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Fantasy ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग
#41
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#42
......
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#43
चैप्टर -2 नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी अपडेट -23

घुड़वती और नागकुमार एक दूसरे मे खोये थे, वातावरण ही मदहोश कर देने वाली गंध से भरा पड़ा था ऊपर से दोनों ही नौ नये जवान जिस्म... दोनों ही एक दूसरे के कामुक अंगों को देख उत्तेजना महसूस कर रहे थे.
नागकुमार :- हे सुंदरी नाम क्या है तुम्हारा? कहाँ से आई हो?
घुड़वती :- हम घुड़पुर कि राजकुमारी घुड़वती है. ऐसा कह शरारत और मदहोशी मे वो अपने स्तन ढके हाँथ हटा देती है.

[Image: 20210802-164233.jpg]


धम्म... से दो मदमस्त गोरे बड़े स्तन छलक जाते है.
और आप महाशय कौन है?
थोड़ा मुस्कुरा देती है
नाग कुमार को काटो तो खून नहीं. इतनी पास से ऐसी हसीन स्त्री पहली बार देख रहा था.
नागकुमार :- मै मै मममम..... मै कौन हूँ?
घुड़वती हस पड़ती है, उसे नागकुमार कि ऐसी हालत अच्छी लग रही थी.
"बोलिये बोलिये शर्माइये मत " अपने स्तन थोड़े हिला देती है.
ये नजारा देख के तो नागकुमार पानी मे ही गिर पड़ता है
आह्हः.... घुड़वती.
पानी मे गिरने से नागकुमार का निचला वस्त्र हट जाता है.
अभी चोकने की बारी घुड़वती की थी.
घुड़वती स्तंभ खड़ी रह जाती है उसने जीवन में पहली बार लंड देखा था, लंड के बाहर आ जाने से वही मादक खुशबू चारों दिशा में फैल जाती है घुड़वती जैसे ही खुशबू सूंघती है बहुत बेचैन होने लगती है क्या खुशबू है
घुड़वती :- अच्छा तो यह खुशबू तुम्हारे पास से आ रही है, ऐसा बोल घुड़वती भी पानी में उतर जाती है नाग कुमार घुड़वती को अपने पास देख कर चौक जाता है उसके लिए सब सपने जैसा था गोरे बड़े उछलते स्तन सपाट पेट गहरी नाभि नाग कुमार का लंड झटके मारने लगा झटकता लंड देखकर कर घुड़वती भी उत्तेजना महसूस करने लगी
दोनों ही जवान जिस्म एक ही आग में सुलग रहे थे
चढ़ती जवानी क्या ना करा दे दोनों के साथ वही हो रहा था
घुड़वती :- बताइए ना आप कौन हैं? उसकी आवाज़ मे अब कामुकता थी मदकता से भरे शब्द थे.
नाग कुमार. मैं मैं मैं मैं विषरूप का राजकुमार नागकुमार हूँ, एक ही झटके में सारी बात कह जाता है
घुड़वती :- अच्छा तो आप का शौक है छुप के नहाती स्त्री को देखना
वैसे यह नीचे क्या छुपा रखा है?
नाग कुमार:- कुछ भी तो नहीं, वो वो वो..तो बस ऐसे ही आपको देख के.
घुड़वती अब मदहोश हो रही थी लंड कि गंध पा कर, उसे पकड़ के देखना था महसूस करना था इस अनोखी चीज को जो उसके जवान जिस्म को बहका रही थी.
पानी मे नीचे गिरे नागकुमार के बिल्कुल पास आ के बैठ जाती है.
बताइये ना ये क्या है? लंड कि तरफ इशारा कर के पूछती है.
नागकुमार भी घुड़वती कि बात सुन सहज़ महसूस करता है लेकिन पहली बार स्त्री को इतनी पास पाकर थोड़ा घबरा रहा था थोड़ी उत्तेजना महसूस कर रहा था.
नागकुमार :- आप पकड़ के ही देख लीजिये ना घुड़वती, हिम्मत कर के बोल ही जाता है नागकुमार
घुड़वती भी समझ जाती है कि नागकुमार से कोई खतरा नहीं है, वो उसकी तरफ आकर्षित हो रही थी सुन्दर चेहरा गोरा बदन ऊपर से सुन्दर लिंग जो कि उसे मदहोश कर रहा था.
घुड़वती धीरे से अपना हाथ नागकुमार के लिंग पे रख देती है,
नागकुमार :- आअह्ह्ह.... घुड़वती ये क्या कर रही है आप? मुझे कुछ हो रहा है.
अर्ध नग्न घुड़वती कुछ सुनने सुनाने कि फिराक मे नहीं थी अपितु उसे सुनाई ही नहीं दे रहा था बस दिख रहा था ये खूबसूरत लंड.
बिना कुछ बोले वो अपनी नाक लिंग के पास ले जाती है और जोर कि सांस लेटी है.
शनिफ़्फ़्फ़.... आअह्ह्ह..... उसके मुँह से सिसकारी निकाल पड़ती है और नीचे चुत से पानी कि धार.
लंड कि गंध सीधा दिमाग मे चढ़ जाती है घुड़वती के.
नागकुमार को तो अभी भी ये समझ नहीं आ रहा था कि हो क्या रहा है.
घुड़वती :- आपके इस से कोई गंध आ रही है हे नागकुमार.
नागकुमार :- मुझे तो नहीं आ रही कोई गंध, मुझे तो आपके पास से गंध आ रही है जिस वजह से मेरा लिंग खड़ा हुआ है.
आह्हः.... आपके हाथ रखने से मुझे कुछ हो रहा है राजकुमारी

दोनों जवान जिस्म आज जिंदगी का नया पाठ पड़ रहे थे, दोनों मिल के जिस्म का खजाना खोज रहे थे.
वो खजाना जो हर किसी के भाग्य मे नहीं होता.
तभी अचानक नागकुमार अपना एक हाथ बड़ा के घुड़वती के स्तन पे रख देता है..
घुड़वती चौक जाती है... आअह्ह्ह.... नागकुमार अच्छा लग रहा है.
सिर्फ मर्दाना छुवन भर से घुड़वती सिसक उठती है.
ऐसी उत्तेजना ऐसा आंनद तो कभी नहीं आया... दो कच्चे खिलाडी खेल के मैदान मे पक्के हो रहे थे.
खेल का आनंद उठा रहे थे.
घुड़वती मजे और उत्तेजना मे अपना स्तन और आगे को कर देती है ताकि नागकुमार के हाथ पुरे महसूस कर सके.
वो अभी भी एक हाथ से नागकुमार का लंड पकडे हुए थी.
नागकुमार अपने पुरे हाथ से घुड़वती के स्तन पकड़ने कि नाकामयाब कोशिश करता है स्तन इतने बड़े थे कि पुरे हाथ मे आ ही नहीं पा रहे थे.
नागकुमार स्तन मसलने लगता है,
स्तन रगड़ाई से चिंगारी छूट छूट के सीधा घुड़वती कि चुत तक पहुंच रही थी,
छोटी सी चुत लगातार पानी छोड़ रही थी.
दोनों जिस्मो मे समझौता हो चूका था आनन्द का समझौता, मादक सुख का समझौता.
अब घुड़वती के हाथ भी नागकुमार के लंड पे चलने लगे थे, उसे लंड को सहलाना अच्छा लग रहा था जैसे जीवन का अनमोल खजाना मिला हो.
नागकुमार उठ के बैठ जाता है उस से रहा नहीं जा रहा था वो स्तन रुपी फल को चख लेना चाहता था.
घुड़वती आप अतुल्य है बहुत सुन्दर है, ऐसा बोल दूसरा हाथ भी स्तन पे रख देता है.
घुड़वती के लिए ये दोहरी मार थी उसका हाथ नागकुमार के लंड पे कस जाता है.
आअह्ह्ह... नागकुमार के लंड मे ऐसा दर्द ऐसी उत्तेजना उठी कि वो झटके मार रहा था जैसे घुड़वती ने कोई मछली पकड़ी हो.
अच्छा लग रहा है घुड़वती... ये अहसास नया है..
ऐसा कह वो अपना मुँह स्तन के बिल्कुल नजदीक ले आता है, और अपनी लम्बी जबान से स्तन पे छोटे से बिंदु रुपी निप्पल को चाट लेता है.

आअह्ह्ह.... के चित्कार उठती है घुड़वतीगरम गीली जीभ, ऊपर से झरने का गिरता ठंडा पानी उसकी जान लेने पे उतारू था,जवानी का फूल खिल रहा था उसकी चुत लगातार पानी छोड़ रही थी.
नागकुमार बारी बारी स्तन चाटे जा रहा था वो पागल हो चूका था ऐसा अनमोल तोहफा पा के.
चुत से निकलती कुंवारी गंध जंगल मे दूर दूर तक फ़ैल रही थी.
ये गंध कही दूर किसी और के नाक तक भी पहुंच रही थी..
उस शख्श के भी होश उड़ जाते है वो गंध कि दिशा मे सरसरा जाता है...
इधर नागकुमार एक हाथ से स्तन मसल रहा था दूसरा स्तन उसके मुँह और जीभ के हवाले था जिसे चाट चाट के चूस चूस के निप्पल बाहर निकाल चूका था.
घुड़वती लगातार हंफे जा रही थी सिसकारी रुक ही नहीं रही थी, सुनसान वातावरण उसकी कामुक सिसकारी से गूंज रहा था.
आआआहहहह.... आआआहहहह.... नागकुमार उसके हाथ नागकुमार के लंड पे जोर जोर से चल रहे थे.
तभी नागकुमार उसकी निप्पल को दाँत मे रख के दबा देता है. घुड़वती इतनी उत्तेजित थी कि उसकी चुत भल भला के झड़ने लगती है
आअह्ह्ह..... नागकुमार मैम.. मै ममममम... गई.
मात्र स्तन चुसाई सेघुड़वती कि जवानी जवाब दे जाती है उसका यौवन चुत के रास्ते छलक उठता है. वो पीछे कि तरफ चट्टान पे लुढ़क जाती है उसके शरीर मे जान नहीं बची थी
आखिरकार उसके जीवन का पहला स्सखलन था ये.
कथा जारी है...
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#44
चैप्टर -2, नागवंश और घुडवंश की दुश्मनी अपडेट -24

घुड़वती जिंदगी के पहले चरम सुख को महसूस कर रही थी,
निचला वस्त्र पूर्णत्या गिला हो चूका था, सांसे धोकनी कि तरह चल रही थी.
नागकुमार साँसो के साथ उठते गिरते स्तन को देख रहा था, ये नजारा उसके लंड को फाड़ने को बेकरारा था.
घुड़वती कपड़े के ऊपर से ही अपनी चुत को दबोच हांफ रही रही, पानी का फव्वारा लगातार निकल रहा था.
उसका बदन झटके खा रहा था.... आंखे उलट चुकी थी.
नागकुमार के हाथ घुड़वती के निचले वस्त्र तक पहुंच जाये है, उसे देखना था कि ये मादक गंध कहाँ से आ रही है...
इसी मादक गंध मे खींचता हुआ कोई और भी झरने के नजदीक झाड़ियों तक पहुंच चूका था..... वो भी मदहोश था ऐसी सुन्दर काया को देख के.
नागकुमार धीरे से पकड़ के कपडे को हटा देता है, घुड़वती कोई विरोध नहीं करती अपितु उसने दम ही नहीं था कि वो कुछ करती या बोलती वो बस आंखे बंद किये किसी अनजानी दुनिया मे थी.
नागकुमार कपड़ा खींच देता है जैसे ही उसकी नजर घुड़वती कि जांघो के बीच पड़ती है उसके होश उड़ जाते है, मुँह खुला रह जाता है, आंखे और लंड फटने को बेकरार हो जाते है.
आअह्ह्हह्म..... मुँह से हैरानी भरी सिसकारी निकल जाती है.
घुड़वती कि जांघो के बीच चुत के नाम पे सिर्फ एक लकीर थी, कोई बाल नहीं एक दम गोरी चिकनी चुत.
[Image: 20210811-113617.jpg]
महीन दरार से पानी रिस रहा था जो सीधा गांड के छेद से चुता हुआ बहते पानी मे टपक रहा था, ये कामरस का झरना था इस झरने को देखने का नसीब ही नागकुमार को मिला था...
नागकुमार स्तंभ खड़ा चुत रुपी झरने को देख रहा था
दूसरी तरफ झड़ी ने छुपा शख्स " ये तो अपने नागकुमार है, ये साथ मे लड़की कौन है? विष रूप कि तो नहीं लगती? इसकी मादक गंध से तो किसी के भी होश उड़ जायेंगे.
ये सिर्फ हमारे मालिक के बिस्तर कि शोभा बढ़ाने लायक है "
"मालिक को बताना होगा " ऐसा सोच वो शख्स विषरूप कि और सरसरा जाता है.
सभी बातों से बेखबर नागकुमार का हाथ घुड़वती कि चुत के पास पहुंच चूका था, वो धीरे से अपनी एक ऊँगली चुत से निकलते शहद मे डूबा के अपनी नाक के पास ले आता है.
शनिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... आअह्ह्ह.... क्या मादक गंध है.
उसके दिमाग़ सुन्न पड़ जाता है, उत्तेजना सर चढ़ जाती है धीरे से अपनी लम्बी जबान निकल के ऊँगली पे रख देता है, जैसे ही स्वाद चखता है घन घना जाता है
उसका धैर्य जवाब देने लगा था, ऐसा मादक स्वाद उसके रोम रोम को हिला रहा था.
जैसे कोई शराबी को थोडी शराब चख के तो पूरी बॉटल ही मुँह को लगा देता है ऐसी ही इच्छा जन्म ले चुकी थी नागकुमार के दिल मे.
वो अपने घुटने के बल झुकता चला जाता है, उसे सिर्फ वो पतली लकीर दिख रही थी जहाँ से मादक नशीला शहद टपक रहा था,
उसकी नाक ठीक घुड़वती कि चिकनी चुत के ऊपर थी इस बार जोर से सांस खिंचता है ये मादक गंध शरीर के हर रोये तक पहुंच चुकी थी... उस से रहा नहीं जाता वो अपनी लापलापति लम्बी जीभ घुड़वती कि चुत पे रख देता है.....
आनंदसागर मे डूबी घुड़वती इस हमले से सिहर उठती है, आग उगलती चुत पे  जीभ कि ठंडक पड़ते है घुड़वती तड़प के आंखे खोल देती है कोहनी के बढ़ उठ जाती है.
आअह्ह्ह..... नागकुमार क्या कर रहे है आप?
नागकुमार कुछ नहीं बोलता बस वो कही खो गया था, उसकी जबान चुत कि लकीर पे कभी ऊपर तो कभी नीचे को चल रही थी.
आअह्ह्ह.....  घुड़वती कि सिसकारिया फिर से निकलने लगती है.
उसका बदन उत्तेजना के मारे तड़प रहा था, दोनों हाथ से नागकुमार का सर पकड़ के चुत पे दबाने लगती है, जैसे अंदर ही घुसा देगी... नागकुमार लपा लप मलाईदार चुत चाट रहा था कभी गांड के छेद से चुत के दाने तक चाटता तो कभी चुत के दाने से गांड के छेद तक चाटता,
दोनों ही जिस्म सम्भोग कला सिख़ रहे थे, कामसुःख के नये द्वारा खोल रहे थे.
कामकला कोई सिखाता नहीं है वो तो बस स्वतः आ जाती है.
नाग कुमार को चाटने और घुड़वती को चाटवाने मे मजा आ रहा था.
नागकुमार चुत चाटते चाटते पत्थर के ऊपर आ कर अपना लिंग घुड़वती के मुँह कि तरफ कर देता है.
अब नागकुमार का मुँह घुड़वती कि चुत मे और लंड घुड़वती के मुँह पे दस्तक दे रहा था.
आखिर उसे भी चुसाई चटाई का सुख चाहिए था, ये कला खुद से ही विकसित हो गई जहाँ दोनों रखा साथ मजा ले सके.
घुड़वती अचानक इस बदलाव से चौकती है आंखे खोल देखती है तो एक गोरा खूबसूरत लंड बिल्कुल नाक के पास झटक रहा है.
घुड़वती लम्बी सांस खींचती है... आअह्ह्ह शिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... लिंग कि गंध साँसो मे उतरती चली जाती है नाक से होती चुत तक एक लहर दौड़ उठती है जिसे चुत चाटता नागकुमार महसूस करता है,
घुड़वती कि चुत एक पल को खुलती है फिर बंद हो जाती है जैसे तड़प रही हो कुछ मांग रही हो.
लेकिन क्या मांग रही है दोनों को ही नहीं पता था.... बस जो हो रहा था सौ हो रहा था.
घुड़वती अपनी जीभ निकाल के लिंग के छीद्र पे रख देती है एक अजीब स्वाद से मुँह भर जाता है, स्तन पेट काँपने लगते है.
स्वाद ऐसा मदहोश कर देने वाला था कि उस से रहा नहीं जाता वो अपना छोटा सा मुँह खोले लिंग को अंदर लेने कि पुरजोर कोशिश करती है.. नीचे होती चुत चुसाई उसे ऐसा करने को प्रेरित कर रही थी.
मुँह मे लिंग जाने से नागकुमार के टट्टे सिकुड़ने लगते है, ये अजीब था ये अहसास वो था जिसका कोई जवाब नहीं किसका कोई शब्द नहीं होता.
दुगने जोश मे आ केदांतो से पकड़ पकड़ के चुत को काटने लगता है.
आअह्ह्ह..... नागकुमार ऐसा बोल घुड़वती भी लंड को मुँह मे भर लेती है.
अब जो हो रहा था सब काम कला का हिस्सा था, वो खजाना था जो इन दोनों जवान जिस्म ने मिल के खोजा था.
अब इस खजाने का लुत्फ़ एकसाथ उठा रहे थे.
चुत चाटे जाने से पच पच.... फुचक कि आवाज़ और लंड चूसे जाने से गुलुप गुलुप पीच... पूछ... का मधुर संगीत गूंज रहा था.
जैसे कोई दो महान संगीत कार जुगलबंदी कर रहे हो हारना कोई नहीं चाहता था.
नागकुमार उत्तेजना मे अपनी कमर को हिलाने लगता है जिस कारण लिंग सीधा घुड़वती के गाके तक जा के वापस आ रहा था, थूक निकल निकल के पुरे मुँह को भिगो चूका था.
नीचे चुत छप छप कर रही थी सारा रस नागकुमार गटके जा रहा था.
थूक और काम रस से चुत चमक रही थी.
परन्तु कब तक दो नये जवान जिस्म इस आग को संभाल पाते....
घुड़वती अपनी गांड उठा उठा के नागकुमार के मुँह पे मारने लगी... नागकुमार अपने लंड को जितना हो सकता था उतना घुड़वती कि मुँह मे पेले जा रहा था..
सिसकारिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी. उत्तेजना मदकता दोनों के सर पे हावी थी,
बस कभी भी हवस से लठपथ जवानी फटने को थी.
तभी घुड़वती वापस से छल छला उठी.... आअह्ह्ह.....
जोरदार सफ़ेद पानी का फव्वारा छटा और नागकुमार के मुँह मे समा गया.
नागकुमार भी कामरस का स्वाद पा के काबू ना कर सका वो भी भल भला के फट पड़ा.
आअह्ह्ह..... करता एक के बाद एक पिचकारी छोड़ता चला गया, घुड़वती जो स्सखालन होने से निढाल थी उसके मुँह मे गर्म लावा फट गया था, गरम कसैला मादक स्वाद पा के उसकी चुत से एक जोरदार फव्वारा फिर निकला.
आअह्ह्ह..... नागकुमार.
दोनों ही परम आनंद कि गहराई मे खोये हुए थे.
घुड़वती और नाग कुमार का मुँह एक दूसरे के वीर्य से भीगा पड़ा था.
घुड़वती बचे खुचे वीर्य को जीभ से पोंछ पोंछ के चाट रही थी, ये स्वाद अद्भुत था, ये पल खोना नहीं चाहती थी.
आखिर उसके जीवन मे पहली बार मर्दाना वीर्य चख रही थी.
[Image: 20210809-151556.jpg]

कुछ गाल होंठ पे ही रह गया था कुछ गले से नीचे उतार चूका था.
दोनों ही अपने जीवन के अनमोल खजाने को पा चुके थे..
दोनों पता नहीं कितने वक़्त को यु ही एक दूसरे को घूरते रहे...
तभी शाम हो चली घुड़वती को होश आता है कि वो सुबह से ही घर से निकली है.
वो जल्द ही उठती है . नाग कुमार कि और वीर्य भरे चेहरे से देखती है और अपने अर्ध घुड़ रूप मे दौड़ पड़ती है...
नागकुमार :- कल मै यही इंतज़ार करूंगा सुंदरी.... आना जरूर.
घुड़वती पीछे पलट के देखती है उसके चेहरे पे एक कामुक मुस्कान थी,हाथ उठा अलविदा कह चल देती है
[Image: 0-genesis-8-female-centaur.jpg]
और दौड़ पड़ती है. तिगड... तिगाड़ टप टप टप....
पीछे रह जाते है सिर्फ उड़ती धूल... और नागकुमार अपने मुरझाये लंड के साथ.
"हे नाग देव क्या घोड़ी थी "
नागकुमार भी विषरूप कि ओर चल पड़ता है.

नागकुमार से पहले ही कोई शख्स विष रूप पहुंच चूका था.
शख्स :- हे नाजराजा सर्पटा, मै सही कह रहा हूँ मैंने अपनी आँखों से देखा है क्या सुंदरी थी वो, ऐसा सौंदर्य कि अपने कभी जीवन मे नहीं देखा.
सर्पटा :- ऐसे कैसी हो सकता है गुप्तनाग?
हमने तो राज्य कि हर औरत लड़की को भोगा है तो फिर ये कौन आ गई?
गुप्त नाग :-वो स्त्री अपने राज्य कि है भी नहीं मालिक अपितु वो स्त्री ही नहीं है वो तो घोड़ी है, जवान कमसिन घोड़ी
घुड़पुर कि राजकुमारी घुड़वती.वो आँखों देखा विवरण सर्पटा को सुना देता है.
सर्पटा :- आह्हः.... गुप्त नाग तुम्हारी बातो से तोमेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा, हमारे बेटे नागकुमार के मुँह पे वो चुत मसल रही थी, वाह मतलब चुदासी घोड़ी है.
गुप्त नाग :- हाँ मालिक नई नई जवानी निकली है तो उफान मार रही है, यही मौका है.
बोल के खिसयानी हसीं हस देता है.
सर्पटा :- hmmmm... तुम्हारी बात मानते है गुप्त नाग, यदि तुम्हारी बात झूठ निकली तो जानते हो ना सजा ऐसी मौत दूंगा कि पूरा राज्य याद रखेगा
गुप्त नाग :- खबर पक्की है मालिक, कल आप स्वयं चल कर देख लीजिएगा और यदि मैं सही हुआ तो?
सर्पटा :- गर तुम सही तो मर्ज़ी तुम्हारी मुँह माँगा ले लेना.
तो मालिक कल चलने के लिए तैयार रहिएगा.
प्लान बन चूका था घुड़वती पे संकट मंडराने लगा था.
परन्तु इन सब से अनजान घुड़वती घुड़पुर पहुंच चुकी थी आज वो अपने आपे मे नहीं थी.
बिस्तर पे लेटी आज दिन भर कि घटना ही उसकी आँखों के सामने दौड़ रही थी उसकी चुत अभी भी पानी छोड़ रही थी, मुँह मे नागकुमार के वीर्य का स्वाद अभी भी महसूस हो रहा था.
आंखे बंद किये वो आने वाले कल के बारे मे सोच रही थी. मुझे जाना चाहिए? लेकिन हम क्यों जाये? वो नागकुमार हमारा है कौन?सवाल का जवाब उसका सुलगता बदन दे रहा था
घुड़वती तेरी ये आग का क्या? देख तेरी चुत कैसे उसकी याद मे अंशु बहाँ रही है.
तेरा ये जवान जिस्म यहाँ महल मे धूल खा रहा है, अपना जीवन जी अपने जिस्म से खेल उसे उचाईया छूने दे.
"क्या ये सही है?"
सही गलत कुछ नहीं होता घुड़वती, यही तो अच्छा लगता है तुझे देख खुद को तेरे ये गोल स्तन, उभरी गांड टपकती चुत क्या कहती है.
जा मजा ले अपने जिस्म का.
इसी उधेड़बुन मे उसे कब नींद आ जाती है पता ही नहीं चलाता.
विष रूप मे नागकुमार भी इसी आग मे तड़प रहा था.
क्या जवान घोड़ी थी वो, ऐसी स्त्री ऐसी मादक महक कभी नहीं महसूस कि मैंने.
यही स्त्री इस विष रूप कि रानी बनने लायक है.
नागकुमार तो घुड़वती को रानी बनाने के सपने संजोने लगा था.
वो भी इसी मीठे सपने मे सौ चूका था.
लेकिन नियति को ये सब मंजूर नहीं था.
क्या होगा घुड़वती का?
क्या यही से दुश्मनी कि शुरुआत हुई थी नाग ओर घोड़ो के बीच?
बने रहिये कथा जारी है
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#45
चैप्टर -2 नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी अपडेट -25

अगला दिन निकल चूका था सुबह सुहानी थी कहाँ घुड़वती का अंग अंग खिल रहा था, एक अलग ही रोमांच उठ रहा था बदन मे.
उसे विषरूप के जंगल जाना था,
नाग कुमार भी अपने हसीन सपने को साकार करने के लिए जग चूका था, खूब मन लगा के तैयार हुआ इत्र कि शीशी खाली कर दि गई.
होती भी क्यों ना उस बला कि खूबसूरती के सामने जो जाना था.
गुप्त नाग कि नजर बराबर नागकुमार पे बनी हुई थी,
वो सर्पटा को सूचित करता है कि नागकुमार निकलने को तैयार है.
तभी सर्पटा नागकुमार के कक्ष मे पहुँचता है.
सर्पटा :- अरे मेरा राजकुमार कहाँ जा रहे हो?
नागकुमार :- जो कि अपने पिता से डरता था, ज़ी ज़ी.... वो वो... पिताजी यु ही जंगल पानी के लिए जा रहा था.
सर्पटा :- इतना सज धज के?
नागकुमार के मुँह से बोल नहीं फुटते.
सर्पटा :- ये घूमना फिरना छोडो थोड़ा राज काज मे मन लगाओ आखिर तुम होने वाले राजा हो.
नागेंद्र को देखो कैसे पाताल लोक गुरुकुल मे मेहनत कर रहा है.
नागकुमार :- ज़ी ज़ी ज़ी.... पिताजी
सर्पटा :- अच्छा हम इसलिए आये थे कि पास के राज्य मे ठाकुर जलन सिंह रहते है उनके यहाँ से फल ओर मांस ले के आना है.अपने दोस्तों के साथ चले जाओ घूमना भी हो जायेगा थोड़ा व्यापार भी समझ लोगे.
अब नागकुमार क्या बोलता, विरोध कर नहीं सकता था.
तो मन मार के चल देता है ठाकुर जलन सिंह के घर.
सर्पटा मन ही मन ख़ुश था कि उसने बड़ी चालाकी से नागकुमार को रास्ते से हटा दिया.
अब वो खुद जा के देखेगा कि कौन है ये सुंदरी?
मेरे लायक है भी या नहीं, या फिर ये गुप्त नाग फेंक रहा था.
दिन चढ़ चूका था....
घुड़पुर मे घुड़वती बेकरारा थी, कल हुई चुत चुसाई उसे विष रूप के जंगलो मे खींचने को मजबूर कर रही थी, नया जवान जिस्म साथ नहीं दे रहा था.
दिमाग़ जाने से मना कर रहा था परन्तु सुलगता जिस्म कहाँ मान रहा था
उसे तो अपने जिस्म कि आग मिटानी थी, वही छुवन वही चुत चटाई चाहिए थी....
शेरनी को नया नया खून लगा था अब कहाँ रुकने वाली थी...
हवस वासना भी ऐसा ही नशा है एक बार लग जाये तो उतारे नहीं उतरता.
"काश घुड़वती रूक जाती "
रूपवती :- आगे क्या हुआ वीरा?
वीरा बताने लगता है.
घुड़वती सरपट दौड़ी चली जा रही थी उसके सामने सिर्फ नागकुमार का चेहरा ओर प्यारा सा लंड ही झूल रहा था..
धूल उड़ाती घुड़वती झरने के पास पहुंच चुकी थी.. अब वो मानव रूप मे थी मादक जवान कमसिन घोड़ी.

[Image: images?q=tbn:ANd9GcROyUIw8HmrDVgA1Fc5FL8...Q&usqp=CAU]


नाग कुमार.... ओह... नाग कुमार... घुड़वती आवाज़ देती है लेकिन वहाँ कोई नहीं था
"लगता है वो अभी आया नहीं? या फिर कल कि तरह बदमाशी कर रहा है "
जरूर मुझे छुप के देख रह होगा.
हवस मे डूबी स्त्री कितना गलत सोचने लगती है. हवस चढ़ी हो तो दिमाग़ वैसे भी काम नहीं करता.
घुड़वती झरने के नीचे चल पड़ती है, आह्हः.... वही ठंडा पानी वही मादक खुशबू
उसके बदन मे कामुकता उठने लगती है, यही तो करने आई थी घुड़वती.
आज उसे काम क्रीड़ा का नया पाठ पढ़ना था.
झरने के नीचे पहुंच के खुद को भीगाने लगती है सिर्फ एक महीन कपडे मे लिपटी हुई थी घुड़वती.
कपड़ा गिला होने से उसके मादक बदन का एक एक हिस्सा नजर आ रहा था, नींपल तो कड़क हो के बाहर आने को आतुर थे.
वही दूरझाडी मे छुपे बैठे सर्पटा ओर उसके दो सेवक गुप्त नाग ओर सुप्त नाग.
दोनों ही सर्पटा के वफादार थे सर्पटा जिस भी औरत का शिकार करता बाद मे इन दोनों मे बाँट देता.
सर्पटा :- आअह्ह्ह.... ववाह्ह... गुप्त नाग तूने बिल्कुल सही कहाँ था क्या स्त्री है एक दम जवान, अभी तो ठीक से खिली भी नहीं है.
गुप्त नाग :- मालिक जवानी तो आप खिला ही देंगे hehehehe...
तीनो हलकी हसीं मे हस पड़ते है..
ये धीमी हसीं सरसराहट मे घुड़वती तक भी पहुँचती है उसे लगता है नागकुमार कल कि तरह ही उसे छुप के देख रहा है.
इसे बाहर निकालना पड़ेगा, कैसे निकालना है ये मुझे पता है.
वो मुस्कुरा देती है.... ओर धीरे से अपने स्तन से गिला वस्त्र हटा देती है जैसे कि सामने नागकुमार बैठा है उसे ललचा रही हो.

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सर्पटा ओर उसके साथी ये नजारा देख हक्के बक्के रह गये, तीनो कि घिघी बंध गई,
कच्ची जवानी मे भी इतने बड़ेस्तन जिसमे कोई लचक ही नहीं एक दम तने हुए, निप्पल सामने को उठे हुए.
घुड़वती अपनी मदहोशी कामवासना मे जल रही थी उसे तो नागकुमार को झाड़ी से बाहर निकालना था वो उसे रिझा रही थी...
वो अपना एक हाथ अपने स्तन पे रख हलके से दबा देती है...

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आअह्ह्ह... उसके मुँह से कामुक सिसकारी निकल जाती है जो सीधा सर्पटा के कानो से टकराती है, इस सिसकारी मे इतनी मदकता थी कि सर्पटा का 12"का लोकी जैसा मोटा लंड फूंकार उठा.
सर्पटा :- आह्हः... क्या स्त्री है जवानी तो झूम के आई है इसपे.
भगवान ने फुर्सत से बनाया है इसे.
मजा आ गया गुप्त नाग.
गुप्त नाग ओर सुप्त नाग के लंड भी खड़े थे वो कपडे के ऊपर से ही अपने अंगों को सहला रहे थे अब भला ऐसा खूबसूरत कामुक नजारा देख कौन पागल नहीं हो जायेगा.
सामने झरने मे ठंडी पानी कि बौछार का आनन्द लेती घुड़वती गरम हुए जा रही थी उसके बदन से आग निकल रही थी... ये आग उसकी चुत को कुरेद रही थी, आग लावे कि शक्ल मे चुत से बहना शुरू हो गई थी.
दोनों हाथो से अपने स्तन पकडे मसल रही थी नोच रही थी...
दोनों निप्पल को नोच लेना चाहती थी, काम कि आग ऐसी ही होती है.
नाग कुमार नहीं आ रहा था.... अचानक उसने अपने पुरे कपड़े निकल फेंके.
पूरी नंगी पानी के नीचे भीगति जवान मादक गद्दाराई घोड़ी हवस मे तड़प रही थी.
उसके हाथ कभी स्तन सहलाते कभी अपने सपाट पेट को, उत्तेजना के मारे उसका सर पीछे को झुक गया था, आंखे बंद थी सीना ऊपर को उठ गया था,
चढ़ती उतरती साँसो के साथ बड़े तीखे स्तन भी उठ गिर रहे थे.
सीधा प्रहार सर्पटाऔर दोनों सेवकों के लंड हो रहा था ऐसा कामुक नजारा, हवस मे भीगी स्त्री प्यार के लिए नागकुमार के लंड के लिए मचल रही थी.
लेकिन नागकुमार नहीं था बदकिस्मती घुड़वती कि.
तीनो से रहा नहीं गया, तीनो ही पानी मे हेल जाते है और घुड़वती कि और चल पड़ते है.
घुड़वती आअह्ह्ह.... नागकुमार आ भी जाओ देखो क्या हालत है मेरी
ऐसा बोल घुड़वती अपनी टांगे एकदम से खोल के पत्थर पे अपनी पीठ टिका देती है, उसकी जाँघ पूरी खुल चुकी थी... पानी छोड़ती लकीर सामने आ चुकी थी, यही लकीर चुत थी घुड़वती कि बिल्कुल चिपकी हुई.
उसके कुंवरेपन का प्रमाण थी ये गोरी लकीर.
सर्पटा ये दृश्य देख अचंभित हो जाता है,
उसके मुँह से कामुक सिसकारी निकल जाती है... आहहहह...
वो भी अपने कपडे निकल फेंकता है और अपना काला बड़ा लंड पकड़ के पीछे को खिंचता है, गुलाबी लंड अंदर से प्रकट होता है साथ ही एक मादक गंध फ़ैल जाती है जो कि सीधा घुड़वती कि नाक से टकराती है.
आअह्ह्ह... नागकुमार आ ही गये तुम.
उसे अब इंतज़ार था कि नागकुमार कि लापलापति जीभ उसकी चुत को छुए प्यार करे कल कि तरह ही चाटे...
उसके रस को निकल दे,
घुड़वती नागकुमार के अहसास से अति उत्तेजित हो जाती है इसी उत्तेजना मे वो अपने एक हाथ को नीचे ले जाती है अपनी चुत कि लकीर पे रख देती है जैसे वो आमंत्रण दे रही ही आओ डूब जै इस समुद्र मे.
उसकी आंखे बंद थी मुँह लगातार सिसकारी छोड़ रहा था सर पीछे को झुका इंतज़ार मे था.
हवस कि आग उसे तड़पा रही थी... लेकिन ये क्या कुछ कर क्यों नहीं रहा नागकुमार.
उसकी खुशबू तो आ रही है वही कामुक अंग से निकली गंध.
वो अपना सर ऊपर कि और उठा अपनी आंखे खोलती है...
आअह्ह्हह्ह्ह्ह...... एक जोरदार चीख निकलती है उसके हलक से.
घुड़वती :- कौन हो तुम? उसके लिए तो जैसे धरती ही फट गई थी उसे लग रहा था कि नागकुमार खड़ा है.
लेकिन ये राक्षस जैसा भीमकाय आदमी कौन खड़ा है.
वो डर के मारे जड़ हो गई थी उसका गोरा नंगा बदन सर्पटा और सेवकों के सामने नंगा चट्टान पे भीग रहा था.
मानो घुड़वती कि सांसे ही बंद हो गई थी.
तभी एक जोर दार अट्ठाहस गूंज उठता है.
हाहाहाहाहाहाहा.... हे खूबसूरत नारी मै सर्पटा हूँ.
लगता है तुम्हे इसकी जरुरत है ऐसा बोल वो अपने लंड कि तरफ इशारा कर देता है.
घुड़वती उसकी ऊँगली का पीछा करती हुई नीचे देखती है तो उसके होश फाकता हो जाते है.
इतना बड़ा काला झूलता लंड.
"ये ये ये.... क्या है उसके हलक से शब्द नहीं निकल रहे थे.
सर्पटा :- मेरी रानी ये तेरी जरुरत है.
ऐसा बोल वो लंड को हाथ मे ले आगे पीछे करता है उसके लंड से एक तेज़ गंध निकल के घुड़वती कि नाक से टकरा जाती है.
घुड़वती डर रही थी उसकी सांस रुकी हुई थी लेकिन ये गंध कुछ जादू सा कर रही थी.
उसे थोड़ा होश आता है वो अपने हाथ से चुत और स्तन को ढँक लेती है
उसे ऐसा करता देख तीनो जोरदार हसीं हस पड़ते है..
घुड़वती ऐसी भयानक हसीं से सहम जाती है उसकी सारी हवस सारी उत्तेजना ठंडीपड़ने लगती है.
उसका दिल दिमाग़ उसे यहाँ से भाग लेने को प्रेरित कर रहा था.
"मै यहाँ नागकुमार के लिए आई थी " मुझे भागना चाहिए.
लेकिन लंड से निकलती मादक कामुक गंध के अहसास से उसका बदन को कुछ हो रहा था.
उसका बदन उसे जाने कि इज़ाज़त नहीं दे रहा था.
उसके निप्पल अभी भी खड़े थे.चुत वापस से रिसने लगी थी चुत रस से घुड़वती कि ऊँगली गीली हो रही थी.
"ये क्या हो रहा है मुझे? मुझे यहाँ नहीं रुकना चाहिए?
लेकिन ये... ये... मेरे बदन मे अजीब सुरसुरहत क्यों हो रही है "
सर्पटा घुड़वती कि ओर बढ़ चलता है उसे खुद पे नियंत्रण नहीं था ऐसा कामुक कमसिन बदन सामने रखा हो तो सब्र कैसे हो.
घुड़वती डरी सहमी चुत से पानी छोड़ती पीछे कि ओर सरकती जा रही थी.

कथा जारी है....
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#46
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#47
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#48
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#49
......
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#50
.....
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#51
Wow... Apka jawab nahi boss
Very hot Nice story...
Jaldi jaldi upload do bhai..
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#52
(20-09-2021, 11:35 AM)salman7349 Wrote: Wow... Apka jawab nahi boss
Very hot Nice story...
Jaldi jaldi upload do bhai..

धन्यवाद मित्र... अपडेट जल्दी ही आएगा ?
बने रहिये
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#53
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#54
......
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#55
Mind blowing..
Nice upload..
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#56
Hello bro...
Waiting for next upload..
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#57
Waiting.....
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#58
Kidhar ho bhai upload do...
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#59
Waiting for next upload
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#60
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