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भाभी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…
मैं चौंक गया…
सलोनी दरवाजा बंद करके आ गई…
मैं- यह भाभी क्या कह रही थीं… खिड़की मतलब… क्या कल ये भी थीं… इन्होंने भी कुछ देखा क्या…
सलोनी- अरे नहीं जानू… हा हा हा… आज तो बहुत खुश थी… कल अंकल ने जमकर इनको…
मैं- क्या?? यह सच है… इन्होंने खुद तुमको बताया?
सलोनी- और नहीं तो क्या… पहले तो शिकायत कर रही थी… फिर तो बहुत खुश होकर बता रही थी कि कल कई महीने के बाद इन्होंने मजे किये… जानू तुम्हारी शैतानी से इनके जीवन में भी रंग भर गया…
सलोनी- अच्छा आप चेंज करो, मैं बस जरा देर में नहाकर आती हूँ… अभी बहुत काम करने हैं…
मैंने देखा बेड पर सलोनी के काफी कपड़े फैले पड़े थे… एक कोने में एक सूट (सलवार, कुरता) भी रखा था…
वो सलोनी का तो नहीं था… वो जरूर भाभी का ही था…
मैंने उस सूट को उठा देखने लगा… तभी कुछ नीचे गिरा…
अरे ये तो एक जोड़ी ब्रा, चड्डी थे… सफ़ेद ब्रा और सफ़ेद ही चड्डी… दोनों साधारण बनावट के थे…
चड्डी तो उन्होंने पहनी ही नहीं थी, यह तो उनकी चूत के उभार से ही पता चल गया था…
पर अब इसका मतलब भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी..
मैंने दोनों को उठा एक बार अपने हाथ से सहलाया और वैसे ही रख दिया… और भाभी की चूत और चूची के बारे में सोचने लगा…
तभी मुझे अपने रिकॉर्डर का ध्यान आया… सलोनी तो बाथरूम में थी…
मैंने जल्दी से उसके पर्स से रिकॉर्डर निकाल उसको अपने फोन से जोड़ लिया…
और सुनते हुए… अपना काम करने लगा…
मैंने रिकॉर्डिंग सुनते हुए ही अपने सभी कपड़े निकाल दिए… कच्छा भी…
और तौलिया ले इन्तजार करने लगा… गर्मी बहुत थी.. सोचा नहाकर ही तैयार होता हूँ…
आज की रिकॉर्डिंग बहुत बोर थी… ज्यादातर खाली ही थी क्योंकि सलोनी अकेली थी तो बहुत जगह आवाज थी ही नहीं…
मैंने सोचा कि नहाने के बाद सलोनी के साथ ही मस्ती की जाये…
कि तभी… रिकॉर्डर मे आवाज आई…
ट्रीन्न्न्न्न… टिन्न्न्न्न…
यह तो मेरे घर की घण्टी थी…
कौन होगा…???
सलोनी- कौन है?
‘खोलो बेटा… ‘
दरवाजा खुलने की आवाज…
सलोनी- ओह आप… आइये अंकल… गुड मॉरनिंग…
ये अरविन्द अंकल थे… वो रात वाले… जिन्होंने पूरा लाइव शो देखा था…
अंकल- हाँ बेटा… गॉड ब्लेस यू… पुछ्ह्ह…
अंकल जब भी मिलते थे तो माथे पर किस करते थे… जो शायद उन्होंने की होगी…
सलोनी- अरे अंकल क्या करते हो, मेरे हाथ गंदे हैं… वो क्या है कि मैं कपड़े धो रही थी…
अंकल- अरे तो क्या हुआ बच्चे… तभी तू पूरी गीली है…
सलोनी- हाँ अंकल, बताइये क्या काम है…
मैं सोच रहा था कि पता नहीं सलोनी ने क्या पहना होगा… और अंकल को अब क्या दिखा रही होगी???
अंकल- बेटा वो तेरी आंटी को भी अब तेरी तरह मॉडर्न कपड़े पहनने का शौक हो गया है… क्या तू उसको बाजार से शॉपिंग करवा देगी… अब उसको शौक तो हो गया… पर पता नहीं है कि कहाँ और कैसे… तो तू उसकी हेल्प कर देना…
सलोनी- हा हा अंकल, उनको या आपको…?
अंकल- अरे मैं तो कबसे उसको बोलता था… कि तेरी तरह सेक्सी कपड़े पहना करे… पर मानती ही नहीं थी… अब खुद कह रही है…
सलोनी- क्यों ऐसा क्या हुआ?
अंकल- यह तू उसी से पूछना…
सलोनी- ठीक है अंकल…
अंकल- और 2-4 ऐसी नाइटी भी दिला देना… जिसमें सब दिखे…
सलोनी- हा हा अंकल… आप भी ना… अब आंटी ऐसे कपड़े पहन किसको दिखाएंगी…
अंकल- अरे बेटी कितनी सेक्सी लगती है ना… मैं चाहता हूँ… वो तुम जैसी हो जाये… और जीवन के मजे ले…
सलोनी- ओह छोड़ो ना अंकल, क्या करते हो?
??????
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अंकल- और उसको अपने जैसा बोल्ड भी बना देना कि… किसी क़े सामने ऐसे कपड़े पहन आराम से खड़े हो सके…
सलोनी- अच्छा तो क्या आप भी मुझे गन्दी नजर से देख रहे हो…
अंकल- अरे नहीं बेटा… मैं तो तेरी तारीफ कर रहा हूँ… अगर तेरी आंटी भी तेरे जैसी हो जाये तो मैं तो फिर से जवान हो जाऊँगा…
सलोनी- अरे अंकल आप तो अभी भी जवान हो… किसने कह दिया कि आप बूढ़े हो…
अंकल- ओह थैक्स बेटा… कल तो तेरी आंटी भी मान गई… तभी तो ऐसे कपड़ों की ज़िद कर रही है !
सलोनी- ओके अंकल… मैं उनको खूब सेक्सी बना दूँगी… आप चिंता ना करो… अच्छा अब मुझे देखना बंद करो… आप आंटी को ही देखना… हे हे…
अंकल- अरे नहीं बेटा, तू तो है ही इतनी सेक्सी… कि हरदम देखने का दिल करता है…
सलोनी- ठीक है अब बहुत देख लिया… अब मुझे काम करने दो… बाय बाय…
अंकल- ओह बाय बेटा…
…
..
बस फिर ज्यादा कुछ नहीं था रिकॉर्डिंग में …
तभी सलोनी पूरी नंगी बाथरूम से बाहर आई.. हमेशा की तरह…
मुझे देख मुस्कुराई…
मैं भी उसको चूमकर- …अच्छा जान मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ…
सलोनी- ओ के जानू…
मैं बाथरूम में चला गया।
मैं बाथरूम में जाकर नहाने की तैयारी कर ही रहा था कि मुझे दरवाजे की घण्टी की आवाज सुनाई दी….
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मैं सोचने लगा कि अभी कौन
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मैं बाथरूम में जाकर नहाने की तैयारी कर ही रहा था कि मुझे दरवाजे की घण्टी की आवाज सुनाई दी…
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मैं सोचने लगा कि अभी कौन आ गया… प्रणव तो रात को आने वाला था…
तभी मेरे दिमाग में आया… कि सलोनी तो सिर्फ तौलिया में ही थी… वो कैसे दरवाजा खोलेगी…
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
एक बार फिर से घंटी बजी…
इसका मतलब सलोनी कपड़े पहन रही होगी… इसीलिए कोई बेचारा इन्तजार कर रहा होगा…
मगर अचानक मुझे दरवाजा खुलने की आवाज भी आ गई…
इतनी जल्दी तो सलोनी कपड़े नहीं पहन सकती… उसने शायद गाउन डालकर ही दरवाजा खोल दिया होगा…
मैं खुद को रोक नहीं पाया… फिर से रोशनदान पर चढ़कर देखने लगा कि आखिर क्या पहनकर उसने दरवाजा खोला…
और है कौन आने वाला…??
और मैं चौंक गया… सलोनी अभी भी तौलिये में ही थी… उसने वैसे ही दरवाजा खोला था…
और आने वाले अरविन्द अंकल थे… उनके हाथ में सलोनी के कपड़े थे जो भाभी पहनकर गई थी…
सलोनी- ओह आप अंकल… क्या हुआ??
अंकल- बेटा लो ये तेरे कपड़े…
सलोनी- अरे इतनी क्या जल्दी थी… आ जाते…
फिर थोड़ा शरमा कर मुस्कुराते हुए- क्यों, आपको भाभी अच्छी नहीं लगी इन कपड़ों में?
अंकल- अरे नहीं, सही ही थी… उसमें इतना दम कहाँ… ये कपड़े तो तेरे ऊपर ही गजब ढाते हैं…
सलोनी- अरे नहीं अंकल… भाभी भी गजब ढा रही थीं… अंकुर तो बस उनको ही देख रहे थे…
अंकल- क्या अंकुर आ गया? उसने बताया नहीं…
सलोनी- अरे भूल गई होंगी… पर अंकुर उनको देख मस्त हो गए थे…
अंकल- अच्छा तो उसने भी… उसको इन कपड़ों में देख लिया?
सलोनी- वैसे सच बताओ अंकल… आंटी मस्त लग रही थी या नहीं?
अंकल- हाँ बेटा, लग तो जानमारु रही थी… अब तू कल उसको बढ़िया… बढ़िया सेट दिलवा देना…
सलोनी- ठीक है अंकल… आप चिंता ना करो… मैं उनको पूरा सेक्सी बना दूंगी…
अंकल- अच्छा अब उसके कपड़े तो दे दे… कह रही है वही पहनेगी… अपनी कच्छी ब्रा भी यहीं छोड़कर चली गई…
सलोनी- हाय, तो क्या भाभी अभी नंगी ही बैठी हैं?
दोनों अंदर बैडरूम में ही आ गये…
अंकल- हाँ बेटा… जब मैं आया तब तो नंगी ही थी… जल्दी दे… कहीं और कोई आ गया तो? …हे हे हे…
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सलोनी- क्या अंकल आप भी… ये रखे हैं भाभी के कपड़े…
अंकल कपड़ों को एक हाथ से पकड़… बेड पर सलोनी के बाकी कपड़े और कच्छी ब्रा देख रहे थे।
अंकल- बेटा तू अपनी भाभी को कुछ बढ़िया ऐसे छोटे छोटे… कच्छी-ब्रा भी दिला देना…
सलोनी थोड़ी शरमाते हुए- ओह क्या अंकल… आप भी ना… मेरे ना देखो, भाभी की कच्छी ब्रा लो और जाइये… वो वहाँ नंगी बैठी
इन्तजार कर रही होंगी…
हा हा हा…
तभी मेरे देखते-देखते अंकल ने तुरंत वो कर दिया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी…
अंकल सलोनी के तौलिए को पकड़ कर- दिखा, तूने कौन से पहने हैं इस समय…
तौलिया शायद बहुत ढीला सा ही बंधा था… जो तुरंत खुल गया…
और मेरी आँखे खुली की खुली रह गईं…
बैडरूम की सफेद चमकती रोशनी में सलोनी पूरी नंगी… एक 60 साल के आदमी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी…
और वो भी तब जब उसका पति यानि कि मैं… घर पर… बाथरूम में था…
सलोनी बुरी तरह हड़बड़ाते हुए- नहींईईईईईईई अंकल… क्या कर रहे हो… मैंने अभी कुछ नहीं पहना…
और उनके हाथ से एकदम तौलिया खींच… अपने को आगे से ढकने की कोशिश करने लगी।
अंकल- ओह सॉरी बेटा… हा हा हा… मुझे नहीं पता था… पर कमाल लग रही हो…
सलोनी- अच्छा अब जल्दी जाओ… अंकुर अंदर ही हैं…
उसने बाथरूम की ओर चुपके से इशारा किया… और ना जाने क्यों बहुत फुसफुसाते हुए बात कर रही थी।
वो मजे भी लेना चाहती थी… और अभी भी मुझसे डरती थी… और ये सब छुपाना भी चाहती थी…
अंकल भी जो थोड़ा खुल गए थे… उनको भी शायद याद आ गया था कि मैं अभी घर पर ही हूँ…
वो भी थोड़ा सा डरकर बाहर को निकल गए…
अंकल- अरे सॉरी बेटा…
सलोनी- अब क्या हुआ??
अंकल- अरे उसी के लिए… मैंने तुमको नंगा देख लिया… वो वाकयी मुझे नहीं पता था कि तुमने…
सलोनी- अरे छोड़ो भी ना अंकल… ऐसे कह रहे हो जैसे… पहली बार देखा हो…
सलोनी की बातें सुन साफ़ लग रहा था… कि वो बहुत बोल्ड लड़की है…
अंकल- हे हे हे… वो क्या बेटा… वो तो हे हे… अलग बात थी… मगर इस टाइम तो गजब… सही में बेटा… तू बहुत सेक्सी है…
अंकुर बहुत लकी है…
सलोनी फिर शरमाते हुए- …ओह अंकल थैंक्स… अब आप जाओ अंकुर आते होंगे…
सलोनी ने अभी भी तौलिया बाँधा नहीं था… केवल अपने हाथ से अगला हिस्सा ढक कर अपनी बगल से पकड़ा हुआ था…
अंकल फुसफुसाते हुए- बेटा एक बात कहूँ… बुरा मत मानना प्लीज़…
सलोनी- अब क्या है????
अंकल- बेटा एक बार और हल्का सा दिखा दे… दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!!
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सलोनी ने अभी भी तौलिया बाँधा नहीं था… केवल अपने हाथ से अगला हिस्सा ढक कर अपनी बगल से पकड़ा हुआ था…
अंकल फुसफुसाते हुए- बेटा एक बात कहूँ… बुरा मत मानना प्लीज़…
सलोनी- अब क्या है????
अंकल- बेटा एक बार और हल्का सा दिखा दे… दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!!
सलोनी- पागल हो क्या?? जाओ यहाँ से… जाकर भाभी को देखो वो भी नंगी बैठी आपका इन्तजार कर रही हैं…
हे हे हे हा हा हा…
सलोनी के कहने से कहीं भी नहीं लग रहा था कि उसको कोई ऐतराज हुआ हो…
अंकल – ओह प्लीज़ बेटा…
सलोनी उनको धकेलते हुए- नहीं जाओ अब…
अंकल मायूस सा चेहरा लिए दरवाजे के बाहर चले गये…
अब वो मुझे नहीं दिख रहे थे… हाँ सलोनी जरूर दरवाजा पकड़े खड़ी थी… जो पीछे से पूरी नंगी थी…
उसके उभरे हुए मस्त चूतड़ गजब ढा रहे थे !
पर अभी सलोनी कि शैतानी ख़त्म नहीं हुई थी…
उसने दरवाजा बंद करने से पहले जैसे ही हाथ उठाया तो उसका तौलिया फिर निचे गिर गया…
सलोनी- थोड़ा ज़ोर से… बाई बाई अंकल…
माय गॉड… वो एक बार फिर अंकल को…
और उस शैतान की नानी ने अंकल को अपने नंगी काया की झलक दिखा कर हँसते हुए दरवाजा बंद कर लिया…
मैं बस यही सोच रहा था कि यह सलोनी अब रात को प्रणव को कितना परेशान करने वाली है…
…
मैं नहाकर बाहर आया… हमेशा की तरह नंगा…
सलोनी की मस्ती को देख मुझे गुस्सा बिल्कुल नहीं आ रहा था… बल्कि एक अलग ही किस्म का रोमांच महसूस कर रहा था…
इसका असर मेरे लण्ड पर साफ़ दिख रहा था… ठन्डे पानी से नहाने के बाद भी लण्ड 90 डिग्री पर खड़ा था…
सलोनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी अपने बाल सही कर रही थी…
उसने नारंगी रंग का सिल्की गाउन पहना था… जो फुल गाउन था… मगर उसका गला बहुत गहरा था…
इसमें सलोनी जरा भी झुकती थी तो उसकी जानलेवा चूचियों का नजारा हो जाता था…
और अगर सलोनी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी… जो अक्सर वो करती थी…
बल्कि यूँ कहो कि घर पर तो वो ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी… तो बिल्कुल गलत नहीं होगा…
जब इस गाउन में वो ब्रा नहीं पहनती थी तो… उसकी गोल मटोल एवं सख्त चूचियाँ उसके गाउन के कपड़े को नीचे कर पूरी तरह से बाहर निकलने की कोशिश करती थी…
उसकी चूचियाँ भी सलोनी की तरह ही शैतान थीं…
मुझे अब ज्ञात हो गया था कि मेरी जान सलोनी के इन प्यारे अंगों का मेरे घर में आने वाले ही नहीं बल्कि बाजार में बाहर के लोग भी देख-देख आनन्द लेते हैं…
हाँ मैंने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया था… वो तो आज पारस के कारण मैं भी इस सबका भाग बन गया था…
अब मैं सलोनी को यह अहसास करना चाहता था कि मैं भी एक आम इंसान ही हूँ और तरह तरह के सेक्स में मजा लेता हूँ… मैं कोई दकियानूसी मर्द नहीं हूँ… मुझे भी सलोनी की हरकतें अच्छी लगती हैं… और उनका आनन्द लेता हूँ…
जिससे वो मुझसे डरे नहीं और मुझे सब कुछ बताये… मुझे यूँ सब कुछ छुपकर न देखना पड़े… और मेरा समय भी बचे जिससे मेरे काम पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा…
मैंने सर को पोंछने के बाद तौलिया वहीं रखा और नंगा ही सलोनी के पीछे जाकर खड़ा हो गया…
।मैं जैसे ही थोड़ा सा आगे हुआ… मेरा लण्ड सलोनी के गर्दन के निचले हिस्से को छूने लगा…
उसने बड़े प्यार से पीछे घूमकर मेरे लण्ड को अपने बाएं हाथ में पकड़ लिया…
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उसके सीधे हाथ में हेयर ड्रायर था… उसने फिर शैतानी करते हुए, अपने बाएं हाथ से पूरे लण्ड को सहलाते हुए ड्रायर का मुँह मेरे लण्ड पर कर दिया…और गर्म हवा से लण्ड को और भी ज्यादा गर्म करते हुए…
सलोनी- क्या बात… कल से पप्पू का आराम का मन नहीं कर रहा क्या??? जब देखो खड़ा ही रहता है… हा हा हा…
सलोनी में यही एक ख़ास बात थी… कि वो हर स्थिति में बहुत शांत रहती थी और बहुत प्यार से पेश आती थी…
तभी अपनी जान की कोई भी बात मुझे जरा भी बुरी नहीं लगती थी…
मैंने चौंकने की एक्टिंग करते हुए कहा- …अरे यह क्या जान? तुम्हारे कपड़े वापस आ गए… क्या हुआ…?? भाभी को पसंद नहीं आये क्या… या अंकल ने पहनने को मना कर दिया?
सलोनी ने मेरे लण्ड पर बहुत गर्म चुम्बन करते हुए कहा- …हा हा… अरे नहीं जानू… ये तो अंकल ही आये थे… वो भाभीजी के कपड़े यहीं रह गए थे… न उनको ही लेने…और हाँ उनको तो ये कपड़े बहुत अच्छे लगे… और मेरे से ज़िद कर रहे थे कि… भाभी को कई जोड़ी ऐसे ही कपड़े दिल देना… हा हा…
मैं- अरे वाह ! यह तो बहुत अच्छी बात है… आखिर अंकल भी नए ज़माने के हो गए…
अब मैंने सलोनी को छेड़ते हुए पूछा- अरे वैसे कब आये अरविन्द अंकल?
सलोनी- जैसे ही आप बाथरूम में गए थे ना, तभी आ गए थे…
उसको लगा मैं अब चुप हो जाऊँगा… पर मेरे मन में तो पूरी शैतानी आ गई थी…
मैं- ओह क्या बात… तो क्या तुमने तौलिया में ही दरवाजा खोल दिया था… फिर तो अंकल को रात वाला सीन याद आ गया होगा… हा हा हा…
सलोनी- अररर्र… रे… वो ओऊ… तो आप ये सब सोच रहे हो… अरे मैं तो सब भूल
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मैं- अरे यह प्रणव इतनी जल्दी कैसे आ गया?
सलोनी- अरे नहीं जानू… मधु होगी… मैंने उसको आज काम करने के लिए बुला लिया था…
मधु हमारी कॉलोनी में ही पीछे की तरफ बनी एक गरीब बस्ती में रहती थी।
बहुत गरीबी में उसका परिवार जी रहा था… उसका बाप शराबी… छोटे छोटे… 5 भाई बहन… माँ घरों के साफ़ सफाई और छोटे मोटे
काम करती थी, सलोनी कभी कभी उसको कुछ काम करने के लिए बुला लेती थी।
मैं पिछले काफी समय से उससे नहीं मिला था क्योंकि अपने काम में ही व्यस्त रहता था।
सलोनी ने दरवाजा खोला… मधु ही थी… वो अंदर आ गई…
मधु- सॉरी भाभी… देर हो गई… वो घर का काम भी करना था न…
सलोनी- कोई बात नहीं… अभी बहुत समय है… तू आराम से कर ले…
मैं उसको देखता रह गया… उसकी उम्र तो पता नहीं… पर वो लम्बी पतली… और काफी खूबसूरत थी…
उसको देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो एक इतने गरीब परिवार में रहती थी…
आज उसका रंग भी काफी साफ़ लग रहा था…
उसने घुटनों तक की एक फ्रॉक पहन रखी थी… जो शायद आज ही धोकर… साफ़ सुथरी होकर आई थी… उसके बाल भी सही से बने हुए थे।
सलोनी ने बता दिया होगा कि कोई आने वाला है… तो वह खुद तैयार होकर आई थी…
फ्रॉक से उसकी पतली टांगें घुटनों तक नंगी दिख रहीं थी जो बहुत सुन्दर लग रही थी…
आज पहली बार मैंने उसके सीने की ओर ध्यान दिया… तो कसे हुए फ्रॉक से साफ़ महसूस हुआ कि उसके उभार आने शुरू हो गए हैं…
उभारों ने गोलाई में आना शुरू कर दिया था…
सलोनी उसको लेकर रसोई में चली गई…
जाते जाते… मधु ने मुझे ‘नमस्ते भैया’ कहा जिसका मैंने सर हिलाकर जवाब दिया…
अब मैं मधु के बारे में सोचते हुए ही तैयार होने लगा…
गर्मी ज्यादा होने के कारण मैंने हल्का कुरता पजामा डाल लिया…
फिर ना जाने क्यों मन में मधु को देखने का ख्याल आया… और मैं अनायास रसोई की ओर बढ़ गया…
मधु नीचे उकड़ू बैठी आटा गूंध रही थी… उसकी फ्रॉक कमर तक उठी थी… और अंदर से उसकी काले रंग कच्छी साफ़ दिख रही थी…
कच्छी बहुत पुरानी थी और उसकी किनारी ढीली हो गई थीं…
उसके बार बार हिलने से किनारी उठ जाती थी और कच्छी के अंदर का साफ रंग भी दिख जाता था…
तभी उसकी नजर मुझ पर पड़ी… वो शरमा गई… और उसने तुरंत अपनी टांगें भींच ली…
मधु- अरे भैया आप… क्या हुआ… कुछ लाऊँ क्या ??
सलोनी काम करते हुए ही घूम कर देखती है…
सलोनी मधु से- अरे पगली तुझे क्या हुआ… तू अपना काम कर ना…
उसको संकुचाता देखकर- …इनसे क्या शरमाना… तेरे भैया ही तो हैं…
मधु फिर से बैठकर आटा गूंधने लगी… मगर उसके पैर अब बंद थे…
मैं- जान, इसके कपड़े भी नए बनवा देना… काफी पुराने हो गए हैं…
सलोनी- अरे मैं तो कब से कह रही हूँ… यही पगली ही तैयार नहीं होती… यह जो कच्छी पहनी है… वो भी मैंने दी थी… इसके तो बड़ी
थी… पर यह बोली कि यही दे दो… वरना पहले तो उस फटी कच्छी में ही घूमती थी…
मधु- क्या भाभी आप भी ना? ये सब भैया से क्यों बोल रही हो?
सलोनी- तो क्या हुआ… अब तुझे शर्म आ रही है… और जब वो फटी कच्छी पहन सबको दिखाती घूमती थी… तब नहीं आती थी?
मधु- व्व… वो… वो… !!!
मैं- ओह क्या जान… क्यों इस बेचारी को परेशान कर रही हो?
सलोनी- अरे मैं कहाँ… अच्छा आप जरा उस अचार के डिब्बे को उतार दो…
आचार का डिब्बा बहुत ऊपर स्लैब पर रखा था… मैं भी किसी चीज पर चढ़ कर ही उतार सकता था…
मैं- जान इसके लिए तो अंदर से कोई मेज या कुर्सी लेकर आओ…
सलोनी- अब वो सब नहीं… ऐसा करो आप इस मधु को ऊपर उठा दो… यही उतार देगी !
मैं अभी इसके बारे में सोच ही रहा था कि…
सलोनी- चल यहाँ आ मधु… अब बस कर… गुंध तो गया… अब क्या इसकी जान निकालेगी… चल अपने हाथ धो ले…
मधु हाथ धो मेरे पास आ खड़ी हो ऊपर देख रही थी…
सलोनी- चलो इसको ऊपर उठाओ…
मैंने मधु की कमर को दोनों हाथ से पकड़ ऊपर उठा दिया…
मधु- ओह नहीं पहुँच रहा भाभी…
मैंने उसको और ऊपर उठाया…
मेरे सीधा हाथ फिसलने लगा… और उसको नियंत्रित करने के लिए मैंने उसके चूतड़ों के नीचे टिका दिया…
उसका बैलेंस तो बन गया… और वो कुछ ऊपर भी हो गई… मगर मेरा सीधा हाथ ठीक उसके मखमल जैसे चूतड़ों के बीचों बीच था…
मुझे अच्छी तरह पता था… कि सलोनी हर तरह से दूसरे मर्दों से सेक्स का मजा ले रही है… परन्तु फिर भी ना जाने अपनी इस हरकत
से मेरे दिल में एक डर सा होने लगा…
मैंने घबराकर सलोनी की ओर देखा… पर उसका ध्यान आचार के डिब्बे की ओर ही था…
बस मुझे मौका मिल गया… मैंने अच्छी तरह से मधु के छोटे छोटे मुलायम चूतड़ों को… बैलेंस बनाने के बहाने… टटोला…
उसकी फ्रॉक भी ऊपर को खिसक गई… और मेरी उंगलियाँ. उसके चूतड़ों के नग्न मांस में भी धंस सी गई…
मधु ने डिब्बा उतारकर… सलोनी को पकड़ा दिया… जो उसको बराबर निर्देश दे रही थी…
अब सलोनी ने हमको देखा…
मैंने हाथ हटाने की कोशिश की… पर इससे उसका बैलैंस बिगड़ा…
मैंने उसको आगे से संभाला… इत्तेफ़ाक़ से मेरा हाथ उसके
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अब यह देखने वाली बात होगी कि क्या सलोनी मेरे सामने ही किसी गैर मर्द से चुदवाती है… या उससे पहले मैं सलोनी के सामने…
मधु या किसी और कमसिन लड़की को चोदता हूँ…
इस सब बातों को सोचते हुए मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था… और ख़ुशी में उसने पानी कि कुछ बूंदें भी टपका दी थीं…
तभी सलोनी कमरे में आती है…
उसके चेहरे से कोई अन्य प्रतिक्रिया नहीं दिखती… उसने बड़ी बेबाकी से अपना गाउन उतार दिया…
एक बार फिर मैं उसके सुन्दर शरीर को देखने लगा… उसने कुछ नहीं पहना था…
अब वो बड़ी मादकता के साथ अपने पूरे नंगे बदन पर कोई लोशन का लेप लगा रही थी…
फिर मुझे देखते हुए ही कहने लगी- …जान तो तुमने क्या सोचा…?? क्या पहनूँ फिर मैं आज?
मैं एक बार फिर उसकी पोशाकों को देखने-परखने लगता हूँ…
फिर वो एक जोड़ी अपनी कच्छी-ब्रा को पहन लेती है…
मैं- क्यों क… क्या यही सेट पहनना है?
सलोनी- हाँ… ये तो मुझे यही पहनना है… बाकी रुको मैं बताती हूँ…
वो एक वहुत सेक्सी ड्रेस निकाल कर लाती है… ये उसने अपने भाई के रिसेप्शन पर पहना था…
ये वाला ड्रेस…
सब उसको वहाँ देखते रह गए थे… हाँ रिसेप्शन पार्टी के समय तो उसने इसके नीचे पतली हाफ केप्री पहनी थी…
परन्तु जब रात को उसने केप्री निकाल दी थी, तब तो घर के ही लोग थे…
मगर सभी उसी को भूखी नजरों से ताक रहे थे, चाहे वो सलोनी के जीजा हों… या उसके भाई… और पापा…
उस समय बिस्तर आदि लगते समय… सलोनी के जरा से झुकने से ही उसकी सफ़ेद कच्छी सभी को रोमांचित कर रही थी…
मैंने तुरंत हाँ कर दी… और यह भी कहा- यार इसके नीचे बस वो वाली सफ़ेद कच्छी ही पहनना…
सलोनी- कौन सी… वो वाली… वो तो कब की फट गई.. ये वाली बुरी है क्या??
उसने अभी एक सिल्की… स्किन टाइट… वी शेप स्काई ब्लू… पहनी थी…
मैं- नहीं जान… इसमें तो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही हो… मगर बस इसी के ऊपर यह पहनना… वो उस दिन वाली कैप्री नहीं
पहनना…
सलोनी- अरे जानू फिर तो बहुत संभलकर रहना होगा… तुम ही देखो… फिर…
मैं- हाँ हाँ… मुझे पता है… पर प्रणव ही तो है.. वो तो अपना ही है ना… और फिर रुचिका से क्या शरमाना..
सलोनी- ठीक है जानू… जैसा आप कहो…
मैंने कसकर सलोनी को अपने से चिपका लिया… और कच्छी के ऊपर से उसके गोल मटोल चूतड़ों को सहलाने लगा…
तभी मधु अंदर आती है…
मधु- भाभीईइ… इइइइइइइ ओह
हम दोनों अलग हो गए…
सलोनी- क्या हुआ??
मधु- वो तो हो गया भाभी… अब क्या करूँ?
सलोनी- ले जरा यह लोशन, मेरी पीठ, टांगों और कूल्हों पर लगा दे… जहाँ जहाँ… दिख रहा है…
मधु- यह क्या है भाभी…
सलोनी- यह शाइनिंग लोशन है… और फिर तू भी तैयार हो जाना… ये फ्रॉक उतार कर… मैंने ये कपड़े रखे हैं… ये पहन लेना…
मैंने देखा उसने एक सफ़ेद नेकर और टॉप था जो थोड़ा पुराना था… मगर सूती था…
सलोनी- और हाँ यह कच्छी मत पहनना… मैं कल तुझको बढ़िया वाली दिलाऊँगी… मुझे भी जाना है कल तो तू भी वहीं से अपने साइज
की ले लेना…
मधु- जी भाभी…
इस बार मधु ने कुछ नहीं कहा… वो लोशन लगाते हुए बार बार मुझे ही देख रही थी…
शायद रसोई वाला किस्सा उसको भी अच्छा लगा था…
कुछ देर बाद सलोनी ने मधु की ड्रेस को उठा कर कहा- बस अब हो गया… अब तू ये कपड़े ले और तैयार हो जा… चाहे तो नहा लेना… पसीने की नहीं आएगी…
मधु- जी भाभी…
मधु ड्रेस लेकर मुझे तिरछी नजर से देखते हुए बाथरूम में चली गई।
इधर सलोनी तैयार होने लगी, उधर बाथरूम से शॉवर की आवाज से पता लग जाता है कि मधु नहा रही है…
कुछ देर बाद…
मधु- भाभी यहाँ तौलिया नहीं है…
सलोनी- ओह ! (मुझसे) जरा सुनो जानू… मधु को तौलिया दे दो ना… वो बालकोनी में होगा…
मेरी तो बांछें खिल जाती हैं… ना जाने मधु कैसी हालत में होगी… कच्छी पहन कर नहाई है… या पूरी नंगी होगी…
उसकी पूरी नंगी तस्वीर मन में लिए मैं तौलिया लेकर बाथरूम के दरवाजे पर पहुँच गया।
मैं दरवाजे से बाहर खड़ा मधु को आवाज देने की सोच ही रहा था कि…
सलोनी- मधु ले तौलिया…
जाने अनजाने सलोनी हर तरह से सहायता कर रही थी… अगर मैं आवाज देता तो हो सकता था कि वो शर्म के कारण दरवाजा नहीं
खोलती… या अपने को ढकने के बाद ही खोलती… मगर सलोनी की आवाज ने उसको रिलैक्स कर दिया था…
जैसे ही दरवाजा की चटकनी खुलने की आवाज आई…
मैंने भी दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और दरवाजा पूरा खुल गया…
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जैसे ही दरवाजा की चटकनी खुलने की आवाज आई…
मैंने भी दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और दरवाजा पूरा खुल गया…
ओह माय गॉड… मेरे जीवन का एक और मधुरम दृश्य मेरा इन्तजार कर रहा था…
वो पूरी नंगी थी… उसने अभी अभी स्नान किया था… और उसका सेक्सी गीला बदन गजब ढा रहा था…
वो मुझे देखते ही हल्का सा झुकी…
मैं आँखे फाड़े उसके सामने के अंगों को नग्न अवस्था में देख ही रहा था कि
पहले तो उसने अपनी कोमल चूत को अपने हाथ से ढकने का प्रयास किया…
फिर मधु ने मेरी ओर पीठ कर ली…
यह दूसरा मनोरम दृश्य मेरे सामने था…
वो वहुत ज्यादा शरमा रही थी, मगर कोई चीख चिल्लाहट नहीं थी…
मैं आँखें भर उसके नंगे मांसल चूतड़… एवं मखमली पीठ को देख रहा था…
फिर मैंने ही उसको तौलिया पकड़ाते हुए कहा- ले जल्दी से पोंछ कर बाहर आ जा…
पहली बार उसके मुख से आवाज निकली…
उसने तौलिया से खुद को ढकते हुए ही कहा…
मधु- भैया आप… मैं भाभी को समझी थी…
तभी सलोनी की आवाज आई- ओह तू कितना शरमाती है मधु… तेरे भैया ही तो हैं…
तभी मुझसे कहा- ..सुनो जी… मेरे बॉडी क्लीनर से इसकी पीठ और कंधे साफ़ करवा देना… और घुटने भी… वरना इस वाली ड्रेस से वो गंदे ना दिखें…
हे खुदा… कितनी प्यारी बीवी तूने दी है… वो मेरी हर इच्छा को समझ जाती है… उसने शायद मेरी आँखे और लण्ड की आवाज को सुन लिया था… जो वो मुझे इस नग्न सुंदरता की मूरत को छूने का मौका भी दे रही थी…
तभी…मधु- नहीईइइ… भाभी… मैंने साफ़ कर ली है…
सलोनी खुद आकर देखती है- पागल है क्या…?? कितने धब्बे दिख रहे हैं… क्या तू खुद सुन्दर नहीं दिखना चाहती…
मधु- हाँ वव वो वव… भाभी पर ये सब… भैया… नहींईईईईई
सलोनी- एक लगाऊँगी तुझको… क्या हुआ तो… भैया ही तो हैं तेरे… और वो सब जो तेरे पापा ने किया था…
मधु- ओह नहीं ना भाभी… प्लीज…
सलोनी- हाँ… तो ठीक है चुपचाप साफ़ करा कर जल्दी बाहर आ… देर हो रही है…
मैं सब कुछ सुनकर भी… कुछ भी नहीं बोल पाया… पता नहीं इसके पापा वाली बात क्या थी…
सलोनी बाहर निकल जाती है…
मधु वहीं रखे स्टूल पर बैठ जाती है उसने तौलिया खुद हटा दिया…
मैं सलोनी का क्लीनर उठा उसकी पीठ के धब्बों पर लगाने लगा… मैंने पूरी शराफत का परिचय देता हुआ उसके किसी अंग को नहीं छुआ… बस अपनी आँखों से उनका रसपान करते हुए… उसकी पीठ… कंधे… उसकी नाजुक चूची का ऊपरी भाग… और उसके घुटने को साफ़ कर दिया…
मधु के सभी अंग अब पहले से कई गुना ज्यादा चमक रहे थे… उसके अंगों पर अब शर्म की लाली भी आ गई थी…
कुछ देर बाद मधु तैयार होने लगी… लगता था उसकी शर्म भी अब बहुत कम हो रही थी…
कहते हैं ना कि जब कोई लड़की या औरत जब किसी मर्द के सामने नंगी हो जाती है… या जब उसको अपना नंगापन… किसी मर्द के
सामने अच्छा लगने लगता है… तो उसकी शर्म अपनेआप ख़त्म हो जाती है…
तो इस समय मधु भी बिना शर्माए मेरे सामने कपड़े बदल रही थी…
सलोनी की सूती सफ़ेद… फैंसी ड्रेस पहन वो गजब ढा रही थी…
मैं एक टक उसको देख रहा था…
और अब साथ साथ यह भी सोच रहा थाकि सलोनी मेरी कितनी सहायता कर रही है…
क्या इसलिए कि वो भी चाहती है कि आगे से मैं भी उसकी ऐसे ही सहायता करूँ…
या फिर कुछ और…
एक और प्रश्न भी मेरे दिमाग में चल रहा था कि आखिर मधु के साथ उसके पिता ने क्या किया था…??
कहते हैं चाहे कितनी भी मस्ती कर लो पर नई चूत देखते ही दिमाग उसको पाने के लिए पागल हो जाता है…
यही हाल मेरा था…
हम तीनों ही तैयार हो गए थे… सलोनी ने मधु का भी हल्का मेकअप कर दिया था… वो बला की खूबसूरत दिख रही थी…
मेरे दिमाग में उसकी ही चूत घूम रही थी… वैसे सलोनी की चूत मधु से कहीं ज्यादा सुन्दर और चिकनी थी…
पर मधु की चूत का नयापन मेरे दिमाग को पागल कर रहा था…
इंतजार करते हुए 9:30 हो गए…
सलोनी ने मधु के घर भी फ़ोन कर दिया था… कि वो आज रात हमारे यहाँ ही रुकेगी…
पहले भी वो 2-3 बार हमारे यहाँ रुक चुकी है… तो कई बड़ी बात नहीं थी…
परन्तु आज की बात अलग थी… मेरे दिल में कुछ अलग ही धक धक हो रही थी…
तभी प्रणव का फ़ोन आया…
मैं- क्या हुआ यार इतनी देर कहाँ लगा दी…
प्रणव- ओह सॉरी यार… आज का कार्यक्रम रद्द हो गया है… हम नहीं आ पाएंगे…
मैं- क्या…?
प्रणव- एक मिनट… तू नीचे आ…
मैं- तू पागल हो गया है… क्या बोल रहा है ?? कहाँ है तू???
प्रणव- अच्छा रुक मैं आता हूँ…
सलोनी- क्या हुआ??
मैं- पता नहीं क्या कह रहा है???
दो मिनट के बाद
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
सलोनी ने दरवाजा खोला- ओह आप आ तो गए… क्या हुआ प्रणव भैया ???
उसने सलोनी को देख एकदम से गले लगाया और उसके गाल को चूमा…
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सलोनी ने दरवाजा खोला- ओह आप आ तो गए… क्या हुआ प्रणव भैया ??? उसने सलोनी को देख एकदम से गले लगाया और उसके गाल को चूमा… प्रणव हमेशा ऐसे ही मिलता था… विदेशी कल्चर… और उसकी पत्नी रुचिका भी… उसने नजर भरकर सलोनी को देखा… प्रणव- वाह सलोनी… आज तो मस्त सेक्सी लग रही हो… सलोनी- अरे रुचिका कहाँ है भैया… प्रणव- अरे क्या कहूँ हम दोनों यहीं आ रहे थे… कि रुचिका के मॉम-डैड का फ़ोन आ गया… वो कहीं जा रहे थे… मगर कुछ इमर्जेन्सी हो गई… तो अभी आधे घंटे बाद उनका प्लेन यहीं आ रहा है… हम दोनों उनको ही लेने जा रहे हैं… सॉरी यार फिर कभी जरूर आएंगे… मैं- अरे यार एकदम… ये सब कैसे? प्रणव- यार फिर बताऊंगा… मुझे तो इस पार्टी को मिस करने का बहुत दुःख है… अच्छा यार ज़रा जल्दी में हूँ… माफ़ कर दो… तुम दोनों मुझको… उसने एक बार फिर सलोनी को अपने गले लगाया… इस बार मैं पीछे ही था, मैंने साफ़ देखा उसके बायाँ हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था… फिर वो तेजी से बाहर को निकल गया… मैं भी जल्दी से बाहर को आया… उसको सी ऑफ करने के लिए… मैं उसके साथ ही नीचे आ गया… रुचिका को भी एक नजर देखने के लिए… रुचिका उसकी महंगी कार में ही बैठी थी… मैं उसकी ओर गया… उसने तुरंत दरवाजा खोला… रुचिका ने पिंक मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था… जैसे ही वो नीचे उतरने लगी… उसके बायाँ पैर जमीन पर रखते ही… उसकी स्कर्ट ऊपर हो गई… और दोनों पैर के बीच बहुत ज्यादा गैप हो गया… मुझे उसकी नेट वाली लाल कच्छी दिखी… मेरी नजर वहीं थी कि… रुचिका- ओह अंकुर एक मिनट… मैं सॉरी बोल पीछे हटा… रुचिका ने बाहर आ मेरे सीने से लग गाल को हल्का सा चुम्बन किया… मुझे प्रणव की हरकत याद आ गई… मैंने भी अपना बायाँ हाथ रुचिका के चूतड़ों पर रखा… ओह गॉड मेरी किस्मत… मेरी उँगलियों को पूरी तरह से नंगे, मक्खन जैसे चूतड़ों का स्पर्श मिला… बैठने से रुचिका की स्कर्ट पीछे से सिमट कर ऊपर हो गई थी… और उसने शायद लाल टोंग पहना था… जिससे उसके चूतड़ के दोनों उभार नंगे थे… मेरी उँगलियाँ खुद ब खुद उसके चूतड़ों के मुलायम गोश्त में गड़ गई… मैंने भी रुचिका के गाल पर चुम्मा लिया… और जब गाड़ी में देखा तो प्रणव ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था… और वो मेरे हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था… मैंने जल्दी से रुचिका को छोड़ा और पीछे हट गया… रुचिका- सॉरी प्रणव… फिर बनाएँगे यार प्रोग्राम… अब तुम दोनों आना हमारे घर… मैं- कोई बात नहीं… ये सब भी देखना ही था… ठीक है… रुचिका घूमकर गाड़ी में बैठने लगी… उसने अभी भी अपनी स्कर्ट ठीक नहीं की थी… उसके चूतड़ों की एक झलक मुझे मिल गई… ना जाने मुझमे कहाँ से हिम्मत आ गई… मैंने रुचिका को रोका और उसकी स्कर्ट सही कर दी… रुचिका- क्या हुआ अंकुर।?? मैं- अरे या… स्कर्ट ऊपर हो गई थी… रुचिका- ओह… थैंक्स… प्रणव- हा हा हा… रुचिका आज… सलोनी तुमसे कहीं ज्यादा सेक्सी लग रही थी… रुचिका चिढ़कर- …तो नीचे क्यों आ गए… वहीं रुक जाते ना… मैं अंकुर के साथ चली जाती हूँ… प्रणव- ओह यार… मैं तो तैयार हूँ… क्यों अंकुर…?? मैं- हाँ हाँ… ठीक है… सोच ले… मुझे भी उनके सामने कुछ बोल्ड होना पड़ा… प्रणव ने गाड़ी स्टार्ट की- ..चल अच्छा फिर कभी सोचेंगे… वरना इसके पापा सोचेंगे… कि यार मेरी बेटी का पति कैसे बदल गया… और मैं उन दोनों को विदा कर ऊपर आ गया… दरवाजा खुला था… मैं अंदर गया… मधु हमारे बैडरूम के दरवाजे पर खड़े हो चुपचाप अन्दर झाँक रही थी… मैं चुपके से वहाँ गया, मुझे देखते ही वो डरकर पीछे हो गई… मैंने भी अंदर देखा… एक और सरप्राइज तैयार था… अंदर अरविन्द अंकल और सलोनी थे… मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ…
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मैंने भी अंदर देखा…
एक और सरप्राइज तैयार था…
अंदर अरविन्द अंकल और सलोनी थे…
मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ…
अंदर बैडरूम के अंदर अरविन्द अंकल केवल एक सिल्की लुंगी में थे…
वैसे वो पहले भी कई बार ऐसे ही आ जाते थे…
पर आज उनकी बाँहों में मेरी सेक्सी बीवी मचल रही थी…
मैंने पीछे हटती मधु को रोक लिया… उसको मुँह पर उंगली रख श्ह्ह्ह्ह का इशारा कर चुप रहने को कहा..
वो भी बिल्कुल भी आवाज न कर मेरे साथ ही लगकर खड़ी हो गई…
सलोनी ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थी.. अंकल ने उसको पीछे से अपनी बाँहों में जकड़ा था…
मैंने अपनी साँसों को कुछ नियंत्रित करते हुए उन दोनों की हरकतों पर ध्यान दिया…
अंकल की हाइट ज्यादा थी… तो कुछ अपनी टांगों को मोड़कर नीचे हो गए थे…
ऐसा उन्होंने अपने लण्ड को सलोनी की गाण्ड पर सेट करने के लिए किया था…
अंकल का लण्ड सलोनी की मखमली, गद्देदार गाण्ड से चिपका था और वो अपनी कमर को लगातार हिलाकर लण्ड को रगड़ रहे थे…
दोनों इस मजेदार रगड़ का मजा ले रहे थे…
मुझे नहीं पता कि बीच में उनकी क्या स्थिति थी…
सलोनी की झुकी होने से यह साफ़ था… कि उसकी ड्रेस उसके चूतड़ से खिसक ऊपर को हो गई होगी…
इसका मतलब अंकल के लण्ड का अहसास उसको कच्छी के ऊपर से हो रहा होगा…
पर मुझे यह नहीं पता था कि अंकल का लण्ड लुंगी से बाहर था या अंदर… अंकल ने अंडरवियर पहना था या नहीं…
इन सभी बात से मैं अनजान था…
तभी मेरी नजर ड्रेसिंग टेबल के दर्पण पर पड़ी… अंकल के बाँहों में चिपकी सलोनी की चूचियों पर उनका सीधा हाथ पूरी तरह लिपटा था और वो अपने पंजे से सलोनी की बायीं मस्त चूची को मसल रहे थे…
यहाँ तक होता तब भी ठीक था… पर…
अंकल का दायाँ हाथ आगे से उसकी ड्रेस के अंदर… सलोनी की टांगों के बीच था…
उनके हाथ के हिलने से सलोनी की ड्रेस ऊपर नीचे हो रही थी…
और यह महसूस हो रहा था… कि अंकल बड़े कलात्मक तरीके से मेरी इस बेकरार बीवी सलोनी की प्यारी चूत से छेड़छाड़ कर रहे हैं…
अब मैंने उनकी बातों को सुनने का प्रयास किया…
सलोनी- ओह अंकल मत करो ना… सब यहीं हैं…
सलोनी- अंकल प्लीज छोड़ दो ना… अंकुर आ गए तो क्या सोचेंगे…
अंकल- अरे वो नीचे है… मैंने खुद देखा था… तभी तो आया…
सलोनी- ओह्ह्ह… मधु भी तो है…
अंकल- अह्ह्ह… हाआआआ… व…वो रसोई में है…
अंकल- आह्ह्हा… अह्ह्ह… यार… ये बता कि कैसा लग रहा है???
सलोनी- आपका अच्छा ख़ासा तो है…
अंकल- केवल तेरे गरम बदन से ही इतना बड़ा हुआ है… वरना तेरी आंटी के पास इतना बड़ा नहीं होता…
तभी सलोनी ने अपना बायाँ हाथ पीछे कर…
सलोनी- ओह अंकल कितना बड़ा है…
ओह उसने अंकल का लण्ड पकड़ा था…
वो थोड़ा साइड में हुए… तो मैंने देखा कि अंकल का लण्ड लुंगी से बाहर था…
सलोनी ने उनके लण्ड पर अपना हाथ फिराया… और उसको लुंगी के अंदर कर दिया…
सलोनी- सच अंकल आप बिल्कुल निराश मत हो… आपका अंकुर से भी बड़ा और मजबूत है…
अंकल- पर तुम्हारी आंटी के सामने यह धोखा दे देता है… सच बेटा… कल तुमको नंगी देख… कई महीने बाद मैं उसको संतुष्ट कर पाया… पर यकीन मानो मैं तेरे को सोच कर ही उसको चोद रहा था…
सलोनी- धत्त अंकल कैसी बात करते हो… अब आप जाओ… अंकुर आते ही होंगे…
अंकल बाहर को आने लगे… मैंने मधु को तुरंत रसोई में किया… और खुद दरवाजे से ऐसे अंदर को आया कि… अभी आ ही रहा हूँ…
मैं- ओह अंकलजी नमस्ते…
अंकल हड़बड़ाते हुए- हा ह ह हाँ बेटा… कैसे हो?
मैं- ठीक… हूँ और आप?
अंकल- मैं भी बेटा… बस तुम्हारी आंटी के सर में दर्द था… तो गोली लेने आ गया था…
मैं- अरे तो क्या हुआ…??? आप ही का घर है…
अंकल- अच्छा सलोनी बेटा… मैं चलता हूँ फिर… बाय !
सलोनी- बाय…
वो दरवाजा बंद करके मुझसे बोली- …गए वो लोग… अब फिर क्या कह रहे थे…
मैं बैडरूम में जाते हुए- …कुछ नहीं… अब फिर कभी आएंगे…
सलोनी रसोई में जाते हुए…
सलोनी- ठीक है… आप चेंज कर लो… मैं खाना लगवाती हूँ…
मैं- ह्म्म्म्म्म
बैडरूम में जाते ही मुझे एक और झटका लगता है…
मुझे याद था सलोनी ने जो कच्छी पहनी थी… वो ड्रेसिंग टेबल पर रखी थी…
इसका मतलब वो इतनी छोटी ड्रेस में बिना कच्छी के ही है…
मैं उसकी कच्छी को अपने हाथ में लेकर अभी कुछ देर पहले हुए दृश्य के बारे में सोचने लगा…
सलोनी झुकी हुई है… उसकी ड्रेस कमर तक सिमटी है… उसके नंगे चूतड़ से अंकल का लण्ड चिपका है… जो उन्होंने लुंगी से बाहर निकाल लिया है… कितनी हिम्मत आ गई है दोनों में… दरवाजा खुला छोड़… मधु घर पर ही है… मैं भी दूर नहीं हूँ… और दोनों कैसे अपने नंगे अंगों को मिलाकर मजे ले रहे थे…
अभी एक सवाल और मेरे दिमाग में आ रहा था… सलोनी ने कच्छी खुद उतारी थी… या अंकल में इतनी हिम्मत आ गई थी…
ये दोनों कितना आगे बढ़ गए हैं… ये सब अभी सस्पेंस ही था…
मैंने अपना कुरता पजामा… निकाल… बरमूडा पहन लिया…
गर्मी बहुत थी… इसलिए अंडरवियर भी उतार दिय
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मैंने देखा मधु मेरे बरमुडे को ध्यान से देख रही है…
बरमूडा लण्ड वाले भाग से काफी उठ गया था…
क्योंकि मेरा लण्ड कुछ सख्त हो गया था…
मैं मधु के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया और अपने हाथ को उसके छोटे मुलायम चूतड़ों पर रख उसको छेड़ा- तू क्यों मजे ले रही है… क्यों इतनी जोर से हंस रही थी?
मधु कसमसाते हुए- नहीं भैया… वो तो… क्या कर रहे हो?
उसन मेरे आगे से निकलने की कोशिश की तो मैंने उसको कसकर पकड़ झटका दिया…
वो गड़बड़ाकर… मेरी गोद में बैठ सी गई और… उसके चूतड़ ठीक मेरे लण्ड पर थे…
उसके कसमसाने से उसके चूतड़ मेरे खड़े हो चुके लण्ड को बहुत मजा दे रहे थे…
मधु- क्या कर रहे हो भैया… छोड़ो ना…
मैं उसको गुदगुदी के बहाने उसके पेट और छोटी छोटी चूचियों को नापते हुए…
मैं- पहले यह बता कि जब अंकल आये तो सलोनी क्या कर रही थी?
मधु कसमसा तो रही थी… मगर मेरी गोदी से हटने का कोई ज्यादा प्रयास नहीं कर रही थी… लगता था उसको भी मजा आ रहा था…
मधु- ओह… ह्ह्ह्ह्ह्ह वववव व्व्वो भैया… मुझे… नहीईईईई… हाँ वो अपने कपड़े ही बदल रही थी…
मैं- अरे यह बता कि क्या कर रही थी… कपड़े तो अभी भी पहने ही हैं ना…
मधु- आआररर रे… वो अपनी कच्छी ही निकाल रही थी…
मैं – अच्छा उसने खुद ही निकाली ना… कहीं अंकल ने तो नहीं??
मधु- ह्ह्ह्ह्ह्ह नहीईइइइइ ना भाभी ने ही… हाँ अंकल ने उनको पीछे से नंगी देख लिया था…
मैं- ओह अच्छा… तभी… वो…
मधु- हाँ… अंकल ने उनको पीछे से पकड़ लिया था…
उसकी बातें सुन कर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैंने गुदगुदी करते करते अपना हाथ उसकी सफ़ेद नेकर के अंदर घुसा दिया…
मधु मेरी गोद में बैठी बुरी तरह से मचल रही थी, वो पूरी तरह से मेरे से चिपकी थी… उसके छोटे-छोटे चूतड़ मेरे तने हुए लण्ड को बेहाल किये थे…
मधु एक परफेक्ट डांसर की तरह अपनी कमर को हिला रही थी और अपने चूतड़ के हर भाग को मेरे लण्ड से रगड़ रही थी…
इधर मेरे हाथ उसको पकड़ने एवं गुदगुदी के बहाने उसके पूरे चिकने शरीर को टटोल रहे थे…
उसने केवल एक सफ़ेद कॉटन का टॉप और नेकर ही पहना था…
जिसके अंदर न तो कोई समीज या अन्य कपड़ा था और ना ही नीचे कच्छी थी…
मेरे हाथों को उसका चिकना शरीर लगभग नंगा ही प्रतीत हो रहा था…
मेरे हाथ उसके टॉप के अंदर नंगे पेट एवं कभी कभी उसकी छोटी सी बिल्कुल टाइट चूची तक भी पहुँच जाते थे…
तो कभी उसकी नंगी टांगों, जांघों को रगड़ते हुए उसकी छोटी मुनिया सी चूत को भी रगड़ देते थे…
मधु पूरी मस्त हो गई थी… और बेहद गरम आवाजें निकाल रही थी- आह्ह्ह्ह्हाआ इइइइइइ ऊ उउउउउउउउउ क्या कर रहे हो भैयाआहाए…
मैं बिना कुछ बोले केवल उसको बुरी तरह से छेड़ते हुए खुद भी मजे ले रहा था…
मैं- अच्छा तो तेरी भाभी के नंगे चूतड़ों से… पीछे से चिपक कर अंकल ने क्या किया… बता नहीं तो…
मधु- ओह भैया… आपने भी तो देखा था ना… छोड़ दो ना आह्ह्ह्ह्हाआआआ इइइइइइ
मैं- अच्छा छोड़ दू… क्यों छोड़ू????? ले अभी… तू बता ना ..क्या तूने अंकल का देखा था ..???
मधु- क्या देखा था… ओह्ह्ह्ह नहीईईईईईईई
मैं- अच्छा नहीं देखा… झूट…
मधु- अरे हाँ… पर क्याआआआ??
मैं- उनका खड़ा हुआ लण्ड… मैं उससे जल्द से जल्द खुलना चाह रहा था…
मधु- धत्त्त्त् भैया… चलो अब छोड़ो… नहीं तो चिल्ला कर भाभी को बुला लुंगी…
मैं- अच्छा तो बुला ना…
मैंने उसके नेकर पर हाथ रख अपनी उंगलियाँ नेकर के अंदर डालने की कोशिश की..
नेकर सलोनी का था… इसलिए शायद उसकी कमर में बहुत ढीला होगा…
मैंने देखा उसने एक तरफ पिन लगाकर उसको अपनी कमर पर टाइट किया था…
वो इतना टाइट हो गया था कि मेरी उँगलियाँ भी अंदर नहीं गई…
मधु ने मेरा हाथ पकड़ लिया- ..नहींईईईई भैया… मैं भाभी को बुलाती हूँ… आप उन्ही से पूछ लेना… उन्होंने तो देखा था… उन अंकल का…
मधु अब वाकयी खुल रही थी…
उसकी बात सुन मेरी हिम्मत बढ़ गई… मैंने उसके हाथ को छुड़ाकर एक झटका दिया…
उसके नेकर की पिन खुल गई… और नेकर आगे से पूरा ढीला हो गया…
और मेरी सभी उँगलियों ने मधु के शरीर के सबसे कोमल भाग पर अपना कब्ज़ा कर लिया…
मधु ने एक जोर से हिचकी ली- …आआउउच नहीईईईईईईईई
मैं बयां नहीं कर सकता कि उसकी चूत कितनी मुलायम थी… मुझे लगा जैसे मैं मक्खन की टिक्की में उँगलियाँ घुमा रहा हूँ…
मैं यह देख और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि इतनी कम उम्र में भी उसकी चूत से रस निकल रहा था…
इसका मतलब मधु अब जवान हो चुकी थी… और मेरा लण्ड उस मक्खन में जाने को फुफकार रहा था…
तभी सलोनी की आवाज आई… वो रसोई में प्रवेश कर रही थी…
मधु मेरी गोद में थी… मेरा बायां हाथ उसके छाती से लिपटा था… और दायाँ उसके नेकर के अंदर उसकी चूत पर था ..
कुछ देर तक तो हम दोनों भौंचक्के थे…
मैंने तुरंत मधु को गोद से हटा दिया…
मगर सलोनी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे… वो सामान्य रूप से आई और सामान देखने लगी…
मधु- वो भाभी… भैया परेशान कर र
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अचानक मेरी ज़िंदगी ने एक रोमांचक मोड़ ले लिया था… जो अब तक मैं जी रहा था.. वो केवल सूखी नदी की तरह था, अब ऐसा लग रहा था जैसे ज़िंदगी में रस ही रस आ गया हो…
अब तक किताबों या लोगों से सुने सभी सामाजिक विचार मुझे बेकार लगने लगे थे… इज्जत, सम्मान, मर्यादा सब आपके दिल में ही अच्छे लगते हैं… दिखावट करने से ये आपको जंजीरों में जकड़ लेते हैं… मैं अगर इन सब में पड़ता… तो अब तक सलोनी से लड़ झगड़ कर… हम दोनों की जिंदगी नरक बना लेता…
मगर मेरी सोच अलग है…
लण्ड किसी की भी चूत में जाए.. इससे ना तो लण्ड को फर्क पड़ता है.. और ना ही चूत का ही कुछ नुकसान होता है…
परन्तु बदलाव आने से… एक अलग मजा आता है और जवानी बरकरार रहती है…
मैं देख रहा था… कि सलोनी के चेहरे पर एक अनोखी चमक बरकरार रहती है… यह सब उसके चंचल जीवन के कारण ही था…
हम तीनों को ही खाना खाते हुए मस्ती करने में बहुत मजा आ रहा था…
मैंने सलोनी को चुप कराते हुए कहा- तू चुप कर जान… मुझे भी तो पता चले ..कि मेरे पीछे उस साले डॉक्टर ने क्या किया?? हा हा हा हा..
मैं जोर से हंसा भी जिससे माहौल हल्का ही बना रहे..
मधु- हाँ भैया… मेरे को चिड़ा रही हैं भाभी… जब आप यहाँ नहीं थे तब… ना…
मैंने मधु को अपने पास करके उसके गाल को चूमते हुए पूछा- पुच च च च… बता बेटा.. क्या किया डॉक्टर ने…
सलोनी अपने चेहरे को नीचे कर खाते हुए ही आँखें ऊपर को चढ़ा हम दोनों को घूर रही थी… उसके चेहरे पर कई भाव आ जा रहे थे…
उसके चेहरे के भाव देख मुझे लग रहा था कि जरूर कुछ अलग राज़ खुलने वाला है… क्या डॉक्टर ने मेरे पीछे सलोनी की चुदाई की थी… वो भी मधु के सामने???
क्या इसीलिए सलोनी मधु को मेरे इतना पास ला रही है…
मैंने अपने सीधे हाथ से मधु की नंगी ..चिकनी जांघें सहलाते हुए उसको बढ़ावा दिया…
मधु- वो भैया.. भाभी की तबियत खराब नहीं हो गई थी… जब… तब आपने ही तो भेजा था ना डॉक्टर को… भाभी बिल्कुल चल ही नहीं पा रही थी.. तब ना ..उन डॉक्टर ने भाभी को नंगा करके… सुई लगाईं थी…
मैं- क्याआआआआ…
सलोनी- एएएएए मारूंगी.. क्या बकवास कर रही है…
मैं- क्यों मारेगी… कौन सी सुई लगाई थी.. हा हा हा हा
मैंने बिल्कुल ऐसे जाहिर किया ..जैसे कुछ हुआ ही नहीं… मेरे इस बर्ताव से माहौल सामान्य बना रहा..
सलोनी जो कुछ बेचैन हो गई थी.. अब मजे ले रही थी- …अरे नहीं जानू… मैं तो बिल्कुल बेजान ही हो गई थी उस दिन… मेरा ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया था…
मैं- हाँ मुझे पता है जान… सॉरी यार उस समय मैं तुम्हारे पास नहीं था..
सलोनी- ओह थैंक्स माय लव..
मैं- फिर डॉक्टर ने कहाँ इंजेक्शन लगाया?
सलोनी- अरे उस दिन मैंने पीला वाला लॉन्ग गाउन पहना था ना… बस… उसी कारण…
मैं- अरे तो क्या हुआ जान… डॉक्टर जब चूतड़ों पर इंजेक्शन ठोंकता है… तो उसके सामने तो सभी को नंगा होना ही पड़ता है…
मधु- हाँ भैया… मगर भाभी ने तो उस दिन ..कच्छी भी नहीं पहनी थी… डॉक्टर ने तो भाभी के चूतड़ और सुसू पूरी नंगी देखी थी.. हे हे..
मधु को कुछ ज्यादा ही मस्ती चढ़ गई थी… मगर अब हम दोनों ही उसकी बातों से मजा ले रहे थे ..
सलोनी- इसे देखो जरा ..कितनी चुगली कर रही है..? अरे जानू वो गाउन ..केवल नीचे से ऊपर ही हो सकता है ना…
मुझे तो पता ही नहीं था कि वो इंजेक्शन लगाएंगे… वरना मैं कोई पजामा जैसा कपड़ा पहन लेती..
मैं- अरे तो क्या हुआ जान… क्या फरक पड़ता है..
सलोनी- मुझे तो बाद में समझ आया… फिर बहुत शर्म भी आई.. पहली बार मुझे लगा कि कच्छी पहननी चाहिए थी !
पर तब तो उन्होंने इंजेक्शन लगा गाउन ठीक भी कर दिया था…
मधु- नहीं भाभी ..बहुत देर तक उन्होंने आपके चूतड़ सहलाये थे.. मैंने देखा था…
मधु ने तो जैसे पूरा मोर्चा संभाल लिया था… उसको लगा आज सलोनी कि डांट पड़वा कर ही रहेगी…
सलोनी- ओह… नहीं जान.. मुझे कोई होश नहीं था.. मुझे नहीं पता यह क्या बक रही है…
मैं- हा हा हा हा… मुझे पता है जान…
मैंने मधु को और भी अपने से चिपका कर उसकी जांघों की जड़ तक अपना हाथ पहुँचा दिया… आश्चर्य जनक रूप से उसने अपने दोनों पैरों को खोल एक गैप बना दिया…
मेरी उँगलियों ने एक बार फिर उसकी कोरी छोटी सी चिकनी फ़ुद्दी को सहलाना शुरू कर दिया…
मैं- मेरी प्यारी बच्ची… वो जो डॉक्टर है ना सुई लगाने से पहले ..उस जगह को मुलायम करने के लिए मलते हैं…
मधु- अहा ह्ह्ह्ह्ह… जज्जी… भैया
सलोनी- समझी पागल…
मधु- मुझे लगा कि वो भाभी के साथ कोई गन्दी हरकत कर रहे हों…
मैं- नहीं बेटा…
ऐसी बातें करते हुए और… मजे लेते हुए हम तीनों ने खाना खत्म किया…
अब बारी थी सोने की…
मेरे मन में ना जाने कितने विचार चल रहे थे… कि आज रात मधु के साथ कुछ न कुछ तो करता हूँ…
मगर मधु जब भी आती है… वो बाहर के कमरे में ही सोती है… अब उसको अपने बैडरूम में तो सुला नहीं सकता था… और अगर रात को सोते हुए उठकर कुछ करता
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मधु ने अपना बिस्तर बाहर के कमरे में ही लगाया था..
मैं यही सोच रहा था कि रात को एक बार कोशिश तो जरूर करूँगा… यह अच्छा ही था कि सलोनी बैडरूम में रहेगी और मैं आसानी से मधु की बन्द चूत खोल पाऊँगा।
मगर फिर एक डर भी सता रहा था कि अगर वो ज़ोर से चिल्ला दी तो क्या होगा !
बहुत से विचार मेरे दिल में आ जा रहे थे… मैं बहुत सारी बातें सोच रहा था… कि मधु को ऐसे करके चोदूंगा, वैसे चोदूंगा..
यहाँ तक कि मैंने दो तीन चिकनी क्रीम भी ढूंढ कर पास रख ली थीं… मेरे शैतानी लण्ड ने आज एक क़त्ल का पूरा इंतजाम कर लिया था और वो हर हाल में इस काण्ड को करने के लिए तैयार था…
फिर काम निपटाकर सलोनी अंदर आई और उसने मेरे पुराने सभी विचारों पर बिंदु लगा दिया..
अहा… सलोनी ने यह क्या कर दिया…
पता नहीं मेरे फायदे के लिए किया… या सब कुछ रोकने के लिए… मगर मुझे बहुत बुरा लगा…
दरअसल हमारे घर में ऐ सी केवल बैडरूम में ही लगा है…
बाहर के कमरे में केवल छत का पंखा है जो सोफे वाली तरफ है, जहाँ मधु ने बिस्तर लगाया था वहाँ हवा बिल्कुल नहीं पहुँचती।
सलोनी ने वहाँ आते ही उसको कहा- अरे मधु, यहाँ तू कैसे सोयेगी? रात को गर्मी में मर जाएगी… चल अंदर ही सो जाना…
लगता है जैसे मधु मेरे से उल्टा सोच रही थी… जहाँ मैं उसको अलग आराम से चोदना चाह रहा था.. वहीं वो शायद मेरे पास लेटने की सोच रही थी.. क्योंकि वो एकदम से तैयार हो गई, उसने फटाफट अपना बिस्तर उठाया और बैडरूम में आ देखने लगी कि किस तरफ लगाना है..
मैं कुछ कहना ही चाह रहा था मगर तभी सलोनी ने एक और बम छोड़ दिया- यह कहाँ ले आई बेवकूफ, इसको बाहर ही रख दे.. यहीं बेड पर ही सो जाना…
अब मुझसे नहीं रुक गया, मैं बोला- अरे जान यहाँ..कैसे…
सलोनी- अरे सो जाएगी एक तरफ को जानू… वहाँ गर्मी में तो मर जायेगी सुबह तक…
मैं चुप करके अब इस स्थिति के बारे में विचार करने लगता हूँ… पता नहीं यह अच्छा हुआ या गलत…
पर जब मधु सलोनी के पास ही सोयेगी तब तो मैं हाथ भी नहीं लगा पाऊँगा…
मेरा दिल कहीं न कहीं डूबने लगा था और सलोनी को बुरा-भला भी कह रहा था।
हम तीनों बिस्तर पर आ गए, एक ओर मैं था, बीच में सलोनी एवं दूसरी तरफ मधु लेट गई… ऐ सी मधु वाली साइड में लगा था…
मैंने कमर में एक पतला कपड़ा बाँध लिया था और पूरा नंगा था… वैसे मैं नंगा ही सोता था पर आज मधु के कारण मैंने वो कपड़ा बाँध लिया था।
सलोनी अपनी उसी शार्ट नाइटी में थी जो उसके पैर मोड़ने से उसके कमर से भी ऊपर चली गई थी.. उसके मस्त नंगे चूतड़ मेरे से चिपके थे…
उधर मधु केवल एक समीज में लेटी थी..
हाँ उसमे अभी भी शर्म थी.. या वाकयी ठण्ड के कारण वहाँ रखी पतली चादर ओढ़ ली थी… उसका केवल सीने तक का ही बदन मुझे दिख रहा था..
करीब आधे घंटे तक मैं सोचता रहा कि यार क्या करूँ…
एक तो सलोनी के मस्त नंगे चूतड़ मेरे लण्ड को आमंत्रण दे रहे थे.. मगर उसे तो आज नई डिश दिख रही थी…
मेरा कपड़ा खुल कर एक ओर हो गया था और अब नंगा लण्ड छत की ओर तना खड़ा था, मेरे बस करवट लेते ही वो सलोनी के नंगे चूतड़ से चिपक जाता …
मगर ना जाने क्यों मैं सीधा लेटा मधु के बारे में सोच रहा था कि क्या रिस्क लूँ, उस तरफ जा मधु को दबोच लूँ..
मगर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी… फिर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया.. मैंने सलोनी की ओर करवट ले ली और सलोनी से पीछे से चिपक गया..
मेरे लण्ड ने सलोनी के चूतड़ के बीचों बीच अपनी जगह बना ली….
सलोनी ने भी थोड़ा सा खिसक कर अपने चूतड़ों को हिलाकर लण्ड को सही जगह सेट कर लिया।
अब मैंने अपना हाथ बढ़ा कर सीधे मधु की चादर में डाल दिया… मुझे पता था कि सलोनी आँखे खोले मेरे हाथ को ही देख रही है…
मगर मैंने सब कुछ जान कर भी अपने हाथ को मधु की चादर में डाल दिया और हाथ मधु के नंगे पेट पर रखा…
मधु की समीज उसके पेट से भी ऊपर चली गई थी..
मैं सलोनी की परवाह ना करते हुए अपना हाथ सीधे पेट से सरकाते हुए मधु की मासूम फ़ुद्दी तक ले गया जहाँ अभी बालों ने भी पूरी तरह निकलना शुरू नहीं किया था…
उसका यह प्रदेश किसी मखमल से भी ज्यादा कोमल था ….
मेरी उँगलियों ने उसकी फ़ुद्दी को सहलाते हुए जल्दी ही उसके बेमिसाल छेद को टटोल लिया…
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मधु कसमसाई, उसने आँखे खोली और सर घुमाकर सलोनी की ओर देखा…
सलोनी की भी आँखें खुलीं थी…
बस मधु बिदक गई और उसने तुरंत मेरा हाथ झटक दिया…
मधु- क्या करते हो भैया… सोने दो ना…
मैं पहले तो घबरा गया मगर फिर मेरे दिमाग ने काम किया, मैं बोला- अरे, मैं देख रहा हूँ कि तूने कहीं सूसू तो नहीं कर दिया… गद्दा खराब हो जायेगा…
सलोनी- हा हा.. और एक दम ऐसी के सामने लेटी है.. जरा संभलकर…
मधु- क्या भाभी आप भी… मैं नहीं बोल रही आपसे..
तभी सलोनी ने वो कर दिया जिसकी मुझे सपने में भी उम्मीद नहीं थी…
मधु की मक्खन जैसी फ़
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सलोनी ने मधु का हाथ पकड़ कर खींच कर सीधे मेरे तने हुए लण्ड पर रख दिया और बोली- तू भी तो पागल है.. बदला क्यों नहीं लेती… तू भी देख ..कि कहीं तेरे भैया ने तो सूसू नहीं की.. हे हे हे हे…
सलोनी के इस करतब से मैं भौंचक्का रह गया.. और शायद मधु भी…
हाथ के खिंचने से वो सलोनी के ऊपर को आ गई थी.. सलोनी ने ना केवल मधु का हाथ मेरे लण्ड पर रखा बल्कि उसको वहाँ पकड़े भी रही कि कहीं मधु जल्दी से हटा न ले…
मधु का छोटा सा कोमल हाथ मेरे लण्ड को मजे दे ही रहा था कि अब मधु ने भी मेरी समझ पर परदा डालने वाली हरकत की…
उसने कसकर अपनी छोटे छोटे हाथ से बनी जरा सी मुट्ठी में मेरे लण्ड को जकड़ लिया…
मधु- हाँ भाभी, आप ठीक कहती हो… क्या अब भी भैया सूसू कर देते हैं बिस्तर पर?
सलोनी- हा हा… हाँ बेटा… तुझे क्या पता कि ये अब भी बहुत नालायक हैं.. ना जाने कहाँ कहाँ मुत्ती करते हैं… मेरे कपड़े तक गीले कर देते हैं…
मैंने मधु के हाथ को लण्ड से हटाने की कोई जल्दी नहीं की… लेकिन कुछ प्रतिवाद का दिखावा तो करना ही था इसलिए..
मैं- तुम दोनों पागल हो गई हो क्या?? यह क्या बकवास लगा रखी है?
तभी मधु मेरे लण्ड को सहलाते हुए अपना हाथ लण्ड के सुपाड़े के टॉप पर ले जाती है.. उसको कुछ चिपचिपा महसूस हुआ… मेरे लण्ड से लगातार प्रीकम निकल रहा था…
मधु- हाँ भाभी.. आप ठीक कह रही हो… भैया ने आज भी सूसू की है.. देखो कितना गीला है…
सलोनी- हा हा हा…
मैं- हा हा… चल पागल…फिर तो तूने भी की है ..अपनी देख वहाँ भी कितनी गीली है…
शायद सलोनी जैसी समझदार पत्नी बहुत कम लोगों को मिलती है… मेरा दिल कर रहा था कि जमाने भर की खुशियाँ लाकर उसके कदमों में डाल दूँ…
मेरे लण्ड और मधु की चूत के गीलेपन की बात से ही वो समझ गई कि हम दोनों अब क्या चाहते हैं… उसने बिना कुछ जाहिर करे मधु को एक झटके से अपने ऊपर से पलटकर मेरी ओर कर दिया और खुद मधु की जगह पर खिसक गई।
फिर बड़े ही रहस्यमयी आवाज में बोली- ..ओह तुम दोनों ने मेरी नींद का सत्यानाश कर दिया… तू इधर आ और अब तुम दोनों एक दूसरे की सूसू को देखते रहो.. कि किसने की और किसने नहीं की सूसू…
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मधु एकबारगी तो बौखला सी गई पर बाद में सीधी होकर लेट गई…
मैं समझ नहीं पा रहा था कि कुछ बोलूं या नहीं…
मैंने घूमकर देखा कि सलोनी वाकयी दूसरी और करवट लेकर लेट गई थी…
अब मैंने मधु के चेहरे की ओर देखा… उसके चेहरे पर कई भाव थे… उसकी आँखों में वासना और डर दोनों नजर आ रहे थे..
जबकि होंटो पर हल्की मुस्कुराहट भी थी…
मेरे दिल में एक डर भी था कि कहीं सलोनी कुछ फंसा तो नहीं रही…
मगर पिछले दिनों मैंने जो कुछ भी देखा और सुना था… सलोनी का वो खुला रूप याद कर मेरा सारा डर निकल गया…
मैंने झुककर मधु के पतले कांपते होंठों पर अपने होंठ रख दिए…
मधु तो जैसे सब कुछ करने को तैयार थी… लगता है… इस उम्र में उसकी वासना अब उसके वश से बाहर हो चुकी थी…
वो लालायित होकर अपने मुँह को खोलकर…मेरा साथ देने लगी…
मैं उसके ऊपर तिरछा होकर झुका था… उसका बायां हाथ मेरे लण्ड को छू रहा था…
अचानक मैंने महसूस किया कि उसने फिर से अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ लिया है… उसकी बेचैनी को समझते हुए मैं उसके होंठों को छोड़कर ऊपर उठा… मैंने उसकी समीज की ढीली आस्तीन को उसके कंधो से नीचे सरका दिया…
मधु इतनी समझदार थी कि वो तुरंत समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ…
उसने अपने दोनों हाथों से अपनी आस्तीन को निकाल दिया…
मैंने उसके सीने से समीज को नीचे कर उसकी नाजुक छोटी छोटी चूचियों को एक ही बार में अपनी हथेली से सहलाया…
मधु बहुत धीरे से- अहा… आआ…
उसकी समीज उसके पेट पर इकट्ठी हो गई थी…
मैंने एक बार फिर समीज नीचे को की…
मधु ने सलोनी की ओर देखते हुए अपने चूतड़ को उठाकर अपने हाथ और पैर से समीज को पूरा निकाल दिया…
सलोनी अपने नंगे चूतड़ को उठा हमारी ओर करवट लिए वैसे ही लेटी थी… उसकी साँसें बता रही थी कि वो सो गई है या सोने का नाटक कर रही है…
मेरा कमर से लिपटा कपड़ा तो कब का खुलकर बिस्तर से नीचे गिर गया था…
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मधु ने सलोनी की ओर देखते हुए अपने चूतड़ को उठाकर अपने हाथ और पैर से समीज को पूरा निकाल दिया…
सलोनी अपने नंगे चूतड़ को उठा हमारी ओर करवट लिए वैसे ही लेटी थी… उसकी साँसें बता रही थी कि वो सो गई है या सोने का नाटक कर रही है…
मेरा कमर से लिपटा कपड़ा तो कब का खुलकर बिस्तर से नीचे गिर गया था…
अब मधु भी पूरी नंगी हो गई थी…
नाईट बल्ब की नीली रोशनी में उसका नंगा बदन गजब लग रहा था…
मैंने नीचे झुककर उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में ले लिया…
उसकी पूरी चूची मेरे मुँह में आ गई… मैं उसको हल्के हल्के चूसते हुए अपनी जीभ की नोक से उसके नन्हे से निप्पल को कुरेदने लगा…
मधु पागल सी हो गई… उसने अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ उमेठ सा दिया…
मैंने अपना बायां हाथ उसकी जांघों के बीच ले जाकर सीधे उसकी फ़ुद्दी पर रखा और अपनी उंगली से उसके छेद को कुरेदते हुए ही एक उंगली अंदर डालने का प्रयास करने लगा…
मधु कुनमुनाने लगी…
लगता है उसको दर्द का अहसास हो रहा था…
मुझे संशय होने लगा कि इतने टाइट छेद में मेरा लण्ड कैसे जायेगा…
वाकयी उसका छेद बहुत टाइट था… मेरी उंगली जरा भी उसमें नहीं जा पा रही थी…
मैंने अपनी उंगली मधु के मुँह में डाली… उसके थूक से गीली कर फिर से उसके चूत में डालने का प्रयास किया..
मेरा बैडरूम मुझे कभी इतना प्यारा नहीं लगा… मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ज़िंदगी इतनी रंगीन हो सकती है…
मेरे सामने ही बेड के दूसरे छोर पर मेरी सेक्सी बीवी लगभग नंगी करवट लिए लेटी है… उसकी अति पारदर्शी नाइटी जो खड़े होने पर उसके घुटनो से 6 इंच ऊपर तक आती थी… इस समय सिमट कर उसके पेट से भी ऊपर थी… और मेरी जान अपने गोरे बदन पर कच्छी तो पहनती ही नहीं थी… उसके मस्त चूतड़ पीछे को उठे हुए मेरे सेक्स को कहीं अधिक भड़का रहे थे…
अब तक मजेदार भोजन खिलाने वाली मेरी बीवी ने आज एक ऐसी मीठी डिश मेरे सामने रख दी थी कि जिसकी कल्पना शायद हर पति करता होगा मगर उसे मायूसी ही मिलती होगी…
और खुद सोने का नाटक कर रही थी…
मधु के रसीले बदन से खेलते हुए मैं अपनी किस्मत पर रश्क कर रहा था…
इस छोटी सी लोंडिया को देख मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतनी गर्म होगी और चुदाई के बारे में इतना जानती होगी…
मेरा लण्ड उसके हाथों में मस्ती से अंगड़ाई ले रहा था और बार-बार मुँह उठाकर उसकी कोमल फ़ुद्दी को देख रहा था, जैसे बोल रहा हो कि आज तुझे जन्नत की सैर कराऊँगा…
उसकी फ़ुद्दी भी मेरी उँगलियों के नीचे बुरी तरह मचल रही थी… वो सब कुछ कर गुजरने को आतुर थी…
शायद उसकी फ़ुद्दी होने वाले कत्लेआम से अनभिज्ञ थी…
मेरे और मधु के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, मधु बार-बार मेरे गठीले एवं संतुलित बदन से कसकर चिपकी जा रही थी…
मेरा मुँह उसकी दोनों रसीली अम्बियों को निचोड़ने में ही लगा था… मैं कभी दाईं तो कभी बायीं चूची को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था…
मधु कुछ ज्यादा ही मचल रही थी… उसने मेरी तरफ घूम कर अपना सीधा पैर मेरी कमर पर रख दिया…
मैंने भी अपना हाथ आगे उसकी फ़ुद्दी से हटा कर उसके मांसल चूतड़ों पर रख उसको अपने से चिपका लिया।
इस अवस्था में उसकी रसीली चूत मेरे लण्ड से चिपक गई…
शाम से हो रहे घटनाक्रम से मधु सच में सेक्स लिए पागल हो रही थी… वो अपनी चूत को मेरे लण्ड से सटा खुद ही अपनी कमर हिला रही थी.. उसकी रस छोड़ रही चूत मेरे लण्ड को और भी ज्यादा भड़का रही थी…
मैंने एक बात और भी गौर की कि मधु शुरू शुरू में बार बार सलोनी की ओर घूमकर देख रही थी, उसको भी कुछ डर सलोनी का था…
मगर अब बहुत देर से वो मेरे से हर प्रकार से खेल रही थी, उसने एक बार भी सलोनी की ओर ध्यान नहीं दिया था… या तो वासना उस पर इस कदर हावी हो चुकी थी कि वो सब कुछ भूल चुकी थी या अब वो सलोनी के प्रति निश्चिंत हो चुकी थी !
हाँ, मैं उसी की ओर करवट से लेटा था तो मेरी नजर बार बार सलोनी पर जा रही थी…
कमाल है.. उसने एक बार भी ना तो गर्दन घुमाई थी और ना उसका बदन जरा भी हिला था…
सलोनी पूरी तरह से मधु का उद्घाटन करवाने को तैयार थी…
मेरा लण्ड इस तरह की मस्ती से और भी लम्बा, मोटा हो गया था…
मैं अपने हाथ से उसके चूतड़ों को मसलते हुए अपनी ओर दबा रहा था और मधु अपने कमर को हिलाते हुए मखमली चूत को मेरे लण्ड पर मसल रही थी…
मेरे मुँह में उसकी चूची थी… हम दोनों बिल्कुल नहीं बोल रहे थे..
मगर फिर भी मेरे द्वारा चूची चूसने की ‘पुच पिच’ जैसी आवाजे हो ही रही थीं…
मधु की बेकरारी मुझे उसके साथ और भी ज्यादा खेलने को मजबूर कर रही थी…
मैंने उसको सीधा करके बिस्तर पर लिटा दिया…
मगर इस बार अब मैं उसके ऊपर आ गया, एक बार उसके कंपकंपाते होठो को चूमा, फिर उसकी गर्दन को चूमते हुए जरा सा उठकर नजर भर मधु की मस्त उठानों को देखा…
दोनों चूचियाँ छोटे आम की तरह उठी हुई जबरदस्त टाइट और उन पर पूरे गुलाबी छोटे से निप
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मगर मधु की चूत बिलकुल अनछुई थी, उस पर अभी बालों ने आना शुरू ही किया था…
जिस चूत में अंगुली भी अंदर नहीं जा रही थी उसका तो कहना ही क्या…
इतनी प्यारी कोमल मधु की चूत इस समय मेरी नाक के नीचे थी… उसकी चूत से निकल रहे कामरस की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी…
मैंने अपनी नाक उसकी चूत के ऊपर रख दी…
मधु- अह्ह्हा… आआआ… स्श…
वो जोर से तड़फी… उसने अपनी कमर उठा बेकरारी का सबूत दिया…
मैं उस खुशबू से बैचेन हो गया और मैंने अपनी जीभ उसके चूत के मुँह पर रख दी…
बहुत मजेदार स्वाद था… मैं पूरी जीभ निकाल चाटने लगा… मुझे चूत चाटने में वैसे भी बहुत मजा आता था…
और मधु जैसी कमसिन चूत तो मक्खन से भी ज्यादा मजेदार थी…
मैं उसकी दोनों टाँगें पकड़ पूरी तरह से खोलकर उसकी चूत को चाट रहा था… मेरी जीभ मधु के चूत के छेद को कुरेदती हुई अब अंदर भी जा रही थी…
उसकी चूत के पानी का नमकीन स्वाद मुझे मदहोश किये जा रहा था… मैं इतना मदहोश हो गया कि मैंने मधु की टाँगें ऊपर को उठाकर उसके चूतड़ तक चाटने लगा…
कई बार मेरी जीभ ने उसके चूतड़ के छेद को भी चाटा…
मधु बार बार सिसकारियाँ लिए जा रही थी…
हम दोनों को ही अब सलोनी की कोई परवाह नहीं थी…
मैंने चाट चाट कर उसका निचला हिस्सा पूरा गीला कर दिया था… मधु की चूत और गांड दोनों ही मेरे थूक से सने थे…
मेरा लण्ड बुरी तरह फुफकार रहा था…
मैंने एक कोशिश करने की सोची… मैंने मधु को ठीक पोजीशन में कर उसके पैरों को फैला लिया… और अपना लण्ड का अग्रमुण्ड उसकी लपलपाती चूत के मुख पर टिका दिया…
यह मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीं पल था…
एक अनछुई कली… पूरी नग्न… मेरे नीचे दबी थी…
उसके चिकने कोमल बदन पर एक चिंदी वस्त्र नहीं था…
मैंने उसके दोनों पैरों को मोड़कर फैलाकर चौड़ा कर दिया… उसकी छोटी सी चूत एकदम से खिलकर सामने आ गई…
मैंने अपनी कमर को आगे कर अपना तनतनाते लण्ड को उन कलियों से चिपका दिया…
मेरे गर्म सुपारे का स्पर्श अपने चूत के महाने पर होते ही मधु सिसकार उठी…
मैं धीरे धीरे उसी अवस्था में लण्ड को घिसने लगा..
दिल कर रहा था कि एक ही झटके में पूरा लण्ड अंदर डाल दूँ…
मगर यही एक शादीशुदा मर्द का अनुभव होता है कि वो जल्दबाजी नहीं करता…
मैंने बाएं हाथ को नीचे ले जाकर लण्ड को पकड़ लिया, फिर कुछ पीछे को होकर लण्ड को चूत के मुख को खोलते हुए अंदर सरकाने की कोशिश करने लगा।
मधु बार-बार कमर उचकाकर अपनी बेचैनी जाहिर कर रही थी…
शायद दस मिनट तक मैं लण्ड को चोदने वाले स्टाइल में ही चूत के ऊपर घिसता रहा…
1-2 बार सुपारा जरा जरा… सा ही चूत को खोल अंदर जाने का प्रयास भी कर रहा था..
मगर मधु का जिस्म अभी बिल्कुल दर्द सहने का आदि नहीं था… वो खुद उसे हटा देती थी…
शायद उसको हल्के सी भी दर्द का अंदाजा नहीं था… उसको केवल आनन्द चाहिए था ..
इसलिए हल्का सा भी दर्द होते ही वो पीछे हट जाती थी..
इससे पहले भी मैंने 4-5 लड़कियों की कुंवारी झिल्ली को भंग किया था और उस हर अवस्था का अच्छा अनुभव रखता था ..
जिन 4-5 लड़कियों की मैंने झिल्ली तोड़ी थी उनमें एक तो बहुत चिल्लाई थी, उसने पूरा घर सर पर उठा लिया था..
मुझे यकीन था कि मधु अभी तक कुंवारी है..
उस सबको याद करके एवं सलोनी के इतना निकट होने से मैं यह काम आसानी से नहीं कर पा रहा था…
मुझे पता था कि मधु आसानी से मेरे लण्ड को नहीं ले पायेगी और अगर ज़ोर से झटके से अंदर घुसाता हूँ तो बहुत बवाल हो सकता है…
खून-खराबा, चीख चिल्लाहट.. और ना जाने कितनी परेशानी आ सकती है…
हो सकता है सलोनी भी इसी सबका इन्तजार कर रही हो…
फिर वो मेरे ऊपर हावी होकर अपनी रंगरलियों के साथ-साथ दबाव भी बना सकती है…
मेरा ज़मीर खुद उसके सामने कभी नीचे दिखने को राजी नहीं था…
वो भी एक चुदाई के लिए… क्या मुझे अपने लण्ड पर काबू नहीं है..??
मुझे खुद पर पूरा भरोसा है, मैं अपने लण्ड को अपने हिसाब से ही चुदाई के लिए इस्तेमाल करता हूँ…. ज़बरदस्ती कभी करता मैं…
और जो तैयार हो उसको छोड़ता नहीं…
मधु के साथ भी मैं वैसे ही मजे ले रहा था… मुझे पता था कि लौंडिया घर की ही है… और बहुत से मौके आएँगे… जब कभी अकेला मिला तब ठोक दूँगा…
और अगर प्यार से ले गई तो ठीक.. वरना खून खराबा तो होगा ही….
मधु की नाचती कमर बता रही थी कि उसको इस सब में भी चुदाई का मजा आ रहा है…
खुद को मजा देने के लिए मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के पूरा लेटी अवस्था में चिपका दिया और मैं ऊपर-नीचे होकर मजा लेने लगा…
लण्ड पूरा मधु की चूत से चिपककर उसके पेट तक जा रहा था…
उसकी चूत की गर्मी से मेरा लण्ड लावा छोड़ने को तैयार था पर लगता है कि मधु की चूत के छेद पर अब लण्ड छू नहीं पा रहा था या
उसको पहले टॉप के धक्कों से ज्यादा आनन्द आ रहा था…
उसने कसमसाकर मुझे ऊपर को कर दिया, फिर खुद अपने पैरों को मेरी कमर से बांधकर अपना हाथ नीचे कर मेरे लण्ड को पक
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को पकड़ लिया…
उसके पसीने से भीगे नरम छोटे हाथों में आकर लण्ड और मेरी हालत ख़राब होने लगी…
उसने लण्ड के सुपारे को फिर अपनी चूत के छेद से चिपकाया और कमर हिलाने लगी…
अब मैं भी कमर को थोड़ा कसकर आगे पीछे करने लगा…
उसके कसे हुए हाथों में मुझे ऐसा ही लग रहा था कि मेरा लण्ड चूत के अंदर ही है…
मैं जोर जोर से कमर हिलाने लगा जैसे चुदाई ही कर रहा हूँ…
मधु लण्ड को छोड़ ही नहीं रही थी कि कहीं मैं फिर से लण्ड को वहाँ से हटा न लूँ…
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अब लण्ड का सुपारा आधा से लेकर एक इंच तक भी चूत के अंदर चला जा रहा था…
मधु ने इतनी कसकर लण्ड पकड़ा था कि…वो वहाँ से इधर उधर न हो इसीलिए चूत में भी ज्यादा नहीं घुस पा रहा था…
वरना कुछ झटके तो इतने जोरदार थे कि लण्ड अब तक आधा तो घुस ही जाता…
और तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी…
मैं- अहाआआ… ह्ह्ह्ह्ह…ह्ह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह… आआअ… ह्ह्ह्ह्ह्…ह ह्ह्ह… ऊऊ ओह ह्ह्ह्ह्ह्ह…
कई पिचकारियाँ मधु की चूत को पूरा गीली करती हुई उसके पेट और छाती तक को भिगो गई…
सच में बहुत ज्यादा वीर्य निकला था…
मधु ने अब भी कसकर लण्ड को पकड़ा था… मुझे जन्नत का मजा आ रहा था…
पर अब मुझमें अब जरा सी भी हिम्मत नहीं बची थी, मैं एक ओर गिर कर लेट गया…
मुझे बस इतना ध्यान है कि मधु उठकर बाथरूम में गई….
कुछ देर बाद मैंने देखा मधु बाथरूम से बाहर निकली.. वो अभी भी पूरी नंगी थी…
उसने बाथरूम का दरवाजा, लाइट कुछ बंद नहीं की.. और मधु बाथरूम से अपने शरीर को साफ़ करके फिर मेरे पास आ चिपक कर लेट गई…
उसने अपनी समीज भी नहीं पहनी और ना उसको सलोनी का डर था ..
इतने मजे करने के बाद उसका सारा डर निकल गया था… वो पूरी नंगी उसी अवस्था में मुझसे चिपक लेट गई ..
इतनी कम उम्र में भी वो सेक्स की देवी थी…
उसने अपना एक हाथ मेरे सीने पर और एक पैर मेरे लण्ड पर रख दिया था.. सिर मेरे कंधे पर रख सो गई थी…
मेरे अन्दर इतनी ताकत भी नहीं बची थी कि अपना हाथ भी उस पर रख सकूं… मैंने भी उसको दूर नहीं किया…
उसकी चूचियों का अहसास मेरे हाथ पर एवं उसकी गर्म चूत का कोमल अहसास मेरी जांघ पर हो रहा था…
मेरे में बिल्कुल हिलने तक की ताकत नहीं बची थी.. नींद ने मेरे ऊपर पूरा कब्ज़ा कर लिया था…
जबकि दिमाग में यह आ रहा था… कि उठकर सब कुछ सही कर देना चाहिये… खुद को और मधु को कपड़े पहना देने चाहियें…
वरना सुबह दोनों को ऐसे देख सलोनी क्या सोचेगी और ना जाने क्या करेगी?
मुझे नहीं पता कि मैं कब बेहोशी की नींद सो गया..
सुबह सलोनी ने ही मुझे आवाज दी- सुनो, अब उठ भी जाओ… चाय पी लो…
रात की सारी घटना मेरे दिमाग में आई और मैं एकदम से उठ गया…
कमरे में सलोनी नहीं थी… मैंने राहत की सांस ली… फिर चारों और देखकर सारी स्थिति का अवलोकन किया…
मेरी कमर तक चादर थी जो पता नहीं मैंने खुद ली या किसी और ने… कुछ पता नहीं…
मैंने चादर हटा कर देखा… मेरी कमर पर रात को बंधा कपड़ा भी अंदर ही था… बंधा तो नहीं था पर हाँ लिपटा जरूर था….
फिर मैंने बिस्तर पर देखा….
दूसरे कोने पर मुँह तक चादर ढके शायद मधु ही सो रही थी…
क्या मधु अभी तक नहीं जगी… उसने कपड़े पहने या नहीं ..
मैंने चारों और नजर घुमाकर उसकी उतरी हुई समीज को खोजा पर कहीं नजर नहीं आई…
मधु कब रात को उधर चली गई…?
क्या सलोनी ने ये सब किया…?
या फिर मधु ही सब कुछ ठीक करके फिर सोई…
मेरा दिमाग बिलकुल सुन्न हो गया था…
मैंने चाय पीकर अपने कमर का कपड़ा कस कर बांधा.. फिर एक बार बाहर कमरे में देखा….
सलोनी शायद रसोई में थी.. उसकी आवाज भी आ रही थी… और शायद कोई और भी था…जिससे वो बात कर रही थी…
मगर मेरे दिमाग में अब वो नहीं थी… मैं तो रात के काण्ड से डरा हुआ था…
कि ना जाने सलोनी का क्या रुख होगा…??
उसे कुछ पता चला या नहीं….
मैं जल्दी से मधु की ओर गया और उसको उठाने के लिए उसकी चादर हटाई…
क्या नजारा था… सुबह की चमकती रोशनी में मधु का मादक जिस्म चमक रहा था…
उसके बदन पर समीज तो थी… मगर वो उसके पेट पर थी…
शायद उसने खुद या फिर सलोनी ने उसको समीज पहनाने की कोशिश की होगी… जो केवल कमर तक ही पहना पाई…
उसका पूरा जिस्म ही पूरा नंगा मेरे सामने था…
उसने अपनी दोनों टांगें घुटनों से मोड़ कर फैला रखी थी…
उसकी खुली हुई कोमल चूत मेरे सामने थी…
वैसे तो इसको मैं पहले भी देख चुका था पर इस समय उसमे बहुत अंतर था…
उसकी चूत बिल्कुल लाल सुर्ख हो रही थी… और एक दो खून के लाल निशान भी दिख रहे थे…
ओह… क्या रात मेरे लण्ड ने इस बेचारी को इतना दर्द दिया था…
मगर लण्ड तो बहुत जरा सा ही अंदर गया था फिर इसकी चूत इतना कैसे सूज गई…
फिर मैंने प्यार से मधु की चूत पर अपना हाथ रखा और धीरे से उसको सहलाया…
मुझे लगा कि रात को जोश में मुझे पता नहीं चला पर शायद मधु को बहुत कष्ट हुआ होगा…
हो सकता है मेरा लण्ड कुछ ज्यादा ही अंदर तक चला गया हो…
फिर मुझे उसकी चूत पर कुछ अलग ही गन्ध आई..
अरे यह तो बोरोप्लस की खुशबू थी…
इसका मतलब मधु ने रात को बोरोप्लस भी लगाया… इसने एक बार भी मुझे अपने दर्द के बारे में नहीं बताया…
मुझे उसके इस दर्द को छुपाने पर बहुत प्यार आया… मैंने उसके होंठों को चूम लिया..
तभी मुझे सलोनी के कमरे में आने की आवाज आई…
उसके पैरों की आवाज आ रही थी…
मैंने जल्दी से मधु को चादर से ढका और बाथरूम में घुस गया…
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मुझे उसकी चूत पर कुछ अलग ही गन्ध आई..
अरे यह तो बोरोप्लस की खुशबू थी…
इसका मतलब मधु ने रात को बोरोप्लस भी लगाया… इसने एक बार भी मुझे अपने दर्द के बारे में नहीं बताया…
मुझे उसके इस दर्द को छुपाने पर बहुत प्यार आया… मैंने उसके होंठों को चूम लिया..
तभी मुझे सलोनी के कमरे में आने की आवाज आई…
उसके पैरों की आवाज आ रही थी…
मैंने जल्दी से मधु को चादर से ढका और बाथरूम में घुस गया…
सलोनी कमरे में आकर- अरे आप कहाँ हो जानू…
मैं- बोलो जान… बाथरूम में हूँ…
सलोनी- ओह ठीक है.. मैं आपको उठाने ही आई थी…
उसकी आवाज में कहीं कोई नाराजगी या कुछ अलग नजर नहीं आया… वो हर रोज की तरह ही व्यवहार कर रही थी…
मुझे बहुत सुकून सा महसूस हुआ… फिर मुझे लगा कि शायद वो मधु को उठा रही है…
अब ये सब मैं नहीं देख सकता था… क्योंकि बाथरूम से केवल बाहर का कमरा या रसोई ही देखी जा सकती है… बैडरूम में नहीं…
हाँ मैं दरवाजा खोल देख सकता था मगर मैंने इसमें कोई रूचि नहीं ली.. मेरे दिल को सुकून था कि इतने बड़े कांड के बाद भी सब कुछ ठीक था…
मैं नहाकर बाहर आया तो बेडरूम पूरी तरह से व्यवस्थित था, कमरे में कोई नहीं था, मधु और सलोनी दोनों ही रसोई में थी…
मैं तैयार हुआ… दस से भी ऊपर हो गए थे… मैं रसोई में ही चला गया…
दोनों काम में लगी थीं, दोनों ने रात वाले कपड़े ही पहन रखे थे…
मधु ने मुझे देखकर सलोनी से बचकर एक बहुत सेक्सी मुस्कान दी…
मैंने भी उसको आँख मार दी तो उसने शरमाकर अपनी गर्दन नीचे कर ली…
मैं सलोनी के पास जाकर उसके गोलों मटोल चूतड़ों को सहलाकर बोला- क्या बात जान… आज अभी तक तैयार नहीं हुई?
सलोनी नहीं जानू.. मैं भी देर से ही उठी… वो तो भला हो दूध वाले का जिसने उठा दिया सुबह आकर… वरना इतनी थकी थी कि सोती ही रहती…
मेरे जरा से सहलाने से ही उसकी पतली नाइटी खिसकी और सलोनी के नंगे चूतड़ मेरे हाथों में थे…
मैं सोचने लगा कि सुबह से सलोनी ऐसे ही सब काम कर रही है? वो लगभग नंगी ही दिख रही है उस पतली सी आधी नाइटी में…
जिसके नीचे उसने ब्रा या कच्छी कुछ भी नहीं पहना था… क्या सबके सामने वो ऐसे ही आ-जा रही है?
सभी के खूब मजे होंगे…
पहले तो मैं उसको कुछ नहीं कहता था मगर अब उसको छेड़ने के लिए मैं बात करने लगा था, मैंने उसके चूतड़ सहलाते हुए ही कहा- क्या बात जानू… कुछ पहन कर दूध लिया या ऐसे ही दूधवाले को जलवा दिखा दिया? वो तो मर गया होगा बेचारा…
मधु हमको देखकर मुस्कुरा रही थी…
सलोनी भी मस्ती के मूड में ही लग रही थी, अपने चूतड़ों को हिलाये जा रही थी, वो कोई विरोध नहीं कर रही थी- …नहीं जी… दूध लेने के बाद ही यह नाइटी पहनी मैंने !
मैं- हा हा हा… फिर तो ठीक है…
सलोनी- हे हे… आपको तो बस हर समय मजाक ही सूझता है…
मैंने उसके नाइटी के गले की ओर देखा… उसके जरा से झुकने से ही उसके दोनों मस्त गोलाइयाँ पूरी नंगी दिख रही थी… उनके निप्पल तक बाहर आ-जा रहे थे…
मैं समझ सकता था कि सलोनी के दर्शन कर कॉलोनी वालों के मजे आ जाते होंगे…
ना जाने दूधवाले, अंडे वाले और भी किसी ने क्या क्या देखा होगा…
अब जब सलोनी को दिखाने में मजा आता है तो मैं उसके इस आनन्द को नहीं छीन सकता था, उसको भी मजे लेने का पूरा हक़ है…
नाश्ता करते हुए रात की किसी बात का कोई जिक्र ना तो सलोनी ने किया और ना ही मधु ने…
मेरे दिल में जो थोड़ा बहुत डर था वो भी निकल गया…
हाँ सलोनी ने एक बात की जिसके लिए मुझे कोई ऐतराज नहीं था- जानू एक बात कहनी है…
मैं- बोलो… आज बाजार जाना है, पैसे चाहिएँ?
सलोनी- नहीं…हाँ…अरे वो तो है… पर एक और बात भी है…
मैं- तो बोलो न जानू… मैंने कभी तुमको किसी भी बात के लिए मना किया है क्या?
सलोनी- वो विनोद को तो जानते हो ना आप? मेरे साथ जो पढ़ते थे…
मैंने दिमाग पर जोर डाला पर कुछ याद नहीं आया… हाँ उसने एक बार बताया तो था…
वैसे सलोनी ने एम० ए० किया है… और एम० एड० भी… उस समय उसके साथ कुछ लड़के भी पढ़ते थे पर मुझे उनके नाम याद नहीं आ रहे थे…
एक बार उसने मुझे मिलवाया भी था… हो सकता है…उन्ही में कोई हो…
मैं- हाँ यार…पर कुछ याद नहीं आ रहा…
सलोनी- विनोद भाईजी ने यहाँ एक कॉलेज में जगह बताई है… उसका कॉल लेटर भी आया है… मैं पूरे दिन बोर हो जाती हूँ.. क्या मैं यह जॉब कर लूँ?
मैं उसकी किसी बात को मना नहीं कर सकता था फिर भी- यार, तुम घर के काम में ही इतना थक जाती हो, फिर ये सब कैसे कर पाओगी?
सलोनी- आपको तो पता ही है… मुझे जॉब करना कितना पसंद है… प्लीज हाँ कर दो ना… मैं मधु को यहाँ ही काम पर रख लूँगी, यह मेरी बहुत सहायता कर देती है, मैंने इसके मां से भी बात कर ली है…
सलोनी पूरी तरह मेरे ऊपर आ मुझे चूमकर मनाने में लगी थी…
मैं कौन सा उसको मना कर रहा था- अरे जान… मैं कोई मना थोड़े ही कर रहा हूँ… पर कैसे कर पाओगी इतना सब? बस इसीलिए… मुझे तुम्हारा
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इसीलिए… मुझे तुम्हारा बहुत ख्याल है जान…
सलोनी- हाँ मुझे पता है… पर मुझे करनी है ये जॉब…जब नहीं हो पायेगी तो खुद छोड़ दूंगी…
मैं- कहाँ है जानू ये कॉलेज…
सलोनी- वो… उस जगह… ये… नाम है कॉलेज का !
मैं- ओह, फिर यह तो बहुत दूर है… रोज कैसे जा पाओगी?
सलोनी- बहुत दूर है क्या…?
मैं- हाँ जान…
सलोनी- चलो फिर ठीक है मैं जाकर देखती हूँ… अगर ठीक लगा तो ही हाँ करुँगी…
मैं- जैसा तुम ठीक समझो… और ये लो पैसे… मैं चलता हूँ… जो खरीदना हो खरीद लेना… और इस पागल को भी कुछ कपड़े दिला देना…
मधु- उउन्न्न्न… क्या कह रहो भैया?
मैं यह सोचकर ही खुश था कि मधु अब ज्यादा से ज्यादा मेरे पास रहेगी और मैं उससे जब चाहे मजे ले सकता हूँ…
मैं अपना बेग लेकर बाहर को आने लगा पर दरवाजा खोलते ही अरविन्द अंकल सामने दिख गए…
अंकल- अरे बेटा.. आज अभी तक यहीं हो, क्या देर हो गई?
मैं मन ही मन हंसा…- ओह यह सोचकर आया होगा कि मैं चला गया हूँगा…
मैं- बस जा ही रहा हूँ अंकल…
मैं बिना उनकी और देखे बाहर निकल गया…
बुड्ढा बहुत बेशर्म था, मेरे निकलते ही घर में घुस गया…
अब मुझे याद आया कि ‘ओह… आज तो मैंने वो वीडियो रिकॉर्डर भी ओन कर सलोनी के पर्स में नहीं रखा…’
अब आज के सारे किस्से के बारे में कैसे पता लगेगा…
सोचते हुए कि अंकल ना जाने मेरी दोनों बुलबुलों के साथ ‘जो लगभग नंगी ही हैं…’ क्या कर रहा होगा…
मैं जैसे ही अरविन्द अंकल के घर के सामने से निकला, उनका दरवाजा खुला था…
मुझे भाभी कि याद आ गई और मैं दरवाजे के अंदर घुस गया…
मैंने दिमाग से सलोनी, मधु और अरविन्द अंकल को बिल्कुल निकाल दिया था…
मुझे अब कोई चिंता नहीं थी सलोनी चाहे जिससे कैसा भी मजा ले और अब मैं अब केवल जीवन को रंगीन बनाने पर विश्वास करने लगा था…
मुझे पूरा विश्वास था की सलोनी कितनी भी बिंदास हो मगर ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे बदनामी हो…
वो बहुत समझदार है… जो भी करेगी बहुत सोच समझ कर…
मैं अरविन्द अंकल का घर का दरवाजा खुला देखकर उसमें घुस गया…
पहले मुझे ऑफिस के अलावा कुछ नहीं दिखता था, चाहे कुछ हो जाये मैं समय पर ऑफिस पहुँच ही जाता था पर अब मेरा मन काम से पूरी तरह हट गया था… हर समय बस मस्ती का बहाना ढूंढ़ता था…
मुझे याद है पिछले दिनों ऐसे ही एक बार सलोनी ने नलिनी भाभी (अरविन्द अंकल की बीवी) को कुछ सामान देने को कहा था…
एक बात याद दिला दूँ कि अरविन्द अंकल भले ही 60 साल के हों पर नलिनी भाभी उनकी दूसरी बीवी हैं…
वो 36-38 साल जी भरपूर जवान और सेक्सी महिला हैं… उनका एक एक अंग गदराया और साँचे में ढला है…38-28-37 की उनकी काया उनको सेक्स की देवी जैसी खूबसूरत बना देता है…
पहले वो साड़ी या सलवार सूट ही पहनती थी क्योंकि वो किसी गाँव परिवेश से ही आई थीं और उनका परिवार गरीब भी था मगर अब सलोनी के साथ रहकर वो मॉडर्न कपड़े पहनने लगी थीं और सेक्सी मेकअप भी करने लगीं थीं…
कुल मिलाकर वो जबरदस्त थीं…
उनके साथ हुआ वो पिछला किस्सा मुझे हमेशा याद रहने वाला था… जब मैं सलोनी का दिया सामान देने उनके घर पहुचा तो दरवाजा ऐसे ही खुला था…
अरविन्द अंकल की हमेशा से आदत थी कि जब वो आस पास कहीं जाते थे तब दरवाजा हल्का सा उरेक कर छोड़ देते थे…
वैसे भी यहाँ कोई वाहर का तो आता नहीं था और इस बिल्डिंग पर हमारे आखिरी फ्लैट थे इसीलिए वो थोड़े लापरवाह थे…
उस दिन जैसे ही मैं नलिनी भाभी को आवाज लगाने वाला था तो मैंने देखा कि…
नलिनी भाभी अंदर वाले कमरे में बालकनी वाला दरवाजा खोले, जिससे हलकी धूप कमरे में आ रही थी, केवल एक पेटकोट अपने सीने पर छातियों के ऊपर बांधे अपने बालों को तौलिये से झटक रहीं हैं…
उनके बाल पूरे आगे उनके चेहरे को ढके थे… उनका पेटीकोट उनके विशाल चूतड़ों से बस कुछ ही नीचे होगा… जो उनके झुके होने से थोड़ा थोड़ा वो दृश्य दिखा रहा था, पर ऐसा दृश्य देखकर भी मेरे मन में कोई ज्यादा रोमांच नहीं आया…
बल्कि डर लगा कि यार… ये मैंने क्या देख लिया… अगर भाभी या अंकल किसी ने भी मुझे ऐसे देख लिया तो क्या होगा…???
मैं वहां से जाने ही वाला था कि तभी…
भाभी ने एक तौलिये को एक झटका दिया और उनका पेटीकोट शायद ढीला हो गया, मैंने साफ़ देखा कि भाभी कि दोनों चूचियाँ उछल कर बाहर निकल आई…
उनका पेटीकोट ढीला होकर उनके पेट तक आ गया था…
अब इस दृश्य ने मेरी जाने की इच्छा को विराम लगा दिया…
उनके बार-बार तौलिया झटकने से उनके दोनों उरोज ऐसे उछल रहे थे कि बस दिल कर रहा था को जाकर उनको पकड़ लूँ…
भाभी चाहे कितनी भी सेक्सी थी पर अंकल की बीवी यानी आंटी होने के नाते मैंने कभी उनको इस नजर से नहीं देखा था…
पर आज उनके नंगे अंग देख मेरी सरीफों वाली नजर भी बदल गई थी…
शायद इसीलिए कहा जाता होगा कि आजकल लड़कियों के इतने खुले वस्त्रों के कारण ही इतने ज्यादा देह शोषण हो रहे हैं…
भाभी के उछलते मम्मे मेरे को
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भाभी के उछलते मम्मे मेरे को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे… मगर मेरा ईमान मुझे रोके था…
मेरे इच्छा और भी देखने की होने लगी…
मैं सोचने लगा कि काश उनके गद्देदार चूतड़ भी दिख जायें… और यहाँ भी भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि अंकल अभी वापस ना आएं…
और शायद भगवान ने मेरी सुन ली…
भाभी तौलिये को वहीं स्टूल पर रख, एक कोने पर रखे ड्रेसिंग टेबल की ओर जाने लगीं और जाते हुए ही उन्होंने अपना पेटीकोट चूतड़ों से नीचे सरकाते हुए पूरा निकाल दिया…
उनकी पीठ मेरी ओर थी… पीछे से पूरी नंगी नलिनी भाभी मुझे जानमारू लग रही थी…
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उनकी नंगी गोरी पीठ और विशाल गोल उठे हुए चूतड़… गजब का नज़ारा पेश कर रहे थे…
उनके दोनों चूतड़ आपस में इस कदर चिपके थे कि जरा सा भी गैप नहीं दिख रहा था…
फिर भाभी दर्पण के सामने खड़ी हो अपने बाल कंघे से सही करने लगी…
मुझे दर्पण का जरा भी हिस्सा नहीं दिख रहा था… मैं दर्पण से ही उनके आगे का भाग या यूँ कहो कि उनकी चूत को देखना चाह रहा था…
मगर मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी…
भाभी ने वहीं टेबल से उठा अपनी कच्छी पहन ली और फिर ब्रा भी…
फिर वो घूम कर जैसे ही आगे बढ़ी…
उनकी नजर मुझ पर पड़ी…
भाभी ने ‘हाय राम !’ कहते हुए तौलिये को उठा कर खुद को आगे से ढक लिया।
मैं ‘सॉरी’ बोल कर उनको सामान देकर वापस आ गया।
उस दिन के इस वाकिये का कभी कोई जिक्र नहीं हुआ था…
बस सलोनी ने ही एक बार कुछ कहा था जिसका मेरे से कोई मतलब नहीं था…
हाँ तो आज फिर दरवाजा खुला देख मैं अंदर चला गया…
आज मेरे पास कोई बहाना नहीं था, ना ही मैं उनको कुछ देने आया था मगर मेरी हिम्मत इतनी हो गई थी कि आज अगर भाभी वैसे मिली तो चाहे जो हो…
आज तो पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से उनके चूतड़ों में डाल ही दूंगा…
यही सोचते हुए मैं अंदर घुसा… बाहर कोई नहीं था… इसका मतलब भाभी अंदर वाले कमरे में ही थी…
और मैंने चुपके से अंदर वाले कमरे में झाँका…
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आज मेरे पास कोई बहाना नहीं था, ना ही मैं उनको कुछ देने आया था मगर मेरी हिम्मत इतनी हो गई थी कि आज अगर भाभी वैसे मिली तो चाहे जो हो…
आज तो पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से उनके चूतड़ों में डाल ही दूंगा…
यही सोचते हुए मैं अंदर घुसा… बाहर कोई नहीं था… इसका मतलब भाभी अंदर वाले कमरे में ही थी…
और मैंने चुपके से अंदर वाले कमरे में झाँका…
अह्हा…
भाभी ना दोनों कमरों में थी और ना बाथरूम में…
मैंने सब जगह देख लिया था… मैं बाहर वाले कमरे के साइड में देखा वहाँ उनकी रसोई है… हो सकता है वो वहाँ हों…
और मुझे भाभी जी दिख गई… सफ़ेद टाइट पजामी और शार्ट ब्लैक कुर्ती पहने वो रसोई में काम कर रही थीं..
कुर्ती उनके चूतड़ों के आधे भाग पर टिकी थी… भाभी के चूतड़ इतने विशाल और ऊपर को उठे हुए थे कि कुर्ती के बावजूद पूरे दिख रहे थे…
भाभी की सफ़ेद पजामी उनके जाँघों और चूतड़ पर पूरी तरह से कसी हुई थी…
कुल मिलाकर भाभी बम लग रही थी…
मैंने अपना बैग वहीं कमरे में रखा और पीछे से भाभी के पास पहुँच गया…
मैं अभी कुछ करने की सोच ही रहा था मैंने देखा कि नलिनी भाभी आटा गूंध रही थी, उन्होंने शायद मुझे नहीं देखा था और ना ही पहचाना था…
पर शायद उनको एहसास हो गया था कि कोई है… और वो उनके पति अरविन्द अंकल ही हो सकते हैं…
वो बिना पीछे घूमे बोली- अरे सुनो… जरा मेरी पीठ में खुजली हो रही है…जरा खुजा दो…
वो एक हाथ से बालों को सही करते हुए सीधे हाथ से आटा गूंधने में मग्न थीं…
मैंने भी कुछ और ना सोचते हुए उनके मस्त बदन को छूने का मौका जाया नहीं किया…
रात मधु के साथ मस्ती करने के बाद मेरा अब सारा डर पहले ही ख़त्म हो गया था…
भाभी को अगर बुरा लगा भी तो क्या होगा… ज्यादा से ज्यादा वो सलोनी से ही कहेंगी…
और मुझे पक्का यकीन था कि वो सब कुछ आराम से संभाल लेगी…
मैंने भाभी की टाइट कुर्ती को उठाकर अपना हाथ अंदर को सरका दिया…
वो सीधी हो खड़ी हो गई तो कुर्ती आराम से उनके पेट तक ऊपर हो गई मगर और ज्यादा ऊपर नहीं हुई, वो उनके वक्ष-उभारों पर अटक गई…
नलिनी भाभी की सफ़ेद, बाल रहित चिकनी पीठ आधी नंगी मेरे सामने थी…
मैं हाथ से सहलाने लगा…
नलिनी भाभी- अरे नाखून से खुजाओ न… पसीने से पूरी पीठ में खुजली हो रही है…
मन में सोचा कि बोल दूँ कि कुर्ती उतार दो… आराम से खुजा देता हूँ…
पर मेरी आवाज वो पहचान जाती… इसलिए चुप रहा…
मैंने हाथ कुर्ती के अंदर तक घुसा कर ऊपर उनकी गर्दन और कंधों तक ले गया…
अंदर कोई वस्त्र नहीं था…
वाह… नलिनी भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी… उनके मम्मे नंगे ही होंगे…
मन ने कहा कि अगर जरा से जोर लगाकर कुर्ती ऊपर को सरकाऊ तो आज फ़िर मम्मे नंगें दिख जायेंगे…
तभी मेरी नजर खुजाते हुए ही नीचे की ओर गई…
सफेद टाइट पजामी इलास्टिक वाली थी, पजामी उनके चूतड़ के ऊपरी भाग तक ही थी… उनके चूतड़ के दोनों भाग का ऊपरी गड्डा जहाँ से चूतड़ों की दरार शुरू होती है, पजामी से बाहर नंगा था और बहुत सेक्सी लग रहा था…
मैं जरा पीछे खिसका और पूरे चूतड़ों का अवलोकन किया…
टाइट पजामी में कहीं भी मुझे पैंटी लाइन या कच्छी का कोई निशान नहीं दिखा…
इसका मतलब नलिनी भाभी ने कच्छी भी नहीं पहनी थी…
बस मेरा लण्ड उनके चूतड़ के आकार को देखते ही खड़ा हो गया…
और मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई… कि मैंने पीठ के निचले भाग को सहलाते हुए अपनी उँगलियाँ उनकी पजामी में घुसा दी…
नलिनी भाभी के नर्म गोश्त का एहसास होते ही लण्ड बगावत करने को तैयार हो गया…
यह मेरे लिए अच्छा ही था कि भाभी ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा… और भाभी भी लगता था कि हमेशा मूड में ही रहती थी…
उन्होंने एक बार भी नहीं रोका बल्कि बात भी ऐसी करी जो हमेशा से मैं चाहता था…
नलिनी भाभी- ओह, आपसे तो एक काम बोलो…आप अपना मौका ढूंढ लेते हो… क्या हुआ?? बड़ी जल्दी आ गए आज सलोनी के यहाँ से…? हा… हा… क्या आज कुछ देखने को नहीं मिला… या अंकुर अभी घर पर ही था?
ओह इसका मतलब नलिनी भाभी सब जानती हैं कि अरविन्द अंकल मेरे यहाँ क्यों जाते हैं और वो वहाँ क्या करते हैं…
मैंने कुछ ना बोलते हुए अपना हाथ कसकर पूरा पजामी के अंदर घुसा दिया और भाभी के एक चूतड़ को अपनी मुट्ठी में लेकर कसके दबा दिया…
नलिनी भाभी- अह्ह्ह्ह्हाआआआआ…
मेरे सीधे हाथ की छोटी उंगली चूतड़ के गैप में अंदर को घुस गई और मुझे उनकी चूत के गीलेपन का भी पता चल गया…
मैंने छोटी उंगली को उनकी चूत के ऊपर कुरेदते हुए हिलाया तो भाभी ने कसकर अपने चूतड़ों को हिलाया…
नलिनी भाभी- ओह क्या करने लगे सुबह सुबह… फिर पूरा दिन बेकार हो जायेगा… क्या फिर सलोनी को नंगा देख आये… जो हरकतें शुरू कर दी…?
बस मैंने जोश में आकर अपने बाएं हाथ से उनकी पजामी की इलास्टिक को नीचे सरकाया और पजामी दोनों हाथ से पकड़ उनके चूतड़ों से नीचे सरका दिया।
उन्होंने अपनी कमर को हिला बहुत हल्का सा विरोध
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