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मुझे अब सब कुछ समझ में आ गया था। मेरे बड़े जीजा जी (पूर्वी दीदी के पति) उनको अच्छे से चोद नही पाते थे। जब औरत इतनी खूबसूरत हो और पति ठीक से उसको चोद न सके तो वो निश्चित तौर पर किसी गैर मर्द से चुदवा लेगी। ऐसा ही उनके साथ हुआ था। वो अपने खूबसूरत गोरे पैर खोल दी। उनकी मस्त मस्त चूत मुझे दिख गयी। मैं जीभ लगा लगाकर चाटने लगा। वो सिसियाने लगी। मेरे अंदर ही वासना का समुन्द्र जागने लगा। मैं मुंह लगाकर उनकी नमकीन स्वाद वाली चूत को मजे लेकर चाटने लगा। वो कमर उठा उठाकर पिला रही थी।
“…..सी सी सी सी…तुम्हारी जीभ तो पागल कर रहे है….और चाटो मेरी बुर को ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ” पूर्वी दीदी कहने लगी और अपना पेट उपर को उठाने लगी
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भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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मैंने भी उनकी चूत की खूब दावत उडाई। मुंह में लेकर खूब चूसा और चाटा। फिर लंड हिला हिलाकर फेटने लगा। मैं लंड को पकड़कर उनकी चूत में डालने लगा। पर पर छेद इतना कसा था जैसे कोई कुवारी बिना चुदी औरत हो। मुझे काफी तेज धक्का मारना पड़ा दोस्तों। तब जाकर मेरा 7 इंची मोटा लंड उनकी चुद्दी में प्रविष्ट हो पाया। मैंने धक्के देना शुरू किया। पूर्वी दीदी मेरा लंड खाने लगी। अब चुदने लगी वो। मैं और तेज तेज धक्के मारने लगा। वो बिस्तर पर उछलने लगी।
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मैं फटाफट करके धक्के पर धक्के देने लगा। मेरा लंड जल्दी जल्दी उनकी बुर को जड तक फाड़ने लगा। दीदी की हालत खराब होने लगी। मैं उसकी मस्त मस्त बुर को हाथ से सहलाने लगा। हाथ में मैंने थूक लिया और उनके चूत के दाने पर रगड़ने लगा। जैसे जैसे रगड़ रहा था उनके पुरे जिस्म में कम्पन होने लगा। वो पागल होने लगी। उनकी हालत किसी बकरी जैसी हो गयी थी जिसके गले पर छुरी चल रही थी। वो भी आनन्दित होने मजा लूटने लगी।
“….ऊँ—ऊँ…भूपेन्द्र!! जब तेज तेज चोदते तो तब भी मजा मिलता है…. सी सी सी…” पूर्वी दीदी कहने लगी
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“ले रांड!! अब तेजी बुर को तेज तेज फाडूगा” मैंने कहा और लंड को जल्दी जल्दी दीदी की चूत की गली में दौड़ाने लगा। मैंने एक जांघ को मोड़कर दूसरी जांघ पर रख दिया। और तेज तेज झटके देने लगा। इससे मुझे काफी कसावट मिल रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था। पूर्वी दीदी “आआआअह्हह्हह…..ईईईईईईई….ओह्ह्ह्….अई. .अई..अई…..अई..मम्मी….”करने लगा। मैं जल्दी जल्दी पेलता चला गया। काफी देर मनोरंजन हुआ। इसके बाद मैंने जल्दी से लंड निकालकर उनके मुंह पर लंड फेटना चालू किया।
“मेरे मुंह पर अपना माल गिरा दो” पूर्वी दीदी किसी रंडी की तरह कहने लगी
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मैंने उनके चेहरे को पकड़ा और उनके उपर अपने 7” मोटे लंड को ले आया। और जल्दी जल्दी मूठे देने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था। काफी देर मेहनत करने के बाद मेरे लंड ने अपना रस छोड़ दिया। पूर्वी दीदी के चेहरे पर सफ़ेद माल की बारिश कर दी। उनके गाल, ओंठो, नाक, आँखों सब जगह मेरे माल की चिपचिपी पिचकारी लगी हुई थी। वो ऊँगली से अपना खूबसूरत चेहरा पूछने लगी और मुंह में लेकर चाटने लगी।
“आखिर चुद ही गयी तू” मैंने कहा
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दीदी ने मुझे पास लिटा लिया। फिर मेरे ओंठ पर अपने सेक्सी ओंठ रखकर चूसने लगी। फिर वो मटक कर चली गयी। दोस्तों मेरे सगे जीजा का मकान अब बन गया था। इसलिए राधा बहन की सुसराल में और दिन नही टिक सका। क्यूंकि अब कोई बहाना ही नही बचा था। इसलिए मैं अपने घर लौट आया। अब उनकी जेठानी यानी की पूर्वी दीदी से मेरा फोन सेक्स शुरू हो गया था। दूसरे ही दिन शाम को उनका काल आ गया।
“कैसे हो??” वो पूछने लगी
“बस ठीक हूँ” मैंने बोला
“तुम्हारा नाम ले लेकर कल की रात गुजार दी। सारी रात चूत में ऊँगली करती रही” पूर्वी दीदी कहने लगी
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“क्यों जीजा जी ने नही चोदा” मैं इधर से बोला
“नही। वो 2 मिनट में ही झड़ गये। फिर दूसरी तरफ मुंह करके सो गये। मैं तुम्हारे बारे में सोचती रही” पूर्वी दीदी बोली
“मेरे बारे में या मेरे पहलवान लंड के बारे में??” वो हँसने लगी
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इस तरह से हर रात उनके साथ फोन सेक्स होने लगा। कई बार पूरी पूरी रात चुदाई वाली बाते होती थी। कुछ दिन बाद मेर राधा बहन मेरे घर आने वाली थी। उनकी जेठानी यानी पूर्वी दीदी भी राधा के साथ घर आ गयी। अब मेरी फिर से बल्ले बल्ले हो गयी थी। अपने घर में और राधा बहन के सामने उनकी पूर्वी दीदी कहकर बुलाता था जिससे किसी को शक न हो जाए की हमारे बीच चुदाई वाला गरमा गर्म जिस्मानी रिश्ता है। मैं मौका देखने लगा की कैसे पूर्वी दीदी को चोदू। शाम के 4 बजे मेरी दीदी और राधा बहन किसी काम से मार्किट चली गयी। अब मेरे पास सही दांव था। मैं सीधा पूर्वी दीदी के कमरे में चला गया। वो कोई किताब पढ़ रही थी। जाते ही मैंने उनकी किताब को पकड़कर दूर फेका और जाकर चिपक गया।
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क्या कर रहे हो भूपेन्द्र?? किसी ने देख लिया तो??” पूर्वी दीदी घबराकर कहने लगी
“कोई नही है घर में। सब लोग मार्केट गये है। चल जल्दी से कपड़े उतार दे” मैं और
पहले तो हम लोग का किस हुआ। क्यूंकि पूरे 4 महीने बाद पूर्वी दीदी आज मेरी बाहों में थी। पहले तो काफी किस हुआ हम लोगो का। उसके बाद वो अपना ब्लाउस और साड़ी खोलने लगी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और लंड की झांट साफ़ करने लगा। पूरे लंड पर तेल की मालिश कर दी। फिर पूर्वी दीदी को कुतिया बना डाला।
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तेल लगे होने की वजह से चिकना लंड सटाक से अंदर घुस गया। मुझे काफी संतुस्टी मिली।
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13-11-2020, 12:17 PM
(This post was last modified: 13-11-2020, 12:19 PM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
अब मैंने जल्दी जल्दी .......... मारना शुरू कर दिया। पूर्वी दीदी “……मम्मी…मम्मी…..सी सी सी सी.. हा हा हा …..ऊऊऊ ….ऊँ. .ऊँ…ऊँ…उनहूँ उनहूँ..” करने लगी। कुछ देर में मैंने अंदर तक उनकी .........चोदना शुरू किया। फिर 17 18 मिनट बाद उसी में शहीद हो गया
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दीदी की कामुक जेठानी को चोदा
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यह कहानी मेरी दीदी की जेठानी जो कि एक विधवा है, उनके साथ हुई घटना है. तो यह बात उस वक़्त की है जब मेरी दादी जी की म्रत्यु हो गई और तो मैं घर गया हुआ था और घर पर उस समय बहुत ही दुःख का माहोल था और घर पर बहुत से रिश्तेदार भी मौजूद थे जो कि माँ और पापा को समझा रहे थे और मुझे भी दिलासा दे रहे थे.. क्योंकि वो वक्त बहुत मुश्किल होता है.
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मेरे मम्मी, पापा खाना खुद ही बिना लसुहन प्याज के अलग से पकाकर खाते थे.. तो मेरे खाने का इंतजाम करने के लिए मेरी दीदी की जेठानी को गावं से बुलाना पड़ा.. अरे मैं बातों बातों में तो उनका फिगर ही बताना भूल गया.. उनका नाम अंजू है और उनका बड़ा ही सेक्सी फिगर है. उनका साईज 34-30-32 जो कि मुझे भी बाद में पता चला.. वैसे वो हमेशा साड़ी ही पहनती है.. लेकिन यारों बड़ी ही गरम चीज थी.. जो भी उसे एक बार देखे तो उसका लंड जाग जाए और मैं हमेशा उन्हे दीदी कहकर पुकारता था
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मेरी उनके साथ बहुत बनती थी और हम हमेशा एक दूसरे के साथ बहुत मज़ाक भी करते थे. जब भी मैं गावं जाता था तो वो इधर उधर की बातें मेरी गर्ल फ्रेंड के बारे में (जो कि अभी तक मेरी कोई भी नहीं है) हमेशा मुझे चिड़ाती थी. फिर एक बार तो बातों बातों में उन्होंने मुझे अचानक से किस कर दिया. मैं तो बहुत चकित रह गया था और फिर उन्होंने हंसी हंसी में उसी समय उस बात को टाल भी दिया. तभी से मुझे उन पर बहुत शक होने लगा.. कि इस साली रंडी के दिमाग़ में शायद कुछ चल रहा है.. लेकिन मैं उस वक्त कुछ कर ना सका.. लेकिन एक बहुत अच्छे मौके की तलाश में था जो कि मुझे अब मिलने वाला था.. लेकिन जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. तो अब मुझे घर पर आए हुए पूरे 11 दिन के ऊपर हो चुके थे और इस बीच मैंने उन्हें बहुत छेड़ा और उन्हें इधर उधर हाथ भी मारे.. लेकिन वो कुछ नहीं कहती थी.. उल्टा मुझे भी वो छेड़ दिया करती थी.
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फिर 12 दिन के बाद दादी जी का जब क्रियाकर्म खत्म हुआ तो इस बीच तक मैं नीचे ही सोता था. हमारे घर में दो बेडरूम और एक गेस्ट रूम है और मैं अपने रूम में ही सोता था.. तो उसी रात को माँ ने अंजू से कहा कि वो भी मेरे कमरे में सो जाए क्योंकि उस समय बारिश का मौसम था और थोड़ी बहुत ठंड भी थी. तो माँ ने एक बड़ा मोटा चादर हम दोनों को दे दिया और कहा कि अगर रात को जरूरत लगे तो काम में ले लेना. मैं तो बहुत ही खुश था और इस कारण से मेरे लंड महाराज ख़ुशी से तनकर खड़े थे और ऐसा एहसास मुझे पहले कभी महसूस नहीं हुआ था. फिर सभी दरवाज़े बंद करके वो कमरे में आई और आकर मेरे साईड में लेट गई और उसने मुझसे कहा कि सो गये क्या? मैं तो उसी पल का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था.. मैंने झट से उन्हे जकड़ लिया और मेरी तरफ खींच लिया.. मानो आज मेरे ऊपर कामदेव ने कृपा की हो.. वो मना करने लगी कि माँ जाग जाएगी और यह सब ठीक नहीं है.. लेकिन उन्होंने ज़्यादा दबाव से नहीं कहा था.
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मैंने थोड़ा ज़ोर देकर कहा कि कुछ नहीं होगा और कोई नहीं जागेगा. मैं तो बस तुम्हे पकड़ कर सोना चाहता हूँ.. लेकिन वो कहाँ जानती थी कि मैं क्या पकड़ कर सोना चाहता हूँ और बस थोड़ी ही देर में अंजू ने विरोध करना बंद कर दिया और मेरे हाथ के ऊपर अपने हाथ को रखा और सोने का नाटक करने लगी. तभी मैंने सोचा कि हाथ साफ करने का यह बहुत अच्छा मौका है और मैंने अपना हाथ खींचकर उसकी साड़ी के अंदर उसके पेटीकोट पर ले गया और कसकर पकड़ लिया वो और फिर थोड़ी सी मेरे बदन से चिपक गई और कहने लगी कि कोई जान जाएगा.. घर पर बहुत से लोग है और माँ उठ जाएगी.
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तो मैंने उसे थोड़ा समझाया तो वो मान गई और फिर मैं अपना हाथ धीरे धीरे ऊपर लेता गया और आखिरकार उसके रसीले आम को मैंने आज पकड़ ही लिया और मेरे बदन में एक अजीब सा करंट दौड़ गया और उसका मेरा रोम रोम सिहर उठा.. शायद पहली बार ऐसा ही होता है. तो वो मना करने लगी.. लेकिन में अब कहाँ मानने वाला था मैंने वैसे ही उसके बूब्स को पकड़ा रखा था और थोड़ी देर के बाद मैंने एक एक करके ऊपर के दोनों हुक खोल दिए और हाथ को पूरा अंदर घुसा दिया.. वो मानो जन्नत की कोई हसीन चीज़ मेरे हाथ लग गई थी. इससे पहले मैंने बहुत सारी ब्लूफिल्म देखी है और मुझे पता था कि मुझे अब इसके आगे क्या करना है..
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तो मैंने अंजू के बूब्स को सहलाना, मसलना शुरू कर दिया. तो वो अपनी दोनों आँखें बंद किए हुई थी और कुछ बडबडा रही थी.. शायद वो मोनिंग कर रही थी.. लेकिन मैंने उस तरफ ज्यादा ध्यान ना देते हुए बाकी के बचे हुए कपड़े भी खोल डाले और ब्लाउज को उतार फेंका.. वो क्या नज़ारा था.. आज तक जो बूब्स मैंने सपने में देखे थे आज वही असली मेरे सामने थे और मैं खुद पर कंट्रोल नहीं कर सका और बूब्स पर टूट पड़ा.. उसके भूरे निप्पल एकदम से सख्त हो चुके थे और इस बीच अंजू ने मुझे हटाया और मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिए
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फिर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ, कि चलो आख़िरकार साली माँ की लौड़ी जो इतने दिनों से मुझे परेशान किए हुई थी; आज मेरे सामने आधी नंगी होकर लेटी हुई है. बहुत जोरों से हमारी किस चल रही थी.. मैं उसकी जीभ चूस रहा था और वो मेरी जीभ चूस रही थी. फिर मैंने उसे नीचे बेड पर धक्का देकर गिरा दिया और उसके सर से लेकर पेट तक चूमने लगा.. अंजू बस मोन किए जा रही थी आअहह बस करो विराज आहह मैं मर जाउंगी.. प्लीज बस करो और फिर मैं कहाँ रुकने वाला था.
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