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(21-08-2021, 02:25 PM)Bhikhumumbai Wrote: Nag Champaji Story jam rhi he. malai uncle ke roomme ja rhi he to Atlist Fleshbek me hi yah Dikh do ki malai ke Husband ki tarf se us ko puri AAzadi he ki vo apni malai kisi se Bhi chtva le Such mano bda mja Aayega. Ek aur suzav he. Sachin Uncle ab tak to sant he par Vo malai ko Dominent kre. Adeltary story me koi bhi aurat Rakhel tab bnti he jab Uska partnar use Dominent kre. baki Ekad bar ka sambhog Koi bhi kar le to aurat rakhel nhi banti. AAge AAp ki Story he AAp ki marji.
Bhikhumumbai जी
मेरी कहानी आपको अच्छी लगी यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई| अगला अपडेट में लिख चुकी हूं| सचिन अंकल तो वैसे ही धीरे-धीरे मलाई को डोमिनेट करने की कोशिश कर रहे हैं...
वैसे मैं अगला अपडेट थोड़ी ही देर में पोस्ट करने वाली हूं पढ़कर बताइएगा कैसी लगी|
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(21-08-2021, 05:18 PM)longindian_axe Wrote: wow. sahi ekdum.. malai ko dheere dheere poora besharm bana do bhai.... use ek ek karke alag alag logon ke samne nanga karo, sharm nikalo, maza aaega..
longindian_axe जी,
सबसे पहले मैं अपनी इस लिखी हुई कहानी को पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया अदा करना चाहूंगी और हां आपके दिए हुए सुजॉक हो मैं ध्यान में जरूर रखूंगी|
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RE: मलाई- एक रखैल-7
अब तो मेरे हाथ पांव फूलने लगे थे... मेरे ऊपर ना जाने कौन सी सनक सवार हो गई थी कि मैंने किसी तरह से हिम्मत जुटा करके सचिन अंकल के कमरे में जाने का फैसला कर लिया था... लेकिन अब जब मुझे कमला मौसी ने रंगे हाथों पकड़ लिया था, मुझे थोड़ी बहुत हिचकिचाहट महसूस हो रही थी... शायद जो होने वाला था उसकी प्रत्याशा में मैं कुछ ज्यादा ही नर्वस होने लगी थी...
कमला मौसी मानो मेरे मन की बात पढ़ रही थी| उन्होंने मुझे धीरे से पकड़ कर सचिन अंकल के कमरे में ले गई...
सच निकल चुकी ही हुए थे, उन्होंने सिर्फ एक हाफ पैंट पहन रखी थी और अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहे थे... उन्होंने हम दोनों को अंदर आते हुए देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ किंकर्तव्यविमूढ़ खोकर हम दोनों को देखा|
कमला मौसी हल्का सा हंसी और फिर बोली, “लो सचिन भाई, अब तुम दोनों को ज्यादा शर्माने की जरूरत नहीं है... मैं लड़की को नंगी करके इस कमरे से चली जाऊंगी| तुम लोग रात भर एक दूसरे का साथ देना... सचिन भाई, मेरी लड़की मलाई बहुत प्यासी है और मुझे उम्मीद है कि आप इस की प्यास जरूर बुझायेंगे...”
यह कहकर कमला मौसी ने मेरी नाइटी उतार दी और फिर मेरे बालों को खोलकर मेरे पीठ पर फैला दिए| एक पल के लिए मैं काँप उठी क्योंकि जिंदगी में पहली बार मैं किसी पराए मर्द के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी... मेरे बाल भी खुले थे... मैंने अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी... सचिन अंकल ने तो कुछ देर तक मेरे को अच्छी तरह से अपनी कामुकता भरी निगाहों से निहारा और उसके बाद वह एकदम मगन होकर बोले, “मलाई, जब एयरपोर्ट में मैंने तुमको पहली बार देखा था तभी से ही तुम मेरे दिलो-दिमाग में समा गई थी... उसके बाद घर में मैंने तुमको खुले बालों में देखा... तब से तो तुमने मेरे मन में एक जगह सी बना ली है... और अब जब मैं तुमको बिल्कुल नंगी देख रहा हूं, मेरा यकीन मानो मुझे ऐसा लगता है कि ऊपर वाले ने तुमको बहुत ही फुर्सत से बनाया होगा...”
यह कहकर कुछ देर तक वह मुझे ऊपर से नीचे तक निहारते रहे, और मैं तब भी अपने हाथों से अपने स्तनों और गुप्तांगों को ढकने का एक असफल प्रयास कर रही थी|
सचिन अंकल बोले, “मैं जानता हूं मलाई तुम्हें शर्म आ रही है तुम अपना रूप रंग अपनी उफनती जवानी मुझसे छुपाना चाहती हो… अगर तुम्हें छुपना ही है... तुम मेरे सीने मैं छुप सकती हो...” यह कहकर उन्होंने अपनी बाहें फैला दी| उनका नंगा चौड़ा सीना और गठीला बदन मुझे पहले से ही लग जा रहा था और मैंने आव देखा ना ताव मैं सीधे दौड़ कर उनसे लिपट गई|
उनकी नंगे बदन की छुयन का जैसे ही मुझे एहसास हुआ... मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी लहर दौड़ गई और मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गए... और बाहर बहुत तेज बिजली चमकी और एक धमाके के साथ बादल गरज उठे...
मैं सचिन अंकल से लिपट कर अब रोने लगी सचिन अंकल भी मेरे नंगे बदन पर अपने हैं हाथ फेर -फेर के मुझे सहलाते हुए मुझे दिलासा देते रहे... और कुछ ही पलों में हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने चाटने लगे...
उसके बाद हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में आंखें डाल कर देखा... और इस बात में कोई भी संदेह नहीं कि हम दोनों के दिलों में एक जैसी ही आग भड़क रही थी... कमला मौसी जाने से पहले कमरे की नीले रंग की नाइट लाइट जला कर और कमरे के किवाड़ भिड़ा मुस्कुराती हुई चली गई थी... इसलिए मंद रोशनी में हम एक दूसरे को बिल्कुल साफ देख पा रहे थे... सचिन आकर थोड़ा मुस्कुराए और फिर उन्होंने अपना लिंग मेरे हाथों में दे दिया... उनका लिंग करीब-करीब 8 या 9 इंच लंबा था और मोटा भी... जो मुश्किल से ही मेरी मुट्ठी में समा पा रहा था... शायद सचिन अंकल को मालूम था वह क्या कर रहे हैं... वह धीरे धीरे मेरे यौनांग में अपनी उंगली फेरने लगे...
मुझे भी न जाने क्या हो रहा था. मैं भी उनके पूरे बदन को चूम रही थी और चाट रही थी.. , उनका चेहरा उनका सीना... पेट और उसका निचला का हिस्सा... मैं तो अपना सुध बुध ही खो बैठी थी...
मुझे थोड़ा सा होश तब आया जब मुझे एहसास हुआ मैं उनका कुतुबमीनार जैसा लिंग अपने मुँह के अंदर ले कर चूस रही थी...
सचिन अंकल के अंदर भी जैसे ज्वार आ रहा था उन्होंने जल्दी ही मुझे अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी दोनों टांगे फैला दी, और उनके बीच अपना सर डाल के मेरे यौनांग को वह चूसने चाटने लग गए...
इससे पहले जिंदगी में कभी मुझे इस तरह का मजा नहीं आया था, मैं बस लेटी लेटी तकिए को पकड़कर अपना सर इधर उधर करती रही है और सिसकियां भर्ती रही...
शायद मेरा यौनांग अब गीला होने लगा था... सचिन अंकल एक तजुर्बे दार आदमी थे... न जाने उनके बिस्तर में कितनी औरतों ने इस तरह से मस्ती की थी... उन्हें शायद लग गया होगा कि अब देर नहीं करनी चाहिए... इसलिए वह मेरे ऊपर लेट गए... उनके वजन से दबकर मेरे बदन में मानो कामना की आग और भड़क उठी... जैसा कि मैंने कहा सचिन अंकल बहुत समझदार थे... उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि में घुसा दिया... और अब मैं दर्द से कराह उठी... लेकिन सचिन अंकल ने जल्दी नहीं की... वह मेरे ऊपर एक 2 मिनट तक बिल्कुल चुपचाप लेटे रहे पर उन्होंने अपने वजन से मेरे बदन को नीचे ही दबा कर रखा ऐसे उन्होंने मुझे थोड़ा संभलने का मौका दिया...
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा शरीर जैसे मेरे मन को संचालित कर रहा था मैंने पाया कि सचिन अंकलकि बदन के वजन से दबी होने के बावजूद मैंने अपनी कमर को ऊपर उठाने की कोशिश की... सचिन अंकल समझ गए कि वक्त आ गया है... वह अपनी कमर आगे पीछे आगे पीछे हिला कर के मेरे साथ मैथुन लीला में मगन हो गए... आखिर कमला मौसी ने कहा था कि मैं बहुत प्यासी हूं और उन्होंने भी यह जान ली थी क्यों नहीं मेरी प्यास बुझा नहीं है और अब तक मैं मुझे पता चल चुका था कि सचिन अंकल मेरी अंतरात्मा की प्यास बुझाए बिना रुकने वाले नहीं है... उनके धक्कों की गति बढ़ती गई और मैं उनके नीचे लेटी लेटी अपनी पूरी ताकत से उनको अपनी बाहों में जकड़ कर बस सिसकियां भरती गई...
जल्दी ही मेरे अंदर कामवासना का एक जबरदस्त विस्फोट हुआ... मुझे ऐसा लग रहा था, कि दुनिया की सारी हंसी-खुशी, सारी भावनाएं सब कुछ अब कोई मतलब नहीं सब माया है... मैं शायद एक अजीब से शून्य में सिर्फ तैर रही थी... लेकिन सचिन अंकल रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे... उनका लिंग मेरी योनि में अभी भी घुसा हुआ था... और मानो एक स्टीम इंजनके पिस्टन की तरह उनका लिंग मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... यह दूसरी बार था जब मेरे अंदर कामवासना का विस्फोट हुआ... और मैंने साफ महसूस किया कि सचिन अंकल का गरम गरम वीर्य मेरी योनि के अंदर फव्वारे की तरह फैल गया... जिंदगी में पहले कभी मुझे ऐसा मगर ऐसा नहीं हुआ था...
सचिन अंकल ने गहरी सांस छोड़ी फिर कुछ देर तक मेरे ऊपर ऐसे ही लेटे रहे| मैंने महसूस किया कि उनकर लिंग धीरे-धीरे शिथिल पड़ रहा है और उसके बाद उन्होंने अपना लिंग मेरी योनि से निकाल लिया और फिर मेरे बगल में लेट गए... मैं उन्हें कहा छोड़ने वाली थी मैंने अपना एक हाथ और एक पैर रखकर उनसे लिपट लिपट गई... सचिन अंकल शायद थोड़ा दम ले रहे थे लेकिन वह मुझे प्यार से सहलाते रहे...
कुछ देर बाद सचिन अंकल ने मेरे को चित लिटा दिया और फिर मेरी चूचियों को बड़े प्यार से चूसने लग गए... मुझे मालूम था कि सचिन अंकल मुझे दुबारा उकसा रहे हैं... आखिर वह फिर से मेरे साथ सहवास करना चाहते थे... और मैं भी कहां मना करने वाली थी?
***
अगले दिन जब मेरी नींद खुली सबसे पहले मेरी नजर घड़ी पर गई सुबह के 11:15 बज रहे थे... मेरा पूरा बदन एक मीठे से दर्द और एक मस्ती भरे एहसास में डूबा हुआ था... सबसे पहले मैंने अपने यौनांग पर हाथ फेरा... वह अभी भी थोड़ा चिपचिपा सा था... पिछली रात की बातों को दोबारा याद करकेमेरे होठों पर एक मुस्कुराहट से छा गई...
मुझे याद आया कि पिछली रात को सचिन अंकल ने मेरे साथ करीब करीब चार-पांच बार सहवास किया था इसलिए मैं रात भर सो भी नहीं पाई थी... और हां मैं तो सोना ही नहीं चाहती थी..
लेकिन मुझे बड़ा ताज्जुब हो जब मैंने देखा कि मैं कमरे में बिल्कुल अकेली हूं और वह भी बिल्कुल नंगी... कमरे में लगे खूंटे में मेरी नाइटी लटक रही थी, मैंने उसे अपने बदन पर चढ़ाया... और फिर सबसे पहले मैं यह देखने लग गई कि कमला मौसी कहां है? फिर मुझे याद है कमला मौसी तो अब तक दुकान में चली गई होंगी| हाय दैया! आज मुझे इतनी देर हो गई कि उन्हें अकेली ही दुकान पर जाना पड़ा...
लेकिन सचिन अंकल कहां है?
घर के सारे खिड़की दरवाजे एकदम टाइट बंद थे| मैंने सचिन अंकल के कमरे की खिड़की खोलकर बाहर झांक कर देखा... तभी भी तेज बारिश हो रही थी लेकिन घर के अंदर का माहौल बहुत ही उमस और घुटन से भरा हुआ लग रहा था|
उसके बाद मैंने महसूस किया कि मैं घर में बिल्कुल अकेली हूं| मैंने घर के बाहर का दरवाजा खोलने की कोशिश की, लेकिन वह भी बाहर से ही बंद था... अब मुझे थोड़ा सा अजीब सा लगने लगा, मुझे याद आया कि मेरा मोबाइल फोन मेरे कमरे में ही है| इसलिए मैं जल्दी-जल्दी सीढ़ियां चढ़कर ऊपर अपने कमरे में गई तो पाया कि मोबाइल फोन की बैटरी खत्म हो चुकी थी और वह भी बंद पड़ा हुआ था...
मैंने जल्दी से मोबाइल फोन को चार्ज पर लगाया और इंतजार करने लगी जब मोबाइल फोन थोड़ा चार्ज हो जाएगा तब मैं कमला मौसी को फोन लगाऊंगी...
अब मुझे पता नहीं क्यों थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था... मोबाइल फोन को थोड़ा बहुत चार्ज होने में कम से कम 5-10 मिनट तो लग ही जाएंगे... और जब तक ही मोबाइल फोन चार्ज हो रहा था, मैं सिर्फ घड़ी की तरफ देखती रही उस वक्त एक एक सेकंड मेरे लिए बहुत भारी पड़ रहा था...
क्रमशः
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22-08-2021, 05:23 AM
(This post was last modified: 26-08-2021, 09:57 AM by naag.champa. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मलाई- एक रखैल-8
मोबाइल फोन का चार्ज अब 5% हो चुका था... चार्ज पर लगाकर ही मैंने कमला मौसी को फोन मिलाया|
पता नहीं क्यों मैं उस वक्त बहुत डरी हुई थी| इसका कारण लाजमी था, क्योंकि एक तो मैं काफी देर तक सोती रही और उसके बाद देखा कि घर में कोई भी नहीं है सारे खिड़की दरवाजे एकदम टाइट बंद है... आखिर बात क्या है?
कमला मौसी ने दो बार फोन नहीं उठाया| तीसरी बार समझा मैंने उनका नंबर फिर से लगाया था तब जाकर मुझे उनकी आवाज सुनाई दी|
कमला मौसी की आवाज में न जाने क्यों एक अजीब सी खुशी की झलक मुझे मिली, "उठ गई मेरी बच्ची मलाई?"
" ज- ज- जी हां", मैं घबराहट में हकला रही थी, "आज मुझे उठने में बड़ी देर हो गई मैं बस 10-15 मिनट पहले ही उठी हूं... सचिन अंकल कहां गए?"
" हा हा हा हा हा हा", कमला मौसी हंस पड़ी, "उठते के साथ ही तुझे सचिन अंकल की याद आ गई... उनके प्यार के जादू से तू तो अपनी कमला मौसी को शायद भूल ही गई होगी..."
"नहीं- नहीं ऐसी कोई बात नहीं मेरा मतलब आप कहां हो और सचिन अंकल कहां है? जब मैं उठी तो मैंने देखा कि घर में कोई भी नहीं है सारे खिड़की दरवाजे एकदम टाइट बंद है और मैं घर में बिल्कुल अकेली हूं... मुझे तो बहुत डर लग रहा था"
"ठीक है, री लड़की... सुन, डरने वाली कोई बात नहीं है... मैं तो अपनी दुकान पर हूं और तेरे सचिन अंकल थोड़ा सा बाजार गए हैं... आज मैं बीयर पीने का बड़ा मन हो रहा था और वह मुझसे कह रहे थे कि वह तुझे भी पिलाएंगे..."
"लेकिन मैंने तो कभी पहले कभी बियर पी नहीं..."
"तो क्या हुआ? आज पी लेना..."
"लेकिन..."
"लेकिन वेकिन कुछ नहीं... जरा याद कर कल रात में तुमने कितनी मस्ती की है? तुझे तो मजा आ गया होगा ना? मैं जानती हूं और यही मजा मैं तुझे देना चाहती थी… मेरी बात को याद रखना लड़की, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी; मैं हूं ना तेरी कमला मौसी… ”
कमला मौसी से बातें करते करते मेरी थोड़ी हिम्मत बंधी|
मैंने गौर किया कि घर में झाड़ू लग चुका था...
"पर दोपहर के खाने का क्या होगा? मैं इतनी देर तक सोती रही..."
"कोई बात नहीं... सचिन अंकल के कमरे से मुझे तेरी आवाज़ें सुनाई दे रही थी| तुम लोग करीब करीब 5:00 बजे तक जगे हुए थे... अच्छा एक बात बता, तुझे मजा आया कि नहीं?.. जहां तक मुझे मालूम है सचिन अंकल का माल (वीर्य) बहुत गिरता है... जहां तक मेरा अंदाजा है तेरा पेट तो भर गया होगा है ना?"
अनजाने में ही मैंने तब तक अपनी नाइटी ऊपर चढ़ा कर अपने यौनांग पर पर हाथ फेरा... वह जगह अभी भी चिपचिपी और गीली- गीली थी... और मेरे मुंह से कमला मौसी इस सवाल का जवाब हां ही निकला|
कमला मौसी बोली, “मैं अच्छी तरह जानती हूं कि तुझे कैसा महसूस हुआ होगा... कल रात को शायद तुझे उस हर चीज का स्वाद चखने को मिला होगा जो आज तक तेरा पति तुझे नहीं दे सका… याद रख छोरी, मैं भी कभी तेरी उम्र की थी और मैं अच्छी तरह जानती हूं कि तेरे सचिन अंकल सेक्स के मामले में बहुत ही काबिल इंसान हैं… इसलिए जब से मैंने तुझे देखा था मेरी यही इच्छा थी कि एक दिन मैं तुझे अपने सचिन भाई के बिस्तर में जरूर सुलाउंगी... और कल रात को मेरी वह इच्छा पूरी हो गई अच्छा हुआ तू भी राजी हो गई... और इससे पहले कि मैं भूल जाऊं... देख लेना, तेरे टेबल पर मैंने एक गिलास पानी ढक कर रखा है और उसके साथ x-pill की एक गोली... वह जरूर खा लेना"
"x-pill?"
"हां हां, x-pill... अब जब तक सचिन अंकल के साथ तू है हर रोज सुबह तुझे इस गर्भनिरोधक की एक एक गोली खानी है- तू इतनी जल्दी प्रेग्नेंट हो जाना चाहती है क्या? हर चीज के लिए एक वक्त होता है... जब वक्त आएगा तो तू अपने सचिन अंकल का ही बच्चा अपने पेट में ले लेना क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तेरा पति कभी तेरे को मां बना पाएगा… पर एक बात का ध्यान रखना तेरे सचिन अंकल को यह पता नहीं चलना चाहिए कि तू हर रोज गर्भनिरोधक किए की गोलियां खा रही है... जब तुझे गोली लेनी हो तो चोरी-छिपे ही गोली ले लेना...”
“लेकिन चोरी-छिपे क्यों?”
“अरी पगली, अब तक नहीं समझी, मर्दों को औरत भोगने के बाद और खासकर योनि में अपना धात (वीर्य) बहाने के बाद एक अनजाना ही फक्र महसूस होता है... और हम औरतें x-pill जैसी गोलियां लेकर उनके बहाये हुए उस बीज को खराब कर देती हैं ताकि हमारे पेट में बच्चा ना ठहर जाए... समझ गई ना? मैं नहीं चाहती उन्हें किसी भी बात का बुरा लगे, समझ गई ना?"
एक या डेढ़ दिन के अंदर ही... मेरी जिंदगी में इतना सब कुछ हो गया था कि मेरे लिए सब चीजों को अपने दिमाग में ठीक तरह से उतर कर समझने में थोड़ी दिक्कत आ रही थी... पर कमला मौसी की कही हुई एक बात से मेरा माथा टनका, मैंने कमला मौसी से पूछा, "आपको कैसे मालूम कि सचिन अंकल सेक्स के मामले में बहुत ही काबिल इंसान हैं?" यह बोलते बोलते मेरे बोलने की गति थोड़ी धीमी हो गई थी- अवचेतना में मैं यही सोच रही थी कि मेरे इस सवाल से कहीं कमला मौसी को बुरा ना लगे|
लेकिन कमला मौसी ने मेरी बात का बुरा नहीं माना वह हंस पड़ी, "हा हा हा हा हा... यह मत भूल पगली! किसी जमाने में मैं भी तेरी उम्र की हुआ करती थी... तब से तेरे स्वर्गीय मौसा जी के दोस्त सचिन भाई का हमारे घर आना जाना है| वह जब भी भारत आते हैं हमारे ही घर रुकते... तेरे मौसा जी तो दुकान में व्यस्त रहते थे और घर में मैं और तेरे सचिन अंकल बिल्कुल अकेले... मुझे तो शुरू शुरू से ही शक था कि तेरे सचिन अंकल मेरे भी करीब आने की कोशिश कर रहे थे, फिर कुछ दिनों बाद तो मेरा शक यकीन में बदल गया| फिर क्या था एक दिन मौका लगा और बस फिर क्या था जो होना था वह हुआ, हम दोनों के बीच शारीरिक संबंध कायम हो गए... सच मान मुझे तो बहुत मजा आया था... मैंने तेरे मौसा जी को कभी नहीं बताया कि मैं उनके साथ सोती थी... हम औरतों को ऐसी बातें अपने पति से साझा नहीं करनी चाहिए... पर यकीन मान, हम लोग जब भी संबंध बनाते थे और उसके बाद तेरे सचिन अंकल मेरे अंदर अपना माल का सैलाब बहा देते थे मुझे तो बड़ी संतुष्टि महसूस होती थी... मुझे अपने नारीत्व बड़ा घमंड होता था| मुझे और मैं अच्छी तरह जानती हूं कल रात तुझे भी बहुत मजा आया होगा... और तेरे सचिन अंकल अभी दो-चार दिन यहां और रुकने वाले हैं और मैं यह चाहती हूं कि तू यह दो-चार दिन अपने सचिन अंकल के कमरे में ही बिता..."
"लेकिन मौसी..." न जाने क्यों मुझे थोड़ी हिचकिचाहट महसूस हो रही थी|
लेकिन कमला मौसी ने मेरी एक नहीं सुनी, "लेकिन वेकिन कुछ नहीं... मुझे मस्ती करने का एक अच्छा सा मौका मिला है, है ना ? इसे ऐसे ही गवाँ... मेरी बात मान जब तक सचिन अंकल हमारे घर में रुके हुए हैं तू उनके कमरे में ही रहेगी और तू उनके बिस्तर में ही सोएगी यानी कि तू बिल्कुल उनकी औरत बन कर रहेगी... यहां का दुकान पाठ और घर के सारे काम मैं संभाल लूंगी... बस तुझे अपनी जवानी - अपनी खूबसूरती है और अपनी उफनती हुई जवानी अपने सचिन अंकल के हाथों सौंप देनी है..."
"लेकिन मौसी..."
“अरी मेरी बात को तो पूरी होने दे?...”
मैं चुप हो गई और फिर कमला मौसी ने बोलना जारी रखा, “जैसा कि मैं कह रही थी तुझे अपने आप को अपने सचिन अंकल को सौंप देना है... यह दो-चार दिन तेरे सचिन अंकल की तेरे तन मन और धन के मालिक हैं और तू उनकी रखी हुई औरत- यानी की रखैल- लेकिन इस बात का बुरा ना मानना... तेरे सचिन अंकल तुझे जो खुशियां दे सकते हैं वह दुनिया का शायद ही कोई दूसरा मर्द दे पाएगा... इस बात का चस्का तो तुझे कल रात को ही लग गया होगा... इसलिए मेरी एक और हिदायत है... जब तक सचिन अंकल के साथ तू अकेली है... तू नंगी रहा कर अपने बालों को खुले रखा कर... तुझे खुले बालों में और नंगी देखकर सचिन अंकल को बहुत अच्छा लगेगा और बहुत प्यार करेंगे वह तुझे... और रोमांचित होकर जी भर कर चोदेंगे तुझे...”
"लेकिन मौसी..."
"लेकिन वेकिन कुछ नहीं...”, कमला मौसी के स्वर मेंजैसे एक अजीब सी दृढ़ता जैसी आ गई थी, "तेरे सचिन अंकल के साथ मैंने सेक्स की नदियां में वह डुबकियां लगाई जो शायद मुझे कभी नसीब नहीं होती, अगर मैंने जरा सी भी हिचकिचाहट की होती, और हां एक बात मैं तेरे से आज कहना चाहती हूं, जब से मैंने तुझे पहली बार देखा था तब सही न जाने क्यों मुझे तेरे अंदर अपनी छवि दिखाई देने लगी| मेरे दिल में कुछ अरमान थे जो अधूरे ही रह गए अगर वह तेरे जरिए पूरे हो सके तो मैं समझूंगी कि मेरी तामन्नाएँ पूरी हो गई... ... इसलिए बहुत पहले ही मैंने ठान लिया था कि तू जैसी खूबसूरत फूल सी खिली हुई जवानी से भरपूर लड़की को मैं 1 दिन सचिन भाई के बिस्तर में जरूर सुलाउंगी... जो मजे मैंने लुटे थे, उनका स्वाद में तुझे भी चखाउंगी..." फिर उनका स्वर थोड़ा नरम पड़ गया और वह प्यार से मुझसे बोली, “मलाई, मेरी अच्छी बेटी, मेरी बात मान कर चलेगी जो मैं कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी तो यकीन मान तेरा भला ही होगा और तू जो है बिल्कुल राजरानी की तरह ऐश और मस्ती करेगी... और साथ ही में कामुकता का मज़ा तुझे फ्री में मिलेगा”
“लेकिन मौसी- रखैल?”
“फिर से लेकिन? मैंने कहा ना लेकिन लेकिन कुछ नहीं... अरि तू तो पाँक-पाड़ा जिले की लड़की है- तो लेचारी का मतलब नहीं जानती? अब इतनी भी भोली मत बन... जब मैंने तेरी और तेरी बड़ी बहन- यानी कि तेरी बुआ की लड़की- की तस्वीरें देखि हैं तभी मैंने गौर किया था कि तुम दोनों की शक्लें बिल्कुल नहीं मिलती... तेरे फूफाजी भी तो काम के सिलसिले में ज्यादातर घर के बाहर ही रहा करते थे अब यह मत कहना कि तेरी बुआ किसी और के साथ नहीं सोई...”
हमारे गांव में ज्यादा से ज्यादा परिवार में शादीशुदा मर्द काम के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं, इसकी बदौलत अच्छे-अच्छे घरों की लड़कियां, बहुएं या फिर औरतें अक्सर दूसरे मर्दो के साथ संबंध बना लेती हैं... भले ही यह व्यभिचार हो लेकिन इस प्रथा को चुपके चुपके हमारे समाज में स्वीकृति भी दी गई है...
मैंने थोड़ी देर सोचने के बाद पूछा, " खैर आपने तो मेरी सेटिंग कर दी, लेकिन आपका क्या होगा?"
"हा हा हा हा हा", कमला मौसी हंस पड़ी, "मेरा क्या है? मेरे तो काफी उम्र हो चुकी है... और अभी जवानी तो तेरी मस्त मस्त है... और हां, तुझे मालूम है ना, कि मर्द और घोड़ा कभी बूढ़ा नहीं होता?… "
मैंने एक राहत की सांस ली| मुझे इसी बात की चिंता थी कि सचिन अंकल का ध्यान कहीं बंट ना जाए|
हम दोनों थोड़ी देर चुप रहे फिर मैंने बाद बदलने के लिए बोली, "फिलहाल तो करीब-करीब 11:45 बज रहे हैं आज मैं इतनी देर तक सोती रही कि अभी तक तो खाना भी नहीं बना..."
"तू उसकी चिंता मत कर... खाने का इंतजाम सचिन भाई ही करने वाले हैं... आज उन्होंने Damiyano से पिज़्ज़ा का ऑर्डर देने वाले हैं"
"हां ठीक है, आज बहुत दिन हो गए हैं- हमने पिज़्ज़ा नहीं चखा... खैर पिज़्ज़ा की डिलीवरी हो जाने दीजिए मैं आप दोनों के लिए पिज़्ज़ा के स्लाइस काटकर परोस दूंगी"
"हा हा हा हा हा", कमला मौसी हंस पड़ी, "तू मेरी चिंता मत कर मेरे हिस्से की पिज़्ज़ा की डिलीवरी दुकान पर ही हो जाएगी... फिलहाल मैंने तुम दोनों लव बर्ड्स को घर में अकेले छोड़ने का फैसला किया है... क्योंकि मैं जानती हूं तुझे पिज़्ज़ा का स्वाद चखने के अलावा और भी बहुत कुछ चखना है"
यह सुनकर मैं शर्म से बिल्कुल लाल हो गई...
फोन काटने के बाद मैंने आईने में अपनी छवि देख रही थी... मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं आईने में खुद को नहीं किसी और लड़की को देख रही हूं... एक ऐसी लड़की जिसके चेहरे पर खुशी की एक अजीब सी रौनक सी थी... कमला मौसी की दिए हुए सुझाव के अनुसार मैंने x-pill की वह गोली खा ली और फिर मेरी नजर अपने कमरे में टेबल पर रखे मेरे और अनिमेष की तस्वीर गई... मेरा दिल एक सेकेंड के लिए जोर से धड़क उठा... लेकिन मैं जानती थी मन ही मन मैं फैसला कर चुकी थी... इसलिए, मैंने उस तस्वीर को टेबल पर पलट कर रख दिया... और धीमे कदमों से सीढ़ियों से नीचे उतर कर उस कमरे में जाने लगी जिस कमरे में सचिन अंकल ठहरे हुए थे… जैसा कि कमला मौसी ने कहा था अगले दो-चार दिनों तक मुझे सचिन आकर के कमरे में ही रहना है और वह भी अपने बालों को खुला रखकर और बिल्कुल नंगी हो कर... हां, जैसा कमला मौसी ने कहा है मैं बिल्कुल वैसा ही करूंगी... आखिर मैं भी एक औरत हूं मेरे भी कुछ अरमान है... मेरे अंदर न जाने कितने दिनों से एक आग दबी हुई थी... पिछली रात की घटनाओं ने उस आग को भड़का दिया है... वह आग अब आग नहीं... बल्कि ज्वालामुखी बन चुका है... अगर ज्वालामुखी को शांत नहीं किया गया तो शायद प्रलय आ जाएगी... और मैं पागल हो जाऊंगी...
इतने में घर के सदर दरवाजे से कुंडी खोलने की आवाज आई... सचिन अंकल वापस आ गए थे...
क्रमशः
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मलाई- एक रखैल-9
सचिन अंकल हां दरवाजा खोलकर अंदर आए, दरवाजे के खुलते ही बाहर की ठंडी हवाओं के झोंके घर के अंदर आने लगे और मानो घर का पूरा माहौल बिल्कुल बदल सा गया... पहले वाली घुटन और उमस न जाने कहां गायब हो गई... वैसे तो पहले ही कमला मौसी से बात करने के बाद मेरी थोड़ी ढाँढस बंधी थी और अब सचिन अंकल के आ जाने के बाद मेरा मिजाज बिल्कुल बदल गया|
मैंने गौर किया कि उन्होंने सिर्फ एक हाफ पेंट और टीशर्ट पहन रखी थी... आंखों में चश्मा और उनके सर के बाल थोड़े बहुत बिखरे हुए... न जाने क्यों मुझे बहुत आकर्षक लग रहे थे... मैं उन्हें देख कर मुस्कुराई... उनके एक हाथ में एक थैला उसके साथ प्लास्टिक का एक पैकेट जिसमें शायद लंबा सा एक कार्डबोर्ड का बक्सा था और दूसरे में छाता... मैनें उनके हाथों से थैला और छाता ले लिया, लेकिन जब मैं वह प्लास्टिक का पैकेट उनके हाथ से लेने गई, तो उन्होंने मुझसे कहा, " इस रहने दो, इसे मैं ही रख लूंगा"
थैले में से पहले से ही ठन ठन के बजे आ रही थी... मैं जानती थी उस थैले में बीयर की बोतले हैं, लेकिन फिर भी मैंने अनजान बनते हुए उनसे पूछा, "अंकल जी क्या है इस थैले में?"
सचिन अंकल ने एक शरारत भरी मुस्कान के बीच मुझसे बोले, " बस आज थोड़ा बीयर पीने का मन कर रहा था, और करेगा क्यों नहीं? मुझे तुम्हारे जैसी जवान और खूबसूरत है लड़की का साथ जो मिल रखा है... लेकिन मलाई मेरी तुमसे एक रिक्वेस्ट है; आज तुम भी मेरे साथ बैठकर बीयर पीयोगी"
कमला मौसी ना तुम मुझे इस बारे में पहले ही बता दिया था लेकिन फिर भी मैं भोली और अनजान बन रही थी, "लेकिन अंकल मैंने तो पहले कभी बियर पी नहीं"
सचिन अंकल का जवाब भी कमला मौसी जैसा ही था, "कोई बात नहीं आज भी लेना, मलाई... और हां जब तक मैं यहां हूं, तुम्हें या फिर तुम्हारी कमला मौसी को किचन में घुस के खाना बनाने की मेहनत करने की कोई जरूरत नहीं है... हम लोग खाना बाहर से ही मंगवा लेंगे"
मैंने यूं ही उनको चिढ़ाने के लिए पूछा, "क्यों? आप खाना बाहर से क्या मंगवा रहे हैं? क्या मेरे हाथ का बनाया हुआ खाना आपको पसंद नहीं आया?"
"हा हा हा हा हा", सचिन अंकल हंस पड़े और बोले, "नहीं, तुम्हारे हाथ का खाना मुझे पसंद है... इसलिए जिस दिन मैं दुबारा यहाँ का चक्कर लगाऊंगा, उस दिन सिर्फ तुम्हारे हाथ का बना हुआ खाना खाऊंगा... लेकिन मुझे मालूम है, मलाई- तुम्हें इस घर के सारे काम खुद ही करती हो... दिन भर खटती रहती हो... यह सारी बातें मुझे तुम्हारी कमला मौसी ने बताई थी... इसलिए मैं चाहता हूं; कि जब तक मैं यहां हूँ... तुम्हें थोड़ा आराम मिल जाए... और इसमें मेरा स्वार्थ भी है... मैं चाहता हूं कि तुम पूरी तरह से बिल्कुल मेरी बन कर रहो; मुझे तुम बहुत पसंद हो मलाई...”
मैं शर्मा कर थोड़ा हंस पड़ी और फिर बोली, "जैसा आप ठीक समझें, सचिन अंकल... मैं बीयर की बोतलें फ्रिज में रख देती हूं- और फ्रिज को क़ुइक फ्रिज में डाल देती हूं… मुझे उम्मीद है कि बोतले जल्दी ही ठंडी हो जाएंगी "
माफ करना आप सचिन अंकल आज मैं काफी देर तक सोती रही| मुझे जैसी सयानी लड़की को इतनी देर तक सोना नहीं चाहिए... मुझे तो यह भी नहीं मालूम कि आपने सुबह की चाय पी भी कि नहीं? अगर आप कहें तो मैं आपके लिए चाय बना दूँ?"
सचिन करने मेरे गालों पर प्यार से हाथ फेरा और बोले, "तुम देर तक सोती रही इसके लिए मैं जिम्मेदार हूं| मैंने तुम्हें कल रात को सोने ही नहीं दिया था... खैर फिलहाल मैं सिर्फ बियर पीने के मूड में हूं... मैं चाहता हूं कि तुम बिन मेरे साथ बैठकर बियर पियो... बस एक बोतल खोल लेना... बाकियों को फ्रिज में रख कर आओ... उसके बाद तुम नहा लेना और फिर बाद में, मैं नहा लूंगा और मुझे उम्मीद है तब तक पिज़्ज़ा की डिलीवरी भी हो जाएगी... और हां तुम्हारी कमला मौसी ने मुझे बोला था कि उसे आज दुकान में बहुत काम है इसलिए मैंने उसके हिस्से का पिज़्ज़ा दुकान में ही डिलीवरी करने का इंतजाम कर दिया है|"
मैंने कहा, "जी, अच्छा..." फिर मैंने उत्सुकता वश पूछ ही लिया, "आपको कैसे पता कि मैं अब तक नहाई नहीं हूं?"
सचिन अंकल ने जवाब दिया, " तुम्हारी आंखों को देख कर ऐसा लग रहा है कि बस तुम अभी थोड़ी देर पहले ही नींद से जागी हो... और दूसरी बात तुम्हारी ही खूबसूरत काले- रेशमी- घने और लंबे बाल बिल्कुल भी गीले नहीं है" यह कहकर सचिन अंकल ने मेरे बालों का जुड़ा खोल दिया और बोले, "मलाई... तुम्हारे बाल बहुत अच्छे हैं- अगर मेरी मौजूदगी में तुम अपने बालों को खुला रखोगी तो मुझे खुशी होगी"
“जी अच्छा, लेकिन एक बात मैं कहना चाहूंगी... कॉलेज के जमाने से ही मेरे बाल लंबे हैं... इसलिए बचपन से ही इन्हें बांध कर रखने की आदत सी पड़ गई है... आजा मैं सो करके उठे तो अनजाने में ही शायद मैंने अपने बालों को समेट कर जुड़े में बाँध लिया था; क्योंकि इतने लंबे बालों को अगर मैं खुला छोड़ दूं दोनों संभालने में थोड़ी बहुत मुश्किल होती है...”
“हा हा हा हा हा मैं समझ सकता हूं| लेकिन मुझे उम्मीद है यह दो-चार दिन जो मैं तुम्हारे साथ हूं तुम मेरे खातिर यह छोटी सी मुश्किल को जरूर उठा लोगी...”
मैंने शर्माते हुए मुस्कुरा कर कहा, “जी अच्छा मैं आगे से ध्यान रखूंगी...” और फिर मैंने मन ही मन सोचा अब जब मैं नहा कर निकलूंगी, तो जानबूझकर ही मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊंगी... आखिर कमला मौसी ने मुझे हिदायत दी थी कि यह चंद दिन मुझे सचिन अंकल की औरत- उनकी रखैल- बन कर बितानी है... मुझे खुले बालों में और नंगी देखकर सचिन अंकल को बहुत अच्छा लगेगा और बहुत प्यार करेंगे वह मुझे, और रोमांचित होकर जी भर कर चोदेंगे मुझे...
“ऐसे खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो, मलाई?”
मैं अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी| सचिन अंकल के सवाल ने मानो मुझे चौंका कर असलियत पर लाकर खड़ा कर दिया|
और अब मुझे ध्यान आया कि मैं अब तक एक हाथ में छाता और दूसरे हाथ में बियर का थैला पकड़ कर ही खड़ी थी...
सचिन अंकल ने मुझे एक अजीब सी ललचाई नजरों से मुझे देखा और फिर मेरे पास आकर उन्होंने कसकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया... मैं भी उनसे लिपटना चाहती थी लेकिन मेरे दोनों हाथों में सामान था इसलिए मैं यूं ही सीधी खड़ी रही| उन्होंने मेरे सर के पीछे से मेरे बालों का एक गुच्छा पकड़ कर के मेरे चेहरे को ऊपर की तरफ कर दिया और फिर अपने होठों को मेरे होठों पर जमा दिए... मैंने कोई एतराज नहीं किया... वह मेरे होंठों को चूमते रहे चाटते रहे और फिर उन्होंने अपनी जुबान मेरे मुंह के अंदर डाल दी... मैंने भी अपनी जुबान उनकी जुबान से लड़ाई... और देखते ही देखते न जाने कब मेरी जुबान उनके मुंह में थी... उन्होंने दांतो से मेरी जुबान को दबाया और फिर मेरी जुबान को चूसने लग गया... मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी मस्ती की लहर दौड़ रही थी... चंद मिनटों बाद उन्होंने मुझे छोड़ा और उन्होंने फिर से पूछा, “अब बताओ, ऐसे खड़ी खड़ी क्या सोच रही हो, मलाई?”
मैंने झेंप कर कहा, "जी कुछ नहीं बस यूं ही..."
“हा हा हा हा हा”, सचिन अंकल हंस पड़े, “कोई बात नहीं, तुम्हें काम करो तुम एक बोतल यहीं रख कर जाओ और बाकी सारी बोतल को फ्रिज में डाल दो और हां, जैसा कि तुमने कहा फ्रिज को क़ुइक फ्रीज मोड में डाल देना... और किचन से दो गिलासे भी लेकर आना मुझसे रहा नहीं जा रहा... मुझे तुम्हारे साथ बैठकर बियर की चुस्कियां लेने का बड़ा मन कर रहा है...”
“जी ठीक है, लेकिन आप पहले क्यों नहीं नहा लेते?”
“हा हा हा, तो मुझे बाथरूम से नहाकर निकलती हो तो पूरे बाथरूम में एक मदहोश कर देने वाली खुशबू भरी हुई रहती है इसलिए...”
“जी बहुत अच्छा, जैसा आप कहें... मैं बस अभी आई”
क्रमशः
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Good Going. But payar hi ho rha he. Dominent nhi. aur Ek aysa situation Bnavo jab abhishek malai ko fon kre tab malai sachin uncle se chud rhi ho. ( ho ske to us vakht hi bta de ki me bhiapne yar ke sath moj kar rhi hu
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Very good story. Keep going
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(23-08-2021, 03:34 PM)Bhikhumumbai Wrote: Good Going. But payar hi ho rha he. Dominent nhi. aur Ek aysa situation Bnavo jab abhishek malai ko fon kre tab malai sachin uncle se chud rhi ho. ( ho ske to us vakht hi bta de ki me bhiapne yar ke sath moj kar rhi hu
Bhikhumumbai जी,
मैं आपके सुझाव का ध्यान रखूंगी| इस कहानी में ना सही अगर हो सके तो मैं दूसरी कहानियों में इन सुझावों को लागू जरूर करूंगी| आशा है कि आप मेरी कहानी से आपका मनोरंजन होरहा है| कृपया अपने सुझाव और कमेंट भी दे रहिए| यह मेरे लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन है|
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24-08-2021, 09:51 AM
(This post was last modified: 24-08-2021, 09:51 AM by naag.champa. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(23-08-2021, 05:11 PM)badmaster122 Wrote: Very good story. Keep going
badmaster122 जी,
मेरी कहानी पढ़ कर उस पर टिप्पणी करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद| मुझे उम्मीद है कि मेरी लिखी हुई कहानी आपको अच्छी लग रही होगी| कृपया ऐसे ही साथ बने रहे| आशा है मैं आगे भी अपने आने वाले अपडेट्स और बाकी कहानियों से आप जैसे पाठकों को मनोरंजन करती रहूंगी|
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मलाई- एक रखैल-10
सचिन अंकल बियर की 6 बोतल ले खरीद कर लाए थे| मैंने फ्रिज में जगह बना कर पांच बोतलों को अंदर रख दिया और फ्रिज को क़ुइक फ्रीज मोड पर डाल दिया|
एक ट्रे में बियर की एक अध्- ठंडी बोतल को लिटा कर और साथ में दो गिलास लेकर मैं सचिन अंकल के कमरे में पहुंची|
मैंने देखा कि सचिन अंकल ने अपने कपड़े उतार दिए थे वह सिर्फ एक तौलिया लपेट कर बिस्तर पर बैठे मेरा इंतजार कर रहे थे| उनके बिस्तर के पास रखी हुई टेबल पर मैंने गिलासें सजा कर रखी है... और जैसा कि मैंने मूवी में देखा था... वैसे ही दोनों गिलासों में बीयर डालने लगी... मैंने इस बात का ध्यान रखा की बियर डालते वक्त गिलासों में ज्यादा झाग ना भर जाए|
जब तक मेरे डियर डाल रही थी तब तक मेरी पीठ सचिन अंकल की तरफ थी| जब मैं उनकी तरफ मुड़ी तब मैंने देखा कि सचिन अंकल ने अपना तौलिया भी उतार दिया था... उनका कुतुबमीनार जैसा लिंग बिल्कुल सख्त और सीधा खड़ा हो रखा था... अब मैंने गौर किया की उनका लिंक अनिमेष की तरह मुड़ा हुआ नहीं है... वह बिल्कुल एक भाले की तरह एकदम सीधा है... और उनके लिंग का टोप बहुत ही सुडौल और विकसित है...
वह मुझसे बोले, “मेरे पास आकर बैठो, मलाई”
यह क्या करवाने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पास खींच कर और अपने बाएं हाथ को मेरी कमर से लिपटा करके बैठे-बैठे और दाएं हाथ से उन्होंने मेरी डबल- ब्रेस्टेड नाइटी का कपड़ा मेरे सीने से हटाया और फिर मेरे मेरे स्तनों की चुचियों को एक-एक करके बारी बारी से को वह बड़े प्यार से चूसने लगे...
मुझे गुदगुदी सी होने लगी थी मैंने शर्मा कर कहा, “हाय दैया! यह क्या कर रहे हैं, सचिन अंकल?”
“कुछ नहीं बस तुम्हारे जैसी खूबसूरत बला को थोड़ा सा प्यार कर रहा हूं... क्यों? तुम्हें कोई एतराज है क्या...?”
मैं शरमा कर हंस दी| मैंने कहा, " जी नहीं, मैं भला एतराज क्यों करूंगी?"
"तो ठीक है, बीयर पीने के बाद तुम बिस्तर पर लेट जाना, मलाई..."
"क्यों? आप मुझे लेटने के लिए क्यों कह रहे हैं?" मैंने जानबूझकर शरारत भरी निगाहों से उन्हें देखते हुए पूछा|
उन्होंने भी मस्ती भरे अंदाज में मेरे स्तनों को दबाते हुए कहा, "अरे भई, अगर तुम बिस्तर पर लेट होगी तभी ना मैं तुम्हारे ऊपर लेट पाऊंगा? है कि नहीं?"
"ही ही ही ही ही ही ही"
" हा हा हा हा हा हा हा"
मेरा भी जी ललचाने लग गया मैंने कहा, “सचिन अंकल, अगर आप बुरा ना माने तो क्या मैं अपनी नाइटी उतार दूं और हां मैं आपके पास नहीं बैठूंगी… मैं आपकी गोद में बैठना चाहती हूं वह भी बिल्कुल नंगी होकर के...” यह कहकर मैंने अपनी नाइटी उतार कर जमीन पर फेंक दी|
सचिन अंकल की बांछें खिल गई और हमें अपना एक हाथ आगे करके मेरे बालों को एक गुच्छा पकड़ा और मुझे खींचकर अपनी तरफ ले आए, मैं बीयर की दोनों गिलासें पकड़ कर उनकी नंगी जांघों पर बैठ गई और फिर मैंने उनको उनकी गिलास पकड़ाई|
उन्होंने मेरे गिलास से अपना गिलास खनकाया और बोले, “चियर्स !”
एक तो मैं देर से उठी थी जिसने मुझे काफी भूख भी लग रही थी और वैसे भी मुझे प्यास भी लग रही थी इसलिए जैसे ही मैंने बीयर को होठों से लगाया मैंने पाया कि मैं गटागट बियर के घर बड़े-बड़े घूंट मार रही हूं लेकिन कुछ ही देर में मुझे उल्टी सी आने को हुई और मैं खांसने लगी...
सचिन अंकल बोले, "जरा धीरे-धीरे लड़की; इतनी जल्दी बीयर नहीं पिया करते"
थोड़ी देर खांसने के बाद जब मैं थोड़ा सा संभली तब सचिन अंकल ने दोबारा मेरे होंठों को चूमा और इस वक्त मैं कहां रुकने वाली थी मैंने अपनी जीभ उनके मुंह के अंदर डाल दी... उन्हें कोई एतराज नहीं था वह मेरी जीभ चूसने लग गए...
जब उन्होंने ने मुझे छोड़ा तब मैंने जी भर के उनको चूमा और फिर मैं बोली, "सचिन अंकल, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं..."
"बोलो, तुमको जो कहना है, तुम बेधड़क बोल सकती हो"
“जी नहीं अभी नहीं मेरे मुझे बीयर खत्म कर लेने दीजिए उसके बाद मैं नहा कर आऊंगी उसके बाद मुझे आपसे जो कहना है वह मैं कहूंगी” मैं जिंदगी में पहली बार बियर पी रही थी, इसलिए सिर्फ एक गिलास बीयर पीने के बाद ही मुझे हल्का हल्का नशा होने लगा था|
उन्होंने कहा, “ठीक है” और फिर वह मुझे सहलाने, सूंघने और चूमने में मगन हो गए...
और मनो तभी हमारी इस कामलीला के बीच एक रुकावट से आ गई|
दरवाजे की घंटी बजी, पिज़्ज़ा वाला डिलीवरी देने के लिए आया हुआ था- सचिन अंकल ने जैसे-तैसे अपनी हाफ पेंट चढ़ाई और उन्होंने ने मुझसे कहा, " तुम अंदर ही रुको, मलाई"
मैंने कहा "जी अच्छा..." मैं बाहर निकलती भी तो कैसे मैं तो बिल्कुल नंगी थी... इतने में मुझे लगा कि मेरा फोन बज रहा... और रिंगटोन से मैं पहचान गई थी कि यह फोन अनिमेष ने ही किया था...
पिज्जा का बक्सा बहुत बड़ा था| इसलिए सचिन अंकल कर उसे दोनों हाथों से पकड़ कर अंदर ले आए और फिर उन्होंने उसे टेबल पर रखा| घर का सदर दरवाजा खुला ही था, जब तक उन्होंने वापस जाकर उसे बंद करके कुंडी नहीं लगा दी; तब तक मुझे कमरे के अंदर ही इंतजार करना पड़ा... इतने में मैंने गौर किया कि अनिमेष करीब करीब दो बार और मुझे फोन लगा चुका था|
अनिमेष थोड़ा बेसब्र किस्म का इंसान है... और इधर मैंने नाइटी भी न जाने मस्ती में आकर कहां उतार कर फेंक दी थी? वह मुझे मिल ही नहीं रही थी? वह तो हमारी आवाजाही में बिस्तर के नीचे सरक गई थी... लेकिन उस वक्त मेरे पास इतना भी वक्त नहीं था कि मैं अपनी नाइटी को ढूँढू, इसलिए जैसे ही दरवाजा बंद हुआ मैं ऊपर कमरे की तरफ उसी हालत में भागी और उसका फोन उठाया|
इतने में मैंने सुना कि सचिन अंकल का फोन भी बज रहा है| शायद कमला मौसी ने फोन किया होगा|
अनिमेष के साथ मेरी करीब-करीब है 20-25 मिनट तक बातें होती रही| अनिमेष इस बात से नाराज था कि सुबह उसने दो-तीन बार और भी फोन किया था लेकिन मैंने फोन उठाया नहीं| उठाती भी कैसे? एक तो मैं सो रही थी और दूसरी सचिन अंकल के घर आते ही मैं उनके कमरे में चली गई थी शायद फोन की आवाज मुझे सुनाई नहीं दी|
मैंने अपने पति अनिमेष को झूठ-मूठ भरोसा दिलाया कि आज मेरी तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है| मौसम खराब है इसलिए मुझे थोड़ा सा जुकाम हो गया है हल्का हल्का बुखार भी है- इसलिए मैं सो रही थी|
फोन अभी भी पूरी तरह से चार्ज नहीं हुआ था, इसलिए मैं फोन को चार्ज समेत है उठाकर नीचे सचिन अंकल के कमरे में ले आई|
सचिन अंकल तब भी किसी से बात कर रहे थे- और ऐसा लग रहा था कि वह किसी आदमी से बात कर रहे हैं| उनकी बातचीत 10:15 मिनट तक और चली... लेकिन तब तक हम दोनों के अंदर से ही वासना का वह ज्वार उतर चुका था|
हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और शायद एक साथ ही हम दोनों ने कह रही थी सांस छोड़ी...
मैंने कहा, "सचिन अंकल, मैं सुबह से नहीं नहाई हूं| मैं जाकर नहा लेती हूं उसके बाद आप जाकर नहा लीजिएगा फिर हम लोग खाना खा लेंगे... और उसके बाद..."
"और उसके बाद क्या, मलाई?" सचिन अंकल ने शरारतभरी निगाहों से मुझे देखते हुए पूछा|
मैंने कहा, "हम दोनों बैठकर टीवी देखेंगे..."
"हा हा हा हा"
"ही ही ही ही ही ही"
क्रमशः
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24-08-2021, 10:16 AM
(This post was last modified: 27-01-2024, 09:41 PM by naag.champa. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मलाई- एक रखैल-11
मेरे नहाने के बाद सचिन अंकल भी तुरंत बाथरूम में घुस गए| लेकिन मुझे थोड़ा लजीला महसूस हो रहा था क्योंकि जब मैं बाथरूम में घुसी थी; तब मैंने देखा कि बाथरूम की रैक पर मेरे बालों का तेल, शैंपू साबुन यहां तक की नहाते वक्त बदन साफ करने की नायलॉन वाली जाली भी रखी हुई थी और तो और मेरा पिंक रंग का बड़ा सा लेडीस तौलिया भी खूंटे पर सचिन अंकल के तौलिये के बगल में लटक रहा था... इस बात में कोई शक नहीं यह सारा सामान कमला मौसी ही वहां रख कर गई थी|
ध्यान बढ़ाने के लिए मैंने टीवी पर म्यूजिक चैनल चला दिया और फिर पिज़्ज़ा के टुकड़े थाली में सजाकर उन्हें ढक कर सचिन अंकल का इंतजार करती रही|
सचिन अंकल को नहाने में उतनी देर नहीं हुई| उन्होंने देखा कि मैं अपना लेडीस तौलिया लपेट कर टेबल लगा रही हूं और मैंने अपने बालों को फिर से जुड़े में बांध रखा है|
तौलिये से मेरी छाती से लेकर जांघों तक का हिस्सा ढका हुआ था|
वह मुस्कुराते हुए मेरे पास आए और मेरे कूल्हों पर अपनी सख्त हथेलियां फिरते हुए बोले, "मलाई, क्या तुम्हारे लिए इस तौलिये से अपने बदन को ढकना और अपने बालों को इस तरह से कसकर जुड़े में बांधना जरूरी है क्या? मैंने कहा ना, तुम नंगी और खुले बालों में बहुत सुंदर दिखती हो"
मैं शर्म से लाल हो कर मुस्कुराई और फिर मैंने कहा, "जी मेरे बदन और बाल गीले थे इसलिए... मैं बस आप ही का इंतजार कर रही थी मैं फ्रीज से बीयर और किचन से गिलास लेकर आती हूं..."
“हां, ठीक है लेकिन उससे पहले तुम अपना यह तौलिया हटाओ और अपने बालों को खोल दो...” सचिन अंकल सिर्फ एक चड्डी पहन कर बाथरूम से बाहर आए थे और मेरा ध्यान बार-बार उनकी ऊसन्धि के उभार पर जा कर टिक रहा था|
***
एक तो सुबह से मैंने कुछ नहीं खाया था और ऊपर से बीयर पीने के बाद मुझे थोड़ी ज्यादा ही भूख लग रही थी इसलिए ऐसा लगता है कि मैंने कुछ ज्यादा ही खा लिया था| लेकिन इस वजह से मुझे कोई तकलीफ नहीं हो रही थी बस परेशानी इस बात की थी कि पिज़्ज़ा खाते वक्त बीयर पीते पीते मुझे नशा होने लगा था| खाना खत्म होने के बाद, जब मैं टेबल से प्लेट उठाने के लिए खड़ी हुई है तब मैं थोड़ा डगमगा गई|
सचिन अंकल ने उठ कर आ कर जल्दी से मुझे संभाल लिया और बोले, "मलाई, तुम कमरे में जाकर लेट जाओ टेबल में साफ किए देता हूं..."
यह कहकर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा कर अपने कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लेटा दिया और फिर टेबल साफ करने चले गए|
हां, यह बात तो तय है कि मुझे नशा हो चुका था... मैं तो लेटे लेटे एक दिवास्वप्न में डूब सी रही थी| मैं सचिन अंकल के साथ बिताए हुए सारे हसीन लम्हों को याद कर रही थी... और मैंने महसूस किया कि मेरे पेट के निचले हिस्से में हल्की-हल्की गुदगुदी होने लगी है मानो कई सारी तितलियां अंदर अपने पंख फड़फड़ा हों... इतने में मुझे सचिन अंकल के कमरे में आने की आहट सुनाई थी... मेरी पलकें बहुत भारी लग रही थी, लेकिन फिर भी मैंने उन्हें हल्का खोल कर देखा कि सचिन अंकल अपनी चड्डी उतारते हुए मेरे नंगे बदन को ऊपर से नीचे तक निहार रहे थे...
उनका लिंग दोबारा कुतुबमीनार की तरह एकदम तन गया था और अब मुझे वह पल याद आया जब मैं अनजाने में ही उनके लिंग को अपने मुंह में डालकर चूस रही थी... इस लम्हे को याद करती ही मेरे पूरे बदन में मानो एक सनसनी सी दौड़ गई... और मारे शर्म के मैंने अपने दांतो तले अपनी जीभ दबा ली|
ऐसा करते वक्त मेरी जी मेरे मुंह से थोड़ा बाहर निकल आई थी और शायद सचिन अंकल को ऐसा लगा होगा कि मैं उन्हें अपनी जीभ चूसने का न्योता दे रही हूं... इसलिए वह सीधा कर मेरे नंगे बदन पर लेट गए और मेरी जीव को अपने मुंह में डालकर एकदम मदमस्त होकर चूसने लगे|
उनके वजन से दबकर मानो मेरे अंदर की आग और भड़क उठी... मैंने उन्हें कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपनी टांगों को फैला दी...
सचिन अंकल काफी देर तक मेरी जीभ चूसते रहें उसके बाद उन्होंने मेरे गालों को चाटना शुरू किया... फिर वह मेरे कान की लतियों को हल्के हल्के कुतरने लगे... मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था... मैंने कान में कमला मौसी की दी हुई सोने की बालियां पहन रखी थी, शायद इससे उन्हें थोड़ी परेशानी हो रही थी इसलिए उन्होंने मेरी एक कान से वह वाली उतार कर टेबल पर रख दी... मैं समझ गई थी इसलिए जल्दी-जल्दी मैंने अपने दूसरे कान की बाली भी उतार दी...
जब सचिन अंकल कमरे में आए थे तो मैंने गौर नहीं किया था क्योंकि हाथ में एक बीयर की बोतल भी थी इसे उन्होंने मेरे ऊपर लेटते वक्तबिस्तर के पास ही जमीन पर रख दिया था|
अब उन्होंने वह बोतल उठा ली और बीयर की चार पांच बूंदें उन्होंने मेरे गले के ऊपर डाली और उसे वह चाटने लगे| उनकी इस हरकत से मेरे पूरे बदन में मानो तूफानी लहरें उठ रही थी... और चूँकि मैं उनके भारी-भरकम शरीर के नीचे बिल्कुल दबी हुई थी इसलिए मैं ज्यादा हिलडुल भी नहीं पा रही थी... मेरे मुंह से सिर्फ 'ऊँह-- आअह' की आवाज नहीं निकल रही थी... लेकिन सचिन अंकल रुके नहीं वह मेरे बदन के बाकी हिस्सों में भी हल्का-हल्का बीयर की बोतल डालने लगे और उन्हें चाटने लगी है... जब वह मेरे स्तनों से ऐसे खेल रहे थे और जूस रहे थे... तब मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं मारे खुशी और मस्ती के मर ही ना जाऊं...
लेकिन सचिन अंकल अपना ही टाइम ले रहे थे... उन्होंने कोई जल्दबाजी नहीं थी... आखिरकार मुझसे रहा नहीं गया मैंने अपनी टूटी फूटी रुआंसी आवाज में, उनसे गिड़गिड़ा कर कहा, "सचिन अंकल... हम से रहा नहीं जा रहा... प्लीज... प्लीज... प्लीज... "
सचिन अंकल में मेरी आंखों में आंखें डाल कर एक ललचाए भरी नजर से मुझे देखा और फिर उन्होंने अपनी दो उंगलियां मेरे दो टांगों के बीच के हिस्से में यानी कि मेरे यौनांग में फेरीं और बोले, "हां अब तुम गीली हो चुकी हो"
यह कहकर उन्होंने अपने कुतुब मीनार को मेरी कोमल सुरंग में घूसेड़ दिया...
इस बार मैं चीख उठी, दर्द तो मुझे उतना नहीं हुआ था लेकिन मैं इतना मदहोश हो चुकी थी कि मेरे मुंह से चीख निकल गई...
सचिन अंकल ने मुझे एक आध मिनट का मौका दिया ताकि मैं थोड़ा संभल जाऊं…
और उसके बाद उन्होंने अपना समुद्र मंथन शुरू कर दिया...
क्रमशः
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zabardast update...
Ab pls malai ko thoda aur besharm banao.. sachin uncle ke dwara uske liye situation create karo jis se uski sharam bahar aaye. jaise ki: 1) pizza wale ke samne nude, 2) hinna lagane wala bulao ghar pe aur poori body pe nude ho kar hinna lagwao, 3) raat ko chhat pe nanga ghumao, 4) car mei shahar se bahar le jao, aur kisi river side pe nude bath karwao jahan 2-3 log use nanga dekhein, 5) ek male barber ko ghar bula lo, full body waxing ke liye, 6) isolated highway pe nude walk karwa do, 7) sunsan raste pe koi tea shop ho to waha use nude hokar saaman laane bhejo...
Idea kaise lage bataiyega?
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Wah. achchhi ja rhi he story.
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(24-08-2021, 03:46 PM)longindian_axe Wrote: zabardast update...
Ab pls malai ko thoda aur besharm banao.. sachin uncle ke dwara uske liye situation create karo jis se uski sharam bahar aaye. jaise ki: 1) pizza wale ke samne nude, 2) hinna lagane wala bulao ghar pe aur poori body pe nude ho kar hinna lagwao, 3) raat ko chhat pe nanga ghumao, 4) car mei shahar se bahar le jao, aur kisi river side pe nude bath karwao jahan 2-3 log use nanga dekhein, 5) ek male barber ko ghar bula lo, full body waxing ke liye, 6) isolated highway pe nude walk karwa do, 7) sunsan raste pe koi tea shop ho to waha use nude hokar saaman laane bhejo...
Idea kaise lage bataiyega?
longindian_axe जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद|
आपने बहुत ही रोचक सुझाव दिए हैं- मैं इन सुझावों को ध्यान में जरूर रखूंगी|
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(24-08-2021, 04:29 PM)Bhikhumumbai Wrote: Wah. achchhi ja rhi he story.
Bhikhumumbai जी आपको मेरी कहानी और मेरे दिए हुए अपडेट्स पसंद आ रहा है इस बात की मुझे बहुत खुशी है
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(24-08-2021, 05:12 PM)badmaster122 Wrote: Photos bhi add kijiye
badmaster122 जी,
फोटो सेट करने का सुझाव आपका बहुत अच्छा है| लेकिन मुश्किल की बात यह है कि कहानी की परिस्थिति के अनुसार फोटोस का मिलना बहुत मुश्किल हो जाता है
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मलाई- एक रखैल-12
शाम को जब मेरी नींद खुली तो सबसे पहले मेरी नजर घड़ी पड़ गई| मैंने देखा कि रात के करीब 9:45 बज रहे हैं| दोपहर को सचिन अंकल के साथ बैठकर मैंने जो बियर पी थी उसका नशा अभी भी चढ़ा हुआ था| कमला मौसी दुकान बंद करके घर आ गई थी|
वह और सचिन अंकल बाहर वाले कमरे में बैठकर हंस हंस के बातें कर रहे थे और टीवी भी चल रहा था| मैंने बाथरूम में जाकर वह हाथ मुंह और फिर कमरे में लगे बड़े शीशे के सामने बैठकर अपने बालों में कंघी की और फिर बदन पर नाइटी चढ़ाकर कमरे से बाहर निकल कर सचिन कलर कमला मौसी के साथ बाहर वाले कमरे में बैठी|
कमला मौसी ने बड़े प्यार से मुस्कुरा कर मुझसे पूछा, “उठ गई मेरी बच्ची?”
मैंने कहा, “हां”
फिर उन्होंने सचिन अंकल से पूछा, “सचिन भाई मेरी इस लड़की ने आपको कोई शिकायत का मौका तो नहीं दिया?”
सचिन अंकल बोले, “अरे नहीं नहीं नहीं यह तो बहुत ही प्यारी बच्ची है और मुझे बहुत अच्छी लगती है…”
“हा हा हा हा हा है इसीलिए मैं चाहती थी कि मेरी यह मलाई आपके साथ जोड़ी बनाए... लेकिन मलाई यह बता, तूने की नाइटी क्यों पहन रखी है...”
“जी ऐसे ही, मुझे शर्म आ रही थी...”
कमला मौसी बोली, “कोई बात नहीं कुछ देर बाद हम लोग रात का खाना खा लेंगे उसके बाद दोबारा तू कमरे में चली जाना… वहां जाकर के नाइटी उतार कर बिल्कुल नंगी हो जाना| जब तक सचिन अंकल घर पर है... मैं तुझे मैं तुझे कोई काम नहीं करने दूंगी बस तुझे सचिन अंकल के साथ ही रहना है बिल्कुल उनकी रखी हुई औरत बन कर और वह भी बिल्कुल पूरी तरह से नंगी रहकर”
मैंने सर झुका कर कहा, “जी अच्छा”
“लेकिन पहले जाकर नहा ले तेरे पूरे बदन से बीयर की बदबू आ रही है और हां, गर्म पानी से नहाना- मौसम ठीक नहीं है”
इतने में दरवाजे की घंटी बजी| कमला मौसी ने जाकर दरवाजा खोला और देखा कि ‘जोमैटो’ वाला खाना लेकर आया हुआ था| वह एक एक करके कमला मौसी को पैकेट पकड़ा रहा था और बार-बार उसकी निगाहें मुझ पर आकर ही टिक जाती... सारे पैकेटों को संभालने में कमला मौसी को थोड़ी दिक्कत आ रही थी इसलिए मैं उठ कर दरवाजे के पास गई और उनके हाथों से खाने के पैकेट लिए और मैं जानती थी कि मेरे हर कदम पर मेरे स्तनों का जोड़ा थिरक थिरक कर मानो मेरी जवानी और खूबसूरती का रस छलका रहा था... और जोमैटो वाला अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था|
और वह बेचारा भी क्या करें? हर रोज उसको तो ऐसे नजारे देखने को नहीं मिलते... मुझे सिर्फ खूबसूरती लड़की ने अपने काले घने रेशमी लंबे बाल खुले छोड़ रखे थे... मैंने बदन पर सिर्फ एक नाइटी चढ़ा रखी थी और अंदर कुछ नहीं पहना था जिसकी वजह से मेरी चूचियां नाइटी में साफ उभर आई थी... फिर उसकी नजरें सचिन अंकल पर पड़ी... शायद वह सोच रहा होगा 'क्या यह आदमी इस लड़की के मजे लूटता है? लेकिन यह लड़की तो एकदम जवान और कमसिन है; और बाकी दोनों आदमी औरत तो अधेड़ उम्र के हैं... न जाने चक्कर क्या है?'
नशा तो मुझे हल्का हल्का चढ़ा ही हुआ था... और यही बातें सोचते सोचते मैं थोड़ा मुस्कुरा दी और यह देखकर जोमैटो वाले ने सोचा शायद में जान गई हूं कि वह मुझे ताड़ रहा है| इसलिए थोड़ा झेंप गया|
उसके जाने के बाद मैं सीधा सचिन अंकल के कमरे से लगे बाथरूम में चली गई वहां जाकर के मैंने गीजर ऑन किया| इतने में कमला मौसी अंदर आए और उन्होंने कहा, "देख मलाई... तू बहुत ही खूबसूरत लड़की है- लेकिन फिलहाल तू मेरे सचिन भाई की अमानत है, इसलिए दूसरे मर्दों के सामने इस हालत में जाया मत कर"
मैंने कहा, "जी अच्छा"
"मेरी अच्छी बेटी- मेरी फूल सी बच्ची" कमला मौसी ने मुस्कुरा कर मेरे गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा, "अब जल्दी से नहा ले उसके बाद मैं तेरे बाल सुखा दूंगी और फिर थोड़ा सा नशा करके खाना-वाना खा लेना और उसके बाद मैं तो सोने चली जाऊंगी पर तुझे याद है ना? तुझे सचिन अंकल के बिस्तर में ही सोना है और वह भी बिल्कुल नंगी होकर के"
मैंने शर्मा कर अपनी नजरें झुका ली और मुस्कुराते हुए कहा, "जी हां, मुझे मालूम है"
“मेरी लाडली बच्ची... मैं तो यही चाहती हूं कि यह चंद दिन तो बाहर का ही अच्छा अच्छा खाना खाती रहे, तेरे मिजाज में हमेशा नशा चढ़ा रहे और हां तेरी जवानी का वह सूखा कुआं (यौनांग) मेरे सचिन भाई के गरम गरम माल (वीर्य) से हर वक्त बिल्कुल लबालब भरा रहे... मुश्किल से शायद तूने एक पूरा दिन सचिन अंकल के साथ बिताया था लेकिन तूने देखा भी है कि तेरा चेहरा कैसे खिला खिला सा लग रहा है तेरा कितना रूप निखर आया है? यह सब तेरे सचिन अंकल के दिए हुए प्यार का नतीजा है... मैंने तुमसे कहा था ना? मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा|
***
अगले 3 दिनों तक मेरी जिंदगी मानो एक तरह से बंधी- बंधाई ऐसी बनी रही|
मैं सुबह उठती, नहा धोकर साफ सुथरी हो जाती- और खासकर मैं अपने यौनांग को घिस- घिस कर धोती थी, क्योंकि मेरे शरीर का यह हिस्सा मुझे वह खुशियां दे रहा था जो आज तक मुझे नसीब नहीं हुआ था और मैं सचिन अंकल को शिकायत का कोई मौका नहीं देना चाहती थी- फिर कुछ देर तक मैं सचिन अंकल के साथ बैठकर टीवी देखती, बातें किया करती… सचिन अंकल यह जान गए थे कि जब मैं नशे में होती हूं तो मेरा स्वभाव बिल्कुल बदल जाता है... अपने शर्मो हया के सारे परदे हटा देती हूँ और उनके साथ कामलीला में पूरी तरह खुलकर और बेझिझक होकर शामिल हो जाती हूँ... इसलिए वह बियर, व्हिस्की या रम जो भी रहते मैं उनके साथ बैठकर पीती, नशा करती और फिर सारी दोपहर मैं उनके बिस्तर पर ही बिताती... शाम को जब मेरी नींद खुलती है तब भी मेरा रूटीन ऐसा ही हुआ करता था... और इतने दिनों कमला मौसी ने ही घर के सारे काम किए और दुकान भी संभाली...
उन्होंने पूरी तरह से मुझे सचिन अंकल के लिए छोड़ दिया था क्योंकि उन्हें मालूम था कि आज तक मुझे जो सुख अनिमेष नहीं दे पाया था वह सचिन आकर दे रहे थे क्योंकि ऐसे सब का स्वाद हो खुद भी थक चुकी थी... लोगों का कहना भी सही है कि एक औरत ही एक औरत के दिल के दर्द को समझ सकती है…
कॉलेज के बच्चों को भी गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियां मिल जाती हैं जिससे वह कुछ दिनों के लिए ही सही अपनी पढ़ाई के दबाव को भूल सकते हैं| कामकाजी मर्दों को भी अपने दफ्तर से छुट्टी लेने का मौका मिलता है ताकि वह भी अपने काम को भूल कर थोड़ा सुस्ताने का मौका ले सकें| लेकिन हम औरतों की जिंदगी में मनोज छुट्टी जैसी कोई चीज है ही नहीं| साल के 365 दिन हम औरतों को घर संसार संभालना पड़ता है और जब से मैंने कमला मौसी की दुकान संभालने का काम शुरू किया तब से तुम्हें दो दो घर संभाल रही हूं... पर अब; सचिन अंकल के आजाने के बाद मुझे अपनी मशगूल जिंदगी से फुर्सत में सांस लेने में और खुली हवा में जीने का एक बेहतरीन मौका मिल गया था|
और साथ ही सचिन अंकल इन दिनों सचिन अंकल के साथ मैंने अपनी कामुकता और नारीत्व की उन पहलुओं को अनुभव करके ताज्जुब होती गई जिनके बारे में मुझे कभी मालूम ही नहीं था और अगर सचिन अंकल ना होते तो शायद उनके बारे में मैं जान भी नहीं पाती....
क्रमशः
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bahut hi shandar story hai... maja aa raha hai.. keep it up.... waiting for next update
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