Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
29-09-2021, 03:10 PM
(This post was last modified: 29-09-2021, 03:12 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अमेरिका जाकर चुदी
.................. .............
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
बहुत बड़े क्षत्रिय घराने से, ससुराल में हमारा बिज़नस बहुत है, तो मायके में सब राजनीति में हैं। इसलिए मैं अपना नाम पता आपको कुछ भी नहीं बता सकती, नाम भी नकली है।
चूतिया बनाने का तरीका
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
मगर अब जब इतने बड़े घर से हूँ, तो मायके में भी और ससुराल में भी पैसे की या किसी भी और चीज़ की कोई तंगी मुझे कभी भी महसूस नहीं हुई, बल्कि ज़रूरत से ज़्यादा हो तो इंसान जल्दी बिगड़ जाता है।
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था, मैं भी अपने स्कूल के समय से सब पर धौंस जमाती थी, कॉलेज में भी, यूनिवर्सिटी में भी। पढ़ाई में भी होशियार, और बाकी सब कामों में भी। स्कूल कॉलेज में ही मैं पहली बार किसी की लुल्ली से खेली थी और पहली बार चुदवा कर देख लिया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
उसके बाद तो मैंने खूब सेक्स किया। बड़े घर की बेटी, बड़े घर की ही बहू बनी। बेशक सुहागरात को ही पति का बड़े आराम से घुस गया, मगर पति कौन सा कुँवारा था, उसका भी टोपे का टांका टूटा हुआ था। तो ना वो बोले, न मैं बोली।
शादीशुदा ज़िंदगी बड़े मज़े से चलने लगी, बच्चे भी हो गए। पति ने भी अपने बिज़नस में खूब तरक्की करी। मेरे पति के बिज़नस पार्टनर की बीवी कविता भी मेरी दोस्त बन गई, अक्सर मिलना, घर आना जाना, एक साथ घूमना फिरना, और किट्टी पार्टी, और न जाने कितने मौकों पर मिलना होता रहता था।
धीरे धीरे हम दोनों पक्की सहेलियां बन गई। कई बार हम दोनों अपने पति और परिवार के साथ देश विदेश के दौरों पर घूमने जाते। बाहर जाते सब अपने अपने हिसाब से मज़े करते, हम दोनों ने भी खूब मज़े किए, पहली बार जब हम लोग यूरोप घूमने गए, तब मैंने और कविता ने पहली बार किसी अंग्रेज़ से सेक्स करके देखा।
अब पति लोग तो गए थे अपने बिज़नस के चक्कर में और हम दोनों होटल के रूम में शाम तक अकेली थी, तो हमने अपने होटल का ही एक अंग्रेज़ वेटर पटा लिया, उससे पैसे की बात की और वो लड़का मान गया।
उस दिन पहली बार हम दोनों सहेलियों ने एक दूसरी के सामने किसी गैर मर्द से अपनी फुद्दी मरवाई. दोनों सहेलियों ने किसी गैर मर्द का लंड चूसा. और सिर्फ इतना ही नहीं, पहले हमने एक दूसरी को किस किया, होंठ चूसे, एक दूसरी की जीभ चूसी, एक दूसरी के मम्मे दबाये, चूसे भी, और अगल बगल लेट कर हमने उस अंग्रेज़ लड़के से चुदवाया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
मगर उसके बाद हम दोनों आपस में बहुत ज़्यादा खुल गई, एक दूसरी को कुत्ती, कामिनी, रंडी, गश्ती, मादरचोद, बहनचोद तो यूं ही मज़ाक में कह दिया करती थी। कभी हमें एक दूसरी की किसी भी बात पर गुस्सा आता ही नहीं था।
यूरोप से भारत वापिस आई, तो उसके बाद तो हम दोनों सहेलियों ने और भी बहुत से लोगों से चुदवाया, साथ में भी अलग अलग भी।
अब मुझे मेरे व्यक्तित्व के कारण और पारिवारिक प्रष्ठभूमि के कारण बार बार राजनीति में आने का दबाव बन रहा था, तो मैंने सोचा, सब कह रहे हैं, तो राजनीति में आ ही जाते हैं।
सबसे पहले मुझे अपनी ही पार्टी की महिला विंग की प्रधान बना दिया गया, उसके बाद मैं पार्षद का चुनाव जीता, और फिर अगली बार मैंने विधायक के चुनाव में खड़े होने की सोची। मगर जितना मैंने सोचा था, उस से कहीं मुश्किल लगा मुझे विधायक का चुनाव जीतना।
इतनी भाग दौड़, इतना शोरोगुल, इतनी मानसिक और शारीरिक थकावट।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
जब मैं चुनाव जीत गई तो मैंने कविता से कहा- यार, इस चुनाव ने तो साली मेरी गांड फाड़ कर रख दी, बहुत थक गई हूँ, क्यों न कुछ दिन के लिए रेस्ट मारा जाए और कुछ एंजॉय किया जाए। कविता बोली- साली मादरचोद की गांड फटी पड़ी है, फिर लौड़े लेने की सोच रही है।
मैंने हंस कर कहा- अरे कुतिया, मेरी फटी और तरह से पड़ी है, लौड़े लेने का क्या है, वो तो फुद्दी में लेने हैं। और तू मेरे साथ जाएगी, तू क्या नहीं लेगी, मुझसे पहले तो तेरी चूत खड़ी हो जाती है।
हम दोनों हंस पड़ी और सोचा के कुछ ऐसा किया जाए कि बस मज़ा आ जाए।
तो मैंने अपने एक अमेरीकन दोस्त से बात की, उसने मुझे एक नई स्कीम बताई। तो उसकी सलाह पर मैं और कविता दोनों 15 दिन के लिए अमेरिका चली गई।
अमेरिका में हमें प्रवीण खुद एअरपोर्ट पर लेने आया, प्रवीण ही हम दोनों का दोस्त, और राज़दार था। हमें होटल में छोड़ कर वो चला गया।
हमारा मस्ती टाइम शुरू हो चुका था.
तो सबसे पहले हमने अपने लिए शराब, सिगरेट, नॉनवेज वगैरह ऑर्डर किया क्योंकि अपने देश में तो हम ये सब सबके सामने नहीं खा पी सकती थी। भारत में तो हमारी इमेज एक बहुत ही सीधी सादी घरेलू औरत की इमेज थी।
जब दो दो पेग हमने चढ़ा लिए, 4-5 सिगरेटें भी फूँक दी, मांस मछली भी खा लिया तो फिर हमने अपने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगी हो गई।
उसके बाद हमने और भी बहुत कुछ ऑर्डर किया और हर बार जो भी वेटर हमें हमारा ऑर्डर देने आता, हम उसके सामने नंगी ही जाती और उन लोगों से खूब छेड़खानी करती।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
29-09-2021, 03:17 PM
(This post was last modified: 29-09-2021, 03:22 PM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
.
हमारा पूरा मूड था कि होटल के दो चार बैरे हमें चोद दें. यहाँ तक कि हमने उनको ऑफर भी कर दी कि अगर आप हमारे साथ सेक्स करोगे, तो हम आपको पैसे भी देंगी. मगर वो साले बड़े प्रोफेशनल थे, साले सब के सब ‘सॉरी मैम … सॉरी मैम!’ करके निकल जाते। किसी मादरचोद ने हमारी फुद्दी नहीं मारी।
जब कोई जुगाड़ नहीं बना और हम दोनों को नशा भी बहुत चढ़ गया तो हम दोनों एक दूसरी को ही अपनी बांहों में भर कर बेड पर लेट गई। पहले तो एक दूसरी को देखा, और फिर कविता ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये. मैं भी तैयार थी कि चलो अगर लंड नहीं मिलता तो आज फुद्दी से फुद्दी मरवा के देख लेते हैं।
मगर कुछ देर एक दूसरी की बांहों में बांहें डाले लेटे लेटे, एक दूसरी को चूमते हुये कब हमें नींद आ गई, पता ही नहीं चला।
सुबह काफी लेट उठी हम!
उठ कर देखा तो सारा सूइट बिल्कुल साफ सुथरा था, मतलब हाउस कीपिंग वाले अपना काम कर गए थे, और शायद हम दोनों को नंगी सोते हुये भी देख गए थे।
चलो कोई परवाह नहीं।
दोस्तो, मैं आपकी दोस्त सुनीता, और आज काफी दिन बाद मुझे समय मिला अपनी हिंदी पोर्न कहानी लिखने का। दरअसल बात यह है कि मैं एक बहुत ही बड़े घर से ताल्लुक रखती हूँ। बहुत बड़े क्षत्रिय घराने से, ससुराल में हमारा बिज़नस बहुत है, तो मायके में सब राजनीति में हैं। इसलिए मैं अपना नाम पता आपको कुछ भी नहीं बता सकती, नाम भी नकली है।
मगर अब जब इतने बड़े घर से हूँ, तो मायके में भी और ससुराल में भी पैसे की या किसी भी और चीज़ की कोई तंगी मुझे कभी भी महसूस नहीं हुई, बल्कि ज़रूरत से ज़्यादा हो तो इंसान जल्दी बिगड़ जाता है।
मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही था, मैं भी अपने स्कूल के समय से सब पर धौंस जमाती थी, कॉलेज में भी, यूनिवर्सिटी में भी। पढ़ाई में भी होशियार, और बाकी सब कामों में भी। स्कूल कॉलेज में ही मैं पहली बार किसी की लुल्ली से खेली थी और पहली बार चुदवा कर देख लिया था।
उसके बाद तो मैंने खूब सेक्स किया। बड़े घर की बेटी, बड़े घर की ही बहू बनी। बेशक सुहागरात को ही पति का बड़े आराम से घुस गया, मगर पति कौन सा कुँवारा था, उसका भी टोपे का टांका टूटा हुआ था। तो ना वो बोले, न मैं बोली।
शादीशुदा ज़िंदगी बड़े मज़े से चलने लगी, बच्चे भी हो गए। पति ने भी अपने बिज़नस में खूब तरक्की करी। मेरे पति के बिज़नस पार्टनर की बीवी कविता भी मेरी दोस्त बन गई, अक्सर मिलना, घर आना जाना, एक साथ घूमना फिरना, और किट्टी पार्टी, और न जाने कितने मौकों पर मिलना होता रहता था।
धीरे धीरे हम दोनों पक्की सहेलियां बन गई। कई बार हम दोनों अपने पति और परिवार के साथ देश विदेश के दौरों पर घूमने जाते। बाहर जाते सब अपने अपने हिसाब से मज़े करते, हम दोनों ने भी खूब मज़े किए, पहली बार जब हम लोग यूरोप घूमने गए, तब मैंने और कविता ने पहली बार किसी अंग्रेज़ से सेक्स करके देखा।
अब पति लोग तो गए थे अपने बिज़नस के चक्कर में और हम दोनों होटल के रूम में शाम तक अकेली थी, तो हमने अपने होटल का ही एक अंग्रेज़ वेटर पटा लिया, उससे पैसे की बात की और वो लड़का मान गया।
उस दिन पहली बार हम दोनों सहेलियों ने एक दूसरी के सामने किसी गैर मर्द से अपनी फुद्दी मरवाई. दोनों सहेलियों ने किसी गैर मर्द का लंड चूसा. और सिर्फ इतना ही नहीं, पहले हमने एक दूसरी को किस किया, होंठ चूसे, एक दूसरी की जीभ चूसी, एक दूसरी के मम्मे दबाये, चूसे भी, और अगल बगल लेट कर हमने उस अंग्रेज़ लड़के से चुदवाया।
सच में ये बहुत ही मज़ेदार एक्सपीरिएन्स रहा।
मगर उसके बाद हम दोनों आपस में बहुत ज़्यादा खुल गई, एक दूसरी को कुत्ती, कामिनी, रंडी, गश्ती, मादरचोद, बहनचोद तो यूं ही मज़ाक में कह दिया करती थी। कभी हमें एक दूसरी की किसी भी बात पर गुस्सा आता ही नहीं था।
यूरोप से भारत वापिस आई, तो उसके बाद तो हम दोनों सहेलियों ने और भी बहुत से लोगों से चुदवाया, साथ में भी अलग अलग भी।
अब मुझे मेरे व्यक्तित्व के कारण और पारिवारिक प्रष्ठभूमि के कारण बार बार राजनीति में आने का दबाव बन रहा था, तो मैंने सोचा, सब कह रहे हैं, तो राजनीति में आ ही जाते हैं।
सबसे पहले मुझे अपनी ही पार्टी की महिला विंग की प्रधान बना दिया गया, उसके बाद मैं पार्षद का चुनाव जीता, और फिर अगली बार मैंने विधायक के चुनाव में खड़े होने की सोची। मगर जितना मैंने सोचा था, उस से कहीं मुश्किल लगा मुझे विधायक का चुनाव जीतना।
इतनी भाग दौड़, इतना शोरोगुल, इतनी मानसिक और शारीरिक थकावट।
जब मैं चुनाव जीत गई तो मैंने कविता से कहा- यार, इस चुनाव ने तो साली मेरी गांड फाड़ कर रख दी, बहुत थक गई हूँ, क्यों न कुछ दिन के लिए रेस्ट मारा जाए और कुछ एंजॉय किया जाए। कविता बोली- साली मादरचोद की गांड फटी पड़ी है, फिर लौड़े लेने की सोच रही है।
मैंने हंस कर कहा- अरे कुतिया, मेरी फटी और तरह से पड़ी है, लौड़े लेने का क्या है, वो तो फुद्दी में लेने हैं। और तू मेरे साथ जाएगी, तू क्या नहीं लेगी, मुझसे पहले तो तेरी चूत खड़ी हो जाती है।
हम दोनों हंस पड़ी और सोचा के कुछ ऐसा किया जाए कि बस मज़ा आ जाए।
तो मैंने अपने एक अमेरीकन दोस्त से बात की, उसने मुझे एक नई स्कीम बताई। तो उसकी सलाह पर मैं और कविता दोनों 15 दिन के लिए अमेरिका चली गई।
अमेरिका में हमें प्रवीण खुद एअरपोर्ट पर लेने आया, प्रवीण ही हम दोनों का दोस्त, और राज़दार था। हमें होटल में छोड़ कर वो चला गया।
हमारा मस्ती टाइम शुरू हो चुका था.
तो सबसे पहले हमने अपने लिए शराब, सिगरेट, नॉनवेज वगैरह ऑर्डर किया क्योंकि अपने देश में तो हम ये सब सबके सामने नहीं खा पी सकती थी। भारत में तो हमारी इमेज एक बहुत ही सीधी सादी घरेलू औरत की इमेज थी।
जब दो दो पेग हमने चढ़ा लिए, 4-5 सिगरेटें भी फूँक दी, मांस मछली भी खा लिया तो फिर हमने अपने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगी हो गई।
उसके बाद हमने और भी बहुत कुछ ऑर्डर किया और हर बार जो भी वेटर हमें हमारा ऑर्डर देने आता, हम उसके सामने नंगी ही जाती और उन लोगों से खूब छेड़खानी करती।
हमारा पूरा मूड था कि होटल के दो चार बैरे हमें चोद दें. यहाँ तक कि हमने उनको ऑफर भी कर दी कि अगर आप हमारे साथ सेक्स करोगे, तो हम आपको पैसे भी देंगी. मगर वो साले बड़े प्रोफेशनल थे, साले सब के सब ‘सॉरी मैम … सॉरी मैम!’ करके निकल जाते। किसी मादरचोद ने हमारी फुद्दी नहीं मारी।
जब कोई जुगाड़ नहीं बना और हम दोनों को नशा भी बहुत चढ़ गया तो हम दोनों एक दूसरी को ही अपनी बांहों में भर कर बेड पर लेट गई। पहले तो एक दूसरी को देखा, और फिर कविता ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये. मैं भी तैयार थी कि चलो अगर लंड नहीं मिलता तो आज फुद्दी से फुद्दी मरवा के देख लेते हैं।
मगर कुछ देर एक दूसरी की बांहों में बांहें डाले लेटे लेटे, एक दूसरी को चूमते हुये कब हमें नींद आ गई, पता ही नहीं चला।
सुबह काफी लेट उठी हम!
उठ कर देखा तो सारा सूइट बिल्कुल साफ सुथरा था, मतलब हाउस कीपिंग वाले अपना काम कर गए थे, और शायद हम दोनों को नंगी सोते हुये भी देख गए थे।
चलो कोई परवाह नहीं।
हमने उठ कर नहा धो कर रेडी हो कर पहले कॉफी पी, फिर प्रवीण को फोन किया, वो हमारे पास एक घंटे बाद आया।
“हैलो माई ब्यूटीफुल लेडीज़, कहिए मैं आपकी क्या सेवा करूँ?”
मैंने कहा- यार पिछले दो महीने से बहुत बिज़ी रहे, साला ढंग से सेक्स भी नहीं कर पाई हम दोनों, सो हमारा मूड है कि कुछ ऐसा इंतजाम करो कि हमारी फुद्दियाँ मर्दों के गाढ़े लेस से भर जाएँ। इतना चुदें, इतना चुदें के साली दो महीने की प्यास बुझ जाए।
तो प्रवीण बोला- यहाँ पास में ही एक क्लब है, मैंने वहाँ बात की है, आपकी पहचान किसी को पता नहीं चलेगी, सिर्फ आपका नीचे का आधा बदन उनको दिखेगा। अलग अलग मर्द आएंगे और क्लब वालों को पैसे देकर आपसे सेक्स करेंगे। आपको पता नहीं कौन आया था, काला था गोरा था. उसको कोई पता नहीं के कमर के ऊपर ये औरत कैसी दिखती है। सिर्फ आपका नीचे के आधा बदन ही इस्तेमाल होगा। हो सकता है, एक दिन में आप एक से भी न चुदें, और हो सकता है, एक घंटे में ही आपको 6 लोग चोद दें। पर एक बार आप अंदर चली गई तो चार घंटे से पहले आप बाहर नहीं आ सकती, और आप फुद्दी और गांड दोनों मरवा लेती हो, आपको कोई सेक्सुयल बीमारी नहीं, आपको ये क्लब को लिखित में देना होगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
हम दोनों तैयार थी तो हम प्रवीण के साथ चल पड़ी।
जब हम क्लब के मैनेजर से मिले तो उसने हमें पहले सारा प्रोसैस समझाया, और दिखाया भी! इसे आम भाषा में Glory Hole ग्लोरी होल कहते हैं.
कुछ औरतें तो आराम से चुद रही थी, मगर कुछ बहुत शोर मचा रही थी। तरह तरह के लंड देख कर तो हम दोनों की फुद्दियाँ गीली हो गई। जैसे ही दो लेडीज़ की शिफ्ट खत्म हुई, तो हम दोनों को उनकी जगह लेटा दिया गया।
मैं अपनी ही बगल में लेटी कविता को देख रही थी, तभी किसी ने मेरी जांघों पर हाथ फेरा। मुझे लगा के अब कोई लंड मेरी फुद्दी में घुसेगा, मगर तभी साथ लेटी कविता ने सिसकी ली। मतलब मेरी जांघें सहला कर वो आदमी कविता की भोंसड़ी मारने चला गया।
मगर तभी किसी ने अपना कड़क लंड मेरी फुद्दी पर भी रखा और बिना कोई थूक लगाए, या किसी आराम से उसने बस अपना लंड धकेल कर मेरी फुद्दी में डाल दिया और लगा मुझे पेलने! बड़ा दर्द देकर उसका लंड मेरी फुद्दी में घुसा. और ऊपर से सूखी फुद्दी को उसने रगड़ना शुरू कर दिया।
तब मुझे एहसास हुआ के जो औरतें किसी वजह से इस तरह जिस्मफ़रोशी के धंधे में उतरती हैं, उन्हें कितनी ज़िल्लत और दर्द सहना पड़ता होगा।
तभी मैंने सोचा कि अगर मुझे इस बार कोई मंत्री पद मिला तो मैं ऐसी दुखी औरतों के लिए ज़रूर कुछ करूंगी।
किसी ने सच ही कहा है, जब दूसरे की फटती है, तब मज़ा आता है, दर्द का एहसास तो तभी होता है, जब अपनी फटती है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
खैर अगले पाँच मिनट उस माँ के पूत ने मुझे जम के पेला, बेशक मैंने उसकी शक्ल नहीं देखी, न ही उसने मेरी शक्ल देखी, हाँ मेरी फुद्दी देखी, और बढ़िया पेली। जब तक पाँच में उसका पानी गिरा, तब तक उसने मुझे भी झाड़ दिया। पूरी गीली फुद्दी में फ़चाफ़च पेल कर उसने मुझे भी स्खलित किया, और खुद भी अपने माल से मेरी फुद्दी को भर गया।
अगले चार घंटे में मैं 12 बार चुदी, और कितनी बार स्खलित हुई, मैंने नहीं गिना। मगर उन लोगों ने मेरी खूब तसल्ली करवा दी।
जब मैं वहाँ से उठी, तो मेरा पेट, मेरी जांघें, सब मर्दाना वीर्य से भीगे पड़े थे।
उठ कर मैं सबसे पहले बाथरूम में गई, वहाँ जा कर नहाई, अच्छे से अपने जिस्म को धोया।
इतने में कविता भी आ गई। फ्रेश होने के बाद उन लोगों ने हमें विडियो पर दिखाया कि किन किन लोगों ने हमें चोदा था।
हम दोनों को इस काम के 1000 डॉलर, हरेक को मिले।
खैर पैसे की तो हमें ज़रूरत नहीं थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
अगले दिन हम दोनों फिर वहाँ गई, और उसी जगह से कमाए हुये पैसे से ऐश करने।
इस बार हम दोनों जैंट्स ग्लोरी होल में गई। वहाँ बड़े बड़े लकड़ी के फट्टे लगे थे, जिन के पीछे मर्द खड़े थे, मगर फट्टे में एक सुराख से उन लोगों के कडक खड़े लंड बाहर को झांक
रहे थे। आप लंड पसंद करो, और उस से जो चाहो करो, चूसो, चूमो, चाटो, या चुदवाओ।
मैंने और कविता दोनों ने एक एक हबशी का लंड पसंद किया। यही कोई 10-11 इंच का लंड था, खूब मोटा और सख्त। इतना प्यारा लंड मैंने तो उसे पकड़ कर खूब सहलाया, उसे बहुत प्यार किया। हिंदुस्तानी मर्दों के लंड से तो ये दुगना था। और ऐसे शानदार लंड रोज़ रोज़ कहाँ देखने को मिलते हैं।
वो लंड मैंने खूब चूसा. और फिर अपनी स्कर्ट उतारी और चड्डी भी; आगे को झुक कर एक टेबल का सहारा लिया और अपनी फुद्दी उस लंड से लगाई. और जैसे ही पीछे को हुई, वो शानदार गधा लंड मेरी फुद्दी में घुसता चला गया।
बेशक सारा ज़ोर मैं ही लगा रही थी। मैंने अपनी ताकत से चुदवाया और ये पहली बार था मेरी ज़िंदगी में जब सारा खेल मैंने खेला। क्योंकि कल मैं वैसे ही बहुत चुद चुकी थी, इस लिए मेरा इतनी जल्दी पानी छूटने वाला नहीं था, तो मैं करीब 15 मिनट उस बड़े सारे गधे लंड से झगड़ती रही, तब कहीं जा कर मेरा पानी गिरा।
मगर वो लंड अभी भी कड़क था, वैसे ही तना हुआ। मैंने कविता की ओर देखा, उसकी आँखों में भी शरारत थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
मगर वो लंड अभी भी कड़क था, वैसे ही तना हुआ। मैंने कविता की ओर देखा, उसकी आँखों में भी शरारत थी।
हम अपने होटल वापिस आ गई. और फिर से प्रवीण को फोन लगाया और उसे कहा- यार प्रवीण एक बात बता, वो क्लब के 6 नंबर होल वाला हबशी लड़का हमें मिल सकता है, एक पूरे दिन या पूरी रात के लिए?
प्रवीण ने क्लब में फोन किया और बताया- हाँ मिल जाएगा, बस पैसे लेगा अपने।
मैंने कहा- ठीक है, जितने पैसे कहता है, दे देंगे, मगर हमें वैसे दो बंदे चाहिए, दोनों के लिए एक एक।
प्रवीण बोला- ओ के मैडम, आपका काम हो जाएगा।
अगले दिन करीब 11 बजे वो दोनों हबशी लड़के हमारे रूम में आ गए। मैंने खुद दरवाजा खोल कर उनको अंदर बुलाया।
हम दोनों तो सुबह से ही पी रही थी तो दोनों पूरे सुरूर में थी. हमने उनको भी व्हिस्की ऑफर की मगर उन्होंने सिर्फ बीयर पी।
बस जैसे ही उनको बीयर खत्म हुई, कविता बोली- तो चलो फिर शुरू हो जाओ।
एक लड़के ने पूछा- क्या पसंद करेंगी आप?
कविता बोली- हिंदुस्तान में हमारी बहुत इज्ज़त है, लोग बहुत झुकते हैं हमारे आगे, बहुतों को हमने बहुत जलील किया है, आज हमारा दिल है जलील होने का, हमें अपनी कुतिया बनाओ, हमें हर वो बात कहो, जिस से हमें ज़लालत महसूस हो, हमारी माँ बहन बेटी, बहू, हर किसी को गाली निकालो। बस ये समझो कि हम तुम्हारी गुलाम हैं, और तुम जैसे चाहो हमें चोदो, बस माँ चोद कर रख दो हमारी।
मैंने कविता से कहा- अरे पागल है क्या? ये क्या बकवास कर रही है। उनके जिस्म देखे हैं, कितने तगड़े हैं, इनका तो एक एक झापड़ भी नहीं सह पाएँगी हम।
वो बोली- अरे वह क्या आइडिया दिया!
फिर उन लड़कों से बोली- सुनो लड़को, तुम चाहो तो हमें पीट भी सकते हो, पर हमें नंगी करने के बाद।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
मैं तो अवाक सी खड़ी कविता को देखती रही.
मगर इतने में ही एक लड़के ने आगे बढ़ कर मेरा नाईट गाउन खींचा और एक झटके से उतार दिया। अब नाईट गाउन के नीचे मैंने कुछ पहना नहीं था तो मैं तो एक सेकंड में नंगी हो गई।
इतने में दूसरे लड़के ने कविता का भी नाईट गाउन खोल कर उसे भी नंगी कर दिया। पहले उन्होंने हम दोनों को उसी नंगी हालत में ऊपर से नीचे तक देखा। हमारे बड़े बड़े मम्मे, चौड़े कूल्हे, मोटी मोटी जांघें, बेशक हम सब साफ सफाई करके आई थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
मगर फिर भी अब हम दोनों चालीस साल के करीब पहुँच चुकी थी, तो तब जिस्म में वो 20 साल की लड़की वाला करार तो नहीं था पर अपने आप को फिट रख कर हम दोनों आज भी इतनी कामुक तो दिखती थी कि किसी भी मर्द का मन हरामीपन से भर दे और वो हमें चोदने के सपने बुनने लगे।
मैंने कहा- आप लोगों ने हमें तो नंगी कर दिया, अपने कपड़े भी तो उतार कर हम अपने खूबसूरत जिस्म दिखाओ।
उन दोनों ने अपने कपड़े उतार दिये। गहरे भूरे या कुछ कुछ काले रंग के बदन, मगर कसरत करके बहुत ही तराशे हुये। नीचे लटक रहे दोनों 7 इंच लंबे और मोटे लंड, जिनके हल्के भूरे टोपे भी बाहर निकले हुये थे।
मैं एक हबशी लड़के के सामने जाकर घुटने टेक कर बैठ गई, उसका ढीला सोया हुआ लंड मेरे चेहरे के बिल्कुल सामने, बिल्कुल पास था। मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ा और उसके टोपे को चूमा।
वो बोला- क्या आपको मेरा लंड पसंद आया?
मैंने कहा- हाँ, बहुत पसंद आया, तभी तो तुम्हें यहाँ बुलाया है क्योंकि ग्लोरी होल में मुझे वो मज़ा नहीं आया जो मैं चाहती थी।
वो बोला- आपको मेरे लंड में ऐसा क्या खास लगा?
मैंने कहा- आप लोगों में और हिंदुस्तानी मर्दों में बहुत फर्क है। जितना आपका लंड इस ढीली सोई हुई हालात में है, इतना तो हिंदुस्तानी मर्दों का पूरा अकड़ने के बाद भी नहीं होता। मेरे पति का पूरा तना हुआ लंड सिर्फ छह इंच का है, और तुम्हारा ढीला लटका लंड भी सात इंच का है, और जब ये पूरा खड़ा होगा तो ये 10 इंच तक जाएगा।
वो बोला- पूरे 11 इंच।
मैंने कहा- तो, यही तो बात है, इतना शानदार साइज़, क्या लंबाई, क्या मोटाई … और जब ये अंदर जाता है, तो लगता है, पेट तक पहुँच गया। इसी लिए तो आजकल हिंदुस्तानी औरतों को नीग्रो लड़के बहुत पसंद आ रहे हैं।
कविता बोली- और सिर्फ इसी वजह से हम अपने पति, अपने बच्चे, अपना परिवार, अपनी मान मर्यादा सब छोड़ कर यहाँ आई हैं, अपनी माँ चुदवाने।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
हम सभी हंस पड़े।
तो वो लड़का बोला- तो फिर सोच क्या रही हो रंडी की औलादों, चलो अपने अपने यार के लंड चूसो, इन्हें खड़ा करो ताकि हम तुम रंडियों की माँ चोद सकें।
इसमें हमें क्या दिक्कत थी, मैंने और कविता दोनों ने उन लड़कों के लंड पकड़े और लगी चूसने।
एक बात है, दुनिया भर में कहीं भी चले जाओ, साला मर्द के लंड का स्वाद हमेशा एक सा ही होता है.
कोई 2 मिनट की लंड चुसवाई में ही दोनों लड़कों के लंड टन्न टनाटन हो गए। फिर वो दोनों लड़के एक साथ खड़े हो गए, मुझे दोनों लंड पकड़ा दिये, चूसने को और कविता को उन्होंने खड़ा
कर लिया और दोनों उसके होंठ, गाल मम्मे सब चूसने चाटने लगे।
मैंने भी दोनों लड़कों के लंड और आण्ड सब चूसे चाटे। फिर पहले मुझे बिस्तर पर लेटाया गया और एक लड़का मेरी फुद्दी चाटने लगा, और दूसरा मेरी छाती पर चढ़ बैठा और अपना लंड उसने मेरे मुंह में ठूंस दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
कविता भी मेरे पास ही लेटी थी। वो लड़का कभी अपना लंड मेरे मुंह में डालता, कभी कविता के मुंह में! हम दोनों सहेलियों के थूक से तर हुआ लंड बारी बारी से एक दूसरी के मुंह में आ जा रहा था, और हमें इस तरह से एक दूसरी का थूक चाटने में भी कोई दिक्कत नहीं थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
फिर उस लड़के ने कविता को उसके बालों से पकड़ा और उसका मुंह मेरे मुंह पर रख दिया।
“चूस कुतिया, इस कुतिया की जीभ चूस, इसके होंठ चाट हराम की जनी।”
मैं और कविता एक दूसरी के होंठ चूसने लगी, तो उस लड़के ने भी अपनी लंबी जीभ निकाल कर हम दोनों के होंठों के बीच फंसा दी, हम दोनों अपनी जीभों से उसकी हबशी की गुलाबी जीभ चाट रही थी, मगर मेरी तो फुद्दी की भी चटाई हो रही थी तो मैं तो ज़्यादा तड़प रही थी।
फिर जो लड़का मेरी फुद्दी चाट रहा था, उसने कविता को सीधा करके लेटाया, और उसकी फुद्दी चाटने लगा।
गर्म, कामुक कविता तड़प उठी, उसकी आँखों से आँसू बह निकले, वो बड़े ही कातर स्वर में बोली- प्लीज चोदो मुझे! मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकती, अपना मोटा लंड मेरी फुद्दी में डालो यार, प्लीज़। वो घिघिया रही थी।
हबशी लड़का बोला- नहीं, मुझे तेरी चूत नहीं मरनी, बोल तू और किस की चूत मुझे दिलवायेगी?
कविता बोली- जिसकी तुम कहो, मेरी सहेली पास लेटी है, इसकी मार लो, मेरी मार लो, और जिसको कहोगे मैं दिलवा दूँगी।
उस हबशी लड़के ने कविता के सर के बाल पकड़ कर खींचे और उसके मुंह पर थूक दिया- साली, मादरचोद, मुझे तेरी माँ की चूत मारनी है, दिलवाएगी कुतिया, बोल?
कविता बोली- हाँ दिलवा दूँगी, मेरी माँ की भी दिलवा दूँगी।
वो फिर बोला- और तेरी बहन की?
कविता बोली- हाँ, उसकी भी मार लेना।
वो फिर गरजा- और तेरी जवान बेटी की?
कविता तो फूट पड़ी- हाँ, मेरी बेटी अभी छोटी है, पर जवान हो चुकी है, हाँ उसकी भी मार लेना, पर अभी मेरी मारो, प्लीज़ यार, मेरी मारो पहले।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
तो जो लड़का कविता की फुद्दी चाट रहा था, उसने अपना लंड कविता की फुद्दी पर रखा और अंदर डाल दिया। कविता की तो आँखें बंद हो गई, जैसे बहुत संतुष्टि मिली हो उसे।
कविता का चुदाई शुरू हो गई तो जो लड़का उसकी छाती पर चढ़ कर बैठा था, वो नीचे उतरा और उसने मेरी टाँगें खोली, मैं भी तो चुदाई के लिए तड़प रही थी।
उसने जैसे ही मेरी टाँगें खोली, मैंने उसका 11 इंच का मोटा काला, हबशी लंड पकड़ा और अपनी फुद्दी पर सेट किया।
“क्या हुआ रंडी, बहुत आग लगी है, तेरी भोंसड़ी में?”
मैंने कहा- इतने शानदार लंड सामने हो तो कोई भी चुदवाने को तैयार हो जाएगी।
वो बोला- अच्छा, तो क्या तेरी जवान बेटी मुझसे चुदवा लेगी?
हालांकि मेरी कोई बेटी नहीं थी मगर मैंने झूठ ही कह दिया- हाँ, वो तो मुझसे भी पहले इस सांड लंड से चुदवाएगी।
उसने अपना लंड मेरी फुद्दी में घुसेड़ा … आह … कितना आनंद आया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
ऐसा लगा जैसे पहली बार कोई लंड मेरी फुद्दी में घुसा हो, इससे पहले तो लगता था जैसे बच्चों से ही चुदवाती रही हूँ, असली लंड तो ये है, अब तक जितने भी मर्द मुझे मिले उनके पास तो जैसे लुल्लियाँ ही थी।
मैंने उसे शाबाशी दी- आह मज़ा आ गया यार, पेल, ज़ोर से पेल आज अपनी रांड को।
एक तरफ कविता और दूसरी तरफ मैं, दोनों उन शानदार मर्दों की ज़बरदस्त चुदाई से बेहाल हो गई।
हम दोनों के 3-3, 4-4 बार पानी गिरा, मगर वो दोनों सांड वैसे ही हमें पेलते रहे, कभी सीधा लेटा कर, कभी घोड़ी बना कर, कभी ऊपर बैठा कर, कभी बदल बदल कर। हमारे बाल बिखर गए, हमारा सारा मेक अप वो चाट कर साफ कर गए। चोद चोद कर हमारी फुद्दियों को भोंसड़े बना दिये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,031
Threads: 840
Likes Received: 10,894 in 9,030 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
116
ठंड के मौसम में भी वो दोनों पसीने से तरबतर थे मगर झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे।
हम दोनों की हालत ऐसी थी जैसे 10-15 जनों ने हमारा चोदन कर दिया हो। पहले हम अत्याधिक आनंद के कारण रो रही थी मगर अब तो हमारी माँ चुदी पड़ी थी और हम अब हमारे जिस्मों जगह जगह उन दोनों के काटने, नोचने, मारने और सबसे ज़्यादा बेहद वहशियाना तरीके से चोदने के कारण होने वाले दर्द से रो रही थी।
अब हमें इस सब से मुक्ति चाहिए थी तो मैंने कहा- अरे यार बस करो, हम और नहीं चुदवा सकती, अब रहने दो, हमें माफ करो।
हालत उनकी भी खस्ता हो रही थी तो एक बोला- तो ठीक है, हम अपना पानी छुड़वा दें फिर।
कविता बोली- हाँ, जल्दी छुड़वा दो।
दोनों लड़कों ने पहले थोड़ी जोरदार चुदाई करी हम दोनों की, इतनी जोरदार के लगा जैसे फुद्दी अंदर से छिल गई हो.
फिर पहले मेरे वाले ने अपना लंड एक झटके से मेरी फुद्दी से निकाला और मुट्ठ मारने लगा और फिर जो उसने माल गिराया, मार मार गर्म वीर्य की धारें, मेरा मुंह, मम्मे सब भर दिये।
इतने में ही दूसरे लड़के ने कविता की भी वही हालत कर दी।
हम दोनों सहेलियाँ निढाल, बेसुध, बेहद थकी हुई, और बेहद चुदी हुई। वैसे ही अधमरी हालत में बिस्तर पे लेटी थी। वो लड़के उठे, बाथरूम में गए, फ्रेश होकर वापिस आए और हमसे पूछा- मैडम, क्या आपको हमारी और सर्विस चाहिए?
मैंने कहा- अरे नहीं यार बस, साली माँ चोद डाली हमारी, अब तो एक महीने तक हमें किसी मर्द की और देखने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
|