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हम एक दूसरे का हस्त मैथुन कर रहे थेऔर (masturbating) हमारी जीभ एक दूसरे के मुंह में थी. फिर उसने मुझे रसोई के प्लेट्फ़ार्म की ओर धक्का दिया जिस पर मैं ने खाना तैयार किया थाउसने कुछ बर्तन दूर धकेल दिया और मुझे किनारे पर ले आया मुझे पता था कि यह अब जंगली चुदाई का समय आ गया है. और मैं वास्तव में अपने खुद के 18 वर्षीय भान्जे द्वारा फ़हाशा फूहड़ की तरह चुदना चाहती थी
मैं उसके तन्नाए लंड को इस कदर चाह रही थी कि वह मेरे शरीर को चाहे चोद के बरबाद ही कर दे और मुझे चाहे तो इसके लिए अपना गुलाम ही बना ले ,इसमे मुझे लेश मात्र भी सन्देह नहीं रह गया था
अब उसने मुझे किचन के प्लेट्फ़ार्म के किनारे पर ढकेल कर लगा दिया था और मैंने भी उसका लंड अपने हाथ में पकड़ कर अपनी टांगों के बीच ले आई थी मेरे पैर उसके दोनो ओर फ़ैले थे और उसकी कमर से लिपटे हुए थे
वह थोड़ा अनाड़ी लग रहा था और इस बारे में निश्चित नहीं लग रहा था कि वह कैसे योनि भेदन कर प्रविष्ट होगा अतः मैं ने उसके लंड को पकड़ कर योनिमुख पर रखा और उसकी कमर को पकड़ कर अपनी ओर खींचा आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.....
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20-01-2021, 06:04 PM
(This post was last modified: 20-09-2023, 11:20 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं गर्मी से भर उठी थी और उसके लण्ड ने मेरी चूत को भर दिया था उसका चेहरा करीब -करीब मेरे चेहरे पर था और वह बहुत लम्बी लम्बी साँस ले रहा था. वह मुझे चूम रहा था, लेकिन लण्ड मुझेजंगली बनाने के लिय अंदर था. मैं चाहती थी कि वह मुझे एक जंगली कुत्ते की तरहचोद डाले l
पहले वह मुझे धीरे धीरे चोद रहा था कुछ सेकंड के बाद अचानक मुझे बहुत तेजी से चोदना शुरू कर दिया l जब वह मुझे बहुत बहुत बहुत तेजी से बिना किसी चेतावनी के अचानक चोदना शुरू करता तो मुझे अपनी सांस को सम्भालने के लिए प्रयास करना पड़ता l यह मुझे और भी अधिक जंगली बना रहाथा . सबसे पहले, एक हाथ से उसके सिर के पार हाथ डाल कर उसे अपने करीब खींच लिया. मेरा दूसरा हाथ उस के धक्कों को सम्भालने के लिये उसकी कमर के पार था अब, मैं पूरी तरह से बेपरवाह थी और मेरे दोनों हाथ पीछे रसोई के प्लेट्फ़ार्म पर टिके थे और मेरे शरीर को सहारा दे रहे थे l मैंनेअपनी पीठ को मोड़्कर धनुषाकार किया जिससे मेरे स्तन मेरे मेरे भान्जेअमित के चेहरे की ओर निकल कर आ रहे रहे थे. अमित मेरे स्तनों को उसके चेहरे की ओर झुका हुआ देखा और मेरे खड़े हुए चुचूक अपने मुँह के करीब पाकर उन्हे चूसना आरम्भ कर और उसी समय ,मुझे जंगली कुत्ते की तरह चोदना शुरू कार दिया..l......
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कई बार गीला और चिपचिपा होने के कारण उसका लण्ड फ़िसल कर चूत से निकल जा रहा था क्योंकि मेरी चूत लगातार योनिरस छोड़ रही थी किन्तु वह उसे पुनः चूत में घुसेड़ देता और चोदने लगता और हम लगातार एक दूसरे को चोद रहे थे हर बार वह और तेजी से धक्का मारता जो मेरे आनन्द को बढ़ा देता ,मेरीसाँसे मेरा साथ छोड़ने को उद्धत लगती थी जिसके कारण मैं उठी हुई (चुदाने को आतुर)कुतिया की तरह कराह रही थी (कमोन्माद से) l
मेरी कमोन्माद से उठने वाली कराहट को बन्द करने के लिए वह अपनी उँग्लियाँ मेरे मुँह में घुसेड़ दे रहा था और मैं तुरन्त अपना मुँह बन्द करके उसकी उँगलियों को लण्ड की तरह चूसने लगती
एकाएक उसने चोदना रोक दिया...l.
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और मुझे कमर से पकड़ लिया और किचन के प्लेट्फ़ार्म के किनारे से खींचाऔर मुझे फ़र्श पर घुट्नों के बल खड़ा कर दिया ह्ड़्बडा कर मैंने उसका गीला लण्ड पकड़ कर अपने मुँह मे रख लिया और अपना सिर आगे - पीछे कर उसे चूसना आरम्भ कर दिया कई बार तो उसके पेल्हड़ो को चूसा और अपनी जीभ लण्ड पर ऊपर नीचे फ़िराई अब उसका लण्ड मेरे मुँह मे था और अचानक मैंने भी उसका लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और जैसे ही उसने अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर आगे पीछे करते ही एक तेज धार मेरे चेहरे पर पड़ीऔर मैंने हड़बड़ा कर अपना मुँह हटाने की कोशिश की किन्तु तब तक उसने मेरे माथे ,मेरे बालों ,मेरे गालों पर बौछार कर दी जो धीरे धीरे मेरे गालों .ठोढ़ी होंठों से बहता हुआ मेरे नग्न स्तनों पर बहने लगा झड़ने के बाद भी उसका झड़ा हुआ लण्ड मेरे मुँह के सामने था मैंने प्यार से चूम लिया और उसका सारा वीर्य अपने चेहरे पर मल लिया ,अब तक मेरा चेहरा उसके वीर्य से पूरी तरह से लथपथ हो चुका था .मैंने कभी सोचा नहीं था कि कोई नौजवान इतना अधिक वीर्य भरे घूमता होगा ,मेरे पति ने कई बार मेरे स्तनोंपर ,पेट पर वीर्य त्याग किया था किन्तु चेहरे पर कभी नहीं जो इस लड़्के ने पहली बार ऐसा कर के मुझे और अधिक उत्तेजित कर दिया था
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सके लण्ड का कुछ भाग मेरे होठों पर था और मैंने अपने होठ बन्द कर लिया था और धीरे से वीर्य को थूकने की कोशिश कर रही थी जो मेरे मुँह के अन्दर चला गया था अब मैंने खुद को फ़र्श पर ढीला छोड़ दिया और मेरा भान्जाभी उतर आया और बाथरूम जाने से पहले एक बार अपने आगोश में भर कर आलिगंन किया उसकी शार्ट तथा अण्डरवियर मेरे सामने फ़र्श पर मेरी साड़ी और ब्लाउज के पास ही पड़े थे
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the end 
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मेरा नाम अक्षिता तिवारी है। मैं गोवा में रहती हूँ। मेरी उम्र 32 साल है। मैं देखने में बेहद खूबसूरत हूँ। मैं एक शादी शुदा औरत हूँ। मेरे हसबैंड कॉलेज टीचर है। मेरी शादी हुए सात साल हो चुके है। मै अभी तक माँ नहीं बनी हूँ।
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चुदने के लिए अपने भतीजे आर्यन का लंड परफेक्ट लग रहा था। उससे सेक्स करने का मन हो रहा था। वो तो अभी अभी जवान हुआ था। मेरे को उसकी पर्सनालिटी बड़ी अच्छी लगती थी। लगभग 6 फीट का जवान मर्द लग रहा था। आर्यन की उम्र 25 साल की थी। जब भी वो अंडरबियर में घूमता था तो मैं उसके लंड को ही ताड़ती रहती थी। सुबह सुबह जब वो अपने रूम से निकलता था आर्यन का अंडरबियर फूला फूला दिखता था। उसका लंड देखने में बहोत बड़ा लग रहा था। मेरे मुह में उसे चूसने के लिए पानी आ जाता था। मै भी कुछ कम न थी। मैं भी देखने में एक दम कट्टो माल लगती थी। मेरी जवानी का मेरे पति ने अच्छे से मजा भी नहीं ले पाए थे। शादी शुदा होकर भी मैं अभी तक चुदाई का भरपूर मजा नही ले पाई थी
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मेरे को तो कभी कभी लगता था कि शादी करके मैंने कोई बहोत बड़ी भूल कर दी। शादी से पहले ही मैं कई लंड का दर्शन कर चुकी थी। मेरी जवानी को आर्यन भी बहोत ताड़ता था। मै अक्सर उसे अपने बड़े बड़े दूध का दर्शन करा देती थी। मै उसके सामने ढीली ब्लाउज पहनकर जाती थी। नीचे झुककर उसे अपने बूब्स का दर्शन करा देती थी। वो मेरे बूब्स को देखते ही अपना लंड खड़ा कर देता था। जानबूझकर मेरे को ऐसा करने में मजा आ रहा था। धीरे धीरे एक दूसरे के दिल की बात पता चलने लगी। वो भी मेरे को चोदने को तड़प रहा था। मेरे को मायके जाना था। सब लोग घर पर बिजी थे। आर्यन की उस समय कुछ दिनों की छुट्टी चल रही थी। मैंने उससे अपने मायके को जाने की बात की। मेरा मायका हैदराबाद में पड़ता था। दो शीट रिज़र्व करा के हम लोग शाम को ट्रेन का इंतजार स्टेशन पर कर रहे थे। आर्यन भी मेरे साथ बैठा था।
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तभी ट्रेन आ गयी। हम लोग अपनी शीट पर जाकर बैठ गए। मैं अपनी शीट पर बैठी थी। खिड़की तरफ जाकर आर्यन बैठ गया। मेरे बगल में एक मर्द बैठा था। वो मेरे को घूर घूर कर देख रहा था। आर्यन मेरे को खिड़की के बगल की शीट देकर खुद मेरी वाली शीट पर बैठ गया। रात के लगभग 1 बज गए। सारे लोग चादर ओढ़ कर झपकी ले रहे थे। उस समय हल्की हल्की ठंडी पड़ रही थी। कही से हवा पास होकर हम लोगो को लग रही थी। मेरे पास एक ही चादर था। मै चादर ओढ़े हुए बैठी थी। आर्यन ने उस दिन हाफ जैकेट पहना हुआ था। जिससे उसके हाथ में ठण्ड लग रही थी। चादर काफी बड़ा था। मैंने उसे थोड़ा सा चादर देकर ओढ़ने को कहा। वो मेरे करीब आकर ओढ के बैठ गया। मेरा मूड तो खराब हो रहा था। मै चुदने का बहाना ढूंढने लगी।
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लेकिन ट्रेन में तो सिर्फ चुदने की बात फिक्स हो सकती थी?
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मै: आर्यन मेरे से चिपक कर बैठ जाओ?
आर्यन: ठीक है! और कितना चिपक जाऊं?
मैंने उसका हाथ पकड़ कर खीच कर खुद से चिपका लिया। वो मेरे को देखने लगा। उसका शरीर तो बहोत गर्म लग रहा था।
मै: तेरे जिस्म में तो बड़ी गर्मी है। इतनी गर्मी का एहसास तो चादर से भी नहीं हो पा रहा था।
आर्यन: तुम भी कुछ कम गर्म नही हो आंटी! तुम्हारे बदन पर तो मै हाथ रख कर सेक सकता हूँ। इतनी गर्म तुम्हारी बॉडी लग रही है।
मै: अच्छा बेटा! मस्का लगा रहे हो?
आर्यन: नहीं आंटी मैं सच कह रहा हूँ।
मै: तुम मेरे को आंटी न कहा करो? तुम मेरे को अपना फ्रेंड मान सकते हो। मेरे को नाम से बुलाया करो।
आर्यन: ठीक हैं
मै उससे चिपक कर अपना दूध स्पर्श कराने लगी। वो मेरे दूध के स्पर्श से ही मेरे को अजीब नजरो से देखने लगा।
आर्यन: आपका वो…वो…मेरे सीने में लग रहा है।
मै: क्या लग रहा है?
आर्यन: आपको पता है उसे हटा ले! नहीं तो मेरे को पता नहीं क्या होने लगता है।
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मै: जिससे तुम्हे प्रॉब्लम हो तुम खुद ही हटा दो।
आर्यन मेरे दोनों चुच्चो को छू कर दूर करने लगा।
मै: तुम तो इसे छूने से ऐसे डर रहे हो जैसे आज तक तुमने कभी छुआ ही नही है।
आर्यन: आंटी! सही कह रही हो! मैंने आज तक किसी को हाथ नहीं लगाया।
मै: मतलब तुम्हे कुछ नही पता है! इतने बड़े हो गए हो तेरे को अभी छूने का मौका ही नहीं मिला।
आर्यन: हमसे कोई लड़की आज तक पटी ही नही। हिंदी पोर्न स्टोरीज डॉट कॉम
मै: चलो मै तुम्हारा आधा डर इन मामलो में दूर कर कर देती हूँ। बाकी का आधा घर पर पहुच के कर दूँगी।
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No Matter what you write and how you write, You're writing is always too good.. One can't just help but to go through all your posts.
Awesome..
Carry On.
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(25-05-2022, 03:55 PM)neerathemall Wrote: मौसी ने बुर खिलाई भांजे को
मैं ग्रामीण इलाके से संबंध रखता हूं और मेरी उम्र 19 साल है. मेरा रंग हल्का सांवला है और शरीर भरा हुआ है. मेरा लंड 6.5 इंच का मोटा सा है. मेरी मौसी की तो बात ही क्या करें. उनकी उम्र 36 साल की है. उनकी सांवली सूरत और गाल पर पागल बना देने वाले डिंपल हैं. मौसी का 34-28-36 का कातिलाना जिस्म है. मुझे वो मदहोश कर देने वाली जवानी लगती हैं और अब तो मुझसे चुदवा कर वो मेरी जान ही बन गई हैं.
ये बात तब की है, जब पूरा विश्व कोरोना का कहर झेल रहा था. मेरे सालाना एग्जाम हो चुके थे और एग्जाम से फ्री होने के बाद अपनी मौसी के घर घूमने गया था. मौसी के घर आने के कुछ दिन बाद अचानक से लॉकडाउन लग गया. मेरे मौसा जी दिल्ली में काम करते थे और उनका इकलौता बेटा भी वहीं पढ़ता था. वो दोनों वहीं दिल्ली में फंस गए थे. हालांकि मौसा जी इस बात से निश्चिंत थे क्योंकि उन्हें मालूम था कि मौसी का ख्याल रखने के लिए मैं गांव में था.
अब घर में केवल मैं और मौसी ही बचे थे. मेरी मौसी काफी अमीर हैं और वो अपने जिस्म का काफी ख्याल रखती हैं.
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कोरोना के कारण सब कुछ बंद हो गया था. हम दोनों के दिन घर की चारदीवारी में ही बीतने लगे.
चार दिन बाद सुबह के समय मैं उठा, तो मैंने देखा कि मौसी बाथरूम में नहा रही थीं. बाथरूम का दरवाजा पूरी तरह से लगा नहीं था इसलिए अन्दर का मदमस्त कर देने वाला नजारा साफ़ दिख रहा था. नंगा सीन देख कर मैं ठिठक गया और देखने लगा. सुबह के समय वैसे ही मन में कुछ उत्तेजना रहती है और मेरा लंड भरा हुआ था.
मैंने चुपचाप अपनी मौसी को नहाते हुए देखना शुरू कर दिया. साबुन के झाग से उनके दोनों मम्मे ढके हुए थे और वो नीचे पैंटी पहनी हुई थीं. मैं अपने लंड को सहलाते हुए मौसी को देखने लगा. बड़ा ही मस्त नज़ारा था.
जब मौसी ने अपने जिस्म पर पानी डाला तो उनके दोनों चूचे साफ़ दिखने लगे और मेरे अन्दर की आग भड़क उठी. साथ ही साथ खड़ा हो चुका मेरा लंड फड़फड़ा उठा.
मैं भूल गया कि सामने मेरी मौसी हैं … मुझे तो बस एक मस्त कांटा माल दिखाई दे रहा था.
मौसी का नंगा बदन मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं कोई पोर्न वीडियो में किसी पोर्न ऐक्ट्रेस को नंगी देख रहा हूँ.
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मैं अपना लंड हिलाने लगा. उसी बीच न जाने कैसे उन्हें दरवाजे के बाहर हलचल समझ आ गई और मेरी मौसी जान गई थीं कि मैं जाग गया हूँ और उन्हें देख रहा हूँ. मौसी ने दरवाजे को खींचा, तो मैं समझ गया कि शायद मौसी ने मेरी उपस्थिति को महसूस कर लिया है. ये सोचते ही मानो मेरे लौड़े लग गए थे और कैसे भी करके मैं वहां से कमरे में आ गया. मेरी हालत खराब हो गई थी.
इधर मेरा लंड बिना झड़े मानने को तैयार नहीं था. मैंने कैसे भी करके अपने लंड की मुठ मारी और खुद को शांत किया. अब मेरा नजरिया मौसी के लिए बदल गया था. दिन भर मैं बस उनके चूचों को देखता और उनको चोदने की तमन्ना मन में बसाए हुए लंड सहलाता रहता था.
सुबह जैसे ही मौसी नहाने जातीं … मैं दरवाजे की झिरी से मौसी का नंगा बदन देखने लगता था.
मौसी भी अपनी चुत में उंगली करती रहतीं और अपने दूध दबाती रहती थीं.
दो दिन बाद बात ही बात में मौसी को चोदने का अवसर बनता नजर आया.
उस दिन मौसी और मैं लूडो खेल रहे थे.
मौसी ने मैक्सी पहनी हुई थी. जिसका गला काफी खुला हुआ था. मैंने एक ढीला सा बरमूडा पहना था. ऊपर कट वाली बनियान पहनी थी. मेरा चौड़ा सीना शायद मौसी को भाने लगा था. वो झुक झुक कर लूडो की डायस फैंक रही थीं और अपनी गोटियां चल रही थीं. इससे उनके मम्मे साफ़ दिख रहे थे.
तभी मैंने मौसी की एक गोटी मार दी.
मौसी एकदम से बोलीं- अरे यार, मेरे पीछे क्यों पड़ा है, तूने तो मेरी पकी पकाई मार दी.
मैं उस समय मौसी के मम्मे देख कर मस्त हो रहा था और उनके मुँह से ये सुनकर कि मैंने उनकी मार दी है … मैं एकदम से गनगना गया.
कुछ देर बाद मैं गेम जीत गया, तो मौसी बोलीं- चल, अब बाद में खेलेंगे. मैं उनकी तरफ देखने लगा. अब हमारी बातें होने लगीं.
मौसी ने मुझे एक अजीब सी बात पूछी- तेरा किसी लड़की से चक्कर तो जरूर होगा बाबू?
मैं चौंक गया और बोला- अरे नहीं मौसी … ऐसा कुछ नहीं है.
मौसी थोड़ा हंसी.
फिर उन्होंने मुझसे सीधे सीधे वो पूछ लिया, जिसका इंतजार मुझे इतने दिनों से था- तब तो तूने कभी वो सब भी नहीं किया होगा?
मैं- वो सब क्या मौसी?
मौसी – देख ज्यादा भोला मत बन … मुझे सब पता है.
मैं- क्या मौसी ?
मौसी बनावटी गुस्से में बोलीं- अच्छा … तू उस दिन से मुझे रोज सुबह नहाती देखता है ना?
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मैं ये सुनकर डर गया और बोला- न….नहीं तो मौसी!
मेरे इतना कहते ही मौसी मेरे करीब आ गईं और उन्होंने अपनी एक हथेली से मेरी जांघ को दबा दिया.
मौसी – मैंने तुझे उस दिन ही देख लिया था, जब तू भाग कर कमरे में गया और अपना हिला रहा था.
अब मेरी हालत खराब हो गई- मौसी मुझसे गलती हो गई, माफ कर दो.
कुछ देर बाद मौसी बोलीं- देख तू मुझे खुश कर दे वरना मैं भैया को सब बता दूंगी.
मैं चुप हो गया और मेरी नजरें झुक गईं.
मौसी – बोल न … क्या तू मेरी गर्मी दूर करेगा?
ये कह कर मौसी ने मेरी जांघ से हाथ अन्दर को सरका कर मेरे लंड को सहला दिया. मेरा लंड कड़क होने लगा था. मेरे अन्दर का डर भी अब साहस में बदलने लगा था. मैंने उन्हें देखा, तो मौसी ने आंख दबा दी.
मैं समझ गया कि यह हॉट औरत सेक्स के लिए बेचैन है. मैंने बिना रुके अपने होंठ आगे बढ़ा दिए और मौसी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए. बस इतना हुआ ही था कि मौसी तो मेरे ऊपर एकदम से मानो टूट पड़ीं और मेरे पूरे मुँह पर चुम्बन करने लगीं. मैं भी कई दिनों से भूखे शेर की तरह उन पर टूट पड़ा.
लगभग दस मिनट हमने केवल लिपकिस किया. मौसी बीच में रुक जाती थीं, शायद वो सांस लेने लगती थीं. अब मेरा लंड और तड़प उठा था. मौसी ने मुझे धक्का दे दिया और मेरे सीने पर झुक कर मुझे चूमने लगीं. मैंने नीचे से उनके गाउन में हाथ डाला और ऊपर करके बाहर निकाल दिया. मौसी ने अन्दर ब्रा नहीं पहनी थी. लग रहा था कि मौसी चुदने के लिए पूरी तैयार होकर आई थीं. उनके मोहक मम्मों को मैंने दबाना और मसलना शुरू कर दिया. मौसी मेरे मुँह में एक दूध देने लगीं और मैंने मौसी के उस दूध का निप्पल अपने मुँह में दबा लिया और दबाते हुए चूची चूसने लगा.
वे ‘आह … आह …’ करती रहीं.
मैंने कुछ ही देर में मौसी के दोनों दूध चूस चूस कर लाल कर दिए.
फिर उनको खड़ा कर दिया और अपने आपको मौसी के पीछे करके मैं मौसी के दोनों मम्मों को मसलने लगा. इस समय मौसी केवल पैंटी में थीं.
मौसी भी मेरे ऊपर टूट पड़ीं और मेरे जिस्म पर बनियान बरमूडा और कच्छे को उतार कर दूर फेंक दिया.
मैं नंगा हो गया था और मेरा लंड मौसी की नंगी जवानी को खा जाने के लिए एकदम रेडी था.
मौसी ने मेरा मोटा लम्बा लंड देखा और वो उसे ऊपर से सहलाने लगीं.
मैंने उनका हाथ पकड़ा और उन्हें बिस्तर पर धकेल दिया.
आज मौसी ने अलग ही किस्म का परफ्यूम लगाया था, उनकी पूरी चूत महक रही थी.
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मैंने पैरों से चूमना शुरू किया और जांघों पर आकर मौसी की संगमरमर से बदन को चाटने लगा. मौसी आंह आंह करने लगीं और वो मेरे सर पर अपना हाथ फेरने लगीं. मैंने मौसी की पैंटी की इलास्टिक में उंगलियां फंसाईं और उनकी पैंटी को नीचे कर दिया.
आह … मेरे सामने मौसी की एकदम चिकनी चुत खुल गई थी. हल्की सांवली सी चुत … जिस पर से चॉकलेटी महक आ रही थी. एक बार मौसी की तरफ देखा मैंने … तो मौसी की वासना से तप्त आंखें मेरे सामने एक प्यासी औरत की कामुकता को दर्शा रही थीं. मैंने अपनी नजर नीचे की तो मेरे सामने उनके दोनों चूचे बिल्कुल पहाड़ के जैसे तने थे. उनमें जरा भी ढलकाव नहीं था.
मैंने एक हाथ से एक दूध पकड़ा और बस के हॉर्न जैसे दबा दिया. इस बार मैंने मौसी का दूध कुछ जोर से मसला था तो मौसी की आह निकल गई और इसी के साथ उनकी चुत कुछ ऊपर को उठ गई. मैंने उसी पल मौसी की चुत में जीभ फेर दी. मौसी तड़फ उठीं और मेरे सर को उन्होंने जोर से अपनी चुत पर दबा दिया.
पूरी चुत नमकीन रस से भरी पड़ी थी. मैंने चुत चाटना शुरू कर दिया और मौसी आह आह करती हुई अपनी चुत चटवाने का सुख लेने लगीं.
कुछ ही देर में मौसी की चुत ने रस छोड़ दिया और मैंने चुत को चाट चाट कर पूरा साफ़ कर दिया.
मौसी की आंखें एकदम से लाल हो गई थीं. वो कुछ शिथिल सी पड़ी हुई मेरी तरफ देख रही थीं और मेरे सर को सहला रही थीं.
अब तक मैं बहुत गर्म हो गया था और मेरा लंड फट पड़ने को था.
मैं उठा और मौसी की चुत की तरफ मुँह करके 69 में हो गया. इससे मेरा लंड मौसी के मुँह की तरफ आ गया था. मौसी ने मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं.
कोई पांच मिनट बाद मौसी ने मेरे लंड को निचोड़ लिया था और रस को खा गई थीं.
हम दोनों एक एक बार झड़ चुके थे.
हमारे बीच आपस में किसी तरह की कोई बात नहीं हो रही थी.
फिर मौसी ने उठ कर दराज से एक सिगरेट निकाली और जला कर धुंआ उड़ाने लगीं.
उन्होंने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा तो मैंने अपनी उंगलियां उनकी तरफ बढ़ा दीं.
मौसी ने सिगरेट मेरी उंगलियों में फंसा दी.
मैंने धुँआ उड़ाना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद हमारे बीच फिर से माहौल बन गया और मैंने मौसी को लिटा दिया. एक बार फिर से हमारे बीच सेक्स होने लगा. लंड खड़ा हो गया था, चुत गर्मा गई थी.
मैंने मौसी की दोनों टांगें फैला दीं और लंड का सुपारा चुत की फांकों में सैट कर दिया. कुछ देर लंड चुत पर रगड़ा और एकदम से अन्दर पेल दिया. मौसी की मस्त आंह निकल गई और हमारे बीच चुदाई शुरू हो गई. दस मिनट तक मौसी को मिशनरी पोज में चोदने के बाद मैंने लंड निकाला और चित लेट गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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