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#41
हॉट लड़की नेहा की चूत
बात तब की है जब मैं डिप्लोमा सेकण्ड ईयर में था और गर्मी की छुट्टी में मुझे कॉलेज से बोला गया कि किसी कंपनी में ट्रेनिंग कर लोगे तो बाद में अच्छा जॉब मिलगा।
मैंने अपने पापा के एक दोस्त से बात की, उन्होंने मुझे उड़ीसा के राउरकेला स्टील प्लांट में ट्रेनिंग करने की सलाह दी और मुझ से कहा कि तुम अपने कॉलेज से लिखवा कर मुझे भेज दो, मैं सब बात कर लूँगा।

मैंने भेज दिया।
कुछ दिन के बाद उनका फोन आया कि सात तारीख से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू हो रही है और तुम पाँच तारीख को आ जाओ।
मैं पटना से ट्रेन पकड़ कर राउरकेला आ गया। चूँकि पापा के दोस्त को थोड़ा काम था तो उन्होंने मुझे लेने के लिए अपनी बेटी को भेज दिया था।
जब मैं राउरकेला स्टेशन पर उतरा और बाहर निकला तो उनकी बेटी का फोन आया।
मैं बोला- मैं पूछताछ खिड़की के पास खड़ा हूँ।
वो बोली- मैं आती हूँ।
तभी मैंने देखा कि एक लड़की मेरी तरफ बढ़ रही है। देखने में तो एकदम माल लग रही थी। एकदम गोरी-चिट्टी, बाल हल्के सुनहरे रंग की बड़ी-बड़ी आँखें, पतले से होंठ, लंबी गर्दन, बड़ी-बड़ी चूचियाँ, ऐसी कि कोई भी उसको देखने से पहली उसकी चूची को ही देखेगा और उसके चूतड़! हे भगवान, नहीं चाहते हुए भी पतली कमर के नीचे उठे हुए चूतड़ देख कर तो मैं गश खाते बचा। कुल मिला कर वो दिखने में किसी हीरोईन की तरह दिख रही थी।
उसने खुले गले का शॉर्ट टाइट गुलाबी टी-शर्ट और ब्लू टाइट कैपरी पहनी थी, जिससे उसकी नंगी गोरी टाँगें दिख रही थीं। उसकी उम्र 22-23 के आस-पास होगी। उसका फिगर भी कमाल का था, 34बी-28-34 होगा।
उसके आस-पास के सारे लड़के उसको घूर रहे थे, मैं भी कहाँ पीछे था।
वो मेरे पास आई और बोली- सुभाष?
तो मैं हड़बड़ाया और ‘हाँ’ बोला तो वो मुस्कुरा दीऔर बोली- मैं नेहा!
और अपना हाथ बढ़ाया तो मैंने भी हाथ मिलाया। इसी बहाने उसको छूने का तो मौका मिला। क्या कोमल हाथ थे उसके! मन कर रहा था कि अभी इसको चोद दूँ।
वो बोली- घर चलें?
मैं बोला- हाँ।
वो आगे-आगे और मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगा और उसके चूतड़ देख रहा था। देखता भी कैसे नहीं, उसकी कैपरी एकदम कसी होने के कारण उसके चूतड़ और भी उठे हुए दिख रहे थे। जब वो चल रही थी तो ऐसा लग रहा था कि उसके चूतड़ बंद-खुल रहे हों!
हम लोग कार में बैठ गये और उसके साथ घर चल दिए तो रास्ते में उसने बताया कि वो राउरकेला से ही इंजीनियरिंग कर रही है और वो भी अभी थर्ड ईयर में है, और हम दोनों का ब्रांच भी एक है और वो भी इस बार आर.एस.पी में ट्रेनिंग करेगी।
हम लोग घर पहुँचे और सबको प्रणाम किया उसके घर में 3 लोग थे उसकी मम्मी, पापा और एक भाई जो भोपाल में इंजीनियरिंग कर रहा था, वो इस बार छुट्टी में नहीं आया था।
मैंने उसकी माँ को देखा तो मन में सोचा अब पता चला कि ये इतनी मस्त माल कैसे है!
उसकी माँ की उमर 40 के आस-पास होगी लेकिन देखने में 28-30 की लग रही थीं। उनको देख कर लगता ही नहीं था कि वो नेहा की माँ है मुझे लगा वो नेहा की बड़ी बहन हैं।
वो तब नाइट ड्रेस में थीं, उनका फिगर भी कमाल का था 36ब-30-34 होगी और वो शायद अंदर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी जिससे मुझे उनके भी चूतड़ और चूची बड़ी आसानी से नुमायां हो रहे थे।
आंटी मुझसे बोलीं- तुम थक गये हो गए होगे, जाओ तुम नहा लो, मैं खाना लगा देती हूँ।
नेहा ने मुझे बाथरूम दिखाया। मैं नहाने चला गया। जब मैं नहा कर निकला तो मैं सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुए था।
मैंने देखा कि नेहा मुझे निहार रही थी।
फिर हम लोगों ने खाना खाया। तब तक अंकल भी आ गए। उन्होंने मुझसे थोड़ी बात की और बोले कि तुम्हें यहीं रहना है, जब तक तुम्हारी ट्रेनिंग चले। वैसे भी मैं कंपनी के काम से 40 दिन के लिए ओडिशा से बाहर जा रहा हूँ। तुम रहोगे तो मैं आराम से जा सकता हूँ, कोई टेंशन भी नहीं रहेगी।
मैं बोला- जी!
फिर बोले- तुम्हारे पापा मेरे अच्छे दोस्त हैं। हम लोग साथ में पढ़ते थे। वो तो कभी आता नहीं है लेकिन तुम आए हो तो मुझे अच्छा लग रहा है। अच्छा एक काम करना कि कल नेहा के साथ जाकर दोनों का गेट पास ले आना।
दूसरे दिन गए और गेट पास ले कर सात तारीख से आर.एस.पी जाने लगे।
कार तो अंकल ले गये थे। सो हम लोगों को नेहा के स्कूटी से जाना पड़ता था। वैसे स्कूटी से जाने से मुझे फ़ायदा ही मिलता था, वो मुझसे सट कर तो बैठती थी।
इसी तरह 5 दिन बीत गए।
एक दिन सुबह मुझे पेशाब लगी और मैं नींद में ही बाथरूम गया। लेकिन उसका दरवाजा उड़का हुआ था तो मैं खोल कर अंदर गया और अपना लंड निकाल कर शुरू हो गया। तभी मुझे पीछे से किसी की आवाज आई तो मैंने पीछे मुड़ कर देखा कि नेहा नंगी नहा रही है, शायद वो दरवाजे की कुण्डी लगाना भूल गई थी।
उसने मुझे देख कर एक हाथ से अपनी चूची और एक हाथ से अपनी चूत को छुपा ली और बोली- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
मैं बोला- पेशाब करने आया था। तुमको डोर लॉक कर के नहाना चाहिए था ना!
बोली- ठीक है, अब जाओ यहाँ से।
मैं जाने लगा तो मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए बोली- उसको तो अंदर कर लो।
मैंने हँस कर उसको देखा और अपने लंड को अंदर कर के वहाँ से निकल गया।
लेकिन मेरे मन में उसका नंगा बदन घूम रहा था। उसके ऊपर पानी की बूँदें देख कर लग रहा था कि जैसे कोई परी हो, और उसके ऊपर मोती सजे हुए हों।
मैं जाकर क्या सोता! मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। बस उसका चेहरा ही घूम रहा था।
तभी आंटी आईं और बोलीं- आज तुम लोगों को जाना नहीं है क्या?
तो मैं जल्दी-जल्दी में तैयार हुआ और नीचे आ गया। नेहा मेरा इन्तजार कर रही थी। मैंने स्कूटी स्टार्ट की, वो पीछे बैठ गई और आर.एस.पी. पहुँचने के बाद कुछ दूर जब पैदल जा रहे थे तब वो बोली- तुमने आज कुछ देखा तो नहीं?
“नहीं, सब कुछ देखा!”
वो बोली- क्यों देखा?
मैं बोला- तुमने भी तो देखा मेरी नुन्नू को।
वो बोली- वो तो ग़लती से दिख गया।
मैं बोला- तो क्या मैं जानबूझ कर तुझे देखने गया था?
तो वो बोली- अगर पता होता तो नहीं आते क्या?
मैं बोला- नहीं, तब मैं नींद में था। अगर पता होता कि तुम मेरा इन्तजार कर रही हो तो मैं आँख खोल कर आता और पूरा मज़ा लेता।
तो वो हँसने लगी और वो मेरा हाथ पकड़ कर चलने लगी। जो भी हमें देख रहा था, उसे लग रहा था कि हम लोग बायफ्रेंड-गर्लफ्रेंड हैं। कुछ दूर चलने के बाद मैं उसे कमर में हाथ डाल के चलने लगा तो वो कुछ नहीं बोली। और मैं मन ही मन में सोच रहा था कि अब तो यह आराम से चुद जाए तो मजा आए।
तब तक हमारे ट्रेनिंग की जगह आ गई और हम अंदर चले गए।
कुछ देर बाद जब हम लोगों को वहाँ से छुट्टी मिली तो मैं बोला- क्यों ना आज हम जंगल से होकर चलें?
तो वो मान गई। मैं उसके कमर में हाथ डाल कर चल रहा था। जैसे ही सुनसान सी जगह आई तो मैंने उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ घुसा कर उसकी नंगी कमर को सहलाते हुए चलने लगा और बीच-बीच में उसकी कमर को सहला भी रहा था, लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी, तो मन ही मन सोचा कि शायद यह भी चुदना चाहती हो।
मैंने अपना हाथ उसकी कमर से हटा कर उसके कंधे पर रखा और टॉप के ऊपर से ही उसकी चूची दबाने लगा। वो तो आँख बंद करके मज़ा ले रही थी तो मैने हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया वैसे भी वो खुले गले का टॉप पहनती थी तो हाथ डालने में कोई दिक्कत नहीं हुई और मैं उसकी चूची को दबाने लगा।
वो मुझ से चिपक गई और मुझे किस करने लगी, मैं भी साथ देने लगा और अपने हाथ से उसके चूतड़ दबाने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद के बाद मैं बोला- नेहा, मुझे तुम्हारी चूची पीनी है!
और उसका टॉप ऊपर कर दिया और ब्रा के उपर से ही उसकी चूची पीने लगा। फिर उसकी ब्रा को भी खोल दिया और उसकी नंगी चूची को चूसने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उसके कैपरी के बटन को खोलने लगा तो उसने मना कर दिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- सब्र करो मेरे राजा, यहाँ कोई आ गया तो हम पकड़े जा सकते हैं। एक काम करो रात को अपने रूम का डोर लॉक मत करना। जब सब सो जायेंगे तब मैं तुम्हारे रूम में आऊँगी।
मैं मान गया तो वो अपने कपड़े ठीक करने लगी। मैंने पूछा- अगर नहीं आईं तो?
वो बोली- आऊँगी ज़रूर आऊँगी, लेकिन अगर भरोसा नहीं हो रहा है तो तुम्हारे हाथ में जो ब्रा है, उसे अपने पास रख लो। मैं जब आऊँगी तो पहना देना।
मैं मान गया और उसको किस करके ब्रा को अपने पास रख कर चलने लगा। हम दोनों स्कूटी से घर पहुँच गए और पूरे रास्ते वो मुझसे चिपक कर अपनी चूची के निप्पल की चुभन मुझे देती रही।
हम लोग घर पहुँच कर रात होने का इंतजार कर रहे थे। सब लोग खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने चले गये। मैं भी अपने कमरे में जाकर नेहा का इंतजार करने लगा, तब मैंने कुछ नहीं बस एक तौलिया लपेट कर लेटा हुआ था।
मैंने देखा कि दरवाजा खुल रहा है तो मै आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा। वो अंदर आ गई। उसने कुछ ज्यादा नहीं बस पैंटी और लड़कों की बनियान की तरह कोई जालीदार सी गंजी पहन रखी थी। और वो मुस्कुराते हुए मेरी जाँघों को सहलाने लगी और हाथ अंदर डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया।
मैंने आँख खोल कर उसको देखा, वो मुस्कुराते हुए मुझे देख कर बोली- सब सो गये हैं।
वो मेरी दोनों टाँगों के बीच में आ गई और मेरे तौलिये को खोल दिया। मेरे लंड के पास मुँह लगा कर मेरे लंड को जीभ से चाटने लगी, लंड को पकड़ कर अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे आइसक्रीम खा रही हो, उसी तरह प्यार से चूस रही थी।
फिर मैं उठा और उसके होंठ चूमने लगा और एक हाथ से उसकी चूची को भी दबा रहा था फिर उसके ऊपर के कपड़े को हटा कर उसकी चूची को निकाल लिया और किस करते हुए उसको मसलने लगा तो वो भी मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैं उसके होंठों को छोड़ कर उसकी गर्दन से चूमते हुए उसकी चूची पर अपने होंठों को टिका दिया, उसके निप्पल को अपनी जीभ से चुभलाने लगा और अपने हाथ को उसकी चूत के पास ले जाकर सहलाने लगा और फिर उसको बेड पर लिटा दिया।
उसकी चूत के पास एक हुक था, जो खोल दिया तब मुझे लगा अरे यार ये कोई जालीदार कपड़ा ही था जो चूत से चूची तक था और हुक खोलते ही मुझे उसकी नंगी चूत दिखने लगी और मुझे लगा कि आज इसने अपनी चूत को मुझ से चुदने के लिए ही साफ की है।
मैं उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसकी दोनों टाँगों के बीच में आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा। क्या चूत पाई थी! मैं तो खुदकिस्मत था जो चूत को चाट रहा था, फिर जीभ अंदर बाहर करने लगा। मैं तो चूत को ऐसे काटने लगा, जैसे तरबूज को खा रहा हूँ।
उसके मुँह से मीठी सी सीत्कार निकल रही थी। वो अपने हाथों से अपनी ही चूचियों को मसलने लगी।
मैं उठा और आगे बढ़ गया और उसकी दोनों टाँगों को उठा कर चूत के पास लंड को रगड़ने लगा, फिर लंड को चूत के छेद में अंदर डालने की कोशिश करने लगा और हल्का सा धकेला।
मेरा लंड थोड़ा अंदर चला गया और उसके मुँह से ‘आआआहहा’ की आवाज आई लेकिन उसने अपने होंठों को दबा लिया। मैंने एक झटका मारा और पूरा लंड अंदर चला गया। मैंने उसके दोनों पैरों को उठा दिया और अंदर-बाहर करने लगा और बीच-बीच में उसकी चूची और पूरे बदन को सहला और दबा रहा था और कभी-कभी उसके उरोजों को अपने होंठों से चूम भी रहा था।
कुछ देर बाद जब वो भी मजा लेने लगी तो मैं नीचे लेट गया और वो मेरे ऊपर आ गई और खुद ऊपर-नीचे होकर चुदने लगी तो मैंने भी नीचे से झटके मारने लगा।
मैंने उसके पैरों को नीचे करके उसके दोनों चूतड़ों को पकड़ कर उठा लिया, लौड़े को अंदर-बाहर करने लगा और वो भी कमर हिला-हिला कर चुदवा रही थी।
फिर मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसको धकाधक चोदने लगा। मैं जितने स्पीड से आगे-पीछे हो रहा था, वो भी उतनी ही स्पीड से आगे-पीछे हो रही थी।
चुदते-चुदते वो सीधी बेड पर लेट गई और मैं ऊपर से ही झटके मारने लगा। पूरे कमरे में “आह हाआआ आअउ उम्म्म्ममा आआ आअ ऊऊ ऊओफ फफ्फ़” की आवाज गूँज रही थी।
और फिर जब मैं झड़ने वाला था तो लंड को बाहर निकाल कर उसके मुँह में अपना माल छोड़ दिया और उसने बड़े स्वाद से मेरा माल चाट-चाट कर मेरे लण्ड को साफ कर दिया।
बहुत थकान हो गई थी, कुछ देर हम लोग लेटे रहे।
नेहा बोली- कैसा लगा? मजा आया ना! अब मैंने अपना वादा निभा दिया है। अब तुम भी अपने हाथ से मुझे ब्रा पहना दो।
मैं मुस्कुराने लगा और उसकी ब्रा पहना दी और वो वहाँ से चली गई।
जब तक राउरकेला में रहा, उसको मैंने कई बार चोदा!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#42
उसकी का मजा ही कुछ और था
मेरा नाम कुणाल है, जयपुर का रहने वाला हूँ, मैं डॉक्टर हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक सीनियर डॉक्टर के क्लिनिक में काम करने लगा था…
वहाँ उसने एक मस्त सी माल को भी लगा रखा था काम पर…
उन दिनों कॉलेज से निकलने के बाद मुझ पर जवानी के मजे लेने का ज्यादा ही
जोश था और मैं हर लड़की को बस एक बार प्यार करने की ही सोचता था। क्लिनिक में काम करने वाली उस अप्सरा का नाम मालविका था और उसका कहर ढाता जिस्म किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी था… वो बहुत ही खूबसूरत और छरहरे बदन की थी, उसका बदन 34-30-36 का तो होगा, उसके मम्मे बड़े ही नुकीले थे और उसकी हर चाल के कदम से उसकी हिलते हुए चूतड़ किसी के भी सोते लंड को खड़ा करने के लिए काफी थे।
मैं भी उस हसीं मालविका का दीवाना हो चला था.. मन ही मन मैं उसे सोच कर मुठ मारा करता था.. मैं उसे मन ही मन चोद भी चुका था।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, एक दिन मेरा सीनियर किसी मरीज को देखने बाहर गया हुआ था और मैं उसके कहने पर क्लिनिक जल्दी पहुँच गया था.. क्लिनिक पहुँच कर मैं मालविका का इन्तजार करता रहा लेकिन वो समय पर नहीं आई।
बाहर मौसम भी बारिश का हो गया था तो मैंने उसे फोन करना ठीक समझा… क्लिनिक से ही मैंने उसका नंबर निकाला और उसको फोन किया तो उसने मुझे बताया कि वो रास्ते में ही कहीं रुक गई है और बारिश के कारण थोड़ी देर से आ पायेगी..
मैं भी उसका इन्तजार करने लगा..
इन्तजार ख़त्म हुआ और वो मेरे सामने ही थी.. उस दिन उसने नीले रंग का सूट पहना हुआ था जो पूरी तरह से भीग चुका था।
वो क्लिनिक के अन्दर आई और ठण्ड के मारे कांप रही थी, उसका सूट उसकी जवानी छुपाने में नाकाम हो रहा था… पूरा सूट उससे चिपका जा रहा था और वो अपने हाथों से अपनी इज्जत छुपाने की कोशिश कर रही थी।
और मेरी नजर उसके मम्मों से हट ही नहीं रही थी।
उस दिन उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी जो कमीज में से साफ़ साफ़ दिख रही थी।
वो अन्दर जाने लगी कि तभी मैंने उसे रोका।
उसे हल्की हिचकिचाहट तो हुई लेकिन फिर वो रुक गई… पलट कर उसने मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे दूर से ही चुम्बन का इशारा कर दिया…
वो शरमा गई और अन्दर जाने लगी… मुझे लगा कि कहीं वो बुरा न मान जाए और मैं उसके पीछे ही चल पड़ा। वो बाथरूम में चली गई और कपड़े बदलने लगी, मैं भी चाबी के छेद से सब कुछ देखने लगा। उसने अपने सारे कपड़े उतारे और शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बदन को तौलिये से पौंछने लगी..
अचानक ही वो रुकी और अपने मम्मों पर हाथ रखकर शीशे में देखने लगी..जैसे कि उसे अपने आप से खेलने का मन किया हो..
उसके मम्मे देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था और मैं वहाँ से हटकर बाहर की तरफ आ गया। मैंने क्लिनिक को अन्दर से बंद कर दिया और उसका बाहर आने का इन्तजार करने लगा..
5 मिनट बाद वो बाहर आ गई और यह देखकर स्तब्ध सी रह गई कि क्लिनिक अन्दर से बंद था…
उसने मुझसे पूछा- क्लिनिक क्यों बंद कर दिया?
मैंने उसे बोला- आज काम करने का मूड नहीं है…
तो वो भी मेरे सामने आकर बैठ गई..
उसके बाल अभी भी गीले थे जिस कारण बालों से थोड़ा पानी उसके चेहरे पर भी आ रहा था।
उसके गीले बाल देख कर मुझे लगा कि शायद उसे ठण्ड लग रही होगी इसलिए सामने की थड़ी से ही मैंने दो चाय मंगा ली।
चाय पीते पीते मैं उसे ही देख रहा था… वो समझ चुकी थी कि मेरी नजर उसके मम्मों से हट नहीं रही थी।
हमारे बीच बस शांति ही थी, हम चाय पी रहे थे कि तभी अचानक वो हुआ जो सोचा भी नहीं था…
असल में ठण्ड के मारे वो कांप रही थी और चाय का गिलास उसके हाथ में हिल रहा था, मैंने ग्लास पकड़ना चाहा कि कहीं गिर न जाए…
जैसे ही मैंने उसका हाथ छुआ, वो मुझे देखने लगी और हाथ पकड़ लिया और बस नजरों में देखने लगी… मैं भी सोचने लगा कि यह हुआ क्या..
कि तभी अचानक वो मेज के इस पार आ गई और मेरे होंठों पे होंठ रख दिए.. इससे पहले मैं कुछ समझ पाता, वो मुझसे पूरी तरह से चिपक चुकी थी जैसे नागिन हो…
उसका ऐसा करना मुझे अच्छा लग रहा था और मैं भी उसका साथ देने लगा.. मैं उसके होंठों को कस कर चूस रहा था और मेरा हाथ भी उसके शरीर को टटोल रहा था… हाथ उसकी पीठ पर था और वो मेरी शर्ट उतारने लगी…उसने मेरे अन्दर अपने लिए वासना जगा दी थी, मेरा लंड तन गया था.. मैं भी उसका साथ देता जा रहा था।
मैंने कुर्ते के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाना शुरू किया और वो मेरे होंठ चूसती जा रही थी.. उसके सख्त मम्मों को दबाने में बड़ा ही मजा आ रहा था और मैं बस उस समय उसके मम्मों को ही प्यार किये जा रहा था। मेरा ऐसा करना उसे और गरमाता जा रहा था और वो बस इ.. ई… ईईई…आह … किए जा रही थी… शायद उसे मेरा ऐसा करना अच्छा लग रहा था।
मैंने मम्मे दबाते हुए उसका कुर्ता हटा दिया ! क्या मम्मे थे उसके ! और बारिश से भीग जाने के कारण उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी…
बाहर बादल काफी गहरा गए थे, जिस कारण कमरे में ज्यादा उजाला भी नहीं था और थोड़े से उजाले में उसके मम्मे दूध जैसे चमक रहे थे… मैंने उन्हें दबाना छोड़ कर खाना शुरू कर दिया…
मेरा मुख उसके मम्मों को चूस रहा था और मेरी एक उंगली उसके मुँह में थी जिसे वो लंड की तरह चूस रही थी। उसने और जोर से अपनी चूचियों को मेरे चेहरे पर दबाते हुए कहा- कुणाल, चूसो इन्हें.. और जोर से चूसो… ओह ओह ओह ओह ओह… हाँ हाँ हाँ ऐसे ही… चूसो इन्हें…
उसका ऐसा कहने से जैसे मुझमें और जोश आ गया था और मैं बस उसके मम्मों में घुसा जा रहा था..
उसने बोला- आज पहली बार ऐसा कुछ हो रहा है मेरे साथ और मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा है।
मैं भी बोला- हाँ, आज पहली बार मैं किसी लड़की के इतना नजदीक हूँ, मुझे बड़ा आनन्द आ रहा है..
और मैं उसके चुचूकों पर काटने लगा… इससे उसके मुंह से दर्द और आनन्द भरा स्वर निकल रहा था।
एक हाथ से उसके मम्मे को नीचे से पकड़ रखा था, निप्प्ल को मैंने अपने दांतों के बीच दबा दिया था और वो बहुत ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी और मेरा चेहरा अपने वक्ष पर बहुत जोर से दबा रही थी।
मैंने भी सही समय सोच कर उसकी सलवार में हाथ डाल दिया, उसने सलवार के अन्दर उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी जिस कारण मेरा हाथ सीधा उसकी चूत से टकरा गया, उसकी चूत छूने में बड़ी चिकनी लग रही थी, एक भी बाल नहीं था, जैसे अभी ही शेव करके आई हो… उत्तेजना के कारण उसकी चूत काफी गीली भी हो चुकी थी…
मैंने मम्मों को चूसते चूसते ही उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दी.. जैसे ही उंगली उसकी चूत में गई वो बड़ी जोर से चिल्लाने लगी, वो जोर जोर से ओ ओह… ओह.. ओह.. ओह जैसे आवाजे निकलने लगी… और साथ ही अपने चूतड़ भी हिलाने लगी।
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे भी उसके शरीर से अलग कर दिया।
एकाएक उसने मुझे पकड़ा और अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होठों को फिर से चूसने लगी और बोली- सारे मजे खुद ही लोगे क्या? मुझे मजे नहीं करने दोगे?
मैं हँसा और बोला- जो करना है कर लो, मैं तुम्हारा ही तो हूँ..
यह सुन कर वो नीचे हुई और मेरी जींस के बटन खोलने लगी, उसने जींस के बटन खोल कर जींस अलग कर दी और मेरी चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया…
उसके ऐसा करने से मेरे लंड में करंट सा दौड़ गया और लंड पहले से ज्यादा कड़क होने लगा…उसने चड्डी भी दूसरे हाथ से हटा दी और लंड को एकटक देखने लगी और बोली- इतना बड़ा? यह इतना बड़ा होता है क्या?
उसके चेहरे से डर साफ़ दिख रहा था…
मैं बोला- अरे मेरी जान, डरना कैसा, यह प्यार करने की चीज है, मजे लो और मस्ती मारो.
लेकिन अब भी उसे मेरे 7 इंच लम्बे और 2 इंच मोटे लंड को देखकर डर सा लग रहा था। मैंने उसका डर दूर करने के लिए उसका चेहरा पकड़ा और लंड उसके होंठों पर सटा दिया। उसने भी ज्यादा झिकझिक नहीं की और लंड के टोपे को चाटने लगी। मैं उसके बाल पीछे से पकड़े था और वो लंड के टोपे को चाट रही थी… मैंने एक बार उसे थोड़ा और नीचे की तरफ धकेला और उसने पूरा लंड लेने की कोशिश की लेकिन आधे में ही हट गई और बोली- अगर और लिया तो उलटी हो जायेगी !
मालविका मेरे लंड को अपने मुँह में लेना तो चाहती थी लेकिन डर डर के आगे बढ़ रही थी। एक बार को तो मुझे भी लगा जैसे वो सच में ही उलटी करने वाली हो…
फिर 3-4 मिनट बाद उसे भी मजा आने लगा और लंड को कुल्फी की तरह चाटने लगी और अपने जीभ से चाट भी रही थी। उसके ऐसा करने से लंड और ताव खा रहा था और तड़पता हुआ पूरा उसके मुँह में घुस रहा था…
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, मैं भी अब उसके साथ मरीज के लेटने वाली मेज पर 69 की अवस्था में आ चुका था और उसकी चूत चाट रहा था, वो मेरे लंड को चूसे जा रही थी।
हम लोग बस एक दूसरे में खोये हुए थे और क्लिनिक अन्दर से बंद होने का कारण किसी के आने का डर भी नहीं था।
कुछ मिनट तक 69 अवस्था में रहने के बाद अचानक से मालविका जोर जोर से हिलने लगी और सारा पानी मेरे मुंह पर ही छोड़ दिया… उसका स्वाद बड़ा ही अच्छा था और मैं अब भी उसकी चूत चाटे जा रहा था और उसे गरम करने लगा… वो अब भी मेरा लंड मुँह में लिए थी…3-4 मिनट बाद ही वो फिर से तपने लगी और मुझसे बोली- कुणाल, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है… प्लीज अब मेरी गर्मी शांत कर दो… और अपनी गाड़ी को सही जगह पार्क कर दो… इस जानवर का पिंजरा कब से इसके लिए तड़प रहा है…”
यह सुनकर मैं सीधा हुआ और उसकी चूत के पास आकर बैठ गया और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पर रख दिया, मुझे पता था कि इस अवस्था में सेक्स करने में मजा भी आता है और लड़की के अन्दर पूरा जाता है…
मैंने थूक निकाला और उसकी चूत पर लगा दिया और अपने लंड को ठीक उसके छेद के ऊपर टिका दिया। चूंकि आज तक मालविका ने किसी के साथ कुछ नहीं किया था तो उसकी चूत बड़ी ही मुलायम और सील बंद थी, मैंने अपने हाथों से उसकी चूत को थोड़ा सा खोला और लंड के टोपे को थोड़ा अन्दर घुसाया। जरा सा घुसते ही वो चिल्ला पड़ी और लंड बाहर निकालने को कहने लगी लेकिन मुझे पता था की पहली बार में लड़कियाँ ऐसे ही कहती हैं, मैंने उसकी कमर के नीचे हाथ रखा और थोड़ा सा ऊपर किया। ज्यादा टाईट होने के कारण उसकी चूत में लंड बड़ी मुश्किल से ही जा पा रहा था, मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया और लंड थोडा और अन्दर चला गया…
उसने मुझे धक्का देकर हटाने की बहुत कोशिश की मगर मैं हिला नहीं और चूत में आधे लंड को घुसा दिया। वो दर्द के मारे चिल्ला रही थी बहुत जोर से, उसकी चीख से सारा क्लिनिक गूँज रहा था।
मैं आधे लंड को घुसा कर रुक गया ताकि उसका दर्द थोड़ा कम हो जाए… दो मिनट बाद मैंने एक और धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में समा चुका था। शायद उसे ज्यादा दर्द हो रहा था जिस कारण उसकी आँखों में आँसू आ गए थे, वो जोर जोर से आह… आह… आह… उई… इ..ई..आह… ह्ह…करने लगी और उसके चिल्लाने से मुझे भी अच्छा लग रहा था।
मैं धक्कों पे धक्के लगाये जा रहा था और कुछ के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
मालविका की हालत बड़ी ख़राब थी, उसकी चूत से खून बह रहा था, उससे चला भी नहीं जा रहा था… मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे बाथरूम में ले गया और अपने हाथों से ही उसकी सफाई की।
फिर मैंने मालविका को लिटा दिया वो मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी।
जब बाहर मौसम ठीक हो गया तो वो जाने लगी… मैंने उससे उस समय कुछ नहीं कहा… वो चली गई और मैं अगले मौके की इन्तजार करने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#43
चचेरी बहन की चूत चोदी क्रीम लगा के
कैसे मैंने अपनी चचेरी बहन की चूत पर क्रीम लगा के उसे उत्तेजित किया. और फिर अपने लंड से उसकी चूत का सिल तोड़ दिया.
मेरा नाम नितिन गर्ग है, मैं पानीपत हरयाणा का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 22 वर्ष है।
यह कहानी मेरे और मेरे चाचा जी की लड़की की है। मेरे चाचा जी की लड़की का नाम रीना है। उसकी उमर 21 वर्ष है।

यह कहानी 2 साल पहले से शुरु होती है, हम दोनों एक ही कॉलेज में पढ़ते थे, वो बीकॉम के आखिरी साल में है और मैं भी उसी की क्लास में हूँ। हम दोनों बचपन से ही अच्छे दोस्तों की तरह रहते हैं। हमारे घर में मेरे मम्मी-पापा, मेरी छोटी बहन गुड्डू है जो बारहवीं कक्षा में है और मेरे चाचा-चाची और रीना और उसकी छोटी बहन खुशी रहते हैं। हम दोनों कॉलेज में एक साथ ही जाया करते थे। वो मेरी बाइक के पीछे बैठा करती थी। वो बिल्कुल मुझसे चिपक कर बैठा करती थी।
हमारे कॉलेज में किसी को भी नहीं पता था कि हम दोनों भाई-बहन हैं। तो हम दोनों हमेंशा सबको बोलते थे कि ये मेरी गर्ल-फ्रेंड है और मैं उसका ब्वॉय-फ्रेण्ड। सभी कॉलेज के लड़के मुझसे जलते थे, क्योंकि सभी रीना को अपनी गर्ल-फ्रेंड बनाना चाहते थे। रीना देखने में बहुत ही सेक्सी थी, उसकी फिगर साइज़ 34-36-34 था। हम दोनों कैंटीन में एक साथ खाना खाते थे। कॉलेज के सभी टीचर्स भी हमें बोलते थे कि तुम्हारी जोड़ी बहुत बढ़िया लगती है। कॉलेज में यूथ-फेस्टिवल का प्रोग्राम था, तो उसमें टीचर्स ने डान्स करने के लिए हमारा नाम भी डाल दिया।
मैंने तो डान्स करने के लिए मना कर दिया था, क्योंकि मैं डान्स में थोड़ा सा कच्चा हूँ, पर रीना को पता नहीं क्या हुआ, वो मान गई।
मैं रीना को मना कर नहीं सकता था, तो मैंने भी हाँ कर दी।
रीना मुझे घर में डान्स सिखाने लग गई।
रीना को सीखाते हुए दो दिन हो चुके थे, वो बार-बार बोलती थी, हमें कुछ ऐसा करना है कि हम ही विनर बनें और मैं भी हाँ कर देता था।
रीना के साथ डान्स सीखते हुए मुझे बहुत मज़ा आने लग गया था, मेरा बहुत अच्छा टाइम-पास होने लग गया था, मैंने रीना को कभी ग़लत नज़रों से नहीं देखा था।
रीना ने आज मुझे एक नया स्टेप सिखाना था, इसमें मुझे उसे चूचों के नीचे से पकड़ कर घूमना था। जब मैंने सुना तो मैंने मना कर दिया, तो उसने मुझे समझाया कि इसमें क्या बात हो गई, इसमें क्या ग़लत है? ये सब तो आज कल चलता ही है।
तो मैंने हामी भर दी।
उसने नाइट सूट पहना हुआ था, क्योंकि हम दोनों रात को ही प्रैक्टिस करते थे। उसका सिल्की नाइट सूट को टच करते ही मेरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ पड़ी।
फिर मैंने अपने आप को संभाला और पहले उसके पेट पर हाथ लगाया और अपने आप को कंट्रोल किया। वो मेरी गरम सांसों को महसूस कर सकती थी। वो मेरे साथ चिपकी हुई खड़ी थी। मैंने उसके चूचों पर सीधा हाथ रख दिया और ज़ोर से पकड़ कर उसे उठाने ही लगा था कि वो चिल्लाई, “हटा हाथ… क्या कर रहा है..!”
मैंने उसके चूचों को पहली बार छुआ था, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना है।
तो उसने मेरे हाथ पकड़े और अपने चूचों के नीचे रखवाए और बोली- यहाँ से पकड़ना है बेवकूफ़…! और मुझे ऊपर उठा कर घूमना है। ओके.. समझ गया न…!
मेरा लण्ड उसके कूल्हों के स्पर्श से खड़ा हो चुका था, मुझे भी नहीं समझ आ रहा था कि आज यह क्या हो रहा है।
मेरा लण्ड का स्पर्श का अहसास उसे भी हो चुका था इसलिए वो भी अटपटा महसूस कर रही थी, पर उसने मुझे शो नहीं होने दिया कि उसे ऐसा कुछ लग रहा है।
मैंने 3-4 बार में सही किया, वो बहुत खुश थी और उसने मुझे प्यार से मेरे चेहरे पर चूमा और बोली- लव यू भैया..!
और मैंने भी उसे स्माइल दी और बोला- नेक्स्ट टाइम, पहली बार में ही सही करूँगा।
फेस्ट का दिन आने ही वाला था और उसके ऊपर बर्डन बढ़ता ही जा रहा था।
अगले दिन हमने पहले पिछले डान्स की प्रैक्टिस की और फिर आगे की तैयारी शुरु कर दी। आज मुझे उसको पीछे कूल्हों पर से पकड़ कर ऊपर उठाना था, जो हमारे डान्स का अन्तिम स्टेप था।
यह स्टेप करने से पहले हम दोनों को गले मिलना था और मेरे गले मिलते ही मेरे लण्ड का स्पर्श उसकी चूत पर हो गया, उसको भी थोड़ा अजीब लगा।
वो बोली- कंट्रोल कर..!
यह बात सुन कर मैं उससे दूर हो गया। मुझे बहुत शर्म आ रही थी क्योंकि वो मेरी चाचा जी की लड़की है।
मैंने उसे बोल दिया- मुझसे नहीं होगा यह डान्स..!
तो वो बोली- भाई प्लीज़ ऐसा मत बोल..!
और मेरे पास बैठ गई और बोली- अब तो कर ले, पर प्लीज़ स्टेज पर कंट्रोल कर लियो..!
मैंने भी हामी भर दी और लग गया प्रैक्टिस करने, वो बहुत खुश थी।
मैंने उसको उसके कूल्हे पर से पकड़ लिया तो वो बड़े प्यार से बोली- नीचे से पकड़ न..!
और मैंने और नीचे से पकड़ कर उठाया तो उसके चूचे बिल्कुल मेरे मुँह के सामने थे।
मैं उनकी खुशबू महसूस कर सकता था।
तभी उसने मुझे कोहनी मारी- बस उठा कर भागेगा क्या… नीचे उतार दे अब तो..!
मैंने उसे नीचे उतार दिया और हम अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए।
अगले ही दिन कॉलेज में हमारा डान्स था और सुबह हुई तो मैं अपने दोस्तों के साथ घूमने चला गया।
रीना मेरा घर पर इन्तज़ार करती रही, मैं रात को घर आया, वो मुझ पर बहुत गुस्सा थी, वो मुझसे ढंग से बात भी नहीं कर रही थी।
मैं भी सोने चला गया, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी, तो मैं रात को 12 बजे उसके कमरे में चला गया।
वो बहुत सुंदर लग रही थी, मैंने उसको उठाया- उठ जा… अब सारा गुस्सा आज ही निकालना है, थोड़ा बाद के लिए भी रख ले…!
वो मुझे देख कर चौंक गई और बोली- इतनी रात को तू यहाँ पर क्या कर रहा है?
मैंने बोला- प्रैक्टिस नहीं करनी तूने?
तो वो खुश हो गई और बोली- भाई इतनी अच्छी नींद आई हुई थी, सपनो में हमने अवॉर्ड भी जीत लिया था।
तो मैंने उसे समझाया- सपनों में नहीं, हम सच में जीतेंगे।
और प्रैक्टिस शुरू कर दी।
मैंने जीन्स पहनी हुई थी तो मुझसे सही से घूमा नहीं जा रहा था, तो वो बोली- भैया चेंज कर लो।
मैंने चेंज करने जाने लगा, तो वो बोली- भैया दस मिनट की ही तो प्रैक्टिस करनी है, विदाउट जीन्स कर लो।
मैंने जीन्स उतार दी और मैंने डान्स शुरु कर दिया। मेरे अंडरवियर में से उसे मेरे लण्ड की लम्बाई साफ़ दिख रही थी और उसकी भी आँखें नींद से खुलने लग गई थीं।
जब मैंने उसको चूचों से पकड़ कर उठाया, तो मेरे हाथ उसको चूचों को अपने आप मसले जा रहे थे। उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी। मेरा मन कर रहा था कि आज बस मसलता रहूँ… पता नहीं मुझे क्या हो गया था।
जब मैं उसको पीछे से उठाने लगा, तो मेरा लण्ड अंडरवियर से बाहर आने को हो रहा था।
उसकी चूत पर मेरा लण्ड डान्स के नए-नए स्टेप कर रहा था।
जब मैंने उसको पीछे से हाथ लगाया तो पता लगा कि उसने पैन्टी नहीं पहनी है।
तो मैंने उससे पूछ ही लिया- आज तुम्हें टच करने से कुछ अलग सा लग रहा है।
तो वो हँस कर मुझे टालने लगी।
मैंने दोबारा पूछा, तो उसने बताया- आज मैंने ब्रा और पैन्टी नहीं पहनी क्योंकि मुझे रात को पहनना अच्छा नहीं लगता।
और रीना ने मुझसे भी शरमाते हुए पूछ लिया- आज तुम्हें क्या हुआ है?
मैंने बोला- मैं कुछ समझा नहीं?
तो उसने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुए पूछा, तो मैंने बोला- ये तो ऐसे ही रहता बस तुम्हें जीन्स के अन्दर से दिखता नहीं है।
यह सुन कर वो हँसने लगी और हम अपने-अपने कमरे में सोने लिए चले गए।
उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैंने पहली बार उसके नाम से मुठ मारी और तब जाकर मुझे नींद आई।
उसी दिन कॉलेज में जब हम दोनों गए, तो सबको हम से उम्मीदें थीं कि यही दोनों जीतेंगे और हुआ भी ऐसा ही।
हमने स्टेज पर बहुत अच्छा परफॉरमेंस दिया और सभी हमारी केमिस्ट्री को देख कर खुश थे।
हमें प्रथम पुरुस्कार मिला मिला।
जब हम घर आए, तो आते ही उसने मुझे चुम्बन करना शुरु कर दिया और बोली- नितिन आई लव यू…!
उसने पहली बार मुझे मेरे नाम से बुलाया था।
अब कॉलेज में हमारा नाम सबकी जुबान पर आने लग गया था, नितिन-रीना !
और घर पर सब लोग बहुत खुश थे, जब हम घर पर वापिस पहुँचे तो रीना के लिए एक बहुत ही बड़े घर से रिश्ता आया हुआ था।
रीना को यह सुन कर बहुत दु:ख हुआ और उसने मुझे गले से लगा लिया।
जब मैं उसके कमरे में गया तो वो बोली- अभी तो मेरा कॉलेज भी कम्प्लीट नहीं हुआ और मेरे रिश्ते की बात चल रही है।
मैं उसे छेड़ रहा था कि ‘मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया !’
पर वो नाराज़ थी, दो दिन उसने किसी से बात नहीं की।
जब मैंने उससे पूछा- तो उसने बताया कि मुझे नहीं करनी शादी…!
तो मैंने उसे समझाया कि पूरी सेक्सी बन कर जा उसके सामने और उसे बोल दियो कि मेरा किसी और के साथ अफेयर चल रहा है, तो वो मान जाएगा।
रीना बोली- अगर वो ना माना तो?
तो मैंने उसे बताया, कि तू पहले उससे कहीं बाहर होटल में मिल ले और पूरी सेक्सी बन कर उसके सामने जा।
तो वो बोली- भैया सेक्सी बनने का क्या फ़ायदा…!
तो मैंने उसे समझाया- सेक्सी दिखने से उसे लगेगा कि हाँ कोई ना कोई तो होगा ही इसका ब्वॉय-फ्रेण्ड…!
वो खुश हो गई और पूछने लगी- भैया, तुम लड़के सबसे पहले एक लड़की में क्या देखते हो?
तो मैंने उसे बताया- उसके उभार..!
तो वो बोली- मेरे तो छोटे से हैं और शेप भी अच्छी नहीं है..!
तो मैंने हँस कर बोला- मुझे क्या पता.. मैंने कौन सा देखे हैं?
तो वो बोली- देखने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी… इतनी बुरी तरह से मसले थे आपने..!
तो वो बोली- बताओ भी भैया अब क्या करूँ?
तो मैंने उसे बताया- छोटी ब्रा पहन लियो और उसे नीचे से टाइट करके बाँध लेना, तो तेरे चूचों का उभार बाहर आ जाएगा।
वो समझ गई और उसने अगले दिन उस लड़के को होटल में बुला लिया।
और वो सुबह-सुबह मेरे कमरे में आ गई और दरवाजा बन्द करके बोली- मुझ से नहीं हो रहा, आप ही कर दो।
तो मैंने उसे समझाया- मैं कैसे कर सकता हूँ?
तो उसने तभी अपनी शर्ट उतार दी और ब्रा और जीन्स में मेरे सामने खड़ी हो गई।
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
तो रीना बोली- भैया आप ही तो बोल रहे थे कि मैंने कौन सा देखे हैं.. तो देख लो और मैं तो तुम्हारी बहन हूँ, तुम मेरे लिए कुछ ग़लत तो नहीं कर सकते हो।
तो मैंने उसकी ब्रा उतार दी और और उसके चूचों को देखते हुए बोला- नाइस बूब्स।
तो वो खुश हो गई और मैं उसके चूचों को मसलने लगा।
वो ‘आह-आह’ करने लग गई, उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
मैंने उसके चूचों को चूसना शुरु कर दिया
तो रीना बोली- यह क्या कर रहे हो…!
तो मैंने उसे बताया- इससे तुम्हारे चूचे बिल्कुल सीधे हो जाएँगे।
फिर मैंने उसे अपने हाथों से ब्रा पहनाई और और उसे समझा कर होटल में जाने के लिए बोल दिया कि उसे क्या करना है।
वो जब वापिस आई तो बहुत खुश थी। वो मान गया था और उसने अपने घर बोल दिया कि उसे रीना पसंद नहीं है।
यह सुन कर हमारे घर वालों भी बहुत बुरा लग रहा था और जब रीना किसी से बात नहीं कर रही थी तो उन्हें लगा कि रीना बहुत परेशान है और उन्होंने मुझे बोला कि रीना को कहीं घुमा लाऊँ।
मुझे और क्या चाहिए था..!
तो हम सभी कॉलेज के दोस्तों ने मिल कर शिमला जाने का प्लान बनाया।
रीना बहुत खुश थी। उसकी भी सभी फ्रेंड्स जा रही थीं, जो सभी किसी ना किसी के साथ सम्बन्ध बनाये (कमिटेड) थीं।
एक टूरिस्ट बस तय की गई थी, जिसमें सभी जोड़े थे। बस बहुत ही अच्छी थी, वॉल्वो बस थी, हर एक सीट के साथ पर्दे लगे हुए थे।
हमने भी और जोड़ों की तरह परदा कर लिया।
साइड वाला कपल किस करने में लगा हुआ था, यह देख कर रीना भी खुश हो रही थी और अपने चूचों को हाथ लगा रही थी।
तो मैंने उससे पूछ लिया- क्या हुआ?
तो उसने बताया- तुम्हारी मालिश याद आ गई थी।
यह सुन कर मैंने तभी उसके चूचों को दबाना शुरु कर दिया और उसका टॉप को भी उतार दिया।
उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोला- यहाँ नहीं शिमला जाकर..!
मुझ पर कंट्रोल नहीं हो रहा था, तो मैंने उसकी ना सुनते हुए, उसके थोड़ी देर तक चूचे चूसे।
मैं नहीं मानने वाला था, पर जब उसकी फ्रेंड आकर बोली- बस कर, थोड़ा दूध वहाँ जाकर भी पिला दियो।
तो मुझे शर्म के मारे हटना पड़ा।
शाम के करीब 5 बजे हम, सभी अपने होटल में पहुँच गए, जहाँ पर हमारे रूम पहले से ही बुक थे। सभी जोड़े अलग-अलग रूम में थे।
इस पर रीना ने ऐतराज़ किया, पर वो ज़्यादा बोल ना सकी।
उसे लगा मैं कैसे बोलूँ कि मैं इसकी गर्ल-फ्रेंड नहीं हूँ।
मैं रास्ते में बहुत थक चुका था और जाते ही बेड पर लेट गया।
वो बोली- मैं तो नहाने जा रही हूँ और मुझे कहा कि किसी अच्छी मूवी की सीडी ले आ।
तो मैंने बोला- ओके..!
और तभी मेरा फ्रेंड वहाँ पर आ गया और मुझे कंडोम और ब्लू-मूवीज की सीडी दे गया।
मैंने उसे बहुत मना किया, पर वो जबरन रख गया, मैंने वहीं बेड के पास रख दीं।
रीना जब नहा कर आई तो सिर्फ़ एक गाउन पहन कर आई, जो कि सिर्फ़ उसके घुटने तक ही आता था। वो बहुत सेक्सी लग रही थी। उसकी टांगें इतनी सुंदर थीं, मन कर रहा था कि अभी इनको पकड़ लूँ।
तभी उसने मुझे बोला- जा.. नहा आ..!
मैंने मना किया, तो उसने बोला- मुझे चेंज करना है।
यह सुन कर मुझे जाना पड़ा।
मैंने बाथरूम में जाकर उसके नाम की मूठ मारनी शुरु ही की थी, तभी मुझे एक छेद दिखा, मैंने उसमें से बाहर देखा, तो मैं सन्न रह गया।
रीना बिल्कुल नंगी मेरी नज़रों के सामने खड़ी थी। उसने गाउन भी नहीं पहना था। मैंने उसकी चूत आज पहली बार अपने सामने देखी थी।
क्या गोरी चूत थी रीना की… एक भी बाल नहीं…!
ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे लिए ही क्लीन शेव कर रखी हो।
वो अपने नंगे बदन पर क्रीम लगा रही थी, अपनो चूचों को बड़े प्यार से मसल रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी- आहह आहह..!
इधर मेरी हालत पतली होती जा रही थी।
तब उसने वो सीडी प्ले की और अपना गाउन डाल लिया।
उसे अभी अपने कपड़े पहने ही थे कि वो ब्लू मूवी देख कर हैरान हो गई और ध्यान से देखती रही। शायद वो ऐसी मूवी पहली बार देख रही थी।
मैं नहा कर आने की एक्टिंग करने लगा और अंडरवियर में ही बाहर आ गया।
तभी वो उठी और टीवी बँद करने लगी थी, तभी मैंने पूछ लिया- क्या बात हुई..?
वो शरमा कर एक साइड में बैठ गई। मैं बिना कुछ बोले बाथरूम से तेल लेकर आया और अपने अंडरवियर के अन्दर से ही अपने लण्ड पर लगाना शुरु कर दिया।
वो मुझे देख रही थी, मुझसे थोड़ी देर में पूछने लगी- यह तुम क्या कर रहे हो?
तो मैंने उसे बताया- जैसे तुम्हारे चूचों की मालिश करनी पड़ती है, वैसे ही इसकी भी करनी पड़ती है।
मैंने उससे पूछा- तुम्हारी भी मालिश कर दूँ?
तो वो पहले तो मना कर रही थी, फिर बोली- चल कर दे..!
मैंने कहा- गाउन तो उतार दे..!
तो वो बोली- मैंने नीचे भी कुछ नहीं पहना हुआ है।
तो मैंने उसे समझाया- सिर्फ़ ऊपर-ऊपर से ही करूँगा।
तो वो राज़ी हो गई, वो बेड पर लेट गई, टीवी की तरफ मुँह करके। वो मूवी को देख रही थी और मैं उसकी कमर की मालिश कर रहा था।
रीना को मज़ा आने लगा था, उसने मुझसे पूछा- यह मूवी तुम कहाँ से लेकर आए?
तो मैंने उसे बताया- अंकित देकर गया है।
‘उसने क्या करना है इस मूवी का?’
तो मैंने बताया- अरे कपल हैं यार, सेक्स करने आए हैं और क्या..!
तो रीना ने मुझसे पूछा- क्या तुमने कभी किसी के साथ किया है?
तो मैंने ना बोल दिया, क्योंकि मैंने इससे पहले कभी किसी के साथ चुदाई नहीं की थी।
मुझे तो पता ही था कि आज मुझे कुँवारी चूत मिलने वाली है।
वो मुझसे पूछती- क्या तुमने ऐसी मूवी पहले कभी देखी है?
तो मैंने बता दिया- देखी है तीन चार-बार..!
तो वो बोली- हट गंदे..!
तो मैंने उसे समझाया- यार तुम 18+ हो गई हो, यू आर एन अडल्ट..तुम ये सब कुछ कर सकती हो, कोई प्राब्लम नहीं है..!
‘और अगर कुछ उल्टा सीधा हो गया तो..?’
उसे बहुत बहुत छोटी-छोटी बातें बतानी पड़ रही थीं- कुछ नहीं होता, सेफ्टी प्रयोग करो तो कोई ख़तरा नहीं है।
तो मैंने उसे कंडोम खोल कर दिखाए जो अंकित दे कर गया था।
उसने पूछा- इसका क्या करना है?
तो मैंने अपना अंडरवियर नीचे करता हुआ उसे बोला- इसे इसके ऊपर चढ़ाते हैं।
तो मेरा 9″ लंबा लण्ड देख कर बोली- इतना बड़ा…!
तभी रीना ने मूवी में देखा और बोली- ये तो मूवी में जैसे उस लड़के का है, ये तो उससे भी बड़ा है।
तब मैंने उसे समझाया- यही तो मर्दों की शान होती है।
उसके लिए सब कुछ अजीब सा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है, उसे क्या करना है।
वो कंडोम को हाथ में लेकर बैठी थी और सोच रही थी, इसे लण्ड के ऊपर कैसे चढ़ाते हैं? तब मैंने उसका हाथ पकड़ा और कन्डोम को चढ़ाने में उसकी मदद की।
उसके हाथ का स्पर्श मैंने अपने लण्ड पर पाते ही जैसे निहाल हो गया, मेरे सारे पाप धुल गए, मुझे भगवान से कुछ और नहीं चाहिए था।
पर कहते हैं ना देने वाला, जब भी देता है छप्पर फाड़ कर देता है। वही मेरे साथ भी हुआ।
वो मचल उठी और उसने मेरा लण्ड दबा दिया। मैं अपने आपको संभाल नहीं पा रहा था और मैंने उसके चुचूकों को अपने मुँह में भर लिया और उसे बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने अपना कन्डोम उतार दिया, फिर मैं उसके पूरे जिस्म को चाटने लगा।
उसकी चूचियों को चूसते वक़्त मुझे ऐसा लगा कि मानो मैं स्वर्ग में हूँ…!
एकदम गोरी चूचियाँ, भूरे और कड़क चुचूक..!
फिर मैंने उसकी नाभि पर चूमा।
रीना मुझे बोलने लगी- ये जो हम कर रहे हैं, शायद ठीक नहीं है।
तब मुझे गुस्सा आ गया, मुझे ऐसा लगा, जैसे कोई खड़े लण्ड पे डंडा मार रहा हो, मैं बोला- क्या साली नखरे कर रही है, मेरा लण्ड खड़ा करके…!
वो भी थोड़ा तुनक कर बोली- अच्छा, तो अब मैं आपकी साली हो गई?
फ़िर मुस्कुराने लगी।
मैंने हँसते हुए कहा- तो क्या तुम मुझे बहनचोद बनाना चाहती हो?
इस बार वह सेक्सी अंदाज़ में बोली- आप मुझे रंडी बना रहे हो, तो कोई बात नहीं और मैं आपको बहनचोद भी ना बनाऊँ?
और वो मेरे से सट गई।
मैंने उससे नज़र मिला कर कहा- मैं तो तुम्हें अपनी रानी बना रहा हूँ जान, रन्डी नहीं, पर तुम्हारे लिए बहनचोद, क्या तू जो बोल वही बन जाऊँगा मेरी प्यारी रीना।
मैं फ़िर उसके होंठ, गाल चूमने लगा, वो साथ देते हुए बोली- थैंक्स नितिन भैया।
रीना थोड़ा गर्म होने लगी थी, बोली- अब छोड़ो ये सब बात और चलो शुरु करो नितिन भैया, जैसा सीडी में चल रहा है, मुझे वैसे ही करना है।
मुझे यह सुनकर मजा आया- क्या शुरु करे तुम्हारा नितिन भैया… जरा ठीक से तो कहो मेरी बहना..!
मेरा हाथ अब उसकी दाहिनी चूची को मसल रहा था, एक बार फ़िर मैंने पूछा- बोल न.. मेरी बहना, क्या शुरु करे तुम्हारा भैया…! बात करते हुए ज्यादा मजा आएगा मेरी जान..! इसलिए बात करती रहो, जितना गंदा बोलोगी, तुम्हारी चूत उतना ज्यादा पानी छोड़ेगी। अब जल्दी बोलो बहन, क्या शुरु करूँ मैं?
उसकी आँखें बन्द थी, बोली- मेरी चुदाई…
‘चुदाई या तेरी चूत की चुदाई?’
‘मेरी चूत की चुदाई…!’ वह बोली।
वो मेरे सामने गाउन में थी, मैंने उसे निकाल फेंका, अब वो जन्मजात नंगी थी, मेरे सामने उसका बदन देख कर मेरा लण्ड उसकी चूत में जाने के लिए बेताब हो रहा था।
मैंने किसी तरह खुद पर काबू रखा और उसकी चूत पर अपना मुँह सटा दिया।
एक भी बाल नहीं था चूत पर…! गुलाबी चूत के ऊपर लाल रंग का भगनासा को देख कर मैंने उसे अपने मुँह में ले लिया और उसका रसपान करने लगा।
क्या चिकनी बुर है। इसे तो मैं जी भर कर चूसूंगा उसके बाद चोदूंगा।
क्या मस्त कसैला स्वाद था। मेरा मुँह पूरा कसैला स्वाद से भर चुका था, पर मुझे बहुत मजा आ रहा था।
उसकी हालत मुझसे भी ज्यादा पतली थी और वो ‘आह उह’ करके सिसकारियाँ भर रही थी।
अचानक ही उसने मेरे बाल पकड़ कर अपनी चूत से मेरे मुँह को सटा लिया और जोर-जोर से कमर उछालने लगी।
वो स्खलित हो रही थी और मेरे मुँह पर अपना सारा माल निकाल रही थी।
मुझे थोड़ा अजीब लगा, पर उसकी गंध मुझे बहुत अच्छी लगी और मैंने उसे चाट लिया।
मैंने थोड़ी सी क्रीम लेकर उसकी चूत पर लगा दी, उंगली अन्दर-बाहर करके क्रीम उसकी चूत के अन्दर भी लगा दी।
उंगली बड़ी दिक्कत से अन्दर जा रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने दो उंगलियाँ अंदर करनी शुरु कीं और मुझे कामयाबी मिल गई। जब मैंने अपनी दो ऊँगली जाने के लिए पर्याप्त रास्ता बना लिया तो मैं चुदाई के लिए तैयार था।
अब मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर जैसे ही रखा, उसके मुँह से सिसकारी छूट पड़ी और वो कहने लगी- हाय राम…! इतना बड़ा मेरी में नहीं जाएगा…!
मैंने कहा- ठण्ड रखो डार्लिंग… आराम से जायेगा.. बस हल्का सा सब्र रखो…!
फिर मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसके चूत के दरवाजे पर सटा कर हल्का सा धक्का दिया। चूत चिकनी होने के कारण मेरा सुपारा ‘गप्प’ करके उसकी चूत के अन्दर चला गया और वो चिहुंक उठी, उसने कहा- निकाल लो..!
पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसके चुचूक को अपने मुँह में लेकर एक और धक्का लगा दिया और मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में चला गया। उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे और वो कहने लगी- मुझे छोड़ दो..!
मैं नहीं माना और मैंने और एक धक्का जड़ दिया, वो और जोर से रोने लगी।
और मैंने उसकी परवाह न करते हुए एक जोरदार झटका मारा और पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसकी चूत से खून निकलने लगा और मैं उसी मुद्रा में उसके चुचूक चूस रहा था।
थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैंने अपना पूरा लण्ड बाहर निकाल लिया और फिर से सैट करके एक धक्के में आधा लण्ड पेल दिया। दूसरे धक्के में लण्ड पूरा अन्दर था और वो चिल्ला रही थी- आह उह..!
पर वहाँ उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं था, मैं इत्मीनान से धक्के मार रहा था।
इस बार मैंने अपना लण्ड फिर से बाहर निकाला और एक ही धक्के में पूरा पेल दिया, अब लण्ड के जाने का रास्ता बन चुका था। फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ा दी। अब मेरा लण्ड आराम से अन्दर-बाहर हो रहा था और वो वह गांड उछाल-उछाल कर साथ दे रही थी। पूरा कमरा फ़च्छ-गच्च्छ की आवाजों से गूंज रहा था।
वो मजे ले रही थी और बोल रही थी- वाह नितिन वाह… क्या लण्ड पाया है… बहुत मजा आ रहा है… चोदो और चोदो… फाड़ डालो मेरी चूत को आह्ह्ह… येआ आह्ह आआस्स्श… ऊउह्ह…!
फिर करीब 30 मिनट के बाद मेरा लण्ड अकड़ने लगा और उसकी चूत भी अकड़ने लगी और हम दोनों ने अचानक ही एक-दूसरे को जोर से जकड़ लिया। हम दोनों एक साथ स्खलित हुए और मैंने अपना सारा माल उसकी चूत के अन्दर छोड़ दिया और वो अपनी गांड को गोल-गोल घुमा कर मेरा रस अपनी चूत में लेने लगी।
हम दोनों इसी अवस्था में लेटे रहे और जब हम उठे तो देखा कि चादर पर बहुत सारे खून के धब्बे हैं।
तब रीना बोली- रूम सर्विस से दूसरी मंगवा लेते हैं।
तो मैंने उसे समझाया- ये तो अभी दो दिनों तक ऐसे ही चलना है।
हम दोनों उसके बाद खुल कर बेहिचक और बेझिझक एक दूसरे के साथ मस्ती करने लगे।
पिछले चार महीने में हम दोनों ने सैकड़ों बार चुदाई का खेल खेला।
कुछ नया ऐसा न हुआ कि आप सब को बताया जाए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#44
आंटी की चूत में ऐसे लंड दिया
आंटी की चूत में ऐसे लंड दिया की वो खुश हो गई. घोड़ी बन के चुदवाने के बाद तो वो बोली की मैं बड़ा ही मस्त चोदता हूँ.
अभी तो मैं 25 वर्ष का हो गया हूँ और अपने परिवार के साथ दिल्ली की एक कॉलोनी में रहता हूँ पर यह घटना मेरे जीवन में लगभग तीन वर्ष पहले घटी थी जब मैं 22 वर्ष का था।
हमारे फ्लैट के साथ वाले फ्लैट में एक परिवार रहता है जिसमे एक बहुत ही सुन्दर आंटी सिर्फ अपने पति के साथ रहती हैं।

उन आंटी के रंग, रूप और उसके शरीर की सुन्दर बनावट को देख कर मैं उनकी ओर बहुत ही आकर्षित होने लगा था और दिन रात उनके सपने देखता रहता था!
मुझे हमेशा उनके साथ सहवास करने की इच्छा करती रहती थी और प्रतिदिन मैं उन्हीं का नाम ले कर हस्तमैथुन भी करता था।
मुझे जब भी कभी अवसर मिलता था मैं खिड़की में से उन आंटी के घर में झांक कर उसे देखता रहता था। कभी कभी तो मुझे ऐसा आभास होने लगाता था कि आंटी भी जानती थी कि मैं उन पर नज़र रखता हूँ! क्योंकि जब मैं उनके घर में झांकता था तब वे अपने शरीर को कुछ ऐसे आड़ा-तिरछा कर के या फिर झुक कर, मुझे अपने किसी न किसी अंग का दर्शन करा देती थी कि मैं कभी कभी तो उत्तेजना की चरमसीमा तक पहुँच जाता था!
आंटी की इन हरकतों से मुझे अंदेशा होने लगा था कि शायद वे भी चाहती थी कि मैं इस झाँका झांकी से कुछ आगे बढ़ कर उसके साथ कुछ करूँ!
मेरा मन तो बहुत करता था कि मैं आगे बढूँ लेकिन डर भी लगता था कि कहीं वह मेरी मम्मी से मेरी शिकायत न कर दें!
एक दिन दोपहर को मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और मम्मी से एक झूठा बहाना बना कर मैं आंटी के घर चला गया और उन्हें पुकारा। क्योंकि वह बाथरूम में नहा रही थी इसलिए उन्होंने मुझे कुछ देर प्रतीक्षा करने को कहा- मैं नहा रही हूँ, तुम रुको !!
मैं बाहर आँगन में उनकी प्रतीक्षा कर रहा था, तभी कपड़े सुखाने वाली तार पर मैंने आंटी की ब्रा एवं पैंटी देखी। मैं अपने आपको रोक नहीं सका, मैं आंटी की पैंटी को उठा कर सूंघने लगा।
उसी समय आंटी बाथरूम से बाहर निकली और उन्होंने मुझे ऐसा करते देख लिया था!
आंटी तुरंत मेरे पास आई और चिल्लाते हुए मुझसे पूछा- साहिल, यह क्या कर रहे हो तुम?
मेरी तो जैसे जान ही निकल गई, लेकिन मैंने अपने को सम्भालते और हकलाते हुए कहा- कु.. कु.. कुछ नहीं आं.. आं… आंटी, बस यह हवा के झोंके से नीचे गिर गई थी इसलिए इसे उठा कर ऊपर रख रहा था।
मेरा उत्तर सुनकर आंटी आँख दिखाते हुए बोली- मुझे मत सिखाओ, मैंने सब अपनी आँखों से देखा है कि तुम मेरी कच्छी को सूंघ रहे थे !
मैंने कहा- आंटी, बस वो !
आंटी चिल्लाई- क्या वो… ठहरो, मैं अभी तुम्हारी मम्मी से बताती हूँ कि तुम क्या कर रहे थे।
मैं बहुत डर गया था इसलिए मैंने आगे बढ़ कर आंटी के पैर पकड़े तथा उनसे क्षमा भी मांगी पर आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया।
उनके चेहरे के रोष को देख कर मैं और भी अधिक घबरा गया तथा मम्मी-पापा के हाथों होने वाली पिटाई के बारे में सोचने लगा।
तभी आंटी थोड़ी मुस्कराई और फिर मेरी रोनी सूरत को देखते हुए जोर जोर से हंसने लगी !
मैं अचंभित होकर उन्हें देखते हुए सोचने लगा कि अभी तो आंटी बहुत डांट रही थी और अब एकदम हंसने लगी हैं! कहीं पागल तो नहीं हो गई जो इतनी जोर से हंस रही हैं!
फिर उन्होंने मेरे पास आकर कहा- अगर तुम मेरा एक काम करोगे, तभी मैं तुम्हें माफ़ कर सकती हूँ!
मैंने झट से पूछा- क्या काम है?
तब आंटी ने बोला- अभी मैं बाथरूम में फिसल कर गिर गई थी जिससे मुझे थोड़ी चोट लगी है और मेरी कमर में मोच भी आ गई है! तुम्हें उस पर तेल से मालिश करनी होगी!
शिकायत से बचने के लिए मेरे पास और कोई चारा भी नहीं बचा था इसलिए मैंने तुरंत हाँ कर दी!
मेरे हाँ कहने पर आंटी थोड़ा मुस्कराई और फिर आगे बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेडरूम में ले गई।
वहाँ उन्होंने ड्रेसिंग टेबल से तेल की शीशी निकाल कर मेरे हाथ में रख दी और खुद अपने कमीज़ उतार कर बैड पर उल्टी होकर लेट गई!
मैं चुपचाप तेल की शीशी में से अपने हाथ में थोड़ा तेल ले कर आंटी की कमर की मालिश करने लग।
आंटी को मालिश से कुछ आराम मिल रहा था इसलिए वह खुश थी और बोली- तुम तो बहुत अच्छी मालिश करते हो! क्या तुमने इसकी कोई ट्रेनिंग ली है?
मैंने उत्तर दिया- जी हाँ, मैंने कॉलेज में फर्स्ट-ऐड का कोर्स किया था!
आंटी बोली- फिर तो तुम मेरी कमर के नीचे हो रहे दर्द पर भी मालिश कर दो!
और अपने नितम्बों के बीच में हाथ लगते हुए उन्होंने कहा- जब गिरी थी तब यहाँ पर भी लगी थी और अब भी दर्द हो रहा है!
आंटी ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल कर उसको नीचे कर दिया, पैंटी न पहने होने के कारण उनके नग्न नितम्ब मालिश के लिए मेरे सामने थे!
मैं धीरे धीरे उनके नितम्बों के उपर तेल की मालिश करने लगा तब वह बोली- यहाँ नहीं, दोनों कूल्हों के बीच में नीचे की ओर दर्द हो रहा है, वहाँ पर अच्छी तरह से मालिश कर दो!
उनके कहे अनुसार मैंने तेल वाले हाथ उनके नितम्बों के बीच में नीचे की ओर डालने लगा तब आंटी ने कहा- हाँ, यहीं पर अन्दर की ओर!
तथा अपनी दोनों टांगें चौड़ी कर दी ताकि वहाँ की मालिश अच्छे से हो सके!
उनके ऐसा करने से मुझे भी मालिश करने में आसानी हो गई और मैंने उनकी गांड और उसके आस पास तेल लगा कर मालिश करने लगा।
कभी कभी मेरा हाथ फिसल कर कुछ ज्यादा नीचे उनकी चूत तक चला जाता और मेरी उंगलियाँ उसे छू जाती तब आंटी सिसकारी लेने लगती !
शायद मेरा ऐसा करने से उन्हें कुछ अधिक मज़ा आने लगा इसलिए वह दस मिनट तक चुपचाप लेटी रही और मुझे अपनी गांड के आस पास की मालिश करने दी!
मैं भी बड़े मजे से तेल लगाता रहा था और उनकी चौड़ी टांगों के बीच में से उनकी चूत को निहारते हुए सोचा- पता नहीं कब मेरा खड़ा लण्ड उस ज्वालामुखी मे जाएगा!”
मैं अपने खड़े लण्ड से भी बहुत परेशान हो रहा था क्योंकि वह बार बार आंटी की जाँघों से टकरा रहा था ! हाथों में तेल लगे होने के कारण मैं उसे ठीक से अपने लोअर के अन्दर सेट नहीं कर पा रहा था और मैं डर रहा था कि कहीं आंटी को बुरा नहीं लग जाए !
मुझे अपने पर खीज और गुस्सा भी आ रहा था कि मैंने मालिश के लिए हाँ क्यों कही थी!
तभी आंटी ने मुझे कहा- तुम तो अब बहुत बड़े हो गए हो?
मुझे खीज तो हो ही रही थी इसलिए मैंने भी गुस्से में बोल दिया- मेरा वह भी बड़ा हो गया है।
यह सुनते ही आंटी बोली- उसी का तो जायजा लेने के लिए यह नाटक कर रही हूँ!
उनके मुख से यह नाटक शब्द सुन कर मेरा गुस्सा हवा हो गया और मुझ पर वासना ने आक्रमण कर दिया।
उस वासना की वजह ने मेरा लण्ड और भी सख्त हो गया और मुझे लगने लगा था कि कुछ ही देर में उसकी सारी नसें फट जायेंगी। मैंने अपने शरीर को आंटी के शरीर के साथ सटा दिया और लोअर के अन्दर से ही अपने लण्ड को उनकी नंगी जाँघों पर दबाने लगा! मेरे लण्ड की चुभन को महसूस कर के आंटी ने मेरी ओर देखा और मुस्करा कर मुझे एक आँख मारी!
इसके बाद आंटी ने मेरे हाथों को अपने नितम्बों तथा जाँघों से अलग करते हुए बैड से उठी और सिर्फ ब्रा ही पहने हुए मेरे एकदम करीब आ कर खड़ी हो गई! फिर उन्होंने मेरे लोअर में हाथ डाल दिया मेरे लण्ड अपने को हाथ में पकड़ कर बोली- हाँ तुम ठीक ही कह रहे थे, यह सच में काफी बड़ा हो गया है और साथ में काफी मोटा भी हो गया है, यह जिसकी भी चूत में घुसेगा उसे पूरी संतुष्टि दे कर ही बाहर निकलेगा!
यह सब बोलते हुए उन्होंने मेरे लोअर को दोनों हाथों से पकड़ कर नीचे की ओर सरका दिया। क्योंकि मैंने अंडरवियर नहीं पहना था इसलिए मेरा तना हुआ लण्ड उनके सामने सलामी देने लगा।
मेरे कड़क लण्ड को देख कर आंटी तुरंत झुक कर नीचे बैठ गई और उसे पकड़ कर अपने मुँह डाल लिया और चूसनी की तरह चूसने लगी।
पिछले कुछ मिनटों में उनकी बातों और गतिविधि को देख कर मुझे उनसे ऐसी ही प्रतिक्रिया मिलने की ही आशा थी।
मैं उनके द्वारा किये जा रहे मेरे लण्ड के मुख-मैथुन का पूर्ण आनंद लेने लगा और अब मुझे इस बात का विश्वास हो गया था कि आज वह अपनी चूत में मेरा लण्ड डलवा कर अपनी आग को ज़रूर शांत करेंगी!
बाद में आन्टी ने मुझे बताया था कि उनके पति मधुमेह के रोग से ग्रसित थे जिससे उन्हें स्तंभन दोष हो गया था और वह उनकी चुदाई नहीं कर सकते थे।
कई माह से यौन संसर्ग की भूखी आंटी को आज जब मेरा सात इंच लम्बा एवं ढाई इंच मोटा लण्ड दिख गया तब उनकी चूत में आग तो लगनी ही थी।
कुछ देर तक मेरा लण्ड चूसने के बाद जब वह उठी तब मैंने उन्हें पकड़ लिया और उनके होटों को चूमने लगा तथा धीरे धीरे उनकी ब्रा के ऊपर से ही उनकी मस्त चूचियों को हाथों से दबाने लगा।
तब उन्होंने अपने हाथ पीछे की ओर कर के अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और उसे उतार कर दूर कोने में फेंक दिया। अब वे मेरे सामने बिल्कुल नग्न हो गई थी और उन्होंने मेरा सिर पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूचियों पर लगा दिया।
मैं भी यही चाहता था इसलिए बिना विरोध किया मैंने उनकी चूचियों को दबा कर चूसने लगा जिस से वह भी बहुत गर्म होने लगी थी! उस समय मैं तो चाहता था कि आंटी तुरंत बिस्तर पर लेट जाएँ और जल्दी से मुझसे चुदाई करवा लें!
मुझे थोड़ी जल्दी इसलिए भी थी क्योंकि दोपहर का समय था और उस समय हमारे घर में मम्मी अकेली थी! मुझे डर था कि मम्मी जब मुझे देर तक घर वापिस आया नहीं देखेगी तो वह मेरे बारे में आंटी पूछने के लिए वहाँ भी आ सकती हैं!
इसलिए मैंने भी तुरंत अपनी टी-शर्ट उतार कर आंटी की ब्रा के ऊपर फेंक दी और नीचे झुक कर बैठ गया! आंटी ने अपनी टाँगें फैला दी ताकि मुझे उनकी चूत के खुले दर्शन हो जायें और मैं आराम से उसको चूस भी सकूँ।
उनकी चूचियों को चूसने के कारण वह बहुत गर्म हो चुकी थी और उनकी चूत भी गीली हो चुकी थी। जैसे ही मेरी जीभ ने उनकी चूत पर दस्तक देनी शुरू करी उनके मुख से तो आह.. आह.. की सिसकारियाँ निकलने लगी!
उनकी चूत से निकल रहे पानी का स्वाद सच में काफी अच्छा था और मैं उसे मस्ती के साथ चूसने अथवा चाटने लगा। अगले दो-तीन मिनट तक मैं उनकी चूत और दाने को बहुत तेज़ी से जीभ से रगड़ता रहा!
इस रगड़ का असर हुआ और आंटी ने अपनी टाँगें अकड़ा दी और बहुत ही जोर की सिसकारी लेते हुए अपनी चूत में से रस का फव्वारा छोड़ दिया।
क्योंकि मुझे थोड़ी जल्दी थी इसीलिए मैंने उस रस को चाट लिया और खड़ा होकर आंटी को वहीं घोड़ी बनने को कहा!
आंटी घोड़ी बनने का मतलब बखूबी जानती थीं इसीलिए उन्होंने कोई देर नहीं लगाई और तुरंत बिस्तर पर झुक कर घोड़ी बन गई !
मैंने अपने लण्ड को उनकी चूत के मुँह पर रखा तथा एक धक्का लगाया और उसे उनकी गीली चूत में पूरा का पूरा घुसेड़ दिया!
उनके मुँह से एक मीठी सी आह निकली और उनकी सांसें भी तेज़ी से चलने लगी!
मैं आगे झुक कर आंटी की दोनों चूचियों के पकड़ कर मसलने लगा और नीचे से धीरे धीरे धक्के लगा कर अपने लण्ड को उनकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा।
मुझे बहुत ही मज़े आ रहे थे क्योंकि जब मैं आंटी के घर आया था तब मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मुझे उनकी चुदाई का ऐसा सुनहरा मौका आज ही मिल जाएगा।
थोड़ी ही देर में जब आंटी ने ऊँचे स्वर में सिसकारियाँ लेनी शुरू कर दी तब मेरी उत्तेजना बढ़ने लगी और मैंने तेज़ी से धक्के लगाने शुरु कर दिए जिस के कारण देखते ही दखते आंटी की चूत से रस टपकने लगा! उस रस से मेरा लण्ड और टट्टे के गीले होने का एहसास होते ही मुझे बहुत जोश आ गया और मैंने बहुत ही तीव्र तेज गति से आंटी की चुदाई करनी शुरू कर दी।
इस बहुत ही तीव्र गति की चुदाई से आंटी भी बहुत उत्तेजित हो गई और अत्याधिक ऊँचे स्वर में सिसकारियाँ लेने लगी तथा मेरा साथ देते हुए आगे-पीछे भी हिलने लगी।
उनकी इस गतिविधि से हम दोनों को उस चुदाई का बहुत ही आनन्द आने लगा था। तभी आंटी का शरीर अकड़ गया और उनकी चूत बहुत ही जोर से सिकुड़ गई तथा मेरे लण्ड को अन्दर की ओर खींचने लगी।
इस खींचा-तानी में हम दोनों को जो रगड़ लगी उससे दोनों ने जोर से चिल्लाते हुए अपने अपने रस की बौछार कर दी।
इसके बाद ना तो मेरे पास और ना ही आंटी के पास इतनी ताकत बची थी की हम दोनों खड़े रह सके इसलिए हम निढाल होकर एक दूसरे से चिपके हुए बिस्तर पर लेट गए!
पांच मिनट के बाद जब मुझे कुछ सुध आई तो मैंने अपना लण्ड को आंटी की चूत से बाहर निकाला तब उसमें से रस की नदी बह निकली!
बैड की चादर चूत से निकल रहे रस से खराब न हो जाए इससे बचने के लिए आंटी तुरंत उठ कर खड़ी हो गई और भाग कर बाथरूम में घुस गई!
मैं भी उनके पीछे बाथरूम में चला गया और वहाँ हम दोनों ने एक साथ स्नान किया तथा एक दूसरे को अच्छी तरह से साफ़ भी कर दिया।
जब हम वापिस कमरे में आए तो आंटी बहुत ही खुश लग रही थी और बार बार मुझे चिपक कर मेरे गले लग रही थी और मेरे चुम्बन ले रही थी।
मैंने भी उनके चुम्बन का उत्तर चुम्बनों से दिया और फिर हमने अपने कपड़े पहन लिए!
मैंने वहाँ से चलने से पहले आंटी के होंटों को चूमते हुए उनसे चुदाई और संतुष्टि के बारे पूछा तो उन्होंने बहुत ही ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कहा- साहिल, आज में तुझे प्रमाण-पत्र देती हूँ कि तुम एक उत्कृष्ट श्रेणी के चोदू हो और तुम जिसकी भी चुदाई करोगे वह बहुत ही खुशनसीब होगी क्योंकि उसकी प्यास पूर्ण रूप से बुझेगी और उसे बेहद संतुष्टि मिलेगी! सब एक बार तुमसे चुदने के बाद बार बार तुमसे ही चुदने की याचना करें, मेरी ऐसी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं!
इसके बाद आंटी ने मेरे लण्ड को पकड़ कर दबाया और मुझे अगले दिन फिर आने का न्योता दिया तथा घर के बाहर वाले दरवाज़े तक एक चुम्बन दे कर मुझे अलविदा करने भी आई!
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