Thread Rating:
  • 4 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
मेरी सलोनी बीवी....1
#1
Wink 
मेरी उम्र सत्ताईस साल है और मेरी बीवी सलोनी छब्बीस साल की है, हमारी शादी को लगभग ढाई साल हो गए हैं। अभी हमारा कोई बच्चा नहीं है। मैं औसत कदकाठी का साधारण काम करने वाला इंसान हूँ, समाज भीरू, अपनी कोई बात जगजाहिर करना नहीं चाहता और सेक्स के मामले में भी साधारण ही हूँ।

मगर इसे अपनी किस्मत कहूँ या बदकिस्मती कि मेरी शादी एक बहुत सुन्दर लड़की सलोनी से हो गई वो एक क़यामत ही है 5 फुट 4 इंच लम्बी, बिल्कुल दूध जैसा सफ़ेद रंग जिसमें सिंदूर मिला हो और गजब के उसके अंग, वक्ष 36″ पतली कमर शायद 26″ और खूब उभरे हुए उसके कूल्हे 38 ! उसके चूतड़ इतने गद्देदार हैं कि अच्छों-अच्छों का लण्ड पानी छोड़ देता है जिसे मैंने कई बार महसूस किया है, उसकी इसी गांड के कारण सुहागरात को मेरे लण्ड ने भी जवाब दे दिया था।

चलिए वो किस्सा भी आपको बता देता हूँ।

सुहागरात में उसके गोरे सुन्दर और गर्म बदन ने ही मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था और ऊपर से जब मैं उसको प्यार कर रहा था तब वो उल्टी पेट के बल बिस्तर पर लेट गई उसके सफ़ेद बदन पर केवल एक काली पैंटी थी जो उसके चूतड़ों को गजब का सेक्सी बना रही थी।

फिर जब उसकी पीठ को चूमते हुए जब मैं उसकी कच्छी उसके चूतड़ों से नीचे उतारने लगा तो उसके हिलते हुए चूतड़ों के बीच उसका सुरमई गुदा-द्वार देख मेरे छक्के छूट गए और जैसे ही मैंने उसकी झांकती गुलाबी, चिकनी चूत जिसके दोनों होंट आपस में चिपके थे, देखते ही मेरे पसीने छूट गए।

उसके इन अंगों ने मुझे उसके सामने शर्मिन्दा करवा दिया। मगर उसने बड़े प्यार से मुझसे कहा- कोई बात नहीं, ऐसा हो जाता है।

उसका यह प्यार अभी भी जारी है, वो कभी कोई मांग नहीं रखती और न कभी मुझसे लड़ाई करती है और मेरा बहुत ध्यान रखती है इसलिए मैं उससे कुछ नहीं कहता और न ही उसकी हरकतों को रोक पा रहा हूँ। कपड़े उसके काफी मॉडर्न ही होते थे पर इसके लिए मैंने कभी उसको मना नहीं किया था।

अब आपसे उसके इसी व्यव्हार के बारे मैं बताऊँगा।

सलोनी हमेशा बहुत हंसमुख सभी से खुलकर बातचीत करने वाली, सभी का ध्यान रखने वाली लड़की है। मेरे सभी दोस्त और रिश्तेदार उसको बहुत पसन्द करते हैं।

हम एक अलग फ्लैट लेकर रहते हैं। पहले साल तक तो सब कुछ मुझे सामान्य ही लगा था और हमारा जीवन भी आम पति-पत्नी जैसा ही बीता था। हाँ, हमारे बीच चुदाई कम होती थी, हफ़्ते में एक-दो बार ही, मगर उसने कभी शिकायत नहीं की और न ही कभी वो कहती, जब मेरा मन होता है, तो वो खुद ही तैयार हो जाती है।

मेरे दोस्तों के साथ उसका हंसी मजाक या मेरे भाइयों के साथ उसकी छेड़छाड़ सब कुछ सामान्य ही लगता था मगर पिछले एक साल से सब कुछ बदल गया है, सलोनी को मैं सीधी-सादी समझता था मगर वो तो सेक्स की मूर्ति निकली, अब तो बस मैं उसको छिपकर उसकी हरकतों को देखता रहता हूँ न तो उससे कुछ कहता हूँ और न ही उसकी किसी बात का विरोध करता हूँ।

शायद यही सुन्दर पत्नी रखने की सजा है।

दोस्तों शादी के बाद का एक साल तो ऐसे ही गुजर गया, या तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया सलोनी की हरकतों पर या फिर वो भी सती-सावित्री ही बनी रही।

असली कहानी कोई एक साल बाद शुरू हुई जब मैंने उसकी हरकत पर ध्यान दिया।

हुआ यों कि मेरा छोटा भाई दिल्ली से आया हुआ था, वो वहाँ इंजीनियरिंग कर रहा है, 22 साल का गठीला जवान है, दोनों देवर भाभी में हंसी मजाक होता रहता है।

एक सुबह मैं उठकर अखबार पढ़ते हुए चाय पी रहा था, तभी सलोनी बोली- सुनो, आप पौधों को पानी दो ना, मैं तब तक नाश्ता तैयार कर लेती हूँ।

सलोनी ने गुलाबी सिल्की हाफ पजामी पहनी थी जो उसके घुटनों तक ही थी, वो उसकी जांघों से पूरी तरह कसी हुई थी जिससे उसके चूतड़ बाहर निकले हुए साफ़ दिख रहे थे और इस पजामी में जब वह अंदर चड्डी नहीं पहनती थी तो उसकी चूत का आकार भी साफ़ दिखता था और पीछे से मुझे आज भी उसकी पजामी में कहीं कोई कच्छी का निशान नहीं दिख रहा था, मतलब सामने से उसकी चूत गजब ढहा रही होगी।

मैंने एक दो बार उसको कहा भी है- जान इस पजामी के अंदर कच्छी जरुर पहन लिया करो जब कोई और घर में आया हो !
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मगर वो ऐसी बातों को नजरअंदाज़ कर देती थी, मैं भी ज्यादा नहीं टोकता था। ऊपर उसने एक सैंडो टॉप पहना था जो उसके विशाल उरोजों पर कसा था और उसके पेट पर नाभि तक ही आ रहा था उसकी पजामी और टॉप के बीच करीब पाँच इंच सफ़ेद कमर दिख रही थी जो उसको बहुत सेक्सी बना रही थी।

मैं पौधों में पानी डालने बाहर जाने वाला था कि तभी मेरा छोटा भाई भी रसोई में गया- लाओ भाभी मैं आपकी मदद करता हूँ, और भैया कहाँ हैं।
पता नहीं क्
[+] 1 user Likes Wilson's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
सलोनी- हाँ…हाँ, मुझे पता चल रहा है कि तुम्हारा क्या मन कर रहा है वो तो तुम्हारा यह मोटा मूसल लौड़ा ही बता रहा है जो पजामी के साथ ही मेरे चूतड़ों के बीच में मेरी गाण्ड घुसा जा रहा है।
मैं उनकी बातें सुन कर धक्क से रह गया था कि सलोनी कभी मेरे सामने इतना खुलकर ऐसे नहीं बोलती थी, कभी कभी मेरे बहुत ज़ोर देने पर बोल देती थी मगर आज तो पराये मर्द के सामने रंडी की तरह बोल रही थी।

तभी उसने पीछे हाथ कर पारस का लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। पारस ने न जाने कब उसे अपने पजामे से बाहर निकाल लिया था वो अब सलोनी के हाथ में था। तभी सलोनी घूमी तो मैंने देखा कि उसकी पजामी चूत से नीचे खिसकी हुई है अब उसकी नंगे सुतवाँ पेट के साथ उसकी छोटी सी चूत भी दिख रही है, पारस के लण्ड को सलोनी ने अपने हाथ से सहला कर उसके पजामे में कर दिया और बोली- इसको अभी आराम करने दो, इस सबके लिए अभी बहुत समय मिलेगा।

मैं उनकी ये सब हरकतें देख चुपचाप बाहर आ गया और सोचने लगा कि क्या करूँ।

मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया। एक पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है, मैं लगभग चेतनाहीन हो गया था पर जब अंदर से कुछ आवाजें आईं तब मैं उठा और पौधों को पानी देने लगा।

पानी देते हुए अचानक अपने भाई पारस की बात दिमाग में गूंजने लगी और न जाने कैसे मैं सोचने लगा कि पौधे की जगह मेरी बीवी नंगी अपनी टाँगें फैलाये लेटी है और पारस अपने लण्ड को हिला हिला कर अपना पानी उसकी चूत में डाल रहा है।

और ये सब सोचते ही मेरा अपना लण्ड सर उठाने लगा जाने कैसी बात है यह कि अभी दिमाग काम नहीं कर रहा था और अब लण्ड भी पूरे जोश में था।

अब मेरे सामने दो ही रास्ते थे कि या तो लड़ झगड़ कर सब कुछ ख़त्म कर लिया जाये या फिर खुद भी मज़े करो और उसको भी करने दो।

मैंने दूसरा रास्ता चुना क्योंकि मैं भी पाक साफ नहीं था और सेक्स को मजे की तरह ही देखता था।
सबसे बड़ी बात तो यही थी कि सलोनी एक पत्नी के रूप में तो मेरा पूरा ख्याल रखती ही थी बाकी शायद उसकी अपनी इच्छाएँ थी।

मेरे मन में बस यही ख्याल आ रहा था कि ज़िंदगी बहुत छोटी है, इसमें जो मिले उसे भोग लेना चाहिए।

कम से कम सलोनी मेरा ख्याल तो रख ही रही थी, मेरी बेइज्जती तो नहीं कर रही थी। अब मेरे पीछे वो कुछ अपनी इच्छाओं को पूरा कर रही थी तो मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा।
ये सब सोच मेरा मन बहुत हल्का हो गया और अपना काम ख़त्म कर मैं अंदर आ गया।

अंदर सब कुछ सामान्य था, सलोनी रसोई में वैसे ही काम कर रही थी और पारस बाथरूम में था।
करीब दस मिनट के बाद पारस नहाकर बाहर निकला, उसके कसरती बदन पर केवल कमर में एक पतला तौलिया बंधा था जिसमें उसके लण्ड के आकार का आभास हो रहा था।
मैं अपने कपड़े ले बाथरूम में चला गया, सलोनी वैसे ही रसोई में काम करती रही।

पारस- भैया, क्या हुआ? आज कुछ जल्दी है?
मैं- हाँ आज जरा जल्दी ऑफिस जाना है। सलोनी जल्दी नाश्ता तैयार कर दो, मैं बस फ़टाफ़ट नहाकर आता हूँ।
मैंने बाथरूम से सलोनी को बोल दिया।

सलोनी- ठीक है, आप नहा कर आइये, नाश्ता तैयार ही है। पारस तुम भी जल्दी से आ जाओ सब साथ ही कर लेंगे।
पारस- ठीक है, भाभी मैं तो तैयार ही हूँ, ऐसे ही कर लूँगा।

मैंने बाथरूम में शॉवर चलाया और उन दोनों को देखने का सोचा।

बाथरूम की एक तरफ़ की दीवार में ऊपर की ओर छोटा रोशनदान है जो हवा के लिए खुला रहता है, वहाँ से रसोई का कुछ भाग दिखता है और मैं उनकी बातें भी सुन सकता था।
मैंने पानी का ड्रम खिसकाकर रोशनदान के नीचे किया और उस पर चढ़कर रसोई में देखने का प्रयास किया।

वहाँ से कुछ भाग ही दिख रहा था, पर उनकी बातों की आवाज जरूर सुनाई दे रही थी।
पारस- भाभी, क्या बनाया नाश्ते में आज?
सलोनी- सब कुछ तुम्हारी पसन्द का ही है, ब्रेड सैंडविच और चाय या कॉफी जो तुम कहो।
पारस- आपको तो पता है, मैं ये सब नहीं पीता, मुझे तो दूध ही पसन्द है।
सलोनी- हाँ हाँ… मुझे पता है और वो भी तुम सीधे ही पीते हो।
और दोनों के जोर से हंसने की आवाज आई।

सलोनी- अरे क्या करते हो, अभी मैंने मना किया था न ! उफ़्फ़… क्या कर रहे हो !
मैंने बहुत कोशिश की दोनों को देखने की मगर कभी कभी जरा सा भाग ही दिख रहा था।
मगर यह निश्चित था कि पारस मेरी बीवी के दूध पी रहा था।

अब वो टॉप के ऊपर से पी रहा था या टॉप उठाकर यह मेरे लिए भी सस्पेन्स था।
मैं तो केवल उनकी आवाजें सुनकर ही उत्तेजित हो रहा था।

सलोनी- ओह पारस, क्या कर रहे हो? प्लीज अभी मत करो ! देखो, वो आते होंगे… ओह… नहीं… आह… क्या करते हो। ओह पारस… तुमने अंडरवियर भी नहीं पहना।
पारस- पुच… पुच… सुपरररर… सपरर… अहाआआ… भाभी, कितने मस्त हैं आपके मम्मे… ओह्ह्ह भाभी, ऐसे ही सहलाओ… आहा… कितना मस्त सहलाती हो आप लण्ड को… आहाअ… ओह्हओ… पुच… पुच…
मैं रोशनदान से टंगा उनकी आवाजें सुन
Like Reply
#3
रसोई से बाहर आ उसने तौलिया लिया और मेरी ओर पीठ करके अपनी चूत साफ करने लगी।
उसकी कमर से लेकर चूतड़ों तक पारस का वीर्य फैला था। वो जल्दी जल्दी साफ़ करते हुए पीछे मुड़ कर बाथरूम की ओर भी देख रही थी।
उसकी इस स्थिति को देखते हुए मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया।
अब मैं नीचे उतर बिना नहाये केवल हाथ मुंह धोकर ही बाहर आ गया। हाँ, थोड़े से बाल जरूर भिगो लिए जिससे नहाया हुआ लगूँ।
बाहर एक बार फ़िर सब कुछ सामान्य था, सलोनी फिर से रसोई में थी और पारस शायद अपने कमरे में था।
हाँ बाहर एक कुर्सी पर सलोनी की ब्रा जरुर पड़ी थी जो उनकी कहानी वयां कर रही थी।वो कितना भी छुपाएँ पर सलोनी ब्रा को बाहर ही भूल गई थी।
मैंने उससे थोड़ी मस्ती करने की सोची और पूछा- सलोनी, क्या हुआ? तुम्हारी ब्रा कहाँ गई।
मगर बहुत चालाक हो गई थी वो अब ! कहते हैं न कि जब ऐसा वैसा कोई काम किया जाता है तो चालाकी अपने आप आ जाती है।
वो तुरन्र बोली- अरे काम करते हुए तनी टूट गई तो निकाल दी।
मैंने फिर उसको सताया- कौन सा काम बेबी?
वो अब भी सामान्य थी- अरे, ऊपर स्लैब से सामान उतारते हुए जान !
मैं अब कुछ नहीं कह सकता था, हाँ, उसके चूसे हुए होंटों को एक बार चूमा और अपने कमरे में आ गया।
तो यह था मेरा पहला कड़वा या मीठा अनुभव, कि मेरी प्यारी जान मेरी सीधी सी लग वाली बीवी सलोनी ने कैसे मेरे भाई से अपनी नन्ही-मुन्नी चुदवाई।
हाँ, एक अफ़सोस जरूर था मुझे कि मैं उसको देख नहीं पाया ! मगर फिर भी सब कुछ लाइव ही तो था, देख नहीं पाया, सुना तो सब था मैंने, अपनी बीवी की सीत्कारें रसोई में मेरे भाई से चुदवाते हुए !
मैं तैयार होकर बाहर आया, नाश्ता लग चुका था।
पारस भी तैयार हो गया था।
मैं- पारस, आज कहाँ जाना है, मैं छोड़ दूँ।
पारस- नहीं भैया, कहीं नहीं, आज आराम ही करूँगा, आज रात की गाड़ी से तो वापसी है मेरी।
मैं- हाँ, आज तो तुझको जाना ही है, कुछ दिन और रुक जाता।
पारस- आऊँगा ना भैया, अगली छुट्टी मिलते ही यहीं आऊँगा। अब तो आप लोगों के बिना मन ही नहीं लगेगा।
कह मेरे से रहा था जबकि देख सलोनी को रहा था।
फिर सलोनी ने ही कहा- सुनो, मुझे जरा बाज़ार जाना है, कुछ कपड़े लेने हैं।
मैं- यार, मेरे पास तो टाइम ही नहीं है, तुम पारस के साथ चली जाना।
सलोनी- ठीक है, थोड़े पैसे दे जाना।
मैं- ठीक है, क्या लेना है, कितने दे दूँ।
सलोनी- अब दो तीन जोड़ी तो अंडरगार्मेन्ट्स ही लाने हैं, एक तो अभी ही टूट गई, अब कोई बची ही नहीं, थोड़े ज्यादा ही दे देना।
वो मुस्कुराते हुए पारस को ही देख रही थी।
पहले तो मैं कोई ध्यान नहीं देता था मगर अब उन दोनों की ये बातें सुन सब समझ रहा था।
सलोनी- अच्छा 5000 दे देना, अबकी बार अच्छी और महंगे वाले चड्डी ब्रा लाऊँगी।
वो बिना शरमाये अपने कपड़ो के नाम बोल रही थी।
मैं- ठीक है जान, ज़रा अच्छी क्वालिटी की लाना और पहन भी लिया करना।
पारस- हा… हा… हा… भैया, ठीक कहा आपने। हाँ भाभी… ऐसे लाना जिनको पहन भी लो… आपको तो पता नहीं, पर ऐसे कपड़ों में दूसरों को कितनी परेशानी होती होगी।
सलोनी उसके कान पकड़ते हुए- अच्छा बच्चू ! बहुत बड़ा हो गया है तू अब। ऐसी नजर रखता है अपनी भाभी पर? बेटा सोच साफ़ होनी चाहिए, कपड़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
पारस- हाँ भाभी, आपने ठीक कहा, मैंने तो मजाक किया था।
मैं उन दोनों की नोकझोंक सुन कर मुस्कुरा रहा था, कुछ बोला नहीं, बस सोच रहा था कि कैसे इन दोनों की आज की हरकतें जानी जाएँ। अब घर पर मेरा टिकना तो सम्भव नहीं था।
तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, मैंने सलोनी के पर्स में रु० रखते हुए सोचा, उसका यह पर्स मेरी समस्या कुछ हद तक दूर कर सकता है।
मैंने कुछ समय पहले एक आवाज रिकॉर्ड करने वाला पेन voice recorder लिया था, मैंने उसको ऑन करके सलोनी के पर्स में नीचे की ओर डाल दिया।
उसकी क्षमता लगभग 8 घंटे की थी, अब जो कुछ भी होगा, कम से कम उनकी आवाजें तो रिकॉर्ड हो ही जाएंगी।
मैंने पहले भी यह चेक किया था, जबर्दस्त पॉवर वाला था और एक सौ मीटर की रेंज की आवाजें रिकॉर्ड कर लेता था।
अब मैं निश्चिंत हो सबको बाय कर ऑफिस के लिए निकल गया।
सोचा किअब शाम को आकर देखते हैं क्या होता है पूरे दिन…
मैं शाम 7 बजे वापस आया, घर का माहौल थोड़ा शांत था, सलोनी कुछ पैक कर रही थी, पारस अपने कमरे में था।
मैं भी अपने कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगा कि तभी मुझे सलोनी का पर्स दिख गया।
मैंने तुरंत उसे खोलकर वो पेन निकाला, वो अपने आप ऑफ हो गया था।
पर्स में मुझे 3-4 बिल दिखे हैं, मैंने उनको चेक किया, सलोनी ने काफी शॉपिंग की थी।
उसकी 2 लायेन्ज़री Lingerie, कुछ कॉस्मेटिक और पारस की टी-शर्ट, नेकर और अंडरवियर भी थे।
आमतौर पर मैं कभी ये सब नहीं देखता था पर जब सलोनी की सब हरकतें आसानी से दिख रही थी तो अब मेरा दिल उनकी सभी बातें जानने का था, आज तो उन
Like Reply
#4
कुछ ही देर में पारस की ट्रेन चली गई, मैं जल्दी से गाड़ी में आकर बैठ गया और फ़ोन निकाल कर रिकॉर्डिंग ऑन की…
इस टेप को सुनने में पूरे 3 घंटे लगे, टेप सुनने में ही मेरी हालत खराब हो गई और मैंने दो बार मुठ मारी।
मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि सलोनी इस कदर सेक्सी हो सकती है, उसने एक भारतीय नारी की सारी हदें पार कर दी थीं।
मुझे लगा कि शायद मैं अपने बिज़नेस में कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया था जो उसकी इच्छाएँ नहीं समझ पाया।
तो आप भी सुन लीजिए मेरे सगे भाई पारस और मेरी ब्याहता बीवी सलोनी की बातचीत, एक एक शब्द आगे वर्णित है…

मैं- अच्छा जान मैं चलता हूँ, पारस तैयार रहना शाम को मिलते हैं।
सलोनी- बाय जान अपना ध्यान रखना।
सलोनी- ओह पारस, क्या करते हो रुको तो… अरे, दरवाजा तो बंद करने दो… लगता है… आज तो पगला गए हो।
पारस- हाँ भाभी, आज मेरा आखरी दिन है, तुमको तो पता है फिर 6 महीने के बाद आ पाऊँगा।
सलोनी- ओह मुझे पता है बेबी, मैं खुद उदास हूँ पर ओह… रुको ना… उतार रही हूँ ना… क्या पजामी फ़ाड़ोगे? ये लो… आज तुम्हारा जो दिल चाहे कर लो… आज मेरी ओर से तुमको हर तरह की आजादी..
पारस- यू आर ग्रेट भाभी… आई लव यू… पुच… पुच…
सलोनी- अब तुमने मुझे पूरी नंगी तो कर दिया है… देखो सुबह तुमने कितना गन्दा कर दिया था… पहले मैं नहा लूँ… फिर जो तुम्हारी मर्जी कर लेना।
पारस- आज तो मैं आपको एक पल भी नहीं छोड़ूँगा… चलो… मैं आपको नहलाता हूँ।
सलोनी- क्या करते हो पारस… अभी तो नहाये हो तुम… फिर से गीले हो जाओगे… आआअ… ऊऊऊ…उईईईईई… क्या कर रहे हो…
ह्ह्ह्ह्हाआआआ… खिलखिलाने की आवाजें आओहूऊऊओ…
पारस- भाभी सच बताओ, तुम्हारी चूत इतनी प्यारी कैसे है… कितनी छोटी… वाउउउउ… कितनी चिकनी… ये तो बिल्कुल छोटी सी बच्ची जैसी है… पुच पुच… च… च… च… पुच च च…
सलोनी- अहाआआ… ह्हह्हाआ… अब नहाने भी दे… या चाटता ही रहेगा… ओहूऊऊ… ओह… हा… हा… हे… हेह… ही… ही…
पारस- पुच… चाप… चप… चपर… पुच…
सलोनी- अच्छा ये बता… तूने कितनी बच्ची की चूत देखी हैं जो तुझे पता है कि वो ऐसी होती है।
पारस- क्या भाभी… ये तो पता ही है न… और मैंने तो कई की देखी है और…
सलोनी- अच्छा बच्चू… इसका भी दीवाना है लेकिन गलत बात अब ऐसा नहीं करना…
पारस- ओह भाभी… ठीक है… नहीं करूँगा मगर कान तो छोड़ो।
सलोनी- नहीं छोड़ूंगी… तुम छोड़ते हो जब मेरे दूध पकड़ लेते हो… तो हा हा… अब मैं भी नहीं छोड़ती…
पारस- ठीक है… मत छोड़ो… लो मैं भी पकड़ लेता हूँ…
सलोनी- हीईई… हूऊऊऊऊ… अहाआआ… उईईईईइ…
पारस- अहाआ… आआअ…
सलोनी- ओहूऊऊ… यहाँ नहीं राजा… ओहू… हो… अहाआआ… निकाल न… अहाआआ… नहा तो लेने दे… नअहाआआ…
पारस- नहला ही तो रहा हूँ… यह तो आपकी चूत की अंदर की सफाई कर रहा है… आहा… आहा…
सलोनी- हाँ हाँ… मुझे सब पता है यह कौन सी सफाई कर रहा है… आहा… आअ… अआ… अआ… ओह… ओह…
अहाआआ… आहा… आअ… आअ… आहाहा… हाआह…
पारस- ओह भाभी… कितनी गर्म है चूत आपकी… आहा हा… ओह आहा… हा ओह… अह्ह्हा… ओह… हह…
सलोनी- बस्स्स्स्स्स्स्स… राजाआआआ… ओहोहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…
पारस- आआआह्हह्हह्हह्ह… बस्स… भाभी हो गया… आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… आआआआअह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह…
पारस- आहा भाभी… मजा आ गया, तुम बहुत हॉट हो जानम, तुम्हारी इस चूत को चोदकर मेरे लण्ड को पूरा करार मिल जाता है।
सलोनी- हाँ लाला… तुमने भी मेरी जिंदगी में पूरे रंग भर दिए हैं। तुम्हारे भैया तो बेडरूम और बिस्तर के अलावा मुझे कहीं हाथ भी नहीं लगाते, अहा और तुमने इस घर में हर जगह मुझे चोदा है। मैं निहाल हो गई तुम्हारी चुदाई पर।
पारस- हाँ भाभी… चुदाई का मजा तो जगह और तरीके बदल बदल कर करने में ही आता है।
सलोनी- सही कहा तुमने… आज यहाँ बाथरूम में मजा आ गया।
पारस- अच्छा और कल जब बालकोनी में किया था?
सलोनी- धत्त पागल… वो तो मैं बहुत डर गई थी। लेकिन सच बोलूँ तो बहुत मजा आया था। सूरज की रोशनी में खुले में, ना जाने किस किसने देखा होगा।
पारस- अरे भाभी… वही तो मजा है… और आपने देखा नहीं कल आपकी चूत सबसे ज्यादा गरम थी और कितना पानी छोड़ रही थी।
सलोनी- हाँ हाँ… चल अब तेरी सारी इच्छा पूरी हो गई ना, बेडरूम से लेकर बाथरूम, बालकोनी, रसोई सब जगह तूने अपने मन की कर ली ना, और मुझे यह गन्दी भाषा भी सिखा दी, अब तो तू खुश है ना?
पारस- अभी कहाँ मेरी जान… अभी तो दिल में सैकड़ों अरमान हैं… आप तो बस देखती जाओ… हा… हा… हा…
सलोनी- तू पूरा पागल है… चल अब हट…
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
सलोनी- अरे कौन आया इस वक्त…?
पारस- लगता है कूरियर वाला है।
सलोनी- जा तू ले ले… तौलिया बांध लेना कमर में… या होने इसी पेन से साइन करेगा… हा… हा… हा… हाहा…
पारस- हे हे… हंसो मत भाभी… आज आपको एक और मजा कराता हूँ… जाओ कूरियर आप लो… बहुत मजा आएगा।
सलोनी- पागल है क्या… मुझे कपड़े पहनने में आधा घंटा लग जायेगा, जल्दी ज
Like Reply
#5
सलोनी- ओके बेबी… अब पीछे से तो हट… जब देखो… कहीं न कहीं घुसाता रहेगा… अब इसको बाज़ार में जरा संभाल कर रखना… ओके?
पारस- भाभी यही तो कंट्रोल में नहीं रहता, अब तो खुला रास्ता है… बस स्कर्ट उठाई और अंदर… हाहा…हाहा…
सलोनी- अच्छा जी… तो यह तेरा प्लान है… मारूंगी… हाँ… देख ऐसा कुछ बाज़ार में मत करना… कभी मुझे सबके सामने रुसवा कर दे?
पारस- अरे नहीं भाभी… आप तो मेरी सबसे प्यारी भाभी हो…
सलोनी- अच्छा चल अब जल्दी कर…
ओके…

मेरे पाठक दोस्तो, मैं खुश था… रिकॉर्डर सलोनी के साथ था मगर अगले 3 घंटे सही रिकॉर्ड नहीं हुए। यहीं आकर यह आधुनिक मशीनें भी फ़ेल हो जाती हैं।
इतनी मिक्स आवाजें थी कि कुछ सही से समझ नहीं आ रहा था।
मगर उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि मुझे काफी कुछ पता चल गया।
घर से निकलने के बाद पारस के बाइक स्टार्ट करने की आवाज।
जब वो आता था तो मेरी बाइक वो ही यूज़ करता था…

पारस- आओ बेठो मेरी जान मेरी प्रेमिका की तरह
सलोनी- अच्छा जी, अपने भैया के सामने बोलना.. हे हे
पारस- ओह क्या भाभी ओल्ड फैशन, दोनों और पैर करके चिपक कर बैठो ना।
सलोनी- हाँ हाँ मुझे पता है पर पहले कालोनी से बाहर लेकर चल फिर वैसे भी बैठ जाऊँगी। और आज कैसे यार पैर खोलकर बैठूंगी तो स्कर्ट उड़ेगी, फिर तो सब क्या क्या देखेंगे।
पारस- क्या देखेंगे हो हो…
सलोनी- मारूंगी कमीने, तेरे कहने से ही मैंने कच्छी नहीं पहनी, और अब सबको दिखाना भी चाहता है।
पारस- वही तो मेरी जान देखना आज बाज़ार में आग लगने वाली है। और आप तो बस मजे लो।
सलोनी- हाँ हाँ मुझे पता है मजे कौन ले रहा है।


सलोनी- अच्छा अब रोक वैसे ही बैठती हूँ।

पारस- बिल्कुल चिपक जाओ जान,
सलोनी- और कितना चिपकू, चूत में तेरे जीन्स का कपड़ा तक चुभ रहा है।
पारस- अह… हा हा… हाहाहाहा…



पारस- उधर देखो भाभी, वो कैसे देख रहा है।
सलोनी- हट मैं नहीं देखती… देखने दे उसको, जो देख रहा है।
पारस- बहुत देर से पीछे चल रहा है।
सलोनी- मुझे पता है मेरे चूतड़ देखकर पहले इशारा भी कर रहा था।
पारस- अच्छा कौन सा?
सलोनी- फ़क यानि चुदाई का, और कौन सा, मैं कह ही रही थी तू मुझे रुसवा करवाएगा। इतनी तेज चला रहा है स्कर्ट पूरी ऊपर हो जा रही है… सोच, उसको कितने मजे आ रहे होंगे ! थोड़ी धीरे कर ना !
पारस- लो भाभी…

चटअआआ ताआआ अक्क्क्क
सलोनी- आआआ… आआअह्ह ह्हा… आआअ…
पारस- क्या हुआ भाभी…
सलोनी- हरामी, साला तू पकड़ न उसको, मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार कर भाग गया। उनन्न पूरे लाल हो गए होंगे।
पारस- हाहाहाहा… ह्हह्हाहह… देखा इसलिए मैं तेज चला रहा था… हा हाहाहा…
सलोनी- अब तू हंसा तो पिटेगा।
पारस- लाओ दिखाओ… भाभी, मैं सहला देता हूँ।
सलोनी- रहने दे, तू बस अब चला…


सलोनी- चल अब यहीं रोक दे…


पारस- क्या हुआ…?
सलोनी- देख उसको कैसे घूर रहा है, इसने मुझे उतरते हुए देख लिया था। जब मेरा पैर ऊपर था तो कमीना चूत में ही घुसा था।
पारस- हा हा… क्या बात है भाभी… तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर मजा आ गया।
सलोनी- हाँ हाँ… बहुत सुन ली मैंने तेरी… अब सबसे पहले तो कच्छी खरीदकर वहीं पहनती हूँ। बहुत देख ली सबने अब बस।
पारस- नो भाभी, यह चीटिंग है आज तो आप ऐसे ही रहोगी, और डरती क्यों हो मैं हूँ ना!
सलोनी- हाँ हाँ… मुझे पता है तू कितना है आज मेरा चोदन करा कर रहेगा। अगर इनके किसी दोस्त ने देख लिया न तो सब हो जाएगा।

पारस- अरे, कुछ नहीं होगा भाभी… देखना… वो भी आपका दीवाना हो जायेगा…
सलोनी- हाँ हाँ… तू तो बहुत कुछ जानता है… चल अब…
सलोनी- पारस आ… उस दुकान में चल।
पारस- नहीं भाभी… ये वाली ज्यादा सही है… मैंने जो आपको गिफ्ट दी थीं वो यहीं से ली थीं।
सलोनी- अरे इसमें तो केवल लड़के ही लड़के हैं, क्या इन सबके सामने मैं ब्रा, चड्डी लूंगी।
पारस- क्या भाभी, इतनी बोल्ड तो हो आप ! और अब ये दकियानूसी बातें? अरे खुद ही तो ज़िंदगी का मजा लेने की बात करती हो। अब देखो इनके पास से लेने में आपको बेस्ट चीज़ मिलेगी, और बहुत सही रेट में, आपको मजा अलग आएगा, आज देख लेना आप !

सलोनी- ओह, अच्छा मेरे राजा, ठीक है चल फिर मगर मेरी स्कर्ट के साथ कुछ शरारत मत करना।
पारस- अरे स्कर्ट के साथ कौन कमबख्त कुछ करना चाहता है… वही सुसरी मेरे काम की चीज पर पर्दा डाले है… हा हा हा हा…
सलोनी- हे हे हे हे… ओह… यहाँ तो और भी लड़कियाँ हैं… मैं तो समझ रही थी कि यहाँ कौन आता होगा।
पारस- और वो देखो भाभी… कैसे चेक भी कर रही है।
सलोनी- हाँ हाँ… मगर जीन्स के ऊपर ना… मुझसे मत कहना चेक करने को हा हा…
पारस- वाओ भाभी… मजा आ जायेगा जब तुम चेक करोगी तो… तुम्हारी नंगी चूत और चूतड़ देख ये सब तो… हाय मैं मर गया…
सलोनी- छिः… चल अब…
एक लड़का सेलमैन- क्या दिखाऊँ मैडमजी?
सलोनी- कुछ मॉडर्न अंडरगार्मेन्ट्स…

सलोनी- हाँ वो वाला…
लड़का- मैडमजी, साइज़ क्या है आपका
Like Reply
#6
पारस- वाह यार… तुम्हारा काम तो बहुत मजेदार है।
लड़का- क्या साहब… बहुत मेहनत का काम है…
पारस- वो तो है यार देख मेरे कैसे पसीने छूट गए…
और तेरे भी जाने कहाँ कहाँ से, सब जगह से गीला हो गया तू तो…
सलोनी- बस अब तो हो गया ना
पारस- हाँ जानेमन हो गया… अब स्कर्ट तो नीचे कर लो, क्या ऐसे ही ऊपर पकड़े खड़े रहोगी… हा हा?
लड़का- हा हा… क्या साहब?
सलोनी- उउऊऊनन्न्न मारूंगी मैं अब तुमको.. चलें अब…?
पारस- अभी कहाँ जान, क्या ब्रा नहीं लेनी?
लड़का- हाँ मैडमजी, मम्मो का तो सही नाप आपको बहुत सेक्सी दिखाता है।
सलोनी- अब क्या यहाँ इसके सामने खुले में पूरी नंगी होऊँ मैं?
पारस- अरे क्या जान… बस ऊपर से टॉप कन्धों से नीचे कर लो, ऐसे… ठीक है मास्टरजी… इतने मम्मों से काम चल जायेगा ना?
लड़का- हाँ साहब, पहले मम्मों के ऊपर और नीचे वाले हिस्से से कमर का नाप लीजिये।
पारस- ओह जान, कितना हिल रहे हैं तुम्हारे मम्मे…
लड़का- नहीं साहब… यह तो पूरा फीता हिल गया।
पारस- यार तू ले ये नाप, मैं इन मम्मो को पकड़ कर रखता हूँ।
सलोनी- ओह नहीं पारस, यह तुम क्या कह रहे हो?
पारस- कुछ नहीं जान… मैं हूँ न, मैं अपना हाथ रखे रहूँगा, वो केवल फीता पकड़ेगा।
लड़का- हाँ साहब, बस ये ऐसे… इतना ही… ये यहाँ 32… और……यहाँ 30…
वाह बहुत सेक्सी नाप है मैडमजी आपका…
साहब जरा हाथ हटाइये… अब ये ऊपर से बस यहाँ से…
पारस- यहाँ से?
सलोनी- ऊऊऊऊउईईईईईईईई क्या करते हो…
पारस- ओह सॉरी डियर !
लड़का- वाओ साहब… ऊंचाई 37… बहुत मस्त है…
…मैडम जी… आप देखना अब… ये वाली ब्रा पहनकर आपकी सभी कपड़े कितने मस्त दिखेंगे…आप पूरी हिरोइन दिखोगी…
पारस- चल वे चल… मेरी जान तो हमेशा से ही हिरोइन को भी मात देती है…
सलोनी- अच्छा ठीक है… अब हो गया…
लड़का- बस मैडमजी… इन दोनों की गोलाई का नाप और ले लूँ।
सलोनी- वो क्यों?
लड़का- अरे मैडम जी… दोनों का नाप अलग-अलग होता है… फिर देखना आपको कितना आराम मिलेगा।
पारस- अरे यार… यह सही ही तो कह रहा होगा, कौन सा तुम्हारे मम्मों को खा जायेगा।
सलोनी- धत्त… जल्दी करो अच्छा…
लड़का- साहब जरा यहाँ से पकड़ लीजिये… बस देखा आपने साहब पूरे एक इंच का फ़र्क है। किसी किसी का तो 3-4 इंच तक का होता है
सलोनी- अब तो ऊपर कर लूँ कपड़े… हो गया ना?
पारस- तुम्हारी मर्जी जान, वैसे ऐसे ही बहुत गजब ढा रही हो। चाहो तो ऐसे ही चलें घर…?
सलोनी- हो हो… बड़े आये… तुम तो घर चलो फिर बताती हूँ…
लड़का- हा…हा…हा… क्या साहब… आप भी बहुत मजाकिया हो…
मेमसाब आपकी निप्पल बहुत सेक्सी हैं… मैं आपको नोक वाले ब्रा दिखाऊंगा…आप वही पहनना…देखा कितनी मस्त दिखोगी…
सलोनी- हाँ, मैंने देखी थीं वो एक अपनी सहेली के पास… मैं तो उस जैसी ही चाहती थी, अच्छा हुआ तुमने याद दिला दिया… चलो अब… जल्दी से दो…
लड़का- मैडम जी, ये वाली तो मैं तैयार करवा दूंगा… 2-3 दिन लगेंगे…
सलोनी- तो अभी मैं क्या लूँगी?
पारस- तब तक जान ऐसे ही घूमो, किसे पता चलता है कि तुमने पहनी या नहीं पहनी।
सलोनी- मारूंगी अब मैं तुमको…
लड़का- हा…हा… साहब मुझे पता है…साहब एक बात बताऊँ…हमारे पहनने या न पहनने से किसी को फर्क नहीं पड़ता, पर लड़की का सबको पता चल जाता है, क्योंकि सब घूर घूर कर वहीं देखते हैं…
सलोनी- हाँ तो अब मैं क्या लूँ?
लड़का- मैडमजी जो, पहले आपने देखे थे उसी में से पसन्द कर लीजिये।
सलोनी- ठीक है…
पारस- ये और ये ले लो…
सलोनी- ओके भैया… ये वाले दे दो…
ओके… फिर चलते हैं.. मैं 3-4 दिन बाद आऊँगी.. आपके पास सही नाप लेकर आ जायेंगे।



पारस- ओह भाभी… फिर भूल गई वैसे ही बैठो न…
सलोनी- हाँ हाँ, मगर सब इधर ही देख रहे हैं, कितनी भीड़ है यहाँ…
पारस- तो क्या हुआ?


कोई दूर से आवाज आ रही थी… जैसे कोई पीछे से बोल रहा हो…
अन्जान आवाज- …ओययय…ईईईए… बो देख उसने कच्छी नहीं पहनी…
कोई दूसरा- …क्याआआआ…?
पहला- …हाँ यार… मैंने उसकी फ़ुद्दी देखी… पूरी नंगी थी यार…
…चल पीछा करते हैं…
सलोनी- …देखा मना कर रही थी ना… क्या कह रहा है वो…
पारस- हा… हा… हाहाहाहा… मजा आया या नहीं… आपने सुना नहीं… कह रहा था कि ‘मैंने उसकी फ़ुद्दी देखी’ हा… हा… हाहाहा…
सलोनी- तू आज सबको मेरी चूत दिखा दिखा कर ही खुश होते रहना… पागल… सरफिरा…
पारस- भाभी… वो पीछे आ रहे हैं… जरा कस कर पकड़ लो, मैं बाइक तेज भगाने वाला हूँ…
सलोनी- माए गॉड, तू मरवा देगा आज… जल्दी चला…
पारस- अरे कुछ नहीं होगा भाभी… बस कसकर चिपक जाओ…
सलोनी- देख कितना चिल्ला रहे हैं वो…
पारस- भाभी अपनी स्कर्ट पकड़ो… वो गांड…गांड..क्या मस्त गांड है करके चिल्ला रहे हैं…
सलोनी- अब तुझे पकड़ू या स्कर्ट, तू तो भगा जल्दी और इन सबसे पीछा छुड़वा…
पारस- ओके भाभी… ये लोऊऊऊ…ओ… आआआआआ…


पारस- अब तो ठीक है ना भाभी, जरा देखो पीछे, अब तो नहीं आ रहे…
सलोनी- हाँ अब तो कोई नहीं दिख रहा… थैंक्स
[+] 1 user Likes Wilson's post
Like Reply
#7
सलोनी- अच्छा अच्छा… अब न तो सपना देख और ना दिखा… जल्दी से घर चल मुझे बहुत तेज सू सू आ रही है…
पारस- वाओ भाभी… क्या कह रही ही… आज तो आपको खुले में मुत्ती करवाएँगे…
सलोनी- फिर सनक गया तू… मैं यहाँ कहीं नहीं करने वाली…
पारस- अरे रुको तो भाभी, मुझे एक जगह पता है… वहाँ कोई नहीं होता… आप चिंता मत करो…
सलोनी- तू तो मुझे आज मरवा कर रहेगा.. सुबह से न जाने कितनों के सामने मुझे नंगी दिखा दिया… और तीन अनजाने मर्दों ने मेरे अंगों को भी छू लिया…
पारस- क्या… किस किस ने क्या क्या छुआ…झूठ मत बोलो भाभी…
सलोनी- अच्छा बच्चू… मैं कभी झूठ नहीं बोलती…
सुबह उस कूरियर वाले ने मेरी चूची को नहीं सहलाया..? और फिर रास्ते में उस कमीने ने कितनी कसकर मेरे चूतड़ों पर मारा.. अभी तक कूल्हा लाल है… फिर तूने उस दुकानदार लड़के से… शैतान कितनी देर तक मेरे सभी अंगों को छूता रहा… उसने तो मेरी चूत को सहलाया था…
…देख़ा था ना तूने…
पारस- …हाँ भाभी… सच बताओ… मजा आया था ना…
सलोनी- अगर अच्छा नहीं लगता.. तो हाथ भी नहीं लगाने देती उसको… हा…हा… उस सबको सोचकर अभी भी रोमांच आ रहा है…
पारस- ओके भाभी… ठीक है… चलो उतरो.. वो जो पार्क है ना… वहाँ इस दोपहर में कोई नहीं होता, आओ वहीं झाड़ियों में मुत्ती करते हैं दोनों…
सलोनी- पागल है, अगर किसी ने देख लिया तो…
पारस- तो क्या हुआ गिनती में एक और बढ़ा देना…
हा… हा…
सलोनी- अरे तू अपना ये तो अंदर कर ले…
पारस- अरे चलो न भाभी… यहाँ कौन देख रहा है, फिर मूतने के लिए अभी बाहर निकालना ही है…
सलोनी- हे हे सही से चल न, इसको अंदर क्यों नहीं करता, कितना मस्ती में हिलाता हुआ चल रहा है…
पारस- किसको अंदर करूँ भाभी…
सलोनी- अरे अपने इस टनटनाते हुए पप्पू को जीन्स में कर न… कितना अजीब लग रहा है…
पारस- नहीं जानेमन, यह अब जीन्स में कहाँ जा पायेगा… ये अंदर ही जायेगा मगर अब तो आपकी इस गोलमटोल चिकनी गांड में… यहाँ…
सलोनी- ऊऊईईई… क्या करता है…
पारस- अरे उंगली ही तो की है जान… लण्ड तो अभी तक बाहर ही है… ये देखो…
सलोनी- तुझे हो क्या गया है आज…कितना बेशरम हो रहा है… एक ये छोटी सी स्कर्ट ही मेरी लाज बचाये है. और इसको भी बार बार हटा देता है…
पारस- रुको भाभी… यह जगह सही है… यहाँ आप आराम से मूत सकती हैं… वहाँ उस पेड़ के पीछे कर लो… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सलोनी- हम्म्म्म ठीक है… तू क्या करेगा…
पारस- हे… हे… मैं देखूंगा कि आपने कितनी की…
सलोनी- पागल है क्या… चल तू उधर देख… कि कोई आ न जाए…पहले मैं कर लेती हूँ फिर तू भी कर लेना..




पारस- वाओ भाभी… मूतते हुए पीछे से आपकी गांड कितनी प्यारी लग रही है…
सलोनी- तू अब इसे ही देखता रहेगा या इधर-उधर का भी ध्यान रखेगा…?
पारस- आप तो फालतू में नाराज हो रही हो… केवल अकेला मैं ही कौन सा देख रहा हूँ…
सलोनी- उउउफ्फ्फ्फ्फ़… तो और कौन देख रहा है…
पारस- हाहा वो देखो बेंच पर…वो जो अंकल बैठे हैं इधर ही देख रहे हैं…
सलोनी- देख कितना बेशरम है… लगातार घूर रहा है…
पारस- वाह भाभी… आपको करने में शर्म नहीं… मैं और वो देख रहे हैं तो बेशरम…
सलोनी- अब आज तो तू पक्का पिटने वाला है…
अब जल्दी से चल यहाँ से…
पारस- एक मिनट न भाभी जी…जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो…
सलोनी- हाँ हाँ जल्दी कर…

सलोनी- देख अब कैसे चला गया…जब मैंने उसको घूरा… शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को… राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं…
पारस- हा हा भाभी क्या बात की है… वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर…पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे… हा हा…
सलोनी- हाहा… तू भी ना…
पारस- भाभी…प्लीज जरा इसको सही तो कर दो… देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा…
लेखक : इमरान
पारस- एक मिनट न भाभी जी…जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो…
सलोनी- हाँ हाँ जल्दी कर…

सलोनी- देख अब कैसे चला गया…जब मैंने उसको घूरा… शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को… राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं…
पारस- हा हा भाभी क्या बात की है… वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर…पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे… हा हा…
सलोनी- हाहा… तू भी ना…
पारस- भाभी…प्लीज जरा इसको सही तो कर दो… देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा…
सलोनी- यहाँ… हाए क्या कर रहा है… कितना गरम हो रहा है ये…
पारस- भाभी, खुले में चुदाई करने का मजा ही अलग है…
सलोनी- नहीं… यहाँ तो बिल्कुल नहीं… मैं ये रिस्क नहीं लेने वाली…तू इसको अंदर कर जल्दी…
पारस- अरे वही तो कर रहा हूँ भाभी… कोई नहीं है यहाँ बस इस पेड़ को पकड़ कर थोड़ा झुको… केवल 5 मिनट लगेंगे…
सलोनी- आआह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्हाआ… क्या करता है… मुझे दर्द हो रहा है… ओह मान जा ना प्लीज… नहीईईई… आआअह्ह्हह्ह… मान जा… नहीं…
ना… यहाँ कोई भी आ सकता है…
पारस- श्ह्ह्ह्ह्ह्ह… कोई नहीं आएगा… बस्स्स
Like Reply
#8
Star 
सलोनी- चल अब जल्दी से घर चल… देर हो रही है।


पारस- भाभी प्लीज माफ़ कर दो न… अच्छा अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा…प्रोमिस…
सलोनी- अच्छा ठीक है… पर कुछ समय दूर रह… मेरा मूड बहुत ख़राब है…
पारस- ओके मेरी प्यारी भाभी… पुचच च च च…

पारस- भाभी, मैं अभी आता हूँ… जरा कुछ सामान लेना है बाजार से… भूल गया था…



काफी देर बाद…
टेलीफोन की घण्टी की आवाज … ट्रिन ट्रिन… ट्रिन ट्रिन
सलोनी- हेल्लो…
मेरी किस्मत अच्छी थी कि सलोनी ने फ़ोन स्पीकर पर कर लिया था..
उसकी सहेली नज़ाकत- हेलो मेरी जान, कहाँ हो आजकल?
सलोनी- यहीं हूँ यार ! तू सुना.. कहाँ मस्ती मार रही है…?
नज़ाकत- वाह, मस्ती खुद कर रही है और मेरे को बोल रही है…
सलोनी- ओह लगता है शकील भाई नहीं हैं आजकल जो मुझसे लड़ने लगी…?
नज़ाकत- उनको छोड़… तू ये बता… आज बाजार में किसके साथ मटक रही थी, बिल्कुल छम्मक छल्लो की तरह..?
सलोनी- अरे वो तो इनका छोटा भाई है.. मैं तेरी तरह नहीं हूँ जो किसी के भी साथ यूँ ही घूमने लगूँ…
नज़ाकत- हाँ हाँ… मैं तो ऐसी वैसी हूँ… और तू कैसे घूम रही थी वो सब देखा मैंने… मेरी आवाज भी नहीं सुनी.. और अपने चूतड़ मटकाती हुई निकल गई…
सलोनी- अरे यार… मैंने सही में नहीं देखा, कहाँ थी तू…?
नज़ाकत- उसी बाजार में जहाँ तू बिना कच्छी के अपने नंगे चूतड़ सबको दिखा रही थी… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सलोनी- अरे यार… वो जरा वैसे ही हे… हे… जरा मस्ती का मूड था तो… और तू क्या कर रही थी वहाँ…?
नज़ाकत- मैं तो शकील के साथ शॉपिंग करने गई थी…
सलोनी- हाय !! तो क्या शकील भाई ने भी कुछ देखा..
नज़ाकत- कुछ… अरे सब कुछ देखा… उन्होंने ही तो मुझे बताया… कि यह आज सलोनी को क्या हो गया है… उन्होंने तो तेरे उस भाई को तेरे नंगे चूतड़ों पर हाथ से सहलाते भी देखा… तभी तो मैं तुझसे कह रही हूँ…
सलोनी- ओ माय गॉड, क्या कह रही है तू…?
नज़ाकत- बिल्कुल वही जो हुआ… अब सच सच बता… क्या बात है?
सलोनी- यार, शकील भाई कहीं इनसे तो कुछ नहीं कहेंगे?
नज़ाकत- अरे नहीं यार वो ऐसे नहीं हैं… लेकिन तू मुझे बता… ये सब क्या है… और क्या क्या हुआ…?
सलोनी- अरे कुछ नहीं यार, बस थोड़ी मस्ती का मन था.… इसलिए बस और कुछ नहीं यार…
नज़ाकत- हम्म्म… वो तो दिख ही रहा था.. तू बताती है या मैं कोई जासूस छोड़ूँ तेरे पीचे…?
सलोनी- जा कुतिया… कर ले जो तेरे से होता है… साली धमकी देती है? ब्लैकमेल करती है माँ की … … …?
नज़ाकत- प्लीज बता ना यार… क्या क्या हुआ… और वो हैंडसम कौन था…?
सलोनी- बताया तो यार… मेरा देवर है॥…और बस थोडा मस्ती का मूड था तो ऐसे ही बाहर निकल लिए बस और कुछ नहीं हुआ… और तुझे मस्ती लेनी है तो तू भी बिना चड्डी के जाना, देखना बहुत मजा आएगा..
नज़ाकत- अरे वो तो सही है.. तू बता न क्या हुआ मेरी जान.. कितनों ने उंगली की तेरी में… बता न यार..?
सलोनी- नहीं यार… ऐसा कुछ नहीं हुआ… बस जैसे तूने देखा… ऐसे ही किसी न किसी देखा होगा… बस… और तो कुछ नहीं हुआ…
नज़ाकत- अच्छा और तुम्हारे देवर, वो कहाँ तक पहुँचे..?
सलोनी- कहीं तक नहीं यार… बस ऐसे ही थोड़ी बहुत मस्ती बस… और क्या मैं…


..
सॉरी दोस्तो, रिकॉर्डिंग ने धोखा दे दिया… लगता है यहाँ तक बैटरी थी…उसके बाद बैटरी खत्म !
मगर इतना कुछ सुनकर मुझे यह तो लग गया था कि सलोनी को अब रोकना मुश्किल है..
मैं कुछ देर तक बस सोच ही रहा था कि अब आगे क्या और कैसे करना चाहिए…
Like Reply
#9
सॉरी दोस्तो, रिकॉर्डिंग ने धोखा दे दिया… लगता है यहाँ तक बैटरी थी…उसके बाद बैटरी खत्म !
मगर इतना कुछ सुनकर मुझे यह तो लग गया था कि सलोनी को अब रोकना मुश्किल है..
मैं कुछ देर तक बस सोच ही रहा था कि अब आगे क्या और कैसे करना चाहिए…
बहुत समय तक अनाप-शनाप सोचने के बाद मैंने सब विचारों को बाहर निकाल फैंका…
फिर सोचा कि यार मैंने सलोनी को अब तक दिया ही क्या है…
यह घर… ऐश्वर्य या कुछ जरूरी सामान… क्या ये सब ही काफ़ी था…?
आखिर उसकी भी अपनी ज़िंदगी है… और सेक्स तो शरीर की प्राथमिक जरूरत है… मगर मैंने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया
पर अब मुझे इस और ध्यान देना होगा…
मैंने एक ही पल में सब सोच लिया कि मैं अब सलोनी का पूरा ध्यान रखूँगा…
वो जो भी चाहती है, जैसा भी चाहती है, मैं उसमें उसका साथ दूँगा… आखिर मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ।
अब अगर उसने ये सब किया तो मैं नहीं समझता कि इसमें उसकी कोई गलती है… अगर उसको ये सब अच्छा लगता है तो उसको मिलना चाहिए…
और मैं भी कौन सा दूध का धुला हूँ? अपनी क्लासमेट से लेकर… सेक्रेटरी से लेकर… साली तक… अनगिनत पड़ोसनों, कालगर्लों तक… न जाने कितनी चूतों को मार चुका हूँ।
फिर अगर सलोनी मजे ले रही है तो यह उसका जायज हक़ है।
अब यह सोचना था कि कैसे मैं उसको अपने विश्वास में लूँ।
यह सब सोचते हुए मैं घर पहुँच गया।

अब घर पहुँच कर मैंने घण्टी बजाई… घर्र्न्न… घर्र्न्न…
सलोनी- कौन है…?
मैं- खोल ना… मैं हूँ।
दरवाजा खुलते ही…
सलोनी- क्या हुआ? बड़ी देर लगा दी… कहाँ रुक गए थे.. पारस का फोन आया कि वो तो 2 घंटे पहले ही निकल गया.. वो और मैं दोनों कॉल कर रहे थे पर आपका फोन ही नहीं लग रहा था… कहाँ थे..? कहीं कुछ हुआ तो नहीं… कितना घबरा रही थी मैं… कुछ हुआ तो नहीं… क्या तुम भी… एक कॉल भी नहीं कर सकते थे…
ओह माय गॉड, मुझे याद आया… मैं अपना फोन कॉल ऑफ किया था… जब रिकॉर्डिंग सुन रहा था… और यहाँ ये सब कितने परेशान हो गए बेचारे…
मैं- ओह… जरा ठहर मेरी जान… ऐसा कुछ नहीं हुआ… बस कोई मिल गया था… और मेरा फोन गिरने से ऑफ हो गया था… मुझे पता ही नहीं चला…
सलोनी मेरे सीने से लग गई… मैंने कसकर उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया… मुझे उसके कमसिन शरीर का अहसास होने लगा.. जो पिछले 1-2 साल से मैंने खो दिया था।
वाक़यी सलोनी एक बहुत खूबसूरत और काम-रति सम्पन्ना स्त्री है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसका अंग अंग रस से भरा है… उसके उठे हुए नुकीले स्तन, चूची मेरे सीने में चुभ रहे थे..
उनके निप्पल तक की चुभन का अहसास मुझे हो रहा था… मुझे पता था कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी…क्योंकि उसकी गहरी लाल रंग की ब्रा, कच्छी हमारे बेड के कोने में लैंप के पास रखीं थी।
सलोनी अमूमन तो घर पर ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी। और अगर पहनी हो तो रात को सोने से पहले वो उनको उतार वहीं रख देती थी।
वो हमेशा मेरे सामने ही यह सब करती थी, मगर उसके प्रति मेरी रुचि बिल्कुल ख़त्म सी हो गई थी इसलिए मैं कोई ध्यान नहीं देता था।
मगर आज की सारी घटनाओ ने मेरा नजरिया ही बदल दिया था। मुझे सलोनी संसार की सबसे प्यारी स्त्री लग रही थी।
यकीन मानना… मेरा लण्ड उस रिकॉर्डिंग को सुनने के बाद से खड़ा था और बहुत दिनों बाद आज सलोनी के शरीर की गर्मी महसूस कर उसको छू रहा था।
इसका एहसास सलोनी को भी हो रहा होगा…
मैं अपना हाथ उसकी पीठ से लहराते हुए उसके गदराये चूतड़ों तक ले गया।
कसम से इतने सेक्सी चूतड़ किसी के नहीं हो सकते… ऐसा मखमली अहसास जैसे मक्खन एक पर्वत को चूतड़ का आकार दे दिया गया हो…
सलोनी ने सफ़ेद मिडी जैसा गाउन पहना था, जो उसके चूतड़ों से थोड़ा ही नीचे होगा… मेरा हाथ सरलता से उसके गाउन के अंदर उसके नग्न नितम्बों (चूतड़ों) के ऊपर पहुँच गया था।
मैं उस मखमली एहसास से सराबोर हो गया था… सलोनी और कसकर मेरे से लिपट गई…
उसकी इस अदा ने मेरे दिल में उसके प्रति और भी प्यार भर दिया…
यह सच है कि वो कभी मुझे किसी बात के लिए मना नहीं करती थी।
आज ना जाने उसने कितनी मस्ती की होगी, और कई बार सेक्स भी किया ही होगा… चाहती तो इस समय वो गहरी नींद सो रही होती…
उसका शरीर इस समय तृप्त होना चाहिए, पर मेरे लिए वो फिर तैयार थी… वो कुछ मना नहीं कर रही थी..
बल्कि मेरे बाहों में सिमटी आहें भर रही थी… उसको मेरी जरूरत का हर पल ख्याल रहता था…
मैंने अपने हाथ को उसके चूतड़ों के चारों ओर सहलाकर, उसके दोनों उभारों को अपनी मुट्ठी में भरने के बाद अपनी दो उंगलियों से उसकी दरार को प्यार से सहलाया फिर अपनी उँगलियों को उसके गुदाद्वार यानि चूतड़ों के छेद पर ले गया जो एक गरम भाप छोड़ रहा था…
फिर वहाँ से मेरी उँगलियों ने उसकी मखमली चूत तक का सफ़र बड़ी रंगीनी के साथ तय किया…
सलोनी- आअहाआ… ह्ह्ह्हह…
बस उसके मुख से केवल आहें ही निकल रहीं थीं..
क्य
Like Reply
#10
पहले भी ना जाने कितनी बात सलोनी घर में नंगी ही और काम करती रहती थी मगर मैं उससे कोई रोमांस नहीं करता था और ना मुझे कोई अजीब लगता था। क्युकि हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते थे। तो उस आज़ादी का फ़ायदा उठाते थे।
मैं भी ज्यादातर पूरा नंगा ही सोता हूँ और घर पर काफी कम कपड़े ही पहनता हूँ।

मैं जब रसोई में गया तो सलोनी नीचे झुकी हुई कोई सामान निकाल रही थी।
और आज वो ना जाने क्यों इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा सेक्सी औरत लग रही थी।
एक पूरी नंगी, मस्त मस्त अंगों वाली नारी जब झुकी हो तो पीछे से उसके नंगे चूतड़ और उसके दोनों भाग से झांकती उसकी सबसे सुन्दर चूत !

क्या बताऊँ दोस्तो, कितना जबर्दस्त दृश्य था।
मैंने अपनी लुंगी वहीं खोली और पीछे से उसको जकड़ लिया।
उसने बड़े आश्चर्य से पीछे घूमकर देखा, क्योंकि ऐसी अवस्था में शायद यह सब काफी समय बाद हुआ था।

शादी के 6 महीने या एक साल तक तो मैं ऐसा सब रोमांस करता भी था मगर तब सलोनी घर पर इस तरह नंगी भी नहीं रहती थी।
मगर जब वो इतना खुली रहने लगी तो मैं अपने बिज़नस में व्यस्त हो गया।

इसीलिए उसने मुझे इस तरह देखा मगर वो इतनी ज्यादा प्यारी है कि उसने कुछ नहीं कहा।
बल्कि मेरे लण्ड पर अपने सेक्सी चूतड़ को हिलाकर कहा- क्या हुआ? आ तो रही हूँ…
मैं- क्या कर रही हो मेरी जान? बहुत देर लगा दी।
सलोनी- बस आपके लिए केसर दूध और कुछ ड्राई फ्रूट तल रही थी।

मैं- वाह जान… मजा आ जायगा, क्या कुछ मीठा भी है घर पर…
मैंने साइड खिड़की को खोलते हुए कहा…

हमारी रसोई की एक तरफ एक छोटी खिड़की है जो बाहर गैलरी में खुलती है।
वहाँ कॉलोनी के पीछे वाले रास्ते की सीढ़ी हैं तो दिन में ही वहाँ आना जाना होता है।
और वो भी बहुत कम !

गर्मी में वो खिड़की खुली ही रहती है, पहले मैं ही बंद कर देता था कि सलोनी रसोई में कुछ कम कपड़ों में काम करती थी तो कोई देखे ना…
मगर आज ना जाने किस बात से प्रेरित हो मैंने ही वो खिड़की खोल दी थी।

और वो भी तब जब मैं और सलोनी दोनों ही रसोई मैं पूरे नंगे थे… दोनों के शरीर पर एक कपड़ा नहीं था..
मैं सलोनी से रोमांस भी कर रहा था… ऐसे में कोई हमको देख लेता तो शायद उसका पजामा गीला हो जाता।
मूत से नहीं बल्कि…हा हा हा…
मेरे खिड़की खोलने पर भी सलोनी ने कुछ नहीं कहा, बल्कि हामी भरी…

सलोनी- अहा… कितनी गर्मी हो गई है ना… अच्छा किया आपने… घुटन कुछ कम होगी…
मैंने उसको अपनी ओर करके उसके लाल रसीले लबों को अपने होठों में दबा लिया…
सलोनी ने भी अपने होंठों को खोलकर और उचककर मेरे चुम्बन का जबाब दिया…

सलोनी की पीठ खिड़की की ओर थी और वो आँखें बंद कर मेरे चुम्बन में व्यस्त थी…
मेरे हाथ उसकी नग्न चिकनी पीठ से फिसलते हुए उसके चूतड़ों तक पहुँच गए…
तभी एक पल के लिए मेरी आँख खुली… वैसे तो बाहर पूरा अँधेरा था… मगर मुझे एक पल को लगा की जैसे कोई वहाँ खड़ा है !

क्योंकि मुझे सिगरेट की चिंगारी जलती नजर आई…
?? कौन है वो..??..
सलोनी मेरी बाहों में एक बेल की तरह लिपटी थी बिल्कुल नंगी, उसका गोरा, संगमरमरी जिस्म रसोई की दूधिया रोशनी में चमक रहा था।

और ये सब हमारी रसोई की खिड़की से कोई बावला देख रहा था।
मुझे नहीं पता कि वो कौन है, हाँ यह निश्चित था कि कोई तो है… मैंने दो तीन बार सिगरेट जलती, बुझती देखी..
इस समय उसने सिगरेट अपने हाथों के पीछे की हुई थी… और वो साइड में होकर… झुककर देख रहा था।
सलोनी ने होने होंठ अब मेरे गर्दन पर रगड़ते हुए मेरे कानों के निचले भाग पर पहुँचने की कोशिश की…

वाकई सेक्स के मामले में वो जबरदस्त थी, उसकी इस कोशिश से मेरा लण्ड पूरा खड़ा होकर उसकी चूत पर टकराने लगा।
बहुत गरम और मस्त अहसास था… मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा तो नहीं, परन्तु 5.5 से 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा होगा। खड़ा होने पर उसकी आगे की खाल खुद ऊपर हो जाती है और मोटा सुपारा बाहर आ जाता था, वो इस समय सलोनी की कसी हुई प्यारी चूत को छू रहा था।

तभी मेरे मन ने सोचा कि क्या सलोनी को इस आदमी के बारे में बताया जाये…
मेरे दिल ने कहा- अरे… यही तो मौका है उसके दिल में खुद को सेक्स के मामले में बड़ा दिखाने का और आगे खुलकर मस्ती करने का…
बस मैंने सलोनी को और कसकर अपनी बाहों में जकड़ा और अपना सीधा हाथ से उसका सर और बाएं हाथ से चूतड़ सहलाते हुए मैं बहुत धीरे से उसके कान में फुसफुसाया- जान… मुझे लग रहा है कि खिड़की से कोई हमको देख रहा है।

अचानक सलोनी ने कसमसाकर मेरी बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी… उसकी हरकतों से साफ़ लगा कि वो अपने नग्न जिस्म को छुपाना चाह रही है..
मैं फिर फुसफुसाते हुए- शांत रहो जान, मुझे देखने दो कि वो कौन है…
सलोनी- पर मैं नंगी हूँ…
वो मुझसे भी धीमी आवाज में मेरे कान में बोली।

‘हाँ’ आश्चर्य रूप से उसका बदन शांत हो गया था अब उसमें खुद को छुपाने की जल्दबाजी नहीं थी।
मैंने वैस
Like Reply
#11
एक ऐसा एहसास था कि कोई उसको नंगी अवस्था में ऐसे चुदाई करते देख रहा है…
वाह… दोस्तो… इस तरह के सेक्स ने यहाँ हमारे जीवन में अचानक ही एक नया मोड़ ला दिया था…
सलोनी के चूत के पानी ने मेरे लण्ड को और भी जोश में ला दिया था…
मगर आश्चय यह था कि झड़ने के बाद भी सलोनी के जोश में रत्ती भर भी कमी नहीं आई थी…
अब हम खिड़की के काफी निकट थे…
अब हम कुछ नहीं बोल रहे थे क्योंकि हमारी आवाज वो सुन सकता था…
सलोनी मेरी किसी हरकत का कोई विरोध नहीं कर रही थी…
मैंने उसको खिड़की की पास वाली स्लैब को पर बैठा दिया…
पर वो अचानक उतर गई… सलोनी- नीचे ठंडा लग रहा है जान…
मैं- तो क्या हुआ जान, आओ अभी खूब गर्म कर दूंगा…
मैंने उसको खिड़की की ओर घुमाकर नीचे बैठ गया और उसके मखमली चूतड़ को अपनी लम्बी जीभ से चाटने लगा..
अब सलोनी पूरी नंगी खिड़की की ओर मुँह करके खड़ी थी… वो खिड़की के इतने निकट थी कि उसका एक एक अंग बाहर वाले आदमी को दिख रहा होगा…
मगर सलोनी को इस सब के एहसास ने और भी कामुक बना दिया था… वो किसी बात को मना नहीं कर रही थी।
मेरी जीभ जैसे ही उसकी चूत वाले भाग पर पहुँची… वहाँ की चिकनाई और गर्माहट देख मैं समझ गया कि सलोनी बहुत रोमांचित है…
मैंने पिछले 3 सालों में एक बार भी उसके इस भाग में इतना रस महसूस नहीं किया था…
मैंने सोच लिया कि आज अपनी यह चुदाई मैं यहीं रसोई में ही पूरी करूँगा… और बाहर वाले अजनबी का कोई ख्याल नहीं करूँगा… चाहे वो पूरा देखे… या कुछ हो…
मैं पीछे से सलोनी के चूतड़ों को चाटता हुआ उसके दोनों भागों को हाथ से खोल सलोनी की गुलाबी दरार पर अपनी जीभ फिराते हुए उसके सुरमई छेद को अपनी जीभ की नोक से कुरेदने लगा।
‘आअह्ह्ह्हा… आआआआआ ह्ह्ह्ह्हा… आआआ…’ सलोनी ने जोर से सिसकारी ली… उसका मुँह पूरी तरह खिड़की की तरफ था।
हम खिड़की से मात्र कुछ इन्च की दूरी पर ही थे।
सलोनी ने एक हाथ स्लैब पर रखा था और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को मसल रही थी…
मैं अपनी जीभ को उसकी चूत की ओर ले जाते हुए केवल यह सोच रहा था कि उस बेचारे का क्या हाल हो रहा होगा…
उसको सलोनी की चूची वो भी उसके द्वारा खुद मसलती हुई न जाने कैसी लग रही होंगी…
और इस समय तो उसको सलोनी की चूत भी साफ़ दिखाई दे रही होगी… वो भी मचलती हुई… क्योंकि सलोनी लगातार अपनी कमर घुमा रही थी…
तभी मैंने अपनी जीभ उसकी रस से भरी हुई चूत में घुसेड़ दी…
सलोनी- आआआऔऊऊऊऊऊऊह… क्या करते हो डॉलिंग..
मैंने एक और काम किया… पता नहीं आज इस साले दिमाग में आईडिया भी कहाँ से आ रहे थे…
मैंने सलोनी के दाएं पैर को उठा अपनी गोद में रख लिया… जिससे उसके दोनों पैरों में अच्छा खासा गैप बन गया… उसकी चूत पीछे से तो खुल गई… जिससे मेरी जीभ आसानी से उसको छेड़ने लगी…
मगर मैं सोच रहा था कि सामने से उसकी चूत कितनी खिली हुई दिख रही होगी…
कमाल तो यह था कि सलोनी को पता था कि वो अजनबी आदमी ठीक उसके सामने खड़ा है… पर वो बिना किसी रूकावट के चूत चटवाते हुए सिसकारियाँ भर रही थी…
करीब दस मिनट तक उसकी चूत का सारा रस चाटने के बाद मैंने फिर से उठकर उसको चूमा और उसका मुँह नीचे अपने लण्ड की ओर कर दिया…
बस एक बार सलोनी ने अपनी आँखों के इशारे से मना सा करते हुए खिड़की ओर देखा…
परन्तु जैसे ही मैंने उसको फिर से नीचे झुकाया, वो अपने घुटनों पर बैठ गई और मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ अपनी गीली जीभ बाहर निकाल चाटने लगी…
और फ़िर कुछ ही देर में लण्ड को मुँह में पूरा लेकर चूसने लगी..
मैं- अह्ह्ह्हा… आआआ… आआअ… ऊऊओ…
मजा लेते हुए मैंने उसकी ओर देखा तो वो तिरछी नजरों से खिड़की की ओर देख रही थी… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
एक तो बला की खूबसूरत, पूरा नंगा जिस्म वो भी सेक्सी तरीके से लण्ड चूसते हुए… तिरछी नजर से किसी अजनबी को ढूंढते हुए वो क्या मस्तानी दिख रही थी…
मैंने भी उसका अनुसरण करते हुए उधर बिना किसी प्रतिक्रिया के खिड़की से बाहर को देखा…
अर्रर… अई… ईईईए… यह क्या… वो महाशय तो बिल्कुल खिड़की से निकट खड़े थे… वो अब खिड़की से बाहर जाती रोशनी की जद में थे… तो आसानी से दिख गए… जरूर सलोनी को भी नजर आ गए होंगे… मगर उसने अपना कार्य लण्ड चुसाई में कोई रुकावट नहीं डाली…
बल्कि मेरे लण्ड को अपने ही थूक से और भी गीला किया और भी मस्ती से चूसने लगी… सेक्स उसके सर चढ़कर बोल रहा था…
मैं खड़ा था तो मुझे उस आदमी का निचला भाग ही दिख रहा था… उसने अपना पजामा नीचे खिसकाया हुआ था और हाथ से लण्ड को मसल रहा था या फिर मुठ मार रहा था।
माई गॉड… आज एक अजनबी आदमी मेरे सामने मेरी ही नंगी बीवी को देख मुठ मार रहा है… और उसको देख मेरे लण्ड भी लावा उगलने जैसा हो गया…
मैंने जल्दी से उसके मुँह से अपना लण्ड बाहर खींच लिया और अब चुदाई के बारे में सोचने लगा कि कैसे चोदूँ सलोनी को कि हम दोनों को भी मजा
Like Reply
#12
bhai is story ko poora post kar do single shot mein. ye meri fav thee.
Like Reply
#13
सलोनी मेरे से चिपकी थी और उसकी पीठ खिड़की की ओर थी…
अब वो शख्स आसानी से चूत में लण्ड को आता जाता देख सकता था…
और मैंने अपनी कमर हिलनी शुरू की.. इस बार सलोनी भी मेरा साथ दे रही थी वो भी मेरे लण्ड पर कूदने लगी…
अह्हा… ओह… ह्ह्ह्ह… आह… आए… ह्ह्ह… ओह… ओह… ह्ह्ह…
दोनों तरफ से धक्के हम दोनों ही झेल नहीं पाये और सलोनी ने मुझे जकड़ लिया…
मैं समझ गया कि उसका खेल ख़त्म हो गया मेरा भी निकलने ही वाला था…
मैंने उसको फिर से स्लैब पर टिका दिया और अपना लण्ड बाहर निकाल कर सारा माल उसके पेट और चूची पर गिरा दिया…
हमने अभी सांस भी नहीं ली थी कि तभी बाहर से किसी महिला की आवाज आई- अजी सुनते हो कहाँ हो…??
आवाज का असर तुरंत हुआ… वो अजनबी जल्दी से सामने वाले फ्लैट की ओर लपका और साथ ही…
‘श्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ कर रहा था जैसे उस महिला को चुप करा रहा हो…
और सलोनी पूरी तरह खिड़की से चिपकी थी। उसको उस आदमी के बारे में जानने की कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी।
उसको इस बात का भी ख्याल नहीं था कि हम रोशनी में हैं और बाहर वाले को अंदर का सब दिख रहा होगा..
सलोनी किस अवस्था में थी यह तो आप सभी को पता ही है…
तभी सलोनी के मुख से आवाज निकली- अरे ये तो अरविन्द आंटी थीं…
मैं- क्याआ…??
सलोनी- जरूर ये अरविन्द अंकल ही होंगे… मैंने पहले भी उनको कई बार इस जगह घूमते और स्मोक करते देखा है…
स्लोनी को पूरी तरह यकीन था…
अरविन्द अंकल एक रिटायर्ड अफसर थे, वो 3 साल पहले सेल्स इंस्पेक्टर से रिटायर हुए थे, अंकल और आंटी दोनों ही यहाँ रहते थे।
अंकल तो 60 साल से ऊपर के थे पर आंटी जिनको मैं और सलोनी भाभी ही कहकर बुलाते थे…शायद 40 की ही थीं..
अरविन्द अंकल की वो दूसरी बीवी थीं… पहली बीवी शायद बीमारी के कारण स्वर्ग सिधार गई थी…
उनकी दूसरी बीवी जिनका नाम नलिनी है, बहुत खूबसूरत थी, उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा था…
मैंने और सलोनी दोनों ही ने एक बार अचानक उनको बिना कपड़ों के भी देख लिया था… लेकिन वो किस्सा बाद में !
अरविन्द अंकल की दो बेटियाँ हैं, एक की शादी तो उन्होंने कनाडा की है और दूसरी अभी MBA कर रही है…
दोनों ही उनकी पहली पत्नी से हैं… और बहुत ही मॉडर्न एवं खूबसूरत…
यह उनका थोड़ा सा परिचय था… चलिए वर्तमान में लौटते हैं…
मैंने सलोनी को गोद में उठाकर नीचे उतारा… वो मेरे सीने से चिपकी हंस रही थी…
मैं भी हँसते हुए- …चलो यार… आज तुम्हारी वजह से अरविन्द अंकल कुछ तो गर्म हुए होंगे… और नलिनी भाभी की सुलगती जवानी पर कुछ तो आराम मिलेगा…हाहाहा…
सलोनी- तुम भी ना… मैं तो यह सोच रही हूँ… कि कल मैं उनका सामना कैसे करूँगी…
मैं- क्या जान तुम क्यों शरमा रही हो… तुम तो पहले की तरह ही बिंदास रहना… उनको पता ही नहीं लगने देना कि हमने उनको देखा लिया था…
सलोनी- हाँ हाँ… आप तो रहने ही दीजिये… आपको क्या पता… पहले ही उनकी निगाहें मुझे चुभती रहती हैं… हमेशा मेरे कपड़ों के अन्दर तक देखते रहते हैं… और आज तो उन्होंने सब कुछ देख लिया… अब तो जब भी दिखेंगे ऐसा लगेगा जैसे कपड़ों के अंदर ही देख रहे हों…
मैं- हम्म्म जान ! मुझे तो डर है कि कहीं इधर उधर कुछ गलत न कर दें… ऐसे आदमियों का क्या भरोसा… अब जरा ध्यान रखना…
सलोनी- अरे नहीं, वो तो आप रहने दो… उतनी हिम्मत तो किसी की नहीं…बस मुझे जरा सी शर्म ही आएगी जब भी उनके सामने जाऊँगी…
मैं- छोड़ो भी यार, अब किस बात की शर्म? सब कुछ तो उन्होंने देख ही लिया ही… अब तो तुम उनको सताया करना यार…
सलोनी- हाँ ये भी ठीक है… मैं तो उनकी शर्मिंदी का ही मजालूँगी…
सलोनी ने कस कर मुझे चूम लिया, बोली- …अच्छा… आप फ्रेश हो लो… मैं दूध और ड्राई फ्रूट्स लाती हूँ..
मैं उसकी चूची को मसलता हुआ- …ये तो पहले से गरम हैं जान, यही पिला दो…
सलोनी मेरे बालों को नोचते हुए- ..ये सब तो आपका ही है जानू… जितना चाहे पी लेना… पर अब आप फ्रेश तो हो लो…
मैं उसकी चूत में उंगली करते हुए- ..क्यों तुमको नहीं फ्रेश होना…?
सलोनी- हाँ हाँ… बस आप चलो, मैं ये निपटाकर आती हूँ…
मैं- जरा ध्यान से… कहीं अरविन्द अंकल न आ जाएँ… हा…हा…हा…
सलोनी- हाँ बहुत दम है ना उनमें… उनको तो नलिनी भाभी ने ही निपटा दिया होगा… और क्या पता वहाँ भी ढेर हो गए हों… मैं तो बेचारी उनके बारे में ही सोच रही हूँ…
अच्छा अब आप जाओ न बहुत रात हो गई है…
और मैं अपनी नंगी बीवी को रसोई में छोड़ बैडरूम में आकार बाथरूम में घुस गया…
वाकयी बहुत मजेदार रात थी… मेरे दिमाग में अब आगे के विचार चल रहे थे…
इस जबरदस्त चुदाई के बाद रात भर सलोनी मेरे से चिपकी रही और बिस्तर पर नंगे चिपककर सोने का मजा ही अलग है।
सुबह सलोनी जल्दी उठ जाती है, वो सभी घरेलू कार्य बहुत दिल से करती है…
वो जब उठी तो आज पहली बार मेरी आँख भी जल्दी खुल गई… या यूँ कहिये कि मैं बहुत सोच रहा था कि कैसे अब सब क
Like Reply
#14
मैं बंद अधखुली आँखों से सलोनी को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था… कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे…
सलोनी मेरे से खुल भी जाए… वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ऐसा भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि वो गैर मर्दों से चुदवाये…

पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि मेरा दिल मेरी प्यारी बीवी को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था… उसको सब कुछ करते देखना चाहता था…
पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी… कि नहीं मेरी बीवी की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है…इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता…
लेकिन इन्सान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है…

सलोनी को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगने लगी थीं.. उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था…
वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी…अब तो बस इस सबसे एक तालमेल बनाना था…

ट्रिनन्न… ट्रीन्न्न…
तभी घण्टी बजने की आवाज आई…

सलोनी बाथरूम में थी वो फ्रेश होने गई थी, मैं उठने ही जा रहा था कि फ्लश की आवाज आई…
मतलब सलोनी ने भी घण्टी की आवाज सुन ली थी…
मैंने सोचा ना जाने कौन होगा?

सलोनी वैसे ही नंगी बाथरूम से बाहर आई… मैं फिर से सोने का बहाना कर लेट गया… और सोचने लगा- ..क्या सलोनी ऐसे ही या कैसे दरवाजा खोलेगी… और इस समय कौन होगा?
इतने समय में मैंने कभी घर के किसी कार्य से कोई मतलब नहीं रखा था… सलोनी ने सबकुछ बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित किया हुआ था…
सलोनी नंगी ही बाहर की तरफ बढ़ी…

मैं हैरान था कि क्या सलोनी नंगी जाकर ऐसे ही दरवाजा खोल देगी… और सुबह सुबह आने वाला है कौन?
कोई पुरुष या महिला… मैं इन सब से अनजान था…
मैं चुपके से उठकर बैडरूम से दरवाजे के पीछे से देखने लगा…

सलोनी अपना रात वाला गाउन उठा कर पहन रही थी… अरे भाई वो रात रसोई में ही रह गया था…
मगर गाउन तो उसका पूरा पारदर्शी ही था… और उसने नीचे ब्रा या कच्छी नहीं पहनी थी…
उसके सभी कोमल अंग बड़े सेक्सी अंदाज में अपनी उपस्थिति बता रहे थे…
मैं उसकी हर अदा और हर हरकत पर नजर रखे था…

उसने दरवाजा खोला… सामने एक लड़का था…
ओह… यह तो कॉलोनी की दूकान में ही काम करता है…
अंडे और ब्रेड लेकर आया था…
अभी तो उसकी दाढ़ी-मूंछ भी नहीं थी, अठारह से 3-4 कम ही होगा… मगर मैंने उस लड़के की आँखों में भी सलोनी को देखने की एक चमक देखी…

कोई और समय होता तो शायद मैं सलोनी को ऐसे कपड़ों में दरवाजा खोलने पर डांटता… पर अब स्थिति बदल गई थीं…
मैंने देखा सलोनी ने बाहर किसी से ‘…मॉर्निंग…’ भी कहा… कौन था, नहीं पता…
फिर वो अंदर आकर रसोई में चली गई…

मेरे कुछ आवाज करने से उसको पता लग गया कि मैं जाग गया हूँ…
मैंने देखा उसने सामान रसोई में रख कर मेरी लुंगी जो रसोई में ही थी… उठा अपने ऊपर कन्धों पर डाल ली…
इसका मतलब वो अब भी मेरे से घबरा रही थी.. कि कहीं मैं उसको ऐसे कपड़ों के लिए डाँटूगा… अब उसको क्या पता था कि मैं बहुत बदल गया हूँ…

मैंने सब विचारों का परित्याग कर केवल अब यह सोचा कि सलोनी को अपने लिए बहुत खोलूंगा.. उसको इस सब में अगर मजा आता है… तो मैं भी उसका साथ दूंगा…
पर शायद चुदाई जैसी बात तक नहीं बढ़ूँगा… वरना बात बिगड़ भी सकती है…
क्योंकि मेरे अनुसार फिर शायद सलोनी बहुत खुलकर सब कुछ करने लगेगी और उसको मेरी बिल्कुल परवाह नहीं रहेगी और हो सकता है फिर वो मेरी इज्जत भी ना करे…

तो यहाँ तक तो ठीक है… मगर उसको इस सबके लिए खोलने में भी समय तो लगेगा ही… और सब कुछ करने में सलोनी को तो बिल्कुल बुरा नहीं लगने वाला… यह पक्का था…
इसकी शुरुआत तो रात की चुदाई से हो ही गई थी… पर अब इतना करना था… कि सलोनी अपनी हर बात मुझसे करने लगे… वो अपनी हर सेक्सी बात मुझे बताने लगे… जिससे मेरे पीछे होने वाली घटनाएँ भी मैं जान सकूँ…

अब मैं यही सब करना चाहता था… मैं नंगा ही फ्रेश होकर रसोई में सलोनी की ओर बढ़ा…
मैंने रसोई में जाते ही सलोनी को पीछे से बाँहों में जकड़ लिया।
मैं सलोनी की गर्दन को चूमते हुए- ..क्या कर रही हो जान…?
मेरा लण्ड फिर खड़ा हो उसकी गांड में दस्तक देने लगा…

सलोनी- क्या बात है जानू, कल से कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो… क्या बात है… आज तक तो कभी रसोई में भी नहीं आये और अब हर समय यहीं… जरूर कुछ तो बात है…
मैं- हाँ जान… मैंने अब अपने काम को बहुत हल्का कर लिया है… और अपनी जो सेक्ट्रेरी रखी थी ना.. नीलू… उसने बहुत काम संभाल लिया है…

सलोनी- ओह… तो यह बात है, लगता है उसने मेरे बुद्धू राजा को रोमांटिक भी बना दिया है…
उसने आँखे घूमाते हुए बोला- …केवल ऑफिस का काम ही ना… फिर लण्ड को पकड़ते हुए… कुछ और तो नहीं ना…??

अचानक मेरे दिमाग में विचार आया और बोला- …क्या यार सलोनी.. तुम भी ना… अब जब हर समय साथ है… तो सभी काम ही करेगी न
Like Reply
#15
सलोनी- ओह… ठीक है… अब आप तैयार तो हो ना…
उसने मुझे बाथरूम की ओर धकेल दिया…
मैं नहाकर बाहर आया तो सलोनी बेड पर झुकी हुई मेरे कपड़े सही कर रही थी।
उसका गाउन चूतड़ से आधा खिसक गया था… जो उसके गोल और मादक चूतड़ों की झलक दिखा रहा था…
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए ही कहा- जान आज या कल जब भी अमित आये तो उसको अपने इन जालिम चूतड़ों के दर्शन करा देना… देखना पगला जायेगा साला…
सलोनी- मुझे तो लगता है कि अभी तो आप ही पगला गए हैं… कैसी बातें कर रहे हैं… क्या उन लोगों के सामने बिना कच्छी के जाऊँगी? वैसे आप चिंता न करें… मैंने कल कुछ अच्छे सेट का आर्डर दिया है… आज कोशिश करुँगी, शायद मिल जाएँ…
मैं- अच्छा तो क्या ब्रा, चड्डी भी आर्डर पर तैयार होने लगे?
सलोनी- जी हाँ जानू… अब तो हर चीज फैशन पर आ गई है… मगर कुछ रुपए दे जाना…
मैं- ठीक है मेरी जान…
मैं तैयार होते हुए सोचने लगा कि आज शायद सलोनी फिर उसी दुकान पर जाएगी… मैं क्या करूँ? कैसे करूँ?
सलोनी- और हाँ, आप यह मत समझो कि आपके दोस्त सीधे हैं, वो तो आपके सामने सीधा होने का ढोंग करते हैं… वरना हम लोगों को मर्दों की सब आदतों के बारे में पता होता है…
मैं- अच्छा तो कौन साला तुमको छेड़ता है… अभी बताओ… कमीने को ठीक करता हूँ…
सलोनी- बस तुम्हारी इसी आदत के कारण वो तुमसे डरते हैं… वरना…
मैं- अरे नहीं जान… क्या मैं तुमको ऐसा लगता हूँ?  वो तो थोड़ा काम में बिजी हो गया था बस…
सलोनी- हाँ हाँ, मैं सब समझ सकती हूँ… जब आप उनसे जरा प्यार से बोलेंगे तो आप उन सबकी नजर को खुद समझ जाएंगे…
मैं- अच्छा अमित भी ऐसा ही है क्या? यार, वो तो बहुत सीधा लगता है…
सलोनी- हाँ मुझे पता है वो कितना सीधा है… हे…हे…
मैं- क्या यार पहेलियाँ क्यों बुझा रही हो.. सच बताओ ना… हमने कल निर्णय लिया था ना कि हम सब कुछ एक दूसरे को बताएँगे…
इससे हमारे रिश्ता और भी मजबूत होगा… और अब से हम खुद खुले विचारों के साथ जिएंगे… एक दूसरे को रोक टोक नहीं करेंगे…
सलोनी मुझे चूमते हुए- अरे जानू, आपको क्या लगता है कि क्या मैं आपसे कुछ छुपाती हूँ…
मैं- तो बताओ न अमित ने कुछ किया क्या…
सलोनी- अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं… मगर उसकी आदतें भी बाकी सभी मर्दों की तरह ही हैं… वैसे भी मेरी मुलकात तो बस दो तीन बार ही तो हुई होगी…
आपको याद है उसकी शादी के बाद पार्टी में… उसने कितनी पी ली थी…बस जब वो मेरे साथ डांस कर रहा था, तब उसका व्यव्हार उतना सभ्य नहीं था…
मैं- क्या यार, कितने भारी शब्दों का प्रयोग कर रही हो… खुली भाषा में बताओ न.. उसने तुमको क्या किया?
सलोनी- ओह तुम भी न… अरे ऐसा भी क्या… बस जब वो मेरे साथ नाच रहा था… तब ही उसने कुछ शरारत की थीं…
मैं- अरे नहीं यार… वो उस बेचारे ने बहुत पी ली थी… इसीलिए ..थोड़ा बहुत हाथ लग गया होगा…
सलोनी- अच्छा आपको तो बहुत पता है ना… क्या आपको याद है उस दिन मैंने अपनी वो पतली वाली लाल जींस और सफ़ेद शार्ट टॉप पहना था… जो कमर तक ही आता है…
मैं- अरे हाँ जान, मैं कैसे भूल सकता हूँ…
सलोनी- बस वो नाचते-नाचते बार-बार मेरे कमर पर हाथ रख रहा था… मैं हटाती तो फिर से टॉप के अंदर कर मेरी नंगी कमर को सहला देता… कई बार उसने अपने गाल मेरे गालों से चिपकाये और नाचते हुए चूम भी लेता था…
मैं- अरे यार, ये सब तो नार्मल है ना…
सलोनी- अच्छा और उसके हाथों का कई बार सरककर मेरे चूतड़ों तक पहुँच जाना और ना केवल सहलाना बल्कि दबा भी देना…
मैं- हम्म्म… तब तो हो सकता है… मगर यह भी तो हो सकता है कि वाकयी गलती से ही हुआ हो…
सलोनी- हाँ गलती से… अगर गलती से हुआ होता तो आदमी का यह खड़ा नहीं होता…
उसने मेरे लण्ड को छूते हुए कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं- क्या कहती हो यार… क्या उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था… क्या तुमने उसको छुआ भी था…
मैंने अब उसके सामने खुले शब्दों का प्रयोग करने लगा जिससे वो और भी खुल जाये… वैसे मैंने सुना तो था कि वो बहुत आसानी से सभी लण्ड, चूत जैसे शब्द बोलती है…
सलोनी- हाँ जानू, जब वो मुझे खुद से चिपकाता तो अपनी कमर भी मेरे से चिपका देता था, तो मुझे उसका अहसास तो होगा ना…
मैं- अच्छा कहाँ लगा उसका लण्ड तुम्हारे?
सलोनी- ओह… अब ज्यादा क्यों परेशान कर रहे हो… मेरी जांघ के ऊपर के भाग पर… पर मैं एकदम दूर हो गई…
बस अब आप जल्दी तैयार हो जाओ, मैं भी फटाफट तैयार हो आपका नाश्ता लगाती हूँ…
मैं- अच्छा जानू…
उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला…
और यह भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए…
मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का पता नोट किया और सलोनी से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा…
तभी सलोनी भी बाथरूम से बिल्कुल नंगी नहाकर बाहर आ गई…
सलोनी में ये दो आदते हैं क
Like Reply
#16
उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला…
और यह भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए…
मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का पता नोट किया और सलोनी से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा…
तभी सलोनी भी बाथरूम से बिल्कुल नंगी नहाकर बाहर आ गई…
सलोनी में ये दो आदते हैं कि एक तो वो कपड़े हमेशा कमरे में आकर ही पहनती थी… इसलिए बाथरूम से हमेशा नंगी या केवल तौलिया लपेट कर ही बाहर आती थी…
और रात को सोते हुए मेरे लण्ड पर अपना हाथ रखकर ही सोती थी…
और ये दोनों आदतें मुझे बहुत पसन्द थी…
उसने हल्का सा गाउन ही डाला और हम दोनों ने नाश्ता किया… फिर मैं उसको चूमकर अपने मन में अच्छी तरह सब कुछ सोच विचार कर मैं घर से ऑफिस के लिए निकल गया…
ऑफिस में भी मन नहीं लग रहा था, दिल में कुछ अलग ही विचारों ने घर कर लिया था…
मैं किसी भी तरह आज सलोनी की उस दुकानदार के साथ मुलाकात को देखना चाहता था जिसने मेरी सुन्दरता की मूरत सलोनी को ना केवल नंगी ही नहीं देखा था… बल्कि उसकी गद्देदार, गुलाबी और रसीली चूत एवं गांड को सहलाया था…
उसकी चोटियों जैसी नुकीली चूचियों को दबाया और निप्पल तक को छुआ था…
उस दिन तो वो पारस के साथ थी… जो उस दुकानदार के लिए तो सलोनी का पति ही था…
शायद इसलिए वो ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाया होगा… पर आज जब सलोनी उससे अकेले मिलेगी… तो पता नहीं क्या-क्या करेगा…
इसीलिए आज मैंने सलोनी के पर्स में वॉउस रिकॉर्डर तो रखा… परन्तु पैसे नहीं रखे… जिससे उसकी दुकान पर जाने का कार्यक्रम पता लग सके…
करीब बारह बजे मुझे सलोनी का फोन आया…
सलोनी- अरे सॉरी, मैंने आपको परेशान किया… वो आज आप शायद पैसे देना भूल गए… वो क्या है कि मैं बाजार आई थी तो…
मैं- ओह जान… यह आज कैसे हो गया… तुम चिंता ना करो… बताओ तुम कहाँ हो… मैं भिजवाता हूँ…
सलोनी- मैं कश्मीरी मार्किट में हूँ…
मैं- ठीक है… दस मिनट रुको…


मैं वहाँ पहुंचा और एक जानकार के हाथ उसको पैसे भिजवा दिए…
वो उस अंडरगार्मेंट्स की दुकान के बहुत पास थी…
और आज मेरी जान क्या लग रही थी… मैंने देखा हर कोई केवल उसे ही घूर रहा था…
उसने एक स्किन टाइट सफ़ेद कैप्री पहनी थी, जो उसके घुटनों से करीब 6 इंच नीचे थी… और गुलाबी कसी सिल्की शर्ट पहनी थी…
उसने अपने रेशमी बाल खुले छोड़ रखे थे और गोरे मुखड़े पर… गुलाबी फ्रेम का फैशनेबल गोगल्ज़ थे जो उसके चेहरे को हीरोइन की तरह चमका रहे थे…
उसने हाई हील की सफ़ेद कई तनी वाली सैंडल पहनी थी… कुल मिलाकर वो क़यामत लग रही थी…
मैंने बहुत सावधानी से उसका पीछा किया… उसने कुछ दुकानों पर इधर उधर कुछ-कुछ वस्तुओं को देखा…
मगर कुछ लिया नहीं… हाँ इस दौरान कुछ मनचलों ने जरूर उसको छुआ… वो उसके पास से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए निकल गए…
दरअसल उसकी सफ़ेद कैप्री कुछ पतले कपड़े की थी… जिससे कुछ पारदर्शी हो गई थी…
उसकी कैप्री से सलोनी की गुलाबी त्वचा झांक रही थी जिससे उसका बदन गजब ढा रहा था…
इसके ऊपर मेरी जान का क़यामत बदन… जिसका एक-एक अंग सांचे में ढला था…
मैं अब सलोनी के काफी निकट था… मैंने ध्यान दिया कि उसकी कैप्री से उसकी पैंटी की किनारी का तो पता चल रहा था… मगर रंग का नहीं.. इसका मतलब आज उसने सफ़ेद ही कच्छी पहनी थी…
मगर उसकी शर्ट से कहीं भी ब्रा की किसी भी तनी का पता नहीं चल रहा था… यानि वो बिना ब्रा के ही शर्ट पहने थी…
तभी उसकी गोल मटोल चूची इतना हिल रही थी… और जालिम ने अपना ऊपर का बटन भी खोल रखा था जिससे गोलाइयों का पूरा आकार पता चल रहा था…
ज्यादातर लोग उससे टकराने का प्रयास कर रहे थे…
मैंने आज तक सलोनी की इस तरह से निगरानी नहीं की थी… यह एक अलग ही अनुभव था…
उसके पीछे चलते हुए, सलोनी के एक रिदम में हिलते डुलते चूतड़ देख मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल आ रहा था कि…
इस दृश्य को देख जब मेरा यह हाल था तो दूसरों के दिल का क्या होता होगा…
कुछ देर में ही सलोनी उसी दुकान में प्रवेश कर गई…
दुकान काफी बड़ी थी… मैं भी अंदर जा एक ओर खुद को छुपाते हुए… सलोनी पर नजर रखे था…
वो सीधे एक ओर जहाँ कोई मध्यम कद का एक लड़का खड़ा था… उस ओर गई..
मैं इधर उधर देखता हुआ, सलोनी से छिपता छिपाता… उस पर नजर रखे था…
उन दोनों की कोई आवाज तो मुझे सुनाई नहीं दे रही थी… मगर सलोनी उस लड़के से बहुत हंस हंस कर बात कर रही थी…
लड़का भी बार बार सलोनी को छू रहा था और उसकी चूचियों की ओर ही देख रहा था…
सलोनी बार बार अपनी शर्ट सही करने का बहाना कर उसका ध्यान और भी ज्यादा अपनी चूचियों पर आकर्षित कर रही थी…
इधर उधर नजर मारते हुए ही मैंने देखा कि एक लड़की बहुत कामुक ढंग से एक छोटी सी… डोरी वाली कच्छी को अपनी जीन्स के ऊपर से ही बांधकर देख-परख रही थी…
और दूसरी तरफ एक मोटी सी लड़की एक उम्रदराज अंक
Like Reply
#17
और चारों ओर काफी परदे लगे थे… मैं दो पर्दो के बीच खुद को छिपाकर… नीचे को बैठ गया…
अब कोई आसानी से मुझे नहीं देख सकता था…
मैंने अंदर की ओर देखा… अंदर दो तीन जमीन पर गद्दे बिछे थे… एक बड़ी सी मेज रखी थी…
मेज पर कुछ ब्रा चड्डी से सेट रखे थे… और दो कुर्सी भी थीं, बाकी चारों ओर सामान बिखरा था…
सलोनी मेज के पास खड़ी थी ..उसके हाथ में एक बहुत नए स्टाइल की ब्रा थी… जिसे वो चारों ओर से देख रही थी…
फिर उसने ब्रा को मेज पर रखा ओर एक बार पर्दों को देखा… फिर अचानक उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए…
माय गॉड ! उसको जरा भी नहीं लगा कि यह एक खुली दुकान है… और चारों ओर केवल पर्दों का ही पार्टीशन है?
सलोनी ने बिना किसी डर और शर्म के अपनी शर्ट पूरी निकाल कर वहीं मेज पर दी…
उसका दमकता शरीर अब केवल एक सफ़ेद कैप्री में… मेरे सामने था…
उसके पूरी तरह गोलाई लिए हुए चूचियाँ.. और उन पर कामुकता के रस से भरे उसके गुलाबी निप्पल… ऊपर उठे हुए जो किसी को भी पागल करने के लिए काफी थे… इस समय पूरी तरह नग्न मेरे सामने थे…
उसने अपनी चूचियों को एक बार खुद अपने हाथों से मसलकर ठीक किया…
जैसे टाइट शर्ट में कसी होने से उनको कष्ट हुआ हो और सलोनी उन दोनों को सहलाकर उनको पुचकार के मना रही हो…
कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य था…
फिर वो अपनी ब्रा को उठा उसे… उलट पुलट कर पहनने के लिए देखने लगी…
तभी वो लड़का बिना कोई आवाज लगाये अंदर आ गया…
सलोनी शरमाते हुए, अपनी ब्रा को चूची पर रख उनको छुपाने का नाकामयाब प्रयास करते हुए- …अररर… एक मिनट… ववव… वो मैं पहन ही रही थी…
लड़का- क्या मैडम जी, आप भी अभी तक शरमा रही हो… लाइए मैं सही कर देता हूँ…
उसके हाथ में एक क्रीम का डब्बा था…
वो उसको खोल उसमें से क्रीम निकाल सलोनी की ओर बढ़ा और बहुत अधिकार से उसके हाथ से ब्रा ले कर मेज पर रख दी…
सलोनी बुरी तरह शरमा रही थी… मगर उसकी आखों में चुदास साफ़ दिख रही थी…
लड़के ने अपने एक हाथ से सलोनी के हाथों को उसकी चूची से हटाते हुए अपना सीधे हाथ में लगी क्रीम उसकी चूची के ऊपरी भाग पर मलनी शुरू कर दी…
बहुत रोमांचित अनुभव था… एक सार्वजनिक स्थान में.. मेरे सामने… मेरी सेक्सी बीवी अनावृत वक्षा यानि टॉपलेस खड़ी थी..
और एक अनजान लड़का उसकी नंगी चूचियों पर क्रीम लगा रहा था… मेरी बीवी क्रीम लगवा भी रही थी और शरमा भी रही थी…
सलोनी- अह्हाआ… क्या कर रहे हो… क्यों यो ओ… ??
लड़का- अरे मैडम जी… नई ब्रा है… और ये विदेशी कपड़े की है… आपकी इतनी मुलायम त्वचा को कोई नुकसान ना हो इसीलिए यह क्रीम लगा रहा हूँ…
सलोनी- ओह ठीक है…
बस इतना सुनते ही उस लड़के हाथ अब पूरी चूची पर चलने लगे…
सलोनी- अहा धीरे धीरे…
सलोनी ने अपने चूतड़ मेज पर टिकाकर अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया…
इस अवस्था में सलोनी की दोनों चूची और भी ज्यादा ऊपर उठ गई..
उस लड़के ने अब अपने दोनों हाथों में क्रीम ले ली…
और सलोनी के दोनों उरोज़ अपने हाथों में लेकर क्रीम मलने के बहाने से मसलने लगा…
सलोनी ने अपनी आँखें बंद कर ली थी… और उसके मुख से आनन्द भरी हल्की सिसकारी भी निकल रही थी…
साफ़ लग रहा था… सलोनी को बहुत मज़ा आ रहा है…
मैं खुद को पूरी तरह से छुपाये हुए सलोनी की रासलीला देख रहा था…
सलोनी को देखकर कतई ये नहीं लग रहा था कि वो परेशान हो रही हो या उसको किसी का डर हो…
उसकी बंद आँखों और मुँह से निकलती हलकी सीत्कारों से यही प्रतीत हो रहा था कि उसको इस वक्ष मर्दन में मजा आ रहा है…
सलोनी- अहाआआ… क्या कर रहे हो.. बस्स्स्स ना…
लड़का- हाँ मैडम जी बस हो ही गया… आप यही वाली क्रीम लेना… इससे बॉडी चमाचम हो जाती है और नए कपड़े से कोई निशान भी नहीं पड़ता…
वह सलोनी के चारों ओर ब्रा वाले भाग पर क्रीम मलते हुए ही बोला…
अब लड़के का हाथ उसकी चूची से फिसलता हुआ नीचे उसके समतल पेट पर था…
उसने पूरे पेट पर मालिश करने के बाद उसकी सबसे खूबसूरत और गहरी टुंडी में अपनी उंगली घुसा दी..
सलोनी- अहाआआ… आआआ… इइइइइ…
सलोनी ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया…
लड़का- अर्रर… मैडमजी, इसको चमका रहा हूँ…
सलोनी- बस्स्स्स… अब रहने दो… मैं ब्रा पहन कर बताती हूँ कि सही है या नहीं…
लड़का ने जबरदस्ती अपना हाथ छुड़ाते हुए… अपने बाएं हाथ से सलोनी का हाथ पकड़कर अपना सीधा हाथ आगे से उसकी कैप्री में डालने का प्रयास करने लगा..
सलोनी- ओह… नहीईईईई… यह क्या कर रहे हो… वहाँ नहीं…
लड़का- अरे क्या मैडम जी… आप ऐसा क्यों कर रही हो.. यहाँ कोई नहीं आएगा…
उसने थोड़ा और जोर लगाकर अपना हाथ कुछ इंच और उसकी कैप्री में अंदर को सरका दिया…
एक तो पहले से ही सलोनी ने अपनी कैप्री अपनी टुंडी से काफी नीचे पहनी थी… और इस समय उस लड़के का हाथ करीब 5-6 इंच तो उसकी कैप्री में था…
मेरे हिसाब से उसकी उँगलियों का अगला भाग सलोनी की चूत के ऊपरी हिस्से तक तो
Like Reply
#18
सलोनी- मैंने मना किया न… मैं केवल ब्रा चेक करुँगी… बस… पैंटी घर जाकर चेक करके बता दूँगी… यहाँ नहीं..
लड़के का मुँह देख लग रहा था जैसे उसके हाथ से ना जाने कितनी कीमती चीज छीन ली गई हो…
सलोनी- ओह ज़मील, आज मुझे जल्दी जाना है… फिर कभी तुम घर आकर आराम से चेक कर लेना…
और सलोनी ने झुककर उस लड़के के मुँह पर चूम लिया…

बस अब तो कबीर की प्रसन्नता का गुब्बारा फट पड़ा..
उसने सलोनी को कसकर अपनी बाँहों में भर लिया…

उसने अपनी कमर सलोनी के चूत वाले भाग पर घिसते हुए ही बोला…
लड़का- मैडम जी कल से आपकी याद में मेरा लण्ड खड़ा ही है… यह साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा…
साफ़ लग रहा था कि वो अपना लण्ड सलोनी कि चूत पर रगड़ रहा था… चाहे कैप्री के ऊपर से ही…

लड़का- मैडम जी, जब से आपकी इतनी प्यारी चूत देखी है… मेरा लण्ड ने तो जिद पकड़ ली है कि एक बार तो वहाँ जरूर जाऊँगा…
सलोनी- ओह छोड़ो ना…

लड़का उसको और कसकर चिपकते हुए- …सच मेमसाब मैंने पूरी जिंदगी में इतनी प्यारी और चिकनी चूत नहीं देखी… यहाँ बाहर मेरे यहाँ 6-7 लड़कियां काम करती हैं, मैं सबको यहीं कई बार चोद चुका हूँ… मगर सबकी चूत आपकी चूत के सामने बिल्कुल बेकार है…
सच कहूँ कल एक बार आपकी चूत छूने से ही मेरा पानी निकल गया था… और आपके पति भी कितने अच्छे हैं, उन्होंने खुद अपने हाथों से मेरे को मजा करवाया…

सलोनी- ओह नहीं…!!!
लड़का- अहा हा… ह्ह्ह… सही मैडम जी… मैंने 3-4 शादीशुदा को भी चोदा है और मेरी दिली इच्छा थी कि काश मैं उनको… उनके पति के सामने चोदूँ… पर वो सभी ना जाने क्यों डरती हैं… सुसरी चुदवाते हुए तो खूब आवाज करेंगी पर पति से कहने से भी डरती हैं… पर आप एकदम अलग हो, आप तो अपने पति के सामने ही मजा करती हो… आपको तो भाई शाब के सामने ही चोदूंगा…

तभी अचानक सलोनी ने उसको कसकर धक्का दिया… वो पीछे को हो गया…
सलोनी- बस बहुत हो गया… अब मुझे जाने दो… और हाँ वो मेरे पति नहीं थे समझे… तुम अपना काम करो… मैं ऐसी वैसी नहीं हूँ…

लड़का- ओह सॉरी मैडम जी… वो मैं समझा इसीलिए… इसका मतलब…
सलोनी ने जल्दी से अपनी शर्ट पहनी और… जल्दी जल्दी वहाँ से बाहर निकल गई…
मैं और वो लड़का भौंचक्के से उसको जाते देखते रह गए…
कि अचानक यह हुआ क्या?

मैं वहाँ खड़ा अभी सलोनी के बारे में सोच ही रहा था कि यह अचानक उसको क्या हुआ…
वो चुदवाने को मना तो कर सकती थी… मगर इस तरह… अपनी नई वाली कच्छी-ब्रा भी छोड़कर यूँ भाग जाना…?
जरूर कोई बात तो है…

मैं वहाँ से निकल… सलोनी के पीछे जाने की सोच ही रहा था… और उस लड़के कबीर के हटने का इन्तजार कर रहा था कि…
लगता था कि कबीर कुछ ज्यादा ही गर्म हो गया था… उसने अपना लोअर नीचे कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया…
उसका लण्ड कुछ बहुत ही अजीब सा था… 6-7 इंच लम्बा और शायद 2.5 से 3 इंच मोटा… पर उसका सुपाड़ा बहुत खतरनाक था… बिल्कुल खुला और बहुत मोटा…

मुझे लगा कि इसके लण्ड का यह अगला भाग अच्छी अच्छी चूतों की चीखें निकाल देता होगा…
और खास बात यह थी कि लण्ड बहुत अजीब तरीके से मुड़ा हुआ था, एकदम सीधा नहीं था…
तो इस समय वो अपने लण्ड को सहलाते हुए ही बात भी कर रहा था… जैसे उसको समझा रहा हो…
लड़का- ओह मेरे यार, मैं क्या करूँ… साली, अच्छी खासी पट गई थी… मगर ना जाने क्या हुआ… पुच…पुच… मान जा… फिर किसी दिन दिलाऊँगा…

मैं अभी यह सोच ही रहा था… कि क्या सलोनी को उसके इस भयंकर लण्ड का आभास हो गया था… जो वो ऐसे भाग गई?
कि तभी उस लड़के और मेरी नजर एक साथ ही सामने एक परदे पर पड़ी…
वहाँ एक लड़की जो शायद उसी दुकान पर काम करती थी… दिखी.. जो छुपकर जाने का प्रयास कर रही थी…

लड़का- ऐ एएए… नाज़नीन… इधर आ… तू क्या कर रही है… यहाँ…
मैं स्थिति को समझने का प्रयास कर ही रहा था… कि उस लड़के के पास आ गई थी…
मगर वो अभी भी लण्ड को अपने हाथ से पकड़े उससे बात कर रहा था… उसने अपना लण्ड अभी तक लोअर के अंदर नहीं किया था…

नाज़नीन- वो सर… मैं तो आपको ही ढूंढ रही थी… ये सामान दिखाना था… उसके हाथ में दो ब्रा थीं…
नाज़नीन कोई 5 फुट की छोटे कद की, पतली दुबली… सांवले रंग की थी… उसके पहनावे और मेकअप से लग रहा था कि वो एक गरीब परिवार की होगी…

उसने एक सस्ती सी झीनी काले रंग की कुर्ती और सफ़ेद टाइट पजामी पहनी थी… कुर्ती से उसकी ब्रा साफ़ दिख रही थी…
उसने अपने कंधे तक के बालों को खुला छोड़ रखा था… जो कुछ बिखरे हुए भी थे…
उसकी चूचियाँ तो कुछ खास नहीं थीं…कुर्ती से हलकी सी ही उभरी हुई दिख रही थीं…
मगर हाँ उसकी गांड काफी उभरी हुई दिख रही थी… जो उसके पूरे शरीर का सबसे आकर्षक भाग था…

तभी…
वहाँ एक मोबाइल बजने लगा…
लड़का- रुक तू अभी… यह तो उसी का फोन है… हाँ मैडम जी, क्या हुआ आप इतना नाराज क्यों हो गई… अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो माफ़ कर दो… अपना सामान तो ले जाती…
…ओह ये
Like Reply
#19
लड़का अपना लण्ड चुसवाते हुए… सलोनी से अभी भी बात कर रहा था…
लड़का- क्या मैडम जी, आप तो मेरा खड़ा करके भाग गई… अब मैं क्या करूँ…?
सलोनी- तुम पागल हो क्या? इसमें मैं क्या कर सकती हूँ… वो तुम समझो… मुझे मेरे कपड़े चाहिए बस… बाकी अपना जो भी है वो तुम जानो… हे हे हे हे हा हा…
लड़का- मैडम जी ऐसा ना करो…
सलोनी- अच्छा ठीक है… फिर बात करती हूँ… अभी तुम अपना काम करो… बाय…
लड़का- ओह नहींईई मैडम जी… ये क्या…
और वो गुस्से में ही… उस बेचारी नाज़नीन पर टूट पड़ता है…
लड़का- चल सुसरी… तेरी वजह से आज एक प्यारी चूत निकल गई… चल अब तू ही इसे शांत कर…
वो उसको उसी मेज पर झुकाकर… उसकी पजामी एकदम से नीचे खींच देता है…
मैं बिना पलक झपकाये उधर देख रहा था… वो लड़का कबीर कैसे नाज़नीन के साथ मस्ती कर रहा था…
कुछ लड़कियाँ कपड़ों में बेइंतहा खूबसूरत लगती हैं मगर वो अपने अंदर के अंगों का ध्यान नहीं रखती… इसलिए कपड़ों के बिना उनमें वो रस नहीं आता…
मगर कुछ देखने में तो साधारण ही होती हैं, पर कच्छी निकालते ही उनकी गाण्ड और चूत देखते ही लण्ड पानी छोड़ देता है…
नाज़नीन कुछ वैसी ही थी… उसकी गाण्ड और चूत में एक अलग ही कशिश थी… जो उसको खास बना रही थी…
कबीर ने लण्ड चूसती नाज़नीन का हाथ पकड़ ऊपर उठाया और उसको घुमाकर मेज की ओर झुका दिया…
उसने अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया और खुद को तैयार करने लगी…
उसको पता था कि आगे क्या होने वाला है…
कबीर मेरी बीवी के साथ तो बहुत प्यार से पेश आ रहा था…
मगर नाज़नीन के साथ जालिम की तरह व्यव्हार कर रहा था…
वो उन मर्दों में था कि जब तक चूत नहीं मिलती तब तक उसको प्यार से सहलाते हैं…
और जब एक बार उस चूत में लण्ड चला जाये…तो फिर बेदर्दी पर उतर आते हैं…
वो नाज़नीन को पहले कई बार चोद चुका था… जो कि साफ़ पता चल रहा था… इसलिए उस बेचारी के साथ जालिमो जैसा व्यव्हार कर रहा था…
नाज़नीन मेज पर झुककर खड़ी थी, उसकी कुर्ती तो पहले ही बहुत ऊपर खिसक गई थी और पजामी भी चूतड़ से काफी नीचे आ गई थी…
कबीर ने अपने बाएं हाथ की सभी उँगलियाँ एक साथ पजामी में फंसाई और एक झटके से उसको नाज़नीन की जांघों से खींच टखनोंतक ला दिया…
नाज़नीन- उफ़्फ़्फ़…
नाज़नीन के विशाल चूतड़… पूरी गोलाई लिए मेरे सामने थे…
नाज़नीन की कच्छी क्या साथ देती वो तो पहले ही अपनी अंतिम साँसे गिन रही थी… वो भी पजामी के साथ ही नीचे आ गई…
मैं नाज़नीन के विशाल चूतड़ों का दृश्य ज्यादा देर नहीं देख पाया…
क्योंकि उस कमीन कबीर ने अपना लण्ड पीछे से नाज़नीन के चूतड़ों से चिपका उसको ढक दिया…
नाज़नीन- अहा ह्ह्ह्ह… नहीं सर… अव्वह… नहीं करो…
कबीर- क्यों तुझे अब क्या हुआ… साली उसको भी भगा दिया और खुद भी नखरे कर रही है…
नाज़नीन लगातार अपनी कमर हिला कबीर के खतरनाक लण्ड को अपने चूतड़ों से हटा रही थी…
नाज़नीन- नहीं सर बहुत दर्द हो रहा है… आज सुबह ही अंकल ने मेरी गाण्ड को सुजा दिया है… बहुत चीस उठ रही है… आप आगे से कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी…
कबीर अब थोड़ा रहम दिल भी दिखा… वो नीचे बैठकर उसके चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ खोलकर देखता है…
वाओ मेरा दिल कब से ये देखने का कर रहा था…
नाज़नीन के विशाल चूतड़ इस कदर गोलाई लिए और आपस में चिपके थे कि उसके झुककर खड़े होने पर भी… गाण्ड या चूत का छेद नहीं दिख रहा था…
मगर कबीर के द्वारा दोनों भाग चीरने से अब उसके दोनों छेद दिखने लगे…
गाण्ड का छेद तो पूरा लाल और काफी कटा कटा सा दिख रहा था…
मगर पीछे से झांकती चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी…
कबीर ने वहाँ रखी क्रीम अपने हाथ में ली और उसके गाण्ड के छेद पर बड़े प्यार से लगाई…
कबीर- ये साला अब्बू भी न… तुझे मना किया है ना कि मत जाया कर सुबह सुबह उसके पास… उसके लिए तो जाकिरा और सलीमा ही सही हैं, झेल तो लेती हैं उसका आराम से… फड़ावा लेगी तू किसी दिन उससे अपनी…
और उसने कुछ क्रीम उसकी चूत के छेद पर भी लगाई…
मैंने सोचा कि ये साले दोनों बाप बेटे कितनी चूतों के साथ मजे ले रहे हैं…
फिर कबीर ने खड़े हो पीछे से ही अपना लण्ड नाज़नीन की चूत में फंसा दिया…
नाज़नीन- आआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… इइइइ…
वो तो दुकान में चल रहे तेज म्यूजिक की वजह से उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी…
वाकयी कबीर के लण्ड का सुपारा था ही ऐसा… जो मैंने सोचा था वही हुआ… उस बेचारी नाज़नीन की नाजुक चूत की चीख निकल गई…
लेकिन एक खास बात यह भी थी कि अब लण्ड आराम से अंदर जा रहा था…
मतलब केवल पहली चोट के बाद वो चूत को फिर मजे ही देता था…
मैं ना जाने क्यों ऐसा सोच रहा था कि यह लण्ड सलोनी की चूत में जा रहा है और वो चिल्ला रही है…
अब वहाँ कबीर अपनी कमर हिला हिला कर नाज़नीन को चोद रहा था…
और वहाँ दोनों की आहें गूंज रही थीं…
मेरा लण्ड भी बेकाबू हो गया था… और अब मुझे वहाँ रुकना भारी लगने लगा…
मैं चुपचाप वहाँ से बाहर निकला
Like Reply
#20
दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी…
ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी…
मैंने भी उसको एक स्माइल दी… और दुकान से बाहर निकल आया…
पहले चारों ओर देखा… फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा… और ऑफिस आ गया…
मन बहुत रोमांचित था… मगर काम में नहीं लगा…
फिर प्रणव को फोन किया, उसको आज रात मेरे यहाँ डिनर पर आना था…
उसने कहा कि वो नौ बजे तक पहुँचेगा… साथ में रुचिका भी होगी…
यह सोचकर मेरे दिल में गुदगुदी हुई… पता नहीं आज सेक्सी क्या पहनकर आएगी…
फिर सलोनी के बारे में सोचने लगा कि ना जाने आज क्या पहनेगी और कैसे पेश आएगी…
जल्दी जल्दी कुछ काम निपटाकर 6 बजे तक ही घर पहुँच गया…
सलोनी ने दरवाजा खोला…
लगता है वो शाम के लिए तैयारी में ही लगी थी… और तैयार होने जा रही थी…
उसके गोरे बदन पर केवल एक नीला तौलिया था… जो उसने अपनी चूचियों से बांध रखा था…
जैसे अमूमन लड़कियाँ नहाने के बाद बांधती हैं… पर सलोनी अभी बिना नहाये लग रही थी…
उसके बाल बिखरे थे… और चेहरे पर भी पसीने के निशान थे…
लगता था कि वो बाथरूम में नहाने गई थी… और मेरी घंटी की आवाज सुन ऐसे ही दरवाजा खोलने आ गई…
उसका तौलिया कुछ लम्बा-चौड़ा था तो घुटनो से करीब 6 इंच ऊपर तक तो आता ही था… इसलिए सलोनी की गदराई जांघों का कुछ भाग ही दिखता था…
मैंने सलोनी को अपनी बाँहों में भर लिया…
उसने प्यार से मेरे गाल पर चूमा और कहा- अंदर नलिनी है…
वो रात वाले अरविन्द अंकल याद हैं ना… उनकी बीवी… हम दोनों ही उनको भाभी ही कहते थे…
अंकल तो 60-62 के करीब थे मगर यह उनकी दूसरी शादी थी तो भाभी केवल 40 के आसपास ही थी…
उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है… कुछ मोटी तो हैं… पर 5 फुट 4 इंच लम्बी ,रंग साफ़, 37-28-35 की फिगर उनको पूरी कॉलोनी में एक सेक्सी महिला की लाइन में रखती थी…
मैंने सलोनी से इशारे से ही पूछा- कहाँ…??
उसने हमरे बैडरूम की ओर इशारा किया…
मैं- और तुम क्या तैयार हो रही हो… सिर्फ़ यह तौलिया लपेटे ही क्यों घूम रही हो?
सलोनी- अरे मैं काम निपटाकर नहाने गई थी कि तभी ये आ गई… इसीलिए !
मैं- और अभी… मेरी जगह कोई और होता तो…
सलोनी- तो क्या… यहाँ कौन आता है?
तभी अंदर से ही नलिनी भाभी की आवाज आई- अरे कौन है सलोनी… क्या ये हैं…
वो अरविन्द अंकल को समझ रही थी।
तभी वो बैडरूम के दरवाजे से दिखीं… माय गॉड ! क़यामत लग रही थी…
उन्होंने सलोनी का जोगिंग वाला नेकर और एक पीली कुर्ती पहनी थी जो उनके पेट तक ही थी…
नेकर इतनी कसी थी कि उनकी फूली हुई चूत का उभार ही नहीं बल्कि चूत की पूरी शेप ही साफ़ दिख रही थी…
मेरी नजर तो वहाँ से हटी ही नहीं… ऐसा लग रहा था जैसे डबल रोटी को चूत का आकार दे वहाँ लगा दिया हो…
भाभी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी- हाय राम…
कह पीछे को हो गई…
सलोनी बैडरूम में जाते हुए- …अरे भाभी… ये हैं… आज थोड़ा जल्दी आ गए… मैंने बताया था न कि आज इनके दोस्त डिनर पर आने वाले हैं…
मैं भी बिना शरमाये बैडरूम में चला आया जहाँ भाभी सिकुड़ी-सिमटी खड़ी थीं…
मैं- अरे भाभी, शरमा क्यों रही हो… इतनी मस्त तो लग रही हो… आपको तो ऐसे कपड़े पहनकर ही रहना चाहिए…
भाभी- हाँ हाँ ठीक है… पर इस समय तुम बाहर जाओ ना… मैं जरा अपने कपड़े बदल लूँ…
सलोनी- हा हा हा क्या भाभी, आप इनसे क्यों शरमा रही हो…
फ़िए सलोनी ने मेरे से कहा- जानू, आज भाभी का मूड भी सेक्सी कपड़े पहनने का कर रहा था…
भाभी- चल पागल… मेरा कहाँ… वो तो ये एए…
सलोनी- हाँ हाँ… अंकल ने ही कहा… पर है तो आपका भी मन ना…
भाभी कुछ ज्यादा ही शरमा रही थीं… और अपनी दोनों टांगों की कैंची बना अपनी चूत के उभार को छुपाने की नाकामयाब कोशिश में लगीं थीं…
सलोनी- जानू, आज भाभी मेरे कपड़े पहन पहनकर देख रही है… कह रही थीं कि कल से अंकल ज़िद कर रहे हैं कि ये क्या बुड्ढों वाले कपड़े पहनती हो… सलोनी जैसे फैशन वाले कपड़े पहना करो… हा हा हा…
मैं- तो सही ही तो कहते हैं… हमारी भाभी है ही इतनी सेक्सी… और देखो इन कपड़ों में तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हैं…
सलोनी- हा ह हा ह… कहीं तुम्हारा दिल तो खराब नहीं हो रहा…
भाभी- तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? चलो अब जाओ, मुझे चेंज करने दो…
मैं- ओह भाभी कितना शरमाती हो आप… ऐसा करो, आज इन्ही कपड़ों में अंकल के सामने जाओ… देखना वो कितने खुश हो जायेंगे…
सलोनी- हाँ भाभी… अंकल की भी मर्जी यही तो है… तो आज यही सही…
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा और एक कातिल मुस्कुराहट के साथ कहा- …तुम दोनों ऐसी हरकतें कर मेरा हाल बुरा करवाओगे…
भाभी- अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो… और हाँ… खिड़की बंद कर लेना… ही… ही…
Like Reply




Users browsing this thread: 3 Guest(s)