12-05-2019, 08:06 AM
सुबह कार्तिक की नींद खुली तो उसे अपने नितम्ब में कुछ चुभता सा महसूस हुआ। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आई और वो मुड़ा। रोहन उससे चिपक कर सो रहा था। उसके चेहरे पर उसके घुंघराले बाल आ गये थे जो कि दिलकश लग रहे थे। उसने उसके घुंघराले बालों को छुआ। फिर अपनी उँगली को हल्का हल्का उसके चेहरे पर फिराने लगा। रोहन के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई।
कार्तिक ने अपनी उँगली पहले रोहन के माथे पर लगाई और फिर उसकी नाक से होता हुआ जैसे ही वो रोहन के सुर्ख लाल होंठों तक पहुँचा तो रोहन ने उसकी उँगली अपने मुँह में ले ली और उसे वह चूसने लगा। रोहन ने साथ ही मैं कार्तिक के दूसरे हाथ को अपने लिंग पर रखा। फिर अपने उसी हाथ से वो कार्तिक के पुट्ठों को सहलाने लगा। रोहन के हाथ का स्पर्श पाकर कार्तिक का लिंग भी खड़ा हो गया। अब रोहन कार्तिक की उँगली चूस रहा था और कार्तिक रोहन के लिंग को पकड़ कर हिला रहा था। वहीं रोहन का एक हाथ जहाँ कार्तिक के पुट्ठों को कभी मसल रहा था, कभी सहला रहा था वहाँ उसका दूसरा हाथ अब कार्तिक के लिंग के साथ खेल रहा था।
"लोल्लीपॉप लेगी मेरी जान???" कार्तिक के कानों में रोहन की भारी आवाज़ पड़ी तो कार्तिक ने अपनी मुंडी हिलाकर अपनी सहमती दर्शाई।
"क्या कहा?" रोहन ने उसे छेड़ते हुए कहा। फिर उसने कार्तिक के अण्डकोशों को हल्का सा दबाया।
"लौल्लीपॉप चूसूँगा।" कार्तिक ने कराहते हुए कहा।
"कितनी देर तक?" रोहन बोला।
"जब तक क्रीम नहीं मिलता मुझे।" कार्तिक ने कहा।
"और क्रीम का क्या करेगा?" रोहन ने कहा।
"निगल जाऊँगा। मुझे क्रीम काफी पसंद है।" उसने इठलाते हुए रोहन के लिंग को हल्के से दबाया।
"फिर इन्तजार किस बात है?" रोहना का कहना था कि कार्तिक ने रोहन और अपने ऊपर मौजूद कम्बल हटा दिया।
दोनों ही निर्वस्त्र थे।
अब रोहन पीठ के बल लेट चुका था और उसने अपने हाथ अपने गर्दन के पीछे रख दिये थे। वहीं कार्तिक अब उठ चुका था। वह उठकर बेड के दूसरे कोने की तरफ गया और धीरे धीरे रोहन के खड़े लिंग के तरफ बढने लगा।
उसने पहले रोहन की जाँघों को चूमना शुरू किया। उसकी सिसकारी सी निकल गई।
"आह आराम से... मेरी जान" रोहन बोला
कार्तिक ने हल्के से उसकी जांघ के अंदरूनी हिस्से को काटा।
फिर वह लिंग की तरफ बढ़ा।
छः इंच का लिंग उसे सलामी दे रहा था। लिंक के टोपे पर हल्की हल्की बूंद इस तरह लग रही थी जैसे सर्दियों में पत्तों के ऊपर ओंस। कार्तिक ने रोहन के लिंग के तोपे पर मौजूद बूँद को चाटा। फिर उसने पूरे टोपे पर अपनी जीभ फिराई।
इसके बाद उसने लिंग को जड़ से टोपे तक चाटने की प्रक्रिया चालू रखी। उसकी इसी प्रक्रिया का नतीजा था कमरे में रोहन की सिसकारियाँ गूँज रही थी। लिंग पर थोड़ी मेहनत करके कार्तिक ने रोहन के अण्डकोशों को अपने मुँह में लिया और उन्हें चूसने लगा। पहले एक अंडकोष को उसने लिया और फिर दूसरे अंडकोष को उसने लिया। थोड़ी देर तक उसने यह किया।
फिर थोड़ी देर रुक कर उसने लिंग को देखा और थोड़ा सा थूक उसके टोपे पर गिराया। रोहन की फिर सिसकारी छूट गई। अब उसने अपने थूक को पूरे लिंग पर मला और लिंग को लोल्लीपॉप की तरह चूसने लगा। एक दो मिनट बाद ही रोहन के हाथ उसकी गर्दन से निकल कर कार्तिक के सर पर आ गये थे।
अब रोहन भी कार्तिक के झटकों के साथ साथ अपनी कमर उठा उठाकर ताल मिला रहा था। वह उसके मुँह को चोद रहा था।
उम्म रोहन के मुँह से निकला।
"झड़ने वाला हूँ," वह फुसफुसाया।
और कुछ ही झटकों के बाद कार्तिक ने गर्म सा तरल पदार्थ अपने मुँह पर महसूस किया।
रोहन अब हाँफ रहा था। वह आराम से बिस्तर पर लेटा था। कार्तिक उसके लिंग को साफ़ कर रहा था। जैसे ही कार्तिक की जीभ उसके लिंग के टोपे पर लगती तो रोहन की कमर धनुष की तरह मुड़ सी जाती थी। कुछ ही देर में कार्तिक ने सब सफाई कर दी थी। रोहन की आँखें बंद थीं।
कार्तिक बाथरूम गया और उसने कुल्ला किया। फिर ब्रश करके वह जब कमरे में पहुँचा तो रोहन उसे देखकर मुस्करा रहा था। कार्तिक अब उसके बगल में लेट गया। कार्तिक का लिंग अभी भी खड़ा था। रोहन ने उसके लिंग को हाथ में लिया और उसे चूसना चालू कर दिया। कुछ देर तक लिंग चूसने के बाद वह उलटा हो गया।
"आज ऐसे नहीं.." कार्तिक रोहन के कान में फुसफुसाया।
"फिर कैसे?"रोहन भी फुसफुसाया।
कार्तिक ने रोहन को पीठ के बल ही लिटाया। उसने बगल के ड्रावर से लुब्रिकेंट उठाया और उसका कुछ हिस्सा रोहन के गुदा छिद्र में लगाया। जैसे जैसे लुब्रिकेंट रोहन के छिद्र में लगता उसकी सिसकारी निकल जाती।
कार्तिक यह देखकर मुस्कराने लगता। जब काफी लुब्रिकेंट लग गया और कार्तिक की दो उँगलियाँ आसानी से अन्दर बाहर जाने लगी तो उसने तकिया लिया और उसे रोहन के पीठ के नीचे लगा दिया। फिर कार्तिक ने रोहन की टांगों को उठाया और उन्हें अपने कंधो पर रखा।
अब कार्तिक रोहन की उठी टांगों के बीच में था। वह झुका और उसने रोहन के होंठों को चूसना शुरू किया। कुछ देर तक चूसने के बाद उसने अपने लिंग पर कंडोम चढाया और फिर कुछ लुब्रिकेंट लिंग पर लगाया। काफी लुब्रिकेंट लगाने के बाद उसने अपने लिंग को गुदा छिद्र पर टिकाया और हल्के हल्के दबाव देना शुरू किया। कुछ ही देर में कार्तिक का लिंग रोहन के छिद्र के अंदर था।
अब कार्तिक रोहन के होंठो को चूस्र रहा था और हल्के हल्के झटके भी देता जा रहा था। एक दो मिनट तक यह करने के बाद वह रोहन के कान में फुसफुसाया- "अब घोड़ी बन जा।"
रोहन ने सहमती में गर्दन हिलाई और फिर वह कुछ देर में घुटनों के बल घोड़ी बना हुआ था। कार्तिक उसके पीछे खड़ा था और उसने लिंग उसके छिद्र में डाल दिया था।
अब वह झटके मार रहा था। हर एक झटके के साथ रोहन भी अपने पुट्ठे हिला हिलाकर उसका साथ दे रहा था।
कमरे में थप थप की ध्वनि के साथ रोहन और कार्तिक की कराह और आह और तेज साँसों की आवाज भी आ रही थी। अगले दो तीन मिनट के बाद कार्तिक के झटकों के गति बढ़ गई। वह अब पूरी तरह से रोहन की कमर पर झुका था और उसके होंठ रोहन के कान चूस्र रहा थे।
फिर एक के बाद एक झटके उसने लगाये और हाँफते हुए उसकी कमर पर झुक गया।
कार्तिक स्खलित हो चुका था। उसने अपनी धौंकनी सी चलती साँसों को व्यवस्थित करने की कोशिश की।
फिर कार्तिक ने कंडोम निकला और उसे बगल में रखा और वो दोनों ही बिस्तर पर पसर गये।
जब साँसे व्यवस्थित हुई तो, कार्तिक ने कंडोम उठाया और उसे ड्रावर से एक पोलीथीन निकालकर उसमे डाला। फिर दोनों उठे, कार्तिक ने पालीथीन को कूड़ेदान में डाला और फिर वे लोग बाथरूम के तरफ बढ़ गये।
बाथरूम का दरवाजा बंद हुआ और शावर चलने की आवाज़ कमरे में आई।
पाँच मिनट बाद दोनों ही निर्वस्त्र कमरे में थे। रोहन ने एसी का तापमान और कम कर दिया था। दोनों अब कम्बल लेकर एक दूसरे से चिपक कर सो गये थे।
आज छुट्टी जो थी। दोनों को आराम करना था।