09-03-2022, 06:38 AM
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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
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10-03-2022, 02:29 PM
No updates?
10-03-2022, 09:46 PM
"शालिनी जी, प्लीज़! आप इतनी भी भोली मत बनिए। ये मत कहिए कि आप नहीं जानती कि केवल ब्रा और पैंटी में मेरे साथ पूल में क्या कर रही हैं?" अभिषेक के बात में अब भी वही विनम्रता थी। उसने अपने हाथ को आगे बढ़ा कर शालिनी के स्तन पर रख दिया था।
शालिनी ने अभिषेक का हाथ पकड़ लिया "इस बात की क्या गारंटी है कि तुम ये सब करने के बाद वीडियो को इंटरनेट पर नहीं डालोगे?" "गारंटी तो कोई नहीं है मैडम। पर आप खुद सोचो। क्या आपको लगता है कि आप पहली औरत हो जिसके साथ ये हो रहा है? अगर मैंने पहले किसी औरत की वीडियो डाली होती तो सिक्युरिटी में कंप्लेन ज़रूर हुआ होता। और अगर कंप्लेन हुआ होता तो मेरी बात छोड़ो, ये रिजॉर्ट बंद हो चुका होता।" अभिषक शालिनी के सुडौल स्तन को धीमे धीमे मसल रहा था। शालिनी ने कुछ कहा नहीं पर उसने अभिषेक का हाथ छोड़ दिया था। अभिषेक ने अपनी उंगली से शालिनी के ब्रा के एक स्ट्रैप को शालिनी के कंधे से सरका दिया। फिर मुस्कुराता हुआ अपने दाएं हाथ की तर्जनी से आहिस्ता आहिस्ता शालिनी के ललाट को छुआ। ललाट से उंगली नाक के रास्ते होंठों तक पहुंची। बड़ी इत्मीनान से, बिना किसी हड़बड़ी के, पूरे संयम, पूरे नज़ाकत के साथ मादक अंदाज़ में अभिषेक अपनी उंगली से अभिषेक शालिनी के चेहरे को सहला रहा था। शालिनी को आज तक किसी ने ऐसे नहीं छुआ था। उसके निप्पल उभरने लगे। उसकी चूचियां विद्रोह कर ब्रा से बाहर आने को लालायित हो रहे थे। उसकी चूत पानी में भी दहकने लगी थी। शालिनी अपने सांस की गति को नियंत्रित करने का प्रयास करती तो धड़कने लय छोड़ देती, धड़कनों पर ध्यान देती दो सांसे बहक जाती। शालिनी ने जिस कामुक कन्या को अपने अंदर छिपा कर रखा था वो बंधनों को तोड़ स्वतंत्र होने के लिए संग्राम कर रही थी। शालिनी के शराफत का साम्राज्य बिखरने लगा था।
11-03-2022, 09:59 PM
अभिषेक समतल के नदी के समान घुमावदार रास्ते पर ले जाता हुआ उंगली को होंठ से ठोढ़ी, फिर ठोढ़ी से गर्दन, गर्दन से कंधा होते हुए पहाड़ी इलाके की तरफ बढ़ रहा था। शालिनी अधीर हुई जा रही थी। उसका अतृप्त शरीर संभोग के लिए व्याकुल था। बड़ी मुश्किल से वो खुद को नियंत्रित रख पा रही थी। अभिषेक की उंगली पहाड़ी पर चढ़ने लगी थी। उंगली से ब्रा को सरका कर उसने शालिनी के शख्त हो चुके निप्पल को छुआ। शालिनी का अंतर्मन मचल उठा। उसकी इच्छा थी कि अभिषेक उसके चूची को हाथ में भर कर मसले, उसके निप्पल को मुंह में लेकर चूसे। पर ये कमबख्त उसे छू कर उसकी वासना को सुलगा रहा था। लिप्सा की अग्नि से शालिनी की वासना पिघल कर उसके योनि से बहने लगी थी। अगर शालिनी पानी में नहीं होती तो उसकी पैंटी चूत के स्राव से गीली होकर शालिनी के मनोभाव का भेद खोल देती।
निप्पल की परिक्रमा कर उंगली शालिनी के बगल से पीठ की तरफ बढ़ी तो अभिषेक शालिनी के और निकट आया। अभिषेक का पुष्ट लंड अंडरवियर को इतना आगे तक धकेल रहा था कि उसका अंडरवीयर उसके कमर से अलग हो रहा था। गीली अंडरवीयर के पार शालिनी अभिषेक के लंड के आकार और प्रकार को स्पष्ट देख पा रही थी। शालिनी ने अपना हाथ उठा कर अभिषेक के लिए पीठ का मार्ग सुगम किया। अभिषेक ने शालिनी के ब्रा का हुक बड़ी कुशलता से पहले प्रयास में ही खोल दिया। दूसरे हाथ से अभिषेक ने दूसरा स्ट्रैप कंधे से सरकाया। शालिनी ने ब्रा को नीचे गिरने से रोकने का कोई प्रयास नहीं किया। उसकी नजर तो अभिषेक के लंड पर टिकी थी। वो बेसब्री से उसके बाहर निकलने का इंतजार कर रही थी। अगर शालिनी ने शराफत का जामा नहीं पहना होता तो अब तक उसके लंड को बाहर निकाल कर उससे खेल रही होती, उसे चूस रही होती।
12-03-2022, 08:14 PM
Great use of language and figures of speech!
12-03-2022, 10:54 PM
अभिषेक की उंगली रीढ़ के रास्ते नीचे की ओर बढ़ने लगी। पर सम्मुख दो लज़ीज़, तंदरुस्त, गुंबद जैसे गोल उरोज को देख कर कैसे इन्सान के मुंह से लार नहीं टपकेगा? अभिषक दूसरे हाथ के हथेली से शालिनी के निप्पल पर धीरे धीरे धीरे रगड़ रहा था। जैसे भरी हुई टूथपेस्ट के ट्यूब पर आप कहीं भी दबाव दें उसके मुंह से पेस्ट बहने लगता है उसी प्रकार अभिषेक शालिनी के बदन पर कहीं भी दबाव देता तो उसकी चूत रिसने लगती। निप्पल तो उसके शरीर के सबसे संवेदनील अंगों में से था। अभिषेक शालिनी के कमर को दबा कर उसे और पास ले आया। अब शालिनी की सांसे, उसकी धड़कने उसकी एक भी फरियाद सुनने को तैयार नहीं थे। सबने विद्रोह का ऐलान कर दिया था। शालिनी के तन, बदन और मन में अराजकता थी, इंकलाब था। अभिषेक ने दोनों नितम्बों के बीच की गहराई के रास्ते उंगली को पैंटी के अंदर घुसाया तो दूसरे हाथ को उसने शालिनी के स्तन पर स्थापित कर दिया। अब केवल हथेली निप्पल के शीर्ष को नहीं छू रहा था बल्कि पूरा हाथ स्तन के संपर्क में था। शालिनी अभिषेक को बाहों में लेकर उससे चिपक जाना चाहती थी, उसके बदन पर अपने जिस्म को मसलना चाहती थी। पर वो अधीर, व्याकुल, कामवासना से परिपूर्ण स्तब्ध खड़ी थी, खुद पर नियंत्रण रखने का अथक प्रयास करते हुए। पर उसे एहसास होने लगा था कि अपने शराफत के क़िला की हिफाज़त वो बहुत देर तक नहीं कर पाएगी। उसके संस्कार की दीवारें हिलने लगी थी, सभ्यता का पट टूट चुका था और पतिव्रता धर्म का प्राचीर अभिषेक के लगातार हमले से क्षतिग्रस्त हो ढ़हने लगा था। अभिषेक क़िला फतह करने वाला था और शालिनी आत्मसमर्पण।
उंगली के बाद अब पूरा हाथ पैंटी के अंदर घुस चुका था। पहले तो अभिषेक ने अपने हाथ से आहिस्ते आहिस्ते छू कर गांड की गोलाई का सर्वेक्षण किया फिर संयोजित तरीके से एक साथ नितम्ब और स्तन को दबोच कर शालिनी को अपने बदन से चिपका लिया। किले को दीवारें अब ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगीं थीं। उसने जीभ निकाल कर शालिनी के गुलाबी गाल को चाटा। शालिनी हथियार डालने के लिए तैयार हो गई थी। उसके चेहरे पर घूमता हुआ जीभ जब शालिनी के होंठों तक पहुंचा, क़िला ढह चुका था, शालिनी ने आत्मसमर्पण कर दिया। मुंह खोल कर अभिषेक के जीभ का स्वागत किया और अपना एक हाथ अभिषेक के कंधे पर तो दूसरा उसके सिर के पीछे रख कर अपने बदन को उसके बदन पर दबाने लगी। जीभ मुंह के अंदर डाल कर अभिषेक त्रिसुत्री कार्यक्रम में लग गया। एक हाथ से शालिनी के नितम्ब को मसल रहा था तो दूसरे हाथ से स्तन को, मुंह के अंदर जीभ से शालिनी के जीभ को मसलता हुआ उसके होंठों को चूस रहा था। शालिनी अभिषेक से ऐसे चिपकी जा रही थी मानो उसके शरीर में समा जाना चाहती हो।
13-03-2022, 09:42 AM
13-03-2022, 01:26 PM
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