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अध्याय 8
दिन गुजरते गए और मस्तिया चलती रही,सपना अब भी रोहन से नाराज थी और सच बताऊँ तो इससे दिल को बेहद ही सुकून मिलता था,लेकिन फिर भी हर पार्टी में वो साथ रहती,जंहा भी हम जाते वंहा वो साथ ही रहती,उसके सामने रोहन तो कुछ नही करता लेकिन मैं रोहन के होठो में होठ भरने का कोई मौका नही छोड़ती खासकर जब सपना हमारे साथ हो,ऐसी ही कुछ दोस्ती और दुश्मनी थी हमारी की चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन साथ कभी नही छोड़ते थे …
एक अजीब सा लगाव था हमे एक दूसरे से तीनो में कोई एक ना हो तो खाली खाली सा लगता था,चाहे हम कितनी भी दुश्मनी निभा ले लेकिन बचपन का साथ था हमारा,उस दिन रोहन मुझे लेकर सपबना के घर गया,मैं उसके घर नही जाना चाहती थी लेकिन रोहन ने जबरदस्ती की …
हम सपना के कमरे में बैठे थे,कमरा मेरे कमरे जैसा ही था असल में लग यही रहा था की जैसे मेरे कमरे की ही नकल हो ,बड़े से कमरे में एक कोने में सोफा लगा हुआ था,हम वही बैठे थे,सपना कही दिख नही रही थी ,रोहन ने मुझे थोड़ी देर में आने की बात कही और वो बाहर निकल गया ,मैं वंहा अकेली थी समझ नही आ रहा था की आखिर सपना कहा है ,थोड़ी ही देर में सपना और उसके पिता जी वंहा आये ..
मैं खड़ी होई गई ..
“नमस्ते अंकल ..”
वो मुस्कुराए
“नमस्ते बेटा बैठो बैठो..”
सपना मेरे बाजू में बैठ गई वही अंकल दूसरे सोफे में ,
“रोहन कहा चला गया??? “मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर रोहन मुझे यंहा अकेले छोड़कर कहा चला गया है..
“वो थोड़ी देर में आएगा,असल में हमने ही तुम्हे बुलाया था रोहन से बोलकर,अब सपना बोलती तो तुम आने से रही ..”
अंकल अब भी मुस्कुरा रहे थे,,अंकल ने मुझे बुलाया ,अब आखिर ऐसी क्या बात हो गयी ,मैं ध्यान से सुनने लगी ..
“देखो बेटा तुम्हे भी पता है की हमारे परिवार के बीच एक अलग ही युद्ध चलता आ रहा है,मेरे पिता और तुम्हारे दादा जी कट्टर प्रतिद्वंदी थे ,लेकिन क्या तुम्हे पता है की वो दोनों और रोहन के दादा ये तीनो एक ही कॉलेज में एक ही कालेज में पढ़े थे…”
“जी अंकल मैं जानती हु,”
“बात यही खत्म नही हुई ,हमारी दूसरी पीढ़ी यानी मैं तुम्हरे पिता और रोहन के पिताजी तीनो ने भी वो प्रथा कायम रखी,तुम्हारे पिता जी का अगर कोई सब्सेर बड़ा दुश्मन है तो वो मैं हु और वैसे ही मेरे लिये तुम्हारे पिताजी है,”
वो हसने लगे साथ ही मैं भी मुस्कुराने लगी क्योंकि ये बात बिल्कुल ही सही थी लेकिन सपना उदास थी सर झुकाए बैठी थी ..
अंकल फिर से बोलने लगे ..
“देखो बेटा यंहा ऐसे बुलाने के लिए माफी चाहूंगा लेकिन मैं अपनी बेटी से बहुत ज्यादा प्यार करता हु ,मैं यंहा तुम्हे कुछ समझने के लिए नही बुलाया हु असल में मैं सपना को कुछ समझाना चाहता हु ..”
उनकी बात सुनकर मैं थोड़ा चौकी,उन्होंने बोलना जारी रखा
“देखो बेटा तुम्हारे दादाजी भले ही मेरे पिता के सबसे बड़े कम्पीटिटर थे लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा अपने बेटे की तरह समझा,और तीनो परिवार हमेशा अपनी दूसरी पीढ़ी को अपने बच्चों जैसा प्यार देते आ रहे है,हम कितने भी बड़े दुशमन बन जाए लेकिन हमारे बीच वो दोस्ती कभी नही छूटती जो हममें है दुश्मनी के रूप में,सच कहु तो तुम्हारे पिता जी अगर बीमार भी पड़ जाए ना तो मेरी जान निकल जाती है,क्योंकि साला वो ही नही रहेगा तो मैं लडूंगा किससे ..”
अंकल की बात से मुझे वो घटना याद आयी जब पापा के अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ था और मिलने वाले में सबसे पहले अंकल ही थे दूसरे रोहन के पापा थे ,और जब सपना के पिता जी को हार्ट अटैक आया था तो पापा कुछ ज्यादा ही चिंता में रहते थे,बार बार फोन कर उनका हाल चाल जानते उनसे मिलने जाते…
इन सब बातों को याद करके मैं मुस्कुराने लगी
“बेटा तेरे दादा और तेरे पापा दोनों ही जिगर वाले थे दुश्मनी को भी पूरी नजाकत से निभाई उन्होंने लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए मुझे चिंता होती है ,हमने कभी अपने बच्चों को इस दुश्मनी में शामिल नही किया,तुम दोनों दुश्मनों की तरह रहो मुझे कोई प्रॉब्लम नही है लेकिन मैं तुमसे कैसे कोई दुश्मनी निकाल सकता हु ,तुम मेरी बेटी जैसी हो ,रोहन मेरा बेटा है ,मैं तुम्हारे बारे में बुरा नही सोच सकता बेटा,ना ही तुम्हारे रिश्ते के बारे में,लेकिन ये चाहती है की मैं तुम्हारे इसके मामले में आऊ और यही मैं इसे समझने की कोशिश कर रहा हु की हमने कभी एक पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी से नही मिलाया ,हमने बुजुर्गों की इज्जत की और छोटो को प्यार दिया है,यही तो हमारे दशमी की काबिलियत रही है ,हमे इसपर गर्व है कि हमारा दुसहमन इतना पावर फूल है ,और हमने उसके परिवार को हमेशा ही अपना परिवार माना है …”
अंकल की बात सुनकर कई वाकये याद आ गए जब सच में अंकल ने मुझे और मेरे पिता ने सपना को अपने बच्चों की तरह से प्यार दिया था,वो तो हम बड़े होने के बाद एक दूसरे के घर आना जाना छोड़ चुके थे लेकिन जब हम बच्चे थे तो हमारे पिता या दादा ने हमे कभी भी एक दूसरे के घर जाने से नही रोका था ,
“सॉरी अंकल की आपको मुझे बुलाने के लिए रोहन की मदद लेनी पड़ी “मुझे अचानक ही अपनी गलती का अहसास हो गया …
अंकल खड़े होकर मेरे बालो को सहलाने लगे ,उनके स्पर्श ,के वही प्यार था जो मेरे पापा के स्पर्श में होता है
“बेटा मेरी और तेरे पिता की हमेशा से दो बेटी और एक बेटा है ,हमारी दुश्मनी और दोस्ती दोनों ही खानदानी है,हा मुझे इस बात का दुख जरूर है की रोहन मेरा नही तुम्हारे पिता का दामाद बना लेकिन मुझे सच में तुम्हारे लिए वो खुसी है जो एक बाप को होनी चाहिए,लेकिन मैं नही चाहता बेटी की तुम अपनी दुश्मनी हम तक पहुचाओ अगर तुम दोनों का प्रॉब्लम है तो तुम दोनों ही इसे अपने लेवल में खत्म करो ,और यही सोच हमारे पिताओं की थी और हमारी भी है,हम तुम्हारे नही तुम्हारे पूर्वजो के दुश्मन है,लड़ाई में जब तक मजा ना हो तो वो लड़ाई नही रहती,तुम्हारे पिता ने हमेशा सपना की माँ से प्यार किया था,वो उसे पा नही पाया लेकिन मैंने उसे पाया फिर भी हम वैसे ही थे जैसे पहले थे,हर एक बात से हमारी दुश्मनी बड़ी लेकिन फिर भी हमने एक दूजे के परिवार को अपना परिवार समझा है क्योंकि हमने अपनी दुश्मनी सिर्फ अपने तक रखी है,लेकिन आज सपना ने मुझे तुम्हारे बारे में कहा की मैं तुम्हारे और रोहन के बीच के प्यार को तोड़ने में उसकी मदद करू..बेटे ये तो मैं नही कर सकता,तुम्हारे पापा भी यही कहते अगर ये तुम्हारी बात होती..मैं बस ये चाहता हु की तुम दोनों अपनी दुश्मनी दिल से निभाओ ताकि उसमें छिपे प्यार को समझ पाओ तुम दोनों अकेले में बात करके फैसला कार्लो की तुम्हे सोहन के बारे में क्या करना है “
अंकल जा रहे थे तभी मैं बोल उठी
“अंकल पापा ने क्या किया था जब आप और आंटी ने एक दूसरे को चुना “
मेरे सवाल से अंकल जोरो से हँस पड़े
“वो साला तो आज भी मेरी बीवी को मुझसे दूर करने की कोशिश करता है लेकन बेटा ये हमारा कंपीटिशन है जो वो कभी नही जीत पायेगा,और रोहन तुम दोनों का ,हमने कभी तुम्हारा और तुम्हरे दादा दादी का इस्तमाल नही किया तुम्हे भी हमारा इस्तमाल नही करना है,अपनी लड़ाई खुद लड़ो और जीतो,तुम दोनों को ही आल द बेस्ट ‘
अंकल ने मुस्कुराते हुए कमरा छोड़ दिया,उनके लिए दिल में एक सम्मान की भावना मेरे दिल में घर कर गई,सच में ये थड़ी अजीब सी लगाई थी …
मैं सपना की ओर मुड़ी
“समझ आ गया जो अंकल ने कहा “
मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा
“साली कुतिया रोहन कभी तेरा नही होगा ,”
वो सुबकते हुए कहा,मैंने सपना को रोते हुए बहुत ही कम ही देखा था,मैं हँस पड़ी
“कुतिया तो मैं हु लेकिन रोहन की ,तू कुछ नही कर पाएगी “
सपना ने मुझे खा जाने वाली नजर से देखा
“वो तो वक्त ही बताएगा ,लेकिन मेरी बात याद रख हम पैदायसी दुशमन है ,तेरे पिता जी आज भी मेरी माँ को पाने में लगे है ,मैं भी कभी तेरा पीछा नही छोडूंगी,जिससे भी तू प्यार करेगी उसे तुझसे छीन कर रहूंगी “
सपना की बातों से मुझे जोरो की हँसी आयी और मैं जोरो से हंसी भी ,
“गेम इस बिगिंग बेटा देखते है , तू मेरे प्यार को कैसे छिनती है”
मैं कमरे से बाहर निकल गई तब तक सपना बस मुझे घूरती रही ...
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khandani dushmani..... woww
age age dekhiye hota hai kya
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(09-05-2019, 05:22 AM)kamdev99008 Wrote: nice buildup dr sahab lekin....apne fir ek chutiya dhoondh hi liya jo apni biwi ko uske ex bf aur lover ke sath kam karne ki azadi hi nahi... flirt karne ya karwane ki azadi bhi de raha hai
keep it up
:D :D dhanyawad kamadev ji...
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(09-05-2019, 06:52 PM)fasterboy Wrote: कमबख्त इश्क जो न करवाये वो कम है. इश्क़ में बीवी को भी दूसरे से चढ़वाना पड़ता है.
:D :D
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(11-05-2019, 12:00 AM)kamdev99008 Wrote: khandani dushmani..... woww
age age dekhiye hota hai kya
Dhanyawad kamadev ji
..
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(11-05-2019, 03:32 PM)Eswar P Wrote: Excelent
Dhanyawad eswr..
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अध्याय 9
कालेज के दिन ऐसे ही निकल रहे थे लेकिन वो पार्टी भी मुझे अच्छे से याद है ,वही फॉर्महाउस था जंहा रोहन ने मुझे प्रपोज किया था,वही दिन था,उसका बर्थडे ,वैसे ही हम शराब के नशे में पी कर झूमे थे ,
रात बहुत हो चुकी थी और मैं नाच नाच कर बेहद ही थक गई थी ,मैं आराम करने के लिए रोहित के कमरे की तरफ बड़ी ,ये वही कमरा था जंहा रोहन ने मुझे प्रपोज किया था,मेरे कदम लड़खड़ा रहे थे,मैं सम्हालती हुई और रोहन को कोसती हुई उस कमरे के तरफ गई ,
“huuuuuuuu ओह रोहन”
कमरे से आने वाली आवाज ने मुझे चौकन्ना कर दिया,मुझे याद आया की रोहन सपना के साथ ही कही गया था,उसके बाद से मैंने उसे देखा ही नही था,मेरे पैरों से जैसे जमीन खिसक गई ..
“रोहन प्लीज् करो ना ..”
ये सपना की आवाज थी,मेरा दिल जोरो से धड़का ,मैंने आराम से दरवाजा खोला,सामने जो दृश्य था वो देखकर मेरे पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई..
सपना का शर्ट पूरी तरह से खुला हुआ था,वो ऊपर से बिल्कुल ही नंगी थी ,वही नीचे उसने स्कर्ट पहन रखा था ,लेकिन रोहन का हाथ उस स्कर्ट के अंदर था,सपना की पेंटी जमीन में पड़ी थी,रोहन का पेंट भी उसके अंडरवियर के साथ नीचे खिसका हुआ था ,सपना सिसकियां ले रही थी वही रोहन पागलों की तरह उसके स्कर्ट में अपने हाथ को चला रहा था और उसका चहरा सपना के वक्षो पर टिका हुआ था,सपना की आंखे मुझपर गई लेकिन उसके चहरे पर कोई भी डर नही था,बल्कि वो मुस्कुरा उठी,उसने रोहन के सर को और भी जोरो से अपने छाती से रगड़ा,
“ओह रोहन मेरी जान “और सपना की मुस्कान और गहरी हो गई
“रोहन…”मैं अपने पूरे ताकत से चीखी ,जैसे रोहन को होश आया हो ,वो मुड़ा और अवाक मुझे देखने लगा,मेरे आंखों में कब आंसू की बूंदे आ गई मुझे नही पता ,ये भी नई पता की कब मेरा सारा नशा काफूर हो गया था,मैं रोते हुए जमीन में बैठ गई थी और रोहन ने जल्दी से अपने पेंट को ऊपर चढ़ा लिया ,वो भागता हुआ मेरे पास आया मुझे समझने की कोशिश करने लगा लेकिन……..
मुझे कुछ सुध ही नही थी की वो बोल क्या रहा है ,मैं बस रोये जा रही थी ,रोये जा रही थी…….
जब मुझे थोड़ा होश आया तो मैं उठी और बिना कुछ बोले ही बाहर चली गई ,मुझे नही पता था की सपना कहा गई या रोहन कहा है ,मैं फॉर्महाउस से बाहर जाने लगी ,रोहन मेरे सामने आकर खड़ा हो गया था,उसकी आवाजे मेरे कानो तक तो जा रही थी लेकिन मेरा दिमाग कुछ सुनने को तैयार ही नही था,मैंने पास रखी एक शराब की बोतल उठाई और रोहन को एक तरफ धकेल कर आगे जाने लगी ,मैं फॉर्महाउस के बाहर थी ,रोहन शायद अब भी मेरे पीछे था या नही था मुझे नही पता,लेकिन मैं उस बोतल से शराब पी रही थी ,मेरे सामने सारी दुनिया घूम रही थी ,और अचानक...सब कुछ जैसे खत्म हो गया…
मेरे सर में बेहद ही तेज दर्द उठा,मैं जागी तो हैरान हो गई ,सूरज की तेज धूप मेरे चहरे पर पड़ रही थी,मेरा चहरा पसीने से भीगा हुआ था,मैं जब थोड़ा उठी तो मैं और भी जोरो से चौकी,ये मेरा कमरा तो नही था,मैं हड़बड़ाकर उठी,रात में आखिर हुआ क्या और मैं कहा हु,..
मैंने खुद को देखा,मैंने वही कपड़े पहन रखे थे जो मैंने पार्टी में पहने थे,मैं बिस्तर से उठ कर उस कमरे को देखने लगी,छोटा सा कमरा था और खुली हुई खिड़की से तेज धूप अंदर आ रही थी,मैं जैसे ही खड़े होने को हुई फिर से मेरे सर में तेज दर्द हुआ,लगा जैसे मैंने रात ज्यादा ही पी ली थी,मैं मुश्किल से दरवाजे तक पहुची,उस कमरे से लगा एक हाल था जिसमे सभी चीजे सलीके से जमी हुई थी,हाल से लगा हुआ ही दरवाजा था जो शायद घर से बाहर निकलने का रास्ता था,मैं उस दरवाजे तक पहुँची,देखा बाहर छोटा सा गार्डन है,और एक शख्स खड़ा हुआ पौधों को पानी दे रहा है …
“एक्सक्यूज़ मि ..मैं ..मैं यंहा कैसे आयी..”
वो शख्स पलटा उसके होठो में एक मुस्कान थी ,
“ओह तो उठ गई तुम “
“सर आप ..”
मैं उसे पहचानती थी ,वो मेरे कालेज के केमेस्ट्री के प्रोफेसर थे,डॉ गौरव….
“मैं यंहा ..कैसे “
मैं अचरज से भरी हुई थी ,मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही सर बोल उठे..
“बताता हु ,पहले शांत हो जाओ ,काफी पियोगी..”
मैं सहमति में सर हिलाया
वो अंदर गए और किचन से दो काफी बना लाये,
“कल रात मैं कुछ काम से गया था ,जब वापस आ रहा था देखा की तुम शराब के नशें में धुत्त सड़क पर चल रही हो ,मैंने तुम्हे पहचान लिया,तुम्हारे साथ वो तुम्हारा दोस्त भी था,मुझे लगा की वो तुम्हे जबरदस्ती शराब पिलाकर तुम्हे छेद रहा है ,क्योंकि तुम उसे गालियां दे रही थी और अपने से दूर रहने के लिए कह रही थी ,इसलिए तुम्हे अपने साथ ले आया,वो लड़का भी मुझे पहचानता था,तो उसे अपना पता दे दिया ये बोलकर ही सुबह जब होश में रहे तो आकर तुम्हे ले जाए ,”
है भगवान ये मैंने क्या कर दिया,अब ये बात सभी जगह फैल जाएगी की मैंने रात में क्या तमाशा किया था,शायद पार्टी में भी कोई तमाशा किया होगा..
“सॉरी सर वो ..और थैंक्स फ़ॉर ..”
“कोई बात नही तुम्हारा फोन और पर्स वही बिस्तर में रखे हुए है तुम किसी को काल करके बुला लो ,या मैं तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ दु ..?”
सर ने बड़े ही सभ्य तरीके से कहा ..
“नही सर मैं बुला लेती हु .”
“ओके ऐसे क्या नाम है तुम्हारा “
“जी..पूर्वी ..”
मैं सर से नजर भी नही मिला पा रही थी,थोड़ी देर बाद रोहन अपनी गाड़ी लेकर सर के घर पहुच गया..
“तुम ठीक तो हो ..”उसका पहला सवाल था,जिसका जवाब देना मैंने मुनाशिब नही समझा मैंने अपना पर्स उठाया और उसकी गाड़ी की ओर बढ़ गई …
“थैक्स सर फ़ॉर हेल्प ..”रोहन से सर का धन्यवाद दिया और वो भागता हुआ मेरे पीछे आया …
गाड़ी तेजी से मेरे घर की तरफ चल रही थी ,रोहन भी कुछ बोलने की हिम्मत नही कर रहा था ना ही मैं उससे बात करने के मूड में थी ,घर पहुचकर मैं सीधे ही अपने कमरे में घुस गई,साथ ही रोहन भी आ गया लेकिन फिर भी उसने मुझसे कुछ नही कहा,मैं अपना पर्स बिस्तर में फेंककर सीधे बाथरूम में घुस गई…
लगभग एक घंटे बाद मैं निकली,मेरे जिस्म में बस एक टॉवेल था,रोहन अब भी मेरे बिस्तर में बैठा हुआ था..
उसने मुझे देखा,उसकी आंखों में शर्म थी ..
“मैं कैसे तुमसे माफी मांगू ,”
वो फिर से गिड़गिड़ाया
“सपना को काल करो “
“क्या??”मेरी बात से वो चौक गया था
“देखो पूर्वी ये बस एक गलती थी ,मैं नशे में था यार बहक गया था..”
“मैंने बोला सपना को काल करो और यंहा बुलाओ “
उसने एक पल मुझे देखा और फिर अपना मोबाइल उठाकर सपना को मेरे घर बुला लिया..”
मैं उसे थोड़ी देर तक देखती रही ,और फिर बिस्तर में जाकर लेट गई,अभी भी मैंने वही टॉवेल पहना था,रोहन मेरे बाजू में ही बैठा था लेकिन उसने मेरे जिस्म को देखने की कोई जहमत नही उठाई..
“मैं बहुत थक गई हु रोहन मेरे पैर दर्द दे रहे है ,जरा मालिस कर दो “
मैंने आंखों को बंद करते हुए कहा ,
रोहन फिर से खामोश निगाहों से मुझे देखने लगा लेकिन थोड़ी ही देर बाद मरे एड़ी को पकड़कर मालिस करने लगा,
“ह्म्म्म थोड़ा ऊपर जांघो के पास “
मैंने थोड़ी देर बाद ही उससे कहा ,रोहन अब मेरे जांघो को सहला रहा था,मैंने अपने टॉवेल की गठान खोल दी ,लेकिन उन्हें अपने वक्षो से अलग नही किया ,
“थोड़ा और ऊपर रोहन “
अब रोहन के हाथ मेरे जांघो के सिरे तक पहुच रहे थे,अब उसकी आंखों में वो लालच आने लगा था जो किसी मर्द की आंखों में एक जवान खूबसूरत लड़की के जिस्म को देखने पर आता है,वो टॉवेल की दरार से मेरे जांघो के बीच झांकने की कोशिश कर रहा था ,उसकी इस हरकत से मैं मुस्कुराने लगी,ये पहली बार था जब कोई मर्द मेरे अंतः अंगों के इतने करीब तथा लेकिन सच बताऊँ तो मेरे अंदर कोई भी उत्तेजना नही उठ रही थी बल्कि बस एक सुकून था,रोहन की उंगलियां मेरे योनि को छूने लगी थी,मैंने दरवाजे में एक आहट सुनी और अपने टॉवेल को निकाल कर फेक दिया,मेरा जिस्म अब पूरी तरह से नंगा बिस्तर में पड़ा था,रोहन के आंखे जैसे मेरे जिस्म में जम ही गई लेकिन तभी दरवाजा खुला ,सपना हमारे सामने थी ,उसने जो दृश्य देखा उसका मुह भी खुला का खुला रह गया,मैंने उसे बड़े ही प्यार से देखा,
“ओह सपना तुम आ गई ,वंहा बैठो,मैंने सामने पड़े सोफे की तरफ इशारा किया “
रोहन अवाक सा कभी मुझे तो कभी सपना को देख रहा था,उसकी आंखे शर्मिंदगी से झुक रही थी ,वही सपना भी अवाक थी,उसे मेरे ऐसे किसी एक्शन का कोई भी अंदाज ही नही था..
“रोहन बेबी,यंहा बड़ी गर्मी हो रही है थोड़ा चाट कर ठंडा कर दो ना”
मैंने अपनी उंगली से अपनी योनि की ओर इशारा किया..रोहन की आंखे फैल गई ,जैसे बोल रही हो की तुम मुझसे क्या करवाना चाहती हो ,उसके पेंट से उसके लिंग का तनाव मुझे साफ दिखाई दे रहा था,लेकिन फिर भी वो अजीब स्तिथि में फंसा हुआ था,उसने एक बार सपना की ओर देखा..
“अरे उधर क्या देख रहे हो ,इसे चाटना है ,सपना तुम कुछ पियोगी..”
सपना अवाक थी,उसकी आंखे लाल हो रही थी,थोड़ा पानी आ रहा था लेकिन अभी और आना बाकी था,मैंने रोहन को आंखों से ही निर्देश दिया की मैं मजाक के मूड में नही हु शुरू हो जा,और रोहन झुका,उसकी सांस इतनी तेज थी की मेरे योनि से उसकी गर्म सांस टकरा रही थी,वो थोड़ी देर तक मेरे योनि के पास ही रहा ,जैसे उस काम को करने की हिम्मत जुटा रहा है और एक गहरी सांस लेकर उसने जीभ से मरे योनि को चाट ही लिया ..
“आह गुड बेबी,लाइक अ डॉग ,यु आर गुड ..हम्म्म्म “
मैंने जानबूझकर अपने होठो को अपने दांतो से काटा ,और सिसकियां लेने लगी,मेरी आंखे सपना पर जा टिकी,मेरे होठो में कमीनी मुस्कान खिल गई और उसके आंखों का लालपन बढ़ने लगा था वही उसके आंखों का पानी भी,लेकिन वो संयम से बैठी हुई अब भी ये सब बर्दास्त कर रही थी,रोहन भी अब जोश में आकर चाटने लगा था,मेरी योनि पनिया गई,किसी मर्द का इस तरह का पहला स्पर्श था और मैंने ज्यादा समय नही लिया मैं तेजी से झड़ी…
“ओह रोहन यु आर माय डॉग बेबी चूस इसे चूस सारा पानी पी जा,तू मेरा पालतू कुत्ता है ..ओह रोहन...”
मैंने अपने टांगो से रोहन के सर को अपने योनि में कस लिया ,रोहन छटपटा रहा था,लेकिन मैं तब तक उसे ऐसे ही दबाए रखी जब तक की मैं पूरी तरह से नही झर गई ,रोहन छूटते ही हांफने लगा,मैं हंसती हुई उठी और उसके सर को सहलाया..
“ओ माय बेबी ,चलो अब जल्दी से कपड़े उतारो “
रोहन अब भी मुझे आश्चर्य से देख रहा था,मैंने इतने दिनों में कभी उसे अपने जिस्म को ठीक से छूने भी नही दिया था,वो उठा और जल्दी जल्दी खुद को नंगा कर लिया,सच में उसका लिंग बेहद ही मोटा और तना हुआ था,ऐसा लग रहा था जैसे उसकी नशे अब फटने ही वाली हो ,मैं फिर से लेट गई और इशारे से उसे अपने पास बुलाया,रोहन मेरे ऊपर जैसे कूद ही गया,मैं हंसने लगी ,मैंने उसके लिंग को अपने हाथो में थामा वो गर्म था,रोहन मेरे ऊपर झुका हुआ था ,तभी सपना उठी और रोते हुए बाहर जाने लगी..मैंने रोहन को जोरो से धक्का दिया,वो भी उठकर खड़ा हो गया था,
“रुको कहा जा रही हो ,तुम्हे तो खेलना पसंद है ना..तट फिर पूरा खेल देख कर ही जाओ “
मेरी बात में एक व्यंग था..
‘तुम ..तुम आखिर साबित क्या करना चाहती हो “
मैंने उसे एक कमीनी मुस्कान के साथ देखा,
“यही की एक मर्द को बहकाने के लिए सबसे आसान रास्ता औरत का जिस्म होता है,तुमने कपड़े उतारे तुम्हारी चाटने लगे,मैंने उतारी तो मेरी ,कुत्तों की जात ऐसी ही होती है “
कुत्तों की जात बोलते समय मेरी निगाह सीधे रोहन के निगाहों से मिली,उसके आंखों से एक ही पल में सारी उत्तेजना गायब हो गई,उसकी आंखे फिर से शर्म से भरकर नीची हो गई थी...सपना ने एक बार मुझे देखा एक बार रोहन को और तेजी से वंहा से निकल गई ..
मैं फिर से धड़ाम से बिस्तर में गिरी ..रोहन सर झुकाए बिस्तर के किनारे खड़ा हुआ था..
“अब देख क्या रहे हो कपड़े पहनो और निकल जाओ यंहा से ,मेरे जिस्म का मालिक वो होगा जो तुम्हारी तरह कुत्ता ना हो, की कही भी मांस देखा तो उसे चाटने लगे ..”
मेरी बात सुनकर रोहन ने एक पल की देर नही लगाई ,वो तेजी से कपड़े पहन कर कमरे से निकला,मैंने अपनी आंखे बंद ली ,अब जाकर मुझे सुकून मिला था,की अचानक मेरे आंखों में एक चहरा घुमा ………..
गौरव सर का चहरा,और ना चाहते हुए भी मेरे होठो में एक शर्म भरी मुस्कान तैर गई...
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और अब उसी कुत्ते के सामने कुतिया की तरह दुम हिलाने की नौकरी करने पहुंच गयी।
जल्दी ही तलुवे क्या...पता नहीं क्या क्या चाटेगी।
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रंडी से प्यार और खूबसूरत डकैत भी पूरी करो
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(12-05-2019, 02:47 AM)kamdev99008 Wrote: और अब उसी कुत्ते के सामने कुतिया की तरह दुम हिलाने की नौकरी करने पहुंच गयी।
जल्दी ही तलुवे क्या...पता नहीं क्या क्या चाटेगी।
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रंडी से प्यार और खूबसूरत डकैत भी पूरी करो
Totally agree with kamdev
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अध्याय 10
यूनिवर्सिटी की लायब्रेरी में मैं सबसे दूर एक पुस्तक लेकर बैठी थी,कौन सी बुक थी वो तो मुझे भी नही पता था,लेकिन यंहा वो शांति थी जो मुझे चाहिए थी,मैं सपना और रोहन दोनों को ही अपने सामने नही देखना चाहती थी,इसलिए एक ऐसी जगह चुनी जंहा वो कभी नही आते हो,यूनिवर्सिटी की लायब्रेरी…….
“वाओ तुम्हे केमेस्ट्री में इतना इंटरेस्ट है मुझे पता नही था”
एक आवाज मेरे पीछे से आयी ,वो गौरव सर थे,मैं उन्हें अचानक से देख कर खड़ी होने लगी ..
“अरे बैठो बैठो..”
वो मेरे सामने वाली चेयर मे बैठ गए और मेरे सामने रखी पुस्तक को उठा लिया ..
“ह्म्म्म तो तुम ये पड़ रही हो,ऐसे बीएससी के छात्रों को ये पड़ते मैंने बहुत कम ही देखा है ,ये तो पीएचडी वाले लोग ही पड़ते है,कुछ समझ भी आ रहा है या हु ही ..”
मेरा ध्यान उस पुस्तक पर गया जिसे मैं पिछले आधे घंटे से लिए बैठी थी लेकिन उसका नाम भी मुझे पता नही था…
मुझे कोई जवाब ही नही सुझा,क्योंकि जब दिमाग में हजारों सवाल चल रहे हो तो आदमी खोया खोया सा ही रहता है ,शायद मेरी मनोस्थिति को गौरव सर समझ चुके थे..
“क्या हुआ कोई प्रॉब्लम है क्या “
उन्होंने धीरे से कहा ,और मेरे आंखों से आंसू छलक गए,मैं भरी पड़ी थी ,मुझे एक कंधा चाहिए था जिसपर मैं सर रखकर रो सकू लेकिन अपना दुखड़ा मैं किसे सुनाती...मेरे सबसे अच्छे दोस्त ही तो मुझसे दूर थे ..
“अरे क्या हुआ तुम्हे “उन्हेंने एक बार इधर उधर देखा फिर अचानक से खड़े होकर मेरा हाथ पकड़कर उसे उठा लिए और एक ऐसे कोने में ले गए जंहा कोई भी नही था,मुझे आज ही पता चला की हमारी लाइब्रेरी इतनी बड़ी है की प्रेमी जोड़े अपने प्रेम लीला भी कर ले तो कोई पकड़ने वाला नही है ..
उन्होंने एक शांत जगह पर मुझे बिठाया और मेरे सामने बैठ गए ,
“अब बताओ क्या प्रॉब्लम है “
अब तो पता नही मुझे क्या हुआ मैं फुट फुट कर रोई,और मेरे मुह से सच ऐसे निकला जैसे ऑटोमेटिक मशीन गन वाली गोली हो एक बार चला दो तो पूरी गोली खत्म करके ही बंद होती है ..
मैंने उन्हें हर चीज बता दी की कैसे रोहन ने मुझे प्रपोज किया,फिर कैसे धोखा दिया,और फिर कैसे मैं उनके पास पहुची और साथ साथ ही कैसे मैंने रोहन और सपना से बदला लिया, एक एक सच मैं कह गई जैसे वो मेरे पुराने दोस्त हो,ऐसे सच भी जो कोई लड़की किसी अनजान तो क्या ,जानपहचान वाले इंसान को भी ना बताए.
लेकिन पता नही सर में वो क्या आकर्षण था,या शायद मैं बहुत ही ज्यादा दुखी थी और मुझे एक ऐसे इंसान की जरूरत थी जिससे मैं अपने सारे दर्द शेयर कर सकू…
वो भी चुपचाप मेरी बातों को सुनते रहे,और अंत में मुझे दिलासा देने लगे,वो बहुत ही सुलझे हुए इंसान लगे जो दुसरो की तकलीफों को समझता है ,और रात वाली घटना से ये भी समझ आ गया था की वो जरूरतमंदों की मदद को भी तैयार रहते है,उनकी आंखों में मैंने अभी तक कोई ऐसे भाव नही देखे जो मुझे उनपर किसी भी तरह का शक करने को मजबूर करे,वो अभी भी मुझसे ऐसे ही पेश आ रहे थे जैसा एक टीचर अपने स्टूडेंट से आता है,बिल्कुल ही सभ्य तरीका था उनका,उन्होंने मुझे समझाया थोड़ा पानी पिलाया ,और इधर उधर की बातों से मेरे मन को शान्त किया..
उस दिन के बाद अक्सर हमारी मुलाकातें होती रही ,अधिकतर लाइब्रेरी में ही ,जंहा पहले मैं बिल्कुल ही नही आती थी लेकिन अब सिर्फ उनसे मिलने ही आने लगी,वो मुझे सब्जेक्ट से रिलेटेड कई बाते बताया करते जिनमे मुझे बिल्कुल भी इंटरेस्ट नही था,मुझे धीरे धीरे पता चला की वो यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट है,इतने कम उम्र में ही उन्होंने कई शोध पत्र रिलीज करवा चुके है,और आने वाले दिन में इस यूनिवर्सिटी के केमेस्ट्री डिपार्टमेंट का भविष्य कहे जाते है,कई होनहार विद्यार्थियों के लिए वो प्रेरणा के स्रोत थे लेकिन मेरे लिए …???
मुझे पढ़ाई में कभी भी कोई भी इंटरेस्ट नही था और केमेस्टि में तो तो बिल्कुल भी नही ,मुझे ग्रेजुएशन के बाद MBA करना था और पाप का बिजिनेस सम्हालना था,मैं अभी से उनके बिजिनेस में उनका हाथ बटाने लगी थी ,असल में हम तीनो दोस्तो का एक ही प्लान था की अपने बाप के बिजिनेस को और बड़ा करना,यंहा तो हम बस डिग्री लेने आये थे ,लेकिन सर से मिलने का एक ही तरीका था और वो था लाइब्रेरी में उनके साथ वो सब बाते सुनना ,वो ही मैं कर रही थी,वो कोई पुस्तक खोले या किसी रिसर्च पेपर पर चर्चा करते थे जो मेरे दिमाग के बिल्कुल ही ऊपर से जाता था,और उनके कुछ सलेक्टेड विद्यार्थी उनकी बात पर बहस भी करते ,उनसे सवाल पूछते वो जवाब देते,सब चलता रहता ,मैं बस उनके साथ बैठकर उनके चहरे को निहारती रहती,पता नही उस चहरे में क्या था..
एक सामान्य सा चहरा तो था ,एक सामान्य से डीलडौल का व्यक्ति,मैं तो उन्हें एक साल से देख रही थी लेकिन वो इतने आकर्षक कभी भी नही लगे थे,अगर पहले मुझे कोई कहता की ये व्यक्ति आकर्षक है तो शायद मैं हंस पड़ती,लेकिन अब मुझे ये क्या हो रहा था,उनकी मुस्कान,उनका वो बोलने का शालीन अंदाज,उनकी वो सादगी,उनका वो अपने विषय में गहरा ज्ञान ये सभी वो चीजे थी जिससे पहले मेरा कोई भी वास्ता नही था लेकिन अब वही चीजे मुझे आकर्षित करती थी,मैं उन्हें देखते रहती ,फिर खुद ही कुछ सोच कर शर्मा जाती,और खुद ही मुस्कुराती ,क्या हो रहा था मुझे??
लेकिन मेरी इन हरकतों की भनक उन्हें भी लगने लगी थी,एक दिन सब लोगो के जाने के बाद उन्होंने मुझे रोक लिया ..
“पूर्वी यु आर आ गुड गर्ल ,और तुम रोज लाइब्रेरी में आती भी हो ,सब्जेक्ट की हर बातों को इतने ध्यान से सुनती हो…”
वो थोड़े देर चुप हो गए और मुझे निहारने लगे,
“लेकिन फिर भी मुझे नही लगता की तुम्हारा ध्यान कभी पढ़ाई में रहता है ,तुम तो कही और ही खोई हुई लगती हो “
उनकी बात से मैं बुरी तरह से झेंप गई ,मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू,ऐसा लगा जैसे मेरी चोरी किसी ने पकड़ ली हो..
मैं कुछ भी नही बोल पाई लेकिन वो बोल पड़े..
“देखो पूर्वी मैं समझता हु की तुम्हारे साथ क्या हो रहा है लेकिन तुम्हे भी समझने की जरूरत है की ये सब तुम्हारे उम्र के कारण हो रहा है ,तुम्हारी उम्र ही ऐसी है की किसी के प्रति आकर्षण जाग जाए,अभी तुम्हे सही गलत की ज्यादा समझ नही है …”
मैं दंग थी ,ये आदमी मुझे सीधे सीधे रिजेक्ट कर रहा है ,मैं आज तक कभी रिजेक्ट नही हुई थी ,असल में मैंने कई लोगो को रिजेक्ट किया था..
“लेकिन सर मैं ..”
“कोई बात नही ,मैं जानता हु की तुम अभी दुखी हो,मेरा मानना है की तुम्हे फिर से अपने दोस्त के साथ रहना चाहिए,पढ़ाई में तुम्हारा इंटरेस्ट नही है ,तुम यंहा अपना समय ही बर्बाद कर रही हो ,अपने दोस्तो को माफ करो और फिर से उनके साथ दोस्तो की ही तरह रहो,मुझे लगता है की तुम्हे दर्द देकर वो भी खुश नही है,मैं रोहन और उस लड़की क्या नाम था हा सपना को आजकल बहुत ही अपसेट और दुखी देखता हु ,पहले तुम लोग कितने खुश दिखाई देते थे….”
उनकी बात से मेरा ध्यान एक बार फिर से रोहन और सपना की ओर गया,कई दिन हो गए थे उनलोगों से बात किये ,मैं तो उनका चहरा भी देखना पसंद नही कर रही थी ..
“सर मुझे लगता है की मैं आपसे प्यार करने लगी हु “
मैंने बहुत ही सीरियस हो कर कहा ,लेकिन सर हँसे जोरो से हँसे ..
“होता है होता है,जब मैं तुम्हारी उम्र में था तो मुझे भी अपनी टीचर से प्यार हो गया था,मैंने भी उन्हें प्रपोज कर दिया था,तुम उन्हें जानती होगी ,हमारे विभाग की HOD ...मेडम ने मुझे यही चीज समझाई जो मैं तुम्हे समझा रहा हु ,और प्यार तो आज भी उनके लिए है लेकिन अब उस प्यार का स्वरूप बदल गया है,अब मैं मेडम की बेहद ही इज्जत करता हु,समझ लो की अब वो मेरे लिए मेरी माँ की तरह है ,और उन्होंने भी हमेशा ही मुझे अपने बेटे की तरह प्यार दिया है ..”
मैं अजीब से पशोपेश में पड़ गई थी ,इसका मतलब है की गौरव सर मुझे अपनी बेटी मानते है???
“लेकिन सर ..”
“पूर्वी ...घर जाओ और मेरी बात को समझो ,अपने दोस्तो से मिलो और कुछ दिन में ही तुम्हे समझ आ जाएगा की ये महज एक आकर्षण है ना की प्यार ..”
वो वंहा से निकल गए मुझे फिर से सोचता हुआ छोड़कर ……..
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bahut badhiya...... pyar ya yu kaho ki... akarshan ki shuruat ...
keep it up
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Philosophy se bharpoor update
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