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पुरानी हिन्दी की मशहूर कहनियाँ
बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र 25 साल की थी और मैं बंगलौर में इंजीनियरिंग पढ़ रहा था। मैं पटियाला का रहने वाला हूँ। मेरे एक्जाम समाप्त हो गए थे तो कुछ दिनों की छुट्टियों में घर आया था। मेरी छोटी बहन कंचन की शादी कुछ ही दिन पहले हुई थी। मेरे जीजा पेशे से सैनेटरी वेयर के थोक विक्रेता थे, उन्होंने काफी पैसा कमा रखा था। कंचन की उम्र 22 साल की थी, वो हमारे पैतृक घर के पास ही रहते थे! उसकी जवानी पूरे शवाब पर थी, झक्क गोरा बदन और कंटीले नैन नक्श और भरे भरे गदराये बदन की मालकिन थी।

जब जीजा जी दुकान चले जाते थे तो मैं और कंचन दिन भर ऊपर बैठ कर गप्पें हांका करते थे। सच कहूँ तो वो मुझे अपना दोस्त मानती थी। बचपन से ही वो मेरे सामने बड़े ही सहज भाव से रहती थी, अपने कपड़े भी मेरे सामने ठीक से नहीं पहनती थी, उसके मुम्मे की आधी दरार हमेशा दिखती रहती थी, कभी कभी तो सेक्स की बात भी कर लेती थी। जब भी मुझे अकेली पाती थी तो हमेशा द्वीअर्थी बात बोलती थी, जैसे बछड़ा भी दूध देता है, तेरा डंडा कितना बड़ा है? तुझे स्पेशल दवा की जरुरत है, आदि !

दिन भर मेरे कालेज और बंगलौर के किस्से सुनती रहती थी। जब मेरे बंगलौर जाने के कुछ शेष रह गए तो एक दिन कंचन ने कहा- हम भी बंगलौर घूमने जाना चाहते हैं।

मैंने कहा- हाँ क्यों नहीं ! आप दोनों मेरे साथ ही इस शनिवार को चलिए, मैं आप दोनों को पूरी सैर करवा दूँगा।

कंचन ने अपनी इच्छा जीजा जी को बताई तो जीजा जी तुरंत मान गए। मैंने उसी समय इन्टरनेट से तीन टिकट एसी फर्स्ट क्लास में बुक करवा लिए। शनिवार को हमारी ट्रेन थी, शनिवार को सुबह हम तीनों ट्रेन से बंगलौर के लिए रवाना हुए। अगले दिन शाम सात बजे हम सभी बंगलौर पहुँच गए। मैंने उनको एक बढ़िया होटल में कमरा दिला दिया। उसके बाद मैं वापस अपने होस्टल आ गया। होस्टल आने पर पता चला कि कालेज के गैर शिक्षण कर्मचारी अपनी वेतनवृद्धि की मांग को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे हैं और इस दौरान कालेज बंद रहेगा। मेरे अधिकाँश मित्रों को यह बात पता चल गई थी इसलिए सिर्फ 25-30 प्रतिशत छात्र ही कालेज आये थे।

मैं अगले दिन करीब 11 बजे अपने जीजा जी के कमरे पर गया, वहाँ वे दोनों नाश्ता कर रहे थे। कंचन ने मेरे लिए भी नाश्ता लगा दिया। मैंने देखा कि जीजा जी कुछ परेशान हैं। पूछने पर पता चला कि जिस कम्पनी का उन्होंने फ्रेंचाइजी ले रखा है उस कम्पनी ने दुबई में जबरदस्त सेल ऑफ़र किया है, अब जीजा जी की परेशानी यह थी कि अगर वो वापस कंचन को पटियाला छोड़ने जाते और वहाँ से दुबई जाते तो तब तक सेल समाप्त हो जाती और अगर साथ में लेकर दुबई जा नहीं सकते थे क्योंकि कंचन का कोई पासपोर्ट वीजा था ही नहीं।

मैंने कहा- अगर आप दुबई जाना चाहते हैं तो आप चले जाएँ क्योंकि मेरा कालेज अभी एक सप्ताह बंद रह सकता है। मैं कंचन को या तो पटियाला पहुँचा दूँगा या फिर आपके वापस आने तक यहीं रहेगी। आप दुबई से यहाँ आ जाना और फिर घूम फिर कर कंचन के साथ वापस पटियाला चले जाना। जीजा जी को मेरा सुझाव पसंद आया। कंचन ने भी कहा- हाँ जी, आप बेफिक्र हो कर जाइए और वापस यहीं आइयेगा। तब तक भैया मुझे बंगलौर घुमा देगा। आपके साथ मैं दोबारा घूम कर वापस आपके साथ ही पटियाला जाऊँगी। जीजा जी को कंचन का यह सुझाव भी पसंद आया। लैपटॉप पर इन्टरनेट खोल कर देखा तो उसी दिन के दो बजे की फ्लाईट में सीट खाली थी। जीजा जी ने तुरंत सीट बुक की और हम तीनों एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े। दो बजे जीजा जी की फ्लाईट ने दुबई की राह पकड़ी और मैंने एवं कंचन ने बंगलौर बाज़ार की।

कंचन के साथ लंच किया, घूमते घूमते हम मल्टीप्लेक्स आ गए। शाम के सात बज गए थे, कंचन ने कहा- काफी महीनों से मल्टीप्लेक्स में सिनेमा नहीं देखा, आज देखूँगी। मैंने देखा कि कोई नई पिक्चर आई थी, इसलिए सारी टिकट बिक चुकी थी। उसके किसी हाल में कोई एडल्ट टाइप की इंग्लिश पिक्चर की हिंदी वर्सन लगी हुई है, फिल्म चार सप्ताह से चल रही थी इसलिए अब उसमें कोई भीड़ नहीं थी। मैंने दो टिकट सबसे कोने के लिए और हम हाल के अन्दर चले गए। मुझे सबसे ऊपर की कतार वाली सीट दी गई थी और उस पूरी कतार में दूसरा कोई भी नहीं था। हमारी कतार के पीछे सिर्फ दीवार थी, मैंने जानबूझ कर ऐसी सीट मांगी थी। मेरा आगे वाले तीन कतार के बाद कोने पर एक लड़का और लड़की अकेले थे, उस कतार में भी उसके अलावा कोई नहीं था। उससे अगली कतार में दूसरे कोने पर एक और जोड़ा था, इस तरह से उस समय 300 दर्शकों की क्षमता वाले हाल में सिर्फ 20-22 दर्शक रहे होंगे। पता नहीं इतने कम दर्शकों के लिए फिल्म क्यों लगा रखी थी।

कंचन मेरे दाहिने ओर बैठी, कंचन के दाहिने दीवार थी। तुरंत ही फिल्म चालू हो गई। फिल्म शुरू होने के तुरंत बाद ही मेरे बाद के चौथे कतार में बैठे लड़के एवं लड़की ने होठों से चूमाचाटी करना चालू कर दिया। हालांकि बंगलौर के सिनेमा घरों में इस तरह के नजारे आम बात हैं, हर शो में कुछ लड़के लड़की सिर्फ इसलिए ही आते हैं।

कंचन ने उस जोड़े की तरफ मुझे इशारा करके कहा- हाय देख तो भैया ! कैसे खुलेआम चूम रहे हैं। मैंने कहा- कंचन, यहाँ आधे से अधिक सिर्फ इसलिए ही आते हैं। सिनेमा हाल ऐसे काम के लिए बेस्ट हैं। तुम उस कोने पर बैठे उस जोड़े को तो देखो, वो भी यही काम कर रहे हैं। अभी तो सिर्फ एक दुसरे को किस कर रहे हैं, आगे देखना क्या क्या करते हैं। तुम ध्यान मत देना इन सब पर ! सब मस्ती करते हैं, यही तो जिन्दगी है।

कंचन- रवि तूने भी कभी मस्ती की या नहीं इस तरह से सिनेमा हाल में?

मैंने कहा- अभी तक तो नहीं की लेकिन अब के बाद पता नहीं !

तुरंत ही फिल्म में सेक्सी सीन आने शुरू हो गए, कंचन ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- हाय राम, रवि जरा देखो तो यह कैसी सिनेमा है।

मैंने कहा- कंचन, यह बंगलौर है, यहाँ सब इसी तरह की फिल्में लगती हैं, चुपचाप आराम से ऐसी फिल्मों के मज़े लो ! पटियाला में ये सब देखने को नहीं मिलेगा।

वो पूरी फिल्म सेक्स पर ही आधारित थी, कंचन अब गर्म हो रही थी, वो गर्म गर्म साँसें फेंक रही थी, उसका बदन ऐंठ रहा था, शायद वो पहली बार किसी हाल में एडल्ट फिल्म देख रही थी।

मैंने पूछा- क्यों कंचन? पहले कभी देखी है ऐसी मस्त फिल्म?

कंचन- नहीं रे ! कभी नहीं देखी।

मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके पीछे से ले जाकर उनके कंधे पर रख दिया। मैंने देखा कि कंचन अपने हाथ से अपनी चूत को साड़ी के ऊपर से सहला रही हैं, शायद सेक्सी सीन देख कर उसकी चूत गीली हो रही थी। मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, मैंने भी अपना बायाँ हाथ अपने लंड पर रख दिया। मैंने धीरे धीरे कंचन के पीठ पर हाथ फेरा, उन्होंने कुछ नहीं कहा, वो अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ रही थी। मैंने उसकी पीठ पर से हाथ फेरना छोड़ दाहिने हाथ से उनके गले को लपेटा और अपनी तरफ उसे खींचते हुए लाया। कंचन मेरी तरफ झुक गई।

मैंने पूछा- क्यों कंचन, मज़ा आ रहा है फिल्म देखने में?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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कंचन ने शर्माते हुए कहा- धत्त रवि! मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है।

मैंने कहा- क्यों ? इसमें शर्माना कैसा? तुम और जीजा जी तो ऐसा करते होंगे न? तेरे एक हाथ जहाँ हैं न उससे तो लगता है कि मज़े आ रहे हैं तुम्हें !

कंचन- हाय राम, बड़ा बेशर्म हो गया है तू रे बंगलौर में रह कर ! बड़ा देखता है यहाँ-वहाँ कि कहाँ हाथ हैं, कहाँ नहीं?

मैंने कंचन के कान को अपने मुँह के पास लाया और कहा- जानती हो कंचन? ऐसी फिल्म देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगता है।

कंचन ने अपने होंठ मेरे होंठों के पास लगभग सटाते हुए कहा- क्या होने लगता है?

मैंने अपने लंड को घिसते हुए कहा- वही, जो तुझे हो रहा है ! मन करता है कि यहीं निकाल दूँ !

कंचन- सिनेमा हाल में निकालते हो क्या?

मैंने- कई बार निकाला है, आज तुम हो इसलिए रुक गया हूँ।

कंचन- आज यहाँ मत निकाल, बाद में निकाल लेना।

थोड़ी देर में फिल्म की नायिका अपना मुम्मा मसलवा रही थी, हम दोनों और गर्म हो गए तो मैंने कंचन के कान में अपने होंठ सटा कर कहा- देख कंचन, साली का मुम्मा क्या मस्त हैं ! नहीं?

कंचन- ऐसा तो सबका होता हैं।

मैंने- तुम्हारा भी ऐसा ही है क्या?

कंचन- और नहीं तो क्या?

मैंने- तेरा मुम्मा छूकर देखूँ क्या?

कंचन- हाँ, छू कर देख ले।

मैंने अपना दाहिना हाथ से उसका मुम्मा पकड़ लिया और दबाने लगा। उन्होंने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और आराम से अपने मुम्में दबवाने लगी। मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उसके ब्लाउज के अन्दर डाल दिया, फिर ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनके बड़े बड़े मुम्में को मसलने लगा, वो मस्त हुई जा रही थी।

मैं- अपनी ब्लाउज खोल दो ना ! तब मज़े से दबाऊँगा।

उसने कहा- यहाँ?

मैंने कहा- और नहीं तो क्या? साड़ी से ढके रहना, यहाँ कोई नहीं देखने वाला।

वो भी गर्म हो चुकी थी, उन्होंने ब्लाउज खोल दिया, लगे हाथ ब्रा भी खोल दिया और अपने नंगे मुम्मों को अपनी साड़ी से ढक लिया। मैंने मज़े ले लेकर नंगे मुम्मों को सिनेमा हाल में ही दबाना चालू कर दिया।

मैं जो चाहता था वो मुझे करने दे रही थी, मुझे पूरी आजादी दे रखी थी। मैंने अपने बाएं हाथ से उनके बाएं हाथ को पकड़ा और उनके हाथ को अपने लंड पर रख दिया और धीरे से कहा- देखो ना ! कितना खड़ा हो गया है। कंचन ने मेरे लंड को जींस के ऊपर से दबाना चालू कर दिया।

अब मैंने देख लिया कि कंचन पूरी तरह से गर्म है तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज से निकाला और उसके पेट पर ले जाकर नाभि को सहलाने लगा, धीरे धीरे मैंने अपने हाथ को नुकीला बनाया और नाभि के नीचे उसकी साड़ी के अन्दर डाल दिया। कंचन थोड़ी चौड़ी हो गई जिससे मुझे हाथ और नीचे ले जाने में सहूलियत हो सके। मैंने अपना हाथ और नीचे किया तो उसकी पेंटी मिल गई, मैंने उसकी पेंटी में हाथ डाला और उनके चूत पर हाथ ले गया।

ओह क्या चूत थी ! एकदम घने बाल ! पूरी तरह से चिपचिपी हो गई थी। मैं काफी देर तक उसकी चूत को सहलाता रहा और वो मेरे लंड को दबा रही थी। मैंने अपने दाहिने हाथ की एक उंगली उसकी चूत के अन्दर घुसा दी। वो पागल सी हो गई।

उन्होंने आसपास देखा तो कोई भी हमारे पास नहीं था, उन्होंने अपनी साड़ी को नीचे से उठाया और जांघ के ऊपर तक ले आई, फिर मेरे हाथ को साड़ी के ऊपर से हटा कर नीचे से खुले हुए रास्ते से लाकर अपनी चूत पर रख कर बोली- र वि, अब आराम से कर, जो करना है।

अब मैं उसकी चूत को आराम से मसल रहा था, उन्होंने अपनी पेंटी को नीचे सरका दिया था। मैंने उसकी चूत में उंगली डालनी शुरू की तो उसने अपनी जांघें और चौड़ी कर ली।

उन्होंने मेरे कान में कहा- रवि तू भी अपनी जींस की पेंट खोल ना, मैं भी तेरा सहलाऊँ।

मैंने जींस की ज़िप खोल दी, लंड डण्डे की तरह खड़ा था, कंचन ने बिना किसी हिचक के मेरे लंड को पकड़ा और सहलाने लगी।मैं भी उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। वो सिसकारी भर रही थी। मेरा लंड भी एकदम चिपचिपा हो गया था।

मैंने कहा- कंचन, अब बर्दाश्त नहीं होता. अब मुझे मुठ मार कर माल निकालना ही पड़ेगा।

कंचन- रवि आज मैं मार देती हूँ तेरी मुठ ! मुझसे मुठ मरवाएगा?

मैंने कहा- तुम्हें आता है लंड की मुठ मारना?

कंचन- मुझे क्या नहीं आता? तेरे जीजा जी का लगभग हर रात को मुठ मारती हूँ। सिर्फ हाथ से ही नही… किसी और से भी..

मैंने कहा- किसी और से कैसे?

कंचन- तुझे नहीं पता कि लंड का मुठ मारने में हाथ के अलावा और किस चीज का इस्तेमाल होता है?

मैंने कहा- पता है मुझे ! मुंह से ना?

कंचन- रवि . तुझे तो सब पता है।

मैंने कहा- तुम जीजा जी का लंड अपने मुंह में लेकर चूसती हो?

कंचन- हाँ रे र वि, बड़ा मजा आता है मुझे और उनको !

मैंने कहा- तुम जीजा जी का माल भी पीती हो?

कंचन- बहुत बार ! एकदम नमकीन मक्खन की तरह लगता है।

मैंने- तुम तो बहुत एक्सपर्ट हो, मेरी भी मुठ मार दो आज अपने हाथों से ही सही !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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कंचन ने मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। सचमुच काफी एक्सपर्ट थी वो। कंचन सिनेमा हाल के अँधेरे में मेरी मुठ मारने लगी। पहली बार कोई महिला मेरी मुठ मार रही थी, मैं ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाया, धीरे से बोला- हाय कंचन, मेरा निकलने वाला है।

कंचन ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा, सारा माल मैंने कंचन की साड़ी में ही गिरा दिया।

फिर मैं कंचन की चूत में उंगली अन्दर बाहर करने लगा, कंचन भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई, उनका माल भी निकलने लगा, उन्होंने तुरंत अपनी चूत में से मेरी उंगली निकाली और साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला।

दो मिनट बाद अचानक बोली- भैया, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में !

मैंने कहा- क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है?

कंचन- नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे !

मैंने- क्या काम है मुझसे?

कंचन- वही जो अभी यहाँ कर रहे हो, वहाँ आराम से करेंगे।

मैंने कहा- ठीक है चलो।

और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए। हमारा होटल वहाँ से पांच मिनट की दूरी पर ही था। वहाँ से हम सीधे अपने कमरे में आ गये।

कमरे में आते ही कंचन ने अपनी साड़ी उतार फेंकी, लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी। अब मैं सिर्फ अंडरवीयर में था। कंचन ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया और पेटीकोट भी उतार दिया। अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी में और मैं सिर्फ अण्डरवीयर में था।

वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी, मेरे पूरे बदन को चूमने-चाटने लगी।

कंचन- र वि भैया, आ जा ! अब जो भी करना है आराम से कर ! मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है, मेरी प्यास बुझा दे, चीर डाल मुझे !

मैंने अपना अंडरवीयर खोल दिया, मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति कंचन की तरफ निशाना साधे खड़ा था। मैं आगे बढ़ा और अपना लंड अपनी प्यारी छोटी बहन के हाथों में थमा दिया।

कंचन मेरे लंड को सहलाने लगी, बोली- बाप रे बाप रवि भैय्या ! कितना बड़ा लंड है रे !

मैंने कंचन की चूचियों का दबाते हुए कहा- कंचन, तू बड़ी मस्त है ! जीजा जी को तो खूब मज़े देती होगी तू !

कंचन- तू भी ले न मज़े ! तू तो मेरा सगा भाई है, तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर ! अब से तू मेरा दूसरा खसम है !

मैंने- हाँ कंचन ! क्यों नहीं !

कंचन- हाय, रवि भैय्या , कितना अच्छा लगता है अपने बड़े भाई से ये सब करवाना, सच बता कितनियों को चोदा है तूने अब तक?

मैंने- अब तक एक भी नहीं कंचन डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा।

मैंने कंचन की ब्रा को खोला और मुम्मों को नंगा करके आज़ाद कर दिया। उसके मुम्में तो ऐसे थे कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों की रंडियों के मुम्में भी वैसे नहीं देखे थे, एकदम चिकने और गोरे, एक तिल का भी दाग नहीं था !

मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। कंचन सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने उसे लिटा लिया, उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसकी कच्छी पर आया, वो बिल्कुल गीली हो चुकी थी। मैं उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी फ़ुद्दी को चूसने लगा। कंचन पागल सी हो रही थी।

मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया। आह ! क्या शानदार चूत थी ! लगता ही नहीं था कि पिछले चार महीने से इसकी चुदाई हो रही थी ! गोरी गोरी चूत पर काली काली झांटें ! ऐसा लगता था चाँद पर बादल छा गए हों ! मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया, अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था। मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली और स्वाद लिया, फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता रहा।

कंचन जन्नत में थी, उसने अपनी दोनों टांगों से मेरे सर को लपेट लिया और अपनी चूत की तरफ दबाने लगी। दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसकी चूत से माल निकलने लगा। मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया। कंचन बेसुध होकर पड़ी थी, वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।

मैंने कहा- सच बता कंचन, जीजा जी से पहले कितनों से चुदवाया है तूने?

कंचन- तेरे जीजा जी से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे !

मैंने कहा- हाय, किस किस ने तुझे भोगा री?

कंचन- जब मैं स्कूल में थी तब स्कूल की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा। फिर जब मैं उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था, हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे, तब उसने मुझे वहाँ एक बार चोदा। एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे जीजा जी से हो गई।

मैंने- तब तो मैं चौथा मर्द हुआ तेरा न?

कंचन- हाँ रवि! लेकिन सब से प्यारा मर्द !

मैं उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होंठ को अपने होंठों में लिए और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कभी वो मेरी जीभ चूसती, कभी मैं उसकी जीभ चूसता। इस बीच मैंने उसके दोनों टांगों को फैलाया और उसकी चूत में उंगली डाल दी। कंचन ने मेरा लंड पकड़ा और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गई और हल्का सा घुसा दिया। अब शेष काम मेरा था, मैंने उसकी जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया।

वो दर्द में मारे बिलबिला गई।

बोली- अरे, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे !

लेकिन मैं जानता था कि यह कम रंडी नहीं है, इसे कुछ नहीं होगा, मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसकी चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए। वो कस कर अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था बल्कि उसकी चीखों में मुझे मजा आ रहा था।

70-75 धक्कों के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गई। अब उसकी चूत पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गई थी, अब वो मज़े लेने लगी। उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा- हाय रे मेरे दूसरे खसम, बड़ा जालिम है रे तू ! मुझे तो लगा मार ही डालेगा !

मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, मैं तुझे कैसे मार सकता हूँ रे ! तू तो अब मेरी जान बन गई है और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?

कंचन हंसने लगी. बोली- लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा ! मज़ा आ रहा है तुझसे चुदवा कर !

करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया, मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, माल निकलने वाला है।

कंचन- निकाल दे ना वहीं अन्दर !

अचानक मेरे लंड से माल की धार बहने लगी और मैंने पूरा जोर लगा कर कंचन की चूत में अपना लंड घुसा दिया। कंचन कराह उठी।

थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया, मेरा लंड उसकी चूत में ही था।

मैं उसके नंगे बदन पर से उठा, समय देखा तो नौ बजने को थे, मैंने पूछा- कंचन नहाएगी?

कंचन- हाँ रे, चल !
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैंने उसे अपनी गोद में उठाया, उसने भी हँसते हुए अपनी दोनों बाहें मेरे गले में लपेटी और हम दोनों बाथरूम में आ गए। वहाँ मैंने कंचन को बाथटब में डाल दिया, फिर शावर को टब की ओर घुमाया और चला दिया। अब नीचे भी पानी और ऊपर से भी पानी बरस रहा था। मैं कंचन के ऊपर लेट गया, अब हम ठण्डे पानी में एक दूसरे के आगोश में थे, मेरे होंठ उसके होंठों को चूम रहे थे। मेरा एक हाथ उसके मुम्मों से खेल रहा था, और दूसरा हाथ उसकी चूत के छेद में उंगली कर रहा था।

और वो भी खाली नहीं थी, वो मेरे लंड को दबा रही थी। दस मिनट तक ठण्डे पानी में एक दूसरे के बदन से खेलने के बाद हम दोनों का शरीर फिर गर्म हो गया, मैंने उसकी टांगों को टब के ऊपर रखा और अपने लंड को उसके सुराख में डाला और पानी में डूबे डूबे ही उसे 20 मिनट तक आराम से चोदता रहा। इस दौरान मेरे और उसके होंठ कभी अलग नहीं हुए।

अचानक मेरे लंड ने माल निकलना चालू किया तो मैं उसे चोदना छोड़ कर उसके चूत में लंड को पूरी ताकत के साथ दबाया और स्थिर हो गया और मेरे होंठों का दबाव उसके होंठों पर और ज्यादा बढ़ गया। जब मैं उसके होंठों को छोड़ा तो उसने कहा- कितनी देर तक चोदते हो, मेरी जान, तुम्हें पता है मेरा दो बार माल निकल चुका था इस चुदाई में ! मैं कब से कहना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे होठों पर भी अपने होंठों से ताला लगा दिया था।

मैंने कहा- कंचन डार्लिंग, सच बताना, कैसा लगा मेरे लंड का करिश्मा?

कंचन- रवि भैय्या , मानना पड़ेगा, सच में मज़ा आ गया मुझे तो आज ! अब चल कुछ खा पी लें ! अभी तो पूरी रात बाकी है।

मैंने बाथरूम के ही फोन पर से खाने के लिए चिकन, पुलाव, बियर और सिगरेट रूम में ही मंगवा लिया। थोड़ी देर में कमरे की घंटी बजी, मैं तौलिया लपेट कर बाहर आया और खाना मेज पर रखवा कर वेटर को वापस किया। कमरे का दरवाजा बंद करके मैंने कंचन को आवाज दी तो कंचन नंगी ही बाथरूम से बाहर आ गई। मैंने भी तौलिया खोल दिया। फिर हम दोनों ने जम कर चिकन-पुलाव खाया और बीयर पी। कंचन पहले भी बियर पीती थी, जीजा पिलाता था। मेरे कहने पर उसने उस दिन 3 सिगरेट भी पी ली। उसके बाद मैंने उसकी कम से कम 10-12 बार चुदाई की।

कभी उसकी चूत की चुदाई, तो कभी गांड की चुदाई, तो कभी मुँह की चुदाई, कभी चूची की चुदाई !

साली कंचन भी कम नहीं थी, एकदम रंडी की तरह रात भर चुदवाती रही, सारी रात मैंने उसे लूटा। सुबह के आठ बजे तक मैंने उसकी चुदाई की, तब जाकर कंचन को थकान हुई। तब बोली- भैया, अब मैं थक गई हूँ, अब बाथरूम चल ना !

हम दोनों लगभग एक घंटे तक टब में डूबे रहे और एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे। टब में एक बार उसकी चुदाई की।

फिर वापस कमरे में आकर नाश्ता मंगवाया और नाश्ता करके हम दोनों जो सोये तो सीधे पांच बजे उठे।

हम दोनों नंगे थे, उसने मेरे लंड पर हाथ साफ़ करना शुरू किया, लंड दूसरी पारी के लिए एकदम से तैयार हो गया। मैं कंचन के बदन पर चढ़ गया और उसके चूत में अपना नौ इंच का लंड घुसेड़ दिया।

तभी जीजा जी का फोन आया लेकिन मैंने कंचन की चुदाई बंद नहीं की, कंचन ने मुझसे चुदवाते हुए अपने खाविन्द यानि मेरे जीजा जी से बात की।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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उन्होंने कहा कि वो दुबई पहुँच गए हैं, फिर कंचन से पूछा कि क्या तुम राजू के साथ बंगलौर घूमी या नहीं।

कंचन ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फोन पर कहा- उसे फुर्सत ही नहीं मिलती है। जब आप आयेंगे तभी मैं आपके साथ घूमूंगी। तब तक आपका इंतज़ार करती हूँ।

फोन रख कर उसने बगल से सिगरेट उठाई और जला कर कश लेते हुए कहा- क्यों भैया? तब तक तुम मुझे जन्नत की सैर करवाओगे न?

मैंने हँसते हुए अपने लंड के धक्के उसके चूत में तेज किया और कहा- क्यों नहीं कंचन डार्लिंग ! लेकिन तू हैं बड़ी कमीनी चीज !

कंचन ने भी मेरे लंड के धक्के पर कराहते हुए मुस्कुरा कर कहा- तू भी तो कम हरामी नहीं है, पक्का बहनचोद है तू ! मैंने कहा- पक्की रंडी है तू साली ! एकदम सही पहचाना मुझे ! तुझ पर तो मेरी तभी से नजर थी जब से तू फ्रॉक पहन के घूमा करती थी। अब जाकर मौका मिला है तुझे चोदने का।

कंचन- हाय मेरे हरामी राजा, पहले क्यों नहीं बताया, इतने दिन तक तुझे प्यासा तो ना रहना पड़ता।

मैंने कहा- सब्र का फल मीठा होता है मेरी जान !

तब तक मेरे लंड का माल उसके चूत में निकल चुका था, अब मैं उसके बदन पर निढाल सा पड़ा था और वो सिगरेट के कश ले रही थी।

और फिर अगले 6 दिन तक हम दोनों में से कोई कमरे के बाहर भी नहीं निकला जब तक कि जीजा जी दुबई से वापस नहीं आ गए।

समाप्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मेरी बहन बनी भाई की लंड दीवानी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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. मेरा नाम स्वीटी चौहान है और मेरी उम्र 24 साल है। में उत्तरप्रदेश की रहने वाली हूँ और में एक स्कूल टीचर हूँ। यह स्टोरी मेरी और मेरे भाई की है। वैसे तो मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और में इस साईट पर बहुत समय से कहानियाँ पढ़ती आ रही हूँ। में अब अपनी कहानी पर आती हूँ..

दोस्तों बचपन से ही मेरा भाई मेरे पास रहता था और उसका मुझसे बेहद लगाव भी था और अभी भी है.. क्योंकि मुझे बहुत मुश्किल के बाद भाई मिला था। तो में उसका ख़याल भी बहुत रखती थी.. वो मेरे साथ सारा दिन रहता, मेरे साथ खाना ख़ाता और जब में स्कूल से आती तो वो मेरे साथ सोता भी था। मम्मी के पास नहीं जाता था और वो मेरे साथ ही गेम खेलता था और तो और में उसको नहलाती भी थी।

फिर धीरे धीरे वो बड़ा होने लगा था और उसका मुझसे लगाव भी बढ़ने लगा था। तो जब में कॉलेज में पहुंची.. तभी मुझे सेक्स के बारे में पता चला तो फिर क्या था? एक दिन में जब कॉलेज से घर पर आई तो मेरे दिमाग में वो सब सेक्स की बातें चल रही थी और अगले दिन में अपनी एक दोस्त के घर पर गई। तो वो कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रही थी.. तो जब मैंने उससे पूछा कि तू यह क्या कर रही है? तो उसने मुझे कुछ नहीं बताया और फिर मैंने उससे कॉलेज वाली सेक्स की बात पूछी। तो उसने मुझे बहुत से फोटो दिखाए जिसमे वो गोद में बैठकर लंड पर कैसे उछल रही थी। फिर उसने लंड मुहं में लिया तो में देखकर दंग रह गई.. उसने लंड को पूरा मुहं में लिया और बड़े मजे से उसे चूस रही थी। तो मेरी चूत से भी पानी आने लगा था और यह सब देखकर मेरे जिस्म में तो आग सी लगने लगी थी और अब मेरी चूत भी एक बड़ा सा लंड मांग रही थी और फिर जब मेरी दोस्त ने कहा कि वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ भी ऐसे ही सेक्स करती है।

फिर में तो जैसे पागल ही हो गई थी और बस मेरा दिमाग कह रहा था कि मुझे भी चुदना है लंड लेना है मुहं में.. लेकिन कैसे? मेरा तो कोई बॉयफ्रेंड भी तो नहीं है जिसके साथ में भी सेक्स कर सकती।

फिर मेरी दोस्त ने मुझे वो ब्लू फिल्म दे दी और मैंने घर जाकर ब्लू फिल्म देखी कि तभी मेरा भाई जो अब 19 साल का हो गया था.. वो अचानक से आ गया। तो मैंने जल्दी से ब्लू फिल्म हटा दी.. लेकिन वो मेरे पीछे पड़ गया और कहने लगा कि तुम क्या देख रही हो? फिर मैंने कहा कि कुछ नहीं देख रही.. लेकिन वो नहीं माना और में सीडी निकालना भूल गई थी और रूम से बाहर आ गई थी.. फिर क्या था?

मेरे भाई ने सीडी देख ली.. लेकिन मुझे यह बात नहीं पता थी कि मेरे भाई ने वो ब्लू फिल्म देख ली है फिर वो ब्लू फिल्म में पूरी नहीं देख पाई थी तो में रात को सोने से पहले ब्लू फिल्म देखने लगी। वाह क्या ब्लू फिल्म थी? उसमे उस लड़की को पहले एक ने चोदा.. फिर उसे तीन तीन लड़को ने चोदा.. लेकिन उसने तीन लंड कैसे लिए होंगे में तो सोच सोचकर पागल हुई जा रही थी और लाईट बंद करके बेड पर सोने चली गई.. लेकिन उसने तीन लंड के वो सीन मुझे सोने नहीं दे रहे थे और उधर भाई भी करवटे बदल रहा था।

फिर मैंने भाई से पूछा कि क्या हुआ? तो उसने मुझे कुछ नहीं बताया और मेरे एकदम गले लग गया और उसका लंड मेरी चूत से टच हुआ तो मेरी साँसे थम गई.. उसका लंड 8 इंच का था वो मेरे पास खाली अंडरवियर पहने हुए लेटा था फिर मेरे पास पहली बार वो ऐसे ही लेटा था और फिर वो मुझे किस करने लगा.. लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था यह सब क्या हो रहा है?

मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था और सोचने समझने की जैसे सारी शक्ति खत्म हो गई हो। फिर थोड़ी देर बाद मैंने भाई से कहा कि तुझे क्या हो गया था? तो वो बोला कि दीदी आप बहुत अच्छी हो मुझे प्यार करना है जैसे उस ब्लू फिल्म में वो लड़का कर रहा था.. दीदी बस एक बार किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.. लेकिन मैंने उसे डांट दिया। उस टाईम मन तो मेरा भी बहुत हो रहा था.. लेकिन में बहुत डर गई थी कि किसी को पता चलेगा तो कोई क्या कहेगा?

फिर में पूरी रात जागती रही और सोचती रही कि मेरा भाई पहली बार मुझसे नाराज़ होकर बाहर हॉल में लेट गया है। फिर सुबह वो जब बाथरूम में नहाने गया तो में भी उसके पीछे गई उसको नहलाने के लिए तो वो मना करने लगा कि आप मत आओ बाथरूम में.. लेकिन जब मैंने ज़िद की तब उसने कहा कि अगर आप मुझे नहलाओगे तो मेरे लंड को भी साफ करोंगे और मुझे बिल्कुल नंगा करके नहलाओगे।

तो मैंने कहा कि ठीक है और में बाथरूम में घुस गई और उसने मुझसे अपना अंडरवियर उतरवाया तो मैंने उसका अंडरवियर उतार दिया और उसका लंड एकदम से खड़ा था और में उसे देखकर बहुत चकित थी.. उसका 2 इंच मोटा 7 इंच लंबा लंड था। लंड को देखकर मेरी चूत भी पागल हो गई और अब तो लग रहता था कि जैसे भाई बस अब मुझे चोद दे.. लेकिन मैंने खुद पर बहुत कंट्रोल किया और उसको नहलाने लगी.. भाई मेरा चेहरा और बूब्स देखता रहा और आज तक मुझे इस तरह से भाई ने कभी नहीं देखा था मेरे बूब्स भी सूट से निकल रहे थे और वो मेरे बूब्स को घूर घूरकर देख रहा था। फिर उसने एक हाथ मेरे बूब्स पर रखा और मुझसे बोला कि दीदी आप बहुत सेक्सी हो और आपके बूब्स उससे भी ज्यादा सेक्सी है.. क्या फिगर है आपका 34-28-36?

फिर वो बोला कि दीदी क्या आपका कभी भी मन नहीं करता है सेक्स के लिए? तो मैंने कहा कि हाँ करता तो है। तो दीदी प्लीज मेरे साथ एक बार सेक्स करो ना। तो मैंने कहा कि यह ठीक नहीं है तू भाई है मेरा।

तो वो बोला कि दीदी सेक्स में भैया शैया कुछ नहीं होता है सेक्स में सिर्फ़ मज़ा देखा जाता है। तो मैंने कहा कि तुझे इतना सब कैसे पता है? तो वो बोला कि दीदी मुझे मेरे दोस्तों ने बताया है और में तो रोज ब्लू फिल्म भी देखता हूँ.. अपने दोस्तों के साथ और मेरे दोस्त तो सेक्स भी करते है.. अपनी अपनी गर्लफ्रेंड से और कुछ अपनी बहन से भी और में तो पहले बहुत डरता था.. लेकिन जब उस दिन मैंने आपको ब्लू फिल्म देखते देखा तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. लेकिन आप तो उस रात नहीं मानी और ना आज सेक्स के लिए मान रही हो।

दीदी प्लीज किसी को कुछ नहीं पता चलेगा में कह तो रहा हूँ.. बस एक बार दीदी आप मेरे साथ सेक्स कर लो। फिर में चुपचाप खड़ी सुनती रही और उसके लंड को पकड़ कर सहलाती रही और वो बोलता रहा। तो मैंने कहा कि ठीक है.. आज रात देखते है। तो वो बोला कि दीदी देखते नहीं आज रात पक्का सेक्स करेंगे। दीदी में आपका इंतजार करूंगा.. दीदी आप तैयार रहना और दीदी में आपको बहुत अच्छे से चोदूंगा.. आपको मेरे साथ सेक्स करने में बहुत मज़ा आएगा दीदी.. प्लीज़ रात में नहीं मत कहना।

फिर मैंने हाँ कर दी और रात का इंतजार करने लगी.. पता नहीं आज रात में क्या होगा मेरे दिमाग में बार बार यही आ रहा था और किसी को कुछ पता ना चल जाए.. लोग क्या सोचेंगे मेरे और भाई के बारे में क्या मेरा सेक्स करना ठीक होगा भी या नहीं.. बार बार दिमाग में यही सवाल आ रहे थे.. लेकिन इनमे से एक का भी मेरे पास कोई जवाब नहीं था। फिर में सेक्स को लेकर बहुत इच्छुक तो थी.. लेकिन मेरे भाई के साथ सेक्स करना मेरा ठीक होगा क्या? यह में खुद से सवाल किए जा रही थी। फिर मैंने उसे नहलाया और वो कपड़े पहनकर अपने रूम में चला गया.. लेकिन वो आज मुझे बहुत खुश नजर आ रहा था क्योंकि उसे मेरी तरफ से चुदाई की हाँ जो मिल चुकी थी।

फिर वो कपड़े पहन कर स्कूल चला गया और में अपने कॉलेज.. लेकिन मैंने अपने कॉलेज अपने घर पर किसी से भी यह बात नहीं कही। फिर शाम को वो भी और में भी स्कूल, कॉलेज से घर पर लौट आए। तो वो मुझे स्माईल देने लगा.. लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अपने कामो में लग गई और फिर में थोड़ा थक गई थी तो अपने रूम में लेट गई। तो ना जाने कब मेरी आंख लग गई और में गहरी नींद में सो चुकी थी। फिर ना जाने कहाँ से मेरा भाई आया और मेरे बूब्स मसलने लगा और जब मेरी नींद खुली तो मुझे पता चला और मैंने उससे पूछा कि यह क्या कर रहा है तू? तो वो बोला कि दीदी में तो बस थोड़े मजे ले रहा था। तो में वहाँ से उठी और बाहर चली आई.. में बहुत उदास थी तभी वो भी मेरे पीछे पीछे चला आया और कहने लगा कि दीदी क्या हुआ? आप उदास क्यों हो? लेकिन मैंने उसे कोई भी जवाब नहीं दिया और उठकर छत पर चली गई।

फिर मेरे जाने के थोड़ी देर बाद उसका मुझे एक मैसेज आया कि दीदी सॉरी प्लीज मुझे माफ़ कर दो। तो मैंने नीचे आकर देखा तो वो भी बहुत उदास था और कहने लगा कि दीदी मुझे पता है आप क्यों उदास है? आप हमारी चुदाई वाली बात से उदास है ना। फिर मैंने कुछ नहीं कहा और उसे गले लगा लिया। तो वो बोला कि दीदी आप इतनी उदास अच्छी नहीं लगती। मुझे नहीं करना आपके साथ सेक्स। उसका बस इतना कहना था और में बहुत चकित हो गई.. लेकिन कुछ ना बोली। फिर शाम के 6 बज चुके थे और मैंने चाय बनाई और हम दोनों ने साथ में बैठकर चाय पी। फिर कुछ घंटो के बाद रात होने लगी और मेरे दिमाग में अब भी वही बात चल रही थी।

फिर में सब कुछ भूल कर खाना बनाने लगी और बनाने के बाद हमने साथ में बैठकर खाना खाया। फिर वो टीवी देखने लगा और में कॉलेज का काम करने लगी। फिर में थोड़ी देर बाद सो गई.. लेकिन जब मेरी नींद खुली तब तक वो भी मेरे पास सो चुका था और उसका लंड अंडरवियर में खड़ा खड़ा मुझे सलामी दे रहा था और में कुछ सोचने लगी और मैंने उसकी अंडरवियर को थोड़ा नीचे किया और ध्यान से लंड को देखने लगी मुझे ना जाने क्या होने लगा और में लंड को हाथ में पकड़कर सहलाने लगी। तो धीरे धीरे उसका लंड और तनकर खड़ा हो गया। तो मैंने उसका अंडरवियर पूरा खोल दिया और लंड को जोर जोर से मसलने लगी और थोड़ी देर बाद मैंने लंड को मुहं में लिया और चूसने लगी। तब तक वो भी उठ चुका था और मुझे पूरा नंगा देखकर चकित रह गया.. लेकिन कुछ नहीं बोला और मुझे लंड चूसने से भी मना नहीं कर रहा था।

फिर मैंने उसका करीब दस मिनट तक लंड चूसा.. वो एक बार झड़ चुका था फिर भी कुछ करने को तैयार नहीं था। तो मैंने उससे कहा कि क्या अब देखता ही रहेगा या कुछ करेगा भी। फिर वो मेरा इशारा समझ गया और मुझे लेटाकर मेरे बूब्स पर टूट पड़ा जैसे कि वो बहुत दिनों से भूखा हो। फिर उसने मेरी निप्पल चूस चूसकर पूरी लाल कर दी और फिर वो बूब्स चूसता चूसता सीधा मेरी चूत पर आ गया। तो मैंने उसे मना किया और कहा कि नहीं अभी यह सब नहीं.. पहले तुम थोड़ा बड़े हो जाओ उसके बाद.. लेकिन वो अब कहाँ सुनने वाला था.. उसने मेरी चूत में अपना मुहं घुसाया और सूंघने लगा। फिर धीरे धीरे चूत की फांको को अपने दोनों हाथों से फैलाया और जीभ घुसाकर चाटने लगा। उसकी एक जीभ ने मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सा अहसास पैदा कर दिया और में बिना कुछ कहे उसे उसकी मर्जी का काम करने देने लगी। तो वो लगातार चूत चाटे जा रहा था.. तभी थोड़ी देर बाद में झड़ गई और वो पूरा रस पी गया। फिर उसने मुझे एक लम्बा सा लिप किस किया और दोबारा चूत के पास चला गया।

फिर उसने इस बार मेरी चूत पर लंड सेट किया और एक जोर का धक्का लगाया.. उसके इस धक्के से बस मेरी जान ही नहीं निकली एक जोर की चीख निकली जिसने पूरे रूम का माहोल बदल कर रख दिया। फिर वो मेरे मुहं पर एक हाथ रखकर थोड़ा रुका और मेरे नॉर्मल होने का इंतजार करने लगा और मेरे बूब्स को सहलाने लगा जिससे में और भी गरम होती रही। फिर उसने मेरी तरफ देखा और दूसरा धक्का दिया लंड अब मेरी गीली चूत की गहराईयों में फिसलकर पूरा समा चुका था.. लेकिन अब मेरा और उसका हाल बहुत बुरा था। हम दोनों पसीने में नहा चुके थे और हम पर चुदाई का भूत सवार था।

तभी उसने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए और वो चोदने लगा। में उसकी इस चुदाई में अपनी चूत का दर्द भूल चुकी थी और उसका पूरा पूरा साथ देने लगी। फिर वो बोला कि दीदी आपकी चूत बहुत टाईट है मुझे बहुत जोर लगाना पड़ रहा है। तो मैंने कहा कि बिना चुदी चूत ऐसी ही होती है.. तू तो बस बिना रुके चोदे जा और अपनी और मेरी आज चुदाई की इच्छा पूरी कर दे.. फाड़ दे मेरी चूत और जोर से और डाल दे पूरा। फिर वो मेरी यह बात सुनकर मुझे और जोर जोर से चोदने लगा.. उसकी इस ताबड़तोड़ चुदाई ने मुझे पूरा हिला दिया था।

फिर उसकी इस चुदाई ने मुझे आज जन्नत का मज़ा दे दिया था। करीब 25 मिनट की चुदाई के बाद भी वो झड़ने का नाम नहीं ले रहा था क्योंकि वो पहले ही एक बार मेरे मुहं में झड़ चुका था। फिर थोड़ी देर के बाद वो मुझे थका हुआ सा लगने लगा और वो धीरे धीरे धक्के लगाने लगा और फिर अचानक से वो अकड़ने लगा और मेरी चूत में ही जोरदार धक्को के साथ झड़ गया। फिर उसके वीर्य ने मेरी चूत में गिरकर मुझे आज पूरा कर दिया था। आज यह मेरी और उसकी पहली चुदाई सफल रही.. लेकिन वो थककर मेरे ऊपर पड़ा रहा और बूब्स चूसने लगा।

तभी मैंने अपनी चूत के पास एक ऊँगली लगाकर देखा तो मेरी सील टूट चुकी थी और उसका भी लंड पहली चुदाई के दर्द से तड़प रहा। फिर वो थोड़ी देर बाद मेरे ऊपर से उठा और बाथरूम में जाकर मेरे पास आया.. उसके लंड पर बहुत दर्द था.. लेकिन वो कुछ नहीं बोला। फिर मैंने भी बाथरूम से आकर देखा तो वो बेड पर लेटा हुआ था।

मैंने थोड़ा क्रीम लिया और लंड पर लगाया। फिर उसने मुझे उठकर गले लगाया और हम दोनों सो गये। उसके बाद हमने सुबह चार बजे उठकर एक बार फिर से चुदाई की और सो गए.. लेकिन सुबह ना वो स्कूल जा सका और ना में कॉलेज और फिर दिन में मौका देखकर फिर से एक बार फिर चुदाई की।

दोस्तों अब चुदाई करे बिना हमे नींद नहीं आती और हम हर रोज चुदाई करते है। हमे जब भी मौका मिले बस हमे यही काम याद आता है और कुछ नहीं। मेरे भाई ने मेरी चूत बहुत मारी और उसको चौड़ी कर दिया है। अब उसका लंड बड़े आराम से अंदर चला जाता है.. ना मुझे पता चलता है और ना उसे ।

~~~ समाप्त ~~~



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Heart चाहत चुदवाने की Heart

















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चाहत चुदवाने की

मेरी शादी 25 वर्ष की उम्र में एक सीधे-सादे व्यक्ति के साथ हुई।

मैं शुरू से ही पुरुषों से ज्यादा मेल-मिलाप नहीं रखती थी, क्योंकि मैं जानती थी कि मौका मिलते ही ये चुदाई करने से बाज नहीं आने वाले हैं। इनकी नजर हमेशा औरत के चूत और चूचियों पर ही रहती है।

शादी से पहले मैं ये सब नहीं करना चाहती थी, लेकिन शादी के बाद स्थिति ऐसी बदल जाएगी, ये मैंने पहले कभी नहीं सोचा था।

सुहागरात के दिन मेरे पति ने मुझसे सिर्फ थोड़ी सी बात की, लेकिन कोई भी शारीरिक स्पर्श या सम्भोग आदि कुछ नहीं किया।

अगले दो दिन भी कुछ नहीं।

ऐसी स्थिति में मेरी चिंता बढ़नी स्वाभाविक थी।

शादी से पहले तो कुछ भी नहीं किया, अपनी चूत को बचा के रखा, लेकिन अब! क्या अब भी ऐसे ही जिंदगी चलती रही?

तो इतनी सुन्दर काया और तनी हुई चूचियों, उभरे हुए नितम्ब तथा मस्तानी चूत जिसकी अभी तक सील भी नहीं टूटी थी, का क्या अर्थ रह जायेगा?

यह सोच कर मैं बहुत परेशान रह रही थी।

मेरी परेशानी को देख कर मेरी भाभी ने मुझसे जब इसके बारे में पूछा तो मैंने सब कुछ खुलकर बता दिया।

इसके समाधान में उन्होंने मुझे समझाया- तुम स्वयं ही इसकी कोशिश करो, हो सकता है कि शर्मीले स्वभाव के वजह से वो ऐसे नहीं करना चाहते हों।

अगली रात मैंने ऐसा ही किया और अर्धनग्न अवस्था में उनके पास गई ताकि मुझे देख कर उनको जोश जगे तथा सम्भोग आदि की स्थिति बने, वरना बिना चुदाई के ही जीवन न गुजारना पड़े।

मेरे पति ने मेरी तनी हुई चूचियों एवं सेक्सी अंदाज को देखकर बस थोड़ी ही प्रतिक्रिया दी।

मैं समझ गई कि अब सारी स्थिति मुझे ही संभालनी पड़ेगी।

यह सोचकर मैंने लाइट बुझाकर उनके पास लेट गई और उनके कच्छे को ऊपर से ही सहलाने लगी जिससे मुझे उनके लिंग के उभार का पता चला।

काफी देर बाद मैंने कच्छे के अन्दर हिम्मत कर के अपना हाथ डाला तो पाया कि उनका लिंग पतला तथा औसत लम्बाई का था।

काफी मशक्कत के बाद उनका लिंग खड़ा हुआ जिससे मेरी उम्मीदें बढ़ चलीं कि मेरी चुदाई का रास्ता अब साफ़ हो चला था। इसके बाद मैंने उन्हें उत्तेजित किया जिससे उन्होंने मेरी चूचियों को सहलाना और मसलना शुरू किया।

यह मेरा पहला अनुभव था जोकि मुझे मदहोश किये जा रहा था। अब उन्होंने मेरी चूत की तरफ अपना हाथ फेरना चालू किया जिससे मेरी चूत धीरे-धीरे गीली होने लगी।

अब मैं समझ गई कि अब मेरी चुदाई में ज्यादा देर नहीं है। मैंने भी उनका साथ देना चालू रखा।

कच्छे को सरका कर उन्होंने मेरी चूत पर अपने लण्ड को रख कर धक्का मारा, जिससे वो थोड़ा अंदर की ओर सरकने लगे।

मुझे थोड़ी सी पीड़ा होने लगी लेकिन मैं भविष्य का रास्ता साफ़ करना चाहती थी, सो मैंने इसकी परवाह न करते हुए उनका मनोबल ऊँचा रखा।

मैंने भी अपनी तरफ से भी नितम्ब उठा कर पूरा लेने किए लिए धक्का लगाना शुरू किया, जिससे लण्ड अंदर की ओर चीरता हुआ मेरी चूत में समा गया।

इसके साथ ही खून भी निकालने लगा, जो मेरी सील टूटने का संकेत था।

उस औसत दर्जे के लण्ड से भी मेरी सील टूट गई थी।

करीब 10 मिनट में ही धक्कम पेल के बाद मेरे पति का वीर्य छूट गया और वो लण्ड बाहर निकाल कर सो गए।

मैं अभी ठीक से चुद भी नहीं पाई थी। आगे भी कुछ इसी तरह से चलता रहा।

मैंने अपने इस दर्द को फिर से भाभी को बताया जिसे उन्होंने समझते हुए सब्र से काम लेने की बात कही, लेकिन अधूरी चुदाई का दर्द मुझे परेशान कर रहा था।

एक दिन मैं भाभी के कमरे में गई, उस समय वहाँ और कोई नहीं था। वहाँ पर एक बेहद अश्लील किताब पड़ी हुई थी जिसमें चुदाई के बहुत से चित्र थे, चूत, लण्ड, चूचियों के चित्र दिखाई दे रहे थे। यह देख कर मेरे अन्दर आग सी लगने लगी, मैं यह भी भूल गई कि यहाँ पर कोई आ सकता है।

मैंने एक-एक पन्ना पलट कर काफी बारीकी से सारे चित्रों को देखा। मेरा हाथ अपने आप ही मेरी चूत पर चला गया और मैं उसे सहलाने लगी जैसे कि चुदाई की तैयारी चल रही हो।

तभी मेरी भाभी आई और मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया।

मेरी सारी बातें जानने के वजह से उन्होंने मुझे ज्यादा कुछ नहीं कहा, बस इतना बताया कि तुम्हारे जेठ इस तरह की किताबें पढ़ते हैं और हर रात तुम्हारी भाभी को अलग-अलग आसनों से चोदते हैं।

यह सब सुनकर मेरी चूत गीली होने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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मैं अपने रूम में चली आई और सोचने लगी कि कितनी धन्य होंगी वो औरतें जिन्हें बढ़िया से चोदने वाले पति मिले होंगे।

कुछ दिनों के बाद मेरे यहाँ दो लोग किराये पर रहने के लिए आए जो कि स्टूडेंट थे।

एक का नाम यश और दूसरे का राज। दोनों ही शरीर से स्वस्थ और मांसल थे।

दोनों ही स्वभाव से अच्छे थे। धीर-धीरे हमसे मेल-जोल बढ़ने लगी तथा हम लोग खुल कर बातें करने लगे।

मेरे अन्दर की आग शांत होने का नाम ही नहीं ले रही थी।

मेरी नजरें बातें करते हुए अक्सर उनके लण्ड को ऊपर से ही पढ़ने की कोशिशें करने लगतीं।

मेरा बातों-बातों में अक्सर मुस्कुराना, मेरी पहाड़ की तरह उठी हुई चूचियों और पीछे की तरफ उठे हुए नितम्ब की तरफ धीरे-धीरे उनका भी ध्यान होने लगा तथा मेरी ओर उनकी रूचि बढ़ने लगी।

एक दिन जब मैं किसी काम से उनके रूम में गई तो देखा कि जय सिर्फ कच्छे में ही सोया था और बीच वाले कटे हुए जगह से उसका मोटा और लम्बा लण्ड बाहर की तरफ निकला हुआ था और वो नींद में था।

मैं शरमाकर जल्दी ही बाहर चली आई, लेकिन उसका लम्बा और मोटा लण्ड मुझे भूल नहीं रहा था। मैं सोचने लगी, काश मेरे पति के पास भी ऐसा ही होता तो मेरी जवानी कितनी तृप्त होती।

अब जब भी वो मिलता मैं उसे चाह भरी नज़रों से देखने लगी, वह भी मेरी नज़रों को पहचान गया था।

एक दिन जब घर में कोई नहीं था और लाइट चली गई। वो कुछ माँगने के बहाने मेरे रूम में आया। मैं उस समय सिर्फ साये और ब्रा में थी।

उसने मुझे देखा तो उसका लण्ड खड़ा हो गया, फिर भी उसने बाहर जाने की कोशिश कि तो मैंने सही समय समझकर उसे टोका, “यहाँ आओ अपना काम तो बताओ।”

यह कहकर जैसे ही मैं उसकी और बढ़ी उसकी नजरें मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर जाकर टिक गईं।

मैं उसके पैंट के अन्दर से उफान मार रहे लण्ड की तरफ देखने लगी।

हम दोनों एक दूसरे में खोने लगे।

शादी न होने के वजह से उसकी भूख भी साफ़ दिखाई दे रही थी।

उसने मेरी चूचियों को पीछे से आकर पकड़ लिया।

मैंने भी छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं कि उसका लिंग अभी भी मुझे याद था, इसलिए चूत के घायल होने की चिंता भी थी।

लेकिन चुदाई की इच्छा सब पर भारी पड़ रही थी। एक हाथ उसका मेरी चूचियों पर तथा एक मेरी चूत की तरफ था।

मैंने भी साहस कर के उसका तम्बू की तरह उभरा लिंग पकड़ किया।

अब सब कुछ साफ़ था, वह भी अब समझ चुका था कि अब मेरी तरफ से कोई बाधा नहीं

है।

मेरी चूत गीली होने लगी।

उसने मेरा साया ऊपर की तरफ उठा दिया जिससे मेरी चूत जो कि काले झांटों से ढकी हुई थी, उसके सामने आ गई।

अब उसने आव देखा न ताव, झट से मुझे अपनी और खींचते हुए अपने पैंट के ऊपर ही मुझे बैठा लिया।

उसका उभरा हुआ लण्ड मुझे नीचे से स्पष्ट अनुभव हो रहा था।

मैंने भी यह सोच लिया था कि आज सारी शर्म छोड़ कर जम कर चुदूँगी, मैंने उससे कहा- मेरी चूत तो तुमने देख ली, अब अपना तो दिखाओ।

यह सुनकर उसने अपनी पैंट का जिप खोलकर अपना मूसल जैसा लण्ड बाहर निकाला, जो कि मेरी चूत को फाड़ने के लिए एकदम उतावला था।

उसने मुझे एक मंजे हुए आदमी की तरह से घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत को सहलाते हुए अपना लिंग लाकर उस पर टिका दिया।

मेरी चूत पहले से ही गीली होने के वजह से उसके सामने तैयार थी, उसको अपने अन्दर लेने के लिए।

जब उसने सटाकर जोरदार धक्का लगाया तो मेरी तो 'आह' निकल गई।

मैंने उससे कहा- धीरे से डालो न ! यह तुम्हारे लण्ड को झेलने में अभी नाकाबिल है, धीरे-धीरे ही करना, कोई जल्दी नहीं है। जब तक मेरे यहाँ हो, मेरी चूत हमेशा तुमसे चुदाने के लिए तैयार मिलेगी।

उसने मेरी चूत में धीरे-धीरे अपना पूरा लण्ड सरका दिया।

पहले से चुदने के लिए मानसिक रूप से इसके लिए पूरी तरह से तैयार थी। अब अंदर-बाहर कर के उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया।

मैं भी उसका साथ देने लगी।

आज मुझे असली लण्ड की मार का पता चला।

मेरी चूचियाँ भी उससे हो रही चुदाई को उछल-उछल कर सलाम कर रही थीं।

लगभग 20 मिनट तक उसने मुझे कुतिया बना कर हचक कर चोदा। मेरी चूचियों को वो अपने हाथों से ऐसे मसल रहा था जैसे वे रसीले आम हों।

उससे चुद कर मुझे वास्तव में चुदाई के आनन्द का अनुभव हुआ। मैं उससे चुदते समय एक बार झड़ चुकी थी पर उस के लंड को तो मानो कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था।

अचानक उसने मुझसे चिपकते हुए जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए।

उसके मुँह से बड़बड़ाने की आवाजें निकलने लगीं, “हा हा आई मैं जा जा रहा हूँ भाभी ई ई ले मेरा पूरा माल पी ले।”

और वो झड़ गया। मेरी पीठ से चिपक कर उसने अपने वीर्य की आखिरी बूँद तक मेरी चूत में छोड़ दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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शादीशुदा बहन को मस्ती से चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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मेरा नाम अंकित है और में मेरी उम्र 20 साल है.. मेरे लंड का साईज़ 8.5 इंच है और में बिल्कुल भी झूठ नहीं बोल रहा.. मेरे पापा की उम्र 65 साल और मेरी मम्मी की उम्र 60 साल है। मेरी दो बड़ी बहनें है और में घर में सबसे छोटा हूँ इसलिए मुझे सबका बहुत प्यार मिलता है। मेरी एक बहन 40 साल की है और दूसरी बहन 34 साल की और मेरे सेक्स संबंध दूसरी बहन के साथ बने.. उसका नाम शिवानी है और उसका पति एक प्राइईट कम्पनी में एक बहुत अच्छी पोस्ट पर नौकरी करता है।
दोस्तों जब में छोटा था तब शिवानी की शादी हुई.. मेरी उससे बहुत बनती थी और वो मुझे बहुत प्यार करती थी और मुझे उसकी शादी के बाद बहुत दुख हुआ और में बहुत रोया। फिर जैसे जैसे में बड़ा होता गया मेरा प्यार मेरी बहन के लिए सेक्स के नाम में बदल गया और में उससे सेक्सी लेडी के रूप में देखने लगा। अब में थोड़ा बहुत शिवानी के बारे में बताना चाहूँगा.. उसकी उम्र 34 साल है और उसकी हाईट 5.3 है और वो बहुत ही मस्त और उसका सेक्सी शरीर है उसके बूब्स 38 कमर 34 और कुल्हे 39 है.. कुल मिलाकर देखा जाए तो वो एक बहुत ही सेक्सी औरत है और किसी का भी लंड खड़ा कर सकती है। एक साल पहले हमे पता चला कि मेरे जीजा जी का किसी दूसरी लड़की के साथ बहुत समय से चक्कर है और उनके नाजायज संबंध भी है और यह बात मालूम पड़ने पर घर में सभी लोगों को बहुत टेंशन होने लगी और मेरी बहन भी बहुत दुखी रहने लगी.. उसके दो बच्चे है एक लड़का 6 साल का और एक लड़की 4 साल की।
फिर में हमेशा से उसकी बेटी को बहुत प्यार करता हूँ तो जब हमे जीजा जी के रिलेशन का पता चला तो हमने उसके परिवार से बात की.. लेकिन हमे कोई संतुष्ट जवाब नहीं मिला और बस अब तक तो सब कुछ सही चल रहा था.. लेकिन अब वो मेरी बहन को हाथ भी नहीं लगाता और यह बात मेरी बहन ने मुझे बाद में बताई। फिर में अपनी बहन को पिछले 1.30 साल से चोदने का बहाना खोजने की कोशिश में लगा हुआ था और जब भी मेरी बहन हमारे घर पर रहने आती थी तो में छुपकर उसके बूब्स देखा करता था और उसकी पेंटी को हाथ में लेकर मुठ मारता था और पेंटी की चूत वाली जगह को मुहं में लेकर चाटता था और मुझे उसकी चूत की खुश्बू बहुत अच्छी लगती थी और मुझे बहुत बार मेरी बहन ने उसके बूब्स को घूरते हुए देखा था.. लेकिन उसने मुझे कभी कुछ नहीं बोला और इसे में उसकी तरफ से एक हरी झंडी समझने लगा। फिर 6 महीने पहले मेरे पापा की तबियत खराब हो गई और वो मोहाली के हॉस्पिटल में भर्ती हुए तो माँ को भी उनके साथ रहना पड़ा और में भी साथ में हॉस्पिटल गया और हमारे घर पर शिवानी अपने दोनों बच्चो के साथ घर को संभालने के लिए रहने आ गई। फिर उन दिनों मेरी पढ़ाई के पेपर चल रहे थे 3rd सेमेस्टर के और वो दिसम्बर का समय था तो में एक दो दिन में ही पापा को भर्ती करवा कर हॉस्पिटल से वापस घर पर आ गया और जब में घर पर आया तो कुछ देर बाद मेरी बहन नहाकर बाथरूम से बाहर आई और सीधी मेरे रूम में चली आई। दोस्तों उस समय में उसे देखता ही रह गया.. उसने लोवर और एक पतली सी टी-शर्ट पहनी हुई थी और उसने अंदर ब्रा नहीं पहन रखी थी और उसकी टी-शर्ट उसके बूब्स से पानी की वजह से चिपक गई थी। तो मेरा लंड यह सब देखकर खड़ा हो गया और बहुत मुश्किल से मैंने उसे छुपाया और फिर वो कुछ सामान लेकर मेरे रूम से चली गई। फिर रात को खाना खाकर हम लोग सोने की तैयारी करने लगे हमारे घर में तीन बेडरूम है। एक मेरा एक मेरे माता पिता का और एक मेहमानों का रूम। फिर में अपने रूम में आ गया और मेरी बहन अपने दोनों बच्चों के साथ मम्मी, पापा के रूम में सोने चली गई। उस रात मुझे बिल्कुल नींद नहीं आई और मैंने अपनी बहन के नाम की तीन बार मुठ मारी.. अगली सुबह मेरे कॉलेज की छुट्टी थी उस दिन कोई भी पेपर नहीं था। तो में थोड़ा देरी से उठा और नहाकर नाश्ता किया और अपनी छोटी भांजी के साथ खेलने लगा मेरी बहन भी मुझसे बातें कर रही थी.. उसने सलवार कमीज़ पहना था वो बार बार हंस रही थी तो मेरे पूछने पर कि तुम बार बार हंस क्यों रही हो? तो वो बोली कि कुछ नहीं वैसे ही।
खैर फिर लंच टाइम हुआ तो लंच करके में अपने रूम में आ गया और बेड पर लेट गया। मेरा लंड फिर से मचलने लगा और में मेरी बहन के नाम की मुठ मारने लगा। उस वक़्त मेरी बहन दूसरे रूम में अपने दोनों बच्चो को सुला रही थी। तो मुझे बिल्कुल भी इस बात का ध्यान ही नहीं रहा और में मस्ती से धीरे धीरे उसका नाम लेते हुए मुठ मारने लगा। जैसे ही मेरा पानी निकलने वाला था तो मैंने अपनी दोनों आंखे बंद कर ली और उसका नाम लेकर ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगा और जब मेरा पानी निकला तो मैंने थोड़ा अच्छा महसूस करके अपनी आंख खोली तो देखा कि मेरी बहन दरवाजे के पास खड़ी सब कुछ देख रही है और तब मुझे याद आया कि में दरवाजा बंद करना ही भूल गया था। तो मेरी बहन मेरे पास आई और उसकी नजरें मेरे आधे खड़े हुए लंड पर टिकी थी। उस समय मेरा लंड 8.5 इंच का लटका हुआ था। फिर वो बोली कि क्यों तुम मेरे नाम की मुठ मारते हो? तो में बोला कि सॉरी दीदी अब कभी भी नहीं करूंगा और में बहुत डर गया था और मेरा लंड 8.5 इंच से सिकुड कर 4.5 इंच का रह गया था। तभी वो बहुत ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी और बोली कि तो क्या हुआ तू अब जवान हो गया है और यह अहसास हम सभी में होता है और फिर थोड़ा आगे बड़ी और धीरे से मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी और बोली कि तेरा तो तेरे जीजा जी से भी बहुत बड़ा है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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तो उसकी बातों और कोमल हाथ के स्पर्श से मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा और मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और मुझमें एक अलग सा अहसास आने लगा और में आहह आह करने लगा और वो बहुत ज़ोर ज़ोर से लंड को हिलाने लगी.. में धीरे धीरे उसके गालों पर किस करने लगा और अपने हाथ से उसके 38 साईज़ के मोटे मोटे बूब्स दबाने लगा और अब उसे भी मस्ती आने लगी और उसने मुझे होंठ पर किस करने शुरू कर दिए। में भी उसकी किस का जवाब देने लगा और अपने दोनों हाथों से उसके बूब्स दबाने लगा। ऐसा हम दस मिनट तक करते रहे फिर में बेड से उठा और अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी बहन की कमीज़ उतारने लगा.. लेकिन उसने मुझसे कुछ भी नहीं कहा और वो अपनी कमीज़ उतारने में मेरी मदद करने लगी। अब मेरे सपनों की रानी मेरी सग़ी बहन मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और सलवार में बेड पर बैठी थी। तो में उसे किस करने लगा और बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर लेटकर किस करने लगा। वो भी मेरा लंड मसल रही थी। फिर मैंने एक झटके में उसकी ब्रा उतार दी और उसके बड़े बड़े बूब्स एक हाथ से दबाने लगा और दूसरे को मुहं में लेकर चूसने लगा उसके निप्पल हल्के भूरे कलर के थे और वो बहुत सख्त हो चुके थे। फिर वो अपना एक हाथ मेरे बालों में घुमा रही थी और ज़ोर ज़ोर से अपने बूब्स पर दबा रही थी.. वो आहह आह्ह्ह और ज़ोर से चूस अपनी बहन का दूध बोल रही थी। फिर वो बोली कि कल रात को मैंने तुझे मेरे नाम की मुठ मारते हुए देखा था। तो यह बात सुनकर में और भी गरम हो गया और ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स चूसने लगा तो वो बोली कि थोड़ा आराम से कर दर्द होता है.. तो मैंने धीरे धीरे बूब्स को चूसना शुरू कर दिया। तभी वो बोली कि अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता जल्दी से मुझे चोद दे मेरा बहुत मन कर रहा है पिछले एक साल से तेरे जीजा ने मुझे हाथ भी नहीं लगाया। तो में यह बात सुनकर खड़ा हुआ और उसकी सलवार उतारने लगा। उसने नीचे पेंटी नहीं पहनी थी और चूत बिल्कुल साफ शेव की हुई और चूत के पानी से गीली हुई पड़ी थी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
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फिर वो बोली कि आज ही मैंने स्पेशल तुम्हारे लिए शेव की है तो में यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और उसे किस करने लगा और एक हाथ से उसकी चूत मसलने लगा वो भी गरम होकर मेरे किस का जवाब दे रही थी। फिर में धीरे धीरे उसकी चूत पर पहुंचा और उसे सूंघने, चाटने लगा। आज मुझे मेरा अमृत मिल गया था.. जिसको पीने के लिए में पिछले एक साल से मचल रहा था और मुझे उसकी चूत के पानी की बहुत अच्छी खुश्बू आ रही थी। फिर में अपनी जीभ से उसको चाटने लगा और पानी का स्वाद मेरे मुहं में आने लगा। थोड़ा नमकीन सा टेस्ट था उसका और बहुत ही मदहोश करने वाला.. में अपना पूरा मुहं लगाकर उसकी चूत चाटने लगा.. वो आअहह आहह और चाट और अह्ह्ह ज़ोर से चाट अह्ह्ह बोल रही थी और अपने दोनों हाथों से मेरे सर को दबा रही थी और वो बोली कि आज तक उसके पति ने ऐसा नहीं किया। फिर में पूरी जीभ उसकी चूत में डाल रहा था और दस मिनट तक चूत चाटने के बाद उसकी चूत से पानी निकलने लगा और वो में सारा का सारा पी गया और अब उसकी पकड़ मेरे सर से ढीली हो गई।
में पहले से ही एक बार मुठ मार चुका था तो मेरा लंड अभी भी टाईट तनकर खड़ा था.. में उसके ऊपर आ गया और बूब्स चूसने लगा। 5 मिनट बूब्स चूसने के बाद वो फिर से गरम होने लगी तो मैंने बोला कि दीदी एक बार मेरा लंड मुहं में ले लो। तो बोली कि इतना प्यारा लंड है तुम्हारा। इसे तो में हर जगह पर लूँगी और वो मेरे लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी.. यह मेरा किसी लड़की के साथ पहला संबंध था इसलिए उसके चूसने से मुझे बहुत मजा आने लगा वो पूरा लंड अपने मुहं में लेकर चूसने लगी। कभी कभी लंड के अगले हिस्से पर जीभ फेरती तो कभी बॉल्स को मुहं में लेकर चूसती और अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था इसलिए मैंने जल्दी से अपना लंड उसके मुहं से बाहर निकाला और उसे बेड पर लेटा दिया और उसके दोनों पैर फैलाकर अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखकर धीरे धीरे लंड को चूत के अंदर डालने लगा.. लेकिन चूत में बहुत दिन से कोई भी लंड नहीं गया था इसलिए वो थोड़ी बहुत टाईट लग रही थी.. लेकिन में फिर भी ज़ोर के धक्के लगाता रहा और पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। तो वो दर्द से चीखने चिल्लाने लगी आहह आह्ह्ह माँ मर गई में अहह आज मेरी चूत फट गई.. कोई बचाओ मुझे करने लगी। तो मैंने अपने धक्के रोककर उसके बूब्स चूसना शुरू किया.. इससे उसे भी अच्छा लगा और उसकी चूत का थोड़ा दर्द कम हुआ.. लेकिन मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था। अब वो धीरे धीरे और गरम होने लगी और अपनी गांड उठा उठाकर हिलाने लगी। तो में समझ गया कि अब यह चुदाई के लिए तैयार है.. तो में भी फिर से धक्के लगाने लगा और उसे चोदना शुरू कर दिया.. मेरा लंड उसकी चूत की गर्मी को महसूस कर रहा था और में ऐसे ही उसे चोदता रहा और बीच बीच में उसके बूब्स चूसता तो कभी उसे किस करता। वो भी मज़े से चुदवा रही थी और गांड उठाकर वो आह्ह आअहह चोद मुझे और ज़ोर से चोद बोल रही थी और फिर वो बोली कि आज मेरा भाई बहनचोद बन गया अहह उफ्फ्फ। तो में उसकी बातें सुनकर और भी गरम हो रहा था और उसे ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा। अब उसका पानी निकलने वाला था.. इसका मुझे पता चल गया क्योंकि अब धीरे धीरे उसकी चूत टाईट हो रही थी और वो मुझे कसकर पकड़े हुए थी और अब वो ज़ोर ज़ोर से गांड उछालने लगी थी और आहहाहह उह्ह्ह्ह माँ मर गई करते हुए वो झड़ गई और मेरा लंड उसके पानी से गीला हो गया और बड़े आराम से अंदर बाहर होने लगा।


......................................................................................[Image: keisha-grey-sweet-new-pussy-fucking.gif]
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फिर उसके पानी के स्पर्श से मेरा भी पानी निकलने वाला था.. तो में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और आह आह करने लगा। फिर मैंने उससे बोला कि मेरा वीर्य निकलने वाला है कहाँ पर निकालूं? तो वो बोली कि में तुम्हारा पानी पीना चाहती हूँ.. तो मैंने अपना लंड जल्दी से उसकी चूत से बाहर निकालकर उसके मुहं में डाल दिया और हिलाने लगा और वो लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी 5- 6 धक्को में मेरा वीर्य निकला और वो सारा वीर्य पी गई और अब में भी थोड़ा थक चुका था। तो उसे किस करते हुआ उसके ऊपर लेट गया और बूब्स दबाने लगा। वो बोली कि आज शादी के 6 साल बाद मुझे असली सेक्स का मज़ा मिला और मुझे कसकर गले लगा लिया और किस करने लगी। कुछ टाईम बाद हम फिर से तैयार थे अगली चुदाई के लिए.. लेकिन इस बार मैंने उसका एक पैर अपने कंधे पर रखकर उसे चोदा और अपना वीर्य उसकी चूत में निकाला। फिर उस रात को भी हमने बहुत अलग अलग पोज़िशन्स में सेक्स किया और साथ में प्लान बना लिया कि जब तक हमारे माता पिता वापस घर पर नहीं आते तब तक हम एक पति पत्नी की तरह दिन रात चुदाई करेंगे और उसके साथ मैंने अपने कॉलेज के पेपर भी दिए। अब हमे जब भी मौका मिलता है हम सेक्स करते है.. कभी उसके घर पर तो कभी हमारे घर पर।
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Read my story
A story of 7 female friends with different plot of everyone.
Pehle ye xossip site par likh raha tha par stroy ke mid me wo site band hone ki wajah se yaha us story ko dubara short me likhna pada.
Pad kar apna feedback de story ka link neeche hai.

https://xossipy.com/thread-1191.html?hig...in+village

[Image: Pics-Art-02-26-03-20-13.jpg]
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Heart didi in waterfall Heart
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Maa ka aagayakari beta v post kro
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nice collection.....
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