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17-06-2021, 09:44 AM
(This post was last modified: 17-06-2021, 09:54 AM by suneeellpandit. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
एक दिन शिल्पा लोवर पहन कर पढ़ने आई और कुछ देर बाद मेरी नज़र साईड से उसके लोवर पर गई.. लोवर थोड़ा नीचे था। लेकिन उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी और मैंने भी एकदम सही मौका देखकर उसके लोवर में 4 उंगलियाँ डालकर पकड़ लिया.. जिसकी वजह से में उसकी कमर या जाँघ छू सकूं और नीचे कर दिया और वो बोली कि सॉरी सर।
मैंने कहा कि क्या अंदर कुछ नहीं पहना.. जिसकी वजह से यह नीचे सरक गया। तो वो शरम से सर झुकाकर मुहं फेरकर शायद मुस्कुरा गई.. मैंने तभी कहा कि इसमे किसी की ग़लती नहीं है। तुम्हारी स्किन ही इतनी मुलायम, चिकनी है कि उस पर से कपड़े सरक जाते है.. जैसा नाम वैसा ही शरीर और वो मुझे देखने लगी।
मैंने उसके चेहरे पर हाथ फेरकर कहा कि चलो अब अपना सवाल हल करो.. लेकिन दोस्तों उस दिन उसने बिना मन ढंग से पढ़ा और उसके अगले दिन से ही मुझे उसके व्यहवार में बदलाव दिखने लगा। अब वो मुझसे सटकर बैठने लगी और जब कोई आता तो वो एकदम सरककर दूर बैठ जाती और इन तीन चार दिनों में मुझे अहसास हो गया कि अगर इसको ढंग से हेंडल कर लिया जाए तो यह पक्का फंस जाएगी।
फिर मैंने बहुत सोचा कि क्या करूं? फिर मेरे दिमाग़ में एक विचार आ गया और जब में अगले दिन उसे पढ़ाने गया तो मैंने उसकी संस्कृत की किताब में चुपके से लड़के, लड़की की सेक्सी सीन वाली पतली सी एक किताब रख दी.. क्योंकि में अच्छी तरह से जानता था कि इसको संस्कृत समझ में नहीं आती है.. तो वो इस किताब कम पढ़ती है।
फिर अगले दिन मैंने उसको पढ़ाना शुरू किया और करीब 20 मिनट पढ़ाने के बाद मैंने उससे कहा कि शिल्पा आज हम संस्कृत पढ़ेगे.. तुम अपनी किताब निकालो। तो उसने अपनी संस्कृत की किताब निकाली और फिर मैंने कहा कि 7वां पेज खोलो और उसने ज्यो ही किताब खोली तो उसमे से वो छोटी सी किताब निकल आई.. वो एकदम चकित हो गई और हड़बड़ाकर उसे मुझसे छुपाने लगी।
मैंने कहा कि क्या छुपा रही हो.. क्या अपनी मार्कशीट छुपा रही हो? दिखाओ.. इधर लाओ |
वो कुछ भी नहीं बोली.. लेकिन इसके पहले वो कुछ कर पाती मैंने दोनों किताब उसके हाथ से छीन ली और एकदम उससे अंजान बनकर खोलकर देखने लगा और मैंने जैसे ही वो किताब देखी तो कहा कि ओह भगवान शिल्पा तुम अभी से यह किताब देखने लगी हो?
तो वो एकदम सहम सी गई और बोली कि नहीं नहीं सर वो सर मुझे पता नहीं यह कहाँ से आई?
// सुनील पंडित //
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17-06-2021, 09:46 AM
(This post was last modified: 17-06-2021, 09:54 AM by suneeellpandit. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
तो वो एकदम सहम सी गई और बोली कि नहीं नहीं सर वो सर मुझे पता नहीं यह कहाँ से आई?
तो मैंने कहा कि सच सच बताओ यह कहाँ से लाई हो वरना अभी तो मैंने देखी है.. लेकिन अब तुम्हारे पापा, मम्मी को दिखाऊंगा.. लेकिन वो अब क्या बोलती?
फिर वो अब एकदम उदास होकर बोली कि सच में नहीं जानती कि यह कहाँ से मेरे बेग में आई? तो मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उससे कहा कि यह लो रख लो इसे और जिससे लाई हो उसी को लौटा देना और में खुद उसे थोड़ा बहुत पढ़ाकर चला आया।
फिर अगले दिन वो एकदम डरी डरी मेरे पास पढ़ने आई और मैंने उसे थोड़ी देर पढ़ाने का नाटक किया और फिर उससे पूछा कि वो किताब वापस की या नहीं.. तो वो बोली कि सर मैं खुद नहीं जानती कि वो किताब मेरे पास कहाँ से आई?
तो में बोला कि कहाँ गई वो किताब लाओ मुझे दो.. मैं उसे कहीं दूर फेंक दूंगा। तो वो बोली कि सर वो तो मैंने अंदर छुपा दी.. में उसे डांटने लगा और कहा कि नालयक जहाँ ना फंसना हो वहां पर फंसोगी.. जाओ लेकर आओ और वो जल्दी से गई और खाली हाथ वापस आई।
मैंने कहा कि कहाँ गई किताब तो उसने सूट में हाथ डाला और सलवार में फसी हुई किताब बाहर निकालकर मुझे दी। तो मैंने कहा कि बहुत अच्छे.. अब तुम छुपाने के तरीके भी सीख गई.. लेकिन वो बहुत उदास सी दिख रही थी।
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17-06-2021, 09:53 AM
फिर मैंने उस किताब को अपनी जेब में रख लिया और उससे पूछा कि कल से अब तक तुमने इस किताब का क्या किया? तो वो एकदम चुप थी.. मैंने कहा कि तुमने कल यह देखी है या नहीं.. सच सच बताओ? तो वो बोली कि हाँ एक बार देखी थी। तो मैंने पूछा कि क्या देखा था?
वो बोली कि उसमे बहुत गंदी गंदी फोटो थी। तो मैंने कहा कि क्या तुमने वो सारी फोटो देखी?
शिल्पा: हाँ
मैं: तुम्हे कैसे पता कि यह गंदी है |
अब में उसका जवाब सुनकर बहुत खुश हो गया..
शिल्पा: वो सब पापा, मम्मी छुपकर रात में करते है।
अब मेरा दांव सही बैठ गया और मैंने कहा कि ओह तो तुम अब रात में भी जागने भी लगी हो?
तो वो मुझे देखने लगी और वो बोली कि नहीं सर वो एक बार ग़लती से देखा था।
तो मैंने कहा कि बहुत बढ़िया.. क्या कुछ अच्छा लगा या यूँ ही टाईम पास किया?
वो एकदम शरमा गई और मैंने आइडिया लगा लिया कि यह अब वो सब देखकर एकदम मस्त हो चुकी है और मैंने दोबारा से कहा कि क्या क्या देखा?
वो बोली कि वो सब कुछ जो उस किताब में था।
फिर मैंने ठीक है कहा और बोला कि क्या कभी किया तो नहीं यह सब?
वो बोली कि नहीं सर नहीं किया।
मैंने उसके कंधो पर हाथ रखकर कहा कि देखो शिल्पा तुम मुझे बताओ में सब कुछ एकदम सही कर दूंगा और घर में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा।
तो वो बोली कि सर मैंने कुछ नहीं किया है और फिर मैंने कहा कि ठीक है और वो दिन निकल गया।
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उसके अगले दो दिन तक में उसको पढ़ाने नहीं जा पाया और तीसरे दिन में वहां पर गया.. वो जब आई तो एकदम चुप थी और उसने मुझसे पूछा कि आप दो दिन क्यों नहीं आए?
मैंने कहा कि तुम बहुत झूठ बोलती हो इसलिए में नहीं आया।
वो बोली कि सच में सर मैंने आप से कोई झूठ नहीं बोला बस एक बात छुपाई थी।
मैंने कहा कि वो क्या?
शिल्पा: सर इस साल गर्मियों के समय में अपनी मौसी के यहाँ पर गई थी। वहां पर दीदी ने मुझसे गंदी गंदी बातें की थी.. यह सब बताया था और कहा था कि अगर तुम रात में जागकर मम्मी, पापा को देखोगी तो ज़्यादा मज़ा आएगा.. इसलिए मैंने एक बार वो देखा था।
मैं: और क्या क्या हुआ था वहां पर.. सच सच बताना।
वो बोली कि दीदी ने एक लकड़ी का डंडा मुझसे अपनी उसमें डलवाया था.. तो मैंने कहा ओह भगवान आप मुझसे क्या करवा रही हो? और दीदी ने एक बार मेरी इसमे भी डाला था।
तो मैंने कहा कि कैसे क्या हुआ था?
तो वो बोली कि मुझे बहुत ज़्यादा जलन हुई थी और खून भी निकला था.. लेकिन मुझे कुछ देर के बाद में बहुत अच्छा लगा था।
तो मैंने कहा कि सच सच बताओ यह सब कितनी बार किया? और यह काम कब करती थी?
तो वो अब एकदम खुलकर जवाब देने लगी और बोली कि रात में हम दोनों एक साथ में सोते थे। हम उस समय यह करते थे और बस 4 बार किया।
तो मैंने कहा कि ठीक है चलो जो हुआ सो हुआ.. लेकिन तुम्हे मज़ा आया कि नहीं?
तो वो थोड़ा सा हंसी और हाँ बोली। तो मैंने अपनी पेंट में तन चुके लंड की तरफ इशारा करके उससे कहा कि तुम अगर लकड़ी की जगह इसको वहां पर डालती तो कुछ ज़्यादा मज़ा आता और वो बहुत गौर से पेंट का उठा हुआ हिस्सा देखने लगी।
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फिर मैंने कहा कि जल्दी से इसे पकड़कर देखो.. क्या वो लकड़ी इससे मोटी थी और उसने अपना एक हाथ थोड़ा आगे की तरफ किया।
तो मैंने खुद ही उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और कहा कि अब बताओ?
तो वो बोली कि इससे पतला था और मैंने उसके हाथ में ही लंड को पकड़े हुए दो तीन बार ऊपर नीचे किया और फिर उसका हाथ हटा दिया और मैंने कहा कि क्या देखोगी इसको?
तो वो बोली कि अगर कोई आ जाएगा तो? फिर मैंने कहा कि बाहर निकाल लूँ.. अगर कोई आ गया तो ऊपर से किताब रख लूँगा.. तो तुम देख लेना।
तो उसने हाँ में सर हिलाया और मैंने बिना वक़्त बर्बाद किये जिप खोल ली और ऊपर किताब रख ली और उससे कहा कि लो देखो। तो वो नीचे झुककर देखकर बोली कि यहाँ तो कुछ भी नहीं है।
तो मैंने कहा कि पगली हाथ लगाकर देखो.. उसने हाथ लगाया और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और फिर मैंने कहा कि अब जल्दी से निकाल कर देख लो।
तो उसने मेरी अंडरवियर में हाथ डाला.. तो मेरी झांटो में फंसता हुआ नर्म उँगलियों वाला हाथ मेरे लंड पर पहुंच गया।
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फिर उसने लंड को बाहर निकाला और देखकर शरमाते हुए कहा कि सर आपका ये तो बहुत मोटा और लंबा है..
मैंने कहा कि क्यों अच्छा है?
शिल्पा: हाँ
और फिर मैंने कहा कि अब इसे अंदर कर दो बाकी का कल देखना।
दोस्तों मुझे डर था.. क्योंकि उसकी मम्मी कभी भी चाय लेकर आ जाती थी और मेरा प्लान सही जा रहा था।
फिर अगले दिन मैंने कहा कि शिल्पा कल कैसा लगा था?
वो मुहं मोड़कर बोली कि अच्छा लगा था और मैंने कहा कि मुझे भी अच्छा लगा था। तुम्हारे हाथ बड़े नरम है, अभी फिर से देखना है और पकड़ना है? तो उनसे अपना सर हाँ में हिलाकर जवाब दिया और मैंने उसी तरह एक किताब रखकर उससे लंड को बाहर निकलवाया और सहलाने को कहा.. वो किसी अनुभवी की तरह मेरे लंड की मुठ मारने लगी.. और मेरे लंड को मुठी मैं पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी |
फिर कुछ देर के बाद मैंने उससे कहा कि बस अब रहने दो और जिप लगाकर जैसे तैसे पढ़ाई ख़त्म की.. लेकिन अब तो लगभग में हर रोज मैं अपना लंड पेंट से बहार निकल कर उसके हाथ मैं देता और उससे मुठ मरवाता, उसकी जांघे सहलाता, ब्रा के ऊपर से एकदम कड़क मुम्मे को भी दबाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आता था।
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फिर एक दिन मुम्मे दबाते वक़्त जब वो मस्ती में अपनी दोनों आखें बंद किए हुई थी.. तो मैंने उससे पूछ लिया कि शिल्पा कितना अच्छा होता अगर में यह तुम्हारी इसमे अपना वाला डालकर मज़ा देता।
तो वो एकदम से बोली कि हाँ सर मुझे बहुत मज़ा आता और फिर मैंने कहा कि क्या मुझसे करवाएगी?
वो बोली कि हाँ.. लेकिन तभी किसी के आने की आहट से हम नॉर्मल हो गए और अब मैंने दिमाग़ लगाया कि यह तो लगभग तैयार है.. लेकिन अब इसको चोदूँगा कहाँ और कैसे? और में उसी उधेड़ बुन में लगा रहता।
तभी अचानक से एक दिन में जब उसको पढ़ाने के लिए गया तो करीब दस मिनट बाद उसकी मम्मी आई बोली कि शिल्पा में बाजार जा रही हूँ और सर के जाने के बाद दरवाजा अंदर से ढंग से लगा लेना और मैं बाद मैं आ जाउंगी।
फिर वो चली गई.. तो शिल्पा उठकर गई और दरवाजा लगाकर आई.. तो मैंने उसका एक हाथ पकड़कर खींचा और उसे गोदी में बैठा लिया और उसके दोनों मुम्मे दबाने लगा, उसे चूमने लगा, तुम बहुत अच्छी हो शिल्पा कहने लगा और वो भी मुझसे कहने लगी सर आप भी बहुत अछे हो और आपका ये भी बहुत प्यारा और मोटा मोटा है |
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और उसकी साँसे तेज हो गई। तो मैंने जल्दी से उसको अलग किया अपना लंड बाहर निकालकर उसे पकड़ा दिया और कहा कि लो आज देख लो इसे और वो मेरे लंड को पकड़कर देखने लगी।
तो मैंने उससे कहा कि इसको प्यार से किस कर लो और उसने किस किया.. मैंने सोचा कि आज एक बार इसे चोद लूँ वरना ना जाने कब इस कुवांरी लड़की को चोदने का मौका मिलेगा?
तो मैंने उसको सोफे पर लेटाया उसकी लेगी और पेंटी को नीचे किया और उसकी कुवांरी चिकनी चूत देखकर में किस किए बिना नहीं रह पाया। मैंने जब किस किया तो वो सईईइ अह्ह्ह्हह करके सिसक उठी और सिसकियाँ लेने लगी।
तो मैंने उसकी चूत पर थूक लगाया और अपनी एक उंगली अंदर डाल दी और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी.. अह्ह्ह्ह उह्ह्ह माँ, सर नहीं सर अह्ह्ह।
तो मैंने जल्दी जल्दी उंगली चूत में चलाई और में उसके मस्त मस्त मुम्मे भी दबा रहा था। वो अहह सस्स सीसिसीसिस ससीसी सररररररर नहीं अह्ह्ह कहती रही और बहुत ज़ोर से मेरे हाथ को पकड़े हुए थी।
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तो मैंने देखा कि उसे अब मजा आने लगा था और वो अपने चुतड को ऊपर की तरफ करके मेरी ऊँगली को अंदर लेने की कोशिश करने लगी थी..
तो मैंने लंड पर बहुत सारा थूक लगाया और लंड को चूत से सटा दिया। उसकी चूत बहुत गरम थी और में अच्छी तरह से जानता था कि यह मेरे लंड का दर्द ना सह पाएगी.. तो मैंने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों से कसकर पकड़ लिया और उसके होंठो को मुहं में भर लिया और फिर पूरी ताक़त से एक धक्का देकर लंड को थोडा सा अंदर डाल दिया..
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वो मेरी पकड़ से छूट ना पाई.. लेकिन मेरे मुहं से उसके होंठ बाहर निकल गए और वो ज़ोर ज़ोर से आह्ह्ह्ह अईईईईईईइ चीखी.. नहीं प्लीज इसे बाहर निकालो सर मुझे नहीं करवाना.. आह्ह्ह्हह प्लीज छोड़ दो अह्ह्ह मुझे सर बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज़ रवि सर छोड़ दो मैं मर जाउंगी ... और रोने लगी।
मैंने फिर से एक जबरदस्त जोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड शिल्पा की चूत की अंदर कर फसा दिया और वो लगातार चीख रही थी।
तो मैंने कहा कि बस शिल्पा डार्लिंग हो गया अब दर्द नहीं होगा। तो वो रोते हुए बोली कि नहीं अआह्ह्ह्हह्ह नहीं सर रवि प्लीज अह्ह्ह्ह प्लीज बाहर निकाल दो और वो अपनी कमर उठाने लगी, हिलाने लगी।
तो मैंने भी अपना दबाव लगाया और चोदना शुरू कर दिया 20-25 धक्को के बाद वो शांत होने लगी। तो मैंने ज़ोर ज़ोर से उसकी कुंवारी चूत में अपने लम्बे मोटे लंड को अंदर बहार करते हुए धक्के देने शुरू कर दिये.. उसके मुम्मे दबाकर उसको चूमते हुए चोदने लगा वो आह्ह्ह उह्ह्हह्ह माँ सर आह्ह्ह कहते हुए अचानक और करो हाँ और ज़ोर से करो आह्ह्ह्ह सर आह्ह्ह्ह कहने लगी।
तो में भी पुरे जोश में आ गया और लगातार अपने गधे जैसे लम्बे मोटे लंड के धक्के देकर चोदने लगा। वो मुझसे लिपटने लगी, मुझे चूमने लगी.. वो अब पूरे जोश में थी / उसको मुझे चुदवाते हुए अब बहुत ही मजा आ रहा था और मुझे उस कुवांरी लड़की को चोदने में जो मज़ा आ रहा था.. पूछो मत और उसकी आह्ह्ह उह्ह्ह्ह.. सिसकियाँ सुनकर मेरा जोश बढ़ गया था।
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17-06-2021, 10:21 AM
(This post was last modified: 17-06-2021, 10:22 AM by suneeellpandit. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं और जल्दी जल्दी धक्के देकर चोदने लगा और मैंने चोदना जारी रखा और 15 मिनट तक लगातार उसकी मस्त मस्त चूत को चोदने के बाद मेरे हल्लाबी लौड़े ने अपना वीर्य बाहर निकलने की तैय्यारी कर ली .. तो मैंने तेज़ी से लंड को बाहर निकालकर एक बार में पूरा के पूरा लौड़ा अंदर की तरफ जड़ तक ठोक दिया ।
तो उसको एकदम हिचकी आ गई.. मैंने अपना लंड अपने सुपाडे तक बहार निकाला उसके हाथ में पकड़ाकर मुठ मरवाई.. 4-6 बार हिलाते ही लंड ने पिचकारी छोड़ दी और मेरा गरम गरम लावा उसके हाथ में भी लग गया। तो मैंने रुमाल से उसका हाथ साफ किया और उसने मेरा हाथ पकड़कर चूम लिया.. फिर में उसके ऊपर लेट गया और कहा कि तुम बहुत अच्छी हो शिल्पा और उसने भी जवाब में कहा कि सर, आप भी बहुत अच्छे हो और आपका ये मोटू भी बहुत ही पयार है ।
फिर हम दोनों कुछ देर बाद अलग हुए और कपड़े पहने.. उसको थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा था। फिर मैंने उसको गोद में बैठाया उसके जिस्म को सहलाया, चूमा उसका थोड़ा दर्द कम किया। फिर में कुछ देर के बाद मैंने उसको कहा की पैन किलर की दवाई ले लेना / उसके घर से निकल आया..
अब उसके बाद हम लोगों को जब भी मौका मिलता है.. तो हम चुदाई कर लेते है ।।
( दोस्तों इस कहानी का लेखन मैंने नहीं किया है / इसका हक़दार कोई और है / मैंने तो सिर्फ इसको कामुक बनाने के लिए इसमें अपने तरीके से कुछ कुछ कामुक शब्दों को डाला है ताकि पड़ने वाले को बहुत मजा आये और बदन गनगना जाये – सुनील पंडित )
// सुनील पंडित //
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