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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
राणा को तो जैसे इसी बात का इंतजार था...वो उछलकर काजल के पास पहुँचा और एक ही झटके में उसे बेड पर लिटाकर उसकी जांघों के बीच झुक गया...और एक गहरी साँस लेने के बाद अपनी पेनी जीभ निकाल कर उसकी गुल्लक के छेद जैसी चूत में डाल दी...

''
आआआआआआआआहह ....... ओह .......... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ... कब से तरस रही थी इसके लिए ................... अहहssssssssssssssssssssssss ...और अंदर तक डालो जीभ ............... और अंदर ............. उम्म्म्ममममममममममममम ....''

दूसरी तरफ राणा ऐसी कुँवारी चूत को चाट कर काफ़ी खुश था...ऐसी महक और स्वाद सिर्फ़ कुँवारी चूत का ही हो सकता था...वो ज़ोर-2 से अपनी जीभ के ब्रश से उसकी चूत की दीवारों की पुताई करने लगा...उसकी जीभ के हर प्रहार से काजल की गांड उछल जाती और वो अपनी तरफ से झटके देकर उसके मुँह पर और ज़ोर से अपनी चूत का दबाव डालती...

काजल ने काफ़ी देर से अपने आप को संभाला हुआ था...और आख़िरकार वो झड़ ही गयी...और झड़ी भी तो ऐसे की उसके रस को अपने मुँह में समेटना राणा के लिए काफ़ी मुश्किल हो गया..और इधर-उधर से रिसकर चादर पर गिरने लगा...

''
अहहssssssssssssssssssssssssssssss ...... आई एम कमिंग ......................... उम्म्म्मममममममममममम .....''

राणा ने घड़ी देखी ...1 बजने वाला था... उसके पास ज़्यादा समय नही था...उसने काजल को अपनी तरफ खींचा और अपने खड़े हुए लंड को उसके मुँह के हवाले कर दिया...

काजल तो अपनी खुमारी से अभी तक निकली भी नही थी...इसलिए राणा के लंड को मुँह मे रखकर लेटी रही...राणा ने उसके नर्म मुलायम मुँह के अंदर धीरे-2 झटके देने शुरू कर दिए...और फिर धीरे-2 अपना पूरा लंड अंदर उतार दिया...और जब काजल को अपनी हलक तक उसका लंड महसूस हुआ तो वो होश में आई और उसने अपनी आँखे खोली ... 

वो भी इस काम को जल्द से जल्द निपटाना चाहती थी..क्योंकि केशव कभी भी उपर सकता था...अपनी चुदाई करवाने का उसका कोई इरादा नही था अभी...क्योंकि वो अपना कुँवारापन अपने भाई को देना चाहती थी आज
... 
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इसलिए उसने राणा के लंड को ज़ोर-2 से चूसना और चुभलाना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ वो उसके अंडकोष को भी सहला रही थी...और फिर अचानक बिना किसी वॉर्निंग के राणा ने अपने लंड से उसके चेहरे को सींचना शुरू कर दिया..

गरमा गर्म गाड़े पानी की बूंदे उसके चेहरे पर पड़ने लगी और वो उन्हे महसूस करती हुई आनंद सागर मे गोते लगाने लगी..

काजल : "अब जल्दी से अपने कपड़े पहनो और निकलो यहाँ से...''

राणा : "पर....वो .... कुछ और नही करना क्या ...''

काजल समझ गयी की वो क्या कहना चाहता है...वो बोली : "तुम मरवाओगे मुझे ....मेरे ही घर में ये सब कैसे पॉसिबल है...इसके बारे में बाद में बात करेंगे..''

इतना कहते-2 वो अपनी टी शर्ट और पायजामा पहन चुकी थी और टावल से अपना चेहरा भी सॉफ कर लिया उसने..

राणा ने भी मन मसोस कर अपने कपड़े पहन लिए...और नीचे उतर आया..

नीचे भी बाजी ख़त्म हो चुकी थी, बिल्लू ने जीत लिए थे सारे पैसे...केशव भी अपने 10 हज़ार हार चुका था ...और गणेश भी कंगला हो चुका था..अब वो आराम से बैठकर दारू पी रहे थे..

केशव ने राणा का लटका हुआ चेहरा देखा तो वो समझ गया की वो अपने सारे पैसे हार चुका है...भले ही वो खुद नीचे बैठकर 10 हज़ार हार गया था पर वो ये जानता था की उपर बैठकर उसकी बहन ने काफी रूपए जीते है आज, वो करीब 90 हज़ार जीत गयी थी ...कुल मिलाकर वो काफ़ी फायदे में था...

रात काफ़ी हो चुकी थी...इसलिए सभी अपने-2 घर चल दिए...अगले दिन दीवाली थी, इसलिए सबने जम कर जुआ खेलने की बात कही...

केशव ने भी सब कुछ समेटा और दरवाजा बंद करके उपर चल दिया...

वो सीधा अपनी माँ के रूम में गया पहले..वो सो रही थी...पर काजल वहाँ नही थी...वो शायद उसके कमरे में ही थी अब तक..

वो झूमता हुआ सा अपने कमरे की तरफ चल दिया..

और जैसे ही वो अंदर पहुँचा, काजल उसके पीछे से आई और अपनी बाहें उसके गले मे डालकर उसकी कमर पर झूल गयी...

केशव ने उसका भार संभालने के लिए जैसे ही अपने हाथ पीछे करके उसे पकड़ा तो उसका नशा एक ही बार मे उड़ गया..

वो पूरी नंगी थी...केशव के हाथ सीधा उसके नंगे चूतड़ों पर जा लगे...

और काजल तो बदहवास सी होकर उसकी गर्दन को अपने होंठों से चूस रही थी..उसे चूम रही थी...

केशव समझ गया की आज की रात वो अपनी बहन के साथ वो सब करने वाला है, जिसके लिए वो ना जाने कब से तरस रहा था...

उसकी चुदाई..

उसने काजल को लेजाकर अपने बिस्तर पर पटक दिया...और वो बिस्तर पूरा नोटों से ढका पड़ा था..जो काजल ने आज जुए में जीते थे...और वो उन्ही नोटों के बिस्तर पर अपने कुंवारेपन को लुटाना चाहती थी...

गरमा गरम करारे नोटों के उपर काजल का नंगा जिस्म मचल रहा था...वो पूरी तरह से सुलगी हुई थी...उसने बदन से उठ रही गर्मी ने बेड पर पड़े नोटों की गर्मी को और बड़ा दिया था...उसके अंदर से निकल रही गर्मी से वो नोट और करारे हो गये थे..

काजल बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देखने लगी..आज वो बड़ी ही बेशर्मी से इस तरह से खुल कर अपने भाई के सामने लेटी थी...शायद जो थोड़ी बहुत शुरूवाती शरम थी वो राणा के साथ जुआ खेलते हुए नंगी होकर निकल चुकी थी...वो राणा की हवस भरी आँखो के सामने अपने आपको रखकर उतनी खुश नही थी, जितनी अब केशव के सामने रखकर हो रही थी..

काजल ने अपनी दोनो टांगे फेला दी...उसकी गुलाबी चूत की फांके रस से भरी होने की वजह से आपस मे चिपकी हुई थी...पर फिर भी अंदर का गुलाबीपन देखकर केशव की आँखे उबल कर बाहर आने को हो गयी..

उसने अपनी बाहें भी उपर करते हुए उसे अपनी तरफ बुलाया : "आओ ना केशव...और कितना तड़पाओगे ...आज कर लो मुझे अपना...समा जाओ मुझमे...''

केशव ने उसके नंगे बदन को देखते हुए अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए

और कुछ ही देर मे वो पूरा नंगा होकर खड़ा था काजल के सामने..अपनी तोप की सलामी देता हुआ ..

और केशव जंप मारकर सीधा काजल के उपर कूद गया..

पर उसके कूदने से पहले ही काजल बेड से फिसलकर साइड में हो गयी..और खड़ी होकर हँसने लगी..

अब केशव की जगह पर वो खड़ी थी और काजल की जगह पर केशव लेटा हुआ था..

काजल (उसको चिड़ाते हुए) : "हा हा हा ... बड़ी जल्दी हो रही है तुझे ... ह्म्*म्म्म ...''

उसने अपने दोनो हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे..और एक पैर उठा कर उसने बेड पर रख दिया..ठीक केशव की टाँगो के बीच..

केशव : "मुझे पता है दीदी,आप भी यही चाहती है...कल से तड़प रहा हू मैं भी...अब और ना तरसाओ...''

काजल : "तरस तो मैं भी रही हू ना केशव...और साथ ही मेहनत भी कर रही थी..देख ले, जिन नोटों पर तू लेटा हुआ है वो मैने जीते है...''

केशव : "वो तो है...पर आप शायद ये भूल रही है की ये खेल भी मैने ही सिखाया है आपको..''
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काजल : "अपनी किस्मत की भी बात होती है...मुझसे अच्छा तो तू खेलता है, फिर भी तू हमेशा हारता ही है...और साथ ही साथ मेरे हुस्न का भी कमाल है ये...इसके बिना भी ये पैसे कमाने मुश्किल थे....''

केशव उसकी ये बात सुनकर चोंक गया..और बोला : "कहीं आपने अपने इसी हुस्न का इस्तेमाल करके ही तो ये पैसे नही कमाए ना...मतलब कहीं आपने राणा के साथ कुछ...''

काजल : "अरे मेरे लल्लू भाई...तू इतना क्यो सोचता है...अगर थोड़े बहुत मज़े ले भी लिए तो तेरे पेट मे क्यो दर्द हो रहा है...''

केशव की नज़र सीधा उसकी चूत पर जा टिकी .शायद वो सोच रहा था की कहीं राणा ने उसकी कुँवारी चूत तो नही फाड़ डाली..और काजल भी उसको अपनी चूत की तरफ देखती हुई समझ गयी की वो क्या सोच रहा है..

वो बोली : "फ़िक्र मत कर...वहाँ तक बात नही पहुँची...यहाँ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का हक है...''

केशव ने राहत की साँस ली...पर वो इतना तो समझ ही चुका था की चाहे पूरे ना सही पर कुछ तो मज़े लिए ही है राणा ने उसकी बहन के साथ..तभी वो नीचे आकर इतना खुश सा लग रहा था..अपने सारे पैसे हारने के बाद भी..

काजल ने अपना पैर खिसका कर और आगे किया और सीधा उसके लंड पर रख दिया , केशव तड़प उठा...उसके पैर के नाख़ून चुभ रहे थे उसके लंड पर..

वो समझ गया की काजल उसको देगी ज़रूर पर तडपा-2 कर..

काजल बेड पर चढ़ गयी और उसके मुँह पर अपने पैर का पंजा रख कर बोली : "चाटो इसको...''

केशव के लिए ये पल इतना उत्तेजना से भरा था की उसका दिमाग़ तक सुन्न हो गया...वो हमेशा से यही चाहता था की उसका पार्ट्नर बेड पर अपना हुक्म चलाए और वो किसी गुलाम की तरह उसका पालन करता रहे, बिना कुछ बोले..

और यहा इस वक़्त काजल उसपर अपना हुक्म चला रही थी...अपना स्लेव बना कर ..

उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके पैर के अंगूठे को चाट लिया...काजल पहले से ही ये सब सोच कर आई थी, इसलिए उसने अपने पैरों को अच्छी तरह से धो रखा था...उसके पैर की गुलाबी उंगलियाँ तड़प उठी जब उनके साथी अंगूठे को केशव ने चूसना शुरू किया...

और फिर धीरे-2 केशव ने उसके पैर की हर उंगली को चूसा...उनका रस पिया..और वहां से मिल रही गुदगुदी से काजल का पूरा शरीर ऐंठ रहा था...वो हर चुस्के से सिसक उठती...तड़प उठती...


''
अहहssssssssssssssssssssss ...... ऑश केशव .................. ज़ोर से चूसो इन्हे ....''

और धीरे-2 करते हुए वो नीचे बैठ गयी....केशव ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया...और अपने दहकते हुए होंठ उसके लबों पर रख दिए..



''
उम्म्म्मममममममममममम पुचहssssssssssssssssssssssssssssssssssss ''

और एक लंबे चुंबन मे डूब गये दोनो...

केशव ने उसको बेड पर लिटा दिया...और उसकी टाँगो को फेला कर उसकी चूत को चूम लिया...

काजल ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया...और उसके गीले-2 होंठों ने काजल की रसीली चूत को अपने कब्ज़े मे ले लिया..

''
ओह केशव ..................... सकक्क मी ....हार्डरsssssssssssssssssssssssssssssss ..... अहह ..... ओह ....... जैसे सारिका की चूस रहा था.... वैसे ही कर ................. अहह .... ओह ...मेरी क्लिट ..................अहह ....हन ..............उसको चूस ....सही से ..............अंदर ले उसको ....................उम्म्म्मममममममममम ..अहह ....ओह केशव .............. मेरी जानsssssssssssssssssssssss ....''

उसे अपने भाई पर एकदम से बड़ा प्यार गया...वो इतनी अच्छी तरह से सेवा जो कर रहा था उसकी..

केशव बीच-2 मे खड़ा हो जाता और काजल से अपने लंड को मसलवा कर फिर से उसकी चूत को चूसने मे लग जाता..
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next update
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वो बड़े ही मज़े ले-लेकर उसकी चूत का रस पी रहा था.... अपनी जीभ से उसे चुभलाता...उसकी फांको को खोलता और उनके बंद होने से पहले ही अपने होंठ अंदर रखकर उसकी उभरी हुई क्लिट को दबोच लेता और चूस लेता..



काजल भी अपने भाई की कलाकारी देखकर तड़प रही थी नोटों से भरे बिस्तर पर..

काफ़ी देर तक चूसने के बाद जैसे ही वो झड़ने के करीब पहुँची, केशव ने उसको चूसना छोड़ दिया...और उसे घोड़ी बना दिया...क्योंकि उसके मन मे शुरू से ही ये इच्छा थी की जब भी वो काजल की कुंवारी चूत पहली बार मारेगा, ऐसे ही मारेगा, उसको घोड़ी बनाकर...

काजल भी अपना सिर नीचे टीका कर और अपनी गांड को हवा मे लहरा कर लेट गयी...उसका दिल जोरों से धड़क रहा था...पहली बार जो था उसके साथ...उसे डर भी लग रहा था की केशव का लंबा लंड उसकी चूत में जाएगा भी या नही....उसने बेड की चादर को मुँह मे ठूस लिया , ताकि उसकी चीख भी निकले तो दब कर रह जाए..

पर केशव जानता था की ऐसा कुछ नही होगा, उसने चूसा ही इतना था उसे की उसकी चूत बुरी तरह से रस मे डूब चुकी थी...ऐसे मे उसके लंड को अंदर जाने मे कोई परेशानी नही होनी चाहिए थी...

केशव ने उसके भरे हुए कुल्हों को पकड़ा और अपने लंड को धीरे से उसकी चूत के होंठों पर लगाया...और एक जोरदार झटका दिया....काजल ने भी उसी वक़्त अपनी कमर को पीछे की तरफ झटका मार दिया...ताकि जो भी होना है एक ही बार में हो जाए...और वो हो भी गया एक ही बार में ...

केशव का लंबा साँप उसकी सुरंग मे सरसरता हुआ घुसता चला गया....

''
आआआआआआआआआआआआआआअहह ................ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ......... आआआआआआआआअहह ..... ओह केशव ................... म्*म्म्ममममममममममममममममममममम ''


हल्का दर्द भी हुआ काजल को...आख़िर उसकी सील जो टूटी थी अंदर से...और खून की दो बूँद भी टपक गयी बाहर...जो सीधा जाकर गिरी जीते हुए हज़ार के नोट पर...

थोड़ी देर तक ऐसे ही खड़ा रहा केशव...और फिर उसने झुक कर काजल की पीठ को चूम लिया...और फिर धीरे से अपने लंड को बाहर खींचा...और फिर वैसे ही धीरे-2 वापिस अंदर डाल दिया...

ये घिसाई का एहसास काजल को अंदर तक हिला गया....ऐसा सेंसेशन तो उसने आज से पहले कभी महसूस नही किया था....ऐसा लग रहा था की उसके अंदर रेशम से बनी कोई चीज़ फिसल रही है...उसकी गुदगुदाहट को महसूस करके वो अपना वो थोड़ा बहुत दर्द भी भूल गयी...और फिर से अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी...

''
उम्म्म्ममममममममममम येस्स्स्स ............ ओह केशव ...... बहुत अक्चा लग रहा है ............ अहहsssssssssssssssssssssss ...क्या फीलिंग है .......... आई एम लविंग इट ................ उम्म्म्मममममममम .....करते रहो .... ऐसे ही ....''
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पहली बार में ही जैसे काजल को चस्का लग गया चुदाई का...उसका मन कर रहा था की वो जिंदगी भर ऐसे ही लेटी रहे और केशव पीछे से उसकी चूत मारता रहे...

पर ऐसा हो सकता तो दुनिया के सारे लड़के-लड़कियाँ इसी काम मे लगे रहते...उपर वाले ने आख़िर झड़ने का भी रूल बनाया है...अगर सेक्स करने के बाद कोई झड़े नही तो कितने भी घंटे या दिनों तक लगे रहते ये कोई नही जानता...

और इस समय अपने लंड पर झड़ने का दबाव केशव महसूस कर रहा था...क्योंकि काजल की करारी चूत थी ही इतनी कसी हुई की वो उसके लंड को निचोड़ सा रही थी...

इसलिए वो हर एंगल से मज़े लेना चाहता था....उसने काजल की चूत से लंड बाहर खींच लिया...काजल को तो लगा जैसे किसी ने उसकी जान ही निकाल ली है...वो उसको वापिस अंदर लेने के लिए तड़प सी उठी...

केशव ने उसको पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनो टांगे खोल दी...और अपने लंड को बीच मे रखकर उसके उपर झुक गया...केशव का लंड एक बार फिर से सरसराता हुआ उसके अंदर प्रवेश कर गया...और आनंद मे भरकर काजल की आँखे अपने आप बंद हो गयी...उसने अपनी दोनो टांगे फेला दी..और अपने हाथ भी दोनो दिशा मे फेला कर अपने आप को केशव के सामने पूरा खोल कर रख दिया..

केशव भी उसके सेक्स से भरे चेहरे को देखता हुआ, उसे चूमता हुआ, ज़ोर-2 से झटके मारने लगा...

ऐसी कामुक चुदाई तो उसने सारिका के साथ भी नही की थी...काजल के हिलते हुए मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे..इसलिए वो एक झटका धीरे और दूसरा तेज मारता जिसकी वजह से वो मुम्मे थोड़ा रुकते और फिर उपर उछलते...

केशव : "ओह दीदी ................... सच मे ................. कमाल हो आप........... ऐसा मज़ा तो मुझे सारिका के साथ भी नही मिला आज तक ................ आई लव यू दीदी ..................''

अपनी ऐसी तारीफ सुनकर काजल भी खुश हो गयी और उसने उपर होकर केशव को चूम लिया, चूम क्या लिया उसे चूस सा लिया..

और फिर काजल ने उसको नीचे पटका और खुद उसके लंड पर चढ़ गयी....उसका चेहरा इस बार केशव के पैरों की तरफ था...इसलिए केशव के सामने उसकी भरी हुई गांड थी....जिसे हाथ मे लेकर वो उसे अपने लंड जोरों से पटक रहा था ...

और काफ़ी देर से चुदाई करने की वजह से अब वो झड़ने के बिल्कुल करीब था...अब वो खुद को रोकना नही चाहता था...इसलिए उसने काजल को पीछे करते हुए अपना लंड बाहर निकालना चाहा...पर काजल ने उसे रोक दिया और बोली : "नही ......मत निकालो ...अंदर ही करो ...... मैं गोली ले लूँगी ..... पहली बार मे मैं तुम्हे पूरा महसूस करना चाहती हू .....''

वो भी झड़ने के बिल्कुल करीब थी.....इसलिए वो ज़ोर-2 से उसके लंड पर कूदने लगी...

और फिर उसे अपने अंदर एक गोली सी छूटती हुई महसूस हुई...जो केशव के लंड से निकली थी....उसके लंड का रस किसी गोली की तरह महसूस हुआ उसे अपने अंदर...और उसे महसूस करते ही उसकी चूत की दीवारों ने भी नमी छोड़नी शुरू कर दी...और वो भी केशव के साथ-2 झड़ने लगी..

''अहह ..... ओह केशव ............. वॉट फीलिंग ................ उम्म्म्मममममममममममममममम .....मज़ा गया ................... अहह ...''

केशव के लंड से मिलकर उसका रस भी इतना अधिक हो गया की झटके के साथ-2 वो भी बाहर निकलने लगा....


सारा का सारा रस निकल कर उसी वक़्त केशव की जांघों पर गिरा....और वो भी हाँफती हुई सी उसके पैरों पर गिर पड़ी...

थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद वो पलटी और खिसक कर उसकी छाती से लग गयी...और कुछ ही देर में सो भी गयी...

केशव के लंड से और उसकी चूत से रस निकल कर ना जाने कितनी देर तक नीचे पड़े नोटों पर गिरता रहा...

सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी..और उसने अपने कपड़े पहने, और अपनी माँ के पास जाकर लेट गयी..

दीवाली का दिन था, इसलिए सोई नही वो उसके बाद...पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई की...केशव के कमरे में गयी और उसे नहाने के लिए भेजा...बिस्तर की हालत देखकर उसे खुद ही बड़ी शर्म आई...काफ़ी नोट फट चुके थे..कई नोटों पर खून की बूंदे और कई पर उनके प्यार की मिली जुली निशानी चमक रही थी...उसने उन ख़ास नोटों को अलग रख लिया निशानी के तोर पर और बाकी नोटों को समेट कर अलमारी में रख दिया...
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update kesa lga plz btayega jrur
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Jyoti ji very very very very very very very very very very very very very very very very very sexy update. Finally Keshav kajal ka pati ban gya
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(13-04-2019, 03:45 PM)Jyoti Singh Wrote: update kesa lga plz btayega jrur

Hi jyoti. Update was hot n interesting. But apka ye update 9-4 ko aya tha aur aaj 15 -4 ho gaya hai. Next update apne upload nai kiya. Apki story to ready h phir aap upload kyu nai kr rahi h. Hum daily online hokr apki thread me ate h n result no update.. jyoti ji apki story achi h esliye etne readers h but agar ap timely updates nai dengi to reader story se connect nai kr payenge. Pls consider this .. bye
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अब दोनो को शाम का इंतजार था..और वो शाम कितनी कामुक होने वाली थी ये तो काजल को भी नही पता था..

दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के साथ... काजल ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी उसको भी पता नही चला..केशव घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था.

शाम को जब तक काजल घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर काजल घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी, केशव अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...

प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसीबत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , केशव ने कहा की वो उनके साथ ही रुकेगा..और काजल को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने सारिका को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि काजल को वो अकेला नही छोड़ना चाहता था.

काजल करीब 9 बजे घर वापिस पहुँची..और थोड़ी ही देर मे सारिका भी गयी..उसकी माँ छोड़ने आई थी उसको..दोनो ने मिल कर खाना खाया..

काजल ने टाइम देखा, राणा और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने केशव को फोन किया, उसने काजल को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और काजल के साथ सारिका भी थी, इसलिए केशव ने बिना डरे उसे आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज काजल की किस्मत ने साथ दिया तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..काजल के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..

खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात काजल अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे..

आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.

सारिका को भी ये सब देखकर काफ़ी रोमांच का एहसास हो रहा था..पिछली बार भी उसे बड़ी उत्सुकतता थी की कैसे काजल इस खेल को खेलती है...आज वो उसके साथ पूरी रात यही रहने वाली थी, इसलिए पूरी गेम को देखकर वो भी कुछ नया सीखना चाहती थी...पर उसे क्या पता था की काजल किस तरह के खेल खेलती है..

काजल के कहने पर सारिका ने किचन संभाल ली और सबके लिए कुछ स्नेक्स का इंतज़ाम करने लगी..और बाकी सभी लोग टेबल के चारों तरफ बैठ गये और खेल शुरू कर दिया.

राणा तो कल काजल के हुस्न का दीदार कर ही चुका था..उसे पूरा नंगा देखकर...उसे चूस्कर...बस चुदाई की कमी रह गयी थी..वो ये बात भी जान चुका था की काजल अभी तक कुँवारी है..पर बेचारे को ये बात नही पता थी की कल रात ही केशव ने उसकी चुदाई करके उसे कली से फूल बना दिया है..

और बिल्लू और गणेश भी अपनी ललचाई हुई नज़रों से काजल के जिस्म को देख रहे थे..आज त्योहार का दिन था इसलिए उसने काफ़ी सेक्सी रेड कलर का टॉप पहना हुआ था..जिसमे से उसकी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी

सारिका भी कम नही लग रही थी...उसने भी डोरी वाला येल्लो टॉप पहना था और स्लीवलेस होने की वजह से उसकी गोरी और सुडोल बाहें काफ़ी सेक्सी लग रही थी..नीचे की जीन्स मे उसकी फंसी हुई गांड , जिसे केशव ने मार-मारकर इतना टेंप्टिंग कर दिया था की हर लोंडे की नज़र उसके मोटे उभारों से पहले नीचे की फेलावट पर जाती थी..

कुल मिलाकर आज की रात दोनो सहेलियाँ कयामत ढा रही थी..

खेल शुरू हुआ..आज की रात राणा अकेला ही आया था..जीवन किसी बड़े क्लब में अपनी किस्मत आज़माने गया हुआ था..आख़िर दीवाली पर जुआ खेलने का मौका रोज-2 तो आता नही है ना..

राणा ने पत्ते बाँटे...और पहली बाजी शुरू हुई..सारिका भी तब तक सबके लिए कबाब तल कर ले आई और काजल की बगल मे बैठकर खेल को समझने की कोशिश करने लगी..

आज पहले ही तय हो चुका था की 500 की ब्लाइंड होगी, इसलिए सबने एक के बाद एक ब्लाइंड फेंकनी शुरू कर दी..4 ब्लाइंड चलने के बाद बिल्लू ने अपने पत्ते उठाए और उसने खुशी -2 दो हज़ार की चाल चल दी..

उसकी चाल आते ही गणेश ने भी पत्ते उठा लिए और काफ़ी सोचने के बाद उसने भी चाल चल ही दी..
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पर काजल ने अपने पत्ते नही उठाए और एक हज़ार की ब्लाइंड चल दी...और उसकी देखा देखी राणा ने भी हज़ार की ब्लाइंड चल दी..

अब दो लोग चाल पर थे और दो ब्लाइंड पर..

बिल्लू ने बड़े ही आराम से एक बार फिर से चाल को डबल किया और 4 हज़ार की चाल चल दी..गणेश के पास पेयर था 4 का..इसलिए उसकी फटने लगी थी...उसे पता चल गया की हो ना हो बिल्लू के पास 3 पत्तों वाला कुछ आया है...कलर या सीक़वेंस..इसलिए उसने पेक कर दिया ..

अब काजल ने अपने पत्ते उठा ही लिए...पर बड़े ही बेकार से थे वो...इसलिए उसने भी पेक कर दिया..

और वो इस पहली हार मे ही समझ चुकी थी की हर बार की तरह अभी उसका लक क्यो काम नही कर रहा ...क्योंकि उसने आज अंडरगार्मेंट्स पहने हुए थे...कल वो देख ही चुकी थी की अंदर के कपड़े उतारने के बाद ही उसका टोटका काम कर रहा था..इसलिए वो उठी और उपर के कमरे की तरफ चल दी..ये बोलकर की बस 1 मिनट में आई...

सारिका पीछे से बैठकर उन लोगो का खेल देखने लगी..

राणा ने जब देखा की काजल ने पेक कर दिया है तो उसकी रूचि भी खेल मे ख़त्म हो गयी और उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास 9 का पेयर आया था...पर फिर भी बिल्लू का कॉन्फिडेंस देखकर उसने शो माँग लिया..

बिल्लू ने अपने पत्ते दिखाए , उसके पास सीक़वेंस था..और वो भी 1,2,3 का..

उसने मुस्कुराते हुए सारे पैसे समेट लिए..करीब 15 हज़ार आए उसके पास..

तभी काजल भी वापिस गयी..और किसी ने तो नही पर राणा ने उसके हिलते हुए मुम्मे देखकर ये अंदाज़ा लगा ही लिया की वो ब्रा उतारकर आई है...वो भी राणा की आँखो मे देखकर मुस्कुराती हुई अपनी सीट पर बैठ गयी..

सारिका वापिस सोफे के हत्थे पर चड़कर बैठ गयी...और अचानक उसने नोट किया की वो काजल के गले में काफ़ी अंदर तक देख पा रही है...जबकि पहले ऐसा नही था..उसकी ब्रा गायब थी...

उसने काजल के कान मे फुसफुसाते हुए कहा : "तेरी ब्रा कहाँ गयी...सब सॉफ-2 दिख रहा है..''

काजल (धीरे से) : "वो मैने उतार दी...चुभ रही थी निगोडी..''

सारिका : "पर ये सब देख रहे हैं...राणा को देख ज़रा..तेरे बूब्स को कैसे घूर रहा है..''

काजल : "तभी तो उतारी है...ताकि ये घूर सके मुझे...''

काजल के मुँह से ऐसी बेशर्मी भरी बात सुनकर सारिका चोंक गयी...वो बेचारी नही जानती थी की ये गेम आगे चलकर किस लेवल तक जाने वाली है...

अगली गेम शुरू हुई,और 3 ब्लाइंड के बाद इस बार काजल ने अपने पत्ते उठा लिए..और फिर उसने वो किया जिसकी उम्मीद राणा को तो थी पर और किसी को नही..उसने अपने पत्ते दाँये हाथ मे पकड़े हुए थे...और अचानक उसी हाथ को अपनी टॉप के गले से अंदर डालकर अपने मुम्मों पर रगड़ डाला और जब सभी उसकी इस हरकत को देखकर आँखे फाड़ने लगे तो वो बोली : "उफफफफ्फ़.... ये मच्छर भी ना....''

सारिका का तो मुँह खुला का खुला रह गया...काजल ने जिस बेशर्मी से अपनी गहरे गले की टॉप में हाथ डालकर अपने मुम्मो को रगड़ा था, सामने बैठे हर इंसान ने वो हरकत देखी थी...पहले तो वो ब्रा उतार आई और उसके बाद इतनी बेशर्मी से वो हाथ अंदर डालकर अपने बूब्स रगड़ रही थी जैसे उन्हे नोच डालेगी..

अब उसे क्या पता था की वो तो अपना टोटका बैठाने की कोशिश कर रही थी...अपने मुम्मों पर अपने पत्ते रगड़कर वो उनकी किस्मत बदल देना चाहती थी..और अपनी भी..

और उसके मुम्मों से रगड़ खाकर जैसे उन पत्तों की किस्मत सच मे बदल चुकी थी...उसके पास पान के पत्तों का कलर आया था..उसने मुस्कुराते हुए 2 हज़ार डाल दिए बीच में और चाल चल दी..और वो भी हल्के से अपनी चूत से रगड़कर ...जिसे राणा के अलावा किसी और ने नोट ही नही किया...बिल्लू और गणेश तो अभी तक उसके बिना ब्रा के मुम्मों के उपर लगे निप्पल के इंप्रेशन को देखकर सकते में थे...

राणा ने भी अपने पत्ते उठाए...और टोटके पर टोटका चलाते हुए उसने भी उतनी ही बेशर्मी से अपने लंड के उपर उन्हे रगड़ा और पत्ते देखे..
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उसके पास भी कलर आया था...और वो भी पान का...पर जाहिर सी बात थी , दोनो के नंबर्स अलग थे...और ये बात तो तब साबित होती जब दोनो का शो होता..

गणेश ने पत्ते उठाए और देखते ही पेक कर दिया..बिल्लू का भी यही हाल था...उसके पास भी सिर्फ़ इक्का आया था और दो छोटे पत्ते...सामने से दो चाल चुकी थी, इसलिए उसने भी पेक कर दिया..

अब बचे थे सिर्फ़ राणा और काजल...

राणा सोचने लगा की काश कल की ही तरह वो लोग आज भी अकेले में होते तो इतने नाटक ना करने पड़ रहे होते अभी तक..सीधा अपने वाले खेल में चुके होते दोनो..जिसमे जीतने के बाद काजल खुश होकर खुद ही अपने कपड़े उतार कर उसके साथ मज़े ले रही थी..

मज़े लेने के मूड में तो वो आज भी थी..और वो तो हमेशा से ही तैयार रहता था..पर बिल्लू और गणेश के सामने वो कैसे करे, यही पंगा था..और उपर से सारिका भी साथ मे थी ...ऐसे मे आज की रात कुछ भी कल जैसा होना मुश्किल सा लग रहा था उसे..

पर वो नही जानता था की काजल के दिमाग़ में क्या चल रहा है..पैसे जीतना आज काजल की मंशा नही थी..आज की रात तो वो कल की रात से भी ज़्यादा मज़े लेना चाहती थी..और वो भी सब के साथ..क्योंकि कल की ताज़ा चुदी चूत में एक बार फिर से खुजली होनी शुरू हो चुकी थी...और वो ये सोच रही थी की जब केशव के अकेले लंड ने उसे इतने मज़े दिए हैं तो इन तीनो के लंड मिलकर उसे कितना मज़ा देंगे..

इसलिए उसने अपनी योजना को अंजाम तक ले जाने के लिए अपने जलवे बिखेरने शुरू कर दिए..

और उसने हज़ार के 2 नोट लेकर एक बार फिर से अपनी टॉप के अंदर डाला और अच्छी तरह से घुमा कर उन्हे नीचे फेंक दिया..

सारिका एक बार फिर से बेहोश होती-2 बची...

गणेश और बिल्लू भी समझ चुके थे की वो काजल का कोई टोटका है..क्योंकि ऐसे खेल के खिलाड़ी सब जानते हैं..और ये जानकार की काजल का टोटका इतना सेक्सी है , उनकी तो साँसे उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी..

काजल बड़े ही कामुक तरीके से राणा को देखते हुए वो सब कर रही थी...इसलिए बिल्लू और गणेश को ये समझते भी देर नही लगी की कल उपर वाले कमरे में क्या-2 हुआ होगा...जब उनके सामने बैठकर ही काजल इतनी बेशर्मी दिखा रही है तो उपर उसने क्या नही किया होगा..

सारिका एक बार फिर से फुसफुसाई : "काजल, तू पागल हो गयी है क्या...ये क्या बेशर्मी है...कर क्या रही है तू...''

उसकी बात पास बैठे बिल्लू ने सुन ली, और बोला : "ये शायद इसका टोटका है...और ऐसे टोटके करने से बाजी जीती जाती है...क्यो राणा भाई, सही कहा ना मैने...''

और ये सुनकर तीनो बड़े ही भद्दे तरीके से ठहाका लगाकर हँसने लगे...

राणा : "हाँ बिल्लू, तूने बिल्कुल सही पकड़ा...और मैने कल उपर देखा था, काजल के ऐसे टोटकों की वजह से ही मैं पूरा नंगा हो गया था कल..''

सबने उसकी तरफ घूर कर देखा

राणा : "मेरा मतलब , मेरे सारे पैसे लूट लिए थे इसने...सच मे बड़े कमाल के टोटके होते हैं इसके...''

वो एक बार फिर से उसके मोटे-2 मुम्मों को घूरता हुआ बोला ..

सारिका की तो कुछ समझ मे नही रहा था...वो सोच रही थी की जब इस बात का केशव को पता चलेगा तो वो कैसे रिएक्ट करेगा...उसकी बहन उसके दोस्तों के सामने कितनी बेशर्मी से पेश रही है..

और सारिका को ये बात पता नही थी की ऐसे टोटके अपनाने के लिए उसे केशव ने ही उकसाया था..

राणा की बारी आई...और वो तो था ही एक नंबर का हरामी..उसने भी 2 हज़ार रुपय उठाए और उन्हे अपने लंड से रगड़ने लगा...इतना रगड़ा की पेंट के नीचे से उसका उभार खड़ा होकर सॉफ दिखाई देने लगा...उसकी लंबाई का अंदाज़ा सॉफ लगाया जा सकता था..

बिल्लू और गणेश भी उसकी बेशर्मी पर एक दूसरे को आँख मारकर मज़े लेने लगे...

और काजल अगली चाल के लिए फिर से अपने मुम्मों पर नोट रगड़ने लगी..

पर इन सबके बीच सारिका की हालत खराब थी...उसे वैसे ही केशव की बड़ी याद रही थी..और अपने सामने राणा को इतनी बेशर्मी से अपने लंड को रगड़ते देखकर और फिर उसके लंड की लंबाई को देखकर उसके अंदर धुंवा सा उठने लगा था..चूत की भट्टी में कोयले सुलगने लग गये थे..वहाँ से आँच निकलनी शुरू हो गयी...और उसकी जांघों के बीच चिपचिपाहट महसूस होने लगी उसे..

अपने मुम्मों से रगड़ने के बाद काजल ने एक और डेयरिंग दिखाई और उन्ही पैसों को अपनी चूत वाले हिस्से से भी रगड़कर एक ही झटके में नीचे फेंक दिया...

उसका डबल अटैक था ये...मुम्मे और चूत की रगड़ाई एक साथ...
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अब ये काम राणा तो कर नही सकता था...लड़कियों की तरह लड़कों के पास 2-3 चीज़ें तो होती नही है, यानी मुम्मे ,चूत और गांड ...उनके पास तो ले देकर सिर्फ़ और सिर्फ़ लंड ही है...वो उसी पर फिर से पैसे रगड़कर अपनी चाल चलने की तैयारी करने लगा..और इस बार वो भी एक कदम और आगे बड़ गया...उसने पेंट की जीप खोली और पैसे अंदर डालकर उन्हे नंगे लंड से रगड़ दिया..

बिल्लू और गणेश ने ऐसा मुँह बनाया जैसे उन्हे वो देखकर घिन्न रही है...पर काजल और सारिका ही जानते थे की राणा की इस हरकत से उनकी चूत से कितनी चिंगारियाँ निकली हैं...

काजल तो कल वो सब अच्छी तरह से महसूस कर ही चुकी थी, पर फिर भी आज एक नये सिरे से और वो भी सबके सामने महसूस करने का एहसास अलग ही था...वो कल से भी ज़्यादा उत्तेजित महसूस कर रही थी अपने आप को..

और सारिका का तो पूछो ही मत...वो तो सोफे के कुशन वाले हत्थे पर दोनो तरफ टांगे करके ऐसे बैठ गयी जैसे घोड़ी पर बैठी है...और धीरे-2 हिलते हुए उसपर अपनी चूत रगड़ने लगी...और काजल को तो क्या , उस रूम मे बैठे हर इंसान को उसकी चूत से निकल रही खुश्बू रही थी...इतना तेल निकल रहा था उसकी चूत की फैक्टरी से...

उसकी हिलने की स्पीड काफ़ी स्लो थी, इसलिए पास बैठी काजल ही महसूस कर पा रही थी,क्योंकि दोनो सट कर बैठी हुई थी.....और काजल खुश थी की सारिका भी इस खेल के मज़े ले रही है...उसका मज़े लेना ज़रूरी था, क्योंकि वो अगर साथ नही देगी तो आज की रात वो सब नही कर पाएगी,जो उसने सोच रखा था...

काजल के टॉप का गला काफ़ी नीचे चुका था...और उसके मुम्मे आधे से ज़्यादा दिखाई दे रहे थे...

अगली चाल चलने के लिए उसने 4 हज़ार रुपय निकाले और उन्हे फिर से उनपर रगड़ने लगी...और अचानक उसे घूर-2 कर देख रहे बिल्लू को उसका निप्पल दिखाई दे गया..काजल ने आवेश मे आकर शायद कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से अपनी टॉप के गले को नीचे खींच दिया था..पर जब तक वो गणेश को इशारे से बता पाता ,उसका पिंक निप्पल अंदर जा चुका था..पर वो खुश था अपनी किस्मत पर की उसने वो मोटा सा निप्पल देख लिया...वो ये सोचने लगा की जब वो अपने दाँतों के बीच रखकर उसे चबायेगा और काजल सिसकारियाँ मारकर उसे अपनी छाती से दबा लेगी, कितना मज़ा आएगा...

इतना सोचते हुए उसके मुँह से लार निकल कर उसकी शर्ट पर गिर गयी...शायद सोचते-2 वो अपना मुँह बंद करना भूल गया था..

राणा भी समझ चुका था की गेम फँस चुकी है...दोनो के पास बड़िया पत्ते ही आए हैं..

पर उसे पैसे हारने की नही बल्कि जल्द से जल्द कल वाले खेल को पूरा करने की चिंता थी...इसलिए एक बार फिर से काजल को उकसाने के लिए वो बोला : "तुम चाहे जीतने भी जतन कर लो..अपने हुस्न का इस्तेमाल करके,चाहे जो भी टोटके अपना लो, मुझसे आगे नही निकल पाओगी ...''

अपनी पेंट की जीप तो वो खोल ही चुका था, और उसके लंड का उभार सिर्फ़ अंडरवीयर में क़ैद होकर सॉफ दिखाई दे रहा था..इस बार उसने अपने अंडरवीयर को नीचे खींचा और लंड को नंगा कर दिया...उसका काला नाग फ़ुफ़कारता हुआ सा सबकी नज़रों के सामने गया..

काजल वो देख चुकी थी, पर फिर भी उसके मुँह से आह निकल ही गयी...बिल्लू और गणेश के लिए ये कोई नया नही था, उन सबने मिलकर पहले भी कई रंडियों को चोदा था, इसलिए एक दूसरे का लंड देखना आम बात थी उनके लिए..

पर सारिका का क्या, वो तो नयी थी इन सबके लिए...उसने तो आज तक अपनी लाइफ मे सिर्फ़ और सिर्फ़ केशव का 6 इंची लंड ही देखा था..उसके लिए ऐसा 8 इंची लंड देखकना किसी बड़े झटके से कम नही था...और उपर से राणा ने उसे वापिस अंडरवीयर में धकेलने की भी कोई जहमत नही उठाई...पेंट की जीप की लंबाई के पीछे उसका लंड किसी खीरे जैसा लग रहा था..बस फ़र्क ये था की उसपर मोटी-2 नसें चमक रही थी..जिसे देखकर घोड़ी पर बैठी सारिका की स्पीड थोड़ी और तेज हो गयी और इस बार सबने उसकी हिलने की हरकत को नोट किया और समझ भी लिया की वो कर क्या रही है..

काजल ने उसे ऐसा ना करने के लिए कहा, क्योंकि सबकी नज़रें सारिका पर ही थी इस वक़्त..

काजल ने इस बार 4 हज़ार रुपय फेंक कर शो माँग ही लिया..क्योंकि उसे अंदर से लगने लग गया था की वो ये गेम हारने वाली है..

उसके पास पान का कलर था, और नंबर थे 4,5 और गुलाम...

राणा ने अपने पत्ते फेंके, उसके पास भी पान का कलर था था, और नंबर थे 2,9, और बेगम...

यानी राणा वो गेम जीत गया...उसने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..और उनमे से कुछ नोट उठा कर अपनी खड़े हुए लंड से छुआ दिए...और इस बार अपने लंड को पूरा बाहर खींचकर...और उसमे से निकल रहा प्रीकम उन नोटों पर लगाकर...

उसकी हँसी मे बिल्लू और गणेश भी उसका साथ दे रहे थे...शायद तीनों ने आँखों ही आँखों मे ये डिसाईड कर लिया था की आज की रात वो क्या करने वाले हैं..

और राणा को अपने लंड की कलम से लाल नोटों पर कुछ लिखता देखकर सारिका तो बावली हो गयी...उसने पहली बार उसकी लंबाई को पूरी तरह से देखा...वो काफ़ी लंबा था...केशव के मुक़ाबले काफ़ी लंबा..उसक तो दिल कर गया उसे अपने अंदर लेने का..

उसका तो मन किया की राणा के लंड को हाथ में लेकर उसकी मुठ मार दे , और उसकी खुली आँखों के सामने वो दृशय एकदम से गया जिसमे उसके कोमल हाथों में राणा का कड़क लंड था और वो उसे आगे पीछे कर रही थी


और ऐसा सोचते ही उसका हाथ अपने आप अपनी चूत की तरफ चला गया...और तब उसे पता चला की उसने वहाँ कितना कीचड़ फेला रखा है...

एक तो पहले से ही काजल ने आतंक मचा रखा था, अपने मुम्मे दिखाकर..उपर से सारिका को ऐसी हरकत पर उतरता देखकर सबकी आँखों की चमक और बढ़ गयी...ये सोचकर की शायद आज की रात इन दोनो को रंडियों की तरह चोदने का मौका मिलेगा..

पर वो कैसे होगा और कब होगा , इसके लिए पूरी योजना बनाने कि जरूरत थी...

और इसके लिए बिल्लू के पास एक प्लान था

बिल्लू : "यार, तुम लोग जिस तरह से कर रहे हो, वैसा तो मैने एक क्लब में भी होते हुए देखा है... और उस गेम को कहते हैं स्ट्रीप पोकर ...''

स्ट्रीप पोकर का नाम सुनकर सभी चोंक गये...वो समझ गये की वो क्या कहना चाहता है..यानी खेलते- हारने वाला अपने कपड़े भी उतारता जाता है

बिल्लू : "देखो, इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नही है, राणा और काजल तो पहले से लगभग वही खेल खेलने में लगे हैं..और जैसा की सभी जानते हैं की इस खेल मे जो हारता जाएगा वो अपने पैसों के साथ-2 एक कपड़ा भी निकालता जाएगा..जब ये दोनो मज़ा ले रहे हैं तो हम लोग क्यो ना ले..बोलो..''

सभी उसके चेहरे को देखने लगे..गणेश और राणा को भला क्या प्राब्लम हो सकती थी...वैसे काजल भी तो वही सोच कर बैठी थी , पर खुलकर नही बोल सकती थी वो..और रही बात सारिका की तो उसे तो ऐसी ठरक चढ़ी हुई थी की इस वक़्त उससे तो कुछ भी करवा लो, वो मना नही करने वाली थी..

राणा : "मुझे कोई प्राब्लम नही है...ऐसे खेलने में मज़ा भी आएगा और जुआ भी चलता रहेगा..पर मेरी एक शर्ट है..इसमे सारिका भी हिस्सा लेगी..वो ऐसे बैठकर हम लोगो को नंगा होते देखकर मज़े नही ले सकती...उसे भी इस खेल मे उतरना होगा...''

सारिका तपाक से बोली : "मुझे कोई प्राब्लम नही है...''

उसकी उत्सुकतता देखकर सभी हंस दिए...और समझ भी गये की लोंडिया गरम है...वैसे भी खेल देखकर वो भी थोड़ा बहुत सीख ही चुकी थी

बस फिर क्या था...अगली गेम की तैयारी होने लगी...

अँग्रेज़ी स्टाइल का तीन पत्ती

स्ट्रीप
पोकर
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राणा ने पत्ते बाँटने शुरू किए...सारिका उसकी बगल मे बैठी थी और उसके दूसरी तरफ गणेश था..जिसकी जांघे सारिका से टच कर रही थी..

सबने बूट के 500 डाल दिए..सारिका को काजल ने अपनी तरफ से पैसे उधार दे दिए थे ,ताकि वो सबकी तरह खेल सके ..

सारिका अंदर से बड़ी ही रोमांचित थी...और वो खुशी उसके चेहरे पर सॉफ देखी जा सकती थी.

राणा, गणेश और बिल्लू तो जल्द से जल्द खेल के आख़िरी पड़ाव पर जाना चाहते थे, इसलिए किसी ने भी अगली ब्लाइंड का वेट ही नही किया, क्योंकि हार कर वो खुद नंगे होते और जीत कर उनको नंगा करते...दोनो ही सूरत मे उन्हे ही मज़ा मिलना था..

इसलिए सबसे पहले बिल्लू ने पत्ते उठा लिए..उसके पास 2,5,8 नंबर आए थे..बड़े ही बेकार थे वो..इसलिए उसने पेक कर दिया..और रूल के अनुसार उसे अपना एक कपड़ा उतारना था...उसने अपनी टी शर्ट उतार दी..और अब वो बनियान और पेंट मे बैठ था..उसका शरीर गोल मटोल सा था..पर था बड़ा ही गोरा, उपर से उसने अपनी बाजुओं और छाती के बालों को शेव करा रखा था..इसलिए चिकना और गोरा शरीर काफ़ी आकर्षित लग रहा था काजल और सारिका को..

अगली बारी काजल की थी, उसने तो ब्लाइंड ही चली..और 500 को पिछली बार की तरह ही मुम्मों से रगड़ कर नीचे फेंक दिया..

फिर गणेश की बारी आई, वो भी पहले से ही अपने पत्ते उठा चुका था..उसने झट से हज़ार का नोट नीचे फेंक दिया और वो भी अपने लंड से रगड़कर ..

उसे ऐसा करते देखकर राणा बोला : "साले , तुझे भी अपने टोटके दिखाने की पड़ी है..''

वो अपनी खीँसे निपोरता हुआ बोला : "भाई, जब टोटका इतना बड़ा हो तो करने में क्या बुराई है...''

''
बड़ा'' शब्द सुनते ही काजल और सारिका एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दी...काजल सोचने लगी की क्या राणा से भी बड़ा होगा इसका..और सारिका ये सोचने लगी की केशव से भी बड़ा होगा क्या..

अब गणेश की बारी थी...उसके पत्ते भी बेकार थे...उसने भी अपनी शर्ट उतार दी...उसने तो नीचे बनियान भी नही पहनी थी...इसलिए टॉपलेस होकर बैठ गया वो...वैसे भी उसका कसरती जिस्म था...इसलिए अपने मसल्स दिखाकर वो दोनो को इंप्रेस भी कर रहा था...और वो हो भी रही थी..

वैसे भी लड़की को हमेशा कसरती जिस्म वाले या जिम मे बनी बॉडीस पसंद आती है...

अब सारिका की बारी थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सिर्फ़ बादशाह आया था, बाकी के दोनो पत्ते छोटे थे...वो थोड़ी परेशान सी हो गयी...बिल्लू पेक कर चुका था, इसलिए वो उठकर उसके पास आया और बोला : "कोई कनफुसन है तो मुझे दिखा दो...मैं बता दूँगा...''

उसने पत्ते दिखा दिए...और देखने के साथ ही वो बोला : "पेक कर दे...बेकार पत्ते हैं..''

वो इसलिए भी बोला की वो जल्द से जल्द उन दोनो को नंगा देखना चाहता था..और इसकी शुरूवात सारिका से कर दी..

सारिका का चेहरा शर्म से लाल हो गया...ये सोचकर की वो घड़ी गयी है जिसके बारे मे वो कुछ देर पहले सोच रही थी..

उसने तो एक येल्लो कलर का टॉप पहना हुआ था...और नीचे ब्रा थी..और नीचे उसने जीन्स पहनी थी..


अब वो सोच मे पड़ गयी की क्या उतारे...जीन्स तो सीधा उतार नही सकती थी वो...इसलिए उसने सकुचाते हुए अपने टॉप की डोरियाँ खोलनी शुरू कर दी..

कंधे पर बँधी दोनो डोरियों को जैसे ही उसने खोला, उसके टॉप का गला नीचे खिसक गया..और उसकी वाइट ब्रा में क़ैद कसे हुए मुम्मे सबके सामने प्रकट हो गये.

और एक पल के लिए पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया...सिर्फ़ ठरकियों की गहरी साँसे सुनाई दे रही थी कमरे में

काजल : "अरे भई, चाल भी चलो अगली....''

तब जाके सभी को होश आया...राणा की बारी थी..उसने अपने पत्ते देखे..उसके पास इकके का पेयर आया था....उसकी आँखे चमक उठी..उसने 2 हज़ार की चाल चली और पैसे लंड से रगड़ कर डाल दिए नीचे..

अब फिर से काजल की बारी थी, जिसने अपने पत्ते भी नही देखे थे अभी तक...

उसने अपने पत्ते उठाए..और उसके पास बादशाह का पेयर आया...उसने भी खुश होते हुए पैसे दोबारा अपने मुम्मों से रगडे और नीचे फेंक दिए..

अब राणा ने पैसे फिर से डबल किए और चार हज़ार की चाल चल दी..

काजल के पास वैसे तो बड़ा पेयर था, पर उसे लगने लग गया की राणा के पास ज़रूर तीन पत्तों वाली कोई चीज़ आई है...उसने भी पैसे अपने मुम्मों और चूत से रगडे और उन्हे नीचे फेंक दिया..और शो माँग लिया..

काजल ने अपने पत्ते सामने रख दिए...

और उन्हे देखकर राणा ने भी मुस्कुराते हुए अपने पत्ते उजागर कर दिए..

बादशाह के पेयर पर इकके का पेयर भारी था..

वो जीत गया था..

और गेम के रूल के अनुसार वो हारने वाली काजल से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सकता था..

और वो ये भी अच्छी तरह से जानता था की उसने कल की तरह आज भी अंडरगार्मेंट्स नही पहने हुए..

इसलिए उसने सबसे पहले उसे अपने सूट का टॉप उतारने को कहा.
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Boss gifs add Kar story mein aur maza a aayega
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Nice baby....... Superb
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Nice story
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(21-04-2019, 09:27 AM)Bunty4g Wrote: Nice baby....... Superb

Thank you very much bunty ji
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(22-04-2019, 11:07 AM)Unknown Wrote: Nice story

Thanks
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काजल तो उसके सामने खुल ही चुकी थी...बस थोड़ी बहुत झिझक दूसरो के सामने कपड़े उतारने की थी..और वैसे भी ये आज की रात तो होना ही था...

इसलिए उसने एक गहरी साँस ली और आँखे बंद करके एक ही झटके में अपने सूट की कमीज़ को पकड़ा और उसे सिर से घुमा कर उतार दिया..

और अब काजल थी सबके सामने...उपर से नंगी.

गणेश और बिल्लू ने तो सोचा भी नही था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी हुई...काजल ने अपने बालों से उन्हें छुपाने की कोशिश की आर उसके बालों की चादर के पीछे उसके मुम्मे उभरकर और भी सेक्सी लग रहे थे

उसके मोटे और लचीले मुम्मे देखकर उन दोनो की तो आँखे ही फटी रह गयी...जिन्हे देखकर उन्होने ना जाने कितनी बार मूठ मारी थी...और गणेश ने तो अपनी बीबी की चूत भी कितनी बार ये सोचकर मारी थी की उसके सामने काजल नंगी लेटी है...वही काजल आज अपने मुम्मों की नुमाइश लगाकर उनके सामने बैठी थी...

उसके तने हुए बूब्स देखकर उन दोनो के मुँह मे पानी और लंड के सिरे पर पानी की बूँद उभर आई..

जो जल्द ही एक लावे का रूप लेकर उसपर बरसने वाली थी...

अभी तो खेल शुरू ही हुआ था.

एक गेम में ही एक टॉपलेस होकर और दूसरी सिर्फ़ ब्रा में उनके सामने थी..

अगली 2-3 बाजियों मे तो पूरी नंगी करने का प्लान था उनको..

उन सभी चुप देखकर काजल से रहा नहीं गया

काजल : "अरे, तुम तो ऐसे देख रहे हो जैसे कभी किसी के बूब्स देखे नही है...''

वो शायद थोड़ा मज़े लेने के मूड में चुकी थी...जब इतना कुछ खुलकर हो ही रहा था तो ऐसे चुप होकर क्यो बैठे..वैसे भी काजल ने तो सोचा था की उसे और सारिका को ऐसे देखकर वो ज़रूर अपने दिल की ठरक निकाल कर बाहर रख देंगे..पर वो तो गूंगे कुत्तों की तरह अपनी जीभ निकाले उन्हे आँखे फाड़ कर देखने में लगे थे..

बिल्लू संभलता हुआ बोला : "जितने भी बूब्स देखे है काजल, तुम जैसे नही थे वो...ये जो तुम्हारे बूब्स है ना, इन्हे हम सभी ने अपनी आँखो के सामने बड़े होते हुए देखा है...पहले नींबू जैसे थे, छोटे-2 ...और शुरू में तो तुम उनपर ब्रा भी नही पहनती थी..इसलिए ये तुम्हारे लाल निप्पल दूर से ही दिखाई देते थे..फिर ये और बड़े हुए..मौसम्मी जितने ...पर ब्रा पहनने के बाद भी तुम्हारे ये नुकीले निप्पल हमें दूर से ही दिख जाते थे...और पता है, हम सभी चौराहे पर खड़े होकर हमेशा यही बात करते थे की तुम हो तो चुपचाप रहने वाली पर अंदर से तुम बड़ी गर्म होगी, क्योंकि ये खड़े हुए निप्पल निशानी होती है अंदर की आग की...और देख लो, हमारी बातें सच साबित हुई, आज जिस तरह से तुम हमारे सामने बैठी हो, वो यही साबित करता है की तुम शुरू से ही काफ़ी घुन्नी किस्म की लड़की थी, जो अब उभर कर सामने आई है..''

वो साला एक ही साँस में सब कहता चला गया...जो सही भी था..

काजल उसकी बात सुनकर मुस्कुराती रही...उसकी उंगलियाँ अपने आप अपने निप्पल्स को दबा कर उन्हे सुलाने की असफल कोशिश कर रही थी,पर हमेशा की तरह आज भी वो नाकाम थी.

ये तो उसकी प्राब्लम थी,जब से उसके नींबू उगने शुरू हुए थे, उसने भी अपने अंदर रहे बदलाव महसूस किए थे, और उन माँस से भरे लचीले हिस्से को वो अकेले मे बैठकर दबाती रहती थी, और सारिका के संपर्क मे आने के बाद जब उसे पता चला फिंगरिंग के बारे में तो नीचे से चूत को और उपर से अपने नींबुओं को मसलने में जो असीम आनंद उसे प्राप्त होता था, उसे तो वो आज भी शब्दों में बयान नही कर सकती थी...रोजाना नहाते हुए, शावर के नीचे नंगी खड़े होकर, गरमा गर्म पानी को अपने बदन पर महसूस करते हुए वो जब उपर और नीचे की ताल मिलाती थी तो वो एक आग का शोला बन जाती थी...और भरभराकर झड़ती थी उस गर्म पानी के नीचे..

और उन्ही ख़यालों मे डूब कर वो स्कूल जाती, और शायद तभी से इन ठरकियों की नज़र उसपर थी, क्योंकि स्कूल या कहीं भी जाते हुए उसके निप्पल्स हमेशा खड़े ही रहते थे..

और फिर उन नींबुओं को दबा-दबाकर उसने मौसम्मी बना दिया...और रसीला भी...और आज भी उसकी वो आदत बरकरार है, सोते हुए और नहाते हुए वो आज भी उन्हे दबाना और मसलना नही भूलती..

पर अब उसकी इस परेशानी से उसे छुटकारा मिल चुका था...पहले तो केशव के द्वारा और अब शायद इनके हाथों का कमाल चलने वाला था उसके बूब्स पर...क्योंकि जिस तरह का खेल चल रहा था , उसके हिसाब से तो जल्द ही उन सबके हाथ रेंगने वाले थे उसपर..

खैर, अगली गेम शुरू हुई और पत्ते बाँटे गये...

राणा की बारी थी पहले, उसके पास इक्का ही आया था बस, उसने फ़ौरन पेक कर दिया..और साथ ही अपनी पेंट भी उतार दी, जुर्माने के तौर पर..

अब वो सिर्फ़ टी शर्ट और अंडरवीयर में बैठा था...और अंडरवीयर में उसका खड़ा हुआ लंड दूर से ही चमक रहा था, जिसे देखकर सारिका और काजल के मुँह में पानी गया..

अगली बारी बिल्लू की थी...और लगातार दूसरी बार भी उसके पास बेकार पत्ते ही आए...उसने तो सोचा था की शायद इस बार अच्छे पत्ते जाए और जीत जाए ताकि हारने वाली काजल या सारिका से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सके या कुछ और करवा सके..

उसने पत्ते फेंक दिए और अपनी पेंट उतार दी..अब वो जोक्की और बनियान में ही था बस..

सारिका ने पत्ते देखे, उसके पास 2 का पेयर था...अब इतना तो वो समझ ही चुकी थी की एक जैसे दो पत्ते आने पर वो चाल चलने लायक होते हैं, इसलिए उसने फ़ौरन हज़ार का नोट लिया और चाल चल दी..अपनी ब्रा से ढके मुम्मों से रगड़कर ..

गणेश ने पत्ते देखे, उसके पास भी कुछ खास नही था..सिर्फ़ इक्का , बादशाह और 7 नंबर थे...खेलने को वो इनपर भी खेल सकता था, पर जल्दी नंगा होकर शायद वो अपने लंड को उन सुंदरियों के सामने रखना चाहता था, इसलिए उसने भी पेक कर दिया और नीचे से पेंट उतार दी...बनियान तो उसने पहनी नही थी, इसलिए वो अब टॉपलेस होकर सिर्फ़ अपने अंडरवीयर में था..उसके कसरती जिस्म को देखकर काजल और सारिका के जिस्म से गर्मी निकल रही थी...शायद ये सोचकर की उसके मसल्स को वो अपने नाज़ुक हाथों से रगडेंगी..
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