02-12-2020, 08:02 PM
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Adultery हर ख्वाहिश पूरी की
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13-12-2020, 06:59 AM
23-12-2020, 06:08 PM
09-01-2021, 06:17 PM
31-03-2021, 03:01 PM
waiting.......
04-04-2021, 08:06 AM
अपडेट प्लीज़
12-11-2021, 06:18 AM
please update
19-11-2021, 07:13 PM
51>
बाथरूम में जाकर अपने लौडे को साफ किया जिसपर अभी तक आशा दीदी की चूत का खून मिश्रित चूतरस लगा हुआ था… मेने अपना अंडरवेर उतार कर बाथरूम में ही डाल दिया, और एक खाली शॉर्ट पहन लिया.., बाहर आकर आल्मिरा से टीशर्ट निकाली ही थी कि पीछे से मुझे किसी की नरम-नरम बाहों ने कस लिया… मेने उन हाथों को पकड़ कर अपनी कमर से हटाया, और बाजू पकड़ कर आगे को किया… देखा तो रामा दीदी खड़ी मुस्करा रही थी… उसने इस समय मात्र उपर एक पतली सी टीशर्ट और नीचे एक जीन्स का शॉर्ट पहना हुआ था… सामने आकर उसने मेरे गले में अपनी बाहें डालकर मेरे होठों पर अपने होठ चिपका दिए.. उसके गोल-गोल चुचियाँ मेरे सीने से दब गयी… मेने उसके कंधों को पकड़ कर अपने से अलग किया.. और पुछा – दीदी ! भाभी कहाँ हैं ? वो छोटी चाची के यहाँ उनकी तबीयत जानने गयी हैं..उसने जबाब दिया. मे – इसलिए तुम मौके का फ़ायदा उठाना चाहती हो क्यों..? वो – हहेहहे… हां तो उसमें क्या..? कभी-2 थोड़ा बहुत मज़ा तो कर सकते हैं ना ! प्लीज़ भाई जल्दी से कर्दे ना भाभी के आने से पहले.. मे – क्या कर दूं..? वो –ओफ़्फूओ.. तू भी ना..! जान बूझकर हमेशा तंग करता है मुझे… चल अब बातें मत बना और जल्दी से मेरी खुजली मिटा दे यार !.. आज बहुत मन कर रहा है.. प्लीज़…! इतना कहकर वो फिरसे मेरे उपर चढ़ने लगी… मेने उसके अमरूदो को जोरे से मसल दिया… सीईईई… धीरी… आराम से कर ना यार !..ये कहीं भागे जा रहे हैं..? मे मुश्किल से आधे घंटे पहले ही एक सील तोड़कर आया था, मेरा लंड अभी भी थोड़ा पहली वाली नयी चूत की गर्मी से आकड़ा हुआ था.. और यहाँ एक और कमसिन चूत सामने थी.., जिसकी खुश्बू सूंघ कर वो फिरसे अपनी औकात में आ गया… मेने झट-पट उसके पीछे जाकर उसका टॉप उपर करके निकाल दिया, बिना ब्रा के उसके बूब्स किसी स्प्रिंग लगे खिलौने की तरह हिल-हिल कर बाहर आगये… टॉप एक तरफ को उच्छल कर उसके चुचे चूसने लगा… वो भी उतावली होकेर गान्ड उचका-उचका कर चुसवाने लगी… कुच्छ देर उसकी चुचियों को चूसने के बाद मेने उसको पूरी तरह नंगा कर दिया और अपने लंड की तरफ इशारा करके कहा…. दीदी ! लगे हाथ अब ज़रा तुम भी इसकी सेवा करदो… वो मेरे डंडे जैसे खड़े लंड के आगे बैठ गयी, और उसे गडप से अपने मूह में भर कर लॉलीपोप की तरह चूसने लगी… कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मेने उसे अपने पलंग पर धकेल दिया और चढ़ गया उसके उपर… पहले धक्के में ही उसकी अह्ह्ह्ह… निकल गयी.. फिर धीरे-2 आराम से मेने पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया, और हल्के – 2 धक्के मारने लगा. हम दोनो ही अब लय में आते जा रहे थे,… मे कुच्छ देर पहले ही एक चूत चोद कर आया था, सो मेरा माल निकलने में समय लगने वाला था… करीब आधे घंटे भी ज़्यादा देर तक, मे उसको अलग-2 तरीकों से चोदता रहा… इतनी देर में वो 2-3 बार अपना पानी छोड़ चुकी थी… आख़िर मेने भी अपना गाढ़ा-गाढ़ा दही उसकी चुचियों और मूह पर उडेल दिया… वो उसको प्यार से अपनी उंगली पर लेकर चाटने लगी, और वाकई को अपने अमरुदों पर माल लिया… ! फिर उठकर बाथरूम में जाकर अपने शरीर को सॉफ किया और कपड़े पहन कर मेरे लिए चाय बनाने चली गयी…
20-11-2021, 11:38 AM
Nice..keep it up.
22-11-2021, 10:18 AM
22-11-2021, 10:29 AM
52>
दो-दो चुतो का स्वाद लेने के बाद लंड महोदय तो बड़े खुश थे, लेकिन मुझे कुच्छ थकान सी होने लगी, सो चाय पीकर मे सो गया… और सीधा शाम को 5 बजे ही उठा… उठकर आँगन में पहुँचा तो वहाँ भाभी रूचि के साथ खेल रही थी, दीदी भी उनके साथ शामिल थी.. रूचि अब चलने और बोलने लगी थी… वो कभी-2 ऐसी बातें करती कि हम सब हँसते-हँसते लॉट पॉट हो जाते… मुझे देखते ही रूचि चिल्लाई – चाचू आ गये.. मे तो चाचू के साथ ही खेलूँगी.. और अपने छ्होटे-2 पैरों पर भागती हुई मेरी तरफ आई, मेने उसे उठाकर अपने सीने से लगा लिया… उसके गाल पर एक पप्पी करके बोला – अले मेला प्याला बच्चा… चाचू के साथ खेलेगा…? रूचि – हां चाचू..! मम्मी और बुआ तो मुझे चिढ़ाती हैं.. अब इन दोनो के पास कभी नही जाउन्गा… भाभी बोली – अच्छा चाचा की चमची.. हमारी शिकायत करती है… ठहर, अभी तुझे बताती हूँ.. भाभी जैसे ही उसकी तरफ थप्पड़ दिखा कर आई, मे उसे लेकर घूम गया, और वो उन्हें अंगूठा दिखा कर चिढ़ाने लगी… ऐसे ही बच्ची के साथ थोड़ा खेलने के बाद भाभी मेरे से बोली - क्या बात है लल्लाजी… आज तो बहुत सोए…! दीदी की तरफ देखते हुए बोली - कुच्छ महंत वाला काम किया था क्या..? दीदी ने शर्म से अपनी गर्दन नीची कर ली.. मेने कहा नही भाभी बस ऐसे ही कॉलेज में थोड़ा इधर-से उधर ज़्यादा भाग दौड़ रही सो थोड़ी थकान सी हो गयी थी… लगता है.. कसरत में ढील दे दी है तुमने, आलसी होते जा रहे हो.... अब कुच्छ टाइट रखना पड़ेगा… और कहकर वो हँसने लगी… दीदी ने हम सबके लिए चाय बनाई, चाय पीकर मे रूचि के साथ खेलता हुआ खेतों की तरफ निकल गया…! रात को सोने से पहले भाभी ने मुझे इशारा कर दिया, तो दीदी के सोने को जाने के बाद मे उनके कमरे में चला गया… वो एक लाल रंग का वन पीस गाउन पहने लेटी हुई थी, मुझे देख कर वो पलंग के सिरहाने के साथ टेक लगा कर कुच्छ इस तरह बैठ गयी.. और बोली – आओ लल्लाजी.. तुमसे कुच्छ बातें करनी थी… मेने अंदर से गेट लॉक किया, और उनके बगल में टेक लेकर बैठ गया..! भाभी मेरे हाथ को अपने हाथों के बीच लेकर बोली – लल्ला जी, मुझे पता है आज तुमने और रामा ने फिरसे मस्ती की, है ना ! मे – हां भाभी सॉरी ! वो दीदी ने मुझे जबर्जस्ती पकड़ लिया… मे क्या करता.. वो – अरे कोई बात नही… मे कोई तुमसे नाराज़ थोड़ी ना हूँ, बस ये देखना चाह रही थी कि तुम मुझसे क्या-क्या छुपाते हो…! वैसे यही बात छुपाई है या और कुच्छ भी है… मे – वो मे..वो.. भाभी… आशा दीदी ने भी मुझे कॉलेज से आते वक़्त अपने घर रोक लिया… और उन्होने… भी…….. वो – क्या ? आशा को भी ठोक दिया तुमने..हहहे…. एक नंबर के चोदुपीर होते जा रहे हो लल्ला… लगाम कसनी पड़ेगी.. तुम्हारी…..हहहे… वैसे वो कुँवारी थी या… फिर.. मे – एक तरह से कुँवारी ही थी, इसके पहले उसके मामा के लड़के ने आधा करके छोड़ दिया था… भाभी हँसते हुए बोली – क्यों ? आधे में क्यों छोड़ दिया था उसने…? मे – वो कह रही थी.. मुझे जैसे ही दर्द हुआ, और मे चीख पड़ी.. तो वो डर गया और वहाँ से भाग लिया… हाहहाहा… . भाभी ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी, मे भी उनका साथ देने लगा.. फिर हँसते हुए बोली – साला एकदम गान्डू किस्म का लड़का निकला वो तो… खैर अब अपनी बहनों की ही चिंता करते रहोगे या इस भाभी की भी फिकर है कुच्छ.. मे – अरे भाभी.. आपके लिए तो आधी रात को भी हाज़िर है आपका ये आग्यकारी देवर … वो तो मे आपके कहे वगैर कैसे कुच्छ कर सकता हूँ… वो – तो अभी क्या इरादा है.. लिखित में चाहिए….? भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया.. और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा.
22-11-2021, 10:42 AM
22-11-2021, 10:44 AM
22-11-2021, 10:47 AM
22-11-2021, 10:48 AM
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भाभी का इतना कहना ही था कि मेने भाभी की नंगी जाँघ जो गाउन के उपर सिमटने से हो गयी थी, को सहलाया.. और एक हाथ से उनकी चुचि को उमेठते हुए उनके लाल रसीले होठों पर टूट पड़ा. भाभी मेरी सबसे पहली पसंद थी, उसे भला कैसे छोड़ सकता था.. भैया का लंड शायद भाभी को अंदर तक तृप्त नही कर पाता था, इस वजह से वो मेरे साथ सेक्स करने में पूरी तरह खुल जाती थी…, अहह…..लल्लाअ…मेरे दूधों को चूसो….. बहुत खुजली होती है इनमें……इस्शह….खा जाऊओ…..… मेने जासे ही उनके कड़क हो चुके निप्पल्स को काटा…..भाभी कराह उठीी… ज़ोर्से…नही मेरे रजाअ…..उफ़फ्फ़….माँ…..मस्लो इन्हें… भाभी दिनो दिन गदराती जा रही थी, उनके चुचे अब 34+ और गान्ड भी 36 की हो चुकी थी, जो मेरी बहुत बड़ी कमज़ोरी रही है शुरू से ही… एक गहरी स्मूच के बाद मेने उनका गाउन निकाल फेंका, उन्होने भी मेरे कपड़े नोंच डाले, और एक दूसरे में समाते चले गये… भाभी को सबसे ज़्यादा मज़ा मेरे लंड की सवारी करने में ही आता था,.. सो उन्होने अपना हाथ मेरे सीने पर रख कर मुझे पलंग पर धकेल दिया…और वो मेरे उपर सवार होकर अपनी चुचियों के कंट्रोल बटन्स (निपल्स) को मेरे सीने से रगड़ती हुई… फुल मस्ती से अपनी चूत को मेरे कड़क लंड पर रगड़ने लगी… उनकी चूत से निकलने वाले रस से मेरी जांघें और पेट तक गीला होने लगा, फिर जब भाभी की मस्ती चरम पर पहुँची, तो उन्होने अपना हाथ घुसा कर मेरे मूसल जैसे लंड को पकड़ कर अपनी सुरंग का रास्ता दिखा दिया…. और खुद पीछे को सरकती चली गयी…. जैसे – 2 लंड चूत की दीवारों को घिसता हुआ अंदर को बढ़ता गया, भाभी के मूह से सिसकारी निकलती चली गयी… पूरा लंड सुरंग के अंदर फुँचते ही भाभी लंबी साँस छोड़ते हुए बोली… अहह…..लल्ला…..सच में ये तुम्हारा हथियार दिनो दिन बड़ा ही होता जा रहा है….. उफफफ्फ़…. कहाँ तक मार करता है… फिर धीरे – 2 धक्के लगाते हुए बुदबुदाने लगी – हाए मैयाअ… तभी तो रूचि के पापा के साथ मज़ा ही नही आता है मुझे…. ना जाने क्यों जितना सुकून और संतुष्टि सेक्स करने में मुझे भाभी के साथ होती थी, वो किसी और के साथ में नही होती थी… मे और भाभी रात के तीसरे पहर तक एक दूसरे के साथ कुस्ति करते, एक दूसरे को मात देने की कोशिश में लगे रहे….. आख़िरकार दोनो ही जीत कर हारते हुए.... थक कर चूर, कोई 3 बजे सोए…..! सुबह नाश्ता करते हुए बाबूजी ने मुझे पुछा – छोटू बेटा ! तुझे मोबाइल चलाना आता है..? मे – हां बाबूजी, उसमें क्या है… मेरे कयि दोस्तों के पास है.. (हालाँकि मोबाइल का चलन अभी कुच्छ समय पहले ही शुरू हुआ था.) बाबूजी – तो एक काम कर राम को फोन करके बोल देना, एक मोबाइल लेता आए इस बार.. ये ज़रूरी चीज़ें होती जा रही हैं जिंदगी में… मे – हां बाबूजी ! आप सही कह रहे हैं.. वैसे मे आपको बोलने ही वाला था इस बारे में, फोन होना ज़रूरी है… बाबूजी – देखा बहू… हम बाप बेटे के विचार कितने मिलते हैं.. भाभी ने हँसकर कहा – हां बाबूजी… आख़िर खून तो एक ही है ना.. ! हम सभी चकित थे, आज बाबूजी के व्यवहार को देख कर.. कुच्छ दिनो से उनमें काफ़ी बदलाव आया था.. लेकिन आज वो कुच्छ ज़्यादा ही खुश लग रहे थे.. कारण मेरी समझ में कुच्छ -2 आता जा रहा था, उनके खुश रहने का राज, मेने जैसा सोचा था, वैसा होता दिख रहा था…. बाबूजी की खुशी हम सबके लिए ज़रूरी थी.. खैर मे कॉलेज चला गया और लौटते में एसटीडी से मेने भैया को फोन करके बाबूजी की बात बताई.. उन्होने भी हां करदी… सॅटर्डे को भैया आए और सिम के साथ मोबाइल भी ले आए, जो बाबूजी के नाम से आक्टीवेट था.. चूँकि दोनो भाइयों के पास पहले से ही फोन की सुविधा थी उनके ऑफीस और घर दोनो जगहों पर, तो अब दूरियाँ कम होने लगी थी… हमारे इलाक़े के लोकल एमएलए रस बिहारी शर्मा, एक दिन अपने क्षेत्र के दौरे पर आए,
23-11-2021, 05:41 PM
image upload site फिर से महसूस हुयी तुम्हारी कमी शिद्दत से.... आज फिर दिल को मनाने मे बडी़ देर लगी.....
24-11-2021, 11:04 AM
Nice..plz continue
24-11-2021, 10:50 PM
25-11-2021, 05:51 PM
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