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25-10-2021, 12:06 PM
(This post was last modified: 05-05-2022, 03:41 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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(25-10-2021, 12:06 PM)neerathemall Wrote: नाम सोनिया है और मैं चंडीगढ़ की रहने वाली हूँ | मेरी उम्र 32 साल है और मैं दिखने में सांवली हूँ | मैं भले ही सांवली हूँ पर मेरा फेस कट अच्छा है | मेरी हाईट 5 फुट 5 इंच है और और मेरा फिगर भी बहुत गदराया हुआ है | मेरे दूध मध्यम साइज़ के हैं और मेरे चूतड बड़े और गोल हैं |
मेरी चूत मारी गई खेत मे
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मैं इस बात से बहुत खुश थी कि हमारे गांव में इस वर्ष भी मेला लगने वाला है। मैं एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं और हमारा गांव बिहार में है हमारा गांव पटना से 5 घंटे के रास्ते पर है। मैं इस बात से खुश थी कि इस वर्ष भी हम लोग मेले में खूब धूम धड़ाका करेंगे हर साल की तरह हमारे गांव में मेला लगता है इस बार भी मेला लगने वाला था। मेले की पूरी तैयारियां हो चुकी थी मैं अपनी मां के साथ बैठी हुई थी तो मेरी मां मुझे कहने लगी सोनिया तुम इस बार के मेले में जाओगी। मैंने अपनी मां से कहा मां मैं बचपन से आज तक हर बार मेले में गई हूँ तो इस बार मैं कैसे मेला छोड़ सकती हूं। मेरी मां कहने लगी सोनिया कई बार तुम्हें देख कर लगता है कि जब तुम्हारी शादी हो जाएगी तो तब मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी।
मेरी मां का मेरे प्रति बहुत लगाव है वह मुझे कहने लगी जब तुम छोटी सी थी तो मैं तुम्हारा हाथ पकड़कर तुम्हें मिले में घुमाने के लिए ले जाया करती थी लेकिन तुम मेले में काफी जिद करती थी जिस वजह से मुझे तुम्हारे लिए मेले से हर वर्ष खिलौने लाने पड़ते थे और तुम कुछ समय बाद उन खिलौनों को तोड़ दिया करती थी। मेरे पिताजी भी आ चुके थे वह कहने लगे अरे मां बेटी की क्या बातचीत चल रही है। मेरे पिताजी हमारे घर के बाहर लगी पलंग पर बैठ गए और हम लोगों से बात करने लगे उनकी आवाज बड़ी कड़क है पिता जी कहने लगे इस बरस तो मेले में नाटक भी होने वाला है इसकी बड़ी चर्चाएं हैं कि पटना से कुछ कलाकारों की टीम आ रही है। मैं इस बात से बहुत खुश थी क्योंकि मुझे नाटक देखने का बड़ा शौक था और जब भी मेले में नाटक लगता तो मैं उसे देखने जरूर जाया करती। मेला शुरू होने में अब सिर्फ 5 दिन बचे हुए थे लेकिन 5 दिन कैसे निकल गए पता ही नहीं चला। हम लोग जब पहले दिन मेले में गए तो वहां पर काफी धूल और मिट्टी उड़ रही थी तभी कुछ दुकानदार आपस में भिड़ गये वह लोग झगड़ा करने लगे सब लोग तमाशबीन बने हुए देख रहे थे कोई भी उन्हें समझाने के लिए या बीच में छुड़ाने के लिए नहीं गया।
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मैं और मेरी सहेलियां भी वहां से चली गई कुछ देर तक हमने देखा लेकिन लोगों को तो जैसे उन लोगों के झगड़े में भी मनोरंजन लग रहा था इसलिए सब लोग देखे जा रहे थे मैं और मेरी सहेलियां वहां से दूर जा चुकी थी। मैंने अपनी सहेलियों से कहा कि आज तो हम लोग घर चलते हैं क्योंकि मुझे नहीं लगता कि आज का दिन कुछ ठीक रहने वाला है। हम लोग अपने घर चले गए मैं जब घर गई तो मेरी मां ने मुझसे पूछा सोनिया तुम घर जल्दी आ गई मैंने कहा वहां पर कुछ लोग आपस में झगड़ा कर रहे थे और सब लोग वहां पर तमाशबीन बने देख रहे थे इसलिए मुझे कुछ ठीक नहीं लगा और मैं घर चली आई। मेरी मां कहने लगी बेटा तुमने बिलकुल ठीक किया अब धीरे धीरे गांव में भी सब लोग लोगों का स्वभाव बदलता जा रहा है आपस में झगड़े बहुत ज्यादा होने लगे हैं पहले सब लोग आपस में बड़े प्रेम से रहा करते थे। मैंने अपनी मां से कहा अब मैं कल ही मेले में जाऊंगी अगले दिन मैं अपनी सहेली रूपा के साथ मेले में गई थी उस दिन नाटक देखने के लिए काफी भीड़ जमा हो चुकी थी। रुपा मुझे कहने लगी लगता है आज बड़ा अच्छा नाटक होने वाला है हम लोग भी जमीन पर बैठे हुए थे और तभी मंच से हमारे गांव के रामु चाचा ने सब लोगों को संबोधित करते हुए कहा बस कुछ देर बाद ही नाटक शुरू होने जा रहा है आप लोगों को बड़ा ही आनंद आएगा। उन्होंने नाटकों के पात्रों का भी परिचय दिया और उसके कुछ देर बाद नाटक शुरू हो गया सब लोग नाटक देखने के लिए बैठे हुए थे। नाटक के पहले पात्र ने मंच पर अपनी जबरदस्त एंट्री से सबको हड़बड़ कर दिया सब लोग बहुत खुश थे और लड़के तो सीटिया बजा कर उस पात्र को जैसे उसके कलाकार सम्मान दे रहे थे और हम लोग नाटक में इतना खो गए कि पता ही नहीं चला कि कब वह तीन घंटे का नाटक खत्म हो गया। सब लोगों ने बड़ी जोरदार ताली बजाई और जितने भी पात्र वहां पर थे सब लोगों ने उनका बड़ा सम्मान किया।
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हमारे ही गांव के कुछ चुनिंदा लोगों ने उनके सम्मान में कुछ पैसे भी दिए और अब मैं और मेरी सहेली रूपा अपने घर की तरफ जा रहे थे तभी रास्ते मैं उसी नाटक मंडली गायक कलाकार से टकरा गई। मैंने जब उसे देखा तो मैंने उसे कहा ओ भैया क्या तुम्हें दिखता नहीं है वह कहने लगा गलती से हो गया आप मुझे माफ कर दीजिए लेकिन तभी रूपा ने मुझे कहा अरे तुम तो वही हो ना जो पटना से आए हुए हो। वह कहने लगे हां मेरा नाम अजय है और मैं पटना में रहता हूं वहीं पर हम लोग रहते हैं। अजय से बात कर के अच्छा लग रहा था और वह काफी देर तक हम लोगों से बात करता रहा। अजय ने हमसे कहा कभी आप पटना आये तो मुझे जरूर मिलेगा। मैंने अजय से कहा ठीक है कभी हमारा पटना आना हुआ तो हम लोग जरूर मिलेंगे रूपा ने अजय से पूछा वैसे आप लोग यहां कितने दिनों तक रहने वाले है। अजय कहने लगा हम लोग तो अभी यहां पर कुछ दिन और रहेंगे। वह लोग हर रोज एक नया नाटक सब लोगों को दिखाना चाहते थे और उन कुछ दिनों में मेरी अजय के साथ बहुत अच्छी बातचीत हो गई।
अजय भी शायद मुझे प्यार करने लगा था उसका प्यार एक तरफा ही था लेकिन मुझे इस बात की चिंता सता रही थी कि कहीं मेरे पिताजी और मां को इस बारे में पता ना चल जाए। गांव के माहौल में कभी भी इस बात की स्वीकार्यता नहीं थी इसलिए मैं काफी डरी हुई थी मैं और अजय ऐसे ही चोरी छुपे मिलने लगे थे। हम दोनों चलते चलते अपने गांव से थोड़ी दूरी पर निकल गए और वहां पर बैठकर हमने काफी देर तक एक दूसरे से बात की अजय के साथ बात कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे ऐसा लगा कि जैसे अजय अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है। मैंने अजय से कहा तुम काफी मेहनती हो तुम जरूर अपने जीवन में आगे बढ़ोगे। अजय कहने लगा मेरी मां भी हमेशा यही कहती है और जब मुझे तुमसे बात करने का मौका मिला तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे तुम्हारे अंदर भी मेरी मां का कोई रूप छुपा हो तुम बिलकुल मेरी मां की तरह बात करती हो वह भी मुझे ऐसे ही समझाती रहती हैं और जिस प्रकार से तुम से मेरी मुलाकात हुई है वह भी किसी इत्तेफाक से कम नहीं है। मुझे भी अजय का साथ पाकर अच्छा लगा लेकिन जब अजय ने यह कहा कि मैं कल पटना लौट जाऊंगा तो मुझे यह बात हुई बुरी लगी। उस दिन मुझे अजय को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मै उसे अपनी बाहों में ले लू लेकिन मैं गांव की एक सीधी-सादी सी लड़की थी इसलिए मेरे अंदर इतनी हिम्मत ना थी परंतु अजय ने हिम्मत दिखाते हुए आखिरकार मुझे गले लगा लिया। जब अजय ने मुझे गले लगाया तो मेरे अंदर से उत्तेजना जागने लगी थी मेरे अंदर से एक करंट सा निकलने लगा। मैं अजय से गले मिलकर बहुत खुश थी जब अजय ने मेरे गुलाब जैसे होठों को अपने होठों से चुंबन किया तो मैं बिल्कुल रह ना सकी। मैंने अजय से कहा तुम मेरे होठों को बड़े अच्छे से चूम रहे हो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। हम दोनों पास के एक खेत में चले गए वहां कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए हम दोनों ने खेत में जाकर एक दूसरे को काफी देर तक चुंबन किया जिससे कि हम दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए।
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जैसे ही अजय ने मेरे स्तनों का रसपान करना शुरू किया तो मुझे थोड़ा शर्म सी आ रही थी मैंने अपनी नजरें झुका ली थी लेकिन मैं अंदर ही अंदर बड़ी खुश थी। अजय का मोटा सा लिंग देखकर मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी पहली बार ही मैंने किसी पुरुष के लंड को अपने हाथों में लिया था मेरे लिए यह बड़ा ही अच्छा था। मैं उसके लंड को अपने हाथों से हिलाती रहती धीरे धीरे में उसके लंड को हिला कर खड़ा करने लगी अजय का लंड एकदम से तन कर खड़ा हो चुका था। वह मेरी योनि में जाने के लिए तैयार था अजय ने मुझे नीचे लेटाते हुए मेरी योनि को चाटना शुरू किया। काफी देर तक अजय मेरी योनि का रसपान करता रहा उसने मेरी योनि से पानी तक निकाल दिया था। जब अजय ने अपने मोटे लंड को मेरी योनि में प्रवेश करवाया तो मैं चिल्ला उठी मुझे बड़ा दर्द होने लगा लेकिन जिस गति से अजय धक्के दिए जा रहा था उससे मेरे मुंह से मादक आवाज निकल जाती और मेरी योनि से खून भी निकल रहा था।
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मैं पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी मेरी योनि अब खून से लतपत हो चुकी थी लेकिन जैसे ही मेरी योनि पर लंड का प्रहार होता वैसे ही मेरी योनि में दोबारा से जोश पैदा हो जाता। मुझे बड़ा मजा आ रहा था मेरी योनि में चिकनाई बढ़ती जा रही थी मेरी योनि की चिकनाई मे इतनी ज्यादा बढ़ोतरी हो गई कि मै अजय के लंड की गर्मी को ज्यादा समय तक नहीं झेल सकती थी और जैसे ही मेरी योनि में वीर्य की कुछ बूंदें जाने लगी तो मुझे एहसास हो गया कि मेरी योनि मे वीर्य गिरने वाला है। मुझे गर्मी का एहसास हो चुका था और कुछ ही क्षणों बाद मेरी योनि में वीर्य गिर चुका था जिसके साथ मेरी इच्छा पूरी हो चुकी थी। मेरी चढ़ती हुई जवानी दोबारा से ढल चुकी थी मैंने अपनी योनि को साफ किया तो मेरी योनि से वीर्य अब तक टपक रहा था। मेरी योनि में इतना ज्यादा वीर्य टपक चुका था कि मैंने जब अपने कपड़े पहने तो उसके बाद भी मेरी पैंटी पर वीर्य गिरता जा रहा था।
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टेंशन मे चूत मरवाकर बहुत राहत मिली
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मेरा नाम सोनिया है मैं एक छोटे से गांव की रहने वाली हूं और हमारा गांव बिहार में है हमारा गांव पटना से 5 घंटे के रास्ते पर है।अब मैं भोपाल की रहती हूं, मेरी शादी को 10 वर्ष हो चुके हैं, इन 10 वर्षों के बीच में मैंने कई बार अपनी जिंदगी में कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे है लेकिन उसके बावजूद भी मैंने हमेशा ही अपने पति का साथ दिया। कई बार उनकी गलती होने के बावजूद भी मैं हमेशा उनके साथ खड़ी रहती हूं। पिछले एक वर्ष से वह विदेश में नौकरी कर रहे हैं, वह मेरे भैया के साथ विदेश नौकरी करने के लिए चले गए, वह जिस कंपनी में नौकरी करते थे उस कंपनी में एक दिन उनका मैनेजर के साथ झगड़ा हो गया था इसलिए वह काफी समय तक घर पर ही बैठे रहे। मैंने जब यह बात अपने भैया को बताई तो भैया कहने लगे तुम अपने पति को मेरे साथ भेज दो।
उन्होंने ही मेरे पति सुरेश के सारे कागजात बनवाएं और उन्हें अपने साथ विदेश लेकर चले गए, वह हर महीने विदेश से मुझे पैसे भेज देते हैं जिससे कि अब हमारी आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर हो चुकी है और मैं भी अपने बच्चों का अच्छे से ध्यान रख पाती हूं। मेरे पास काफी समय बच जाता है इसलिए मैं छोटे बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाती हूं जिससे कि थोड़े बहुत पैसे मैं भी कमा लेती हूं, मैं हमेशा ही अपने पति से फोन पर बात करती हूं यदि मैं कभी उन्हें फोन नहीं कर पाती तो वह मुझे फोन कर देते हैं। एक बार हमारे पड़ोस में एक परिवार रहने के लिए आया, उन्हें यहां रहते हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था, वह लोग शुरू में तो अच्छे से रहते थे परंतु बाद में वह लोग कॉलोनी के लोगों को काफी परेशान करने लगे, जिस वजह से कॉलनी के लोगों ने निर्णय लिया की इनसे घर खाली करवा दिया जाए। एक दिन सब लोगों ने मीटिंग की और उस दिन घर के जो मालिक थे हमने उनसे भी बात की और उन्हें घर खाली करवाने के लिए कह दिया लेकिन जब वह लोग घर छोड़ रहे थे तो उससे कुछ दिनों पहले मेरे घर पर चोरी हो गई, मुझे उन लोगों पर पूरा शक था क्योंकि वह लोग देखने से ही गलत प्रवृत्ति के प्रतीत होते थे। मैंने यह बात अपने पति से छुपाई मुझे लगा कि मैं उन्हें यह बात बताऊंगी तो शायद वह चिंता करेंगे इसीलिए मैंने उनसे इस बारे में बात नहीं की लेकिन उसी वक्त मेरे देवर को कुछ पैसों की आवश्यकता पड़ गई और वह मेरे पास आ गए, मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए क्योंकि मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती थी।
उन्होंने मेरे पति से फोन पर बात कर ली थी और उन्होंने भी मुझसे कहा कि तुम उसे कुछ पैसे दे देना, उन्हें अपना घर बनवाना है इसलिए उन्हें पैसों की आवश्यकता है। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, जब मेरे देवर घर पर आए तो मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि मैं इन्हें क्या बोलूं, मैं उन्हें मना भी नहीं कर सकती थी, मैं सोचने लगी कि मुझे क्या करना चाहिए। हमारे कॉलोनी में एक महिला हैं वह ब्याज में पैसे देती हैं, मुझे लगा की मुझे उनसे बात करनी चाहिए। मैं अपने घर के छत पर चली गई और मैंने उन्हें फोन किया तो वह मुझे कहने लगी कि तुम्हें पैसों की क्या आवश्यकता पड़ गई, मैंने उन्हें बताया कि मुझे पैसों की जरूरत है क्योंकि घर में कुछ काम है, वह मुझे अच्छी तरीके से जानती हैं और उन्हें मेरा नेचर भी पता है इसलिए उन्होंने मुझे मना नहीं किया और कहा कि कल तुम मुझसे पैसे ले लेना। मैं भी अब थोड़ा राहत महसूस कर रही थी और खुश भी थी, मैं जब नीचे आई तो मेरे देवर सोफे पर बैठे हुए थे और वह चाय पी रहे थे, मैं भी उनके साथ बैठ गई। मैने उनसे पूछा घर में आपकी पत्नी कैसी हैं, वह कहने लगे घर में तो सब अच्छे है, बस सोच रहा हूं कि अब घर बनवा लिया जाए इसलिए मुझे कुछ पैसों की आवश्यकता थी तो मैंने भैया से मदद मांगी, उन्होंने कहा कि घर पर चले जाओ, तुम्हें तुम्हारी भाभी पैसे दे देंगे। मैंने अपने देवर से कहा कि आप कल शाम को घर पर आ जाना मैं आपको कल पैसे दे देती हूं, वह कहने लगे भाभी जी बस अपनों का ही सहारा होता है, मैंने तो अपने दोस्तों से भी कहा लेकिन उन्होंने तो हाथ खड़े कर दिए परंतु इस वक्त मुझे पैसों की सख्त जरूरत थी
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इसलिए मैंने भैया को फोन किया तो भैया ने झट से हां कह दी।
मैंने उन्हें कहा हां आप यह बात तो सही कह रहे हैं, अपने ही मजबूरी के वक्त काम आते हैं। वह काफी देर तक मेरे साथ बैठे हुए थे, जब उन्होंने कहा कि मैं अब चलता हूं तो मैंने भी उनसे कहा ठीक है आप कल शाम को आ जाइएगा। मै अगले दिन ब्याज पर पैसे ले आई थी और शाम के वक्त मेरे देवर जी भी घर पर आ गए, मैंने उन्हें पैसे दे दिए और अपने पति से भी फोन पर बात करवा दी थी, अब वह भी खुश थे और मैं भी थोड़ा निश्चिंत थी लेकिन मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि वह पैसे मैं वापस कैसे करूंगी, मेरे देवर जी तो अपने घर चले गए लेकिन मैं बहुत दुविधा में थी। उस दिन शाम के वक्त बच्चे ट्यूशन में पढ़ने आए तो मेरा उन्हें पढ़ाने का मन नहीं हो रहा था, मैंने उस दिन उन्हें जल्दी घर भेज दिया। सब बच्चे घर जा चुके थे लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा था मुझे क्या करना चाहिए। उस रात में अकेली बैठी हुई थी, मैंने अपनी अलमारी से शराब की बोतल निकाली और उसमें से दो चार पैक मार लिए, जब मुझे थोड़ा नशा हो गया तो मुझे चूत मरवाने की तलब होने लगी मैंने सोच लिया था मै अपनी चूत किसी से तो मरवाऊंगी।
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मैंने अपनी सहेली से उसके बायफ्रेंड का नंबर मांग लिया, जब वह मेरे पास आया तो मैं उसकी कद काठी देखकर उस पर फिदा हो गई।
मैंने उसके कपड़े उतार दिए, उसने भी मेरे कपड़े उतार दिए अब हम दोनों ही एक दूसरे से सेक्स करने के लिए उतारू थे। वह मुझे कहने लगा मैंने तो पम्मी को बहुत बार चोदा है लेकिन आज तुम्हें मुझसे चुदना है जब मुझे पम्मी ने यह बात बताई तो मैं तुम्हें चोदने के लिए उतारू था। मैंने उससे कहा बात कर के तुम समय बर्बाद मत करो, मैंने उसके लंड को अपने मुंह के अंदर लिया और उसके लंड को मैं चूसने लगी। उसका लंड मैंने इतनी देर तक चूसा की वह पूरी तरीके से गिला हो चुका था। मैंने उस से कहा आज तुम मेरी चूत मारकर मेरी टेंशन को दूर कर दो, उसने मेरे दोनों पैर चौडे किए और जैसे ही उसने अपने कड़क लंड को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो मैं मचल रही थी। उसने धीरे धीरे मेरी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया, उसका बड़ा लंड मेरी चूत के अंदर उतरा तो मुझे ऐसा लगा जैसे कोई कड़क चीज मेरी चूत में चली गई हो। मैंने काफी समय से अपनी चूत नहीं मरवाई थी लेकिन उसके साथ मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपने दोनों पैर इतने चौडे कर लिए की वह मुझे कहने लगा तुम अपने पैरों को और चौड़ा कर लो ताकि मेरा लंड तुम्हारी चूत में आसानी से जा सके। उसका लंड मेरी चूत में इतनी तेजी से जा रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसे भी बहुत मजा आया। उसने मेरे साथ 10 मिनट तक संभोग किया, उसने मेरे पूरे बदन को लाल कर दिया था जिस प्रकार से उसने मुझे चोदा में संतुष्ट हो गई थी। जब उसका वीर्य मेरी योनि में गिरा तो मैं बड़े मजे ले रही थी, उसने मुझे कहा मुझे तुम्हारे साथ एक बार और सेक्स करना है। हम दोनों ने कुछ देर आराम किया, जब उसका लंड दोबारा से खड़ा हो गया तो उसने मुझे उल्टा लेटा दिया और मेरी योनि के अंदर जैसे ही उसका कड़क लंड गया तो मैं चिल्लाने लगी। उसका लंड उस वक्त बहुत ज्यादा कठोर हो चुका था और इतनी तेजी से वह मुझे झटके दे रहा था जैसे कि वह मेरी गांड और चूत को एक साथ मिलाना चाहता हो। उसने बड़ी तेजी से मुझे झटके दिए, मेरी चूतडे उससे टकरा रही थी, मुझे बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत देर तक संभोग किया, जब उसका वीर्य पतन होने वाला था तो उसने मेरी बड़ी सी चूतड़ों के ऊपर अपने वीर्य को गिरा दिया। उसका वीर्य इतना ज्यादा गर्म था कि मैंने उसे अपनी गांड पर मल लिया। उस दिन मेरी टेंशन काफी हद तक दूर हो गई थी।
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गांव में सुंदर कन्या को चोदने का मजा लिया
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मेरा नाम राजेंद्र है मैं सरकारी कॉलेज में अध्यापक हूं, मैं बिहार के एक छोटे से कस्बे में कार्यरत हूं और यहां पर मुझे दो वर्ष हो चुके हैं। मैं जब कॉलेज में पढ़ाने आया तो यहां पर पूरी व्यवस्थाएं नहीं थी इसलिए मैं बहुत परेशान हो गया, मैं सोचने लगा मैं कहां पर आ गया हूं लेकिन मैंने हार नहीं मानी और मैंने सोचा कि मुझे कुछ नया करना पड़ेगा। मैं जिस क्षेत्र में था वहां पर ज्यादा पढ़े-लिखे लोग नहीं थे इसीलिए मैंने अपने घर पर फ्री में ट्यूशन पढ़ाने की सोची, मेरे पास कॉलेज के बच्चे आते थे और वह लोग मुझसे फ्री में ट्यूशन पढ़ते थे। मैं किसी भी बच्चे से कोई भी पैसा नहीं लेता था जिससे कि उनकी पढ़ाई में भी सुधार होने लगा। मेरे इस कार्य की सब लोग सराहना करने लगे और सब लोग मुझसे बड़े खुश रहने लगे। मैं अब सब लोगों के बीच में चर्चित होने लगा था और सारे लोग मुझे मास्टर जी कह कर बुलाते थे।
मैंने भी बचपन में बहुत ही परेशानियों के बीच में पढ़ाई की थी इसलिए मुझे भी यह ज्ञान था कि यदि मेरी वजह से किसी बच्चे का भला हो जाए तो उसका जीवन सुधार सकता है इसीलिए मैंने यह फैसला लिया। सब बच्चो को मैं अच्छे से पढ़ाने लगा, जो भी बच्चा मेरे पास आता था वह बहुत ही अच्छे से पढ़ता था। उनके माता पिता मेरे लिए कुछ ना कुछ भिजवा देते लेकिन मुझे वह पसंद नहीं था, उसके बावजूद भी मुझे उनसे लेना पड़ता था क्योंकि वह लोग मुझे कहते कि यदि आप हमारे बच्चों के लिए इतना कुछ कर रहे हैं तो क्या हम आप के लिए इतना भी नहीं कर सकते। एक दिन मैं शाम के वक्त बच्चों को पढ़ा कर बाहर टहलने के लिए निकल रहा था, उस वक्त मैंने देखा कि वहां पर एक महिला और एक पुरुष का झगड़ा हो रहा है, मैं जब उनके पास गया तो वह दोनों एक दूसरे पर बहुत ही बुरी तरीके से चिल्ला रहे थे। मैंने उन दोनों को समझाते हुए शांत करवाया। वह लोग मुझे पहचान चुके थे इसलिए उन लोगों ने मुझे अपने घर में बैठा लिया। जब मुझे पता चला कि वह दोनों पति पत्नी है तो मैंने उन दोनों से पूछा कि तुम दोनों इतना क्यों झगड़ रहे हो तो वह कहने लगे कि मैं अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता हूं लेकिन उसके बावजूद भी यह हमेशा ही मुझसे झगड़ती रहती है और कहती है कि आप मेरी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
मैंने उन दोनों को अपने पास ही बैठा लिया, मैंने उन दोनों को समझाते हुए कहा कि इसमें तुम दोनों की गलती नहीं है लेकिन यदि तुम इसी प्रकार से करोगे तो तुम्हारे बच्चों पर इसका बहुत ही बुरा असर पड़ेगा और मैंने उन महिला को भी समझाया कि जितना आपके पति कमाते हैं आपको उतने में ही संतुष्टि करनी चाहिए यदि आप ज्यादा के लालच में रहेंगे तो शायद आपके पति पर उस चीज का गलत असर पड़ेगा। वह भी मेरी बातों को समझ गए, उस दिन दोनों ने ही मुझे अपने घर पर रुकने के लिए कहा, मैंने उस दिन उन लोगों के घर पर ही भोजन किया। जब मैं अगले दिन अपने घर पर बैठा हुआ था तो मेरे पास कुछ महिलाएं आ गई और वह कहने लगे कि आप हमें भी थोड़ा बहुत पढ़ा दीजिए क्योंकि हम लोग भी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं। मुझे उन्हें पढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं थी इसलिए मैंने उन्हें भी पढ़ाना शुरू कर दिया और जब मैंने उन्हें पढ़ाना शुरू किया तो मुझे बहुत ही मेहनत करनी पड़ रही थी क्योंकि उन लोगों ने काफी समय पहले ही कॉलेज छोड़ दिया था इसी वजह से मुझे उन्हें पढ़ाने में बड़ी दिक्कत हो रही थी। उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और मैंने उन्हें पढ़ाने की पूरी कोशिश की। मैं अब उन्हें हमेशा ही शाम के वक्त पढ़ता था। गांव में मेरी सब लोग इज्जत करते थे। एक दिन मैं कॉलेज से लौट रहा था, उस वक्त मुझे एक लड़की ने रोक लिया, वह लड़की दिखने में बहुत ही अच्छी लग रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी शहर की रहने वाली है। जब वह मेरे पास आई तो उसने मुझे अपना परिचय दिया, उसका नाम सोनिया है। मैंने सोनिया से पूछा क्या आपको मुझसे कुछ काम था, वह मुझे कहने लगे मुझे यहां लोगों से पता चला कि आप लोगों के लिए यहां पर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और उन्हें पढ़ा भी रहे हैं। मैंने सोनिया से कहा हां मैं उन्हें पढ़ाता हूं। सोनिया ने मुझे बताया कि मैं भी इसी गांव की रहने वाली हूं और मैं मुंबई में रहती हूं लेकिन मैं भी इसी गांव में रहकर कुछ करना चाहती हूं, मैंने उसे कहा कि क्यों ना फिर तुम यहां पर कोई ट्यूशन सेंटर खोल दो, मैं बच्चों को निशुल्क पढ़ाता हूं।
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तुम भी यदि उन्हें पढ़ाओ तो तुम्हें भी अच्छा लगेगा। वह कहने लगी हां मैं भी यही सोच रही थी। उसने एक घर किराए पर ले लिया और वहां पर ही हम दोनों बच्चों को और महिलाओं को पढ़ाते थे। सोनिया एक बहुत ही अच्छी और समझदार लड़की है और मेरी नजरों में उसकी बहुत इज्जत है क्योंकि वह अपने गांव के लिए बड़ा अच्छा काम कर रही थी। एक दिन खाली वक्त में हम दोनों बैठे हुए थे, सोनिया मुझसे पूछने लगी कि क्या आपकी शादी हो चुकी है, मैंने उसे बताया कि मेरी शादी तो हो चुकी थी लेकिन मेरी पत्नी के साथ मेरा डिवोर्स हो गया है क्योंकि हम दोनों के विचार एक दूसरे से बिल्कुल भी नहीं मिलते इसीलिए हम दोनों ने अलग रहने का फैसला कर लिया है। उसके बाद सोनिया ने मुझसे कुछ भी नहीं पूछा। हम दोनों में बहुत ही अच्छी दोस्ती होने लगी थी एक दिन सोनिया मेरे साथ मेरे घर पर बैठी हुई थी उस दिन वह खाना बना रही थी। जब हम दोनों साथ में बैठ कर बात कर रहे थे तो वह मुझसे चिपक रही थी, मुझे नहीं पता कि उस दिन उसके दिल में क्या चल रहा था लेकिन मुझे उसके साथ बैठना बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने जब सोनिया की जांघों पर हाथ रखा तो मुझे ऐसा लगा जैसे वह मुझसे कुछ चाहती हो। मैंने सोनिया के होठों पर अपने हाथ को रखा तो वह अपने आप ही नीचे लेट गई।
मैंने उसके नरम और गुलाबी होठों को अपने होठों में लेकर चूसना शुरू किया उसके होठों से खून भी निकलने लगा। मैंने उसके स्तनों को दबाते हुए उसके सारे कपड़े उतार दिए जब मैंने उसके गोल मटोल स्तनों को देखा तो मैं बिल्कुल भी नहीं रह पाया और मैंने उन्हें चूसना शुरू कर दिया मैंने सोनिया के स्तनों से खून भी निकाल दिया था, उसके स्तनों पर मैंने लव बाइट भी दी थी। मैंने सोनिया की योनि पर अपनी जीभ से टच किया तो वह बड़ी है मादक आवाज में सिसकियां ले रही थी, मैंने भी तुरंत अपने लंड को सोनिया की योनि पर लगा दिया उसकी योनि बहुत गर्म हो रखी थी। मैंने जैसे ही उसकी नरम और मुलायम योनि के अंदर अपने लंड को डालना शुरू किया तो उसकी योनि से खून निकल रहा था और वह दर्द से कराह रही थी लेकिन मैंने भी धीरे धीरे उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल ही दिया। जैसे ही मेरा लंड सोनिया की योनि के अंदर घुसा तो उसकी योनि से खून की धार बाहर की तरफ निकल आई और उसकी योनि पूरी तरीके से छिल चुकी थी। मुझे उसकी टाइट चूत मारने में बड़ा आनंद आ रहा था, मैंने उसे किस करते हुए बड़ी तेज गति से चोदना शुरू कर दिए। मैं उसे झटके मारता तो वह अपने मुंह से सिसकियां ले रही थी, मुझे उसे चोदने में बड़ा मजा आ रहा था। सोनिया मुझे कहने लगी आपके साथ तो मुझे सेक्स कर के बहुत मजा आ रहा है और आज आपने मेरी जवानी को सफल बना दिया। मेरा वीर्य सोनिया की योनि में गया तो मुझे बड़ा अच्छा महसूस हुआ जब मैंने उसको उल्टा किया तो उसकी बड़ी गांड के अंदर से मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसा दिया और उसे झटके देने लगा। मैंने उसे बड़ी तेजी से चोदना शुरू किया जिससे की उसकी बड़ी बड़ी चूतडे मुझसे टकराती तो मेरे अंदर से सेक्स को लेकर एक अलग ही प्रकार का जोश पैदा हो जाता। मैंने उसे बड़ी तेज गति से चोदना प्रारंभ किया मैंने उसे इतनी देर तक चोदा की उसकी योनि से खून निकल ही रहा था लेकिन मेरा भी पूरा लंड छिल चुका था, जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह बहुत ही खुश हो गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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Story ko achchha banaane ke liye photo kaise upload karte hai. Pls help me
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कामुकता से भरपूर मेरा परिवार
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मेरी बहन अरुणिमा एक दिन घर के आँगन में नहा रही थी.
उसी टाइम मैं कॉलेज से घर आया.
माँ मार्केट गयी थी.
मैं अंदर गया तो मेरे होश उड़ गये.
मैंने देखा कि मेरी बहन अरुणिमा एकदम नंगी होकर नहा रही थी.
उसका चेहरा दूसरी तरफ था इसलिये वो मुझे नहीं देख सकी.
मैं तुरंत दूसरे कमरे में चला गया.
उस कमरे में बहुत अँधेरा रहता है.
मैं वहां खिड़की से नंगी बहन को नहाते हुये देखने लगा. उसकी गोरी चिकनी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने पहली बार अपनी सेक्सी जवान बहन की गांड देखी थी.
मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी अरुणिमा दीदी इतनी सुंदर होगी.
वासनावश मैं अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा.
तभी अरुणिमा दीदी सीधी होकर नहाने लगी.
उसकी बड़ी बड़ी चूची और चूत देखकर मेरे लंड से पानी निकलने लगा.
मैंने कभी भी अरुणिमा दीदी को चोदने का नहीं सोचा था लेकिन मैंने आज सोच लिया था कि मैं अरुणिमा दीदी के कामुक शरीर का मज़ा ज़रूर लूँगा.
मैंने अरुणिमा को पूरा वक्त नंगी नहाते देखा.
फिर उसने कपड़े पहन लिये और अरुणिमा करने के लिये मंदिर वाले कमरे में चली गयी.
फिर मैं भी धीरे से बाहर आकर वापस घर में आया.
फिर उसी दिन शाम को दीदी बालकनी में खड़ी थी.
मैं भी उसी समय जाकर खड़ा होकर दीदी से बात करने लगा.
हमारी बालकनी बहुत छोटी है, उसमें सिर्फ़ एक जना ही खड़ा हो सकता है.
दीदी आगे झुक कर खड़ी थी और मैं उनके पीछे खड़ा होकर बात कर रहा था.
मेरा पूरा ध्यान उनकी गांड पर ही था.
मेरा लंड खड़ा हो गया.
तभी अनायास मेरा लंड उनकी गांड के बीच में अचानक लग गया.
मैं डर गया कि शायद दीदी समझ ना जाये.
लेकिन अरुणिमा दीदी को पता नहीं चल रहा था.
अब मैं अपना लंड उनकी गांड के बीच में जानबूझ कर दबाने लगा.
मेरा आधा लंड उनकी सलवार में घुस गया था लेकिन दीदी मुझसे बात करती जा रही थी.
अचानक दीदी ने और झुक कर अपनी टांगें और फैला दी.
और अब मेरा लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
मुझे डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था.
अचानक मम्मी ने दीदी को आवाज़ दी और दीदी तुरंत मेरे लंड को धक्का देकर नीचे चली गयी.
आज मेरा लंड पहली बार किसी चूत के ऊपर रगड़ रहा था.
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मैंने सोच सोच कर रात में अपना लंड हिलाया.
फिर दूसरे दिन दीदी फिर शाम को बालकनी में खड़ी थी. मैं नीचे से देखकर ऊपर जाने से पहले अपना अंडरवीयर निकाल कर सिर्फ़ एक टावल लगा कर ऊपर गया.
वहां जाकर देखा तो मैं हैरान हो गया क्योंकि अरुणिमा दीदी ने आज अपना बहुत पुराना स्कर्ट पहना हुआ था जो उनके सिर्फ़ घुटनों तक ही आता था.
और वो बालकनी में झुक कर खड़ी थी.
मैंने पीछे से देखा तो उनकी पेंटी भी दिख रही थी.
मेरा लंड उनकी गोरी गोरी जांघ और पेंटी देखकर एकदम खड़ा हो गया.
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मैंने सोचा कि आज कुछ भी हो जाये, मैं आज दीदी की पेंटी में अपना लंड का पानी ज़रूर लगाऊंगा.
तभी दीदी ने मेरी तरफ देखा और बोली- इधर आकर देख … लगता है कि आज बारिश होगी.
मैं तुरंत उनके पीछे से खड़ा होकर आसमान देखने लगा.
मेरा लंड एकदम खड़ा था इसलिये सीधा उनकी गांड में जाकर घुस गया.
मैं एक बार तो डर गया कि दीदी गुस्सा ना हो जाये.
पर दीदी हंसी और बोली- तुम अब बड़े हो गये हो!
मैं समझ नहीं पाया.
मैंने जब दुबारा पूछा तो सिर्फ़ हंसी और कुछ नहीं बोली.
और फिर अपनी गांड मेरी तरफ और फैलाकर खड़ी हो गयी.
अब मेरा लंड उनकी चूत पर लग रहा था.
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मैंने सोचा कि दीदी को मेरे लंड का पूरा पता चल रहा होगा फिर भी नहीं बोल रही है.
तब मैंने सोचा कि शायद दीदी को मज़ा आ रहा होगा.
मैं सोचने लगा कि अब कैसे पता करूँ?
तो मैं अपना लंड धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
दीदी कुछ नहीं बोली.
मैं समझ गया कि दीदी को मज़ा आ रहा है.
मैंने अपने तौलिये में से अपना लंड बाहर निकाला और दीदी का स्कर्ट थोड़ा ऊपर करके अपना लंड उनकी पेंटी पर लगा दिया.
और मेरा लंड दीदी की गांड की दरार में घुस गया.
अब दीदी को मेरा लंड पूरा मज़ा दे रहा था.
उनकी गांड इतनी नर्म थी कि जब मैं अपना लंड उनकी गांड पर दबाता तब उनके चूतड़ फैल जाते.
कुछ ही देर में दीदी की पेंटी चूत के पास में भीग चुकी थी. मेरे लंड और उनकी चूत को एक दूसरे के पानी का मज़ा मिलने लगा.
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