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Incest बहन के साथ मज़ा
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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दीदी का सेक्सी जिस्म और हमारी कामुकता
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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(21-03-2022, 02:36 PM)neerathemall Wrote: दीदी का सेक्सी जिस्म और हमारी कामुकता
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मेरी बहन ज्योति की शादी हो चुकी है. वो मुंबई में रहती हैं, मैंने भी अपनी पढ़ाई पूरी कर ली और मुझे एक्टर बनने की इच्छा थी तो मैं अपनी बहन के पास रहने के लिए चला गया.
मुंबई में मेरी बहन का एक बहुत अच्छा फ्लैट है. जीजाजी हमेशा की तरह अपने बिजनेस के काम को लेकर लगातार टूर पर बिज़ी रहते हैं.
मैं मुंबई पहुँचा, तो दीदी मुझे एयरपोर्ट पर लेने आई थीं. मैंने जब दीदी को देखा तो बस देखता ही रह गया. क्योंकि एक लम्बे अरसे के बाद मैंने दीदी को देखा था. दीदी तो अब बहुत ही बदल चुकी थीं. दीदी के मम्मे और भी बड़े हो गए थे. क्या लग रही थीं वो यारों, अगर आप देखते, तो आपके लंड का पानी ही निकल जाता.
दीदी ने ब्लैक कलर की साड़ी और ब्लाउज भी ब्लैक कलर का ही पहना हुआ था. दीदी के ब्लाउज में से उनके आधे मम्मे दिखाई दे रहे थे.
मैंने दीदी से मिल कर उन्हें गले से लगाया तो उनके मम्मों की गर्मी मुझे महसूस हुई. दीदी ने मुझे माथे पे किस किया. फिर हम टैक्सी से घर आ गए.
मैंने देखा कि बहन का फ्लैट तो बहुत ही अच्छा था.
मैंने बहन से बोला- दीदी, आपका घर तो बहुत अच्छा है.
दीदी ने कहा- हाँ भैया, वास्तव में मुझे भी बहुत अच्छा लगता है.
इसके बाद उन्होंने मुझसे बहुत देर तक इधर उधर की बातें की. फिर मैंने उबासी सी ली तो दीदी ने मुझसे कहा- भैया तुम थक गए होगे, बाथरूम में जाकर चेंज कर लो, मैं चाय बना देती हूँ.
मैंने बोला- हाँ चाय तो मुझे पीनी है, पर मैं चाय जीजाजी के साथ पीऊंगा.
यह सुनते ही दीदी का मुँह उतर गया और बोलीं- भैया अगर तुम्हें जीजू के साथ चाय पीनी है तो एक महीने वेट करना होगा.. क्योंकि वो बिजनेस के काम से सिंगापुर गए हैं.
मैंने बोला- ओह..
दीदी ने कहा- चल जा जल्दी से फ्रेश हो जा, जब तक मुझे भी कपड़े बदलने हैं.
मैं बाथरूम में चला गया. बाथरूम में देखा तो दीदी की पिंक कलर की ब्रा और पेंटी वहां पे लटकी हुई थी. मैंने उसे छुआ तो अजीब आ अहसास हुआ, मुझे बार बार छूने का मन हो रहा था, पर मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और फ्रेश हो के बाहर आ गया.
फिर मैं अपने बैग से कपड़े निकालने के लिए दीदी के रूम में जाने लगा. मैंने आने के बाद बैग दीदी के बेडरूम में रखा था. इस वक्त मैंने सिर्फ़ तौलिया लपेटा हुआ था. मैं दीदी के कमरे में गया तो मैंने देखा कि दीदी अपने कपड़े चेंज कर रही थीं. उनकी पीठ दीवार की तरफ थी और वो अपनी साड़ी निकाल रही थीं.
दीदी ने साड़ी निकाल दी, मैं भी दरवाजे के पास ही खड़ा था. दीदी ने फिर अपना ब्लाउज निकाला, मैं तो देखता ही रह गया. दीदी की पीठ एकदम गोरी और सेक्सी दिख रही थी. मेरा लंड मेरे तौलिए में खड़ा हो रहा था. दीदी ने फिर अपना पेटीकोट निकाला, अब दीदी सिर्फ़ ब्रा और अंडरवियर में थीं. दीदी की गांड देखकर में पागल हो रहा था, मेरा मन तो कर रहा था कि अभी जाकर उनको पकड़ कर चोद डालूँ. पर डर भी लग रहा था.
दीदी ने फिर टी-शर्ट और शॉर्ट पहन लिया, मैं अभी भी दरवाजे पर ही खड़ा था.
मेरी बहन कपड़े पहन कर जैसे ही बाहर जाने लगीं, उन्होंने मुझे देखा और घबरा कर पूछा- तू कब से यहाँ खड़ा है?
मैंने कहा- बस अभी अभी आया.
तो उनके चेहरे पर राहत हुई. लेकिन दीदी की नज़र अचानक तौलिए पर पड़ी और उसमें से दीदी को मेरा 8 इंच का लंड फूलता हुआ नज़र आने लगा. दीदी ने शरम के मारे आँखें नीचे कर लीं और वहां से चली गईं.
मैं भी चेंज करके चाय पीने चला गया. दीदी चाय और नाश्ता टेबल पर रख कर खुद सोफे पर बैठी थीं. मैं जाकर दीदी के बगल में बैठ गया.
दीदी ने बातें शुरू की- अब बता भैया, तू तो अब बहुत बड़ा हो गया है.
शायद उनको मेरे खड़े लंड से मेरे बड़े होने का अहसास हुआ था.
मैं- हाँ दीदी, लेकिन आप भी अब बदल गई हो.
दीदी- बदल गई से क्या मतलब?
जब दीदी बात कर रही थीं, तो मैं चाय पीते पीते उनके मम्मों को देख रहा था, जो कि उनकी चुस्त टी-शर्ट में से भरपूर उभरे हुए दिख रहे थे.
दीदी ने फिर से पूछा- बता ना.. बदल गई से क्या मतलब.. और तेरा ध्यान कहाँ है?
मैं- कहीं नहीं दीदी, मेरा मतलब कि आप अभी बहुत ही मोटी हो गई हैं.
दीदी- मोटी से क्या मतलब?? अभी मैं कहाँ से मोटी दिखती हूँ??
मैं- दीदी जब आपकी शादी हुई थी तब से अब में बहुत फर्क आ गया है, तब आप मोटी नहीं थीं, लेकिन अभी आप बहुत भर गई हो.
मेरे कहने का मतलब दीदी शायद समझ गईं. मैं दीदी के मम्मों और गांड के बारे में बात कर रहा था. जीजाजी से रोज चुदने के कारण दीदी की गांड बाहर आ गई थी और उनके मम्मे भी बड़े हो गए थे.. बॉडी भरावदार हो गई थी.
दीदी को समझ आ गया तो वो शर्मा के बोलीं- हट पगले..
और हंस दीं. फिर मैं टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद मैंने फिर दीदी से कहा- आप वाकई भर गई हो.
दीदी अपने चुचे उठाते हुए बोलीं- तेरा मतलब क्या है?
मैंने सोचा दीदी भी गरम सी हो रही हैं तो मैंने उनको छेड़ा.
मैं- दीदी प्लीज़ एक बार देखने दो.
दीदी मदहोशी में बोलीं- क्या देखना है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैंने कहा- जो भर गए हैं उन्हें पीने का मन हो रहा है!
दीदी ने चूचे मेरी तरफ किए और इशारे से पूछा कि क्या मेरे दूध पीना चाहते हो?
मैंने बड़े अश्लील भाव से जीभ को होंठों पर फिराई और उनको आँख मारते हुए उनकी जाँघों को सहला दिया.
दीदी कुछ नहीं बोलीं तो मैंने कुछ देर उनकी जाँघों को सहलाया और उनकी रजामंदी सी दिखी तो उनकी चूची को दबा दिया. दीदी ने चिहुँक कर मेरा हाथ झटक दिया और पूछा- आखिर तू क्या चाहता है?
अब मैंने खुल कर कह दिया- मुझे आपको चोदना है.
दीदी- उफ़… भैया तू ऐसे नहीं मानेगा ना, रुक मैं अभी मम्मी को फोन करके सब बताती हूँ.
मैं डर गया और अपने रूम में जाने लगा. मैं अपने रूम में आकर लेट गया, मेरा लंड अभी भी टाइट था.
थोड़ी देर बाद दीदी आईं और मेरे पास आकर बैठ गईं. दीदी मेरे सिर पे हाथ फिराने लगीं और बोलीं- भैया हम दोनों सगे भाई बहन हैं.. हम दोनों चुदाई कैसे कर सकते हैं.. नहीं हम चुदाई नहीं कर सकते हैं.
मैंने कहा- हाँ चुदाई नहीं कर सकते पर मैं आपको नंगी देखना चाहता हूँ.
दीदी ने कहा- अच्छा ठीक है.. मगर सिर्फ़ देखना, टच नहीं करना!
मैंने बोला- ठीक है दीदी.
फिर दीदी ने मुझसे पूछा- तुझे मैं क्यों इतनी अच्छी लगती हूँ?
मैंने कहा- पता नहीं दीदी.. पर आपको नंगी देखने का मन हो रहा है.. और आपको किस करने को मन हो रहा है. बस आपकी बांहों में मैं नंगा सो जाना चाहता हूँ.
दीदी ने बोला- अगर तुझे चुदाई करनी है तो में मेरी एक फ्रेंड से बात करती हूँ, वो तुझसे चुदवा लेगी.
मैंने बोला- दीदी मुझे कोई भी नहीं चाहिए, मुझे सिर्फ़ आपके साथ चुदाई करनी है.
दीदी बोलीं- भैया मेरे साथ तुम चुदाई नहीं कर सकते, लेकिन मैं तुमको अभी 5 मिनट दे रही हूँ.. तुम 5 मिनट में मेरे साथ जो भी करना चाहो, कर सकते हो.. पर चुदाई नहीं सकते, जो भी करना हो ऊपर ऊपर से कर लो.
ये कहते हुए दीदी मेरे बाजू में लेट गईं. मैं तो ख़ुशी के मारे पागल हो गया और मैंने जल्दी से अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट निकाल दिया. साथ ही मैंने दीदी की नाइटी निकाल कर उनको सिर्फ़ ब्रा और अंडरवियर में रहने दिया. फिर मैंने दीदी को किस करना स्टार्ट किया. कुछ ही पलों बाद मैंने अब दीदी की ब्रा भी निकाल दी.
दोस्तो क्या बताऊं मेरी दीदी बड़ी ही सेक्सी लग रही थीं. मैंने दीदी के मम्मों को मेरे हाथों में ले लिया. दीदी के मम्मे एकदम टाइट थे. मैंने फिर दीदी के मम्मों को चूसना स्टार्ट किया और निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा.
दीदी ‘उहह.. अहह.. उफ्फ.. भैया..’ बोल रही थीं
मैंने फिर उनकी चूचियों को छोड़ कर सीधे पेंटी पर आ गया और एक झटके में उनकी पेंटी निकाल दी. उनकी गुलाबी चुत अब मेरी आँखों के सामने थी.
मैंने अपनी जीभ दीदी की चुत पर रख दी और दीदी की चुत चाटने लगा. फिर मैंने चुत को चाटते चाटते अपनी एक उंगली दीदी की चुत में कर दी. दीदी की आँखें बंद थीं और वो बस आनन्द ले रही थीं. मैंने दीदी की चुत में अन्दर तक अपनी जीभ डाल दी.. दीदी कराह उठीं.
फिर अचानक दीदी मानो होश में आ गई और बोलीं- भैया 5 मिनट पूरे हो गए.
वे अपने कपड़े पहनने लगीं, तो मैंने दीदी के हाथ से उनकी ब्रा ले ली और बोला- दीदी, आपका पानी तो निकल गया, पर अपने लंड का मैं क्या करूँ?
तो दीदी ने बोला- भैया, मेरा भी पानी अभी तक नहीं निकला है.
तो मैंने बोला- तो फिर चलो ना दीदी, चुदाई कर ही लेते हैं, अभी इतना कुछ तो हो गया ना.
तो दीदी बोलीं- नहीं भैया चुदाई तो नहीं हो सकती, लेकिन एक काम कर, तू मेरी चुत चूस कर मेरा पानी निकाल दे और मैं तेरा लंड चूस कर तेरा पानी निकाल देती हूँ.
मैंने बोला- ठीक है.
हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए. दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और आइसक्रीम की तरह लंड चूसने लगीं. मुझे तो बहुत ही अच्छा लग रहा था, मैं आसमान में उड़ रहा था.
मैंने भी अपनी दीदी की चुत चाटी और जब मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है तो मैं बोला- दीदी, मेरा रस निकलने वाला है.
लेकिन दीदी कुछ नहीं बोली और लंड चूसने में लगी रहीं. दीदी भी अब मेरे मुँह में झड़ गईं और मैं भी दीदी की मुँह में झड़ गया.
मेरी दीदी की चुत का पानी मुझे बहुत ही अच्छा लगा. लंड चूसने के बाद दीदी उठ गईं और बोलीं- भैया, अब तो तुझे हो गई ना शान्ति?
मैंने कहा- हाँ.
तो बोलीं- अब तो मेरी ब्रा दे दे.
मैंने बोला- हाँ दीदी.
फिर मैंने दीदी को ब्रा अपने हाथों से पहनाई और दीदी अब अपने कमरे में जाने लगीं.
मैं अपने कमरे में ऐसे ही नंगा सो गया. सुबह जब मेरी आंख खुली तो मैं पूरा नंगा ही था और मैंने देखा कि दीदी किचन में खाना पका रही थीं. मैं किचन में ऐसे ही नंगा ही लंड हिलाता हुआ चला गया और दीदी को पीछे से जाकर पकड़ लिया. दीदी ने पिंक कलर की साड़ी पहनी थी.
जब मैंने दीदी को पकड़ लिया तो दीदी ने बोला- अरे उठ गया सागर.
मैं बोला- हाँ.. दीदी मैं उठ गया और मेरा लंड भी उठ गया.
तो दीदी ने मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं- भैया, ये तुम्हें बहुत तंग कर रहा है ना?
मैंने कहा- हाँ दीदी.. लेकिन आज आपने साड़ी क्यों पहनी है?
तो दीदी ने बोला- मैं जरा मार्केट जा रही हूँ.
मैं बोला- अच्छा तो मैं भी आपके साथ चलता हूँ.
दीदी ने बोला- नहीं.. मैं बस पास में सब्जी लेकर तुरंत ही आ जाऊंगी.
मैं बोला- दीदी. शाम को चली जाना ना.
ऐसा बोलते बोलते मैंने दीदी की साड़ी निकाल दी. दीदी गुस्से से मुझे देख रही थीं.
मैं घबरा गया, दीदी ने कहा- मैंने तुझे कल रात को ही बोला था कि हम चुदाई नहीं कर सकते, क्योंकि हम दोनों भाई बहन हैं.. और वो भी सगे हैं.
मैंने बोला- हाँ मुझे पता है.
तो दीदी ने बोला- जब तुझे पता है तो तू क्या चाहता है.. और मेरी साड़ी क्यों निकाल रहा है?
मैंने कहा- मैं आपके साथ नहाना चाहता हूँ.
दीदी ने कहा- अभी तू नहा ले, मैं तो नहा चुकी हूँ. शाम को साथ में नहाएँगे.
मैं बोला- हाँ लेकिन अभी ये इस खड़े लंड का क्या करूँ?
तो दीदी ने कहा- बाथरूम में मुठ मार लेना.
उन्होंने मुझे धक्का देकर किचन से बाहर भेज दिया. मैं बाथरूम में चला गया और वहां देखा कि कल रात को दीदी ने जो ब्रा और पेंटी पहनी थी, वो वहां पे गीली लटकी हुई थी. मेरा काम हो गया ये देख कर मैंने दीदी की ब्रा को हाथ में लेकर सूँघा और उनकी अंडरवियर अपने लंड पर लगा कर मुठ मारने लगा.
मैंने अपना सारा माल दीदी की अंडरवियर में गिरा दिया और नहा कर बाहर आ गया. बाहर आकर देखा तो दीदी ने अपने कपड़े चेंज कर दिए थे. दीदी ने हल्का सा गाउन पहन लिया था, जिसमें उन्होंने अपनी ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि दीदी के निप्पल मुझे साफ़ दिख रहे थे.
ये देख कर मुझे पता लग गया कि दीदी ने ब्रा नहीं पहनी है. फिर हम लोग खाना खाने लगे. तभी दीदी का मोबाइल बजा, दीदी ने कॉल रिसीव किया. जीजाजी का फोन था और दीदी बात करते करते अपने बेडरूम में चली गईं. कुछ देर बाद दीदी वापस डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गईं.
मैंने देखा तो दीदी का चेहरा उतरा हुआ था. कुछ देर बाद मैंने उनसे कहा- आप कुछ उदास हो गई हैं, क्या बात है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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दी बोलीं- कुछ नहीं.. चल जरा बाजार तक हो कर आते हैं.
मैं उनके साथ चल दिया.
दीदी ने अपने लिए ब्रा-पेंटी का एक सैट खरीदा जो कि पर्पल कलर का था.
उन्होंने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है?
“अच्छा है ले लो.”
घर आने के बाद मैंने कहा- दीदी वो ब्रा पेंटी पहन कर दिखाओ ना अभी.
दीदी ने गुस्से भरी नज़र से मुझे देखा और कहा- तू फिर से शुरू हो गया?
मैं कुछ नहीं बोला और कमरे में जाकर सो गया.
कुछ देर बाद उठा तो मैंने देखा कि घर में सजावट हो रही थी.
मैंने दीदी को छेड़ा तो दीदी ने कहा- अभी कुछ मत कर.
मैं- ठीक है दीदी, लेकिन एक बात तो बताओ ये आपने घर को फूलों से क्यों सजाया है?
दीदी- वो तुझे कल पता चल जाएगा. आज दर्जी आने वाला है तू अपना नाप दे देना.
मैंने कहा- ठीक है.. पर क्या बनवाना है?
दीदी बोलीं- वो खुद सब कर लेगा तू बस नाप दे देना. बाकी कल बात करूँगी.
मैंने कहा- ठीक है, अब इतने दिन इंतज़ार कर लिया है तो एक दिन और सही.
मैं घूमने निकल गया बाद में घर आया तो दीदी के साथ खाना खाया और सो गए.
सुबह जब मैं उठा तो दीदी घर में झाड़ू लगा रही थीं. दीदी ने ढीली सी टी-शर्ट पहन रखी थी और नीचे एक शॉर्ट पहना हुआ था. दीदी झाड़ू लगा रही थीं. उनके मम्मे मुझे दिख रहे थे, तो मेरा लंड एकदम से तम्बू बन गया.
मैं तुरंत ही बाथरूम में भागा और मुठ मारने लगा. फिर नहा कर बाहर आ गया. अब मैं टीवी देख रहा था.
फिर शाम को जो दर्जी मेरा साइज़ ले गया था, वो आया और उसने दीदी को एक शेरवानी दी. वो दर्जी के साथ एक पंडित भी आया था. मैं कुछ नहीं समझा.
दीदी ने पंडित जी को बिठाया, मैंने देखा कि पंडित के पास काफ़ी सारा सामान था.
दीदी ने मुझसे बोला- जा जाकर नहा कर ये शेरवानी पहन ले.
मैंने बोला- क्यों दीदी?
दीदी ने बोला- सवाल मत कर, जल्दी से जा.
मैं बाथरूम में जाकर नहा के वापस आपने रूम में आ गया और सोचने लगा कि आख़िर ये सब मेरे साथ हो क्या रहा है?
मैंने शेरवानी पहन ली और अच्छे से तैयार हो गया. थोड़ी देर बाद दीदी मेरे कमरे में आईं. मैं दीदी को देखकर एकदम से चौंक गया. दीदी ने अपनी शादी का जोड़ा पहना हुआ था और काफ़ी सारे गहने भी पहने थे.
उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि आज उनकी शादी हो.
मैंने दीदी की शादी के वक़्त दीदी को इस रूप में देखा था. दीदी इस वक्त कोई परी से कम नहीं लग रही थीं.
मैं तो दीदी को देखता ही रह गया. दीदी मेरे पास आईं और मेरे माथे पर किस करके बोलीं- सागर मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. मुझे तुम्हारा लंड बहुत ही अच्छा लगता है. मैंने जब पहली बार तुम्हारा लंड देखा था, तभी मुझे तुम्हारा लंड भा गया था. मैं तुमसे चुदवाना चाहती थी. लेकिन हम आखिर हैं तो भाई बहन, इसलिए मैंने अपने आप पे कंट्रोल कर लिया. पर अब और नहीं हो सकता, वैसे भी तुम्हारे जीजाजी अब 3-4 महीने के बाद आएँगे, तो मैं कैसे 3-4 महीने में लंड के बिना रह सकती हूँ. इसलिए मैंने सोच लिया है कि मैं तुमसे शादी करूँगी और बाद में हम दोनों भाई बहन पति पत्नी बन कर सुहागरात मनाएंगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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दी बोलीं- कुछ नहीं.. चल जरा बाजार तक हो कर आते हैं.
मैं उनके साथ चल दिया.
दीदी ने अपने लिए ब्रा-पेंटी का एक सैट खरीदा जो कि पर्पल कलर का था.
उन्होंने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है?
“अच्छा है ले लो.”
घर आने के बाद मैंने कहा- दीदी वो ब्रा पेंटी पहन कर दिखाओ ना अभी.
दीदी ने गुस्से भरी नज़र से मुझे देखा और कहा- तू फिर से शुरू हो गया?
मैं कुछ नहीं बोला और कमरे में जाकर सो गया.
कुछ देर बाद उठा तो मैंने देखा कि घर में सजावट हो रही थी.
मैंने दीदी को छेड़ा तो दीदी ने कहा- अभी कुछ मत कर.
मैं- ठीक है दीदी, लेकिन एक बात तो बताओ ये आपने घर को फूलों से क्यों सजाया है?
दीदी- वो तुझे कल पता चल जाएगा. आज दर्जी आने वाला है तू अपना नाप दे देना.
मैंने कहा- ठीक है.. पर क्या बनवाना है?
दीदी बोलीं- वो खुद सब कर लेगा तू बस नाप दे देना. बाकी कल बात करूँगी.
मैंने कहा- ठीक है, अब इतने दिन इंतज़ार कर लिया है तो एक दिन और सही.
मैं घूमने निकल गया बाद में घर आया तो दीदी के साथ खाना खाया और सो गए.
सुबह जब मैं उठा तो दीदी घर में झाड़ू लगा रही थीं. दीदी ने ढीली सी टी-शर्ट पहन रखी थी और नीचे एक शॉर्ट पहना हुआ था. दीदी झाड़ू लगा रही थीं. उनके मम्मे मुझे दिख रहे थे, तो मेरा लंड एकदम से तम्बू बन गया.
मैं तुरंत ही बाथरूम में भागा और मुठ मारने लगा. फिर नहा कर बाहर आ गया. अब मैं टीवी देख रहा था.
फिर शाम को जो दर्जी मेरा साइज़ ले गया था, वो आया और उसने दीदी को एक शेरवानी दी. वो दर्जी के साथ एक पंडित भी आया था. मैं कुछ नहीं समझा.
दीदी ने पंडित जी को बिठाया, मैंने देखा कि पंडित के पास काफ़ी सारा सामान था.
दीदी ने मुझसे बोला- जा जाकर नहा कर ये शेरवानी पहन ले.
मैंने बोला- क्यों दीदी?
दीदी ने बोला- सवाल मत कर, जल्दी से जा.
मैं बाथरूम में जाकर नहा के वापस आपने रूम में आ गया और सोचने लगा कि आख़िर ये सब मेरे साथ हो क्या रहा है?
मैंने शेरवानी पहन ली और अच्छे से तैयार हो गया. थोड़ी देर बाद दीदी मेरे कमरे में आईं. मैं दीदी को देखकर एकदम से चौंक गया. दीदी ने अपनी शादी का जोड़ा पहना हुआ था और काफ़ी सारे गहने भी पहने थे.
उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि आज उनकी शादी हो.
मैंने दीदी की शादी के वक़्त दीदी को इस रूप में देखा था. दीदी इस वक्त कोई परी से कम नहीं लग रही थीं.
मैं तो दीदी को देखता ही रह गया. दीदी मेरे पास आईं और मेरे माथे पर किस करके बोलीं- सागर मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. मुझे तुम्हारा लंड बहुत ही अच्छा लगता है. मैंने जब पहली बार तुम्हारा लंड देखा था, तभी मुझे तुम्हारा लंड भा गया था. मैं तुमसे चुदवाना चाहती थी. लेकिन हम आखिर हैं तो भाई बहन, इसलिए मैंने अपने आप पे कंट्रोल कर लिया. पर अब और नहीं हो सकता, वैसे भी तुम्हारे जीजाजी अब 3-4 महीने के बाद आएँगे, तो मैं कैसे 3-4 महीने में लंड के बिना रह सकती हूँ. इसलिए मैंने सोच लिया है कि मैं तुमसे शादी करूँगी और बाद में हम दोनों भाई बहन पति पत्नी बन कर सुहागरात मनाएंगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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दीदी बोलीं- ये वो गोली है, जिसके खाने से तेरा लंड कल सुबह तक कड़क ही रहेगा.
मैंने जल्दी से वो गोली खा ली. फिर मैंने दीदी को अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिया और जानवरों की तरह दीदी को चाटने चूमने लगा. दीदी के मम्मे अपने मुँह में लेकर काटने लगा तो दीदी ने बोला- आह धीरे करो.. मैं तुम्हारी बीवी हूँ.. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
पर मैं तो वासना की भूख में पागल सा हो गया था.. तो मैंने कुछ नहीं सुना और बस दीदी के मम्मों को काटता रहा.
फिर मैंने दीदी की चुत को चाटना शुरू किया, तो दीदी ने कहा- मेरे राजा.. सागर.. मेरे पति देव, आज भर के चाट लो मेरी चुत को.. मैं अब सिर्फ़ तेरी हूँ और मैं हमेशा के लिए तेरी ही रहना चाहती हूँ.. अहह.. ओह… आईईई.. ओह राजा.. अब नहीं रहा जाता, जल्दी से डाल दे अपना लंड मेरी चुत में.. आहह..
मैं अभी भी दीदी की चुत चाट रहा था. मैंने फिर अपने लंड का सुपारा दीदी की चुत पर लगाया. दीदी की चुत पहले से ही गीली हो चुकी थी. मेरा सुपारा सट से अन्दर चला गया, लेकिन मेरा लंड था मोटा और दीदी की चुत का मुँह बंद था.
तो जब मैंने अपना पूरा लंड अन्दर घुसाने के लिए धक्का लगाया तो दीदी ज़ोर से चिल्लाईं- ओह सागर मार दिया तूने तो.. अहह.. ओह मम्ममी..
मैंने फिर एक ज़ोर का झटका लगाकर पूरा लंड अन्दर घुसा दिया, तो दीदी की ने मेरी पीठ पर अपने नाखून रगड़ दिए.
दीदी तड़फ कर बोलीं- आह सागर निकाल ले अपना मूसल लंड.. नहीं तो मेरी चुत फट जाएगी..
पर मैं कहा मानने वाला था, मैं थोड़ा रुक गया और दीदी को किस करने लगा. उनके मम्मों को अपने हाथों में ले लिया और फिर एक निप्पल चूसने लगा.
थोड़ी देर बाद दीदी ने बोला- आह.. अब लगा धक्के..
तो मैं शुरू हो गया और दीदी को चोदने लगा.
दीदी ने कहा- आह.. मजा आ रहा है सागर और तेज़ी से चोदो..
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अब दीदी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थीं- ओह.. माय हज़्बेंड फक मी.. अहह.. कहाँ थे तुम इतनी देर से.. आह.. मुझे पूरी ज़िंदगी ऐसे ही चोदते रहना.. मेरे पातिदेव.. ओह माँहह आहह.. क्या लंड है तेरा..
मैं अपना लंड अन्दर बाहर करता हुआ दीदी के मम्मे दबा रहा था. फिर उन्होंने मुझे जकड़ लिया, मुझे लगा कि वो झड़ने वाली हैं.
इधर मैंने गोली खाई हुई थी, तो मैं तो लगातार दीदी को चोदने में लगा रहा. दीदी झड़ गई और कुछ देर बाद फिर चुदवाने लगीं. इस बीच मैंने दीदी की चुत से लंड निकाला ही नहीं था.. बस कुछ पल के लिए रुक कर दीदी की चुत के गर्म रस का मजा अपने लंड को दिलाता रहा.
करीब एक घंटे के बाद मैं बोला- दीदी अब मैं झड़ने वाला हूँ.
दीदी बोलीं- मेरे मुँह में झड़ जाओ.
मैंने झट से अपना लंड निकाल कर दीदी के मुँह में डाल दिया. दीदी मेरा सारा माल पी गईं.. और उन्होंने मेरा लंड चाट चाट के साफ कर दिया.
पर दवा के प्रभाव से मेरा लंड अभी भी कड़क था. तो मैंने दीदी को पीछे मुड़ने के लिए कहा और उनकी गांड पर एक ज़ोर का थप्पड़ लगाया.
तो दीदी ने बोला- सागर, मेरी गांड मारने के बारे में मत सोचना, मैं तुम्हें गांड नहीं मारने दूँगी, तेरे जीजा जी भी मेरी गांड मारना चाहते हैं, पर मैंने उनको भी मना कर दिया.
मैंने बोला- जीजू तो साला गे है, लेकिन मैं एक मर्द हूँ और तू मेरी बीवी है. समझी साली रंडी.. चल आज गांड तो क्या तेरे शरीर के हर एक छेद में अपना लंड पेलूँगा, मैं तेरा पति हूँ, मुझे तू नहीं मना कर सकती मेरी ज्योति डार्लिंग.
वो घबरा गईं..
तो मैंने बोला- शुरू शुरू में दर्द होगा, पर बाद में अच्छा लगेगा.
दीदी ने बोला- सागर एक तो तेरा लंड ही इतना बड़ा है कि मेरी चुत में अभी दर्द हो रहा है और तू मेरी गांड में भी घुसाना चाहता है. मैं मर जाऊंगी.
मैंने बोला- अरे मेरी प्यारी दीदी ज्योति, माय डार्लिंग.. कुछ नहीं होगा.
मेरे मनाने पर वो मान गईं. मैंने उनकी गांड के छेद पर बहुत सारा तेल लगाया साथ ही अपने लंड पर भी लगा लिया. फिर मैंने उन्हें कुतिया बनने को कहा, वो कुतिया बन गईं. मैंने फिर उनकी कमर पकड़ कर उनकी गांड के छेद पर अपना सुपारा रख कर एक ज़ोर का झटका मारा. मेरा सुपारा सटाक से अन्दर चला गया. दीदी दर्द के मार आगे को भागने की कोशिश करने लगीं, लेकिन मैंने दीदी को कमर से जकड़ रखा था और मेरी पकड़ मजबूत थी. फिर मैंने एकदम से मेरी पूरी ताक़त लगाई और ज़ोर का एक झटका दे मारा, मेरा लंड पूरा का पूरा दीदी की गांड के अन्दर हो गया. दीदी बहुत ही ज़ोर से चिल्लाईं- ओह.. भैनचोद.. कुत्ते.. निकाल अपना लंड, तेरी माँ की चुत.. भोसड़ी के निकाल जल्दी.. नहीं तो मेरी गांड फट जाएगी.
मैंने कहा- मेरी रंडी बीवी.. चल साली अब मज़े ले.. अपने सैंया बने भैया के लंड का..
मैं थोड़ी देर रुका, दीदी की आँखों में आंसू आ गए थे.
फिर कुछ देर बाद दीदी का दर्द कम हुआ तो मैंने झटके मारने शुरू किए. दीदी भी अब उछल उछल कर अपनी गांड मरवा रही थीं, उनकी भी मज़ा आ रहा था.
दीदी प्यार से बोलीं- ओह माय डियर हज़्बेंड फक मी हार्ड.. ऐसे ही पूरी रात तक चोदते रहना.. ओह आहह सागरर.. फक मी..
गोली के असर के चलते करीब एक घंटे तक दीदी की गांड मारी इसके बाद मेरा माल निकल गया. दीदी ने सारा माल आपने मुँह में ले लिया. फिर हम दोनों बांहों में बाँहें डाल कर सो गए.
रात को जब मेरी आंख खुली तो घड़ी में 3 बज रहे थे और मैंने महसूस किया कि दीदी मेरा लंड चूस रही थीं. मैंने फिर से उनकी चुत की चुदाई की.
अब मैं और दीदी घर में पति पत्नी की तरह रहते हैं. जब मेरे जीजू घर पर नहीं होते तब मैं और दीदी नंगे ही घूमते हैं.
मेरी दीदी अब मुझसे प्रेंगनेंट हैं, लेकिन मेरी बेवकूफ़ फैमिली को लगता है कि ये बच्चा जीजू का है. असल में ये मेरा है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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