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आज तो पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से उनके चूतड़ों में डाल ही दूंगा…
यही सोचते हुए मैं अंदर घुसा… बाहर कोई नहीं था… इसका मतलब भाभी अंदर वाले कमरे में ही थी…
और मैंने चुपके से अंदर वाले कमरे में झाँका…
अह्हा…
भाभी ना दोनों कमरों में थी और ना बाथरूम में…
मैंने सब जगह देख लिया था… मैं बाहर वाले कमरे के साइड में देखा वहाँ उनकी रसोई है… हो सकता है वो वहाँ हों…
और मुझे भाभी जी दिख गई… सफ़ेद टाइट पजामी और शार्ट ब्लैक कुर्ती पहने वो रसोई में काम कर रही थीं..
कुर्ती उनके चूतड़ों के आधे भाग पर टिकी थी… भाभी के चूतड़ इतने विशाल और ऊपर को उठे हुए थे कि कुर्ती के बावजूद पूरे दिख रहे थे…
भाभी की सफ़ेद पजामी उनके जाँघों और चूतड़ पर पूरी तरह से कसी हुई थी…
कुल मिलाकर भाभी बम लग रही थी…
मैंने अपना बैग वहीं कमरे में रखा और पीछे से भाभी के पास पहुँच गया…
मैं अभी कुछ करने की सोच ही रहा था मैंने देखा कि नलिनी भाभी आटा गूंध रही थी, उन्होंने शायद मुझे नहीं देखा था और ना ही पहचाना था…
पर शायद उनको एहसास हो गया था कि कोई है… और वो उनके पति अरविन्द अंकल ही हो सकते हैं…
वो बिना पीछे घूमे बोली- अरे सुनो… जरा मेरी पीठ में खुजली हो रही है…जरा खुजा दो…
वो एक हाथ से बालों को सही करते हुए सीधे हाथ से आटा गूंधने में मग्न थीं…
मैंने भी कुछ और ना सोचते हुए उनके मस्त बदन को छूने का मौका जाया नहीं किया…
रात मधु के साथ मस्ती करने के बाद मेरा अब सारा डर पहले ही ख़त्म हो गया था…
भाभी को अगर बुरा लगा भी तो क्या होगा… ज्यादा से ज्यादा वो सलोनी से ही कहेंगी…
और मुझे पक्का यकीन था कि वो सब कुछ आराम से संभाल लेगी…
मैंने भाभी की टाइट कुर्ती को उठाकर अपना हाथ अंदर को सरका दिया…
वो सीधी हो खड़ी हो गई तो कुर्ती आराम से उनके पेट तक ऊपर हो गई मगर और ज्यादा ऊपर नहीं हुई, वो उनके वक्ष-उभारों पर अटक गई…
नलिनी भाभी की सफ़ेद, बाल रहित चिकनी पीठ आधी नंगी मेरे सामने थी…
मैं हाथ से सहलाने लगा…
नलिनी भाभी- अरे नाखून से खुजाओ न… पसीने से पूरी पीठ में खुजली हो रही है…
मन में सोचा कि बोल दूँ कि कुर्ती उतार दो… आराम से खुजा देता हूँ…
पर मेरी आवाज वो पहचान जाती… इसलिए चुप रहा…
मैंने हाथ कुर्ती के अंदर तक घुसा कर ऊपर उनकी गर्दन और कंधों तक ले गया…
अंदर कोई वस्त्र नहीं था…
वाह… नलिनी भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी… उनके मम्मे नंगे ही होंगे…
मन ने कहा कि अगर जरा से जोर लगाकर कुर्ती ऊपर को सरकाऊ तो आज फ़िर मम्मे नंगें दिख जायेंगे…
तभी मेरी नजर खुजाते हुए ही नीचे की ओर गई…
सफेद टाइट पजामी इलास्टिक वाली थी, पजामी उनके चूतड़ के ऊपरी भाग तक ही थी… उनके चूतड़ के दोनों भाग का ऊपरी गड्डा जहाँ से चूतड़ों की दरार शुरू होती है, पजामी से बाहर नंगा था और बहुत सेक्सी लग रहा था…
मैं जरा पीछे खिसका और पूरे चूतड़ों का अवलोकन किया…
टाइट पजामी में कहीं भी मुझे पैंटी लाइन या कच्छी का कोई निशान नहीं दिखा…
इसका मतलब नलिनी भाभी ने कच्छी भी नहीं पहनी थी…
बस मेरा लण्ड उनके चूतड़ के आकार को देखते ही खड़ा हो गया…
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इसका मतलब नलिनी भाभी ने कच्छी भी नहीं पहनी थी…
बस मेरा लण्ड उनके चूतड़ के आकार को देखते ही खड़ा हो गया…
और मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई… कि मैंने पीठ के निचले भाग को सहलाते हुए अपनी उँगलियाँ उनकी पजामी में घुसा दी…
नलिनी भाभी के नर्म गोश्त का एहसास होते ही लण्ड बगावत करने को तैयार हो गया…
यह मेरे लिए अच्छा ही था कि भाभी ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा… और भाभी भी लगता था कि हमेशा मूड में ही रहती थी…
उन्होंने एक बार भी नहीं रोका बल्कि बात भी ऐसी करी जो हमेशा से मैं चाहता था…
नलिनी भाभी- ओह, आपसे तो एक काम बोलो…आप अपना मौका ढूंढ लेते हो… क्या हुआ?? बड़ी जल्दी आ गए आज सलोनी के यहाँ से…? हा… हा… क्या आज कुछ देखने को नहीं मिला… या अंकुर अभी घर पर ही था?
ओह इसका मतलब नलिनी भाभी सब जानती हैं कि अरविन्द अंकल मेरे यहाँ क्यों जाते हैं और वो वहाँ क्या करते हैं…
मैंने कुछ ना बोलते हुए अपना हाथ कसकर पूरा पजामी के अंदर घुसा दिया और भाभी के एक चूतड़ को अपनी मुट्ठी में लेकर कसके दबा दिया…
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्ह्हाआआआआ…
मेरे सीधे हाथ की छोटी उंगली चूतड़ के गैप में अंदर को घुस गई और मुझे उनकी चूत के गीलेपन का भी पता चल गया…
मैंने छोटी उंगली को उनकी चूत के ऊपर कुरेदते हुए हिलाया तो भाभी ने कसकर अपने चूतड़ों को हिलाया…
नलिनी भाभी- ओह क्या करने लगे सुबह सुबह… फिर पूरा दिन बेकार हो जायेगा… क्या फिर सलोनी को नंगा देख आये… जो हरकतें शुरू कर दी…?
बस मैंने जोश में आकर अपने बाएं हाथ से उनकी पजामी की इलास्टिक को नीचे सरकाया और पजामी दोनों हाथ से पकड़ उनके चूतड़ों से नीचे सरका दिया।
उन्होंने अपनी कमर को हिला बहुत हल्का सा विरोध किया पर उनके हाथ आटे से सने थे इसलिए अपने हाथ नहीं लगाये… पर कमर हिलाने से आसानी से उनकी पजामी चूतड़ से नीचे उतर गई…
अब उनके सबसे सेक्सी चूतड़ मेरे सामने नंगे थे… दोनों चूतड़ एक तो सफ़ेद-गुलाबी रंगत लिए… गोल आकार लिए हुए… एक दूजे से चिपके…मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे…
मैंने एक हल्की से चपत लगा दोनों को हिलाया और दोनों हाथों से दोनों चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में भर लिया…
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तभी…
नलिनी भाभी- अरईए… आररर्र… ए… अंकुर… आअप पप इइइइइइइ…
जिसका सपना काफी समय से देख रहा था आज वो पूरा होता नजर आ रहा था…
ये सब गदराये अंग मैंने कुछ समय पहले भी नंगे देखे थे… मगर कुछ दूरी से देखा… वो भी कुछ पल के लिए…
तो कुछ ठीक से दिखाई नहीं दिया था पर इस समय सभी मेरी आँखों के सामने नंगे थे… बल्कि मेरे हाथो के नीचे थे… मैं इन सबको छू रहा था मसल रहा था…
मैं अपनी किस्मत पर नाज कर रहा था कि कल रात एक कुंवारी कली पूरी नंगी मेरे बाहों में थी और आज एक अनुभवी सेक्सी हुस्न से मैं खेल रहा था…
एक मुझसे बहुत छोटी थी… सेक्स से बिल्कुल अनजान… केवल खेल समझने वाली… और ये मुझसे बड़ी… सेक्स की देवी… सेक्स को पढ़ाने और सिखाने वाली…
नलिनी भाभी की कुर्ती उनके छाती तक उठी थी… और उनकी पजामी मैंने चूतड़ों से खिसका कर काफी नीचे कर दी थी…
उन्होंने ब्रा, कच्छी कुछ भी नहीं पहनी थी…
उनका लगभग नंगा जिस्म मचल रहा था…
और जवानी को जितना तड़पाओ, उतना मजा आता है।
मैं भाभी के दोनों चूतड़ अच्छी तरह मसल रहा था…
नलिनी भाभी- ओह अंकुर, तुम कब आ गए… आहहाआ और ये क्या कर रहे हो?
अह्हा…
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तभी…
नलिनी भाभी- अरईए… आररर्र… ए… अंकुर… आअप पप इइइइइइइ…
मैं भाभी के दोनों चूतड़ अच्छी तरह मसल रहा था…
नलिनी भाभी- ओह अंकुर, तुम कब आ गए… आहहाआ और ये क्या कर रहे हो? अह्हा… देखो अभी छोड़ दो… ये कभी भी आ सकते हैं…
उन्होंने खुद को छुड़ाने का जरा भी प्रयास नहीं किया बल्कि और भी सेक्सी तरीके से चूतड़ हिला हिला कर मुझे रोमांचित कर रही थीं…
मैंने एक हाथ उनकी पीठ पर रख उनको झुकने का इशारा किया…
वो वाकयी बहुत अनुभवी थी… मेरे उनकी नंगी कमर पर हाथ रखते ही वो समझ गई…
नलिनी भाभी अपने आप रसोई की स्लैप पर हाथ रख अपने चूतड़ों को ऊपर को उठा कर झुक गई… उन्होंने बहुत सेक्सी पोज़ बना लिया था…
मैंने नीचे उकड़ू बैठ उनके चूतड़ों के दोनों भाग अपने हाथों से फैला लिये… और अब उनके दोनों स्वर्ग के द्वार मेरे सामने थे…
वाह… भाभी ने भी अपने को कितना साफ़ रखा था… कोई नहीं कह सकता था कि उनकी उम्र चालीस को छूने वाली है…
उनके दोनों छेद बता रहे थे कि वो चुदी तो बहुत हैं, उनकी चूत अंदर तक की लाली दिखा रही थी… और गांड का छेद भी कुछ फैला सा था…
मगर उन्होंने अपना पूरा क्षेत्र बहुत चिकना और साफ़ सुथरा किया हुआ था…
मेरी जीभ इतने प्यारे दृश्य को केवल दूर से देखकर ही संतुष्ट नहीं हो सकती थी…
मैंने अपने थूक को गटका और अपनी जीभ नलिनी भाभी की चूत पर रख दी…
मैंने कई गरम गरम चुम्मे उनकी चूत और गांड के छेद पर किये…
फिर अपनी जीभ निकाल कर दोनों छेदों को बारी बारी चाटने लगा और कभी कभी अपनी जीभ उनकी चूत के छेद में भी घुसा देता था…
भाभी मस्ती में आहें और सिसकारियाँ ले रही थी- …अह्ह्ह्ह्हा…आआआ… आए… ओओ… ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… आहा… आउच… अह्हा… अह्ह… आअह ओह…ह्ह… माआअ… आआइइइइ… उउउ…
ना जाने कितनी तरह की आवाजें उनके मुख से निकल रही थीं…
उनके घर का दरवाजा, मेन गेट से लेकर यहाँ रसोई तक सब पूरे खुले थे… मुझे भी कुछ याद नहीं था… मैं तो उनके नंगे हुस्न में ही पागल हो गया था…
अब मैंने उनकी पजामी को नीचे उतारते हुए भाभी के गोरे पैरों के पंजों तक ले आया…
उन्होंने मुस्कुराते हुए पैर उठाकर पजामी को पूरा अलग कर दिया… अब वो मेरी और घूमकर रसोई की स्लैब पर बैठ गई… भाभी ने अपना बायाँ पैर उठाकर स्लैब पर रख लिया…
इस अवस्था में उनकी चूत पूरी तरह खिलकर सामने आ गई…
मैं उकड़ू बैठा बैठा आगे को खिसक उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा…
चूत उनके पानी और मेरे थूक से पूरी गीली थी… मैंने उनके चूत के दाने को छेड़ा…
नलिनी भाभी- आह्ह्ह्हाआआ खा जा इसे… ओह !
वो मेरे बाल पकड़ मेरे सर को फिर से चूत पर दबाने लगी… मैं एक बार फिर उनकी चूत चाटने लगा…
पर मुझे मौके का आभास था और मैं आज ही सब कुछ कर मौका अपने हाथ में रखना चाह रहा था…
मेरा लण्ड भी कल से प्यासा था, उसमें एक अलग ही तड़फ थी, कल उसे चूत तो मिली थी पर वो उसमें जा नहीं पाया था…
और आज एक परिपक्व चूत अपना मुख खोले निमन्त्रण दे रही है… मैं आज कोई मौका खोना नहीं चाहता था…
मैं खड़ा हुआ और मैंने पेंट की चैन खोल अपने लण्ड को आज़ाद किया…
लण्ड सुपाड़ा बाहर निकाले चूत को देख रहा था…
भाभी भी आँखे में लाली लिए लण्ड को घूर रही थीं, उन्होंने हाथ बढ़ाकर खुद ही लण्ड को पकड़ लिया…
नलिनी भाभी अब किसी भी बात को मना करने की स्थिति में नहीं थीं…
मैं आगे को हुआ… लण्ड ठीक चूत के मुख पर टिक गया…
कितनी प्यारी पोजीशन बनी… मुझे जरा सा भी ऊपर या नीचे नहीं होना पड़ा…
भाभी ने खुद लण्ड अपने चूत पर सही जगह टिका दिया…
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मैं भी देर करने के मूड में नहीं था, मैंने कसकर एक जोर सा धक्का मारा…
और… धाआआआ प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्क्क्क्क्क्क्क्क की आवाज के साथ लण्ड अंदर…
मैंने कमर पर जोर लगाते हुए ही पूरा लण्ड अंदर तक सरका दिया…
चूत की गर्मी और चिकनाहट ने मेरा काम बहुत आसान कर दिया था… अब मेरा पूरा लण्ड चूत के अंदर था…
मैं बहुत आराम से खड़ी पोजीशन में था… मैंने तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए थे…
नलिनी भाभी बहुत बेकरार थी… उन्होंने खुद अपनी कुर्ती अपनी चूचियों से ऊपर कर अपनी मदमस्त चूची नंगी कर दी थीं… और उनको अपने हाथ से मसल रही थी…
मैं उनकी मनसा समझ गया, मैंने अपने हाथ उनकी मुलायम चूची पर रख उनका काम खुद करने लगा…
मेरे कठोर हाथों में मुलायम चूची का अकार पल प्रतिपल बदलने लगा…
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्हाआ… जल्दी करो… अंकुर… तुम्हारे अंकल आ गये तो मुझे मार ही डालेंगे…
मैं- अऊ ओह ह्ह्ह्ह्ह्ह… अरे कुछ नहीं होगा… वो वहाँ सलोनी के साथ हैं…
नलिनी भाभी- अह्ह्हाआ… हाँ… पर वो कभी भी आ सकते हैं…
मैं- अरे आने दो… वो भी तो सलोनी से मजे ले रहे हैं…
नलिनी भाभी- अरे नहींईईईई वो तो केवल देखते हैं… मगर मुझे बहुत चाहते हैं… इस तरह चुदते देख मार ही डालेंगे…
मैं- क्या कह रही
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मैं- अरे आने दो… वो भी तो सलोनी से मजे ले रहे हैं…
नलिनी भाभी- अरे नहींईईईई वो तो केवल देखते हैं… मगर मुझे बहुत चाहते हैं… इस तरह चुदते देख मार ही डालेंगे…
मैं- क्या कह रही हो भाभी? क्या वो सलोनी को नहीं चोदते?
नलिनी भाभी- नहीं पागल… उन्होंने केवल उसको नंगी देखा है… जैसा तूने मुझे देखा था… मैंने उनको बता दिया था… तो उन्होंने भी मुझे बता दिया… बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स…
मैं- अरे नहीं भाभी… आप को कुछ नहीं पता… उन दोनों में और भी बहुत कुछ हो चुका है…
नलिनी भाभी- तू पागल है… अह्ह्हाआ अहा… कुछ नहीं हुआ… और वो अब किसी लायक भी नहीं हैं… उनका तो ठीक से खड़ा भी नहीं होता… ओह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और तेज अहा… मजा आ गया… कुछ मत बोल अह्ह्ह… आज बहुत दिनों बाद… अह्ह्ह ह्ह्ह्ह मेरे को करार आया है…
मैं- चिंता मत करो भाभी… अब जब आप चाहो… यह लण्ड तुम्हारा ही है… ओह ह्ह्हह्ह्…
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्हाआआआ ह्ह्ह… वैसे शक तो मुझे भी है… कि ये सलोनी के यहाँ कुछ ज्यादा ही रहने लगे हैं.. तू अह्ह्ह्हाआ ह्ह्ह अह्हा… अब मैं ध्यान रखूंगी… और करने दे उनको… तेरे लिए मैं हूँ ना अब… इसको तो तू ही ठंडा कर सकता है…
मैं- अह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह… हाँ भाभी मैंने दोनों को चिपके और चूमते सब देखा था… सलोनी अंकल का लण्ड भी सहला रही थी…
अह्ह्ह्ह्हा…आआआआ…
नलिनी भाभी- हाँ एक बार मैंने भी देखा था… हाआआआअह्हह्हह
मैं – क्याआआआआआ बताओ न…
नलिनी भाभी – हाँ अह्ह्ह्हाआ हाँ… अह्ह्ह्ह्ह् उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़… मजा आ रहा है… अह्ह्ह ओ ओ ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…उ उ उउउउउ
अह्हा…
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नलिनी भाभी- हाँ एक बार मैंने भी देखा था… हाआआअह्हह्हह…
मैं – क्याआआआआआ बताओ न…
नलिनी भाभी – हाँ अह्ह्ह्हाआ हाँ… अह्ह… उफ़्फ़… मजा आ रहा है…
मेरा लण्ड एक लयबद्ध तरीके से नलिनी भाभी की मस्त चूत में अठखेलियाँ कर रहा था, मैं अपने हाथों से उनकी चूचियों को मसल रहा था, कभी हल्के से तो कभी पूरी कसकर…कभी कभी मैं उनके चुचूक भी अपनी अंगुली और अंगूठे की साहयता से मसल देता…
नलिनी भाभी लगातार सिसकारियां भर रही थीं- अह्ह्ह्ह्हाआआआ… ओह… ह्ह्ह… उफ़्फ़्फ़्फ़… अह्ह्हाआआ…
मेरे होंठ सूखने लगे… मैं उनके लाल होंठों को चूसना चाह रहा था… बस यही करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं आगे बढ़कर उनके होंठो को अपने मुँह में नहीं ले पा रहा था…
शायद इसलिए क्योंकि भाभी मुझसे उम्र में बड़ी थी…
तभी भाभी ने आगे को बढ़कर अपना सर आगे किया, मुझे अपनी और झुकाया और मेरे होंठो को चूम लिया…
शायद इसीलिए सेक्स करने के बाद हम लोग इतना करीब आ जाते हैं… एक दूसरे की भावनाओं को कितना जल्दी समझ जाते हैं…
मैं भाभी के होंटों को चूसने लगा…
तभी भाभी ने कसकर मुझे पकड़ लिया और मुझे अपने लण्ड पर गर्म गर्म अहसास हुआ…
नलिनी भाभी ने अपना पानी छोड़ दिया था…
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्ह्हाआआ… अह्ह्ह्ह… ह्ह्ह… ओह… नहीईइइइइइइइइइइइ… अह्ह्ह्ह… अह्ह्हह्ह्ह… आआआअ…
वो कसकर मुझे चिपकाये थीं… मेरा लण्ड उनकी चूत में पूरी तरह कसा था…
मैंने भी उनकी चूचियों को पकड़ा, फिर से खड़ा हुआ और तेज तेज धक्के दिए…
अब मेरा भी निकलने वाला था… मैंने अपना लण्ड बाहर निकालने के लिए पीछे हट ही रहा था कि…
नलिनी भाभी- ओह नहींईईईईई अंदर ही डाल दो… बहुत दिन से इसको पानी नहीं लगा है… जल्दी करो ओ ओ ओ आआअ…
मैं- ओह अह्ह्ह्ह्ह्ह… अगर कुछ रुक गया तो…क्या होगा???
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह कुछ नहीं होगा… मैं अब इस मजे को नहीं जाने दूंगी… अह्ह्ह्ह्ह…
और मैंने उनको कसकर पकड़ लिया… मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी जो एक के बाद एक उनके चूत में जा रही थीं…
भाभी मस्ती से आँखें बंद किये मेरी हर पिचकारी का आनन्द ले रही थी…
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्हह… आज तूने अपनी भाभी को तृप्त कर दिया अंकुर… आज से ये अब तेरी है… तू इसका ध्यान रखना… नियम से इसमें पानी डालते रहना…
मैं- हाँ हाँ भाभी… अब तो मेरा लण्ड भी आपको नहीं छोड़ेगा… कितनी प्यारी हो आप… और आपकी यह चूत… आई लव यू भाभी…
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नलिनी भाभी- आई लव यू टू… पुच पुच
उन्होंने मेरे सब जगह चूम लिया…
सच बहुत हॉट है नलिनी भाभी…
अब लण्ड से पानी निकलने के बाद मुझे सलोनी की याद आई…
भाभी नंगी अपने चूतड़ों की ओर से कपड़ा डाल अपनी चूत साफ़ कर रही थी…
“भाभी और क्या देखा था आपने? अंकल ने भी सलोनी को चोद दिया है ना? मुझे तो ऐसा ही लगता है…!”
नलिनी भाभी- अरे नहीं रे… ऐसा तो मुझे नहीं लगता… पर हाँ दोनों एक दूसरे को नंगा देख चुके हैं… चुम्मा चाटी भी होती रहती है…
मैं- अरे आपने क्या देखा वो बताओ ना…??
नलिनी भाभी- अब तू फिर जाकर लड़ेगा ना सलोनी से…
मैं- अरे अब मैं क्यों लड़ूंगा…?? मुझे तो इतनी प्यारी भाभी मिल गई ना अब चोदने के लिए…
नलिनी भाभी- ओ हाँ… सुन मैंने 2-3 बार उनको चूमते हुए देखा है…
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मैं- बस स्स्स्स्स्स्स? वो तो मैंने कितनी बार देखा है… वो तो जब भी आते हैं…मेरे सामने ही सलोनी के गालों को चूमते हैं… ये तो अलग बात हुई ना…
नलिनी भाभी- अरे वैसे नहीं पागल… एक बार जब मैं गैलरी में थी तो तुम्हारे अंकल सलोनी के पास ही गए थे… मैंने वैसे ही रसोई में झांक लिया तो तुम्हारे अंकल सलोनी को चिपकाये उसके होंठों को चूस रहे थे…
।मैं- बस इतना ही ना…
नलिनी भाभी- और उनके हाथ सलोनी के नंगे चूतड़ों पर थे…जिनको वो मसल रहे थे… तुमको तो पता ही है कि वो कितनी छोटी गाउन पहनती है और कच्छी पहनती नहीं है… या हो सकता है कि इन्होंने उतार दी हो…
मैं- तो फिर तो आगे भी कुछ किया होगा उन्होंने…
नलिनी भाभी- मुझे भी यही लगा था… पर फिर कुछ देर बाद ही ये वापस आ गए थे…
मैं- और क्या क्या देखा आपने??
नलिनी भाभी- बस ऐसा ही कुछ और भी देखा था… फिर बाद में बता दूंगी…
उन्होंने अपनी पजामी सीधी कर पहनते हुए कहा…
मुझे भी अब सलोनी को देखने की इच्छा होने लगी थी…
मैंने मोबाइल निकाल समय देखा… करीब आधा घंटा मुझे घर से निकले हो गया था… मधु भी वहाँ थी तो अरविन्द अंकल सलोनी से ज्यादा मजा तो नहीं ले पाये होंगे… और मैंने तो यहाँ पूरा काम ही कर दिया था…
पर कहीं ना कहीं दिल सलोनी के बारे में जानने को कर रहा था…
तभी नलिनी भाभी ने मेरे लण्ड को भी कपड़े से साफ़ किया… फिर उसको चूमकर मेरी पैंट में कर दिया…
मैंने उनको चूमा और वहाँ से निकल आया…
मैंने अपने फ्लैट की ओर देखा… दरवाजा बंद था…
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मैंने मोबाइल निकाल समय देखा… करीब आधा घंटा मुझे घर से निकले हो गया था… मधु भी वहाँ थी तो अरविन्द अंकल सलोनी से ज्यादा मजा तो नहीं ले पाये होंगे… और मैंने तो यहाँ पूरा काम ही कर दिया था…
पर कहीं ना कहीं दिल सलोनी के बारे में जानने को कर रहा था…
तभी नलिनी भाभी ने मेरे लण्ड को भी कपड़े से साफ़ किया… फिर उसको चूमकर मेरी पैंट में कर दिया…
मैंने उनको चूमा और वहाँ से निकल आया…
मैंने अपने फ्लैट की ओर देखा… दरवाजा बंद था… मतलब अंकल अभी भी अंदर ही थे…
मैं अभी प्लान कर ही रहा था कि मुझे सीढ़ियों से मधु आती नजर आई…
मैं चोंक गया… मधु यहाँ है… तो क्या बंद फ्लैट के अंदर अंकल और सलोनी अकेले हैं… ओह क्या वो दोनों भी चुदाई कर रहे हैं…???
मधु मुझे आश्चर्य से देख रही थी…
मैंने उसको आँखों में देखते हुए ही पूछा- कहाँ गई थी तू??
मधु जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं- अरे भैया आप यहाँ… इस समय?
मैं- मैंने तुझसे कुछ पूछा…
मधु अपने हाथ में सिगरेट की डब्बी दिखाते हुए- अंकल ने मंगाई थी…
मैं- क्या कर रहे हैं वो दोनों अंदर????
मधु ने कंधे उचकाए- मुझे क्या पता??
मैं- कितनी देर हो गई तुझे निकले हुए…
मधु- अभी तो गई थी… हाँ दुकान पर कुछ भीड़ थी…
मुझे पता था कि बाहर कॉलोनी तक जाने इतनी सीढ़ियां… इस सबमें करीब 15 मिनट तो लगते ही हैं… इसका मतलब पिछले 15-20 मिनट से दोनों अंदर हैं और दरवाजा भी लॉक कर लिया…
साला अरविन्द मेरी बीवी से पूरा मजा ले रहा होगा… अब देखा कैसे जाये…
तभी मुझे रसोई वाली खिड़की नजर आई और मैं चुपचाप मधु को वहाँ ले गया…
मेरी किस्मत कि खिड़की खुली थी… हाँ उसके दरवाजे भिड़ा कर बंद कर दिया था…
मैंने हल्की से आहत लेते हुए दरवाजे को खोल दिया… रसोई में कोई नहीं था…
मैंने उसके जंगले की चिटकनी खोल उसको भी खोला और देखा… अब अंदर जाया जा सकता था…
पर खिड़की काफी ऊँची थी, ऊपर चढ़ने के लिए कोई ऊँची कुर्सी या स्टूल चाहिए था…
मैंने मधु की ओर देखा, उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहन लिया था शायद बाहर आने के लिए… या अंकल के कारण…
मैंने मुँह पर ऊँगली रख उसको चुप रहने के लिए इशारा किया और उसको अंदर जाने के लिए बोला…
वो एकदम तैयार हो गई…
मैंने उसको उचकाया… और जैसे ही उसके चूतड़ों पर हाथ लगाया… एकदम से ठंडा सा लगा…
मधु ने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी, उसके चूतड़ नंगे थे…
मैंने मधु को गोद में उठाकर खिड़की पर टिकाया और अपना हाथ सहारे के लिए ही उसके चूतड़ों पर रखा… उसका छोटा फ्रॉक हट गया था और मेरा हाथ उसके नंगे चूतड़ों पर था…
एक बार फिर मेरे हाथों ने मधु के मांसल, छोटे छोटे चूतड़ों का स्पर्श किया और रोमांच से भर गए
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इससे पहले मेरे मन में उत्तेजना के साथ साथ शायद कुछ गुस्सा भी था कि एक 62 साल का बूढ़ा मेरी जवान सुन्दर बीवी जो लगभग नंगी थी…
अंदर मेरे घर पर और शायद मेरे ही बैडरूम में… मेरे बिस्तर पर… ना जाने क्या कर रहा होगा???
मगर मधु के नंगे चूतड़ों के स्पर्श… और जब वो खिड़की पर उकड़ू बैठी… तब उसके नंगे चूतड़ और उसकी प्यारी, कोमल, छोटी सी चूत देख… जिससे मैंने कल बहुत मजे किये थे और वो सब मेरी जान सलोनी के कारण ही हो सका था…
मेरा सारा अंदर का द्वेष गायब हो गया और मैं अब केवल सलोनी के मजे के बारे में सोचने लगा…
लेकिन मन उसको ये सब करते देखना चाहता था कि मेरी जान सलोनी को पूरा मजा आ रहा है या नहीं… वो पूरी तरह आनन्द ले रही है या नहीं…
मधु के उकड़ू बैठने से उसके नंगे चूतड़ और खिली चूत ठीक मेरे चेहरे पर थे… उसकी फ्रॉक सिमटकर मेरे हाथो से दबी थी…
मैंने मधु को दोनों हाथों से थाम रखा था… मेरी गर्म साँसे जब मधु को अपनी चूत पर महसूस हुई होंगी…
तभी उसने अपनी आँखों में एक अलग ही तरह की बैचेनी लिए मेरी ओर देखा…
मैंने आँखों ही आँखों में उसको आई लव यू कहा और अपने होंठ उसकी चूत पर रख एक गर्म चुम्मा लिया…
मधु की आँखे अपने आप बंद हो गई…
मगर मैंने खुद पर नियंत्रण रखा… मैंने उसको रसोई में उतरने और दरवाजा खोलने को बोला…
वो जैसे सब समझ गई… वो जल्दी से नीचे उतर रसोई से होते हुए… ऐसे आगे बड़ी कि कोई उसे ना देखे… वो बहुत सावधानी और चारों ओर देखकर आगे बढ़ रही थी…
फिर वो मुख्य द्वार की ओर बढ़ी…
मैं भी घूमकर आगे बढ़ गया और अपने दरवाजे की तरफ आया…
बहुत हल्के से लॉक खुलने की आवाज आई…
मधु काफी समय से हमारे घर आ रही है इसलिए उसे ये सब करना आता था… उसने वाकयी बहुत सावधानी से काम किया… अंकल या सलोनी किसी को कोई भनक तक नहीं मिली…
मैं चुपचाप अंदर आया और उससे इशारे से पूछा- …कहाँ हैं दोनों??
मधु ने बैडरूम की ओर इशारा किया…
मेरे दिल की धड़कने बढ़ने लगी…
मैंने मधु को एक तरफ से देखने भेज पहले रसोई में जाकर सबसे पहले खिड़की का जंगला लॉक किया कि सलोनी को बिल्कुल शक ना हो…
मैं जैसे ही मुड़ा…मुझे रसोई में एक कोने में सलोनी की नाइटी दिखी जो उसने सुबह पहनी थी…
मुझे अच्छी तरह याद है कि सलोनी केवल यही नाइटी पहने थी… और इसके अंदर कुछ नहीं… इसका मतलब अंकल ने सलोनी को यहीं नंगी कर दिया था… और अब बैडरूम में तो निश्चित चुदाई के लिए ही ले गए होगे…
मैं केवल यही सोच रहा था कि आदमी कितना बदकार होता है… वहाँ नलिनी भाभी सोचती है कि अरविन्द अंकल कुछ कर ही नहीं सकते क्योंकि उनका अब खड़ा ही नहीं होता…
और यहाँ दूसरी औरत को देख वो सब करने को तैयार हो जाते हैं… उनका मरा हुआ लण्ड भी ज़िंदा हो जाता है… वाह रे चुदाई की माया…
मैं जल्दी से रसोई से निकला और फिर मधु के पास जा खड़ा हो गया…
बैडरूम का दरबाजा पूरा खुला ही था, बस उस पर परदा पड़ा था…
बैडरूम का दरवाजा उन्होंने इसलिए बंद नहीं किया होगा कि वो दोनों घर पर अकेले ही थे और परदा तो उस पर हमेशा पड़ा ही रहता है…
मधु परदे का एक सिरा हटाकर अंदर झांक रही थी… और अंदर का दृश्य देखते ही मेरा लण्ड तनतना गया…
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मैं जल्दी से रसोई से निकला और फिर मधु के पास जा खड़ा हो गया…
बैडरूम का दरवाजा पूरा खुला ही था, बस उस पर परदा पड़ा था…
बैडरूम का दरवाजा उन्होंने इसलिए बंद नहीं किया होगा कि वो दोनों घर पर अकेले ही थे और परदा तो उस पर हमेशा पड़ा ही रहता है…
मधु परदे का एक सिरा हटाकर अंदर झांक रही थी… और अंदर का दृश्य देखते ही मेरा लण्ड तनतना गया…
अंदर पूरी सफ़ेद रोशनी में सलोनी और अंकल पूरी तरह नंगे खड़े थे…
मैंने दोनों की बातें सुनने की कोशिश की…
सलोनी- अंकल जल्दी करो… कपड़े पहनो…मधु आती होगी…
अंकल- अरे कुछ नहीं होगा… तू मत डर… उसको भी देख लेने दे… कितनी सेक्सी हो गई है ना…
सलोनी- अरे वो तुम्हारी पोती के बराबर है… उस पर तो गन्दी नजर मत डालो…
अंकल- अरे तो क्या हुआ? तू भी तो बेटी के बराबर है… जब बेटी चोद सकते हैं… तो उसको भी… हे हे हे…
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सच अंकल बहुत बेशर्मों जैसे हंस रहे थे…
तभी सलोनी थोड़ा पीछे को हटी… अंकल का लण्ड उसके हाथ में थे…
माय गॉड…ये तो बहुत बड़ा था…
सलोनी उसको अपने हाथ से ऊपर से नीचे तक सहला रही थी… उसका हाथ बहुत तेज चल रहा था…
और तभी अंकल ने सलोनी को नीचे की ओर धकेला…
सलोनी ने तुरंत उनके लण्ड को जितना हो सकता था उतना ही अपने मुँह में भर लिया…
अंकल ने सलोनी के मुख को लण्ड से चोदते हुए ही अपनी आँखें बंद कर ली…
मैंने देखा कि अंकल झड़ रहे हैं और उनका सारा पानी सलोनी के मुह के अंदर जा रहा है…
सलोनी ने मेरा भी कई बार चूसा है मगर किसी और मर्द के साथ इस तरह सेक्सी पोजीशन में मैंने पहले बार देखा था…
सलोनी ने उनका सारा पानी गटक लिया और कुछ ही पलों में उनका लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया…
मैं आश्चर्यचकित था कि अंकल ने यहाँ केवल इतना ही किया या पहले उन्होंने सलोनी को चोदा भी होगा…
सलोनी जिस तरह नंगी उनसे मजे कर रही है और करीब आधे घंटे से वो इनके साथ है तो केवल हाथ से करने तो नहीं आये होंगे…
मेरे दिमाग केवल यही सोच रहा था कि पिछले आधे घंटे उन्होंने क्या किया होगा… अपनी प्यारी सलोनी को मैं बहुत प्यार करता था…
उसके बारे में, उसकी मस्ती के के बारे में…
बहुत कुछ जानता था मैं…
पिछले दिनों में उसको अपने भाई पारस के साथ… फिर दुकानदार लड़के के साथ… सलोनी को कई सेक्सी हरकतें करते देख चुका था…
मगर इस समय ये सबसे अलग था…
अपने से लगभग तीन गुना बड़े एक बूढ़े आदमी के साथ जो सलोनी के पिताजी से भी उम्र में बड़े होंगे… और सलोनी उनके साथ कितने मजे कर रही थी..
सलोनी ने अंकल का लण्ड…चाट चाट कर पूरा साफ़ कर दिया…
अंकल ने सलोनी को ऊपर उठाया और उसके होंठों को चूमने लगे… सलोनी के मुंह पर अंकल के वीर्य के निशान दिख रहे थे…
दोनों बहुत ही हॉट किस कर रहे थे…
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अंकल सलोनी का लगभग पूरा मुँह ही चाट रहे थे…
फिर उन्होंने सलोनी को घुमाया और उसकी पीठ से चिपक गए…
अब सलोनी का मुंह हमारी ओर था… पूरी नंगी सलोनी की दोनों तनी हुई चूचियाँ और उनके गुलाबी निप्पल लगभग लाल सूर्ख हो गए थे… ऐसा लग रहा था जैसे बुरी तरह मसले जाने के कारण दोनों अपना लाल चेहरा लिए मेरे से खुद को बचाने को कह रहीं हों…
तभी अंकल ने सलोनी के कानों के पिछले भाग को चूमते हुए अपनी दोनों हथेलियों में फिर से उन मासूम चूचियों को भर लिया…
वो दोनों को बड़ी बुरी तरह मसल रहे थे…
उनका अभी भी आधा खड़ा लण्ड सलोनी के चूतड़ों में गड़ा हुआ था…
मैं नलिनी भाभी के शब्दों को याद कर रहा था कि अरविन्द अंकल का अब खड़ा ही नहीं होता…
मगर यहाँ तो उल्टा था… पानी निकलने के बाद भी बैठने का नाम नहीं ले रहा था…
तभी अंकल ने अपना हाथ सलोनी की जाँघों के बीच उसकी कोमल चूत पर ले गए…
उनकी उँगलियाँ उसकी चूत पर पियानो की तरह चल रही थीं…
सलोनी आँखे बंद किये सिसकारियाँ ले रही थी- … अह्ह्ह्हाआआआ… आए… अब छोड़ दीजिये ना… अह्हाआआ आ बस्स्स्स…स्स्स अब नहींईइइइइइ… ओह…
अंकल- पुच पुच…
बस उसको चूमे जा रहे थे… कानो से लेकर गर्दन तक…
मैंने देखा मधु भी काफी गर्म हो गई है…
वो अपने चूतड़ों को मेरे से घिस रही थी…
मगर अभी इस सबका समय नहीं था…
मैं इस सब में भूल गया कि मैं और मधु चुपके से घर में घुसे हैं ! अगर सलोनी को यह पता लग गया तो उसको बहुत बुरा लगेगा…
मैं अभी बाहर निकलने कि सोच ही रहा था कि तभी अंदर से आवाज आई- चलिए अंकल जी, अब आप जल्दी से फ्रेश होकर कपड़े पहन लो, मैं नहीं चाहती कि मधु या किसी को कुछ पता चले…
और सलोनी तेजी से बाहर को आने लगी…
मेरे पास इतना समय नहीं था कि मैं बाहर निकल सकूँ…
मधु को पीछे खींचते हुए मैं खुद अलमारी के साइड में हो गया…
हाँ मधु वहीं रह गई…
सलोनी पूरी नंगी ही बाहर निकली…
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सलोनी- अर्रए… ईईईए…
उसके मुख से हल्की सी चीख निकली…
फिर सलोनी बोली- तू कब आई… और दरवाजा…
मधु मेरी समझ से भी ज्यादा समझदार निकली, वो बोली- दरवाजा तो खुला था भाभी…
उसने अपने हाथ में पकड़ा सिगरेट का पैकेट उसको देते हुए कहा…
सलोनी वहाँ पड़े एक कपड़े से अपने शरीर को पोंछते हुए बोली- कितनी देर हो गई तुझे?
मधु- बस अभी आई भाभी… आप नहा ली क्या???
सलोनी- बस नहाने ही जा रही थी… तू रुक…
और वो रसोई में चली गई…
बस इतना ही समय काफी था मेरे लिए…
मैं जल्दी से बाहर निकला और एक बार अंदर कमरे में देखा…
वहाँ कोई नहीं था… अंकल शायद बाथरूम में थे… मैं जल्दी से मुख्य द्वार से बाहर आ गया…
पीछे मधु ने दरवाजा बंद कर दिया… मैंने चैन की सांस ली…
मैं एक बार फिर चुपके से रसोई की खिड़की से झाँका…
सलोनी अपना गाउन सीधा कर पहन रही थी… उसके मस्त चूतड़ों को नजर भर देखकर मैं जल्दी जल्दी सीढ़ियाँ उतरने लगा…
कितना कुछ हो रहा था… हर पल कुछ नया… पता नहीं सही या गलत… पर मजा बहुत आ रहा था…
करीब बारह बजे सलोनी का फोन आया कि वो कॉलेज और शॉपिंग के लिए जा रही थी…
मुझे अफ़सोस इस बात का था कि मैंने आज उसके पर्स में रिकॉर्डर नहीं रखा था पर मधु उसके साथ थी…
अब यह मेरे ऊपर निर्भर था कि मैं मधु से सब कुछ उगलवा सकता था…
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pls post the remaining story bro
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pls post the story bro if you have. you are doing a good job
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