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Incest दीदी ने पूरी की भाई की इच्छा
Nice update
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Happy new year 2022
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(01-01-2022, 11:27 PM)bhavna Wrote: Happy new year 2022

Thanks    Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Super... please update more
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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...
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Update plz
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(01-01-2022, 10:49 PM)gama4u Wrote: Nice update

(01-01-2022, 11:27 PM)bhavna Wrote: Happy new year 2022

(03-01-2022, 11:50 AM)Suryahot123 Wrote: Super... please update more

(10-01-2022, 02:23 PM)sandy4hotgirls1 Wrote: Update plz

Namaskar Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(11-01-2022, 07:52 PM)gama4u Wrote: Waiting

w Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(11-01-2022, 09:51 PM)neerathemall Wrote: w Namaskar
अभी कुछ बाकी बचा हुआ है या फिर कहानी पूर्ण हो चुकी है? मुझे लगता है अब चूँकि कहानी अपने चरम पर पहुच चुकी है इसलिए इसको यहींसमाप्त समझा जा सकता है.
कृपया मार्गदर्शन करें......
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(12-01-2022, 07:13 PM)bhavna Wrote: अभी कुछ बाकी बचा हुआ है या फिर कहानी पूर्ण हो चुकी है? मुझे लगता है अब चूँकि कहानी अपने चरम पर पहुच चुकी है इसलिए इसको यहींसमाप्त समझा जा सकता है.
कृपया मार्गदर्शन करें......

अभी कुछ बाकी बचा हुआ है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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[Image: a92440939b9514c92617e22758e57187.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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(13-01-2022, 12:08 PM)neerathemall Wrote: अभी कुछ बाकी बचा हुआ है

ठीक है। 4-5 एपिसोड रहेंगे शायद। वैट करेंगे उनके लिए भी। कोशिश करके जल्दी दीजिये।
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(31-12-2021, 12:54 PM)neerathemall Wrote: ओह ! दीदी. तुम्हारी चूत कित'नी कऱी है. एक बच्चा होने के बाद भी तुम्हारी चूत इत'नी टाइट है. तुम्हारी चूत ने मुझे इतना उत्तेजीत किया है के में दीवाना हो गया हूँ. दीदी!. में इत'नी ज़ोर से तुम्हें चोद रहा हूँ. और तुम्हें तकलीफ़ भी नही हो रही है. यानी तुम्हारी चूत कित'नी गहरी है. मेरा पूरा लंड तुम्हारी चूत में समा जा रहा है.. यानी मेरा लंड तुम्हारी चूत की गहराई के माप का बना है. ओह दीदी!. मुझ'से अब रहा नही जाता. दीदी. दीदी.

(31-12-2021, 12:54 PM)neerathemall Wrote: मेरी लाडली, दीदी. तुम ग्रेट हो, दीदी. तुम'ने अप'ने भाई को चोद'ने दिया. उस'का लंड अप'नी चूत में लिए तुम चुदवा रही हो. यू आर ग्रेट, दीदी. आया. आया. आया अब बाहर, दीदी. दीदी." सतसट करके मेने और कुच्छ धक्के मेरी लाडली बहन की चूत में लगाए और आखरी गहरा धक्का उसकी चूत में देकर में उस'से ज़ोर से चिपक गया.

(31-12-2021, 12:55 PM)neerathemall Wrote: फिर एक के बाद एक मेने मेरे वीर्य की पिच'कारीया उसकी चूत में छोड़ दी. पह'ले की दो तीन ज़ोर की पिच'कारीया उस'को चिपक'कर छोड़'ने के बाद मेने बाद की हल'की पिच'कारीया उसकी चूत में धीरे से धक्के देकर छोड़ दी. मेरा वीर्य स्त'खलन इतना पावरफुल था के में थक गया और संगीता दीदी के बदन'पर गिर गया. में उसके बदन पर गिरा तो था लेकिन फिर भी मेरा ज़्यादा तर भार मेरे हाथों पर ही था.

(31-12-2021, 01:05 PM)neerathemall Wrote:
[Image: 25708967_044_436b.jpg]

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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हम बहन-भाई की पह'ली चुदाई से हम दोनो भी थक गये थे और पसीने पसीने हो गये थे. में धीरे से संगीता दीदी के बदन से बाजू में लुढ़क गया और वैसे ही उस'से सट के पड़ा रहा. मुझे ऐसा लगा रहा था के में बेहोश हो जाउन्गा. इस'लिए मेने आँखें बंद रखी थी और हम वैसे ही सो गये!!

 
गहरी रात में कभी तो मेरी नींद खुल गई. पह'ले तो मेरी समझ में नही आया के में कहाँ हूँ बाद में झट से मेरी लाइट जल गई! मेने फिर के मेरे बाजू में देखा. संगीता दीदी मेरे बाजू में चुप'चाप सोई पड़ी थी वो अब भी पूरी नंगी थी और मेरी तरफ पीठ कर के बगल पर सोई थी. मै भी तो पूरा नंगा था.
 
झट से मेरे मन के परदे पर सुबह सी हो गई. घटनाओं का एक्शन रीप्ले दिखने लगा. कैसे मेरी बहन की खंडाला देख'ने की 'इच्छा' मेने पूरी की. उसके साथ साथ मेने उसकी बहुत सी छोटी मोटी 'इच्छाए' भी पूरी की. मेरी 'बहेन की इच्छा' पूरी कर'ते कर'ते मेने भी मेरी 'इच्छा' कैसे पूरी कर ली. मेरे मन में कैसे मेरी बहन को चोद'ने की 'इच्छा' थी. और हक़ीकत में वो 'इच्छा' पूरी होते होते मुझे कैसे अलग ही सुख मिला. जिसका अनुभव मेने पह'ले कभी किया नही था. मुझे मेरी ख़ुशनसीबी पर फक्र अनुभव हुआ और मुझे हँसी आई.!
 
में उठ गया और हम दोनो के नंगे बदन'पर रज़ाई ओढ़'कर वापस सो गया. धीरे से में संगीता दीदी की तरफ सरक गया और उससे पिछे से चिपक गया. उसकी बगल से हाथ डाल के मेने उसकी छाती हाथ में पकड़ ली और उसके चुतडो के बीच में मेरा लंड ज़ोर से दबा के में उस'से चिपक गया. उसकी नींद खुल गई के नही ये मालूम नही लेकिन उस'ने अप'ने चुत्तड पिछे मेरे लंड पर और दबाए. मेरी बहन के नंगे बदन की गरमी लेकर में धीरे धीरे नींद के आगोश में चला गया.
 
दूसरे दिन सुबह आठ बजे के करीब हमारी नींद खुल गई. में अब भी संगीता दीदी को पिछे से चिपक के सोया था. मेरा लंड कड़ा हो गया था और उसकी दोनो जांघों के बीच छिप गया था. मेरी नींद क्यों खुल गई ये अब मेरी समझ में आया!! संगीता दीदी मेरा कड़ा लंड, जो उसकी जांघों से आगे आया था, उसे सहला रही थी. मेने खच से एक धक्का दिया और मेरा लंड उसकी जांघों के बीच आगे पिछे कर'ने लगा.
 
थोड़ी देर वैसे कर'ने के बाद में और ज़्यादा उत्तेजीत हुआ. झट से उस'से दूर होकर मेने उसे खींच'कर अप'नी पीठ पर सीधा किया.
 
फिर संगीता दीदी के बदन'पर च्चढ़'कर मेने मेरा लंड उसकी चूत'पर रख एक ही धक्के में मेने मेरा लंड उसकी चूत में धास दिया और में उसे चोद'ने लगा. उसकी चूत उत'नी गीली नही थी जित'नी रात को थी इस'लिए मुझे लंड अंदर बाहर कर'ते कर'ते तकलीफ़ हो रही थी लेकिन उस तकलीफ़ से चोद'ने का आनंद ज़्यादा मीठा था. इस'लिए में उसे चोदते रहा. कुच्छ ही पल में में झाड़'ने की सीमा तक पहुँच गया और उसकी चूत में वापस एक बार मेने मेरा पानी छोड़ दिया.
 [Image: 21556448_094_2563.jpg]
झड़'ने के बाद थोड़ी देर में उसके बदन पर लेटा रहा और फिर में उठ गया.
 
बाथरूम में जाकर मेने हाथ मुँह धोए और दाँत वग़ैरा ब्रश कर के फ्रेश हो गया. फिर बाहर आकर मेने संगीता दीदी को उठाया और उसे बाथरूम में भेज दिया. मेने उसे कहा कि नहाना छोड़ के सब कुच्छ कर ले क्योंकी हम दोनो इकठ्ठा नहाएँगे. उस कल्पना से वो काफ़ी खुश हो गई. जब उस'ने बाकी सब फिनीश किया तब उस'ने मुझे अंदर से आवाज़ दी. अंदर आने के बाद मेने शावर चालू कर के ठंडा और गरम पानी अडजेस्ट किया.
 
फिर हम दोनो भाई-बहेन एक दूसरे के बदन को अच्छी तरह से घिस के और साबून लगा के शावर के नीचे नहाए. वैसे शावर के नीचे अप'नी बहन के साथ नहाने की मेरी 'इच्छा' थी जो अब पूरी हो गई. संगीता दीदी ने भी मुझ'से कहा कि उसकी भी 'इच्छा' थी के शावर के नीचे वैसे नहाए. लेकिन मेरे साथ नही तो अप'ने पति के साथ.. नहाने के बाद हम दोनो ने एक दूसरे के बदन टावाल से अच्छी तरह पोंच्छ लिए और फिर हम बाहर आए.
 
हमें दस बजे की बस पकड़'नी थी इस'लिए हम जल्दी जल्दी तैयार हो गये. रूम के बाहर निकल'ने से पह'ले हम दोनो ने एक दूसरे की आँखों में आँख डाल'कर देखा और ज़ोर से एक दूसरे को कस'कर पकड़ लिया. थोड़ी देर एक दूसरे की बाँहों में रह'कर हम चुंबन लेते रहे. फिर बड़ी मुश्कील से हम एक दूसरे से अलग हो गये. हमारे बॅग उठाकर हम हंस'ते हंस'ते उस रूम से बाहर निकले.
 
रूम से बाहर निकलते हुए मेरे मन में विचार था के कल रात इस रूम के अंदर आते सम'य हम दोनो भाई-बहन थे. और अब इस रूम से बाहर जाते जाते हम दोनो में एक अलग ही नाता बन गया था. नाता. एक स्त्री-पुरुष का नाता.. एक नर- नारी का नाता.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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समाप्त












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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Nice ending
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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