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Incest शालिनी दीदी
#21
(13-05-2022, 04:41 PM)neerathemall Wrote:
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[Image: 89833565_004_9eb4.jpg][Image: 89833565_007_508a.jpg]
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
[Image: 89833565_007_508a.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
[Image: 89833565_016_2583.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
[Image: 65791593_015_58b7.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
दीदी की बूर काफी गीली हो गयी थी…उईईईईई ओह्ह्ह्ह भाई जल्दी घुसा अपना लंड….

अब सही मौका था दीदी को चोदने का.. मैंने अपना लंड दीदी की बूर में पेल दिया. दीदी को काफी दर्द हुआ.. पर धीरे धीरे लंड पूरा बूर में घुस गया… उईईईईई माँ भाई तूने फाड़ दिया रे मेरी चुत… दीदी चिल्लाने लगी… ओह्ह्ह्ह मेरी जानेमन.. आज तो तेरा बूर का भोसड़ा बना दूंगा… देख तेरा भाई कैसा तेरी जवानी का मजा लूटता है..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
मैं धीरे धीरे दीदी को चोदने लगा.. मैं लम्बे लम्बे शॉट मार कर मजा ले रहा था … और दीदी काफी लाउड मॉनिंग कर रही थी… ओह्ह्ह्ह मेरे राजा भाई चोद अपनी दीदी…. बहुत दिनों से प्यास है भाई… लगा दे पूरा जोर अपनी दीदी को चोदने में…..

मैं भी जोश में दीदी को चोद रहा था.. उफ्फ्फ्फ़ मेरी शालिनी जानेमन कब से तेरी बड़ी बड़ी चूचियों और गांड ने मेरा लंड खड़ा किया है… आज मैं अपनी हवस पूरी करूंगा… ये ले खा अपने भाई का मोटा लंड…. दीदी भी हर शॉट के साथ चीख रही थी… आअह्ह्ह्ह मेरे राजा आ चोद अपनी बहन का बूर.. ओह्ह्ह दीदी मस्त बड़ी बड़ी चूचियां है तेरी… आह्ह्ह्हह भाई चोदे जा अपनी बहन को..
बहुत तेजी से मैं दीदी की बूर को चोद रहा था… दीदी भी जोश से मेरा साथ दे रही थी. उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को दबा दबा कर चोदने में जन्नत का अनुभव हो रहा था…. आह्ह्ह्ह दीदी आज से आप मेरी रखैल बन कर रहोगी…. उईईईईई मेरे भाई मैं तेरी रंडी हूँ जैसे चाहे चोद मुझे.. अब इस बूर का मालिक तू है… आ जल्दी मार मैं झड़ने वाली हूँ. थोड़ी देर बाद हमदोनो एक साथ झड गए. अब मैं शालिनी दीदी को डेली चोदता हूँ.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
दीदी ने हवस की आग को शांत किया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#28
मेरा नाम विक्की है, मैं मुंबई में जॉब करता हूँ. मेरी दीदी शालिनी, मुझसे २ साल बड़ी है. शालिनी दीदी ३० साल की एक कामुक महिला है. उनका रिसेंटली डाइवोर्स हो गया है. अब वो मेरे पास ही रहती है. दीदी मेरा बहुत ख्याल रखती है. घर के काम और खाना बनाना वही करती है.
शालिनी दीदी बहुत ही खूबसूरत लड़की है, उनका फिगर ३८-३०-४०. क्यू दोस्तों गरम हो गए ना दीदी का फिगर सुनकर. बड़ी बड़ी तरबूज के साइज की चूचियां, जो हमेशा ब्लाउज से बाहर आने को मचलते रहते है. दीदी की हाइट ५’८” है, वो किसी हाई फाई मॉडल की तरह तन कर चलती है, जिससे चूचियां पहाड़ की तरह निकल अति है. और ऊपर से उभरी हुई भारी चुत्तड़ कयामत ढाती है.
एक बार मैं अपने कमरे में मूवी देख रहा था, उसमे एक हॉट सीन देख कर गरम हो गया. और मैं मूठ मरने लगा. मेरा लण्ड ८” बड़ा है और काफी मोटा है. मैं आंख बंद करके मूठ मारने में बिजी था, उसी वक़्त दीदी रूम में आ गयी.
दीदी: विक्की क्या कर रहा है ये
मैं: ओह्ह्ह .. सॉरी दीदी…
दीदी: कोई बात नहीं भाई, तुम जवान हो गए हो, तुम हिला लो अपना लण्ड
दीदी: अरे भाई शर्मा मत.. मार ले मूठ
दीदी की बात सुनकर मैं चौक गया.. मेरा लण्ड अभी भी टाइट था. इसलिए मैं मूठ मारने लगा..
मैं: अह्ह्ह्हह्हह … सॉरी दीदी..
दीदी: कुछ नहीं भाई.. रुक मैं तेरी हेल्प करती हो
दीदी ने अपना साड़ी का पल्लू गिरा दिया. उफ्फ्फ्फ़ क्या नजारा था, क्लीवेज पूरा दिख रहा था. बहुत ही टाइट ब्लाउज पहना था दीदी ने, जिससे उनकी आधी से ज्यादा चूचियां नंगी थी….
दीदी: भाई… इन चूचियों को देख कर मूठ मार
मैं: अह्हह्ह्ह्ह… आआह्ह्ह… उफ्फ्फ दीदी क्या चूचियां है…
मैं बहुत तेजी से अपना लण्ड हिला रहा था. दीदी XXX Pic अपनी ब्लाउज का बटन खोलते ही जा रही थी. क्या बड़ी बड़ी चूचियां थी साली की…
मैं: आआह्ह्हह्ह्ह्ह… दीदी….. क्या आम है दीदी आपके… अह्ह्ह्हह
फिर मैं बहुत जोर से झडा. और बिस्तर पर लेट गया..
दीदी: भाई मजा आया की नहीं..
मैं: उफ्फ्फ दीदी बहुत मजा आया
दीदी: भाई तू मेरे होते हुए लण्ड मत हिलाया कर. तेरी दीदी तेरा ख्याल रखेगी
फिर दीदी वहा से चली गयी, और मैं दीदी की बातों का मतलब सोचने लगा. मैं इतनी बुरी तरह झडा था की नींद आ गयी.
दूसरे दिन सुबह मैं टीवी देख रहा था, और दीदी पोछा लगा रही थी. दीदी उस समय ब्लाउज और पेटीकोट में थी. उनका गदराया बदन किसी का भी लण्ड खड़ा कर दे. ब्लाउज का गला काफी बड़ा था, जिससे उनकी फुटबॉल जैसी चूचियों के दर्शन हो रहे थे. वो पूरी तरह पसीने से भीगी हुई थी. ब्लाउज चूचियों से चिपक कर उसे और सेक्सी बना रही थी. मेरे से रहा नहीं गया और फिर मैं मूठ मारने अपने कमरे में चला गया. मैं अपना लण्ड बाहर निकल कर मूठ मारने ही वाला था की मेरे पीछे दीदी भी मेरे कमरे में आ गयी.
दीदी: भाई मुझे पता है की तू मूठ मारने वाला है
मैं: हाँ दीदी, आपकी गदरायी जवानी देखकर कण्ट्रोल नहीं हो रहा है
दीदी: भाई.. तू मेरे होते मूठ मारे अच्छा नहीं लगता
मैं: तो क्या करू इस खड़े लण्ड का दीदी
दीदी: भाई बहुत जालिम लण्ड है तेरा, आ डाल दे इसे मेरी बूर में और बुझा ले अपनी प्यास
मैं: सच दीदी
मैं: हां भाई.. मैं भी प्यासी हूँ. आ चोद ले अपनी दीदी और बना ले अपनी रखैल
दीदी: उफ्फ्फ दीदी.. यू आर सो स्वीट
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#29
मैंने दीदी को अपनी ओर खींचा और किश करने लगा. मेरा हाथ पेटीकोट के ऊपर से दीदी की विशालकाय गांड को मसल रहा था. दीदी की हर साँस के साथ उनकी चूचियां ऊपर निचे हो रही थी.. उनकी गुलाबी होठो को खूब चूसा मैंने. अब मैंने दीदी की चूचियों को दबाने लगा.
दीदी: आआअह्हह्ह्ह्ह भाई… जोर से मसल इन्हे.. चूस डाल
मैं: दीदी इतनी बड़ी बड़ी चूचियां है आपकी… मजा आ रहा है दबाने में
दीदी: निचोड़ दे इन चूचियों को
मैंने दीदी का ब्लाउज खोल दिया. उनकी चूचियां फुटबॉल के साइज की थी. जिसे मैंने खूब चूसा और दबाया
मैं: बहुत मस्त बॉल है दीदी आपकी
दीदी: भाई.. जल्दी चोद ना मुझे .. अह्ह्ह्हह …आअह्ह्ह्हह
दीदी ने अपनी पेटीकोट उतरी और मेरे लण्ड पर बैठ गयी. लण्ड दीदी की बूर को चीरता हुआ पूरा अंदर घुस गया था…. दीदी ने अपनी दोनों टांगे मेरी कमर से लॉक कर दिया और मुझे हग करके चोदने लगी.
दीदी: आअह्ह्ह्हह. भाई….. फ़क मी भाई
मैं: दीदी चोद तो आप रही है मुझे.. आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह .. बहुत मजा आ रहा है
मेरा लण्ड बहुत तेजी से दीदी की बूर को चोद रहा था. फचच च .. फच्च की मधुर आवाज रूम में गूँज रही थी..
दीदी: भाईईईई … मजा आ रहा है अपनी दीदी को चोद कर
मैं: आअह्ह्ह्हह … दीदी आपकी जैसी माल अगर बिस्तर गरम करे तो मजा ही आ जाये
दीदी: फ़क मी विक्की .. चोद अपनी रखैल को..
मैं बहुत तेजी से दीदी को चोद रहा था. उनकी बड़ी बड़ी नंगी चूचियों को दबा दबा कर उनके साथ सम्भोग कररहा था
दीदी: अह्हह्ह्ह्ह भाईई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#30
मेरी दीदी शालिनी
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#31
घर पे सिर्फ दीदी थीं जोकि अपने कमरे में सो रही थीं. घर में बिल्कुल सन्नाटा था, सिर्फ सुबह की चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ें आ रही थीं… किचन भी बिल्कुल खाली पड़ा हुआ था.
तभी अचानक से इस शांति को भंग करते हुए किसी की हंसने की आवाज़ आई… जिसने सारे माहौल के सन्नाटे को भंग कर दिया. यह हंसी किसी और की नहीं, बल्कि मेरी दीदी शालिनी की थी. दीदी कैमरे में नज़र नहीं आ रही थीं, पर उसके हंसने की आवाज़ सुनाई दे रही थी.
थोड़ी देर बाद समझ में आया कि दीदी किसी से फोन पे बात कर रही थीं. तभी अचानक ज़मीन पर साया चलता हुआ किचन की ओर आता हुआ दिखाई दिया.
दीदी की आवाज़ भी रिकॉर्डिंग में तेज़ होने लगी थी. दीदी लिविंग रूम से किचन में आ रही थीं, वो अभी भी फोन पे किसी से बात कर रही थीं और बीच बीच में कहकहे लगा कर हंस रही थीं.
तभी अचानक दीदी कैमरे में दिखाई पड़ीं. ओ माय गॉड… दीदी को देखते ही मेरा मुठ मारके मुरझाया हुआ लंड फनफनाता हुआ खड़ा हो गया और लैपटॉप स्क्रीन पे दीदी को देख देख कर झटके लेने लगा. मेरी दीदी को देख कर में मॉम को भूल गया.
जैसा कि मैंने पहले ही बताया था दीदी दिखने में मॉम जैसी हैं, पर उनका फिगर मॉम से काफी बड़ा है.
दीदी ब्लू रंग की ब्रा और ब्लू रंग की जी स्ट्रिंग पहने हुए अपनी गांड मटकाते हुए किचन में दाखिल हुईं. दीदी के बड़े बड़े बूब्स ब्लू रंग की ब्रा में जकड़े हुए थे… ब्रा इतनी टाइट लग रही थी कि मानो बीच से अभी टूट जाएगी और दीदी के चुचे अभी ब्रा से बाहर कूद पड़ेंगे. चूचों के ऊपरी भाग साफ दिखाई दे रहे थे. जितने चुचे ब्रा के अन्दर थे, उतने ही ब्रा के बाहर भी दिखाई दे रहे थे. दीदी के दोनों चुचे बड़े और टाइट होने की वजह से बीच में इस तरह एक दूसरे से चिपके हुए थे कि दोनों चूचों के बीच एटीएम कार्ड स्वाइप करने जितनी जगह भी नहीं थी.
दीदी भी मॉम जैसी बहुत गोरी थीं… और नीले रंग की ब्रा में गोरे गोरे चुचे ऐसे सेक्सी लग रहे थे कि किसी सौ साल के बूढ़े का भी लंड खड़ा कर दे. दीदी की गांड का तो क्या पूछना, दीदी की गांड मॉम से काफी बड़ी थी और पीछे की ओर बहुत निकली हुई थी. दीदी की गांड देख कर तो अच्छा खासा आदमी पागल हो जाए. उनकी गोरी गोरी बड़ी गांड, उस पर क़यामत ये कि दीदी पेंटी नहीं पहनती थीं. वो जी स्ट्रिंग पहनती थीं… जिसके पीछे की और सिर्फ एक पतली डोरी होती है… जो कि दीदी की गांड की दरार के अन्दर छुपी हुई थी. जिससे दीदी की गांड की पहाड़ी बिल्कुल साफ नज़र आ रही थी.
उफ़… दीदी को तो देख कर ही लंड का पानी निकल गया दोस्तो. मुझे पहले ही अपनी किस्मत पर अफ़सोस हो रहा था कि मॉम जैसी सेक्स बम्ब को नवीन जैसा देहाती रंडी की तरह चोदता है. अब दीदी को देख कर तो अफ़सोस और ज्यादा होने लगा कि सारे समुन्दर मेरे पास हैं और मैं ही प्यासा घूम रहा हूँ.
बरहराल… दीदी चलकर किचन काउंटर के पास आकर खड़ी हो गईं और फोन पे बात करे जा रही थीं. मैं समझ नहीं पा रहा था कि फोन पर दूसरी तरफ कौन है… लेकिन उनकी बातों से लग रहा था कि दीदी की कोई फीमेल फ्रेंड है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#32
बात करते करते दीदी ने अपने दोनों हाथों की कोहनियों को किचन काउंटर पर टिका दिया और काउंटर पर थोड़ा झुक गईं. दीदी के चुचे काउंटर से टच होने लगे… और झुकने के कारण दीदी की गांड पीछे की ओर और भी ज्यादा बाहर निकल आई.
पीछे से चोदने के लिए इससे बेस्ट पोज़ हो ही नहीं सकता था. इंसान तो क्या कोई जानवर भी वहां होता तो न चाह कर भी उसका लंड खड़ा हो जाता और पीछे से दीदी की गांड पर चढ़ाई करके लंड गांड में घुसा देता.
दीदी इसी तरह झुके हुए एक हाथ में फोन पकड़ कर कान पे लगाए हुए बात कर रही थीं और दूसरे हाथ से किचन काउंटर पर उंगलियों से यूँ ही कुछ लिखे जा रही थीं.
दीदी- यार तेरा प्रमोशन हो गया, तूने बताया भी नहीं… प्रमोशन की तो ग्रैंड पार्टी लगेगी बॉस.
दूसरी तरफ से कुछ बात हुई होगी.
दीदी- वैसे ये अचानक प्रमोशन कैसे… विजिटिंग स्टाफ से परमानेंट स्टाफ… कुछ तो बात है!
दीदी- कुछ तो बात है… जो तू बता नहीं रही है… अगर नहीं बताना तो आज के बाद मुझे फ़ोन मत करना. तेरी मेरी दोस्ती यहीं तक… चल बाय…
ये बोल कर दीदी झूट मूठ का खामोश हो गईं. फिर दूसरी तरफ से पता नहीं क्या हुआ… दीदी दोबारा बोलीं- हाँ बोल… यहीं हूँ सुन रही हूँ… आ गई न लाइन पे… चल अब बता ये अचानक प्रमोशन कैसे…
थोड़ी देर दूसरी तरफ से सुनने के बाद दीदी अचानक चौंक उठीं- क्या बात कर रही है… ओ माय गॉड… सच में? आई कांट बिलीव दिस यार… तूने उस बुढ्ढे से चुदवा लिया?
यह कह कर दीदी का मुँह खुला का खुला ही रह गया. चुदाई जैसा बोल्ड लफ्ज़ दीदी के मुँह से सुन के मानो मेरे बदन में करंट दौड़ गया.
दीदी- ये हुआ कैसे यार… उस बुढ्ढे का खड़ा भी होता है क्या… साला ठरकी बुढ्ढा हरामी… उसको सेक्रेटरी किसने बना दिया.
यह कह कर दीदी हंसने लगीं. दीदी की हंसी के साथ दीदी के चूचे भी ख़ुशी के मारे उछलने लगे… उफ़ मन कर रहा था स्क्रीन में से ही खा जाऊं.
दीदी- चल इसी बहाने तू फिक्स स्टाफ तू हो गई स्कूल की… प्रमोशन का प्रमोशन मज़े के मज़े भी… मज़े से याद आया. अच्छा एक बात बता मज़ा आया कि नहीं तुझे… या बस ऐसे ही? क्या बात कर रही है… आधा घंटा उस बुढ्डे ने तुझे चोदा… ओ माय गॉड… तेरे तो मज़े हैं बॉस.
यह कहते हुए दीदी ने अपने होंठ दांत के नीचे दबा लिए.
दीदी- अच्छा प्रीति, एक मिनट रुक…
कहकर दीदी फ्रिज खोल कर उसमें से पानी निकाल कर लाईं और पीने लगीं.
मतलब वो प्रीति थी… दीदी की क्लासमेट. दोनों ने कॉलेज साथ में कम्पलीट किया था. वो अब आगरा में रहती है… वहीं किसी स्कूल में पढ़ाती है. उनकी बातों से ऐसा लग रहा था, जैसे प्रीति के सेक्रटरी ने प्रीति को प्रमोशन के बहाने चोदा है.
पानी पीने के बाद दीदी ने दोबारा फोन कान से लगाया- हाँ प्रीति अब बोल… कैसे हुआ कब हुआ. तू उस बुढ्ढे के लंड के नीचे कैसे पहुँच गई यार… तेरी बात सुन के तू मेरी भी चुत पानी छोड़ने लगी है.
दीदी की ये सब बातें सुन कर मेरे लंड में तूफ़ान उठ रहा था.
वहां से प्रीति सब बताने लगी. थोड़ी ही देर में दीदी के हाव भाव बदलने लगे. अब दीदी अपने एक हाथ से अपनी चूचियों को सहला रही थीं… और फोन पे ‘हूँ… हूँ…’ कर के प्रीति की बातों का मजा लिए जा रही थीं- वाओ… उसने तेरी चुत चाटी?? आव्स्म यार…!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#33
यह कहते हुए दीदी अपने हाथ को अपनी चुत पर ले जाकर पैंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगीं. दीदी आहिस्ता आहिस्ता गरम हो रही थीं. एक हाथ से फोन पकड़े हुए, आँखें मूंदे हुए… अपने होंठों को दांतों के नीचे दबा कर दूसरे हाथ से खड़े खड़े अपनी चुत को मसल रही थीं.
दीदी का यह अवतार बहुत ही खतरनाक लग रहा था. प्रीति वहां दूसरी तरफ से अपनी चुदाई की स्टोरी सुनाए जा रही थी. यहाँ दीदी की वासना बढ़ती जा रही थी. अब दीदी अपनी चुत को तेज़ तेज़ रगड़ने लगी थीं… मानो दीदी चुत को मसल कर रख देना चाहती हों.
दीदी एकदम गरम हो चुकी थीं. दीदी ने फोन को टेबल पर रखा और उसका स्पीकर ऑन कर दिया. अब प्रीति की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी… वो फोन पे अपनी चुदाई की कहानी सुनाए जा रही थी.
दीदी वहीं किचन में रखी चेयर पे बैठ गईं… और अपना एक पैर उठाकर क्रॉस करके चेयर की आर्म्स पर रख कर बाहर की तरफ लटका दिया जिससे दीदी की चुत एकदम साफ साफ दिखाई दे रही थी. चुत अभी पैंटी से ढकी हुई थी.
दीदी ने पैंटी का आगे का हिस्सा पकड़ कर साइड में सरका दिया… जिससे दीदी की चुत बिल्कुल नंगी हो गई… और अब चुत साफ साफ दिखाई देने लगी. दीदी की चुत हल्की ब्राउन रंग की फूली हुई डबल रोटी की तरह थी. दीदी की चुत की दोनों पंखियां और क्लिट दोनों बहुत गुदाज थीं. दीदी की चुत मोटी होने के बावजूद भी बाहर की ओर निकल रही थी. दीदी की चुत सच में बहुत बड़ी थी. दीदी की हथेली जितनी होगी.
दीदी अपनी दो उंगलियां वी शेप बना कर अपनी चुत के दोनों फांकों पर रख दीं और उंगलियों को फैला कर चूत को पूरा खोल दिया. जैसे ही दीदी की चुत खुली, मैं तो देख कर पागल हो गया. चुत के अन्दर का नजारा खून जैसा लाल था.
यह देख कर मेरी मुठ मारने की रफ़्तार तेज़ हो गई.
अब दीदी चेयर पर बैठी हुई फोन को स्पीकर पे डाल कर प्रीति की चुदाई की स्टोरी को सुन रही थी और अपनी चुत को सहलाए जा रही थीं. दीदी एकदम मस्त हो चुकी थीं, अपनी आँखें बंद करके बस अपनी चुत की रगड़ाई का मज़ा ले रही थीं. तभी दीदी ने अपनी दो उंगलियों को अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगीं… जिससे दीदी की उंगलियाँ गीली हो गईं. उन गीली उंगलियों को ले जाकर दीदी ने अपनी चुत में घुसा दिया और दीदी के मुँह से आह… की कराह निकल गई.
अब दीदी हल्की हल्की आह आह की आवाज़ के साथ अपनी उंगलियों से अपनी चुत को चोदे जा रही थीं. उंगलियां बहुत आसानी से चुत में आ जा रही थीं… ऐसा लग रहा था कि दीदी की चुत बहुत बड़ी है.
यहाँ दीदी अपनी चुत चोदने में मस्त थी… वहां फोन पे प्रीति अपनी चुदाई की स्टोरी सुनाए जा रही थी.
थोड़ी देर स्टोरी सुनाने के बाद प्रीति बोली- तू सुन रही है न… हैलो हैलो शालिनी कहाँ गई… हैलो… हैलो…
उधर शालिनी दीदी कहाँ सुनने वाली थीं… वो तू अपनी चुत चोदने में मस्त हो गई थीं. थोड़ी देर पूछने के बाद जब कोई रिस्पांस नहीं आया, तो फोन डिसकनेक्ट हो गया. वहां दीदी अपनी ही मस्ती में फोन डिसकनेक्ट होने से बेखबर अपनी चुत में उंगली अन्दर बाहर करके चोदे जा रही थीं.
दीदी की चुत बहुत सारा पानी छोड़ चुकी थी. उंगली से ही फच फच की आवाज़ आने लगी थी. साथ ही पानी निकल निकल कर ज़मीन पर टपक रहा था… दीदी की चुत कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी. मॉम से भी ज्यादा पानी निकल रहा था.
थोड़ी देर इसी तरह अपनी चुत चोदने के बाद दीदी एकदम पागल सी हो गई थीं और अपनी गांड उठा उठा कर उंगलियां घुसा रही थीं. ऐसा लगता था कि दीदी को बस अब लंड चाहिए था, जो उसकी चुत में घुस कर उसको कुतिया की चोद दे.
दीदी ज़ोर ज़ोर से कराह रही थीं- आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह आह फ़क मी… ओह…
दीदी से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
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#34
फिर अचानक दीदी उठीं और फ्रिज की और चल पड़ीं. फ्रिज खोला और कुछ ढूंढ़ने लगीं. जब दीदी फ्रिज से वापस लौटीं तो दीदी के हाथ में एक बड़ी साइज की ककड़ी थी. वो लेकर दीदी दोबारा चेयर पर वैसे ही बैठ गईं. फिर पता नहीं दीदी को क्या हुआ वो दोबारा फ्रिज की तरफ गईं और फ्रिज खोल कर कुछ और ढूंढ कर निकाला और दोबारा आकर चेयर पर वैसे ही बैठ गईं. इस बस दीदी के हाथ में ककड़ी नहीं थी… बल्कि एक बड़े साइज का करेला था. मैं समझ गया था कि दीदी को अपनी चुत में डालने के लिए ककड़ी जैसा स्मूद नहीं करेला जैसा डॉटेड सरफेस चाहिए.
दीदी मॉम से भी ज्यादा सेक्सी थीं. कुर्सी पर बैठने के बाद दीदी करेले को अपनी चुत पे रगड़ने लगीं… और नीचे से अपनी गांड उचका उचका कर करेला उस पर रगड़ रही थीं. थोड़ी देर इसी तरह रगड़ने के बाद दीदी ने करेले की नोक अपनी चुत के छेद पे रखी और एक ही झटके में आधा करेला अपनी चुत में घुसा दिया. दीदी ने इतनी तेज़ करेला चुत में घुसाया कि दीदी की चीख निकल गई ‘ओह ओह… आह…’
दीदी कसमसाने लगीं और अपनी गांड को चेयर पे रगड़ने लगीं. दीदी ने अपने दोनों हाथों से अपने बाल पकड़ लिए और चिल्लाने लगीं. करेला उसी तरह दीदी की चुत में फंसा हुआ था. करीब आधा करेला दीदी की चुत में घुस चुका था.
वाओ क्या नजारा था… दीदी की गोरी गोरी चुत, उसके बीच में हरे रंग का करके फंसा पड़ा था. करेले की पूंछ पीछे लटक रही थी… ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा चूहा दीदी की चुत में घुस रहा हो, जिसकी पूंछ बाहर लटक रही हो और दीदी अपने बालों को नोंच कर चिल्ला चिल्ला कर चूहे को अन्दर घुसने दे रही हैं.
माय गॉड… दीदी तो मॉम से भी ज्यादा हॉर्नी निकलीं. थोड़ी देर बाद दीदी अपने एक हाथ से अपने एक पैर को पकड़ कर फैलाने लगीं ताकि चुत थोड़ी और खुल जाए और दूसरे हाथ से दोबारा करेले को पकड़ सीत्कारियां लेते हुए उसको अपनी चुत में अन्दर बाहर पेलने लगीं ‘ओह फ़क… ओ माय गॉड… आह आह ओह…’
थोड़ी ही देर में दीदी की हाथों की रफ़्तार मशीन की तरह बढ़ गई थी और दीदी चेयर की पीछे की ओर गर्दन झुकाये हुए चिल्लाते हुए अपनी चुत चोदे जा रही थीं.
तभी अचानक दीदी ने एक झटके से करेला अपनी चुत से बाहर निकाला और दीदी की चुत से पानी का एक फव्वारा निकल कर सामने रखी फ्रिज और किचन टेबल पर गिरने लगा.
दीदी की ज़ोरदार चीख निकलने लगी- ओ माय गॉड… आह्ह… माय गॉड. फ़क… फ़क आह आह…
जैसे ही पानी का फव्वारा ख़त्म हुआ, दीदी ने झट से करेला वापस चुत में घुसा दिया. दीदी के चारों तरफ पानी ही पानी हो गया था जो दीदी की चुत से ही निकला था.
यह सारा नज़ारा देख कर मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी. मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था दीदी चुदाई के टाइम squirt भी करती हैं.
पूरा करेला दीदी के पानी में डूबा हुआ था… दीदी ने दोबारा करेला अपनी चूत में डाला और आहिस्ता आहिस्ता अपनी चुत को चोदने लगीं. थोड़ी देर इसी तरह चोदने के बाद दीदी का बदन अकड़ने लगा. अब दीदी झड़ने लगी थीं. दीदी तेज़ तेज़ अपनी गांड हिला हिला कर झड़ रही थीं और साथ ही वो करेले को तेज़ तेज़ चुत में अन्दर बाहर करने लगीं.
थोड़ी देर इसी तरह झड़ने के बाद दीदी सुस्त पड़ गईं और वहीं चेयर पे बे सुध होकर दोनों हाथ अपने बालों में डाले हुए हांफते हुए पड़ी रहीं.
करेला वैसे ही दीदी की चुत में अटका हुआ था. दीदी की चुत में अटका हुआ करेला बहुत सेक्सी लग रहा था. थोड़ी देर इसी तरह पड़े रहने के बाद दीदी ने करेला अपनी चुत से बाहर निकाला और वहीं किचन काउंटर पे रख दिया. अब वो अपने बाल बांधने लगीं, जो कि बिखर गए थे. बाल बांधते हुए दीदी ने फोन की तरफ देखा और मुस्कुराने लगीं.
“यार तू लकी है प्रीति… घर में भी चुदती है… बाहर भी चुदती है…” यह कहकर दीदी ने अपने आप को ठीक किया और अपना फोन लेकर गांड मटकाते हुए किचन से बाहर चली गईं.
ये सब देख कर मैं अब तक तीन बार मुठ मार चुका था. एक बार मॉम को देखकर, दो बार दीदी को देख कर. अब मैंने मॉम और दीदी दोनों को चोदने का मन बना लिया था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैंने लैपटॉप वगैरह बंद किया और अब मॉम और दीदी को कैसे चोदूँ, बस यही सब सोचने लगा. इसी सब सोच विचार में दिन गुज़र गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#35
Angry Shy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#36
ट्रेनिंग के बहाने भाई ने चोदा मुझे :- शालिनी

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#37
(18-05-2022, 01:18 PM)neerathemall Wrote:
ट्रेनिंग के बहाने भाई ने चोदा मुझे :- शालिनी


मैं शालिनी गोरखपुर उत्तरप्रदेश की रहने बाली हु, मैं बचपन से ही बड़ी शर्मीली किस्म की लड़की हु, अभी मेरी शादी को हुए ३ महीने ही हुए है, जब से मेरे पापा मेरे लिए रिश्ता देखने निकले तभी से मैं बहुत ही परेशान रहने लगी, की मैं अपने पति के सामने कैसे जाउंगी, वो भी जो अजनबी होगा, मैं ये सब सोच सोच कर मैं काफी परेशान रहने लगी, पर मैं ये बात अपने पापा मम्मी को कैसे बताती, धीरे धीरे मैं चुपचाप और खोई खोई सी रहने लगी, और सच तो ये है की मैंने इंटरनेट पे देखि की पहली बार सेक्स करने में सील टूटता है तो और भी मैं घबराने लगी. मेरे माँ पापा कई बार मुझसे मेरी उदासी के बारे में पूछा पर मैंने कभी भी सही उत्तर नहीं दिया,

पापा मम्मी मेरी शादी तय कर दिया और आके बताया की लड़का काफी अच्छा है जिम में ट्रेनर है, काफी पैसा बाला और लम्बा चौड़ा और बॉडी बिल्डर है, ये सुन कर तो मैं और भी डर गयी की अब क्या होगा मेरा, शादी के सिर्फ १५ दिन बचे थे, मम्मी पापा दोनों शॉपिंग करने के लिए वाराणसी चले गए मैं और मेरा बड़ा भाई जो २२ साल का है दोनों घर पे थे, मैंने हिम्मत करके अपने भाई को सब बात बताई की भैया मेरे साथ ये सब प्रॉब्लम है मैं काफी घबरा रही हु सुहागरात और सेक्स के नाम पे, तो मेरे भाई बोला कोई बात नहीं शालिनी ये तो रीत है संसार का सब लोग शादी में सेक्स करते है, फिर मैंने बोला भैया फिर आप ये बताओ सुनने में आता है की सील टूटता है और खून भी निकलता है अगर ज्यादा खून निकला तो, तो मेरा भाई बोला नहीं नहीं पगली ऐसी बात नहीं है ज्यादा खून नहीं निकलता है,
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#38
तो मैंने पूछा आपको कैसे पता भैया ज्यादा खून नहीं निकलता है तो मेरा भाई रमेश बोला अरे यार मैंने तो इंटरनेट पे देखा है और मै खुद भी आने मोहन चाचा की जो छोटी बेटी सिम्मी है उसको मैंने चोदा है, और अपने बड़ी बुआ की बेटी रागिनी उसको भी चोदा है थोड़ा ही खून निकला था, तुम डरो नहीं कुछ भी नहीं होगा, तो मैंने कहा नहीं भैया मुझे काफी डर लग रहा है, मैं तो मर ही जाउंगी सुनने में आया है की बहुत दर्द होता है, तो भाई बोला अगर तुम्हे ऐसा लगता है तो मैंने तुम्हे ट्रेनिंग दे सकता हु, अच्छा है आज रात माँ और पापा नहीं है वो लोग कल सुबह बाली ट्रैन से आएंगे. तो मैं राजी हो गयी बोली ठीक है, आज मैं भी अच्छे से ट्रेनिंग ले लेती हु ताकि कोई दिक्कत ना हो सुहागरात के दिन.
तो मैंने बक्से से माँ का लाल बाला साडी ब्लाउज और पेटीकोट निकाली, और शाम को अच्छी तरह से एक दुलहन के तरह तैयार हुयी, फिर मैं अपने कमरे में पलंग पे बैठ गई, मेरा भाई कमरे में आया, वो भी कुरता पाजामा और लाल टिका लगाए हुए दूल्हे की तरह लग रहा था, मैं भी दुल्हन की तरह घूंघट लेके बैठी थी, मेरी साँसे तेज चलने लगी पर मुझे इस बात का सकून था की मेरा भाई अजनबी नहीं है अगर कुछ हुआ तो मैं मना कर सकती दूंगी, वो अंदर आके बोला कैसी हो, घूघंट तो खोलो, मैं चुप रही और सर हिला के मना कर दी,
भाई : अब शर्माना कैसा
मैं: चुप रही
भाई: अरे अब तो हम दोनों को साथ साथ ज़िंदगी भर रहना है,
मैं: चुप रही
भाई: घूघंट तो खोलो मेरे से शर्माना कैसा,
फिर भाई ने घूघंट खोल दिया, मैं भाई को ऊपर सर कर के देखि वो बहुत ही सुन्दर लग रहा था, मुझे तो एक पल ऐसा लगा की वो मेरा भाई नहीं बल्कि मेरा पति ही है और मैं पत्नी.
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#39
भाई मेरे करीब बैठ गया और मुझे पकड़ लिया उसने मेरे होठ पे एक किश किया मेरे होठ लकपका रहे थे, मैं भी कांपते हुए होठ से भाई को चूम ली, भाई ने घूघंट को उत्त्तर के साड़ी के पल्लू को भी निचे कर दिया, मेरे सांस से मेरी छाती ऊपर निचे हो रही थी, भाई जब मेरी छाती को देखा तो वो देखता ही रह गया क्यों की मेरी दोनों चूचियाँ टाइट थी, और उभर काफी ज्यादा था, ऊपर से दोनों चूचियाँ सटने से नीच में रेखा खीच गयी थी, भाई ने दोनों चूचियों की दरार में अपनी ऊँगली घुसाई, मेरे तो रोम रोम खड़े हो गए, और वो फिर मुझे अपनी बाहों में भर लिया और अगले ही पल हम दोनों एक साथ बेड पे लेट गए,

धीरे धीरे वो मेरी ब्लाउज के हुक को खोल दिया और पीछे से मेरी ब्रा के हुक को भी, मुझे काफी शर्म आ रही थी मैंने अपने हाथो से अपने आँख को ढक ली पर भाई ने मेरे दोनों चूच को बारी बारी से दबाने लगा और कुछ ही पल में वो अपने मुह में ले लिया, मैं तो बस आआह आआआह आआआह और दांत पीसने के अलावा कुछ भी नहीं कर पा रही थी, फिर वो मेरे साडी को ऊपर उठा दिया और पेंटी भी खोल दी, फिर वो सरक के निचे हो गया और मेरी दोनों टांगो को फैला कर मेरे बूर को चाटने लगा, मुझे पहली बार एहसास हुआ की इसमें इतनी मजा है, मैं भाई के बाल को पकड़ के अपने बूर में चिपका ली और चटवाने लगी,[Image: 91210498_091_b82b.jpg]
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#40
[Image: 91210498_085_0f1a.jpg]
इतने में मैं अपने लाइफ में पहली बार झड़ी अजीब सा एहसास था उस समय, मेरे तो रोम रोम खिल गए और अपने आप मेरे होठ दांत के अंदर आने लगे, मेरी चूचियाँ तन गयी थी निप्पल पिंक हो गया था, मेरे गाल लाल हो गए थे, आँखे नशीली होने लगी थी, और मेरे भाई कभी बूर पे कभी चूच पे कभी कांख को कभी नाभि को चाट रहा था अपने जीभ से, उसका लंड काफी मोटा और कड़ा हो गया था उसने अपना लंड निकल के मेरे हाथ में पकड़ा दिया, मैंने उसके लंड को पकड़ के हिलाने लगी, अब मेरा भाई आअह उउफ्फ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ्फ़ करने लगा,[img]इतने में मैं अपने लाइफ में पहली बार झड़ी अजीब सा एहसास था उस समय, मेरे तो रोम रोम खिल गए और अपने आप मेरे होठ दांत के अंदर आने लगे, मेरी चूचियाँ तन गयी थी निप्पल पिंक हो गया था, मेरे गाल लाल हो गए थे, आँखे नशीली होने लगी थी, और मेरे भाई कभी बूर पे कभी चूच पे कभी कांख को कभी नाभि को चाट रहा था अपने जीभ से, उसका लंड काफी मोटा और कड़ा हो गया था उसने अपना लंड निकल के मेरे हाथ में पकड़ा दिया, मैंने उसके लंड को पकड़ के हिलाने लगी, अब मेरा भाई आअह उउफ्फ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ्फ़ करने लगा,[/img]





[img]इतने में मैं अपने लाइफ में पहली बार झड़ी अजीब सा एहसास था उस समय, मेरे तो रोम रोम खिल गए और अपने आप मेरे होठ दांत के अंदर आने लगे, मेरी चूचियाँ तन गयी थी निप्पल पिंक हो गया था, मेरे गाल लाल हो गए थे, आँखे नशीली होने लगी थी, और मेरे भाई कभी बूर पे कभी चूच पे कभी कांख को कभी नाभि को चाट रहा था अपने जीभ से, उसका लंड काफी मोटा और कड़ा हो गया था उसने अपना लंड निकल के मेरे हाथ में पकड़ा दिया, मैंने उसके लंड को पकड़ के हिलाने लगी, अब मेरा भाई आअह उउफ्फ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ्फ्फ़ करने लगा,[/img]
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