रही थी पर बाकी जगह सिर्फ सिर्फ चाँद की चाँदनी रोशनी ही थी।
उसने कहा- यहाँ तो कोई नहीं है, यहाँ तो जी भर के गले लग सकता हूँ न।
मैंने मुस्कुरा के कहा- अच्छा बाबा लो लग लो!
और हम दोनों एकदम टाइट होकर गले लग गए।
गले लगते हुए ही उसने कहा- अगर मैं दिल्ली आऊँगा तो मिलने आओगी ना?
मैंने कहा- आ जाऊँगी, चिंता मत करो।
मुझे उसकी बांहों की गर्मी में बहुत सुकून मिल रहा था, मैं खुद उसे नहीं छोड़ना नहीं चाह रही थी।
गले लगे लगे ही उसने कहा- एक गुड बाय किस नहीं दोगी?
मैंने मुस्कुरा के उसको देखा तो गले लगे लगे ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये और हम गहरी किस करने लगे। मैं उसके हाथ अपनी कमर पे फिरते हुए महसूस कर रही थी। उसका लंड फिर से टाइट होने लगा था जो मुझे हम दोनों के आपस में चिपके होने के कारण महसूस हो रहा था।
मैंने कहा- अब छोड़ो भी … तुम्हारा इरादा क्या है?
उसने अपने हाथ मेरे लहंगे पे ऊपर से रख के मेरी चूत को भींच दिया तो मैं कसमसा गयी।
वो बोला- ये है अब तो इरादा।
मैंने बोला- पागल हो? यहाँ? नहीं नहीं कोई देख लेगा तो बहुत बदनामी हो जाएगी।
उसने कहा- तुम डरती बहुत हो …कौन देखेगा यहाँ, सुबह तक कोई नहीं आने वाला। प्लीज यार … एक बार फटाफट करूंगा।
इससे पहले मैं और विरोध करती उसने ऊपर से ही मेरे बूब्स को हाथ में भर के दबाना शुरू कर दिया और पैंट में से ही मेरे लहंगे पे चूत पे अपना लंड रगड़ना शुरू कर दिया। वो पूरे जोश में आ चुका था और मुझ पे भी जवानी का जोश हावी होने लगा। मैं भी आंखें बंद कर के सिसकारियाँ लेने लगी।
वो रुक गया तो मैंने आँख खोल के देखा और पूछा- क्या हुआ? रुक क्यूँ गए?
उसने कहा- ऐसे आंखें बंद कर के सिसकारियाँ लेते हुए तुम बहुत प्यारी और सेक्सी लगती हो।
मैं मुस्कुरा दी और अपने हाथों से उसका चेहरा पकड़ के उसके होंठों को किस करने लगी।
हम दोनों ही गर्म हो चुके थे और पूरे जोश में थे, मैंने कहा- कपड़े उतारने का टाइम नहीं है, जल्दी जल्दी कर लो ऐसे ही, जो करना है!
और यह कह के मैंने अपनी चोली को हाथों से आगे से खींच के ऊपर कर दिया। उसके सामने मेरे गोरे और सख्त बूब्स आते ही वो उनपे टूट पड़ा और ज़ोर ज़ोर से मुंह में लेके चूसने लगा। मैं वही दीवार से सिर सटा के आँख बंद कर के आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्महह … सिसकारियाँ ले रही थी और उसके लंड को अपने हाथ से सहला रही थी।
मेरी चूत फिर से गीली हो चुकी थी। लगभग 2-3 मिनट बाद मैंने कहा- जल्दी करो, देर हो रही है।
उसने कहा- हाँ, एक मिनट!
और अपनी पैंट नीचे कर दी खोल के।
मैंने भी अपना लहंगा नीचे झुक के ऊपर उठा लिया और पेंटी नीचे सरका दी और अपनी चूत उसके सामने परोस दी। उसने जोश जोश में मेरी चूत से लंड लगाया और एक झटके में अंदर घुसा दिया।
मैंने दबी आवाज में सिसकारी भरी और अः आह आह करने लगी। उसने अपने दोनों हाथ दीवार पे रखे और मुझे आगे लंड को चूत में डाल से धक्के मारने लगा तेज़ तेज़। उसके मुंह से भी आह आह आह अह की आवाज आ रही थी।
मुझे ऐसे खड़े खड़े चुदने में बहुत मजा आ रहा था, मैंने आहह आहह आहह करते हुए ही कहा- और तेज़ … और तेज़!
और उसके धक्कों से हिलती जा रही थी।
ऐसे ही 4-5 मिनट तक चोदने के बाद उसने कहा- दीवार की तरफ मुड़ जाओ और झुक जाओ, दीवार पे हाथ रख के टेक लगा लो।
मैंने वैसा ही ही किया।
उसने पीछे से मेरा लहंगा उठा के मेरी कमर पे रख के पकड़ा और चूत में एक झटके घपाक कर के लंड डाल दिया, मेरा सर को एकदम के धक्के से पीछे को झटका लगा तो मेरे खुले बाल उछाल के पीछे आ गए।
अब वो तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा।
मैंने कहा- और तेज़ बाबू … बहुत मजा आ रहा है! ऐसे ही आह आहह अह म्म्ह्ह म्म्ह्ह अह!
वो अब अपनी पूरी ताकत से चोदे जा रहा था और मेरा पूरा शरीर और खुले बाल उसके ज़ोर के धक्कों से हिल रहा था। हम दोनों ही दबी आवाज में आह आह आह आहह कर रहे थे।
फिर वो थक सा गया तो थोड़ा रुक गया।
मैंने पूछा- क्या हुआ? हो गया क्या तुम्हारा?
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23-05-2022, 02:38 PM
(This post was last modified: 05-07-2022, 03:55 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उसने कहा- नहीं हुआ यार, अभी 2-3 घंटे पहले ही चोदा था न तो जल्दी निकलने का नाम नहीं ले रहा।
मैं उसकी तरफ घूम गयी और दीवार से पीठ लगा के टेक लगा ली। अपना लहंगा उठा के कहा- अब जल्दी करो, इससे पहले कि कोई हम दोनों को ढूंढना शुरू करे।
वो मेरी चूत पे आया और पूरा लंड एक बार में डाल दिया।
मैंने कहा- अब रुकना मत … पूरी ताकत लगा दो, धक्के रुकने नहीं चाहिए।
और वो अपना पूरा जिस्म मेरे जिस्म पे टिका के अपनी पूरी ताकत से धक्के मारने लगा। उसका लंड जितनी गहराई में जा सकता था, जा रहा था और हम दोनों पूरी ताकत से चुदाई कर रहे थे। हम दोनों को पसीना आ गया था, अब हमारी आवाज हल्की सी तेज़ हो गयी थी, वहाँ पे सिर्फ हम दोनों की आह आह आहह हम्म हम्म की कामुक सिसकारियों की और हल्की हल्की पट्ट पट्ट की आवाज़े आ थी।
थोड़ी देर बाद मेरा शरीर अकड़ने सा लगा था और मेरी सिसकारियाँ रुक रुक के ‘आ…हह आआ आआ आ आ… हह आह… हहहह’ करके आने लगी. करन समझ गया कि मैं झड़ने के करीब पहुँच चुकी हूँ। उसने अपनी बची हुयी पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू कर दिया और कुछ ही पल बाद फच्च्ह की आवाज के साथ आआहह हह हहहह… के साथ झड़ गयी और उसे अपने से दूर धकेल दिया और वहीं नीचे बैठ गयी और तेज़ तेज़ सांस लेने लगी।
उसने बोला- बस मुझे और झड़ जाने दो प्लीज!
मैंने हम्म कहा और खड़ी हो गयी.
और अब उसने अपना लंड गीली चूत में डाल के ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया। करीब 1 मिनट के बाद वो रुक रुक के तेज़ धक्के मारने लगा और आअअअअ… हह… कर के वहीं मेरी चूत में झड़ गया और मेरी बांहों में गिर गया।
हम दोनों पसीने से तर हो गए थे और हाँफ रहे थे।
2-3 मिनट तक अपनी सांसें काबू में करने के बाद उसने मेरे होंठों को किस किया और कहा- थैंक यू वेरी मच!
उसने मुझसे पूछा- तुम प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाओगी ना?
मैंने कहा- तुम उसकी चिंता मत करो, मैं सेफ्टी के लिए गर्भ निरोधक गोली खा लूँगी।
हम दोनों उठे, मैंने अपने पर्स में से टिशू पेपर निकाला और उसका वीर्य और अपनी चूत का पानी साफ किया। फिर हमने अपने कपड़े सही किए और धीरे धीरे छुप के वापस मैरिज हाल में आ गए। मैं जल्दी जल्दी में अपने बिखरे बाल ठीक करना भूल गयी।
तन्वी तेज़ तेज़ मेरे पास आई और बोली- मेरे साथ आ जल्दी।
फिर हम बाथरूम में गयी और उसने कहा- चुदने की खुशी में मैडम बाल तो ठीक करना तो भूल ही गयी।
मैं शरमा के मुस्कुराने लगी और नीचे देखने लगी.
उसने कहा- अब क्यूँ शरमा रही है? ला मैं तेरे बाल ठीक करती हूँ।
उसने मेरे बाल ठीक किए और कपड़े भी ढंग से सेट किए। तब तक शादी की सारी रस्में हो चुकी थी और विदाई की रस्म चल रही थी। फिर हम दोनों अपनी गाड़ी में आकर बैठ गयी और घर के लिए निकल गयी।
सुबह हो चली थी और सूरज निकलने लग रहा था। मुझे शायद पहली बार इतनी खुशी हो रही थी कि मैं बार बार मुस्कुरा रही थी। तन्वी मुझे देख के पक्का सोच रही होगी कि मैं पागल हो गयी हूँ।
एक दिन और घर पे रुक कर हम हॉस्टल वापस आ गयी। फिर मैंने तन्वी को अपनी सारी कहानी बताई।
उसने कहा- मुझे तो पहले ही पता था कि अगर तू उसके साथ गयी है तो बिना चुदवाए वापस नहीं आ सकती. पर एक बात बता, तुझे डर नहीं ऐसे खुले आसमान के नीचे चुदवाते हुए?
मैंने कहा- शुरू में डर लग रहा था … पर फिर जोश में होश खोने का बाद कहाँ खयाल रहता है दुनिया का।
उसने बोला- चल मजा आया ना तुझे?
मैंने कहा- बहुत मजा आया!
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