Poll: इस कहानी में आप को क्या अच्छा लगा?
You do not have permission to vote in this poll.
प्लाट
57.14%
4 57.14%
परिकल्पना
42.86%
3 42.86%
Total 7 vote(s) 100%
* You voted for this item. [Show Results]

Thread Rating:
  • 5 Vote(s) - 1.8 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Fantasy माया- एक अनोखी कहानी
#61
Update kab aayega ?
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#62
(26-01-2019, 12:17 PM)Johnyfun Wrote: Update kab aayega ?

माफ़ कीजिएगा... लो जी अपडेट दे दिया...  Heart Heart Heart Heart
Like Reply
#63
अध्याय
 
क्या देख रही है लड़की? मेरी कटी हुई जीभ?”

मैंने फटी फटी आंखों से उनकी तरफ देखते हुए स्वीकृति में अपना सर हिलाया|

हा हा हा हा| कोई बात नहीं मैंने जादू टोना और तंत्र विद्या सीखने के लिए बहुत ही कम उम्र में ने अपनी जीभ इस तरह से कटवा कर अपना खून चढ़ाई थी- उन अंधेरे में रहनेवाली आत्माओं कोउन जादू टोने वाली रूहानी ताकतों कोजिनसे मुझे ऐसी जादुई ताकतें मिल सके... लेकिन यह फिर एक दूसरी लंबी कहानी हैइसके साथ-साथ जैसे जैसे मैं बड़ी होती हुई मुझे लगा कि मर्दों की तुलना में मुझे लड़कियां ज्यादा पसंद है इसलिए मैंने एक सिद्धि और प्राप्त की…”

कौन सी?” मैंने पूछा

माँठाकुराइन ने कहा, “एक ऐसी शक्ति जिससे मैं अपना भगांकुर बड़ा कर सकती हूं... मेरा भगांकुर बड़ा होकर लंबा होकर बिल्कुल एक आदमी की लिंग की तरह बन जाता हैऔर अब तू नादान तो नहीं रहीबड़ी हो गई है... सबकुछ जान चुकी हैमैं अपने इस अंग को किसी भी औरत के भग में डाल के उसके साथ बिल्कुल मर्दों की तरह सहवास कर सकती हूं और वही आज तेरे साथ मैं वही करूंगी... मुझे तंत्र मंत्र जादू टोने के लिए कभी कभार ऊर्जा की जरूरत पड़ती है... जिसे मैं तुझ जैसी लड़कियों के साथ सहवास करके प्राप्त करती हूं... वैसे तो मैं कई लड़कियों को अपने साथ बहला-फुसला करके या फिर सम्मोहित करके अपने घर ले आती थी और  मेरा काम हो जाने के बाद, उन्हें दूर कहीं छोड़ आती थी और यह जरूर ठीक कर लेती थी कि बाद में उन्हें कुछ भी याद न रहे... आज तू मेरी है... आज मैं जो भी चाहती हूं, उसे वसूल करूँगी... तू  तो जवान है... सुंदर है और सबसे बड़ी बात कुंवारी है... बड़े दिनों बाद मुझे तुझ जैसी लड़की मिली है... मैं जी भर के तुझे प्यार करूंगी... भोगुंगी तुझेलेकिन तुझे सब कुछ याद रहेगा क्योंकि मैं यह जान गई हूं तुझे भी इसमें बड़ा मजा आने वाला है, क्योंकि दूसरी लड़कियों से थोड़ी अलग है... तेरे मन का झुकाव औरतों के तरफ भी है, तू उनकी खूबसूरती की तारीफ करती हैउनका साथ तुझे अच्छा लगता हैअगर कोई खूबसूरत है तू उसकी खूबसूरती की कद्र करती हैमैं जानती हूं तू और लड़कियों से बिल्कुल अलग है... शायद तुझे नहीं पता लेकिन तू इस बात को मान ले कि तू भी मेरी तरह समकामी हैमेरे साथ बड़ा मज़ा आएगा तुझेमैं तुझे एक औरत का और एक मर्द का दुगना मजा दूंगी…”

लेकिन...”, मेरे दिमाग में एक वाजिब सा सवाल था... उसे माँठाकुराइन भांप गई...

चिंता मत कर... तेरे पेट में बच्चा नही आएगा...माँठाकुराइन ने कहा, “इसके लिए तुझे एक मर्द की ही ज़रूरत पड़ेगी....  बाकी मैं भी एक औरत ही हूँ बस उम्र की वजह से मेरा मासिक रुक गया है.... हा हा हा मैने तो सिर्फ़ अपने भगांकुर अंग का विकास किया है.... देखेगी?”

यह कहकर उन्होंने अपने दो टांगों के बीच से वह कपड़ा हटा दिया और जो मैंने देखा उसे देखकर मैं दंग रह गई... मैंने देखा उनकी योनि बिल्कुल बाकी औरतों की तरह ही है... लेकिन उसके अंदर से एक लंबी सी, मोटी सी गुलाबी रंग की नली की तरह कुछ निकल आया है

यही था उनका विकसित भागंकुर जिसे वह एक लिंग की तरह इस्तेमाल कर सकती थी

कहां तो मैं यौनाग्नि में तड़प रही थी... कहाँ तो मैं सोच रही थी यहां इस वक्त अगर कोई मर्द होता तो कितना अच्छा होता... लेकिन जो मैंने देखा जो समझा  उसकी मैंने उम्मीद भी नहीं की थी... बड़े ताज्जुब की बात थी, लेकिन अंदर ही अंदर मुझे ना जाने क्यों इस बात की खुशी थी कि चलो, अब इतनी देर बाद मेरे अंदर जलती हुई आग को कोई बुझा सकेगी

माँठाकुराइन ने कहा, “घबरा मत तू इसे हाथ में लेकर देख सकती है…”

मैंने उत्सुकतावश उनके उस अंग अपने हाथ में लिया| वह गीला गीला सा था... चिपचिपा सालिजलिजा सा था... उस पर शरीर के  अंदर के  रस लगे हुए थे... मुझे यह समझते देर न लगी कि कुछ ही देर में माँठाकुराइन अपना यह अंग मेरे भग में घुसा देंगी- वैसे ही जैसे एक आदमी एक औरत योनांग में अपना लिंग घुसा देता है-  खैर मन ही मन मैं भी तो यही चाहती थी कि आज कोई ना कोई मेरे साथ सहवास करे...  मेरे अंदर की प्यास को बुझा सके आखिर मैं बड़ी हो चुकी हूँ... मेरी जवानी का फल पक चुका है...

मैं एक अजीब सी प्यासी निगाहों से माँठाकुराइन की ओर देख रही थीमाँठाकुराइन मुझे देख कर मुस्कुरईउन्हें शायद पता चल गया था कि अब देर नहीं करनी चाहिए…. उन्होंने मुझे पकड़कर धीरे-धीरे लिटा दिया फिर बड़े प्यार से मेरे चेहरे को सहलाने लगी और मेरे होठों को चूमने लगी

वह तो खुद अध-लेटी अवस्था में बैठी हुई थी लेकिन मैं बिल्कुल खुली की खुली- नंगी उनके बगल में लेटी हुई थी
वह मुझे चूमती गई है चाटती गई है... मेरे पूरे बदन पर हाथ फिरती रही... मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद वह मेरे बदन में कुछ ढूंढ रही थी... और ना जाने क्यों मुझे ऐसा भी लग रहा था कि शायद उसे वह मिल गया था... लेकिन नहीं... वह रुकी नहीं वह मारे बदन पर हाथ फेरती गईमानो जो उसे खजाना मिल गया था... उसे वह परख कर देखना चाहती थी

कितनी अच्छी है तू... कितनी प्यारी है तू... उम्र के हिसाब से तेरे बदन का विकास भी अच्छी तरह से हुआ है.... क्या लंबे बाल है तेरे घने- मुलायम और रेशमी... क्या बड़े-बड़े कसे कसे तने तने से दुद्दु (स्तन) है तेरे...  तेरे बदन से और तेरे बालों से एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली खुशबू आती है... तेरे कूल्हे भी सुडौल और मांसल है...माँठाकुराइन बोलती गई, “जब मैंने पहली बार तुझे गुसलखाने में नहाते हुए देखा था, तो तेरी पीठ मेरी तरफ थीलेकिन तब से ही मैं तुझे सामने से  नंगी देखने के लिए तड़प रही थीअच्छा हुआ आज तो मेरे साथ लेटी हुई है....  कुछ ही देर में मैं तुझ जैसी एक खिलती कली को एक अच्छा सा फूल बना दूंगी मेरे ऊपर भरोसा रखमैं तेरी जिंदगी को एक नया मोड़ देने वाली हूंपर हां; काश मैं तुझे पाल पाती”, यह कहकर उन्होंने अपनी कटी हुई थी उससे मेरे होठों को और मेरे गालों को कई बार चाटा मानो शायद वह मेरे बदन का स्वाद लेना चाहती थी

मेरे अंदर कामना की आग बढ़ती जा रही थी... मेरी सांसे गहरी और लंबी हो रही थी और अब तो आवेग से मैं थोड़ा थोड़ा काँपने भी लगी थी... लेकिन माँठाकुराइन कहां रुकने वाली थी? उन्होंने मुझे प्यार करना जारी रखा....  मेरे पूरे बदन पर हाथ फेरती गई... और उसके बाद मेरे स्तनों को सहलाते हुए एक स्तन की चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी... और ऐसा करते हुए उनका एक हाथ मेरे दो टांगों के बीच में चला गया, वह मेरे भग को सहला सहला कर देख रही थी... मेरा भग गीला हो चुका था... रस छोड़ रही थी मैं... उन्हें पता चल गया कि अब मैं संभोग के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी हूं... अब देर नहीं करनी चाहिए

मेरे से भी  अब रहा नहीं जा रहा था मैं छटपटाने लगी थी... मैं चाहती थी कि माँठाकुराइन ऐसा कुछ करें जिससे मुझे थोड़ी शांति मिले...

मैंने अपनी कांपती हुई आवाज में आखिर बोल ही दिया, “माँठाकुराइन, कुछ कीजिए ना... मेरे बदन में आग सी जल रही है...

मैं जानती हूँ लड़की... यह आग मैंने ही जानबूझकर लगाई है...

मुझे ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ा वह धीरे-धीरे उठ कर बैठ गई और उन्होंने मेरी टांगों को पकड़कर काफ़ी फैला दिया... मेरी दोनो टाँगों के बीच अब इतना फासला था कि वह उनके बीच मे आ सके... उन्होने वैसा ही किया

जादू टोने तंत्र मंत्र से तब्दील किया हुआ उनका भगांकुर अब - खड़ा और सक्त चुका थाबिल्कुल एक कृत्रिम लिंग जैसा

उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरे यौनंग के अधरों को हल्के से थोड़ा खोला और उसके बाद उन्होंने अपने कृत्रिम लिंग जैसे रुपांतरित भागंकुर को मेरी योनि से छुयायाबाहर बहुत तेज़ बिजली चमकी और कहीं से बहुत ज़ोरों से बादल गरजने की आवाज आई... लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि वह बिजली जमीन पर ना गिर कर शायद मेरे ऊपर गिरी हो... मैं फिर से काँप उठी और न जाने क्यों मैंने अपनी कमर ऊपर उठा दी

बस सर फिर क्या था माँठाकुराइन ने अपना रूपांतरित भगांकुर मेरे यौनंग के अंदर घुसा दिया

इससे पहले कभी भी मेरे नारीत्व का उल्लंघन नहीं हुआ था, आज पहली बार था कि किसी दूसरे व्यक्ति का कठोर अंग मेरे कोमल अंग के अंदर घुसा हुआ होइसलिए मैं दर्द से कराह उठीमेरी कौमार्य की झिल्ली फट गई
माँठाकुराइन ने अपना अंग मेरे अंदर कुछ देर तक ऐसे ही रख छोड़ कर मेरे ऊपर लेटी रहीं... मैं उनके नीचे उनका वज़न से दबी हुई थी और एक कटी हुई मुर्गी की तरह छटपटा रही थी....   कुछ देर तक उन्होंने मुझे ऐसे ही अपने नीचे दबा के रखा और उसके बाद उन्होंने अपना भगांकुर निकाल लिया फिर एक लंबी सी सांस ली और दोबारा उन्होंने अपना अंग मेरे यौनांग में घुसा दिया

कितनी ताज़ी और कसी कसी-कासी सी है तू, वाह मजा आ गया…” माँठाकुराइन ने कहा और वह दुबारा मेरे उपर लेट गईमेरे यौनांग में उनका अंग घुसा हुआ था और उनकी वज़न से मेरा शरीर दब रहा था... लेकिन यह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था... इससे पहले मुझे ऐसा एहसास कभी नहीं हुआ था... यह बिल्कुल नया नया लग रहा था|

माँठाकुराइन करीब दो मिनट तक मेरे ऊपर चुपचाप ऐसे ही लेटी रही| फिर उन्होंने मेरे से कहा, “चल लड़की अपना जीभ तो निकाल…”

मैंने वैसा ही किया| उन्होंने मेरी जीभ को अपने मुंह के अंदर ले कर चूसने लगी और फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कमर को ऊपर नीचे ऊपर नीचे हिलने लगी और शुरू कर दी अपनी मैथुन लीलामैने उनको कस कर जकड लिया

सच कहूं तो इससे पहले मैंने किसी के साथ यौन संबंध नहीं बनाया था, हलाकि ऐसे ख्याल मेरे दिल में आते रहते थे, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक औरत जिसने अपना भागंकुर एक लिंग की तरह  तब्दील किया हो; वह मेरी जवानी का लुफ्त उठाएगी... और मुझे भी एक अंजाने एहसास से भर देगी... पर इससे पहले मैं एक कुंवारी लड़की थी इसलिए माँठाकुराइन के लगाए हुए धक्के और उनका तब्दील किया हुआ भगांकुर जो कि फिलहाल मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... उससे मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी लेकिन एक अनजानी संतुष्टि मिल रही थी....  इसलिए मैं कसमसाती रही- छटपटाती रही और माँठाकुराइन मेरे साथ मैथुन करती रही...

थोड़ी देर तक ऐसा चलने के बाद मानो मुझे ऐसा लगने लगा कि अब सबकुछ ठीक हो गया है....  मुझे अब इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी लेकिन माँठाकुराइन ने अपने मैथुन की गति बढ़ा दीकुछ देर के लिए तो मुझे थोड़ा सुकून का एहसास हुआ लेकिन उसके बाद मुझे लगने लगा कि मेरा दम घुटने लगा है... ऐसा प्रतीत होने लगा कि मेरा पूरा शरीर उत्तेजना में शायद फट जाएगा ... पर माँठाकुराइन नहीं रुकी, उसका रूपांतरित भागंगकुर तेजी से मेरी योनि के अंदर अपनी क्रिया करता रहा... मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर ही थी को वह शायद अपने पूरे चाव से उसे चूसे जा रही थी

और फिर अचानक मुझे लगा कि मेरी पूरी दुनिया में एक विस्फोट सा हुआ मेरा बदन दो तीन बार सिहर उठा और उसके बाद न जाने में एक अनजानी सुख सागर में डूब सी गईलेकिन मैंने महसूस किया कि मेरा यौनंग जिसने माँठाकुराइन के भगांकुर को निगल रखा था उसमें एक अजीब तरह का स्पंदन और संकुचन सा हो रहा है मानो मेरा यौनंग माँठाकुराइन के उस अंग को काटने की कोशिश कर रहा हो

माँठाकुराइन ने और थोड़ी देर मेरे साथ मैथुन किया और उसके बाद वह भी ढीली पड़ गई और उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह से अलग कर लिया और थोड़ा सुसताने लगी फिर धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि उनका भगांकुर अब शिथिल पड़ने लग गया है

उन्होंने अपना बदन मेरे बदन से अलग कर लिया और मेरे बगल में लेट गई फिर मेरे बालों को पकड़ कर के मेरा सिर अपने स्तनों के पास ले गई...  मुझे उनका इशारा समझ में आ गया मैं उनकी एक स्तन की चूची अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और दूसरे स्तन की चुचि से खेलने लगी... माँठाकुराइन मेरे दो टांगों के बीच के हिस्से को बड़े प्यार से सहलाने  लगीमुझे बहुत अच्छा लग रहा था

क्रमश: 
[+] 1 user Likes naag.champa's post
Like Reply
#64
Waah ye to anutha sa sex Raha, maa thakurayin ne tonapne clitoris se hi ladki chod di aur usse poora maza bhi diya

Ab kya mosi bhi maze karegi ? Seal to toot hi chuki hsi
Like Reply
#65
(26-01-2019, 11:06 PM)Johnyfun Wrote: Waah ye to anutha sa sex Raha, maa thakurayin ne tonapne clitoris se hi ladki chod di aur usse poora maza bhi diya

Ab kya mosi bhi maze karegi ? Seal to toot hi chuki hsi

यह अगले अपडेट में बताउंगी  Heart
Like Reply
#66
Adbhut,
Like Reply
#67
(27-01-2019, 02:51 AM)naag.champa Wrote: यह अगले अपडेट में बताउंगी  Heart

Thik hai intezar rahega
Like Reply
#68
nice and interesting update
Like Reply
#69
अध्याय १०

उस रात माँठाकुराइन ने मेरे साथ कुल चार- पांच बार सहवास किया, पूरे जोश और ओज के साथ... दूसरी और तीसरी बार से मुझे इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी कि पहली बार हुई थी... बल्कि मुझे तो मजा आने लगा था| उसके बाद पता नहीं कब मैं सो गई थी| जब उठी तो मैंने देखा कि दिन चढ़ आया है|

मैं उठ कर बैठी और मैंने देखा की चटाई पर जगह-जगह मेरे खून के धब्बे बने हुए थे, माँठाकुराइन ने जब अपना भागंकुर मेरे भग में घुसाया था, तब मेरी कौमर्य झिल्ली फट गई थी और यह खून के धब्बे उसी का नतीजा था मैं थोड़ा मुस्कुराई और मैंने सोचा अब मैं खिलती हुई कली से अब एक फूल बन चुकी हूं... मैं अपनी ज़िंदगी की एक सीढ़ी और चढ़ चुकी हूँ

लेकिन कल रात जो मेरे साथ हुआ, उसकी वजह से मेरे बदन में हल्का हल्का दर्द सा महसूस हो रहा था| खासकर दो टांगों के बीच में... मेरे गुप्तांग में... कि इतने में पता नहीं कब माँठाकुराइन की भी नींद खुल गई थी|

मैं आगे की तरफ झुकी हुई थी| मेरे खुले बालों से मेरे चेहरे का एक तरफ ढक सा गया था| मैं मन ही मन मुस्कुराती हुई अपने कोमल अंग को सहला रही थी...

उन्होंने मेरे चेहरे से मेरे बाल हटाए और मेरे गालों को चूमा| मैं जैसे ही उनकी तरफ देखी, उन्होंने प्यार से मेरा चेहरा अपनी दोनों हथेलियों में लेकर मेरे होठों को चूमा और फिर अपनी जीभ से चाटा...

बीती रात की गर्मी मेरे अंदर शायद अभी भी बची हुई थी| इसलिए मैंने अपना मुंह खोल कर उनकी जीभ को अपने मुंह के अंदर के ले कर और चूसने लगी

कुछ देर बाद उन्होंने मेरे से कहा, “तेरी जवानी का स्वाद तो मैंने चख लिया लड़कीबहुत अच्छा लगा मुझे... फिलहाल मैं जो तुझे बताने जा रही हूं; उसे ध्यान से सुन! आज के बाद तुझे अपनी छाया मौसी के साथ ही पूरी जिंदगी बितानी है... जैसे एक पत्नी अपने पति के घर रहती है वैसे ही तू, अपनी मौसी के साथ ही रहेगी… उसकी रखैल बन कर…. और हां तुझे वह सब कुछ करना है अपनी छाया मौसी के साथ जो तूने मेरे साथ कल रात को किया…”

“पत्नी? रखैल?... अगर ऐसी बात है तो आप मुझे अपनी रखैल बना कर अपने साथ क्यों नहीं ले जातीं?” मैं बीच में ही बोल पड़ी, “मैं आपके लिए वह सब करने को तैयार हूँ जो आप मुझे छाया मौसी के लिए करने को बोल रही हैं... और फिर आप कह रही हैं कि मैं उनकी रखैल बन कर रहूं? वह सब करू जो कल रात मैंने आप के साथ किया? लेकिन जो यौन सुख आप मुझे दे सकती हैं, वह छाया मौसी कहाँ मुझे दे पाएंगी?

मेरा इस तरह से बीच में बोल पड़ना और थोड़ा ऊंची आवाज में बात करना शायद मठाकुराइन को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा था, यह मैं उनकी आंखों में अचानक आए गुस्से को देख कर ही भांप गई थीलेकिन पल भर में ही उन्होंने अपना गुस्सा शांत कर लिया क्योंकि शायद उन्हें पता था अभी मैं नादान हूं... इस मामले में मैं बिलकुल कच्ची हूं| फिर वह बोलीं, “तू बस इतना याद रख कर छोरी अभी तुम नई-नई रखैल बनने जा रही है, अभी तुझे बहुत कुछ जानना, सीखना और समझना बाकी है... तू बस इतना याद रख, अब से तेरी जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद है, सिर्फ और सिर्फ अपनी छाया मौसी को खुश रखना और उनकी देखभाल करना… साथ में जैसा जैसा मैं कहूं बिल्कुल वैसा वैसा ही करना... और हां इस बात का इत्मीनान रख... मैं तुझे भी खुश देखना चाहती हूं| मैंने अपनी तांत्रिक शक्तियों से ऐसा इंतजाम कर दिया है कि एक महीने के अंदर अंदर तेरी छाया मालकिन का भागांगकुर भी एक पुरुष के लिंग की तरह विकसित हो जायेगा- जैसा कि मेरा हो चूका है-  वह भी मेरी तरह तेरे भग में अपना रूपांतरित भागांगकुर डालकर मैथुन कर पाएगी… इसलिए याद रखना, लड़की तू तेरी मालकिन की रखैल है... इसलिए अपनी मालकिन को यौनरूप से संतुष्ट करना भी तेरा कर्त्तव्य है, तेरे बदन में जो जवानी की भूख है वह ऐसे ही नहीं मरेगी... मैंने कहा ना मुझ पर भरोसा रख; मैं तेरी जिंदगी बदल दूंगी...”

जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था की माँठाकुराइन मेरे से यह कहना चाह रही हैं कि आज के बाद मुझे और विनम्र हीन और आज्ञाकारी बनकर रहना होगा| मुझे अपनी सारी शर्मो-हया को त्यागना होगा और इस लिहाज़ से मुझे अब ज़्यादातर समय नंगी ही रहना होगा...

फिर भी मैंने हिम्मत करके इसी तरह से अपनी नजरें माठकुराइन से मिलाई और बोली, “लेकिन इन सबके लिए क्या छाया मौसी राजी हो जाएँगी? क्या वह भी आपकी तरह मेरे साथ सहवास करेंगी?”

हां हां बिल्कुल तो इत्मीनान रख, मेरी छाया से इस बारे में बात हो चुकी है... वह तुझे अपनी रखैल बनाने को तैयार है, पर अच्छा एक बात और आज से छाया को मौसी नहीं मालकिन कहकर बुलाना... आज से मौसीवाला रिश्ता ख़तम... मैं एक छोटी सी रसम निभाऊंगी और तुम दोनों का समकामी जोड़ा बना दूंगीठीक वैसे ही जैसे शादी के बाद पति और पत्नी बनते हैं ठीक वैसे ही तुम मालकिन और रखेल बन जाओगी

हाँ, माँठाकुराइन ने जैसे मेरे उपर एक जादू सा कर दिया था... मैं पूरी की पूरी उनके वश में थी...

क्रमश: 
Like Reply
#70
११ 

माँठाकुराइन हमारे घर कुल तीन दिन तक रुकी| इन तीन दिनों में हर रात को उन्होंने मुझसे छाया मौसी की मालिश करवाई फिर उन्होंने खुद अपनी मालिश करवाई और उसके बाद उस दिन रात की तरह मुझे अपने साथ लेकर सोई और मेरे साथ लगातार उन्होंने सहवास भी किया... 


अब तो मुझे इसकी लत लग गई थी और माँठाकुराइन को यह समझ में गया था| उन्होंने कहा कि वह कुछ हफ़्तों बाद फिर हमारे घर आएँगीलेकिन इस बार वह छाया मौसी के जोड़ों का दर्द का इलाज करने नहींबल्कि उन्होंने मुझसे जो वादा किया था वो निभाने आएगीताकि छाया मौसी भी इस काबिल हो सके वह मेरे बदन की भूख को मिटा सके...

***

एक महीने के अंदर ही मैंने छाया मौसी के अंदर एक बदलाव सा देखा... छाया मौसी अब इस काबिल हो चुकी थी कि वह मुझे यौनरूप से खुश रख सकेमाँठाकुराइन ने अपना वादा पूरा कर दिया था... छाया मौसी का भागंकुर भी अब ज़रूरत पड़ने पर पुरुष के लिंग की तरह विकसित हो जाया करता था| वह भी अब उसे मेरे भग एक लिंग की तरह घुसा कर मैथुन कर सकती थीपर कभी कबार मैं सोचती हूँ….

माँठाकुराइन तो एक समकामी औरत थी और पेशे से जादू टोने वाली एक तांत्रिक| तांत्रिक लोगों के तौर-तरीके कुछ और ही होते हैं| वह समाज से लगभग अकेले अपनी ही दुनिया में अलग रहते हैं और माँठाकुराइन जैसी तांत्रिक महिला भी अकेली ही रहा करती थी|

शायद इसीलिए उस रात को उन्हें मेरे सहारे की... मेरी जवानी की जरूरत पड़ी थी?... जो उन्हें मिल गई... लेकिन छाया मौसी उनकी बातों आख़िर में क्यों गई?

एक आम लड़की की तरह शायद कुछ दिनों बाद मेरी भी शादी हो जाती| तब मुझे भी अपने ससुराल चले जाना पड़ता| क्या छाया मौसी चाहती थी कि मैं अभी कुछ और सालों तक उनके साथ ही रहूं, उनकी देखभाल करूँ और उनका अकेलापन दूर करती रहूं
 
जाते जाते माँठाकुराइन ने कहा था कि उनको मुझसे एक और चीज की भी जरूरत है... कहीं उन्होंने ऐसा ही कुछ छाया मौसी से भी तो नहीं कह रखा था? जाने वह मुझ गरीब से अब माँठाकुराइन क्या मांगने वाली थी?

मैंने छाया मौसी की तरफ एक बार देखा, उनकी सेहत में काफी सुधार आया था, वह रसोई घर में बैठकर सब्जियां काट रही थी और बीच-बीच में अपने गले में पहने हुए चाँदी के लॉकेट को सहला रही थींजहाँ तक मुझे पता है, यह लाकेट उन्होने बचपन से पह्न रखा था पर उनका का नाम लिखा हुआ था- छाया... पता नहीं शायद कभी ना कभी मुझे इन सवालों का जवाब जरुर मिलेगा

तभी तेज हवा सी चली और मेरा ध्यान जासे पहले की तरह भटकने लगा…. मुझे अचानक से ध्यान आयाअभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... उसके बाद मुझे छाया मौसी का हाथ भी बटाना है और फिर रात को उनकी सेवा भी करनी है... उनकी सेवा का ख्याल मन में आते ही मुझे महसूस होने लगा कि पेट के निचले हिस्से में थोड़ी गुदगुदी सी महसूस होने लगीमेरी यौनांग के आस-पास का हिस्सा गीला थोड़ा चिपचिपा सा लग रहा है… 

फिर से तेज़ हवा का एक झोंका आया और मुझे यह एहसास हुआ खड़े खड़े ना जाने मैं क्या सोच रही थी... अभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... मुझ रखैल को तो अभी अपनी छाया मौसी की सेवा करनी है... उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं देना है... उनको और माँठाकुराइन को हमेशा खुश रखना है|

मुझे सब कुछ त्यागना होगा... अपना सारा गर्व... अपना सारा सनमान... माँठाकुराइन के अनुसार जब तक मैं घर के अंदर हूं, मुझे उन लोगों के सामने बिल्कुल नंगी होकर रहना पड़ेगा और हां मुझे तो अपने बालों को भी बांधने की इजाजत नहीं है...
फिलहाल मैं एक जवान सुंदर लड़की हूं... मेरा भविष्य मेरे दो टांगों के बीच में ही है... मेरा तन मन धन सब कुछ छाया मौसी और माँठाकुराइन के अधीन है|

इतने में रसोई घर से आवाज आई, माया अरि ओ माया

आई, मालकिन”, यह कह कर मैं छाया मौसी का हाथ बटाने में रसोई में चली गई|
 
-x-x-x- समाप्त -x-x-x-
[+] 1 user Likes naag.champa's post
Like Reply
#71
Kahani bahut adbudh aur Nirali si rahi Lekin ant kuch accha nahi hua us nadaan ladki Ko rakhail banwa diya
Like Reply
#72
(30-01-2019, 01:08 PM)Johnyfun Wrote: Kahani bahut adbudh aur Nirali si rahi Lekin ant kuch accha nahi hua us nadaan ladki Ko rakhail banwa diya

माफ कीजीएगा, पर कहानी  ऎसा अंत ही तो इस कहानी का twist है।
Like Reply
#73
Superb exciting story but sudden abrupt end ?
Like Reply
#74
(31-01-2019, 11:57 AM)Bregs Wrote: Superb exciting story but sudden abrupt end ?

That was the plot of the story, but thank you so much for your valuable feedback.

I will make sure that the next story that I write entertains you even more than this one. Heart
Like Reply
#75
.
Nice ending
.
.
Like Reply
#76
(01-02-2019, 01:41 PM)jaunpur Wrote: .
Nice ending
.
.

Thank you
Like Reply
#77
Gr8 update and story ....Nice and interesting style of writing
Visit my story thread-:https://xossipy.com/thread-609.html
Like Reply
#78
(04-02-2019, 06:45 PM)Tanu Wrote: Gr8 update and story ....Nice and interesting style of writing

Thank you so much  Heart Heart
Like Reply
#79
great story......
Like Reply
#80
Great story ... great ending ... great journey of story.
Congratulation on completing your story.
Like Reply




Users browsing this thread: 6 Guest(s)