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Adultery मस्तराम के मस्त किस्से
#61
Please update!
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#62
"तुम नंगी बहुत मस्त दिखती हो। नंगी ही रहो।"

"अच्छा, ताकि जो भी मर्द मुझे देखे मेरा रेप करते रहे?"

"अभी 12-15 किलोमीटर तक कोई बस्ती नहीं। जब बस्ती आएगी तो पहन लेना। तब तक नंगी रहो।"

ओह! आदिमानव की तरह खुले आसमान के नीचे निर्वस्त्र, निफिक्र आजाद होकर घूमना। ये तो साइमा के भी एरोटिक एडवेंचर के मेनू में नहीं था। पर इस विचार से उसकी ज्वालामुखी फिर सुलगने लगी। "ठीक है, पर तुम लोग भी नंगे रहोगे?"

उन्हें क्या आपत्ती हो सकती थी? तीन आदिमानवों का झुंड, सारी सभ्यता से दूर, इन्सान द्वारा बनाए सारे नियम, सारे बंधनों से मुक्त प्रकृति की गोद में नंगे बदन मंज़िल की ओर बढ़ गए। आप कल्पना कर सकते हैं कि तीनो का कामक्रीड़ा पुनः प्रारंभ होने में अधिक समय नहीं लगा होगा। उत्तरकाशी पहुंचने से पहले तीनों के बीच त्रिशंकु संभोग का तीन तीन सत्र चला। साइमा ने त्रिशंकु संभोग के जितने आसनों को पॉर्न में देखा था, जितनों की कल्पना की थी और जिन आसनों की कल्पना उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी, उन सारे आसनों में, अपने सारे छिद्रों में उसने संभोग का आनंद लिया।

शाम होने पर साइमा को मोबाइल सिग्नल मिलने लगा था। हंसों से संपर्क हुआ। उत्तरकाशी पहुंच कर साइमा ने दोनों से पूछा "अगर तुम लोग फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से नहीं हो तो फिर कौन हो? और उस रास्ते पर क्या कर रहे थे।"


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#63
Nice story!
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#64
Update??
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#65
Bhai update dede!
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#66
Please update!
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#67
राजीव ने मुस्कुराते हुए कहा "हम पोचर्स और स्मगलर हैं। जंगली जानवरों का शिकार करते हैं, हाथी के दांत, जानवरों के खाल को नेपाल ले जा कर बेचते हैं। पुलिस से बचने के लिए इन ट्रैकिंग रूट का यूज करते हैं।"

"और नाम?"

नीरज ने हंसते हुए कहा "हमने अभी अभी तुम्हारे कन्फेस किया है कि हम क्रिमिनल्स हैं और तुम उम्मीद कर रही हो कि हम तुम्हें अपना असली नाम बता देंगे।"

"तुम दोनों प्लीज़ हमारा गाइड बन जाओ। आई प्रॉमिस, तुम्हें फुल एंजॉयमेंट मिलेगा।" साइमा ने शरारत भरी नजर से राजीव की आंखों में देखते हुए कहा।

"थैंक्स फॉर द ऑफर। लेकिन हमें दो दिन में बॉर्डर क्रॉस करके नेपाल में घुसना है।" राजीव ने पीठ पर से अपना बैग उतरा और उसमें से एक हाथी दांत का टुकड़ा लेकर साइमा को दिया। "हमारी तरफ से तुम्हें ये छोटा सा गिफ्ट। बस पुलिस को मत दिखाना। जेल चली जाओगी।"

दोनों से विदा लेकर साइमा अपने ग्रुप से मिलने चली गई। साइमा के खो जाने से सब बहुत परेशान हो गए थे। अब आगे जाने को कोई तैयार नहीं था। अगली सुबह सब बस पर बैठ वापस दिल्ली की ओर रवाना हो गए। पर साइमा को कोई ग़म नहीं था, उसका एरोटिक एडवेंचर पूरा हो चुका था।

समाप्त

[Image: Back-Page-page-0003.jpg?w=332]
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#68
ये कहानी मॉडर्न मस्तराम की कामुक लघु कथा संग्रह शरारती साइमा से ली गई है। बाकी कहानियों को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं।
[Image: BookAD.jpg]
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#69
(24-02-2022, 09:51 PM)modern.mastram Wrote: ये कहानी मॉडर्न मस्तराम की कामुक लघु कथा संग्रह शरारती साइमा से ली गई है। बाकी कहानियों को पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं।
[Image: BookAD.jpg]

Read the book. All the stories are good. Please add more stories to the series. Idea of weaving independent stories in a series is brilliant and full of possibilities!
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#70
Mast story bro
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#71
Brilliant story!
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#72
Please post some other story!
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#73
अगली कहानी [Image: Covers-DH.jpg]
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#74
दूसरा हनीमून

सुबह के 9:30 बज रहे थे। सफेद पर्दे से छन कर कांच की खिड़की से सूरज की रोशनी शालिनी के आंखों पर पड़ रही थी। शालिनी बिना एक भी कपड़ों के तकिए से लिपट कर सो रही थी। 32 वर्ष की शालिनी का शरीर संगमरमर सा सफेद और भरा पूरा था। बड़े और सुडौल स्तन। एक स्तन तकिए के ऊपर था जिस पर की गुलाबी निप्पल सफेद तकिए को चूम रही थी। दूसरा स्तन तकिए के नीचे दबा था। नितम्ब बिल्कुल फुटबाल सा गोल। एक पैर सीधा तो दूसरा पैर मुड़ कर शालिनी के पेट के पास था जिससे उसके जांघों के बीच की दरार स्पष्ट दिख रही थी। पर कामना की मूर्ति शालिनी उस फाइव स्टार रिजॉर्ट के कमरे में अकेली थी। देर रात को शराब पीने के बाद रोते रोते वो कब सो गई उसे पता भी नहीं चला। उसके गुलाबी मुलायम गाल पर अभी भी सूखे हुए आंसू के निशान थे। वो और सोना चाहती थी, पर उसे ज़ोर की पेशाब लगी थी।

शालिनी अपने पति मनीष के साथ रिजॉर्ट दूसरे हनीमून पर आई थी। मनीष मेहनती और महत्वाकांक्षी मनुष्य था और एक मल्टीनेशनल कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर था। अपनी मेहनत और लगन से वो कंपनी के बड़े अफसरों को चहेता बन गया था। कंपनी में कोई भी कठिन काम हो, चाहे मार्केटिंग डिपार्टमेंट का हो या न हो, सीनियर हमेशा मनीष को खोजते। मनीष ने कभी उन्हें निराश नहीं किया था, और वो भी मनीष को निराश नहीं करते। जितनी तेज़ी से मनीष को प्रमोशन मिलता था शायद ही कंपनी के इतिहास में कोई उतनी तेज़ी से ऊपर उठा हो। बोनस और इंसेंटिव के अलावा मनीष की कंपनी में जो सम्मान, जो प्रतिष्ठा मिलती थी वो मनीष के लिए प्रेरणस्रोत थी। मनीष मशीन की तरह दिन रात एक कर काम करता।

ये कहानी ब्लैकमेल से ली गई है, पूरी किताब पढ़ने के लिए लिंक क्लिक करें!
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#75
Hmm... Sounds interesting!
[+] 2 users Like Ananya.Thakur's post
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#76
Nice start!
[+] 2 users Like ShaliniShukla's post
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#77
[Image: BM01.jpg]
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#78
Badhiya bhai!
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#79
Update!
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#80
मनीष को मिलने वाले प्रमोशन, बोनस और इज्जत से तो शालिनी खुश थी, पर उसके दिन रात काम करने से नहीं। अकसर मनीष ऑफिस के काम से बाहर रहता और जब घर पर होता तब भी काम में व्यस्त। कभी कभी शालिनी मूड में होती, मनीष को रिझाने के लिए पारदर्शी नाइटी में, बिना ब्रा पैंटी के उसके पास आती। मनीष उसे प्यार से चूम कर कहता "तुम बेडरूम में चलो, मैं अभी पांच मिनट में काम ख़त्म करके आता हूं।" आधे घंटे बाद शालिनी उसे याद दिलाती "बस खत्म हो ही गया, दो मिनट और।" दो घंटे बाद मनीष जब बेडरूम पहुंचता तो शालिनी या तो सो चुकी होती, या गुस्से में सोने का ड्रामा करती। बेचारा मनीष नींद में सोई शालिनी के सेक्स के लिए जगाना उचित नहीं समझता और शालिनी प्यासी ही रह जाती।

जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे वैसे शालिनी की अतृप्त पिपासा उसके क्रोध को धीमे आंच पर पका रही थी। अब शालिनी को मनीष के हर बात से चिढ़ होने लगी थी। शालिनी ने शराब पीना शुरू कर दिया था और जब भी मनीष उसे टोकता या मना करता तो मनीष को ऐसी खड़ी खोटी सुनाती कि मनीष बेचारा कुछ नहीं बोल पाता। दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था। हर पर्व, हर त्योहार, हर मौका चाहे शालिनी का बर्थडे हो, शादी की एनिवर्सरी हो या फिर वेलेंटाइन डे अगर मनीष घर पर है तो झगड़ा होना तय था। मनीष शालीन था तो शालिनी आक्रामक। मनीष चाहे जो बोले, जवाब में उसे बुरा भला सुनने को मिलता। सारे झगड़े में मनीष का कहना था कि वो जो भी कर रहा दोनों की खुशी के लिए कर रहा। दिन रात एक करके मेहनत कर रहा तो शालिनी सोसायटी में सम्मान से रहे, उसकी आवश्यकताएं पूरी हो सके, उसके और आने वाले पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कर रहा। शालिनी खुल कर कभी ये नहीं कह पाती कि उसकी आवश्यकताओं में एक आवश्यकता शारीरिक सुख भी है; सानिध्य, आलिंगन, संभोग भी है। अपना फ्रस्ट्रेशन शालिनी मनीष को बुरा भला कह कर निकलती।


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