Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-35
उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना शॉपिंग बॅग्स उठाए अपनी कार की तरफ जा रहे थे कि अचानक 4 लोगो ने हम को घेर लिया ऑर रिज़वाना को अपनी तरफ खींचकर उसके गले पर एक नोकदार चाकू लगा दिया मैं इस अचानक हमले को समझ नही पाया कि ये लोग कौन है ओर हम से क्या चाहते हैं...
मैं: कौन हो तुम लोग (गुस्से से)
एक आदमी: सीधी तरीके से सारा माल निकाल ऑर हम को दे नही तो ये लड़की जान से जाएगी...
मैं: ठीक है ये लो सब तुम रख लो (अपने शॉपिंग बॅग उनकी तरफ फेंकते हुए) लेकिन इनको छोड़ दो...
वो आदमी: साले हम को चूतिया समझा ये कचरा नही पैसा निकाल...
मैं: मेरे पास पैसे नही है इनको जाने दो...
मेरा इतना कहना था कि उसने अपने चाकू का दबाव रिज़वाना के गले पर बढ़ा दिया जिससे दर्द से रिज़वाना की आँखें बंद हो गई ऑर उसने कराहते हुए मुझे कहा...
रिज़वाना: आअहह... (दर्द से कराहते हुए) नीर मारो इनको ये लोग चोर है...
रिज़वाना का इतना कहना था कि मैं उन लोगो पर टूट पड़ा जो मेरे सामने खड़ा था मैं उसको गर्दन से पकड़ लिया ऑर अपना सिर उसकी नाक पर ज़ोर से मारा ऑर वो वही गिर गया... इतने मे साथ खड़े आदमी ने चाकू से मुझ पर हमला किया जिससे मैने उसकी कलाई पकड़कर नाकाम कर दिया ऑर उसको अपनी तरफ खींचकर अपनी कोहनी उसके सिर मे मारी ऑर साथ ही उसका मुँह नीचे करके अपना घुटना उसके मुँह पर मारा वो भी वही गिर गया तभी जिसने रिज़वाना को पकड़ा था उसने रिज़वाना को मुझ पर धकेल दिया ऑर अपने बचे हुए 1 साथी के साथ वहाँ से पार्किंग की तरफ भाग गया... मैने जल्दी से रिज़वाना को थाम लिया ऑर उससे गिरने से बचा लिया...
मैं: आप ठीक हो...
रिज़वाना: (अपने गले पर हाथ रखकर हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं: क्या हुआ आपको लगी है क्या... (उसका हाथ उसके गले से हटा ते हुए)
मैं: ये तो खून निकल रहा है... मैं उसको छोड़ूँगा नही सालाआ...
रिज़वाना के कुछ कहने से पहले ही मैं उन लोगो के पिछे भाग गया वो लोग कार पार्किंग मे घुस गये थे... अब मैं उनको जल्दी से जल्दी पकड़ना चाहता था इसलिए मैं कारो के उपर से छलाँग लगाता हुआ उनके पिछे भागने लगा... वो दोनो पार्किंग की अलग-अलग डाइरेक्षन मे भाग रहे थे लेकिन मुझे दूसरे आदमी से कोई मतलब नही था मुझे उस आदमी पर सबसे ज़्यादा गुस्सा था जिसने रिज़वाना के गले पर चाकू रखा था इसलिए मैं उसकी तरफ उसके पिछे भागने लगा जल्दी ही पार्किंग ख़तम हो गई ऑर वो एक दीवार के सामने आके रुक गया मैने जल्दी से एक कार की छत से कूद कर उसके उपर छलाँग लगा दी जिससे मेरे दोनो घुटने उसके पेट मे लगे ऑर वो वही गिर गया मैने फिर उसको खड़ा किया ऑर उसका सर ज़ोर से दीवार मे मारा जिससे दीवार पर गोल-गोल खून का निशान सा बन गया मैने फिर से उसको खड़ा किया ऑर फिर उसको दीवार की तरफ धकेल दिया उसके फिर से सिर टकराया... ऐसे ही मैने कई दफ्फा उसका सिर दीवार मे मारा लेकिन अब वो बेहोश हो चुका था... इतने मे रिज़वाना मेरे पिछे भागती हुई आई ऑर मुझे पकड़ लिया...
रिज़वाना: क्या कर रहे हो नीर छोड़ दो वो मर जाएगा...
मैं: इसने चाकू कैसे लगाया गर्दन पर आपकी...
रिज़वाना: (मुझे पिछे खींचते हुए) मैं अब ठीक हूँ नीर चलो यहाँ से...
उसके बाद लग-भाग खींचती हुई रिज़वाना मुझे पार्किंग से बाहर ले आई... बाहर आके मैं रुक गया ऑर अब मैं काफ़ी शांत हो चुका था... मैने रुक कर अपने दोनो हाथ रिज़वाना की गर्दन की साइड पर रख दिए ऑर उसकी गर्दन उपर करके उसका घाव देखने लगा वो भी किसी बच्चे की तरह मेरे सामने मासूम सा चेहरा लिए अपनी गर्दन उठाए खड़ी हो गई...
मैं: बहुत दर्द हो रहा है क्या...
रिज़वाना: मैं ठीक हूँ नीर फिकर मत करो... (मुस्कुराते हुए)
मैं: चलो घर चलकर मरहम पट्टी करता हूँ आपकी...
रिज़वाना: (बिना कुछ कहे मुस्कुराते हुए) हमम्म
फिर हम दोनो वापिस कार के पास आ गये ऑर मैने अपने ज़मीन पर गिरे हुए शॉपिंग बाग उठाए ऑर वो भी कार मे रख दिए...
मैं: कार मैं चलाऊ...
रिज़वाना: (बिना कुछ बोले चाबी मेरी तरफ करके मुस्कुराते हुए) हमम्म...
फिर मैं ऑर रिज़वाना घर की तरफ निकल गये पूरे रास्ते हम खामोश थे ऑर रिज़वाना मुझे ही देखे जा रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी...
मैं: क्या हुआ ऐसे क्या देख रही हैं...
रिज़वाना: कुछ नही... एक बात पुछू...
मैं: हाँ पुछिये...
रिज़वाना: तुमने उस आदमी को इतना क्यो मारा
मैं: मारता नही तो क्या प्यार करता... आपकी गर्दन पर चाकू लगाया उसने ऑर देखो कितना खून भी आ गया था आपके...
रिज़वाना: तुमने सिर्फ़ इसलिए उसको इतना मारा...
मैं: मार खाने वाले काम किए थे इसलिए मारा मैने उसको...
रिज़वाना: इतनी फिकर मेरी आज तक किसी ने नही की... (रोते हुए)
मैं: (गाड़ी को ब्रेक लगाते हुए) अर्रे रिज़वाना जी आप रोने क्यो लगी क्या हुआ...
रिज़वाना: (अपने आँसू सॉफ करते हुए) कुछ नही...
मैं: (पिछे पड़ी पानी की बोतल रिज़वाना को देते हुए) ये लो पानी पी लो...
रिज़वाना: (बोतल पकड़ते हुए) शुक्रिया...
कुछ देर मे वो ठीक हो गई इसलिए मैने फिर कार स्टार्ट की ऑर घर की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया... लेकिन रिज़वाना अब भी मुझे ही देखे जा रही थी ऑर मुस्कुरा रही थी...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अचानक मुझे ख़याल आया...
मैं: रिज़वाना जी...
रिज़वाना: हमम्म
मैं: उन कमीनो के चक्कर मे खाना लेना तो भूल ही गये (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना: अरे हाँ... आपको तो भूख भी लगी थी... कोई बात नही यहाँ से लेफ्ट मोड़ लो यहाँ भी एक अच्छा रेस्टोरेंट है वहाँ से ले लेंगे...
मैं: ठीक है...
उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना रेस्टोरेंट चले गये जहाँ से हमने खाना पॅक करवा लिया ऑर फिर हम वापिस घर की तरफ चले गये... घर आके मैने पहले सारा समान कमरे मे रखा ऑर फिर रिज़वाना से मेडिकल बॉक्स लेकर उसके कमरे मे ही उसके जखम पर दवाई लगाने लगा... रिज़वाना मुझे बस देख कर मुस्कुराती रही... फिर हम दोनो ने साथ खाना खाया... खाने के बाद रिज़वाना मेरे साथ बैठकर टीवी देखने की ज़िद्द करने लगी इसलिए मैं भी उसके पास ही बैठकर टीवी देखने लगा... रिज़वाना ऑर मैं हम दोनो साथ मे बैठे टीवी देख रहे थे लेकिन कोई भी ढंग का प्रोग्राम नही आ रहा था इसलिए हमने कुछ देर टीवी देखने के बाद बंद कर दिया...
रिज़वाना: तुमको नींद आ रही है क्या...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) आपको आ रही है...
रिज़वाना: नही... चलो फिर बाते करते हैं...
मैं: अच्छा... जैसी आपकी मर्ज़ी...
रिज़वाना: (कुछ सोचते हुए) तुमको डॅन्स आता है
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) मुझे एक ही तरीके से हाथ पैर चलाना आता है वो अभी आप कुछ देर पहले देख ही चुकी है...
रिज़वाना: चलो मैं सिखाती हूँ दूसरे तरीके से भी हाथ पैर हिलाए जा सकते हैं... (मुस्कुराते हुए)
उसके बाद रिज़वाना ने एक म्यूज़िक चला दिया ऑर मुझे अपने सामने खड़ा कर लिया फिर मेरा एक हाथ अपनी कमर पर रख दिया ऑर दूसरा हाथ अपने हाथ मे थाम लिया ऑर उसने अपने एक हाथ मेरे कंधे पर रख लिया ऑर रिज़वाना ने मुझे धीरे-धीरे हिलाना शुरू कर दिया मैं भी जैसे वो मुझे हिला रही थी हिलना शुरू हो गया...
जब रिज़वाना मेरे साथ मुझसे चिपक कर खड़ी थी तब मुझे डॅन्स का नही उसके जिस्म का मेरे जिस्म के साथ जुड़े होना ज़्यादा मज़ा दे रहा था... वो बड़े प्यार मेरे कंधे पर हाथ फेर रही ऑर मेरा हाथ खुद-ब-खुद उसकी कमर को सहला रहा था मज़े से मेरी आँखें बंद हो गई थी ऑर मैने उसे कमर से पकड़ कर अपने ऑर करीब कर लिया जिससे उसके नुकीले मम्मे मुझे अपनी छाती पर चुभते हुए महसूस होने लगे इससे मुझे भी मेरी जीन्स पॅंट मे हलचल सी महसूस होने लगी लेकिन जीन्स इतनी टाइट थी कि मेरा लंड सही से खड़ा नही हो पा रहा था बस जीन्स के अंदर ही मचल रहा था ऑर बाहर आने का रास्ता तलाश कर रहा था... कुछ देर हम ऐसे ही एक दूसरे का हाथ थामे नाचते रहे फिर उसने मेरा हाथ छोड़ दिया ऑर अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे किसी हार की तरह डाल दी ऐसे ही मेरी आँखों मे देखती हुई अपना ऑर मेरा बदन धीरे-धीरे हिलाने लगी...
रिज़वाना: एक बात बोलूं
मैं: हमम्म
रिज़वाना: तुम्हारी आँखें बहुत अच्छी है नशीली सी... (मुस्कुराते हुए)
मैं: मुझे तो आपकी आँखें पसंद है कितनी बड़ी-बड़ी है जैसे किसी हिरनी की आँखें हो...
रिज़वाना: (शर्मा कर नज़रें झुकाते हुए) शुक्रिया
फिर कुछ देर के लिए हम दोनो खामोश हो गये ऑर ऐसे ही डॅन्स करते रहे... डॅन्स तो उसके लिए था मैं तो उसके जिस्म की गर्मी का मज़ा ले रहा था... हम दोनो एक दूसरे से एक दम चिपके हुए थे बस हम दोनो के चेहरे कुछ इंच के फ़ासले पर थे लेकिन फिर भी हम एक दूसरे की साँसों की गरमी अपने चेहरे पर महसूस कर रहे थे... अब मुझसे भी ऑर बर्दाश्त नही हो रहा था इसलिए मैं आगे बढ़ने का सोच की रहा था कि अचानक लाइट चली गई ऑर पूरे कमरे मे अंधेरा हो गया जिससे हम दोनो का ध्यान एक दूसरे से हटकर अंधेरे की तरफ गया इसलिए मेरे ना चाहते हुए भी रिज़वाना मुझसे अलग हो गई...
रिज़वाना: ओह्हुनो फिर से लाइट चली गई... तुम रूको मैं रोशनी के लिए कुछ लेके आती हूँ
मैं: रहने दो ना ऐसे ही ठीक है अंधेरे मे क्या नज़र आएगा
रिज़वाना: मुझे अंधेरे मे डर लगता है... बस 2 मिंट मे आ रही हूँ
मैं: ठीक है जल्दी आना...
रिज़वाना: बस 2 मिंट ऐसे गई ऑर ऐसे आई...
मैं क्या सोच रहा था ऑर क्या हो गया जैसे किसी ने मेरे अरमानो पर पानी फेर दिया हो मैं अपने दिल मे बिजली वालो को गालियाँ निकाल रहा था कि हरामखोरो ने अभी लाइट बंद करनी थी कुछ देर रुक जाते तो इनके बाप का क्या जाता था... पूरे कमरे मे चारो तरफ अंधेरा था बस खिड़की से हल्की सी चाँद की रोशनी कमरे के अंदर आ रही थी... वो भी बहुत कम क्योंकि खिड़की के आगे परदा लगा हुआ था... मैने सोचा कि कमरे मे गरमी हो रही है इसलिए खिड़की से परदा हटा दूं ताकि ताज़ी हवा भी आ सके ऑर रोशनी भी...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अभी मैं परदा हटाने के लिए एक कदम ही आगे बढ़ाया था कि अचानक मुझे रिज़वाना की चीख सुनाई दी मैने फॉरन चीख की तरफ भागता हुआ गया... एक तो अंधेरा था उपर से कुछ नज़र भी नही आ रहा था इसलिए मैं नीचे पड़ी चीज़ो से टकराता हुआ दीवार को पकड़ कर आगे की तरफ बढ़ने लगा...
आवाज़ रसोई की तरफ से आई थी इसलिए मैं अंदाज़े से उस तरफ बढ़ रहा था... एक तो आज मेरा यहाँ पहला दिन था उपर से जगह भी मेरे लिए नयी थी इसलिए मुझे सही से रास्ते का अंदाज़ा नही हो रहा था इसी वजह से जगह-जगह चीज़े मुझसे टकरा रही थी कुछ देर बाद मैं रिज़वाना को आवाज़ लगाता हुआ रसोई के पास आ ही गया...
मैं: रिज़वाना जी कहाँ हो आप
रिज़वाना: (कराहते हुए) मैं यहाँ हूँ आयईयीई... ससिईईई...
मैं: क्या हुआ चोट लगी क्या
रिज़वाना: (रोते हुए) हाँ बहुत ज़ोर से लगी है
मैं: (बर्तनो से टकराते हुए) क्या हुआ चोट कैसे लग गई...
रिज़वाना: नीर उस तरफ नही दूसरी तरफ आओ जहाँ तुम हो वहाँ बर्तन है...
मैं: (घूमते हुए) अच्छा...
रिज़वाना: वो शाम को जो सब्जी गिरी थी ना मैने बाज़ार जाने की जल्दी मे उठाई नही थी बस उस पर ही पैर फिसल गया ऑर मैं गिर गई... मुझसे उठा नही जा रहा... (रोते हुए)
मैं जैसे ही रिज़वाना के पास पहुँचा मैने नीचे बैठकर अंधेरे मे हाथ इधर-उधर घुमाए तो रिज़वाना के चेहरे से मेरा हाथ टकराया मैने जल्दी से बिना कुछ बोले उसको अपनी गोद मे उठा लिया ऑर खड़ा हो गया...
रिज़वाना: (कराहते हुए) अययईीी... आराम से...
मैं: अब जाना किस तरफ है
रिज़वाना: तुम चलो मैं बताती हूँ
मैं: क्या पहेलिनुमा घर बनाया है
रिज़वाना: (अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे डालते हुए) मैने थोड़ी बनाया है जैसा गवरमेंट... ने मुझे दिया मैने ले लिया...
मैं: इससे अच्छा तो मेरा घर था जहाँ कम से कम हाथ पैर तो नही टकराते थे अंधेरे मे
रिज़वाना: तुमको भी चोट लगी क्या
मैं: थोड़ी सी पैर मे लगी है वो आप चिल्लाई तो मैं घबरा गया कि जाने क्या हुआ है इसलिए जल्दी से आपकी आवाज़ की तरफ भागा बस इसी जल्दी मे मेज़ से पैर टकरा गया...
रिज़वाना: ज़्यादा चोट तो नही लगी
मैं: पता नही मैने देखा नही...
रिज़वाना: यहाँ से अब लेफ्ट घूम जाओ... मेरे कमरे मे चलकर मुझे दिखाओ कितनी चोट लगी है...
मैं: (हँसते हुए) देखोगी कैसे हाथ को हाथ नज़र तो आ नही रहा चोट क्या दिखेगी...
रिज़वाना: फिकर मत करो यहाँ अक्सर लाइट चली जाती है फिर थोड़ी देर मे आ जाती है...
ऐसे ही हम बाते करते हुए धीरे-धीरे रिज़वाना के कमरे मे आ गये ओर रिज़वाना ने ही गेट खोला ऑर फिर मैने रिज़वाना को धीरे से उसके बेड पर रख दिया...
रिज़वाना: (दर्द से कहते हुए) आयईीई... नीर कमर मे ऑर पीछे बहुत दर्द हो रही है हिला भी नही जा रहा...
मैं: अब अंधेरे मे तो कुछ कर भी नही सकते यार लाइट आने दो फिर देखते हैं...
रिज़वाना: अर्रे यार जिस काम के लिए गये थे वो तो किया ही नही...
मैं: कौनसा काम
रिज़वाना: मोमबत्ती यार (हँसते हुए)
मैं: जाने दो कोई बात नही आगे ही मोमबत्ती के चक्कर मे इतना तमाशा हो गया अब ऐसे ही ठीक है... देखा मैने मना किया था ना लेकिन आप ही बोल रही थी कि 2 मिंट का काम है... अब देखो आपका ही काम हो गया (हँसते हुए)
रिज़वाना: (मेरे कंधे पर थप्पड़ मारते हुए) एक तो मुझे चोट लग गई है उपर से मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो जाओ मैं नही बोलती तुमसे...
मैं: अच्छा-अच्छा माफी डॉक्टरनी साहिबा...
रिज़वाना: जाओ माफ़ किया... अच्छा ये तुम मुझे डॉक्टरनी साहिबा क्यो बुलाते रहते हो
मैं: अब आप डॉक्टरनी हो तो डॉक्टर ही बुलाउन्गा ना
रिज़वाना: डॉक्टर मैं सिर्फ़ हेड-क्वार्टेर के मेरे क्लिनिक मे हूँ यहाँ घर पर नही
मैं: तो फिर मैं यहाँ आपको क्या बुलाऊ...
रिज़वाना: म्म्म्मयम सिर्फ़ रिज़वाना बुला सकते हो
मैं: अच्छा तो सिर्फ़ रिज़वाना जी अब ठीक है (हँसते हुए)
रिज़वाना: (हँसते हुए) नीर तुम जानते हो आज बहुत मुद्दत के बाद मैने इतनी खुशी पाई है तुम क्या आए मेरी जिंदगी मे ऐसा लगता है जिंदगी फिर से रोशन हो गई...
मैं: मैने भी आज पहली बार इतनी मस्ती की है...
रिज़वाना: (कराहते हुए) आहह मेरी पीठ सस्सस्स
मैं: क्या हुआ बहुत दर्द है क्या...
रिज़वाना: अगर कमर को हिलाती हूँ तो दर्द होता है वैसे ठीक है
मैं: रूको लगता है कमर अटक गई है...
रिज़वाना: मुझे भी ऐसा ही लगता है... एक काम करो मेरी कमर को झटका दो ठीक हो जाएगी...
मैं: ठीक है आप मेरा सहारा लेके खड़ी होने की कोशिश करे
रिज़वाना: मैं गिर जाउन्गी नीर
मैं: मैं हूँ ना फिकर मत करो इस बार पकड़ लूँगा आपको... नही गिरोगि बस मेरा हाथ मत छोड़ना...
रिज़वाना: ठीक है
उसके बाद रिज़वाना मेरे हाथ के सहारे बेड पर धीरे-धीरे घुटने के बल खड़ी होने लगी लेकिन उसको खड़े होने मे दर्द हो रहा था इसलिए मैने अपने दोनो हाथ उसकी कमर मे डाले ओर उसकी दोनो बाजू अपने गर्दन पर लपेट ली
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-36
अब मैने झटके से रिज़वाना को खड़ा किया...
रिज़वाना: आअहह ससस्स
मैं: अब कैसा लग रहा है
रिज़वाना: पहले से बेहतर है लेकिन दर्द अभी भी हल्की-हल्की हो रही है...
मैने बिना रिज़वाना से पुछे उसकी पिछे से कमीज़ उठाई ऑर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगा रिज़वाना को शायद इस तरह मेरे हाथ लगाने की उम्मीद नही थी इसलिए उसको एक झटका सा लगा ऑर वो मुझसे ऑर ज़ोर से चिपक गई... अब मैं उसकी कमर को प्यार से सहला रहा था ऑर वो खामोश होके मेरे गले मे अपनी बाहे डाले घुटने के बल खड़ी थी...
कुछ ही देर मे हम दोनो की साँस तेज़ होने लगी ऑर रिज़वाना ने मेरे कंधे पर अपना सिर रख लिया उसकी तेज़ होती सांसो की गरमी मैं अपनी गर्दन पर महसूस कर रहा था... मैने भी इस मोक़े का फायेदा उठाना ही मुनासिब समझा ऑर अपना हाथ उपर की जानिब बढ़ाने लगा... अब मेरा हाथ उसकी ब्रा के स्ट्रॅप के नीचे के तमाम हिस्से की सैर कर रहा था... शायद उसको भी मज़ा आ रहा था इसलिए वो खामोश होके बस मेरे कंधे पर अपना सिर रखकर लेटी हुई थी उसके नाज़ुक होंठों का लांस मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हो रहा था... मैं चाहता था कि वो मेरी गर्दन को चूमे लेकिन वो बस मेरी गर्दन से अपने होंठ जोड़े खड़ी थी ऑर आगे नही बढ़ रही थी इसलिए मैने ही पहल करना मुनासिब समझा मैने अब अपने दोनो हाथ उसकी कमीज़ मे डाल लिए ऑर दोनो को उसकी पीठ पर उपर-नीचे घुमाने लगा साथ ही मैने अपनी गर्दन हल्की सी नीच को झुका कर अपने होंठ उसकी गालो पर रख दिया ओर धीरे-धीरे अपने होंठ उसकी गालो पर घुमाने लगा ये अमल शायद उसको भी मज़ा दे रहा था इसलिए उसने अपना चेहरा थोड़ा सा उपर की जानिब कर लिया ताकि मेरे होंठ अच्छे से उसकी गाल को च्छू सके...
कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था इसलिए मैने धीरे-धीरे उसकी गाल को चूमना शुरू कर दिया... अब मेरे हाथ नीचे उसकी कमर पर अपना कमाल दिखा रहे थे ऑर होंठ उसकी गाल पर... उसकी तरफ से कोई विरोध ना होने पर मैने आगे बढ़ने का सोचा ऑर उसकी गाल से होता हुआ साइड से उसके होंठों को भी चूमने लगा पहले तो उसने अपने होंठ सख्ती से बंद कर लिए लेकिन बार-बार मेरे वहाँ चूमने पर उसने भी अपने होंठों को थोड़ा सा खोल दिया... कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैने अपना एक हाथ आगे की तरफ किया ऑर उसके पेट को सहलाने लगा उसका नर्म-ओ-नाज़ुक पेट मुझे ऑर भी मज़ा दे रहा था... मेरा ऐसा करना शायद उसके सबर के बाँध को तोड़ने के लिए काफ़ी था उसने अपनी एक बाजू मेरी गर्दन से निकाली ऑर मेरी कमर मे डालकर मुझे ऑर ज़ोर से अपने से चिपका लिया... ऑर अपनी गर्दन को दूसरी तरफ करके मेरे दूसरे कंधे पर रख लिया... शायद अब वो चाहती थी कि मैं उसकी दूसरी गाल को भी वैसे ही चुमू इसलिए मैने वही अमल उसके दूसरे गाल के साथ भी शुरू कर दिया लेकिन इस बार वो खुद अपनी गाल को मेरे होंठों से जोड़ रही थी ऑर कोशिश कर रही थी कि जल्दी से जल्दी मैं उसके होंठों तक आउ लेकिन मैं इस बार उसके गाल को ही चूम रहा था...
नीचे मेरा लंड पूरी तरह जाग गया था ऑर जीन्स मे झटपटा रहा था बाहर निकलने के लिए... अब एक नयी चीज़ हुई उसने जो हाथ मेरी कमर पर रखा था पिछे से उसको मेरी टी-शर्ट मे डाल दिया ऑर मेरी पीठ को सहलाने लगी दूसरा हाथ उसका अब भी मेरी गर्दन पर ही लिपटा हुआ था मैने मोक़े की नज़ाकत को समझते हुए अपना हाथ जो उसकी पीठ सहला रहा था उसको थोड़ा उपर की तरफ करने की कोशिश की लेकिन उसकी कमीज़ पेट से बेहद तंग होने की वजह से मेरा हाथ उपर की तरफ नही जा रहा था क्योंकि उसने टाइट फीतिंग का सूट पहना हुआ था... इसलिए मैने उसकी कमीज़ उतारने की कोशिश की लेकिन इस बार उसने मेरा हाथ पकड़ लिया ऑर गर्दन को नही मे हिलाया... लेकिन अब मुझसे सबर करना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैने अपने एक हाथ से उसका चेहरा उपर किया ऑर अपने चेहरे के सामने ले आया अब हम दोनो की साँसे एक दूसरे के चेहरे से टकरा रही थी मैने अपनी नाक उसकी नाक से हल्की सी टकराई ऑर फिर पिछे को हो गया उसने जल्दी से मेरा चेहरा अपने दोनो हाथो से पकड़ लिया ऑर मेरे होंठों को पहले हल्के से चूम लिया ऑर फिर बुरी तरह चूसने लगी... अब मैने अपने दोनो हाथ उसकी कमर पर रख लिया ऑर उसने फिर से अपनी दोनो बाजू मेरे गले मे हार की तरफ डाल लिए ऑर लगातार मेरे होंठों को चूसने लगी उसके चूमने मे इतनी क़शिष थी कि मुझे साँस लेने मे भी तक़लीफ़ होने लगी थी इसलिए मैने अपना चेहरा पिछे कर लिया लेकिन उसने फिर से मेरा चेहरा पकड़ लिया ऑर मेरे होंठों पर टूट पड़ी अब उसने अपने दोनो हाथ मेरी टी-शर्ट के गोल गले पर रख लिया जैसे अपने दोनो हाथो को मेरी टी-शर्ट के गले से लटका दिया हो...
मैं समझ चुका था कि अब वो मुकम्मल गरम हो चुकी है इसलिए मैने एक बार फिर उसकी कमीज़ को उपर उठाने की कोशिश की इस बार उसने मेरा हाथ नही पकड़ा लेकिन मेरे होंठों को चूस्ते हुए ही गर्दन को नही मे हिलाने लगी... मैने अपना मुँह पिछे कर लिया उसने फिर से मेरे होंठ चूसने चाहे तो मैने गर्दन मोड़ ली इस बार उसने ज़बरदस्ती मेरी गर्दन को अपने दोनो हाथो से पकड़ा ऑर मेरे फिर से होंठ चूसने लगी साथ ही मेरा एक हाथ पकड़ कर अपने दाएँ मम्मे पर रख दिया... उसके मम्मी को छुते ही मुझे ऑर उसको भी जैसे करेंट सा लगा क्योंकि उसका मम्मे हीना के मम्मों से भी बड़े थे उनको दबाने से ही मम्मो की सख्ती का अंदाज़ा लगाया जा सकता था... मैं अब दोनो हाथो से उसकी कमीज़ के उपर से उसके मम्मे दबा रहा था ऑर वो मेरे होंठ चूस रही थी...
तभी अचानक लाइट आ गई... (यक़ीन करो दोस्तो उस वक़्त मुझे इतना गुस्सा आ रहा था बीजली वालो पर कि कोई बीजली बोर्ड का मुलाज़िम सामने होता तो साले का लंड काट कर फैंक देता... कमीनो ने हर बार ग़लत टाइमिंग पर ही एंट्री मारी... कुछ गुस्सा मुझे अपनी किस्मत पर भी आ रहा था कि साला हर बार मेरे साथ ही ऐसा क्यो होता है...) लाइट आने का नतीज़ा ये हुआ कि जो रिज़वाना पूरी-क़शिष से मेरे होंठ चूस रही थी ऑर मुझसे मम्मे मसलवा रही थी वो एक दम रोशनी हो जाने से घबरा गई ऑर मुझसे दूर हो गई ऑर बेड पर बैठकर अपने सिर पर हाथ रख लिया... मैं समझ नही पा रहा था कि रिज़वाना को अचानक क्या हो गया अभी तो ये एक दम ठीक थी...
मैं: क्या हुआ रिज़वाना
रिज़वाना: (परेशान होते हुए) तुम जाओ यहाँ से...
मैं: लेकिन हुआ क्या
रिज़वाना: (चिल्लाते हुए) मैने कहा ना तुम जाओ यहाँ से एक बार मे बात समझ नही आती...
उसका इस तरह मुझ पर चिल्लाना मुझे अच्छा नही लगा इसलिए मैं बिना कोई जवाब दिया उसके कमरे का गेट ज़ोर से दीवार पर मारता हुआ बाहर निकल गया ऑर अपने कमरे मे जाके लेट गया... मेरा दिल बीजली वालो को हज़ार गालियाँ दे रहा था ऑर खुद पर अफ़सोस भी हो रहा था कि मेरे पास 2 इतने हसीन मोक़े आए जो मैने ऐसे ही ज़ाया कर दिए... साथ ही मुझे रिज़वाना का बर्ताव भी परेशान कर रहा था क्योंकि मैने उसको जब भी देखा था मुस्कराते हुए देखा था लेकिन आज अचानक उसको गुस्सा किस बात पर आया आख़िर क्यो उसने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया... मुझे लगा शायद मैने जल्दी कर दी इसलिए वो नाराज़ थी ऑर मेरी सबसे बड़ी ग़लती ये थी कि मैं हर लड़की को फ़िज़ा ऑर हीना जैसा ही समझ रहा था मुमकिन था वो मुझे पसंद नही करती... ऑर आख़िर पसंद करती भी क्यो उसकी नज़र मे मैं एक अपराधी हूँ अनपढ़-गवार हूँ जिसको कपड़े पहनने तक की अक़ल नही ऑर वो खुद इतनी बड़ी डॉक्टर है इतनी खूबसूरत है... भला वो मुझे पसंद क्यो करेगी इसलिए मैने वहाँ रहना मुनासिब ना समझा
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
ऑर अपना बॅग पॅक करने लगा साथ ही जल्दी से अपने गाँव वाले थैले मे से इनस्प्टेक्टर ख़ान का कार्ड निकाला ऑर बेड के पास पड़े फोन से ख़ान का नंबर डायल कर दिया...
ख़ान: हेलो... हाँ रिज़वाना बोलो इस वक़्त कैसे फोन किया...
मैं: जी मैं नीर बोल रहा हूँ...
ख़ान: हाँ नीर बोलो क्या हुआ कुछ चाहिए क्या...
मैं: जी आप मेरे रहने का इंतज़ाम कहीं ओर कर देंगे तो बेहतर होगा...
ख़ान: अर्रे क्या हुआ रिज़वाना ने कुछ कह दिया क्या...
मैं: जी नही उन्होने कुछ नही कहा बस मेरा यहाँ दिल नही लग रहा आप ऐसा करे मुझे मेरे गाँव ही भिजवा दे तो बेहतर होगा यहाँ बड़े लोगो मे मुझे अजीब सा लगता है मैं ठहरा ज़ाहील-गवार भला मेरा यहाँ क्या काम...
ख़ान: कैसी बच्चों जैसी बात कर रहे हो मैने वहाँ तुमको इसलिए रखा है कि कल से तुम्हारी ट्रैनिंग करवा सकूँ ना की तुमको वहाँ छुट्टियाँ बिताने के लिए समझे...
मैं: जी मुझे आपकी हर बात मंज़ूर है लेकिन अब यहाँ नही रहना चाहता आप चाहे तो मैं आपके दफ़्तर मे सोफे पर सो जाउन्गा लेकिन यहाँ मुझे नही रहना...
ख़ान: तुम रिज़वाना से बात कर्वाओ मेरी...
मैं: जी वो अपने कमरे मे सो रही है...
ख़ान: ठीक है फिर सुबह होते ही उसको बोलना मुझसे बात करे... ऑर नीर यार आज की रात तुम कैसे भी वहाँ गुज़ार लो कल मैं तुम्हारा कही ऑर इंतज़ाम कर दूँगा ठीक है...
मैं: जी शुक्रिया...
उसके बाद मैने फोन रख दिया ऑर वही सोफे पर बैठा गर्दन नीचे किए आँखें बंद करके अपनी ग़लती पर पछटाने लगा कि मैं यहाँ आया ही क्यो था... तभी मुझे कुछ गीलापन अपने पैर पर महसूस हुआ मैने आँखें खोलकर देखा तो रिज़वाना मेरे पैरो के पास मुँह नीचे करके बैठी थी ऑर शायद रो रही थी इसलिए उसके आँसू मेरे पैरो पर गिर रहे थे...
मैं: अर्रे रिज़वाना जी आप... आप रो रही है... देखिए मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ आगे से ऐसी ग़लती नही होगी...
रिज़वाना: (रोते हुए) हाँ ग़लती होगी भी कैसे मुझे छोड़कर जो जा रहे हो...
मैं: जीिीइ... क्या
रिज़वाना: मैने सब सुन लिया है जो तुम ख़ान को बोल रहे थे...
मैं: जी मेरी ग़लती थी इसलिए मेरा यहाँ रहना सही नही है... मुनासिब होगा मैं यहाँ से चला जाउ... आप रोइए मत अगर आप कहेंगी तो मैं अभी चला जाउन्गा लेकिन आप रोइए मत...
रिज़वाना: जाके भी दिखाओ... (मेरे दोनो हाथ मज़बूती से पकड़ते हुए) मुझे माफ़ नही कर सकते नीर (रोते हुए मेरे घुटने पर अपने चेहरा रखते हुए)
मैं: (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) जी आप क्या कह रही है मुझे कुछ समझ नही आ रहा...
रिज़वाना: मैं एक दम घबरा गई थी नीर ऑर उसी चक्कर मे तुम पर गुस्सा हो गई... तुमसे पहले कोई मेरे इतना करीब नही आया कभी इसलिए अचानक जब तुम पास आए तो मैं डर गई थी ओर सब कुछ भूलकर तुम पर गुस्सा हो गई...
मैं: कोई बात नही वैसे भी ग़लती मेरी थी (मुस्कुराते हुए) आप नीचे क्यो बैठी है पहले आप उपर आके बैठो ऑर रोना बंद करो
रिज़वाना: (मेरे साथ बैठते हुए ऑर बिना कुछ बोले मुझे गले लगाते हुए) आम सॉरी नीर मैं अपनी ग़लती पर शर्मिंदा हूँ मुझे तुम पर इस तरह चिल्लाना नही चाहिए था...
मैं: कोई बात नही... वैसे मैं आपसे नाराज़ नही हूँ रिज़वाना जी...
रिज़वाना: फिर मुझे छोड़कर क्यो जाना चाहते हो...
मैं: (रिज़वाना की बाजू अपने गले से निकालते हुए) ताकि वो ग़लती दुबारा ना हो...
रिज़वाना: अगर कोई अब तुम्हारे बिना ना रह सकता हो तो... ऑर अब तुम कुछ भी कर लो मैं मना नही करूँगी मैं डर गई थी सॉरी...
मैं: कोई किसी के बिना नही मरता रिज़वाना जी... ऑर आपने ठीक किया... मेरे जैसा अनपढ़-गवार आपके किसी काम का नही...
रिज़वाना: (फिर से मुझे गले लगाते हुए) मुझे नही पता तुम मे ऐसा क्या है लेकिन अब मैं तुमसे दूर नही रह सकती... 1 दिन मे जाने तुमने मुझ पर क्या जादू कर दिया है... मुझे छोड़कर मत जाओ प्लीज़...
मैं: लेकिन अब तो मैने ख़ान को बोल दिया है
रिज़वाना: उसकी फिकर तुम मत करो मैं हूँ ना ख़ान को मैं देख लूँगी बस कल तुम नही जाओगे समझे... यही रहोगे मेरे पास...
मैं: जैसी आपकी मर्ज़ी... लेकिन आज के बाद मैं आपके कमरे मे नही आउन्गा...
रिज़वाना: ठीक है मत आना अब मैं भी उस कमरे मे नही जाउन्गी वही रहूंगी जहाँ तुम रहोगे... चलो अब मेरी कसम खाओ मुझे छोड़कर नही जाओगे...
मैं: आप जब जानती है कि जो चीज़ हो नही सकती फिर उसके लिए कसम क्यो दे रही है...
रिज़वाना: तुम ख़ान का काम कर दो फिर तुम आज़ाद हो उसके बाद हम दोनो रह सकते हैं यहाँ हमेशा के लिए...
मैं: जी नही मैं यहाँ नही रह सकता काम होने के बाद मैं मेरे घर चला जाउन्गा मेरे गाँव मे मेरी ये जिंदगी अब उनकी दी हुई है... आज अगर मैं ज़िंदा हूँ तो ये उनका ''अहसान" है मुझ पर...
रिज़वाना: क्या मैं भी उस परिवार का हिस्सा नही बन सकती... मैं तुम्हारे लिए अपना सब कुछ छोड़ने को तेयार हूँ...
मैं: (हँसते हुए) कहना बहुत आसान है रिज़वाना जी लेकिन करना बहुत मुश्किल...
रिज़वाना: ठीक है फिर तुम ख़ान का काम कर दो उसके बाद मैं भी ये नौकरी छोड़ दूँगी जहाँ तुम रखोगे जिस हाल मैं रखोगे मैं रहने को तैयार हूँ... ऑर आज के बाद खुद को अनपढ़-गवार मत कहना...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
मैं: लेकिन मेरे पास आपको देने के लिए कुछ भी नही है अपना घर भी नही सब कुछ बाबा का है...
रिज़वाना: कौन कहता है तुम्हारे पास कुछ नही तुम्हारे पास इतना प्यार करने वाला दिल है ऑर एक लड़की को इससे ज़्यादा कुछ नही चाहिए होता... तुम नही जानते नीर इतने साल मैने कैसे गुज़ारे है आज मेरे पास सब कुछ होके भी कुछ नही है... बचपन मे ही माँ-बाप गुज़र गये फिर बड़ी हुई तो डॉक्टर बन गई ऑर अब सारा दिन दूसरो का ख्याल रखती हूँ लेकिन असल मे आज तक किसी ने मेरा ख्याल नही रखा मैं बचपन से अकेली ही रहती आ रही हूँ... आज तुम आए मेरी जिंदगी मे ऑर जैसे मेरा ख्याल रखा ऐसा कभी किसी ने नही किया मेरे लिए... अब मेरी किस्मत देखो एक इंसान मिला जो मेरी इतनी फिकर करता है मेरे लिए लड़ता है ऑर मैने उसको भी नाराज़ कर दिया ऑर अब तुम भी मुझे छोड़कर चले जाओगे... (फिर से रोते हुए)
मैं: नही जाउन्गा अब रोना बंद करो चलो... (रिज़वाना की गाल पर लगे आँसू सॉफ करते हुए)
रिज़वाना: मेरी कसम खाओ...
मैं: अगर लौटकर वापिस आ गया तो नही जाउन्गा अगर नही आ सका तो...
रिज़वाना: (मेरे मुँह पर हाथ रखते हुए) ऐसा मत बोलो (फिर से मुझे गले लगाते हुए)
मैं: अच्छा ठीक है रिज़वाना जी काफ़ी रात हो गई है अब आप सोने जाओ मैं भी सो जाता हूँ सुबह ख़ान ने बुलाया भी है...
रिज़वाना: ठीक है...
वो बिना कुछ बोले उठी ऑर मेरे बिस्तर पर जाके बैठ गई ऑर मैं बस उसको देख रहा था...
मैं: रिज़वाना जी आप यहाँ सोएंगी...
रिज़वाना: (बिना कुछ बोले हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं: ठीक है फिर मैं यहाँ सो जाता हूँ... (सोफे पर लेट ते हुए)
रिज़वाना: चुप करके यहाँ आओ नही तो मैं फिर से रोने लग जाउन्गी...
मैं: (सोफे से उठते हुए) अब क्या हुआ
रिज़वाना: लाइट ऑफ करो ऑर यहाँ आके लेटो मेरे साथ... (मुस्कराते हुए)
मैं: लेकीन्न्न...
रिज़वाना: लेकिन-वेकीन कुछ नही चलो लाइट ऑफ करके यहाँ आओ...
मैं बिना कुछ बोले गया ऑर लाइट ऑफ करके आ गया ऑर बिना कुछ बोले रिज़वाना के साथ लेट गया रिज़वाना मेरी तरफ मुँह करके लेटी थी ऑर मुस्कुरा रही थी...
रिज़वाना: नीर अभी तक नाराज़ हो...
मैं: नही तो... क्यो...
रिज़वाना: पास आओ ना मेरे...
मैं: (करवट बदलकर रिज़वाना के करीब जाते हुए) अब ठीक है
रिज़वाना: (मेरे होंठ चूमते हुए) रात को भी जीन्स टी-शर्ट पहनकर सोने का मूड है...
मैं: तो क्या पहनु तुमने ही तो गाँव वाले कपड़े पहन ने से मना किया था...
रिज़वाना: अर्रे आज ही तो इतने सारे कपड़े लेके आए हैं जाओ जाके शॉर्ट्स पहन लो...
मैं: (कुछ ना समझने वाले अंदाज़ मे) शॉर्ट्स क्या...
रिज़वाना: रूको मैं लेकर आती हूँ...
रिज़वाना उठी ऑर जाके मेरे शॉपिंग बॅग्स मे झाँकने लगी 5-6 बॅग्स मे देखने के बाद उसने एक मे हाथ डाला ऑर देखकर मेरी तरफ फेंक दिया...
रिज़वाना: जाओ ये पहन आओ... रात को टाइट कपड़े पहनकर नही सोना चाहिए...
मैं: अच्छा... (उठकर बाथरूम मे जाते हुए)
जब मैं कपड़े बदलकर वापिस आया तो रिज़वाना एक चद्दर लिए लेटी हुई थी...
मैं: अर्रे इतनी गर्मी मे चद्दर क्यो ली है...
रिज़वाना: पास आओगे तो पता चलेगा ना...
मैं: (बिना कुछ बोले बेड पर लेट ते हुए) अब ठीक है...
रिज़वाना: (मेरी चेस्ट पर हाथ फेरते हुए) एम्म्म बॉडी अच्छी बनाई है...
मैं: शुक्रिया...
रिज़वाना: चलो अब तुम भी चद्दर मे ही आ जाओ...
मैं: क्यो...
रिज़वाना: आओगे तो पता चलेगा ना...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-37
मैं बिना कुछ बोले रिज़वाना के साथ चद्दर के अंदर आके लेट गया ऑर अंदर जाते ही मुझे एक झटका सा लगा क्योंकि रिज़वाना ने अंदर कुछ नही पहना था ऑर एक दम नंगी थी... वो मेरे चद्दर के अंदर आते ही मुझसे लिपट गई उसकी बड़ी ऑर ठोस छातीया मेरे सीने मे धँसने लगी उसके निपल एक दम सख़्त हुए पड़े थे जो मुझे अपने सीने पर महसूस हो रहे थे... उसके नाज़ुक जिस्म का अहसास मिलते ही मुझ पर एक अजीब सी मदहोशी छाने लगी ऑर मैने उसको अपनी बाहो मे जाकड़ लिया... अब इस बार वो मेरी गाल को चूम रही थी ऑर मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी... धीरे-धीरे वो मेरे उपर आके लेट गई ऑर मेरे चेहरे को चूमने लगी नीचे मेरा लंड फिर से जाग गया था ऑर शॉर्ट्स मे टेंट बनाए खड़ा हो गया था... जिसको रिज़वाना ने अपनी जाँघो मे क़ैद कर रखा था... अब वो धीरे-धीरे मेरी गालो से होते हुए मेरी गर्दन पर चूम रही थी ऑर नीचे की तरफ जा रही थी कुछ ही देर मे वो मेरी छाती पर आ गई ऑर चूमने लगी...
मुझ पर एक अजीब सा मदहोशी का नशा हावी हो रहा था इसलिए मैने उसको कमर से पकड़ लिए ऑर उपर की तरफ खींचा... मेरे इशारे को समझते हुए वो वापिस उपर आ गई ऑर मेरी आँखों मे देखने लगी ऑर मेरे होंठों को चूमने लगी मैने जल्दी से उसे कमर से पकड़कर पलट दिया अब वो मेरे नीचे थी ऑर मैं उसके उपर... मैने उसके होंठ चूसने शुरू किए जिसका उसने भी भरपूर साथ दिया उसका एक हाथ मेरी पीठ को सहला रहा था ऑर दूसरा हाथ मेरे सिर के बालो से खेल रहा था... हम दोनो को ही इस वक़्त कोई होश नही था उसके होंठ चूस्ते हुए मैने उसके एक मम्मे को अपने हाथ मे थाम लिया ऑर उसको दबाने लगा...
कुछ देर मेरे होंठों को चूसने के बाद उसने मेरे सिर को अपने एक हाथ से नीचे की तरफ दबाया शायद वो चाहती थी कि मैं अब उसके मम्मों को भी उसके होंठों की तरह चुसू... मैं जल्दी से नीचे जाके किसी जंगली की तरह उसके बड़े-बड़े मम्मों पर टूट पड़ा ऑर उसके निपल्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा... वो किसी बिन पानी की मछली की तरह मेरे नीचे पड़ी तड़प रही थी ऑर सस्सिईइ... सस्सिईइ... की आवाज़ निकल रही थी वो कभी मेरा सिर पकड़ कर एक मम्मे पर रखती तो कभी दूसरे मम्मे पर... मैं भी उसके दोंनो मम्मों को बारी-बारी चूस्ता जा रहा था...
थोड़ी देर मम्मे चूसने के बाद मैं थोडा ऑर नीचे की तरफ जाने लगा ऑर उसके पेट पर चूमने ऑर चूसने लगा... मैने जैसे ही अपनी ज़ुबान उसकी नाभि (नेवेल) मे डाली उसको एक झटका सा लगा ऑर उसने अपना पेट अंदर की तरफ खींच लिया ऑर मेरा सिर पकड़ कर अपने पेट पर दबा दिया शायद उसको भी मज़ा आ रहा था कुछ देर उसकी नाभि को चूसने चाटने के बाद मैं ऑर नीचे जाने लगा ऑर उसकी चूत के उपर जहाँ बाल (हेर्स) थे वहाँ चूमने लगा मेरा ऐसा करने से उसने अपनी दोनो टांगे आपस मे जोड़ ली... मैने एक झलक गर्दन उठाके उपर की तरफ देखा तो उसकी आँखें बंद थी मैने उसकी दोनो जाँघो पर अपने हाथ रखे ऑर धीरे-धीरे उन्हे खोलने लगा मेरा इशारा मिलते ही वो किसी चाबी लगे खिलोने की तरह अपनी दोनो टांगे खोलती चली गई उसकी चूत एक दम सॉफ ऑर क्लीन थी उस पर बाल का कोई नामो-निशान नही था आज तक मैने जितनी भी चूत को चोदा था सब पर जंगल उगा हुआ था यहाँ तक कि हीना की चूत पर भी थोड़े-थोड़े बाल थे लेकिन रिज़वाना की चूत एक दम सॉफ ऑर गोरी चिट्टी थी... अब मैने अपना मुँह सीधा उसकी चूत पर रखा ऑर वहाँ चूम लिया... उसकी चूत लगातार पानी छोड़ने की वजह से बहुत गीली हो गई थी ऑर मेरे चूमने से कुछ पानी मेरे होंठों पर भी लग गया था... लेकिन मेरा चूत पर चूमना रिज़वाना के लिए किसी झटके से कम नही था वो एक दम उच्छल सी गई ऑर अपना सिर उपर की तरफ उठा दिया... मैने अपना एक हाथ उसकी छाती पर रख कर उससे फिर से लिटा दिया ऑर वापिस उसकी चूत को चूमने लगा उसकी टांगे काँपने लगी थी ऑर बार-बार वो अपनी टांगे बंद करने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैने उसकी दोनो टाँगो को मज़बूती से पकड़ रखा था...
कुछ देर बाद जब वो थोड़ी ठीक हो गई तो मैने अपना मुँह खोला ओर उसकी पूरी चूत को अपने मुँह मे भर लिया ओर चूसने लगा उसके मुँह से एक जोरदार सस्स्स्सस्स ऊहह की आवाज़ निकली ऑर उसने मेरा सिर अपनी चूत पर दबा दिया साथ ही अपनी गान्ड को उपर की तरफ उठाने लगी... मैं अब लगातार उसकी चूत को चूस रहा था ऑर उसका एक हाथ ने सख्ती से मुझे मेरे बालो से पकड़ रखा था ऑर अपनी चूत पर दबा रही थी कुछ देर चूसने के बाद उसके जिस्म ने एक झटका खाया फिर दूसरा झटका ऑर ऐसे ही झटके खाती हुई उसने हवा मे अपनी गान्ड उपर को उठा ली ओर कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद वो एक दम से बेड पर गिर गई ऑर तेज़-तेज़ साँस लेने लगी शायद वो फारिग हो गई थी...
अब उसने मुझे मेरे बालो से पकड़ा ओर उपर की तरफ खींचा मैं जैसे ही उपर को हुआ वो फिर से मेरे होंठों पर टूट पड़ी ऑर बेतहाशा मुझे चूमने ऑर मेरे होंठ चूसने लगी... शायद उसको ऐसा करने से बे-ईतेहाँ मज़ा आया था कुछ देर मुझे चूमने के बाद उसने अपने हाथ नीचे किया ऑर पिछे से मेरी शॉर्ट्स को नीचे कर दिया ऑर मेरी गान्ड पर अपना हाथ फेरने लगी... फिर अपना हाथ आगे लाकर आगे से भी मेरे शॉर्ट्स को नीचे कर दिया ऑर फिर अपने पैर की मदद से शॉर्ट्स को मेरी टाँगो से आज़ाद कर दिया अब हम दोनो सिर्फ़ एक चद्दर मे क़ैद थे उसने अपनी टांगे फैलाई हुई थी ऑर मेरा लंड सीधा उसकी चूत के मुँह पर अपनी दस्तक दे रहा था... उसके होंठ चूस्ते हुए ही मैने अपना हाथ नीचे किया ऑर अपना लंड पकड़कर निशाने पर रख दिया... उसने जल्दी से अपना मुँह मेरे होंठों से आज़ाद किया ऑर मेरे कान मे धीरे से बोली...
रिज़वाना: नीर आराम से करना मैने पहले कभी किया नही...
मैं: कभी भी नही...
रिज़वाना: (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) उऊहहुउऊ...
मैने फिर से उसके होंठों को अपने होंठों मे क़ैद कर लिया ओर धीरे से अपने लंड का दबाव उसकी चूत की छेद पर दिया लेकिन उसकी चूत का छेद इतना तंग था कि मेरा लंड फिसलकर उपर की तरफ चला गया मैने फिर से अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया ऑर फिर लंड को निशाने पर रखा लेकिन लंड फिर से फिसल कर उपर को चला गया...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
मैं: तुम पकड़कर खुद डालो...
रिज़वाना: (मुस्कुरा कर) अच्छा...
रिज़वाना ने मेरे लंड को पकड़ा ओर धीरे से मेरे कान मे बोली...
रिज़वाना: ये तो बहुत बड़ा है अंदर कैसे जाएगा...
मैं: चला जाएगा पहली बार तक़लीफ़ होगी फिर आराम से चला जाएगा...
रिज़वाना: मुझे मत सिख़ाओ मैं डॉक्टर हूँ... लेकिन नीर ये सच मे बड़ा है ऑर मोटा भी ज़्यादा लग रहा है बहुत दर्द होगा...
मैं: मैं आराम से करूँगा...
रिज़वाना: ठीक है जल्दी मत करना प्लज़्ज़्ज़...
फिर मैने अपने लंड को निशाने पर रखा ऑर इस बार ज़रा ज़ोर से झटका दिया जिससे लंड की टोपी अंदर चली गई ऑर रिज़वाना ने एक सस्स्सस्स के साथ अपनी आँखें बंद कर ली अब मैं कुछ देर रुका ऑर फिर से एक झटका दिया इस बार थोड़ा सा ऑर लंड अंदर गया ऑर कही जाके अटक गया मैं ज़ोर लगा रहा था लेकिन अंदर नही जा रहा था मैने अपना लंड बाहर निकाला उस पर फिर से थूक लगाया ऑर इस बार ज़रा ज़ोर से झटका दिया इस बार लंड कुछ आगे चला गया लेकिन रिज़वाना की दर्द से चीख निकल गई सस्स्स्सस्स आआययईीीई बहुत दर्द हो रहा है नीर जल्दी बाहर निकालो (रोते हुए) मेरी जान निकल रही है प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़... उसने अपने दोनो हाथो के बड़े-बड़े नाख़ून मेरे कंधो मे गढ़ा दिए... जिससे मुझे भी बेहद दर्द हुआ...
मैं: बस हो गया इतना ही दर्द था अब नही होगा...
रिज़वाना: एक बार बाहर निकालो प्ल्ज़्ज़ मेरी दर्द से जान निकल रही है...
मैने बिना कुछ बोले लंड बाहर निकाल लिया ऑर रिज़वाना लगातार रोए जा रही थी मैं बस उसके उपर लेटा उसको चुप करवा रहा था ऑर उसको चूम रहा था... वो काफ़ी देर ऐसे ही रोती रही...
रिज़वाना: मेरा मुँह सूख रहा है प्यास लगी है
मैने बिना कुछ बोले पास पड़ा पानी का ग्लास उठाया ऑर पानी को मुँह मे भर लिया ऑर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए वो दर्द से कराह रही थी ऑर सस्स... सस्स कर रही थी मैने अपने होंठ जैसे ही उसके होंठों पर रखे तो उसने अपनी आँखें खोल दी अब मैं अपने मुँह वाला पानी उसके मुँह मे गिराने लगा ऑर वो बिना कोई हरकत किए वो पानी पीने लगी जब पानी ख़तम हो गया तो मैने ग्लास उसको दिया ताकि वो पानी पी सके...
रिज़वाना: ग्लास से नही मुँह से पिलाओ...
मैं कुछ देर उसको ऐसे ही अपने मुँह मे भरकर पानी पिलाता रहा उसको शायद मेरा ऐसा करना बहुत अच्छा लगा था अब वो भी मुस्कुरा रही थी ऑर आराम से पानी पी रही थी...
रिज़वाना: बसस्स अब आगे भी ऐसे ही पानी पिया करूँगी (मुस्कुराते हुए)
मैं: अब दर्द ठीक है
रिज़वाना: दर्द अब पहले से कुछ काम है लेकिन अभी भी बहुत तेज़ जलन हो रही है अंदर
मैं: एक बार पूरा डाल लोगि फिर दर्द नही होगा...
रिज़वाना: मैने बोला भी था आराम से करना लेकिन तुम तो एक दम जंगली हो...
मैं बिना कुछ बोले उसको देखता रहा ऑर उसके होंठ चूमकर अपना लंड फिर से निशाने पर रखा ऑर हल्का सा झटका दिया अब लंड टोपी से थोड़ा ऑर आगे तक बिना कोई रुकावट अंदर चला गया लेकिन रिज़वाना को अभी भी दर्द हो रहा था...
रिज़वाना: कुछ देर ऐसे ही रहो जब दर्द ठीक हो जाएगा फिर हिलाना अंदर...
मैं: अच्छा...
कुछ देर मैं ऐसे ही अंदर लंड डाले उसके उपर पड़ा रहा ऑर हम एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे थोड़ी देर बाद उसने खुद ही नीचे से अपनी गान्ड को हिलाना शुरू कर दिया तो मैं समझ गया कि अब उसका दर्द कम हो गया है इसलिए मैने भी धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा लेकिन चूत अब भी काफ़ी तंग थी इसलिए मेरा आधे से थोड़ा कम लंड भी अंदर फस-फस कर जा रहा था...
कुछ देर धीरे-धीरे झटके लगाने के बाद जब उसके चेहरे पर से दर्द ख़तम हो गया तो मैने अपनी रफ़्तार कुछ तेज़ करदी ऑर लंड को भी ऑर अंदर तक डालने की कोशिश करने लगा... लेकिन अब रिज़वाना को इतना दर्द नही हो रहा था या शायद वो दर्द को बर्दाश्त कर रही थी...
रिज़वाना: ऑर कितना रह गया है बाहर...
मैं: बस थोड़ा सा ही बाक़ी है...
रिज़वाना: ऐसा करो एक ही बार मे पूरा डाल दो मैं दर्द बर्दाश्त कर लूँगी...
मैं: पक्का
रिज़वाना: (बिना कुछ बोले मेरे होंठ चूमकर हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म...
मैं अपने लंड को टोपी तक बाहर निकाला ऑर एक ही बार मे जोरदार झटका चूत के अंदर मारा लंड पूरे से थोड़ा सा कम अंदर तक चला गया लेकिन कुछ लंड अभी भी बाहर बाकी था... लेकिन रिज़वाना के मुँह से एक बार फिर से ससस्स... आयईयीई... की आवाज़े निकलने लगी...
रिज़वाना: रुक जाओ नीर बस ऐसे ही रहो अब हिलना मत...
मैं: (उसके माथे पर हाथ फेरते हुए) ठीक है...
कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद उसका इशारा मिलते ही मैं फिर से शुरू हो गया और इस बार मैं झटके भी थोड़े तेज़ लगा रहा था... अब रिज़वाना का दर्द भी पहले से बहुत कम हो गया था ऑर वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी कुछ देर ऐसे ही झटके लगाने के बाद एक बार फिर से उसका जिस्म अक़ड गया ऑर उसने अपनी गान्ड को हवा मे उठा लिया ऑर झटके खाने लगी ऑर फिर बेड पर ढेर होके तेज़-तेज़ साँस लेने लगी... अब मैं उसको उपर से हट गया ऑर उसको उठा कर उल्टा लिटा दिया ऑर उसकी गान्ड को उपर को उठाया मेरा इशारा समझ कर वो घोड़ी के जैसे अपने हाथ ऑर घुटनो के सहारे बेड पर खड़ी हो गई अब मैं उसके पिछे आ गया ऑर अपना लंड फिर से उसकी चूत के मुँह पर रखा ऑर धीरे-धीरे लंड को अंदर डालने लगा उसको अब भी लंड डालने पर दर्द हो रहा था जिस वजह से उसके मुँह से एक सस्स्स्सस्स की आवाज़ निकल रही थी... अब मैने एक हाथ से उसके बाल पकड़ लिए ऑर दूसरा हाथ उसकी गान्ड पर रख कर झटके लगाने लगा
उसको शायद ऐसा करने से बहुत मज़ा आ रहा था इसलिए कुछ देर मे वो भी मेरा भरपूर साथ देने लगी अब उसको अपने दर्द की कोई परवाह नही थी ऑर मुझे बार-बार ज़ोर से करो नीर ... ज़ोर से करो नीर ... बोल रही थी मैं भी अब अपनी पूरी रफ़्तार से झटके लगा रहा था उसको चोदते हुए मेरा उसके बाल खींचना काफ़ी पसंद आया था शायद इसलिए जब भी मैं उसके बालो से हाथ हटा लेता तो वो खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर अपने बालो पर रख लेती... इसलिए मैं भी अब उसके बाल पकड़ कर तेज़-तेज़ झटके लगा रहा था पूरा कमरा उसकी सस्सस्स... सस्स्सस्स... आआहह... ऊऊहह... आयईयीई... की आवाज़ो से गूँज रहा था...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अब हम दोनो मज़े मे खोए हुए थे मैं अब फारिग होने के करीब था इसलिए मैं अब अपनी पूरी रफ़्तार से झटके लगा रहा था... कुछ ही देर मे मैं अपनी मंज़िल पर आ गया ऑर साथ ही एक बार फिर उसका जिस्म भी झटके खाने लगा ऑर हम दोनो एक साथ ही फारिग हो गये मैं फारिग होने के बाद बहुत थक गया था इसलिए उसकी पीठ पर ही ढेर हो गया वो भी वैसे ही बेड पर उल्टी ही लेट गई ऑर अब हम दोनो अपनी सांसो को दुरुस्त करने की कोशिश कर रहे थे... मैं अपनी आँखें बंद किए रिज़वाना के उपर लेटा था ऑर वो अपने एक हाथ पिछे ले जाकर मेरे सिर पर अपने हाथ फेर रही थी कुछ देर बाद जब हम दोनो की साँस ठीक हो गई तो मैं उसके उपर से हटकर साइड पर लेट गया वो भी वैसे ही मुझसे लिपट कर सो गई...
उस रात बहुत मज़े की नींद आई हम दोनो को ही होश नही था कि कहाँ पड़े हैं...
अपडेट-38
सुबह जब मेरी नींद खुली तो रिज़वाना किसी मासूम बच्चे की तरह मेरे साथ लेटी थी ओर मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी...
मैं: (अपनी आँखें मलते हुए) सुबह हो गई...
रिज़वाना: हंजी सुबह हो गई... गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट...
मैं: तुम कब उठी...
रिज़वाना: थोड़ी देर पहले...
मैं: मुझे उठाया क्यो नही...
रिज़वाना: तुम सोए हुए इतने प्यारे लग रहे थे कि उठाने का दिल ही नही किया...
मैं: अर्रे चलो तेयार हो जाओ ख़ान ने बुलाया था उसके पास भी जाना है...
रिज़वाना: (मुझे गले लगाते हुए) एम्म्म आज कहीं नही जाना आज मैं मेरी जान के साथ रहूंगी बस आज कोई काम नही करना...
मैं: वो तो ठीक है लेकिन अगर नही जाएँगे तो ख़ान गुस्सा हो जाएगा ना...
रिज़वाना: मैं क्या करूँ मुझसे उठा ही नही जा रहा...
मैं: क्यो क्या हुआ
रिज़वाना: (हँसते हुए) अच्छा क्या हुआ मुझे... कल रात क्या हुआ था... याद करो... चलो... चलो...
मैं: (कुछ सोचते हुए) अच्छा वो... ज़्यादा दर्द हो रहा है...
रिज़वाना: (मेरे होंठ चूमकर ना मे सिर हिलाते हुए) उऊहहुउऊ...
मैं: चलो फिर आज साथ मे नहाते हैं
रिज़वाना: हमम्म लेकिन नीचे जलन हो रही है लगता है आज तो क्लिनिक जाना ही पड़ेगा...
मैं: क्यो क्लिनिक मे क्या है...
रिज़वाना: वहाँ से एक क्रीम लानी है वो लगाउन्गी तो ठीक हो जाएगी...
मैं: तुम आज आराम करो घर पर मुझे बता दो कौनसी क्रीम है मैं ले आउन्गा...
रिज़वाना: हमम्म अच्छा ऑर जब नर्स पुछेगि तो क्या बोलोगे...
मैं: बोल दूँगा रिज़वाना ने मँगवाई है...
रिज़वाना: हुह... रहने दो मैं खुद ही ले आउन्गि... तुम तो जिसको नही भी पता चलना होगा उसको भी बता दोगे... (हँसते हुए)
मैं: चलो फिर तैयार हो जाते हैं जाना भी है
रिज़वाना: ठीक है चलो... अच्छा सुनो हेड-क्वॉर्टर्स जाके किसी को हमारे बारे मे कुछ मत बताना अभी... मुनासिब वक़्त आने पर हम सबको बताएँगे ठीक है अभी चुप रहना ऑर हमारे बारे मे किसी से कोई बात ना करना...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
उसके बाद मैने जैसे चद्दर हटाई बेड पर एक खून का निशान लगा हुआ था जिसको मैं ऑर रिज़वाना दोनो देख रहे थे ऑर मुस्कुरा रहे थे रिज़वाना से ठीक से चला नही जा रहा था इसलिए वो अपनी टाँग को थोड़ी चौड़ी करके चल रही थी उसके इस तरह चलने पर मैं अपनी हँसी रोक नही पाया ऑर ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा...
रिज़वाना: (मुस्कुराते हुए) हँसो मत सब तुम्हारा ही किया हुआ है
मैं: मैने बोला था कपड़े उतार कर मेरे साथ सोने को...
रिज़वाना: अच्छा... अच्छा... ठीक है अब मुझे बाथरूम तक लेके चलो दर्द हो रही है... (चूत को सहलाते हुए)
उसके बाद मैने उसको गोद मे उठाया ऑर हम दोनो नहाने चले गये वहाँ हम दोनो साथ नहाए मेरा लंड तो एक बार फिर से खड़ा हो गया था लेकिन रिज़वाना की हालत देखकर मैं अपने जज़्बात काबू कर लिए
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
ऑर फिर हम दोनो तेयार होके हेडक्वॉर्टर्स चले गये... नाश्ता भी हमने रास्ते मे ही किया...
हेड क्वॉर्टर जाते ही ख़ान मेरे सामने अपने सवालो की दुकान खोले खड़ा हो गया...
ख़ान: आ गये जनाब रात को क्या हुआ था यार
रिज़वाना: कुछ नही घरवाले याद आ रहे थे जनाब को मैने समझा दिया है अब सब सेट है...
ख़ान: देख लो अगर कोई समस्या है तो मेरे साथ तुम रह सकते हो...
मैं: नही कोई समस्या नही वो मुझे बस घरवालो की याद आ रही थी...
ख़ान: (रिज़वाना को देखते हुए) ये तुमको क्या हुआ पैर मे चोट लगी है क्या
रिज़वाना: हाँ रात को लाइट चली गई थी मैं मोमबत्ती लेने गई तो वहाँ सब्जी पर पैर स्लिप हो गया ऑर पैर मे मोच आ गई... नीर नही होता तो मैं उठ भी नही सकती थी...
ख़ान: अपना ख्याल रखा करो यार ऑर तुमको मैने कितनी बार बोला है कोई नौकरानी रख लो...
रिज़वाना: अर्रे अकेली तो हूँ मैं अब एक इंसान के लिए क्या नौकरानी रखू...
ख़ान: चलो जाओ डॉक्टर साहिबा पहले अपना इलाज करो तब तक मैं थोड़ा नीर साहब से बात कर लूँ...
रिज़वाना: हमम्म... (मेरी तरफ देखते हुए) जब तुम्हारा काम ख़तम हो जाए तो मेरे पास क्लिनिक मे आ जाना ठीक है...
मैं: अच्छा जी
उसके बाद ख़ान मुझे एक अजीब सी जगह ले गया जहाँ बहुत सारी मशीन्स पड़ी थी मेरे लिए ये जगह एक दम नयी थी इसलिए मैं चारो तरफ बड़े गौर से देख रहा था वहाँ काफ़ी सारे लोग हाथ मे छोटी-छोटी मशीन्स पकड़े बैठे थे ऑर उसके साथ कुछ ना कुछ कर रहे थे...
मैं: ख़ान साहब हम यहाँ क्यो आए हैं
ख़ान: यहाँ मैं तुमको हर क़िस्म का स्पाइ डिवाइस इस्तेमाल करना सिखाउन्गा जो आगे जाके तुम्हारे काम आएगा... ऑर इनकी मदद से तुम मुझ तक उस गॅंग की इन्फर्मेशन भी भेज सकते हो...
मैं: अच्छा...
उसके बाद पूरा दिन वो मुझे अलग-अलग क़िस्म की छोटी-छोटी मशीन्स के बारे मे बताता रहा ऑर मुझे उनको इस्तेमाल करना भी सीखाता रहा मैं हर चीज़ को बड़े ध्यान से समझ रहा था ऑर उसको अपने दिमाग़ मे बिताने की कोशिश कर रहा था... वहाँ बैठे लोग मुझे उन औज़ारो को इस्तेमाल करना भी सीखा रहे थे ऑर मेरी ज़रूरत के मुताबिक़ मुझे वो समान दे भी रहे थे जिसको मैं खुद एक बार इस्तेमाल करके देख रहा था ऑर फिर मैं एक छोटे से बॅग मे वो तमाम समान को डाल रहा था...
मेरा पूरा दिन वही डिवाइसस को देखने ऑर वो कैसे काम करते हैं उसको समझने मे ही गुज़रा
उसके बाद शाम को मैं ऑर रिज़वाना घर आ गये... आते ही रिज़वाना मुझ पर किसी भूखे जानवर की तरह टूट पड़ी ऑर हम फिर से चुदाई मे लग गये...
अब ये हमारा रोज़ का रुटीन सा हो गया था कि दिन मे मैं ख़ान से ट्रैनिंग लेता ऑर शाम से लेकर सुबह तक हम को बस बहाना चाहिए था चुदाई करने का अब रिज़वाना मेरे बिना एक पल भी नही रहती थी...
कुछ ही दिन मे वो मुझ से बहुत ज़्यादा जूड सी गई थी ओर मुझे बे-पनाह प्यार करने लगी थी... अक्सर जब भी मैं ख़ान से ट्रैनिंग ले रहा होता तो रिज़वाना किसी ना किसी बहाने से मेरे पास आ जाती...
मुझे पता ही नही चला कि 15 दिन कैसे गुज़र गये ऑर मेरी ट्रनिंग भी मुकम्मल हो गई
आखरी दिन ख़ान ने ऐसे ही मुझे अपने कॅबिन मे बुलाया वहाँ उसके पास एक आदमी बैठा था जो मुझे देखते ही खड़ा हो गया ऑर हैरानी से घूर्ने लगा...
ख़ान: बैठो-बैठो यार अब ये अपना ही आदमी है इससे डरने की ज़रूरत नही...
मैं: ख़ान साहब आपने मुझे बुलाया था...
ख़ान: हाँ नीर अब तुम्हारी ट्रैनिंग तो पूरी हो ही गई है इसलिए मैने सोचा तुम्हारे जाने का इंतज़ाम भी कर दूं...
मैं: (चोन्कते हुए) जाने का... कहाँ जाना है मुझे...
ख़ान: अर्रे भाई तुमको तुम्हारे गॅंग तक नही पहुँचना क्या...
मैं: ओह्ह्ह अच्छा हाँ... तो बताइए कब जाना है
ख़ान: कल जाना है
मैं: (कुर्सी से खड़ा होते हुए) कलल्ल्ल... इतनी जल्दी...
ख़ान: क्यो क्या हुआ कल जाने मे कोई परेशानी है क्या...
मैं: जी नही एस बात नही है बस मैं एक बार वहाँ जाने से पहले अपने घरवालो से मिलना चाहता था...
ख़ान: ठीक है फिर तुम आज ही अपने गाव हो आओ ऑर अपने घरवालो से मिल आओ लेकिन सुबह तक वापिस आ जाना क्योंकि मुझे खबर मिली है कि कल रात को तुम्हारे पुराने साथी लाला, गानी ऑर सूमा शहर मे आ रहे हैं ड्रूग्स की डील करने के लिए ऑर तुमको उनकी नज़रों के सामने लाना ज़रूरी है... तभी तुम उस गॅंग तक पहुँच पाओगे...
मैं: जी अच्छा... लेकिन मैं उनके सामने पहुँचुँगा कैसे...
ख़ान: इसलिए तो तुमको यहाँ बुलाया है इनसे मिलो ये है राणा (सामने कुर्सी पर बैठे उस आदमी की तरफ इशारा करते हुए)
राणा: सलाम शेरा भाई (मुझसे हाथ मिलाते हुए)
मैं: वालेकुम... सलाम जनाब...
ख़ान: ये पेशे से एक ड्रग डीलर है ऑर हमारा खबरी भी है... तुम इसके साथ वहाँ डील करने जाओगे ऑर वहाँ उनके लोगो का माल लूटोगे ऑर उनके आदमियो को ख़तम करोगे बाकी सब काम मैने इसको समझा दिया है...
मैं: जी ठीक है...
ख़ान: अब तुम गाव चले जाओ ऑर अपने घरवालो से मिल आओ...
मैं: ठीक है...
ख़ान: ऑर सुनो... हमारे पास वक़्त नही है इसलिए सुबह तक याद से वापिस आ जाना क्योंकि सुबह होते ही तुमको राणा के साथ जाना है...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) जी अच्छा...
उसके बाद वो दोनो कमरे मे बैठे रहे ऑर मैं बाहर आ गया... मुझे ये सब इतने जल्दी होने की उम्मीद नही थी मैने तो सोचा था कुछ दिन ऑर मैं अपने घरवालो के पास रह लूँगा लेकिन यहाँ तो ख़ान ने मुझे बस एक रात का ही वक़्त दिया है ऑर अब तो रिज़वाना भी है जो मुझे बे-इंतेहा मुहब्बत करती है उसको मैं कैसे सम्झाउन्गा... मैं अपनी इन्ही सोचो मे था कि मेरे कदम खुद ही रिज़वाना के कॅबिन की तरफ मुझे ले गये...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
मैं: क्या मैं अंदर आ सकता हूँ डॉक्टरनी साहिबा...
रिज़वाना: (मुस्कुराते हुए) अर्रे तुम आज इतनी जल्दी फ्री हो गये... ऑर ये क्या तुमको अंदर आने के लिए मुझसे इजाज़त लेने की ज़रूरत कब से पड़ने लग गई... चलो अंदर आओ...
मैं: वैसे ही सोचा तुम कोई काम कर रही होगी...
रिज़वाना: (अपनी कुर्सी से खड़े होके मेरे पिछे आते हुए) मेरी जान तुम्हारे लिए तो वक़्त ही वक़्त है बताओ क्या खिदमत करू मेरी जान की... (पिछे से मेरी गाल चूमते हुए)
मैं: मुझे तुमसे कुछ कहना है...
रिज़वाना: क्या हुआ तुम परेशान लग रहे हो सब ठीक तो है...
मैं: मैं आज गाव जा रहा हूँ उसके बाद कल सुबह मुझे मिशन के लिए निकलना है...
रिज़वाना: (मेरी कुर्सी को अपनी तरफ घूमाते हुए) क्या... इतनी जल्दी...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हम्म...
उसके बाद हम दोनो खामोश हो गये ऑर रिज़वाना वापिस अपनी जगह पर जाके बैठ गई ऑर अपना समान समेटने लगी... मुझे उसका इस तरह का बर्ताव अजीब सा लगा...
मैं: क्या हुआ नाराज़ हो...
रिज़वाना: नही... नाराज़ क्यो होना है बस थोड़ी सी उदास हूँ सोचा नही था तुम इतनी जल्दी चले जाओगे...
मैं: उदास क्यो हो... अर्रे मैं जल्दी वापिस आ जाउन्गा ना...
रिज़वाना: मैने सोचा था तुम कुछ दिन मेरे पास ही रुकोगे...
मैं: ख़ान ने आज ही मुझे बताया मैं भी क्या करू...
रिज़वाना: (अपना सारा समान अपने बॅग मे डालते हुए) चलो चलें...
मैं: कहाँ चलें
रिज़वाना: घर मे तुम्हारी पॅकिंग करने ऑर कहाँ
मैं: ऑर तुम्हारा काम...
रिज़वाना: आज कोई काम नही बस आज मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ...
उसके बाद रिज़वाना ने जल्दी छुट्टी लेली ऑर हम दोनो घर के लिए निकल गये... रिज़वाना पूरे रास्ते खामोश ऑर उदास ही बैठी थी जो मुझे सच मे अच्छा नही लग रहा था...
मैं: क्या हुआ है रिज़वाना अब ऐसे उदास मत बैठो यार...
रिज़वाना: मैं ठीक हूँ (मेरे कंधे पर अपना सिर रखते हुए)
मैं: एक बात बोलू...
रिज़वाना: हमम्म्म
मैं: तुम ऐसे उदास बैठी अच्छी नही लगती
रिज़वाना: तो क्या तुम्हारे जाने की खुशियाँ मनाऊ...
मैं: तुमको पता है तुम जब हँसती हो तो बहुत सेक्सी लगती हो मेरी तो नियत ही खराब हो जाती है...
रिज़वाना: (हँसते हुए) उूुउउ... तंग मत करो ना नीर ... एक तो पहले मूड खराब कर दिया अब हंसा रहे हो...
मैं: मैने क्या किया यार ये तो ख़ान ने ही मुझे जो बोला मैने तुमको बता दिया...
रिज़वाना: (रोने जैसा मुँह बनाते हुए) मत जाओ ना... नीर ...
मैं: जाना तो पड़ेगा क्या करे मजबूरी है...
रिज़वाना: मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी कभी सोचा है...
मैं: एम्म्म चलो एक काम करते हैं तुम भी मेरे साथ ही चलो...
रिज़वाना: कहाँ चलु...
मैं: मेरे गाव ऑर कहाँ... रात वहाँ ही रहेंगे ऑर सुबह तक वापिस आ जाएँगे...
रिज़वाना: मैं... मैं कैसे...
मैं: क्यो गाँव जाने मे क्या परेशानी है
रिज़वाना: परेशानी वाली बात नही है तुम्हारे घरवाले मुझे पसंद नही करते इसलिए उनको शायद मेरा वहाँ रहना अच्छा ना लगे...
मैं: अर्रे वो लोग बहुत अच्छे हैं यार तुम फिकर मत करो कोई कुछ नही कहेगा...
रिज़वाना: लेकिन...
मैं: लेकिन-वेकीन कुछ नही तुम साथ आ रही हो... मतलब आ रही हो... वैसे भी मेरे पास एक ही दिन बचा है कल सुबह को तो मिशन के लिए निकलना है ऑर मैं चाहता हूँ मैं अपना ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त अपने चाहने वालो के साथ गुज़ारु जिनमे अब तुम भी हो...
रिज़वाना: (मुस्कुरकर मेरी गाल चूमते हुए) अच्छा... ठीक है मैं भी चलती हूँ...
मैं: ये हुई ना बात
रिज़वाना: तुमको पता है तुम बहुत ज़िद्दी हो...
मैं: हाँ हूँ... कोई ऐतराज़
रिज़वाना: (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) उुउऊहहुउऊ...
मैं: अच्छा रिज़वाना मैं सोच रहा था जाने से पहले घरवालो के लिए थोड़ा समान खरीद लू तो क्या हम पहले बाज़ार चलें अगर तुमको ऐतराज़ ना हो तो...
रिज़वाना: हाँ-हाँ ज़रूर क्यो नही वैसे भी इतने दिन बाद घर जा रहे हो खाली हाथ थोड़ी ना जाओगे...
उसके बाद कोई खास बात नही हुई हम हेड-क्वॉर्टर से सीधा मार्केट चले गये वहाँ मैने नाज़ी,फ़िज़ा ऑर बाबा के लिए बहुत सारा समान खरीदा...
फिर हम घर आ गये ऑर आते ही रिज़वाना मुझ पर टूट पड़ी ऑर पागलो की तरह मुझे चूमने लगी फिर हमने एक बार सेक्स किया ऑर उसके बाद मैं थक कर सो गया लेकिन रिज़वाना मेरी ओर अपनी पॅकिंग करने लगी रही...
शाम को जब मैं सो कर उठा तो रिज़वाना ने सब कुछ रेडी कर दिया था उसके बाद मैं भी नहा कर तेयार हुआ ऑर फिर हम दोनो गाव के लिए निकल पड़े...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-39
पूरे रास्ते मैं अपनी गाव की लाइफ ऑर गाव वालों के बारे मे रिज़वाना को बताता रहा... कुछ ही घंटे मे हम मेरे गाव मे आ चुके थे आज इतने दिन बाद अपने गाव मे आके मुझे बहुत खुशी हो रही थी... वैसे तो ये गाव मेरा नही था लेकिन जाने क्यो अब इस गाव से भी प्यार हो गया था इसकी मिट्टी की खुश्बू मुझे एक अजीब सा सुकून देती थी...
कुछ ही देर मे मैने मेरे घर के सामने गाड़ी रोकदी जहाँ नाज़ी घर के बाहर बँधे पशुओ को चारा डालने मे मसरूफ़ थी... मैने जल्दी से कार बंद की ऑर एक मुस्कुराहट के साथ गाड़ी का दरवाज़ा खोला...
पहले तो नाज़ी मुझे गौर से देखती रही ऑर जब उससे यक़ीन हो गया कि ये मैं ही हूँ तो वो चारे का टोकरा वही फेंक कर मेरी तरफ भागने लगी ऑर आके मुझे गले से लगा लिया... नाज़ी को गले लगाके मैं भी ये भूल गया कि मैं नाज़ी से नाराज़ था... आज तो बस दिल खोलकर सबसे मिलना चाहता था...
नाज़ी: तुम कहाँ से टपक पड़े... इतने दिन बाद कहाँ से याद आ गई हमारी...
मैं: अर्रे पागल लड़की आस-पास भी देख लिया कर...
नाज़ी: (रिज़वाना को देखकर जल्दी से मुझसे अलग होती हुई) ओह्ह्ह माफ़ कीजिए डॉक्टरनी जी... मैने आपको देखा नही...
रिज़वाना: (हँसते हुए) कोई बात नई... जब कोई अपना बहुत दिन बाद मिलता है तो काबू नही रहता खुद पर मैं समझ सकती हूँ...
मैं: अब सारी बातें यही करनी है या अंदर भी जाने दोगि...
नाज़ी: (अपने सिर पर हाथ मारते हुए) ओह्ह मैं तो भूल ही गई चलो अंदर आओ...
उसके बाद हम तीनो घर के अंदर आ गये ऑर नाज़ी का शोर सुनकर सबसे पहले फ़िज़ा बाहर आई तो उसकी भी हालत कुछ नाज़ी जैसी ही थी... मुझे देखते ही उसका चेहरा खुशी से खिल उठा जैसे ही वो मेरे पास आने लगी तो मेरे साथ खड़ी रिज़वाना को देखकर उसने अपने कदम वही रोक लिए ऑर डोर से ही मुझे ओर रिज़वाना को सलाम किया... हम-दोनो ने भी फ़िज़ा को अदब से सलाम किया ऑर इतना मे नाज़ी कमरे के अंदर भाग गई जहाँ बाबा होते थे... मैने भी जल्दी से नाज़ी के पीछे-पीछे ही कमरे मे चला गया बाबा से मिलने के लिए... मुझे देखते ही बाबा का चेहरा भी खुशी से खिल उठा मैं अब उनके पास जाके बैठ गया ऑर अदब से उनको सलाम किया उन्होने ने भी मेरे माथे को चूम लिया...
मैं: कैसे हैं आप बाबा...
बाबा: बेटा अब तुम आ गये हो तो अब तंदुरुस्त हो गया हूँ... तुम क्या आ गये ऐसा लगता है घर मे रौनक आ गई... हमने तुमको बहुत याद किया बेटा...
मैं: (मुस्कुराते हुए) इस घर की रौनक तो आप से है बाबा... मैने भी आप सब को बहुत याद किया... ऐसा एक भी दिन नही गया जब आपकी याद ना आई हो...
बाबा: बेटा हमारा तो घर ही सूना हो गया था तुम्हारे जाने के बाद... वो पगली नाज़ी तो दरवाज़ा नही बंद करने देती थी कि नीर ही ना आ जाए...
नाज़ी: क्या बात है आते ही बाबा के पास बैठ गये हो बाहर नही आना क्या जनाब... हम भी आपके इंतज़ार मे हैं...
मैं: हां बस... बाबा को मिलकर आता हूँ...
बाबा: चलो बेटा मैं भी तुम्हारे साथ बाहर ही चलता हूँ...
मैं: जी बाबा चलिए (बाबा को उठाते हुए)
बाबा: क्या बात है बेटा काम बहुत जल्दी ख़तम हो गया तुम्हारा... ख़ान साहब भी आए हैं क्या...
मैं: जी नही बाबा ख़ान साहब नही आए... ऑर वो इतने दिन तो मैं ट्रैनिंग के लिए गया हुआ था... कल मुझे मेरे असल काम पर भेजा जा रहा था तो मैने सोचा जाने से पहले आप सब से मिलकर जाउ... वैसे भी आप - सब की बहुत याद आ रही थी...
बाबा: (उदास होते हुए) अच्छा किया बेटा जो मिलने आ गये... कल फिर से जा रहे हो बेटा...
मैं: जी बाबा
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
जब मैं बाबा को लेके बाहर आया तो शायद रिज़वाना ने मेरे जाने के बारे मे फ़िज़ा ऑर नाज़ी को पहले ही बता दिया था इसलिए उनका खुश-हाल चेहरा फिर से उदास हुआ पड़ा था...
मैं: अर्रे क्या हुआ आप सबने मुँह क्यो लटका लिया...
फ़िज़ा: कल तुम फिर से जा रहे हो हमने तो सोचा था कि सारा काम ख़तम करके ही आए हो...
मैं: (कुर्सी पर बाबा को बैठते हुए) हंजी कल निकलना है ओर काम भी जल्दी ही ख़तम कर दूँगा फिकर मत करो...
नाज़ी: वापिस कितने दिन मे आओगे
मैं: पता नही कुछ दिन लग सकते हैं इसलिए मैने सोचा की जाने से पहले सबसे मिलता हुआ चलूं... अच्छा बाबा ये डॉक्टर रिज़वाना है जिनके पास मैं शहर मे रहता हूँ...
रिज़वाना: (बाबा को अदब से सलाम करते हुए)
मैं: बाबा ये भी आज मेरे साथ यही रुक जाए तो आपको कोई ऐतराज़ तो नही बिचारी इतनी दूर से मुझे छोड़ने आई हैं...
बाबा: नही नही बेटा कैसी बातें कर रहे हो भला मुझे क्या ऐतराज़ होगा ये भी तो हमारी नाज़ी जैसी ही है ऑर ये तुम्हारा अपना घर है बेटा रहो जितने दिन तुम चाहो...
रिज़वाना: जी शुक्रिया बाबा जी मैं बस कल नीर के साथ ही चली जाउन्गी...
नाज़ी: वैसे बाबा नीर पहले से काफ़ी बदला हुआ नही लग रहा...
बाबा: नही बेटा ये तो पहले जैसा ही है
नाज़ी: उउउहहुउऊ... कपड़े तो देखो ना नीर के बाबा (मुस्कुराते हुए) गुंडा लग रहा है ना...
फ़िज़ा: (मुस्कुरा कर) चुप कर पागल इतना अच्छा तो लग रहा है वैसे भी शहर मे रहने का कुछ तो असर आएगा...
उसके बाद सारा दिन ऐसे ही गुज़रा रात को बाबा अपनी आदत के मुताबिक़ जल्दी सो गये लेकिन नाज़ी,फ़िज़ा ऑर रिज़वाना को चैन कहाँ था वो तीनो मुझे पूरी रात घेरकर बैठी रही ऑर मेरे गुज़रे 15 दिनो के बारे मे मुझसे पूछती रही ऐसे ही सारी रात बातों का सिल-सिला चलता रहा... तीनो आज खुश भी थी ऑर उदास भी थी... लेकिन मैं मजबूर था ना उनको मुकम्मल खुशी दे सकता था ना ही उनकी उदासी को दूर कर सकता था... बातें करते हुए जाने कब सुबह हो गई पता ही नही चला अब मुझे अपने वादे के मुताबिक़ जाना था... मेरा बिल्कुल जाने दिल नही था ऑर ना ही घर मे किसी को मुझे भेजने का दिल था लेकिन फिर भी बाबा की दी हुई ज़ुबान को मुझे पूरा करने के लिए जाना था...
सुबह बाबा भी जल्दी उठ गये ऑर उठ ते ही मुझे अपने कमरे मे बुला लिया मेरे पिछे-पिछे नाज़ी, फ़िज़ा ऑर रिज़वाना भी उसी कमरे मे आ गई...
मैं: जी बाबा आपने मुझे बुलाया था...
बाबा: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) बेटा अब तुम थोड़ी देर मे चले जाओगे इसलिए वहाँ जाके अपना ख़याल रखना...
मैं: जी बाबा... आप सब लोग भी अपना ख्याल रखना
रिज़वाना: (पिछे से मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए) नीर तुम फिकर मत करो मैं हूँ ना तुम्हारी गैर मोजूद्गी मे मैं यहाँ आती रहूंगी ऑर इनको किसी चीज़ की कमी नही होगी ये मेरा तुमसे वादा है...
मैं: (मुस्कुरकर) शुक्रिया बस अब मैं चैन से जा सकता हूँ...
फ़िज़ा: बाबा मुझे डर लग रहा है... पता नही वो लोग कैसे होंगे... आप एक बार ख़ान साहब से बात करके देखिए ना उन्हे कह दीजिए कि हमे नही नीर को नही भेजना...
मैं: बच्चों जैसी बात मत करो फ़िज़ा तुम जानती हो बाबा ने वादा किया था ऑर वैसे भी ख़ान की मदद करके मैं भी तो हमेशा के लिए आज़ाद हो जाउन्गा फिर तो हमेशा के लिए यहाँ ही रहूँगा ऑर रही मेरी बात तो उपर वाले का करम से मैं अकेला भी पूरी फ़ौज़ पर भारी हूँ...
नाज़ी: बस-बस... जब देखो लड़ने पर आमादा रहते हो... वहाँ जाके अपना खाने पीने का ख्याल रखना ऑर हो सके तो हमे फोन करते रहना ऑर अपनी खैर-खबर देते रहना...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए) नही नाज़ी मैं फोन नही कर पाउन्गा...
नाज़ी: (आँखें दिखाते हुए) क्यो... वहाँ फोन नही है क्या...
मैं: ख़ान साहब ने बोला था कि वहाँ जाके जब तक मेरा मिशन पूरा नही हो जाता मैं किसी को नही जानता ऑर मेरा कोई नही...
फ़िज़ा: क्यो कोई नही हम हैं ना...
मैं: (अपने सिर पर हाथ रखते हुए) अर्रे उन लोगो को मैं अपनी कोई कमज़ोरी नही दिखा सकता उनकी नज़र मे तो मैं शेरा ही हूँ ना जिसका आगे-पिछे कोई नही...
बाबा: (अपने दोनो हाथ हवा मे उठाते हुए) मालिक मेरे बेटे की हिफ़ाज़त करना... नाज़ी बेटा वो मैं जो ताबीज़ लेके आया था नीर के लिए वो ले आओ ज़रा...
नाज़ी: अभी लाई बाबा
मैं: कौनसा ताबीज़ बाबा
बाबा: बेटा ये बहुत मुबारक ताबीज़ है बहुत दुआ के साथ बनाया गया है ये तुम्हारी हर बुरी बला से हिफ़ाज़त करेगा...
नाज़ी: (तेज़ कदमो के साथ कमरे मे आके बाबा को ताबीज़ देते हुए) ये लो बाबा...
बाबा: (मेरे गले मे ताबीज़ बाँध कर मेरा माथा चूमते हुए) खुश रहो बेटा... अब तुम तेयार हो जाओ तुम्हारे जाने का वक़्त हो गया...
मैं: जी बाबा...
उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना जल्दी से तेयार होने मे लग गये ऑर नाज़ी ऑर फ़िज़ा मेरे ऑर रिज़वाना के लिए नाश्ता बनाने लग गई... तेयार होके हम सब ने साथ मे नाश्ता किया ऑर उसके बाद फिर वही ढेर सारे आँसू ऑर बेश-कीमत दुवाओ के साथ मुझे विदा किया गया... कार मे रिज़वाना भी खुद को रोने से रोक नही पाई ऑर तमाम रास्ते वो भी मेरे कंधे पर सिर रख कर रोती रही... यक़ीनन इन सब के दिल मे जो मेरे लिए प्यार था वही मेरा जाना मुश्किल कर रहा था मेरा दिल चाह रहा था कि मैं ना कर दूं ऑर मैं ना जाउ... लेकिन मैं ऐसा चाह कर भी नही कर सकता था इसलिए अपने दिल को मज़बूत करके मैने कार की रफ़्तार बढ़ा दी अब मैं जल्दी से जल्दी शहर पहुँचना चाहता था... सब घरवाले ऑर रिज़वाना के बारे मे सोचते हुए जल्दी ही मैने कार को शहर तक पहुँचा दिया...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
मैं: रिज़वाना हम शहर आ गये हैं अब बताओ तुम भी मेरे साथ हेड-क्वॉर्टर चलोगि या तुमको घर चोद दूँ...
रिज़वाना: (अपने आँसू पोन्छ्ते हुए) मैं भी तुम्हारे साथ ही चलती हूँ ना घर मे कौन है जिसके पास जाउ...
मैं: ठीक है...
उसके बाद हम हेड-क़्वार्टेर पहुँच गये जहाँ ख़ान ओर राणा ह्मारा पहले से इंतज़ार कर रहे थे मैने रिज़वाना को उसके कॅबिन मे जाने का इशारा किया लेकिन वो फिर भी मेरे पिछे-पिछे ख़ान के कॅबिन मे ही आ गई... मेरे कमरे मे घुसते ही ख़ान ने तालियो के साथ मे मेरा स्वागत किया...
ख़ान: (ताली बजाते हुए) वाह भाई वा क्या ज़ुबान का पक्का आदमी है देख राणा तुझे बोला था ना ये सुबह आ जाएगा...
राणा: साहब आपको पक्का यक़ीन है ये शेरा ही है...
ख़ान: मेरा दिमाग़ मत खराब कर तुझे जो बोला वो कर फालतू मे अपना दिमाग़ मत चला समझा...
राणा: जी माफ़ कर दीजिए ग़लती हो गई...
रिज़वाना: ख़ान तुम नीर को कहाँ भेज रहे हो...
ख़ान: सॉरी मेडम ये सीक्रेट है आपको नही बता सकता...
रिज़वाना: (मुझे देखते हुए) अपना ख्याल रखना ऑर जाते हुए मुझे मिलकर जाना...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) अच्छा...
उसके बाद रिज़वाना कमरे से बाहर चली गई ऑर मैं राणा के साथ वाली कुर्सी पर आके बैठ गया... ख़ान अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ ऑर जल्दी से तेज़ कदमो के साथ कमरे के बाहर खड़े गार्ड की तरफ गया ऑर उससे दूर जाके खड़े होने का बोल दिया ऑर फिर वापिस अपनी कुर्सी पर आके बैठ गया... मैं ऑर राणा दोनो ख़ान को बड़े गौर से देख रहे थे... ख़ान ने मुझे एक मुस्कान के साथ देखा ऑर बोला...
ख़ान: हाँ तो नीर मिल आए घरवालो से...
मैं: जी मिल आया...
ख़ान: अब मेरे काम के लिए तेयार हो...
मैं: हंजी एक दम तेयार हूँ
ख़ान: बहुत खुंब... तो ठीक है फिर अभी थोड़ी देर मे निकलना है उससे पहले मेरे साथ आओ... राणा तुम यही बैठो ऑर हो सके तो अपने लिए चाय कॉफी मंगवा लेना यार...
राणा: जी कोई बात नही मैं ठीक हूँ आप अपना काम ख़तम कर ले...
ख़ान: (मेरे कंधे पर हाथ मरते हुए) चलो मेरे साथ आओ...
मैं बिना कोई जवाब दिए अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ ऑर सवालिया नज़रों के साथ ख़ान के पिछे-पिछे चलने लगा... ख़ान मुझे एक कमरे मे ले गया जहाँ सिर्फ़ एक टेबल ऑर दो कुर्सियाँ लगी हुई थी...
ख़ान: तुम अंदर बैठो मैं अभी आता हूँ...
मैं: जी अच्छा...
कुछ देर इंतज़ार करने के बाद ख़ान एक बॅग के साथ कमरे मे आ गया ऑर बॅग को टेबल पर मेरे सामने रख दिया ऑर मेरे देखते ही देखते बॅग खोल कर उसमे से समान निकालना शुरू किया...
ख़ान: अपने जूते उतारो ऑर ये जूते पहन लो...
मैं: क्यो... इनमे क्या खराबी है अभी नये ही लिए हैं...
ख़ान: जो मैं जूते तुमको दे रहा हूँ ये फॅशन के लिए नही बल्कि इनमे ट्रांसमेटेर लगा है इससे मुझे पता चलता रहेगा की तुम कहाँ हो...
मैं: (अपने जूते उतारते हुए) अच्छा पहन लेता हूँ...
ख़ान: (टेबल पर एक हॅंड पिस्टल रखते हुए) ये गन है तुम्हारी सेफ्टी के लिए ज़रूरत पड़े तो ही चलाना लेकिन याद रखना अब तुम नीर हो ऑर नीर पेशावॉर क़ातिल नही है...
मैं: (गन उठाते हुए) जी अच्छा...
ख़ान: (एक लॉकेट निकालते हुए) ये देखने मे लॉकेट जैसा है लेकिन असल मे कॅमरा है इससे पहन लो... तुम उन लोगो के साथ जहाँ भी जाओ अपने लॉकेट से खेलने के बहाने उनकी ऑर नये लोगो की तस्वीरे लेते रहना...
मैं: ठीक है...
ख़ान: जो तुमको ट्रैनिंग मे सिखाया था वो सब याद है ना...
मैं: जी सब याद भी है ऑर मैं अब सब डिवाइस इस्तेमाल भी कर सकता हूँ...
ख़ान: ठीक है...
मैं: लेकिन ख़ान साहब वो तस्वीरें मैं आप तक पहुन्चाउन्गा कैसे...
ख़ान: मैं तुमको हर हफ्ते तुम्हारे फाइट क्लब पर मिलूँगा वहाँ हर बार तुम अपना लॉकेट इस दूसरे लॉकेट से बदल देना ताकि तुम्हारे लॉकेट से तस्वीरे लेकर मैं उनको डवलप करवा सकूँ ऑर तुम दूसरे लॉकेट से ऑर नयी तस्वीर ले सको...
मैं: जी अच्छा... लेकिन मुझे कैसे पता चलेगा कि आप मुझे कब ऑर कहाँ मिलोगे...
ख़ान: तुम बस अपने फाइट क्लब मे आ जया करना वहाँ तुमको मेरा कोई ना कोई आदमी मिल जाएगा जो तुमको मेरा मिलने का वक़्त ऑर जगह बता देगा...
मैं: ठीक है...
ख़ान: वहाँ जाके लड़की ऑर ताक़त के नशे मे मत डूब जाना ऑर जब भी मोक़ा मिले सबूत इकट्ठे करते रहना ताकि मैं उन लोगो को सज़ा दिलवा सकूँ...
मैं: (हां मे सिर हिलाते हुए) जी अच्छा...
ख़ान: अब तुम राणा के साथ जाओ वो तुमको तुम्हारी मंज़िल तक पहुँच देगा ऑर एक ज़रूरी बात तुम मेरे लिए काम करते हो ये बात कभी ग़लती से भी किसी को मत बताना नही तो वो लोग तुमको वही ख़तम कर देंगे...
मैं: हमम्म
ख़ान: अब तुम राणा के साथ जाओ ओर उसके साथ जाके डील करो याद रखना तुमको वहाँ जाके लड़ाई करनी है किसी भी बहाने से समझ गये...
मैं: हाँ सब समझ गया...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
ख़ान: कुछ भी समझ नही आया तो फिर से पूछ लो लेकिन वहाँ जाके कोई गड़बड़ मत करना तुम नही जानते तुम पर मैं कितना बड़ा दाव खेल रहा हूँ अगर तुमने कोई ग़लती की तो मेरी जान भी ख़तरे मे आ जाएगी क्योंकि उन लोगो की पहुँच का तुमको अंदाज़ा नही है यहाँ मेरे स्टाफ मे भी उन लोगो ने अपने कुछ कुत्ते पल रखे हैं इसलिए मैने तुम्हारी ट्रैनिंग को एक दम टॉप सीक्रेट ऑर सिर्फ़ अपने भरोसे के आदमियो के साथ पूरा करवाया है...
मैं: आप फिकर ना करें सब वैसे ही होगा जैसा आप चाहते हैं मुझे पर भरोसा किया है तो भरोसा रखिए ऑर मेरे पिछे से मेरे घरवालो को कोई तक़लीफ़ नही होनी चाहिए...
ख़ान: उनकी फिकर तुम मत करो मैं खुद उनका ख्याल रखूँगा ऑर देखूँगा कि उनको किसी भी चीज़ की कमी ना हो...
मैं: जी शुक्रिया...
उसके बाद मैं ओर ख़ान वापिस ख़ान के कॅबिन मे चले गये जहाँ राणा मेरा इंतज़ार कर रहा था...
मैं: ख़ान साहब मैं एक मिंट आया जाने से पहले एक बार डॉक्टर साहिबा से मिल आउ...
ख़ान: जाओ लेकिन जल्दी आना...
उसके बाद मैं रिज़वाना के कॅबिन मे चला गया जहाँ वो शायद मेरा ही इंतज़ार कर रही थी मेरे कॅबिन मे आते ही उसने दरवाज़ा अंदर से बंद किया ऑर मुझे गले लगा लिया...
रिज़वाना: जा रहे हो...
मैं: हमम्म बस तुमको मिलने के लिए ही आया था...
रिज़वाना: कहाँ जा रहे हो...
मैं: पता नही ख़ान ने मुझे भी नही बताया बस इतना पता है राणा के साथ जाना है...
रिज़वाना: ठीक है कोई बात नही... वहाँ अपना ख़याल रखना ऑर अगर मुमकिन हो तो मुझे फोन कर लेना जब भी मोक़ा मिले...
मैं: अच्छा... ठीक है अब मैं जाउ...
रिज़वाना: हम्म जाओ
मैं: मुझे छोड़ॉगी तो जाउन्गा
रिज़वाना: रुक जाओ 2 मिंट ढंग से गले भी नही लगाने देते... (कुछ देर मुझे गले से लगा कर) हमम्म अब ठीक है अब जाओ (मेरे होंठ चूमते हुए)
मैं: तुम भी अपना ख्याल रखना ऑर रोना मत...
रिज़वाना: (मुस्कुरा कर हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म
उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना ख़ान के कॅबिन तक आ गये ऑर ख़ान के कॅबिन तक मुझे छोड़कर रिज़वाना हाथ हिलाकर मुझे अलविदा कहती हुई वापिस अपने कॅबिन की तरफ चली गई... मेन गेट खोल कर ख़ान के कॅबिन मे चला गया...
ख़ान: तुम्हारा मिलना-मिलना हो गया...
मैं (हँसते हुए) जी हो गया जनाब...
ख़ान: शूकर है... (हाथ जोड़ते हुए) चल भाई राणा खड़ा हो जा ऑर लग जा कम पर इसको मैने सब समझा दिया है ऑर तू भी कोई लफडा मत करना...
राणा: जनाब आगे कभी गड़-बड हुई है जो अब होगी...
ख़ान: पहले तू अकेला होता था इस बार ये भी तेरे साथ है...
राणा: फिकर ना करे जनाब मैं साथ हूँ ना सब संभाल लूँगा...
ख़ान: इसको वहाँ पहुँचने के बाद मुझे फोन कर देना ऑर मुझे इसके पल-पल की खबर चाहिए समझा...
राणा: (अपना दायां हाथ सिर पर रखते हुए) ओके बॉस... चलो भाई शेरा आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचाता हूँ...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
अपडेट-40
उसके बाद मैं ऑर राणा एक कार मे बैठे ऑर अपने नये सफ़र के लिए रवाना हो गये मैं नही जानता था कि मुझे कहा भेजा जा रहा है ऑर वो लोग कौन है ऑर कैसे होंगे क्या वो मुझे अपने साथ लेके जाएँगे या नही... मुझे ये भी नही पता था कि जिस सफ़र पर मुझे भेजा गया है वहाँ से मैं ज़िंदा लौटुन्गा भी या नही... ऐसे ही कई सवाल मेरे दिमाग़ मे चल रहे थे... लेकिन इस वक़्त मेरे पास किसी सवाल का जवाब नही था लेकिन तेज़ी से गुज़रने वाले वक़्त के पास मेरे हर सवाल का जवाब था... अब मैं चुप-चाप बैठा अपनी आने वाली मज़िल का इंतज़ार कर रहा था जहाँ मुझे जाना था...
राणा गाड़ी को तेज़ रफ़्तार से भगा रहा था ऑर मैं खिड़की से अपना चेहरा बाहर निकाले ठंडी हवा का मज़ा ले रहा था... मुझे नही पता कब मेरी आँख लग गई ऑर मैं सो गया... जाने मैं कितनी देर सोता रहा लेकिन राणा के हिलाने से मेरी आँख खुल गई...
राणा: शेरा भाई एरपोर्ट आ गया है उतरो...
मैं: (दोनो हाथो से आँखें मलते हुए) क्या...
राणा: भाई एरपोर्ट आ गया फ्लाइट पकड़नी है ना गाड़ी से उतरो...
मैं: (अपने दोनो हाथ अपने मुँह पर फेरते हुए) हाँ चलो...
उसके बाद मैं ऑर राणा गाड़ी से उतर गये राणा ने जल्दी से गाड़ी की पिच्छली सीट से उसका ऑर मेरा सूट केस निकाला ऑर मेरी तरफ बढ़ने लगा... मैने अपना सूट केस पकड़ लिया ऑर उसने अपना... फिर हमने गाड़ी को वही छोड़ दिया ऑर हम दोनो एरपोर्ट के अंदर आ गये... ये जगह मेरे लिए एक दम नयी थी मैं ठीक होने के बाद पहले कभी ऐसी जगह पर नही आया था... राणा ने मुझे एक जगह की तरफ इशारा करके बैठने को कहा ऑर खुद किसी से मिलने चला गया... मैं एरपोर्ट पर एक खाली जगह पर बैठ गया ऑर चारो तरफ देख रहा था वहाँ के लोग जो घूम रहे थे ओर सेक्यूरिटी गार्ड जो लोगो को चेक कर रहे थे... एक जगह पर सबके समान को एक मशीन (स्केनर) मे डाल कर चेक किया जा रहा था इसलिए मुझे अपने समान की फिकर होने लगी क्योंकि इतना तो मुझे देख कर ही समझ आ गया था कि मेरा समान भी ज़रूर चेक होगा ऑर मेरे पास पिस्टल भी थी ऑर ख़ान के दिए हुए ट्रांसमेटेर्स भी जिससे ख़ान मुझ तक पहुँच सके... अभी मैं सोच ही रहा था कि राणा 2 गार्ड जिनके पास हथियार थे उनके साथ मेरी तरफ आ रहे थे मुझे लगा शायद उन लोगो ने राणा को पकड़ लिया... इसलिए मैने जल्दी से अपना एक हाथ जॅकेट मे डाल लिया जिस तरफ पिस्टल थी ऑर अपना हाथ पिस्टल पर रख लिया...
राणा: चलो भाई काम हो गया 10 मिंट बाद फ्लाइट है अपनी...
मैं: (चैन की साँस लेकर अपना हाथ जॅकेट से बाहर निकालते हुए) अच्छा... लेकिन ये लोग कौन है...
राणा: भाई ये ख़ान साहब के ही लोग हैं हम को यहाँ कोई परेशानी ना हो इसलिए...
मैं: अच्छा... मैं तो समझा तुमको इन्होने पकड़ लिया...
राणा: (मुस्कुरा कर) नही भाई सब ठीक है आप बे-फिकर हो जाए...
मैं: (हाँ मे सिर हिलाते हुए) हमम्म यार राणा वैसे हम क्या शहर से बाहर जा रहे हैं...
राणा: (हँसते हुए) भाई आपको ख़ान साहब ने कुछ नही बताया...
मैं: (ना मे सिर हिलाते हुए)
राणा: कोई बात नही... चलो चलें देर हो रही है...
उसके बाद कोई खास बात नही हुई जल्दी ही हम रनवे पर आ गये जहाँ हमारा छोटा सा प्लेन ऑलरेडी तेयार खड़ा था... हम दोनो को वो दोनो लोग बिना सेक्यूरिटी चेक के एक छोटे से प्लेन तक छोड़ गये जहाँ सिर्फ़ मैं ऑर राणा ही बैठे थे बाकी तमाम प्लेन खाली पड़ा था... मैं हर चीज़ को बड़ी हैरानी से देख रहा था क्योंकि ये सब कुछ मेरे लिए एक दम नया था... खैर कुछ ही घंटे के बाद हम हमारी मंज़िल तक पहुँच गये... फ्लाइट से उतरने के बाद मैं राणा के पिछे-पिछे ही चल पड़ा क्योंकि मैं नही जानता था कि उसके बाद कहाँ जाना है... फ्लाइट से उतरने के बाद एरपोर्ट पर एक कार पहले से मोजूद थी जिसमे मैं ऑर राणा बैठ गये... बाहर रात हो गई थी लेकिन इतनी ज़्यादा रोशनी ऑर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स थी जो मैने पहले कभी नही देखी थी मैने जल्दी से कार का ग्लास नीचे किया ऑर बाहर देखने लगा...
राणा: भाई क्या कर रहे हो शीशा बंद करो कोई देख सकता है...
मैं: यहाँ हम को कौन जानता है यार देखने दो ना अच्छा लग रहा है...
राणा: भाई आपके लिए ये शहर अजनबी है लेकिन आप इस शहर के लिए अजनबी नही हो आपके इस शहर मे सिर्फ़ दोस्त ही नही दुश्मन भी बहुत है... मैं आपके लिए ही कह रहा हूँ...
मैं: (बिना कुछ बोले शीशा उपर करते हुए) ठीक है... वैसे क्या तुम मेरे बारे मे सब कुछ जानते हो...
राणा: भाई इस शहर मे शायद ही कोई ऐसा हो जिसने शेरा भाई का नाम नही सुना हो...
मैं: वैसे अब हम जा कहाँ रहे हैं...
राणा: होटेल मे जहाँ हमने रुकना है फिर कल शाम को डील है तो वहाँ जाना है...
मैं: अच्छा...
उसके बाद हम दोनो कार मे खामोश बैठे रहे ऑर कुछ देर बाद कार ने हम को एक बहुत ऊँची बिल्डिंग के सामने उतार दिया ये एक बेहद शानदार होटेल था... अंदर राणा के साथ मैं होटेल के अंदर चला गया वहाँ हम दोनो के लिए पहले से रूम बुक थे... राणा मुझे शाम को तेयार रहने का बोलकर अपने कमरे मे चला गया... मैं भी सफ़र से थक गया था इसलिए रूम मे आते ही सो गया...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
सुबह मैं देर से उठा ऑर नाश्ता मंगवाने के बाद मेरे पास अब करने को कोई काम नही था इसलिए अपना वक़्त टीवी देखकर गुज़ारने की कोशिश करने लगा... लेकिन आज मुझसे वक़्त काटे नही काट रहा था... मैं अकेला बहुत ज़्यादा बोर हो रहा था इसलिए वक़्त से पहले ही नहा कर तेयार हो गया ऑर शाम को राणा का इंतज़ार करने लगा... खैर शाम को राणा ने मेरा दरवाज़ा खत-खाटाया ऑर इस बार उसके साथ कुछ ऑर लोग भी थे... वो सब लोग मुझे बड़ी हैरानी से देख रहे थे लेकिन मुझे किसी का भी चेहरा याद नही था शायद राणा सही था यहाँ के काफ़ी लोग मुझे जानते थे... हम सब तेज़ कदमो के साथ लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगे... लिफ्ट मे राणा के साथ खड़े लोग मुझे बड़ी हैरानी से देख रहे थे... कुछ देर बाद हम होटेल से निकले ऑर कार मे बैठ गये... कार मे बैठने के बाद आगे जाने क्या होने वाला है ये सोच कर मेरी दिल की धड़कन काफ़ी तेज़ हो गई थी ऑर मुझे घबराहट सी हो रही थी इसलिए मैं पानी की बोटल से बार-बार पानी पी रहा था...
कुछ ही देर बाद गाड़ी एक अज़ीब सी जगह आके रुक गई... ये जगह बाहर से किसी खंडहर जैसी लग रही थी ऑर काफ़ी पुरानी सी इमारत थी जो लगता था कि बहुत वक़्त से बंद पड़ी हो आस-पास काफ़ी कचरा जमा हुआ पड़ा था... मैं उस जगह को गौर से देखने लग गया... उसके बाद सब लोग गाड़ी से उतर गये लेकिन जब मैं भी गाड़ी से उतरने लगा तो राणा ने मुझे रोक दिया...
राणा: भाई आप कार मे ही बैठो... अगर हम लोग 5 मिंट मे वापिस नही आए तो आप अंदर आ जाना ऑर जो भी मिले मिले ठोक देना साले को ऑर याद रखना आपको पैसे ऑर ड्रूग्स दोनो उठाने हैं...
मैं: ठीक है याद रखूँगा...
फिर वो लोग चले गये ऑर मैं गाड़ी मे बैठा हुआ अपनी घड़ी मे वक़्त देखने लगा... अब मुझे 15 मिंट गुज़रने का इंतज़ार था... मैने जल्दी से एक बार फिर अपनी कोट की जेब मे हाथ डाला ऑर पिस्टल को निकाल कर अपने हाथ मे पकड़ लिया ऑर उसमे से मेग्ज़ीन निकाल कर गोलियाँ चेक की ऑर फिर से मॅग्ज़िन को पिस्टल मे डाल दिया ऑर अपनी पिस्टल को लोड कर लिया साथ ही दूसरी जेब से साइलेनसर निकाल कर पिस्टल की नली पर लगा दिया ताकि गोली चलने की आवाज़ कम से कम हो... मैं अंदर से घबरा भी रहा था ऑर उन लोगो से सामना करने के लिए बे-क़रार भी था... मैं कभी घड़ी की तरफ देख रहा था कभी उस टूटी सी इमारत की तरफ... अब मुझसे इंतज़ार करना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैने जल्द बाज़ी मे गाड़ी का गेट खोला ऑर 10 मिंट होने पर ही अपनी पिस्टल हाथ मे लिए उस इमारत मे घुस गया लेकिन अंदर घुसते ही मुझे समझ नही आ रहा था कि किस तरफ जाना है क्योंकि वहाँ से 3 रास्ते निकल रहे थे ऑर अंधेरा भी काफ़ी था क्योंकि रात होने लगी थी... थोड़ा आगे जाने पर मुझे सामने वाले रास्ते पर कुछ रोशनी नज़र आई इसलिए मैं दीवार का सहारा लेके सामने वाले रास्ते की तरफ बढ़ने लगा...
वहाँ मुझे सामने 2 लोग नज़र आए जो मेरी तरफ पीठ करके खड़े थे... मैने अपनी बंदूक का पहला निशाना बाएँ तरफ खड़े आदमी की खोपड़ी पर लगाया ऑर पिस्टल का ट्रिग्गर दबा दिया एक झटके के साथ पिस्टल से गोली निकली ऑर उस आदमी के भेजे से आर-पार हो गई वो आदमी वही ज़मीन पर गिर गया... इतने मे दूसरा आदमी जो उसकी दूसरी तरफ खड़ा था उसको गिरता देख कर उसकी तरफ बढ़ा तो मैने अपना दूसरा निशाना उसके सिर मे लगाया लेकिन वो झुक कर थोड़ा उपर को देखने लगा ऑर अपनी गर्दन चारो तरफ घुमाने लगा... इसलिए गोली उसके सिर की जगह उसके गले मे लगी जिससे वो ज़मीन पर गिर गया ऑर तड़पने लगा... मैं जल्दी से उसके पास गया ऑर एक गोली ऑर उसके सिर मे मार दी... उस आदमी के पास जाना ही मेरी सबसे बड़ी ग़लती थी... वहाँ जाते ही मेरी तरफ गोलियाँ चलने लगी... मैं जल्दी से खुद को बचाने के लिए दीवार के पिछे हो गया...
कुछ देर गोलियाँ चलाने के बाद वो लोग रुक गये मैने धीरे से अपनी गर्दन बाहर निकाली ओ उन्न लोगो की पोज़ीशन चेक करने लगा... उनमे से 3 लोग जिस बँच पर ड्रूग्स ऑर पैसे पड़े थे उसके पिछे छुपे हुए थे ऑर 2 लोग एक खंबे के पिछे थे जहाँ मैं खड़ा था वहाँ से उन पर निशाना लगाना बहुत मुश्किल था... बाकी राणा ऑर जो लोग मेरे साथ कार मे यहाँ आए थे उनका कोई नाम-ओ-निशान नही था...
मेरी नज़रें राणा ऑर उसके साथ आए लोगो को तलाश कर रही थी लेकिन वहाँ कोई भी मुझे नज़र नही आ रहा था... तभी उन लोगो ने फिर से गोलियाँ चलानी शुरू करदी इसलिए मुझे फिर से दीवार के पिछे जाना पड़ा... अब मैं उस जगह पर अकेला था ऑर वो 5 लोग थे मैं सोच रहा था कि इनको कैसे ख़तम करूँ इसलिए अपनी नज़र चारो तरफ दौड़ा रहा था कि लेकिन वहाँ मुझे कुछ भी ऐसा नज़र नही आ रहा था जिससे मैं उनको बाहर निकाल सकूँ... तभी मुझे ख्याल आया मैने ज़मीन से एक पत्थर उठाया ऑर उपर बंद पड़े लटकते हुए पंखे पर निशाना लगा के ज़ोर से पत्थर मारा... पत्थर की टॅन्न्न्न्न की आवाज़ से सबकी नज़र उपर चली गई जिससे मुझे मेरी पोज़ीशन बदलने का मोक़ा मिल गया... मैने जल्दी से छलाँग लगाकर एक खंबे के पीछे चला गया... यहाँ से मैं सिर्फ़ 2 लोगो पर सही निशाना लगा सकता था मैने जल्दी से टेबल के नीचे बैठे आदमी पर निशाना लगाया ऑर गोली चला दी गोली सीधा उसके पेट मे लगी ऑर वो गिर गया ऑर तड़पने लगा... उसके पास जो दूसरा आदमी वो अपने साथ वाले को गोली लगने से शायद डर गया इसलिए खड़ा होके अपने दूसरे साथी की तरफ भागने लगा मैने जल्दी से अपना निशाना लगाया ऑर उसको दूसरी तरफ पहुँचने से पहले ही ढेर कर दिया... अब मुझे बाकी 3 को भी मारना था... लेकिन जहाँ मैं खड़ा था वहाँ से मैं उन तक नही पहुँच सकता था इसलिए मैने गोलियाँ ज़ाया करना मुनासिब नही समझा ऑर वही खड़े होकर उनकी अगली चाल का इंतज़ार करने लगा... तभी उनमे से एक की आवाज़ आई...
आदमी: ओये कौन है तू साले... क्यो गोली चला रहा है... पोलीसवाला है क्या... साले हर बार हड्डी पहुँचती तो हैं इस बार तुझे तेरा हिस्सा नही मिला जो यहाँ मुँह मारने आ गया है... साले हम शेख साहब के लोग है ऑर ये माल भी उनका है हम को जाने दे वरना तेरी लाश का भी पता नही चलेगा...
मैं खामोश रहा ऑर चुप चाप उनके बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा... वो लोग कुछ देर ऐसे ही चिल्लाते रहे... काफ़ी देर बाद जब मेरी तरफ से कोई आवाज़ नही आई तो उन लोगो ने फिर से गोलियाँ चलानी शुरू करदी अब की बार मैने जवाब मे कोई गोली नही चलाई ऑर उनके बाहर निकलने का इंतज़ार करने लगा... कुछ देर बाद उनमे से एक आदमी खंबे के पिछे से बाहर आया ऑर मेज़ के पास आके रुक गया ऑर इधर-उधर देखने लगा... अब की बार मैने उसे पूरा मोक़ा दिया कि वो बॅग को बंद कर सके... फिर उसने अपने दूसरे साथी को भी हाथ से इशारा किया ऑर वो भागता हुआ बंदूक ताने मेरी तरफ बढ़ने लगा... मैं यही चाहता था मैं जल्दी से खंबे के पिछे से बाहर निकला ऑर सबसे पहले जो मेरी तरफ आ रहा था उसके पैर मे गोली मारी वो वही गिर गया ऑर तड़पने लगा इतना मे जो दूसरा आदमी मेज़ के पास खड़ा उसने दोनो बॅग उठाए ऑर खंबे की तरफ भागने लगा मैने उसकी पीठ मे 2 गोली मारी वो भी वही गिर गया अब मैने अपना निशाना उस लेटे हुए आदमी पर लगाया जिसके पैर मे गोली लगी थी इस बार मैने सीधा उसके माथे पर गोली मारी... दोनो आदमी ख़तम हो चुके थे ऑर अब सिर्फ़ एक आदमी बचा था ऑर मेज़ के पास ही पैसे वाला ऑर ड्रूग्स वाला बॅग गिरे पड़े थे... इस बार मैने आवाज़ लगाई...
मैं: मुझे पता है तू अकेला ही बचा है अगर यहाँ से निकलना चाहता है तो निकल जा माल को भूलजा वो मेरा हुआ...
वो आदमी: लेकिन इसकी क्या गारंटी है कि तुम गोली नही चलाओगे...
मैं: साले मैं तुझे टीवी बेच रहा हूँ जो गारंटी चाहिए... निकलना है तो निकल जा नही तो तुझे मार कर तो मैं ये माल हासिल कर ही लूँगा...
वो आदमी: ठीक है माल तुम रख लो लेकिन गोली मत चलना...
मैं: मंज़ूर है अपनी पिस्टल फैंक कर बाहर आजा...
उसके बाद उस आदमी ने मेज़ की तरफ अपनी पिस्टल फेंक दी ऑर सिर पर हाथ रख कर बाहर आ गया... मैने जल्दी से थोड़ा सा बाहर निकलकर अपनी पिस्टल का निशाना उसके दिल पर लगाया ऑर गोली चला दी वो आदमी भी वही ख़तम हो गया... उसके बाद मैं धीरे से बाहर आया ऑर झुक कर धीरे-धीरे आगे मेज़ की तरफ बढ़ने लगा जिसके पास दोनो बॅग गिरे पड़े थे मैने चारो तरफ देखा वहाँ मुझे कोई भी नज़र नही आ रहा था इसलिए मैने जल्दी से दोनो बॅग उठाए ऑर राणा ऑर उसके लोगो को ढूँढने लगा लेकिन मुझे वो कही नज़र नही आए इसलिए मैं उस खंडहर से बाहर निकल आया... अब मैने चारो तरफ देखा लेकिन बाहर भी सिवाए गाड़ी के कोई नही था... मैने दोनो बॅग गाड़ी मे रखे ओर कार स्टार्ट की ताकि वापिस होटेल जा साकु...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
तभी कार के केबिनेट मे किसी फोन की घंटी की आवाज़ सुनाई दी जो शायद काफ़ी देर से बज रहा था... मैने जल्दी से केबिनेट खोला ऑर फोन बाहर निकाला ऑर फोन उठा कर अपने कान से लगाया दूसरी तरफ से जो आवाज़ सुनाई दी वो जानी-पहचानी सी लगी... ये तो ख़ान था...
मैं: हेल्लो...
ख़ान: हां भाई शेरा क्या खबर है...
मैं: ख़ान साहब मुझे राणा एक डील पर लेके गया था जहाँ एक समस्या हो गयी है
ख़ान: वो सब मुझे पता है ये बताओ दोनो बॅग कहाँ है...
मैं: मेरे पास...
ख़ान: उनमे से कोई ज़िंदा तो नही बचा...
मैं: नही मैने सबको ख़तम कर दिया...
.
ख़ान: अच्छा किया... अब तुम यहाँ से अपने होटेल चले जाओ जहाँ तुम रुके हुए हो...
मैं: लेकिन राणा ऑर उसके लोग जाने कहाँ चले गया हैं मैने उनको सब जगह ढूँढ लिया है कोई भी नही मिला मुझे...
ख़ान: कोई बात नही उनको मैने ही बोला था कि निकल जाने को वहाँ से...
मैं: ठीक है फिर अब मेरे लिए क्या हुकुम है...
ख़ान: तुम बस अपने होटेल जाओ ऑर कल रात तक इंतज़ार करो राणा खुद ही तुम्हारे पास आ जाएगा... वैसे तुम्हारा निशाना बहुत अच्छा है...
मैं: शुक्रिया... वैसे आपको कैसे पता कि मेरा निशाना अच्छा है...
ख़ान: मैं तुमसे दूर ज़रूर हूँ लेकिन तुम्हारी पल-पल की खबर मेरे पास पहुचती है ऑर वैसे भी ये तो पूरे अंडरवर्ल्ड मे मशहूर है कि शेरा का निशाना कभी नही चुकता... नही तो पहली बार हथियार उठाने वाला आदमी ढंग से गोली भी नही चला सकता ऑर तुमने सबको 8 गोली मे ही ख़तम कर दिया... ये जान कर अच्छा लगा कि तुम्हारा निशाना अब भी जबरदस्त है...
मैं: शुक्रिया... जनाब ये पैसे ऑर ड्रग्स का क्या करना है...
ख़ान: अभी तुम इसको अपने पास ही रखो होटेल मे जब कल रात को राणा आएगा तो उसको दे देना ऑर तुम अब मेरी इजाज़त के बिना होटेल से बाहर मत जाना ये फोन भी मुझसे बात करने के बाद तोड़ देना समझ गये...
मैं: ठीक है...
उसके बाद ख़ान ने फोन बंद कर दिया ऑर मैने उस फोन को वही तोड़कर फैंक दिया फिर मैं वापिस होटेल मे आ गया... अब मुझे अगले दिन तक सिर्फ़ इंतज़ार करना था क्योंकि ऑर कोई कम मेरे पास करने को नही था... मैं बाहर भी नही जा सकता था क्योंकि ख़ान ने मुझे बाहर जाने से मना किया था...
ऐसे ही मैने अगला सारा दिन सिर्फ़ टीवी देख कर ऑर सो कर ही गुज़ारा...
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
11-11-2021, 12:03 PM
अपडेट-41
अगली शाम को किसी ने मेरे रूम का दरवाज़ा खट-खाटाया तो मैने जल्दी से पहले अपनी पिस्टल निकाली ऑर उसको अपनी कमर के पिछे टाँग लिया ऑर आहिस्ता से दरवाज़ा खोल दिया सामने राणा खड़ा था जिसके साथ 2 ऑर आदमी थे...
मैं: तुम हो... यार कल कहाँ चले गये थे कुछ बताया भी नही...
राणा: भाई ख़ान साहब का ऑर्डर था कि अगर वो लोग कुछ नाटक करे तो पैसे वही छोड़कर चले जाना...
मैं: ठीक है
राणा: भाई वो दोनो बॅग कहाँ है...
मैं: (उंगली से इशारा करते हुए) बेड के नीचे पड़े है निकाल लो...
राणा: (झुक कर बेड के नीचे देखते हुए) ठीक है... भाई आप जल्दी से तेयार हो जाओ अभी निकलना है...
मैं: अब कहाँ जाना है...
राणा: (दोनो बॅग बाहर निकलते हुए) भाई वो लोग जिनका ये माल है वो उस आदमी का चेहरा देखना चाहते हैं जिसने उनका माल लूटा था ऑर उनके लोग मारे थे...
मैं: मतलब मुझे... कुछ गड़-बॅड तो नही होगी...
राणा: भाई फिकर मत करो आपके ही पुराने साथी हैं आपको क्या होना है... वैसे भी शेख़ साहब का माल हर कोई नही लूट सकता...
मैं: तो क्या मैं अब शेख़ साहब से मिलने वाला हूँ...
राणा: नही भाई अभी तो आपको बस लाला भाई ऑर गानी भाई ही मिलेंगे...
मैं: ठीक है... जाना कहाँ है
राणा: आपके पुराने क्लब मे जाना है भाई
मैं: ठीक है
उसके बाद मैं जल्दी से बाथरूम मे गया ऑर तेयार हो के बाहर आ गया... फिर मैं राणा ऑर बाकी वो 2 लोग कार मे बैठ कर निकल पड़े... कुछ देर बाद कार पार्किंग वाली जगह पर रोक दी गई ऑर हम सब बाहर निकल आए... राणा मुझे एक अजीब सी जगह लेके गया जहाँ बहुत तेज़ म्यूज़िक बज रहा था... हमे वहाँ खड़े 2 लोगो ने दूसरे गेट से अंदर जाने का इशारा किया तो हम लोग दूसरी तरफ से अंदर चले गये... वहाँ गेट पर हम सबकी अच्छे से तलाशी ली गई ऑर मेरी पिस्टल वही बाहर ही निकाल ली गई... अब मुझे सच मे डर लग रहा था क्योंकि अब हम मे से किसी के पास भी हथियार नही थे... बढ़ते हुए हर कदम के साथ मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ रही थी... लेकिन राणा एक दम खुश ऑर बहुत सुकून से मुस्कुराता हुआ चल रहा था जैसे कुछ हुआ ही ना हो... हम लोगो के पिछे 4 लोग गन्स लिए चल रहे थे उन्होने हमे एक कॅबिन मे बिठा दिया जिसके सामने वाली कुर्सी खाली पड़ी थी... हम चारो अपने सामने पड़ी कुर्सियो पर बैठ गये... मैं कमरे को देखने लगा जो काफ़ी शानदार तरीके से सजाया गया था उसकी हर चीज़ काफ़ी कीमती लग रही थी... तभी राणा की आवाज़ आई...
राणा: भाई अब सब आपके उपर ही है संभाल लेना...
मैं: भेन्चोद वो जो बाहर तेरा बाप खड़ा था उसने मेरी पिस्टल ले ली हैं अब इनको क्या मैं टेबल कुर्सी से संभालूँगा चूतिए...
राणा: भाई आपके हाथ जोड़ता हूँ यहाँ हाथ मत उठाना नही तो बहुत समस्या हो जाएगा हम मे से कोई भी ज़िंदा बाहर नही जाएगा...
मैं: तो साले यहाँ मेरी क्या क़ुर्बानी देने के लिए लाया है मुझे...
तभी पिछे से कॅबिन का गेट खुला ऑर 5-6 लोग अंदर आए जिन्होने हम सबके सिर पर बंदूक तान दी इसलिए हम सब लोग हाथ उपर करके अपनी-अपनी जगह से खड़े हो गये... मैं अभी सोच ही रहा था कि इनको कैसे संभालू कि तभी दुबारा कॅबिन का दरवाज़ा खुला ऑर 2 ऑर लोग अंदर आ गये इनको मैं पहले देख चुका था ये लाला ऑर गानी थे जो शेख़ के होटेल्स ऑर क्लब्स संभालते थे... वो दोनो शायद भाग कर आए थे इसलिए उनकी साँस फूली हुई थी... आते ही वो दोनो मुझे बड़े गौर से देखने लगे ऑर मेरे पास आके मेरे सिर पर लगी बंदूक को झटके से उधर कर दिया ऑर जिसने मेरे सिर पर बंदूक तान रखी थी उसको थप्पड़ मार कर गालियाँ देने लगे...
गानी: भेन्चोद इतना भी नही पता अपने लोगो पर बंदूक नही तानते ये तो अपना भाई है शेरा (मुझे गले लगाते हुए)
लाला: (मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए) ओये तू कहाँ था यारा इतने वक़्त से हम सब ने तुझे कितना ढूँढा... जापानी तो तेरे पिछे पागल सा हुआ पड़ा था शेख़ साहब भी परेशान हो गये थे हमने तो सोचा तू मर मूक गया होगा...
गानी: क्या हुआ यार तू हम को ऐसे क्यो देख रहा है...
राणा: मैने अपना वादा पूरा किया अब माल मैं रख सकता हूँ...
लाला: ओये तू नही जानता तूने हम को हमारी ताक़त दे दी है जा रख ले शेख़ साहब का इनाम समझ कर...
गानी: राणा रुक ओये... तूने बताया नही हमारा माल लूटने की हिम्मत किसने की थी...
मैं: मैने...
लाला: ओये तूने... वही मैं सोच रहा था ये शेर का शिकार कौन खा गया...
मैं: शेर का शिकार सिर्फ़ शेरा ही खा सकता है...
गानी: सच कहा यार तूने... लेकिन यार तू इतने वक़्त तक था कहाँ पर...
राणा: भाई जान इनको पिच्छला कुछ भी याद नही है याददाश्त एक दम सॉफ हो चुकी है...
लाला: तुझे ये मिला कहाँ पर ये बता...
मैं: कुछ महीने पहले मैं एक ग़रीब किसान को मिला था अधमरी ऑर ज़ख्मी हालत मे जिन्होने ना सिर्फ़ मुझे बचाया बल्कि मेरी मरहम पट्टी भी की मगर जब तक मुझे होश आया तो मुझे कुछ भी याद नही था... (मैने उनको वही बताया जो ख़ान ने मुझे कहने को बोला था)
गानी: यार कहाँ रहता है वो ग़रीब किसान हम को बता उसका घर भर देंगे नोटो से जिसने हमारे यार हम को लौटा दिया उसकी 7 पुश्तो को काम नही करना पड़ेगा...
राणा: वो अब इस दुनिया मे नही रहे भाई जान... इसलिए ये शहर आए थे काम की तलाश मे मेरे एक आदमी ने इनको पहचान लिया तो हमने इनको अपने साथ काम पर लगा लिया...
लाला: (राणा को धक्का देते हुए) ओये भेन्चोद तुउउउ काम देगा शेरा को... साले औकात क्या है तेरी... 2 टके का डीलर है... गानी ठोक दे इस मदर्चोद को...
राणा: (लाला के पैर पकड़ते हुए) माफी भाई जान मैं तो बस इनको आप तक ही पहुँचाना चाहता था ऑर कुछ नही...
गानी: तेरा मकसद नेक़ था लेकिन तूने हमारा माल लूटने की ऑर हमारे आदमी मरवाने की ग़लती कैसे की इसको तो कुछ याद नही है लेकिन तू तो सब जानता था ना...
लाला: (मुझे कॅबिन से बाहर लेके जाते हुए) चल आ भाई तुझे तेरी असल जगह दिखाऊ इसको गानी संभाल लेगा...
मैं: पहले इसको जाने दो इसने कुछ नही किया उन लोगो को मैने मारा था...
गानी: ठीक है भाई तू कहता है तो माफ़ किया (राणा को लात मारते हुए) चल भाग जा भोसड़ी के ऑर दुबारा नज़र मत आना मुझे... इस बार तू शेरा की वजह से बच गया अगली बार हमारे माल पर हाथ डालने के बारे मे सोचा भी याद रखना जो बक्ष्णा जानते हैं वो जान लेना भी जानते हैं...
•
Posts: 727
Threads: 15
Likes Received: 610 in 360 posts
Likes Given: 839
Joined: Mar 2019
Reputation:
17
राणा: (मेरे पैर पकड़ते हुए) आपका बहुत-बहुत शुक्रिया शेरा भाई...
मैं: चल जा यहाँ से...
लाला: यार गानी तू शेरा को लेके चल मैं ये खुश खबरी अभी सबको देके आता हूँ...
उसके बाद मैं ओर गानी कॅबिन के बाहर क्लब मे उपर आ गये... जहाँ एक काँच के ग्लास से नीचे का तमाम नज़ारा दिखाई दे रहा था... मैं उस काँच के पास खड़ा होके नीचे नाचते लड़के-लड़कियो को देखने लगा जो म्यूज़िक की रिदम पर थिरक रहे थे...
गानी: (शराब का ग्लास मेरी तरफ करते हुए) ये ले भाई तेरे मिलने की खुशी मे
मैं: नही शुक्रिया मैं पीता नही हूँ...
गानी: (हैरान होते हुए) ओये मेरे दारू के टॅंकर तेरी तबीयत तो ठीक है तू तो कूरली भी दारू से करता था तुझे क्या हो गया यार...
मैं: मुझे कुछ याद नही है ऑर मैं जब से ठीक हुआ हूँ तब से मैने दारू को हाथ तक नही लगाया इसको पीना तो दूर की बात है...
गानी: ठीक है भाई तेरी मर्ज़ी... वैसे क्या देख रहा है नीचे... कोई पाटोला (सुंदर लड़की) पसंद आया है तो बता उठा लेते हैं साली को... (मेरे कंधे पर हाथ मारकर हँसते हुए)
मैं: नही यार मैं तो ऐसे ही देख रहा था (मुस्कुराते हुए)
तभी लाला भी वहाँ आ गया...
लाला: बता मेरे यार क्या सेवा करे तेरी... ओये तेरा हाथ अभी तक खाली है यार गानी दारू दे भाई को... इतनी मुद्दत बाद अपने ग़रीब खाने मे आया है शेरा...
गानी: (ना मे सिर हिलाते हुए) साहब ने छोड़ दी है यार
लाला: हैंन्न्न्... ओये साची... ज़रा मुँह इधर करना शेरा... हाहहहहाहा
मैं: हाँ मैं दारू नही पीता
लाला: भाई शेर खून ना पीए तो हम मान सकते हैं लेकिन शेरा दारू ना पिए ये बात तो हमारी भी समझ से बाहर है... क्या यार उस बूढ़े ने हमारे यार का बेड़ा-गर्क कर दिया है...
मैं: दुबारा उस बुजुर्ग के लिए कभी ग़लत लफ्ज़ मत निकालना... उस इंसान ने मुझे नयी जिंदगी दी है समझे...
गानी: अर्रे यार गुस्सा क्यो होता है भाई लाला तो मज़ाक कर रहा था चल अब नही बोलेगा जाने दे... माफ़ कर दे यार...
लाला: (कान पकड़ कर उठक-बैठक निकालते हुए) लेह भाई बसस्सस्स
तभी एक आदमी वहाँ आया ऑर उसने गानी के कान मे कुछ कहा ओर चला गया...
गानी: यार शेरा तुझे जापानी ऑर सूमा बुला रहे हैं...
मैं: कहाँ पर...
गानी: वही... यार तेरी पुरानी मान-पसंद जगह पर ऑर कहाँ...
लाला: तू भी ना गानी यार उसको कुछ याद नही है ऑर तू लगा है अपनी चावल मारने... (मेरी बाजू पकड़ते हुए) चल भाई मैं तुझे लेके चलता हूँ...
मैं: ठीक है चलो लेकिन यार मेरी गन तो वापिस कर दो तुम्हारे आदमियो ने तलाशी लेते हुए निकाल ली थी... (हँसते हुए)
गानी: अर्रे यार इतनी सी बात ये ले तू मेरा घोड़ा (गन) रख ले मैने कल ही नया खरीदा है अगर पता होता तू आ रहा है तो तेरे लिए भी एक ऐसी मंगवा लेता...
मैं: नही यार तूने अपने लिए मँगवाई है तो मैं ये नही ले सकता इसको तू ही रख...
गानी: अर्रे यार क्या लड़की जैसे नाटक कर रहा है ये ले रख चला के देखना एक दम माखन है माखन रेपिड फाइयर है
जर्मन ऑटोमॅटिक 12 राउंड है जब तक सामने वाले की एक गोली निकलेगी तेरी 6 गोलियाँ निकल चुकी होंगी... ये ले रख (ज़बरदस्ती मेरी बेल्ट मे फसाते हुए)
मैं: शुक्रिया गानी भाई...
गानी: ओये ये शरीफो के चोंचले कहाँ से सीख कर आया है यार चल इधर आ यारो को शुकरिया ऐसे बोलते हैं... (मुझे गले लगाते हुए)
लाला: अगर तुम्हारा लैला मजनू का रोमॅन्स ख़तम हो गया हो तो हम लोग चलें...
मैं: हाँ... हाँ... चलो...
•