21-03-2022, 04:44 PM
आखिर मैंने दीदी की चुदाई की इच्छा जगा ही दी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest आखिर मैंने दीदी की चुदाई की इच्छा जगा ही दी
|
21-03-2022, 04:44 PM
आखिर मैंने दीदी की चुदाई की इच्छा जगा ही दी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:44 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:39 AM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
शाम का वक़्त था.. मैं कॉलेज से घर आया था. चाचा हॉल में टीवी देख रहे थे. मैं कपड़े चेंज करने के लिए अन्दर जा ही रहा था कि चाची ने मुझे रोका और कहा- अन्दर दीदी चेंज कर रही है.
मैं बाहर रुक गया और टीवी देखने लगा. कुछ देर बाद मैं भूल गया और चेंज करने के लिए अन्दर की ओर बढ़ गया. मैं जैसे ही अन्दर गया, वहाँ पर दीदी नए कपड़ों का ट्रायल ले रही थीं. तभी दीदी ने मुझे देखा और मुझ पर बहुत चिल्लाई. मैं घबरा कर वापस आने लगा तो मैंने देखा कि वो केवल पेटीकोट और ब्लाउज़ में थीं और उनका क्लीवेज साफ मुझे दिख रहा था. उनका गोरा चमकता हुआ पेट बहुत ही आकर्षक दिख रहा था.. लेकिन मैं उनकी डांट सुनकर वहाँ से जल्दी से निकल गया. इसके बाद 2-3 दिन तक मेरे दिमाग में वही सीन चलता रहा. फिर मैं उसे भूल गया. इस तरह से 6-7 महीने निकल गए और गर्मी का मौसम आ गया. दीदी की छुट्टियाँ शुरू हो गई थीं क्योंकि वो एक कॉलेज में टीचर थीं. रोज़ की तरह मैं जब एक दिन कॉलेज से आया तब देखा कि दीदी केवल कुर्ती में घूम रही हैं.. उन्होंने सलवार नहीं पहनी है. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:45 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:07 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बाद में मुझे पता चला कि गर्मी की वजह से वो ऐसे ही रहती हैं. मैं तो वैसे ही घर में चड्डी और बनियान में घूमता रहता था.
अभी तक दीदी के बारे में बताया ही नहीं.. मैं क्या बताऊं.. रंग गोरा, हाइट 5 फिट 4 इंच, फिगर एवरेज था. जैसा कि मैंने बताया कि गर्मी के दिन चल रहे थे और दीदी ने सलवार नहीं पहनी हुई थी. नीचे के हिस्से में दीदी केवल पैंटी पहनती थीं. इसलिए दिन में कई बार उनकी जांघें और पैंटी की झलक मिल जाया करती थी. उनकी पेंटी की झलक दिखते ही मेरा पूरा बदन सिहर उठता था. एक दिन संडे का दिन था, सुबह के 7 बजे होंगे, मैं उठा और सीधे बाथरूम में सूसू करने चला गया लेकिन जल्दबाजी में दरवाजा लॉक करना भूल गया. मैं लंड बाहर निकाल कर सूसू कर ही रहा था कि अचानक गेट खुला और दीदी अन्दर आ गईं. मैं लंड हिलाता हुआ एक ओर हुआ और वो मेरे खड़े लंड को देखते हुए वापस चली गईं. मैं फिर से डर गया कि उनको लगा होगा कि मैंने यह जानबूझ किया है.. और वो फिर से चिल्लाएंगी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:46 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:08 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं डरते हुए जाकर सो गया.. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और डर भी लग रहा था. यही सब सोचते हुए 10 बज गए और मैं उठ गया.
अब तक सब कुछ नार्मल था. इस घटना को 4-5 दिन ही हुए होंगे कि फिर से एक घटना हो गई. सुबह का वक़्त था, करीब 6 बजे थे. दीदी अपने कमरे में सोई थीं.. मैं सुसू करने उठा था. इस वक्त घर में बाकी सब भी सोये हुए थे. मैं बाथरूम से निकला, तो देखा कि दीदी के रूम की नाईट लैंप जल रहा था. मैंने ध्यान से देखा कि दीदी के स्तन दिख रहे थे और उनकी पैंटी भी कुछ दिख रही थी. मैं वहीं गेट पर खड़े होकर निहार रहा था कि तभी दीदी ने करवट ली और मुझे देख लिया. उन्होंने एकटक मुझे देखा, मैं घबराकर जाने लगा तो वो बोलीं- अरे स्माइली, प्यास लगी है पानी तो पिला दे यार.. फिर मैं कुछ शांत हुआ.. उनको जग से पानी लेकर पिलाया और उनको तिरछी निगाहों से देखता रहा. इस बार देखने के बाद से मेरे दिल में कुछ होने लगा. एक दिन खबर आई कि चाची की माँ की तबियत ख़राब है, तो चाची अगले दिन वहाँ चली गईं और चाचा अगले दिन उनको छोड़ कर वापस आ गए. फिर एक हफ्ते बाद चाचा चाची को लेने गए और चाची की तबियत ख़राब होने की वजह से 5 दिनों के बाद चाची के साथ वापस आए. लेकिन इन पाँच दिनों के दौरान जो हुआ वो मेरे साथ पहली बार हुआ. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:46 PM
जब चाचा चाची को छोड़ने गए, उस दिन दीदी और मैं बिल्कुल अकेले थे, उस दिन मैं कॉलेज से आया तो दीदी बाजार जाने के लिए तैयार होकर बैठी थीं. मैं उनको लेकर बाजार गया. उन्होंने कुछ सब्जी फल आदि लिए और हम दोनों वापस आ गए.
शाम के 8 बजे थे तो दीदी ने खाना लगाया और खाना खाकर हम दोनों टीवी देखने लगे. टीवी देखते हुए दीदी को कब नींद आ गई, पता ही न चला. मेरी नजर गई तो वो सोफे पर लेटी थीं. मैंने आवाज लगाई, पर कोई जवाब नहीं मिला. मेरी नजर उन पर से हट ही नहीं रही थी. उन्होंने ग्रीन सलवार सूट पहना हुआ था. थोड़ी देर बाद मैंने उनको आवाज देकर कहा- दीदी, अपने बिस्तर पर सो जाओ. लेकिन वो सोफे से उठकर मेरे बेड पर सो गईं. थोड़ी देर बाद मैं अन्दर वाले बेड, जहाँ पर चाचा चाची सोते हैं.. वहाँ जाके सो गया. मुझे सोये हुए कुछ देर हुई थी कि किसी के गिरने की आवाज आई.. जिससे मेरी नींद खुल गई. मैंने जाकर देखा तो दीदी बाथरूम में गिर गई थीं. मैं जब तक गया तब तक वो लड़खड़ाते हुए बाथरूम से निकल रही थीं. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:47 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:12 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने पूछा- अरे आप कैसे गिर गईं?
तो वो बोली- वहां साबुन पड़ा था. मैंने उनको सहारा दिया, वो कहने लगीं- मैं ठीक हूँ तुम सो जाओ. लेकिन थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे आवाज लगाई. मैं आया तो देखा कि वो बेड पर बैठी थीं. वो बोलीं- मेरे कंधे पर चोट लगी है और मैं दवाई लगा नहीं पा रही हूँ. तब मैंने पूछा- कहाँ? दीदी ने अपने कंधे से सूट सरकाया. मैंने देखा तो उनकी स्किन छिल गई थी. फिर मैंने उनको थोड़ा डांटा भी. वो चुपचाप सुनती रहीं. फिर मैंने थोड़ी मलहम लगाई और हम दोनों वहीं सो गए. अगले दिन चाचा आ गए.. लेकिन चाची के कारण चाचा 5 वें दिन फिर चले गए. अब फिर से हम दोनों अकेले हो गए. एक दिन फिर ऐसे ही निकल गया. अगले दिन सुबह जब मैं 8 बजे उठा और सुसू करने गया, तब पहले जैसा दीदी आ गईं. लेकिन इस बार बोलीं- तू अभी भी बच्चा है क्या? गेट तो बंद कर लिया कर..! मैंने मजाक में बोल दिया- दिल तो बच्चा है जी. तो वो हंस दीं. aur main kalpanaa karne lagaa ........... जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:47 PM
फिर फ्रेश होने के बाद मैं आया तो देखा कि दीदी कपड़े धो रही थीं. मैं बोला- क्या रोज कपड़े धोती रहती हो.
दीदी बोलीं- इतना बुरा लगता है तो तू साथ में धुलवा दे ना. फिर मैं भी बैठ गया.. और दीदी के साथ कपड़े धोने लगा. तभी मैंने देखा कि दीदी ने जो सलवार सूट पहना हुआ था वो काफी गीला हो गया है और उनके कपड़े बिल्कुल चिपक गए हैं.. जिससे अन्दर की ब्रा साफ दिख रही है. इस कारण कपड़े धोते वक़्त हिलने की वजह से उनके स्तन भी हिल रहे थे. मैं बस उनके हिलते चूचों को देखे जा रहा था. मेरा मन मचल रहा था कि दीदी के मम्मों में हाथ लगा लूँ. लेकिन क्या करता.. कपड़े धोकर जैसे ही मैं उठा तो दीदी ने मस्ती में मेरे ऊपर पानी डाल दिया. मैंने भी दीदी पर थोड़ा पानी डाल दिया लेकिन वो मुझे ऐसा करने से मना ही नहीं कर रही थीं. बल्कि दीदी ने अब मेरे ऊपर फिर से पानी डाल दिया. अबकी बार दीदी ने मेरे ओवर पर पानी डाला तो मैंने उन पर पूरी बाल्टी ही डाल दी. इस बार दीदी पूरी गीली हो गईं और मुझे वहीं मारने लगीं. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:48 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:15 AM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मैंने सॉरी बोल दिया.. लेकिन जैसे ही वो पीछे मुड़ीं, तो देखा उनके कपड़े पूरे चिपक गए थे और पूरा फिगर साफ दिख रहा था. उनकी ब्रा और पैंटी भी दिख रहे थे. अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मेरे लंड से पानी निकलने लगा था.
फिर मैंने दीदी पर और पानी डाल दिया वो जल्दी से बाथरूम के अन्दर भाग गईं. मेरा लंड हिचकोले खाने में लगा था. फिर वो नहा कर बाहर आईं तो मैं अन्दर चला गया और आज पहली बार मैंने दीदी के नाम से मुठ मारी, तब जाकर लंड को कुछ शांति मिली. नहा कर जब मैं बाहर आया तो खाना बन रहा था, तो मैं भी दीदी की कुछ हेल्प करने लगा. कुछ देर बाद खाना खाया फिर मैं कॉलेज चला गया. शाम दीदी बोलीं- आज बाहर चलें? कुछ बाहर ही खाएंगे. मैंने हामी भर दी. शाम 7 बजे हम दोनों निकले, लेकिन मैंने देखा कि आज दीदी ने साड़ी पहनी हुई थी, वो गजब का माल लग रही थीं. करीब दस हम लोग घर वापस आए. फिर वो चेंज करने चली गईं. मैं भी बनियान और बरमूडा में आ गया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:48 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:42 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने देखा कि दीदी ने चेंज तो किया, लेकिन दूसरी साड़ी पहन ली थी. मैंने पूछा- आज क्या बात है.. क्या आज साड़ी का दिन है?
तो वो बोलीं- आजकल बहुत ध्यान दे रहे हो? मैंने कहा- देना तो पड़ेगा न! फिर दीदी बोलीं- वो आज सारे कपड़े धो दिए हैं न इसलिए साड़ी ही पहन ली है. मैंने पूछा- आपकी चोट कैसी है.. दिखाओ तो सही? फिर उन्होंने हल्का सा ब्लाउज सरका कर दिखाया. मैंने कहा- अब तो ठीक लग रहा है. वो बोलीं- मलहम तो तुमने ही लगाई थी.. ठीक कैसे न होता. इसके बाद हम लोग टीवी देखने एक ही सोफे पर बैठ गए. साथ में हम दोनों बातें भी करते रहे, कब रात के 12 बज गए पता ही नहीं चला. मैं सोने जाने लगा तो वो बोलीं- चलो अन्दर वाले बेड पर वहीं सो जाना, कुछ देर बातें करते हुए सो जाएंगे. मैंने कहा- ठीक है. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:49 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:18 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
यूं ही बातें करते-करते कब दोनों को नींद आ गई, पता ही नहीं चला. सुबह जब 6 बजे मेरी नींद खुली तब देखा कि दीदी मेरे साइड में ही सोई हैं और बड़ी ही सेक्सी लग रही थीं. मैंने चैक किया तो दीदी बड़ी गहरी नींद में थीं.
अब मैंने चांस मारा, दीदी की साड़ी को उनके सीने से हल्का सा हटाया तो उनके मम्मों की लाइन दिखने लगी. लेकिन मेरी गांड फट रही थी इसलिए मम्मों को टच नहीं कर पाया. फिर मैंने धीरे से अपने पैरों से पेटीकोट ऊपर को किया और हल्के से बार-बार टच करने लगा.. कुछ देर यूं ही मजा लेने के बाद मैं सो गया. जब नींद खुली तो देखा दीदी मुझे उठा रही थीं- उठ जा.. नाश्ता बन गया है, खा ले. मैंने फ्रेश होकर नाश्ता किया. दीदी नहाने चली गईं.. जब आईं तो देखा कि वही अपने पुराने गेटअप में थीं. उन्होंने नीचे सिर्फ पेंटी पहनी थी और ऊपर कुर्ती पहनी थी. उन्हें यू देख कर मेरा मन फिर से मचलने लगा. आज मैं कॉलेज नहीं गया.. मेरा मन नहीं किया. आज दिन भर दीदी के साथ ही रहा. कभी वो मुझे छेड़ती रहीं तो कभी मैं उन्हें छेड़ता रहा. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:49 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:21 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
एक बार तो दीदी ने हद ही कर दी, जब मैं नहा कर निकला तो उन्होंने मेरा टॉवल खींच लिया, लेकिन मैंने दुर्भाग्य से अंडरवियर पहना था.
मैंने कह दिया- आज आपका लक नहीं था. तो वो बोलीं- मैंने तुझे अंडरवियर उठाते हुए देख लिया था. मैंने कहा- ठीक है तो मेरा बैड लक रहा. लेकिन जब वो दोपहर को सो रही थीं तो मैंने उनकी पैरों में गुदगुदी की, लेकिन जब कुछ हलचल नहीं हुई तो कुछ आगे बढ़ा और दीदी की जाँघों तक पहुँच गया, पर वहीं रुक गया. फिर मैंने शाम को चाय बनाई और उनको उठाया तो करवट लेने में मुझे उनकी पूरी पैंटी दिखी. बहुत देर तक मैं दीदी की पेंटी को देखता रहा. शाम का खाना खाने के बाद हम सोये.. लेकिन इस बार हॉल में टीवी के सामने ही लेट गए. वहां पर आलरेडी एक बेड है. तो टीवी देखने के लिए नीचे फर्श पर ही बिस्तर लगा लिया. अभी 10 ही बजे थे. इस बार हम पहले से ज्यादा पास चिपके थे. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:50 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:22 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
लगभग 11 बजे दीदी बोलीं- मैं सो रही हूँ.
मैं टीवी का वॉल्यूम कम करके देखने लगा. फिर अचानक से व्हाट्सएप्प पर एक मैसेज आया.. जो कि एडल्ट था. मैंने वो देखा फिर इंटरनेट पर में पोर्न पिक्चर्स देखने लगा. मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था. मैंने दीदी की तरफ देखा तो वो दूसरी तरफ करवट लिए सोई थीं. मैं फिर से पोर्न देखने लगा. फिर नजर गई कि दीदी ने आज भी सलवार नहीं पहनी है. मैंने मोबाइल एक तरफ रखा और दीदी की कुर्ती को ऊपर किया. अब दीदी की जांघ पूरी तरह साफ दिख रही थी. टीवी चालू ही था तो दीदी की बॉडी पर रोशनी आ रही थी. मैं दीदी की नंगी जांघ देख कर मदहोश हुए जा रहा था. मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी. फिर मैंने टीवी का वॉल्यूम एकदम से फुल किया और फिर म्यूट कर दिया, इस कारण से वो हल्का सा जग गईं. शायद वो भी कुछ चाहती हों तो मैंने रिस्क लिया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:50 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:23 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने पैरों से पैरों को मिलाया, सहलाया. फिर हाथों से दीदी की कमर को सहलाया, उनकी गर्दन पर हाथ फिराया, होंठों को टच किया. अब शायद मेरा रुक पाना मुश्किल था, मंजिल भी दूर नहीं थी. मैंने हिम्मत करके दीदी की जाँघों पर हाथ रखा और मसला लेकिन कोई हरकत नहीं थी. मैंने कुर्ती के पीछे की ज़िप खोलना चालू की, लेकिन टाइट थी तो थोड़े झटके लगे लेकिन ज़िप खुल गई.
मैंने दीदी की पीठ सहलाई और फिर ब्रा का स्ट्रैप खोल दिया. अब उनको बेक साइड अप करके थोड़ा धक्का दिया और आसानी से वो सो गई. अब तो वो भी तैयार लग रही थीं. उनकी कुर्ती को मैंने ऊपर किया जिसमें दीदी ने भी पूरा साथ दिया. अब केवल ब्रा और पैंटी बची थी. मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और बस अंडरवियर में आ गया. मैं दीदी को सर से लेकर पैर तक चूमता चला गया. फिर मैंने बेख़ौफ़ होकर उनकी पैंटी भी निकाल दी. अब बस चूतड़ों को मसल कर मजा ले रहा था.. इसके बाद अब बारी थी दीदी के मम्मों को मसलने की. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:50 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:24 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-03-2022, 04:51 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:32 AM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
जैसे ही मैंने दीदी के एक चूचे को पकड़ा, दीदी की एक आवाज आई- सब कुछ तू ही करेगा या मुझे भी कुछ करने देगा?
मैंने कहा- मैं तो पूरा ही आपका हूँ, जो भी करना है कर डालो. बस दीदी ने पलट कर अपनी ब्रा भी निकाल दी. फिर उन्होंने मुझे लिप किस किया. ये मैंने पहले बार किया था. वो किस करते हुए नीचे को आ गईं और मेरी चड्डी निकाल कर मेरे लंड के ऊपर लेट गईं. अब वो मेरी पूरी बॉडी को किस करने लगीं. इस सबमें बहुत देर हो गई थी. मुझसे अब और रुका ही नहीं जा रहा था. मैंने उनको एक धक्का दिया और उनको पटक कर उनकी चूत चाटने लगा. फिर मैंने कुछ देर बाद अपना लौड़ा दीदी की चूत पर रखा और धक्का मार दिया, बुर चिकनी और टाईट थी इसलिए लंड फिसल गया. फिर मैंने चुत के छेद का निशाना मिलाया और धक्का दे मारा. अबकी बार लंड घुस गया और 2-3 धक्कों में पूरा लंड चुत को चीरता हुआ अन्दर तक चला गया.
21-03-2022, 04:52 PM
(This post was last modified: 02-05-2022, 11:37 AM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
हम दोनों को थोड़ा दर्द हुआ, कुछ देर बाद मेरा पानी निकल गया. फिर हम लेटे रहे.. एक-दूसरे को चूमते रहे.
इसके बाद एक बार ये खेल और किया.. इस बार मैंने काफी देर तक दीदी को चोदा. अगले 3 दिन तक मैं कॉलेज नहीं गया और इस दिनों में हम दोनों ने शायद ही कोई कपड़ा पहना हो. Sean LawlessTiffany Watson जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
07-04-2022, 10:04 AM
Nice story
11-05-2024, 02:33 PM
Excellent
17-05-2024, 04:13 PM
मेरी फैमिली में चार लोग हैं। मेरे अलावा मम्मी, पापा और दीदी। उनका नाम प्रिया है। मेरी दीदी दिखने में बहुत मासूम लगती हैं। वे दिखने में बहुत सुंदर हैं। बहुत ही ज्यादा गोरी हैं। उनकी हाइट कम है लेकिन देखने में बहुत आकर्षक है। उनको देखकर किसी की भी नीयत खराब हो सकती है। दीदी बीकॉम के फाइनल ईयर की स्टूडेंट हैं और मैं एक मेडिकल स्टूडेंट हूं। दीदी मुझको बहुत प्यार करती हैं। हम दोनों में बहुत प्यार है। हम दोनों एक ही रूम में अलग अलग बेड पर सोते हैं और वहीं अपनी पढ़ाई भी करते हैं। दीदी ने मुझको पढ़ाई में बहुत हेल्प की है। ऐसे में दीदी के प्रति मेरे मन में कभी भी बुरा खयाल नहीं आया था। कभी कभी पढ़ाई करते करते मैं दीदी के बेड पर ही सो जाता था। दीदी भी मुझको नहीं उठाती थी और मुझको अपने बिस्तर पर ही सोने देती थी। ऐसा अक्सर होता रहता था। यह बात कुछ दिन पहले की है। एक दिन ऐसे ही दीदी के साथ ही सोया हुआ था। उसी वक्त मेरी नींद किसी वजह से खुल गई। मैंने देखा कि दीदी अपना एक पैर मेरे शरीर पर चढ़ा कर लेटी हुई है और मुझे जोर से पकड़कर सो रही है। यह मुझको जरा अजीब सा लग रहा था, लेकिन मैंने दीदी को ऐसे ही सोने दिया। ऐसे सोने में मुझको भी अच्छा लग रहा था कि कोई लडकी मुझको अपनी बाहों में सुला रही है। वह रात तो ऐसे ही बीत गई लेकिन मेरे अंदर हलचल मच गई थी और उस दिन शायद.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-05-2024, 04:13 PM
पहली बार मैंने अपनी दीदी के जिस्म की गर्माहट का एहसास किया था। उसके बाद जब भी मैं दीदी के साथ सोता तो इस बात को देखता था कि मेरी दीदी मेरे साथ ऐसे ही चिपककर सोती थी। मुझको भी बहुत मजा आने लगा था और ऐसे में मेरा लंड खड़ा होने लगा था। शुरुआत में तो नहीं लेकिन बाद में मैं कुछ ही देर में अपनी चड्डी में ही झड़ जाता था। इतना सब होने के बाद भी मैं दीदी के साथ कुछ नहीं करता था। कुछ दिन ऐसे ही यह सब चलता रहा। मैं भी दीदी को इस बारे में कुछ नहीं बोल था और न ही दीदी कुछ बोलती। फिर एक दिन मैं दीदी के पास सोया हुआ था। इस बार मैंने जान बूझकर दीदी के ऊपर अपना पैर चढ़ा दिया और एक हाथ दीदी के बूब्स पर रख दिया। जब उनकी तरफ से कोई प्रतिकार नहीं हुआ तो मैंने उनका एक दूध दबा भी दिया। दीदी अभी भी कोई रियेक्ट नहीं कर रही थी। इससे मेरा मनोबल और बिगड़ गया। मैंने कुछ देर बाद अपना एक हाथ दीदी की पैंटी में डाल दिया और उनकी चूत सहलाने लगा। दीदी आराम से सो रही थी और कोई रियेक्ट भी नहीं कर रही थी। कुछ देर बाद मैंने दीदी को हिलता हुआ सा देखा तो अपनी दम साधे उसी पोजीशन में लेटा रहा। तभी दीदी ने अपने पैरों को थोडा और फैला दिया। इससे उनकी चूत सहलाने में मुझे आसानी हो गई। मेरा हाथ अभी भी दीदी की पैंटी में ही घुसा हुआ था तो मैंने उनकी फैली हुई टांगों के बीच चिकनी चूत को और आसानी से सहलाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद दीदी की चूत गीली हो.
गई और दीदी झड़ गई। उनके झड़ते समय उनका जिस्म थोड़ा कर भी गया था जिसे मैंने बखूबी महसूस भी किया था। इससे मुझे बेहद सनसनी हुई थी और मैं भी अपने लंड को हिला कर सो गया था। ऐसे ही यह सब बहुत दिन तक चलता रहा। अब भी हम दोनों से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। न ही दीदी की तरफ से कुछ सिग्नल मिल रहा था और न ही मैं कुछ ज़्यादा कर पा रहा था। फिर एक दिन पढ़ाई करते करते मैं दीदी के पास ही सो गया। रात के 02:00 बजे के आसपास मेरी नींद खुल गई। दीदी मुझको पकड़कर आराम से सो रही थी। मैंने दीदी को साइड में कर दिया और उठकर लाइट ऑन की। उन्हें एक बार गौर से देखा। आज दीदी नाईटी पहनकर सोई थी। मैं बाथरूम में जाकर पेशाब करके वापस आकर दीदी के पास ही लेट गया। कुछ देर बाद मैंने दीदी की नाइटी को उठाया तो देखता ही रह गया। दीदी ने आज पेंटी नहीं पहनी थी। मैं आज पहली बार किसी एलईडी देश की की नंगी चूत देख रहा था। दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और एकदम पिंक चूत थी। चूत देखकर मन कर रहा था कि किस ले लूँ पर डर लग रहा था कि अगर दीदी जाग गई तो मेरी तो कहानी लिख जायेगी। हालांकि मुझको पता था कि दीदी को सब पता है। वे सोने का नाटक कर मजे लेती हैं। तभी मेरी गांड फट रही थी। कुछ देर तक मैंने सोचा। फिर दीदी के पैरों के बीच में आ गया। मैंने दीदी के पैर फैलाकर उनकी चूत पर एक किस किया। किस करते समय. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
|
« Next Oldest | Next Newest »
|