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19-08-2021, 06:44 AM
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मलाई- एक रखैल
अनुक्रमणिका
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मलाई- एक रखैल-1
वक्त कितनी जल्दी बीतता है इसका पता ही नहीं चलता| आज करीब 2 साल हो गए कि हम कमला मौसी के यहां किराए पर रह रहे हैं| कोलकाता शहर से थोड़ी ही दूर खरदाह टाउन है वहां पर मैं और मेरे पति अनिमेष ने इनके मकान का ऊपरी मंजिल किराए पर लिया था|
शुरू में तो अनिमेष दलाल के साथ आकर कमला मौसी से बात करके गए थे कि उन्हें मकान किराए पर लेना है और जिस दिन वह मेरे साथ इस मकान पर शिफ्ट हुए उसी दिन न जाने क्यों कमला मौसी ने हम दोनों को एक साथ देखा और उसके बाद उनकी भौंए सिकुड़ गईं|
इसका कारण मुझे 2 महीनों के अंदर ही पता चल गया, और गौर करने वाली बात यह है कि यह बात मुझे खुद कमला मौसी ने ही बताई थी| क्योंकि इन 2 महीनों के अंदर ही मुझे उनसे खुल्ले मिलने और उनके काफी करीब आने का एक बहुत बढ़िया मौका मिल गया था|
अब यह संयोग की बात है, कि हमारे कमला मौसी के मकान में शिफ्ट होने के कुछ ही हफ्तों बाद कमला मौसी बाथरूम में फिसल कर गिर गई; उनके हाथ में काफी चोट आई थी| मकान के किराए के अलावा उनकी आमदनी का सबसे बड़ा जरिया था उनके स्वर्गीय पति की दुकान| यह यह दुकान वैसे तो सामग्री की दुकान थी जहां पर धूप अगरबत्ती मोमबत्ती बताशा आदि इत्यादि मिला ही करते थे और इसके साथ आमदनी बढ़ाने के लिए कमला मौसी आजकल थोड़ा बहुत स्टेशनरी का सामान जैसे कि बच्चों की कॉपी किताबें पेंसिल पेन वगैरह यह सब भी रखने लगती थी| उस दुकान को अकेला संभाला करती थी| लेकिन हाथ में चोट की वजह से अब उन्हें एक सहारे की जरूरत पड़ने लगी|
तो मैं ही उनके घर का सारा काम भी किया कर दिया करती थी जैसे कि घर का झाड़ू पोछा खाना बनाना वगैरा-वगैरा यहां तक कि उनके बालों को कंघी करके संवार देना- कंघा-चोटी-जुड़ा करना और उनका हाथ बँटाने के लिए मैं उनकी दुकान पर भी जाकर बैठने लगी|
शायद इसीलिए प्यार से उन्होंने मेरा नाम ‘माला’ से बदलकर मलाई रख दिया| क्योंकि उनका कहना था वह तो मैं हूं करीब 25 साल की लेकिन दिखती 20 की ही हूं.... और मैं बिल्कुल मलाई मक्खन जैसी हूं; इसलिए मेरा नाम ‘माला’ की जगह ‘मलाई’ होना चाहिए था|
और उन्हीं दिनों मुझे पता चला कि उनकी भौंए सिकुड़ने का करण बिल्कुल साफ था| अनिमेष हाइपरथाइरॉयडिज़्म का रोगी था| इसलिए वह बहुत ही दुबला-पतला और कमजोर किस्म का इंसान था और उसके मुकाबले कमला मौसी तो क्या, दुनिया की नजरों में मैं एक पूरी तरह से खिली हुई भरपूर जवानी में भरी हुई एक फूल जैसी थी| मेरे बाल काली रेशमी थाने और करीब-करीब कूल्हों के नीचे तक लंबे थे| मेरे स्तन तने – तने, कसे कसे से और बड़े हैं और उनका साइज करीब-करीब 34dd है कमर 32 और कूल्हे 36 के है|
शायद इसीलिए कमला मौसी के मन में यह ख्याल है होगा शायद मेरी शादी अनिमेष से गलती से हो गई है| मेरी शादी तो किसी तंदुरुस्त और मर्दानगी से भरे आदमी के साथ होना चाहिए था|
अब क्या किया जा सकता है हमारी शादी अरेंज मैरिज थी और अनिमेष को हाइपोथाइरॉएडिज्म की बीमारी शादी से कुछ महीनों बाद ही शुरू हुई है| तब तक हमारी शादी के 8 महीने बीत चुके थे....
कमला मौसी की उम्र करीब करीब 45 से 50 साल की रही होगी लेकिन उम्र के हिसाब से वह काफी जवान और खूबसूरत भी दिखते थी| उनके भी कमर तक। लंबे बाल थे उनका फिगर भी बहुत अच्छा था और और उनका स्तन युगल भगवान की दया से बिल्कुल भरा पूरा ही था...
शुरू शुरू में मेरे पति अनिमेष को मेरा कमला मौसी की दुकान पर बैठना बिल्कुल पसंद नहीं था|
लेकिन किसी तरह से मैंने उन्हें राजी करवाया| मैंने कहा कि तुम तो शाम को घर से काम के लिए निकल जाते हो उसके बाद सारी रात तुम्हारी नाइट शिफ्ट रहती है| सुबह जब तुम घर आते हो तो बिल्कुल थके मांदे से आते हो और फिर सो जाते हो तुम अगर घर ही रहोगे तो मैं अकेली घर में क्या करूंगी इससे अच्छा मैं उनकी दुकान पर जाकर बैठूं; उनका थोड़ा हाथ बंटा दूँ.... दोपहर को घर आकर मैं तुमको खाना परोस दूंगी और उसके बाद थोड़ा सा सोने के बाद जब तुम शाम को ऑफिस चले जाओगे; तब मैं भी कमला मौसी की दुकान पर चली जाऊंगी.... वहां ज्यादा देर तो नहीं रहना, सिर्फ रात के 8:00 या 8:30 तक या फिर कभी कबार अगर देर वह भी गई तो ज्यादा से ज्यादा 9:00 बजे रात को…
अनिमेष पेशे से एक कंप्यूटर इंजीनियर है और वह कोलकाता की एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करता है लेकिन उसको काम का ज्यादा तजुर्बा नहीं था| अभी नई-नई नौकरी लगी थी| इसकी उनकी आमदनी भी उतनी ज्यादा नहीं थी... और काम के सिलसिले में पहले तो वह शुरू शुरू में सिर्फ 8 या 10 दिन के लिए हैदराबाद जाया करता था लेकिन अब ऑफिस के काम खत्म हो जैसे ज्यादा था इसलिए उसको आजकल करीब करीब 20 से 25 दिनों के लिए घर से बाहर रहना पड़ता है उनका कहना था की हैदराबाद जाने से उनको थोड़ी एक्स्ट्रा इनकम हो जाती है|
***
करीब करीब 2 साल होने को है जो मैं कमला मौसी की दुकान पर रोजाना बैठती हूं| लेकिन यहां कुछ ऐसी घटनाएं घटी जिसके बारे में मैंने अनिमेष आज तक नहीं बताया….
क्रमशः
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मलाई- एक रखैल-2
हमारे यहां दुकानों में सबसे ज्यादा बिक्री दशहरा के मौके पर ही होती है| कमला मौसी का कहना था कि मेरे आने से शायद दुकान में लक्ष्मी आ गई है और इसीलिए शायद पिछले साल दुकान की आमदनी में काफी इजाफा हुआ है|
दशहरा के दिनों हो कमला मौसी न जाने क्यों मुझसे कहा करती थी कि मैं सिर्फ साड़ी और ब्लाउज पहना करूँ और अपने बालों को खुला रखा करूँ|
साड़ी और ब्लाउज का पहनना तो मुझे समझ में आ गया कि यह पारंपरिक कपड़े हैं और दशहरा के दिन हो पारंपरिक कपड़े पहनने का रिवाज है इसमें कोई हर्ज नहीं है| लेकिन यह बात मुझे समझ में नहीं आई कि वह मेरे बालों को खुला क्यों रखवाला चाहती थी|
मैंने उनसे इसके बारे में पूछा भी था, लेकिन उन्होंने मुस्कुरा कर मेरे गालों को प्यार से सहला कर बोली, “एक टोने-टोटके की तरह है बस तू देखती जा... अब हमारी दुकान की बिक्री कितनी बढ़ जाएगी...”
और बड़े ही आश्चर्य की बात है उस दिन दुकान पर इतनी भीड़ हुई कितनी दूर है कितना अच्छा बिक्री बट्टा हुआ कि मैं पूरे दिन बहुत ही व्यस्त थी और दिन खत्म होते होते मैं थक कर चूर हो गई थी और पूरा बदन मानो ऐंठ रहा था|
कमला मौसी मेरे पास आए और और बोली, "देखा ना आज हमारी दुकान पर कितने ग्राहक आए हुए थे... सब ने कितना कुछ खरीद लिया..."
मैंने ताज्जुब भरी निगाहों से उनकी तरफ देखा और पूछी, "पर मौसी ऐसा कैसे हुआ?"
“मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी तो यकीन मान तेरा भला ही होगा तू ऐश करेगी… मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा|
और फिर फ्रिज में से एक बियर का कहना और एक टेबलेट निकाल कर उन्होंने मुझे दी|
“मैंने पूछा यह क्या है, मौसी?”
तो उन्होंने जवाब दिया, “बीयर… बीयर, तेरी थकान दूर कर देगा नींद अच्छी आएगी और यह टेबलेट बदन में जो ऐठन पैदा हो रही है; उसको दूर करेगा| आज तू ने काफी मेहनत की है अगले कई दिनों तक दुकान पर इसी तरह की भीड़ लगी रहेगी इसलिए तुझे और मुझे दोनों को काफी काम करना पड़ेगा यह देखना मैं भी यह टेबलेट ले रही हूं और बीयर भी पी रही हूं....”
“लेकिन अगर अनिमेष को पता चला तो?”
“उसे हर बातों बताने की क्या जरूरत है? वह तो वैसे भी हैदराबाद क्या हुआ है| दशहरे का त्यौहार खत्म होने के हफ्ते भर बाद ही लौटेगा... मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी मौसी, इधर? तेरा ख्याल तो मुझे ही रखना है ना?”
दशहरा खत्म होने के बाद यह रिवाज है कि बड़े छोटों को तोहफे दिया करते हैं| न जाने क्यों मेरे मन में भी इस बार उत्सुकता थी कि मैंने तो कमला मौसी की इतनी मदद की है; क्या वह मुझे कोई तोहफा नहीं देंगी? और इसी तोहफे ने मुझे और ज्यादा अचरज में डाल दिया...
विजयदशमी के एक दिन बाद कमला मौसी मेरे कमरे में आई| उनके हाथ में एक बड़ा सतवेला था और चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान खिली हुई थी|
रीति रिवाज के अनुसार मैंने उनके पैर छुए, उन्होंने भी मुझे गले से लगाया| लेकिन इस बार एक अजीब सी बात हुई, वैसे तो वह मुझ सिर्फ गानों को चूमा करती थी, लेकिन इस बार उन्होंने मेरे माथे और होठों को भी चूमा|
फिर वह अपने बड़े से पहले से ही एक-एक करके मेरे लिए कई सारे पैकेट निकलती गई|
उनमें से एक पैकेट को देख कर के मेरी आंखें फटी की फटी रह गई| क्योंकि उस पैकेट पर लिखा हुआ था टोपनदास एंड कंपनी... यानी कि शहर के सबसे बड़े गहनों के व्यापारी की कंपनी का नाम|
मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था.... और जल्दी ही धड़कने का कारण भी साफ हो गया, क्योंकि उस थैले में से एक गहनों का बक्सा निकला, जिसमें गहनों का सेट था|
एक सुंदर सा नेकलेस, एक जोड़ी मोटे-मोटे कंगन और दो बड़े-बड़े झुमके|
फिर उन्होंने दूसरा पैकेट निकाला| उस पैकेट पर लिखा हुआ था निर्मला गिफ्ट शॉप| उसमें से भी उन्होंने गहने ही निकाले... लेकिन वह इमिटेशन वाले गाने के नकली गहने थे... छोटे-छोटे ढेर सारे कानों के टॉप्स, 5-6 कई तरह के नेकलेस और तीन-चार फैंसी चूड़ियों का सेट|
उसके बाद उन्होंने एक और पैकेट निकाला, और वह पैकेट था सिमरन टेलर्स का उनका अगला पैकेट एक साड़ियों की दुकान का था और फिर उन्होंने एक और पैकेट निकाला जिस पर लिखा हुआ था अनादि दास...
अनादि दास वाले पैकेट में न जाने क्यों कमला मौसी ने मेरे लिए दो बहुत ही महंगी टी शर्ट और जींस लाई थी|
सिमरन टेलर्स के पैकेट में मेरे लिए कई तरह के ब्लाउज थे, और साड़ियों की कंपनी वाले पैकेट में मेरे लिए रंग बिरंगी साड़ियां रखी हुई थी|
मैं इतने सारे तो फिर देख कर फूली न समाई लेकिन मेरे को पसीना छूट रहा था| क्योंकि टोपनदास की दुकान से ली हुए गहने काफी महंगे थे और वजनी थे| यह कम से कम दो लाख से के कम नहीं होंगे...
इतने सारे तोहफे देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए... खुशी के आंसू और मैं रो पड़ी है और फिर मैंने सिसकते हुए कमला मौसी से पूछा, "मौसी जी इतने महंगे तोहफों की क्या जरूरत थी?"
कमला मौसी ने, मुझे सांत्वना देने के लिए अपनी बाहों में भर लिया और मैं उनसे लिपट कर सिसकने ने लगी और फिर उन्होंने अपना तकिया कलाम दोहराया, " जरूरत थी मेरी बच्ची जरूरत थी, तूने साल भर मेरी दुकान में काम किया पर मैंने तुझको कोई तनख्वाह नहीं दी...."
“लेकिन मौसी? मैंने आपका हाथ पैसों के लिए थोड़ी ना बंटाया?”
“मैं जानती हूं, तू मेरी दुकान में इसलिए बैठा करती है क्योंकि तुझे बहुत अकेलापन महसूस होता है... मुझे इस बात का इल्म है... तू सिर्फ अपना ध्यान बांटना चाहती है और बुरा ना मानना तू जैसी फूल सी बच्ची को एक अच्छे पति की जरूरत है जो कि तेरी कामवासना को भी पूरी कर सके और मैं यह अच्छी तरह जानती हूं कि तेरा पति चाहते हुए भी ऐसा नहीं कर सकता...”
अब मुझसे रहा नहीं गया| उन्होंने अब तक जो भी कहा था बिल्कुल सच था| मैं कमला मौसी से लिपटकर फूट-फूट कर रोने लगी|
कमला मौसी ने मुझे प्यार तो चलाते हुए कहा, " तू मेरी बच्ची है, तू मेरी जिम्मेदारी है, ऐसा मैं मानती हूं इसलिए तू चिंता मत कर... आजकल तो तेरा पति 15-15 या फिर 20-20 दिनों के लिए घर के बाहर ही रहता है... यह तो तेरे खेलने कूदने के दिन है तू क्या अपनी जवानी को ऐसे ही पड़े पड़े सूखने देगी.... यह मुझे मंजूर नहीं तू चिंता मत कर मैं हूं ना तेरी मौसी बस एक बात का ध्यान रखना, मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी"
क्रमशः
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मलाई- एक रखैल-3
दुनिया के हिसाब से अगर साल के 12 महीने हैं तो हमारे देश में साल के 12 महीनों में 30 त्यौहार है|
कमला मौसी ने जो मुझे ब्लाउज बना कर दिए थे| वह काफी कटे कटे और खुले हुए से थे| उन्हें पहनने से पीठ का पूरा हिस्सा लगभग खुला ही रहता था और सामने का कट भी काफी निकला था| सारे के सारे ब्लाउज इतने कटे खुले हुए थे कि मैं अगर ब्रा पहनती तो वह भी ऊपर से साफ साफ दिखता| मेरा ऐसे कपड़ों को पहनना अनिमेष को बिल्कुल भी पसंद नहीं है| वह तो मुझे जींस और टीशर्ट भी नहीं पहने देता|
लेकिन मौसी का दिया हुआ तोहफा मेरे लिए बहुत मायने रखता था| हम लोगों के बेडरूम के पलंग के नीचे मेरा एक बड़ा सा सूटकेस रखा हुआ है| मायके से आते वक्त, मैं इसमें अपना काफी सारा सामान लेकर आई थी| लेकिन इन दिनों यह लगभग खाली ही रहता था| इसलिए, मैंने मौसी के दिए हुए सारे तोहफे इसी में रखती है| और पलंग के नीचे इस सूटकेस को काफी अंदर तक धकेल दिया|
पूरा घर तो मैं संभालती थी| अनिमेष को तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती थी| अगर हम लोग सहवास भी करते वह भी महीने में एक या दो ही बार... लेकिन हर बार की तरह मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती थी|
कमला मौसी ने जो मुझे ब्लाउज बना कर दिए थे| वह काफी कटे कटे और खुले हुए से थे| उन्हें पहनने से पीठ का पूरा हिस्सा लगभग खुला ही रहता था और सामने का कट भी काफी निकला था| सारे के सारे ब्लाउज इतने कटे खुले हुए थे कि मैं अगर ब्रा पहनती तो वह भी ऊपर से साफ साफ दिखता| मेरा ऐसे कपड़ों को पहनना अनिमेष को बिल्कुल भी पसंद नहीं है| वह तो मुझे जींस और टीशर्ट भी नहीं पहने देता|
लेकिन मौसी का दिया हुआ तोहफा मेरे लिए बहुत मायने रखता था| हम लोगों के बेडरूम के पलंग के नीचे मेरा एक बड़ा सा सूटकेस रखा हुआ है| मायके से आते वक्त, मैं इसमें अपना काफी सारा सामान लेकर आई थी| लेकिन इन दिनों यह लगभग खाली ही रहता था| इसलिए, मैंन मौसी के दिए हुए सारे तोहफे इसी में रखी और पलंग के नीचे इस सूटकेस को काफी अंदर तक धकेल दिया|
पूरा घर तो मैं संभालती थी| अनिमेष को तो काम से फुर्सत ही नहीं मिलती थी| अगर हम लोग सहवास भी करते वह भी महीने में एक या दो ही बार... लेकिन हर बार की तरह मैं हमेशा प्यासी ही रह जाती थी|
खैर जो भी हो, जब अनिमेष घर पर होता था तब मैंने इस बात का बहुत ध्यान रखा कि अनिमेष कि सो जाने के बाद ही मैं बहुत सावधानी से अपना सूटकेस निकालूं और उसके बाद तीज त्यौहार कि कुछ दिन पहले और कुछ दिन बाद तक मैं वही कपड़े पहनूं जो कि मुझे कमला मौसी ने दिए थे|
और मान लो, कि जैसे किसी परी ने जादू की छड़ी घुमा दी….
हमारी दुकान की बिक्री दिन दूनी और रात चौगुनी बढ़ने लगी…
क्योंकि अब तो दुकान में ग्राहकों का तांता लगा ही रहेगा, खासकर तब जब कमला मौसी की दुकान में एक जवान लड़की कटे खुले ब्लाउज और एक महंगी साड़ी पहनकर खुले बालों में मौसी का हाथ बंटाया करती है और पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि मर्दों को छोड़कर कुछ औरतों को भी इस बात का गौर किया था कि मैं उन दिनों ब्रा नहीं पहना करती थी…
लेकिन मुझे आज तक कभी भी वह टीशर्ट और जींस पहनने का मौका नहीं मिला था... खैर ऐसा लगता है कि शायद कोई ऐसा है जो मेरी इच्छाओं को सुन रहा है और यह मौका मुझे जल्दी ही मिल गया
***
जुलाई का महीना खत्म होने वाला था और अगस्त का महीना शुरू, बरसात हफ्ते भर पहले ही दस्तक दे चुकी थी काफी बारिश हुआ कर रही थी कि इतने में कमला मौसी के फोन पर एक मैसेज आया|
कमला मौसी के स्वर्गवासी पति के दोस्त सचिन अंकल भारत आने वाले थे... और कमला मौसी ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह कोई होटल में ना रुक कर हमारे घर पर ही रुके|
आखिर वह दिन आ ही गया जब सचिन अंकल हमारे घर आने वाले थे... और हमेशा की तरह मेरे पतिदेव काम के सिलसिले में हैदराबाद के हुए थे|
सुबह-सुबह मैंने जल्दी-जल्दी घर के सारे काम निपटा लिए और उसके बाद नहाने को जाने लगी तब कमला मौसी ने मुझे एप्पल एलोवेरा शैंपू की बोतल पकड़ाई और बोली, "आज अपने बालों को अच्छी तरह से इस शैंपू से धो ले, मैंने तेरे लिए एक खास तरह का परफ्यूम भी मंगा रखा है... चल अब जल्दी से नहा ले, मैं तेरे लिए कपड़े निकाल कर दे रही हूं... तूने अपने कपड़े अपने उस बड़े वाले सूटकेस में ही रखे हैं ना?"
मैंने कहा, “हां..”
जब तक मैं नहा धोकर सिर्फ एक तौलिया लपेटकर अपने बालों को पूछती ही बाथरूम से बाहर आए तब तक मैंने देखा कि कमला मौसी ने मेरे लिए कपड़े निकाल कर रखे थे|
मुझे थोड़ा आश्चर्य से लगा क्योंकि उन्होंने मेरे लिए सिर्फ एक लाल रंग की स्लीवलेस टीशर्ट और जींस निकाली थी बगल में सिर्फ पैंटी रखी हुई थी...
मैंने कहा, “कमला मौसी क्या मैं यह पहन कर ही एयरपोर्ट जाऊंगी?”
उन्होंने कहा, “हां, आखिर सचिन अंकल अमेरिका में रहते हैं, तू अगर ऐसे कपड़े पहन कर जाएगी तो तुझे देखकर उन्हें अच्छा लगेगा...”
“लेकिन आपने तो ब्रा निकाली नहीं मैं कौन सा ब्रा पहनूं?”
“ब्रा पहनने की कोई जरूरत नहीं है”
“लेकिन मौसी अगर मैं ब्रा नहीं पहनूंगी तुम मेरे मम्मे हिलेंगे दुलेंगे और चूचियाँ भी उभर कर आ आएंगी…”
“तो क्या हुआ तेरे (मम्मे).. इतने बड़े-बड़े जो है... क्या साइज बताया था तूने अपना? हां, 34dd... वैसे भी तू 25 साल की है लेकिन लगती 20 की है इस उम्र में फैशन नहीं करेगी तो कब करेगी?” कमला मौसी थोड़ा मुस्कुराई,और फिर बोली, “ठीक है अगर तुझे इतनी शर्म आती है तो ऊपर से एक दुपट्टा ले लेना लेकिन सिर्फ सीना ढकने के लिए.... पर बाहें खुली रखना और हां बालों में चोटी करने की जरूरत नहीं है सिर्फ एक अच्छा सा जुड़ा बांध ले... अब जल्दी कर तैयार हो जा मैं तेरे लिए Uber बुला कर देती हूँ... मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”, यह कहकर कमला मौसी ने मुझे प्यार से चूमा”
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Wah mast Story. Lekin Thoda Deep me jana chahiyetha. Malai kamla mosi ki har bat kyu mane? pagar to vah deti nhi ha thode tohfe diye he. meriadltari story me choice yah rhti he ki stri adltri kare par us ke husband ko pta ho. ye bhi to bta skte ho ki husband ne chhut di he jis se milna he (chudna he) milo kyo ki vo hydrabad me vhi karta he.
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बहुत ही शानदार अपडेट। अब आप मलाई को स्वादिष्ट बनाइये। इसको और सेक्सी बनाइये इसकी शर्म को खत्म किजिये।
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(19-08-2021, 03:58 PM)Bhikhumumbai Wrote: Wah mast Story. Lekin Thoda Deep me jana chahiyetha. Malai kamla mosi ki har bat kyu mane? pagar to vah deti nhi ha thode tohfe diye he. meriadltari story me choice yah rhti he ki stri adltri kare par us ke husband ko pta ho. ye bhi to bta skte ho ki husband ne chhut di he jis se milna he (chudna he) milo kyo ki vo hydrabad me vhi karta he.
आप का दिया हुआ सुझाव बहुत अच्छा है| लेकिन इस कहानी का प्लॉट थोड़ा अलग है| आपने बिल्कुल सही कहा कमला मौसी मलाई को पगार नहीं देती लेकिन उसके लिए महंगे महंगे उपहार ला कर देती है...
मुझे उम्मीद है कि मेरी यह कहानी आपको जरूर पसंद आएगी- कृपया कहानी के साथ बने रहिएगा
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(20-08-2021, 12:32 AM)Pandit95 Wrote: बहुत ही शानदार अपडेट। अब आप मलाई को स्वादिष्ट बनाइये। इसको और सेक्सी बनाइये इसकी शर्म को खत्म किजिये।
मेरी कहानी को पढ़ कर उसे पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया| मेरी कोशिश यही रहेगी कि आपको इस कहानी का एक बढ़िया सा स्वाद मिले...
अगले अपडेट सर बहुत ही जल्द पोस्ट करने वाली हूँ|
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20-08-2021, 09:09 AM
(This post was last modified: 27-01-2024, 09:33 PM by naag.champa. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मलाई- एक रखैल-4
रास्ता बिल्कुल खाली ही था इसलिए मुझे एयरपोर्ट पहुंचने में देर नहीं हुई| कई सालों बाद ऐसे मैंने कपड़े पहने थे| इसलिए Uber से उतरने के बाद सबसे पहले मैंने अपनी एक सेल्फी खींची|
कमला मौसी ने मेरे व्हाट्सएप पर सचिन अंकल की तस्वीर भेज दी थी| इसलिए मुझे लग रहा था कि शायद उन्हें पहचानने में कोई तकलीफ नहीं होगी और एयरपोर्ट से बाहर आते हुए लोगों को मैं उत्सुकता भरी नजरों से देख रही थी| फिर मेरी निगाहें सामने से आते हुए एक आदमी पर पड़ी और अनजाने में ही मेरा दिल थोड़ा सा डोल उठा|
करीब करीब 6 फुट लंबे गठीले शरीर वाले एक अधेड़ उम्र का आदमी मेरी आंखों में आंखें डाल कर मुस्कुराता हुआ मेरी तरफ चला रहा था| अब तो मुझे पक्का यकीन हो गयाकि जरूर कमला मौसी ने मेरी तस्वीर भी सचिन अंकल को भी व्हाट्सएप पर भेज दी होंगी| अजीब सी बात है, कमला मौसी ने कहा था कि सचिन अंकल की उम्र करीब करीब 55 साल की होगी लेकिन इनको देख कर तो ऐसा लग रहा था कि इनकी उम्र 45 साल से ज्यादा की बिल्कुल नहीं है...
को एकदम लेडी किलर जैसा लुक था| ऐसे आदमी को देखकर किसी भी लड़की के मन में ज्वार आना लाजमी था|
उन्होंने पास आकर मुझे अपनी बाहों में भर लिया| उनकी ऐसी हरकत से मैं पहले तो थोड़ा चौक गई; क्योंकि हमारी भारतीय परंपरा के अनुसार हम लोग बड़ों के पैर छूकर का स्वागत करते हैं, लेकिन सचिन अंकल अमरीका में रहने वाले थे... शायद वहां के रीति रिवाज ऐसे ही होते होंगे| इसलिए मैंने सोचा अगर मैं थोड़ा हिचकिचाई या फिर मैं अगर मना करूँ तो शायद उन्हें बुरा लगेगा... इसलिए मैंने भी उनको अपनी बाहों में भर लिया| उनका बदन गठीला और सख्त था|
सचिन अंकल अपनी खुरदुरी मांसल हथेलियों से मेरी कोमल नंगी बाहों को सहलाते हुए मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और फिर कहा, "मलाई, तुम बिलकुल वैसी हो जैसी तस्वीर तुम्हारी कमला मौसी ने मुझे भेजी थी| जवानी से भरपूर और बला की खूबसूरत"
तब तक मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था न जाने क्यों अंदर एक अजीब सी उमंग महसूस हो रही थी| नतीजा यह हुआ कि जब हम लोग भी Uber में बैठे, तो मैंने जानबूझकर पर दुपट्टा उतारकर बगल में रख दिया और मैंने गौर किया कि सचिन अंकल मुझसे बिल्कुल चिपक कर बैठे हुए हैं| मैंने इस बात पर कोई एतराज नहीं किया उलटे मैं भी उनके से चिपक कर बैठी रही| एयरपोर्ट से निकलते वक्त हमें थोड़ा बहुत ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ा|
मैंने गौर किया कि सामने वाली गाड़ी में बैठा एक जोड़ा पिछली सीठ पर बैठे आपस में चुम्मा चाटी कर रहे हैं.... मेरे पेट के निचले हिस्से में गुदगुदी सी होने लगी और न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि अगर सचिन अंकल ने मुझे Uber के अंदर मुझे अपनी बाहों में भर कर चूमने की कोशिश की तो? मैंने सोचा अगर ऐसा हुआ तो मैं मना नहीं करूंगी…
***
खैर एयरपोर्ट से घर आते वक्त सचिन अंकल सिर्फ मुझसे बातें ही करते रहे| वह अमेरिका के कुछ किस्से सुना रहे थे| मुझे यह तो याद नहीं कि वह क्या बोल रहे थे, लेकिन मुझे इतना जरूर याद है कि वह जोक मारते गए और मैं हंसती गई...
यहां तक कि जब हम तो घर में घुस रहे थे, तब भी मैं हंस रही थी...
मैं थोड़ा सचेत तब हुई जब कमला मौसी ने भी मुस्कुरा कर कहा, “सचिन भाई आपका स्वागत है| लगता है आते ही आपने मेरी लड़की को पटा लिया है…”
सचिन अंकल ने हंसते हुए कमला मौसी को अपनी बाहों में ले लिया| कमला मोसे भी बिल्कुल आंखें मूंद कर मुस्कुराती हो उनसे लिपट गई... यह देखकर न जाने मुझे थोड़ी जलन सी होने लगी| क्योंकि तब तक ऐसा लग रहा था कि मैं सचिन अंकल को काफी दिनों से जानती हूं, आखिर न जाने इस आदमी में ऐसा कौन सा जादू था कि वह किसी को भी झट अपना बना ले सकता था|
लेकिन कमला मौसी और सचिन अंकल तो एक दूसरे को बहुत पहले से जानते थे...
हे भगवान! कहीं सचिन अंकल का ध्यान बट ना जाए...
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(19-08-2021, 03:58 PM)Bhikhumumbai Wrote: Wah mast Story. Lekin Thoda Deep me jana chahiyetha. Malai kamla mosi ki har bat kyu mane? pagar to vah deti nhi ha thode tohfe diye he. meriadltari story me choice yah rhti he ki stri adltri kare par us ke husband ko pta ho. ye bhi to bta skte ho ki husband ne chhut di he jis se milna he (chudna he) milo kyo ki vo hydrabad me vhi karta he.
आपका सवाल बिल्कुल जायज है, कि मलाई कमला मौसी की हर बात क्यों माने- वह इसलिए क्योंकि मलाई को कमला मौसी ने यकीन दिलाया था कि “मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”,
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21-08-2021, 02:13 AM
(This post was last modified: 21-08-2021, 02:15 AM by naag.champa. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मलाई- एक रखैल-5
उस दिन सोमवार था| यानी हमारे यहां मार्केट बंद थी| इसकी दुकान जाने की जरूरत नहीं| नीचे वाले कमरे में सचिन अंकल का सामान जमाने के बाद हम लोगों ने दोपहर का खाना खाया और बातों ही बातों में न जाने कब शाम हो गई|
हम लोग सिर्फ कुछ ही घंटे साथ रहे थे लेकिन इतनी देर में... मैं और सचिन अंकल बिल्कुल पुराने दोस्तों की तरह घुल मिल गए थे| मुझे ऐसा लग रहा था कि ऐसे खुशमिजाज और मजाकिया इंसान की मौजूदगी में पूरा माहौल जैसे रुमानी हो जाता है|
लेकिन मेरे सीने में एक दर्द भरा हुआ है... मेरे दिल में एक प्यास है... और मेरे मन में छुपी हुई एक गुप्त इच्छा है... उनकी मौजूदगी में मुझे अपने अंदर एक अजीब सा बदलाव महसूस होने लगा था... मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं सचिन अंकल के और करीब जाना चाहती हूं... और मेरे अंदर कि वह अदम्य इच्छा तब और बढ़ गई जब मुझे एहसास हुआ कि बीच-बीच में सचिन अंकल मुझे आंखों ही आंखों में निहार रहे थे| कमला मौसी ने मुझे कपड़े बदलने नहीं दिया था|
मैं वही स्लीवलेस टी-शर्ट और स्किन टाइट जींस पहन कर उन लोगों के साथ बैठी हुई थी और हां मैंने कोई दुपट्टा भी नहीं दे रखा था| मेरी चूचियां टी-शर्ट पर साफ़ उभर आई थी, जिन पर सचिन अंकल की नजरें बार-बार दिख रही थी और मजेदार बात यह है कि मुझे अच्छा ही लग रहा था... उनका इस तरह से मुझे निहारना... आंखों ही आंखों में मेरा फिगर नापना मुझे बिल्कुल बुरा नहीं लग रहा था... अंदर ही अंदर न जाने क्यों मुझे अजीब सी खुशी का अहसास हो रहा था... जिन पर सचिन अंकल की नजरें बार-बार दिख रही थी और मजेदार बात यह है कि मुझे अच्छा ही लग रहा था... क्योंकि मुझे लग रहा था कि सचिन अंकल मुझे मन ही मन सरहा रहे थे आखिरकार मैं समझ गई कि कि मेरे सामने बैठे मेरे बाप की उम्र के इस आदमी की आंखों में भी कुछ पाने की चाह है... और जो पाना चाहता है वह बिल्कुल उसके सामने ही है--- और वह हूं मैं|
मुझे अपनी जवानी और खूबसूरती पर घमंड होने लगा था... और अनजाने में ही मैं उनके सामने अपने घुटनों को फैला कर बैठी हुई थी...
***
इतने में अचानक सचिन अंकल ने अपनी घड़ी देखी और बोले, “अरे अभी तो सिर्फ शाम के 6:00 ही बज रहे हैं तुम्हारे यहां कोई अच्छा खासा मार्केट जरूर होगा…”
कमला मौसी ने कहा, “हां, है ना यहां से थोड़ी दूर न्यू मार्केट, भूल गए आप? आज न्यू मार्केट खुला हुआ है... आपको कुछ खरीदारी करनी है क्या?”
सचिन अंकल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, “हां…”
कमला मौसी भी अच्छे कपड़े पहन कर जैसे तैयार बैठी हुई थी, मुझे तो लग रहा था कि शायद वह सचिन अंकल के साथ चल पड़ेंगी; मुझे अकेला छोड़ कर, लेकिन मानो कमला मौसी ने मेरे मन की बात अपने मुंह से कह डाली| वह बोली, “कोई बात नहीं, मैं मलाई को आपके साथ भेज देती हूं... यूँ तो वह सारे दिन मेरी दुकान पर ही काम करती रहती है... आज थोड़ा सा आपके साथ घूम फिर लेगी, तो उसका भी दिल बहल जाएगा”
जल्दी ही कमला मौसी ने की Uber बुक कर दिया| न्यू मार्केट जाने के लिए जब हम लोग बाहर निकल रहे थे, तब मैंने गौर किया कि आसमान में काले बादल छा रहे हैं जल्दी ही बहुत जोरों की बारिश आने वाली है… कमला मौसी ने सचिन अंकल को एक छाता पकड़ा दिया… बाहर निकलने से पहले मैंने अपने बालों को खोल कर एक बार कंघी करने के बाद अच्छी तरह से एक बड़े से से जुड़े में बांध लिया था और अपना दुपट्टा जरूर ले लिया था और उससे अपना सीना जरूर ढक लिया था लेकिन जैसा कि कमला मौसी ने मुझे सुझाव दिया था वैसे ही मैंने दुपट्टे से अपनी बाहों को नहीं ढका|
न्यू मार्केट पहुंचकर मैं और सचिन अंकल घूम घूम कर बड़े-बड़े शोरूम्स और फुटपाथ पर लगे दुकानों को देख रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे... और अनजाने में ही हम दोनों का हाथ एक दूसरे के हाथ में था| सचिन अंकल ने मेरी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा रखी थी... मुझे इस बात का काफी देर बाद एहसास हुआ... लेकिन मुझे अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने अपना हाथ छुड़ाने की जरा भी कोशिश नहीं की|
मेरे लाख मना करने के बावजूद सचिन अंकल ने न्यू मार्केट से मेरे लिए काफी सारी चीजें खरीदी, कपड़े, एक नहीं बल्कि दो लेडीज़ लेडीज बैग्स, 2 जोड़ी जूते वगैरा-वगैरा... वह तो अच्छा हुआ कि तब तक रात के 8:00 बजने को हुए थे... आसमान में छाए बादल गरज रहे थे... अब बारिश आने वाली थी और दुकानें भी बंद होने लगी थी|
युवर वाले ने न जाने कहां अपनी गाड़ी पार्क कर रखी थी| सचिन अंकल ने जब उसे फोन लगाया तो उसने कहा कि उसे पार्किंग से निकलते निकलते 10 मिनट लग जाएंगे वहां काफी गाड़ियां पहले से लगी हुई थी|
ऐन वक्त पर बारिश शुरू हो गई| सचिन अंकल ने छाता खोला| पर छाता तो एक ही था इसलिए हम दोनों को एक ही छाते के नीचे बना लेनी थी... हम दोनों लगभग एक दूसरे से चिपक कर रास्ते से चल रहे थे| सचिन कर ले मेरे कंधे पर एक हाथ रख दिया| और बाकी खरीदा हुआ सामान वगैरा वह दूसरे कंधे पर लटका के चल रहे थे|
ऐसे ही कुछ कदम चलने के बाद हम लोगों ने सड़क पार की और फिर हम लोग एक बस स्टैंड के नीचे रुक कर एक दूसरे की आंखों में देखने लग गए| बस स्टैंड में उस वक्त कोई भी नहीं था, बारिश बहुत जोरों की हो रही थी| इतने में ना जाने कब सचिन अंकल का चेहरा धीरे-धीरे चुपके चुपके मेरे चेहरे के बिल्कुल बहुत पास आ गया... ऐसा करते वक्त न जाने कब सचिन अंकल का एक हाथ मेरे एक स्तन के ऊपर भी चला गया था... और न जाने कब अनजाने में ही शायद मैंने ही मैंने उनका वह हाथ दबा दिया था...
मुझे याद है जब सचिन अंकल ने मेरे होंठों को चूमा था तब जबरदस्त बिजली चमकी और एक धमाके की आवाज़ जैसे बादल गरज उठे... सचिन अंकल ने मुझे अपने और करीब खींच लिया था हम दोनों की छातियां, पेट हां तक निम्नांग भी आपस में बिल्कुल सट गए थे... उनके आगोश में मेरे स्तनों का जोड़ा उनके सख्त सीने से दब कर मेरे पूरे बदन में एक सनसनी सी फैल रही थी… सचिन अंकल की बलवान भुजाओं में उनके आगोश में मैं सिमटती हुई उनके पुरुषत्व के कठोर स्पर्श अपने कोमल अंग पर साफ महसूस किया...
बिजली तो आसमान में कड़की थी पर शायद उस की लहर मेरे पूरे बदन में दौड़ गई|
तब तक Uber वाला हमारे सामने आ चुका था|
क्रमशः
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Ye malai uncle kb or kaise khayenge ye jaane k liye ab wait nhi hota
Bohat achi story hai ma'am
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(21-08-2021, 07:25 AM)Vihaan Wrote: Ye malai uncle kb or kaise khayenge ye jaane k liye ab wait nhi hota
Bohat achi story hai ma'am
आपको मेरी कहानी पढ़कर पसंद है मैं यह जानकर बहुत खुश हुई| मुझे उम्मीद है कि अगले अपडेट्स भी आपको पसंद आएंगे| बहुत जल्द नए अपडेट पोस्ट कर रही हूं- पढ़कर जरूर बताइएगा कि आपको कैसी लगी-
अगर आप अपने दोस्तों को भी मेरी यह कहानी पढ़ने के लिए कहेंगे तो मुझे बड़ी खुशी होगी|
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मलाई- एक रखैल-6
छतरी तो एक ही थी और बारिश बहुत तेज हो रही थी| इसलिए हम लोग थोड़ा बहुत भी गए थे| जब हम घर पहुंचे तब तक कमला मौसी ने हम लोगों के लिए चाय बना कर रखी थी और उन्होंने अपने कमरे में मेरे लिए कपड़े भी निकाल कर रखे थे|
हम लोगों के आते ही उन्होंने कहा, "अरि मलाई, तू और सचिन भाई तो एकदम भी गए हैं एक काम कर तू अंदर वाले बाथरूम में नहा ले वहां गर्म पानी क गीजर लगा हुआ है"
मैंने थोड़ा हिचकते हुए कहा, “लेकिन अंदर वाले कमरे में तो सचिन अंकल ठहरे हुए हैं...”
“तो क्या हुआ उस बाथरूम में गीजर तो लगा हुआ है ना? गरम पानी आता है| जा; जा कर नहा ले और यह देख मैंने तेरे लिए कपड़े भी निकाल कर रखे हैं...”
मैंने दोबारा गौर किया इस बार भी कमला मौसी ने मेरे लिए जो कपड़े निकाले थे वह सिर्फ एक नाइटी थी और एक पैंटी… न जाने क्यों वह यह चाहती थी कि सचिन अंकल की मौजूदगी में मैं ब्रा ना पहनू… अगर मैं ब्रा नहीं पहनूंगी तो मेरे स्तनों का जोड़ा मेरी हर हरकत पर हिलेगा डूलेगा... और मुझे मालूम है सचिन अंकल की मरदानी नजर मेरे स्तनों पर जरूर पडेंगी... क्या कमला मौसी को इस बात का एहसास नहीं? हां, उन्हें पता तो जरूर है- लेकिन वह जानबूझकर मेरे को ब्रा नहीं पहनने देना चाहती... शायद वह चाहती हैं कि मैं ऐसे ही उनके सचिन भाई को लुभायुं|
मैं उनसे इशारों इशारों में पूछने ही वाली थी कि मेरी ब्रा कहां है? लेकिन न्यू मार्केट का वाकया मुझे याद आया, कि कितने कामुक तरीके से सचिन अंकल ने मेरे होठों को चुमा था... हम लोग तन और मन से कितने करीब आ गए थे उस करीबी की गर्मी अभी भी मेरे अंदर बाकी थी... इसलिए मैं चुपचाप सर झुका कर अंदर वाले कमरे में (जहां सचिन आकर ठहरे हुए थे) लगे हुए बाथरूम की तरफ जाने लगी है इतने में सचिन अंकल ने कहा, "एक बात कहूं कमला, तुम्हारी यह लड़की मलाई बहुत खूबसूरत है... लेकिन मैं जब से यहां आया हुआ हूं, मैं देख रहा हूं कि इसने अपने बालों को बड़े सुंदर तरीके से जुड़े में बांध रखा है... और उसका जुड़ा भी इतना भरा पूरा सा- इतना बड़ा है, अगर बुरा ना मानो तो क्या तुम इससे कहोगी, अपने बाल खोलकर मुझे दिखाएं?"
“हां हां, क्यों नहीं?” कमला मौसी बिल्कुल गदरा कर मुस्कुराई और उन्होंने मेरे अध गीले बालों का जुड़ा खोलकर, मेरे बालों को मेरे पीठ पर फैला दिया... सचिन अंकल सोफे पर बैठे हुए थे वह उठकर कर मेरे करीब आए और मेरे बालों को दो-चार बार सहलाया, और फिर वह बोले, “अरे वाह तुम्हारी यह लड़की मलाई तो खुले बालों में और भी ज्यादा खूबसूरत लगती है| मैं एक बात कहूं इससे कहो कि अपने बाल खुले ही रखा करें बहुत खूबसूरत दिखती है खुले बालों में...”
पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि अगर कमला मौसी वहां नहीं होती तो शायद वह मुझे दोबारा अपनी बाहों में भर कर चूम लेते…
मैं चंद सेकंड वहां खड़ी रही और उसके बाद तेज़ कदमों से चलती हुई बाथरूम में घुस गई और दरवाजा बंद कर दिया|
वहां मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और दीवार पर लगे आईने पर अपनी नंगी छवि देखी... कमला मौसी का कहना बिल्कुल ठीक था... उनकी बातें मेरे कानों में गूंजने लगी, 'यह तो तेरे खेलने कूदने के दिन है तू क्या अपनी जवानी को ऐसे ही पड़े पड़े सूखने देगी?'
मैंने शावर चला दिया और दीवार से टिक कर गीज़र के गुनगुने पानी में अपना सारा बदन भगोने लगी…
बारिश होने बंद होने का नाम ही नहीं रही थी... शुक्र है कि केबल टीवी चल रहा था... रात का खाना हम लोगों ने चुपचाप ही खाया... लेकिन मेरे मन के समंदर में मानो कोई चक्रवाती तूफान आया हुआ था... इसलिए मैं चुपचाप ही थी... लेकिन कमला मौसी ने खामोशी को जाहिर नहीं होने दिया... वह सचिन अंकल से बातें करती रही है वह दोनों हंसते रहे और जब भी मैं उन दोनों को एक दूसरे की तरफ देखते हुए हंसता हुआ देखती है न जाने क्यों मेरे अंदर एक अजीब सी जलन से पैदा हो रही थी|
खैर, खाना खाने के बाद मैं ऊपर के कमरे में सोने चली गई... लेकिन नींद मानो मेरी आंखों से कोसों दूर थी... लेटे लेटे मैंने अपने मोबाइल फोन पर मैंने 10- 10 15- 15 मिनट की 2-3 ब्लू फिल्में देख डाली...
फिल्मों को देखते देखते मेरे अंदर काफी गर्मी छा गई थी... खुली खिड़की से आते हुए ठंडी हवाओं के भीगे भीगे के झोंके जैसे मेरे बदन में आग लगा रहे थे... कल सुबह जल्दी उठकर कमला मौसी के साथ मिलकर घर के सारे काम निपटाने हैं उसके बाद दुकान में भी जाना है| अगर मैं और कमला मौसी दोनों के दोनों दुकान में चले गए तो घर में अकेले सचिन अंकल क्या करेंगे? अगर सुबह जल्दी उठना है तो मुझे अब तक सो जाना चाहिए था...
मैं सिर्फ एक पतली सी फ्रंट ओपन स्लीवलैस नाइटी और चड्डी पहन कर ही बिस्तर पर लेटी हुई थी... कमर के निचले हिस्से से मैंने कपड़े हटाए और अपनी चड्डी नीचे सरका कर अपने यौनांग में उंगली करने लगी.... मुझे बार-बार न्यू मार्केट के बस स्टैंड मैं बिताए हुए वह लम्हे याद आ रहे थे जब जाने अनजाने में ही सचिन अंकल ने मुझे इतना कामुक तरीके से चूमा था... हम लोग एक दूसरे के इतना करीब आ गए थे कि हमारे शरीर के निचले हिस्से भी एक दूसरे के साथ छू रहे थे... मेरा मन एक अनजाने से भंवर में फस चुका था और ना जाने मैं कहां समा जा रही थी... सचिन अंकल तो नीचे वाले कमरे नहीं सो रहे हैं... या फिर वह जगे हुए हैं? क्या वह भी यही सब सोच रहे हैं जो मैं सोच रही हूं? जब हम लोग इतना करीब आ गए थे. तो मैंने उनकी आंखों में झांक कर देखा था... उनके नीले नीले आंखों की गहराई होंगे न जाने क्यों मुझे लगा उनके अंदर भी एक आग सी भड़क है... और वह आग है मुझे पाने की इच्छा... लेकिन मैंने सोचा क्या यह ठीक है? अगर इस वक्त मैं सिर्फ उनको देखने के लिए ही सही, अगर उनके कमरे में गई? और उन्हें पता चल गया, तो वह क्या सोचेंगे? या फिर अगर उन्होंने मुझे अपने पास बुला लिया तो? मैं तो एक शादीशुदा औरत हूं... आज अगर मेरी और सचिन अंकल के बीच कुछ होता है, तो शायद किसी को कानों कान खबर भी नहीं होगी... अभी कमला मौसी तब तक सो चुकी होंगी, और घर में भी फिलहाल कोई नहीं है... लेकिन क्या यह ठीक है?
फिर अचानक बिजली कड़की... और कुछ देर के लिए चारों तरफ एकदम सन्नाटा सा छा गया, मार दो सारा माहौल भी मेरे फैसले का इंतजार कर रहा हो... और मुझसे रहा नहीं जा रहा था...
मैंने अपनी चड्डी ऊपर चढ़ाई और झटके के साथ अपने बिस्तर पर उठ कर बैठ गई... और मन ही मन यह तय कर लिया आर होगा या पार यह कहकर मैंने उठ कर जब अपनी बेडरूम का दरवाजा खोला तो सामने खड़ी शख्स को देखकर मैं बिल्कुल भौं-चक्की रह गई|
मैंने देखा कि कमला मौसी सिर्फ एक नाइटी पहने हुए दरवाजे के बाहर दीवार से अपना कंधा टेक कर खड़ी है और मेरी तरफ एक शरारत भरी मुस्कान लिए देख रही है...
मैंने हकलाते हुए उनसे पूछा "क-क-क- कमला मौसी आप कब से यहां खड़ी हैं?"
कमला मौसी ने अपनी बाँछों को खिला कर कहा, “पिछले 5 मिनट से… न जाने क्यों मुझे ऐसा लगा कि मैं एक बार तुझे देख कर आऊं कि तुझे ठीक से नींद आ रही है कि नहीं, यूं तो जब अनिमेष घर पर नहीं होता तो नीचे मेरे साथ आकर सोती है... लेकिन आज तो तू सीधे अपने बेडरूम में चली गई... इसलिए मैंने सोचा कि एक बार देख कर आऊं… बस मैं कमरे के बाहर ही खड़ी थी तो मुझे तेरी आहों की आवाज सुनाई दी… क्या सोच रही है? जा कहां रही थी?”
मुझे काटो तो खून नहीं, मैंने इधर उधर देखते हुए कहा, “जी कहीं नहीं… बस यूं ही...”
लेकिन कमला मौसी पूरा माजरा समझ गई थी उन्होंने मुस्कुरा कर प्यार से मेरे गालों पर हाथ फेर कर मेरा माथा चूमा और फिर बोली, “जा, चली जा… तेरे सचिन अंकल सोते वक्त अपना दरवाजा लॉक नहीं करते… किसी को कानों कान खबर भी नहीं होगी… जा मेरी बच्ची चली जा… मैं सब जानती हूं मैं सब समझ सकती हूं यह मत भूल कि मैं भी कभी तेरी की उम्र की थी... पेट की आग और बदन की आग में ज्यादा फर्क नहीं होता... जा मेरी बच्ची चली जा सचिन भाई के पास”
मैं फटी फटी आंखों से कमला मौसी की ओर देख रही… मैं तो सचमुच सचिन अंकल के कमरे में ही जाने की ठान कर बिस्तर से उठ कर बैठी थी और कमरे से बाहर निकल कर उन्हीं के पास जा रही थी क्योंकि मुझसे और रहा नहीं जा रहा था… और ऐन वक्त पर कमला मौसी ने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया था... अब किसी भी तरह की कोई भी दलील देने का कोई फायदा नहीं|
इसलिए मैं सर झुका कर सचिन अंकल के कमरे की तरफ जाने के लिए सीढ़ियों से उतरने ही वाली थी की कमला मौसी ने मेरा हाथ पकड़ा और फिर मेरे कुल्हों पर हाथ फेरा, और फिर वह बोली, “अरि यह क्या? तूने पैंटी क्यों पहन रखी है? उतार दे इसको… अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी तेरे को… चल पैंटी उतर के जा… उनके कमरे में जाकर अपनी अपनी नाइटी उतार देना और अपने बालों को खोल देना... याद है ना? उन्होंने कहा था कि तू खुले बालों में खूबसूरत लगती है... और ऐसी हालत है वह तुझे नंगी देखेंगे तो जरूर उनका दिल आ जाएगा... और मेरा यकीन मान तेरे सचिन अंकल तेरे को पूरी तरह से रिलैक्स और खुश कर देंगे... मैं जैसा कहती हूं अगर तू वैसा ही करेगी... मेरी अगर बात मानकर चलेगी, तो यकीन मान तेरा भला ही होगा… तू ऐश करेगी… मैं हूं ना तेरी कमला मौसी”
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Ma'am awesome update.. Padh kr ab agle update ka wait krna bohat mushkil hota ja rha hai.. Aisa jese puri movie dekhi bs climax reh gya can't wait for another awesome update..
Ma'am bs ek request hai aap apni baki stories ki trah ise short na rak kr thodi long story bnao bohat acha lagega Or ache updates padhne ko milenge
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21-08-2021, 01:59 PM
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(21-08-2021, 12:56 PM)Vihaan Wrote: Ma'am awesome update.. Padh kr ab agle update ka wait krna bohat mushkil hota ja rha hai.. Aisa jese puri movie dekhi bs climax reh gya can't wait for another awesome update..
Ma'am bs ek request hai aap apni baki stories ki trah ise short na rak kr thodi long story bnao bohat acha lagega Or ache updates padhne ko milenge
Vihaan जी,
मुझे यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि आपने मेरी दूसरी कहानियां भी पढ़ी है| और मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी यह कहानी पढ़कर भी अच्छा लगेगा|
मेरी ज्यादातर कहानियां सत्य घटनाओं पर आधारित होती है, बातों ही बातों में कहीं से कुछ सुने हुए किस्से या फिर बस या ट्रेन में सफर करते वक्त दूसरों की बातें सुनकर मुझे थोड़ी बहुत कल्पना कर लेती हूँ और फिर उनको कहानियों का रूप देने की कोशिश करती हूं|
यकीन मानिए कभी कबार कहानियां लिखने के लिए वक्त निकालना बहुत ही मुश्किल हो जाता है| लेकिन मेरी कोशिश यही रहती है- कि मेरी कहानियां दूसरों से कुछ अलग हो और जिन्हें पढ़कर पाठकों का मनोरंजन भी होता रहे|
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(21-08-2021, 01:59 PM)Pandit95 Wrote: जबरजस्त अपडेट
इस रात को मलाई के लिये एक यादगार रात बना दिजिये। अगली सुबह उसके जीवन को ही बदल कर रख दे।अब दुकान पर उसको अच्छे से तैयार कराकर और घाघरा-चोली टाइप के कपड़े में जो एकदम सेक्सी लगे।
पंडित जी,
मेरा दिया हुआ अपडेट पढ़कर आपको अच्छा लगा यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई| आपका अंदाजा बिल्कुल सही है, यह रात मलाई की जिंदगी जरूर बदल कर रख देगी|
लेकिन आप ही सोचिए अगर मलाई और मौसी जी दोनों दुकान पर चली गई तो सचिन अंकल अकेले अकेले घर में क्या करेंगे? ?
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Nag Champaji Story jam rhi he. malai uncle ke roomme ja rhi he to Atlist Fleshbek me hi yah Dikh do ki malai ke Husband ki tarf se us ko puri AAzadi he ki vo apni malai kisi se Bhi chtva le Such mano bda mja Aayega. Ek aur suzav he. Sachin Uncle ab tak to sant he par Vo malai ko Dominent kre. Adeltary story me koi bhi aurat Rakhel tab bnti he jab Uska partnar use Dominent kre. baki Ekad bar ka sambhog Koi bhi kar le to aurat rakhel nhi banti. AAge AAp ki Story he AAp ki marji.
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wow. sahi ekdum.. malai ko dheere dheere poora besharm bana do bhai.... use ek ek karke alag alag logon ke samne nanga karo, sharm nikalo, maza aaega..
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