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Incest ऋतू दीदी
#21
नीरज: "स्लीपर में एक ही कोच में ७०-८० लोग होते है, वहाँ फर्स्ट क्लास वाली प्राइवेसी कहाँ होती है। यहाँ देखो हम चारो ही है। कुछ भी कर सकते हैं"

मै उनके "कुछ भी करने" का मतलब नहीं समझा था, उनके इरादे नेक नहीं लग रहे थे। मैं और नीरज जीजाजी एक बर्थ पर बैठे थे और सामने दोनों बहने बैठी थी। बातें करने में सहुलीयत हो इसके लिए नीरू और उसके जीजाजी आमने सामने ही बैठे थे। इसलिये मेरे सामने ऋतू दीदी बैठी थी। मैं और ऋतू दीदी सिर्फ उन दोनों की बातें सुन रहे थे जो मस्ती मजाक में एक दूसरे की टाँग खिंच रहे थे। दोनो एक दूसरे को धमकी दे रहे थे की कल बीच पर देखना मैं क्या करता या करती हूं। उन्होंने अब तक जो किया था उसी से मैं सदमें में था तो आगे क्या होने वाला था यह सोच चिन्तित भी था। इन सब के बीच ऋतू दीदी एकदम शांत थी। क्या उनको भी मेरी तरह शक नहीं होता होगा अपने पति और बहन के रिश्ते पर? या फिर वो जान बुझ कर उनको करने देती होगी क्यों की वो मेरी तरह भोलि थी। मैने देखा था की ऋतू दीदी कभी कभार नीरू को डाँट देती थी। शायद उनके बचपन की आदत होगी नीरू के इस शरारती रूप को देखने की और उसे डाँटने की। यही कारण होगा की वो नीरू की जिजाजी से सब मस्तियो को हंस कर टाल देती होगी। ऋतू दीदी अपनी शाल निकालने के लिए अपनी सीट के नीचे पड़े बैग को निकालने के लिए आगे झुकी। मेरा ध्यान ऋतू दीदी पर गया और झुकने के साथ ही उनके शर्ट के ऊपर के हिस्से से उनके बूब्स के उभार की थोड़ी झलक मिली। मै घबरा कर दूसरी तरफ देखने लगा जहाँ नीरू और जीजाजी बातों में मशगुल थे। मेरे मन में चोर था। मैंने मौका देखते हुए फिर ऋतू दीदी को देखा। ऋतू दीदी को कभी इन गन्दी नज़रो से नहीं देखा था पर कुछ घंटो से जीजाजी और नीरू की हरकतें देख मेरा दिमाग भी करप्ट हो गया था। ऋतू दीदी बैग की चेन खोले शाल निकालने के लिए हिली और उनके बूब्स का उभार भी उनके हिलने के साथ जेली की तरह हिलता हुआ बड़ा मादक दिखाई दिया। मेरे मन में घंटियां बजने लगी। मै फिर एक सेकंड दूसरी तरफ देखने लगा की कही कोई मुझे ऋतू दीदी के बूब्स घुरते तो नहीं देख रहा। और फिर मैं ऋतू दीदी के बूब्स की थोड़ी सी दिखती झलक को घुरने लगा।

ऋतू दीदी ने शाल निकाल लिया था और बैग की चेन वापसी बंद करने लगी। मैं थोड़ी देर और उस नज़ारे के मजे लेना चाहता था पर मैं अब दूसरी तरफ देखने लगा, ताकि ऋतू दीदी मुझे उन्हें घुरते हुए ना देख ले। ऋतू दीदी बैग अंदर रख सीधा हो चुकी थी। मैं फिर उनकी तरफ देख थोड़ी स्माइल करने लगा। दीदी ने जीजा साली की बातो में ध्यान लगाने उनकी तरफ देखा तो मैं उनकी छाती को घुरने लगा। कुछ दीख तो नहीं रहा था पर शर्ट के अंदर से ही उनके उभारों को देखने लगा। फिर अपने आप पर गुस्सा भी आया की मैं यह क्या कर रहा हूँ? थोड़ी देर बाद ऋतू दीदी ने बोला की उनको नींद आ रही हैं तो सब सो जाते है। मैं उनकी बात का सम्मान करते हुए तुरंत उठ खड़ा हुआ। पर जीजा साली की बातें अभी ख़त्म नहीं हुयी थी और उन्होंने हम दोनों को ऊपर की दोनों बर्थ पर सोने का बोल दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#22
Very nice story
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#23
Bahot achhi shuruaat
happy banana
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#24
Agle update ka intzaar hai
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#25
(25-12-2021, 03:13 AM)Rohan0064 Wrote: Agle update ka intzaar hai

Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#26
Nice update
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#27
(26-12-2021, 09:57 PM)gama4u Wrote: Nice update

Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#28
Plz update it soon.
happy banana
Love your life.
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#29
(30-12-2021, 01:58 AM)savana1983 Wrote: Plz update it soon.

Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#30
हालंकि  मैं अभी सोना नहीं चाहता था पर उठ खड़ा हुआ तो जाना ही पड़ा। ऋतू दीदी ऊपर की बर्थ पर जाकर लेट गयी और मैं भी उनके सामने की ऊपर वाली बर्थ पर जाकर लेट गया। नीचे दोनों जीजा साली की बातें और हँसी चालु थी। मैं छत की तरफ सून्य में निहार रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा हैं और मैं क्या करू? कुछ मिनट्स ऐसे ही बीत गए और मुझे नींद तो आ नहीं रही थी तो फिर मैंने करवट बदली। सामने ऋतू दीदी सीधा लेटी थी। लेटे होने से उनका पेट अंदर दब गया था और शर्ट के अंदर से उनकी छति का उभार साइड से साफ़ बड़ा दीख रहा था। उन्होंने जो शाल निकाली थी उस से अपने पाँव से लेकर कमर तक का शरीर ढक रखा था। ऋतू दीदी की बर्थ के ठीक नीचे नीरू बैठी थी और मेरी बर्थ के नीचे नीरज जीजाजी थे। मुझे फिर एक शररात सुझी। मैंने सोचा जीजाजी का एक टेस्ट लिया जाए। मेरा बैग नीरू जहाँ बैठी थी उसके ठीक नीचे था। मैंने नीरू को अपना शाल पास करने को कहा। मुझे पता था की नीरू की ड्रेस उसके आगे झूकते ही ऋतू दीदी के शर्ट की तरह खुल जायेगी और नीरू का क्लीवेज सामने बैठे जीजाजी को दीख जाएगा। नीरु आगे झुकी और बैग खिंच कर बर्थ के नीचे से निकालने लगी। मैं नीरू की ड्रेस को उसके झूकते ही थोड़ा खुला देख पा रहा था। मैंने अपनी नजरे नीचे कर जीजाजी के एक्सप्रेशन नोट करने की कोशिश की। जीजाजी भी अपना हाथ आगे बढा नीरू की हेल्प करने लगे बैग को बाहर निकालने में और चेन खोलने मे, जीजाजी की नजरे सामने नीरू पर ही थी और नीरू ने बैग से शाल निकला और मुझे दे दिया। बैग अंदर डालने के लिए नीरू फिर झुकी और मैंने जीजाजी के एक्सप्रेशन नोट करने की कोशिश की पर ऊपर से देख नहीं पाया और जीजाजी ने वो बैग वापसी बर्थ के नीचे खिसकाने में नीरू की मदद की।
 
मागर यह तो पक्का था की जीजाजी ने नीरू का क्लीवेज थोड़ा देख ही लिया होगा। मैं शाल अपनी टांगो पर डाले लेटा रहा। जीजाजी अब अपनी सीट से उठ कर नीरू के बगल में बैठ गए थे। मेरे सामने ऋतू दीदी ने भी करवट ले ली थी और उनका मुह अब मेरी तरफ था पर आँखें बंद थी। उनके शर्ट का ऊपर का एक बटन खुला था और उनके हाथ के भार से इस तरह साइड वाइ सोने की वजह से से उनका ऊपर का एक मम्मा दब कर उनके शर्ट से थोड़ा बाहर झाँक रहा था। मै उस नज़ारे को देखने का मौका नहीं चूका और आँखें खोले देखता रहा। फिर सोचा कही दीदी जाग गयी तो? इसलिये मैंने अपनी पलके आधी बंद किये देखता रहा। एक नजर मैं ऋतू दीदी का क्लीवेज देखता तो दूसरे से नीचे बैठे जीजा साली को देखता जो आपस में चिपक कर बैठे बाते कर रहे थे। चूंकी मैं और ऋतू दीदी सो रहे थे तो जीजा साली आपस में धीरे धीरे बातें कर रहे थे। मेरा ध्यान बातों से ज्यादा उनकी हरकतो पर था। उन दोनों ने कुछ डिसाइड किया और अपनी जगह बदल ली। अब नीरज जीजा विंडो के पास थे और नीरू उनकी गोद में सर रखे बर्थ पर लेटी हुयी थी। जीजाजी उसके सर पर हाथ फेर रहे थे तो दूसरा हाथ नीरू के पेट पर रखा था। नीरु की हर सांस के साथ उसका पेट ऊपर नीचे हो रहा था और साथ ही जीजाजी का उसके पेट पर पड़ा हाथ भी ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे इस तरह नीरज जीजाजी का हाथ नीरु के पेट पर पड़ा होना अच्छा नहीं लगा पर नीरू को कोई आपत्ति नहीं थी। हलंकी मेरी आँखों के सामने के बर्थ पर ऋतू दीदी का क्लीवेज दीख रहा था पर मैं अपनी पलके आधी बंद किये अब सिर्फ नीचे ही देख रहा था की जीजा साली अब और क्या करेंगे। अब मैं उनकी बातें भी सुनने लाग।
 
नीरज: "अब तो सोने वाली हो, अब तो मेकअप उतार लो"
 
नीरु: "आपको मेरे मेकअप से क्या प्रॉब्लम हैं जीजाजी!"
 
नीरज: "मुझे तुम्हारे अंदर की खुबसुरती देखना ज्यादा पसंद है। अपनी खुबसुरती को इन बाहर की चीजो से क्या ढकना"
 
मै ऊपर लेटा हुआ नीरज जीजाजी के बोलने का मतलब समझ रहा था। वो शायद दूसरे शब्दो में नीरू के कपड़ो के बारे में कमेंट कर रहे थे की वो नीरू को बिना कपड़ो के अंदर की खुबसुरती देखना चाहते थे।
 
नीरु: "एक काम करो जीजाजी, आप ही निकाल दो मेरा मेकअप"
 
नीरज जीजाजी ने अब अपने एक अँगूठे को नीरू के नीचे के होंठ पर रगड़ा और नीरू को दिखाया की लिपस्टिक उनके अँगूठे पर लग गयी है।
 
नीरज: "मेरे लग गयी लिपस्टिक, अब क्या करू, मेरे लगा लू?"
 
नीरु(हँसते हुए): "हॉ, लगा लो, अच्छी लगेगी"
 
नीरज जीजाजी ने अब वो लिपस्टिक से भरा अँगूठा अपने खुद के होंठ पर रगड़ा और हंसने लगा। इस बहाने उस अँगूठे के जरिये ही सही पर जीजाजी ने अपनी साली के होठो को अपने होठो से एक तरह मिला लिया था। नीरु ने अपने होंठ खोले और जीजाजी ने इस बार अपना अँगूठा नीरू के ऊपर वाले होंठ पर रगड़ा और फिर अपने ऊपर के होंठ पर रगड मजे लिये। नीरु हमेशा की तरह एक बार फिर खिलखिला रही थी। जीजाजी ने यह एक बार और रिपीट किया और नीरू के दोनों होंठों को बारी बारी से रगड कर उसके होंठों का रस अपने होंठों पर लगया। फिर बारी थी गालो की। जीजाजी ने अपनी उंगलिया को नीरू के गोरे गोरे गालो पर हलके हाथों से रगड़ा जैसे मसाज कर रहे हो। नीरू मजाक में "आहा आहा" करते हुए मजे ले रही थी।
नीरज जिजाजी ने बीच बीच में नीरू के गालो को भी पकड़ कर खिंच दिया और नीरू ने हलके दर्द के साथ जीजा के हाथ पर हलका सा मारते हुए रोका। नीरु के चेहरा पर होते इन सब एक्शन के बीच, मैंने ध्यान ही नहीं दिया की नीरज जीजा का दूसरा हाथ जो अब तक नीरू के पेट पर था वो अब कमर से थोड़ा नीचे खिसक कर नीरू के कुल्हे की हड्डी को पकडे था जहा लड़किया अपनी पेंटी बाँधती है। नीरु ने वैसे ही घुटनो तक की नीचे से खुली ड्रेस पहनी थी, जो की अब घुटनो से ३-४ इंच थोड़ा ऊपर खिसक गयी थी। मेरी इच्छा हुयी की मैं नीचे जाकर दोनों को अलग कर दू पर तभी नीरू जीजा की गोद से उठ गयी। जीजा और साली सिर्फ अपनी पोजीशन चेंज कर रहे थे। जीजा अब खिड़की के पास से खिसक कर बर्थ के लागभाग बीच में बैठे थे और नीरू ने खिड़की की तरफ पाँव किये और हवा वाला तकिया लगाए बर्थ पर लेट गयी। जीजाजी क्यों की बर्थ के बिच में बैठे थे तो नीरू की जाँघे अब जीजा की गोद पर टीकी थी। मुझे ठीक लगा की अब जीजा नीरू के चेहरे को नहीं छु पाएँगे। खिड़की थोड़ी खुली थी और आती हवा से नीरू की ड्रेस थोड़ी ऊपर उठ गयी। नीरु की थोड़ी से नंगी जाँघे दिखने लगी और जीजा ने अपना एक हाथ नीरू के घुटनो के थोड़ा ऊपर रख दिया जहा से ड्रेस उठ चुकी थी। नीरू अभी भी नार्मल तरीके से लेटी थी। नीरु के कहने पर जीजा ने खिड़की जरूर पूरी बंद कर ली थी वार्ना ड्रेस ऊपर उठते ही नीरू का शरमिंदा होना तय था। मैं अब तक दर्शक बना बैठा था। जीजजी का एक हाथ अभी भी नीरू के घुटनो के थोड़ा ऊपर था तो दूसरे हाथ से अब उन्होंने नीरू के घुटनो के नीचे टांगो पर रख दबना शुरू किया। नीरु की गोरी चिकनी टांगो पर जीजा के हाथ फिसल रहे थे और नीरू गुदगुदी से हिल रही थी। नीरू थोड़ी देर में उबासी लेने लगी थी और उन दोनों ने डिसाइड किय की अब वो भी सो जाएंगे।
 
जीजजी ने अपना हाथ नीरू की टांगो से हटाया और नीरू अपने पाँव नीचे कर बैठ गयी। जिजाजी बर्थ से उठ खड़े हुये। नीरू खाली हो चुकी बर्थ पर एक बार फिर लेट गयी।
 
नीरु: "गुड नाईट जीजाजी"
 
नीरज: "इतना सूखा सूखा गुड नाईट! गुड नाईट किस्स तो बनत हैं"
 
नीरु: "गीला वाला मत देना"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31
जीजाजी अब नीरू की कमर के पास बर्थ के किनारे पर बैठ गए और नीरू को कहा की वो सुखा वाला गुड नाईट किस्स देंगे। उन्होंने फिर नीरू के दोनों हाथों की हथेलियो को अपने एक एक हथेलियो में पकड़ उंगलिया फँसा दि। जीजाजी अब नीरू के चेहरे पर झुक गए। मैं तो जोर से चीख़कर उनको रोकने वाला था पर मेरी आवाज ही नहीं निकली। जीजाजी नीरू के ऊपर झुके हुए थे, ओर ५-६ सेकंड के बाद ही वो उठे। उपार से मुझे सिर्फ जीजाजी की पीठ और सर ही दीखे। मुझे नहीं पता चला की जीजाजी ने नीरू को किस जगह किस्स दिया था। जीजाजी के सामने से हटते ही मैंने नीरू को नोट किया। वो शरमाते हुए स्माइल कर रही थी। मैं सोचने लगा किस्स कही होंठों पर तो नहीं कर दिया? पता नहीं उन्होंने होंठों पर किस्स किया या नहीं पर जिस तरह जीजा जी नीरू पर झुके थे और नीरू के बूब्स का जो उभार है, उसके हिसाब से कम से कम जिजाजी के सींनेसे नीरू के बूब्स को तो दबा ही दिया होगा। फिलहाल जिजाजी मेरी नीचे वाली बर्थ पर आ गए थे और नीरू अकेली अपने बर्थ पर लेटी हुयी थी। मेरी थोड़ी बहुत नींद तो उड़ ही चुकी थी। थोड़ी ही देर में नीरू मासुमियतसे सो रही थी। माजाक मजाक में उसको शायद पता ही नहीं की उसका जीजाजी उसके साथ क्या कर रहे है। मुझे ही अब कुछ करना था। सोचते सोचते ही मेरी आँख लग गयी और मैं भी सो गया।
 
जब नींद खुली तो नीचे बर्थ पर नीरू नहीं थी। कहीं वो जीजा के साथ एक ही बर्थ पर तो नहीं लेटी थी? मैंने धीरे से अपनी गरदन बर्थ से बाहर लटका कर नीचे वाली बर्थ को देखा पर वो बर्थ भी खाली थी।,जीजा साली दोनों ग़ायब थे। अपनी कलाई पर बंधी घडी में टाइम देखा तो सुबह के ५ बजे थे। मैं उठकर नीचे उतरने ही वाला था की आहाट हुयी और मैं फिर आँख आधी खोल लेट गया।
 
नीरु और जीजाजी आ गए थे और फुसफुसाते हुए कुछ बातें कर रहे थे। जिस से मुझे पता लगा की वो टॉयलेट में गए थे।
 
नीरु: "मुझे बहुत रिलीफ महसूस हो रहा है। पर बहुत ही गन्दा था"
 
नीराज: "तुम्हे आदत नहीं हैं इसलिए, धीरे धीरे आदत पद जाएगी। अभी काफी टाइम से साफ़ सफाई नहीं की हैं इसलिए"
 
दोनो फिर अपनी अपनी बर्थ पर लेट गए। मैं उनके बातों का मतलब निकालने लगा। कही जीजाजी ने अपना गन्दा सा लण्ड नीरू के मुह में तो नहीं डाल दिया, जिसे नीरू गन्दा बोल रही थी। जीजाजी शायद उसको अपना लण्ड साफ़ सफाई के बाद फिर मुह में देने वाले थे।
मेरे भी लण्ड पर जब कभी बाल बड़े हो जाते थे तो नीरू मुह में लेने से मन बोल देती थी और मुझे बाल छोटे करने को बोलती या साफ़ करने को। वो भी अपनी चूत के बालो को कभी बड़ा नहीं होने देती थी। अभि तक जो कुछ भी हुआ था उन सब में थोड़ी बहुत शक की गुंजाईश थी और कभी मैं पॉजिटिव तो कभी नेगेटिव सोच रहा था। किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पा रहा था की सच्चाई क्या है।
 
नींद आधी थी तो मैं फिर सो गया और सुबह नींद खुली पर मैंने पलके बंद ही राखी थी। सबसे पहले आधी पलके खोल कर नीरू की तरफ देख। वो अपनी बर्थ पर चादर ओढ़े लेटी थी तो मुझे थोड़ी शान्ति मिलि। फिर आधी पलके बंद किये ही सामने की बर्थ पर देखा तो ऋतू दीदी की आँखें खुली थी और उनका ब्रा आधा शर्ट से बाहर निकला दिखाई दिया। अच्छा हुआ की मैंने अपनी पलके पूरी नहीं खोलि थी वार्ना दीदी मुझे देख लेती। दीदी एक नजर मेरी तरफ देख रही थी तो दूसरी नजर मेरे नीचे के बर्थ पर देख रही थी जहा उनके पति लेटे हुए थे। वो थोड़ा शर्मा रही थी और फिर अपना शर्ट थोड़ा चौड़ा कर ब्रा में से अपने मम्मों दिखाने की कोशिश कर रही थी। नीचे वाली बर्थ से उनके पति शायद कोई डिमांड रख रहे थे जिस कारण ऋतू दीदी अपने शर्ट को थोड़ा खोल अपना क्लीवेज दिखा रही थी।उनका लगभग आधा ब्रा बाहर दीख रहा था और उसमे झाँकते उनके बड़े से गोरे गोरे मम्मे झाँक रहे थे। मुझे जीजाजी पर गुस्सा आया। एक तरफ वो मेरी बिवी को छूकर मजे ले रहे हैं और दूसरी तरफ अपनी भोलि बिवी को इस तरह कपडे खोलने को मजबूर कर रहे है। मुझे यह रोकना था और मैं हलका सा हिला और फिर अपनी पोजीशन में ही लेटा रहा। सामने देखा तो दीदी ने अपना शर्ट बंद कर लिया था। मुझे अपनी चाल पर ख़ुशी हुयी। मैने अब धीरे धीरे अपनी ऑखें खोलि और सामने दीदी को देख गुड मॉर्निंग बोला और उन्होंने भी बोला। मैं अब सीधा लेट गया और छत की तरफ देखने लगा। फिर मैंने दीदी की तरफ नजरे घुमायी वो दूसरी तरफ मुह कर करवट ले लेटी थी। शायद वो अपने शर्ट के बटन बंद कर रही थी और कपडे एडजस्ट कर रही थी। थोड़ी देर में दीदी अपनी बर्थ से नीचे उतरि और फिर जीजाजी भी उठ गए। दीदी ने नीरू को उठाने की कोशिश की और फिर टॉयलेट में चली गयी। मैं अब अपनी बर्थ से नीचे उतरा और नीरू को आवाज लगायी पर वो नहीं उठि। जीजाजी की आँख खुल गयी थी और मैंने उनको ना चाहते हुए भी गुड मॉर्निंग बोला और उन्होंने मुस्कुरा कर आँखें झपका दि।
 
मैने नीरू को एक और आवाज लगायी पर वो नहीं उठि। तभी जीजाजी ने नीरू को एक आवाज लगायी और नीरू की आँखें खुली और हमारी तरफ देख मुस्कुराते हुए गुड मॉर्निंग बोली। नीरु ने अपना चादर एक तरफ किया और लेटे लेटे ही हाथो को सर की तरफ लम्बे कर एक अंगडाई ली। नीरू के मम्मे उभर कर और फूल गए और घुटनो से ड्रेस थोड़ी खिसक कर उसकी जंघे दिखने लगी। मै तुरंत आगे बढ़कर नीरू की जाँघो के आगे खड़ा हो गया ताकि जीजाजी और कुछ न देख पाए। मगर जीजाजी का ध्यान तो नीरू के मम्मो की तरफ था जो नीरू की अंगडाई से फूल चुके थे। मै अब उन दोनों के बीच आकर खड़ा हो गया पर तब तक नीरू उठ कर बैठ गयी थी और मैं भी उसके पास बैठ गया ताकि जीजाजी उधर आकर ना बैठ जाए।
 
नीरज: "नींद कैसी आयी नीरू?"
 
नीरु: "टॉयलेट से आने के बाद बहुत अच्छी नींद आयी"
 
मै समझ पा रहा था की नीरू को अच्छी नींद क्यों आयी होगी, इन्होने जरूर टॉयलेट में जाकर कुछ किया होगा। मैंने जासूसी शुरू कर दि।
 
प्रशांत: "तुम टॉयलेट कब गयी?"
 
नीरु: "रात को, मुझे डर लगता हैं इसलिए तुम्हे आवाज भी लगायी थी साथ ले जाने के लिये, पर तुम घोड़े बेच कर सो रहे थे। मगर जीजाजी मेरी आवाज सुन एक बार में उठ गए थे"
 
मैने तो कोई आवाज नहीं सुनी थी, शायद मुझे बहकाने के लिए झूठ बोल रही होंगी। थोड़ी देर में दीदी फ्रेश होकर आ गए और फिर हम सब भी हो आए।
 
स्टेशन आने के बाद हम सीधा होटल पहुचे। जीजाजी ने बुकिंग कारवाई थी और उन्होंने रूम की एक ही चाबी ली। हम चारो रूम की तरफ चल पड़े। हमने उनको पुछा एक ही रूम क्यों बुक किया है। उन्होंने बताया की वो दो बेड वाला डबल रूम हैं तो चारो लोग एक साथ रह सकेंगे। जीजा जी और ऋतू दीदी आगे आगे चल रहे थे। पीछे चलते हुए नीरू ने मेरी तरफ देख कर आँखों और होंठो से इशारा किया की वो अपना वादा पूरा नहीं कर पाएगी। कल घर पर तैयार होते वक़्त जब मैं उसकी पेंटी में हाथ डालने की कोशिश कर रहा था तब उसने वादा किया था की वो आज रात मुझे होटल रूम में चोदने देगी। अब क्यों की हम चारो एक ही रूम में सोने वाले थे तो हम दोनों के चुदने का कोई चांस नहीं था और इसके लिए वो होंठ हिला कर मुझसे सॉरी बोल माफ़ी मांग रही थी। हम लोग अब रूम में पहुचे। वह पर दो क्वीन साइज बेड लगे थे। हम चारो के सोने के लिए काफी था तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी। मगर समस्या यह थी की वाशरूम एक ही था। हम लोगो को घुमने के लिए निकलना था और सबको नहाना भी था।
 
नीरज: "एक काम करते है, दो लोग यहाँ नहाने और तैयार होने को रुकेंगे और बाकी दो लोग कॉम्प्लिमेंटरी ब्रेकफास्ट करने नीचे पैंट्री में जाएंगे।"
 
ऋतू दीदी: "ठीक हैं तो पहले कौन नहाने को रुकेगा?"
 
नीरज: "नीरू तुम मेरे साथ चलो, मैं तुम्हे ब्रेकफास्ट करवा लाटा हूँ, फिर हम आकर नाहा लेंगे"
 
मुझे जीजाजी की नीयत समझ में आ गयी। वो कहीं नीरू के साथ नहाने का प्रोग्राम तो नहीं बना रहे थे। मगर नीरू ने ही उनका प्लान फ़ैल कर दिया।
 
नीरु: "नहीं, मैं नहाये बिना कुछ नहीं खाउंगी"
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#32
Happy New Year
2022
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#33
It was very sizzling updates..
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#34
(01-01-2022, 09:11 PM)savana1983 Wrote: It was very sizzling updates..

Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#35
Nice update
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#36
Plz update on regular interval
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#37
(01-01-2022, 09:11 PM)savana1983 Wrote: It was very sizzling updates..

(01-01-2022, 10:22 PM)neerathemall Wrote: Namaskar

(01-01-2022, 10:53 PM)gama4u Wrote: Nice update

(02-01-2022, 04:24 PM)savana1983 Wrote: Plz update on regular interval
fight Namaskar fight
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#38
(01-01-2022, 09:11 PM)savana1983 Wrote: It was very sizzling updates..

(01-01-2022, 10:22 PM)neerathemall Wrote: Namaskar

(01-01-2022, 10:53 PM)gama4u Wrote: Nice update

(02-01-2022, 04:24 PM)savana1983 Wrote: Plz update on regular interval
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#39
[Image: 30512132_005_c51e.jpg]

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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#40
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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