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Fantasy ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग
#61
चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट -33

ठाकुर ज़ालिम सिंह कि हवेली मे एक और जिस्म हवस कि आग मे जल रहा था, भूरी काकी का आज कामवती कि सुहागरात सोच सोच के उसके कलेजे पे भी छुरिया चल रही थी,
वो अपने बिस्तर पे सिर्फ ब्लाउज पेटीकोट मे लेटी चुत को रगड़ रही थी उसे कालू बिल्लू रामु के साथ हुई चुदाई याद आ रही थी कैसे तीनो ने रगड  के रख दिया था
[Image: 17979746.webp]
बाहर चौकीदार कक्ष मे
बिल्लू :- यारो ठाकुर कि तो आज चांदी है मजा कर रहा होगा कुंवारी स्त्री मिल गई बुड्ढे को.
रामु :- हाँ यार ऐसा सोच सोच के तो मेरा लंड कब से खड़ा है बैठने का नाम ही नाहि ले रहा.
कालू :- भूरी काकी भी डर गई लगता है उस दिन से वरना उसे ही चोद लेते वो भी क्या नई ठकुराइन से कम है पुरानी शराब है, जितना चोदो कम है, उस दिन भरपूर मजा दिया था.
आज ही मौका है वरना कल से तो ठाकुर काम पे लगा देगा
बिल्लू :- अरे उदास क्यों होता है भगवान ने चाहा तो चुत मिल ही जाएगी, ले दारू पी
ऐसा बोल के तीनो भूरी का नशीला बदन याद करते हुए लंड पकड़े एक घूंट मे शराब पी जाते है
रामु :- चलो एक चक्कर मार लिया जाये हवेली का कही कोई चोर तो नहीं घुस आया होगा?
चोर तो घुस ही आया था कबका.... वो भी चोर मंगूस
तीनो पे बराबर नजर बनाये हुए था, काम करने का मया तरीका है? सोते कब है? करते क्या है?
मंगूस को कमजोरिया ही नजर आ रही थी.
"हवेली मे आना जाना बड़ी बात नहीं है बस मुझे नागमणि का पता लगाना होगा "

भूरी काकी भी अपने कमरे मे वासना मे तड़प रही थी "ऐसे कैसे चलेगा भूरी, ठाकुर के रहते चुदाई संभव भी नहीं है हवेली पे,कब तक चुत रगड़ेगी  पीछे मूत के आती हूँ थोड़ी वासना कम हो तो सुकून कि नींद आये "
भूरी ब्लाउज पेटीकोट मे अपने कमरे के पिछवाड़े चल देती है, चारो तरफ अंधेरा और सन्नाटा पसरा हुआ था.
वो इधर उधर देख के अपना पेटीकोट ऊपर उठा देती है, अँधेरी रात मे गोरी बड़ी गद्दाराई गांड चमक उठती है, मंगूस पास ही झाड़ी मे छुपा हुआ था उसकी नजर जैसे ही साये पे पड़ती है वो दुबक जाता है.
फिर अचानक उसकी आंखे चोघीया जाती है... भूरी काकी कि गांड ठीक उसके सामने थी दो हिस्सों मे बटी बड़ी गोरी दूध से उजली गांड... तभी पिस्स्स.... कि तेज़ मधुर आवाज़ के साथ चुत एक धार छोड़ देती है, पीछे से मंगूस को यव नजारा ऐसा दीखता है जैसे दो बड़ी गोल चट्टान के बीच से पानी का झरना छूट पड़ा हो,मंगूस इस मनमोहक नज़ारे को देख घन घना जाता है.
जैसे ही चुत से मूत कि धार निकलती है भूरी को थोड़ी राहत मिलती है
[Image: 20210802-234103.jpg]
उसके मुँह से आनंदमय सिसकरी फुट पड़ती है.
जैसे ही वो खड़ी होती है पीछे से एक जोड़ी हाथ ब्लाउज पे कसते चले जाते है और पीछे से कोई सख्त लोहे कि रोड नुमा चीज भूरी कि गांड कि दरार मे सामाति चली जाती है
पेटीकोट पूरी तरह नीचे भी नहीं हुआ था कि ये हमला हो गया... स्तन बुरी तरह दो हाथो मे दब गये थे,
ना चाहते हुए भी भूरी सिसकारी छोड़ देती है वो पहले से ही गरम थी इस गर्मी को उन दो हाथो ने बड़ा दियाथा.
अंधेरा पसरा हुआ था... तभी एक जोड़ी हाथ भूरी कि जाँघ सहलाने लगता है.
"क्यों काकी मूतने आई थी?"
भूरी आवाज़ पहचान गई "बिल्लू तुम? ये क्या तरीका है "
बिल्लू :- काकी हम तीनो कब से तड़प रहे है और आप तरीका पूछ रही हो?
पीछे से स्तन मर्दन करता रामु भूरी कि गर्दन पे जीभ रख देता है और एक लम्बा चटकारा भर लेता है "आह काकी क्या स्वाद है आपका मजा आ गया "
भूरी सिर्फ सिसक के रह जाती है
अचानक उसकी दोनों जांघो के बीच कुछ गिला गिला सा महसूस होता है वो नीचे देखती है तो पाती है कि कालू अपनी जबान निकाले चुत से निकलती मूत कि गरम बूंदो को चाट रहा था
भूरी तो इस अहसास से मरी ही जा रही थी कहाँ वो अपनी वासना कम करने आई थी कहाँ ये तीनो पील पडे उस पे.
भूरी वासना मे इतना जल रही थी कि वो किसी प्रकार का विरोध  ना कर सकी करती भी क्यों उसे भी तो प्यास लगी थी हवस कि प्यास.

अंदर हवेली मे नागेंद्र भी कामवती के कमरे मे पहुंच चूका था और चुपचाप एक कोने मे सिमट के बैठ गया था उसकी नजर कामवती के कामुक बदन पे टिकी हुई थी.
आह्हः.... अभी भी वैसे ही है बिल्कुल मादक कामवासना से भरी, लेकिन जैसे भी हो मुझे श्राप तोड़ने कि क्रिया करनी ही होंगी.

कामवती के सामने बैठा ठाकुर का लिंग अपने चरम पे था उसने ऐसा रूप सौंदर्य कभी देखा ही नहीं था
उसकी लुल्ली खड़ी हो के सलामी दे रही थी.अब सहननहीं कर सकता था वो
ठाकुर :- कामवती आप लेट जाइये सुहागरात मे देर नहीं करनी चाहिए.
कामवती को काम कला को कोई ज्ञान नहीं था
"ज़ी ठाकुर साहेब "बोल के सिरहाने पे टिक के लेट जाती है.
ठाकुर उसके पैरो के पास बैठ उसके लहंगे को ऊपर उठाना शुरू कर देता है ज़ालिम सिंह जैसे जैसे लहंगा उठा रहा था वैसे वैसे कामवति कि गोरी काया निकलती जा रही थी
ठाकुर ये सब देख मदहोश हुए जा रहा था.
ये नजारा नागेंद्र के सामने भी प्रस्तुत था परन्तु "हाय री मेरी किस्मत मेरी प्रेमिका मेरे सामने ही किसी और से सम्भोग करने जा रही है और उसे कोई ज्ञान ही नहीं है "
हे नागदेव काश मेरी शक्तियांमेरे पास होती तो मै ये नहीं होने देता, मुझे मौके का इंतज़ार करना होगा. "
ठाकुर अब तक कामवती का लहंगा पूरा कमर तक उठा चूका था जो नजारा उसके सामने था वो किसीभी मर्द कि दिल कि धड़कन जाम कर सकता था दोनों जांघो के बीच छुपी पतली सी लकीर हलके हलके सुनहरे बाल, एक दम गोरी चुत कोई दाग़ नहीं सुंदरता मे
ये दृश्य देख ठाकुर का कलेजा मुँह को आ गया, वो तुरंत अपना पजामा खोल के कामवती के ऊपर लेट गया उस से अब रहा नहीं जा रहा था
कामवती के ऊपर लेट के अपनी छोटी सी लुल्ली कोचुत कि लकीर पे रगड़ने लगा,कामवती को अपने निचले भाग मे कुछ कड़क सा महसूस हुआ उसे थोड़ा अजीब लगा कुछ अलग था जो जीवन मे पहली बार महुसूस कर रही थी वो..
उसने सर ऊपर उठा के देखना चाहा परन्तु ठाकुर का भाटी शरीर उसके ऊपर था कामवती ऐसा ना कर सकी
ठाकुर इस कदर मदहोश था ऐसा पागल हुआ किउसे कुछ ध्यान ही नहीं रहा ना कोई प्यार ना कोई मोहब्बत सिर्फ चुत मारनी थी अपना वंश आगे बढ़ाना था.
उसकी लुल्ली कड़क हो के कामवती कि चुत रुपी लकीर पे घिस रही थी आगे पीछे मात्र 4-5 धक्को मे ही ठाकुर जोरदात हंफने लगा जैसे उसके प्राण निकल गये हो, उसकी लुल्ली से 2-3 पानी कि बून्द निकल के चुत  कि लकीर से होती गांड तक बह गई ठाकुर सख्तलित हो गया था ठाकुर कामवती के उभार और चुत देख के इतना गरम हो चूका था कि डॉ. असलम दवारा दी गई पुड़िया ही लेना भूल गया नतीजा मात्र 1मिनट मे सामने आ गया.
यही औकात थी ठाकुर ज़ालिम सिंह कि
वो कामवती के ऊपर से बगल मे लुढ़क गया और जी भर के हंफने लगा जैसे तो कोई पहाड़ तोड़ के आया हो, कामवती ने एक बार उसकी तरफ़ आश्चर्य से देखा कि ये अभी क्या हुआ?
मुझे अर्ध नंगा कर के ठाकुर साहेब लुढ़क क्यों गयेऔर ये मेरी जांघो के बीच गिला सा क्या है,
शायद यही होती होंगी सुहागरात ऐसा सोच कामवती ने लहंगा नीचे कर लिया और करवट ले के सोने लगी.
वही नागेंद्र जो ये सब कुछ देख रहा था वो मन ही मन जसने लगा "साला हिजड़ा निकला ये भी अपने परदादा जलन सिंह कि तरह"
कामवती लुल्ली से संतुष्ट होने वाली स्त्री है ही कहाँ हाहाहाहाहा..... नागेंद्र तहखाने कि और चल देता है उसे ठाकुर से कोई खतरा नहीं था.
हिजड़ा साला... आक थू.
ठाकुर कि सुहागरात तो शुरू होते ही ख़त्म हो गई थी,
लेकिन भूरी कि रात अभी बाकि है
बने रहिये
कथा जारी है....
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#62
चैप्टर-3 नागमणि कि खोज अपडेट -34

विष रूप मे ही कही
ठाक ठाक ठाक..... धम...
अरे इतनी रात कौन आ टपका अच्छा खासा चुदाई के सपने देख रहा था,
डॉ. असलम बड़बड़ाते हुए अपने बिस्तर से उठा,
उसे उठने कि इच्छा नहीं थी वो सपने मे रतिवती को पेल रहा था उसकीचुदाई कि सुनहरी याद सपने मे चल रही थी, उसका लोड़ा पूरी तरह तना हुआ लुंगी मे तनाव पैदा कर रहा था.
तभी फिर से... ठाक ठाक ठाक.... "कौन बेशर्म इंसान है ये "
डॉ. असलम धाड़ से दरवाज़ा खोल देता है
सामने बुरखे मे एक औरत खड़ी थी
डॉ. असलम :- मोहतरमा आप कौन है? इतनी रात गए मेरा दरवाज़ा क्यों पिट रही है?
महिला  :- क्या ये डॉ. असलम का घर है?
असलम :- हाँ मै ही हूँ डॉ. असलम बोलो क्या बात है? वो बेरुखी से खीझता हुआ बात कर रहा था उसे लगा गांव कि ही कोई बुड्ढी महिला होंगी, जवान लड़किया तो उसके रंग रूप से ही डरती थी तो कोई आता नहीं था.
रुखसाना :- डॉ. साहेब मुझे बचा लीजिये मै मर ना जाऊ कही?
डॉ. असलम :- अरी हुआ क्या है, क्यों मरे जा रही है ये तो बता,गुस्सा बरकरारा था उसकी आवाज़ मे वो इतना हसीन सपना देख रहा था रतिवती के कि उसे ये सब बकवास मे कोई दिलचस्पी नहीं थी.
महिला :- यही बता दू क्या?
असलम ना चाहते हुए भी महिला को अंदर आने को कहता है "लगता है ये बुढ़िया मेरी रात बर्बाद करेगी इसे जल्दी से भगाना पड़ेगा "
महिला और असलम अंदर आ जाते है, बुरखा पहनी महिला कुर्सी पर बैठती है परन्तु दर्द से तुरंत खड़ी हो जाती है.
आअह्ह्ह..... मर गई
असलम :- क्या हुआ मोहतरमा?
महिला :- दर्द है डॉ. साहेब
असलम :- अच्छा मै दवाई लिख़ देता हूँ ले लेना ठीक हो जायेगा.
असलम अपनी टेबल कि तरफ मुड़ जाता है और किसी कागज़ पे दवाई लिख़ के जैसे ही वापस मुड़ता है तो उसके होश फाकता हो जाते है
कमरा एक रूहानी रौशनी से भर गया था.
सामने वो महिला अपना बुरखा उतार रही थी उसका गोरा चेहरा दमक रहा था, गोरे बड़े स्तन ब्लाउज मे कैद ऊपर को झाँक रहे थे, कमर से बुरखे का कपड़ा बिल्कुल चिपका  हुआ  था  जो गोल नाभी का अहसास करा रहा था.
नीचे सलवार कूल्हे पे चोडी हो  रही थी जिस से  साफ मालूम पड़ता था कि महिला बड़ी गांड कि मालकिन है.
[Image: 20210831-214316.jpg]
असलम तो मुँह बाएं उसे देखता ही रह गया उसके हाथ से पर्ची छूट के ना जाने कहाँ चली गई थी.
तभी महिला के होंठ हिलते है...
डॉ. साहेब चोट तो देख लेते?
डॉ. असलम तो सोच रहा था कि कोई बुढ़िया होंगी परन्तु उसके सामने तो साक्षात् कामदेवी खड़ी थी ऐसा कातिलाना बदन कि क्या कहने "हान ... हान ..... बताओ क्या हुआ था.
असलम अपनी लुंगी मे उठते तूफान को छुपाने के लिए तुरंत पास मे पड़ी कुर्सी पे बैठ जाता है और एक टांग के ऊपर दूसरी टांग रखे लंड को जांघो के बीच दबा लेता है.
महिला :- ज़ी मेरा नाम रुखसाना है पास के गांव से ही आई हूँ विष रूप आते वक़्त जंगल मे मुझे जोर से पेशाब आया तो मै झाड़ी मे बैठ गई लेकिन बैठते ही लगा जैसे कुछ कांटा लग गया हो वहाँ.
कही कोई कीड़े ने तो नहीं काट लिया? डॉ. साहेब मै मरना नहीं चाहती मुझे बचा लीजिये.
असलम तो वही कुर्सी पे बैठा बैठा पथरा गया था रुखसाना जैसी कामुक बदन वाली महिला के मुँह से पेशाब शब्द सुन के उसके रोंगटे खड़े हो गये थे, आखिर उसके जीवन मे सम्भोग कि शुरुआत भी रतिवती के पेशाब करने से ही हुई थी.
असलम कि बांन्छे खिल उठी, वो हकलाता हुआ... वहा.... वहा..लेट जाओ आप  मै देखता हूँ कि क्या हुआ है? उसका गुस्सा खीझ गायब हो गई थी,
असलम भले रतिवती को चोद चूका था फिर भी उसमे आत्मविश्वास कि बहुत कमी थी क्युकी उसे यकीन ही नहीं होता था कि कोई लड़की उसके पास आ भी सकती है.
रुखसाना :- लेकिन डॉ. साहेब मै आपके सामने कैसे?.. मेरा मतलब आप मेरी चोट कैसे देखेंगे?
रुखसाना जानबूझ के शर्माने और डरने का नाटक कर रही थी वो मजबूर औरत दिखना चाहती थी.
असलम :- देखो यहाँ कोई महिला डॉक्टर तो है नहीं मुझे ही देखना होगा, कही किसी जहरीले कीड़े ने ना काटा हो.
रुखसाना असलम कि बात सुन के डर जाती है.
रुखसाना :- नहीं नही डॉ.साहेब मुझे मरना नहीं है मुझे बचा लो अल्लाह के लिए मुझे बचा लो.
असलम को लगता है कि ये महिला बहुत डर गई है कुछ काम बन सकता है.
बेचारा भोला असलम अब उसे कौन बताये कि असलम जैसे को तो रुखसाना भोसड़े मे ले के घूमती है.
खेर रुखसाना डरी सहमी पास पड़ी पलंग पे लेट जाती है.... उसकी कमीज़ पसीने से तर हो गई थी लेटने से स्तन गले कि तरफ से बाहर निकलने को आतुर थे.
रुखसाना खींच खींच के सांस ले रही थी जिस वजह से उसके स्तन धाड़ धाड़ करते हुए कभी उठ रहे थे कभी हीर रहे थे....

उधर हवेली मे भूरी कि सांसे भी चढ़ी हुई थी उसे आज चुदाई कि ही जरुरत थी और आज तीन मजबत हाथ उसे रगड़ रहे थे
भूरी कि चुत से निकली पेशाब कि एक एक बून्द को कालू चाट चूका था.
भूरी के स्तन आज़ाद हो चुके थे, उसका ब्लाउज ना जाने कब बड़े स्तनो का साथ छोड़ के नीचे धूल चाट रहा था.पीछे से बिल्लू के मजबूत हाथ भूरी के स्तन को पकड़ पकड़ के रगड़ रहे थे, उसके होंठ लगातार भूरी कि गर्दन को चाट रहे रहे
[Image: 1630490927839.jpg]

आह्हः.... बिल्लू आह्हः... नोचो इसे कल से मौका नहीं मिलेगा
भूरी खुल चुकी थी पिछली चुदाई के बाद अब उसे कोई शर्म नहीं थी,

रामु भूरी के सपाट पेट पे टूट पड़ता है उसकी नाभी मे अपनी जीभ चला रहा था.
वही पीछे झाड़ी मे "ओह्म.. मदरचोद.. ये क्या देख रहा हूँ मै, यहाँ तो नंगा नाच हो रहा है भूरी काकी को तो मै कोई बूढ़ी औरत समझ रहा था साली ने तो किसी जवान को भी फ़ैल कर दिया क्या बदन है इसका और ये तीनो जमुरे इसके यार लगते है, अबतो मेरा काम आसन है "
मंगूस इस चुदाई का सीधा  प्रसारण देख रहा था भूरी के कामुक बदन से उसका लंड भी कड़क हो चला था लेकिन ये वक़्त चुदाई का नहीं था उसे तो भूरी को पटाने का मस्त विचार मिल गया था.

बिल्लू ने निप्पल पकड़ के खींच दिया...
सिसकारी पूरी हवेली मे गूंज उठी.. आअह्ह्हह्ह्ह्ह.... लेकिन किसी के कान मे ना पड़ी
अंदर ठाकुर तो घोड़े बेच के सोया था कामवती अपनी नाकामयाब सुहागरात मना के सौ चुकी थी.
मैदान खाली था जहाँ तीन घोड़े एक पुरानी नशीली घोड़ी पे चढाई कर रहे थे.
नीचे कालू चुत मे जीभ से धक्के मारे जा रहा था भूरी कि चुत भर भर के रस छोड़ रही थी जो कि अमृत सामान था कालू के लिए जितना पिता उतनी ही हवा बढ़ती जाती उसकी.
[Image: gifcandy-pussy-licking-201.gif]
उस से रहा नहीं गया पक्क से दो ऊँगली भूरी कि गीली चुत मे डाल आगे पीछे करने लगा, और चुत के दाने को जीभ से चुबलाने लगा.

निप्पल लाल हो चुके थे, उनका तनाव बारकरारा था, नाभी लगातार चाटे जाने से गीली हो गई थी, नीचे चुत मे दो उंगलियां खेल खेल रही थी
तभी ऊपर बिल्लू दोनों निप्पल को अपनी ऊँगली मे पकड़ के मरोड़ देता है, नीचे कालू चुत के दाने को दाँत मे पकड़ के दबा देता है
आअह्ह्ह..... मै मरी... भूरी ये हमाला ना झेल सकी वो भरभरा के झड़ने लगी उसकी चुत से तेज़ फव्वारा निकल के कालू के मुँह को भिगोने लगा...
भूरी धड़ाम से पीठ के बल वही बिल्लू के ऊपर ढह गई बिल्लू उसका वजन ना संभाल सका वो उसी के साथ नीचे घाँस ोे गिरता चला गया
गिरने से भूरी कि दोनों टांगे फ़ैल गई उसकी चुत से निकले पानी ने गांड को पूरी तरह भीगा दिया था, भूरी अपना पूरा वजन लिए बिल्लू पे गिरी... बिल्लू का लंड पहले से ही भूरी कि गांड कि खाई मे था जैसे ही वो गिरी उसका लंड सरसराता भूरी कि गांड मे समता चला गया एक मादक चीख उसके मुँह से निकली भूरी दूसरी बार अपना कामरस फेंकने लगी...
इस तरह तो कभी नहीं झाड़ी थी भूरी मात्र 5सेकंड मे दूसरी बार उसकी चुत छल छला गई थी..
भूरी कि सांसे उखाड़ गई थी.

परन्तु असलम के घर रुखसाना सांसे सँभालने मे लगी थी
क्या रुखसाना कामयाब होंगी?
मंगूस का क्या प्लान है?
बने रहिये
कथा जारी है...
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#63
चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट -35



रुखसाना पलंग पे लेती थी उसकी सांसे ऊपर नीचे होने से स्तन उठ उठ के गिर रहे थे,

ये उठाव गिरावट असलम को बेचैन कर रहा था वो वैसे ही सम्भोग के हसीन खाब देख रहा था कि सामने जन्नत कि परी आ गई.

असलम आगे बढ़ता है और रुखसाना के पैर के पास टॉर्च ले के खड़ा हो जाता है.
असलम :- हाँ तो मोहतरमा आपका नाम क्या है? और चोट कहाँ लगी है दिखाइए?
चोट दिखाने के नाम पे रुखसाना कि तो हवा ही टाइट हो गई.... हाकलने लगी
वो.. वोवो..... डॉ. साहेब रुख... रुखसाना नाम है मेरा.
और चोट वहाँ लगी है नीचे
असलम समझ तो रहा था परन्तु उसे मजा आ रहा था रुखसाना कि हालत पे रतिवती के सम्भोग ने उसे लालची और निडर बना दिया था ऐसा मौका हाथ से नहीं जाने दे सकता था.
उसकी नजात मे रुखसाना कोई भोली भाली लड़की थी जिसे भोगने कि कोशिश कि जा सकती थी.
असलम उसके पैरो को छू लेता है और अपने हाथ वहाँ पे फेरने लगता है बिल्कुल होले से
असलम :- यहाँ दर्द है आपको?
रुखसाना शरमाते हुए पसीने से भीगी चली जाती है, "नहीं डॉ. साहेब वहाँ नहीं, यहाँ है '
इस बार वो अपनी ऊँगली से नीचे कि और इशारा करती है.
असलम अनजान बनते हुए कहाँ यहा असलम घुटने पे हाथ रख पूछता है उसका हाथ लगातर हरकत कर रहा था.
असलम के कड़क मजबूत हाथ रुखसाना के बदन मे हालचाल पैदा कर रहे थे.
रुखसाना सिसकती हुई.... थोड़ी ऊपर डॉ. साहेब जहाँ से पेशाब करते है
इसससस... ऐसा कह के रुखसाना शर्मा जाती है और दूसरी तरफ मुँह फेर लेती है
असलम इस अदा से मोहित हो जाता है इतना सुंदर मुखड़ा शर्मा रहा था, पेशाब शब्द जब जब सुनता उसकी मन मे तरंग उठ पड़ती थी.
असलम मन मे " साली ये लड़की तो मस्त है क्या बदन है, थोड़ी सी कोशिश से गरम हो सकती है "
असलम :- देखिये पहले तो आप शर्मानाछोड़िये
मुझे वो जहाग देखती होंगी
रुखसाना आश्चर्य भरी नजर से असलम को देखती है इसमें भी एक कामुक अदा थी.
असलम :- डॉ. से शर्माना कैसा? देखूंगा नहीं तो इलाज कैसे करूंगा आप ही बताइये?
रुखसानाऐसे दिखाती है जैसे बहुत गहरी सोच मे हो,
वो होले से अपनी गर्दन हाँ मे हिला देती है.
असलम बुरखे को पकड़ के धीरे धीरे ऊपर उठता है, जैसे जैसे पर्दा हटता जाता है गोरी टांगे उभरती चली जाती है...
आह्हः.... क्या चिकनी गोरी टांगे है एक दम मक्खन
असलम हैरान था उसके हाथ काँप रहे थे
बुरखे को जांघो तक ऊपर उठा देता है, क्या जाँघ थी मोटी गोरी चिकनी जैसे किसी ने केले के तने को कपड़े मे रख दिया हो.
जाँघ से ऊपर बुरखा नहीं जा पा रहा था ये वो बॉर्डर थी जिसे एक बार पार कर लिया तो समझो किला फतह था.
रुखसाना गर्म होनर लगी थी, वो सामने नहीं दिल्ली रही थी आंखे बंद किये सांसे दुरुस्त कर रही थी.
असलम :- मोहतरमा....
कोई जवाब नहीं...
असलम :- मोहतरमा अपने नीतम्ब ऊपर कीजिये कपड़ा फस गया है,
रुखसाना के कान मे ये शब्द हलचल मचा देते है
डॉ. साहेब मेरा वो अंग आज तक किसी ने नहीं देखा, उसके शब्दों मे शर्माहाट मदहोसी मिली हुई थी.
सांसे चढ़ रही थी.
असलम को ये देख मजा आने लगा, "सिर्फ ऊपर ऊपर से मना कर रही है मुझे थोड़ी कोशिश करनी होंगी '
असलम :- मै कोई पराया मर्द नहीं हूँ मोहतरमा, मै एक डॉ. हूँ
और डॉ. से शरमाते नहीं मुझे डॉ. कि नजर से ही देखे.
असलम अपने शब्दों के जाल मे रुखसाना को फ़साये जा रहा था.
भोला असलम... कौन बताये कि वो खुद ही फसे जा रहा है.
रुखसाना ना नुकुर करती अपनी भरी भरकम गद्देदार गांड होले से ऊपर उठा देती है
यही मौका है... असलम झट से बुर्के को कमर से ऊपर नाभी तक एक ही बार मे खींच देता है
[Image: 20210802-235333.jpg]
नजारा देख वो गिरने को ही था... रतिवती के साथ उसने सम्भोग किया था परन्तु सब आनन फानन मे हुआ था असलम कभी रतिवती के कामुक अंगों का दीदार नहीं कर पाया था.
परन्तु आज पहली बार किसी जवान कामुक औरत के कामुक और मादक अंग इतने पास से देख पा रहा था.
उसे ऐसा लगता है जैसे उसकी सांसे बंद हो गई है.... बेचारा सांस लेना ही भूल गया था.
जब अवस्था मे एक टक वो जांघो के बीच उभरी हुई लकीर को निहारे जा रहा था, एक दम गोरी फूली हुई चुत बालो का कोई नामोनिशान नहीं...
रुखसाना :- डॉ. साहेब... डॉ. असलम
असलम जड़ खड़ा, आंखे फ़ैल चुकी थी

रुखसाना :- डॉ. साहेब चोट देखिये ना? आप क्या देख रहे है
असलम :- वो मै.... वो... वो... मै कुछ नहीं
चोट तो नहीं दिख रही कही मुझे?
असलम जैसे तैसे खुद को संभालता है.
रुखसाना :- दर्द तो मुझे अपनी जांघो के बीच ही हो रहा है.
असलम अब संभाल चूका था " फिर तो आपको अपनी जाँघे खोलनी होंगी ताकि चोट देख सकूँ "
रुखसाना घन घना गई पराये मर्द के सामने टांगे खोल के दिखाने का सोच के ही
आलम को मंजिल नजदीक नजर आ रही थी
रुखसाना असलम कि तरफ सुनी आँखों से देखती है जैसे उसे कुछ समझ ही ना आया हो या फिर दुविधा मे हो.
असलम :- देखो रुखसाना मुझ पे भरोसा रखो, मै सिर्फ इलाज करूंगा, मुझसे डरने या लजाने कि आवशयकता नहीं है
असलम अब उसे नाम से बुला रहा था वो रुखसाना का विश्वास जीत लेना चाहता था.
रुखसाना अपनी गोरी मोटी जाँघे धीरे से खोल देती है.
असलम को धीरे से चुत का दरवाजा खुलता दीखता है, चुत कि खिड़की के दोनों पाट थोड़े से अलग होते है चुत का उभरा हुआ दाना दिखने लगता है.
असलम मन्त्रमुग्ध सा दृश्य देख रहा था उसकी लुंगी मे तूफान मचा हुआ था, लंड झटके पे झटके मार रहा था.

लंड तो बिल्लू का भी झटके लगा रहा था भूरी कि गोरी गांड मे, भूरी दो बार झड़ के अपनी ताकत गवा चुकी थी बिल्लू के ऊपर गीर पड़ी थी, गांड का छेद गिल्ला चिकना होने से बिल्लू का लंड सीधा भूरी कि गांड चिरता अंदर समा गया था,
[Image: 20210802-133534.jpg]
भूरी चिहूक उठती है परन्तु कोई विरोध नहीं करती
बिल्लू भी गरम था नीचे से अपनी जाँघ उठा के धचा धच धक्के मारने शुरू कर दिए थे...
[Image: gifcandy-interracial-98.gif]
चुत से निकलता पानी गांड रुपी खाई से होता हुआ बिल्लू के टट्टो को भिगो रहा था.
कालू रामु भी ये मौका नहीं गांवना चाहते थे.
कालू सीधा भूरी को गर्दन थाम के अपनी लंड पे झुका देता है
गांड मे पड़ते धक्को से भूरी गरमानें लगी थी एक बार मे ही कालू का लंड मुँह मे भर लेती है हवस मे डूबी भूरी को कोई तकलीफ नहीं होती, मुँह मे लंड लिए चुबलाने लगती है उसे परम आनंद कि प्राप्ति हो रही थी.
कालू इस प्रकार के मुख मैथुन से भूरी का दीवाना हो उठा

कालू :- क्या चूसती हो काकी, बोल के गले तक लंड को धकेल देता है.
अब ये किस्सा यु ही शुरू हो चला कभी लंड बाहर खिंचता तो कभी वापस गले तक धकेल देता.
नीचे गाड़ पे पड़ता लंड मधुर संगीत पैदा कर रहा था.
इस संगीत से वहाँ मौजूद हर एक शख्स प्रभावित रहा, फच फच.... पच का संगीत सभी के लंडो को झकझोड़ रहा था.
झाड़ी मे छुपा बैठा चोर मंगूस भी इस रासलीला का लुत्फ़ उठा रहा था उसका लंड परिपक्व बदन को चुदता देख आनंद के सागर मे लोड़ा पकड़े  गोते खा रहा था.
रामु जब से खड़ा भूरी को चुदता देख लंड हिला रहा था उसका सब्र जवाब देने लगा वो भी आगे बढ़ जाता है और बिल्लू भूरी के पैरो के बीच घुटने टिका के बैठ जाता है.
बिल्लू के चेहरे पे मुस्कान थी... भूरी लंड चूसने मे व्यस्त थी वो जैसे ही रामु कि तरफ देखती है....
अरे.. रे रे ... ये क्या भूरी विलम्भ हो गई
फचक.... से एक झटका पड़ता है औररामु का लंड पूरा का पूरा जड़ टक भूरी कि चुत मे समा गया था...
भूरी चीखने को हुई कि तभी गले मे कालू का लंड उयार गया.
[Image: 1630571478792.jpg]
अब तीनो तरफ से धक्का मुक्की चालू हो चुकी थी,
बिल्लू और रामु के लंड एक सतब बाहर आते फिर एक साथ अंदर जड़तक समा जाते.
दोनों के टट्टे आपस मे टकरा जाते... ये हर बार और जोरसे होता जैसे कोई दुश्मन आपस मे टक्कर मार के एक दूसरे को धाराशाई कर देना चाहते हो.
और इस टक्कर का अंजाम सीधा भूरी कि कामुक बदन पे हो रहा था उसके मुँह से कामुक सिसकारिया निकल रही थी, दोनों के लंड सिर्फ पतली झिल्ली से अलग थे वरना तो ऐसे लगता था जैसे एक साथ दो लंड अंदर घुसे हो...
[Image: preview.jpg]
यहाँ तो खुल के बेशर्मी से चुदाई चालू हो चुकी थी.
परन्तु अभी आलसम का किला फतह करना बाक़ी था.
बने रहिये
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#64
चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट -36

रुखसाना हलकी सी टांग खोले असलम के सामने नीचेसे नंगी लेटी हुई थी, असलम के लंड का हाल बुरा था उसका धैर्य ऐसी मक्खन जैसी चुत देख के खो रहा था.
[Image: 20210905-120029.jpg]
असलम, रुखसाना वो विश्वास मे ले चूका था,
टॉर्च पकड़े वो चोट को देखने कि कोशिश कर रहा था परन्तु अभी भी जांघो के बीच झाँकना मुश्किल था.
असलम :- रुखसाना अपनी जाँघ थोड़ा और खोलिये कुछ दिख नहीं रहा है.
रुखसाना का लज्जत के मारे बुरा हाल था वो कुछ नहीं बोल रही थी धीरे से अपनी जाँघ थोड़ा और खोल देती है, असलम को चुत के रसीले छेद के नीचे कुछ लाल लाल सा दीखता है,
ओह तो यहाँ है चोट... ऐसा बोल असलमरुखसाना कि जाँघ पे हाथ रख देता है और तजोड़ा जोर से पकड़ के बाहर को खिंचता है.... रुखसाना गांड और चुत को भींचलेती है.
आअह्ह्ह..... डॉ. साहेब दर्द हो रहा है.
असलम :- आराम से रुखसाना अपने शरीर को ढीला छोड़ दो मुझे चोट तो दिख गई है परन्तु कितनी गहरी है ये देखने के लिए तुम्हे अपनी पूरी टांग खोलनी पड़ेगी...
रुखसाना ये सुन के ही सिहर उठती है.
रुखसाना :- आह्हः.... डॉ. साहब आप ये क्या बोल रहे है.
असलम भी खुमारी मे था रुखसाना के कामुक अंग देखने कि तम्मना ने उसे पागल बना दिया था.
वो कुछ नहीं बोलता... दोनों हाथ से रुखसाना कि जांघो को पकड़ के अलग कर देता है
चुत और गांड खुल के सामने आ जाती है जिसे देख असलम का लंड बगावत करने पे उतारू था.
रुखसाना शर्म के मरे आंखे बंद कर लेती है,
"ये क्या किया अपने डॉ. साहेब " उसके स्तन धड़ा धड उछल रहे थे उसकी सांस बेकाबू होने लगी थी
शर्मा तो रही थी परन्तु उसने ना तो चुत ढकने का कोई प्रयास किया ना ही वापस अपनी जाँघे बंद कि.
असलम टॉर्च कि रौशनी उस दरिया मे डालने लगा ये वो दरिया है जहाँ अच्छे अच्छे डूब मरना चाहते थे ये तो फिर भी असलम था जिसे कभी किसी काणी, लुंली लंगड़ी लड़की ने भी भाव ना दिया.
अब कहाँ वो एक कामुक हसीन जवान लड़की कि चुत गांड के दीदार कर रहा है.
असलम अपने हाथ आगे बड़ा देता है  और रुखसाना कि गरम चुत पे रख के फांके फैला देता है,
आअह्ह्ह..... रुखसाना के जिस्म मे हलकी से दर्द और बहुत सारी वासना कि लहर दौड़ पड़ती है.
रुखसाना के मुँह से काम भरी हलकी सी सिसकारी निकल पड़ती है.
जिसे असलम सुन लेता है उसे समझते देर ना लगी कि रुखसाना गरम हो रही है.
असलम :-दर्द हो रहा है क्या आपको?
रुखसाना :- हाँ डॉ. साहेब हल्का दर्द है.
असलम को चोट नजर आ गई थी फिर भी वो अनजान बनते हुए "आपकी योनि तो कमाल है... म... मा..... मेरा मतलब योनि तो बिल्कुल साफ दिख रही है चोट का कोई निशान नहीं है.
रुखसाना खुद कि तारीफ सुन प्रसन्न होती है "डॉ को काबू करना आसन रहेगा ये तो वैसे ही मुझ पे फ़िदा लगता है"
असलम :- रुखसाना अपने पैर ऊपर कीजिये चोट नहीं दिख पा रही.
रुखसाना इसी इंतज़ार मे थी वो धीरे से शर्माती हुई अपने पैरो को घुटनो से मोड के स्तन पे चिपका लेती है.
अब तो असलम कि लुंगी कि गांठ ही ढीली होने लगी थी ये दृश्य देख के.
चुत और गांडका लाल छेद खुल के सामने आ जाता है, चुत थोड़ी गीली ही चली थी हालांकि रुखसाना नाटक कर रही थी फिर भी खुद को एक पराये मर्द के सामने नंगा कर उसकी चुत बगावत पे आ गई थी
उसके मन मे कामवासना घर करने लगी थी.
परन्तु असलम नाटा सा भद्दा दिखने वाला व्यक्ति था, "इसका लंड भी इसकी तरह है लुल्ली होगा " ऐसा सोच रुखसाना मुस्कुरा देती है.
असलम, रुखसाना कि कि गांड के पीछे आ जाता है और चोट देखने के बहाने चुत पे झुकता चला जाता है चुत और गांड पसीने से भीगी थी एक मदहोश मादक सा भभका असलमकि नाक से टकराता है असलम गहरी सांस खिंचता है.. सससनीफ़्फ़्फ़.... उसका रोम रोम खड़ा हो जाता है चुत कि खुशबू से.
असलम सांस वापस छोड़ता है ज सीधा गरम चुत कि फांको पे पड़ती है
रुखसाना गर्म हवा को अपनी नंगी चुत पे महसूस कर मचल उठती है बिस्तर पे ही कसमसाने लगती है
हवस कि आग दोनों ओर जलने लगी थी वो अपनी जाँघ आपस मे भींचना चाहती थी कि कही ये गरम हवा चुत मे ही ना घुस जाये, परन्तु असलम ने ऐसा नहीं करने दिया उसने मजबूती से रुखसाना कि जाँघ को दबा लिया.
वो मदहोश हुआ चुत कि गंध को सुंघे जा रहा था उसके लंड से वीर्य कि कुछ बुँदे छलक उठती है.
रुखसाना :- खुद को सँभालते हुए " चोट दिखी डॉ. साहेब? "
असलम:- होश मे आते हुए हाँ.... वो... म... हाँ दिखी
मन मे साली चोट के नाम पे सिर्फ एक खरोच भर है, लेकिन डरी हुई लगती है यहाँ फायदा उठाया जा सकता है. " चोट तो दिखी लगता है किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया है जहर निकालना पड़ेगा वरना पुरे शरीर मे फ़ैल सकता है.
रुखसाना :- हाय राम डॉ. साहेब मै मर तो नहीं जाउंगी ना... जल्दी कुछ कीजिये जो करना है कीजिये आप जहर निकालिये
रुखसाना मन मे "साला डॉ. तो ठरकी निकला खुद मेरे जाल मे फसने को तैयार है,

असलम मन मे :- कितनी नादान लड़की है इसे पता ही नहीं है कि जहरीले कीड़े ने काटा होता तो अब तक तो अल्लाह को प्यारी हो गई होती.
दोनों के चेहरे पे एक दूसरे को बेवकूफ बनाने कि खुशी थी.
असलम :- मुझे चूस के जहर निकालना पड़ेगा.
रुखसाना :- जो करना है जल्दी कीजिये डॉ. साहेब
असलम तो पहले से लोड़ा खड़े हुए खड़ा था उसको तो सब्र ही नहीं हो रहा था वो तेज़ी से अपना मुँह रुखसाना कि चुत पे रख देता है ओर जोरदार तरीके से चाट लेता है.
आअह्ह्ह..... डॉ. साहेब रुखसाना के मुँह से सिर्फ यही निकल पाता है वो अपना धड उठा देती है ओर कोहनी के बल उठ जाती है.
वो देखना चाहती थी कि असलम जहर कैसे चूस रहा है.
असलम अंपी नजर ऊपर उठा के देखता है तो सीधी नजर रुखसाना से टकरा जाती है
दोनों कि ही नजर मे मौन स्वकृति थी.
असलम वापस से जीभ को नीचे कि ओर ला के ऊपर बड़ा देता है.
वो लपा लप चुत चाट रहा था... कभी होंठ को गोल कर के चुत के छेद पे भिड़ा के जोर से अंदर खींचता जैसे वाकई जहर चूस रहा हो.... अब जहर तो था नहीं..
अंदर तो मादक काम रस भरा पड़ा था तो वही निकल. निकल के असलम के मुँह मे समाने लगा.
रुखसाना बेचैनी से तड़पे जा रही थी
रुखसाना :- डॉ. साहेब जहर निकला?
असलम :- अभी गांड मे से भी निकालना पड़ेगा हो सकता है कुछ जहर वहाँ भी गया हो.
ऐसा करो तुम पीछे कि तरफ घूम जाओ ओर अपनी गांड ऊपर उठा लो जहर निकालने मे आसानी होंगी.
रुखसाना मासूम चेहरा बनाये पीछे घूम के घोड़ी बन जाती है.
[Image: 20210904-224126.jpg]
रुखसाना कि गोरी बड़ी गांड. उभर के बाहर को आ चुकी थी दोनों गांड कि घाटी मे एक लाल छेद दिख रहा था सीकूड़ा हुआ.
असलम अपनी नाक गांड के छेद पे टिका देता है ओर जोरदार सांस खींच लेता है... आअह्ह्हभ..... क्या खुशबू है
रुखसाना :- अपने कुछ कहाँ डॉ.साहेब? सुना तो रुखसाना ने बखूबी था फिर भी अनजान बनी बैठी थी.
असलम :- नहीं तो... मै तो कह रहा था कि जहर कि वजह से तुम्हारी गांड का छेद बिल्कुल लाल हो गया है.
परन्तु चिंता मत करो मै बिल्कुल ठीक कर दूंगा.
असलम अपने होंठो को गोल कर के गांड के छेद पे चिपका देता है,और बाहर कि और पकड़ के खींचने लगता है
रुखसाना ने खूब गांड मरवाई थी परन्तु ये अहसास नया था उसका मन अबडोलने लगा था उसके प्लान मे चुदाई नहीं थी वो सिर्फ रिझा के असलम से दवाइया ले जाना चाहती थी
परन्तु असलम चुसाई कुछ अलग ही कर रही थी.
रुखसाना को ऐसा लग रहा था जैसे उसकी गांड से कुछ निकल के बाहर आ जायेगा वो दम लगा के अपनी गांड को भींच लेती तभी असलम दम लगा के गांड के छेद को चूसता.
दोनों मे एक रस्साकस्सी शुरू हो गई थी.... नतीजा रुखसाना कि चुत बहने लगी थी उसकी सांसे उखाड़ रहीथी.
गांड से थूक निकल निकल के चुत को भीगाये जा रहा था, चोट का क्या हुआ कुछ नहीं पता..
अब असलम से रहा नहीं गया उसने अपनी पूरी जबान निकल के चुत के दाने पे रख ऊपर गांड टक चाट लिया.
रुखसाना बस सिसक रही थी उसकी तरफ से कोई ना नहीं थी... असलम का ये दौर शुरू हो गया वो गांड और चुत एक साथ चाट रहा था, असलम का पूरा मुँह चुत के रस से भीग चूका था.
आलम चाटे चूसे जा रहा था....रुखसाना के पैर काँपने लगे, स्तन उखाड़ आने पे उतारू थे, सर इधर उधर पटक रही थी.
असलम गांड को अपने सख्त हाथो मे दबोच चाटा चट चाटे जा रहा था....
अपनी जबान को गांड मे घुसाए जा रहा था जैसे तो उसमे से कोई अमृत निकल रहा हो
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आआआहहहह..... डॉ. साहेब रुखसाना भल भला के झड़ने लगी उसकी चुत से ऐसा फव्वारा निकला कि असलम पूरा नहा गया..
रुखसाना पेट के बल धड़ाम से गिर पड़ी उसकी सांसे उखड़ी हुई थी.
असलम खड़ा होते हुए, जहर निकल गया है रुखसाना अब तुम ठीक हो. मै दवाई लगा देता हूँ.
रुखसाना स्सखालन के बाद और गरम हो चली थी
असलम दवाई लेने पास के टेबल पे जाता है और जैसे ही दवाई ले के मुड़ता है रुखसाना के होश उड़ जाते है.
रुखसाना लगभग चीखती हुई "ये.... ये.... क्या है डॉ. साहेब?"
असलम खुद ले ध्यान देता है तो पाता है कि उसकी लुंगी नहीं है लोड़ा पूरा तन तना के सलामी दे रहा है कला मोटा लम्बा लंड..
वो वो.... वो... रुखसाना तुम इतनी सुन्दर हो, तुम्हारा जिस्म इतना कामुक है कि ये खुद को रोक ही नहीं पाया, अब बताओ तुम भी कहाँ रुक पाई...
रुखसाना सुनते है शर्मा जाती है, वो भी तो बहकगई थी असलम कि चुसाई से..
मन मे "इतना मोटा लंड तो रंगा बिल्ला का भी नहीं है लगता है सारी खूबसूरती अल्लाह ने लंड मे ही भर दी है "
असलम दवाई लिए रुखसाना के पास आ जाता है
असलम :- ये दवाइयां है लगा लेना जख्म पे ठीक हो जायेगा, वैसे मेरे पास इस से भी अच्छी दवा है तुम चाहो तो वो ले सकती हो..?
रुखसाना :- तो दीजिये ना दवाई
असलम :- वो तो तुम्हे निकालनी पड़ेगी?
रुखसाना :- मै समझी नहीं डॉ. साहेब एक अदा के साथ ऍबे होंठ दबाते हुए बोलती है वो अभी भी नीचे से नंगी थी.
असलम होने लंड कि और इशारा कर के बोलता है इसमें से निकलनी होंगी तुम्हे वो दवाई?
रुखसाना अनजान बनती हुई "इसमें से कैसे "
असलम रुखसाना के मुँह के लास पहुंच जाता है रुखसाना अभी भी पेट के बल लेती हुई थी.
असलम का लंड रुखसाना के होंठो के पास झूल रहा था लंड कि गंध रुखसाना के बदन को गरमा रही थी उसकी जीभ स्वतः ही बाहर को निकल आई और असलम के लंड को छू गई...
आअह्ह्ह..... उम्म्म्म... असलम कि सिसकारी से कमरा हिल गया.
रुखसाना :- इसमें से तो कुछ नहीं निकला डॉ. साहेब मसूम चेहरे से ऐसा प्रश्न पूछ के रुखसाना ने कहर ही ढा दिया था.
असलम :- ऐसे नहीं रुखसाना अपना मुँह खोलो
असलम जो सिर्फ रतिवती को चोद पाया था वो रुखसाना को सीखा रहा था कि लंड कैसे चूसना है.
रुखसाना अपना मुँह खोल देती है..
असलम इतना बेसब्र था कि एक ही झटके मे रुखाना के खुले गरम मुँह मे लंड पेल देता है..
रुखसाना लंड लेते ही वापस हटा लेती है,
"लगता है नादान है ये लड़की " असलम उसके बाल पकड़ के अपने लंड कि ओर खींचता है.
फिर.... पच पच....
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पच पच पच.... कि आवाज़ के साथ रुखसाना का थूक बाहर को गिरने लगता है
उसके रंगा बिल्ला का लंड खूब चूसा था परन्तु असलम का लंड बहुत मोटा था अंदर जा के गले मे फस रहा था बाहर आता तो ढेर सारा थूक भी ले आता...
असलम का मकसद पूरा होता दिख रहा था. रुखसाना अब अपनी औकात पे आ गई थी उसने असलम के टट्टे पकड़ लिए और धचा धच अपना मुँह टट्टो कि जड़ तक मारने लगी
असलम म टट्टे थूक से सन गये थे कमरे मे सिर्फ फच फच फच.... कि आवाज़ थी.
थोड़ी देर बाद असलमको अहसास हुआ कि उसका लंड कभी भी जवाब दे सकता है तो वो खुद को अलग करता है
असलम :- दवाई का वक़्त हो चला है रुखसाना.
असलम तुरंत रुखसाना को पीठ के बल लेता देता है और घुटने स्तन पे चिपका देता है.
असलम :- रुखसाना देखो दवाई निकालने मे तुम्हे थोड़ा दर्द होगा लेकिन तुम जल्दी ठीक हो जाओगी.
रुखसाना :- ज़ी ठाकुर साहेब
रुखसाना कि चुत बिल्कुल पनिया गई थी,
उसकीचुत कि खास बात ही यही थी कि इसे जितना चोदो उसकी चुत कसी हुई ही रहती थी
ना जाने क्या वरदान था उसे.
असलम अपना लंड रुखसाना कि चुत पे टिका देता है.
और मसल देता है
रुखसाना इस अहसास को पा के घन घना जाती है, इतनी देर होती चुसाई से वो भी अब चुदना चाहती थी आखिर चुदने मे बुराई ही क्या है.
ये सोच वो मुस्कुरा जाती है.
असलम धीरे धीरे लंड को अंदर पेलने लगता है....
रुखसाना के चेहरे पे दर्द कि लकीर उठती है
आआहहहह..... डॉ साहेब
असलम :- सब्र रखो रुखसाना
धाड़..... ठप... कि आवाज़ के साथ पूरा का पूरा लंड एक ही बार मे रुखसाना कि चुत मे समा जाता है.

टट्टे गांड के छेद पे दस्तक देने लगते है.
रुखसाना वाकई चीख पड़ती है गजब मोटा लंड था असलम का.
ठप ठाप......ठप के मधुर संगीत के साथ रुखसाना कि चुत को पिटा जा रहाथा, उसके टट्टे गांड के छेद पे हमला बोल रहे थेरुखसाना असीम आनंद कि गहराई मे डूबने लगी थी
चोट का दर्द तो था ही नहीं चोट तो चुत से निकले पानी से ही ठीक हो गई थी, वहाँ चोट का कोई नामोनिशान नजर नहीं आ रहा था अब...
असलम बड़ी सिद्दत से रुखसाना को पेले जा रहा था...

अंदर हवेली मे भी भूरी कि हालत ख़राब थी बिल्लू रामु कालू उसे बुरी तरहपेले जा रहे थे.
अभी उसकी गांड मे दो लंड एक साथ घुसे थे और एक लंड चुत मे था,

उसके मुँह से सिर्फ कामुक सिसकारी निकले जा रही थी....
आअह्ह्ह..... चोदो मुझे और चोदी..... फाड़ो मेरी गांड
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कब से प्यासी है तुम्हारी काकी. कस के मारो सालो हिजड़ो जान नहीं है क्या तुम्हारे लंड मे.
ये सुनना था कि तीनो गुस्से से भर गये.. चटाक चटाक... दो थप्पड़ गांड पे पडे भूरी के
और कालू बिल्लू ने अपना लंड एक साथ भूरी कि चुत मे घुसा दिया उसकी तो जान ही निकल गई   उसका मुँह खुला रह गया उतने मे रामु उठ के अपना लंड भूरी के हलक मे ठूस देता है.
लंड अभी अभी चुत से निकला था... भूरी का पूरा मुँह थूक और चुत रस से सना हुआ था.
दोनों जगह चुदाई का युद्ध चलता रहा

सुबह होने को आई थी अब तक तीनो ही 2बार भूरी के ऊपर झड़ चुके थे और भूरी तो ना जाने कितनी बार झाड़ी थी इसका हिसाब ही नहीं था, भूरी पूरी वीर्य और थूक से सनी हुई थी.
उसकने आज जी भर के वीर्य सेवन किया था.
भूरी वीर्य और थूक से सनी हवेली मे अपने कमरे कि और बढ़ चली थी और तीनो जमुरे बेसुध वही घास मे किसी मरे के सामान पडे अपनी सांसे दुरुस्त कर रहे थे.
झाड़ी मे बैठा मंगूस " क्या औरत है ये रण्डी " तीन तीन बड़े मोटे लंड भी इसका कुछ ना बिगाड़ पाए.
मजा आएगा इस हवेली मे...

वही असलम भी झड़ने कि कगार पे था चुत से रिसता पानी बिस्तर गिला कर चूका था...
तभी आआहहहहह.... रुखसाना असलम झड़ने वाला था
तभी रुखसाना अपनी चुत को टाइट कर लेती है, और असलम म लंड को जकड लेती है. ये कसाव असलम ना सहन कर सका.
भल भला के झड़ने लगा.... आह्हब..... उम्म्म्म...

असलम का वीर्य रुखसाना कि योनि मे भरता चला गया पुक कि आवाज़ के साथ असलम का लंड बाहर आ गया.
चुत से कुछ बून्द वीर्य कि बाहर भी छलक आई
[Image: 3-2.gif]
असलम हांफ रहा था, रुखसाना तुरंत अपनी जाँघ बंद कर लेती है और बुरखा नीचे सरका देती है जैसे कुछ छुपा रही हो.
उसने एक बून्द वीर्य भी चुत से बाहर नहीं आने दिया था. जो थोड़ा बाहर बाहर निकला  था उसे भी ऊँगली से वापस अपनी चुत मे धकेल दिया  था. ये काम उसने असलम कि नजर बचाते हुए बुरखा नीचे सरकते वक़्त कर दिया था.
रुखसाना :- डॉ. साहेब सुबह हो चली है दवाई दे दीजिये मै चलती हूँ.
असलम के कुछ बोलने से पहले ही रुखसाना वहाँ रखी दवाई उठा लेती है और बाहर कि ओर चल देती है
असलम सांसे भरता लंड पकड़े उस मोटी गांड कि औरत को जाते देखता ही रह जाता है.
असलम :- क्या औरत है साली जान निकल दी

सूरज निकल चूका था....
आज का दिन क्या गुल खिलायेगा?
बने रहिये कथा जारी
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#65
चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट -37

सुबह हो चली थी सुबह कि किरण कामवती के सुन्दर मुख पे गिर रही थी,
वो आंखे मसलती उठ बैठती है उसे अच्छी नींद आईथी मखमली बिस्तर पे.
उसकी नजर ठाकुर पे पड़ती है जो कि घोड़े बैच के किसी बोर कि तरह खर्राटे मार रहा था उसे देख कामवती कि हसीं फुट पड़ती है.
कितनी हसीन लगती है कामवती हसती हुई किसी स्वर्ग कि अप्सरा को भी ईर्ष्या हो जाये उसे हसता देख के.
चोर मंगूस अपनी तलाश मे सुबह सुबह ही लग गया था.वो हवेली मे कुछ ढूंढ़ रहा था भूरी काकी रात भर कि थकी चुदी हुई सोइ थी.
कामवती बिस्तर से उठ जाती है ऊसर तेज़ पेशाब आया था सहना मुश्किल था.
वो एक कमरे कि और चल पड़ती है जो गुसालखाने जैसा ही था परन्तु ऊपर से खुला ही था,
पहले के ज़माने मे घर के अंदर ही गुसालखाना हो ऐसा अच्छा नहीं मना जाता था.
कामवती जल्दी जल्दी चलती हुई वहाँ पहुंच जाती है, पैरो मे पड़ी पायल के छन छानहत मंगूस के कानो मे पड़ती है वो जल्दी से उसी गुसालखाने नुमा कमरे किऔर भागता है...
वही पायल का मधुर संगीत नागेंद्र के कानो मे भी पड़ता है वो तुरंत सरसरा जाता है आवाज़ कि दिशा मे.
वो अपनी प्रेमिका को निहारने का एक भी मौका नहीं खोना चाहता था.
कामवती इन सब से अनजान गुसालखाने मे पहुंचती है अच्छा बना हुआ था परदे लगे हुए थे, वो इधर उधर देख के अपना पेटीकोट ऊपर कर देती है और नीचे बैठ जाती है...
आअह्ह्ह.... सुकून मिला कामवती के मुख से फुट पड़ता है
वही दो जोड़ी आंखे ये दृश्य देख पथरा गई थी.
कामवती कि गांड कि तरफ मंगूस कही छुपा बैठा था उसके सामने कामवती कि बड़ी गोरी गांड थी.
मंगूस :- साला इस घर मे सब कि सब एक से बढकर एक गांड है.
[Image: 20210906-142358.jpg]
कल रात वो भूरी आज ये जवान कामुक कामवती, इसकी गांड भी लुटनी पड़ेगी लगता है.
तभी मंगूस कि नजर कामवती से होती हुई सामने जाती है जहाँ एक सांप दुबका पड़ा था वो हिल दुल नहीं रहा था.
सांप कि नजर कामवती कि पेशाब करती चुत मे जमीं हुई थी ऐसा लगता था जैसे वो साँप चुत से निकलते मधुर संगीत मे कही खो गया है.
[Image: 20210802-222001.jpg]
नागेंद्र को सामने से कामवती कि चिपकी हुई चुत से पानी कि तेज़ धार निकलती दिख रही थी उसका बस चलता तो वो इस झरने मे डूब डूब के नहाता.
कामवती का ध्यान बिल्कुल भी सामने नहीं था नहीं तो नागेंद्र उसे दिख जाता, उसे तेज पेशाब लगा था इसलिए वो पेशाब करने के आनद मे खोई हुई थी.
नागेंद्र :- फुसससस.... बस मुझे इसी प्यारी सी चुत मे घुस के काटना है, ताकि कामवती का  श्राप खत्म हो और मेरी शक्ति लौट आये, फिर उस घोड़े वीरा कि खेर नहीं ये सब सोचता नागेंद्र आगे को चुत चूमने के लिए बढ़ता है तभी पीछे से सरसरहत से कामवती चौक जाती है,
डर से वो खड़ी हो जाती है उसका मूत रूक जाता है, उसे लगता है जैसे परदे के पीछे से कोई उसे देख रहा है.
वो डरती हुई परदे तक जाती है और झट से पर्दा हटा देती है...
परन्तु वहाँ कोई नहीं था, मंगूस छलवा था गायब हो गया.
कामवती चैन को सांस लेती है...
कामवती.... अरी ठकुराइन बाहर से ठाकुर ज़ालिम कि आवाज़ अति.
कामवती :- ज़ी आई ठाकुर साहेब.
कामवती बाहर कि ओर निकल जाती है.
नागेंद्र फिर से नाकाम रहता है.....
वही मंगूस के दिमाग़ मे बहुत से विचार दौड़ रहे थे.
वो सांप कौन था? भला कोई सांप किसी लड़की कि चुत क्यों देखेगा?
सांप है तो नागमणि भी होंगी?
इसी सांप पे काबू पाना होगा सच जानना होगा मुझे.
चल बेटा मंगूस.... मंगूस हवेली के बाहर निकल जाता है.
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#66
चैप्टर -3 नागमणि कि खोज अपडेट 38

सूरज सर पे चढ़ आया था रुखसाना हाफ़ती थकी मांदी अपने घर पहुंच चुकी थी जहाँ बिल्ला मरणासान अवस्था मे पड़ा था,
रुखसाना :- ये लीजिये बाबा दवाई ले आई मै जल्दी से बिल्ला के जख्मो पे लगा दीजिये
ओर साथ ही असलम का वीर्य भी लाइ हूँ. वो आवेश मे अपनी सलवार खोल देती है और वही जमीन पे पैरो के बल बैठ के पास पडे कटोरे मे अपनी चुत को ढीला छोड़ देती है भल भला के डॉ. असलम का वीर्य चुने लगता है उसकी गोरी चिकनी चुत से, बचा खुचा वीर्य रुखसाना ऊँगली डाल के कटोरे मे निकाल लेती है
[Image: 039adc45be85ba3af8f1da03e1f1fe0e-18.jpg]
... पूरा वीर्य निकलने के बाद वो उठ खड़ी होती है "ये लीजिये बाबा असलम का वीर्य "
अब मेरा काम कर दीजिये

मौलाना :- बेटा अभी तक सिर्फ 6 लोगो का ही वीर्य मिला है 7वा वीर्य किसी जमींदार ठाकुर  पुरुष का चाहिए.
तभी मै अपनी शक्ति से वो कमाल कर पाउँगा.
रुखसाना निराशा से अपना सर झुका लेती है मन मे बदबूदाते "कब मिलोगे तुम? रुखसाना कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही है, तुम्हे जिन्दा होना ही होगा " उसकी आँखों मे आँसू थे, नहाने चल पड़ती है.
मौलाना बिल्ला के जख्मो मे दवाई लगा देता है. बिल्ला अभी भी बेहोश ही पड़ा था.
उधर रंगा भी बेसुध अधमरी हालत मे था, दरोगा वीर प्रताप ने अपने जीवन का सारा गुस्सा उस पे ही निकाल दिया था मार मार के अधमरा कर दिया था रंगा को, फिर भी उसके होंठ शरारती अंदाज़ मे मुस्कुरा रहे थे ना जाने क्या विश्वास था उसे.
और रंगा कि मुश्कुराहट ही वीर प्रताप कि चिढ़ बन गई थी.

गांव विष रूप मे
ठाकुर ज़ालिम सिंह अपने तीनो सेवक कालू बिल्लू रामु के साथ नगर भर्मण पे निकला था
वो अपनी जमीन जायदाद का जायजा ले रहा था.
पीछे बिल्लू फुसफुसाते हुए "यार ये ठाकुर कब से हमें घुमाये जा रहा है, नई जवान बीवी आई है उसे जम के चोदना चाहिए उल्टा बुढ़ऊ हम तीनो को अपने पीछे घुमा रहा है ना खुद चोद रहा ना हम भूरी को चोद पा रहे.
तीनो हलकी हसीं हस देते है.
ठाकुर :- क्यों बे हरामखोरो बड़ी हसीं आ रही है हरामियोंकोई काम होता नहीं तुमसे यहाँ तुम्हे हसवा लो.
आज से रात को खेतो कि चौकीदारी करना और कालू तू हवेली मे रहना.
रामु :- मरवा दिया ना साले
बात भले आई गई हो गई परन्तु ठाकुर ने थोड़ी सी फुसफुसाहट सुनी थी " वैसे लड़के सही ही कह रहे है मेरी नई बीवी है  मुझे अभी वंश  बढ़ाने पे ध्यान देना चाहिए.
ऐसा सोच वो घर कि और चल पड़ता है साँझ हो चली थी.
हवेली मे कामवती बोर हो गई थी, भूरी से थोड़ी बात चीत हुई अब भला एक जवान कुंवारी कन्या भूरी से क्या बात करती.
तभी ठाकुर हवेली पे प्रवेश करते है...
ठाकुर :- हाँ तो ठकुराइन कैसा रहा आज का दिन?
कामवती :- क्या कैसा दिन मै तो अकेली उदास हो गई
कामवती कि मासूमियत देख ठाकुर को हसीं आ जाती है.
आओ हमारे पूर्वजों कि तस्वीरें दिखाता हूँ. कामवती ठाकुर के पीछे चल देती है,
ठाकुर किसी तस्वीर को ओर इशारा करता है "ये देखिये ये मेरे परदादा है ठाकुर जलन सिंह, कहते है इन्होने ही विष रूप से साँपो का खात्मा किया और यहाँ इंसान रहने लगे "
कामवती कि नजर जैसे ही तस्वीर पे पड़ती है उसके मस्तिष्क मे कुछ दृश्य चलने लगते है वो तस्वीर वाला आदमी उसे जाना पहचाना लग रहा था.
[Image: c1a1eb8bd26833704c21b43eb1f4b2c5-silk-ro...nights.jpg]
कोई स्त्री बिल्कुल नंगन अवस्था मे जोर जोर से चिल्ला रही थी, ठाकुर जलन सिंह हस रहा था हा... हाहाहा.... बहुत शौक है ना चुदाई का तुझे?
कामवती.... ओ कामवती.. कहाँ खो गई, ठाकुर उसका कन्धा पकड़ के हिलाता है.
सारे दृश्य एकाएक गायब हो जाते है.
ठाकुर अपने खानदान कि तस्वीर दिखाता चला जाता है परन्तु कामवती के दिमाग़ मे वही ज़ालिम सिंह कि भयानक हसीं ही दौड़ रही थी.
ऐसा विचार क्यों आया मुझे?
ठाकुर कमरे से बाहर निकलते हुये, अभी तो खाना खिलाओ भूख लगी है ठकुराइन
कामवती अपने विचारों से बाहर आ जाती है.
रात घिर आई थी, आज ठाकुर ने आसलम के द्वारा दी गई दवाई खा ली थी क्युकी वो कामवती को अच्छे से चोदना चाहता था.
भूरी अपने कमरे मे तड़प रही थी उसके पास और कोई चारा भी नहीं था क्युकी बिल्लू रामु को ठाकुर ने खेतो कि रखवाली के लिए छोड़ दिया था.आज उसे ऊँगली से ही काम चलाना पड़ेगा.
बेचारी भूरी....
कामवती दूध का गिलास लिए कमरे मे अति है.
ठाकुर :-कहाँ रह गई थी कामवती ठकुराइन.
यहाँ पास आओ बैठो, कामवती लाजती शर्माती बिस्तर पे बैठ जातीहै
ठाकुर थोड़ा करीब खिसक आता है उसका लंड तो शाम से ही तनतना रहा था.
ठाकुर :- कामवती हमें जल्दी से पुत्र रत्न दे दो,
कामवती सुन के शर्मा जाती है और अपना चेहरा दूसरी और घुमा लेती है.
ठाकुर उसका चेहरा अपनी ओर घूमाता है "कल रात कैसा लगा था कामवती "
कामवती :- कल कब ठाकुर साहेब?
कल रात
कामवती :- अच्छा था
"सिर्फ अच्छा?"
कामवती क्या जानती थी कामकला के बारे मे उसके लिए तो ठाकुर के द्वारा दी गई छुवन ही सम्भोग था.
"बहुत मजा हुआ था ठाकुर साहेब "
इतना सुन ना था कि ठाकुर उसकी चुनरी निकाल देता है उसके स्तन अर्ध नग्न हो जाते है गोरे दूधिया सुडोल स्तन
"तुम कितनी सुन्दर हो कामवती " ठाकुर स्तनो को ही निहारे जा रहा था.
उसका लंड दवाई के असर से फटने पे आतुर था वो तुरंत कामवती को लेता के उसका लहंगा ऊपर कर देता है ओर अपना पजामा सरका के चढ़ पड़ता है कामवती पे.
ना जाने लंड कहाँ गया था, अंदर गया भी था कि नहीं 5-6 धक्को मे तो ठाकुर ऐसे हांफने लगा जैसे उसके प्राण ही निकल जायेंगे.
हुआ भी यही... आअह्ह्ह..... उम्म्म्म..... कामवती मे गया मुझे पुत्र ही चाहिए.
ठाकुर का पतला सा वीर्य बहता हुआ बिस्तर मे कही गायब हो गया था.
ठाकुर के भारी वजन से कामवती कि सांसे चल रही थी जिस वजह से उसके स्तन उठ गिर रहे थे.
कामवती को गहरी सांस लेते देख ठाकुर गर्व से बोलता है " ऐसे सम्भोग कि आदत डाल लो ठकुराइन, तुम्हारा पाला असली मर्द से पड़ा है "
अपनी लुल्ली पे घमंड करता ठाकुर सो जाता है,
कामवती भी लहंगा नीचे किये करवट ले आंखे बंद कर लेती है उसके मन मे कोई विचार नहीं थे.
परन्तु विचार किसी ओर के मन मे जरूर थे जो ये सब खिड़की से छुप के देख रहा था.
"साला ये ठाकुर अपनी लुल्ली पे घमंड कर रहा है, हरामी ऐसी खबसूरत कामुक स्त्री का अपमान है ये तो "
खेर अभी अपनी तलाश मे निकलता हूँ, ठाकुर कि ईट से ईट बजा देनी है.
ऐसा सोच मंगूस पूरी हवेली मे घूमता है आज ही मौका था उसके पास हवेली खाली थी.

दूर कही किसी अँधेरी गुफा से किसी के फुसफुसाने कि आवाज़ आ रही थी, जैसे कोई भयानक सांप फूंकार रहा हो.
नहीं कामरूपा नहीं... नागेंद्र को जल्दी ही ढूंढो वो वही कही हवेली मे है,
उसकी नागमणि मुझे किसी भी कीमत पे चाहिए क्युकी वो इस पृथ्वी पे आखरी बचा इच्छाधारी नाग है.
उस नागमणि कि सहायता से मुझे वापस सर्प राज स्थापित करना है.

तुमने मुझे बचा तो लिया था परन्तु मेरी शक्ति चली गई मै मरे के सामान ही हूँ.
कामरूपा :- मै प्रयास कर रही हो नाग सम्राट सर्पटा

सर्पटा :- अब प्रयास नहीं कामरूपा प्रयास नहीं परिणाम चाहिए.
हरामी वीरा कि बहन घुड़वती कि गंध महसूस कि है मैंने.
इस बार उसके भाई के सामने ही उसकी गांड मे लंड डाल के अताड़िया बाहर निकल लूंगा मै. उसके बाद वीरा भी खतम सिर्फ और सिर्फ नाग प्रजाति बचेगी इस पपृथ्वी पे. हाहाहाहाहा......
एक भयानक हसीं गूंज उठती है... एक बार को तो कामरूपा भी काँप जाती है ऐसी जहरीली हसीं से.
कामरूपा वहां से चल देती है....
सुबह कि लाल रौशनी वातावरण मे फ़ैल गई थी एक स्त्री नुमा साया हवेली मे प्रवेश कर गायब हो गया था.
नागेंद्र अपनी नागमणि बचा पायेगा?
बने रहिये... कथा जारी है
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#67
चैप्टर :-3 नागमणि कि खोज अपडेट - 39
रंगा कि रिहाई

आज सुबह सुबह ही दरोगा वीरप्रताप के थाने मे ख़ुशी का माहौल था, होता भी क्यों ना आज सुबह ही हेड ऑफिस से चिठ्ठी आई थी, दरोगा कि वीरता को देखते हुए उसकी तरक्की कर दी गई थी वापस शहर बुलवा लिया गया था.
रंगा बिल्ला का आतंक खत्म कर दिया था वीरप्रताप ने.
दरोगा :- आअह्ह्ह.... अब अपनी बीवी कलावती के साथ इत्मीनान से रहूँगा, उसे अपनी बीवी का गोरा मखमली बदन याद आने लगता है, क्या उभार लिए गांड और स्तन है, बिल्कुल सपाट पेट, गहरी नाभी, कोई देखे तो यकीन ही ना कर पाए कि 40 साल कि शादी सुदा महिला है, एक जवान लड़की कि माँ है, चुत अभी भी चिपकी हुई, उस पर नशीली आंखे लगता है जैसे अभी अभी चुद के आई हो.
[Image: 20210802-163913.jpg]
बड़ी सिद्दत से आज दरोगा अपनी बीवी कि काया को याद कर रहा था. उसका लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था.
मै कभी उसपे ध्यान ही नहीं दे पाया काम और जिम्मेदारी के बोझ मे, जब से मेरी बेटी हुई है तभी से मैंने बस एक्का दुक्का बार ही सम्भोग किया है कलावती से, मै भी कैसा नादान हूँ इतनी खूबसूरत औरत का अपमान किया मैंने.
लेकिन अब नहीं अब इन जिम्मेदारी से मुक्त हो के खूब प्यार करूंगा, खूब रगडूंगा उसे.
दरोगा आज बहुत ख़ुश था उसके मन मे हसीन जीवन जीने के ख्याब उत्पन्न होने लगे थे.
उसका लंड आज बार बार खड़ा हो जा रहा था, इतने सालो से वो बेवजह ही फर्ज़ के नीचे दबा रहा परन्तु आज उसके फर्ज़ का इनाम उसे मिल चूका था इसलिए आज उसका ध्यान सम्भोग कि तरफ झुक गया था. वो जल्दी से शहर जा के कलावती को भोग लेना चाहता था. वो अपनी बीवी को तार भिजवा देता है कि कुछ दिनों मे घर आ जायेगा.
दरोगा :- शराब मँगाओ आज जश्न होगा आखिर रंगा को आज मौत देनी है.
हाहाहाबा.... रंगा कि तरफ देख वीरप्रताप हस देता है.

वही शहर मे दरोगा के घर...शाम हो चली थी
मालकिन... मालकिन... मालकिन कहाँ है आप....
आवाज़ के साथ ही वो शख्स कमरे का दरवाजा खोल देता है, अंदर कामवती नहा के आई थी साड़ी बदल रही थी..
वो चौक के दरवाज़े कि तरफ देखती है अभी ब्लाउज के पुरे बटन लगे नहीं थे, पल्लू नीचे गिरा हुआ था, सुन्दर गोरी काया काली साड़ी से झाँक रही थी.
कलावती :- ये क्या बदतमीज़ी है सुलेमान, मैंने कितनी बार कहाँ है कि दरवाजा बजा के आया करो.
बोल तो रही थी परन्तु उसने ना अपना पल्लू उठाने कि जहामत कि ना ही ब्लाउज के बटन बंद करने कि. उसने बड़ी अदा के साथ अपने हाथ उठा के सर पे रख दिए. आधे से ज्यादा गोरे स्तन ब्लाउज के बाहर टपक पडे.
[Image: 20210802-163440.jpg]
ये नजारा देख सुलेमान को घिघी बंध गई,
सुलेमान :- मालकिन दरवाजा बजा के ही आऊंगा तो ऐसी अप्सरा कैसे देखने को मिलेगी. जितनी बार देखता हु कुछ नया ही दीखता है मालकिन
ऐसा बोल के मुस्कुरा देता है.
कलावती वापस कांच के तरफ मुड़ के साड़ी का पल्लू बनाने लगती है "वैसे आये क्यों थे तुम "
सुलेमान :- वो मालिकन साहेब का तार आया है वो कुछ दिनों मे आ जायेंगे उनकी तरक्की हो गई है ऐसा बोल सुलेमान उदास हो जाता है.
कलावती :-अरे वाह ये तो खुशी कि बात है, आखिर मेरे पतिदेव वापस लौट रहे है.
सुलेमान :- मुँह लटकाये ज़ी मालकिन
कलावती :- तो तू क्यों मुँह लटकाये हुए है?
सुलेमान :- साहेब आ जायेंगे तो मुझे तो अपनी सेवा से हटा देंगी ना आप.
अब तो साहेब ही सेवा करेंगे.
कलावती :- हट पागल.... कैसी बात करता है दरोगा ज़ी के जाने के बाद तूने ही तो मेरी सेवा कि है इतने बरसो से.
वो तोबेटी दे के चले गये अपने फर्ज़ मे व्यस्त रहे, बेटी भी बाहर पढ़ने को चली गई.
एक तेरा ही तो सहारा है सुलेमान
ये कलावती हमेशा इसकी  ही रहेगी...ऐसा बोल कलावती पल्लू गिराए ब्लाउज से झाँकते स्तन को लिए ही आगे बढ़ जाती है और पाजामे के ऊपर से ही सुलेमान का लंड दबा देती है.
"अपनी सुलेमानी तलवार को संभाल के रख आज युद्ध करना है तुझे ज़ी भर के "
ऐसा सुन सुलेमान खिल खिला जाता है.
"चल अब खाना बना ले, मुझे तैयार होना है "

सूरज पूरी तरह डूब चूका था, थाने मे दरोगा और 3 सिपाही जम के शराब पी चूके थे.
दरोगा कुछ कुछ होश मे था उसे तरक्की का नशा चढ़ा था, बीवी से सम्भोग कि चाहत का नशा चढ़ा था उसपर दारू क्या असर करती, हालांकि शराब के शुरूर मे वो और भी गरम हो गया था,लंड पेंट से आज़ाद होना चाहता था टाइट पेंट मे लंड दर्द करने लगा था.
बाक़ी तीनो सिपाही पी के लुढ़के पडे थे.
"कलावती तो दूर है तब तक मुठ ही मार लेता हूँ " दरोगा मुठ मारने के इरादे से उठता है कि...
तभी अचानक.... गिरती पड़ती एक महिला थाने मे प्रवेश करती है

महिला :- मुझे बचा लीजिये दरोगा साहेब मुझे बचा लीजिये
वो लोग मुझे मार देंगे, मेरा बलात्कार कर देंगे, मुझे बचाइये
बोल के दरवाजे पे ही गिर पड़ती है वो लगातार रोये जा रही थी.
दरोगा भागता हुआ महिला के पास पहुँचता है तो पाता है कि उसके कपडे जगह जगह से फटे हुए थे कही कही खरोच आई हुई थी.
महिला :- दरोगा साहेब मै पास के ही गांव कामगंज जा रही थी कि रास्ते मे मुझे अकेला पा के 5 बदमाश मुझे उठा ले गये हुए मेरा बलात्कार करने कि कोशिश कि....
बूअअअअअअअ..... ऐसा बोल महिला दरोगा से लिपट जाती है.
दरोगा को एक कोमल सा अहसास होता है, महिला का गरम बदन उसे कुछ अजीब सा अहसास करा रहा था.
वैसे भी आज सुबह से वह कामअग्नि मे जल रहा था, ऊपर से शराब का शुरूर उसे बहका रहा था...
लेकिन नहीं नहीं.... मेरा फर्ज़...
दरोगा खुद को संभालता है. वो महिला को उठता है "चलो मेरे साथ बताओ कहाँ है वो लोग अभी अकल ठिकाने लगाता हूँ सबकी "
महिला जो कि डरी हुई थी वो फिर से दरोगा के सीने से लग जाती है इस बार जबरदस्त तरीके से चिपकी थी उसके बड़े स्तन दरोगा कि कठोर छाती से दब के ऊपर गले कि तरफ से निकलने को आतुर थे, उसके एक स्तन कि तरफ से कपड़ा फटा था, दरोगा उसे सांत्वना देने के लिए जैसे ही गर्दन नीचे करता है उसकी नजर महिला के स्तन पे पड़ती है पुरे बदन मे झुरझुरहत दौड़ जाती है.... बिल्कुल दूध कि तरह सफेद स्तन, बड़े बड़े उसके सीने से चिपके थे डर के मारे पसीने से भीगे जिस्म से एक मादक गंध दरोगा को हिला रही थी.
उसका फर्ज़ कामवासना मे जलने को तैयार था.


कौन है ये लड़की?
क्या करेगा दरोगा?
क्या ये रात रंगा कि आखिरी रात है?
बने रहिये कथा जारी है...
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#68
Super... Nice story
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#69
Waiting for next upload...
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#70
इस साइट पे कोई रिस्पांस नहीं है लोगो का,
पाठक पढ़ते है और  निकल लेते   है.
अब कोई update नहीं
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#71
Bhai upload dete raho..
Sabar ka faal mitta hota hi ... Aap upload dete raho .. Eitana jaldi himmat mat hariyana... Bhagwan ghar Dera hi Andrea nahi... Please upload .....?‍❤️‍??????
Mera 7th aapke 7ta hi...
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#72
(23-09-2021, 06:01 AM)salman7349 Wrote: Bhai upload dete raho..
Sabar ka faal mitta hota hi ... Aap upload dete raho .. Eitana jaldi himmat mat hariyana... Bhagwan ghar Dera hi Andrea nahi... Please upload .....?‍❤️‍??????
Mera 7th aapke 7ta hi...

मेरे कहने का मतलब है इस फोरम पे नहीं लिखूंगा कहानी.
//// पे पढ़ लो इसी नाम से है.
और काफ़ी आगे बढ़ चुकी है कहानी.
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#73
(23-09-2021, 06:01 AM)salman7349 Wrote: Bhai upload dete raho..
Sabar ka faal mitta hota hi ... Aap upload dete raho .. Eitana jaldi himmat mat hariyana... Bhagwan ghar Dera hi Andrea nahi... Please upload .....?‍❤️‍??????
Mera 7th aapke 7ta hi...

दूसरे फोरम पे पढ़ लो....
X...फोरम पे
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#74
(23-09-2021, 09:03 AM)Andypndy Wrote: दूसरे फोरम पे पढ़ लो....
X...फोरम पे

Bhai forum ka naam to batao
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#75
(23-09-2021, 09:02 AM)Andypndy Wrote: मेरे कहने का मतलब है इस फोरम पे नहीं लिखूंगा कहानी.
//// पे पढ़ लो इसी नाम से है.
और काफ़ी आगे बढ़ चुकी है कहानी.

Bhai konsi forum pe ye story read karne meleghi? yourock
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#76
Admin plz delete this thread i am not writing any more
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#77
Mast kahani hai bhai
Or dusra konsa form hai
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#78
(29-09-2021, 12:47 PM)Bhanu pratap Wrote: Mast kahani hai bhai
Or dusra konsa form hai

एक्स फोरम पे आ जाओ इसी नाम से मिल जाएगी कहानी
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#79
(26-09-2021, 09:15 AM)Regme Wrote: Bhai konsi forum pe ye story read karne meleghi? yourock

एक्स फोरम पे आ जाओ
या फिर mail me
andypndy25;
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#80
दोस्तों अब आप मेरी कहानियाँ मेरे ब्लॉग पे भी पढ़ सकते है.
https://www.blogger.com/u/1/blog/posts/4...1093?pli=1

आप पाठको क लिए शानदार कामुक कहानियो को खजाना है
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