Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
उसके बाद मैने वो फाइल को पकड़ा ऑर बाबा को उपर उनके कमरे मे ले गया ऑर बेड पर लिटा कर खुद अपने ऑफीस मे आ गया... कुछ देर फाइल को अच्छे से देखने के बाद मैं याद करने लगा कि हेड क्वॉर्टर्स मे मैने इन सब लोगो मे से किसको देखा है जो हमारे लिए काम करता है... लेकिन अफ़सोस कोई भी चेहरा मेरे देखे हुए चेहरो से नही मिलता था सब नये ही चेहरे थे... इसका मतलब ख़ान ने सिर्फ़ अपने लोगो से ही मुझे मिलवाया था जो उसके लिए काम करते थे... मैं अब आगे क्या करना है उसके बारे मे ही सोच रहा था... आज के इस हादसे ने कई राज़ खोल दिए थे...
अब मुझे इतना तो पता चल ही गया था कि कौन मेरा अपना है ओर कौन अपना होने का दिखावा कर रहा है एक तरफ ख़ान ऑर रिज़वाना थे जो मुझसे शेख़ साहब की दौलत का पता निकलवाने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे ऑर मेरे सामने मेरे हम दर्द बन रहे थे...
दूसरी तरफ बाबा थे फ़िज़ा थी नाज़ी थी हीना थी जिन्होने बिना किसी लालच के मेरी देख भाल की मुझे इतना प्यार दिया ऑर मैं ताक़त के नशे मे चूर सब अहसान भूल गया मेरे बिना जाने वो कैसे होंगे ऑर मुझे कितना याद करते होंगे... मैं तो उन लोगो की ज़िम्मेवारी भी ख़ान को दे आया था जाने उन लोगो का मेरे बिना क्या हाल होगा... यहाँ आने के बाद मैने एक बार भी उनके बारे मे जानना ज़रूरी नही समझा ना ही ख़ान ने मुझे उनके बारे मे कुछ बताया... अब मुझे खुद की खुद-गर्जी पर गुस्सा आ रहा था कि मैं उनका प्यार भूल गया उनके किए हुए मुझ पर अहसान भूल गया... फिर मुझे मेरी उनके साथ गुज़री हुई ज़िंदगी का एक-एक लम्हा याद आने लगा...
कैसे बाबा फ़िज़ा ऑर नाज़ी ने मेरी जान बचाई मेरी इतने वक़्त तक देख-भाल की कैसे बाबा ने मुझे अपना बेटा बना लिया ऑर मुझ पर अपने बेटे से भी ज़्यादा ऐतबार किया... कैसे जब मैं बीमार हुआ था तो हीना मेरे लिए शहर से डॉक्टर लेके आई थी ऑर मेरे बीमार होने पर अपने अब्बू से झगड़ा करके अपने मुलाज़िम मेरे खेतो मे लगा दिए थे... वो सब कुछ किसी फिल्म की तरह मेरे आँखो के सामने चलने लगा... अब मैं अकेला बैठा रो भी रहा था ऑर उन सब को याद भी कर रहा था... वो दिन मेरा उदासी के साथ ही गुज़रा मुझे अपनी ग़लती का अहसास हो रहा था कि जाने-अंजाने मैने उनको भी मुसीबत मे डाल दिया है...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
16-11-2021, 02:54 PM
रात काफ़ी हो गई थी इसलिए मैने घर जाने का सोचा ऑर अपनी सोचो के साथ मैं गाड़ी मे बैठ गया... ड्राइवर ने मुझे मेरे घर के सामने उतार दिया... मैने बुझे हुए दिल के साथ दरवाज़ा खट-खाटाया तो रूबी ने जल्दी से दरवाज़ा खोला ऑर एक दिल-क़श मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया...
रूबी: आज बहुत देर कर दी तुमने कहाँ थे इतनी देर...
मैं: कही नही बस ऐसे ही बैठा था ऑफीस मे...
रूबी: (मेरा हाथ पकड़कर मुझे घर के अंदर ले जाते हुए) क्या बात है आज मेरा शेर उदास लग रहा है कुछ हुआ क्या...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) बस ऐसे ही आज दिल उदास है
रूबी: (मुझे बेड पर बिठा कर गले से लगते हुए) अगर तुमको बुरा ना लगे तो तुम मुझे अपनी परेशानी की वजह बता सकते हो इससे मन हल्का हो जाएगा तुम्हारा...
मैं: नही कुछ नही हुआ बस वैसे ही सिर मे ज़रा दर्द है... (मैं रूबी को अपना बीता हुआ कल नही बताना चाहता था इसलिए बात को घुमा दिया)
रूबी: अच्छा ऐसा करो खाना खा लो फिर मैं तुम्हारा मूड ऑर सिर दर्द दोनो ठीक कर दूँगी...
मैं: मुझे भूख नही है तुम खा लो...
रूबी: अर्रे... ऐसे कैसे भूख नही है... भूखे रहने से भी सिर मे दर्द होता है जानते हो... तुम यही बैठो मैं खाना लेके आती हूँ तुम्हारे लिए आज मैं मेरी जान को अपने हाथो से खिलाउन्गी (मुस्कुराते हुए वो रसोई मे चली गई)
मैं कुछ देर उसको जाते हुए देखता रहा फिर मैं वापिस अपनी सोचो मे गुम्म हो गया... कुछ ही देर मे रूबी खाना ले आई ऑर मेरे साथ आके बैठ गई ऑर अपने हाथो से मुझे खाना खिलाने लगी... उसको इस तरह खाना खिलाता देख कर मुझे नाज़ी ऑर फ़िज़ा की याद आ गई क्योंकि जब मैं नाराज़ हो जाता था तो वो भी मुझे ऐसे ही खाना खिलाती थी... उसको इतने प्यार से खाना खिलाते देख कर मैं रूबी को ना नही कह पाया ऑर भूख ना होने के बावजूद मैं खाना खाने लगा साथ ही मैने भी रोटी उठाई ओर अपने हाथ से रूबी को खिलाने लगा... ये पहली बार था जब मैं रूबी को इतने प्यार से देख रहा था वो मुझे इस तरह खाना खिलाते देख कर बहुत हेरान थी ऑर बिना कुछ बोले वो भी खाना खाने लगी अब हम दोनो एक दूसरे को खाना खिला रहे थे...
खाने के बाद मैं बिस्तर पर लेट गया ऑर रूबी हमेशा की तरह अपना नाइट गाउन पहनकर आ गई ऑर मेरे साथ आके लेट गई... वो आज भी मुझे वैसे ही प्यार से देख रही थी जैसे पहले दिन मिली थी तब देख रही थी...
मैं: क्या देख रही हो...
रूबी: देख रही हूँ तुम कितने बदल गये हो
मैं: क्या बदल गया...
रूबी: पहले तुमने कभी मुझसे ये भी नही पूछा था कि मैने खाया या नही ऑर आज तुमने खुद मुझे खाना खिलाया...
मैं: आज इसलिए खिलाया क्योंकि मेरा मन था तुमको खाना खिलाने का मैं जानता हूँ तुम मेरे बाद ही खाना खाती हो...
रूबी: (बिना कुछ बोले मुझे गले से लगते हुए) मुझे ये वाला शेरा बहुत पसंद है ऑर इसको मैं पहले से भी ज़्यादा प्यार करने लगी हूँ... मुझे तुम्हारी सबसे अच्छी बात जानते हो क्या लगी...
मैं: क्या...
रूबी: तुम अब दूसरो का बहुत सोचते हो पहले ऐसे नही थे...
मैं: रूबी तुमको एक सवाल पुच्छू अगर बुरा ना मानो तो...
रूबी: तुम्हारी कभी कोई बात बुरी नही लगती मेरी जान पुछो क्या पुच्छना है...
मैं: तुम मुझे इतना प्यार करती हो फिर भी कभी अपना हक़ नही जमाती मुझ पर ना ही तुमने कभी मेरे काम के बारे मे पूछा ना कभी ये पूछा कि मैं कहाँ था किसके साथ था ऐसा क्यो...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) क्योंकि एक बार तुमने ही कहा थे कि अपनी औकात मे रहा करो मैं कहाँ जाता हूँ क्या करता हूँ इससे तुमको कोई मतलब नही है ऑर हर बात तुमको बतानी मैं ज़रूरी नही समझता इसलिए तब से मैं हमेशा अपनी औकात मे ही रहती हूँ...
मैं: पहले जो भी बोला था उसको भूल जाओ ऑर मुझे माफ़ कर दो... अब जो कह रहा हूँ वो याद रखना तुम जब हक़ जमाती हो तो अच्छा लगता है ऐसा लगता है मेरा भी कोई अपना है...
रूबी: (खुश होके मुझे ज़ोर से गले लगाते हुए) हाए मैं मर जाउ... आज तुम मेरी जान लेके रहोगे... ऐसी बाते ना करो कही मैं पागल ही ना हो जाउ खुशी से...
मैं: (रूबी का चेहरा अपने दोनो हाथो से पकड़ते हुए) तुम जब हँसती हो तो बहुत अच्छी लगती हो इसलिए हँसती रहा करो...
रूबी: (खामोश होके हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
मैं: तुमको पता है तुम बहुत अच्छी हो... (रूबी का माथा चूमते हुए)
रूबी: (बिना कुछ बोले मेरे ऑर पास सरकते हुए ऑर अपनी आँखें बंद करते हुए) हमम्म
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
मैने अपना चेहरा उसके चेहरे के एक दम सामने कर दिया ऑर हल्के से उसके गाल को चूम लिया उसने अपनी आँखें खोली ऑर मुझे मुस्कुरा कर देखने लगी... मैने एक बार फिर से उसकी गाल को चूम लिया... इस बार उसने भी मेरा चेहरा अपने दोनो हाथो मे थाम लिया ऑर बड़े प्यार से मेरे माथे पर ऑर गालो को चूम लिया... अब मैने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए जिससे मैं एक दम मदहोश सा हो गया हम दोनो की आँखें अपने आप बंद हो गई... कुछ देर हम दोनो एक दूसरे के होंठों के साथ अपने होंठ जोड़कर लेटे रहे फिर उसने धीरे-धीरे अपने होंठों को हरकत दी ओर हल्के से अपने होंठ खोलकर मेरे नीचे वाले होंठों को अपने होंठों मे समा लिया ऑर धीरे-धीरे चूसने लगी... मैने भी धीरे-धीरे उसके उपर वाले होंठ को चूसना शुरू कर दिया कुछ ही देर मे हमारे चूमने मे कशिश आने लगी हम दोनो एक दूसरे के शिद्दत से होंठ चूसने लगे... अब हम दोनो की साँसे भी तेज़ होने लगी थी...
हम दोनो ने एक दूसरे को इतनी कसकर गले से लगा रखा था जैसे एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते हो... उसके होंठ चूस्ते हुए मैने उसकी पीठ पर अपने हाथ फेरने शुरू कर दिए इस पर वो भी अपना एक हाथ मेरे गले मे डाले लेटी रही ऑर दूसरा हाथ मेरी छाती पर हाथ फेरने लगी... साथ ही उसने अपनी दोनो टाँगो मे मेरी टाँगो को जाकड़ लिया... कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो मेरे उपर आके लेट गई ऑर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी... मैं मज़े से मदहोश हो गया था इसलिए अपने पूरा जिस्म ढीला छोड़ दिया... अब रूबी मुझे प्यार कर रही थी वो कभी मेरे पूरे चेहरे को चूमती कभी होंठों को... उसने मेरे उपर बैठे-बैठे ही अपना गाउन उतार दिया अब वो सिर्फ़ ब्रा ऑर अंडरवेर मे थी... कुछ देर मुझे चूमने के बाद उसने मेरे सिर के नीचे अपना हाथ रखा ऑर मुझे थोड़ा सा उपर की तरफ उठा दिया... उसका इशारा समझते हुए मैं जल्दी से उठ गया उसने मेरे होंठ चूस्ते हुए ही मेरी शर्ट के बटन खोले ऑर फिर दुबारा मेरी छाती पर हाथ रख कर नीचे को दबा दिया जिससे मैं वापिस बेड पर लेट गया... अब वो दुबारा मेरे चेहरे को चूम रही थी ऑर नीचे के तरफ आ रही थी... मेरे चेहरे को चूमते हुए पहले वो गर्दन तक आई ओर फिर मेरी छाती पर आके चूमने ऑर चूसने लगी... मैं मज़े से मधहोश हुआ पड़ा था मुझे उसके छाती पर चूमने ऑर चूसने से बे-इंतेहा मज़ा आ रहा था अब वो ओर नीचे की तरफ बढ़ रही थी... अब उसके हाथ मेरी पेंट बेल्ट पर थे लेकिन उसके होंठ मेरे पेट पर अपना कमाल दिखा रहे थे... उसने जल्दी से मेरी पेंट की बेल्ट का बक्कल खोला ओर फिर एक ही झटके मे बेल्ट को खींच का पेंट से जुदा कर दिया ऑर उसको बेड से नीचे फेंक दिया...
अब उसने जल्दी से मेरी पेंट के हुक्क खोले ऑर झटके से पेंट को घुटने तक नीचे कर दिया... अब वो अंडरवेर के उपर से ही मेरे लंड को चूम रही थी ऑर उस पर हाथ फेर रही थी... मैं मज़े की दुनिया मे सैर कर रहा था तभी उसने मेरे पेट पर चूमते-चूमते जीभ फेरना शुरू कर दिया ऑर धीरे-धीरे नीचे को आने लगी... अब उसने अपने दोनो हाथो की उंगालियाँ मेरे अंडरवेर मे फसा ली ऑर उसको धीरे-धीरे नीचे की तरफ खींचने लगी... कुछ ही देर मे मेरा अंडरवेर भी घुटने तक आ गया था... मेरा लंड लोहे की तरह सख़्त हुआ पड़ा था... वो मेरे लंड के चारो तरफ चूम रही थी ऑर अपनी जीभ फेर रही थी जिससे मुझे बेहद मज़ा आ रहा था... उसके बाद उसने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा ऑर लंड की टोपी पर हल्के-हल्के चूमने लगी... मैने मज़े से अपना हाथ उसके सिर पा रख दिया ताकि वो मेरे पूरे लंड को मुँह मे ले सके लेकिन उसने मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर वापिस बेड पर रख दिया वो ऐसे ही कुछ देर तक मेरे लंड को चूमती रही अब उसने अपना थोड़ा सा मुँह खोला ऑर टोपी के चारो तरफ ज़ुबान को गोल-गोल घुमाने लगी... कुछ देर ऐसे ही करने के बाद उसने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा ऑर एक दम से अपना मुँह खोल के मेरा आधा लंड अपने मुँह मे डाल लिया जो उसके हलक तक जा रहा था कुछ देर वैसे ही रहने के बाद उसके लंड को थोड़ा मुँह से बाहर निकाला ऑर मुँह के अंदर भी वो लंड पर अपनी ज़ुबान को गोल-गोल घुमाने लगी... साथ ही अपने मुँह को भी अब उसने हिलाना शुरू कर दिया था... कुछ देर ऐसे करने के बाद वो तेज़-तेज़ मेरे लंड को चूस रही थी ऑर अपने दोनो हाथ मेरी छाती पर फेर रही थी... मैं मज़े की वादियो मे खो चुका था इसलिए मुझे नही पता कब उसने अपनी ब्रा ऑर अंडरवेर उतार दी थी...
कुछ देर मेरा लंड चूसने के बाद रूबी वापिस मेरे उपर आके लेट गई ऑर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी साथ ही अपनी चूत को मेरे लंड के उपर रगड़ने लगी... मैने जल्दी से अपने हाथ नीचे किया ऑर लंड को पकड़ कर चूत की छेद पर अड्जस्ट किया लेकिन रूबी ने फिर से मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर होंठ चुस्ते हुए ही ना मे सिर हिला दिया... उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी जिससे मेरा लंड भी पूरा गीला हो गया था... अब शायद उससे भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था इसलिए उसने खुद अपना एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड को पकड़ा ऑर उसको अपनी चूत के छेद पर सेट कर दिया ऑर वापिस मेरे गाल को चूमने लगी साथ ही उसके होंठ मेरे कान के एक दम पास आ गया... इतने वक़्त मे ये पहला अल्फ़ाज़ था जो उसके मुँह से निकला था...
रूबी: आराम से डालना धीरे-धीरे झटका मत मारना...
मैं: हमम्म्म
रूबी: जब मैं रुकने को कहूँ तो रुक जाना ठीक है
मैं: हमम्म
उसके बाद उसने मेरे लंड पर अपनी चूत का दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया ऑर खुद साथ-साथ उपर नीचे भी होने लगी लेकिन उसकी रफ़्तार बहुत धीरे थी... कुछ ही देर मे मेरा आधा लंड उसकी चूत मे उतर चुका था... वो आधे लंड को ही धीरे-धीरे अंदर बाहर कर रही थी... अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था इसलिए उसके मना करने के बावजूद मैने अपने दोनो हाथ उसकी गान्ड पर रख दिए ऑर एक जोरदार नीचे से झटका मारा जिससे मेरा लंड जड़ तक पूरा उसकी चूत मे उतर गया... साथ ही एक तेज़ सस्सस्स आअहह आयययययीीईई रूबी के मुँह से निकल गई...
रूबी: कहा था ना झटका मत मारना... जंगली कही के...
मैं: (मुस्कुराते हुए) सॉरी... मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था...
वो बिन कुछ बोले वापिस मेरे होंठ चूसने लगी ऑर अब वैसे ही मेरे लंड पर बैठी थी अब वो सिर्फ़ मेरे होंठ चूस रही थी नीचे से अपनी गान्ड नही हिला रही थी... मेरा पूरा लंड उसके अंदर ही था जिसको उसकी चूत की दीवारो ने सख्ती से जकड़ा हुआ था... थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद अब उसने धीरे-धीरे हिलना शुरू कर दिया जिससे मेरा लंड भी उसकी चूत मे अंदर बाहर होने लगा...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-49
अब वो मेरी छाती को बार-बार चूम रही थी ऑर साथ मे अपनी गान्ड भी हिला रही थी... अब उसने मेरे दोनो हाथो को अपने हाथो से पकड़ा ऑर मेरे हाथ अपने मम्मों पर रख दिए जिन्हे मैने थाम लिया ऑर दबाने लगा अब उसका उछल्ना भी तेज़ हो गया था शायद वो फारिग होने के करीब थी इसलिए उसने तेज़-तेज़ अपनी गान्ड को हिलाना शुरू कर दिया उसके मुँह से निकलने वाली सस्सस्स सस्सस्स भी अब काफ़ी तेज़ आवाज़ मे निकल रही थी... मैने भी उसके मम्मों को छोड़कर सिर्फ़ उसके निपल्स को पकड़ लिया ऑर अपनी उंगलियो से दबाने ऑर मरोड़ने लगा... कुछ देर ऐसे ही उपर नीचे होने के बाद रूबी का पूरा बदन झटके खाने लगा ऑर उसका मुँह खुल गया कुछ देर के लिए वो फिर से मेरे उपर बैठ गई ऑर हिलना बंद कर दिया थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद वो मेरे उपर लेट गई ऑर तेज़-तेज़ सांस लेने लगी साथ ही मेरी छाती पर अपना हाथ फेरने लगी... मुझे अपने लंड पर पहले से ज़्यादा गीलापन महसूस हो रहा था... अब उसने मेरे दोनो हाथ जो उसके मम्मों पर थे वहाँ से उठा कर अपनी कमर पर रख दिए ऑर खुद घूम कर बेड पर आ गई ऑर मुझे उपर आने का इशारा किया... मैं बिना चूत से लंड को बाहर निकाले वैसे ही घूम कर उसके उपर आ गया अब उसने फिर से मेरे होंठों पर हमला कर दिया ऑर बुरी तरह से मेरे होंठ चूसने लगी...
कुछ देर होंठ चूसने के बाद उसने मुझे अपने उपर से उठा दिया जिससे लंड बाहर निकल गया... मुझे समझ नही आया कि उसने लंड क्यो बाहर निकाल दिया इसलिए सवालिया नज़रों से उसकी तरफ देखने लगा... उसने एक नज़र मुझे मुस्कुरा कर देखा ऑर फिर वो भी बेड पर उठ कर बैठ गई ऑर मेरे देखते ही देखते अब वो किसी जानवर की तरह अपने दोनो हाथो ऑर दोनो घुटनो के बल बेड पर खड़ी हो गई... मैं उसको खड़ा देख रहा था कि अब वो क्या करती है... उसने अपनी गर्दन को पिछे घुमाया ऑर एक मुस्कान के साथ मुझे पिछे आने का इशारा किया... मैं मुस्कुरा कर उसके पिछे आ गया ऑर जल्दी से अपनी शर्ट-पेंट ऑर अंडरवेर को अपने जिस्म से आज़ाद किया... अब मैने अपना पूरा लंड पिछे से एक ही झटके मे उसकी चूत मे डाल दिया ऑर उसको कमर से पकड़ कर झटके मारने लगा अब वो बुलंद आवाज़ मे सस्सस्स ससस्स कर रही थी... कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद उसने मेरा एक हाथ अपनी कमर से हटाया ऑर अपने सिर पर रख दिया साथ मे मेरे हाथ मे अपने बाल पकड़ा दिए अब मैं समझ चुका था कि वो क्या चाहती है इसलिए मैने उसको बालो से पकड़ लिया ऑर तेज़-तेज़ झटके मारने लगा... उसकी ससस्स... ससस्स... अब आआहह ऊऊओ आायईयीई मे बदल चुकी थी पूरे कमर मे उसकी आवाज़ ऑर झटको की थप्प्प... थप्प्प... की आवाज़ ही गूँज रही थी... अचानक उसको चोदते हुए मुझे याद आया कि फ़िज़ा को चोदते हुए भी मैने यही तस्वीर देखी थी इसलिए मैने अपना दूसरा हाथ जो उसकी कमर पर था उसकी गान्ड पर रखा ऑर एक ज़ोर दार थप्पड़ उसकी गान्ड पर मारा... उसने हैरानी से मेरी तरफ पलटकर देखा ऑर एक क़ातिलाना मुस्कान के साथ मुझे सिर हिला कर दुबारा मारने को कहा...
अब मैने एक हाथ से उसके बाल पकड़े हुए थे ऑर दूसरी हाथ से उसकी गान्ड पर थप्पड़ की बरसात कर रहा था कुछ ही देर मे वो दूसरी बार भी फारिग हो चुकी थी इसलिए हाफ्ते हुए वो बेड पर गिर गई थी... मैं भी उसके उपर ही लेटा हुआ था हम दोनो का जिस्म पसीने से नहाया हुआ था... कुछ देर मे जब उसकी साँस दुरुस्त हो गई तो मैने उसके उपर लेटे लेटे ही झटके मारने शुरू कर दिए इसलिए उसने उसी पोज़ीशन मे अपनी दोनो टांगे फैला ली ताकि लंड जड़ तक पूरा अंदर जा सके... इस पोज़ीशन मे मुझे ऑर रूबी दोनो को बेहद मज़ा आ रहा था इसलिए मैने तेज़ रफ़्तार से झटके लगाने शुरू कर दिया कुछ ही देर मे मैं भी अपनी मंज़िल के करीब पहुँच गया ऑर मेरे साथ ही रूबी तीसरी बार फिर से फारिग हो गई... मेरे लंड पूरे प्रेशर से उसकी चूत मे मेरा माल छोड़ रहा था... हम दोनो अब बुरी तरह थक चुके थे ऑर एक दूसरे के उपर पड़े अपनी साँस को दुरुस्त कर रहे थे... हम दोनो ही इतनी जबरदस्त चुदाई से इतना ज़्यादा थक चुके थे कि दोनो मे से किसी की भी कपड़े पहन ने कि हिम्मत नही थी इसलिए हम दोनो ऐसे ही एक चद्दर अपने उपर लेकर लेट गये... रूबी बहुत खुश थी ऑर मुझे मुस्कुरा कर देख रही थी मैने उसको एक बार फिर से गले से लगा लिया... वो गले लगी हुई ही मेरे उपर आके लेट गई अब हम दोनो ही खामोश थे ऑर थके हुए थे इसलिए कुछ ही देर मे ही रूबी मेरे उपर ही सो गई मुझे गले लगाके ऑर मैं भी उसकी कमर पर हाथ फेरता हुआ जाने कब नींद की वादियो मे खो गया...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
हम दोनो सुकून से सोए पड़े थे कि किसी ने आधा रात को हमारा दरवाज़ा खट-खाटाया जिससे रूबी की नींद खुल गई उसने फॉरन मुझे उठाया ऑर कपड़े पहनने का कहा मैने जल्दी मे सिर्फ़ पेंट पहनी ऑर दरवाज़ा खोलने चला गया... इतनी देर मे रूबी ने ज़मीन पर बिखरे अपने कपड़े उठाए ऑर बाथरूम मे भाग गई... मैं आँखें मलता हुआ दरवाज़ा खोला तो सामने रसूल ऑर मेरा ड्राइवर खड़े थे...
मैं: क्या है यार इतनी रात तुमको क्या काम पड़ गया, इतनी अच्छी नींद आ रही थी बेकार मे खराब कर दी...
रसूल: भाई बाबा की तबीयत बहुत खराब हो गई है वो आपको बुला रहे हैं...
ये बात सुन कर मेरी झटके से आँखें खुल गई ऑर मैं बिना कुछ बोले अंदर शर्ट पहन ने चला गया... तब तक रूबी भी कपड़े पहनकर बाहर आ चुकी थी...
रूबी: (दरवाज़े पर देखते हुए) कौन है बाहर शेरा...
मैं: रसूल है... बाबा की तबीयत खराब हो गई है इसलिए मुझे याद कर रहे हैं
रूबी: ओह्ह्ह... मैं भी चलती हूँ आपके साथ...
मैं: नही तुम रहने दो मैं थोड़ी देर मे आ जाउन्गा तुम दरवाज़ा बंद करके आराम से सो जाओ
रूबी: कोई सीरीयस बात तो नही है ना
मैं: ये तो वहाँ जाके ही पता चलेगा...
रूबी: ठीक है... अगर मेरी ज़रूरत हो तो ड्राइवर को भेज देना...
मैं: (रूबी का सिर चूमते हुए) ठीक है अब तुम आराम करो ऑर सो जाना...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) हमम्म ठीक है...
उसके बाद मैं तेज़ कदमो के साथ घर से बाहर निकल गया ऑर रसूल के साथ गाड़ी मे बैठ कर जल्दी से अपने ठिकाने पर पहुँच गया... वहाँ लाला, गानी ऑर सूमा पहले से मोजूद थे... मैं जल्दी से जाके बाबा के पास बैठ गया...
बाबा: आ गया तू शेरा...
मैं: जी बाबा... आप आराम कीजिए मैं डॉक्टर से बात करके आता हूँ (डॉक्टर को देखते हुए) क्या हुआ है बाबा को?
बाबा: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) अच्छा...
डॉक्टर: इनको साँस लेने मे तक़लीफ़ हो रही है
मैं: ये ठीक तो हो जाएँगे ना... अगर आप कहे तो मैं शहर से ऑर डॉक्टर बुलवा लेता हूँ...
डॉक्टर: उसकी कोई ज़रूरत नही है आप ज़रा मेरे साथ आइए आप से बात करनी थी...
मैं: (डॉक्टर को कमरे से बाहर लेके जाते हुए) चलिए...
उसके बाद मैं ऑर डॉक्टर बाहर हॉल मे आ गये मेरे पिछे-पिछे लाला, गानी ऑर सूमा भी आ गये जबकि रसूल बाबा के पास ही बैठ गया...
मैं: कहिए डॉक्टर क्या बात है...
डॉक्टर: देखिए मैं आपको कोई झूठा दिलासा नही देना चाहता इसलिए आपको सच बता रहा हूँ... इनके बॉडी मे काफ़ी गोलियाँ लगी थी कुछ वक़्त पहले आपको तो पता ही होगा...
मैं: ये तो हम जानते हैं इसमे नयी बता क्या है...
डॉक्टर: शायद आपको पता नही है लेकिन 6 गोलियो मे से 5 गोलियाँ तो ऑपरेशन से निकाल दी थी लेकिन 1 गोली इनके दिल के पिछे चली गई थी अगर वो गोली निकलते तो उनकी जान को ख़तरा हो सकता था इसलिए डॉक्टर्स ने वो गोली नही निकाली अब इतने दिन से वो गोली वहाँ रहने की वजह से पूरी बॉडी मे ज़हर फैल गया है इसलिए अब इनका बचना बहुत मुश्किल है... माफ़ कीजिए लेकिन अब इनके पास अब ज़्यादा वक़्त नही है...
मैं: देखिए डॉक्टर साहब आप पैसे की फिकर मत कीजिए पानी की तरह पैसा बहा दूँगा लेकिन वो जो अंदर लेता है वो मेरे लिए मेरा बाप है उनको कैसे भी करके बचा लीजिए मैने आज तक किसी के सामने हाथ नही जोड़े लेकिन आज जोड़ रहा हूँ प्लज़्ज़्ज़्ज़...
डॉक्टर: सॉरी मैं कुछ नही कर सकता अब काफ़ी देर हो गई है...
मैं: अगर बाबा को कुछ हुआ तो तू भी नही बचेगा ये बात समझ ले... लाला ले जा ... साले को ऑर इसको डॉक्टरी सीखा...
उसके बाद हम वापिस मायूस दिल के साथ बाबा के पास आके बैठ गये...
बाबा: क्या कहा डॉक्टर ने...
मैं: बाबा आप ठीक हो जाएँगे कुछ नही होगा
बाबा: (मुस्कुराते हुए) तुझे झूठ बोलना भी नही आता... किसको झूठ बोला रहा है शेरा मुझे तेरी रग-रग पता है... मैं जानता हूँ कि अब मेरा आखरी वक़्त आ गया है इसलिए अब जो मैं कहूँगा वो बहुत ध्यान से सुनना तुम सब...
मैं: (रोते हुए) ऐसा मत बोलो बाबा आप बहुत जल्द अच्छे हो जाओगे... एह रसूल फॉरन दूसरे डॉक्टर का इंतज़ाम कर...
रसूल: हाँ अभी जाता हूँ...
बाबा: उसकी कोई ज़रूरत नही है मेरे पास बैठो तुम सारे...
मैं: (बाबा का हाथ पकड़ कर उनके पास बैठ ते हुए) जी बाबा हुकुम कीजिए...
बाबा: बेटा शेरा अब ये सब कारोबार ये सारे लोग सब तेरी ज़िम्मेदारी है मैं तेरे कंधो पर ये सब कुछ छोड़ कर जा रहा हूँ...
मैं: जी बाबा...
बाबा: लाला, रसूल, सूमा ऑर गानी आज से तेरे दोस्त नही भाई हैं इनका ख़याल तुझे रखना है बस्ती मे जो लोग हैं वो भी तेरे अपने हैं उनको कभी किसी चीज़ की कमी ना होने पाए...
मैं: जी बाबा...
बाबा: तुम चारो भी इसकी हर बात मानना जो ये कहेगा वो मेरा हुकुम समझ कर हर बात की तामील करना हमेशा इसका साथ देना... हमेशा इसके साथ वफ़ादार रहना...
रसूल, लाला, गानी ओर सूमा: जी बाबा... हम हमेशा हर कदम पर शेरा के साथ हैं...
इतनी बात करके बाबा की साँस उखड़ने लगी ऑर मेरी आँखो के सामने आखरी कलमा पढ़ते हुए मुस्कुरकर वो दुनिया से रुखसत हो गये... हम उनके पास बैठे रात भर रोते रहे लेकिन अब कुछ भी नही हो सकता था... जो चला गया वो अब वापिस नही आ सकता था आज हम सब एक बार फिर से यतीम हो गये थे क्योंकि जिसने सारी उम्र हम को पाला था इस क़ाबिल बनाया था वो इंसान हम को छोड़ कर जा चुका था ऑर उनके जाने की वजह उपर वाला नही था बल्कि उनका ही बेटा छोटा था ये बात याद आते ही मेरा खून खोलने लगा... बाबा के पास बैठे तमाम लोग रो रहे थे लेकिन वो वक़्त रोने का नही खुद को संभालने का था इसलिए मैने अपनी आँख से आँसू सॉफ किए ऑर सब को होसला देने लगा ऑर चुप करवाने लगा... सुबह हमने उनका कफ़न दफ़न का इंतज़ाम किया ऑर उनको आखरी कदम देके रोते हुए वापिस आ गये उनके जनाज़े मे सारी बस्ती के लोग मोजूद थे एक-एक बड़ा ऑर एक-एक बुजुर्ग रो रहा था क्योंकि आज वो इंसान उनको छोड़ कर चला गया था जो हमेशा उनका ख़याल रखता था अब हर इंसान मुझे एक उम्मीद की नज़र से देख रहा था ऑर ये बात अब सच भी थी क्योंकि बाबा की जगह अब मैं था उनके सारे काम अब मुझे ही पूरे करने थे हमारे तमाम दुश्मनो को अब मुझे ही ख़तम करना था... अपनी इन्ही सोचो के साथ मैं वापिस ठिकाने पर आ गया ऑर अकेला उनके बेड के पास आके बैठ गया ऑर बाबा की सिखाई हुई बातो को याद करने लगा...
कुछ देर बाबा के कमरे मे गुज़ारने के बाद मैं वापिस लाला, सूमा, गानी ऑर रसूल के पास आके बैठ गया वो लोग अब भी बुरी तरह रो रहे थे इसलिए सबको चुप करवाता रहा...
------------------------------------------------------------------------------------------------------
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
हमारे कुछ दिन ऐसे ही मातम मे गुज़रे... इस वजह से हम सबका ध्यान अपने-अपने धंधो से हट गया था जिसका फायेदा छोटे ने उठाया... एक दिन मुझे फोन पर मेरे आदमी ने खबर दी कि हमारे विदेश के तमाम क्लाइंट्स ने हमारा माल खरीदने से मना कर दिया है क्योंकि अब वो तमाम गन्स ऑर ड्रग्स का बिज़्नेस हमारे साथ नही बल्कि छोटे के साथ करेंगे... बाबा के जाने की वजह से हम वैसे ही टूट चुके थे उपर से छोटे ने मोक़े पर ऐसी चाल चल कर हम सब का बिज़्नेस भी ख़तम कर दिया था... मुझे जिस दिन ये खबर मिली मेरे दिल मे दबी हुई नफ़रत ऑर गुस्सा उफान पर पा पहुँच गये लेकिन इस वक़्त मैं जोश मे आके कोई कदम नही उठाना चाहता था इसलिए अपने दिमाग़ से काम लिया... मैं चाहे कुछ भी था लेकिन बाबा जो ज़िम्मेदारी मुझे सौंप कर गये थे उसे अब मुझे ही पूरा करना था... मैने फॉरन सारे गॅंग को खंडहर पर बुलाया... कुछ ही देर मे गॅंग के तमाम लोग जो हमारे साथ थे वो वहाँ मोजूद हो गये... मैने सबको एक नज़र देखा ऑर फिर जाके अपनी कुर्सी पर बैठ गया मेरे बैठने के बाद सब लोग अपनी-अपनी कुर्सियो पर जाके बैठ गये... उसके बाद मैने बोला शुरू किया...
मैं: मैने ये मीटिंग इसलिए बुलाई है कि जितने दिन हम सब मातम मे थे छोटे ने हमारा सारा बिज़्नेस टेक-ओवर कर लिया है हमारे तमाम विदेशी क्लाइंट्स ने हम से माल खरीदने से मना कर दिया है क्योंकि छोटा उनको हम से कम कीमत मे माल सप्लाइ कर रहा है...
रसूल: साला कमीना अपने बाप की मौत का भी लिहाज नही रख सका... मैं सोच भी नही सकता था छोटा इतना गिर सकता है...
मैं: रसूल जो इंसान अपने ही बाप पर गोली चला सकता है उसके घटियापन की हद का अंदाज़ा तुम तो क्या कोई भी नही लगा सकता...
सूमा: भाई हमारे लिए बाबा की जगह अब तुम ही हो... तुम बस हुकुम करो कि क्या करना है... हम सब लोग तुम्हारे एक इशारे पर मौत बन कर छोटे ऑर उसके गॅंग पर टूट पड़ेंगे ऑर आज ही साले का किस्सा ख़तम कर देंगे...
मैं: नही सूमा... छोटा अभी तक चुप है क्योंकि वो जानता है कि बाबा के मरते ही हम लोग उस पर पूरी ताक़त के साथ अटॅक करेंगे इसलिए जब हम वहाँ जाएँगे तो वो भी हमारा ही इंतज़ार कर रहा होगा... अगर हम अभी गये तो हम मे से कोई भी वापिस नही आएगा... बाबा ने सिखाया था अगर दुश्मन को ख़तम करना है तो उसकी ताक़त ख़तम करदो फिर दुश्मन भी ख़तम हो जाएगा... हम को इंतज़ार करना होगा सही वक़्त का...
रसूल: तो तुम क्या चाहते हो वो साला वहाँ बाबा की मौत का जशन मनाए हमारा सारा बिज़्नेस ले जाए ऑर हम यहाँ मातम मनाते रहे हिजड़ो की तरह...
मैं: सबसे पहले ये पता करो कि उसके पास माल आया कहाँ से है जहाँ तक मुझे पता है अफ़ीम के सारे खेत तो हमारे क़ब्ज़े मे है ओर दूसरा कौन है जो उसको माल दे रहा है...
लाला: मैने सब पता करवा लिया है उसका एक खास आदमी है पोलीस मे जो उसको हमारा ही पकड़ा हुआ माल सप्लाइ करता है...
मैं: कौन है वो आदमी...
लाला: पता नही कोई इनस्पेक्टर ख़ान करके है नारकोटिक्स डिपार्टमेंट मे उसकी अच्छी चलती है... साला हमारा पकड़ा हुआ माल ही उसको बेच रहा है ऑर छोटा वही माल आगे विदेशो मे बेच रहा है...
रसूल: यार हम को क्या वो साला किसी से भी माल खरीदे हमारे धंधे की तो ऐसी-तैसी हो गई ना अब आगे क्या करना है ये सोचो...
मैं: अगर ख़ान ख़तम हो गया तो समझो छोटे को माल मिलना भी बंद हो जाएगा इसलिए हम को पहले ख़ान को ख़तम करना होगा...
सूमा: शेरा सही कह रहा है साले इस ख़ान का ही कुछ करना पड़ेगा...
रसूल: शेरा भाई हुकुम करो मैं जाता हूँ इस ख़ान को ठोकने के लिए...
मैं: (उंगली से ना का इशारा करते हुए) तुमको क्या लगता है ख़ान अकेला होगा ऑर तुम को बोलेगा आओ भाई मैं तुम्हारे बाप का माल हूँ मुझे ठोक दो... तुम मे से कोई कही नही जाएगा तुम लोग सिर्फ़ बचा हुआ धंधा सम्भालो ओर उसको ठोकने मैं खुद जाउन्गा...
लाला: ठीक है लेकिन उसके साथ पोलीस वाले भी तो होंगे ना तू उसको मारेगा कैसे...
मैं: फिकर मत कर वो पोलीस वाला अभी तक पैदा नही हुआ जो शेरा को ठोक सके उस हरामखोर को तो मैं ही मारूँगा उसका भी तोड़ मैने सोच लिया है ऑर इस काम के लिए मैं आज ही निकालूँगा...
रसूल: ठीक है जैसा तुम ठीक समझो...
...................................................................................................................................................
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-50
उसके बाद कुछ देर ऐसे ही बाते चलती रही फिर आख़िर तय ये हुआ कि बाकी सब लोग धंधा संभालेंगे ऑर मैं ख़ान को मारने जाउन्गा... उसके बाद मैने मीटिंग बर्खास्त की ऑर सब को उनके काम पर लगा दिया ऑर खुद अपनी कार मे बैठकर घर आ गया जहाँ मैने जल्दी से कपड़े पॅक करने लगा... अचानक मुझे रूबी का ख्याल आया जो घर मे नही थी उसको बताए बिना जाना मुझे सही नही लगा इसलिए मैने सोचा जाते हुए उससे भी मिल कर जाउन्गा मैं जानता था वो दिन भर कहाँ होती है... इसलिए मैने जल्दी से अपने कपड़े बॅग मे डाले ऑर साथ मे कुछ हथियार ऑर पैसे भी रख लिए... फिर मैं घर के बाहर आ गया जहाँ गॅंग के तमाम लोग मोजूद थे ऑर मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे...
रसूल: ये क्या शेरा तुम अभी ही जा रहे हो...
मैं: हां मुझे अभी जाना है लेकिन पहले मैं रूबी से मिलना चाहता हूँ उसके बाद जाउन्गा...
लाला: ठीक है फिर हम भी तुम्हारे साथ ही चलते हैं...
उसके बाद मैं अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर मेरे पिछे तमाम गाडियो का क़ाफ़िला चल पड़ा... कुछ ही देर मे हम यतीम खाने के बाहर थे... वहाँ कुछ बच्चे इधर-उधर घूम रहे थे... मैने बच्चो को देख कर बाकी सब लोगो को बाहर ही रुकने का इशारा किया ऑर खुद यतीम खाने के अंदर चला गया जहाँ बाहर बच्चों को पढ़ाया जा रहा था वहाँ बहुत सी लड़कियाँ ऑर औरते बच्चों को पढ़ा रही थी... मैने चारो तरफ नज़र घुमाई तो एक पेड़ के नीचे कुछ बच्चों को पढ़ाती हुई मुझे रूबी नज़र आई... रूबी को देखकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गई... उस वक़्त उसका चेहरा ब्लॅकबोर्ड की तरफ था मैं चुप चाप जाके बच्चों के साथ बैठ गया जिस पर सब बच्चे मुझे देख कर हँसने लगे... रूबी बच्चों को कुछ पढ़ा रही थी ऑर मैं बस खामोशी से बैठा उसको देख रहा था तभी उसकी आवाज़ आई...
रूबी: सबको समझ आ गया ना...
मैं: मुझे समझ नही आया मेडम जी...
रूबी: (पलट ते हुए) शेरा तुम यहाँ...
मैं: मेडम क्वेस्चन मुझे समझ नही आया दुबारा समझाओ...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) आप ऑफीस मे चलिए मैं अभी आती हूँ...
मैं: (सल्यूट करते हुए) यस मेडम...
मेरी इस हरकत पर सब बच्चे हँसने लग गये ऑर रूबी मुझे आँखें दिखाने लग गई इसलिए मैं चुप चाप वहाँ से उठा ऑर जाके उसके ऑफीस मे बैठ गया ऑफीस मे घुसते ही सामने बाबा की तस्वीर लगी थी मैं उनके नूरानी चेहरे को देख रहा था तभी अचानक एक हाथ मेरे कंधे पर आके रुक गया साथ ही एक मीठी सी आवाज़ मेरे कानो से टकराई...
रूबी: आज क्या बात है सूरज कहीं ग़लत साइड से तो नही निकल गया जो तुमने यहाँ दर्शन दे दिए...
मैं: ऐसी कोई बात नही है मैं बस तुमसे मिलने के लिए आया था...
रूबी: (मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठते हुए) नियत तो ठीक है जनाब की... आज दिन मे भी बड़ा रोमेंटिक मूड बना हुआ है...
मैं: (हँसते हुए) नही यार मूड वाली कोई बात नही आक्च्युयली मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा था सोचा तुमसे मिल कर नही जाउन्गा तो तुमको बुरा लगेगा...
रूबी: (अपनी कुर्सी से खड़ी होके मेरे गाल खिचते हुए) हाए मेरी जान बड़ा ख़याल रखने लग गये हो मेरा...
मैं: (अपने गाल छुड़ाते हुए) क्या कर रही हो यार बच्चे देखेंगे तो क्या सोचेंगे...
रूबी: आए... हाए तुम कब्से लोगो की परवाह करने लग गये...
मैं: ज़्यादा शहद मत टपकाओ ऑर मेरी बात सुनो तुमको हर वक़्त मज़ाक ही सूझता है...
रूबी: अच्छा मुझे मज़ाक सूझता है... ऑर वो जो तुम बाहर करके आए हो वो बड़ी सयानी हरकत थी ना यस मेडम... यस मेडम... तब बच्चों ने नही देखा होगा क्या...
मैं: (कान पकड़ते हुए) अच्छा बाबा ग़लती हो गई माफ़ कर दो आगे से नही करूँगा...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) थ्ट्स लाइक आ गुड बॉय... अच्छा बताओ यहाँ कैसे आना हुआ...
मैं: मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ
रूबी: (उदास होते हुए) फिर से जा रहे हो...
मैं: अर्रे मैं हमेशा के लिए नही जा रहा बस कुछ दिन की बात है फिर वापिस आ जाउन्गा...
रूबी: मोबाइल साथ लेके जा रहे हो ना...
मैं: हम्म... क्यो...
रूबी: ठीक है जल्दी वापिस आ जाना ऑर अपना ख़याल रखना ऑर मुझसे रोज़ बात करनी पड़ेगी...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
मैं: (हाथ जोड़ते हुए) ऑर कोई हुकुम सरकार...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) अब जल्दी से इधर आओ ऑर पप्पी दो फिर जाओ... बस इतना ही...
मैं: (हैरान होते हुए) अभी... यहाँ पर...
रूबी: क्यो यहाँ कोई परेशानी है क्या...
मैं: नही परेशानी तो नही है लेकिन कोई बच्चा देख सकता है ना...
रूबी: (अपनी कुर्सी से उठ ते हुए) एक मिंट रूको...
रूबी ने जल्दी से जाके दोनो पर्दो को दरवाज़े के आगे कर दिया जिससे बाहर से कोई भी हम को नही देख सकता था फिर वो जल्दी से आके मेरी गोद मे बैठ गई ऑर अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे हार की तरह डाल ली...
मैं: इरादा क्या है सरकार...
रूबी: (मुस्कुराते हुए) कुछ खास नही तुम्हारी पप्पी लेने का दिल कर रहा है...
मैं: मुझसे तो ऐसे पूछ रही हो जैसे मैं नही कर दूँगा तो नही लोगि...
मेरे इतना कहते ही उसने अपने होंठ मेरे होंठों से जोड़ दिए ऑर एक दिल-क़श अंदाज़ से मेरे होंठ चूसने लगी मैने भी अपनी दोनो बाजू उसकी कमर मे लपेट ली ऑर उसको अपने साथ अच्छी तरह चिपका लिया जिससे उसके मम्मे मुझे मेरी छाती पर चुभने लगे... हम दोनो बड़ी शिद्दत से एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे ऑर हम दोनो की मज़े से आँखें बंद थी...
अचानक मुझे ख़याल आया कि सब लोग बाहर मेरा इंतज़ार कर रहे हैं इसलिए ना चाहते हुए भी मैने रूबी को खुद से अलग किया... रूबी कुछ देर वैसे ही मेरे गले मे अपनी दोनो बाजू डाले मेरी छाती पर सिर रख कर बैठी रही... फिर वो मेरे उपर से उठ गई ऑर साइड पर खड़ी हो गई... उसके बाद मैं अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ ऑर एक बार फिर से रूबी को गले से लगा लिया
उसके बाद हम दोनो अलग हुए ऑर बाहर आ गये जहाँ बच्चे इधर-उधर भाग रहे थे... रूबी ने सबको डाँट कर उनकी जगह पर वापिस भेज दिया ऑर खुद मेरे साथ यतीम खाने के गेट तक बाहर आ गई जहाँ पर सब लोग मेरा इंतज़ार कर रहे थे... उसके बाद सबसे गले मिलने के बाद सबको उनके हिस्से का काम दुबारा याद करवा दिया फिर आख़िर मे मैं रूबी के पास आया ऑर उसको भी गले लगा लिया...
रूबी: जल्दी आ जाना मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी...
मैं: हमम्म अपना ख़याल रखना...
रूबी: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) तुम भी अपना ख़याल रखना ऑर मुझे फोन करते रहना...
मैं: (मुस्कुराते हुए) ठीक है...
उसके बाद सबको अलविदा कह कर मैं वापिस अपनी गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर अपने सफ़र के लिए रवाना हो गया...
रूबी गेट पर खड़ी मुझे जाता हुआ देखती रही...
....................................................................................................................
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
आज इतने वक़्त के बाद मैं वापिस उसी जगह जा रहा था जहाँ मुझे नयी जिंदगी मिली थी... मुझे अपने गाँव गये पूरे सवा साल हो चुके थे ऑर इन सवा सालो मे जाने क्या-क्या बदल गया होगा... मैं तेज़ रफ़्तार से गाड़ी भगा रहा था साथ मे बाबा, फ़िज़ा, नाज़ी ऑर हीना के बारे मे भी सोच रहा था जाने वो लोग मेरे बिना कैसे होंगे... रास्ता लंबा था ऑर वक़्त था जो बीतने का नाम ही नही ले रहा था एक-एक पल मेरे लिए एक सदी जैसा हो गया था... मैं गाड़ी भी चला रहा था ऑर अपनी बीती हुई जिंदगी को भी याद कर रहा था...
अचानक मेरी नज़र उसी पेट्रोल पंप पर पड़ी जिस पेट्रोल पंप से मैने पेट्रोल भरवाया था ऑर जब मैं घायल था तो वहाँ पर खड़े लड़के ने मेरी मदद करने की कोशिश भी की थी... वहाँ कुछ लोग तोड़-फोड़ कर रहे थे... मैने उन लोगो को देख कर गाड़ी वही रोक दी ऑर गाड़ी से बाहर निकल आया... वहाँ पर कुछ लोग उस लड़के को बुरी तरह मार रहे थे... मैं तेज़ कदमो के साथ वहाँ गया ऑर जाते ही सामने खड़े हुए आदमी को लात मारी जो उस लड़के को बुरी तरह पीट रहा था मेरी लात खाते ही वो दूर जाके ज़मीन पर गिर गया...
आदमी: कौन है ओये तू...
मैं: क्यो मार रहे हो इस लड़के को...
आदमी: साले ने हम से ब्याज पर पैसा लिया था अपनी माँ के इलाज के लिए अब इसकी माँ को मरे को इतना वक़्त हो गया है ऑर अभी तक हमारा पैसा वापिस नही किया...
मैं: कितना पैसा है...
आदमी: 20,000 ऑर उपर से 15,000 ब्याज...
मैने बिना कोई सवाल जवाब किए अपने जेब मे हाथ डाला ऑर 50,000 रुपये के नोट का बंडल उस आदमी के मुँह पर फैंक दिया...
मैं: (अपनी जेब से गन निकाल कर उसको लोड करते हुए) अब दफ़ा हो जाओ यहाँ से नही तो तुम मे से कोई भी अपनी टाँगो पर चल कर यहाँ से नही जाएगा...
आदमी: बादशाहो हम को हमारे पैसे मिल गये अब हमने इससे क्या लेना है... शुक्रिया...
मैं: (उंगली से जाने का इशारा करते हुए) दफ़ा हो जाओ...
उसके बाद मैने नीचे पड़े उस लड़के को उठाया ऑर पेट्रोल पंप के अंदर ले गया...
मैं: (घड़े से पानी भरते हुए) तुम ठीक हो...
लड़का: जी साहब मैं ठीक हूँ... मुझे समझ नही आ रहा आपका ये अहसान मैं कैसे उतारूँगा...
मैं: मैने तुम पर कोई अहसान नही किया यही समझ लो तुम्हारी अम्मी ने तुम्हारे लिए पैसे भेजे थे...
लड़का: शुक्रिया साहब...
मैं: (लड़के को पानी देते हुए) क्या नाम है तुम्हारा...
लड़का: (पानी पीते हुए) जी... रुस्तम...
मैं: एक बात समझ नही आई तुम्हारा तो ये पेट्रोल पंप है ना फिर तुम्हारे पास पैसे की क्या कमी है...
लड़का: साहब ये पेट्रोल पंप मेरा नही शेरा भाई जान का है मैं तो यहाँ मुलाज़िम हूँ...
मैं: (हैरान होते हुए) क्या शेरा का है ये पेट्रोल पंप...
लड़का: जी साहब पहले शेख़ साहब का होता था लेकिन आज कल इस पेट्रोल पंप के मैल्क शेरा भाई जान हैं...
मैं: (मुस्कुराते हुए) तुमने देखा है शेरा को...
रुस्तम: जी नही साहब... बस नाम ही सुना है... बाबा के जनाज़े पर दूर से देखा था एक बार उसके बाद कभी नही देखा...
मैं: (मुस्कुराते हुए) तो अब नज़दीक से भी देख लो...
रुस्तम: (अपनी जगह से खड़ा होते हुए) आप शेरा भाई हो साहब जी...
मैं: (हां मे सिर हिलाते हुए) दुनिया तो यही कहती है...
रुस्तम: (हाथ जोड़ते हुए) आप एक दम बाबा जैसे हो साहब बाबा ने मुझे रोज़ी दी ऑर आपने आज मेरी जान बचाई... मेरी ये जान आज से आपकी अमानत है अगर कभी मैं आपके काम आ सकूँ तो अपनी खुश नसीबी समझूंगा...
उसके बाद हम कुछ देर बाते करते रहे फिर वहाँ से पेट्रोल भरवा कर उसको कुछ पैसे दिए पेट्रोल पंप की मरम्मत के लिए ऑर कुछ पैसे उसके खुद के इलाज के लिए... फिर मैं अपने सफ़र के लिए वापिस निकल पड़ा...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
मैं करीब 9 घंटे से लगातार गाड़ी चला रहा था इसलिए बुरी तरह थक गया था ऑर मुझे भूख भी बहुत लग रही थी लेकिन आस-पास कही भी कोई होटेल या ढाबा नही खुला था जहाँ मैं खाना खा सकूँ इसलिए मैने गाड़ी चलाते रहना ही मुनासिब समझा मैं सुबह तक लगातार गाड़ी चलाता रहा... सुबह मैं उस शहर मे आ गया था जहाँ हीना अक्सर मुझे इलाज के लिए लाया करती थी... इसलिए गाड़ी को मैने उसी शॉपिंग माल के सामने रोक दिया जहाँ से रिज़वाना ने मुझे कपड़े दिलवाए थे मैने जल्दी से गाड़ी को पार्क किया ऑर उस माल मे चला गया सुबह का वक़्त था इसलिए पूरा माल खाली नज़र आ रहा था वहाँ कोई भी नही था बस दुकान वाले ही आए हुए थे जो अपना-अपना माल सेट कर रहे थे मैने एक दुकान मे जाके नाज़ी, फ़िज़ा, हीना ऑर बाबा के लिए नये कपड़े लिए ऑर कुछ ऑर समान लेके वापिस गाड़ी मे आके बैठ गया ऑर फिर से अपना सफ़र शुरू कर दिया... उस शहर से मेरा गाँव पास ही था इसलिए जल्दी ही मैं अपने गाव की सरहद मे घुस चुका था जहाँ से मेरा गाव शुरू होता था...
कुछ ही देर मे मैं मेरे गाव के काफ़ी करीब तक पहुँच गया था... लह-लहाते खेत ऑर ताज़ी हवा ने मेरी सारी थकान को एक दम गायब कर दिया गाव की ताज़ी हवा मे साँस लेते ही जैसे मेरा रोम-रोम खिल उठा... मैने गाड़ी साइड पर रोक दी ऑर कुछ देर बाहर आके गाव की ताज़ा हवा ऑर खेतो की हरियाली का मज़ा लेने लगा वही पास ही एक सॉफ पानी का ट्यूब-वेल था जहाँ मैने पानी पीया ऑर चेहरे को धो कर वापिस अपने सफ़र के लिए निकल पड़ा... अब कुछ ही दूरी रह गई थी ऑर अब मैं किसी भी वक़्त मैं मेरे गाव तक पहुँच सकता था इसलिए अब मैने अपनी गाड़ी की रफ़्तार भी बढ़ा दी ... मुझे गाव मे घुसते ही एक अजीब सी खुशी महसूस हो रही थी एस लग रहा था जैसे मैं अपने घर वापिस आ गया हूँ... कुछ ही दूरी पर मुझे मेरा खेत नज़र आया जहाँ मैं काम किया करता था... मैने फॉरन गाड़ी रोकी ऑर सबसे पहले अपने खेत मे चला गया वहाँ गन्ने की फसल एक दम तैयार खड़ी थी... मैं कुछ देर अपने खेत मे रुका ऑर फसल का जायेज़ा लेने लगा ऑर सोचने लगा की ज़रूर ये फसल नाज़ी ऑर फ़िज़ा ने उगाई होगी फिर वापिस आके अपनी गाड़ी मे बैठ गया ऑर अपनी गाड़ी को अपने घर की तरह दौड़ा दिया आज मैं बेहद खुश था इसलिए बार-बार अपने घरवालो के लिए खरीदे हुए समान को बार-बार देख रहा था ऑर चूम रहा था...
कुछ ही देर मे मैने मेरी गाड़ी मेरे घर के सामने रोक दी... मैं जल्दी से गाड़ी से उतरा ऑर अपना बॅग ऑर घरवालो के लिए खरीदा हुआ समान निकाला ऑर तेज़ कदमो के साथ अपना घर के दरवाज़े के बाहर खड़ा हो गया... मैं बेहद खुश भी था ऑर डर भी रहा था कि जाने इतने वक़्त के बाद सब लोग मुझे देख कर कैसा बर्ताव करेंगे... फ़िज़ा तो ज़रूर मुझसे नाराज़ होगी ऑर नाज़ी तो ज़रूर मेरे साथ झगड़ा तक कर लेगी लेकिन हाँ बाबा ज़रूर मेरा साथ देंगे ऑर उन दोनो को चुप करवा देंगे ऐसे ही काई अन-गिनत ख़याल ऑर अपने ज़ोर-ज़ोर से धड़कते दिल के साथ मैने दरवाज़ा खट-खाटाया... कुछ देर बाद एक औरत ने दरवाज़ा खोला ऑर मेरे सामने आके खड़ी हो गई...
औरत: हाँ क्या काम है...
मैं: जी मैं नीर हुन्न...
औरत: (बेरूख़ी से) कौन नीर ... किससे मिलना है तुमको...
मैं: आप कौन हो ओर यहाँ क्या कर रही हो...
औरत: अरे अजीब आदमी हो मेरे घर मे मुझ से ही पूछ रहे हो कि यहाँ क्या कर रही हूँ... तुम हो कौन ऑर किससे मिलना है...
मैं: जी आप बाबा नाज़ी या फ़िज़ा मे से किसी को भी बुला दीजिए वो मुझे जानते हैं...
औरत: यहाँ इस नाम का कोई नही है दफ़ा हो जाओ यहाँ से...
इतना कह कर उसने मेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दिया... मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि ये क्या हुआ सब लोग कहाँ गये ऑर ये कौन औरत थी जो इतनी बेरूख़ी से मुझसे बात कर रही थी... बाबा कहाँ है, फ़िज़ा कहाँ है, नाज़ी कहाँ है ऐसे ही कई सवाल एक साथ मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे जिनका मुझे जवाब ढूँढना था... मैं वापिस उदास ऑर परेशान हालत मे वापिस अपनी गाड़ी के पास आ गया ऑर सारा समान वापिस गाड़ी मे रख दिया...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
कुछ देर गाड़ी मे बैठने के बाद मैं सोचने लगा कि अब मैं कहा जाउ ऑर किससे पुछु इन्न सब लोगो के बारे मे तभी अचानक मुझे याद आया कि हीना मुझे इन सबके बारे मे बता सकती है... मैने फॉरन गाड़ी स्टार्ट की ऑर गाड़ी को हीना की हवेली की तरफ घुमा दिया... मैं उस वक़्त काफ़ी परेशान था इसलिए बहुत तेज़ रफ़्तार से गाड़ी चला रहा था... कुछ ही मिनिट मे मैने गाड़ी को चौधरी की हवेली के सामने रोक दिया... सामने मुझे 2 दरबान बैठे नज़र आए... मैं फॉरन गाड़ी से उतरा ऑर उन दोनो के पास जाके खड़ा हो गया... इन दोनो दरबानो को मैं जानता था इसलिए उनको देखते ही मैने फॉरन पहचान लिया...
दरबान: कौन हो भाई क्या काम है...
मैं: अर्रे भाई मुझे भूल गये क्या मैं नीर हूँ याद आया...
दरबान: (सवालिया नज़रों से मुझे देखते हुए) कौन नीर ... क्या काम है...
मैं: यार भूल गये मैं तुम्हारी छोटी मालकिन को गाड़ी चलानी सिखाता था याद है...
दरबान: (कुछ याद करते हुए) हाँ... हाँ... याद आ गया तुम हैदर बाबा के छोटे बेटे हो ना...
मैं: हाँ मैं उन्ही का बेटा हूँ... मुझे तुम्हारी मेम्साब से मिलना है
दरबान: (हँसते हुए) पागल हो क्या खुद भी मार खाओगे हम को भी मार खिलवाओगे उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है...
मैं: लेकिन समस्या क्या है यार पहले भी तो मैं उनसे मिलता ही था ना...
दरबान: आज छोटी मालकिन की शादी है इसलिए आज उनसे मिलने की इजाज़त किसी को नही है...
मैं: क्या... आज हीना की शादी है...
दरबान: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हाँ
मैं: देखो यार मेरा उससे मिलना बहुत ज़रूरी है मेरी मजबूरी को समझो...
दरबान: (आपस मे बात करते हुए) ठीक है लेकिन इसमे हमारा क्या फ़ायदा...
मैं: (अपनी जेब से कुछ पैसे निकाल कर दरबान को देते हुए) अब तो मिल सकता हूँ ना...
दरबान: (खुश हो कर नोट गिनते हुए) कितना वक़्त लगेगा...
मैं: बस 10-15 मिनिट ज़्यादा से ज़्यादा नही...
दरबान: ठीक है लेकिन ज़्यादा वक़्त मत लगाना ये मेरा साथी तुमको पिछे के रास्ते से हवेली मे ले जाएगा लेकिन अगर किसी ने तुमको पकड़ लिया तो हम तुमको नही जानते तुम हम को नही जानते बोलो मंज़ूर है...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) मंज़ूर है अब चलो जल्दी...
उसके बाद एक दरबान मुझे हवेली के पिछे की तरफ ले गया जहाँ से एक छोटा सा दरवाज़ा था जिस पर ताला लगा हुआ था उसने मेरे सामने जल्दी से ताला खोला ऑर फिर हम दोनो अंदर चले गये वो चारो तरफ देखता हुआ ऑर लोगो की नज़रों से बचा कर उपर तक ले आया ऑर उंगली से हीना के कमरे की तरफ इशारा कर दिया...
दरबान: (उंगली से इशारा करते हुए) ये वाला कमरा है छोटी मालकिन का अब जल्दी जाओ ओर ज़्यादा वक़्त मत लगाना कही कोई आ ना जाए नही तो दोनो मरेंगे...
मैं: शुक्रिया... मैं जल्दी आ जाउन्गा...
मैं दबे पाँव हीना के कमरे मे चला गया ऑर कमरे को अंदर से कुण्डी लगा ली ताकि कोई भी बाहर का अंदर ना आ सके... मैं जैसे ही कमरे मे घुसा मुझे सामने बेड पर हीना लेटी हुई नज़र आई जिसकी हालत देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि या तो वो बीमार है या फिर वो सो रही है... उसके पास ही मेरा कुर्ता पाजामा पड़ा था जो उसको मैने पहनने के लिए दिया था जिसे मैने फॉरन पहचान लिया... मैं जल्दी से उसके पास गया ऑर उसको कंधे से हिला कर उठाया...
मैं: (दबी हुई आवाज़ मे) उठो हीना... हीना... हीनाअ
हीना: (बिना मेरी तरफ देखे) दफ़ा हो जाओ यहाँ से मैने कहा ना मैं ये शादी नही करूँगी...
ये बात सुनकर मुझे भी झटका लगा कि ये हीना क्या कह रही है... लेकिन मैं जानना चाहता था कि असल माजरा क्या है हीना क्यो शादी से मना कर रही है...
मैं: (हीना को पकड़कर उठाते हुए) हीना मैं हूँ देखो मुझे एक बार...
हीना: (थप्पड़ मारने के लिए अपना हाथ उठाते हुए) नीर तूमम्म... तुम वापिस आ गये...
मैं: (मुस्कुराते हुए) हाँ मैं वापिस आ गया हूँ क्या हुआ है... तुमने ये क्या हालत बना रखी है अपनी... (अपने हाथ से हीना के बिखरे हुए बाल संवारते हुए)
हीना: (रोते हुए मुझे गले लगाकर) मुझे ले चलो यहाँ से नीर मैं यहाँ एक पल भी अब रहना नही चाहती...
मैं कुछ समझ नही पा रहा था कि हुआ क्या है... इसलिए बिना उससे कोई ऑर सवाल किए मैं उसको चुप करवाने लगा... कुछ देर रोने के बाद वो चुप हो गई फिर मैने पास पड़े ग्लास से उसको पानी पिलाया...
मैं: अब ठीक हो...
हीना: (पानी पीते हुए हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म...
मैं: अब मुझे बताओ क्या हुआ है यहाँ...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-51
हीना: तुम्हारे जाने के बाद तुम नही जानते यहाँ बहुत कुछ हो गया है मेरे साथ भी ऑर तुम्हारे घरवालो के साथ भी...
मैं: क्या हुआ है बताओ तो सही...
हीना: तुम्हारे वालिद ऑर फ़िज़ा अब इस दुनिया मे नही हैं...
मैं: (हैरानी से) क्या... कब हुआ ये सब कैसे हुआ...
हीना: तुम्हारे जाने के बाद बाबा की तबीयत बहुत खराब रहने लगी थी इसलिए मैने ऑर नाज़ी ने मिलकर उनको हॉस्पिटल अड्मिट करवा दिया बिचारी नाज़ी ने बहुत उनकी खिदमत की आखरी वक़्त मे लेकिन उपर वाले की मर्ज़ी के आगे किया भी क्या जा सकता है वो नाज़ी ऑर फ़िज़ा को रोता हुआ छोड़ कर चले गये...
मैं: (अपनी आँख से आँसू सॉफ करते हुए) ऑर फ़िज़ाअ...
हीना: बाबा के जाने के कुछ दिन बाद ही क़ासिम जैल से रिहा होके वापिस आ गया ऑर आते ही उसने दोनो लड़कियो पर ज़ुल्म करने शुरू कर दिए... वो पैसे के लिए रोज़ फ़िज़ा को मारता था उस बेगैरत को इतना भी तरस नही आया कि फ़िज़ा माँ बनने वाली है उसने तो यहाँ तक इनकार कर दिया था कि वो बच्चा उसका नही है ऑर वो फ़िज़ा पर गंदे-गंदे इल्ज़ाम लगा के रोज़ उसको मारता था... ऐसे ही एक बार उसने फ़िज़ा के पेट मे लात मार दी जिससे उसकी तबीयत बहुत ज़्यादा खराब हो गई बिचारी नाज़ी भागी-भागी मेरे पास आई हम दोनो मिलकर उसको शहर लेके गये लेकिन डॉक्टर ने कहा कि फ़िज़ा को बचना बहुत मुश्किल है ऑर बच्चे की जान को भी ख़तरा है इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा लेकिन ऑपरेशन के बाद बच्चा तो बच गया लेकिन फ़िज़ा को डॉक्टर बचा नही सके... लेकिन उसकी निशानी आज भी नाज़ी के पास है... फ़िज़ा के कफ़न दफ़न के बाद क़ासिम ने मकान ऑर खेत पर क़ब्ज़ा कर लिया उसके बाद उसने एक तवायफ़ से शादी कर ली
बिचारी नाज़ी उस बच्चे को भी संभालती थी ऑर दिन भर घर का काम भी करती थी बदले मे उसको 2 वक़्त का खाना भी पूरा नही दिया जाता था क़ासिम की नयी बीवी रोज़ नाज़ी को बहुत मारती थी... फिर एक दिन उस बद-ज़ात औरत ने नाज़ी को भी घर निकाल दिया... क़ासिम के पास जब पैसे ख़तम हो गये तो उसने तुम्हारे खेत मेरे अब्बू को बेच दिए...
मैं: (रोते हुए) नाज़ी ऑर फ़िज़ा का बच्चा कहाँ है...
हीना: (अपने आँसू पोंछते हुए) यही हैं मेरे पास नाज़ी अब हवेली मे ही काम करती है...
मैं: क्या मैं मिल सकता हूँ उन दोनो से...
हीना: हाँ ज़रूर मिल सकते हो लेकिन मुझे नीचे जाने की इजाज़त नही है तुम रूको मैं किसी को भेज कर नाज़ी को बुल्वाती हूँ...
उसके बाद हीना ने मुझे पर्दे के पिछे छुपने को कहा ऑर खुद बाहर खड़े दरबान से नाज़ी को बुला कर लाने का कहा ऑर वापिस आके गेट बंद कर लिया ऑर फिर से आके मेरे पास बेड पर बैठ गई...
मैं: हीना मुझे समझ नही आ रहा मैं ये तुम्हारा अहसान कैसे उतारूँगा तुम नही जानती तुमने मेरे लिए क्या किया है...
हीना: पागल हो क्या मैने कुछ नही किया... ये तो मेरा फ़र्ज़ था तुम्हारे बाद उनका ख़याल मुझे ही तो रखना था ना...
मैं: (हीना के दोनो हाथ चूमते हुए) शुक्रिया... तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया अगर मैं कभी तुम्हारे किसी काम आ सकूँ तो खुद को बहुत खुश नसीब समझूंगा...
हीना: नीर जानना नही चाहोगे मेरी शादी किससे हो रही है...
मैं: (सवालिया नज़रों से हीना को देखते हुए) किस के साथ... ?
हीना: तुम्हारे इनस्पेक्टर ख़ान के साथ...
ये मेरे लिए एक ऑर बड़ा झटका था क्योंकि उसी को तो मैं यहाँ मारने आया था...
मैं: क्य्ाआ...
हीना: मैं उस बेगैरत इंसान से शादी नही करना चाहती नीर क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूँ उस कमीने ने मेरे अब्बू को भी पता नही कैसे शादी के लिए राज़ी कर लिया है जानते हो जिस कमीने पर तुम अपने परिवार की ज़िम्मेदारी छोड़ कर गये थे उसने एक बार भी आके ये नही देखा कि वो लोग ज़िंदा है या मर गये... बस डॉक्टर रिज़वाना कभी-कभी आती थी जो नाज़ी ऑर फ़िज़ा को कुछ पैसे दे जाया करती थी घर खर्च के लिए उसके बाद उसने भी आना बंद कर दिया सुना है उसकी किसी कार आक्सिडेंट मे मौत हो गई थी... मुझे वो इंसान बिल्कुल पसंद नही है जो इंसान अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से नही संभाल सकता क्या गारंटी है कि वो मेरा ख़याल रख लेगा...
मैं: तुम मुझसे प्यार करती हो हीना... ??
हीना: (मुस्कुरा कर नज़रें नीचे करके हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म... क्या तुम्हारी जिंदगी मे कोई ऑर लड़की है...
मैं: (मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि मैं क्या जवाब दूं लेकिन हीना का मुझ पर अहसान था इसलिए मैने बिना कुछ सोचे समझा उसको हाँ कहने का फ़ैसला कर लिया) नही यार ऐसी कोई बात नही है मुझे भी तुम बहुत पसंद हो... लेकिन तुम मेरी जिंदगी के बारे मे कुछ नही जानती एक बार मेरा सच सुन लो उसके बाद जो तुम्हारा फ़ैसला होगा मुझे मंज़ूर होगा...
हीना: मुझे कुछ नही पता मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ तुम मुझे जिस हाल मे भी रखोगे मैं रह लूँगी ऑर बहुत खुश रहूंगी तुम्हारे साथ...
मैं: लेकिन मैं एक गॅंग्स्टर हूँ ऑर मेरा नाम नीर नही शेरा है...
हीना: तो क्या हुआ गॅंग्स्टर शादी नही करते क्या... मुझे उससे कोई फरक नही पड़ता मैं बस तुमसे प्यार करती हूँ इससे ज़्यादा मुझे कुछ नही पता अब बोलो मुझसे शादी करोगे या नही...
मैं: (बिना कुछ बोले हीना का चेहरा पकड़ कर उसके होंठ चूमते हुए) मिल गया जवाब...
हीना: (आँखें फाड़-फाड़ कर मुझे देखते हुए) हाँ...
तभी किसी ने दरवाज़ा खट-खाटाया तो हम लोग दूर होके बैठ गये... हीना ने मुझे दुबारा पर्दे के पिछे छुप जाने का इशारा किया ऑर खुद दरवाज़ा खोलने चली गई...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
उसके बाद मुझे 2 आवाज़े सुनाई देने लगी क्योंकि मैं पर्दे के पिछे था इसलिए कुछ भी देख नही पा रहा था इनमे से एक आवाज़ हीना की थी ऑर दूसरी नाज़ी की थी...
नाज़ी: अपने मुझे बुलाया छोटी मालकिन...
हीना: कहाँ थी इतनी देर चल अंदर आ तेरे लिए एक तोहफा है मेरे पास...
नाज़ी: कौनसा तोहफा मालकिन?
हीना: पहले तू अंदर तो आ फिर दिखाती हूँ ऑर आते हुए दरवाज़ा बंद कर देना अंदर से...
नाज़ी: अच्छा...
उसके बाद कुछ देर कमरे मे खामोशी छा गई फिर मैं बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा कि कब हीना मुझे आवाज़ दे ऑर मैं बाहर निकलु...
नाज़ी: बंद कर दिया दरवाज़ा छोटी मालकिन...
हीना: तुझे एक जादू दिखाऊ...
नाज़ी: कौनसा जादू...
हीना: शर्त लगा ले तेरी आँखें बाहर आने को हो जाएँगी मेरा जादू देख कर...
नाज़ी: मैं कुछ समझी नही मालकिन...
हीना: समझती हूँ रुक... अब देख मेरा जादू... 1... 2... 3...
3 कहने के साथ ही झटके से हीना ने मेरे सामने आया हुआ परदा हटा दिया... नाज़ी मुझे आँखें फाड़-फाड़ कर देखने लगी ऑर मैं भी इतने वक़्त के बाद नाज़ी को देख रहा था इसलिए उसी जगह पर किसी पत्थर की तरह खड़ा उसको देखने लगा... नाज़ी पहले से बहुत कमज़ोर हो गई थी ऑर शायद रो-रो कर उसके आँखो के नीचे काले दाग पड़ गये थे... हम दोनो की ही आँखों मे आँसू थे ऑर बिना पलक झपकाए एक दूसरे को देख रहे थे... नाज़ी बिना कुछ सोचे समझे भाग कर मेरे पास आई ऑर मेरे गले से लग कर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी... मैं भी उसके सिर पर हाथ फेर कर उसको चुप करवाने लगा मुझे समझ नही आ रहा था कि उसको क्या कहूँ ऑर कहाँ से बात शुरू करू... वो किसी छोटे बच्चे की तरह लगातार सिसक-सिसक कर मुझसे लिपट कर रो रही थी... मैने हीना को इशारा से पानी लाने को कहा तो वो भागती हुई बेड के पास पड़ा आधा ग्लास पानी ही उठा लाई मैने वो पानी नाज़ी को पिलाया ऑर चुप करवाया ऑर उसको पकड़ कर बेड तक ले आया ऑर उसको बेड पर बिठा दिया ऑर खुद भी उसके साथ बैठ गया... काफ़ी देर रोने के बाद नाज़ी का मन हल्का हो गया था इसलिए अब वो बेहतर लग रही थी...
नाज़ी: तुम कहाँ थे इतने दिन नीर तुम नही जानते तुम्हारे पिछे हमारे साथ क्या-क्या हो गया बाबा ऑर फ़िज़ा भाभी... (उसने फिर से रोना शुरू कर दिया)
मैं: मैं सब जान गया हूँ नाज़ी मुझे हीना ने सब बता दिया है... फिकर मत करो मैं अब आ गया हूँ ना तुम्हारे साथ जो बुरा होना था हो गया अब रोने की उनकी बारी है जिन्होने हमारे परिवार को इतना रुलाया है...
.........................................
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
हीना: नाज़ी अकेली आई हो नीर कहाँ है...
मैं: तुम्हारे सामने तो बैठा हूँ...
हीना: (हँसते हुए) तुम नही हमारा छोटा नीर ...
मैं: (सवालिया नज़रों से हीना को ऑर नाज़ी को देखते हुए) छोटा नीर ... ???
हीना: फ़िज़ा के बेटे का नाम भी हमने नीर ही रखा है क्योंकि ये नाम हमने नही बल्कि खुद फ़िज़ा ने ही रखा है वो चाहती थी कि उसका बेटा बड़ा होके तुम जैसा बने...
नाज़ी: (अपने आँसू सॉफ करते हुए) मैं अभी लेके आती हूँ...
हीना: यहाँ मत लेके आना उसको... तुम ऐसा करो हवेली के पिछे वाले रास्ते पर पहुँचो हम दोनो अभी वही आ रहे हैं...
मैं: अभी नही शाम को जाएँगे...
हीना: पागल हो गये हो शाम को ख़ान ऑर उसके लोग यहाँ आ जाएँगे तब निकलना ना-मुमकिन होगा...
मैं: कुछ नही होगा मुझ पर भरोसा रखो आज ख़ान को मारे बिना मैं भी यहाँ से जाने वाला नही हूँ...
हीना: वो पोलीस वाला है उसको मारोगे तो सारे पोलीस वाले हमारे पिछे पड़ जाएँगे...
मैं: वो पोलीस वाला है तो अब मैं भी कोई मामूली आदमी नही हूँ पोलीस के हर रेकॉर्ड मे हमारा नाम शान से मोस्ट वांटेड की लिस्ट मे टॉप पर लिखा जाता है (मुस्कुरा कर) अब चाहे कुछ भी हो जाए उसको मारे बिना मुझे चैन नही आएगा या तो मर जाउन्गा या उस हरामखोर को मार दूँगा... हीना मैने मेरे परिवार के 2 अज़ीज़ लोग खोए हैं ऑर वो सब उस कमीने की वजह से क्योंकि मैं जाने से पहले अपने परिवार की ज़िम्मेदारी उसको देके गया था... वैसे भी उसके साथ मेरा कुछ पुराना हिसाब भी है वो नुकसान तो मैं उसको माफ़ भी कर देता अगर उसने मेरे परिवार का ख़याल रखा होता... लेकिन यहाँ आके जो मुझे पता चला है उसके बाद अगर मैने उसको ज़िंदा छोड़ दिया तो लानत है मुझ जैसे बेटे पर जो अपने बाप की मौत का बदला भी नही ले सका...
हीना: मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ...
नाज़ी: नीर तुमको क्या लगता है सिर्फ़ ख़ान ही दोषी है बाबा की ऑर फ़िज़ा भाभी की मौत का... तुम नही जानते क़ासिम ने भी हम पर कम ज़ुल्म नही किए आज अगर फ़िज़ा भाभी हमारे बीच नही है तो वो सिर्फ़ उस कमीने की वजह से नही है...
मैं: (नाज़ी का हाथ पकड़कर उसको खड़ा करते हुए) चलो पहले ये हिसाब ही बराबर कर लेते हैं...
हीना: अब तुम कहाँ जा रहे हो...
मैं: मैं ज़रा क़ासिम से मिल कर आता हूँ... तब तक तुम किसी से कुछ मत कहना बस शादी के लिए तेयार हो जाओ...
हीना: ठीक है लेकिन शाम तक तुम आ जाओगे ना...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म... फिकर मत करो...
हीना: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है जैसे तुम कहो...
मैं: नाज़ी तुम नीचे जाओ ऑर छोटे नीर को लेके तुम मुझे हवेली के पिछे वाले गेट पर मिलो...
नाज़ी: अच्छा...
उसके बाद नाज़ी ऑर मैं हीना के कमरे से बाहर निकल आए... नाज़ी वापिस तेज कदमो के साथ सीढ़ियो से नीचे उतर गई ऑर मैं उस दरबान के साथ दूसरी सीढ़िया उतरता हुआ हवेली के दरवाज़े के पिछे के रास्ते पर आ गया...
दरबान: क्या भाई कितनी देर लगा दी तुमने मेरी तो जान निकल रही थी डर से...
मैं: तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया तुमने मेरी बहुत मदद की है ( अपनी जेब से कुछ ऑर पैसे निकालते हुए) ये लो रखो...
दरबान: नही भाई तुमने पहले ही काफ़ी पैसे दे दिए हैं
मैं: अर्रे रख ले यार तेरे काम आएँगे...
दरबान: (नज़रे नीचे करके मुस्कुराते हुए) शुक्रिया... ऑर कोई काम हो तो याद कर लेना...
मैं: फिकर मत करो शाम को ही तुमसे एक ऑर काम है मुझे...
दरबान: अच्छा...
उसके बाद हम दोनो पिच्चे के रास्ते से हवेली के बाहर निकल गये ऑर वापिस हवेली के सामने वाले दरवाज़े पर आ गये वहाँ से मैं अपनी गाड़ी मे बैठ गया ऑर वो दरबान अपनी जगह पर जाके बैठ गया... मैने गाड़ी स्टार्ट की ऑर वापिस हवेली के पिछे के दरवाज़े की तरफ ले गया वहाँ नाज़ी पहले से खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी उसने एक छोटे से बच्चे को भी पकड़ रखा था... मैने जल्दी से गाड़ी का दरवाज़ा खोला ऑर उसको अंदर आने का इशारा किया वो बिना कुछ बोले मुस्कुरा कर गाड़ी के अंदर बैठ गई...
नाज़ी: (मुस्कुराते हुए) ये देखो हमारा छोटा नीर ... सुंदर है ना
मैं बिना कुछ बोले उस बच्चे को अपने गोद मे उठाया ऑर उसको देखने लगा बहुत ही मासूम ऑर खूबसूरत था उसका नाक एक दम फ़िज़ा जैसा था ऑर आँखें एक दम मेरे जैसी... आख़िर था भी तो मेरा खून उसको मैं जी भर के देखता रहा ऑर खुशी से मेरी आँखो मे आँसू आ गये मैने उसको अपने चेहरे के करीब किया ऑर उसका माथा चूम लिया ऑर वापिस नाज़ी को पकड़ा दिया... उसके बाद मैने गाड़ी को अपने पुराने घर की तरफ वापिस घुमा दिया जहाँ अब क़ासिम रहता था...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
नाज़ी: हम कहाँ जा रहे हैं नीर ...
मैं: हम क़ासिम से मिलने जा रहे है...
नाज़ी: नही मैं वहाँ कभी नही जाउन्गी उस ज़लील इंसान का मैं मुँह भी नही देखना चाहती...
मैं: तुम्हारे सामने ही सारा हिसाब बराबर करके जाउन्गा मैं...
नाज़ी बिना कुछ बोले नज़रे झुका कर बैठ गई... कुछ ही देर मे मैने घर के सामने गाड़ी को रोक दिया...
मैं: नाज़ी तुम यही बैठो मैं अभी आता हूँ...
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) अच्छा...
उसके बाद मैं गाड़ी से उतरा ऑर जाके घर के दरवाज़े के सामने खड़ा हो गया... मैने 1-2 बार दरवाज़ा खट-खाटाया जब किसी ने दरवाज़ा नही खोला तो मैने एक जोरदार लात दरवाज़े पर मारी जिससे झटके से दरवाज़े का एक हिस्सा टूट गया ऑर हवा मे लटकने लगा दरवाज़ा खुल गया था मैं बिना कुछ बोले अंदर चला गया ऑर चारो तरफ देखने लगा पूरा घर वैसे का वैसा था लेकिन समान काफ़ी बदल गया था टूटी-फूटी चीज़ो की जगह नयी ऑर महँगी चीज़े आ गई थी... अभी मैं घर को देख ही रहा था कि एक औरत मेरी तरफ भाग कर आई...
औरत: कौन है तू ऑर इस तरह मेरे घर मे घुसने की तेरी हिम्मत कैसे हुई...
मैं: (उस औरत को गर्दन से पकड़ कर उपर हवा मे उठाते हुए) जिस घर को तू अपना कह रही है वो मेरा घर है मेरे बाबा का घर जिस पर तू ऑर तेरे मादरचोद शोहार ने क़ब्ज़ा किया है अब या तो तू उसको बाहर निकाल नही तो मैं तेरी जान ले लूँगा...
औरत: (हवा मे पैर चलाते हुए ऑर उंगली से बाबा के कमरे की तरफ इशारा करते हुए) उधर... उधहाअ... उधाअरररर...
मैं: (बिना कुछ बोले उस औरत को छोड़ते हुए) क़ास्स्सिईइम्म्म्म... बाहर निकल...
मेरे ज़ोर से उसका नाम पुकारने पर क़ासिम शराब के नशे मे धुत्त लड़-खडाता हुआ बाहर आया उसके हाथ मे अब भी शराब की बोतल थी...
क़ासिम: कौन है ओये... नीर तू यहानाअ...
मैं: मेरे घरवाले कहाँ है क़ासिम...
क़ासिम: क्या बताऊ यार सब मर गये मैने उनको बचाने की बहुत कोशिश की बाबा तो मेरे आने से पहले ही गुज़र चुके थे फ़िज़ा ऑर नाज़ी भी एक दिन मर गई...
मैं: (गुस्से मे तेज़ कदमो के साथ क़ासिम के पास जाके उसके मुँह पर थप्पड़ मारते हुए) मादरचोद झूठ बोलता है तूने मारा है मेरी फ़िज़ा को तूने घर से निकाला नाज़ी को दर-दर की ठोकर खाने के लिए साले शरम आती है कि तू उस फरिश्ते जैसे इंसान का बेटा है...
क़ासिम: मैं... मैं... मैं क्या करता मुझे नबीला से प्यार जो था ऑर वैसे भी फ़िज़ा बहुत गिरी हुई लड़की थी साली मेरे जैल जाने के बाद दूसरो के साथ सोती थी हरामजादी...
मैं: भेन्चोद एक बार ऑर तूने फ़िज़ा को गाली निकली तो यही गाढ दूँगा तुझे...
क़ासिम: साली बाज़ारु को बाज़ारु ही कहूँगा ना पता नही किसका पाप मेरे गले डाल रही थी कमीनी... अच्छा हुआ मर गई... (हँसते हुए)
मैं: (बिना कुछ बोले अपनी गन निकाली ऑर उसके सिर मे 2 फाइयर कर दिए) मादरचोद... अब बोल... बोल हरामख़ोर फ़िज़ा के बारे मे क्या बोलेगा तू... (क़ासिम की लाश को लात मारते हुए) ऐसे ही लात मारी थी ना फ़िज़ा को अब मार लात दिखा कितनी ताक़त है तुझ मे दिखा मुझे...
मैं गुस्से मे पागल हो चुका था ऑर लगातार उसके पेट मे ठोकर मार रहा था मुझे इस बात की भी परवाह नही थी कि वो मर चुका है... तभी मुझे नाज़ी की आवाज़ सुनाई दी...
नाज़ी: (रोते हुए) बस करो नीर वो मर चुका है...
मैं: हरामख़ोर फ़िज़ा को बाज़ारु बोलता है...
नाज़ी: चलो यहाँ से तुमको मेरी कसम है चलो...
मैं बिना कुछ बोले हाथ मे गन पकड़े वहाँ से चलने लगा तभी मेरी नज़र उस औरत पर पड़ी जो ज़मीन पर गिरी पड़ी थी मुझे देखते ही वो रेंगते हुए मेरे पास आ गई ऑर मेरे पैर पकड़ लिए...
औरत: मुझे माफ़ कर दो मुझे जाने दो मैने तो कुछ नही किया...
नाज़ी: (उस औरत को लात मारते हुए) क़ासिम को इंसान से जानवर बनाने वाली तू ही है कमीनी...
मैं: (बिना कुछ बोले अपनी गन को दुबारा लोड करते हुए) चलो नाज़ी... (ये बोलते ही मैने 1 गोली उस औरत के सिर मे भी मार दी ऑर नाज़ी को लेके घर से बाहर निकल आया)
उसके बाद हम दोनो गाड़ी मे आके बैठ गये ऑर नाज़ी ने बच्चे को अपनी गोदी मे रख लिया ऑर फिर से मेरे कंधे पर सिर रख कर रोने लगी...
मैं: चुप हो जाओ नाज़ी सब ठीक हो जाएगा मैं हूँ ना...
नाज़ी: मुझे समझ नही आ रहा मैं क्या कहूँ नीर एक तुम हो जो गैर होके भी हमारे अपने से बढ़कर निकले ऑर एक ये क़ासिम था जो मेरा सगा भाई होके भी इतना बेगैरत निकला...
मैं: (नाज़ी के आँसू सॉफ करते हुए) चलो चुप हो जाओ ऑर मुझे बाबा ऑर फ़िज़ा के पास ले चलो उनको मिट्टी देना तो मेरे नसीब मे नही था कम से कम एक बार उनको देख कर आना चाहता हूँ...
नाज़ी: (चुप होते हुए) चलो गाँव के पुराने कब्रस्तान की तरफ गाड़ी घुमा लो...
उसके बाद हम दोनो पुराने कब्रिस्तान की तरफ चले गये वहाँ बाबा ऑर फ़िज़ा की कब्र के पास बैठ कर मैं काफ़ी देर तक रोता रहा... कुछ देर जी भर के रो लेने के बाद अब काफ़ी बेहतर महसूस कर रहे था मैने उनके लिए खरीदे हुए कपड़े उनकी क़ब्र पर ही रख दिए ऑर नाज़ी के पास वापिस आ गया... नाज़ी गाड़ी के पास खड़ी थी ऑर बच्चे को चुप करवा रही थी क्योंकि शायद बच्चा गोली की आवाज़ से डर गया था ऑर लगातार रो रहा था...
नाज़ी: नीर बहुत भूखा है काफ़ी देर से इसको दूध नही मिला है इसलिए...
मैं: तो अब क्या करे...
नाज़ी: हमें हवेली वापिस जाना होगा वहाँ मेरे कमरे मे इसकी दूध की बोतल है...
मैं: ठीक है हम पहले हवेली ही चलते हैं...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
16-11-2021, 03:11 PM
अपडेट-52
उसके बाद मैं ओर नाज़ी वापिस हवेली के पिछे वेल गेट पर चले गये वहाँ मैने अपनी गाड़ी खड़ी की ऑर नाज़ी के पीछे-पीछे उसके कमरे तक आ गया... हवेली का पिच्छला हिस्सा एक दम खाली रहता था इसलिए वहाँ किसी के आने का भी डर नही था... इसलिए हम बे-ख़ौफ्फ होके नाज़ी के कमरे मे चले गये... नाज़ी का कमरा कुछ ख़ास नही था बहुत छ्होटा सा कमरा था ऑर एक चारपाई के अलावा गिनती का समान था ऑर एक पुराना सा संदूक था जिसमे शायद नाज़ी ऑर बच्चे के कपड़े थे... मैं जाके सामने पड़ी चारपाई पर बैठ गया ऑर नाज़ी बच्चे को बोतल से दूध पिलाने लगी... दूध पी कर कुछ ही देर मे वो सो गया... इसलिए नाज़ी ने बच्चे को चारपाई पर मेरे साथ ही लिटा दिया...
मैं: नाज़ी मुझे भी भूख लगी है कुछ खाने को मिल सकता है...
नाज़ी: (यहाँ वहाँ देखते हुए) तुम रूको मैं अभी तुम्हारे लिए कुछ खाने को लाती हूँ...
उसके बाद मैं वहाँ आराम से बैठ गया अपने बच्चे को देखने लगा ऑर नाज़ी के आने का इंतज़ार करने लगा... कुछ ही देर मे नाज़ी एक प्लेट के साथ कमरे मे वापिस आ गई...
नाज़ी: (मुस्कुराते हुए कमरे मे घुसते हुए) ये लो जी खाना आ गया...
मैं: (बिना कुछ बोले मुस्कुरा कर नाज़ी से प्लेट लेते हुए) बहुत भूख लगी है यार कल रात से कुछ नही खाया मैने...
नाज़ी: (मुझसे प्लेट लेते हुए) हटो... मैं खिलाती हूँ...
नाज़ी ने मुझसे प्लेट लेली ऑर खुद मुझे अपने हाथो से खाना खिलाने लगी... मैने भी प्लेट से एक रोटी उठाई ऑर सालान के साथ रोटी लगाकर नाज़ी को खिलाने लगा... हम दोनो मुस्कुरा रहे थे ऑर एक दूसरे को खाना खिला रहे थे... खाना खाने के बाद नाज़ी ने बर्तन चारपाई के नीचे रख दिए ऑर हम हाथ मुँह धो कर वापिस चारपाई के पास आ गये ऑर बच्चा सोया हुआ था इस वजह से मैं ज़मीन पर ही लेट गया...
नाज़ी: अर्रे ज़मीन पर क्यो लेट रहे हो...
मैं: बच्चा जाग जाएगा इसलिए...
नाज़ी: रूको मैं नीचे चद्दर बिच्छा देती हूँ फिर तुम आराम से लेट जाओ...
उसके बाद नाज़ी ने ज़मीन पर मेरे लिए पुरानी सी चद्दर बिछा दी ऑर मैं उस पर लेट गया कुछ देर बाद नाज़ी भी मेरे साथ आके लेट गई ऑर मुझे गले से लगा लिया... मैने बिना कुछ बोले उसको एक नज़र देखा ऑर उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको अपने उपर लिटा लिया वो बिना कुछ बोले मेरे उपर आ गई ऑर मेरे चेहरे को देखने लगी...
नाज़ी: नीर तुम इतना वक़्त कहाँ थे...
मैं: (मैने अपनी सारी असलियत नाज़ी को बता दी)
नाज़ी: हमम्म तभी मैं सोचु इतनी आसानी से गोली कैसे चला दी तुमने...
मैं: क्या तुम मुझसे नाराज़ हो...
नाज़ी: क्यो नाराज़ क्यो होना है...
मैं: मैने क़ासिम को मार दिया इसलिए...
नाज़ी: मेरे बस मे होता तो मैं उसको कब की मार चुकी होती ऑर तुमने कोई ग़लत काम नही किया उसके जैसे घटिया इंसान को जीने का कोई हक़ नही था... लेकिन नीर एक परेशानी हो सकती है...
मैं: क्या...
नाज़ी: आज हीना की शादी है तो यहाँ बहुत से पोलीस वाले आएँगे ना अगर किसी को पता चल गया कि तुमने क़ासिम को मारा है तो वो लोग तुमको पकड़ लेंगे ना...
मैं: (मुस्कुराते हुए) आज कोई भी आ जाए मुझे पकड़ नही पाएगा ऑर तुम देखना शाम को तुम्हारे सामने कितने पोलीस वालों को मार कर जाउन्गा मैं यहाँ से...
नाज़ी: अपना भी ख़याल रखा करो तुमको कुछ हो गया तो तुम्हारे बाद मेरा इस दुनिया मे कौन है बताओ...
मैं: (मुस्कुराते हुए) क्यो ये छोटा नीर है ना...
नाज़ी: मज़ाक मत करो ना तुम्हारी जगह वो थोड़ी ले सकता है... अच्छा हाँ याद आया तुम तो मुझसे नाराज़ थे ना...
मैं: किस बात पर नाराज़ था मुझे तो याद नही...
नाज़ी: भूल गये...
मैं: (सवालिया नज़रों से नाज़ी को देखते हुए) नही... मुझे नही याद...
नाज़ी: तुमको मैने थप्पड़ मारा था अब याद आया...
मैं: (कुछ याद करते हुए) हाँ यार मैं तो भूल ही गया मैं अब भी तुमसे नाराज़ हूँ...
नाज़ी: अच्छा जी तो मनाने के लिए क्या करना पड़ेगा... (मेरे सिर मे अपनी उंगालिया घूमाते हुए)
मैं: जो पहले करती थी... (मुस्कुरा कर)
नाज़ी: तुम कभी नही सुधर सकते ना...
मैं: अब क्या करे फ़ितरत ही कुछ एसी है...
नाज़ी: अच्छा ठीक है लेकिन सिर्फ़ एक मिलेगा...
मैं: ठीक है तुम एक ही दे दो बाकी मैं खुद ले लूँगा...
नाज़ी: पहले अपनी आँखें बंद करो मुझे शरम आती है...
मैं: (आँखें बंद करते हुए) ठीक है...
उसके बाद नाज़ी ने बिना कुछ कहे अपने रसीले होंठ मेरे होंठ पर रख दिए धीरे-धीरे मैने अपने होंठ थोड़े से खोले ऑर उसके होंठों को अपने मुँह मे आने का रास्ता दे दिया ऑर धीरे-धीरे उसके होंठ को चूसने लगा... साथ ही अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख दिए... हम काफ़ी देर एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
16-11-2021, 03:13 PM
नाज़ी की ऑर मेरी दोनो की साँसे काफ़ी तेज़ हो गई थी इसलिए हमारे चूमने मे भी शिद्दत सी आ गई थी हम दोनो एक दूसरे मे समा जाने को तेयार थे लेकिन वो जगह ऐसी नही थी कि मैं उसके साथ कुछ कर सकता इसलिए ना चाहते हुए भी मैने खुद को काबू किया ऑर उसका चेहरा पकड़ कर खुद से अलग किया लेकिन नाज़ी की आँखें बंद थी ऑर वो बहुत ज़्यादा गरम हो गई थी इसलिए बार-बार मेरे हाथ अपने चेहरे से हटा कर मेरे होंठ चूस रही थी... इसलिए मुझे भी खुद को काबू करना मुश्किल हो रहा था नीचे से मेरा लंड भी पेंट फाड़ने को तेयार था ... मैने नाज़ी को कमर से पकड़ कर नीचे लिटा दिया ऑर खुद उसके उपर आ गया... अब मैने उसको शिद्दत से चूम रहा था... वो मुझे चूम रही थी ऑर बॅड-बड़ा रही थी...
नाज़ी: मैने बहुत इंतज़ार किया है तुम्हारा अब मुझसे कभी दूर मत जाना...
मैं: (नाज़ी के होंठ चूमते हुए) नही जाउन्गा...
उसके बाद मैने नाज़ी का चेहरा चूमना शुरू कर दिया ऑर चेहरे से होते हुए मैं उसके गले को चूमने ऑर चूसने लगा... उसने एक नज़र मुझे देखा ऑर खुद ही मेरा एक हाथ अपने मम्मे पर रख दिया ऑर फिर से आँखें बंद कर ली... उसके बाद मैं उसके गले को चूस्ते हुए उसके मम्मे दबाने लगा नाज़ी की सांस अब काफ़ी तेज़ हो गई थी ऑर वो अपने दोनो हाथो से मेरे चेहरे को अपने मम्मों पर दबा रही थी... मैने एक हाथ से कंधे के एक साइड से उसकी कमीज़ को नीचे कर दिया ऑर उसके कंधे को चूमने ऑर चूसने लगा साथ ही अपने एक हाथ उसकी कमीज़ के अंदर डाल कर उसके पेट पर अपना हाथ फेरने लगा... कुछ ही देर मे मेरा हाथ बढ़ते हुए उसके मम्मों के उपर आ चुका था अब मैं उसकी ब्रा के उपर से ही उसके मम्मों को दबा रहा था... नाज़ी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर मेरे लंड पर अपनी चूत को रगड़ रही थी जिससे मेरा लंड भी खड़ा होने की वजह से दुखने लगा था... मैने अपना दूसरा हाथ भी उसकी कमीज़ मे डाल दिया ऑर उसकी ब्रा को एक झटके से कमीज़ के अंदर से उपर कर दिया जिससे उसके आधे मम्मे बाहर आ गये... उसके निपल किसी तलवार की तरह एक दम सख़्त हो चुके थे मैने अपनी एक उंगली से उसके एक निपल को हल्का सा हिलाया ऑर फिर अपनी उंगली ऑर अंगूठे की मदद से उसके निपल को पकड़ लिया ऑर मरोड़ने लगा... इससे शायद नाज़ी को बहुत मज़ा आया था इसलिए उसके मुँह से एक तेज़ आआहह निकल गई... उसने जल्दी से दोनो हाथ मेरी पीठ पर रखे ऑर पिछे से मेरी कमीज़ को पेंट मे से बाहर खींचने लगे थोड़े से खिचाव से मेरी कमीज़ पेंट से बाहर आ गई... अब उसने अपने दोनो हाथ मेरी कमीज़ के अंदर डाल कर मेरी पीठ पर अपने दोनो हाथ फेरने ऑर नाख़ून मारने शुरू कर दिए... मैने जल्दी से उसकी कमीज़ सामने से उपर करदी जिसमे नाज़ी ने अपनी गान्ड उठा कर मेरी मदद की ...
कमीज़ उपर होते ही उसके गोल-गोल मम्मे बाहर आ गये जिस पर किसी भूखे बच्चे की तरफ मैं टूट पड़ा ऑर उन्हे चूसना शुरू कर दिया... नाज़ी आअहह ओह्ह्ह सस्स्सिईइ करती हुई मेरा सिर अपने मम्मों पर दबा रही थी... मैं उसकी निपल को चूस ऑर काट रहा था... मुझे उसके निपल चूसने मे परेशानी हो रही थी इसलिए मैने अपने हाथ दोनो पिछे ले जाकर उसकी ब्रा के स्टाप को खोल दिया ऑर फिर से उसके निपल चूसने मे लग गया... मैं जाने कितनी देर तक उसके मम्मों को चूस्ता रहा तभी उसने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा ऑर मुझे रुकने का इशारा किया... मैने अपने चहरा उपर करके उसको देखा ऑर रुक गया ओर उसके उपर से उठ गया मेरे साथ ही वो भी उठ गई ऑर मेरे चेहरे को पकड़ कर फिर से मेरे होंठ चूसने लगी ऑर साथ ही मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी उसका एक हाथ मेरी शर्ट के बटन खोल रहा था ऑर दूसरा हाथ मेरी छाती पर घूम रहा था शर्ट खुलते ही उसने झटके से मेरी शर्ट उतार दी ऑर मेरी छाती पर चूमने लगी...
मैने भी उसकी कमीज़ के दोनो सिरों को पकड़ा ऑर उपर की तरफ खींचा जिस पर उसने अपनी दोनो बाज़ू हवा मे उपर उठा दी पिछे से ब्रा खुली होने की वजह से उसकी कमीज़ के साथ उसकी ब्रा भी उतर गई... उसने एक नज़र मुझे देखा ऑर नज़रे नीची करके अपने दोनो हाथ अपनी छाती पर रख लिए ओर फिर से नीचे लेट गई ऑर अपनी आँखें बंद कर ली... मैं वापिस उसके उपर लेट गया ऑर उसके दोनो हाथ उसकी छाती से हटा कर अपनी पीठ पर रख लिए अब उसके दोनो मम्मे मेरी छाती के नीचे दबे हुए थे ऑर उसके तीखे निपल मुझे अपनी छाती पर चुभ रहे थे... मैं उसका चेहरा चूम रहा था... कुछ देर बाद मैं फिर से नीचे की तरफ बढ़ने लगा ऑर उसके कंधो को चूमने ऑर चूसने लगा... उसका अब एक हाथ मेरी पीठ पर था ऑर दूसरा हाथ पिछे से मेरे सिर को सहला रहा था... उसके निपल इस वक़्त एक दम सख़्त हुए पड़े थे ऑर बाहर को निकले हुए थे... मैने अपना एक हाथ उसके एक मम्मे पर रखा ऑर उसके मम्मों को अपने हाथ से पकड़ लिया... अब मैने पकड़े हुए मम्मे पर अपना चेहरा रखा ऑर उसे शिद्दत से चूसने लगा मैं उसके निपल को मुँह से पकड़ कर चूस रहा था ऑर अपने मुँह मे अंदर की तरफ खींच रहा था जिसकी वजह से उसको इंतेहा मज़ा आ रहा था ऑर उसके मुँह से सस्सस्स सस्स्सस्स निकल रहा था... नीचे से उसने अपनी दोनो टांगे मेरी कमर पर रख ली थी ऑर अपनी टाँगो की मदद से मेरी कमर को जकड लिया था अब पेंट के उपर से मेरे लंड का निशाना उसकी चूत के उपर था जिसको कि वो अपनी गीली हुई चूत से बुरी तरह से रगड़ रही थी... इधर मेरा लंड भी अब बाहर निकलने का रास्ता तलाश कर रहा था इसलिए मैने अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठा कर अपनी बेल्ट ऑर पेंट के बटन को एक साथ खोल दिया जिसको नाज़ी ने अपनी टाँगो की मदद से मेरे घुटने तक नीचे कर दिया... मेरे लंड ने आज़ाद होते ही अंडरवेर मे एक टेंट सा बना लिया था जो सीधा नाज़ी की सलवार के उपर से उसकी चूत पर ठोकर मार रहा था... नाज़ी को शायद इस ठोकर से बे-इंतेहा मज़ा मिल रहा था इसलिए उसने अपने दोनो हाथ मेरी गान्ड पर रखे ऑर मेरी गान्ड को अपनी चूत पर दबाने लगी... मैने धीरे से नाज़ी के कान मे कहा...
मैं: सलवार भी उतार दूं...
नाज़ी: (बिना कुछ बोले हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
उसके बाद मैने जल्दी से अपना अंडरवेर ऑर पेंट दोनो को अपनी टाँगो से आज़ाद किया ऑर उसकी सलवार को नीचे खींचने लगा नाज़ी ने भी अपनी गान्ड उठा कर सलवार उतारने मे मदद की... अब मैं ऑर नाज़ी दोनो एक दम जनम-जात वाली हालत मे थे... नाज़ी के उपर दुबारा लेट ते ही मुझे ऐसा लगा जैसे लंड को पानी मे डुबो दिया हो क्योंकि नाज़ी की चूत बुरी तरह पानी छोड़ रही थी ऑर पूरी गीली हुई पड़ी थी जिसमे मेरे लंड के उपर वाले हिस्सो को भी अपनी पानी से नहला दिया था मैने थोड़ी सी अपनी गान्ड उपर की ऑर अपने लंड को चूत की छेद पर सेट किया ऑर नाज़ी की तरफ देखने लगा...
नाज़ी: दर्द नही होगा मैने सुना है पहली बार बहुत दर्द होता है?
मैं: हमम्म पहली बार दर्द होता है उसके बाद सब ठीक हो जाता फिर भी तुमको दर्द हो तो बता देना मैं रुक जाउन्गा ठीक है...
नाज़ी: अच्छा...
उसके बाद मैने वापिस अपने लंड को चूत के निशाने पर रखा ऑर चूत की छेद पर लंड से दबाव बनाने लगा... चूत सच मे बहुत टाइट थी मेरे लंड की टोपी भी अंदर नही जा रही थी लंड बार-बार फिसल कर उपर को चला जाता था... इसलिए मैने नाज़ी की दोनो टाँगो को फैला दिया ऑर लंड पर ढेर सारा थूक लगा कर चूत पर थोड़ा सा जोरदार निशाना लगाया जिससे लंड की टोपी अंदर चली गई ऑर नाज़ी के मुँह से एक तेज़ सस्स्स्सस्स की आवाज़ निकली... मैं कुछ देर रुक गया ऑर नाज़ी का दर्द कम होने का इंतज़ार करने लगा साथ ही नाज़ी का चेहरा चूमने लगा... कुछ ही देर मे उसका दर्द गायब हो गया ऑर वो फिर से मेरे होंठों पर टूट पड़ी ऑर बुरी तरह चूसने लगी... जब मैने उसे बेहतर हालत मे महसूस किया तो मैने थोड़ा जोरदार एक ऑर झटका मारा जिससे 1/4 लंड अंदर दाखिल हो गया उसने फिर से दर्द के मारे अपनी आँखें बंद कर ली ऑर मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे रुकने का इशारा किया... मैं फिर से कुछ देर रुक गया ऑर उसके निपल्स को चूसने लगा कुछ ही देर मे वो थोड़ी बेहतर लगने लगी ऑर नीचे से गान्ड हिलाने लगी जिससे मुझे अंदाज़ा हो गया कि अब उसको पहले से बहुत कम दर्द हो रहा है... अब मैं आगे को ज़ोर दे रहा था लेकिन लंड आगे नही जा पा रहा था इसलिए मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया ऑर फिर से ढेर सारा थूक लंड पर लगाया ऑर लंड को चूत मे दाखिल कर दिया लंड के अंदर जाते ही उसके मुँह से फिर से एक दर्द भरी सस्स्सस्स आयईयीई की आवाज़ निकली लेकिन अब पहले जितना दर्द नही था अब मैं अगले झटके के लिए कुछ देर रुक गया ऑर उसके नॉर्मल होने का इंतज़ार करने लगा
जब उसका दर्द पहले से काफ़ी कम हो गया तो मैने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए ऑर उसके होंठ चूसने लगा क्योंकि मैं नही चाहता था कि अगले झटके से वो चीख पड़े ऑर उसकी आवाज़ बाहर कोई सुन ले इसलिए मैने उसको होंठों को अपने होंठों से जकड लिया ऑर नीचे लंड का एक जोरदार झटका मारा जिससे लंड उसकी चूत की सील को तोड़ता हुआ अंदर दाखिल हो गया अब करीब आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत के अंदर था ऑर चूत की दीवारों ने उसे बुरी तरह जकड रखा था... मेरा अंदाज़ा सही था लंड के अंदर जाते ही उसने चीखना चाहा था लेकिन मेरे होंठ उसके होंठ के उपर होने की वजह से उसकी आवाज़ मेरी मुँह मे ही दब गई... वो मेरे कंधे पर ज़ोर-ज़ोर से मारने लगी ऑर साथ मे रोने लगी...
मैं: बस... बस... हो गया पूरा चला गया...
नाज़ी: ससस्स आईइ... बाहर निकालो बहुत दर्द हो रहा
मैं: बस 5 मिंट वेट कर लो लंड अंदर जगह बना लेगा तो दर्द भी ख़तम हो जाएगा...
नाज़ी: ससस्स थोड़ी देर के लिए बाहर निकाल लो मेरी दर्द से जान जा रही है...
मैं: (नाज़ी के आँसू सॉफ करते हुए) बस हो गया ना अभी ठीक हो जाएगा मैने बोला था ना पहली बार दर्द होता है उसके बाद मज़ा आएगा...
उसका ध्यान दर्द से हटाने के लिए मैं वापिस उसके होंठ ऑर चेहरे को चूमने लगा उसको शायद काफ़ी दर्द हो रहा था इसलिए अब वो मेरा साथ नही दे रही थी मैं बिना हिले उसके उपर लेटा रहा ऑर एक बार फिर से उसके निपल्स को चूसने लगा क्योंकि मैं जानता था उसके मम्मे ही उसका सबसे वीक पार्ट है जहाँ उसको सबसे ज़्यादा मज़ा आता है... कुछ ही देर मे उसका दर्द अब पहले से कम हो गया ऑर उसने भी नीचे से अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया...
नाज़ी: अब ऑर अंदर मत करना आगे ही बहुत दर्द हो रहा है बस इतने से ही कर लो...
मैं: अच्छा ठीक है ऑर अंदर नही करूँगा...
अब मेरा लंड जितना अंदर था मैने उसी को थोड़ा सा बाहर निकलता ऑर फिर से पहले जितना ही अंदर कर देता कुछ देर उसको झटको से दर्द होता रहा लेकिन फिर उसकी चूत ने मेरे लंड के लिए रास्ता खोल दिया ऑर उसकी चूत की दीवारो की पकड़ भी पहले से ढीली हो गई थी... कुछ ही देर मे उसको भी मज़ा आने लगा अब वो भी मेरा थोड़ा-थोड़ा साथ देने लगी थी लेकिन ज़ोर से झटका नही मारने दे रही थी शायद उसको दर्द हो रहा था... मैं अब अपने लंड को उसकी चूत मे जहाँ तक जा सकता था बिना दर्द के डाला ऑर अपनी गान्ड को गोल-गोल घुमाने लगा जिससे उसको बेहद मज़ा आने लगा... अब उसने भी अपनी दोनो टांगे उठा ली थी ऑर वापिस मेरी कमर पर अपनी दोनो टाँगो को लपेट लिया था...
नाज़ी: हाँ ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है झटका मत मारना दर्द होता है...
मैं: हमम्म्मम
कुछ ही देर मे उसको बेहद मज़ा आने लगा ऑर वो फारिग होने के करीब पहुँच गई...
नाज़ी: तेज़ करो मुझे मज़ा आ रहा है...
मैं: हमम्म्म
उसके बाद मैने धीरे-धीरे झटके लगाने शुरू कर दिए कुछ देर झटके लगने के बाद अब उसको भी मज़ा आने लगा था इसलिए अब मैं थोड़ा तेज़-तेज़ झटके मारने लगा ऑर लंड को भी जितना हो सकता था अंदर से अंदर तक डालने लगा... कुछ ही देर मे वो फारिग हो गई उसकी गान्ड हवा मे अकड़ गई ऑर फिर धडाम से ज़मीन पर गिर गई शायद वो फारिग हो चुकी थी इसलिए अब उसकी टांगे भी काँप रही थी... मैं कुछ देर उसकी कमर पर हाथ फेरता रहा ऑर उसके निपल को चूस कर फिर से उससे गरम करने लगा साथ-साथ नीचे से झटके भी मारता रहा... अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत मे जा रहा था लेकिन उसको दर्द नही हो रहा था बल्कि मज़ा आ रहा था इसलिए मैने उसकी कमर के नीचे हाथ डाला ऑर चूत मे लंड डाले ही पलट गया अब वो मेरे उपर थी ऑर मैं उसके नीचे था उसको कुछ समझ नही आया कि क्या करना है इसलिए वो मुझे सवालिया नज़रों से देखने लगी...
मैं: मेरे लंड पर उपर नीचे करो अपनी चूत को
वो काफ़ी देर कोशिश करती रही लेकिन उससे हुआ नही सही से इसलिए मैने उसको अपने उपर लिटा लिया ऑर उसकी गान्ड पर हाथ रख कर उसकी गान्ड को थोड़ा सा उपर को उठा दिया जिससे मैं नीचे से झटके लगा सकूँ मेरे ऐसा करने से शायद उसको ऑर भी ज़्यादा मज़ा आ रहा था इसलिए वो मेरे उपर लेटी मेरी छाती को चूम रही थी... कुछ ही देर मे वो फिर से अपनी मंज़िल के करीब आ गई ऑर झटके खाते हुए मेरे उपर ही फारिग होके मेरी छाती पर ढेर हो गई ऑर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
मैं भी अपनी मज़िल के करीब ही था इसलिए मैं रुकना नही चाहता था इसलिए तेज़-तेज़ झटके मारने जारी रखे लेकिन शायद अब उसको दर्द हो रहा था...
नाज़ी: झटके मत दो अब दर्द हो रहा है वैसे ही पहले जैसे गोल-गोल करो उसमे मज़ा आता है...
मैं: ठीक है
उसके बाद मैं अपनी गान्ड को गोल-गोल घुमाने लगा जिससे लंड अंदर चूत की दीवारो टकरा रहा था...
नाज़ी: अंदर जलन हो रही है इसको फिर से गीला कर लो ना...
मैं: हमम्म
मैं लंड को चूत से बाहर निकाला ऑर अपने हाथ पर ढेर सारा थूक इकट्ठा करके अपने लंड पर लगा लिया अब मैने लंड को फिर से चूत के निशाने पर रखा ऑर धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लगा जिससे नाज़ी को फिर से दर्द होने लगा इसलिए उसने सस्सस्स के साथ अपनी फिर से आँखें बंद कर ली...
लंड डालने के बाद मैं कुछ देर वैसे ही चूत मे लंड डाले पड़ा रहा जब नाज़ी का दर्द कम हो गया तो मैने फिर से झटके लगाने शुरू कर दिए इस बार नाज़ी भी अपनी गान्ड को नीचे की तरफ दबा रही थी ऑर साथ मे मेरे होंठ चूस रही थी हम दोनो ही अब मज़िल के करीब थे कुछ तेज़ ऑर ज़ोरदार झटको के साथ मैं ऑर नाज़ी दोनो एक साथ अपनी मज़िल के करीब पहुँच गये मेरा लंड एक के बाद एक झटके से पिचकारियाँ मारने लगा ऑर मेरा सारा माल नाज़ी की चूत की गहराइयो मे उतरने लगा मेरे लंड की हर पिचकारी के साथ वो मज़े से सस्सस्स अहह सस्स्सस्स ऊओह कर रही थी हम दोनो बुरी तरह हाँफ रहे थे ऑर पसीने से भीगे पड़े थे वो मेरी छाती पर सिर रख कर अपनी साँस को दुरुस्त करने लगी कुछ देर मे ही हम दोनो एक दम नॉर्मल हो गये थे ऑर मेरा लंड भी अपनी खुंराक मिलने के बाद शांत होके बैठ चुका था... साँस के दुरुस्त होने के बाद नाज़ी मेरे उपर से उठी ऑर मेरा लंड पुउउक्ककक की आवाज़ से उसकी चूत से बाहर निकल आया साथ ही मेरा ऑर उसका माल भी उसकी चूत से बहता हुआ मेरी रान पर गिरने लगा... साथ ही मेरे कानो मे नाज़ी की आवाज़ टकराई...
नाज़ी: हाए ये खून कहाँ से आ गया...
मैं: तुम्हारा निकला है... जब पहली बार करते हैं तो निकलता है...
नाज़ी: इतना सारा खून...
मैं: कुछ नही होता पहली बार आता है...
उसके बाद वो बिना कुछ कहे खड़ी हुई ऑर इधर उधर देखने लगी ऑर फिर संदूक खोलकर एक कपड़ा उठा लाई जिससे पहले उसने मेरी रान सॉफ की ऑर फिर उसी कपड़े से अपनी चूत को अच्छे से सॉफ किया मैं लेटा उसको देख रहा था ऑर मुस्कुरा रहा था... वो भी मुझे देख रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी...
नाज़ी: ये क्या किया है... गंदे कही के... (मुँह बना कर)
मैं बिना कुछ बोले उसको देख कर मुस्कुरा रहा था... फिर उसने जल्दी से अपने कपड़े उठाए ऑर कमरे मे ही एक कौने पर जाके अपनी चूत को पानी से धो कर सॉफ करने लगी... मैं भी खड़ा हुआ ऑर उसके पिछे चला गया उसने पानी डाल कर मेरे लंड को भी अच्छे से सॉफ किया जो कि उसके खून ऑर हम दोनो के माल से भरा पड़ा था... उसके बाद हमने कपड़े पहने ऑर वापिस उसी चद्दर की एक तरफ जहाँ सॉफ थी वहाँ जाके लेट गये नाज़ी इस बार भी मेरे उपर ही लेटी थी ऑर मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी... अब मैं आँखें बंद किए लेटा था ऑर ख़ान के आने का इंतज़ार कर रहा था कि कब ख़ान आए ऑर उसको मार कर मैं अपने बिज़्नेस का लॉस ऑर मेरे परिवार के साथ हुई ज़्यादती का बदला ले सकूँ...
मैं नाज़ी के साथ सेक्स करके काफ़ी थक गया था इसलिए कुछ ही देर मे मुझे नींद ने अपनी आगोश मे ले लिया...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अभी मुझे सोए हुए कुछ ही देर हुई थी कि मेरी जेब मे पड़ा मेरा फोन बजने लगा जिससे अचानक मेरी आँख खुल गई... मैने अपने उपर लेटी नाज़ी को जल्दी से साइड पर किया ऑर खुद बैठ कर जेब मे हाथ डाल कर फोन देखने लगा... मैने फोन देखा तो डिसप्ले पर रसूल लिखा था... मैने जल्दी से फोन कान को लगाया ऑर नाज़ी के पास बैठकर ही रसूल से बात करने लगा...
मैं: हां रसूल भाई क्या हाल है...
रसूल: मैं खेरियत से हूँ भाई तुम कैसे हो...
मैं: मैं भी ठीक हूँ... बताओ कैसे फोन किया था...
रसूल: भाई मुझे अभी खबर मिली है कि तुम्हारे शिकार ख़ान की आज शादी है ऑर वो एक गाव मे जा रहा है...
मैं: (हँसते हुए) यार तुम्हारी गर्दन बड़ी लंबी है वहाँ बैठे हुए भी सब जगह मुँह मारते रहते हो...
रसूल: (हँसते हुए) भाई मैं तो तुम्हारा काम ही आसान कर रहा हूँ जल्दी से सुल्तानपूरा के लिए निकल जाओ वहाँ आज ख़ान ज़रूर आएगा शादी करने के लिए...
मैं: तुम्हारे खबरी ने तुमको ये नही बताया कि मैं कहाँ हूँ...
रसूल: कहाँ हो भाई... ?
मैं: मैं इस वक़्त ख़ान के कभी ना होने वाले ससुराल मे बैठा उसका इंतज़ार कर रहा हूँ...
रसूल: वाह... क्या बात है च्छा गये यार शेरा भाई... लेकिन यार तुमको पता कैसे चला कि ख़ान आज सुल्तानपूरा आएगा...
मैं: किस्मत भी कोई चीज़ होती है यार मैं तो यहाँ कुछ ऑर काम से आया था लेकिन साला पंगा कुछ ऑर ही हो गया फिर मुझे ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया...
रसूल: भाई तुमको वहाँ किस आदमी से काम पड़ गया ऑर वहाँ तुम्हारा कौन है...
मैं: यार ये वही गाव है जहाँ मुझे नयी ज़िंदगी मिली थी मैं तो यहाँ उन फरिश्तो से मिलने आया था लेकिन यहाँ जब ख़ान का पता चला तो मैं यही रुक गया...
रसूल: अच्छा... तो ये बात है... भाई आपको कुछ बताना था...
मैं: वो छोड़ पहले मेरी बात सुन... तुझसे एक काम था यार
रसूल: हुकुम करो भाई जान हाज़िर है...
मैं: असल मे यार एक पंगा हो गया है...
रसूल: क्या हुआ भाई सब ख़ैरियत तो है...
मैं: (खड़ा होके कमरे से बाहर जाते हुए) यार एक मिंट होल्ड कर...
(नाज़ी को देखते हुए) नाज़ी तुम रूको मैं ज़रा बात करके आया
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
मैं: यार रसूल दरअसल पंगा ये हुआ है कि जिस लड़की से ख़ान की शादी होने वाली है वो लड़की मुझसे प्यार करती है ऑर वो मुझसे शादी करना चाहती है ऑर जिन्होने मेरी जान बचाई थी वो भी अब इस दुनिया मे नही रहे बिचारी उनकी लड़की एक दम अकेली हो गई है...
रसूल: भाई तो इसमे सोचना कैसा आप उनको भी यही ले आओ ना ख़ान को मारने के बाद...
मैं: वही तो बता रहा हूँ ना यार...
रसूल: जी भाई बोलो...
मैं: ख़ान यहाँ अकेला नही आएगा उसके साथ काफ़ी लोग होंगे अगर मुझे कुछ हो जाए तो इन दोनो को मैं वहाँ गाव मे तुम्हारे पास भेज दूँगा तुम इनका ख़याल रखना...
रसूल: भाई कैसी बात कर रहे हो तुमको कुछ नही होगा तुम इनको खुद लेके आओगे ऑर मुझे तुम्हारे निशाने पर पूरा ऐतबार है ऑर फिर मुझे लगा शायद तुमको पता नही होगा इसलिए मैने उस गाव मे अपने कुछ आदमी भी भेजे हैं जो आपकी मदद कर सके...
मैं: (हैरान होते हुए) क्या... कौन्से आदमी कौन लोग आ रहे हैं यहाँ...
रसूल: भाई मुझे लगा आपको शायद पता नही होगा इसलिए हम ही ख़ान का गेम बजा देंगे इसलिए मैने वहाँ अपने लोग भेज दिए हैं...
मैं: अच्छा किया अब मुक़ाबला बराबरी का होगा वो लोग कब तक यहाँ पहुँच जाएँगे...
रसूल: भाई आप लाला को फोन करके पूछ लो ना अपने तमाम लोगो के साथ वही आ रहा है अब तो शायद पहुँचने वाले भी होंगे...
मैं: अच्छा... चलो ठीक है अब तुम फोन मत करना... हम जल्द ही मिलेंगे...
उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर आने वाले लम्हे के बारे मे सोचने लगा
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-53
शाम हो चुकी थी पूरी हवेली किसी नयी-नवेली दुल्हन की तरह रोशनी से जग-मगा रही थी ख़ान के भी आने का वक़्त हो गया था... अभी मैं अपनी सोचो मे गुम था कि पिछे से अचानक मुझे नाज़ी ने पकड़ लिया ऑर मेरी पीठ पर अपना सिर रख लिया ओर वैसे ही मुझसे चिपक कर खड़ी हो गई...
नाज़ी: मैने सब सुन लिया है... जो कुछ तुम अपने दोस्त को कह रहे थे
मैं: (पलट ते हुए) क्या सुन लिया है...
नाज़ी: मैं तुमको एक बात बहुत अच्छे से बता देती हूँ मेरा इस दुनिया मे तुम्हारे ऑर नीर के सिवाए कोई नही है अगर तुमने मुझे अकेले कही भेजने का सोचा भी तो मैं खुद अपनी जान ले लूँगी...
मैं: बकवास मत करो... मैने जो भी किया वो सिर्फ़ तुम्हारी हीना की ऑर नीर की सेफ्टी के लिए किया तुम जानती हो बाहर ख़ान के कितने लोग आ गये होंगे... बाहर कुछ भी हो सकता है यार...
नाज़ी: मुझे नही पता जाएँगे तो सब साथ जाएँगे नही तो मैं भी नही जाउन्गी...
मैं: यार नीचे जब गोलियाँ चलना शुरू होंगी तो मैं तुम तीनो को संभालूँगा या उनका मुक़ाबला करूँगा...
नाज़ी: (मुँह फेरते हुए) मुझे कुछ नही पता...
मैं: अच्छा बाबा ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी... अब तो खुश...
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाके मुस्कुराते हुए मुझे गले से लगा कर) हमम्म...
तभी पटाखो की ऑर ढोल के नगाडो की आवाज़ सुनाई देने लगी ऑर लोगो का शोर-शराबा भी सुनाई देने लगा...
मैं: लगता है वो लोग आ गये हैं... चलो अब तुम जल्दी से तेयार हो जाओ तब तक मैं गाड़ी मे से असला ऑर गोलियाँ ले आता हूँ ठीक है...
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) अच्छा...
मैं: कुछ भी हो जाए तुम हवेली की उस तरफ नही आओगी समझ गई तुम नीर को लेके गाड़ी मे बैठो मैं हीना को लेके आता हूँ तुम गाड़ी के पास ही हमारा इंतज़ार करना...
नाज़ी: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) ठीक है... अपना ख़याल रखना...
मैने बिना कुछ बोले एक नज़र नाज़ी को मुस्कुरा कर देखा फिर पलटकर जहाँ नीर सोया हुआ था वहाँ गया उसके माथे को चूमा ऑर वापिस दरवाज़ा खोलकर तेज़ कदमो के साथ बाहर की तरफ निकल गया... छोटे गेट से बाहर जाने से पहले मैने एक बार फिर पलट कर देखा नाज़ी अब भी मुझे ही देख रही थी उसके चेहरे से मेरे लिए फिकर सॉफ दिखाई दे रहा था... उसके बाद मैं बाहर आया ऑर अपनी गाड़ी की डिग्जी मे से हथियार निकालने लगा... मैने जल्दी से अपना बॅग खोला उसमे से जल्दी से एक पेन ऑर एक काग़ज़ का टुकड़ा निकाला जिस पर मैने अपने गाव तक जाने का पता ऑर रास्ता लिखा ऑर उससे अपनी जेब मे डाल लिया... मैं मन ही मन दुआ करने लगा कि इसकी ज़रूरत ना पड़े... अब मेरा एक ही टारगेट था ख़ान ऑर उसके आदमी इसलिए अब मेरी कही हुई बात पूरी करने का वक़्त आ गया था... या तो मरना था या मार देना था... मैने अपने बॅग मे से अपने कपड़े एक साइड पर किए ऑर जल्दी से 2 पिस्टल उठाई ऑर उसकी मग्जिन चेक करके मैने दोनो पिस्टल को अपने जूतो की ज़ुराबो मे डाल लिया एक रिवॉल्वार मे मैने गोलियाँ भरी ऑर उसके अपनी पेंट मे बेल्ट के पास फिट कर लिया... अब मेरे पास बॅग मे सिर्फ़ 3 पिस्टल ही बची जिनमे से एक को मैने कार के आगे वाले हिस्से मे स्टारिंग व्हील के पास रख दिया ऑर बाकी 2 पिस्टल को मैने अपनी पेंट के पिछे वाले हिस्से मे टाँग लिया ऑर अपनी शर्ट बाहर निकाल ली जिससे किसी को मेरी पिस्टल नज़र ना आए... उसके बाद मैने गाड़ी की डिग्जी को बंद किया फिर मैने जल्दी से लाला को फोन किया कुछ ही पल मे उसने फोन उठा लिया...
मैं: कहाँ है लाला...
लाला: (खुश होते हुए) भाई ख़ान का काम करने जा रहा हूँ... सुल्तानपूरा गाव मे...
मैं: ख़ान को मारने के लिए...
लाला: हाँ भाई... क्यो मानते हो ना अपने भाई के दिमाग़ को... तुम उसको कहाँ-कहाँ ढूँढ रहे थे ऑर मैने उसको एक झटके मे ढूँढ लिया...
मैं: मैं सुल्तानपूरा मे ही हूँ तुम जल्दी से जल्दी यहाँ पहुँचो शाम होने वाली है ऑर मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा हूँ...
लाला: भाई इसका मतलब तुम पहले से वही मोजूद हो...
मैं: लाले जिस कॉलेज मे तू मुझे पढ़ा रहा है वहाँ का प्रिन्सिपल आज तक मुझसे ट्यूशन लेता है जो तुम लोग सोचते हो उससे पहले वो बात मैं सोच चुका होता हूँ...
लाला: (हँसते हुए) बस भाई अब तो गाव के पास ही हैं हम कुछ ही देर मे पहुँच जाएँगे आप बस हमारा इंतज़ार करो हम कुछ ही देर मे आ रहे हैं...
मैं: ठीक है तुम अंदर ही आ जाना मैं अंदर जा रहा हूँ...
लाला: पागल जैसी बात मत कर यार भाई तू अकेला है अंदर ख़ान के बहुत लोग होंगे...
मैं: अब तो कितने भी लोग हो... बाबा की दुआ से आज मैं सब पर अकेला भी भारी हूँ...
लाला: भाई बात तो सुनो...
उसके बाद मैने बिना उसकी कोई बात सुने फोन रख दिया ऑर भागता हुआ हवेली की आगे की तरफ चला गया जहाँ गेट पहले से खुला हुआ था ऑर काफ़ी लोग दरवाज़े के सामने खड़े थे... मैं इन लोगो के होते हुए अंदर नही जा सकता था क्योंकि लोग मेरी उम्मीद से भी ज़्यादा थे... मैं जल्दी से एक पेड़ के पिछे छिप गया ऑर सही मोक़े का इंतज़ार करने लगा... थोड़ी देर बाद एक पोलीस वाला मुझे पेड़ की जानिब आता हुआ दिखाई दिया इसलिए मैं जल्दी से पेड़ का तना पकड़कर उपर चढ़ गया... वो आदमी झून्मता हुआ आ रहा था शायद वो नशे मे था उसने चारो तरफ देखा ऑर फिर अपनी पेंट की ज़िप्प खोलकर उसी पेड़ के सामने पेशाब करने लगा जिसके उपर मैं बैठा था... मुझे एक तरक़ीब सूझी मैने जल्दी से अपनी टांगे पेड़ की शाख मे फसाई ऑर उल्टा होके उस आदमी को गर्दन से पकड़ लिया ऑर उपर को खींचकर उसकी गर्दन को झटके से मरोड़ दिया वो आदमी बिना कोई आवाज़ किए वही मर गया उसके बाद मैने उस आदमी को भी पेड़ के उपर खींच लिया... फिर उसके सारे कपड़े उतारे ऑर उसके कपड़े खुद पहन लिए वो आदमी वर्दी मे था इसलिए अगर उसकी वर्दी मैं पहन लेता तो मुझ पर कोई भी शक़ नही कर सकता था... लेकिन समस्या अब पिस्टल को रखने का था क्योंकि शर्ट अंदर करने की वजह से पिस्टल बाहर से दिखाई दे सकती थी इसलिए मैने 2 पिस्टल को वापिस अपने जूतो मे डाल लिया ऑर 2 पिस्टल को शर्ट के अंदर वैसे ही रख लिया ऑर 1 पिस्टल को मैने अपनी टोपी के नीचे रख लिया... अब 3 पिस्टल बची थी 2 मेरी खुद की ऑर एक उस पोलिसेवाले की सर्विस रिवॉल्वार जो शायद अंदर मेरे काम आ सकती थी... मैं जल्दी से पेड़ से नीचे उतरा ऑर 2 रिवॉल्वार को वही पास ही एक झाड़ियो मे रख दिया ऑर 1 उस पोलिसेवाले की रिवॉल्वार जो उसकी वर्दी मे ही फिट थी उसको वैसे ही रहने दिया... अब मैं बिना कोई आवाज़ किए सामने खड़ी भीड़ मे शामिल हो गया ऑर उन लोगो के साथ मैं भी अंदर घुस गया अब मैं चारो तरफ देख रहा था लेकिन मेरी नज़रें सिर्फ़ ख़ान को ही ढूँढ रही थी... तभी एक पोलीसवाला मेरे पास आया ऑर मेरे कंधे पर हाथ रख दिया...
आदमी: भाई माचिस है क्या सिग्रेट जलानी है...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) नही... (मैं नही चाहता था कि वो पोलिसेवला मेरा चेहरा देखे इसलिए उसकी तरफ पीठ करके ही खड़ा रहा)
आदमी: कौन्से डिपार्टमेंट से हो जनाब...
मैं: नारकॉटैक्स डिपार्टमेंट
आदमी: नारकॉटैक्स से तो मैं भी हूँ क्या नाम है भाई (मुझे पलट ते हुए)
मैं: (उसकी तरफ पलट ते हुए) शेराअ...
आदमी: (अपनी पिस्टल निकाल कर मेरे सिर पर तानते हुए) कौन है ओये तू...
मैं: (उसके मुँह पर हाथ रख कर उसके सिर मे ज़ोर से कोहनी मारते हुए) तेरा बाप...
वो आदमी बेहोश होके वही गिर गया वहाँ काफ़ी लोग थे इसलिए मैने उसको कंधे का सहारा देके अपने साथ खड़ा कर लिया ऑर उसको कही गिराने की जगह देखने लगा... पास ही मुझे एक बड़ा सा फूल दान नज़र आया मैने उसको उसके पीछे गिरा दिया ऑर अंदर चला गया जहाँ जशन का महॉल था सब लोग हाथ मे जाम लिए खड़े थे... मेरी नज़रें चारो तरफ ख़ान को ढूँढ रही थी लेकिन ख़ान मुझे कही भी नज़र नही आ रहा था... मैं वक़्त ज़ाया नही करना चाहता था इसलिए हॉल के चारो तरफ घूमने लगा ऑर वहाँ खड़े लोगो के हथियारो का जायेज़ा लेने लगा जिससे मुझे ये पता चल सके कि मुझ पर कितने लोग गोलियाँ चला सकते हैं... वहाँ ज़्यादातर लोग तो सादे कपड़े मे ही नज़र आ रहे थे सिर्फ़ गिनती के कुछ ही लोग थे जो मेरी तरह वर्दी मे मोजूद थे... मैं नही चाहता था कि जब मैं ख़ान पर गोली चलाऊ तो मुझ पर भी गोलियो की बारिस शुरू हो जाए इसलिए मैने एक-एक करके सबको खामोशी से ख़तम करने का सोचा... मैं जल्दी से जाके एक पर्दे के पिछे छिप गया जहाँ 2 पोलिसेवाले खड़े थे... मैं उनके पिछे से गया उनके मुँह पर हाथ रखा ऑर ज़ोर से उनका सिरों को खंबे मे मारा जिससे वो दोनो बेहोश हो गये उसके बाद मैने दोनो को पर्दे के पिछे ही खींच लिया ऑर वही गिरा दिया उसके बाद मैं पर्दे के पिछे से होता हुआ आगे बढ़ा तो मुझे एक ऑर आदमी वर्दी मे नज़र आया... मैने जल्दी से जाके उसको भी पिछे से पकड़ लिया ऑर अपनी दोनो बाजू मे उसकी गर्दन को पकड़ कर झटके से तोड़ दिया ओर उसको भी पर्दे के पिछे कर दिया...
अब मैं आगे नही जा सकता था क्योंकि आगे परदा नही था ऑर लोगो की काफ़ी भीड़ भी थी इसलिए मैने चारो तरफ नज़र दौड़ाई ऑर सामने मुझे कुछ लोग बैठे हुए नज़र आए मैं चुप-चाप जाके उन लोगो मे ही बैठ गया ऑर किसी को शक़ ना हो इसलिए एक जाम अपने हाथ मे लोगो को दिखाने के लिए पकड़ लिया... कुछ देर वहाँ बैठे रहने के बाद मुझे सीढ़ियो से नीचे उतरता हुआ ख़ान नज़र आया वो सामने जाके स्टेज पर बैठ गया उसके पास ही चौधरी (हीना का बाप) भी खड़ा था... मेरे पास अच्छा मोक़ा था उससे मारने का लेकिन मैं चाहता था कि उसको पहले पता चले कि उसको क्यो मारा गया इसलिए मैने अपना हाथ पिस्टल से हटा लिया ऑर मुँह नीचे करके बैठ गया ताकि वो मुझे देख ना सके...
•