09-03-2022, 04:30 PM
रात एक हसीना के साथ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery रात एक हसीना के साथ
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09-03-2022, 04:30 PM
रात एक हसीना के साथ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 04:30 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 04:31 PM
एक दिन मुझे मेरी फेसबुक पर एक लड़की का फ्रेण्डशिप के लिए रिक्वेस्ट आया तो मैंने उसे स्वीकार कर लिया।
वैसे उसका नाम अपर्णा (बदला हुआ नाम) था और वो इंजीनियर की स्टूडेंट थी. वो अपने कॉलेज के फाइनल इयर में थी. बात करने पर पता चला कि वो नासिक की रहने वाली है. बहुत दिनों तक हमारी बातें होती रहीं. मैंने उसको अभी तक रियल में नहीं देखा था. उसकी फेसबुक वाली आईडी पर भी एक फूल का फोटो लगा हुआ था. मैंने उससे फोटो कभी मांगी भी नहीं थी. मुझे लगता था कि उसको अगर मुझ पर यकीन होगा तो वो खुद ही अपनी फोटो दिखा देगी. खैर, फिर उसके बाद हमारी लगभग रोज ही बात होने लगी और उसको फ़िल्म लाइन में एक्टिंग करने का बहुत शौक था इसलिए उसने मुझे रिक्वेस्ट भेजी थी. ये मुझे बाद में पता चला था। फिर हमारी दोस्ती इतनी अच्छी हो गयी कि हमने फोन नम्बर्स एक दूसरे से साझा कर लिए और फिर हम फ़ोन पर बातें करने लगे। लगभग 2 महीने के बाद मैंने उससे एक फोटो मांगी उसको देखने के लिए। उसको हमारी दोस्ती में इतना तो यकीन हो ही गया था कि मैं उसके भरोसे के लायक हूं. उसने सूट में मुझे एक फोटो भेजी व्हाट्स एप पर। ये पहली बार था जब मैंने उसको देखा था. एकदम बला की खूबसूरत थी वह. तीखे नैन नक्श … गुलाबी होंठ, उभरी हुई छाती, एक दम परफेक्ट फिगर वाली लड़की थी वो! उसको देखते ही किसी को भी उससे प्यार हो जाये। पहली बार मुझे कोई लड़की प्यार के लिए पसंद आई थी और सोचता था कि काश ये लड़की मेरी ज़िंदगी में आ जाये। शायद खुदा को भी यही मंजूर था. फ़ोटो देने के बाद उसको मुझ पर यकीन हो गया था कि मैं उसके लायक हूं और फिर वो हर रोज़ ही अपनी फोटो मुझे भेज दिया करती थी. कभी नाईट सूट में तो कभी जीन्स शर्ट में भेजा करती थी। हमें एक दूसरे से बातें करने की और ऐसे ही फ़ोन में लगे रहने की आदत सी हो गयी थी. शायद उसको मुझसे प्यार हो गया था और मुझे तो उससे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था। एक दिन मैंने उसको अपने दिल की बात बता दी. तो फिर पूरे दिन वो ऑनलाइन भी नहीं आई और ना ही फ़ोन लगा उसके पास। मुझे लगा कि मेरा पत्ता तो यहीं पर साफ हो गया. प्यार के चक्कर में दोस्ती भी जाती रही. मगर ऐसा नहीं था. अगले दिन उसका मुझे फ़ोन आया और उसने बताया कि उसका फ़ोन खराब हो गया था जिस वजह से बात नहीं हो सकी. फिर उसने बताया कि वो भी मुझसे प्यार करने लगी है. मानो ऐसा लगा जैसे मैं हवा में उड़ रहा हूं. उसके प्यार का इजहार सुनकर मैं खुशी से उड़ा जा रहा था. बस फिर क्या था … उस दिन के बाद से हम फ़ोन पर ही बातें करते रहते. फिर हमने फ़ोन सेक्स भी करना शुरू कर दिया. मगर उससे मिलना नहीं हो पा रहा था. एक दिन उसका फ़ोन आया कि वो कुछ काम से मुम्बई आ रही है और वो मेरे साथ ही रहेगी 2-3 दिन तक! मेरे मन में लड्डू फूटने लगे. एक एक दिन हमारे लिये मुश्किल से कट रहा था. फिर वो दिन भी आ ही गया जब उसे मुंबई आना था. मैंने भी उस वक्त अपने काम से छुट्टी ले ली. पहली बार मैंने उसको स्टेशन पर ही देखा. जैसे ही मैंने उसको देखा तो मेरी आँखें उसको देखती ही रह गयीं. जितनी खूबसूरत वो फ़ोटो में दिखती थी उससे कहीं ज्यादा वो असल में खूबसूरत लगती थी. उसने नीली जीन्स और एक टॉप पहना हुआ था जिसमें से उसका पेट साफ दिख रहा था और उसकी नाभि भी दिख रही थी. उसके फूल से कोमल जिस्म को देखकर मुंह में पानी आ रहा था. मन तो किया वहीं किस कर लूं उसको! लेकिन खुद पर कंट्रोल किया मैंने. फिर हमने एक दूसरे को गले लगाया और हम घर आ गए. ये हमारी पहली मुलाकात थी तो शायद वो थोड़ा शर्मा भी रही थी. हालांकि हम फोन पर एक दूसरे से खुले हुए थे. जैसा कि मैंने आपको बताया है कि हमने कई बार फ़ोन सेक्स किया हुआ था लेकिन फिर भी जब पहली मुलाकात आमने सामने हो तो शर्म तो आती ही है लड़कियों को। खैर, वो सफर से आई थी तो थक भी गयी थी. वो फ्रेश होने चली गयी. तब तक मैंने डिनर ऑर्डर कर दिया था क्योंकि मुझे खाना बनाना ज्यादा अच्छे से नहीं आता था और बाहर बारिश भी हो रही थी. मुम्बई की बारिश का कोई भरोसा नहीं होता है कि कब तक रुके। वो जब बाथरूम से निकली तब तक मैंने भी चेंज कर लिया और एक टी शर्ट व लोअर पहन लिया। उसने भी एक नार्मल टी शर्ट और नीचे हाफ पैंट पहनी थी जिसमें से उसकी गोरी गोरी टांगें दिख रही थी. उनको देख कर लग रहा था जैसे आज ही वैक्सिंग करवाई हो। फिर उसके बाद हमने डिनर करना शुरू किया और करते करते इधर उधर की बातें करने लगे. हमने खाना खाया और फिर मैंने सारी सफाई वैगरह कर दी. उसने भी मेरा हाथ बंटाया. उसके बाद हम ड्राइंग रूम से निकल कर अपने बेडरूम में आ गए. मैंने ए.सी. चालू कर दी और हम दोनों बेड पर लेट गए और ऊपर से कम्बल डाल लिया क्योंकि बाहर बारिश की वजह से कमरा जल्दी ही ठंडा हो गया. वो मेरे करीब आ गयी और मेरी बांहों में लेट गयी. उसने मेरे सीने पर सिर रख लिया और बातें करने लगी. मैं उसके बालों से खेल रहा था. फिर थोड़ी देर बाद मैं भी उसकी तरफ मुंह करके लेट गया. हमारे चेहरे एक दूसरे के ठीक सामने थे. हम बस एक दूसरे को देख रहे थे और हमारी गर्म गर्म सांसें एक दूसरे के चेहरे से टकरा रही थीं. फिर मैंने उसको माथे पर चूमा तो उसने अपनी आंखें बंद कर लीं। अब माहौल ऐसा हो गया था कि जितनी बाहर सर्दी थी उससे ज्यादा हम दोनों के बदन में गर्मी हो रही थी मैं उसकी आंखों को चूमते हुए उसके होंठों तक आ गया और मेरे होंठ उसके होंठों से मिल गए। हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमते जा रहे थे. उसकी जीभ को मैं काट रहा था और वो मेरी जीभ को चूस रही थी. लगभग 10 मिनट तक हम ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे. मेरा हाथ उसके पेट पर चलता रहा. मक्खन के जैसा मुलायम पेट था उसका! फिर मैंने उसकी टी शर्ट को थोड़ा सा ऊपर उठाया तो मुझे उसकी नाभि दिख गयी. उस पर तो पहले से ही फिदा था मैं! बस फिर तो मैंने उसकी नाभि को चूमना शुरू कर दिया. उसकी नाभि में मैं जीभ से चाटने लगा. मैंने अपनी टी शर्ट निकाल दी और उसकी टी शर्ट को ऊपर किया तो उसकी गुलाबी कलर की ब्रा दिख गयी. मैंने उसके बूब्स को पहले जी भर कर निहारा. उसके बूब्स एकदम परफेक्ट साइज के थे और एकदम तने हुए थे. मैंने उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही किस किया और एक चूची को दबाने लगा तो उसकी सिसकारी निकलने लगी. अब मैंने उसकी टी शर्ट को निकाल ही दिया. अब वो ऊपर से सिर्फ ब्रा में रह गयी थी. मैंने भी उसकी ब्रा का हुक बिना खोले ही ब्रा को ऊपर कर दिया जिससे उसके दोनों बूब्स मेरे सामने खुल कर आ गए. आह्ह … उसकी चूचियां सच में कमाल की थीं. उसके ब्राउन निप्पल बहुत टाइट हो गए थे तो मैंने उंगलियों से उसके निप्पलों को खींचा तो उसकी और तेज सिसकारी निकली. फिर मैंने अपर्णा के एक दूध को अपने मुंह में भर लिया और उसका दूध पीने लगा. उसमें से वैसे दूध नहीं निकला, फिर भी जितना मजा आम चूसने में आता है उससे कहीं ज्यादा मजा बूब्स वाले आम को चूसने में आता है। मुझे भी उसके आम चूसने में वैसा ही मजा आया. मैं उसके निप्पल पर जीभ से चाट रहा था और बीच बीच में काट भी लेता था. इसी बीच में मैं दूसरे वाले बूब्स को एक हाथ से दबा रहा था. ऐसा करते करते मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी थी. फिर मैं उसके पेट को चूमते हुए उसकी जांघों तक आ गया और उसकी जांघों को चाटने लगा. उसकी हाफ पैंट को नीचे खिसकाया तो उसकी गुलाबी रंग की पैंटी भी दिख गयी मुझे! उसने गुलाबी रंग की ब्रा-पैंटी का सेट पहना हुआ था जिसमें वो पूरी कहर लग रही थी. मैंने उसकी पैंट को निकाल दिया और उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सूंघा. फिर बिना किसी देरी के उसकी पैंटी को उसके बदन से अलग कर दिया. अब वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी. मैं उसके नंगे बदन को देखता ही रह गया. बहुत ही खूबसूरत माल बनाया था बनाने वाले ने। मेरी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी. फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए. हमारे बीच अब कोई पर्दा बाकी नहीं रह गया था। मैंने जैसे ही उसकी चूत पर जीभ फिराई तो वो सिहर उठी और अपने हाथ मेरे बालों में घुमाने लग गई. उसकी चूत एकदम साफ सुथरी थी. उसने मुम्बई आने से पहले ही फुल बॉडी वैक्स करवाया था शायद जिससे उसका बदन खूब खिल रहा था. मेरी जीभ उसकी चूत की दोनों फांकों को अलग करती हुई अंदर तक जा रही थी और उसके कामरस का स्वाद ले रही थी. अपर्णा की चूत चाटने के साथ साथ मैं उसके बूब्स को भी दबा रहा था जिस वजह से वो पूरी तरह से प्रेम और वासना के सागर में डूबी हुई थी। मैंने अपनी एक उंगली जैसे ही उसकी चूत में डाली तो उसको दर्द होने लगा. उसकी चूत टाइट थी लेकिन सेक्स पहली बार नहीं था उसका. उसने पहले भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स किया हुआ था जो उसने खुद मुझे बताया था. मगर उसको सेक्स किये हुए एक साल से भी ज्यादा समय हो गया था. अपने बॉयफ्रेंड के साथ भी उसने दो या तीन बार ही सेक्स किया था शायद। इसलिए उसकी चूत टाइट ही थी. खैर … मैं उंगली को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा और वो सिसकारियां लेने लगी. उसने अपने दोनों पैर मेरे कंधे पर रख दिए और मेरे मुंह को अपनी चूत में दबाने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा. मेरा लंड अकड़ कर रॉड जैसा हो चुका था. दोस्तो, मेरा लंड 7 इंच की लम्बाई वाला और 2.5 इंच मोटा है. वो किसी भी भाभी या लड़की की चूत को खोद सकता है. अभी तक जितनी भी चूत मैंने चोदी वो सब खुश होकर ही गयी थीं. मैं उसकी चूत चाटते चाटते उसके कामरस का भी स्वाद ले रहा था. फिर हम अपनी पोजीशन बदल कर 69 में आ गए और वो मेरा लन्ड चूसने लगी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 04:32 PM
मेरे मुंह के पास उसकी चूत थी और मेरा लंड उसके मुंह के पास पहुंच गया था. मैं उसकी चूत चाटने लगा और वो मेरे लंड को चूसने लगी.
इस तरह हम एक दूसरे को कामसुख देने लगे। मैं उसकी चूत को बहुत देर से चाट रहा था जिसकी वजह से उसका स्खलन मुझसे पहले हो गया और मैं उसका सारा कामरस पी गया. मैंने जीभ से उसकी चूत चाट कर साफ कर दी। फिर मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गयी. वो मेरे सीने के चूचकों को काटते हुए मेरे लन्ड तक पहुंच गयी और उसने मेरे लन्ड का सुपारा निकाल कर उसको जीभ से चाटा. वो लन्ड चूसने में उस्ताद निकली. उसने लन्ड को पूरा गले तक निगल लिया और उस पर ढे़र सारा थूक लगा कर लन्ड को चूसने लगी. मैं तो मानो जन्नत की सैर करने लगा. अपर्णा सेक्स में काफी कुछ सीखी हुई थी. शायद उसका बॉयफ्रेंड भी रंगीला रहा होगा जिसने उसको लंड के साथ खेलना अच्छे से सिखा रखा था. वो लन्ड चूसने के साथ ही मेरी गोलियों को भी चूस रही थी जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था. थोड़ी देर ऐसे ही चूसते रहने के बाद मेरे लन्ड ने भी अपना रस छोड़ दिया जिसको अपर्णा ने पूरा पी लिया. उसने मेरे लन्ड को जीभ से चाटकर साफ कर दिया और इस तरह हमारा पहला राउंड पूरा हुआ. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 04:32 PM
मैं और अपर्णा पहले राउंड के बाद नंगे ही एक दूसरे से लिपटे हुए थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे।
उसके उरोज़ों को सहला रहा था मैं … और उसके निप्पलों को खींच रहा था. वो भी मेरे लन्ड को हाथ से सहला रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से लिपटी हुई थीं और हम फिर से एक दूसरे को चूमने लगे। मैं उसके होंठों को काट रहा था और वो मेरे होंठों को काट रही थी. हम एक दूसरे की जीभ को मुंह में डाल कर चूस रहे थे. इसी बीच मेरे लन्ड ने भी सिग्नल देना शुरू कर दिया कि वो दूसरे राउंड के लिए तैयार है. मेरा लन्ड अपर्णा की चूत को छूने लगा. उसको भी पता लग गया कि उसकी चूत में जाने के लिए उसके आशिक का हथियार एक बार फिर से तैयार है. अपर्णा को गर्म करने के लिए मैं उसके बूब्स दबाने लगा और एक बोबे को आम की तरह चूसने लगा जिससे अपर्णा फिर से गर्म होने लगी. फिर मैंने जोर से उसके चूचों को चूसा. बारी बारी से मैंने दोनों चूचों को चूसा और उसको फिर से उत्तेजित कर दिया. वो मेरे सिर को अपनी चूचियों पर दबाने लगी. मैं भी उसकी चूचियों में सिर को जोर जोर से घुसाने लगा ताकि उसकी चूत की आग तेजी से भड़क जाये. फिर मैं चूमते हुए नीचे पेट की ओर जाने लगा. उसकी नाभि को मैंने जीभ घुमा घुमाकर चूसा. वो पागल सी होने लगी. चूमते हुए मैं उसकी झांटों की जगह पर पहुंचा और उसको चूत के ऊपर से चाटने लगा. अब मैं अपर्णा की दोनों टांगों के बीच आ गया और उसके पैरों को अपने कंधे पर रखा. मैंने उसकी चूत में मुंह लगा दिया और जीभ अंदर घुसाकर फिर से उसकी चूत के रस को खींचने लगा. वो सिसकार उठी- आह्ह … ओह्हो … हम्म … ओह्ह … उफ्फ … ओह् गॉड … फक मी हैप्पी … आह्ह … चूस जा इसे … चोद दे … आह्ह … तुम कितना मजा देते हो … ओह्ह … ओह्ह … मेरी चूत .. आईई … आह्ह … मेरी चूत। जितनी तेजी से उसकी सिसकारी निकल रही थी उतनी ही तेजी से मैं उसकी चूत को चाट रहा था. मुझे उतना ही ज्यादा जोश चढ़ता जा रहा था. उसकी चूत को चाट चाट कर मैंने उसे पागल कर दिया. फिर मैंने पास में रखी तेल की शीशी उठाई और उसकी चूत व अपने लंड पर तेल लगाने लगा. मैंने उसकी चूत और अपने लंड को पूरी तरह से तेल में तर कर लिया. इससे उसको चुदास चढ़ गयी. अब मैं उसकी चूत फाड़ने के लिए तैयार था. मैं तेल लगाने के बाद लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. अपर्णा पूरी तरह से सिहर उठी. वो अपने हाथों से अपने बूब्स को दबाने लगी. उसकी चूचियों को चूस चूस कर मैंने पहले ही लाल कर दिया था. अब चूत पर लंड के रगड़े जाने से उसकी उत्तेजना के कारण उसकी चूचियों के निप्पल तन कर नुकीले हो गये. वो अपनी चूत को मेरे लंड पर खुद से ही रगड़ने की कोशिश कर रही थी. मैं उसके मन की बात जान गया था कि अब उसकी चूत को लंड की सख्त जरूरत है. वैसे भी मैंने उसके सभी अंगों को चूस चाटकर उसे पूरी तरह से चुदासी कर दिया था. मैंने भी अब देर न करते हुए अपने लन्ड को अपर्णा की चूत पर टिका दिया. वो मेरे चेहरे की ओर देख रही थी और इंतजार में थी कि कब उसकी चूत में लंड उतरेगा. उसके चेहरे को मैं भी देख रहा था. वो लंड की प्यासी हो चुकी थी और मेरा लंड भी उसकी चूत की प्यास में तड़प गया था. फिर मैंने एक धक्का दिया और लंड उसकी चूत में उतार दिया. अपर्णा की चूत बहुत टाइट थी लेकिन तेल मैंने बहुत ज्यादा लगा दिया था. चूत और लंड की चिकनाहट इतनी ज्यादा थी कि चूत में लंड फिसलता चला गया और ऐसे जा घुसा जैसे कि केक में चाकू घुस जाता है. मैंने अपने आप को अपर्णा के ऊपर लिटा दिया और उसके होंठों को जोर जोर से पीने लगा. वो भी मेरे लंड को लेकर जैसे धन्य हो गयी थी और पूरी शिद्दत के साथ मेरे होंठों से होंठों को मिलाकर मेरा साथ दे रही थी. मैं अपनी गति में आ गया. मैंने गांड को हिलाते हुए धीरे धीरे उसकी चूत में चोदना शुरू किया. उसकी चूत में मेरा लन्ड फच्च फच्च की आवाज के साथ अंदर बाहर होने लगा। मैं अपर्णा के होंठों को चूसने के साथ साथ बीच बीच में उसकी गर्दन और गालों पर भी चूम रहा था. कभी उसके उरोज़ों से दूध पीता तो कभी निप्पलों को चूसता। वो भी मेरे चूतड़ों को पकड़ कर अपनी चूत में जोर जोर के धक्के लगवा रही थी. उसकी टांगें पूरी तरह से मेरी कमर पर लिपटी हुई थीं और वो चूत को पूरी खोलकर लेटी हुई थी ताकि उसकी चूत में लंड की चोट अंदर तक लगे. चुदाई की काफी शौकीन लग रही थी वो! करीब दस मिनट तक हम ऐसे ही चुदाई करते रहे. फिर मैंने अपर्णा को अपने ऊपर आने के लिए कहा और मैं नीचे लेट गया. अपर्णा मेरे ऊपर आ गयी। वो मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत के मुहाने तक ले गयी और चूत से मेरे लन्ड को चोदने लगी. मैं उसके तने हुए मोटे उरोज़ों को दबाने में मशगूल हो गया। अपर्णा मेरे ऊपर ही लेट गयी और हम किस करने लगे. इसी बीच अपर्णा स्खलित हो गई. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-03-2022, 04:33 PM
(This post was last modified: 02-02-2024, 10:34 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैंने उसको खड़ी किया और हम दोनों नंगे ही बालकनी में पहुंच गए. मैंने उसको बालकनी की रेलिंग पर झुका लिया और पीछे से उसकी चूत चोदने लगा.
बाहर हो रही हल्की बारिश की बूंदें हमारे शरीर पर गिर रही थीं और उसी बारिश में मैं अपर्णा को चोद रहा था। ऐसे बारिश में मैं पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था और अपर्णा के लिए भी ये पहली बार का ही बिल्कुल ही एक नयी तरह का अनुभव था. वैसे तो रात का अंधेरा था और बारिश भी तेज थी तो बालकनी में सेक्स करने में कोई डर नहीं था. इसलिए हम मजे से चुदाई करने में लगे हुए थे. वैसे भी अगर कोई दूर से देख भी लेता तो लंड या चूत तो दिखने वाले थे नहीं. मुंबई में कौन किसको चोद रहा है और कहां खड़ी करके चोद रहा है इससे लोगों को कम ही फर्क पड़ता है. वहां पर किसी को किसी की निजी जिन्दगी से ज्यादा कुछ मतलब नहीं रहता है. खुले में चुदाई करने में भी पूरा मजा आ रहा था. फिर मैंने लन्ड को बाहर निकाला और उसकी गांड में डालने की नाकाम कोशिश करने लगा. लेकिन उसने गांड में लंड डालने से मना कर दिया. वो कहने लगी कि उसने कभी गांड नहीं मरवाई है. तो फिर मैंने भी ज्यादा ज़िद नहीं की और उसको नीचे बिठाकर लन्ड चुसवाने लगा. थोड़ी देर तक लन्ड चुसवाने के बाद उसको मैं कमरे में लेकर आया और पलंग पर लिटा दिया. फिर मैंने उसकी टाँगों को कंधे पर रख कर लन्ड को उसकी चूत में डाल दिया। अपर्णा की चूत चुद चुदकर लाल हो गयी थी. मैं उसकी चूत चोदने के साथ साथ उसकी गांड में भी उंगली डाल रहा था। इसी चुदाई के दौरान अपर्णा दूसरी बार भी झड़ गयी लेकिन मेरे लन्ड में जान अभी बाकी थी. अपर्णा की चूत फूलकर पाव रोटी की तरह हो गयी थी. मैंने अब लन्ड को चूत में से निकाल कर उसके बूब्स के बीच में फंसा दिया और दोनों हाथों से उसके चूचों को भींच लिया. फिर उसने भी अपने दोनों चूचों को अपने हाथों से थाम लिया. धक्के लगाते हुए मैं उसके बोबों की घाटी को चोदने लगा. मेरा लन्ड बूब्स को चोदने में उसके मुंह तक जा रहा था. अपर्णा जीभ से लन्ड को चाटने भी लगी थी. मेरा जोश अब पूरे उफान पर था. मैं किसी भी वक्त स्खलित हो सकता था इसलिए मैं उसके चूचों को जोर से भींचकर पूरा जोर लगाकर लंड को आगे पीछे कर रहा था. फिर मैं अपने चरम पर पहुंच गया और थोड़ी देर में मेरे लन्ड ने भी पिचकारी छोड़ दी. जैसे ही वीर्य से पहली पिचकारी छूटी तो उसने लंड को झट से मुंह में भर लिया और मेरे चूतड़ों को अपने मुंह की ओर दबा लिया. मेरे लंड से बची हुई पिचकारियां उसके गले में गिरने लगीं. झटके दर झटके मैंने सारा वीर्य उसके मुंह में खाली कर दिया. मेरे वीर्य को अपर्णा ने पूरा गटक लिया और लन्ड को जीभ से चाट कर साफ कर दिया. मैं थक गया था और हांफता हुआ मैं अपर्णा के ऊपर ही लेट गया। अपर्णा अपनी चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट हो गयी थी. वो मेरी पीठ को सहला रही थी तो कभी मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी. कभी मेरे गालों को चूम रही थी तो कभी कंधे पर किस कर रही थी. उसके मुंह से बार बार एक ही शब्द निकल रहा था- आई लव यू हैप्पी … आई लव यू जान! मैं भी उसके चूचों के ऊपर लेटा हुआ बहुत राहत महसूस कर रहा था. बड़े दिनों के बाद खुलकर लंड ने वीर्य फेंका था. फिर हम एक दूसरे को चूमते हुए हम दोनों एक दूसरे की बांहों में कब सो गए पता ही नहीं चला. सुबह चार बजे के आसपास मेरी नींद खुली तो देखा कि अपर्णा मेरी बांहों में निश्चिंत होकर सो रही है। ऐसे उसे अपनी बांहों में उसको नंगी देख कर मेरे लन्ड ने भी सलामी देना शुरू कर दिया. मैं अपर्णा के बूब्स को मुंह में भर कर उनका दूध पीने लगा जिससे अपर्णा की भी नींद खुल गयी. वो कच्ची नींद में ही मेरे बालों में हाथ फिराने लगी और फिर वो पूरी तरह से जाग गयी. हम दोनों के होंठ फिर से मिल गये. जल्दी ही हाथ एक दूसरे के सेक्स अंगों को सहलाने लगे. वो मेरे लंड को मुठियाने लगी और मैं उसकी चूत को उंगली से कुरेदने लगा. जल्दी ही चुदाई की आग भड़क उठी और मैंने फिर से एक बार उसकी चूत में लंड पेल दिया. हमने चुदाई का एक जोशीला राउंड खेला और फिर दोनों ही झड़कर शांत हो गये. बहुत मजा आया उसके साथ चुदाई का ये खेल खेलकर। बहुत दिनों के बाद मैंने ऐसी सेक्सी चूत की चुदाई की थी. अपर्णा मेरे साथ तीन दिन तक रही जिस दौरान हमने कई बार सेक्स किया. हमने हर तरह का सेक्स किया- रफ सेक्स, स्मूथ सेक्स, बाथरूम में भी सेक्स किया. हमने किचन में भी सेक्स किया. जब मैं उसको छोड़ने नासिक गया तो स्लीपर बस में केबिन बन्द करके भी हमने चलती हुई बस में चुदाई का मजा लिया। , जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-06-2024, 07:21 AM
Nice story
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