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Incest भाई और बहन
#21
मैंने कहा- मेरी नन्ही जान, जब जवानी की प्यास लगती है तब चुदवाने का मन करता है. और जब घर में लंड मौजूद हों तो बाहर का रुख नहीं करना चाहिये. ज़माना बड़ा खराब चल रहा है. हमारी अम्मी का कहना है कि भले ही घर में चुदवा लो, पर बाहर वालों से नहीं क्योंकि साला आजकल एड्स का बहुत लफ़ड़ा है.
मेरे मुंह से चूत और लंड की बात सुनकर उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया, वो बोली- हाय आपा, आप कैसे गंदी बात करती हो? आपको शरम नहीं आती?
तब मैंने कहा- जो लड़की अपने भाई और अब्बु से चुदवा चुकी हो, वो भी अपनी अम्मी के सामने … उसे शरम कहां आयेगी. शरम तो तुझ ऐसे कुंवारी कमसिन छोकरियों को आती है. अब देख तू भी मज़े लेना चाहती है पर शरमा भी रही है. अगर तू शरमा न रही होती तो तुझे थोड़ा सा मज़ा तो मैं ही दे देती.
उसे लाइन पर लाने की गरज़ से मैंने कहा तो वो एकदम से बोली- कहां शरमा रही हूँ आपा आप दबाइये न मेरी चूची … बहुत मज़ा आ रहा है मुझे. प्लीज़ दबाइये न!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
मैं समझ गयी अब साली भाई से चुदवा लेगी!
और मैंने उसकी समीज़ भी उतार दी उसकी छोटी छोटी संतरे की तरह चूची एकदम टाइट थी और उसके निप्पल तने हुए थे. मुझे उसकी चूची देखकर अपनी पुरानी चूचियों की याद आ गयी जब मेरी चूची भी कड़ी हुआ करती थी. एक तरह से मुझे उससे जलन का एहसास होने लगा था मगर मैं उसकी निप्पल को मसलते हुए बोली- पता है लड़कियों की जब निप्पल लड़के लोग मसलते है तब उनकी जवानी फ़ड़क उठती है.
और फ़िर मैंने सोचा कि आज तक मैंने कभी किसी लड़की के साथ सेक्स का मज़ा नहीं लिया है क्यों ना आज इसका भी अनुभव कर लिया जाये!
यही सोच कर उसके हाथ अपनी चूची पर रखे और उससे कहा- इन्हें मसल डालो, जोर जोर से दबाओ मेरी चूची को!
वो मेरी चूची दबा रही थी, तब ही मैंने उसकी सलवार की तरफ़ हाथ बढ़ाया तो उसकी सलवार मुझे भीगी भीगी सी लगी. मैं समझ गयी कि साली अभी थोड़ी देर पहले भाई और मेरी चुदायी का नज़ारा देख कर झड़ी है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
मैंने उसकी बुर को सलवार के ऊपर से सहलाते हुए कहा- ये गीली कैसे है अफ़रोज़?
पहले तो उसने वहां से मेरा हाथ हटाया और फ़िर अपने पैर सिकोड़ते हुए बोली- पता नहीं!
तब मैंने उसकी सलवार का इजारबंद (नाड़ा) खोलते हुए कहा- अभी बताती हूँ कि ये गीली क्यों है.
वो अपने दोनों हाथ से मेरा हाथ पकड़ते हुए बोली- नहीं आपा, मैं नंगी हो जाऊँगी. प्लीज़ इसे मत खोलो!
मैंने हंसते हुए कहा- मेरी रानी, मुझे देख, मैं भी तो नंगी हूँ.
और उसके इजारबंद को खोल डाला, उसकी सलवार सरसरा कर पैरों में आ गिरी जिसे मैंने निकाल दिया.
उसकी बुर पे अभी हल्के हल्के सुनहरे बाल थे जो बहुत खूबसूरत लग रहे थे. मुझे इस तरह से अपनी बुर को निहारते देख कर उसने अपने दोनों हाथ से अपनी बुर छुपा ली. मैंने उसकी दोनों चूची को मसलते हुए एक निप्पल मुंह में भर ली और चुभलाने लगी. वो सिसकियां लेने लगी और अपने हाथ अब बुर से हटा कर मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
मैं तो यही चाहती ही थी, मैंने उसकी चूची की चुसायी कायदे से करना शुरु कर दी. मैंने अपने हाथ उसकी बुर की तरफ़ सरकाना शुरु कर दिया और जब हाथ को उसकी बुर पर रख कर सहलाया तो वो बहुत जोर से सिसक पड़ी- ईईस्स स्सस्सस्स आपा … क्या कर रही हैं आप? बहुत गुदगुदी हो रही है!
उसकी बुर बहुत फ़ूली हुई थी और गोल्डन बाल तो कयामत का मंज़र लग रहे थे.
मैंने उसकी झांटें सहलाते हुए उसकी बुर की फ़ांक फ़ैलायी तो अंदर का गुलाबी हिस्सा देख कर मेरा भी मन उसकी बुर चाटने का करने लगा. मैंने सोचा कि आज पहली बार किसी लड़की की बुर चाट कर मज़ा लिया जाये.
और फ़िर उसकी चूची मुंह से बाहर निकाल कर अपने चेहरे को उसकी जांघों के बीच में लकर उसकी बुर की खुशबू लेने लगी. मैंने उससे कहा- अफ़्फ़ो, तुम ऐसा करो कि लेट जाओ, तब ज्यादा मज़ा आयेगा.
मैंने ऐसा इसलिये कहा क्योंकि मुझे अपनी भी चूत तो उससे चुसवानी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
और ये कह कर अफ़रोज़ वहीं फ़र्श पर लेट गयी. मैंने उसके बुर की तरफ़ अपना मुंह ले जाकर पहले अपनी जबान से उसकी बुर की फ़ांक को सहलाया, फ़िर धीरे से अपने होंठों में उसकी बुर की फ़ांकों को रख कर चूसने लगी और अपनी चूत को उसके मुंह पर रखते हुए उससे कहा- अफ़्फ़ो, तुम भी ऐसे ही करो मेरे साथ!
उसने कहा- नहीं आपा, मुझे घिन आती है.
तब मैंने उसकी बुर की चिकोटी काट कर कहा- वाह मेरी चुद्दो रानी, मैं चूस रही हूँ तेरी गीली बुर और तुझे शरम आ रही है? चल जल्दी से चुम्मा ले चूत का!
और ये कह कर अपनी चूत को ज़बरदस्ती उसकी मुंह पर अड़ा दिया. वो न चाहते हुए भी चूमने लगी मगर मैं तो बहुत चाव से उसकी छोटी सी बुर को चूस रही थी और अब वो आह आह करने लगी थी, उसकी बुर से बहुत ढेर सारा रस बाहर निकल पड़ा जिसे मैं चूस कर चाट गयी. फ़िर जब उसकी बुर पूरी तरह से चिकनी हो गयी तब उसमे मैंने अपनी एक उंगली घुसेड़ दी.
वो कराह उठी- आआआह आपाजान … क्या कर रही हैं? बहुत दर्द हो रहा है.
तब मैंने कहा- मेरी रानी, अभी बहुत अच्छा लगेगा तुम्हें जरा बरदाश्त करो!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
और फ़िर दो उंगली एक साथ उसकी बुर में डाल दी और आगे पीछे करने लगी. अब तो अफ़्फ़ो को भी मज़ा आने लगा, वो मेरी चूत को जोर से शिप करते हुए अपनी चूतड़ को उछालने लगी. मैं भी अपनी अपनी उंगली को बहुत तेज़ी के साथ डालने लगी थी.
तभी वो एक बार और झड़ी और फ़िर सुस्त हो गयी.
तब मैंने पूछा- क्यों रानी मज़ा आया?
उसने कहा- अल्लाह कसम आपा, बहुत मज़ा आया!
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
तब मैंने कहा- रानी, अगर तुम थोड़ी देर पहले आ जाती तो भाई से चुदवा भी देती तुझे! अभी थोड़ी देर पहले ही तो मैंने चुदवाया है.
वो बोली- मैं देख चुकी हूँ आपा आपकी चुदायी! मेरी सलवार तभी गीली हुई थी.
मैंने कहा- हां मुझे पता है तू छुप कर सारा तमाशा देख रही थी. मैंने देखा था. ऐ तुझे आ जाना चाहिये था न! चलो कोई बात नहीं, अब तो तू खुल ही गयी है. मैं भाई से कह दूंगी वो तुझे मज़ा देगा
तब अफ़रोज़ ने कहा- आपा बहुत दर्द होता है क्या चुदवाने में?
मैंने कहा- नहीं, पहले तो थोड़ा सा होगा बाद में सब ठीक हो जायेगा.
“पर आपा, भाई का हथियार भी तो बहुत मोटा ताज़ा है!”
तब मैंने कहा- देख अफ़रोज़, अगर हमारे साथ रहना है तो सब बात खुल कर करनी होंगी. बता उसको क्या कहते हैं?
तब वो शरमाते हुए बोली- लौड़ा कहते हैं आपा.
मैंने कहा- ये हुई न बात! चल अब जल्दी से कपड़े पहन लेती हूँ, भूख भी बहुत लगी है.
तब अफ़रोज़ ने कहा- किस चीज़ की भूख लगी है आपा?
मैं उसकी शरारत समझ गयी, बोली- ज्यादा शरारत न करो. वरना भाई से कह कर तेरी नन्ही सी बुर की धज्जियां उड़वा दूंगी.
तब वो माफ़ी मांगते हुए बोली- रहम करना मेरी आपा, अपनी बहन की इस नाजुक सी चूत पर!
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#28
और फ़टाफ़ट हम लोग कपड़े पहन कर नीचे चले आये.
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#29
[Image: 26674_14.jpg]

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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#30
(21-03-2022, 04:37 PM)neerathemall Wrote: तब मैंने कहा- रानी, अगर तुम थोड़ी देर पहले आ जाती तो भाई से चुदवा भी देती तुझे! अभी थोड़ी देर पहले ही तो मैंने चुदवाया है.
वो बोली- मैं देख चुकी हूँ आपा आपकी चुदायी! मेरी सलवार तभी गीली हुई थी.
मैंने कहा- हां मुझे पता है तू छुप कर सारा तमाशा देख रही थी. मैंने देखा था. ऐ तुझे आ जाना चाहिये था न! चलो कोई बात नहीं, अब तो तू खुल ही गयी है. मैं भाई से कह दूंगी वो तुझे मज़ा देगा
तब अफ़रोज़ ने कहा- आपा बहुत दर्द होता है क्या चुदवाने में?
मैंने कहा- नहीं, पहले तो थोड़ा सा होगा बाद में सब ठीक हो जायेगा.
“पर आपा, भाई का हथियार भी तो बहुत मोटा ताज़ा है!”
तब मैंने कहा- देख अफ़रोज़, अगर हमारे साथ रहना है तो सब बात खुल कर करनी होंगी. बता उसको क्या कहते हैं?
तब वो शरमाते हुए बोली- लौड़ा कहते हैं आपा.
मैंने कहा- ये हुई न बात! चल अब जल्दी से कपड़े पहन लेती हूँ, भूख भी बहुत लगी है.
तब अफ़रोज़ ने कहा- किस चीज़ की भूख लगी है आपा?
मैं उसकी शरारत समझ गयी, बोली- ज्यादा शरारत न करो. वरना भाई से कह कर तेरी नन्ही सी बुर की धज्जियां उड़वा दूंगी.
तब वो माफ़ी मांगते हुए बोली- रहम करना मेरी आपा, अपनी बहन की इस नाजुक सी चूत पर!
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#31
Sleepy Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#33
(21-03-2022, 04:33 PM)neerathemall Wrote: neerathemallमैंने कहा- मेरी नन्ही जान, जब जवानी की प्यास लगती है तब चुदवाने का मन करता है. और जब घर में लंड मौजूद हों तो बाहर का रुख नहीं करना चाहिये. ज़माना बड़ा खराब चल रहा है. हमारी अम्मी का कहना है कि भले ही घर में चुदवा लो, पर बाहर वालों से नहीं क्योंकि साला आजकल एड्स का बहुत लफ़ड़ा है.
Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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