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(27-11-2021, 04:53 PM)wellcomeback Wrote: hello bhabhi ji, kaha gayab ho jate ho, kuchh hamara bhi kahayal karo, ye to jyadti h apne chane walo k saath, hum aapse kadam se kadam mila rahe h aur aap ruk jate ho, doudne ki baat nahi par saath to chaliye, firb is update k liye dil se dhanyawad
Aa gayi vapas, aapne bulaya to ,... next post soon
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(26-11-2021, 09:59 PM)Pandu1990 Wrote: Well updates komal ji
Thanks sooooo much
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(27-11-2021, 08:00 AM)aamirhydkhan1 Wrote: nice update komal ji
thanks so much
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(27-11-2021, 02:49 PM)Ricota Wrote: Welcome back. Some super hot updates.
thanks next post now
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जोरू का गुलाम -१००वां भाग
अगला दिन
जागो सोनेवालों , जागो ,
और साथ में गर्म चाय की प्याली।
आज बजाय उनके देवर के मैं उन्हें बेड टी देने आयी थी।
उनके तकिये के पास ही मेरी जेठानी का मोबाइल पड़ा था , बस क्या था मेरी उँगलियाँ तो मोबाइल को देख के ही मचल जाती थी। उनका मोबाइल मेरे हाथों में और बहुत कुछ मेरे मोबाइल से उनके मोबाइल में।
वो कुनमुना रही थीं , और मैंने सीधे उनके गाल पे हलके से पिंच किया ,
" हटो सोने दो न , " उन्होंने करवट लेने की कोशिश की।
चुट चुट , चुटपुटिया बटन चट पट उनकी ब्लाउज की खुल गयी ,एक दो तीन ,सिर्फ नीचे की एक बटन उनके कसे कसे ब्लाउज को किसी तरह सम्हाले थी
गोरी गोरी भारी भारी ३६ डी
पुच्च पुच्च ,मेरे होंठ सीधे मेरी जेठानी के होंठों पे और जबरदस्त किस्सी ,मेरा एक हाथ ब्लाउज में।
सच में गोलाइयाँ उनकी मस्त थीं ,एकदम प्रौढ़ा खेली खायी मार्का , कड़ी भी बड़ी भी।
होंठ छुड़ाते हुए मस्ती से बिना आँखे खोले वो बोलीं ,
" देख रही हूँ तुम बहुत शरारती होते जा रहे हो ,...छोड़ सुबह सुबह जूठा कर दिया। "
" दीदी आपके देवर नहीं मैं हूँ , और वो आपके देवर तो आपके नीचे वाले होंठों पर घात लगाए बैठे हैं ,आज आप की छुट्टी का आखिरी दिन और कल चलेगा मूसल रात भर इसी कमरे में घचाघच्च घचाघच्च। "
जोर से उनके बड़े बड़े मूंगफली के दानों के साइज के निपल को पिंच करते मैं बोली।
और जेठानी जी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखे पट्ट से खोल दीं।
तुम , तो आज देवर जी,आज कल तो बेड टी का काम तुमने उनके जिम्मे ,... " चौंक के मेरी जेठानी बोलीं।
" अरे दी आज कल कुछ बांटा रहता है क्या ,ख़ास कर मेरे उनके बीच में , कभी उनका काम मैं कर देती हूँ तो कभी मेरा काम वो , फिर कल रात आप के साथ गरम गरम पिक्चर देखकर गरम हो गए थे की पूरी रात , एक मिनट भी चैन नहीं लेने दिया , अभी थोड़े देर पहले ही उनकी आँख लगी थी। फिर मैंने ये भी सोचा की आज सो लें , कल की रात तो वैसे ही आप के साथ पूरी रात कबड्डी खेलनी है ,इसलिए। "
अपनी जेठानी की घुंडी घुमाते हुए मैंने किस्सा पूरा बयान कर दिया और एक बार फिर कस के सीधे लिप्स पे लिप्पी
और अबकी मेरी जेठानी ने हल्का ही सही ,रिस्पांस दिया।
और मैंने सोचा सही है बॉस इसका मतलब ये भी थोड़ी थोड़ी ही सही कन्या रस वाली ये भी हैं।
और मैंने चाय का प्याला अपनी जेठानी के सामने पेश कर दिया।
चाय का प्याला उनके हाथ में और उनका मोबाइल मेरे हाथ में ,
एक व्हाट्सएप ग्रुप उनके मायकेवालियों का था , उनकी बहने भौजाइयां और क्या खुल के एक से एक वल्गर बातें होती थीं , खुल के एकदम शादी शुदा तो छोड़िये कुंवारियां भी। और सुबह सुबह यही सवाल ,रात में कितने राउंड हुए ,
ज्वाइन करते ही इनकी भौजाई ( यानी मेरी जेठानी ) की भौजाई ने यही सवाल दाग दिया ,
" क्यों ननद रानी रात कित्ती बार ,... "
पहले सैड वाली स्माइली और फिर , अपनी जेठानी की ओर से जवाब ,मैंने भेज दिया , तुरंत
" क्या भाभी , सब आप की तरह से थोड़े ही , अरे आपके ननदोई मेरी सास को चार दिन से तीर्थ कराने गए हैं और ऊपर से वो पांच दिन वाली छुट्टी भी चल रही है "/
मैंने जेठानी को दिखाया , वो तो महाखुश और अपनी भौजाइयों से उन्होंने भी दो चार बातें कर के उन्होंने फोन मुझे वापस कर दिया।
लेकिन बारह आने का खेल तो अभी बाकी था।
मैंने उनके मोबाइल के दो चार बटन और दबाये चाय की चुस्की लेते हुए और मोबाइल उनकी ओर बढ़ा दिया
" दीदी आपके मोबाइल पर तो आपने एक से एक एक सेक्सी फोटुएं लगा रखी हैं ,अपने देवर के साथ "
एक फोटो में मेरे वो अपनी उँगलियों से उनका निपल मरोड़ रहे थे ,जेठानी का चेहरा ,निपल्स के क्लोज अप एकदम साफ़ साफ़।
दूसरी पिक्चर तो और , उनके देवर के होठ अपनी भौजाई के जोबना पर और भौजाई का हाथ अपने देवर के तने खूंटे को पकडे ,
कुल ९ फोटुएं थी और ६ उनकी सेल्फी आलमोस्ट टॉपलेस वाली
लेकिन सबसे बढ़कर एक छोटा सा एम् एम् एस भी जिसमें मेरी जेठानी अपने देवर को देवर का देवर का मतलब समझा रही थी , लिम्का में मिली वोडका का असर साफ़ साफ़ था
" देवर मतलब , जो अपनी भाभी से बार बार बोले , भाभी , दे बुर ,दे बुर। "
" तो भाभी दीजिये न , आपने कभी दिया नहीं। " उनके देवर की आवाज थी।
" तूने कभी माँगा ही नहीं , ... " खिलखिलाते हुए वो बोली।
" तो अब से मांग लेता हूँ न , भाभी दे बुर ,दे बुर। "
"अरे देवर जी अभी तो छुट्टी चल रही है बस परसों रात को छुट्टी ख़तम और फिर आप छुट्टे सांड की तरह ,... " उनकी आवाज।
" अरे ये सब क्या है डिलीट कर उसको " जेठानी की आवाज बड़ी तल्खी और बेचारगी से भरी थी।
" अरे दीदी आपका फोन है आप डिलीट कर दीजिये न " सीरियसली मैंने फोन उन्हें दे दिया।
और बेचारी उन्होंने डिलीट कर दिया एक एक ,लेकिन उससे क्या फरक ,
मैंने चेक करने के बहाने उनके फोन को लिया और फिर उन्हें वापस , अरे ये तो फिर आ गयी लगता है आपने ठीक से डिलीट नहीं किया /
बिचारि ,एक दो बार उन्होंने फिर से कोशिश किया लेकन ,
चाय हम दोनों की कब की ख़तम हो चुकी थी।
" अरे दी चिंता छोड़िये आपके व्हाट्सएप ग्रुप में डाल देती हूँ " कह के जैसे मैंने बटन की तरफ हाथ बढ़ाया बिचारि जेठानी एकदम ,... "
अरे दी मैं तो मजाक कर रही थी लीजिए अपना फोन " कह के मैंने उन्हें फोन वापस कर दिया और भोलेपन से बोली
" दी आपके देवर तो पता नहीं कब उठेंगे पता नहीं सपने में अपने बहनों से कुश्ती लड़ रहे हों , चलिए हम दोनों ही नाश्ता बना लेते हैं। कल रात का कबाब अच्छा था न बहुत बचा है ,मैंने फ्रिज में रख दिया था। आप कहें तो तो उसी को गरम कर लेते हैं। "
" हाँ एकदम " वो बोलीं ,फ्रिज से निकाला भी उन्होंने और किचेन में तवे पर रखकर उन्होंने सेंकना भी शुरू कर दिया।
जो जेठानी मुझे रोज बोलती थीं ,इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता आज खुद
मटन कबाब तवे पर सेंक रही थी।
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देवर भौजाई
" दी आपके देवर तो पता नहीं कब उठेंगे पता नहीं सपने में अपने बहनों से कुश्ती लड़ रहे हों , चलिए हम दोनों ही नाश्ता बना लेते हैं। कल रात का कबाब अच्छा था न बहुत बचा है ,मैंने फ्रिज में रख दिया था। आप कहें तो तो उसी को गरम कर लेते हैं। "
" हाँ एकदम " वो बोलीं ,फ्रिज से निकाला भी उन्होंने और किचेन में तवे पर रखकर उन्होंने सेंकना भी शुरू कर दिया।
जो जेठानी मुझे रोज बोलती थीं ,इस घर में लहसुन प्याज भी नहीं आता आज खुद
मटन कबाब तवे पर सेंक रही थी।
मुस्कराहट रोकते हुए मैंने दूसरे चूल्हे पर हलवा चढ़ा दिया।
लेकिन तब तक जो रोज रात बिना नागा दो साल से मेरा हलवा बना रहा था और अब अपनी सारी छिनार मायकेवालियों, माँ ,बहन ,भाभी का हलवा बनाने की तैयारी कर रहा था , वो आगया और आते ही ,
मेरा सपना पूरा ,
उन्होंने देखा की उनकी ' लहसुन प्याज भी नहीं आता ' वाली भौजाई उसी किचेन में मटन कबाब तवे पर गरम कर रही थीं। उन्होंने मुझे जबरदस्त आँख मारी , आँखों ही आँखो में हाई फाइव किया ,और पीछे से अपनी गदरायी भौजाई को दबोच लिया।
उनकी भाभी का ब्लाउज तो आलमोस्ट खुला ही था , वो चुटपुटिया बटन मैंने बंद करने ही नहीं दिया जो मैंने खोली थीं ,सिर्फ एक दो बटनों के सहारे मेरी जेठानी की भारी भारी चूँचियाँ मुश्किल से फंसी थी और उनके देवर के हाथों ने सीधे डाका डाल दिया।
अबकी न मुझे उन्हें उकसाना पड़ा न इशारा करना पड़ा , बस सीधे खुद उन्होंने और जेठानी जी भी बिना उन्हें हटाए , कुछ बोले तवे पर मजे से मटन कबाब सेंकती रही।
" गुड मॉर्निंग भौजी " उनके होंठ अब अपनी भौजाई के गालों पे सीधे चिपके।
…………………………………………………
" अभी आ रही होगी तेरी छमिया ,एलवल वाली , उससे करना गुड मॉर्निंग , ऐसे बहुत चींटे काट रहे हैं उसके बिल में " बिना छुड़ाने की कोई कोशिश करती मेरी जेठानी ने उन्हें चिढ़ाया।
जवाब में खुल के ,कस कस के उन्होंने अपनी भौजाई की गदरायी चूँचियाँ रगड़नी मसलनी शुरू कर दी। और उनका खड़ा खूंटा, शार्ट फाड़ता सीधे मेरी जेठानी के बड़े बड़े चूतड़ों की दरार के बीच ठोकर मार रहा था।
जिस 'संस्कारी घर' में अगर बेडरूम से उतरकर बिना नहाये किचेन में घुस नहीं सकती थी मैं ,जहाँ एगलेस पेस्ट्री भी इन्ही जेठानी ने फिंकवा दी थी की क्या पता और जहाँ मेरी जेठानी ने ही मुझे ज्ञान दिया था ,' वो सब ' बातें सिर्फ रात में बेडरूम में ' दिन में इस घर में बहुओं को एकदम संस्कारी ढंग से , पराये पुरुष को छोडो अपने पुरुष को भी खुल के देखने की मुंह भर बतियाने की आजादी नहीं , घूंघट ही नहीं , कोई अंग दिखना नहीं चाहिए।
और आज उसी 'संस्कारी घर ' में वही जेठानी तवे पर मटन कबाब सेंक रही थीं ,
उनके देवर खुल के ,उनके खुले ब्लाउज में हाथ डाल के अपनी भौजाई का जोबन रस लूट रहे थे और उनका साढ़े सात इंच का खूंटा एकदम उनकी भौजाई की गांड के बीच धंसा ,
तबतक मेरे सैयां की निगाह मेरे हाथ में मोबाइल पर पड़ गयी , उन्ही का मोबाइल था ,उन्होंने पहचान लिया। मैं मेसेज पढ़ रही थी ,
" हे किसका है " वो पूछ बैठे।
" तेरी प्रेमिका का , तेरे ही लिए , लो पढ़ लो। "मैंने मोबाइल उन्हें पकड़ा दिया।
तब तक जेठानी जी भी सिंके कबाब को एक प्लेट में रख रही थीं और तवा चूल्हे से हटा रही थीं।
मेसेज पढ़ते ही बिचारे वो उनकी ऐसी की तैसी ,कुछ उनके पल्ले नहीं पड़ा।
मेसेज था ,
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दीदी बहुत ही शानदार अपडेट
जेठानी की ऐसी तैसी होने वाली है
बस लिखती रहिये
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(29-11-2021, 08:01 AM)@Kusum_Soni Wrote: दीदी बहुत ही शानदार अपडेट
जेठानी की ऐसी तैसी होने वाली है
बस लिखती रहिये
बस आप साथ निभाती रहिये देखिये कैसे तस्सलीबख्श तरीके से उनकी ली जाती है, परमानेंट इलाज होगा उनका
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(01-12-2021, 10:51 PM)komaalrani Wrote: next post soon
Didi intezaar hai besabri se...
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05-12-2021, 05:49 PM
(This post was last modified: 05-12-2021, 05:50 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जोरू का गुलाम भाग १०१
बरसन लागी सवन बुँदियाँ
' हे प्रेमिका के पत्र प्रेमी के नाम अगर पढ़ चुके हो तो काम में लग जाओ। खुशी मनाओ की मैंने और मेरी जेठानी ने नाश्ता बना लिया है वरना वो भी तुझे ही , अब झट से चाय बनाओ और ये कबाब और हलवा लेकर टेबल पर और हम दोनों चलते है ,चलिए दी। '
और जेठानी का हाथ पकड़ के मैं बाहर आ गयी।
मौसम एकदम मस्ता रहा था।कहीं से गाने की धुन छन छन कर आ रही थी ,
बरसन लागी सवन बुँदियाँ
और आसमान में एक बार फिर बादल घिर आये थे।
हम लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे ही थे की हलकी हलकी रिमझिम रिमझिम शुरू हो गयी।
ब्रेकफास्ट के बाद दिन का सबसे महत्वपूर्ण फैसला , आज क्या बनेगा ,खाने में ,
और उसका क्रियान्वन मैं अपनी जेठानी और उनके देवर के ऊपर छोड़ कर अपने कमरे में ऊपर चली आयी ,और खिड़कियां खोल के बिस्तर पे लेट गयी , गुड्डी के आने में अभी एक घंटा बाकी था।
मैं अपनी उसी छोटी ननदिया के बारे में सोच रही थी ,अब तो एकदम पक्का हो गया था की वो हम लोगों के साथ चलेगी और कम से कम साल भर तो साथ में रहेगी ही। मैं और मम्मी तो हफ्ते दस दिन के बारे में सोच रहे थे यहाँ तो पूरा ,... और ये मम्मी की बातें तो टालते नहीं ,फिर अगर ये सावन भादों में जैसा मम्मी का प्लान था कुछ दिन के लिए हम लोगों के गाँव चली गयी फिर तो ,...
और वहां मम्मी की भी जरुरत नहीं थी , मेरे इनके ,... इनकी साली सलहजें ,मेरी भौजाइयां ,चाहे ये नखड़ीली सीधे से माने या जोर जबरदस्ती , कोई कसर छोड़ने वाली नहीं है उसके साथ , यही सब सोचते सोचते पता नहीं कब मेरी आँख लग गयी।
बाहर बारिश तेज हो गयी थी ,हलकी हलकी फुहार मेरे ऊपर आ रही थी।
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सपने सुहाने सावन के
पता नहीं कब मेरी आँख लग गयी।
बाहर बारिश तेज हो गयी थी ,हलकी हलकी फुहार मेरे ऊपर आ रही थी।
गुड्डी एक छोटी सी टॉप और स्कर्ट में थी ( आफ कोर्स बिना ब्रा पैंटी के ,वो सब गाँव में पहुंचते हिजाबत होगयीं थीं ,गाँव में कोई नहीं पहनता केनामपे )
और साथ में उसके ,उसकी ही समौरिया , बेला , रिश्ते में मेरी छोटी बहन लगती थी। उसे ही इनकी सलहज ( गाँव के रिश्ते से ) शीला भाभी ने ;गाँव घुमाने ' का काम सौंपा था।
शीला भाभी मुझसे ५-६ साल बड़ी होंगी और हम लोगों के गांव वाले घर की जिम्मेदारी सब उनके ही ऊपर थी और वो रहती भी वहीँ थीं। ((मम्मी तो ज्यादातर समय हम लोगों के लखनऊ वाले घर में ( वहां विंडसर पैलेस में एक हमारा पुराना बंगला था , खूब बड़ा सा ) और अब अक्सर बिजेनस के चक्कर में मुंबई में ( ब्रीच कैंडी में ) और इसलिए मेरी पढाई भी बचपन में तो लोरेटो में लखनऊ में और कालेज की सोफिया में मुम्बई में हुयी ).
ऊप्स मैं भी न कित्ती बार मुझे वार्निंग मिल चुकी है नो पर्सनल डिटेल्स पर ,... खैर चलिए वापस गन्ने के खेत में जहाँ गुड्डी और बेला है।
गन्ने के खेत दूर दूर तक और लम्बे भी कितने की हाथी भी छुप जाय तो पता न चले , तीन लडके गाँव के और उन्होंने कुछ कमेंट किया तो गुड्डी बुरा मान गयी ,जोर से बोली ,
" औकात में रहो , अपनी शक्ल देखी है आईने में , लगता है पहली बार शहर की लड़की देखी है ,ये सब गंदे गाने गाँव की गंवार लड़कियों को सुनाना , चल बेला। "
बेला गुड्डी का हाथ पकड़ के गन्ने के खेत की ओर , लेकिन गुड्डी ने ये नहीं देखा की चलते हुए मुड़ के जबरदस्त आँख मारी और खेतों की ओर इशारा किया /
अभी तो गुड्डी एक चौड़े से मिट्टी वाले रास्ते पर चल रहे थे लेकिन अब बेला उस खींचते हुए गन्ने के खेतों के बीच की एक पगडंडी पर ले आयी। थोड़ी ही देर में बस चारो और ऊँचे ऊँचे गन्ने के खेत। और फिर गुड्डी को पकड़ कर गन्ने के खेत के अंदर ,
ऊँचे ऊँचे गन्नों से जैसे देह छिल जाय खेत में अगर कोई दो हाथ भी दूर हो तो न दिखाई दे ,गुड्डी कस के बेला का हाथ पकडे बोल रही थी ,
" ये किधर ले जा रही है तू मुझे "
" अरे यार अगर गाँव में आके तुझे गन्ने के खेत में गन्ना न खिलाया तो क्या मजा , खूब मोटा मोटा रस वाला गन्ना ,"
और वो दोनों एकदम गन्ने के खेत के बीच में , जहां से लगता है १० -१२ गन्ने उखाड़ लिए गए थे , थोड़ी सी खुली जमीन थी लेकिन चारो ओर एकदम घने ऊँचे ऊँचे गन्ने , आसमान भी मुश्किल से दिखता था।
" एक मिनट बस खड़ी रह यहां ज़रा तेरे लिए मोटे मोटे गन्ने ले के आती हूँ , और गुड्डी के लाख मना करने पर भी बेला हाथ छुड़ा के गन्ने के खेत में धंस गयी और पल भर में आँख से ओझल।
आसमान और काला हो गया था ,बादल एकदम घने , और बेला गायब। चारो और गन्ने के घने खेत
एक मिनट
,
दो मिनट
तीन मिनट , बेला का कहीं अता पता नहीं
और वो तीनो लड़के एक साथ ,
" चल स्साली , शहर की रंडी तुझे बताता हूँ , गाँव के गंवार कैसे चोदते हैं , चल कपडे उतार " एक बोलै और दूसरे ने चटाक चटाक दो हाथ दोनों गाल पर ,
सपने कोई रील दर रील तो चलते नहीं ,इसलिए सीधे जम्प कट
गुड्डी गन्ने के खेत में लेती कच्ची मिटटी के ढेले पर अपना मोटा चूतड़ रगड़ते चीख रही थी ,चिल्ला रही थी ,लेकिन जितना वो चीखती चिल्लाती बिसुरती उतना ही उन लौंडो को मजा आ रहा था।
मुट्ठी सा मोटा सुपाड़ा ,गुड्डी की कसी चूत में धंसा , बित्ते भर का लंड ,गुड्डी की नयी नयी आयी चूँचियों को काटता पूरी ताकत से लंड ठूंसता वो बोला ,
" छमिया ,तू प्यार से दे देती तो कम कम से लंड में थूक लगा के पेलता , लेकिन घोंट सूखे सूखे ,"
जैसे जैसे दरेररता ,रगड़ता फाड़ता मोटा लंड अंदर घुसता गुड्डी की चीखें और तेज , पर कौन उस गन्ने के खेत में सुनता और सुनता भी तो आता कौन।
आधे से ज्यादा लंड उसने पेल दिया था ,६ इंच से थोड़ा ज्यादा ,तबतक बेला आ गयी और लगी हड़काने उन तीनों को ,
" साले अपनी माँ के यार , तुम तीनो बारी बारी से चोदोगे तो इस बिचारि को क्या मजा आएगा और फिर क्या सारा दिन ये शहर वाली गन्ने के खेत में ,बही तो इसे आम केबाग में अपने आम चुसवाने जाना है ,पठानटोली वालेलोग इन्तजार कर रहे होंगे ,चल निकाल लंड अपना ,...
और गुड्डी जैसे किसी को शूली पर चढ़ाएं खुद उस मोटे लंड पे , बेला उस का कंधा कस के दबा रही थी और बाकी दोनों लौंडे भी गुड्डी की चूँची पकड़े उसे नीचे खींच रहे थे , थोड़ी देर में वो मोटा लंड गुड्डी की चूत में और उस लड़के ने गुड्डी को अपनी बाँहों में चिपका लिया था
पीछे एक दूसरा लौंडा ,अपना खूंटा मुठिया रहा था , जो गुड्डी की चूत में घुसा था उससे डेढ़ गुना मोटा तो रहा ही होगा ,
और जब तक गुड्डी कुछ सोचे समझे ,पीछे वाले ने अपना सुपाड़ा उसकी गांड में सटा दिया , वो भी एकदम सूखे।
नहीं नाहीईईईई लेकिन लौंडिया वो भी गुड्डी की उम्र वाली निहुरि हो गांड सामने हो, गन्ने का खेत हो तो बिना गांड मारे कौन छोड़ता है।
उहहहहह अह्ह्ह्हह्हह फट गयीइइइइइइ ,गुड्डी की चीख़ अब जोर जोर से निकल रही है ,
बेला खिलखिलाई हाँ स्सालों अब लग रहा है दीदी की ननदिया गन्ने के खेत में चुद रही है , चोद मार गांड इसकी पूरी ताकत से चिल्लाने दे इसको ,फट जायेगी तो मोची से सिलवा दूंगी और गुड्डी से बोली ,
" ननद रानी , अब कल से खुद आ जाना इसी जगह गन्ने के खेत में मोटे मोटे गन्ने खाने , इस गाँव में न तुझे लौंडों की कमी होगी न लंड की "
और उधर जो लौंडा गांड में लंड पेले था उसने पूरी ताकत से ठेलते हुए गुड्डी की कटीली पतली कमरिया जो अपना मोटा मूसल ढकेला तो एक ही धक्के में गुड्डी की गांड का छल्ला पार
उहहहहह अह्ह्ह्हह्हह फट गयीइइइइइइ मर गईइइइइ आअह्ह्ह
गुड्डी की चीख पूरे खेत में गूँज रही थी ,बिचारी जोर जोर से चूतड़ पटक रही थी , छुड़ाने की कोशिश कर रही थी ,लेकिन गांड में तो सुपाड़ा धंसने के बाद ही निकालना मुश्किल होता है और यहाँ तो उस लौंडे का लंड गुड्डी की खूबसूरत गांड के छल्ले को फाड़ता दरेरता रगड़ता पार हो चुका था।
लेकिन गुड्डी की चीख बंद हो गयी क्योंकि तीसरे लौंडे ने अपना लंड गुड्डी के मुंह में ठूंस दिया।एक साथ तीन तीन मोटे मोटे लंड गाँव के ,गुड्डी की चूत,गांड और मुंह में
सटासट ,सटासट , गपागप गपागप
सपने में जम्प कट तो बहुत कॉमन है , शाम हो गयी थी , गुड्डी बेला के साथ घर वापस
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05-12-2021, 05:52 PM
(This post was last modified: 05-12-2021, 05:53 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(02-12-2021, 10:19 AM)@Kusum_Soni Wrote: Didi intezaar hai besabri se... next post post kar diya hai, par baat vahi hai, aap ke alava kisi aur ka koyi comment nahi milata,... anyways i will keep on posting
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सपने में
सपने में जम्प कट तो बहुत कॉमन है , शाम हो गयी थी , गुड्डी बेला के साथ घर वापस
" अरे ज़रा छिनरो क बुरिया अउर गंडिया त देखावा। " और बेला ने स्कर्ट उठा दी ,
आगे पीछे दोनों ओर से सरका टपक रहा था।
खुश होके शीला भाभी ने बेला से इशारे में पूछा कितने ,
बेला ,गुड्डी के पीछे खड़ी थी ,वही से दोनों हाथ की उंगलिया फैला के उसने इशारा किया ,दस।
"दस बार ?" शीला भाभी ने बेला से सवाल दागा।
" नाही भौजी , हमार ननद है ,दस बार में का होता इसका , दस मरद , और सबने अगवाड़े पिछवाड़े दोनों का मजा लिया ,अब देखिये कल ई दर्जन डंकायेगी। आज तो खाली भरौटी , अहिरौटी उहि में , कल ले जाउंगी इस छिनरो को पठान टोला ,आधे दर्जन से ऊपर तो उन्ही ,... "
हँसते हुए बेला बोली।
तबतक आँगन में बंधा शेरू , दुम हिलाते हुए गुड्डी के पैर चाटने लगा।
शेरू ,मम्मी का फेवरिट ग्रेट डेन। मम्मी उसे जर्मनी से ले आयी थीं ,खूब बड़ा , हाइट साढ़े तीन फिट से कुछ ज्यादा ही रही होगी ,वजन भी ६० किलो के आस पासएकदम काला देखने में एकदम खूंख्वार और ताकतवर , लोग देख के डर जाते थे ,पर मम्मी का एकदम चमचा। मेरी बात तो मम्मी से भी ज्यादा मानता था और साथ में शीला भाभी और बेला की जो उसकी देखरेख करती। बेला से तो तो उसकी पक्की दोस्ती थी।
लेकिन शेरू में सबसे ख़ास बात थी वो थी उसका 'वो ' खूब बड़ा ,मोटा ९ इंच का। और सबसे खतनाक थी उसकी गाँठ ,जब वो एक बार चढ़ता था तो बस दस बारह मिनट के अंदर उसकी 'गाँठ' बंध जाती थी और वो भी खूब बड़ी ,क्रिकेट के बाल की साइज की चार इंच ज्यादा घण्टे चालीस मिनट , हाई क्लास ब्रीडिंग के लिए कभीकभी मम्मी उसका इस्तेमाल करती थीं।
लेकिन जिस कुतिया के ऊपर शेरू चढ़ता था ,उस बिचारी की ऐसी की तैसी हो जाती थी , शेरू का वेट , फिर जिस ताकत से वो धक्के मारता था और सबसे बढ़के उसकी गाँठ , इत्ती मोटी कड़ी इतने देर तक रहती थी , और इस बीच वो बिचारी कुतिया को घिर्रा घिर्रा कर ,...
और ये सारा काम कराती थी गुलबिया ,हमारी नाउन की बहू ,और हम सबकी सबसे जबरदंग भौजाई , उमर में मुझसे दो चार साल ही बड़ी होगी। सारी ननदों की ऐसी की तैसी करके रखती थी और वो गुलबिया , गुड्डी को देखते हुए बोली ,
( शेरू ,हमारा ग्रेट डेन ,गुड्डी के पैर चाटता चाटता उसकी रेशमी जाँघों तक पहुँच गया था )
" अरे अबहीं एह घर क एक मरद तो बचल बा न इ शेरुआ। "
और फिर गुलबिया अपनी स्टाइल में चालू हो गयी , गुड्डी से वो तो उसके ननद की ननद थी इसलिए उसकी रगड़ाई करना तो उसका हक बनता था ,और अब वो गुड्डी के पीछे पड़ गयी। गुड्डी से बोली ,
" अरे ऐसी चुम्मा चाटी ई शेरुआ कर रहा है ,एकबार एकर घोंट के देखो , कुल मरदन का हथियार भुलाय जाओगी। देखा देखा तोहें देख के ओकर ,... "
और सच में शेरू का शिश्न उसकी शीथ से बाहर निकलना शुरू हो गया था और वो उसके सेक्सुअल अराउजल की पहली निशानी थी।
गुलबिया चालु थी गुड्डी से ,
" अरे घबड़ा जिन पहले तो चाट चूट के तोहार बुरिया इतना गरम कर देगा की तू खुदे , ... अब दर्द तो होगा ही लेकिन जब पहली बार फड़वाई होगी ,गांड मरवाई होगी ताबों दरद हुआ होगा बस तानी हिम्मत करा तो एक नया मजा , और ओकरे बाद जउन गाँठ बनी तोहार बुरिया में न तो बस अइसन मजा कबो सोच नहीं सकती। "
और बेला जो मुझसे छोटी थी गुड्डी की हमउम्र , लेकिन गुलबिया की असली ननद ,वो चालू हो गयी ,
" अरे गुलबिया भौजी , इनसे पूछने की का जरूररत ई तो आयी ही चुदवाने हैं , अरे जैसे आप आँगन में लगे चुल्ले में कुतिया को बाँध देती हो बस वैसे निहुरा के इहौ छिनरो को बाँध दा , फिर बाकी काम तो शेरुआ करी। "
शीला भाभी गुलबिया और बेला की बात सुन सुन के मुस्करा के कुछ सोच रही थी ,लगता है उनके मन में कुछ पक रहा था। कभी वो गुड्डी को देखतीं तो कभी शेरू को।
और उन्होंने बेला को कुछ इशारा किया , बेला खुश हो के मुस्कराते घर में गयी और वहां से कुछ लाके शेरू के तसले में ,
खींच कर शेरू का मुंह उसने तसले में कर दिया , और शेरू लपड़ लपड़
तबतक बेला ने एक देसी दारु की बोतल पूरी की पूरी उसके तसले में खाली कर दी , घल घल , घल घल
( ये लत शेरू को मम्मी ने ही लगाई थी , आधी में ही वो एकदम मस्ता जाता था और आज तो बेला ने पूरी की पूरी )
और फिर मेरी सांस ऊपर की ऊपर ,नीचे की नीचे बेला ने एक पुड़िया खोली और शेरू के तसले में डाल दी।
ये तो वो दवा थी जो शेरू को तब दी जाती थी जिस दिन उसे एक ही दिन में ६-७ बिचेज को ब्रीड करना होता था। इसके खाने के बाद तो दिन भर चढ़ा रहता था।
बेला और गुलबिया भौजी ने एक दूसरे को आँखो में देखा, मुस्करायीं और बिजली की तेजी से ,
गुलबिया ने झपट कर कच्चे कीचड़ हो रहे आँगन में गुड्डी को निहुरा दिया। पूरी ताकत से , गुलबिया भौजी की पकड़ से एक से एक खेली खायी ४ -४ बच्चों की माँ ,ननदें नहीं छूट पाती थीं ये तो नयी बछेड़ी थी )
गुड्डी छटपटा रही थी ,,छुड़ाने की भरपूर कोशिश कर रही थी पर गुलबिया भौजी ने एकदम गर्मायी कुतिया की तरह उसे निहुरा रखा था।
साथ साथ बेला ने शेरू के गले में बंधा चोकर और चेन झट से खोल दिया और गुड्डी के गले में , और अब मेरी ननदिया अगर जरा भी छुड़ाने की कोशिश करती तो बस चोकर उसका गला चोक करदेता।
गुलबिया ने वो चेन आँगन के फर्श पर लगे एक चुल्ले में बांध दी , अब गुड्डी लाख कोशिश करे ,...
लेकिन गुलबिया ने तबतक एक झटके में अपनी दो ऊँगली एक साथ गुड्डी की बुर में ठेल दी घचाक जड़ तक और थोड़ी देर तक गोल गोल घुमाने के बाद जो निकाला तो सफ़ेद सफ़ेद थक्केदार वीर्य से लथपथ ,
" अरे ससुरी इतना मलाई पहलवे से घोंटी है तो अइसन कीचड़ में लथपथ चूत चोदे में न तो हमरे शेरू क मजा आयी और न एह रंडी छिनार को। सट्ट घोंट लेगी। पहले इसकी बिलिया सूखी करो फिर , ... "
और गुलबिया भौजी ने अपना आँचल ऊँगली में लपेट कर सीधे गुड्डी की बुर में , गोल गोल रगड़ रगड़ कर ,सारी ,मलाई बाहरऔर बेला यही काम गुड्डी की गांड में एक तौलिये से कर रही थी। थोड़ी देर में बुर और गांड एकदम सूखी।
शेरू का तसला आलमोस्ट खाली हो गया था , और वो निहुरी हुयी गुड्डी को निहार रहा था , उसके लिए तो वो गरमाई कुतिया ही थी।
शेरू का शिश्न अब पूरी तरह तन्नाया और लिपस्टिक की तरह बाहर
मतलब अब वो भी गरमा गया था चोदने के लिए एकदम तैयार ,
बेला ने तभी एक मुट्ठी देसी दारु शेरू के तसले से ही निकाल के गुड्डी की सूखी चूत के मुहाने पे लपेट दी और गुलबिया भौजी ने अपनी दो ऊँगली झटाक से एक बार फिर गुड्डी की चूत में और अबकी वो बजाय सूखी करने के मेरी ननद को गीली करने पे जुटी थी।
मेरे सहित गाँव की हर ननद को गुलबिया भौजी की उँगलियों का जादू मालुम था तो बिचारी ये नयी बछेड़ी कैसे बचती ,
हहचक हहचक सटाक सटाक
मिनट भर में ही गुड्डी सिसकने लगी ,बेला ने क्लिट और निपल मसलने का काम सम्हाला आखिर मेरी छोटी बहन थी तो गुड्डी उसकी भी तो ननद हुयी न ,
दुहरे अटैक का असर तुरंत हुआ ,गुड्डी की गुलाबी कसी किशोर चूत एक तार की गाढ़ी चाशनी छोड़ने लगी।
उधर शेरा को भी महक मिल रही थी ,वो बार बार कुतिया की तरह निहुरी गुड्डी को देख रहा था
और गुड्डी भी चोरी चोरी चुपके चुपके उसके बित्ते भर से भी बड़े तन्नाए पगलाए लंड को देखने में मगन ,
लेकिन गुलबिया भौजी से किसी की चोरी छिपती है क्या , खास तौर से छिनार ननदों की.
"अरे बहुत तकम तककौवल होय गइल ,अब चोदम चुदऊवल क बारी हौ." उन्होंने गुड्डी को चिढ़ाया
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08-12-2021, 09:26 AM
(This post was last modified: 08-12-2021, 09:40 AM by komaalrani. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
सपने में गुड्डी -
मेरी ननदिया, मेरे मायके में, चढ़ गया शेरू ननदिया पर ,
दुहरे अटैक का असर तुरंत हुआ ,गुड्डी की गुलाबी कसी किशोर चूत एक तार की गाढ़ी चाशनी छोड़ने लगी।
उधर शेरा को भी महक मिल रही थी ,वो बार बार कुतिया की तरह निहुरी गुड्डी को देख रहा था
और गुड्डी भी चोरी चोरी चुपके चुपके उसके बित्ते भर से भी बड़े तन्नाए पगलाए लंड को देखने में मगन ,
लेकिन गुलबिया भौजी से किसी की चोरी छिपती है क्या , खास तौर से छिनार ननदों की.
"अरे बहुत तकम तककौवल होय गइल ,अब चोदम चुदऊवल क बारी हौ." उन्होंने गुड्डी को चिढ़ाया
गुड्डी की चूत झड़ने के कगार पर थी , पानी का पनारा छोड़ रही थी , गुलबिया ने सब कुछ अपनी उँगलियों पर लपेट के सीधे शेरू के नथुनों पे ,
अब तो शेरू एकदम पागल ,सीधे गुड्डी की फैली खुली जाँघों के बीच शेरू की लम्बी खुरदुरी जीभ ,
सडप सड़प ,जोर जोर से निहुरि हुयी गुड्डी की चूत वो चाट रहा था और गुड्डी मस्ती से सिसक रही थी।
" अरे बहुतों से चटवाया होगा लेकिन अइसन मजा नहीं मिला होगा "
शीला भाभी ने गुड्डी को चिढ़ाया।
दो चार मिनट में ही गुड्डी की ऐसी की तैसी हो गयी ,सिसक रही थी मस्ता रही थी।
शीला भाभी ने गुलबिया को इशारा किया की वो शेरू को , ... लेकिन मुस्करा के गुलबिया ने मना कर दिया ,बोली
गरमाने दो स्साली को ,
और जब गुड्डी की हालत एकदम खराब हो गयी तो गुलबिया भौजी ने शेरू को ,एक दो बार शेरू ने इधर उधर ,लेकिन फिर गुलबिया भौजी ने शेरू का शिश्न पकड़ के सीधे गुड्डी के छेद पर ,पहले धक्के में ही तिहाई लंड अंदर और अब लाख चूतड़ पटकती शेरू निकालने वाला नहीं था।
गुड्डी की तेज चीख आधे गाँव में ,... लेकिन यही चीख तो सब सुनने को बेताब थे। और शेरू ने दूसरा धक्का मार दिया।
बेला ने गुड्डी को कस के दबोच रखा था, गुड्डी बेचारी निहुरी चूतड़ ऊपर उठाये,.. एक सूत हिल नहीं सकती थी, गाँव की लड़कियों की पकड़, और ऊपर से वो चिढ़ा रही थी ( आखिर मेरी बहन लगती थी, रिश्ता है ऐसे मजाक का था ),
" एह आंगन में हमार शेरुवा बहुत कुतिया कातिक में चोद चुका लेकिन अस कुतिया पहली बार चुद रही है "
जवाब हँसते हुए छन्दा भाभी ने दिया,
" अरे बाकी कुतिया तो साल में एक महीना गर्माती हैं इस स्साली तो साल में बारहों महीने, चौबीसो घंटे गरमाई रहती है, पनियाई रहती है,लंड लंड मांगती है, "
और तबतक शेरू ने करारा धक्का मारा, गुड्डी की चीख अब आँगन से निकल कर पूरे गाँव में फ़ैल रही थी, बेला ने मुंह भींच के गुड्डी की आवाज दबाने की कोशिश की पर छन्दा भाभी ने इसारे से मना कर दिया, और गुलबिया जो गुड्डी की कमर को कस के दबोचे थी जिससे वो शेरू के जबरदस्त धक्के झेल सके, हँसते हुए बेला से बोली,
" और का , अरे पूरे गाँव को मालूम तो हो जो बिन्नो क ननद आयी है, पाहुन क छुटकी बहिनिया, ओकर खूब खातिर तवज्जो हो रही है. "
गलबिया साथ में शेरू को पुचकार रही थी थी , उसे उकसा रही थी , धीरे धीरे कर के शेरू का पूरा लंड गुड्डी रानी की चूत खा गयी।
गुलबिया शेरू को सहला रही थी उकसा रही थी पांच छह धक्के में पूरा ९ इंच अंदर ,लेकिन अभी तो खेल शुरू हुआ था। बारह आने का खेल तो बाकी था ,शेरू का शिश्न एकदम जड़ तक गुड्डी की बुर में जड़ा धंसा और कुछ देर में उसके लंड कब्ज पर गाँठ फूलने लगी।
बिचारी गुड्डी की हालत खराब ,
सबों का खिलखिलाते हुए बुरा हाल , अब सच में वो कुतिया बन गयी थी।कुछ ही देर में क्रिकेट की बाल जैसे गुड्डी की बुर में फंस गयी हो , चार साढ़े चार इंच डायमीटर की नाट गुड्डी की बुर के जड़ पे ,
हम सब जानते थे अब शेरू से वो आधे पौन घंटे से पहले नहीं छूट सकती थी।
" अरे रानी एक बार एहसे चुदवाय लिया न तो अब किसी का भी लंड हँसते हँसते घोंट लोगी। " शीला भाभी बोलीं।
" अरे एक बार काहें ,अरे अब रोज कम से कम दो तीन बार ,अरे बाहर क मरद मजा मारें और हमरे घरे क मरद भूखा रहे ,देखा रोज खुदे आइके ई शेरू से चोदवायेगीं। "
गुड्डी हलके से बोली नहीं ,नहीं
उसे चिढ़ाते हुए मैं जोर से बोली , हाँ हाँ। ( सपने का क़ानून कायदा तो होता नहीं कोई कभी भी कभी पहुँच जाता है तो मैं भी अपने मायके में ननद रानी की हालचाल लेने, )
...
और तब तक मेरी नींद खुल गयी , कोई मुझे जोर जोर से हिला रहा था
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Mene yaha pe jitni bhi story padhi he usme se ye sub se pasnd ai. Apne jis tarah ek mard ko gulam fir cd aur fir cuckold banay he bahot hi maja aa gaya. Muje lagta he ye story kai o ki fantasy ko pura karti he. Esi story ke liye apka bahot sukhriya.
Kya ap story mai aur cd sean dal sako to acha lagega.
thanks for Continue the story.
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Awesome story ....♥️ Loved it
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Welcome back to this forum didi.Eagerly waiting for new updates involving Guddi specially guddi with those toys which you have bought along with you.
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Didi new Update kb tak ...
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