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Misc. Erotica IK BECHARA BHAI
Super update.. please update more
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इंस्पेक्टर हरिलाल बेहद थक चुके थे... मेरी दोनों बहनों पर अपनी ताकत की आजमाइश करने के बाद... वह थोड़ी देर सुस्ताने लगे और आराम करने के बाद उठकर खड़े हो गए और अपनी वर्दी पहनने लगे...
 इंस्पेक्टर  हरिलाल कमरे से बाहर निकलकर मुझे सामने पाया देखकर मुस्कुराने लगे और बोले...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  चल सैंडी तू मेरे साथ चल... मैं तेरी मम्मी को अब छोड़ दूंगा... आजा मेरे साथ जीप में..
 मैं थानेदार साहब के पीछे पीछे उनकी जीत में बैठने के लिए अपने घर से बाहर निकलने लगा था कि मेरी दोनों बहने  लड़खड़ा  रही चाल से किसी तरह से अपने कपड़े पहन कर दरवाजे तक आई और जाने से पहले थानेदार साहब को धन्यवाद किया...
 थानेदार साहब मेरी बहनों की इस अदा पर बेहद खुश थे...

 मेरे मन में भी राहत थी कि अब कम से कम मेरी मम्मी को हवालात में तो नहीं रहना पड़ेगा... भले ही इसकी कीमत मेरी प्रियंका दीदी ने और मेरी रूपाली दीदी ने भी चुकाई है....
 कीमत चुकाना तो दूर की बात है... दरअसल सच तो यह है कि मेरी दोनों बहनों ने इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ संभोग का भरपूर मजा लिया था... मेरी बहनों के चेहरे पर थकान तो दिख रही थी... पर एक मजबूत मुसल के द्वारा ठुकाई की संतुष्टि भी मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी उनके चेहरों पर... एक भाई होने के नाते मुझे इस बात का बहुत बुरा तो लग रहा था पर मैं क्या कर सकता था...
 मैं इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ उनकी जीप में उनकी आगे की सीट के बगल में बैठ गया.. वह ड्राइविंग सीट  पर थे...
 अचानक मेरी नजर मेरे घर के पास में ही भटक रहे  बिल्लू के ऊपर गई...
 वह हमारे घर से थोड़ी दूर  खड़ा सब कुछ देख रहा था... थानेदार साहब को मेरे घर से निकलते हुए... और मेरी बहनों को अलविदा करते हुए... सब कुछ उसने देख लिया था... मेरा दिल कांप उठा था... जब थानेदार साहब की जीप बिल्लू के बगल से गुजरी थी... तब वह मुझे अजीब नजरों से देख रहा था.... मैंने उस वक्त उसकी परवाह नहीं की...
 मैं थानेदार साहब के साथ उनकी जीप में बैठकर थाने की तरफ रवाना हो चुका था..
 रास्ते में थानेदार साहब बार बार मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रहे थे पर कुछ बोल नहीं रहे थे.... उनके चेहरे पर खुशी छुपाए नहीं छुप रही थी..
 वह  मुझे बताना चाहते थे... लेकिन शायद उनके मन में कुछ संकोच था.
 
थानेदार साहब:  सैंडी.... तुझे एक बात बताऊं... अगर तुम बुरा नहीं मानेगा तो..
 मैं:  नहीं सर मैं बिल्कुल बुरा नहीं मानूंगा...
 थानेदार साहब:  तेरी दोनों बहने बहुत ही मस्त पटाखा माल है... मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सारी औरतों को चोदा है... लेकिन जो मजा  कल रात तेरी प्रियंका दीदी ने मुझे दिया... वह मैं बता नहीं सकता .... और तेरी रुपाली दीदी.... वह तो काम देवी है बस... साला... मेरे लोड़े में दर्द हो रहा है... तेरी दोनों बहनों ने निचोड़ लिया है मुझे..

 थानेदार साहब आपने मुसल के ऊपर हाथ रख कर अपनी ही धुन में बड़ा-बड़ा  रहे थे... और मुझे शर्मसार कर रहे थे...
 थानेदार साहब:  साला मेरे लंड मैं सूजन आ गई है... बहुत  टाइट  आगे वाला छेद है तेरी प्रियंका दीदी का... साली  ... बिल्कुल नेचुरल है तेरी बहन... तुझे बुरा तो नहीं लग रहा है  सैंडी?
 उनकी जीप  की रफ्तार बेहद धीमी हो चुकी थी... वह अपनी बातों से मुझे जलील कर रहे थे... मुझे पता नहीं क्यों उनको इस बात का एहसास था भी कि नहीं...
 लेकिन उनके सवाल का जवाब देना तो था ही मुझे..
 मैं:  नहीं सर.. मुझे बुरा नहीं लग रहा है.. आप बहुत अच्छे इंसान हैं..
 अपने दिल पर पत्थर रखकर मैंने कह दिया...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  (अपने मूछों पर ताव देते हुए)-  वाह सैंडी... तू भी सच में बहुत अच्छा लड़का है... अपनी बहनों का अच्छे से ख्याल रखना.. वरना तेरे गांव में बहुत सारे भंवरे है.. जो तेरी बहनों का रस पीना चाहते हैं...
 मैं( घबराते हुए):  आप क्या कहना चाहते हो थानेदार साहब... मैं आपकी बात समझा नहीं...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  अबे साले तू  बेवकूफ है क्या... तूने देखा नहीं कि तेरे घर के सामने वह लड़का खड़ा था... वही लड़का है ना जिसकी आंखों में बिठाकर कल रात तू अपनी प्रियंका दीदी को मेरी खोली के मे  लाया था...
 मैं:  हां सर आपने ठीक पहचाना..
 थानेदार साहब:  उस हरामजादे की नीयत ठीक नहीं है... मौका मिलते ही वह तुम्हारी किसी ना किसी बहन को दबोच लेगा.. और फिर कौन है मैं ले जाकर उसके साथ....
 मैं( उनकी बात को बीच में काट कर):  नहीं सर वो ऐसा लड़का नहीं है.. वह तो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है.. वह तो कभी भी ऐसा नहीं करेगा..
 थानेदार साहब:  चल मान लिया तेरी बात... लेकिन फिर भी ख्याल रखना अपनी बहनों का... कभी भी कुछ भी हो सकता है...
 मैं:  हां सर मैं बिल्कुल ख्याल रखूंगा... आप चिंता मत कीजिए... आप तो बस मेरी मम्मी को रिहा कर दीजिए..
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  तेरी मम्मी को मैं रिहा कर दूंगा अभी के अभी... और तेरी मम्मी को अपनी जीप में बिठाकर तुम्हारे घर पहुंचा भी दूंगा.. तू उसकी टेंशन मत ले... मुझे तो पक्का विश्वास हो गया है कि तेरी प्रियंका दीदी ने जुनेद का मर्डर नहीं किया... वह भला मर्डर कैसे कर सकती है...
 
मैं:  आपका बहुत-बहुत आभारी हूं सर.... मेरी दीदी किसी भी इंसान का मर्डर नहीं कर सकती.... आपका बहुत-बहुत धन्यवाद हमारे ऊपर विश्वास करने के लिए...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  मेरे विश्वास करने से कुछ नहीं होता... यहां से तेरी मम्मी छूट के तो चली जाएगी... लेकिन असलम अभी जिंदा है... तू तो अच्छी तरह जानता हुआ असलम को.. तुझे तो सब पता है ना...

 मैं:  हां सर... मैं अच्छी तरह से जानता हूं दोनों को.. मेरे सामने ही उन दोनों ने मेरी रूपाली दीदी का बलात्कार किया था... उनका वीडियो भी बनाया था... हमारे परिवार की बदनामी होने की वजह से हमने इस बात को किसी को नहीं बताया...... और इसी का नतीजा मेरी  प्रियंका दीदी को भी भोगना पड़ा...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  तो तुझे लगता है कि तेरी रूपाली दीदी का उस दिन बलात्कार हुआ था...  तेरी बहन को उन दोनों ने उस दिन जबरदस्ती  ठोका था... लेकिन यह पूरा सच नहीं है... मेरे पास इसके से रिलेटेड  सारी कॉल रिकॉर्डिंग है... पूरे पुख्ता सबूत मौजूद है मेरे पास..
 मैं( हैरानी से):  तो फिर सच क्या है  सर... मुझे बताइए...
 इंस्पेक्टर साहब:  सच बात तो यह है कि उस दिन तेरी रुपाली दीदी ने अपने बलात्कार का इंतजाम खुद ही करवाया था... तुझे तो बस बेवकूफ बनाया गया था उस दिन...

 मैं:  मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है सर... आप क्या बात कर रहे हो.. यह तो कुछ दिन पहले की ही बात है... मुझे तो अच्छी तरह याद है कि उन दोनों ने मेरी रूपाली दीदी को जबरदस्ती...( आगे के शब्द मेरे मुंह में ही रुक गए)...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  तुम बहुत भोले हो सैंडी... तुम्हें तो दूर-दूर तक कुछ भी आईडिया नहीं है.... वहां पर एक और भी  इंसान मौजूद था... सुरेश ऑटो वाला... वह हमारे सिक्युरिटी का इनफॉर्मर है.. हम लोग कब से जुनैद और असलम की तलाश में थे... जिस दिन तुम्हारी रुपाली दीदी के साथ कांड हुआ था उस दिन सुरेश ने हमें फोन किया था... लेकिन हम लोग समय पर पहुंच नहीं पाए थे... जब तक हम लोग पहुंचे थे.. तब तक काफी देर हो चुकी थी...
 मैं:  सर फिर आपने आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की थी... आपको तो पता था कि मेरी बहन के साथ बलात्कार हुआ है वहां पर...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  साले इतनी देर से तुझे यही तो समझा रहा हूं... उस दिन तेरी रुपाली दीदी के साथ बलात्कार नहीं हुआ था... बल्कि तेरी दीदी ने खुद ही अरेंज किया था पूरा माजरा.. तुझे बेवकूफ बनाया गया था..
 मैं:  सर आप यह बात इतने भरोसे के साथ कैसे कह सकते हो..

 इंस्पेक्टर हरिलाल:  क्योंकि मेरे पास तेरी बहन के खिलाफ पूरे सबूत है.. उसकी सारी कॉल रिकॉर्डिंग, उसके सारे व्हाट्सएप चैट हमारे पास है..
 दरअसल तेरी रुपाली दीदी और जुनैद के बीच में पहले से ही चक्कर चल रहा था... तेरी रुपाली दीदी की शादी के पहले से.. दोनों के बीच में अवैध संबंध थे... तेरे बाप ने जबरदस्ती शादी करवा दी तेरे जीजा के साथ...
 शादी के बाद भी तेरी बहन जुनैद के पास  या फिर  जुनेद तेरी बहन के पास जाता रहा है... व्हाट्सएप चैट और कॉल रिकॉर्डिंग सुन कर साफ पता चलता है कि तेरे जीजा का लिंग छोटा है और वह तेरी बहन को अच्छे से  मजा नहीं देता है रात में... इसीलिए तेरी बहन शादी के बाद भी जुनैद के साथ संभोग करती रही... जब इस बात की भनक तेरे जीजा को लगी तो उसने तेरी बहन के साथ मारपीट की और उसको बहुत भला बुरा कहा.......
 तेरे जीजा से बदला लेने के लिए तेरी रुपाली दीदी ने तुझे मोहरा बनाया और फिर आगे की कहानी तो तू अच्छी तरह समझ रहा है... लेकिन उस दिन जुनैद ने गद्दारी कर दी थी.. उसने अपने दोस्त असलम को भी बुला लिया था.. मजा लेने के लिए... सुरेश ने मुझे पूरी कहानी बताई थी ...कैसे उन दोनों ने मिलकर तुम्हारी रुपाली दीदी के साथ  मस्त मजा लिया था.. तेरी आंखों के सामने...
 मेरी आंखों के सामने तारे घूमने लगे थे... मेरी आंखों के सामने अंधेरा होने लगा था... थानेदार हरिलाल जो बात मुझे बता रहा था वह सुन के मुझे चक्कर आने लगे थे.. लेकिन उसकी बातों में सच्चाई मुझे साफ-साफ झलक रही थी और दिखाई देने लगी थी मुझे..
 मैं:  सर मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा है... क्या सच में ऐसा संभव है.. मेरी दीदी मेरे सामने ही क्यों करेगी( मेरी जुबान लड़खड़ाने  लगी)..
 थानेदार साहब:  क्योंकि तू अभी छोटा है... तुझे अभी कुछ भी समझ नहीं आता है.... और बुरा ना मानो तो एक बात कहूं कि तू बहुत बड़ा बेवकूफ है... क्या उस दिन झोपड़ी के बाहर तुझे कुछ देर के लिए भेजा गया था?

 मैं:  हां सर मुझे कुछ देर के लिए उन लोगों ने झोपड़ी के बाहर भेज दिया था.. जब दोनों साइड से मेरी बहन की...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  हां उसी वक्त मामला तय हुआ था... तेरे जीजू के सामने ही उन लोगों ने वीडियो कॉल पर दिखा कर तेरी बहन को आगे पीछे से   ठोका था... उस वीडियो में जिस प्रकार से तेरी बहन उछल उछल कर उन दोनों का साथ दे रही थी देखकर बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगता है कि तेरी बहन के साथ जबरदस्ती हुई थी.... तेरी दीदी ने खुल कर मजा लिया था... और तू झोपड़ी के बाहर खड़ा चौकीदारी कर रहा था..
 मैं:  नहीं सर मैं चौकीदारी नहीं कर रहा था.. मुझे तो अच्छी तरह पता था कि अंदर क्या हो रहा है.. लेकिन मैं क्या कर सकता था... मुझे उन लोगों ने बाहर खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया था...
 थानेदार हरिलाल:  तू सच में अच्छा बच्चा है... सुन तू अपनी बहनों का ध्यान रखना अगले कुछ दिन... असलम कुछ भी कर सकता है.. अपने दोस्त की मौत का बदला  लेने के लिए..

 मैं:  लेकिन सर आखिर जुनैद की मौत कैसे हुई.... कुछ तो सुराग होगा आपके पास..
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  यह तो कानूनी मसला है 
..लेकिन फिर भी तुम इतने भोले और नासमझ हो  मैं तुमको बता देता हूं.. दरअसल तुम्हारी प्रियंका दीदी कल दिन में दोपहर 12:00 बजे जुनैद के फार्म हाउस पर गई... वहां पर तकरीबन 4:30 बजे तक तेरी बहन रुकी रही... जाहिर है इस दौरान उसने तुम्हारी बहन का ढोल पीटा  होगा... दोनों छेद  फाड़ के रख दिया होगा..
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Turning point....mast.. please update more
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थानेदार साहब मुझे यह सब कुछ बता ही रहे थे कि हम लोग थाने पहुंच गए थे... अब वहां पर ज्यादा बातचीत करना संभव नहीं था...
 थानेदार साहब ने मेरी मम्मी को जेल से बाहर निकाला... और मुझे और मेरी मम्मी को अपनी जीप में बिठाकर बड़ी इज्जत से हमारे घर पर पहुंचा दिया... मेरी चंदा भाभी ने दरवाजा खोला था.... वह तुम मेरी मम्मी को गले लगा कर रोने लगी थी...
 थानेदार साहब मुझे एकांत में ले गए और बोले...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  देख सैंडी.. मैं बहुत खुश हूं तुम्हारे व्यवहार से... तुम्हारी दोनों बहनों ने ही खूब मजा दिया है मुझे... लेकिन मुझे भी कानून का फर्ज निभाना है.... क्या तुम मेरे लिए एक काम कर  सकते हो..
 मैं:  क्या थानेदार साहब मुझे क्या करना होगा...
 मैं  उत्सुक होकर पूछ रहा था....
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  यह केस बहुत ही ज्यादा पेचीदा हो चुका है... इसमें जुनैद का खूनी कोई भी हो सकता है... हमारे पास जो जानकारी है उसकी डिटेल में अभी तुम्हारे साथ शेयर नहीं कर सकता हूं...
 मैं:  मुझे क्या करना है सर... मैं कुछ भी कर सकता हूं अपने परिवार की रक्षा करने के लिए...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  मुझे पता है तुम बहुत अच्छे लड़के हो... तुमको बस अपनी रुपाली दीदी करना नजर रखनी है.. वह कहां जाती है.. किसके साथ मिलती है... किसके साथ फोन पर बात  करती है.. मुझे तुम्हारी दीदी की पल-पल की हरकत की जानकारी चाहिए..
 मैं:  लेकिन मेरी रूपाली दीदी की क्यों सर...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  अभी तो मैं तुम्हारे साथ पूरा डिटेल शेयर नहीं कर सकता हूं... तुम्हारी प्रियंका दीदी तो शरीफ है... इस बात का तो मुझे पूरी तरह से अंदाजा हो चुका है... मुझे शक है तुम्हारी रुपाली दीदी पर...

 मैं:  सर आप कैसी बात कर रहे हो... मेरी रूपाली दीदी तो बेहद शरीफ औरत है... वह भला किसी का मर्डर कैसे करेगी... जरूर आपको कुछ गलतफहमी हो रही है... सर प्लीज हमारे परिवार के ऊपर दया कीजिए..
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  सैंडी.... मैं एक सिक्युरिटी वाला हूं... अपने कर्तव्य का पालन करना मेरा धर्म है... मुझे विश्वास है तेरी रूपाली दीदी ने जुनैद का मर्डर नहीं किया है.... लेकिन कुछ ना कुछ कनेक्शन है जो मैं अभी तुम्हें नहीं बता सकता... मैं वादा करता हूं कि तुम्हारी दीदी ने अगर मर्डर किया भी होगा तो भी मैं तुम्हारे परिवार के ऊपर आंच नहीं आने दूंगा...
 मैं:  सर आप वादा करते हैं ना...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  हां मैं वादा करता हूं... बस तुम्हें एक काम करना है.. अपनी रुपाली दीदी के ऊपर नजर रखनी है.... उसके पल-पल की जानकारी मुझे चाहिए... मेरा मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लो...

 हम दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लिया... और फिर इंस्पेक्टर साहब चले गए...
 मैं अपने घर में घुसा ...  हमारे परिवार का माहौल एक बार फिर से खुशनुमा हो चुका था.... सब लोग बेहद खुश दिख रहे थे... मेरी चंदा भाभी तो ऐसा लग रहा था आसमान में उड़ रही है... मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी भी खुश दिखाई दे रहे थे... उन दोनों की मेहनत से ही मेरी मम्मी आजाद हुई थी...
 मेरी मम्मी ने जब मुझसे पूछा कि  मुझे सिक्युरिटी वाले  गिरफ्तार करके क्यों ले गए थे.... तो मैंने उनको समझा दिया  किसी गुंडे का मर्डर हुआ था... और उसी चक्कर में उन लोगों ने आपको मर्डर करने वाली समझ लिया था... पूरी तरह से गलतफहमी की वजह से यह हुआ था..
सब कुछ ठीक है कोई समस्या नहीं है...
 सब लोग खुशी-खुशी अपने कमरों में सोने के लिए चले गए थे... क्योंकि रात भर कोई सोया तो था नहीं...
 अगले 2 दिन में हमारे घर का माहौल  नॉर्मल हो गया था... सब लोग हंसी-खुशी रह रहे थे... बस मैं चिंतित था....
 मैं घर में हर होने वाली घटना का जिक्र इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ शेयर कर रहा था रात में... मेरी रूपाली  दीदी पिछले 2 दिनों में घर में ही थी... वह घर से बाहर गई ही नहीं थी.... इसीलिए ज्यादा कुछ बताने का था नहीं..
 इंस्पेक्टर साहब ने भी मुझे शाबाशी दी थी कि तू बहुत अच्छा काम कर रहा है...
 नवरात्रि का पहला दिन आ गया था...
 हमारे गांव में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई मनाई जाती है... बहुत बड़ा मेला लगता है हमारे गांव के बाहर में... जहां पर सिर्फ अगल बगल के गांव के लोग ही नहीं बल्कि दूर दूर से लोग आते हैं...

 दरअसल दुर्गा पूजा में पूरे 10 दिन तक हमारे गांव के ठीक बाहर ही मेला लगता था.... बहुत ही जबरदस्त मेला... इतनी भीड़ रहती थी  कुछ पता नहीं चलता था कि कौन कहां पर है..
 और आज मेले का पहला दिन था...
  मेरी रुपाली दीदी की शादी के बाद पहला मौका था उनके लिए इस मेले में फिर से शामिल होने के लिए... मेले में हजारों की संख्या में युवा मर्द और  शादीशुदा औरतें, कुंवारी कन्या अभी आती थी...
 औरतों के लिए यह मेला  अपने सौंदर्य प्रदर्शन और अपने अंग प्रदर्शन का एक बेहतरीन मौका था..... और मर्दों के लिए तो एक शानदार मौका जहां पर वह किसी भी लड़की या औरत के साथ छेड़खानी करने का या फिर पटाने का अवसर हो...
 शाम 5:00 बजे से ही मेरे घर में चहल पहल हो रही थी..
 मेले में जाने के लिए तैयारी हो रही थी...

 मेरी रूपाली दीदी लाल रंग के लहंगा और गुलाबी रंग की चोली में आज तो  कामदेवी बनी हुई थी.... उनकी शादी के बाद यह उनके लिए पहला अवसर था मेले में जाने का... अपने सीने पर हरा रंग का दुपट्टा लिए हुए मेरी रूपाली दीदी सज धज के पूरी तैयार हो चुकी थी... होठों पर लाल लाल लिपस्टिक, बालों में गजरा , आंखों में कजरा.... देख कर ऐसा लग रहा था जैसे मेरी रूपाली दीदी एक फटने वाला बम हो....
क्या उबलती, फ़ड़कती जवानी  ! गुलाबी, रेशमी त्वचा, गहरे भूरे रंग के घनेरे बाल, निखरता गोरा रंग !
फिगर ऐसी कि जोगी को भी भोगी बना डाले, बहुत ही सुन्दर पाँव, मुलायम और सुडौल, जिनको बार बार चूमने और चाटने का दिल करे !
मर्दों को चुनौती सी देते हुए सामने चूचुक और पीछे उसके मस्त नितम्ब !
क्या करे बेचारा आदमी, पागल ना हो जाये और क्या करे !
मेरी रूपाली दीदी एक ऐसा पूरा पका हुआ फल थी जिसको चूसने में देरी करना महा अपराध था...
 मेरी रुपाली दीदी की दुधारू चूचियां चोली को  फाड़ देने के लिए बेताब हो रही थी...
 मेरी प्रियंका दीदी भी बिल्कुल मेरी रुपाली दीदी की तरह सजी हुई थी... बस चुचियों का फर्क था... वरना मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी तो जुड़वा लग रही थी...
 मेरी चंदा भाभी नीले रंग की लहंगा चोली में अपनी 40 साइज की चुचियों को किसी तरह से दबा के  उछलते हुई हिरनी बनी हुई थी... सबके मन में बेहद उमंग था... सबके चेहरे पर खुशी दिखाई दे रही थी...
 मैंने भी एक नया कुर्ता पजामा पहन लिया था... और मेले में जाने के लिए तैयार हो गया था... मेरे सभी दोस्त आ गए थे.... राजू ,बिल्लू,  मुन्ना , यह सब मेरे दोस्त हैं... जिनके साथ में मेला देखने के लिए निकल पड़ा था..
 महिलाओं की टोली अलग चल रही थी... जिसमें मेरी बहने ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी... गांव की सारी लड़कियां और औरतें मेरी रूपाली दीदी को छेड़ रही थी.... चंदा भाभी उनका साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..

 दूसरी तरफ  गांव की जवान मर्द जिनमें  दिनेश ,रवि, मेरे होने  वाले जीजू( अजय), और उनके साथियों की टोली चल रही थी...
 सब लोग मस्ती में थे..
 कुछ ही देर में हम लोग मेले के अंदर पहुंच चुके थे और वहां की भीड़ में खोने लगे थे.....
 भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहां पर है... लेकिन एक बात जो मुझे सबसे ज्यादा  परेशान कर रही थी वह यह  थी कि पूरे रास्ते मेरी रूपाली दीदी और मेरे दोस्त बिल्लू के बीच में नैन मटक्का चल रहा था... दोनों अपनी आंखों से एक दूसरे को ना जाने क्या इशारा कर रहे हैं... मुझे शक होने लगा था कि मेरी रूपाली दीदी और   बिल्लू के  बीच कुछ ना कुछ तो पक रहा है...
 मेले की भीड़ में मैं खो गया था.... और अपनी बहनों को ढूंढने की कोशिश कर रहा था.
 मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
 मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई  देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
 यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
 मेरी  प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र  के ही लग रहे थे.

 मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
 मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई  देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
 यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
 मेरी  प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र  के ही लग रहे थे.



 मेरी प्रियंका दीदी भी कुछ ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी... उनको अच्छी तरह पता था इस मेले में ऐसा तो होता ही है... मेरी दीदी हर साल इस मेले में आ रही थी... वह चारों लड़के मेरी प्रियंका दीदी को नोच रहे थे हर तरफ से... पर उन्होंने कपड़ा नहीं खोला था मेरी बहन का... यह देखकर मेरे मन में थोड़ी संतुष्टि हुई...
 दूसरी तरफ मेरी चंदा भाभी खुद ही भीड़ के अंदर घुस गई थी... और सारे मर्द मेरी चंदा भाभी को चूम रहे थे चाट रहे थे...  एक लड़के ने  उनकी चोली को ऊपर उठा कर उनका चूची मुंह में ले लिया था चूसने  लगा था...
 भरे मेले में मेरी  चंदा भाभी की चोली खुलने लगी थी...
 पीछे से किसी ने उनका लहंगा उठा दिया था.... और चड्डी के ऊपर से उन की  कमर को थाम के उनकी ठुकाई कर रहा था...
 मेरी चंदा भाभी की चूची ऊपर न जाने कितने मर्द अपना हाथ साफ कर रहे थे मुंह में भी  लेकर चूसने लगे थे.... मेरी भाभी को कोई एतराज नहीं था...

 मेरी चंदा भाभी मदमस्त हो चुकी थी मर्दों की भीड़ में... उस भीड़ भाड़ में खुद को न्योछावर कर के मेरी चंदा भाभी मजे ले रही थी...
 वह चार नौजवान लड़के जो मेरी प्रियंका दीदी के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे... वह मेरी दीदी को हाथ पकड़े हुए उनको मेले से बाहर ले जा रहे थे गन्ने के खेत में... मेरी दीदी भी उनका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उनके साथ जा रही थी....
 लेकिन मुझे मेरी रुपाली दीदी दिखाई नहीं दे रही थी... जो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात थी.... इंस्पेक्टर हरिलाल को  रिपोर्ट जो करना था...
 काफी देर मेले में इधर-उधर भटकने के बाद मुझे मेरे रूपाली दीदी एक चूड़ी की दुकान पर खड़ी हुई दिखाई दी.... लेकिन हैरानी की बात यह थी कि मेरा दोस्त  बिल्लू ठीक मेरी बहन के पीछे खड़ा था... उसका लौड़ा उसके पजामे में तना हुआ था और मेरी रूपाली दीदी की गांड पर दस्तक देने वाला था... यह दे दृश्य देखकर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ मगर मैंने अपने आप पर काबू रखा..

 मेरी रूपाली  दीदी दुकान पर खड़ी हुई कांच की चूड़ियां खरीदने का प्रयास कर रही थी... और पीछे से बिल्लू लहंगे के ऊपर से ही मेरी बहन की गांड के ऊपर अपने खड़े लंड से ठोकर लगा रहा था..
 चूड़ी वाले को भी देखकर अजीब लग रहा था कि वह मेरी बहन के साथ ऐसा क्यों कर रहा है....
 मेरी दीदी ने भी पीछे हाथ करके बिल्लू को इशारा किया कि वह ऐसा ना करें सबके सामने..... लेकिन बिल्लू मान नहीं रहा था.... वह मेरी बहन की गांड के ऊपर दबाव बनाते  जा रहा था.
 मेरी दीदी कसमसा रही थी.... 
 अचानक एक भीड़ का ठेला आया और मैं मेले की भीड़ में गुम हो गया.. मैं यहां वहां अपनी रूपाली दीदी को ढूंढता रहा.... लेकिन मेरी दीदी मुझे दिखाई नहीं दी.... मैंने उस मेले का हर कोना छान मारा लेकिन मेरी रूपाली दीदी गायब थी... और मुझे बिल्लू भी दिखाई नहीं दे रहा था...
 मैं परेशान तकरीबन 30 मिनट तक मेरी  रूपाली दीदी को ढूंढता रहा मेले में हर दुकान पर... ना तो मुझे रूपाली दीदी दिखाई दी और ना ही मेरा दोस्त बिल्लू... मेरे मन का यकीन में बदल चुका था... दोनों के बीच जरूर कोई सांठगांठ है.... मैं मेले से बाहर निकल कर आ गया... और एक पुल के ऊपर बैठकर सोचने लगा था... सामने गन्ने का खेत था... जिसमें गांव के युवक और युवती  एक दूसरे का हाथ पकड़ कर जा रहे थे... मुझे पूरा यकीन था कि मेरी  प्रियंका दीदी और मेरी चंदा भाभी भी इन्हीं  गन्ने के खेत में मर्दों के साथ रंगरेलियां मना रही  होगी..... लेकिन मेरी रूपाली दीदी... बिल्लू आखिर मेरी रूपाली दीदी को किस जगह पर ले गया होगा..

 मेरे दिमाग में एक बिजली सी  दौड़ गई... गन्ने के खेतों के पीछे एक पुराना खंडहर था.... जहां पर मैं और बिल्लू अक्सर रात में जाया करते थे... मुझे समझ में आ चुका था कि मेरी रूपाली दीदी बिल्लू के साथ कहां पर होगी....

 गन्ने का खेत पार करने के दौरान मैंने अपने गांव की कई लड़कियों को नीचे  बिछे हुए देखा.... जिन लड़कियों को मैं गांव में दीदी बोलता था वह गन्ने के खेत में टांग पसारे हुए लेटी हुई थी... और अनजान मर्द उनकी कस के ठुकाई कर रहे थे... मैंने कोई  परवाह नहीं की..
 मैं खंडहर के पास पहुंच गया था... वह एक पुराना खंडहर था.... भूत प्रेत की वजह से वहां पर कोई भी नहीं जाता था... इतने सारे टूटे-फूटे कमरे बने हुए थे वहां पर... मैं बारी-बारी से हर कमरे के अंदर झांक कर देखने की कोशिश करने लगा...
 एक कमरे के अंदर से मुझे मेरे रुपाली दीदी की आवाज सुनाई देने लगी.

 सिसकती हुई  मेरी बहन की आवाज...
 मैंने जो करना हो कर उस कमरे के अंदर झांका तो अंदर का दृश्य ही अजीब था..... मेरे रूपाली दीदी की दोनों चूचियां चोली के बाहर झूल रही थी..... और बिल्लू मेरी बहन की  चूचियां के साथ खेल रहा है..

  वह मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीता हुआ दूसरी चूची को दबाता हुआ दूध निकाल रहा था....
 और मेरी दीदी आंखें बंद किए हुए सिसकारियां ले रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी बिल्लू की लप-लप आती  जीव काहे सास अपनी चुचियों पर पाकर बुरी तरह से मचल लगी थी..... मेरी रुपाली दीदी बिल्लू का सर अपने सीने से दबाए हुए उसको अपना दूध पिला रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी( सिसकते हुए कामुकता से): आअहह... बिल्लू... दांत से तो  मत काटो ना.... हमारा दूध पी लो.... जितना पीना है..
 बिल्लू चूची बदल बदल कर मेरी रूपाली दीदी का दूध पी रहा है.... और मेरी बहन भी उसको अपने सीने से  चिपका कर अपना दूध पिला रही थी.
 मेरी बहन की चूचियों का दूध खत्म नहीं हुआ था... लेकिन बिल्लू का पेट भर गया था.... मेरी रूपाली दीदी के निप्पल को अपने मुंह से निकाल कर वह बोला...
बिल्लू:  बहुत ही मीठा दूध है तेरा बहन की लोड़ी....
 चटकार लेता हुआ बिल्लू मेरी रूपाली दीदी की आंखों में देख रहा  था.
 मेरी रूपाली दीदी:  तुमने मेरा दूध तो पी लिया.. अब क्या चाहते हो बिल्लू......?
बिल्लू:  तेरे हरे भरे खेत की जुताई करना चाहता हूं... तेरी मुनिया में अपना मक्खन डालना चाहता हूं बहन की लोड़ी ...
 मेरी बहन नीचे लेट गई... अपना लहंगा उठा कर और अपनी चड्डी को नीचे सरकार के टांगे फैलाए हुए मेरी दीदी उसको आमंत्रित करने लगी..
बिल्लू का लौड़ा तो पहले से ही फनफन आया हुआ था.
 उसने मेरी बहन की टांगों को और भी चौड़ा किया और फिर  मेरी दीदी के अंदर ठोक दिया... अपना  मुसल जैसा लोड़ा....
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(02-11-2021, 11:05 PM)babasandy Wrote: थानेदार साहब मुझे यह सब कुछ बता ही रहे थे कि हम लोग थाने पहुंच गए थे... अब वहां पर ज्यादा बातचीत करना संभव नहीं था...
 थानेदार साहब ने मेरी मम्मी को जेल से बाहर निकाला... और मुझे और मेरी मम्मी को अपनी जीप में बिठाकर बड़ी इज्जत से हमारे घर पर पहुंचा दिया... मेरी चंदा भाभी ने दरवाजा खोला था.... वह तुम मेरी मम्मी को गले लगा कर रोने लगी थी...
 थानेदार साहब मुझे एकांत में ले गए और बोले...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  देख सैंडी.. मैं बहुत खुश हूं तुम्हारे व्यवहार से... तुम्हारी दोनों बहनों ने ही खूब मजा दिया है मुझे... लेकिन मुझे भी कानून का फर्ज निभाना है.... क्या तुम मेरे लिए एक काम कर  सकते हो..
 मैं:  क्या थानेदार साहब मुझे क्या करना होगा...
 मैं  उत्सुक होकर पूछ रहा था....
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  यह केस बहुत ही ज्यादा पेचीदा हो चुका है... इसमें जुनैद का खूनी कोई भी हो सकता है... हमारे पास जो जानकारी है उसकी डिटेल में अभी तुम्हारे साथ शेयर नहीं कर सकता हूं...
 मैं:  मुझे क्या करना है सर... मैं कुछ भी कर सकता हूं अपने परिवार की रक्षा करने के लिए...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  मुझे पता है तुम बहुत अच्छे लड़के हो... तुमको बस अपनी रुपाली दीदी करना नजर रखनी है.. वह कहां जाती है.. किसके साथ मिलती है... किसके साथ फोन पर बात  करती है.. मुझे तुम्हारी दीदी की पल-पल की हरकत की जानकारी चाहिए..
 मैं:  लेकिन मेरी रूपाली दीदी की क्यों सर...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  अभी तो मैं तुम्हारे साथ पूरा डिटेल शेयर नहीं कर सकता हूं... तुम्हारी प्रियंका दीदी तो शरीफ है... इस बात का तो मुझे पूरी तरह से अंदाजा हो चुका है... मुझे शक है तुम्हारी रुपाली दीदी पर...

 मैं:  सर आप कैसी बात कर रहे हो... मेरी रूपाली दीदी तो बेहद शरीफ औरत है... वह भला किसी का मर्डर कैसे करेगी... जरूर आपको कुछ गलतफहमी हो रही है... सर प्लीज हमारे परिवार के ऊपर दया कीजिए..
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  सैंडी.... मैं एक सिक्युरिटी वाला हूं... अपने कर्तव्य का पालन करना मेरा धर्म है... मुझे विश्वास है तेरी रूपाली दीदी ने जुनैद का मर्डर नहीं किया है.... लेकिन कुछ ना कुछ कनेक्शन है जो मैं अभी तुम्हें नहीं बता सकता... मैं वादा करता हूं कि तुम्हारी दीदी ने अगर मर्डर किया भी होगा तो भी मैं तुम्हारे परिवार के ऊपर आंच नहीं आने दूंगा...
 मैं:  सर आप वादा करते हैं ना...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  हां मैं वादा करता हूं... बस तुम्हें एक काम करना है.. अपनी रुपाली दीदी के ऊपर नजर रखनी है.... उसके पल-पल की जानकारी मुझे चाहिए... मेरा मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लो...

 हम दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लिया... और फिर इंस्पेक्टर साहब चले गए...
 मैं अपने घर में घुसा ...  हमारे परिवार का माहौल एक बार फिर से खुशनुमा हो चुका था.... सब लोग बेहद खुश दिख रहे थे... मेरी चंदा भाभी तो ऐसा लग रहा था आसमान में उड़ रही है... मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी भी खुश दिखाई दे रहे थे... उन दोनों की मेहनत से ही मेरी मम्मी आजाद हुई थी...
 मेरी मम्मी ने जब मुझसे पूछा कि  मुझे सिक्युरिटी वाले  गिरफ्तार करके क्यों ले गए थे.... तो मैंने उनको समझा दिया  किसी गुंडे का मर्डर हुआ था... और उसी चक्कर में उन लोगों ने आपको मर्डर करने वाली समझ लिया था... पूरी तरह से गलतफहमी की वजह से यह हुआ था..
सब कुछ ठीक है कोई समस्या नहीं है...
 सब लोग खुशी-खुशी अपने कमरों में सोने के लिए चले गए थे... क्योंकि रात भर कोई सोया तो था नहीं...
 अगले 2 दिन में हमारे घर का माहौल  नॉर्मल हो गया था... सब लोग हंसी-खुशी रह रहे थे... बस मैं चिंतित था....
 मैं घर में हर होने वाली घटना का जिक्र इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ शेयर कर रहा था रात में... मेरी रूपाली  दीदी पिछले 2 दिनों में घर में ही थी... वह घर से बाहर गई ही नहीं थी.... इसीलिए ज्यादा कुछ बताने का था नहीं..
 इंस्पेक्टर साहब ने भी मुझे शाबाशी दी थी कि तू बहुत अच्छा काम कर रहा है...
 नवरात्रि का पहला दिन आ गया था...
 हमारे गांव में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई मनाई जाती है... बहुत बड़ा मेला लगता है हमारे गांव के बाहर में... जहां पर सिर्फ अगल बगल के गांव के लोग ही नहीं बल्कि दूर दूर से लोग आते हैं...

 दरअसल दुर्गा पूजा में पूरे 10 दिन तक हमारे गांव के ठीक बाहर ही मेला लगता था.... बहुत ही जबरदस्त मेला... इतनी भीड़ रहती थी  कुछ पता नहीं चलता था कि कौन कहां पर है..
 और आज मेले का पहला दिन था...
  मेरी रुपाली दीदी की शादी के बाद पहला मौका था उनके लिए इस मेले में फिर से शामिल होने के लिए... मेले में हजारों की संख्या में युवा मर्द और  शादीशुदा औरतें, कुंवारी कन्या अभी आती थी...
 औरतों के लिए यह मेला  अपने सौंदर्य प्रदर्शन और अपने अंग प्रदर्शन का एक बेहतरीन मौका था..... और मर्दों के लिए तो एक शानदार मौका जहां पर वह किसी भी लड़की या औरत के साथ छेड़खानी करने का या फिर पटाने का अवसर हो...
 शाम 5:00 बजे से ही मेरे घर में चहल पहल हो रही थी..
 मेले में जाने के लिए तैयारी हो रही थी...

 मेरी रूपाली दीदी लाल रंग के लहंगा और गुलाबी रंग की चोली में आज तो  कामदेवी बनी हुई थी.... उनकी शादी के बाद यह उनके लिए पहला अवसर था मेले में जाने का... अपने सीने पर हरा रंग का दुपट्टा लिए हुए मेरी रूपाली दीदी सज धज के पूरी तैयार हो चुकी थी... होठों पर लाल लाल लिपस्टिक, बालों में गजरा , आंखों में कजरा.... देख कर ऐसा लग रहा था जैसे मेरी रूपाली दीदी एक फटने वाला बम हो....
क्या उबलती, फ़ड़कती जवानी  ! गुलाबी, रेशमी त्वचा, गहरे भूरे रंग के घनेरे बाल, निखरता गोरा रंग !
फिगर ऐसी कि जोगी को भी भोगी बना डाले, बहुत ही सुन्दर पाँव, मुलायम और सुडौल, जिनको बार बार चूमने और चाटने का दिल करे !
मर्दों को चुनौती सी देते हुए सामने चूचुक और पीछे उसके मस्त नितम्ब !
क्या करे बेचारा आदमी, पागल ना हो जाये और क्या करे !
मेरी रूपाली दीदी एक ऐसा पूरा पका हुआ फल थी जिसको चूसने में देरी करना महा अपराध था...
 मेरी रुपाली दीदी की दुधारू चूचियां चोली को  फाड़ देने के लिए बेताब हो रही थी...
 मेरी प्रियंका दीदी भी बिल्कुल मेरी रुपाली दीदी की तरह सजी हुई थी... बस चुचियों का फर्क था... वरना मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी तो जुड़वा लग रही थी...
 मेरी चंदा भाभी नीले रंग की लहंगा चोली में अपनी 40 साइज की चुचियों को किसी तरह से दबा के  उछलते हुई हिरनी बनी हुई थी... सबके मन में बेहद उमंग था... सबके चेहरे पर खुशी दिखाई दे रही थी...
 मैंने भी एक नया कुर्ता पजामा पहन लिया था... और मेले में जाने के लिए तैयार हो गया था... मेरे सभी दोस्त आ गए थे.... राजू ,बिल्लू,  मुन्ना , यह सब मेरे दोस्त हैं... जिनके साथ में मेला देखने के लिए निकल पड़ा था..
 महिलाओं की टोली अलग चल रही थी... जिसमें मेरी बहने ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी... गांव की सारी लड़कियां और औरतें मेरी रूपाली दीदी को छेड़ रही थी.... चंदा भाभी उनका साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..

 दूसरी तरफ  गांव की जवान मर्द जिनमें  दिनेश ,रवि, मेरे होने  वाले जीजू( अजय), और उनके साथियों की टोली चल रही थी...
 सब लोग मस्ती में थे..
 कुछ ही देर में हम लोग मेले के अंदर पहुंच चुके थे और वहां की भीड़ में खोने लगे थे.....
 भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहां पर है... लेकिन एक बात जो मुझे सबसे ज्यादा  परेशान कर रही थी वह यह  थी कि पूरे रास्ते मेरी रूपाली दीदी और मेरे दोस्त बिल्लू के बीच में नैन मटक्का चल रहा था... दोनों अपनी आंखों से एक दूसरे को ना जाने क्या इशारा कर रहे हैं... मुझे शक होने लगा था कि मेरी रूपाली दीदी और   बिल्लू के  बीच कुछ ना कुछ तो पक रहा है...
 मेले की भीड़ में मैं खो गया था.... और अपनी बहनों को ढूंढने की कोशिश कर रहा था.
 मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
 मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई  देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
 यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
 मेरी  प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र  के ही लग रहे थे.

 मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
 मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई  देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
 यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
 मेरी  प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र  के ही लग रहे थे.



 मेरी प्रियंका दीदी भी कुछ ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी... उनको अच्छी तरह पता था इस मेले में ऐसा तो होता ही है... मेरी दीदी हर साल इस मेले में आ रही थी... वह चारों लड़के मेरी प्रियंका दीदी को नोच रहे थे हर तरफ से... पर उन्होंने कपड़ा नहीं खोला था मेरी बहन का... यह देखकर मेरे मन में थोड़ी संतुष्टि हुई...
 दूसरी तरफ मेरी चंदा भाभी खुद ही भीड़ के अंदर घुस गई थी... और सारे मर्द मेरी चंदा भाभी को चूम रहे थे चाट रहे थे...  एक लड़के ने  उनकी चोली को ऊपर उठा कर उनका चूची मुंह में ले लिया था चूसने  लगा था...
 भरे मेले में मेरी  चंदा भाभी की चोली खुलने लगी थी...
 पीछे से किसी ने उनका लहंगा उठा दिया था.... और चड्डी के ऊपर से उन की  कमर को थाम के उनकी ठुकाई कर रहा था...
 मेरी चंदा भाभी की चूची ऊपर न जाने कितने मर्द अपना हाथ साफ कर रहे थे मुंह में भी  लेकर चूसने लगे थे.... मेरी भाभी को कोई एतराज नहीं था...

 मेरी चंदा भाभी मदमस्त हो चुकी थी मर्दों की भीड़ में... उस भीड़ भाड़ में खुद को न्योछावर कर के मेरी चंदा भाभी मजे ले रही थी...
 वह चार नौजवान लड़के जो मेरी प्रियंका दीदी के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे... वह मेरी दीदी को हाथ पकड़े हुए उनको मेले से बाहर ले जा रहे थे गन्ने के खेत में... मेरी दीदी भी उनका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उनके साथ जा रही थी....
 लेकिन मुझे मेरी रुपाली दीदी दिखाई नहीं दे रही थी... जो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात थी.... इंस्पेक्टर हरिलाल को  रिपोर्ट जो करना था...
 काफी देर मेले में इधर-उधर भटकने के बाद मुझे मेरे रूपाली दीदी एक चूड़ी की दुकान पर खड़ी हुई दिखाई दी.... लेकिन हैरानी की बात यह थी कि मेरा दोस्त  बिल्लू ठीक मेरी बहन के पीछे खड़ा था... उसका लौड़ा उसके पजामे में तना हुआ था और मेरी रूपाली दीदी की गांड पर दस्तक देने वाला था... यह दे दृश्य देखकर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ मगर मैंने अपने आप पर काबू रखा..

 मेरी रूपाली  दीदी दुकान पर खड़ी हुई कांच की चूड़ियां खरीदने का प्रयास कर रही थी... और पीछे से बिल्लू लहंगे के ऊपर से ही मेरी बहन की गांड के ऊपर अपने खड़े लंड से ठोकर लगा रहा था..
 चूड़ी वाले को भी देखकर अजीब लग रहा था कि वह मेरी बहन के साथ ऐसा क्यों कर रहा है....
 मेरी दीदी ने भी पीछे हाथ करके बिल्लू को इशारा किया कि वह ऐसा ना करें सबके सामने..... लेकिन बिल्लू मान नहीं रहा था.... वह मेरी बहन की गांड के ऊपर दबाव बनाते  जा रहा था.
 मेरी दीदी कसमसा रही थी.... 
 अचानक एक भीड़ का ठेला आया और मैं मेले की भीड़ में गुम हो गया.. मैं यहां वहां अपनी रूपाली दीदी को ढूंढता रहा.... लेकिन मेरी दीदी मुझे दिखाई नहीं दी.... मैंने उस मेले का हर कोना छान मारा लेकिन मेरी रूपाली दीदी गायब थी... और मुझे बिल्लू भी दिखाई नहीं दे रहा था...
 मैं परेशान तकरीबन 30 मिनट तक मेरी  रूपाली दीदी को ढूंढता रहा मेले में हर दुकान पर... ना तो मुझे रूपाली दीदी दिखाई दी और ना ही मेरा दोस्त बिल्लू... मेरे मन का यकीन में बदल चुका था... दोनों के बीच जरूर कोई सांठगांठ है.... मैं मेले से बाहर निकल कर आ गया... और एक पुल के ऊपर बैठकर सोचने लगा था... सामने गन्ने का खेत था... जिसमें गांव के युवक और युवती  एक दूसरे का हाथ पकड़ कर जा रहे थे... मुझे पूरा यकीन था कि मेरी  प्रियंका दीदी और मेरी चंदा भाभी भी इन्हीं  गन्ने के खेत में मर्दों के साथ रंगरेलियां मना रही  होगी..... लेकिन मेरी रूपाली दीदी... बिल्लू आखिर मेरी रूपाली दीदी को किस जगह पर ले गया होगा..

 मेरे दिमाग में एक बिजली सी  दौड़ गई... गन्ने के खेतों के पीछे एक पुराना खंडहर था.... जहां पर मैं और बिल्लू अक्सर रात में जाया करते थे... मुझे समझ में आ चुका था कि मेरी रूपाली दीदी बिल्लू के साथ कहां पर होगी....

 गन्ने का खेत पार करने के दौरान मैंने अपने गांव की कई लड़कियों को नीचे  बिछे हुए देखा.... जिन लड़कियों को मैं गांव में दीदी बोलता था वह गन्ने के खेत में टांग पसारे हुए लेटी हुई थी... और अनजान मर्द उनकी कस के ठुकाई कर रहे थे... मैंने कोई  परवाह नहीं की..
 मैं खंडहर के पास पहुंच गया था... वह एक पुराना खंडहर था.... भूत प्रेत की वजह से वहां पर कोई भी नहीं जाता था... इतने सारे टूटे-फूटे कमरे बने हुए थे वहां पर... मैं बारी-बारी से हर कमरे के अंदर झांक कर देखने की कोशिश करने लगा...
 एक कमरे के अंदर से मुझे मेरे रुपाली दीदी की आवाज सुनाई देने लगी.

 सिसकती हुई  मेरी बहन की आवाज...
 मैंने जो करना हो कर उस कमरे के अंदर झांका तो अंदर का दृश्य ही अजीब था..... मेरे रूपाली दीदी की दोनों चूचियां चोली के बाहर झूल रही थी..... और बिल्लू मेरी बहन की  चूचियां के साथ खेल रहा है..

  वह मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीता हुआ दूसरी चूची को दबाता हुआ दूध निकाल रहा था....
 और मेरी दीदी आंखें बंद किए हुए सिसकारियां ले रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी बिल्लू की लप-लप आती  जीव काहे सास अपनी चुचियों पर पाकर बुरी तरह से मचल लगी थी..... मेरी रुपाली दीदी बिल्लू का सर अपने सीने से दबाए हुए उसको अपना दूध पिला रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी( सिसकते हुए कामुकता से): आअहह... बिल्लू... दांत से तो  मत काटो ना.... हमारा दूध पी लो.... जितना पीना है..
 बिल्लू चूची बदल बदल कर मेरी रूपाली दीदी का दूध पी रहा है.... और मेरी बहन भी उसको अपने सीने से  चिपका कर अपना दूध पिला रही थी.
 मेरी बहन की चूचियों का दूध खत्म नहीं हुआ था... लेकिन बिल्लू का पेट भर गया था.... मेरी रूपाली दीदी के निप्पल को अपने मुंह से निकाल कर वह बोला...
बिल्लू:  बहुत ही मीठा दूध है तेरा बहन की लोड़ी....
 चटकार लेता हुआ बिल्लू मेरी रूपाली दीदी की आंखों में देख रहा  था.
 मेरी रूपाली दीदी:  तुमने मेरा दूध तो पी लिया.. अब क्या चाहते हो बिल्लू......?
बिल्लू:  तेरे हरे भरे खेत की जुताई करना चाहता हूं... तेरी मुनिया में अपना मक्खन डालना चाहता हूं बहन की लोड़ी ...
 मेरी बहन नीचे लेट गई... अपना लहंगा उठा कर और अपनी चड्डी को नीचे सरका के टांगे फैलाए हुए मेरी दीदी उसको आमंत्रित करने लगी..
बिल्लू का लौड़ा तो पहले से ही फनफन आया हुआ था.
 उसने मेरी बहन की टांगों को और भी चौड़ा किया और फिर  मेरी दीदी के अंदर ठोक दिया... अपना  मुसल जैसा लोड़ा....
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Super update.... please update more
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(02-11-2021, 11:05 PM)babasandy Wrote: थानेदार साहब मुझे यह सब कुछ बता ही रहे थे कि हम लोग थाने पहुंच गए थे... अब वहां पर ज्यादा बातचीत करना संभव नहीं था...
 थानेदार साहब ने मेरी मम्मी को जेल से बाहर निकाला... और मुझे और मेरी मम्मी को अपनी जीप में बिठाकर बड़ी इज्जत से हमारे घर पर पहुंचा दिया... मेरी चंदा भाभी ने दरवाजा खोला था.... वह तुम मेरी मम्मी को गले लगा कर रोने लगी थी...
 थानेदार साहब मुझे एकांत में ले गए और बोले...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  देख सैंडी.. मैं बहुत खुश हूं तुम्हारे व्यवहार से... तुम्हारी दोनों बहनों ने ही खूब मजा दिया है मुझे... लेकिन मुझे भी कानून का फर्ज निभाना है.... क्या तुम मेरे लिए एक काम कर  सकते हो..
 मैं:  क्या थानेदार साहब मुझे क्या करना होगा...
 मैं  उत्सुक होकर पूछ रहा था....
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  यह केस बहुत ही ज्यादा पेचीदा हो चुका है... इसमें जुनैद का खूनी कोई भी हो सकता है... हमारे पास जो जानकारी है उसकी डिटेल में अभी तुम्हारे साथ शेयर नहीं कर सकता हूं...
 मैं:  मुझे क्या करना है सर... मैं कुछ भी कर सकता हूं अपने परिवार की रक्षा करने के लिए...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  मुझे पता है तुम बहुत अच्छे लड़के हो... तुमको बस अपनी रुपाली दीदी करना नजर रखनी है.. वह कहां जाती है.. किसके साथ मिलती है... किसके साथ फोन पर बात  करती है.. मुझे तुम्हारी दीदी की पल-पल की हरकत की जानकारी चाहिए..
 मैं:  लेकिन मेरी रूपाली दीदी की क्यों सर...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  अभी तो मैं तुम्हारे साथ पूरा डिटेल शेयर नहीं कर सकता हूं... तुम्हारी प्रियंका दीदी तो शरीफ है... इस बात का तो मुझे पूरी तरह से अंदाजा हो चुका है... मुझे शक है तुम्हारी रुपाली दीदी पर...

 मैं:  सर आप कैसी बात कर रहे हो... मेरी रूपाली दीदी तो बेहद शरीफ औरत है... वह भला किसी का मर्डर कैसे करेगी... जरूर आपको कुछ गलतफहमी हो रही है... सर प्लीज हमारे परिवार के ऊपर दया कीजिए..
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  सैंडी.... मैं एक सिक्युरिटी वाला हूं... अपने कर्तव्य का पालन करना मेरा धर्म है... मुझे विश्वास है तेरी रूपाली दीदी ने जुनैद का मर्डर नहीं किया है.... लेकिन कुछ ना कुछ कनेक्शन है जो मैं अभी तुम्हें नहीं बता सकता... मैं वादा करता हूं कि तुम्हारी दीदी ने अगर मर्डर किया भी होगा तो भी मैं तुम्हारे परिवार के ऊपर आंच नहीं आने दूंगा...
 मैं:  सर आप वादा करते हैं ना...
 इंस्पेक्टर हरिलाल:  हां मैं वादा करता हूं... बस तुम्हें एक काम करना है.. अपनी रुपाली दीदी के ऊपर नजर रखनी है.... उसके पल-पल की जानकारी मुझे चाहिए... मेरा मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लो...

 हम दोनों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर अपने मोबाइल में फीड कर लिया... और फिर इंस्पेक्टर साहब चले गए...
 मैं अपने घर में घुसा ...  हमारे परिवार का माहौल एक बार फिर से खुशनुमा हो चुका था.... सब लोग बेहद खुश दिख रहे थे... मेरी चंदा भाभी तो ऐसा लग रहा था आसमान में उड़ रही है... मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी भी खुश दिखाई दे रहे थे... उन दोनों की मेहनत से ही मेरी मम्मी आजाद हुई थी...
 मेरी मम्मी ने जब मुझसे पूछा कि  मुझे सिक्युरिटी वाले  गिरफ्तार करके क्यों ले गए थे.... तो मैंने उनको समझा दिया  किसी गुंडे का मर्डर हुआ था... और उसी चक्कर में उन लोगों ने आपको मर्डर करने वाली समझ लिया था... पूरी तरह से गलतफहमी की वजह से यह हुआ था..
सब कुछ ठीक है कोई समस्या नहीं है...
 सब लोग खुशी-खुशी अपने कमरों में सोने के लिए चले गए थे... क्योंकि रात भर कोई सोया तो था नहीं...
 अगले 2 दिन में हमारे घर का माहौल  नॉर्मल हो गया था... सब लोग हंसी-खुशी रह रहे थे... बस मैं चिंतित था....
 मैं घर में हर होने वाली घटना का जिक्र इंस्पेक्टर हरिलाल के साथ शेयर कर रहा था रात में... मेरी रूपाली  दीदी पिछले 2 दिनों में घर में ही थी... वह घर से बाहर गई ही नहीं थी.... इसीलिए ज्यादा कुछ बताने का था नहीं..
 इंस्पेक्टर साहब ने भी मुझे शाबाशी दी थी कि तू बहुत अच्छा काम कर रहा है...
 नवरात्रि का पहला दिन आ गया था...
 हमारे गांव में दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाई मनाई जाती है... बहुत बड़ा मेला लगता है हमारे गांव के बाहर में... जहां पर सिर्फ अगल बगल के गांव के लोग ही नहीं बल्कि दूर दूर से लोग आते हैं...

 दरअसल दुर्गा पूजा में पूरे 10 दिन तक हमारे गांव के ठीक बाहर ही मेला लगता था.... बहुत ही जबरदस्त मेला... इतनी भीड़ रहती थी  कुछ पता नहीं चलता था कि कौन कहां पर है..
 और आज मेले का पहला दिन था...
  मेरी रुपाली दीदी की शादी के बाद पहला मौका था उनके लिए इस मेले में फिर से शामिल होने के लिए... मेले में हजारों की संख्या में युवा मर्द और  शादीशुदा औरतें, कुंवारी कन्या अभी आती थी...
 औरतों के लिए यह मेला  अपने सौंदर्य प्रदर्शन और अपने अंग प्रदर्शन का एक बेहतरीन मौका था..... और मर्दों के लिए तो एक शानदार मौका जहां पर वह किसी भी लड़की या औरत के साथ छेड़खानी करने का या फिर पटाने का अवसर हो...
 शाम 5:00 बजे से ही मेरे घर में चहल पहल हो रही थी..
 मेले में जाने के लिए तैयारी हो रही थी...

 मेरी रूपाली दीदी लाल रंग के लहंगा और गुलाबी रंग की चोली में आज तो  कामदेवी बनी हुई थी.... उनकी शादी के बाद यह उनके लिए पहला अवसर था मेले में जाने का... अपने सीने पर हरा रंग का दुपट्टा लिए हुए मेरी रूपाली दीदी सज धज के पूरी तैयार हो चुकी थी... होठों पर लाल लाल लिपस्टिक, बालों में गजरा , आंखों में कजरा.... देख कर ऐसा लग रहा था जैसे मेरी रूपाली दीदी एक फटने वाला बम हो....
क्या उबलती, फ़ड़कती जवानी  ! गुलाबी, रेशमी त्वचा, गहरे भूरे रंग के घनेरे बाल, निखरता गोरा रंग !
फिगर ऐसी कि जोगी को भी भोगी बना डाले, बहुत ही सुन्दर पाँव, मुलायम और सुडौल, जिनको बार बार चूमने और चाटने का दिल करे !
मर्दों को चुनौती सी देते हुए सामने चूचुक और पीछे उसके मस्त नितम्ब !
क्या करे बेचारा आदमी, पागल ना हो जाये और क्या करे !
मेरी रूपाली दीदी एक ऐसा पूरा पका हुआ फल थी जिसको चूसने में देरी करना महा अपराध था...
 मेरी रुपाली दीदी की दुधारू चूचियां चोली को  फाड़ देने के लिए बेताब हो रही थी...
 मेरी प्रियंका दीदी भी बिल्कुल मेरी रुपाली दीदी की तरह सजी हुई थी... बस चुचियों का फर्क था... वरना मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी तो जुड़वा लग रही थी...
 मेरी चंदा भाभी नीले रंग की लहंगा चोली में अपनी 40 साइज की चुचियों को किसी तरह से दबा के  उछलते हुई हिरनी बनी हुई थी... सबके मन में बेहद उमंग था... सबके चेहरे पर खुशी दिखाई दे रही थी...
 मैंने भी एक नया कुर्ता पजामा पहन लिया था... और मेले में जाने के लिए तैयार हो गया था... मेरे सभी दोस्त आ गए थे.... राजू ,बिल्लू,  मुन्ना , यह सब मेरे दोस्त हैं... जिनके साथ में मेला देखने के लिए निकल पड़ा था..
 महिलाओं की टोली अलग चल रही थी... जिसमें मेरी बहने ही आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी... गांव की सारी लड़कियां और औरतें मेरी रूपाली दीदी को छेड़ रही थी.... चंदा भाभी उनका साथ देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी..

 दूसरी तरफ  गांव की जवान मर्द जिनमें  दिनेश ,रवि, मेरे होने  वाले जीजू( अजय), और उनके साथियों की टोली चल रही थी...
 सब लोग मस्ती में थे..
 कुछ ही देर में हम लोग मेले के अंदर पहुंच चुके थे और वहां की भीड़ में खोने लगे थे.....
 भीड़ इतनी ज्यादा थी कि कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि कौन कहां पर है... लेकिन एक बात जो मुझे सबसे ज्यादा  परेशान कर रही थी वह यह  थी कि पूरे रास्ते मेरी रूपाली दीदी और मेरे दोस्त बिल्लू के बीच में नैन मटक्का चल रहा था... दोनों अपनी आंखों से एक दूसरे को ना जाने क्या इशारा कर रहे हैं... मुझे शक होने लगा था कि मेरी रूपाली दीदी और   बिल्लू के  बीच कुछ ना कुछ तो पक रहा है...
 मेले की भीड़ में मैं खो गया था.... और अपनी बहनों को ढूंढने की कोशिश कर रहा था.
 मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
 मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई  देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
 यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
 मेरी  प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र  के ही लग रहे थे.

 मुझे ना तो मेरी बहने दिखाई दे रही थी ना ही मेरी चंदा भाभी... मेरे दोस्त भी मुझसे अलग हो चुके थे.. मैं एक चाट की दुकान के सामने जाकर खड़ा हो गया और स्टूल पर खड़ा होकर मेले में अपनी बहनों को ढूंढने लगा..
 मुझे मेरी प्रियंका दीदी दिखाई  देने लगी... चार आवारा लड़कों ने उनको घेर रखा था... कोई उनकी चोली को खींच रहा था तो कोई उनकी गांड को मसल रहा था.... मेरी दीदी तड़प रही थी लेकिन उन आवारा लड़कों ने मेरी बहन को खूब मसला....
 यह एक आम बात थी इस मेले में जो हर औरत के साथ होता था...
 मेरी  प्रियंका दीदी कुछ भी नहीं कर सकती थी इस हालत में.... मैं भी कुछ नहीं कर सकता था सिर्फ देखने के अलावा... जिन लड़कों ने मेरी प्रियंका दीदी को दबोच रखा था वह देखने में मेरी उम्र  के ही लग रहे थे.



 मेरी प्रियंका दीदी भी कुछ ज्यादा विरोध नहीं कर रही थी... उनको अच्छी तरह पता था इस मेले में ऐसा तो होता ही है... मेरी दीदी हर साल इस मेले में आ रही थी... वह चारों लड़के मेरी प्रियंका दीदी को नोच रहे थे हर तरफ से... पर उन्होंने कपड़ा नहीं खोला था मेरी बहन का... यह देखकर मेरे मन में थोड़ी संतुष्टि हुई...
 दूसरी तरफ मेरी चंदा भाभी खुद ही भीड़ के अंदर घुस गई थी... और सारे मर्द मेरी चंदा भाभी को चूम रहे थे चाट रहे थे...  एक लड़के ने  उनकी चोली को ऊपर उठा कर उनका चूची मुंह में ले लिया था चूसने  लगा था...
 भरे मेले में मेरी  चंदा भाभी की चोली खुलने लगी थी...
 पीछे से किसी ने उनका लहंगा उठा दिया था.... और चड्डी के ऊपर से उन की  कमर को थाम के उनकी ठुकाई कर रहा था...
 मेरी चंदा भाभी की चूची ऊपर न जाने कितने मर्द अपना हाथ साफ कर रहे थे मुंह में भी  लेकर चूसने लगे थे.... मेरी भाभी को कोई एतराज नहीं था...

 मेरी चंदा भाभी मदमस्त हो चुकी थी मर्दों की भीड़ में... उस भीड़ भाड़ में खुद को न्योछावर कर के मेरी चंदा भाभी मजे ले रही थी...
 वह चार नौजवान लड़के जो मेरी प्रियंका दीदी के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे... वह मेरी दीदी को हाथ पकड़े हुए उनको मेले से बाहर ले जा रहे थे गन्ने के खेत में... मेरी दीदी भी उनका विरोध नहीं कर रही थी बल्कि उनके साथ जा रही थी....
 लेकिन मुझे मेरी रुपाली दीदी दिखाई नहीं दे रही थी... जो मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात थी.... इंस्पेक्टर हरिलाल को  रिपोर्ट जो करना था...
 काफी देर मेले में इधर-उधर भटकने के बाद मुझे मेरे रूपाली दीदी एक चूड़ी की दुकान पर खड़ी हुई दिखाई दी.... लेकिन हैरानी की बात यह थी कि मेरा दोस्त  बिल्लू ठीक मेरी बहन के पीछे खड़ा था... उसका लौड़ा उसके पजामे में तना हुआ था और मेरी रूपाली दीदी की गांड पर दस्तक देने वाला था... यह दे दृश्य देखकर मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ मगर मैंने अपने आप पर काबू रखा..

 मेरी रूपाली  दीदी दुकान पर खड़ी हुई कांच की चूड़ियां खरीदने का प्रयास कर रही थी... और पीछे से बिल्लू लहंगे के ऊपर से ही मेरी बहन की गांड के ऊपर अपने खड़े लंड से ठोकर लगा रहा था..
 चूड़ी वाले को भी देखकर अजीब लग रहा था कि वह मेरी बहन के साथ ऐसा क्यों कर रहा है....
 मेरी दीदी ने भी पीछे हाथ करके बिल्लू को इशारा किया कि वह ऐसा ना करें सबके सामने..... लेकिन बिल्लू मान नहीं रहा था.... वह मेरी बहन की गांड के ऊपर दबाव बनाते  जा रहा था.
 मेरी दीदी कसमसा रही थी.... 
 अचानक एक भीड़ का ठेला आया और मैं मेले की भीड़ में गुम हो गया.. मैं यहां वहां अपनी रूपाली दीदी को ढूंढता रहा.... लेकिन मेरी दीदी मुझे दिखाई नहीं दी.... मैंने उस मेले का हर कोना छान मारा लेकिन मेरी रूपाली दीदी गायब थी... और मुझे बिल्लू भी दिखाई नहीं दे रहा था...
 मैं परेशान तकरीबन 30 मिनट तक मेरी  रूपाली दीदी को ढूंढता रहा मेले में हर दुकान पर... ना तो मुझे रूपाली दीदी दिखाई दी और ना ही मेरा दोस्त बिल्लू... मेरे मन का यकीन में बदल चुका था... दोनों के बीच जरूर कोई सांठगांठ है.... मैं मेले से बाहर निकल कर आ गया... और एक पुल के ऊपर बैठकर सोचने लगा था... सामने गन्ने का खेत था... जिसमें गांव के युवक और युवती  एक दूसरे का हाथ पकड़ कर जा रहे थे... मुझे पूरा यकीन था कि मेरी  प्रियंका दीदी और मेरी चंदा भाभी भी इन्हीं  गन्ने के खेत में मर्दों के साथ रंगरेलियां मना रही  होगी..... लेकिन मेरी रूपाली दीदी... बिल्लू आखिर मेरी रूपाली दीदी को किस जगह पर ले गया होगा..

 मेरे दिमाग में एक बिजली सी  दौड़ गई... गन्ने के खेतों के पीछे एक पुराना खंडहर था.... जहां पर मैं और बिल्लू अक्सर रात में जाया करते थे... मुझे समझ में आ चुका था कि मेरी रूपाली दीदी बिल्लू के साथ कहां पर होगी....

 गन्ने का खेत पार करने के दौरान मैंने अपने गांव की कई लड़कियों को नीचे  बिछे हुए देखा.... जिन लड़कियों को मैं गांव में दीदी बोलता था वह गन्ने के खेत में टांग पसारे हुए लेटी हुई थी... और अनजान मर्द उनकी कस के ठुकाई कर रहे थे... मैंने कोई  परवाह नहीं की..
 मैं खंडहर के पास पहुंच गया था... वह एक पुराना खंडहर था.... भूत प्रेत की वजह से वहां पर कोई भी नहीं जाता था... इतने सारे टूटे-फूटे कमरे बने हुए थे वहां पर... मैं बारी-बारी से हर कमरे के अंदर झांक कर देखने की कोशिश करने लगा...
 एक कमरे के अंदर से मुझे मेरे रुपाली दीदी की आवाज सुनाई देने लगी.

 सिसकती हुई  मेरी बहन की आवाज...
 मैंने जो करना हो कर उस कमरे के अंदर झांका तो अंदर का दृश्य ही अजीब था..... मेरे रूपाली दीदी की दोनों चूचियां चोली के बाहर झूल रही थी..... और बिल्लू मेरी बहन की  चूचियां के साथ खेल रहा है..

  वह मेरी रूपाली दीदी की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीता हुआ दूसरी चूची को दबाता हुआ दूध निकाल रहा था....
 और मेरी दीदी आंखें बंद किए हुए सिसकारियां ले रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी बिल्लू की लप-लप आती  जीव काहे सास अपनी चुचियों पर पाकर बुरी तरह से मचल लगी थी..... मेरी रुपाली दीदी बिल्लू का सर अपने सीने से दबाए हुए उसको अपना दूध पिला रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी( सिसकते हुए कामुकता से): आअहह... बिल्लू... दांत से तो  मत काटो ना.... हमारा दूध पी लो.... जितना पीना है..
 बिल्लू चूची बदल बदल कर मेरी रूपाली दीदी का दूध पी रहा है.... और मेरी बहन भी उसको अपने सीने से  चिपका कर अपना दूध पिला रही थी.
 मेरी बहन की चूचियों का दूध खत्म नहीं हुआ था... लेकिन बिल्लू का पेट भर गया था.... मेरी रूपाली दीदी के निप्पल को अपने मुंह से निकाल कर वह बोला...
बिल्लू:  बहुत ही मीठा दूध है तेरा बहन की लोड़ी....
 चटकार लेता हुआ बिल्लू मेरी रूपाली दीदी की आंखों में देख रहा  था.
 मेरी रूपाली दीदी:  तुमने मेरा दूध तो पी लिया.. अब क्या चाहते हो बिल्लू......?
बिल्लू:  तेरे हरे भरे खेत की जुताई करना चाहता हूं... तेरी मुनिया में अपना मक्खन डालना चाहता हूं बहन की लोड़ी ...
 मेरी बहन नीचे लेट गई... अपना लहंगा उठा कर और अपनी चड्डी को नीचे सरकार के टांगे फैलाए हुए मेरी दीदी उसको आमंत्रित करने लगी..
बिल्लू का लौड़ा तो पहले से ही फनफन आया हुआ था.
 उसने मेरी बहन की टांगों को और भी चौड़ा किया और फिर  मेरी दीदी के अंदर ठोक दिया... अपना  मुसल जैसा लोड़ा....

Kahani mei twist ab maza aayega ?
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Heart 
Wow bohat acha likh rhe ho mann khush ho giya apka likhne ka style sab writer se acha hai very good brother next update ka wait rahega
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वैसे तो देखने में बिल्लू एक दुबला पतला लड़का था लेकिन आज मुझे पता चला कि उसकी दोनों टांगों के बीच एक 9 इंच का काला मोटा अजगर है.. जो आज मेरे रूपाली दीदी की ठुकाई कर रहा है.. उसका लंड मेरी बहन की गुलाबी चुनमुनिया को चीरता हुआ आधा अंदर घुस चुका था....
 मेरी रूपाली दीदी:  आह मम्मी... मर गई रे... बिल्लू तेरा  औजार तो बहुत बड़ा है रे..
 बिल्लू:  चुप कर  साली रंडी.... ज्यादा नखरे मत दिखा.... मजे कर और मुझे भी मजे करने  दे....
 बोलते हुए उसने मेरी बहन की जबरदस्त ठुकाई शुरू कर दी थी... और मेरी रूपाली दीदी भी अपनी गांड उठा उठा दो उसका साथ देने लगी थी..
 दोनों के बीच एक भयंकर संभोग चल रहा था... दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे...
 वह मेरी रुपाली दीदी की पागलों की तरह ठुकाई करने लगा था.... मेरी बहन की गुलाबी चिकनी चुनमुनिया को अपने लोड़े से चौड़ा कर रहा है गहरा कर रहा था... बड़ी रफ्तार से धक्के लगा रहा था...
 मेरी रुपाली दीदी भी अपनी गांड उछाल उछाल के  उसको सहयोग देने का प्रयास कर रही थी...
 मेरी रूपाली दीदी की गांड के नीचे मिट्टी के ढेले पड़े हुए थे... मेरी बहन को मिट्टी के ढेले अपनी गांड पर  चुभन का एहसास दे रहे थे... शायद इसीलिए मेरी बहन अपनी गांड नीचे जमीन  पर नहीं टिक आ रही थी..
 लेकिन बिल्लू को तो कोई परवाह नहीं थी इस बात की... उसने अपनी रफ्तार और और अपनी ताकत से मिट्टी के ढेले तोड़ दिए थे और मेरी दीदी की गांड के नीचे की जमीन को समतल बना दिया था.......
 मेरी  रूपाली दीदी उसकी मर्दानगी के नीचे लेटी हुई उसकी दीवानी होती जा रही थी...
 मेरी बहन  बिल्लू की मर्दानगी की तारीफ करती हुई अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी.....
 मेरी रूपाली दीदी को बाहों में भर के वह जोर-जोर से ठाप लगा रहा था.  मेरी बहन दर्द और मजे के मारे ओफ़्फ़्फ़ उफ़्फ़्फ़ कर रही थी. कुछ देर बाद दीदी अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर गपागप लंड अन्दर करवाने लगी. और कह रही थी,
 "और जोर से राजा! और जोर से पूरा पेलो! और डालो अपना लंड!" 
 ब्लू ने पैंतरा बदल लिया था..... उसने अपना मुंह मेरी बहन की चूची से अलग कर लिया था... और मेरी रूपाली दीदी की दोनों कलाई को थाम के नीचे जमीन पर लगा दिया था... मेरी रूपाली दीदी के हाथों की चूड़ियां टूटने लगी थी... मेरी बहन भी  बेबस होकर हिरनी जैसी आंखों से उसकी आंखों में देखने लगी थी.... वह भी बड़े प्यार से और बड़े कामुक अंदाज में मेरी बहन की आंखों में देखता हुआ मेरी बहन का बैंड बजा रहा था.... मेरी रुपाली दीदी की ठुकाई कर रहा है...... दोनों में से कोई भी झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे... दोनों अपनी कामुकता की चरम सीमा पर  पहुंच चुके थे...

   बिल्लू:  साली रंडी... तेरे अंदर तो बहुत गर्मी है बहन चोद.... तेरा हिजड़ा पति तो तुझे कभी भी मजा नहीं देता होगा...
 मेरी रूपाली दीदी:  बिल्लू.... आआहह………….. मेरे पति की बात मत कर... उनका तो अभी खड़ा भी नहीं होता है...आआहह………….. मैं तो कोशिश करती हूं...
 बिल्लू:  तेरा पति नामर्द हो चुका है.... उसमें ताकत नहीं बची है तुझे अब और मजा देने का....
 मेरी रुपाली  दीदी:  तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो बिल्लू.. मेरा पति तो अब किसी काम का नहीं रह गया.... वह साला मुझे दूसरे मर्दों के पास ले जाता है... अपने दोस्तों के पास अपने बॉस के पास..... और फिर खुद सामने बैठ कर देखता है..... मैं क्या क्या बताऊं तुम्हें अपने पति के बारे में...
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Super update...... please update more
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[Image: IMG-20211104-WA0006.jpg]
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Meri wife aaj blouse silane ke liye Tailor ke pas ja rhi hai but shop renewing ke wajah se measurements footpath pe leta hai.. aur road ka kam chalu hai to construction worker bhut hai waha..aur dusre shop bhi hai Bhangar, Chai Wala, Desi Daru, Two Wheeler Puncture wahi line mein hai.

Wahape kya situation hogi jab wo Blouse silane jayegi jra details mein unsee link pr bata do.

https://unsee.cc/album#4S1o0Fn7Xcd6ie7u
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बिल्लू मेरी रूपाली दीदी  दीदी की चूत पर घमासन धक्के मारे जा रहा था.... उसके मोटे कठोर  देहाती लोड़े का भरपूर मजा मेरी बहन उठा रही थी... आज तक बहुत लोगों ने मेरी बहन की  बजाई थी.... मगर गवार देहाती बिल्लू कुछ अलग ही आनंद दे रहा था मेरी दीदी को...
 उसका अंदाज भी तो बेहद निराला था... बाकी मर्दों से बिल्कुल जुदा..
 साला बड़ी बेरहमी से मेरी बहन को घपाघप पेल रहा था...

 मेरी रूपाली दीदी: "हाय राजा! ज़रा जोर से चोदो और जोर से हाय!! चूचियां ज़रा कस कर दबाओ ना! हाय मै बस झड़ने वाली हूँ!!" 
और अपने चूतड़ों को धड़ाधड़ उपर नीचे पटक रही थी...
बिल्लू:  साली रंडी.... तू तो बहुत बड़ी कमीनी चीज है.... तेरे लिए मैंने क्या-क्या नहीं किया.... आज तेरी फाड़ के रख दूंगा... मादरजात...

 मेरी रूपाली दीदी: "हाय मै गयी राजा!" कह कर उन्होने दोनो हाथ फैला दिये.
तभी वह भी मेरी बहन की चूचियां पकड़ कर गाल काटते हुए बोला, "मज़ा आ गया मेरी जान!" और उसने भी अपना पानी छोड़ दिया.... मेरी बहन की हालत खराब हो चुकी थी...
 मेरा दोस्त बिल्लू पसीने पसीने हो गया था... अपना बाजार मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी  क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद वाह उनके बगल में ही  लेट गया और लंबी लंबी सांसे लेने लगा...
 मेरी रूपाली दीदी भी अपनी टांगे फैलाए हुए गहरी गहरी और लंबी लंबी सांसे ले रही थी... मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी  चुनमुनिया से टपकता हुआ सफेद रस उनकी गांड के छेद तक पहुंच रहा था....
 मेरी रूपाली दीदी बेबस और बेसुध लग रही थी.... एक बहुत ही जबरदस्त ठुकाई हुई थी मेरी बहन की...
 तकरीबन 10 मिनट तक दोनों उसी अवस्था में अपने आप को संतुलित करने का प्रयास कर रहे थे... फिर मेरी रूपाली दीदी लड़खड़ाते हुए उठ कर खड़ी हो गई... और उस खंडार में अपने कपड़े ढूंढने का प्रयास करने  लगी ...
बिल्लू ने जब देखा कि मेरी बहन अपने कपड़े पहन रही है तो वह भी उठ कर खड़ा हो गया और खुद को बिल्कुल नंगा कर लिया... उसने एक बार फिर से मेरी दीदी का हाथ पकड़ लिया...
बिल्लू:  साली अभी कहां चल दी... अभी तो बहुत कुछ करना बाकी है... आज की रात तुझे इतनी आसानी से जाने नहीं दूंगा... तेरी गांड भी मारूंगा बहन की लोड़ी...
 मेरी रुपाली  दीदी:  हां मैं तुम्हारी बात मानती हूं... ठीक है तुम मेरी गांड भी मार लेना... लेकिन अभी मुझे जाने दो... वरना सभी को शक हो... जाएगा सोचो अगर मेरा भाई मुझे ढूंढता हुआ यहां आ गया तो क्या  गजब हो जाएगा...
बिल्लू:  क्या गजब हो जाएगा बहन की लोड़ी... तेरा गांडू भाई तो खुद ही तुझे लेकर जाता है दूसरे मर्दों के पास... अगर वह देख भी लेगा तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा... वह मेरा दोस्त है और मुझे अच्छी तरह पता है उसके बारे में...
 मेरी रूपाली दीदी:  फिर भी... कुछ तो शर्म करो... सब लोग मेले में मेरा इंतजार कर रहे होंगे... मुझे जाना ही होगा...
बिल्लू:  चुप साली रंडी .... आज तो मैं अपनी मनमानी कर लूंगा...  अगर नखरे दिखाएगी ...जबरदस्ती तेरी गांड मारूंगा..
 बोलते हुए उसने मेरी रूपाली दीदी की कपड़े खींच लिय और मेरी बहन को पूरी तरह से नंगा कर दिया... और वह खुद भी नंगा हो गया...
बिल्लू का लोड़ा फिर से लोहे की तरह सख्त हो गया था... उसने वहीं जमीन पर मेरी बहन को घोड़ी बनाया... और मेरी रूपाली दीदी कब बाल पकड़कर पीछे से अपना लोड़ा मेरी दीदी की  बड़ी गांड  के छोटे से छेद में अटका दिया और एक जबरदस्त झटका मारा...
 उसका आधा लौड़ा मेरी रुपाली दीदी की गांड में जाकर फस गया था...

 मेरी रूपाली  दीदी : "उइइइ माँ मै मरी!" हाय दैया.....
  उसने मेरी दीदी की  दर्द भरी चीख सुनने के बाद भी कोई परवाह नहीं की और दूसरा ठाप भी मारा कि उसका पूरा लंड अन्दर घुस गया...
 उसने अपना पूरा का पूरा औजार मेरी  बहन की गांड में ठोक दिया था..
 मेरी रूपाली दीदी:  बिल्लू...  मर गई रे मां...उईई माँ!! अरे ज़ालिम क्या कर कर रहा है? थोड़ा धीरे से कर" .....कहती ही रह गयी और वह इंजन के पिस्टन की तरह  मेरी बहन की गांड के छेद को बड़ा करने लगा...
 घपा घप वह मेरी दीदी की गांड मार रहा था...
 मेरी रूपाली दीदी अपने दोनों हाथ जमीन पर टिकाया हुए घोड़ी बनी हुई थी... और मेरा कमीना दोस्त पूरी बेरहमी के साथ मेरी दीदी की गांड मार रहा था..... उसका देहाती काला  लोड़ा मेरी दीदी की गांड को  चीरते हुए धज्जियां उड़ा रहा था.... उसने चिथड़े बना  दीय मेरी दीदी की गांड को चोद चोद कर...
बिल्लू मेरी रूपाली दीदी की गांड की ऐसी ठुकाई कर रहा था जैसा आज तक किसी मर्द ने  नहीं किया था... बिना किसी  उत्तेजक गोली को  खाकर... एक देहाती लड़के के शानदार औजार में कितनी ताकत होती है इसका एहसास आज पहली बार मेरी रुपाली दीदी को अपनी गांड में महसूस हो रहा था...
 कुछ देर में ही मेरी बहन  मस्त हो गई थी...   इस मजे का एहसास मेरी रूपाली दीदी को पागल बना रहा था... और परिणाम स्वरूप मेरी दीदी एक बार फिर  झड़ गई.
 लेकिन बिल्लू तो झड़ने का नाम नहीं ले रहा था..... उसका लौड़ा अभी भी लोहे की सरिया की तरह सख्त था... और मेरी दीदी की गांड  मारने में लगा हुआ था...
 मेरी रूपाली दीदी ने पीछे मुड़कर उसकी तरफ देखा... वह तो आंखें बंद किए हुए किसी योगी की तरह लगा हुआ था अपने काम में..
 मेरी रूपाली दीदी:  मेरी आंखों में देखो ना बिल्लू...
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Super update... please update more
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Mast update di hai bhai but bohat choti update di hai mann nhi bhara...bhai ganne ke khet priyanka didi ke kya haal hai wah ka haal bhi dikha do
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बिल्ललू मेरी रूपाली दीदी की आंखों में देखने लगा.. उनकी आंखों में देख कर उसके अंदर का जानवर जाग गया और वह पूरी रफ्तार से मेरी बहन की गांड  चोदने लगा था.... एक भाई होने के नाते मुझसे देखा नहीं जा रहा था, मेरा अपना दोस्त ही मेरी बहन की गांड का चबूतरा बनाने पर तुला हुआ था... मैं वहां से हट गया और मेले की तरफ जाने लगा... मेरी आंखों में आंसू थे और मेरे मन में निराशा भरी हुई थी.. खेतों के रास्ते होते हुए जब मैं मेले की तरह पहुंचा तब मुझे मेरी प्रियंका दीदी खेतों से बाहर निकलती हुई दिखाई दी... उनके पीछे पीछे चार  लड़के भी खेतों से बाहर निकले, जिनको मैं नहीं जानता था... शायद यह लड़के दूसरे गांव से थे..
 पीछे से वह लड़के मेरी प्रियंका दीदी की गांड को बार बार दबा रहे थे.. मेरी दीदी  उनको ऐसा करने से मना कर रही थी लेकिन वह लोग मानने के लिए तैयार नहीं थे... एक लड़का जो सबसे मजबूत था और उन सब का  नेता लग रहा  था, उसने तो मेरी प्रियंका दीदी को खेतों से बाहर निकलने से पहले पीछे से अपनी बाहों में दबोच लिया और दोनों चूचियों को अपने हाथों से मर्दन करते हुए पूछने लगा था..
 वह लड़का:  कल फिर आएगी ना मेरी रानी..
 मेरी प्रियंका दीदी(  मचलते हुए):  दैया रे दैया... मार डालोगे क्या... मेरी चुचियों  को उखाड़ लोगे क्या... धीरे करो ना... मुझे अब मेले में जाना होगा... सब लोग हमारा इंतजार कर रहे होंगे...
 वह लड़का:  चल ठीक है बहन की लोड़ी.. अपना नंबर तो दे दे मुझे.. कल फोन करूंगा तुझे.. समझ गई ना..

 जब तक मेरी बहन ने नंबर नहीं दिया तब तक वह लड़का मेरी दीदी को मसलता दबाता रहा... थक हार कर  मेरी प्रियंका दीदी ने उसको अपना मोबाइल नंबर दे दिया.... फिर जाकर उन लोगों ने मेरी दीदी का पीछा छोड़ा... मेरी प्रियंका दीदी अब मेले में आ चुकी थी मैं भी उनके पीछे-पीछे घूम रहा था थोड़ी दूर ...
 मेरी चंदा भाभी का अता पता नहीं था... ना जाने वह मेले में कहां गुम हो गई थी.. मेरी प्रियंका दीदी के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी... उनके होठों पर लगा हुआ सूखा विर्य मैं साफ-साफ देख पा रहा था.. जाहिर है उन लड़कों ने मेरी बहन को बहुत चुस्वाया था अपना हथियार..
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Bhai itne din baad itni choti update...aap.ek.great writer story itni mast likh ho maza aa giya hai bas ek request hai update jaldi diya karo bhai
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Please update more
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Bhai update do regular
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सुबह के तकरीबन 3:00 बजने वाले थे... मेले में से रौनक खत्म होने लगी थी.. लोग अपने घरों की तरफ जाने की तैयारियां करने लगे थे और कुछ लोग तो जा भी रहे थे... मेरी प्रियंका दीदी एक दुकान के सामने स्टूल पर बैठी हुई तकरीबन 30 मिनट तक हम लोगों का इंतजार करती रही.. मैं तो वहीं पर उनसे कुछ दूरी पर खड़ा था चुप कर... मैं देखना चाहता था कि आखिर मेरी बहन क्या-क्या गुल खिलाती है मेले में...
 कुछ देर में मुझे मेरी चंदा भाभी आती हुई दिखाई देने लगी.. उनकी चाल भी बदली  लग रही थी.. चेहरे का सारा मेकअप बिगड़ा हुआ था.. बाल बिखरे हुए थे... जाहिर है वह भी गांव के किसी मर्द को लेकर खेतों में या झाड़ियों में गई हुई थी.. मौज मस्ती करने के लिए...
 मेरी चंदा भाभी प्रियंका दीदी के पास है.. और मुस्कुराकर पूछने  लगी..
 मेरी चंदा भाभी:  क्या हुआ ननद रानी... बड़ी उदास उदास अकेले बैठे हुई हो कोई मिला नहीं क्या..
 मेरी प्रियंका दीदी:   धत्  भाभी.... आप भी ना कुछ भी बोल देती हो... मैं भला क्यों किसी का इंतजार करूंगी..
 मेरी चंदा भाभी:  हाय मेरी ननद रानी... बड़ी भोली भाली बन रही हो... जैसे कुछ जानती ही नहीं हो... तुम्हारा यार अजय खेतों में चमेली के साथ लगा हुआ था... एक बार तो मुझे लगा था कि उसके नीचे तुम लेटी हुई हो.. लेकिन जब पास में जाकर  देखी  चमेली थी नीचे.. लगता है अजय और तुम्हारे बीच में कुछ अनबन हो गई है..
 मेरी भाभी ने मेरी बहन  को उकसाने का प्रयास किया..
 मेरी प्रियंका दीदी( मुंह फुला कर):  मुझे क्या मतलब भाभी... वह किसी के साथ भी अपना मुंह काला करें... मैं क्या जानू उसके बारे में... मुझे कोई मतलब नहीं उस इंसान से..
 मेरी चंदा भाभी:  हाय रे छलिया.... बड़ी  नखरे दिखाने लगी है तू तो.. वो तेरा होने वाला पति है... कुछ दिनों में तुझे ब्याह कर अपने घर ले जाएगा वह... और तुझे कोई मतलब नहीं कि वह किसके साथ कहां पर मुंह काला कर रहा है...
 मेरी चंदा  भाभी:  रूपाली मुझे दिखाई नहीं दे रही है... जब से मेले में आई थी तब से ही अलग-थलग घूम रही थी... तू देखी क्या उसको.
 मेरी प्रियंका दीदी:  नहीं भाभी... दीदी तो मुझे भी दिखाई नहीं दि... जब से  भीड़ हो गई थी मेले में... दीदी और बिल्लू को मैंने एक स्टॉल के ऊपर खड़ा हुआ देखा था... तब से दीदी  गायब है...
 मेरी चंदा भाभी:  तू ठीक बोल रही है मैंने भी देखा था... लगता है रुपाली और बिल्लू के बीच में कोई चक्कर है...
 मेरी प्रियंका दीदी:  ठीक है भाभी अब हम लोग घर चलते हैं... मम्मी हमारा इंतजार कर रही होगी...
 मेरी चंदा भाभी:  सुन एक बात तो बताना भूल ही गई मैं तुमको... मैं आज मुन्ना ठाकुर के साथ गई थी... तू तो जानती है ना उसको..
 मेरी प्रियंका दीदी:  हां जानती हूं भाभी.. पर आप उसके साथ कहां पर गई थी... मैंने तो सुना है वह आदमी नहीं घोड़ा है...
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