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Misc. Erotica पाँच सहेलियाँ
अगले अपडेट में जानिए क्या आशा बिंदिया को चुदाई के लिए राजी कर पाएगी, क्या बिंदिया और बबलू की चुदाई होगी?
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Wonderful update bhai...
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Superb Update
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(26-04-2022, 02:20 PM)Class123 Wrote: Wonderful update bhai...

Thanks for your appreciation
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(28-04-2022, 05:26 PM)Unknown Wrote: Superb Update

Thanks for your appreciation
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Waiting for update bhai...hope aap samay nikal kar jaldi hi update doge..thanks.
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अगले दिन दोपहर में बबलू बिंदिया से मिलने आया, घर पर बिंदिया बिल्कुल अकेली थी। बबलू इस बार बिंदिया को चोदने के मूड से आया था। आशा जानती थी की बिंदिया बबलू को बता देगी की आज वो घर पर अकेली है और बबलू इस बात का फायदा उठाने जरूर आएगा। आशा ने बिंदिया को पहले ही बता दिया था की जब बबलू उस से अकेले में मिले तो उसे क्या करना है। बबलू ने आते से बिंदिया को गले लगाया और उसके गालों पर एक चुम्मी दे दी। बबलू जैसे ही बिंदिया के होठों को चूमने लगा, बिंदिया ने उसे अपने से दूर किया।
बिंदिया: बबलू तुम पागल हो गए हो क्या?
बबलू: तुम्हारे प्यार में पागल हूं। (बबलू प्यार में तो नही, वासना में पागल हुआ था, उसे तो बस बिंदिया की चुदाई करनी थी।)
बिंदिया: अभी हम यहां कुछ नही कर सकते, कोई भी, कभी भी घर पर आ सकता है। ( कोई भी नही आने वाला था, आशा ने कह रखा था, जब तुम अकेले में हो तो तुम मुझे चुपके से बुला लेना और फिर मैं जैसा कहूं वैसा करना।)
बबलू: पर तुमने तो कहा था की तुम अकेली हो, घर पर कोई नहीं है।
बिंदिया: अकेली तो हूं, पर कोई भी आ सकता है, ये सब करना बहुत रिस्की है। तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूं।
(बिंदिया किचन में गई और आशा को कॉल किया। पानी लेकर वापस बबलू के पास आ गई)
बबलू: तुम आज बहुत ही खूबसूरत दिख रही हो (बबलू ने बिंदिया की तारीफ़ करते हुए उसकी जुल्फों को छूने लगा। तारीफ़ करना तो सिर्फ बहाना था, बबलू का इरादा तो सिर्फ बिंदिया की चुदाई थी।)
घर की बेल की आवाज से बबलू थोड़ा घबरा गया,
बिंदिया: बबलू तुम उपर रूम में 2मिनट रुको, मैं तुम्हे वही मिलती हूं। शायद आस पड़ोस से कोई आया होगा।
(दरवाजे पर आशा थी, बिंदिया ने उसको चुपके से घर के अंदर बुला लिया। बिंदिया ऊपर रूम में बबलू के पास चली गई)
बबलू: (घबराते हुए) कौन था?
बिंदिया: कोई सेल्स मेन आया था, किसी प्रोडक्ट की मार्केटिंग करने।
बबलू: (एक दम बेफिक्र होकर बिंदिया को कस कर गले लगाया) उस मादरचोद ने तो मुझे डरा ही दिया था।
बिंदिया: (बबलू से दूर होकर, उसे घूरते हुए। बिंदिया को गालियां बिल्कुल भी पसंद नही थी) कितनी गंदी गालियां देते हो। मुझे तो लगता था की तुम शरीफ़ हो।
(बबलू को अहसास हो गया था की उसने गलती कर दी है, बिंदिया को मानने की कोशिश करने लगा। आशा चुपके से सब देख और सुन रही थी, बिंदिया का चेहरा देख कर समझ आ गया था की बिंदिया को बहुत बुरा लगा है। शायद बिंदिया बबलू को घर से बाहर जाने का भी बोल सकती है। तभी घर का लैंडलाइन फोन बजने लगा, बिंदिया ने बबलू को वही रूम में रुकने का इशारा किया, रूम का दरवाजा बंद करके कॉल उठाने वो बाहर आई। आशा ने बिंदिया को इशारे से वही रोका। वो कॉल आशा ने)
बिंदिया: क्या हुआ?
आशा: गुस्सा क्यों कर रही हो?
बिंदिया: मुझे ये ऐसे गंदे शब्द बिल्कुल भी पसंद नही है।
आशा: अब उस बात को छोड़ो भी, मैंने जो बताया है उस पर ध्यान दो। (आशा जानती थी की बिंदिया को अभी कुछ भी समझाना बेकार है।)
बिंदिया रूम में आई और उसने बबलू को पलंग पर बिठाया। बिंदिया ने बबलू की आंखों पर पट्टी बांध दी। (आशा ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था)
बबलू: आंखों पर पट्टी क्यों बांध रही हो बिंदिया।
बिंदिया: (उसके होठों पर ऊंगली रखते हुए) चुप रहो, कुछ मत कहो। Just feel it baby (बिंदिया ने बबलू के गालों पर चुम्बन किया, आशा ने देखा की बबलू की आंखों पर पट्टी बंधी है, वो धीरे से रूम के अंदर आ गई। आशा ने उसे जैसे ही इशारा किया, बिंदिया बबलू के होठों को चूमने लगी। बबलू का लंड एक दम कड़क हो चुका था और बिंदिया की चुत से चिपका हुआ था। बिंदिया की तरफ से कोई विरोध नहीं था, बबलू की तो जैसे लॉटरी लग गई, वो बहुत खुश हुआ की अब चुदाई में कोई दिक्कत नही है। आशा ने बिंदिया का हाथ पकड़ के बबलू की पैंट में बने लंड के उभार पर रख दिया। आशा बिंदिया को ईशारा कर रही थी की अब वो लंड को उसकी पैंट से बाहर निकाल कर मुंह में चूसे। इधर बबलू बिंदिया के बूब्स कपड़े के ऊपर से सहलाते सहलाते, हाथ बिंदिया के कपड़ो में डाल कर बूब्स मसलने लगा था। चूंकि बिंदिया के बूब्स छोटे थे, तो बबलू ने ज्यादा देर उन्हे नही मसला, पर इतना मसल चुका था की बिंदिया को चुत को अच्छे से गीली कर चुका था। अब बबलू ने अपना हाथ बिंदिया की चुत पर रख दिया था। बबलू का लक्ष्य बिंदिया को नंगा करना था और फिर उसकी चुदाई करनी थी। आशा ने बिंदिया का हाथ बबलू के लंड से हटाया और धीरे से उसकी पैंट की चैन खोल दी। आशा ने बिंदिया का हाथ खुली चैन में डाल दिया। बिंदिया भी बहुत उत्तेजित हो गई थी, पर अभी भी वो लंड को देखने और छूने से डर रही थी। आशा ने ईशारे में बिंदिया से कहा की अगर तूने बबलू के लंड को बाहर नही निकला तो फिर खुद उसे निकाल देगी। बबलू ने अपनी पैंट का बेल्ट और हुक खोल कर पैंट को ढीला कर दिया। बिंदिया के सामने बबलू की चड्डी में तना हुआ लंड था। बिंदिया ने हिम्मत कर के उसकी चड्डी से लंड को बाहर निकाला। बिंदिया ने पहली बार मर्द के लंड को करीब से देखा और महसूस किया था। बिंदिया ने नजर घुमा कर आशा की और कर ली थी, आशा ने उसे अपने हाथो से इशारा कर के बताया की लंड को पकड़ना कैसे है। बिंदिया ने झिझकते हुए लंड को छुआ। बिंदिया की नजर लंड पर नही थी, वो तो आशा की तरफ ही देख रही थी। आशा उसे इशारे से बोल रही थी की अब लंड को चुमो और चुसो। बिंदिया इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हो पा रही थी। बिंदिया ने अपना हाथ उसके लंड से हटाया और फिर उसके लंड को धीरे से पकड़ा, फिर लंड से हाथ हटाया और धीरे से लंड को फिर से पकड़ा। बिंदिया जब भी बबलू के लंड को छुती उसे अजीब लगता और लंड से हाथ हटा लेती। इधर बबलू को ये लग रहा था की बिंदिया उसके लंड से खेल रही है और हल्के हल्के से दबा रही है। बबलू पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था। आशा ने बिंदिया के सर को पकड़ के बबलू के लंड के पास कर दिया। बिंदिया कुछ बोल नहीं सकती थी, नही तो बबलू को पता चल जायेगा की उन दोनो के अलावा भी कोई तीसरा इस रूम में है। बिंदिया ने अपनी जीभ निकाल कर बबलू के लंड को चाटने लगी। बबलू एक दम से अपनी चरम सीमा पर पहुंचा और उसके लंड ने पिचकारी मारी। बिंदिया के चेहरे और हाथो पर उसके लंड की मलाई चिपक गई। आशा ने रूम की लाइट बंद की और जल्दी से रूम से बाहर निकल गई, क्योंकि उसे पता था की बबलू अब अपनी आंखो की पट्टी हटाएगा। बबलू ने अपनी पट्टी हटाई और बिंदिया ने लाइट चालू की। बिंदिया अपने आप को साफ करने बाथरूम गई। बबलू ने अपने कपड़े सही किए और बिंदिया से मिलकर घर से निकल गया। बबलू घर तो पहुंच गया था, पर उसका दिल और दिमाग दोनो चुदाई में ही थे। बबलू बहुत ही शर्मिंदगी महसूस कर रहा था, क्योंकि वो बहुत ही जल्दी झड़ गया था। इधर बिंदिया भी शर्मिंदगी में थी। उसे बड़ा अजीब लग रहा था, उसके लिए वीर्य बहुत ही गंदी चीज थी और आज पूरे चेहरे पर वीर्य हो गया था। उसका ऐसा सोचना था की आज जो उसने बबलू के साथ किया है वो बहुत ही घिनौना काम है। आशा ने बिंदिया से बात करने की कोशिश की पर बिंदिया बिल्कुल भी बात करने के मूड में नहीं थी। आशा भी बिंदिया के घर से चली गई। इधर बबलू की परेशानी उसे ही समझ नही आ रही थी एक तरफ तो उसे लग रहा था की ये सब अतिउत्तेजाना में हुआ है, उसके लिए ये पहली बार था। इसके पहले उसने पोर्न देख कर मुठ मारा है, किसी लड़की के साथ पहला मौका था। दूसरी तरफ उसे ये भी लग रहा था की वोह बहुत जल्दी झड़ गया, वो किसी लड़की को चरम सुख कैसे देगा। उसने कई चुदाई की कहानियां पढ़ी थी, जिसमे औरते अपने पति से चरम सुख ना मिल पाने के कारण दूसरे मर्दों के साथ चुदाई करती है। उसे चिंता थी तो ये की भविष्य में उसकी बीवी बेवफा न हो जाए। उसने बिंदिया को मैसेज किया, "आज जो भी हुआ उसके लिए I'm so sorry.. I hope you will forgive me.." बिंदिया ने बबलू के मैसेज का कोई जवाब नही दिया। बिंदिया ने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया। बिंदिया को आशा और खुद पर गुस्सा आ रहा था की कहा उसकी बातो में आकर ऐसे अश्लील काम करने लगी। सोचते सोचते बिंदिया के सर में दर्द होने लगा था, वो पलंग के साइड में जमीन पर लेटी थी, उसे वही नींद लग गई थी। शाम को बिंदिया की नींद खुली, उसके सर में अभी भी हल्का हल्का दर्द था। बिंदिया के रूम में अंधेरा था, बिंदिया लाइट चालू करने उठी ही थी की उसे उसके भाई की आवाज सुनाई दी
भाई: अरे अब आओ भी, पैक तैयार है।
भाभी: एक मिनट रुको, पहले बिंदिया से बात कर लेने दो।
भाई: मैंने थोड़ी देर पहले कॉल किया था, उसका नंबर स्विच ऑफ आ रहा था।
भाभी: एक बार और कोशिश कर के देखती हूं।
(बिंदिया को ध्यान आया की उसने तो अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया था, बिंदिया ने तुरंत मोबाइल स्विच ऑन किया और मोबाइल को साइलेंट कर लिया था, इधर भाभी ने जब तीसरी बार कॉल किया तो बिंदिया को कॉल लगा, बिंदिया ने कॉल उठाया)
बिंदिया: (धीमे आवाज में) हां भाभी कहिये।
भाभी: हम घर आए थे, तुम घर पर नहीं दिखी तो तुम्हे कॉल लगाया।
बिंदिया: (बिंदिया जानना चाहती थी की भैया भाभी ड्रिंक करते है, इसलिए उसने जूठ बोला) भाभी ने आशा के साथ हूं, मुझे आते आते रात हो जाएगी। आप चिंता ना करे।
भाभी: ठीक है। (इतना बोलकर फोन रख दिया)
भैया: हो गई शांति, अब तुम आराम से पी सकती हो।
भाभी: मुझसे ज्यादा खुशी तो तुम्हे हो रही है।
भैया: आज बहुत दिनों बाद मौका मिला है मजे करने का।
(बिंदिया ने देखा भैया भाभी दोनो सोफे पर बैठे है, भाभी भैया की बाहों में है और दोनो ड्रिंक कर रहे है। लगभग आधे घंटे वो दोनो ऐसे ही बैठकर पी रहे थे, बिंदिया उन्हे सिर्फ देख पा रही थी, उनकी बाते सुन नही पा रही थी, दोनो चिपके हुए थे तो बहुत ही धीरे धीरे बाते कर रहे थे। भाभी उठा कर वाशरूम गई। बिंदिया को भी पेशाब आ रही थी, बिंदिया अंधेरे में ही धीरे से वाशरूम गई। जब बिंदिया वापस आई तब उसे भैया भाभी की आवाज सुनाई दे रही थी।
भैया: बहुत ही सेक्सी लग रही हो।
(बिंदिया ने देखा भाभी ने एक बहुत ही छोटा सा टॉप और शॉर्ट पहना हुआ है। भैया और भाभी के बीच लगभग 10 से 12 फीट की दूरी थी, इसलिए वो थोड़ा जोर से बोल रहे थे।)
भाभी: रहने दो, तुम्हे तो वो तुम्हारी ऑफिस वाली राण्ड ही सेक्सी लगती है।
भैया: तुम से ज्यादा सेक्सी नही है।
भाभी: रहने दो, जूठ मत बोलो, जब भी मौका मिलता है, तुम उसके बोबे घूरने लगते हो। पिछली बार तो उसकी गांड़ देख के तुम्हारा लंड कैसा खड़ा हो गया था।
‌भैया: उसने कपड़े भी तो ऐसे ही पहने थे। उसे ऐसे देख के तो हर मर्द का लंड खड़ा हो जाए। (भैया भाभी के पास आ गए और भाभी को अपनी बाहों में उठा कर सोफे पर लिटाया और भाभी के बदन को चूमने लगे, बिंदिया को समझ नही आ रहा था की वोह अब वहा रुके या जाए, बिंदिया ने अपनी आंखें और कान बंद कर चुकी थी। उसके दिमाग में आशा की बात घूमने लगी, "एक औरत सिर्फ अपने जिस्म से ही सेक्सी नही होती, अपनी अदाओं से भी सेक्सी होती है।" उसने झटके से अपने आंख और कान खोले। उसने जो दृश्य देखा उससे उसकी आंखे फटी रह गई और दिमाग भी शून्य हो गया। भैया भाभी सोफे पर एक दूसरे के ऊपर नंगे मुखमैथुन क्रिया में थे। भैया भाभी की चुत चूस रहे थे और भाभी भैया का लंड चूस रही थी। इस काम क्रिया का दोनो भरपूर आनंद ले रहे थे। बिंदिया ने अपने भैया भाभी का ऐसा रूप पहली बार देखा था, बिंदिया अपने भैया भाभी को इस तरह काम क्रीड़ा करते हुए अब और नहीं देखना चाहती थी। बिंदिया अपने रूम में आ गई, उसे अब तक आशा पर जो गुस्सा आ रहा था वो एक दम से खत्म हो गया। उसे लगने लगा की आशा ने जो भी बाते कही थी शायद वो सब उसी की भलाई के लिए कही थी। बबलू का पर्स वही रूम में गिर गया था, बिंदिया ने उसे उठाया और अपने पास रख लिया। बिंदिया ने सोचा कल वो बबलू को वापस कर देगी। अगले दिन जब बबलू बिंदिया के घर गई, उस समय बबलू घर पर अकेला था। बबलू बिंदिया से बात करने में झिझक रहा था, उसे डर था की बिंदिया उस से नाराज होगी। बिंदिया भी समझ रही थी बबलू शायद बात करने में झिझक रहा है, बिंदिया ने बबलू को गले लगाया। इधर बबलू के अंदर की वासना जागने लगी, और बबलू ने धीरे से बिंदिया के गालों पर किस कर के बिंदिया को सॉरी कहा। बिंदिया ने बबलू को कहा it's okay, just chill. (बिंदिया को पता नही क्या हुआ, उसने बबलू के गालों पर एक चुम्बन किया। बिंदिया शर्मा गई और उसने नज़रे झुका ली।) बबलू ने जवाब में बिंदिया को सिर्फ thanks कहा। बबलू ने बिंदिया के होठों पर चुम्बन किया, बिंदिया की और से कोई विरोध न देख कर एक बार फिर से बिंदिया के होठों को चूमने लगा, बिंदिया ने भी थोड़ा सा उसका साथ दिया। बबलू के दिमाग में तो एक ही बात थी की बिंदिया को अच्छे से चोद कर खुद को अपनी मर्दानगी दिखानी है। बबलू चूमते चूमते बिंदिया के बदन से भी खेलने लगा था, बिंदिया के कपड़े धीरे धीरे करके उतारने लगा था। बिंदिया सिर्फ ब्रा पैंटी में थी और उसकी आंखें बंद थी। बबलू ने खुद को नंगा किया, फिर बिंदिया की ब्रा पैंटी भी उतार दी। बिंदिया आंखे बंद कर के लेती हुई थी। 1 मिनट में चुम्बन से लेकर नंगे होने की क्रिया हो गई, क्योंकि बबलू को चोदने की जल्दी जो थी। आशा की बातो और भैया भाभी की काम लीला ने बिंदिया को चुदाई के लिए मानसिक रूप से तैयार कर दिया था। बबलू ने बिना किसी देरी किए अपने खड़े लंड पर कंडोम लगाया और बिंदिया की चुत में लंड घुसाने लगा। बिंदिया के लिए ये एक जोरदार प्रहार था, बिंदिया चीख पड़ी, बबलू को लगा की उसके लंड ने कमाल दिखाया है, अब बिंदिया को अच्छे से चोदना है। बबलू बिंदिया की चुत में लंड डाल के झटके देने लगा। बिंदिया दर्द के मारे चिलाने लगी, अगले एक मिनट में बबलू झड़ गया, उसने बिंदिया की चुत से अपना लंड निकाला, कंडोम पर खून लगा था। बिंदिया की पहली चुदाई थी, बबलू ये देख मन ही मन खुश हुआ की उसने कुंवारी लड़की चोदी है। बिंदिया की चुत में जलन हो रही थी। बिंदिया जल्दी से बबलू के घर से निकल कर अपने घर आ गई। उसने ये बात आशा को नही बताई। दो दिन बाद जब बिंदिया की चुत पूरी तरह से ठीक हो गई, बबलू ने फिर से बिंदिया को चोदने का कार्यक्रम बनाया। बिंदिया इस बात से अनजान थी की ये बबलू का प्यार नही उसकी हवस थी। इस बार भी जब बिंदिया की और बबलू ने कोई विरोध न देखा तो फिर से बिंदिया की चुदाई शुरू कर दी। बिंदिया खुद हैरान थी की वोह क्यों बबलू से फिर से चुदवा रही है, पर इस बार बिंदिया पहली बार चुदाई का आनंद ले रही थी। बबलू तो दो मिनट में झड़ गया। बिंदिया को ख्याल आया की उसके भैया भाभी तो बहुत देर तक कामवासना कर रहे थे, बबलू इतनी जल्दी क्यों रुक गया। इस बार बबलू को फिर से लगा की वोह शायद जल्दी झड़ गया है। बबलू ने अगले दिन का फिर से चुदाई का प्लान बनाया, बिंदिया भी इस बार राजी थी, क्योंकि वो एक बार अच्छे से चुदाई को समझना चाहती थी। पर इस बार भी बबलू की चुदाई 2 से 3 मिनट ही चली। बबलू और बिंदिया अपने अपने घर आ गए।
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बबलू और बिंदिया की कहानी आगे जारी रहेगी
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(09-05-2022, 01:50 PM)Class123 Wrote: Waiting for update...
Sorry for late update... Will try to post one more update in next week
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Waiting for update sir...
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बबलू ने घर आ कर सबसे पहले अपने दोस्त राज से बात की और बबलू ने राज को बताया की उसने बिंदिया की चुदाई की और उसकी चुत की सील तोड़ दी। राज एक नंबर का चुदक्कड़ आदमी था, राज कई लड़कियों के साथ चुदाई कर चुका था। राज से बातो बातो में बबलू ने जाना की उसने बिंदिया को एक असली मर्द की तरह नही चोदा है। बबलू को ये लग रहा था की शायद बिंदिया सेक्सी नही है इसलिए वो चुदाई का आनंद नही दे पा रहा। राज ने बबलू को बातो बातो में ये भी बताया की वोह परसो एक रण्डी को चोदने जा रहा है। बबलू अपनी मर्दानगी की परीक्षा करना चाहता था, उसने राज से कहा, मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा, मैं भी चुदाई के पूरे मजे लेना चाहता हूं। दो दिन तक बबलू और बिंदिया नही मिले थे। बबलू चाहता था की वो रण्डी को अच्छे से चोदे, इसलिए बिंदिया पर अपनी ताकत न बिगाड़े। राज के साथ बबलू चुदाई करने गया। रण्डी तो सेक्सी थी ही, बबलू ने जब उसके सेक्सी बूब्स देखे तो वो बहुत ही उत्तेजित हो गया था। बबलू रण्डी के बूब्स को प्यार करने लगा, रण्डी ने जब बबलू के लंड से खेलना शुरू किया और जोर से उसके लंड को हिलाने लगी तभी बबलू झड़ गया। रण्डी के लिए ये आम बात थी, कभी उसके पास मस्त चुदाई करने वाले आदमी आते है तो कभी हाथ लगाते से झड़ने वाले। रण्डी को तो पैसे कमाने से मतलब रहता है, वो तो जल्दी झड़ने वालो को एक और चुदाई का मौका देकर उन से दुगुनी कमाई कर लेती है। उस रण्डी ने बबलू से बात की और उसे बताया राज तो आधे घंटे से भी ज्यादा देर तक मजे करता है। बबलू के लिए तो तय बात घाव पर नमक लगाने जैसी थी, पर वो कर भी क्या सकता था। लगभग पौन घंटे बाद उस रण्डी ने फिर से बबलू के लंड से खेलना शुरू किया। बबलू का लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा।
रण्डी: ऐसे क्या देख रहा है, पूरे मजे ले, तूने तो दोगुनी कीमत दी है।
बबलू: मुझे तेरी चुत में लंड डालना है।
रण्डी: पहले कंडोम तो लगा ले।
बबलू ने कंडोम लगाया और रण्डी की चुत में लंड डाल कर झटके देने लगा। इस बार पहले से ज्यादा देर तक बबलू टिका रहा और चुदाई करता रहा, साथ में वो रण्डी के बूब्स से भी खेलता। 5 मिनट में बबलू झड़ गया था, वो खुश था की इस बार लंबी चुदाई चली, पर इस बार उसके लंड में वो कड़कपन नही था, जैसा उसे चाहिए था। बबलू को समझ आ गया की उसकी चुदाई बहुत जल्दी खत्म हो जाती है। वो किसी लड़की को चरमसुख नही दे पाएगा, ये बात अब उसके दिल में अच्छे से बैठ गई थी। बबलू ने रण्डी को और अलग से पैसे दिए की वोह राज के सामने अपना मूंह बंद रखे। बबलू जैसे ही रण्डी के कमरे से बाहर आया उसने देखा राज कमरे के बाहर ही है। राज ने बबलू को गले लगाया और बोला, तु तो मेरे से भी बड़ा चुदक्कड़ निकाला। रण्डी ने पीछे से बबलू को हग किया और बोली, राज तुम्हारा दोस्त तो एक नंबर है। बबलू जानता था की ये उसकी जूठी तारीफ है। उसने दोनो को फीकी सी मुस्कान दी, राज ने बबलू से पूछा तेरा चेहरा क्यों उतरा हुआ है, बबलू कुछ बोलता उसके पहले रण्डी ने जवाब दिया, ऐसी चुदाई के बाद थकान तो होगी ना। राज हसता हुआ बबलू को साथ लेकर वहा से निकल गया। बबलू की वासना पर उसकी सोच भारी होने लगी थी, उसे अब लगने लगा था की उसकी जिंदगी में यौन सुख नहीं है।
इधर बिंदिया तीन दिन से बबलू से नही मिली थी, बबलू से अच्छे से बात भी नही हो पाई थी। बिंदिया को ये लग रहा था की शायद बबलू उसकी चुदाई से खुश नहीं है। इसलिए बबलू उसे अनदेखा करने लगा है। बिंदिया को कुछ समझ नही आ रहा था की वोह क्या करे, उसे लगा की अब आशा को सब बाते बता कर उसकी राय लेना चाहिए। बिंदिया अब कुंवारी नही रही थी, उसे इस बात का भी अपराधबोध हो रहा था, साथ में खुद के सेक्सी ना होने की हीन भावना और बबलू का उसे अनदेखा करना। इन सब बातो ने उसे मानसिक रूप से बहुत कमजोर कर दिया था। आशा और बिंदिया अचानक ही आमने सामने हो गए। बिंदिया पलट कर जाने लगी, तभी आशा ने बिंदिया का हाथ पकड़ा और कहा, ’ऐसे खुद को सजा देने से समस्या का हल नहीं निकलेगा, बात करने से बात बनेगी’ बिंदिया को जरूरत थी तो एक सहारे की, बिंदिया ने भी यही सोचा की शायद आशा ही उसका सहारा बन सकती थी। बिंदिया ने भैया भाभी की चुदाई से लेकर अपनी चुदाई तक का पूरा किस्सा आशा को बताया और साथ पीछले तीन दिनों की अपनी परेशानी को भी बताया। बिंदिया ये जानना चाहती थी की असल में चुदाई है क्या? भैया भाभी के बीच जो हुआ वो चुदाई है, या बबलू और मेरे बीच जो हुआ वो चुदाई है! बबलू सच में मुझे प्यार भी करता है? आशा ने इशारे से बिंदिया को बैठने को कहा।
आशा: बिंदिया, क्या तुम्हे इस बात का अफसोस है की तुमने भैया भाभी को पूरी तरह से चुदाई करते नही देखा।
बिंदिया: (चोकते हुए) पागल हो गई हो क्या आशा, मुझे तो इस बात का अफसोस है की मैंने उन्हें देखा और सुना। (बिंदिया ने आशा को भैया और भाभी की गंदी बातो के बारे में नही बताया था)
आशा: क्या सुना?
बिंदिया: कुछ नही..
आशा: जैसा तुम्हे ठीक लगे, मैं तो चली।
बिंदिया: कहा जा रही हो, मेरी समस्या का समाधान तो करो।
आशा: जब तक तुम मुझे पूरी बात ना बताओगी, तो मैं क्या करूंगी।
बिंदिया: (गहरी सांस लेते हुए) उसने भैया भाभी की बातो को बताया, उसने लंड, चुत, गांड़ जैसे शब्दो का इस्तमाल नही किया। (पर आशा समझ चुकी थी की भैया भाभी ने बातो में अश्लील शब्दो का ही उपयोग किया है। उसे ये भी समझ आ गया था की बबलू की चुदाई से बिंदिया को संतुष्टि नहीं मिली है।)
आशा: सुनो बिंदिया, चुदाई सीखने की किसी को कोई जरूरत नहीं होती है, जिस दिन तुम इसे दिल से करोगी तुम्हे चुदाई का ज्ञान अपने आप हो जायेगा।
बिंदिया: मैंने तो उसी के साथ किया जिसे दिल से चाहती हूं।
आशा: तुम बबलू को दिल से चाहती हो, पर क्या चुदाई तुमने दिल से की। तुमने चुदाई में बबलू का कितना साथ दिया। तुम ही बताओ जब तक तुम अपने साथी को बताओगी नही की तुम्हे चुदाई में क्या पसंद है, किस तरह की चुदाई पसंद है, किस वक्त चुदाई पसंद है। तुम्हारा साथी तुम्हे कैसे सुख दे पाएगा। और वैसे ही तुम्हे अपने साथी के बारे में भी जानना होगा, उसे चुदाई में क्या पसंद है, क्या पसंद नही है। (बिंदिया को आशा की बात पूरी तरह से ठीक लगी, बिंदिया को अब ये बात समझ आ गई थी की उसे अपनी सोच बदलने की ज़रूरत है। पर अभी उसे एक सवाल का जवाब और जानना था)
बिंदिया: क्या बबलू अब भी मुझसे प्यार करता है?
आशा: नही, ना वोह पहले प्यार करता था, ना अब करता है। (आशा नही जानती थी की बबलू के मन में प्यार है या हवस, आशा ने बिंदिया से ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अगर बबलू के मन में बिंदिया के लिए प्यार ना हुआ तो बिंदिया बहुत बुरी तरह से टूट जायेगी।)
बिंदिया: नही, ऐसा नहीं हो सकता, उसने तो मेरे साथ... (बोलते बोलते बिंदिया रोने लगी)
आशा: (बिंदिया को प्यार से गले लगाते हुए) बिंदिया तुमने कुछ गलत नहीं किया, प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है। जैसे खाना खाना हमारे शरीर की जरूरत है, वैसे ही चुदाई भी शरीर की जरूरत है।
बिंदिया: (आशा की बातो ने पल भर के लिए बिंदिया को मूर्ति बना दिया था, बिंदिया ने बड़ी हिम्मत से आशा से पूछा) क्या तुमने भी..?
आशा: (आशा समझ गई की बिंदिया क्या पूछना चाहती है) हां बिंदिया, मैंने चुदाई के मजे लिए है। बस तुम मुझसे इस बारे में ज्यादा मत पूछना।
बिंदिया चुप हो गई थी, अभी भी उसके दिमाग में वही बाते घूम रही थी, क्या बबलू मुझसे प्यार करता है, क्या मैंने सेक्स कर के सही किया या नही, भैया भाभी की बाते किस हद तक सही है, क्या आशा सच में मेरा साथ दे रही है या उसके चक्कर में बबलू के साथ सेक्स किया? आशा वहा से जा चुकी थी, बिंदिया ने हिम्मत जुटाई और बबलू के पास मिलने गई। बिंदिया ने सोच लिया था की जो भी होगा उसका सामना किया जाएगा, ऐसे घूट घूट के कब तक जीना। बबलू उसे घर पर नही मिला था, बबलू का फोन भी बंद आ रहा था। पहले ही बिंदिया बहुत चिंतित थी, बबलू का ना मिलना उसकी चिंता को बड़ाने लगा था। उसे बबलू आता हुआ दिखाई दिया। उसे थोड़ा सुकून मिला, बबलू बिंदिया को देख के थोड़ा हिचकिचाया। बिंदिया उसे एक गार्डन लेकर गई। वहा दोनो बैठ कर बाते करने लगे।
बिंदिया: (बड़े प्यार से) बबलू पीछले तीन दिनों से तुम मुझसे बात नही कर रहे, बताओ क्या बात है।
बबलू: (हिचकिचाते हुए) वो बा...त ऐसी है कि... ( बबलू जानता था की बिंदिया उस से प्यार करती है, बबलू उसे कहना चाहता था की उसे बिंदिया से प्यार नही है, उसने उसकी चुदाई सिर्फ अपनी वासना के लिए की थी।) मुझे तुमसे प्यार नही है और जो भी हमारे बीच हुआ वो सिर्फ मैंने मजे के लिए किया था। (बबलू एक सांस में पूरी बात बोल गया और उसकी आंखो से आंसु निकलने लगे, आंसु इसलिए निकल रहे थे की उसे इस बात का गम था की अब वो किसी लड़की को चुदाई का चरम सुख कैसे देगा।)
बबलू की बात सुन कर बिंदिया स्तब्ध हो गई, लगभग 5 मिनट तक दोनो चुप रहे, बिंदिया की आंखों से भी आंसू की धारा बहने लगी थी।
बिंदिया: (अपने आप को संभालते हुए) जब तुम्हे मुझसे प्यार नही तो तुम क्यों रो रहे हो?
बबलू: तुम नही समझोगी। मेरा दर्द कोई नही समझ सकता।
बिंदिया: तुम किसी और से प्यार करते हो क्या? क्या वो तुमसे प्यार नही करती?
बबलू: अपने आप पर हंसते हुए, प्यार और मैं? अब मैं किसी को प्यार नही कर सकता। ( बबलू बोलना तो नही चाहता था, पर उसके अंदर के गुस्से के कारण वो बोल गया)
बिंदिया: मतलब, ऐसा क्या हुआ की तुम किसी को प्यार नही कर सकते।
बबलू: (गुस्से में और बिंदिया को घूरते हुए) मैं किसी लड़की को चरम सुख नहीं दे सकता, कोई लड़की मेरे साथ चुदाई के मजे नही ले सकती। (गुस्से में बबलू सच बोल गया)
बिंदिया: पर तुमने तो मेरे साथ से... (बिंदिया बोलते बोलते रुक गई, उसे ध्यान आया की वोह क्या बोलने वाली थी और साथ में अफसोस भी होने लगा की वोह सब हुआ क्यों)
बबलू: तुम्हे चोदने के बाद मैं अपने दोस्त से मिला था, मैंने उसे बताया कि मैंने तुम्हे चोदा है, पर उसके सवालों से मुझे अहसास हुआ की चुदाई का पुरा मजा नही लिया है मैने। शायद इसलिए की तुम सेक्सी नही हो, (बिंदिया को अपने बूब्स का ख्याल आया)। मैं अपने दोस्त के साथ एक सेक्सी रण्डी को चोदने गया, पर उसकी चुदाई करते समय मुझे पता लगा की समस्या मुझ में ही है। अब तो ज़िंदगी जीने का ही मन नही है।
बिंदिया: प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है। (जैसा आशा ने उसे कहा था, उसने वैसा कह दिया। बिंदिया को पता था की बबलू जिस हीन भावना से अभी गुजर रहा है, उस से उसका सामान हो चुका है। उसे समझ आ गया था की आशा ने उसकी सोच को क्यों बदला।) बबलू मैं तुम से अब भी प्यार करती हूं। मेरा प्यार सिर्फ जिस्म तक नहीं है। मैं ये नही कहती की तुम भी मुझसे प्यार करो, हो सकता है तुम्हारी पसंद अलग हो। जो भी हो अपने आप से नफरत ना करो।
बिंदिया इतना बोल कर चली गई, बबलू की सोच की दिशा ही बदलने लगी थी, पहली बार उसे सच्चे प्यार का अहसास हुआ था। बिंदिया घर आई उसने आशा को अपने पास बुलाया और जोर से गले लग कर रोने लगी।
आशा: क्या हुआ बिंदिया?
बिंदिया: (रोते हुए) बबलू मुझसे प्यार नही करता। मैं उससे मिलकर आई हूं, उसी ने मुझे बोला।
आशा: I'm sorry...
बिंदिया: (अपने आंसु पोछते हुए)Thank you so much.. (आशा बिंदिया को आश्चर्य से देखते हुए, ये तो अभी रो रही थी और एक दम से आंसु पोछते हुए इसने इतनी खुशी से मुझे धन्यवाद किया) अरे इतना हैरान होने वाली बात नही, मुझे तुम्हारी बात समझ आ गई है। उसने बबलू के साथ जो बात हुए वो बताई।
आशा: पर इस बात से तो तुम्हे दुखी होना चाहिए था की बबलू को तुम्हारे बूब्स पसंद नही आए। तुम खुश किस बात से हो।
बिंदिया: बबलू को मेरे बूब्स पसंद नही, फिर भी चुदाई के तो मजे लेना चाहता था। चुदाई ही है जो मर्द को औरत का गुलाम बना देती है।
आशा: (आशा इस बात से खुश थी की बिंदिया को अब अपने जिस्म से कोई शिकायत नही है) बात तो तुम्हारी बिल्कुल सही है। अब तो तुम चुदाई के मस्त मजे ले सकती हो।
बिंदिया: हां, बस थोड़ा सा बेशर्मी की जरूरत है।
आशा: (बिंदिया से चिपक कर उसकी गांड़ पर हाथ फेरते हुए) बिल्कुल जल्द ही हो जाओगी।
बिंदिया: (बिंदिया ने भी आशा की गांड़ पर हाथ फेरते हुए कहा) इसके साथ रहते हुए तो हो ही जाऊंगी।
आशा ने बिंदिया के गालों को चूमने के लिए अपने होठ आगे किए और बिंदिया का उसी समय गर्दन को घूमना हुआ, आशा और बिंदिया के होंठ आपस में टकरा गए। बिंदिया शर्मा गई, आशा ने बिंदिया का चेहरा ऊपर किया और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और बिंदिया की और से पहल का इंतजार करने लगी। बिंदिया की आंखें बंद ही थी, उसके अंदर की कामवासना ने उसकी जीभ को आशा के होठों से खेलने को मजबूर कर दिया। दोनो एक दूसरे के चूमने लगे और चूमते हुए आशा ने बिंदिया के कपड़े उतारने शुरू किए, जब बिंदिया सिर्फ पैंटी में थी तब आशा ने चूमना बंद किया। बिंदिया अभी भी आंखें बंद कर के ही खड़ी थी। आशा ने अपने आप को पूरा नंगा कर लिया था, उसने बिंदिया के हाथो को अपने बूब्स पर रखा, बिंदिया चोक गई और उसने आंखे खोली। आशा ने उसे अपने बूब्स से खेलने का इशारा किया, आशा भी बिंदिया के बूब्स से खेलने लगी। बिंदिया को मजा आने लगा था, वो अब अच्छे से आशा का साथ देने लगी थी। आशा ने एक हाथ धीरे से बिंदिया की पैंटी में डाल कर चुत पर रख दिया था और हल्के हाथों से चुत को दबाने लगी। बिंदिया की उत्तेजना बड़ने लगी थी। आशा ने अपनी ऊंगली बिंदिया की चुत में घुसा दी। बिंदिया पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार थी। आशा ने बिंदिया को नंगा किया और उसको चुत में ऊंगली अन्दर बाहर करने लगी। आशा ने अपनी पोजिशन बदली और अपनी चुत बिंदिया की मुंह की और कर दी। आशा बिंदिया को चुत को चाटने लगी। बिंदिया ने धीरे से आशा की चुत को चूमना शुरू किया। बिंदिया के लिए अजीब अनुभव था, उसने एक दो बार चुमने के बाद चुमना बंद कर दिया, आशा बिंदिया की चुत पर लगी हुई थी, बिंदिया आनंद की चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। उसकी चुत ने सारा लावा निकाल दिया। बिंदिया एक दम से बेढाल हो गई। आशा ने खुद अपनी चुत में ऊंगली डाल कर अपनी आग बुझाई।
अगले दिन बिंदिया बबलू से मिली, बबलू तो अभी भी उसी परिस्थिति में था। बबलू को बिंदिया की कल की बाती के बाद से धीरे धीरे प्यार होने लगा था। उसे वो एक सच्ची जीवन साथी नजर आने लगी थी। उसे डर था तो बस ये की कामवासना उसे बेवफा बना देगी।
बिंदिया: कैसे हो बबलू?
बबलू: (मुरझाए हुए) बड़ियां हूं।
बिंदिया: लग तो नही रहे।
बबलू: देखो बिंदिया मैंने कल भी तुम्हे कहा और आज भी कह रहा हूं, तुम मुझ पर अपना समय मत बिगाड़ो, मैं तुम्हारे काम का आदमी नही हूं। तुम मेरे साथ सुखी नही रह पाओगी।
बिंदिया: मेरा काम तो तुमसे हो जाएगा, तुम चिंता ना करो। मैं तुम्हारे साथ बहुत खुश रहूंगी।
बबलू: तुमने पहली बार तो मुझे चुदाई की, तुम्हे क्या पता चुदाई का चरम सुख क्या होता है। अभी तुमने इसका आनंद नही लिया है। बाद में तुम इसके लिए तरसी तो क्या करोगी।
बिंदिया: मुझे नही चाहिए चरम सुख, मुझे तो तुम्हारा साथ चाहिए।
बबलू: पहले तुम चरम सुख का आनंद लो, उसके बाद भी तुम्हे लगे की मेरे साथ जीवन जी लोगी तो मैं तुम्हे अपना लूंगा।
(बबलू को खुद पता नही था की वो क्या बोल गया है। उसे बोलने के बाद पछतावा हो रहा था) बिंदिया ने उसे कस के एक थप्पड़ मारा और बिना कुछ कहे जाने लगी। बबलू ने उसका हाथ पकड़ के उसे रोका और माफी मांगने लगा। बबलू की आंखो में आंसु थे, शायद उसे बिंदिया से प्यार होने लगा था, क्योंकि बिंदिया उसे उसकी कमी के साथ स्वीकारने को तैयार थी। बबलू ने बिंदिया को गले लगाया और अपने प्यार का इजहार किया। बिंदिया और बबलू ने एक दूसरे को स्मूच किया। बबलू का चेहरे पर अभी भी उदासी थी।
बिंदिया: तुम अभी भी अपने सेक्स को लेकर सोच रहे हो क्या?
बबलू: सच कहूं तो मुझे अभी भी डर है कि मैं तुम्हे बाद में खो दूंगा। बुरा मत मानना पर ये सच है की चुदाई हर जिस्म की जरूरत होती है। एक इंसान अपनी जरूरतों से कब तक भागेगा। मुझे जल्दी नही है, तुम आराम से थोड़ा ठंडे दिमाग से सोच कर जवाब दे देना।
बिंदिया वापस घर आ गई थी, अब उसकी नई परेशानी थी बबलू को समझना, इक बार फिर उसने आशा की मदद लेने की सोची। आशा को पूरी बात बताई।
आशा: बिंदिया अगर सोचा जाए तो बबलू की बात में दम तो है।
बिंदिया: तुम कहना क्या चाहती हो, मैं एक वैश्या बन जाऊं।
आशा: नही बाबा, बबलू को ऐसा लगता है की उसकी कमजोरी तुम्हे बेवफा होने पर मजबूर ना कर दे। उसका सोचना सही भी है, क्योंकि की बात एक बार की नही जीवन भर की है।
बिंदिया: तो अब मैं कैसे बबलू को समझाऊं, मुझे शारीरिक सुख नहीं, उसका प्यार चाहिए।
आशा: बिंदिया तुम मुझे थोड़ा समय दो, मैं कुछ सोचती हूं और इस समस्या का समाधान निकलती हूं। (समाधान तो आशा के दिमाग में था, अगर अभी बोलती तो बिंदिया नही मानती)
अगले दिन बिंदिया और बबलू दोनो एक होटल में गए। बबलू ने बिंदिया को प्यार से गले लगाया और फिर उसे पलंग पर बैठाया और खुद सोफे पर जाकर बैठ गया। बबलू ने सोफे पर अपने साथ बैठे राज का परिचय बिंदिया से करवाया। राज सोफे से उठा और बिंदिया के पास पलंग पर जा कर बैठ गया। राज ने अपने होंठ बिंदिया के होठों से चिपका दिए। बिंदिया की नजर बबलू पर थी, बबलू ने उसे एक फ्लाइंग किस दिया। बिंदिया ने अपनी आंखे बंद की और राज ने बिंदिया के होठों को चूमना शुरू किया। (ये सब आशा के कहने पर ही हुआ, आशा ने बिंदिया को समझाया था की अगर बबलू चाहता है की तुम संभोग का संपूर्ण आनंद लो, तो तुम भी बबलू से कह देना की तुम्हारी उपस्थिति में ही मजे लूंगी और तुम्हे ही मेरे लिए एक साथी भी डूंडना होगा, जो तुम्हे लगता है की ये किसी औरत को अच्छे से चरम सुख देगा। जब बिंदिया ने बबलू के सामने ये शर्त रखी तो बबलू के पास कोई और विकल्प नहीं था। उसने राज को इस बात के लिए राजी किया, किसी और पर वो भरोसा नहीं कर सकता था। उसने राज को ऐसा करने की असली वजह नही बताई थी। उसने राज को ये बताया कि उसने बिंदिया से शर्त लगाई थी और वो जीत गया, बिंदिया को उसके सामने किसी दूसरे मर्द से चुदवाना होगा। राज तो था ही एक नंबर का चुदक्कड़, उसे तो मौका चाहिए था किसी को चोदने को, उसे मिल गया।) बिंदिया ने राज का चुम्बन में साथ नही दिया, राज भी समझ गया उसने तुरंत बिंदिया के कपड़े उतारने शुरू किए, बिंदिया के बदन पर सिर्फ पैंटी थी और राज बिंदिया के बूब्स से खेल रहा था। बिंदिया के छोटे बूब्स में राज ने भी कोई विशेष रुचि ली नही, उसने अपने आप को पूरा नंगा किया, फिर बिंदिया के बदन पर जो पैंटी थी वो भी उतार दी। बिंदिया और राज दोनो नंगे थे।
बबलू: बिंदिया, तुम्हे पुरे मजे लेना है।
राज: सच में मुझे तो ऐसी चुदाई में बिल्कुल भी मजा नही आता। इसलिए हमेशा मैं उन लड़कियों को ही चोदता हूं जो चुदाई के मजे लेने को तैयार हो। मुझे लगा तुम चुदाई का पुरा आनंद लेना चाहती हो, पर लगता है तुम चुदाई नही चाहती हो। (बिंदिया को उत्तेजित करने के लिए राज ने ऐसा बोला)
बिंदिया: नही.... रा...ज...
बबलू: इतना घबरा क्यों रही हो। तुम ये सोचो की मेरे साथ मजे कर रही हो, भूल जाओ की ये राज है, इसे कुछ देर के लिए बबलू ही समझो।
राज: (बिंदिया के पास आ गया) अपने बबलू को खुश नहीं करोगी। उसके लंड से नही खेलोगी। (राज ने बिंदिया का हाथ पकड़ के अपने लंड पर रख दिया।) तुम्हारा बबलू तुम्हारे प्यार के लिए तरस रहा है।
(राज के लंड को छु कर बिंदिया को लगा की सच में राज का लंड तो बबलू से लंबा भी है और मोटा भी, बिंदिया की नजर ना चाहते हुए भी राज के लंड पर चली गई। उसे आशा की बात भी याद आई की "तुम्हे बबलू के सामने दूसरे मर्द से ऐसे चुदवाना है की दूसरा मर्द तुम्हारी चुदाई की तारीफ करे बिना न रुके। आशा ने बिंदिया को बहुत सारी बाते भी बताई थी। अब बिंदिया धीरे धीरे मानसिक रूप से चुदाई के लिए तैयार हो रही थी) बिंदिया ने राज के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा, राज की हल्की सी आह निकली। बिंदिया ने राज को पलंग पर धकेला, राज पलंग पर गिर गया। बिंदिया राज के लंड को चाटने और चूमने लगी (आशा ने बिंदिया को समझा दिया था की मर्द को दीवाना करना है तो उसके लंड को अच्छे से प्यार करो) बीच बीच में वो राज के लंड को मूंह में भी ले लेती। राज ने इतनी बार चुदाई को थी पर हर बार वो लड़कियों के मुंह में लंड डाल कर झटके मारता था। पहली बार था जब राज का लंड कोई लड़की धीरे धीरे चूस और चुम रही हो। आशा ने बिंदिया को बता रखा था की लंड को प्यार करते हुए, लंड की तारीफ जरूर करना। बिंदिया भी बीच बीच में लंड की तारीफ करती, "ये बबलू(लंड) तो मस्त है", "तुम्हारे हथियार से खेलने का मजा ही अलग है।" बबलू तो इतना देख कर ही झड़ चुका था। राज ने कंडोम लगाया और बिंदिया को पलंग पर लेटा कर उसके ऊपर चढ़ कर बिंदिया की चुत में लंड डाल कर अंदर बाहर करने लगा। बिंदिया की चुत में लंबा और कड़क लंड जब सवारी करने लगा, बिंदिया मजे लेने लगी। बबलू की और देखते हुए, "ब...बलू..., बहु..त मजा.... आ.... रहा है। ऐसे ही चोदते रहो, आ.... ऊ.... ई..... ओह.....आ... ह।" बिंदिया कि चुत कसी हुइ ही थी, राज को चोदने में ज्यादा मेहनत करना पड़ रही थी। बिंदिया और राज दोनो थकने लगे थे। पर बिंदिया को आशा ने बोल रखा था की चुदाई जब तक करना है, जब तक शरीर साथ न छोड़ दे। बिंदिया ने राज को नीचे लेटाया और खुद राज के ऊपर चढ़ कर उसके लंड को अपनी चुत में डाल कर हिलने लगी। राज और बिंदिया दोनो अपने चरम पर जा कर शांत हुए। बिंदिया बहुत थक चुकी थी, बिस्तर पर ही लेट गई और उसे नींद लग गई। राज अपने कपड़े पहन कर चला गया। लगभग 1 घंटे बाद बिंदिया की नींद खुली, उसने देखा राज जा चुका है और बबलू उसके पास है।
बबलू: कैसी हो बिंदिया?
बिंदिया: जैसे चुदाई के बाद होना चाहिए, (बिंदिया ने बबलू को आँख मारते हुए कहा) अच्छा बताओ, कैसी लगी तुम्हे चुदाई?
बबलू: मस्त थी, तुम तो एक चुदाई में ही रण्डी बन गई। तुम बताओ, जीवनभर ये मजे लेना चाहोगी या नही।
बिंदिया: मेरे लिए चुदाई से बड़ा सुख प्यार का है। चुदाई तो कुछ पल के लिए है और प्यार हर पल के लिए।
बिंदिया ने इतना बोलते ही बबलू के होठों पर चुम्बन किया और बबलू के लंड को कपड़े के उपर से ही छूने लगी। बिंदिया तो नंगी ही थी, उसने बबलू का लंड कपड़ो से बाहर किया और लंड को चूमने और चूसने लगी, जैसे राज के लंड को प्यार कर रही थी। बबलू भी इस हरकत से उत्तेजित हो गया था, बबलू 1 घंटे पहले हो झड़ा था, इसलिए अबकी बार इतनी जल्दी नही झड़ने वाला था। बिंदिया ने बबलू का लंड मुंह में लिया था। बबलू का पुरा लंड बिंदिया के मुंह में था। बबलू अपने आप को रोक नही पाया और उसने बिंदिया का सर पकड़ लिया और उसके सर को आगे पीछे करने लगा, बिंदिया के मुंह की चुदाई करने में बबलू को मजा आने लगा। (आशा ने बिंदिया को बोल रखा था की लंड चूसने में दिक्कत बहुत आयेगी, पर पीछे मत हटना, तुम्हे बबलू के लंड की मलाई मुंह में लेनी है।) बबलू की उत्तेजना चरम पर पहुंची, उसने अपने आप को रोकने की नाकाम कोशिश की और उसकी पिचकारी बिंदिया के मुंह में चल गई। बिंदिया इसे सह नहीं पाई और उसे बड़ा अजीब लग रहा था, बाथरूम में भागी और उल्टी करने लगी। पहली बार में इतना कुछ कर लिया था, ये तो होना ही था।
बिंदिया: (बाथरूम से आई और बबलू को गले लगाते हुए) मुझे तुमसे और तुम्हारी चुदाई से कोई शिकायत नही है, मैं तुम्हारे साथ खुश हुं। अगर तुम्हे मेरे छोटे बूब्स से प्यार नही है तो कोई बात नही, मैं तुम्हे छोड़ दूंगी।
बबलू: (बिंदिया का हाथ पकड़ते हुए) मैने तुम्हारा हाथ छोड़ने के लिए नहीं तुम्हे चोदने के लिए पकड़ा है। मुझे मेरा सच्चा प्यार मिल गया है और बिंदिया तुम्हे आजादी है जब इच्छा हो, जहा इच्छा हो, जिसके साथ इच्छा हो चुदाई के मजे ले सकती हो। मुझे तुम्हारी बात समझ आ गई है की प्यार और चुदाई दोनो अलग है। ये तो जरूरी नहीं की आप जिस से प्यार करो सिर्फ उसी के साथ चुदाई करो या जिस से चुदाई के मजे ले रहे हो उसी से प्यार करो। चुदाई तो कुछ पल के लिए होती है, प्यार हमेशा के लिए रहता है।
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नमस्कार दोस्तों,

अब तक की कहानी में आपको सब से अच्छा भाग कौनसा लगा?
आगे कहानी में आप पाँच सहेलियों में से किसकी चुदाई सबसे ज्यादा देखना पसंद करोगे?
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(26-05-2022, 10:55 PM)Gpoint Wrote: नमस्कार दोस्तों,

अब तक की कहानी में आपको सब से अच्छा भाग कौनसा लगा?
आगे कहानी में आप पाँच सहेलियों में से किसकी चुदाई सबसे ज्यादा देखना पसंद करोगे?

Mujhe to sabhi acche lage Smile
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busy sir? waiting for update...
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(05-06-2022, 07:14 PM)Class123 Wrote: busy sir? waiting for update...

No update due to work load, will post update on 18 or 19 June. THANKS Namaskar
[+] 1 user Likes Gpoint's post
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पाँचो सहेलियों ने रितेश और जॉनी के साथ घूमने का प्लान बनाया। प्लान सुबह से शाम तक घूमने का था और रात को डिनर करके घर वापस। शनिवार सुबह सुबह 6 बजे सभी सात लोग कार से एक साथ निकल गए। लगभग 2 घंटे के सफर के बाद ये लोग एक छोटी सी पहाड़ी के पास पहुंचे। पहाड़ी के पीछे एक झरना था, सभी लोगो का मन था झरने के पास नहाने का। सब लोग उस पहाड़ी पर मस्ती करते हुए आगे बड़ने लगे। झरने से कुछ दूर ही थे की नेहा की नजर झरने में नहा रहे एक कपल पर गई। लड़का लड़की एक दूसरे की बांहों में थे। नेहा ने सबको इशारे से बताया और चुप रहने को कहा। रानू ने सबको छुप कर आगे का नजारा देखने को कहा। दिया और रितेश एक बड़े से झाड़ के पीछे छुप गए, ईशा और जॉनी पास में पड़े हुए बड़े से पत्थर के पीछे चले गए, आशा नेहा और रानू थोड़ा आगे बड़े और झाड़ियों के पीछे ज़मीन पर लेट गए। वो लड़का और लड़की अपनी मस्ती में मस्त थे, उन्हे पता ही नही था की कोई उन्हें देख भी रहा है। 2 मिनट बाद लड़की पानी से बाहर आई। लड़का इशारे से लड़की को वापस पानी में बुला रहा था, लड़की ने भी इशारे से मना कर दिया। लड़का पानी से बाहर आया और उसने लड़की को पीछे से पकड़ कर उसकी गर्दन को चूम लिया। लड़की ने खुद को लड़के से छुड़ाया और लड़के से बात करने लगी। दूरी ज्यादा होने से लड़का लड़की की बात कोई भी सुन नही पा रहे थे। लड़का लड़की के होंठ को चूमने लगा, लड़की ने उसे दूर किया और इधर उधर देखने लगी। लड़के ने लड़की को कमर से पकड़ के अपने से चिपका लिया और एक बार फिर अपने होंठ लड़की के होंठ पर रख दिए। लड़के ने लड़की को कस के पकड़ रखा था, लड़की ने कोशिश की छुड़ाने की पर वो छुड़वा नही पाई। लड़का लड़की के होंठो को चूमे जा रहा था। लड़की ने अब अपनी पकड़ ढीली कर ली थी। लड़की के हाथ लड़के के सर पर आ गए थे। लड़के ने लड़की के होंठो को चूमना बंद किया। लड़की ने अपने होंठ लड़के के होंठ पर रख दिए और दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे। लड़के का हाथ लड़की के बूब्स पर था और कपड़ो के उपर से ही लड़की के बूब्स मसलने लगा। लड़की को उत्तेजना बड़ने लगी थी। लड़की ने खुद अपना टॉप निकाल दिया और लड़के के मुंह को अपने बूब्स पर रख दिया। ये देख के रितेश और जॉनी दोनो के लंड कड़क हो गए थे। रितेश दिया के बदन को सहलाने लगा था। जॉनी ने अपना हाथ ईशा के बूब्स पर रखा। दिया ने रितेश का हाथ झटके से हटा दिया और उसे बोला की सबके सामने नहीं। ईशा जॉनी को घूरने लगी और उसे भी कुछ करने का मना किया। झाड़ियों के पीछे लेटी हुई लड़कियों की चुत भी गीली होने लगी थी। लड़के ने ब्रा के अंदर हाथ डाल कर लड़की के बूब्स को मसला, दोनो मजे ले रहे थे। लड़के ने फिर ब्रा निकाल दी। अब लड़का लड़की के बूब्स को चुमने लगा। लड़की ने लड़के को नीचे लेटने को कहा। लड़का लड़की दोनो जमीन पर लेट गए। लड़का लड़की की चुचियों को चूसने लगा। लड़की मदमस्त हो गई थी। लड़की ने लड़के के पजामे के ऊपर बने लंड के उभार को अपनी मुट्ठी में ले लिया। लड़का खुद के कपड़े उतारने लगा, खुद को नंगा करने के बाद लड़की को भी नंगा किया। लड़का लड़की को इस तरह से प्यार करते देख रितेश और जॉनी दोनो भी चुदाई के मूड में आ गए थे। पर सब लोगो के सामने कैसे करते। लड़की ने लड़के को साइड में किया और उल्टी होकर उसके लंड को चूसने लगी और लड़का लड़की की चुत चाटने लगा। जॉनी से रहा नही गया उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया।

ईशा: (धीमी आवाज में, गुस्से से) पागल हो क्या, तुम्हे मना किया समझ नही आता क्या?
जॉनी: तुम्हे कुछ नही करना कोई बात नही, पर मुझे तो मुठ मार लेने दो। तुम ही बताओ ऐसे चुदाई को देखते हुए कैसे खुद को रोक कर रखूं।
ईशा: (आग तो ईशा के अंदर भी लगी थी, पर सबके सामने वो चुदवाना नही चाहती थी) मुठ मारने में मैं तुम्हारी मदद कर देती हूं। (ईशा ने जॉनी का लंड पकड़ लिया और धीरे धीरे हिलाने लगी)
लड़के ने अपने लंड पर कंडोम लगाया और लड़की की चुत में लंड घुसाया। धीरे धीरे झटके देने लगा। लड़के ने अपना एक हाथ लड़की के मुंह पर रख दिया था, जिससे उसकी आवाज किसी को सुनाई ना दे। लड़के ने अपनी गति को तेज किया। दोनो जल्दी से चुदाई खत्म करना चाहते थे क्योंकि किसी के भी आने का डर था। ईशा ने भी जॉनी के लंड को हिलानेबकी गति बड़ा ली थी। लड़का लड़की झड़ चुके थे। ईशा ने तुरंत जॉनी का लंड हिलाना बंद किया और उसके लंड को खुद ने जॉनी के कपड़ो के अंदर कर दिया।
जॉनी: मैं अभी झड़ा नहीं हूं। थोड़ा और करो ना।
ईशा: कोई भी आ सकता है, अभी रिस्क ज्यादा है।
जॉनी कुछ नही बोला, उसे पता था ईशा अभी मानने वाली नही है। लड़का लड़की ने तुरंत से अपने कपड़े पहने और पानी के किनारे पर जा कर बैठ गए। आशा, रानू, नेहा उठी और वो भी पानी की और चल दी। इन तीनों की चुत भी गीली हो गई थी। तीनों लड़कियों को देख रितेश, दिया, जॉनी और ईशा भी अपनी जगह से निकल कर आगे आ गए। सबको आता देख लड़का लड़की वहा से उठ के जाने लगे। लड़की की नजर रितेश और जॉनी के कपड़ो में बने लंड के उभार पर गई, जल्दी से आगे बड़ गई। तीनों लड़कियों को भी इस बात का अहसास हो गया था की रितेश और जॉनी के लंड अभी भी कड़क है।
नेहा: मुझे तो गर्मी लग रही, मैं तो नहाने जा रही।
रानू: इतने हॉट शो के बाद नहाना तो बनता ही है।
सभी लोग पानी में जाकर नहाने लगे। पानी और मौसम ने उनके अंदर की आग को शांत करने के बजाय थोड़ा और भड़का दिया था। अपने अंदर जल रही कामाग्नि को शांत करने के लिए सब आपस में मस्ती करने लगे थे। रितेश सबकी नजर से बच कर दिया को छूने की कोशिश करता। मन तो दिया का भी हो रहा था की खुल के चुदाई का आनंद ले, पर सबके सामने कैसे करे ? जॉनी और ईशा भी इशारों इशारों में चुदाई की बाते कर रहे थे। तीनों लड़कियों ने उन्हें इशारे करते हुए देख लिया था। तीनों लड़किया पानी से निकल कर कपड़े बदलने चली गई। बड़े से पत्थर के पीछे जाकर कपड़े बदलने लगी जिस से कोई उन्हें देख ना पाए। जहा वो लोग कपड़े बदल रहे थे, वहा 3–4 इस्तमाल किए हुए कंडोम थे। जब भी वो लोग चुदाई से अपना दिमाग हटाने की सोच रहे थे, उन्हे कुछ न कुछ चुदाई से संबंधित मिल रहा था। सब लोग कपड़े बदल कर तैयार हो गए। 10 बज चुके थे, सब लोग वहा से निकले और नाश्ता पानी करने एक जगह रुके। जहा सब लोग नाश्ता पानी कर रहे थे,  वही पास में एक कुत्ता और कुत्तीया की चुदाई चल रही थी। सुबह की चुदाई की यादें धीरे धीरे सभी लोग भुलाने की कोशिश कर रहे थे, मगर इस कुत्ते और कुत्तीया की चुदाई ने फिर से उनकी यादें ताजा कर दी। रितेश और जॉनी दूसरी ओर आ गए, तभी उनकी नज़र एक औरत पर पड़ी जो मूतने के लिए पास वाले खेत के साइड में बैठी थी और उसकी मोटी गांड़ देख कर रितेश और जॉनी के लंड में हलचल होने लगी। जैसे तैसे दोनो ने अपने आपको संभाला और सब लोग नाश्ता कर के वहा से निकले। आगे वो पास ही के गांव में गए जहा हॉट बाजार लगता था। लड़कियों को तो शॉपिंग का जुनून रहता ही है। सभी लड़कियां खरीदारी में लग गई। रितेश और जॉनी बोर होने लगे थे। दोनो ने सभी लड़कियों से कहा की जब तुम लोगो की शॉपिंग खत्म नहीं हो जाती हम इसी दुकान पर है, तुम सब लोट कर यही आ जाना। लड़कियां फिर से शॉपिंग में लग गई। रितेश और जॉनी जिस दुकान के पास रुके थे उस दुकान पर एक गांव की महिला खरीदी करने आई, जब वो सामान लेने झुकी तो उसके ब्लाउज में से उसके बूब्स दिख रहे थे। जॉनी और रितेश दोनो की नजर उस औरत के बड़े बड़े बूब्स पर गई। थोड़ी देर में एक औरत और आई, वो भी सामान देखने के लिए नीचे झुकी। जब वो नीचे झुकी तो उसकी गांड़ ऊपर हो गई थी। उस औरत की स्थिति देख कर तो एक पल के लिए ऐसा ही लगा जैसे वो इन दोनो को गांड़ मारने का न्योता दे रही हो। दोनो औरते आपस में बात कर रही थी, जिस से ये समझ आ गया की दोनो साथ में है। जॉनी और रितेश को अगर मौका मिलता तो दोनो इस औरत के बूब्स को वही मसल देते और दूसरी औरत की गांड़ मार लेते। उत्तेजना के मारे रितेश और जॉनी के पसीने छूट गए थे। दोनों औरते उस दुकान से आगे बढ़ गई। रितेश और जॉनी ने चैन की साँस ली। दोनो चाहते तो नही थे की ये नजारा बंद हो, पर अपनी उत्तेजना को रोकने के लिए जरूरी था। रितेश और जॉनी की नजरे अभी भी उन औरतों पर ही थी, दोनो औरते 3 दुकान आगे ही थी। बाजार में कुछ मनचले लडको का झुंड भी आया हुआ था। उनमें से एक लड़के ने उस औरत की गांड़ पर हाथ फेरा जिसकी गांड़ के दृश्य ने रितेश और जॉनी को उत्तेजना को बढ़ाया था। जॉनी और रितेश ने उन लडको को उस औरत के साथ अश्लील हरकत करते हुए देख लिया था। उस औरत ने जब पीछे मुड कर देखा तो 7–8 लड़के दो अलग अलग झुंड में दिखे। वो औरत समझ गई की ये सब एक साथ के है और इनमे से किसी ने मेरे साथ अश्लील हरकत की है। उस औरत के चेहरे पर परेशानी साफ देखी जा सकती थी, क्योंकि उसे पता था की ये लड़के फिर से हरकत करेंगें। जॉनी और रितेश दोनो उस औरत के पास पहुंच गए थे। दोनो ने इस औरत को इशारा किया की वो आराम से सामान खरीदे, हम दोनो यही खड़े है। उस औरत को सुकून मिला और सामान खरीदने लग गई। रितेश और जॉनी वही खड़े रहे। जब उन दोनो औरतों  की खरीदारी पूरी हुए तो रितेश और जॉनी भीड़ वाले हिस्से से बाहर लेकर आए। दोनो औरतों ने धन्यवाद कहा और अपना परिचय दिया। मेरा नाम सुनीता (जिसके बूब्स बड़े थे) और इसका नाम बबिता (जिसकी गांड़ को देख के उत्तेजित हुए थे)। उन दोनो औरतों की उम्र लगभग 38–40 के लगभग थी। दोनो औरते जा चुकी थी और तब तक सभी सहेलियां आ गई थी। जब ये सब लोग बाजार से बाहर निकले तो उन्हे उन लडको का झुंड बाहर दिखा। वो झुंड रितेश, जॉनी और लड़कियों के करीब आया और घूरने लगे। तभी पीछे से किसी के चिल्लाने की आवाज आई और जब लडको ने पीछे मुड कर देखा तो सब घबराकर भाग गए। वो आदमी पास के गांव के जमींदार परिवार से था। उस आदमी के साथ सुनीता और बबिता भी थी।
जॉनी: जी शुक्रिया। ये लोग तो आप को देख कर ही भाग गए।
बबिता: अगले तीन दिन तक घर से निकलेंगे भी नही। छोटे मालिक का खौफ जो है। ये कुंवर बलवीर सिंह जी है।
सुनीता: मालिक इन दोनो लडको ने ही हमारी मदद की थी।
बलवीर: आप लोगो से मिलकर अच्छा लगा। आप लोग हमारे साथ हमारी हवेली चलिए, खाना हमारे साथ खाइए।
सब लोगो ने मना किया, पर बलवीर सिंह ने उनकी एक न सुनी और सबको अपनी हवेली पर लेकर आ गए। दोपहर के 1 बज चुके थे। बहुत ही बड़ी हवेली थी, सभी लड़कियां एक बहुत ही आलीशान रूम में रुकी। इस रूम में प्राइवेट पूल भी था। जॉनी और रितेश बलवीर के साथ हवेली के दूसरे हिस्से में थे।
दिया: इतना आलीशान पूल है, नहाना तो बनता है।
ईशा: मन तो मेरा भी हो रहा है, पर कपड़े कहा है, हम जो एक्स्ट्रा ड्रेस लाए थे वो तो सुबह झरने पर काम आ गई।
दिया: मैं तो नंगी जा रही हूं। यही कपड़े काम आ जाएंगे। इतना अच्छा मौका छोड़ना नहीं चाहती।
दिया की बात सुनकर बाकी लड़कियां भी तैयार हो गई। उन्होंने सुनीता और बबिता को बोला की तुम ध्यान रखना की रितेश और जॉनी अंदर ना आप जाए। सभी लड़किया नंगी होकर पूल में नहाने चली गई। बबिता जो सामन लेकर आई थी वो रखने गई, सुनीता वही रुकी हुई थी। लगभग आधे घंटे बाद सब लड़किया बाहर निकली और जल्दी से तैयार हो गई। तब तक रितेश और जॉनी भी आ गए थे। सबको भूख लगने लगी थी। रितेश को एक अर्जेंट कॉल आ गया था, वो वही रुक गया था। सुनीता बाकी सबको लेकर खाना खाने के लिए ले गई। बबिता ने सामन रखने के बाद, खाने की तैयारी में काम करने वालो की मदद कर रही थी। लगभग तैयारी पूरी होने के बाद बबिता सब लड़कियों को बुलाने के लिए आई, पर तब तक सुनीता उन लड़कियों को लेकर जा चुकी थी। इधर जब रितेश की बात पूरी हुए तो उसने भी उस आलिशान पूल को देखा और नहाने का सोचा। रितेश ने अपने कपड़े उतारे और खुद को नंगा किया। रितेश पूल में जाता उसके पहले ही बबिता का अंदर आना हुआ और उसने रितेश को नंगा देखा। रितेश और बबिता का मुंह एक दूसरे को देख कर खुला रह गया। बबिता तुरंत कमरे से बाहर आ गई। रितेश ने कपड़े पहने और खाना खाने के लिए चला गया। सब लोगो ने अच्छे से खाना खाया। बलवीर सिंह ने सबको आराम करने को कहा। इस आलिशान हवेली में कौन नही रुकना चाहेगा, सब लोग थक भी गए थे तो आराम करने रुक गए। रितेश को नींद नहीं आ रही थी, वो रूम से बाहर आया। रितेश ने सोचा की पूल में नहा लेता हूं। उसने दिया को बताया की वोह पूल में नहा जा रहा है। रितेश ने बबिता को जाते देखा, उसकी गांड़ देख कर उसे सुबह की याद आ गई और उसका लंड खड़ा होने लगा। वो बबिता के पीछे गया। बबिता हवेली के पास बने एक कमरे में अंदर गई, बबिता भी आज के दोनो हादसो से थोड़ी बैचेन थी, जल्दबाजी में उसने कमरे का दरवाजा नही लगाया। बबिता को जो आज दिन में अपने पति की मदद करने खेत पर जाना था। उसने सोचा ये कपड़े गंदे हो जाएंगे, पुराने कपड़े पहन लेती हुं। बबिता ने अपने कपड़े उतारे वो सिर्फ ब्रा पैंटी में थी, तभी रितेश का अंदर आना हुआ। बबिता चिल्लाने वाली थी की रितेश ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया।
रितेश: मैं तो दिन वाली बात के लिए तुमसे माफी मांगने आया था, मुझे नही पता था की तुम यहां कपड़े बदल रही हो।
रितेश का हाथ अभी भी बबिता के मुंह पर ही था। बबिता ने आज पहली बार किसी गैर मर्द को नंगा देखा था और आज पहली बार किसी गैर मर्द के बाहों में थी वो भी सिर्फ ब्रा पैंटी में। रितेश का दूसरा हाथ अब बबिता की पीठ पर था। रितेश ने बबिता की आंखों में देखा।
रितेश: आप मुझे गलत मत समझिएगा, आप बहुत सेक्सी है। आप किसी से कुछ मत कहिएगा, मैं यहां से जा रहा हूं।
रितेश जैसे ही दरवाजे के पास पहुंचा, उसने देखा सुनीता इधर ही आ रही है। वो दरवाजे के पीछे छुप गया। रितेश के चेहरे पर घबराहट देखी जा सकती थी।
रितेश: सुनीता इधर आ रही है। कुछ करो.. प्लीज.. आप के हाथ जोड़ता हूं।
बबिता भी नही चाहती थी की सुनीता उसे और रितेश को इस हाल में देखे। वो भी दरवाजे के पीछे हो गई। दरवाजे के पीछे से अपनी गर्दन बाहर निकल कर सुनीता से बात करने लगी। उसने जैसे तैसे सुनीता को वहा से रवाना किया। पर जब तक वो सुनीता से बात कर रही थी, उसने महसूस किया की उसकी गांड़ रितेश से चिपकी हुई है। रितेश का लंड भी कड़क हो चुका था, बबिता उसे आराम से महसूस कर पा रही थी। रितेश ना चाहते हुए भी अपने आप को रोक न पाया और हल्के हल्के से उसकी गांड़ पर अपना लंड रगड़ने लगा। रितेश ने कपड़े पहने थे इसलिए ज्यादा अच्छे से  वो बबिता की गांड़ पर अपना लंड नही रगड़ पा रहा था। सुनीता जैसे ही गई, बबिता ने दरवाजा बंद किया। रितेश ने बबिता को गले लगा कर शुक्रिया कहा, बबिता का ध्यान अभी भी रितेश के लंड पर ही था, जी अब उसकी चुत से टकरा रहा था।
रितेश: मुझे माफ करना, आपकी गांड़ ही इतनी सेक्सी है, मेरा मतलब है की आप है ही इतनी सुंदर की मैं अपने लंड को रोक ही नहीं पाया। आप जो सजा दो मुझे मंजूर है। (रितेश हाथ जोड़ते हुए घुटनों पर बैठ गया।)
बबिता का पति जब भी उसे चोदता था, उसके मूंह से हमेशा शराब की बदबू आती थी क्योंकि उसका पति चुदाई के पहले शराब ज़रूर पीता था। उसका पति अधिकतर उसे बिना गर्म किए ही चोदता था। उसे गर्म होकर चुदवाना पसंद था। बबिता रितेश के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर मन ही मन खुश हुई और उसकी चुत ने भी बगवात करना शुरू कर दिया था। बबिता ने रितेश का हाथ पकड़ के उसे उठाया।
बबिता: कोई बात नही, हो भी हुआ अनजाने में हुआ, आप इस बात को भूल जाओ। (बबिता की नजर रितेश के पैंट में बने उभार पर चली गई।) इसे शांत करके जाओ। बाहर किसी ने ऐसे देख लिया तो मुश्किल हो जाएगी।
रितेश: इसे आप ही शांत कर सकती हो।
बबिता: (घूरते हुए) जबान संभाल कर। (पर बबिता ने महसूस किया की उसकी चुत इस बात से और ज्यादा गीली हो गई है)
रितेश बाहर जाने ही वाला था की दरवाजे के बाहर से सुनीता की आवाज आई। एक बार फिर रितेश दरवाजे के पीछे था और बबिता की गांड़ उसके लंड से चिपक रही थी। रितेश ने अपना लंड बाहर निकाल लिया। बबिता रितेश के लंड को अच्छे से महसूस कर पा रही थी। सुनीता जा चुकी थी, बबिता को अपने आप को रोक पाना मुश्किल हो रहा था। दरवाजा बंद हो चुका था और रितेश का हाथ बबिता के बूब्स मसल रहा था। बबिता ने रितेश से बचने की नाकाम कोशिश की, धीरे धीरे उसका विरोध भी मंद होता गया। रितेश ने बबिता के होंठो को प्यार से चूमा। बबिता ने अपनी ब्रा निकाल फेकी। रितेश उसके बूब्स को प्यार से मसलता दबाता, चुचियों को चूसता। थोड़ी देर में बबिता और रितेश दोनो नंगे थे। रितेश ने बबिता की गांड़ में अपना लंड डाला, क्योंकि अभी उसके पास कंडोम नही था, जिस से वो बबिता की चुत को चोद सके। बबिता के पति ने पहले बबिता की गांड़ मार रखी थी, पर आज उसे गांड़ मरवाने में अलग ही मजा आ रहा था। रितेश बबिता की गांड़ पर अपनी हथेलियों से मारता और लगातार बबिता की गांड़ में लंड पेले जा रहा था। बबिता अपनी मादक सिसकरियों को रोक नही पा रही थी। रितेश भी अपनी पूरी ताकत से बबिता की गांड़ मारने में लगा हुआ था।
जब रितेश बबिता के पीछे आया था, उसके कुछ देर बाद जॉनी और ईशा भी कमरे से निकल चुके थे और दोनो उसी कमरे के पीछे थे जिसमे रितेश और बबिता थे। जॉनी और ईशा सिर्फ उन दोनो की बाते सुन पा रहे थे, उन्हे देख नही सकते थे। रितेश और बबिता की बातो ने ईशा और जॉनी को भी उत्तेजित कर दिया था। ईशा ने जॉनी के लंड को बाहर निकाला और मुंह में लेकर चूसने लगी। जॉनी ने ईशा की चुत में ऊंगली की और ईशा ने जॉनी के लंड को हिलाया। जॉनी और ईशा दोनो बबिता की सिसकरियों का आनंद ले रहे थे और उत्तेजित हो रहे थे। दोनो का चुदाई का मन तो बहुत कर रहा था। पर वहा खुले में नंगे होकर चुदाई करना संभव नहीं था, इसलिए दोनो ने एक दूसरे को हस्थमैथुन से ही स्खलित किया। रितेश भी बबिता की गांड़ में झड़ चुका था। 
जॉनी और ईशा जब कमरे से जा चुके थे, तो दिया ने सोचा की क्यों न रितेश के साथ एक बार पूल में मजे ले लो, रितेश भी खुश हो जायेगा। दिया पूल वाले रूम में गई। उस समय पूल में बलवीर सिंह था, दिया ने ये नही देखा की पूल में कौन है, उसने तो जल्दी से खुद को नंगा किया। दिया पूल में उतर गई और बलवीर को पीछे से हग किया। उसने जैसे ही बलवीर को देखा, उसे कुछ समझ ही नही आया। वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी,
दिया: वो.....मैं... मु.... झे....
बलवीर: आप शांत हो जाइए।
दिया: (आंखो में आंसु आ गए थे) मुझसे गलती हो गई। 
दिया नंगी पूल से बाहर निकली, दौड़ कर बाहर जाने लगी। जैसे ही बलवीर ने दिया को दौड़ लगाते देखा बलवीर एक दम से पूल से बाहर आया। गीला होने के कारण दिया फिसल गई, पर बलवीर ने उसे ज़मीन पर गिरने से बचा लिया। बलवीर ने दिया को अपनी बांहों में उठाया। दिया ने आंखे खोली, वो बलवीर की बांहों में थी। अगर बलवीर उसे नही बचता तो उसे बहुत जोर से लगती। बलवीर ने उसे रूम में ले जाकर नीचे बैठाया और खुद अपने घुटने को मसलने लगा। जब बलवीर पूल से एकदम निकाला था तो उसका घुटना कॉर्नर से टकरा गया था। बलवीर को दर्द हो रहा था। दिया को अफसोस हो रहा था की उसकी वजह से बलवीर को चोट लग गई। दिया ने बलवीर को सहारा देकर उठाया और पलंग पर लेटाया। दिया बलवीर के घुटने की चोट को देख रही थी, तभी उसका ध्यान बलवीर के लंड पर गया जो एक दम कड़क हो चुका था। जब दिया ने बलवीर को सहारा देकर उठाया तब दिया के बूब्स बलवीर के शरीर से रगड़ रहे थे। इसी बात ने बलवीर के लंड को खड़ा कर दिया था।
बलवीर: (अपने लंड पर हाथ रखते हुए) आप चले जाइए, मैं किसी को बुला लूंगा। (बलवीर उठने की कोशिश करने लगा)
दिया: रुकिए, आपको कोई इसे देखे अच्छा नहीं लगेगा, मैं आपको टॉवेल दे देती हूं। आप वो पहन लीजिए।
दिया जैसे ही टॉवेल बलवीर को देने लगी, बाहर से आवाज आई.. छोटे मालिक... आवाज सुनकर दिया घबराई और बलवीर के उपर गिर गई। बलवीर ने अपने नौकर को अंदर आने से मना किया और कहा वो आवाज देकर तुम्हे बुला लेंगे। दिया बलवीर की बांहों में थी। दो नंगे बदन एक दूसरे से चिपके हुए थे। बलवीर का लंड दिया की चुत पर दस्तक दे रहा था। दिया अपने आप को बलवीर से अलग करने लगी, पर बलवीर ने दिया की गांड़ को जोर से पकड़ कर दिया को अपने से चिपका लिया। बलवीर का कड़क लंड दिया की चुत में फसने लगा था। चुत को जैसे ही लंड का स्पर्श मिला, चुत गीली  होने लगी और चूचियां कड़क होने लगी थी। बलवीर ने दिया को पलंग पर लिटा दिया और बलवीर दिया के ऊपर चढ़ गया। दिया ने अपनी एक चूची पर बलवीर की जीभ को घूमता पाया और दूसरी चूची को उसकी उंगलियों के बीच में पाया। दिया बलवीर को रोकना चाहती थी। दिया ने अपना हाथ से बलवीर को रोकना चाहा, पर बलवीर ने उसका हाथ पकड़ के अपने लंड पर रख दिया। दिया ने जैसे तैसे बलवीर को अपने बूब्स और चुचियों से खेलने से रोका और अपना हाथ उसके लंड से हटाया। बलवीर झट से दिया की चुत को चाटने लगा, चुत पर हुए इस हमले ने दिया की कामवासना को बढ़ाया। दिया धीरे धीरे बलवीर के आगे समर्पण करने लगी। बलवीर ने दिया की चुत को बहुत अच्छे से चुदाई के लिए तैयार कर दिया था। अब दिया से भी नही रहा जा रहा था।
दिया: मेरी चुत में ऊंगली करो, मुझे शांत करो।
बलवीर: तेरी चुत की आग तो मैं अपने लंड से बुझाऊंगा।
दिया: नही, मैं तुम्हारा लंड अपनी चुत में नही ले सकती।
बलवीर: घबराओ मत, कंडोम लगा कर चोदूंगा तुझे।
बलवीर उस रूम में हमेशा कंडोम रखता था, क्योंकि वो उसकी अय्याशी का रूम था। बलवीर ने कंडोम लगाया और दिया की चुत में अपना लंड डाला।
दिया: आ... ह.... चो....दो...
बलवीर: मेरे लंड से अपनी चुत फड़वाएगी... (बलवीर दिया की चुत में लंड डाल कर रुक गया।)
दिया: हां.... फाड़ दो मेरी चुत... (दिया खुद अपनी चुत को हिलाने लगी।)
बलवीर ने दिया को चोदना शुरू किया, दिया ने बड़े मजे से बलवीर के साथ चुदाई की। दिया बलवीर से चुदाई के बाद अपनी सहेलियों के पास आ गई।
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