Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica मस्तराम की डायरी के पन्नों से........... ़
#1
स्थान -राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजस्थान


मेरा नाम मस्तराम है । मैं विद्यालय में बतौर प्रयोगशाला  सहायक के तौर पर सेवारत हूं।
यह विद्यालय प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक का है। विद्यालय की इमारत बहुत ही पुरानी ,1 मंजिली और साधारण स्तर की है। निकट के गांवों के लगभग 600 विद्यार्थी इस विद्यालय में अध्ययनरत हैं। अधिकतर विद्यार्थी गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के तबके से हैं। इन विद्यार्थियों की रुचि पढ़ने में बहुत कम और शरारतें करने में अधिक रहती हैं वहीं शिक्षक शिक्षिकाएं भी अध्यापन के बजाय स्टाफ रूम में चुगलियां करने में अधिक व्यस्त रहते हैं। आज विद्यालय के शिक्षकों में यह चर्चा चल रही है कि सरकार द्वारा किसी प्रतिष्ठित गैर सरकारी संस्था की स्वयंसेवी को इस विद्यालय में विद्यार्थियों के पथ प्रदर्शक के तौर पर नियुक्त किया गया है ताकि बच्चों में शिक्षा के प्रति रुझान पैदा हो। वह विद्यालय में अपना पद ग्रहण करने वाली है और इस संबंध में विद्यालय के हेडमास्टर श्री अरुण पांडे ने कल विद्यालय में होने वाली प्रभात की प्रार्थना में उनका परिचय सभी विद्यार्थियों व शिक्षकों से करवाने का फैसला लिया है। 

अगला दिन-
मैं आज विद्यालय बड़ी देर से पहुंचा। अब तक विद्यालय में नई मेंटोर का परिचय कार्यक्रम संपन्न हो चुका था। आज विद्यालय का माहौल कुछ अजीब सा लग रहा है। जो शिक्षक कभी हवादार स्टाफ रूम में हमेशा बैठकर गप्पे लड़ाते रहते हैं आज कोई भी शिक्षक स्टाफ रूम में नजर नहीं आ रहा है। प्राइमरी से लेकर तीसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए एक ही कमरा है जिसकी खिड़की पर बाहर की और कुछ 8 से 10 बड़ी कक्षा के बच्चे खड़े हैं और बारी-बार से उस खिड़की में से अंदर की ओर बड़ी ही बेसब्री से झांक कर देख रहे हैं। वह मैडम जिन्होंने आज पद ग्रहण किया था वह इस समय उसी कमरे में मौजूद थीं। मैं भी यही सोच कर हैरान हो रहा था कि आखिर उस मैडम में ऐसा क्या चुंबकीय आकर्षण है कि विद्यालय का माहौल इस तरह का बना हुआ है। तभी चपरासी हंसराज घंटी बजाता है जो कि पीरियड के बदलने का संकेत है और थोड़ी देर बाद मैडम उस कमरे से बाहर आती है। मैं अब पहली बार मैडम को देखता हूं। मैडम ने पीले रंग का सादा सलवार सूट पहना हुआ है जिस पर एक गुलाबी रंग का दुपट्टा अपने दाएं कंधे पर ओढा हुआ है। दुपट्टे पर किनारों पर पुष्प की कढ़ाई की कला बहुत ही आकर्षक व देखने लायक प्रतीत होती है। आकर्षक चेहरा, त्वचा का रंग औसत से कुछ अधिक गोरा , माथे पर छोटी सी श्याम बिंदी,  होठों पर दुपट्टे से मिलान करते हुए गुलाबी रंग की लिपस्टिक, आंखें बड़ी और चौड़ी व होठों पर सदा मुस्कान। वह मेरे पास से गुजर जाती है और मैं भी हल्की मुस्कुराहट से उनका अभिवादन करता हूं। परंतु जो दृश्य देखकर मैं हक्का-बक्का रह गया वह था उनके स्तनों का आकार, उभार व आकृति। किसी मेज पर रखे विश्व मानचित्र के ग्लोब के समान गोलाई, बहुत ही सुडौल, आकार तो देखने से ऐसा लगता है कि मानो जितनी लंबाई चौड़ाई में उनका पेट विस्तृत है उतना ही विस्तार उनके वक्ष स्थान का भी है। स्तनों के उपहार का अंदाजा भी किस बात से लगाया जा सकता है कि एक औसत व मध्यम गले की कमीज में भी उनके स्तनों के बीचों-बीच पड़ने वाली रेखा के ऊपरी हिस्से का आभास हो रहा है। परिस्थिति चाहे कितनी भी साधारण क्यों ना हो , किसी का भी ध्यान उनके आकर्षक व कसावटी स्तनों पर अनायास एवं स्वतः  ही हो उठता है और कुछ पलों के लिए निगाहें उनके स्तनों पर ही अटक कर रह जाती है। नन्हे नन्हे कदमों के साथ चलते हुए भी उनके दोनों बोबों में  कंपन सी होती है और दोनों बोबे झटक झटक कर कभी ऊपर तो कभी नीचे की ओर हिलत-डुलते रहते हैं। कुछ समय के पश्चात जब मैडम मेरे पास से गुजर जाती है तो मैं मुड़कर एक बार उनके पश्च भाग की ओर निहारता हूं तो मेरी आंखें जैसे फटी की फटी रह जाती है। यदि उनके बदन का कोई हिस्सा आकर्षण के लिहाज से उनके स्तनों के साथ प्रतियोगिता कर सकता है तो वह है उनके नितंब। उनके खुले घने व करीने से सवारे गए बाल उनके नितंबों से कुछ ही ऊपर तक फैले हुए हैं। अत्युत्तम गोलाई ,बाहर की ओर शानदार उभार और ऐसा लगता है कि मानो कई कैलोरी की चर्बी से युक्त है उनका नितंब। नितंबों के उत्तम उभार के फलस्वरुप उनकी कमर काफी पतली  जान पड़ती है और जाहिर है कि मैडम अपनी इस शारीरिक बनावट को बनाए रखने के लिए गहन शारीरिक अभ्यास भी करती हो ंंंं। पैदल चलते हुए उनके दोनों बोबे कंपनशील अवस्था में जितना एक दूसरे के करीब-करीब हिलते हुए आभासित होते हैं वैसे ही उनके दोनों विशाल आकार के गोल व मांसल ढुंगे भी एक दूसरे के दूर क्षैतिज दिशा में कंपन करते हुए प्रतीत होते हैं। इससे पहले कि मैं उनके बेशुमार शारीरिक बनावट की माप का सही से अनुमान लगा पाऊं, वह मेरी आंखों से ओझल हो जाती है।
[+] 1 user Likes Sitman's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
वाह, मस्त शुरुआत!?
Like Reply
#3
clps clps
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#4
मैं मैडम के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक हूं। विशेषकर प्रभात में प्रार्थना काल के दौरान हुए उनके परिचय कार्यक्रम के संबंध में। इस हेतु मैंने प्रताप जी के साथ बात की। प्रताप जी प्राइमरी अध्यापक हैं, जो कक्षा 5 तक के बच्चों को पढ़ाते हैं। अभी स्टाफ रूम के बाहर बने एक बरामदे में कुर्सी पर बैठे हुए थे और मैं एक कुर्सी लेकर उनके पास बैठ गया एवं चर्चा प्रारंभ की। 
“क्या हाल है, प्रताप जी”- मैंने मुस्कुराते हुए पूछा।
“बस बढ़िया है, आप सुनाओ”- उन्होंने मुस्कुरा कर जवाब दिया।
“आप आज आए थे सुबह प्रार्थना में?”-मैंने पूछा।
“हां ,आया था”- उन्होंने उत्तर दिया।
“अच्छा यह बताओ जो नई वाली मैडम आई है, उनका परिचय होने वाला था आज, क्या वह संपन्न हो गया?”- मैंने रुचि लेते हुए पूछा।
“हां, हो गया और वाह! क्या नेक विचार हैं मैडम के, उन्हें सुनकर तो बहुत ही मजा आ गया”-उन्होंने रुचि लेते हुए जवाब दिया।
“अच्छा! क्या सिर्फ विचार ही शानदार हैं या कुछ और भी”-मैंने चुटकी लेते हुए पूछा।
“मतलब क्या है आपका”- वे झेंप कर बोले।
“ज्यादा शरीफ मत बनिए प्रताप जी, मैं जानता हूं जब प्राइमरी कक्षा में मैडम उन छोटे बच्चों के साथ थीं तो आपकी नजरों के बाण कहां-कहां निशाने लगा रहे थे?”-मैंने थोड़े सख्त लहजे में कहा।
“आप जानते भी हो कि क्या कह रहे हो”-उन्होंने भी थोड़ी सख्ती के साथ उत्तर दिया।
मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और मोबाइल की गैलरी में सेव की हुई कुछ तस्वीरें खोलकर प्रताप जी को दिखाई।
प्रताप जी वह तस्वीरें देखकर वह भोचक्के रह गए और थूक निकलने लगे।
“देखिए प्रताप जी, यहां शरीफ कोई भी नहीं है, ना तुम हो और ना मैं। बात यह है कि यह नई मैडम जहां जहां मौके फेंकती हैं, हमें बस उसे लपेटना है। जहां तुम लपेटते हो वह मुझे बताओ, और जहां मैं लपेटूं, वह आपको बताऊंगा।“- मैंने अपनी कुर्सी कुछ उनके पास खींचते हुए धीमी आवाज में कहा।
हम हम दोनों एक दूसरे के चेहरे की ओर देखते हुए ठरकी अंदाज में मुस्कुरा दिए। फिर प्रताप जी ने प्रार्थना सभा के दौरान  मैडम के परिचय संबंधी सारा वृत्तांत मुझे कह कर सुना दिया। इन तस्वीरों में ऐसा क्या राज था और उसके पीछे की क्या किस्से कहानी थी इसके बारे में मैं किसी और दिन आपको बताऊंगा। पहले प्रताप जी के द्वारा सुनाए गए वृतांत के आधार पर प्रार्थना सभा में जो परिचय प्रोग्राम हुआ था, उस किस्से को शुरू करता हूं।
सवेरे के करीब 7:00 बजे विद्यालय में प्रार्थना सभा चल रही है। विद्यालय के मैदान में सभी कक्षाओं के लगभग 300 से 350 विद्यार्थी अनेक कतारों में खड़े हैं। प्रत्येक कक्षा की अलग-अलग कतार है। लड़कियों की कतारें अलग है। अधिकतर लड़कों ने खाकी रंग की पेंट, हल्के नीले रंग की पोशाक पहनी हुई है जबकि लड़कियों ने नीले रंग की कुर्ती और सफेद रंग की सलवार जो कि विद्यालय के ड्रेस कोड के अनुरूप है परंतु सभी लड़कों में अनुशासनहीनता साफ झलक रही है ।कतारें बेतरतीब हैं, बहुत से बच्चों ने तो विद्यालय की ड्रेस पहनी भी नहीं है, कोई पुराने गंदे जूतों तो कोई हवाई चप्पल में भी विद्यालय में पहुंचा है, लड़कों की कमीज उनकी पेंट से बाहर है, कमीज़ों पर कई जगह सिलाई के निशान है और बदन पर उनके कपड़े ऊंचे ऊंचे से और कसे हुए से दिख रहे हैं जैसे कि वे किसी पुरानी ड्रेस को ही बार-बार सील कर अपना काम चला रहे हैं। सामने कुछ मीटर की ऊंचाई पर बने चबूतरे पर 4 कॉलेजी लड़कियां प्रार्थना की पंक्तियां गा रही है और बाकी सभी कॉलेजी बच्चे उनकी गाई हुई एक-एक पंक्ति को दोहरा रहे हैं। चबूतरे पर एक साधारण सा लकड़ी का बक्सा रखा हुआ है जिस पर माइक को सेट किया गया है। हेड मास्टर साहब चबूतरे के ऊपर एक और खड़े हैं, सभी शिक्षक शिक्षिकाएं चबूतरे के नीचे दाईं और खड़े हैं एवं बाईं और नई मैडम एक तरफ खड़ी हैं और उन्हीं के पीछे कुछ दूरी पर विद्यालय का गृह व्यवस्था कर्मचारी खड़े हैं। प्रार्थना के गायन को लेकर कोई भी गंभीर नहीं दिख रहा है, लड़के आपस में ही हंसी मजाक कर रहे हैं। बाईं ओर की कतारों में खड़े कुछ बड़ी कक्षा के बच्चे मैडम की ओर टकटकी लगाए हुए हैं शायद उन सब ने अपने जीवन में ऐसी अप्सरा रूपी नारी कभी नहीं देखी होगी एवं जो गृह व्यवस्था कर्मचारी हैं जिनमें माली , बावर्ची, सफाई कर्मचारी इत्यादि हैं जिनका काम विद्यालय के रखरखाव से संबंधित हैं और जो निम्न आय वर्ग के लोग हैं, वे लोग सबसे बेहतर स्थिति में है क्योंकि उन्हें मैडम के नितंबों का दीदार पूरी प्रार्थना काल के दौरान करने का अवसर प्राप्त हुआ है। प्रार्थना गान समाप्त होते ही हेड मास्टर साहब माइक पर आकर सभी को संबोधित करते हैं।
“प्यारे बच्चों,  आज का दिन हम सबके लिए बहुत ही खुशी का दिन है। हमारे विद्यालय का यह सौभाग्य है कि हमें एक बहुत ही नामी-गिरामी संस्था की सेवा प्राप्त करने का शुभ अवसर मिला है। इस गैर सरकारी संस्था का नाम है चिल्ड्रंस विशिंग वेल (Children Wishing Well) जो कि दिल्ली में स्थित है। इसी संस्था के जरिए देश के बहुत से बच्चों को विशेषकर कॉलेजी बच्चों को शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में विकास की ओर मार्ग प्रशस्त करने हेतु एक नई दिशा प्रदान कर चुकी आंचल मैडम ,जो कि आज हम सबके बीच मौजूद हैं, और जो आज से इस विद्यालय के नए मेंटोर के रूप में  आप सभी बच्चों को गाइड करेंगे तो जोरदार तालियों के साथ हम सब मैडम का स्वागत करते हैं।“
बच्चों ,अध्यापकों व अन्य सभी कर्मचारियों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच आंचल मैडम उस चबूतरे की ओर चलना प्रारंभ करती है ।चबूतरे पर चढ़ने के लिए आगे के कोने में बड़े-बड़े पत्थरों की बनी सीढ़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है ।आंचल मैडम जिन्होंने ऊंची एड़ी के काले रंग के सैंडल्स पहने हुए हैं, सीढ़ियों पर चढ़ते वक्त कुछ असहज सा महसूस करती है। कुल 10 बड़े बड़े पत्थर के ब्लॉक की सीढ़ियां बनाई गई है जिनमें से कुछ ब्लॉक तो 15 इंच की ऊंचाई पर हैं तो कुछ 20 इंच की ऊंचाई तक के है। इतनी ऊंचाई की सीढ़ियां और अनियमित निर्माण के चलते चढ़ते समय मैडम अगर एक पैर सीढ़ी पर रखती है तो फिर दूसरा पैर भी उसी सीढ़ी पर रखना पड़ता है। जब मैडम पहला पैर सीढ़ी पर रखती है तो उनके दोनों ढूंगे और भी ज्यादा फैल जाते हैं और जैसे ही दूसरा पैर उस सीडी पर रखती है तो बहुत ही कामुक अंदाज में दोनों ढूंगे दाएं बाएं लहराते हैं एवं दोनों बोबे किसी स्प्रिंग की भांति ऊपर- नीचे झटके लेते हैं ।भले ही उनके द्वारा पहना हुआ सलवार कमीज कितना ही भद्र और शालीन क्यों ना हो ,परंतु वह उनके बड़े स्तनों एवं नितंबों की बेहूदगी  को रोक पाने में विफल हैं। उन सीढ़ियों पर चढ़ते हुए आंचल मैडम की स्थिति ऐसी है कि उनके बाएं और कॉलेजी बच्चों की कतारें हैं, एकदम पीछे विद्यालय के गृह व्यवस्था कर्मचारी हैं, सामने व चबूतरे के दूसरी ओर अन्य शिक्षक शिक्षिकाएं हैं, दाएं और तिरछी तरफ चबूतरे पर खड़े हेड मास्टर और वे चार लड़कियां जो प्रार्थना को गा रही थीं, है। पास के पेड़ों पर कोयल की कू कू और छोटे बच्चों की कतारों में से आते शोर के अतिरिक्त हर कोई मौन एवं स्तब्ध है और इस शानदार दृश्य का आनंद उठा रहे हैं। मध्य की कतारों में प्राइमरी से पांचवी कक्षा तक के बच्चे हैं, जो अपनी ही धुन में रमे हुए हैं और कुछ मैडम की मुस्कुराते चेहरे को मासूमियत से टुकुर-टुकुर निहार रहे हैं। मध्य कतारों के दाएं और की कतारों में छठी से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चे हैं जो मैडम के बाय ढूंगे का पूरा हिस्सा, दाएं ढूंगे का आधा हिस्सा एवं बाएं बोबे की साइड वाली गोल व चर्बी युक्त बाहरी आकृति को देख पा रहे हैं। इसी तरह मध्य कतारों की बाई और की कतारों में नौवीं से बारहवीं तक के कक्षा के बड़े बच्चे हैं जो कि मैडम के बाएं बोबे का पूरा हिस्सा, दाएं बोबे का आधे हिस्से की बाहरी आकृति एवं बाएं ढूंढे की साइड वाली बनावट को देख पा रहे हैं। इसी प्रकार सामने के शिक्षक दूर से उनके स्तनों की बेहतरीन फुलावट का मजा उठा रहे हैं। हेडमास्टर दाईं- तिरछी ओर से मैडम के स्तनों एवं दाएं ढूंगे के उभार को ताड़ रहे हैं, तो वही पीछे कार्य गृह व्यवस्था कर्मचारी मैडम की नितंबों की हरकतें देखकर अपनी लार टपका रहे हैं। थोड़े समय में आंचल मैडम उस माइक तक पहुंचती है और अपना भाषण देना प्रारंभ करती है।
“गुड मॉर्निंग प्यारे बच्चों”- मैडम ने  मुस्कुराहट से कहा।
“गुड मॉर्निंग मैडम”- बच्चों ने एक सुर में जवाब दिया।
“अच्छा बताओ, वह बच्चे हाथ उठाओ जिनका पढ़ाई लिखाई में मन लगता है”- आंचल मैडम ने पूछा।
इस प्रश्न के जवाब में कुछ 10 12 बच्चों ने ही हाथ उठाए।
मैडम थोड़ी देर हंसी और फिर दूसरा प्रश्न किया-“चलो कोई बात नहीं, अब वह बच्चे हाथ उठाओ जिनका खेलने कूदने में मन लगता है”
कुछ 10 से 12 बच्चों को छोड़कर लगभग सभी बच्चों ने अपने हाथ इस प्रश्न के उत्तर में खड़े कर दिए। उनके बीच में कुछ बच्चे दलीलें देने लगे।
“मैडम, हमारा मन तो गिल्ली डंडा में लगता है”
 “नहीं मैडम, पिट्टू पिट्टू में भी लगता है” “नहीं ,लंगड़ी टांग में भी”
 यह सुनकर पूरा वातावरण ठहाकों से गूंज उठा। मैडम को भी इस बात पर हंसी आ गई। फिर मैडम ने अगला प्रश्न किया- “अच्छा वह बच्चे अब हाथ उठाओ जिनका पढ़ाई लिखाई में भी मन लगता है और खेलने कूदने में भी लगता है।“
इस प्रश्न के उत्तर में कोई भी हाथ नहीं उठा। फिर आंचल मैडम ने कहना शुरू किया। 
“जरा सोचो, कितना मजा आएगा जब हम खेल कूद कर और मनोरंजन के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई भी करें। हर बच्चा अलग है और अपने आप में ईश्वर की एक अनोखी कृति है। किसी को खेलना अच्छा लगता है तो किसी को पढ़ना, किसी को गाना अच्छा लगता है तो किसी को डांस करना, किसी को चित्र बनाना पसंद है तो किसी को अभिनय करना पसंद है। चिल्ड्रंस विशिंग वेल इनिशिएटिव के द्वारा हर बच्चे को ढेर सारी नई चीजें सीखने का मौका मिलता है और वह भी उन्हीं की विश के अनुसार। मतलब विश आपकी होगी और मेरा काम है आपकी विश पूरी करना बशर्ते कि इस विश से आपको कुछ नया सीखने को मिले या किसी चीज को एक नए तरीके से सीखने को मिले। इस इनीशिएटिव से हर बच्चे की विश भी पूरी होगी और साथ में पढ़ाई लिखाई भी हो जाएगी। है ना अच्छी बात!-मैडम ने प्यार भरी नजरों से सभी बच्चों की ओर देखते हुए कहा।
[+] 2 users Like Sitman's post
Like Reply
#5
यह एक कभी ना खत्म होने वाली लंबी कहानी है अगर पसंद आए तो लाइक जरूर करें
[+] 1 user Likes Sitman's post
Like Reply
#6
Keep your adrenaline high.
Join the telegram channel- FROM THE DIARIES OF MASTRAM
Get further updates
Like Reply
#7
अगले दिन, हेडमास्टर साहब अपने कमरे में आंचल के साथ कुछ सामान्य चर्चा करते हैं। हेड मास्टर साहब के डेस्क के दूसरी ओर एक कुर्सी पर बैठी आंचल और उसकी नीले रंग की कुर्ती जिस पर छोटे-छोटे सफेद रंग के गोलाकार डॉट्स डिजाइन किए गए हैं, हेड मास्टर के उबाऊ से कमरे में एक नई जान फूंकने का काम कर रही है।
॑मैडम आपका रिकॉर्ड तो वाकई में प्रशंसनीय है। 23 साल की उम्र में ही आप Children Wishing Well से जुड़ी और 2 सालों में ही आप एक प्रतिष्ठित पद पर पहुंच गई हैं, इस अभूतपूर्व सफलता के लिए आपको बधाई’’- हेड मास्टर ने अभिवादन करते हुए कहा।
“धन्यवाद सर, दरअसल बचपन से ही मुझे बच्चों से बहुत लगाव रहा है। बहुत दुख होता है जब पढ़ने लिखने की उम्र में आज देश के हजारों बच्चे काम करने को मजबूर हैं। यही तमन्ना है कि ये बच्चे कॉलेज में रह कर अपने जीवन को सही दिशा दे पाए। आज की ऐसी विषम परिस्थितियों से लड़ने के जुनून ने ही मुझे एक एनजीओ ज्वाइन करने के लिए प्रेरित किया लेकिन मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मैं शिक्षा विभाग, राजस्थान की मेंटोर के पद पर नियुक्त कर दी जाऊंगी। इस विद्यालय में जहां बच्चों की अनुपस्थिति शायद सर्वाधिक है इसलिए इस विद्यालय को एक चुनौती के रूप में मैंने स्वीकार करने के लिए चुना है।‘’-आंचल बोली।
“लेकिन यहां के बच्चों को कॉलेज तक खींच पाना आपके लिए आसान नहीं होगा क्योंकि ये बच्चे बड़े ही जिद्दी हैं और इनमें से कुछ तो ज्यादा ही शरारती हैं''- हेड मास्टर बोले।
“वह सब आप मुझ पर छोड़ दें। सर, मेरे पास अपनी कुछ योजनाएं हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि ये बच्चे अपने आप को कॉलेज में आने से रोक नहीं पाएंगे।‘’- आंचल ने विश्वास के साथ जवाब दिया।
“मुझे विश्वास है कि आप कर सकती हैं। बहरहाल आप के कार्यालय में साफ सफाई का काम खत्म हो गया है एवं आपके रहने के लिए सरकारी आदेशानुसार एक बंगले का इंतजाम भी कर लिया गया है।आपकी एवं आपके घर की देखभाल के लिए हमने कुछ पर्सनल स्टाफ को नियुक्त किया है। आज से आप औपचारिक रूप से अपना पद ग्रहण कर सकती हैं।‘’- हेड मास्टर ने कहा।
आंचल ने उन्हें धन्यवाद दिया।
आंचल का पद अन्य सभी शिक्षकों से उच्च है। इस कारण उसे विद्यालय में एक अलग चेंबर प्रदान किया गया है। वह सभी शिक्षकों को आदेश दे सकती हैं। इतना ही नहीं, आंचल को एक बंगला भी आवंटित किया गया है एवं उन्हें उनका निजी स्टाफ भी प्रदान किया गया है। उनका नौकर आत्माराम, उनका माली चुन्नी, उनका बावर्ची ओमप्रकाश, उनका ड्राइवर बागा एवं उनके बंगले के चौकीदार सोनू व मोनू। इन लोगों के रहने की व्यवस्था भी बंगले के बाहर एक बड़े से हॉल में डोर मेट्री के रूप में की गई है। इसका अर्थ यह है कि कि आंचल  घर में चौबीसों घंटे इन छह नीचे तबके के नौकरों से घिरी रहेंगी। आंचल का नौकर आत्माराम एक 14 साल का पतला एवं नाटा सा लड़का है। उसका माली चुन्नी 40 साल का अधेड़ आदमी है। वह बिहार से है। उसका चेहरा सांवला,  सिर से गंजा और बड़े पेट वाला आदमी है। वह अधिकतर नंगे पांव ही रहता है। उसका ड्राइवर बागा, जो कि 24 साल का है, बड़ा ही धूर्त आदमी है और गुटके एवं पान का बड़ा शौकीन है। उसका बावर्ची ओम प्रकाश जो कि पास के कस्बे से आया हुआ एक 28 साल का देहाती आदमी है। वह अपने बड़बोले बन के लिए बड़ा बदनाम है।
दोनों चौकीदार सोनू और मोनू दोनों जुड़वा भाई हैं और बड़े ही नादान और नासमझ से हैं। साथ ही, बड़े डरपोक भी हैं। बहुत कम बोलते हैं और आंचल के सामने बड़े सकपकाए हुए से रहते हैं। इसका मतलब आंचल की दिनभर की हर गतिविधि से कोई ना कोई आदमी जुड़ा ही रहता है। जब आंचल सुबह सुबह दौड़ लगाती है या जिम में पसीना बहाती है या योग करती है अथवा कोई अन्य शारीरिक अभ्यास करती है तो आत्माराम, उनका नौकर, अपने पास तौलिया, पानी की बोतल, प्रोटीन जैसे सामान लेकर आंचल के पास ही खड़ा रहता है। फिर आंचल जब नहाने के बाद नाश्ते के मेज पर बैठती है तब तक ओमप्रकाश उनके लिए लजीज नाश्ते का प्रबंध कर चुका होता है और नाश्ता करने के दौरान वह आंचल के एक तरफ खड़ा रहता है। फिर ड्राइवर बागा उन्हें कार पर कॉलेज छोड़ कर आता है, दोपहर के भोजन के समय वापस कॉलेज से लेकर आता है फिर वापस छोड़ता है और शाम को कॉलेज की छुट्टी होने पर उन्हें कार से वापस घर लेकर आता है। समय-समय पर किसी चीज की जरूरत होने पर मंडी से सामान लेकर आने की जिम्मेदारी भी बागा पर ही है। फिर शाम को आंचल सभी नौकरों के साथ मैदान में कुछ ना कुछ खेलकर समय व्यतीत करती। यूं समझो कि सभी नौकरों की बल्ले-बल्ले हुई पड़ी है क्योंकि आंचल जैसी खूबसूरत जवानी के मजे लेने के उन्हें कई अवसर मिलते। आंचल का व्यवहार भी अपने नौकरों के साथ काफी दोस्ताना भरा रहता है।
[+] 1 user Likes Sitman's post
Like Reply
#8
Only half update is posted above. Join my telegram channel FROM THE DIARIES OF MASTRAM  to read the other half update .
Like Reply
#9
एक दोपहर, ओमप्रकाश बागा चुन्नी आत्माराम गोल घेरा बनाकर आपस में बतिया रहे हैं। आंचल इस समय कॉलेज में है। ये लोग बगीचे में किसी बड़े से पीपल के पेड़ की छांव में बैठे हैं।
बागा-“अबे सालों, सब के सब लंड खड़ा करके बैठे हो”
चुन्नी-“ तुम्हारी गांड काहे जल रही है बे”
सभी हंस पड़ते हैं।
ओमप्रकाश-“ गांड तो जलेगी ही ना भाई , इसको मौका जो नहीं मिलता है आंख सेंकने का”
हा हा हा
बागा-“ सालों तुम लोग तो मैडम की गांड में ही घुसे रहते हो और मैं पागलों की तरह मंडी की गलियों की खाक छानता रहता हूं”
ओमप्रकाश-“ सिर्फ गांड में घुसे ही नहीं रहते , उनके मम्मों पर लटके भी रहते हैं”
आत्माराम-“ तुम लोगों को शर्म नहीं आती, मेमसाब के बारे में गंदी बातें करते हुए”
बागा-“ क्यों बे तेरी मौसी लगती है क्या”
हा हा हा
आत्माराम-“ मेरे लिए तो मौसी जैसी ही हैं”
बागा-“ अच्छा! भला कैसे”
आत्माराम-“ देखा नहीं, कितनी फ्रेंडली है मैमसाब अपने साथ”
चुन्नी-“ ई बात तो सही है,मेमसाब हमारे साथ मालिक नौकर की तरह का रिश्ता नहीं रखती। हमसे हमारे बीवी बच्चों की सेहत का पूछती है। हमारे बच्चों की पढ़ाई के बारे में जानकारी लेती रहती हैं। आजकल कौन मालिक अपने नौकर के परिवार के बारे में इतना सोचता है”
ओमप्रकाश- “मेमसाब की आवाज कितनी सुरीली है। जी करता है कि बस उन्हें सुनते ही जाओ”
चुन्नी-“और मेमसाब हैं भी कितनी खुशमिजाज और मजाकिया टाइप की”
आत्माराम-“और नहीं तो क्या बिल्कुल मौसी की तरह अच्छी-अच्छी बातें भी सिखाती हैं कि कैसे हाथ धोना चाहिए, कैसे नहाना चाहिए, कैसे अपने शरीर व अपने कपड़ों की साफ-सफाई और आसपास की साफ सफाई का ध्यान रखना चाहिए, किस बीमारी में कौन सी दवा लेनी चाहिए। सब कुछ बड़े ही प्यार से समझाती हैं। मेरे लिए तो मेरी मौसी से भी बढ़कर है”
बागा-“आत्माराम वैसे तू बहुत लकी है”
आत्माराम-“कैसे”
बागा-“तेरे को उनके बेडरूम में घुसने का मौका जो मिल जाता है”
आत्माराम-“नहीं भाई बेडरूम क्या, मैं तो उनके लिविंग रूम तक भी नहीं जा सकता अगर मैडम इजाजत ना दे तो”
बागा-“अच्छा!”
चुन्नी-“ अबे लिविंग रूम, बेडरूम, बाथरूम यह तो बहुत पर्सनल होता है ना, हर कोई मुंह उठाकर थोड़ी ना चला जा सकता है वहां पर”
बागा-“अबे आत्माराम, तू तो व्यायाम के समय भी मेमसाब के साथ ही चिपका रहता है। यह बड़े-बड़े मम्मे और मोटी ताजी गांड इतने टाइट फिटिंग कपड़ों में इतने पास से आंखें फाड़ फाड़ कर देखता होगा। साला ये देखकर तो प्रेमचंद का भी खड़ा हो जाए”
आत्माराम-“ यार तुम लोग भी कैसी गंदी गंदी बातें करते हो मेमसाब के बारे में, मैं तो जा रहा हूं यहां से”
आत्माराम खीझकर उठकर वहां से चला जाता है।
ओमप्रकाश-“मैं इसको अच्छी तरह से जानता हूं। यह चाहता है कि मेमसाब की चूत मैं अकेले अकेले ही चाटूं और किसी दूसरे को जीभ भी ना लगाने दूं “
हा हा हा
[+] 2 users Like Sitman's post
Like Reply
#10
You are really an awesome to writer in both languages. Really enjoyed reading in both languages. Really excited to see how the story unfolds! Keep up the writing@!
Like Reply
#11
आत्माराम भले ही आंचल की शारीरिक मनमोहकता को नज़रंदाज़ करने की कोशिश करे, परंतु आंचल का आकर्षक शरीर उसकी इंद्रियों को कामुकता से भर देने में सफल हो ही जाता है। आत्माराम हर सुबह उसके कमरे के बाहर बैठकर मेमसाब के बाहर आने का इंतजार करते हुए सोचता है कि क्यों न एक बार हिम्मत करके किसी बहाने से अंदर जाकर मेमसाब को देख लूं। कभी कभी रात को सोने से पहले आंचल अपने बेडरूम के दरवाजे को खुला ही छोड़ दिया करती है। तब आत्माराम और भी बेकाबू हो जाता है। 
आत्माराम मेमसाब के साथ हुई पहली मुलाकात को याद करता है। आंचल रात को सोने से पहले अपने बेडरूम का दरवाजा बंद करना भूल गयी थी। दरवाजा आधा खुला था। आत्माराम थोड़ी हिम्मत जुटाकर दरवाजे के नजदीक पहुंचा और उसने दो बार हल्के से खटखटाया। अंदर से कोई उत्तर नहीं मिला। उसे कमरे के अंदर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। वह सोचता है कि क्या पता मेमसाब अपने कपड़े बदल रही हो या अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई हो या किसी अन्य आपत्तिजनक मुद्रा में हो। वह दोबारा दरवाजे को थोड़ा और जोर से खटखटाता है। अंदर से आवाज आती है।
“ कौन है”
आत्माराम –“ मेमसाब, आपका बैग ! बागा ने मुझे इसे आपको देने के लिए भेजा है”
थोड़ी देर बाद ही आंचल दरवाजा खोलती है। आंचल को देखते ही आत्माराम तो बस हक्का-बक्का सा रह जाता है। आंचल ने एक सफेद रंग की, बिना आस्तीन की साटन नाइटी पहनी हुई थी, जिसका कपड़ा बहुत ही महीन व आंचल के बदन पर काफी खुला-खुला सा लग रहा था। आंचल के बोबे बड़े और कसे हुए होने के कारण नाइटी का कपड़ा उसके स्तनों से लटका हुआ लग रहा है। आंचल की नाइटी की straps  महीन एवं उसकी त्वचा के रंग के समान होने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कि उसके दोनों दूधिया कंधे पूरी तरह से नग्न हैं। इस नाइटी में उसके बोबों की गोलाई साफ-साफ नजर आ रही थी। आंचल की अलसाई मुद्रा और जरा से बिखरे हुए केश दर्शा रहे हैं कि जब आत्माराम ने दरवाजा खटखटाया तो आंचल गहरी नींद में सो रही थी। आत्माराम के नाटेपन के कारण उसका चेहरा आंचल के स्तनों से भी कुछ नीचे है और उसके लिए मेमसाब की आंखों से आंखें मिलाते हुए भी उसके स्तनों की ओर न देखना असंभव है। 
आंचल –“अच्छा,  इस बैग को वहां मेज पर रख दो”
आंचल जम्हाई लेती है और अपनी दोनों बाजुएं ऊपर उठाकर अपने बाल संवारने लगती हैं। इससे उसके स्तन और भी ऊपर की ओर खिंच जाते हैं। आखिर आत्माराम उसके स्तनों से अपनी नजरें हटाता है और मेज की ओर बढ़ता है, वही आंचल भी अपने बिस्तर की तरफ चलती है। कुछ ही पलों में आत्माराम एक नजर मेमसाब के पीछे के भाग पर डालता है। जो नजारा उसे अब दिखता है, वह देखकर तो वह बिल्कुल सन्न रह जाता है। आंचल बालों का जूड़ा बना चुकी है। पीछे से उसकी नाइटी की straps इतनी गहराई तक थी कि मेमसाब की पीठ का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से नग्न था। यूं समझो कि उसकी पीठ का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा दिखाई दे रहा था। यही नहीं, मेमसाब के नितंबों के ऊपरी ढलान पर नाइटी के महीन लत्ते का जमाव यह बताने के लिए काफी है कि मेमसाब की गांड क्या चीज़ है। और तो और, नाइटी का महीन लत्ता जिस तरह से मेमसाब के दोनों ढुंगों की बीच की दरार में धंसा हुआ था,  उससे उनकी ढुंगो के बीच के दरार की चौड़ाई का पता चलता है। आत्माराम मेमसाब को पीछे से देख रहा है, फिर भी उसे मेमसाब के दोनों बोबे दोनों साइड से हिचकोले लेते हुए नजर आ रहे थे। आंचल अपने बिस्तर पर बैठती हैं और आत्माराम की तरफ देखकर कहती है –
आंचल –“  मेरा बैग लेकर आने के लिए धन्यवाद……. मैं तो भूल ही गई थी “
आत्माराम –“कोई बात नहीं…मेमसाब “
आंचल –“ अच्छा, तुम्हारा नाम क्या है “
आत्माराम –“ वैसे तो मेरा नाम आत्माराम है, पर आप मुझे छोटू भी कह सकती हैं, मेमसाब “
आंचल –“ पर तुम मुझे बार-बार मेमसाब क्यों बोल रहे हो”
आत्माराम –“ मैं यहां पर नौकर हूं, आपको तो मेमसाब ही कहूंगा ना”
आंचल यह सुनकर हतप्रभ रह जाती है।
आंचल –“ नौकर!.......... उम्र क्या है तुम्हारी”
आत्माराम –“ दस साल, मेमसाब!”
आत्माराम ने जान-बूझकर उससे झूठ बोला।
आंचल –“ तो तुम यहां क्या कर रहे हो? …… तुम्हें तो किसी कॉलेज में होना चाहिए था……….इस उम्र में काम कर रहे हो…………. रुको, अभी हेडमास्टर को शिकायत करती हूं”
आत्माराम –“ नहीं मेमसाब, प्लीज़ ऐसा मत करो “
आंचल –“ अरे छोटू!...... तुम्हारी उम्र काम करने की थोड़ी ही है”
आत्माराम नीचे फर्श पर बैठकर रोने लगता है।
आत्माराम –“ मेमसाब, दो महीने पहले मेरे बाबूजी का एक्सीडेंट हो गया।……………मेरी मां भी विकलांग है……….. मैं अकेला ही कमाने वाला हूं घर में मेमसाब…………अगर मैं ही काम नहीं किया तो मेरी मां क्या होगा”
यह सुनकर आंचल का दिल पसीज जाता है। उसकी भी आंखों में आंसू आ जाते हैं। वह तुरंत अपने बिस्तर से उठती हैं, आत्माराम के पास आकर अपने घुटनों पर बैठ जाती हैं और आत्माराम को सांत्वना देते हुए कहती हैं –
“ अरे बच्चा!  ……रोते नहीं बेटे”
आंचल ने अपनी हथेलियों से उसके दोनों गालों को सहलाया। अपने दोनों अंगूठों से उसके आंसू पोंछे। आंचल के स्तन उसके चेहरे से महज कुछ ही सेंटीमीटर की दूरी पर था।
आत्माराम –“ मेरी मां के सिवा दुनिया में मेरा कोई नहीं है मेमसाब “
आंचल –“ ऐसी बात क्यों करते हो बेटा!........... ऐसा किसने कहा तुमसे……….. मैं हूं ना यहां……….तुम मुझे अपनी……………मौसी कह सकते हो…………तुम्हें जो भी चाहिए, अपनी मौसी से कह सकते हो “
आत्माराम –“ आप मुझे नहीं निकालोगे ना”
आंचल –“ अरे बाबा! …….. नहीं निकालूंगी……..अब खुश…….. और हां, मुझे मेमसाब कहना बंद करो। मुझे मौसी कहो….. ठीक है”
आत्माराम –“ आप बहुत अच्छी है मेमसाब……….. अरे मेरा मतलब है….. मौसी “
आंचल हंसती है और आत्माराम को अपने गले से लगा लेती है।
Like Reply
#12
(06-06-2022, 05:05 AM)acha.bacha Wrote: You are really an awesome to writer in both languages. Really enjoyed reading in both languages. Really excited to see how the story unfolds! Keep up the writing@!

Thank you for your appreciation
Like Reply
#13
You can tip me as well if you like what you read
Like Reply
#14
(03-05-2022, 03:52 PM)bhavna Wrote: वाह, मस्त शुरुआत!?

Thank you for your appreciation
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)