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this is an old story . I didnt write this. found this on internet. it should be here. just sharing !
पंडित & शीला पार्ट--1
एक लड़की है शीला, बिल्कुल सीधी सादी, भोली-भाली, भगवान में बहुत
विश्वास रकने वाली. अनफॉर्चुनेट्ली, शादी के 1 साल बाद ही उसके पति का
स्कूटर आक्सिडेंट हो गया और वो ऊपर चला गया. तब से शीला अपने पापा-मम्मी
के साथ रहने लगी. अभी उसका कोई बच्चा नहीं था.उसकी एज 24 थी. उसके पापा
मम्मी ने उसे दूसरी शादी के लिए कहा, लेकिन शीला ने फिलहाल मना कर
दिया था. वो अभी अपने पति को नहीं भुला पाई थी, जिसेह ऊपर गये हुए आज
6 महीने हो गये थे.
शीला फिज़िकल अपीयरेन्स में कोई बहुत ज़्यादा अट्रॅक्टिव नहीं थी, लेकिन
उसकी सूरत बहुत भोली थी, वह खुद भी बहुत भोली थी, ज़्यादा टाइम चुप ही
रहती थी. उसकी हाइट लगभग 5 फुट 4 इंच थी, कंपेक्स्षन फेर था, बाल
काफ़ी लंबे थे, फेस राउंड था. उसके बूब्स इंडियन औरतों जैसे बड़े थे,
कमर लगभग 31-32 इंच थी, हिप्स राउंड और बड़े थे, यह ही कोई 37 इंच.
वो हमेशा वाइट या फिर बहुत लाइट कलर की सारी पेहेन्ति थी.
उसके पापा सरकारी दूफ़्तर में काम करते थे. उनका हाल ही में दूसरे शहर
में ट्रान्स्फर हुआ था. नये शहर में आकर शीला की मम्मी ने भी एक कॉलेज
में टीचर की जॉब ले ली. शीला का कोई भाई नहीं था और उसकी बड़ी बेहन की
शादी 6 साल पहले हो गयी थी.
नये शहर में आकर उनका घर छोटी सी कॉलोनी में था जो के शहर से थोड़ी
दूर थी. रोज़ सुबेह शीला के पापा अपने दूफ़्तर और उसकी मम्मी कॉलेज चले
जाते तह. पापा शाम 6 बजे और मम्मी 4 बजे वापस आती थी...(यह कहानी
आप कामुक-कहानिया-ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम मे पढ़ रहे हैं )
उनके घर के पास ही एक छोटा सा मंदिर था. मंदिर में एक पंडित था, यह ही
कोई 36 साल का. देखने में गोरा और बॉडी भी मस्क्युलर, हाइट 5 फुट 9 इंच.
सूरत भी ठीक ठाक थी. बाल बहुत छोटे छोटे थे. मंदिर में उसके
अलावा और कोई ना था. मंदिर में ही बिल्कुल पीछे उसका कमरा था. मंदिर के
मुख्य द्वार के अलावा पंडित के कमरे से भी एक दरवाज़ा कॉलोनी की पिछली गली
में जाता था. वो गली हमेशा सुन सान ही रहती थी क्यूंकी उस गली में अभी
कोई घर नहीं था.
नये शहर में आकर, शीला की मम्मी ने उसे बताया कि पास में एक मंदिर
है, उसे पूजा करनी हो तो वहाँ चले जाया करे. शीला बहुत धार्मिक थी.
पूजा पाठ में बहुत विश्वास था उसका. रोज़ सुबेह 5 बजे उठ कर वो मंदिर
जाने लगी.
पंडित को किसी ने बताया था एक पास में ही कोई नयी फॅमिली आई है और
जिनकी 24 साल की बेटी विधवा है.
शीला पहले दिन मंदिर गयी. सुबेह 5 बजे मंदिर में और कोई ना था...सिर्फ़
पंडित था. शीला ने वाइट सारी ब्लाउस पहेन रखा था.
शीला पूजा करने के बाद पंडित के पास आई...उसने पंडित के पेर छुए
पंडित: जीती रहो पुत्री.....तुम यहाँ नयी आई हो ना..?
शीला: जी पंडितजी
पंडित: पुत्री..तुम्हारा नाम क्या है?
शीला: जी, शीला
पंडित: तुम्हारे माथे (फोर्हेड) की लकीरों ने मुझे बता दिया है कि तुम
पर क्या दुख आया है.....लेकिन पुत्री...भगवान के आगे किसकी चलती है
शीला: पंडितजी..मेरा ईश्वर में अटूट विश्वास है.....लेकिन फिर भी उसने
मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया...
शीला की आँखों में आसू आ गये
पंडित: पुत्री....ईश्वर ने जिसकी जितनी लिखी है..वह उतना ही जीता है..इसमें
हम तुम कुछ नहीं कर सकते...उसकी मर्ज़ी के आगे हुमारी नहीं चल
सकती..क्यूंकी वो सर्वोच्च है..इसलिए उसके निर्णेय (डिसिशन) को स्वीकार करने
में ही समझ दारी है.
शीला आसू पोंछ कर बोली
शीला: मुझे हर पल उनकी याद आती है...ऐसा लगता है जैसे वो यहीं कहीं
हैं..
पंडित: पुत्री...तुम जैसी धार्मिक और ईश्वर में विश्वास रखने वाली का
ख़याल ईश्वर खुद रखता है...कभी कभी वो इम्तहान भी लेता है....
शीला: पंडितजी...जब मैं अकेली होती हूँ..तो मुझे डर सा लगता है..पता
नहीं क्यूँ
पंडित: तुम्हारे घर में और कोई नहीं है?
शीला: हैं..पापा मम्मी....लेकिन सुबेह सुबेह ही पापा अपने दूफ़्तर और मम्मी
कॉलेज चली जाती हैं...फिर मम्मी 4 बजे आती हैं.......इस दौरान मैं
अकेली रहती हूँ और मुझे बहुत डर सा लगता है...ऐसा क्यूँ है पंडितजी?
पंडित: पुत्री...तुम्हारे पति के स्वरगवास के बाद तुमने हवन तो करवाया था
ना..?
शीला: नहीं....कैसा हवन पंडितजी?
पंडित: तुम्हारे पति की आत्मा की शांति के लिए...यह बहुत आवश्यक होता
है..
शीला: हूमें किसी ने बताया नहीं पंडितजी....
पंडित: यदि तुम्हारे पति की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी तो वो तुम्हारे आस
पास भटकती रहेगी...और इसीलिए तुम्हें अकेले में डर लगता है..
शीला: पंडितजी...आप ईश्वर के बहुत पास हैं...कृपया आप कुछ कीजिए जिससे
मेरे पति की आत्मा को शांति मिले
शीला ने पंडित के पेर पकड़ लिए और अपना सिर उसके पेरॉं में झुका
दिया....इस पोज़िशन में शीला के ब्लाउस के नीचे उसकी नंगी पीठ दिख रही
थी...पंडित की नज़र उसकी नंगी पीठ पर पड़ी तो...उसने सोचा यह तो
विधवा है...और भोली भी...इसके साथ कुछ करने का स्कोप है........उसने
शीला के सिर पे हाथ रखा..
पंडित: पुत्री....यदि जैसा मैं कहूँ तुम वैसा करो तो तुम्हारे पति की आत्मा
को शांति आवश्य मिलेगी..
शीला ने सिर उठाया और हाथ जोड़ते हुए कहा
शीला: पंडितजी, आप जैसा भी कहेंगे मैं वैसा करूँगी...आप बताइए क्या
करना होगा..
शीला की नज़रों में पंडित भी भगवान का रूप थे
पंडित: पुत्री...हवन करना होगा...हवन कुछ दिन तक रोज़ करना होगा.....लेकिन
वेदों के अनुसार इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही भाग ले
सकते हैं...और किसी तीसरे को खबर भी नहीं होनी चाहिए...अगर हवन
शुरू होने के पश्चात किसी को खबर हो गयी तो स्वरगवासी की आत्मा को
शांति कभी नहीं मिलेगी..
शीला: पंडितजी..आप ही हमारे गुरु हैं....आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही
करेंगे.....आग-या दीजिए कब से शुरू करना है...और क्या क्या सामग्री चाहिए
पंडित: वेदों के अनुसार इस हवन के लिए सारी सामग्री शुद्ध हाथों में ही
रहनी चाहिए...अतेह..सारी सामग्री का प्रबंध मैं खुद ही करूँगा...तुम
सिर्फ़ एक नारियल और तुलसी लेती आना
शीला: तो पंडितजी, शुरू काब्से करना है..
पंडित: क्यूंकी इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही होते
हैं...इसलिए यह हवन उस समय होगा जब कोई विघ्न (डिस्टर्ब) ना करे...और
हवन पवित्र स्थान पर होता है...जैसे की मंदिर...परंतु...यहाँ तो कोई
भी विघ्न डाल सकता है...इसलिए हम हवन इसी मंदिर के पीछे मेरे कक्ष
(रूम) में करेंगे...इस तरह स्थान भी पवित्र रहेगा और और कोई विघ्न भी
नहीं डालेगा..
शीला: पंडितजी...जैसा आप कहें....किस समय करना है?
पंडित: दुपहर 12:30 बजे से लेकर 4 बजे तक मंदिर बंद रहता है......सो इस
समय में ही हवन शांति पूर्वक हो सकता है..तुम आज 12:45 बजे आ
जाना..नारियल और तुलसी लेके.....लेकिन सामने का द्वार बंद होगा.....आओ मैं
तुम्हें एक दूसरा द्वार दिखाता हूँ जो की मैं अपने प्रिय भक्तों को ही
दिखाता हूँ..
पंडित उठा और शीला भी उसके पीछे पीछे चल दी..उसने शीला को अपने कमरे
में से एक दरवाज़ा दिखाया जो की एक सुनसान गली में निकलता था....उसने गली
में ले जाकर शीला को आने का पूरा रास्ता समझा दिया..
पंडित: पुत्री तुम रास्ता तो समझ गयी ना..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: यह याद रखना की यह हवन गुप्त रहना चाहिए...सबसे...वरना
तुम्हारे पति की आत्मा को शांति कभी ना मिल पाएगी..
शीला: पंडितजी...आप मेरे गुरु हैं..आप जैसा कहेंगे..मैं वैसा ही
करूँगी...मैं ठीक 12:45 बजे आ जाओंगी
ठीक 12:45 पर शीला पंडित के बताए हुए रास्ते से उसके कमरे के दरवाज़े पे
गयी और खाट खटाया..
पंडित: आओ पुत्री...
शीला ने पहले पंडित के पेर छुए
पंडित: किसी को खबर तो नहीं हुई..
शीला: नहीं पंडितजी...मेरे पापा मम्मी जा चुके हैं...और जो रास्ता अपने
बताया था मैं उससी रास्ते से आई हूँ...किसी ने नहीं देखा..
पंडित ने दरवाज़ा बंद किया
पंडित: चलो फिर हवन आरंभ करें
पंडित का कमरा ज़्यादा बड़ा ना था...उसमें एक खाट था...बड़ा शीशा
था...कमरे में सिर्फ़ एक 40 वॉट का बल्ब ही जल रहा था...पंडित ने टिपिकल
स्टाइल में हवन के लिए आग जलाई...और सामग्री लेके दोनो आग के पास बैठ
गये...
पंडित मन्त्र बोलने लगा...शीला ने वही सुबेह वाला सारी ब्लाउस पहेना था
पंडित: यह पान का पत्ता दोनो हाथों में लो...
शीला और पंडित साथ साथ बैठे तह..दोनो चौकड़ी मार के बैठे
तह...दोनो की टाँगें एक दूसरे को टच कर रही थी..
शीला ने दोनो हाथ आगे कर के पान का पत्ता ले लिया........पंडित ने फिर उस
पत्ते में थोड़े चावल डाले...फिर थोड़ी चीनी....फिर थोडा
दूध...................फिर उसने शीला से कहा..
पंडित: पुत्री....अब तुम अपने हाथ मेरे हाथ में रखों....मैं मन्त्र
पाड़ूँगा और तुम अपने पति का ध्यान करना..
शीला ने अपने हाथ पंडित के हाथों मे रख दिए....यह उनका पहला स्किन टू
स्किन कॉंटॅक्ट था..
क्रमशः........................
गतांक से आगे...........................
पंडित: वेदों के अनुसार.....तुम्हे यह कहना होगा कि तुम अपने पति से बहुत
प्रेम करती हो.....जो मैं कहूँ मेरे पीछे पीछे बोलना
शीला: जी पंडितजी
शीला के हाथ पंडित के हाथ में थे
पंडित: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ
शीला: मैं अपने पति से बहुत प्रेम करती हूँ
पंडित: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ
शीला: मैं उन पर अपना तन और मन न्योछावर करती हूँ
पंडित: अब पान का पता मेरे साथ अग्नि में डाल दो
दोनो ने हाथ में हाथ लेके पान का पता आग में डाल दिया
पंडित: वेदों के अनुसार...अब मैं तुम्हारे चरण धौँगा...अपने चरण यहाँ
साइड में करो..
शीला ने अपने पेर साइड में किए...पंडित ने एक गिलास मैं से थोड़ा पानी हाथ
में भरा और शीला के पेरो को अपने हाथों से धोने लगा.....
पंडित: तुम अपने पति का ध्यान करो..
पंडित मन्त्र पड़ने लगा...शीला आँखें बंद करके पति का ध्यान करने
लगी.....
शीला इस वक़्त टाँगें ऊपर की तरफ मोड़ के बैठी थी..
पंडित ने उसके पेर थोड़े से उठाए और हाथों में लेकर पेर धोने लगा.. ?
टाँग उठनेः से शीला की सारी के अंदर का नज़ारा दिखनेः लगा?.उसकी थाइस
दिख रही थी?.और सारी के अंदर के अंधेरे में हल्की हल्की उसकी वाइट
कछि भी दिख रही थी?..लेकिन शीला की आँखें बंद थी?.वो तो अपने
पति का ध्यान कर रही थी?.और पंडित का ध्यान उसकी सारी के अंदर के
नज़ारे पे था?.पंडित के मूह में पानी आ रहा था..लेकिन वो इसका रेप करने
से डरता था....सो उसने सोचा लड़की को गरम किया जाए...
पेर धोने के बाद कुछ देर उसने मन्तर पड़े..
पंडित: पुत्री....आज इतना ही काफ़ी है...असली पूजा कल से शुरू होगी....तुम्हें
भगवान शिव को प्रसन्न करना है.....वो प्रसन्न होंगे तभी तुम्हारे पति की
आत्मा को शांति मिलेगी....अब तुम कल आना..
शीला: जो आग्या पंडितजी..
अग्लेः दिन..
पंडित: आओ पुत्री.....तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं...अगर कोई देख लेगा तो
तुम्हारी पूजा का कोई लाभ नहीं..
शीला: नहीं पंडितजी...किसी ने नहीं देखा...आप मुझे आग्या दे..
पंडित: वेदों के अनुसार.....तुम्हें भगवान शिव को प्रसन्न करना है..
शीला: पंडितजी...वैसे तो सभी भगवान बराबर हैं...लेकिन पता नहीं
क्यूँ..भगवान शिव के प्रति मेरी श्रधा ज़्यादा है..
पंडित: अच्छी बात है.....पुत्री..शिव को प्रसन्न करने के लिए तुम्हें पूरी
तरह शूध होना होगा....सबसे पहले तुम्हें कच्चे दूध का स्नान करना
होगा......शूध वस्त्रा पहेनेः होंगे...और थोड़ा शृंगार करना होगा..
शीला: शृंगार पंडितजी..
पंडित: हाँ......शिव स्त्री- प्रिय (वुमन लविंग) हैं...सुंदर स्त्रियाँ उन्हे
भाती हैं...यूँ तो हर स्त्री उनके लिए सुंदर है...लेकिन शृंगार करने से
उसकी सुंदरता बढ़ जाती है....जब भी पार्वती ने शिव को मनाना होता
है...तो वह भी शृंगार करके उनके सामने आती हैं..
शीला: लेकिन पंडितजी...क्या एक विधवा का शृंगार करना सही रहेगा....?
पंडित: पुत्री...शिव के लिए कोई भी काम किया जा सकता है....विधवा तो तुम
इस समाज के लिए हो...
शीला: जो आग्या पंडितजी...
पंडित: अब तुम स्नान-ग्रे (बाथरूम) में जा के कच्चे दूध का स्नान
करो...मैने वहाँ पर कच्चा दूध रख दिया है क्यूंकी तुम्हारे लिए कच्चा
दूध घर से लाना मुश्किल है.......और हाँ...तुम्हारे वस्त्रा भी स्नान-ग्रेह
में ही रखें हैं..
पंडित ने ऑरेंज कलर का ब्लाउस और पेटिकोट बाथरूम में रखा था...पंडित
ने ब्लाउस के हुक निकाल दिए थे..हुक्स पीठ की साइड पे थे...(आस कंपेर्ड
टू दा हुक्स राइट इन फ्रंट ऑफ बूब्स)
शीला दूध से नहा कर आई.....सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकोट में उसे पंडित के
सामने शरम आ रही थी..
शीला: पंडितजी.....
पंडित: आ गयी..
शीला: पंडितजी....मुझे इन वस्त्रों में शरम आ रही है...
पंडित: नहीं पुत्री...ऐसा ना बोलो....शिव नाराज़ हो जाएगा....यह जोगिया
वस्त्रा शूध हैं....यदि तुम शूध नहीं होगी तो शिव प्रसन्न कदापि नहीं
होंगे...
शीला: लेकिन पंडितजी..इस...स....ब..ब्लाउस के हुक्स नहीं हैं...
पंडित: ओह!...मैनेह देखा ही नहीं...वैसे तो पूजा केवल दो घंटे की ही
है...लेकिन यदि तुम ब्लाउस के कारण पूजा नहीं कर सकती को हम कल से पूजा
कर लेंगे....लेकिन शायद शिव को यह विलंभ (डेले) अच्छा ना लगे..
शीला: नहीं पंडितजी....पूजा शुरू कीजिए..
पंडित: पहले तुम उस शीशे पे जाकर शृंगार कर लो...शृंगार की सामग्री
वहीं है..
शीला ने लाल लिपस्टिक लगाई....थोड़ा रूज़....और थोड़ा पर्फ्यूम...
शृंगार करके वो पंडित के पास आई..
पंडित: अति सुंदर.....पुत्री...तुम बहुत सुंदर लग रही हो...
शीला शरमाने लगी....यह फीलिंग्स उसने पहली बार एक्सपीरियेन्स की थी...
पंडित: आओ पूजा शुरू करें...
वो दोनो अग्नि के पास बैठ गये....पंडित ने मन्त्र पड़नेः शुरू किए....
थोड़ी गर्मी हो गयी थी इसलिए पंडित ने अपना कुर्ता उतार दिया.......उनसे
शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपनी चेस्ट पूरी शेव कर ली थी....उसकी बॉडी
मस्क्युलर थी.....अब वो केवल लूँगी में था...
शीला थोड़ा और शरमाने लगी..
दोनो चौकड़ी मार के बैठे थे..
पंडित: पुत्री....यह नारियल अपनी झोली में रखलो...इसे तुम प्रसाद
समझो......तुम दोनो हाथ सिर के ऊपर से जोड़ के शिव का ध्यान करो....
शीला सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठी थी....पंडित उसकी झोली में फल
(फ्रूट्स) डालता रहा...
शीला की इस पोज़िशन में उसके बूब्स और नंगा पेट पंडित के लंड को सख़्त कर
रहे थे...
शीला की नेवेल भी पंडित को सॉफ दिख रही थी....
पंडित: शीला....पुत्री...यह मौलि (थ्रेड) तुम्हें पेट पे बाँधनी
है....वेदों के अनुसार इसे पंडित को बाँधना चाहिए....लेकिन यदि तुम्हें
इसमें लज्जा की वजह से कोई आपत्ति हो तो तुम खुद बाँध लो...परंतु विधि
तो यही है की इसे पंडित बाँधे...क्यूंकी पंडित के हाथ शूध होते
हैं..जैसे तुम्हारी इच्छा..
शीला: पंडितजी.....वेदों का पालन करना मेरा धर्म है....जैसा वेदों में
लिखा है आप वैसा ही कीजिए...
पंडित: मौलि बाँधने से पहले गंगाजल से वो जगह सॉफ करनी होती है....
पंडित ने शीला के पेट पे गंगाजल छिड़-का...और उसका नंगा पेट गंगाजल से
धोने लगा....शीला की पेट की स्किन (लाइक मोस्ट विमन) बहुत स्मूद
थी....पंडित उसके पेट को रगड़ रहा था...फिर उसने तौलिए (टवल) से शीला
का पेट सुखाया...
शीला के हाथ सिर के ऊपर थे.....पंडित शीला के सामने बैठ कर उसके
पेट पे मौलि बाँधने लगा...पहली बार पंडित ने शीला के नंगे पेट को
छुआ....
नाट बाँधते समय पंडित ने अपनी उंगली शीला के नेवेल पे रखी.....
अब पंडित ने उंगली पे तिक्का (रेड विस्कस लिक्विड विच इस सपोज़्ड सेक्रेड)
लगाया...
पंडित: शीला....शिव को पार्वती की देह (बॉडी) पे चित्रकारी करने में आनंद
आता है....
यह कह कर पंडित शीला के पेट पे तिक्का लगाने लगा...उसने शीला के पेट पर
त्रिशूल बनाया.....
शीला की नेवेल पर आ कर पंडित रुक गया...अब अपनी उंगली उसकी नेवेल में
घुमाने लगा...वह शीला की नेवेल में तिक्का लगा रहा था..शीला के दोनो
हाथ ऊपर थे....वह भोली थी.......वह इन सब चीज़ों को धरम समझ
रही थी.....लेकिन यह सब उसे भी कुछ कुछ अच्छा लग रहा था....
फिर पंडित घूम कर शीला के पीछे आया.....उसने शीला की पीठ पर
गंगाजल छिड़-का और हाथ से उसकी पीठ पे गंगाजल लगाने लगा..
पंडित: गंगाजल से तुम्हारी देह और शूध हो जाएगी, क्यूंकी गंगा शिव की जटा
से निकल रही है इसलिए गंगाजल लगाने से शिव प्रसन्न होते हैं..
शीला के ब्लाउस के हुक्स नहीं थे....पंडित ने खुले हुए हुक्स को और साइड
में कर दिया....शीला की ऑलमोस्ट सारी पीठ नंगी होगआई...पंडित उसकी नंगी
पीठ पर गंगाजल डाल के रगड़ रहा था..वो उसकी नंगी पीठ अपने हाथों से
धो रहा र्था.....शीला की नंगी पीठ को छूकर पंडित का बंटी ( लंड ) टाइट हो गया
था...
पंडित: तुम्हारी राशी क्या है..?
शीला: कुंभ..
पंडित: मैं टिक्के से तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिख रहा
हूँ...गंगाजल से शूध हुई तुम्हारी पीठ पे तुम्हारी राशी लिखनेः से
तुम्हारे ग्रेहों की दिशा लाभदायक हो जाएगी..
पंडित ने शीला की नंगी पीठ पे टिक्के से कुंभ लिखा...
क्रमशः........................
......................
फिर पंडित शीला के पैरों के पास आया..
पंडित: अब अपने चरण सामने करो..
शीला ने पेर सामने कर दिए...पंडित ने उसका पटटीकोआट थोड़ा ऊपर
चड़ाया.....उसकी टाँगों पे गंगाजल छिड़-का....और उसकी टाँगें हाथों से
रगड़नेः लगा..
पंडित: हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगाहों पर पड़ते हैं..गंगाजल से
धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता....तुम
शिव का ध्यान करो..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: शीला...यदि तुम्हें यह सब करने में लज्जा आ रही तो....यह तुम
स्वयं कर लो...परंतु वेदों के अनुसार यह कार्य-यह पंडित को ही करना
चाहिए..
शीला: नहीं पंडितजी...यदि हम वेदों के अनुसार नहीं चले तो शिव कभी
प्रसन्न नहीं होंगे.....और भगवान के कार्य- में लज्जा कैसी ..?..
शीला अंधविश्वासी थी..
पंडित ने शीला का पेटिकोट घुटनो के ऊपर चढ़ा दिया...अब शीला की
टाँगें थाइस तक नंगी थी...
पंडित ने उसकी थाइस पे गंगाजल लगाया और उसकी थाइस हाथों से धोने
लगा...शीला ने शरम से टाँगें जोड़ रखी थी...
पंडित ने कहा..
पंडित: शीला...अपनी टाँगें खोलो..
शीला ने धीरे धीरे अपनी टाँगें खोल दी.....अब शीला पंडित के सामने
टाँगें खोल के बैठी थी...उसकी ब्लॅक कछि पंडित को सॉफ दिख रही
थी....पंडित ने शीला की इन्नर थाइस को छुआ...और उन्हे गंगाजल से रगड़ने
लगा.....
इस वक़्त पंडित के हाथ शीला के चूत के नज़दीक थे.....कुछ देर शीला के
आउटर और इन्नर थाइस धोने के बाद अब वो उनेह तौलिए से सुखानेः
लगा........फिर उसने उंगली में तिक्का लगाया और शीला के इन्नर थाइस पे
लगानेः लगा..
शीला: पंडितजी...यहाँ भी टीका लगाना होता.है...(शीला शरमातेः हुए
बोली, वो अनकंफर्टबल फील कर रही थी)
पंडित: हाँ....यहाँ शिवलिंग बनाना होता है..
शीला टाँगें खोल के बैठी थी और पंडित उसकी इन्नर जांघों पे उंगलियों
से शिवलिंग बना रहा था..
पंडित: शीला...लज्जा ना करना..
शीला: नहीं पंडितजी..
जैसे उंगली से माथे (फोर्हेड) पर टीका लगातेः हैं....पंडित कछि के
ऊपर से ही शीला की चूत पे भी टीका लगानेः लगा....शीला शर्म से लाल
हो रही थी...लेकिन गरम भी हो रही थी...पंडित टीका लगानेः के बहानेः
5-6 सेकेंड्स तक कछि के ऊपर से शीला की चूत रगड़ता रहा...
चूत से हाथ हटानेः के बाद पंडित बोला...
पंडित: विधि के अनुसार मुझे भी गंगाजल लगाना होगा...अब तुम इस गंगाजल
को मेरी छाती पे लगाओ..
पंडित लेट गया...
शीला: जी पंडितजी...
पंडित ने चेस्ट शेव कर रखी थी...और पेट भी...उसकी चेस्ट और पेट बिल्कुल
हेरलेस और स्मूद थे...शीला गंगाजल से पंडित की चेस्ट और पेट रगड़नेः
लगी.....शीला को अंदर ही अंदर पंडित का बदन अट्रॅक्ट कर रहा था...उसके
मन में आया की कितना स्मूद और चिकना है पंडित का बदन..ऐसे ख़याल
शीला के मन में पहले कभी नहीं आए थे..
पंडित: अब तुम मेरी छाती पे टिक्के से गणेश बना दो.....गणेश इस प्रकार
बनना चाहिए कि मेरे यह दोनो निपल्स गदेश के ऊपर के दोनो खानो की
बिंदुएं हो..
निपल्स का नाम सुन कर शीला शर्मा गयी...
शीला ने गणेश बनाया....लेकिन उसने सिर्फ़ गणेश के नीचे के दो खानो की
बिंदुए ही बनाई टिक्के से..
पंडित: शीला....गणेश में चार बिंदुए डालती हैं..
शीला: पंडितजी...लेकिन ऊपर की दो बिंदुए तो पहले से ही बनी हुई हैं..
पंडित: परंतु टीका उन पर भी लगेगा..
शीला पंडित के निपल्स पर टीका लगानेः लगी...
पंडित: मानव की धुन्नी उसकी ऊर्जा का स्त्रोत (सोर्स) होती है...अतेह यहाँ भी
टीका लगाओ...
शीला: जो आग्या पंडितजी..
शीला ने उंगली में टीका लगाया....पंडित की नेवेल में उंगली डाली...और
टीका लगानेः लगी.....पंडित ने शीला को अट्रॅक्ट करने के लिए अपना पेट और
चेस्ट शेव करने के साथ साथ अपनी नेवेल में थोड़ी क्रीम लगाई
थी...इसलिए उसकी नेवेल चिकनी हो गयी थी.....शीला सोच रही थी कि इतनी
चिकनी नेवेल तो उसकी खुद की भी नहीं है....शीला पंडित के बदन की तरफ
खीची चली जा रही थी....ऐसे थॉट्स उसके मन मैं पहले कभी नहीं आए
थे...
शीला ने पंडित की नेवेल में से अपनी उंगली निकाली...पंडित ने अपने थैले
से एक लंड की शेप की लकड़ी निकाली.....लकड़ी बिल्कुल वेल पॉलिश्ड थी....5
इंच लंबी और 1 इंच मोटी थी...
लकड़ी के एंड में एक छेद था...पंडित ने उस छेद में डाल कर मौलि
बाँधी...
पंडित: यह लो...यह शिवलिंग है...
शीला ने शिवलिंग को प्रणाम किया..
पंडित: इस शिवलिंग को अपनी कमर में बाँध लो.....यह हमेशा तुम्हारे
सामने आना चाहिए...तुम्हारे पेट के नीचे...
शीला: पंडितजी...इससे क्या होगा..?
पंडित: इस से शिव तुम्हारे साथ रहेगा....यदि किसी और ने इसे देख लिया
तो शिव नाराज़ हो जाएगा...अतेह..यह किसी को दिखाना या बताना नहीं.....और
तुम्हें हर समय यह बाँधे रखना है.......सोतेः समय भी....
शीला: जैसा आप कहें पंडितजी...
पंडित: लाओ...मैं बाँध दू..
दोनो खड़े हो गये...पंडित ने वो शिवलिंग शीला की कमर में डाला और उसके
पीछे आ कर मौलि की गाँठ बाँधनेः लगा...उसके हाथ शीला की नंगी कमर
को छू रहे थे...गाँठ लगानेः के बाद पंडित बोला..
पंडित: अब इश्स शिवलिंग को अंदर डाल लो..
शीला ने शिवलिंग को अपनेह पेटिकोट के अंदर कर लिया....शिवलिंग शीला की
टाँगों के बीच में आ रहा था...
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पंडित: बस...अब तुम वस्त्रा बदल कर घर जा सकती हो...जो टीका मैने
लगाया है उसे ना हटाना...चाहे तो घर जा कर सारी उतार के सलवार
कमीज़ पहेन लेना.....जिससे की तुम्हारे देह पर लगा टीका किसी को दिखे ना...
शीला: परंतु स्नान करतेः समय तो टीका हट जाएगा...
पंडित: उसकी कोई बात नहीं....
शीला कपड़े बदल कर अपने घर आ गयी.....उसने टाँगों के बीच शिवलिंग
पहन रखा था...पूरे दिन वह टाँगों के बीच शिवलिंग लेके चलती फिरती
रही....शिवलिंग उसकी टाँगों के बीच हिलता रहा...उसकी स्किन को टच करता
रहा....
रात को सोतेः वक़्त शीला कछि नहीं पेहेन्ति थी.....जब रात को शीला
सोनेः के लिए लेटी हुई थी तो शिवलिंग शीला की चूत के डाइरेक्ट कॉंटॅक्ट में
था...शीला शिवलिंग को दोनो टाँगें टाइट्ली जोड़ के दबानेः लगी...उसे
अच्छा लग रहा था...उसे अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही
थी......उसनेह सलवार का नाडा खोला...शिवलिंग को हाथ में लिया और
शिवलिंग को हल्के हल्के अपनी चूत पे दबानेः लगी....फिर शिवलिंग को अपनी
चूत पे रगड़नेः लगी....वह गरम हो रही थी......तभी उसे ख़याल आया
"शीला, यह तू क्या कर रही है.....शिवलिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप
है....".....यह सोच कर शीला ने शिवलिंग से हाथ हटा लिया.....सलवार का
नाडा बाँधा और सोनेः की कोशिश करने लगी....
तकरीबन आधी रात को शीला की आँख खुली....उसे अपनी हिप्स के बीच में
कुछ चुभ रहा था....उसने सलवार का नाडा खोला....हाथ हिप्स के बीच में
ले गयी....तो पाया की शिवलिंग उसकी हिप्स के बीच में फ़सा हुआ
था...शिवलिंग का मूँह शीला के अशोल से चिपका हुआ था....शीला को पीछे
से यह चुभन अच्छी लग रही थी....उसने शिवलिंग को अपने गांद पे और
प्रेस किया......उसे मज़ा आया...और प्रेस किया....और मज़ा आया...उसके गांद
मैं आग सी लगी हुई थी...उसका दिल चाह रहा था कि पूरा शिवलिंग अशोल
में दबा दे.....तभी उसे फिर ख़याल आया कि शिवलिंग के साथ ऐसा करना
पाप है.....उसने यह भी सोचा की "क्या भगवान शिव मेरे साथ ऐसा करना
चाहते हैं?".....डर के कारण उसने शिवलिंग को टाँगों के बीच में कर
दिया....नाडा बाँधा....और सो गयी...
अगले दिन शीला वही पिछले रास्ते से पंडित के पास सलवार कमीज़ पहेन करआ
गयी.....
पंडित: आओ शीला....जाओ दूध से स्नान कर आओ....और वस्त्रा बदल लो..
शीला दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसने देखा कि आज जोगिया
ब्लाउस और पेटिकोट के साथ जोगिया रंग की कछि भी पड़ी थी.....उसने
अपनी ब्लॅक कछि उतार के जोगिया कछि पहन ली...नहा के बाहर आई...
पंडित अग्नि जला कर बैठा मन्त्र पढ़ रहा था....
शीला भी उसके पास आ कर बैठ गयी..
पंडित: शीला.....आज तो तुम्हारे सारे वस्त्रा शूध हैं ना..?
शीला थोडा शर्मा गयी..
शीला: जी पंडितजी...
क्रमशः........................
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(20-05-2021, 09:20 PM)Eswar P Wrote: Very nice story
yes it was a good one !
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गतांक से आगे...................
वह जानती थी कि पंडित का मतलब कcछि से है...
पंडित: तुम चाहो तो वो शिवलिंग फिलहाल निकाल सकती हो...
शीला खड़ी होकर शिवलिंग की मौलि खोलने लगी...लेकिन गाँठ काफ़ी टाइट लगी
थी....पंडित ने यह देखा..
पंडित: लाओ मैं खोल दूँ..
पंडित भी खड़ा हुआ...शीला के पीछे आ कर वो मौलि खोलने लगा...
पंडित: शिवलिंग ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया....ख़ास कर रात में
सोनेः में कोई दिक्कत तो नहीं हुई..?
शीला कैसे कहती की रात को शिवलिंग ने उसके साथ क्या किया है...
शीला: नहीं पंडितजी...कोई परेशानी नहीं हुई..
पंडित ने मौलि खोली......शीला ने शिवलिंग पेटिकोट से निकाला तो पाया की
मौलि उसके पेटिकोट के नाडे में इलझ गयी थी...शीला कुछ देर कोशिश
करती रही लेकिन मौलि नाडे से नहीं निकली...
पंडित: शीला.....पूजा में विलंभ हो रहा है...लाओ मैं निकालूं
पंडित शीला के सामने आया और उसके पेटिकोट के नाडे से मौलि निकालने
लगा........
पंडित: यह ऐसे नहीं निकलेगा...तुम ज़रा लेट जाओ
शीला लेट गयी...पंडित उसके नाडे पे लगा हुआ था...
पंडित: शीला....नाडे की गाँठ खोलनी पड़ेगी...पूजा में विलंभ हो रहा
है...
शीला: जी...
पंडित ने पेटिकोट के नाडे की गाँठ खोल दी....गाँठ खोलने से पॅटिकोट
लूज हो गया और शीला की कछि से थोडा नीचे आ गया....
शीला शर्म से लाल हो रही थी....पंडित ने शीला का पेटिकोट थोड़ा
नीचे सरका दिया....शीला पंडित के सामने लेटी हुई थी....उसका पेटिकोट
उसकी कछि से नीचे था...मौलि निकालते वक़्त पंडित की कोनी (एल्बो) शीला
की चूत के पास लग रही थी....कुछ देर बाद मौलि नाडे से अलग हो गयी..
पंडित: यह लो...निकल गयी...
पंडित ने मौलि निकाल कर शीला के पेटिकोट का नाडा बाँधने लगा....उसने
नाडे की गाँठ बहुत टाइट बाँधी....शीला बोली..
शीला: आह...पंडितजी....बहुत टाइट है....
पंडित ने फिर नाडा खोला.....और इस बार गाँठ लूज बाँधी....
फिर दोनो चौकड़ी मार के बैठ गये..
पंडित: .....अब तुम ये मन्त्र 200 बार पढ़ो...और उसके बाद शिव की आरती
करना...
जब शीला की मन्त्र और आरती ख़तम हो गयी तो पंडित ने कहा...
पंडित: मैनेह कल वेद फिरसे पड़े तो उसमें लिखा था कि स्त्री (वुमन) जितनी
आकर्षक दिखे शिव उतनी ही जल्दी प्रसन्न होते हैं.....इस के लिए स्त्री जितना
चाहेः शृंगार कर सकती है.......लेकिन सच कहूँ.....
शीला: कहिए पंडितजी...
पंडित: तुम पहले से ही इतनी आकर्षक दिखती हो की शायद तुम्हे शृंगार की
आवश्यकता ही ना पड़े........
शीला अपनी तारीफ़ सुन कर शरमाने लगी...
पंडित: मैं सोचता हूँ कि तुम बिना शृंगार के इतनी सुंदर लगती हो...तो
शृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी...
शीला: कैसी बातें करतें हैं पंडितजी....मैं इतनी सुंदर कहाँ
हूँ......
पंडित: तुम नहीं जानती तुम कितनी सुंदर हो......तुम्हारा व्यवहार भी बहुत
चंचल है.....तुम्हारी चाल भी आकर्षित करती है...
शीला यह सब सुन कर शर्मा रही थी...मुस्कुरा रही थी....उसे ये सब अच्छा
लग रहा था...
पंडित: वेदों के अनुसार तुम्हारा शृंगार पवित्र हाथों से होना
चाहिए....अथवा तुम्हारा शृंगार मैं करूँगा......इसमें तुम्हें कोई
आपत्ति तो नहीं....
शीला: नहीं पंडितजी.....
पंडित: शीला.....मुझे याद नहीं रहा था....लेकिन वेदों के अनुसार जो
शिवलिंग मैने तुम्हें दिया था उस पर पंडित का चित्रा होना
चाहिए.....इसलिए इस शिवलिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा
हूँ.....
शीला: ठीक है पंडितजी...
पंडित: और हाँ...रात को दो बार उठ कर इस शिवलिंग को जै करना...एक बार
सोने से पहले...और दूसरी बार बीच रात मैं
शीला: जी पंडितजी...
पंडित ने शिवलिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी....और शीला को
बाँधने के लिए दे दिया...
शीला ने पहले जैसे शिवलिंग को अपनी टाँगों के बीच बाँध लिया...
शीला अपने कपड़े पहेन के घर चली आई......पंडित से अपनी तारीफ़ सुन कर
वो खुश थी....
सारे दिन शिवलिंग शीला के टाँगों के बीच चुभता रहा....लेकिन अब यह
चुभन शीला को अच्छी लग रही थी...
शीला रात को सोनेः लेटी तो उसे याद आया की शिवलिंग को जै करना है...
उसने सलवार का नाडा खोल के शिवलिंग निकाला और अपने माथे से लगाया...वो
शिवलिंग पे पंडित की फोटो को देखने लगी...
उसे पंडित द्वारा की गयी अपनी तारीफ़ याद आ गयी.....उसेह पंडित अच्छा
लगने लगा था...
कुछ देर तक पंडित की फोटो को देखने के बाद उसने शिवलिंग को वहीं अपनी
टाँगों के बीच में रख दिया और नाडा लगा लिया...
शिवलिंग शीला की चूत को टच कर रहा था....शीला ना चाहते हुए भी एक
हाथ सलवार के ऊपर से ही शिवलिंग पे ले गयी...और शिवलिंग को अपनी चूत
पे दबाने लगी....साथ साथ उसे पंडित की तारीफ़ याद आ रही थी...
उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा शिवलिंग अपनी चूत में डाल
दे....लेकिन इसे ग़लत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने शिवलिंग से हाथ
हटा लिया...
आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसेह याद आया की शिवलिंग को जै करनी
है...
शिवलिंग का सोचते ही शीला को अपनी हिप्स के बीच में कुछ लगा......शिवलिंग
कल की तरह शीला की हिप्स में फ़सा हुआ था....
शीला ने सलवार का नाडा खोला और शिवलिंग बाहर निकाला.....उसने शिवलिंग
को जै किया....उस पर पंडित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी.."यह क्या
पंडित जी...पीछे क्या कर रहे थे...".....शीला शिवलिंग को अपनी हिप्स के
बीच में ले गयी और अपने गांद पे दबाने लगी.....उसे मज़ा आ रहा था
लेकिन डर की वजह से वो शिवलिंग को गांद से हटा कर टाँगों के बीच ले
आई....उसने शिवलिंग को हल्का सा चूत पे रगड़ा...फिर शिवलिंग को अपने
माथे पे रखा और पंडित की फोटो को देख कर दिल मैं कहने लगी
"पंडितजी....क्या चाहते हो..?...एक विधवा के साथ यह सब करना अच्छी बात
नहीं"..........
फिर उसने वापस शिवलिंग को अपनी जगह बाँध दिया....और गरम चूत ही ले के
सो गयी....
अगले दिन......
पंडित: शीला...शिव को सुंदर स्त्रियाँ आकर्षित करती
हैं......अतः..तुम्हें शृंगार करना होगा....परंतु वेदों के अनुसार यह
शृंगार शूध हाथों से होना चाहिए.......मैने ऐसा पहले इसलिए नहीं
कहा की शायद तुम्हें लज्जा आए...
शीला: पंडितजी...मैने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं भगवान के काम
में कोई लज्जा नहीं करूँगी.....
पंडित: तो मैं तुम्हारा शृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा....
शीला: जी पंडितजी...
पंडित: तो जाओ...पहले दूध से स्नान कर आओ..
शीला दूध से नहा आई....
पंडित ने शृंगार का सारा समान तैयार कर रखा था...लिपस्टिक, रूज़,
एए-लाइनर, ग्लिम्मर, बॉडी आयिल.....
शीला ने ब्लाउस और पेटिकोट पहना था....
पंडित: आओ शीला...
पंडित और शीला आमने सामने ज़मीन पर बैठ गये....पंडित शीला के बिल्कुल
पास आ गया
पंडित: तो पहले आँखों से शुरू करते हैं....
पंडित शीला के एए-लाइनर लगाने लगा..
पंडित: शीला...एक बात कहूँ..?
शीला: कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारी आँखें बहुत सुंदर हैं....तुम्हारी आँखों में बहुत
गहराई है...
शीला शर्मा गयी....
पंडित: इतनी चमकीली....जीवन से भारी...प्यार बिखेरती........कोई भी इन
आँखों से मन्त्र-मुग्ध हो जाए....
शीला शरमाती रही...कुछ बोली नहीं...थोडा मुस्कुरा रही थी....उसे अच्छा
लग रहा था....
एए-लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई..
पंडित ने शीला के गालों पे रूज़ लगातेः हुए कहा...
पंडित: शीला....एक बात कहूँ...?
शीला: जी...कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं.....जैसे की मखमल के बने हो....इन पे
कुछ लगाती हो क्या.....
शीला: नहीं पंडितजी.....अब शृंगार नहीं करती....केवल नहाते वक़्त साबुन
लगाती हूँ..
पंडित शीला के गालों पे हाथ फेरने लगा...
शीला शर्मा रही थी..
पंडित: शीला...तुम्हारे गाल छूनेः में इतने अच्छे हैं की..शिव का भी
इन्हें...इन्हें....
शीला: इन्हें क्या पंडितजी..?
पंडित: शिव का भी इन गालों का चुंबन लेने को दिल करे..
शीला शर्मा गयी....थोड़ा सा मुस्कुराई भी...अंदर से उससे बहुत अच्छा
लग रहा था...
पंडित: और एक बार चुंबन ले तो छोड़ने का दिल ना करे.....
गालों पे रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई....
पंडित: शीला....होंठ (लिप्स) सामने करो...
शीला ने लिप्स सामने करे...
पंडित: मेरे ख़याल से तुम्हारे होंठो पर गाढ़ा लाल (डार्क रेड) रंग बहुत
अच्छा लगेगा....
पंडित ने शीला के होंठो पे लिपस्टिक लगानी शुरू की....शीला ने शरम से
आँखें बंद कर रखी थी...
पंडित: शीला...तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या....थोड़े होंठ
खोलो...
शीला ने होंठ खोले......पंडित ने एक हाथ से शीला की तोड़ी पकड़ी और
दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा....
पंडित: वाह...अति सुंदर.....
शीला: क्या पंडितजी...
पंडित: तुम्हारे होंठ....कितने आकर्षक हैं तुम्हारेहोंठ....क्या बनावट
है......कितने भर्रे भर्रे....कितने गुलाबी...
शीला: ....आप मज़ाक कर रहे हैं पंडितजी....
पंडित: नहीं...शिव की सौगंध.....तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर
सकते हैं.......तुम्हारे होंठो देख कर तो शिव पार्वती के होंठ भूल
जाए....वह भी ललचा जाए......तुम्हारे होंठो का सेवन करे.....तुम्हारे
होंठो की मदिरा पिएं................
शीला अंदर से मरी जा रही थी....उससे बहुत ही अच्छा फील हो रहा था....
पंडित: एक बात पूछूँ?
शीला: पूछिए पंडितजी..
पंडित: क्या तुम्हारे होंठो का सेवन किसी ने किया है आज तक...
शीला यह सुनते ही बहुत शर्मा गयी....
शीला: एक दो बार....मेरे पति ने..
पंडित: केवल एक दो बार.....
शीला: वो ज़्यादातर बाहर रहते थे....
पंडित: तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं...
शीला: कैसी बातें कर रहें हैं पंडितजी....पति के अलावा और कौन कर
सकता है...क्या वो पाप नहीं है....
पंडित: यदि विवश हो के किया जाए तो पाप है.....वरना
नहीं............लेकिन तुम्हारे होंठो का सेवन बहुत आनंदमयी होगा......ऐसे
होंठो का रूस जिसने नहीं पिया..उसका जीवन अधूरा है...
शीला अंदर ही अंदर खुशी से पागल हुई जा रही थी...........अपनी इतनी
तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी...
फिर पंडित ने हेर-ड्राइयर निकाला..
अब पंडित ड्राइयर से शीला के बॉल सुखाने लगा....शीला के बॉल बहुत लंबे
थे...
पंडित: शीला झूट नहीं बोल रहा...लेकिन तुम्हारे बॉल इतने लंबे और घन्ने
हैं की शिव इनमें खो जाएँगे...
उसने शीला का हेर-स्टाइल चेंज कर दिया...उसके बॉल बहुत फ्लफी हो गये...
एए-लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्राइयर लगाने के बाद पंडित ने शीला को शीशा
दिखाया...
शीला को यकीन ही नहीं हुआ कि वह भी इतनी सुंदर दिख सकती है...
पंडित ने वाकई ही शीला का बहुत अच्छा मेक-अप किया था...
ऐसा मेकप देख कर शीला खुद को सेन्ल्युवस फील करने लगी...
उससे पता ना था कि वो भी इतनी एरॉटिक लग सकती है....
पंडित: मैने तुम्हारे लिए ख़ास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है....इससे
तुम्हारी त्वचा में निखार आएगा...तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो
जाएगी.....तुम अपने बदन पे कौनसा तेल लगाती हो.?
शीला 'बदन' का नाम सुन के थोडा शर्मा गयी.....सेन्ल्युवस तो वो पहले ही
फील कर रही थी...'बदन' का नाम सुनके वो और सेन्युवस फील करने लगी...
शीला: जी...मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती...
पंडित: चलो कोई नहीं.....अब ज़रा घुटनो के बल खड़ी हो जाओ....
शील नी-डाउन (टू स्टॅंड ओं नीस) हो गयी....
पंडित: मैं तुम पर तेल लगाओंगा....लज्जा ना करना..
शीला: जी पंडितजी...
शीला ब्लाउस-पेटिकोट में घुटनो पे थी......
पंडित भी घुटनो पे हो गया...
शीला के पेट पे तेल लगाने लगा....
अब वो शीला के पीछे आ गया....और शीला की पीठ और कमर पे तेल लगाने
लगा.....
पंडित: शीला तुम्हारी कमर कितनी लचीली है....तेल के बिना भी कितनी
चिकनी लगती है...
पंडित शीला के बिल्कुल पीछे आ गया....दोनो घुटनो पे थे...
शीला के हिप्स और पंडित के लंड मैं मुश्किल से 1 इंच का फासला था...
पंडित पीछे से ही शीला के पेट पे तेल लगाने लगा....
वो उसके पेट पे लंबे लंबे हाथ फेर रहा था...
पंडित: शीला....तुम्हारा बदन तो रेशमी है...तुम्हारे पेट को हाथ
लगाने में कितना आनद आता है....ऐसा लग रहा है कि शनील की रज़ाई पे
हाथ चला रहा हूँ..........
पंडित पीछे से शीला के और पास आ गया...उसका लंड शीला की हिप्स को जस्ट
टच कर रहा था...
पंडित शीला की नेवेल में उंगली घुमाने लगा....
पंडित: तुम्हारी धुन्नी कितनी चिकनी और गहरी है....जानती हो यदि शिव ने
ऐसी धुन्नी देख ली तो वह क्या करेगा..?
शीला: क्या पंडितजी.?
पंडित: साधा तुम्हारी धुन्नी में अपनी जीभ डाले रखेगा.....इसे चूस्ता
और चाट-ता रहेगा
यह सुन कर शीला मुस्कुराने लगी.....शायद हर लड़की/नारी को अपनी तारीफ़
सुनना अच्छा लगता है....चाहे तारीफ़ झूठी ही क्यूँ ना हो....
पंडित एक हाथ शीला के पेट पे फेर रहा था...और दूसरे हाथ की उंगली
शीला की नेवेल में घूममा रहा था...
शीला के पेट पे लंबे लंबे हाथ मारते वक़्त पंडित दो तीन उंगलिया शीला के
ब्लाउस के अंदर भी ले जाता...
टीन चार बार उसकी उंगलियाँ शीला के बूब्स के बॉटम को टच करी....
शीला गरम होती जा रही थी....
पंडित: शीला...अब हमारी पूजा आखरी चरनो(स्टेजस) मैं है.....वेदों के
अनुसार शिव ने कुछ आससन बतायें हैं...
शीला: आससन...कैसे आससन पंडितजी..?
पंडित: अपने शरीर को शूध करने के पश्चात जो स्त्री वो आस्सन लेती
है...शिव उस-से सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है..........लेकिन यह आस्सन
तुम्हें एक पंडित के साथ लेने होंगे....परंतु हो सकता है मेरे साथ आससन
लेने में तुम्हें लज्जा आए...
शीला: आपके साथ आस्सन........मुझे कोई आपत्ति नहीं है.......
पंडित: तो तुम मेरे साथ आस्सन लॉगी..?
शीला: जी पंडितजी...
पंडित: लेकिन आस्सन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा....और
यह तुम्हें लगाना है...
शीला: जी पंडितजी...
यह कह कर पंडित ने तेल की बॉटल शीला को दे दी....और वो दोनो आमने सामने
आ गये....दोनो घुटनो पे खड़े थे...
शीला ने पंडित की चेस्ट पे तेल लगाना शुरू किया....
पंडित ने चेस्ट, पेट और अंडरआर्म्स शेव किए थे......इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल
स्मूद थी...
शीला पहले भी पंडित के बदन से अट्रॅक्ट हो चुकी थी....आज पंडित के बदन
पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया...............वो पंडित की
चेस्ट, पेट, बाहें और पीठ पर तेल लगाने लगी.....वह अंदर से पंडित के
बदन से लिपटना चाह रही थी....शीला भी पंडित के पीछे आ गयी...और
उसकी पीठ पे तेल मलने लगी...फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पे तेल
मलने लगी....शीला के बूब्स हल्के हल्के पंडित की पीठ से टच हो रहे
थे....शीला ने भी पंडित की नेवेल में दो तीन बार उंगली घुमाई......
पंडित: शीला...तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है....
शीला कहना चाह रही थी कि 'पंडितजी..आपके बदन का स्पर्श भी बहुत
सुखदायी है... '........लेकिन शर्म की वजह से ना कह पाई.......
पंडित: चलो...अब आस्सन ले...........पहले आस्सन में हम दोनो को एक दूसरे
से पीठ मिला कर बैठना है...
पंडित और शीला चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ पीठ कर के बैठ
गये....फिर दोनो पास पास आए जिससे की दोनो की पीठ मिल जाए.....
पंडित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्यूंकी उसने सिर्फ़ लूँगी पहनी
थी....शीला ब्लाउस और पेटिकोट में थी......उसकी लोवर पीठ तो नंगी
थी ही....उसके ब्लाउस के हुक्स भी नहीं थे इसलिए ऊपर के पीठ भी थोड़ी
सी एक्सपोज़्ड थी...
दोनो नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गये...
पंडित: शीला...अब हाथ जोड़ लो....
पंडित हल्के हल्के शीला की पीठ को अपनी पीठ से रगड़नेः लगा...दोनो की
पीठ पे तेल लगा था...इसलिए दोनो की पीठ चिकनी हो रही थी....
पंडित: शीला......तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है.......क्या तुमनें
इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?
शीला: नहीं पंडितजी....पहली बार मिला रही हूँ....
शीला भी हल्के हल्के पंडित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़नेः लगी....
पंडित: चलो...अब घुटनो पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है....
दोनो घुटनो के बल हो गये....
एक दूसरे की पीठ से चिपक गये.....इस पोज़िशन में सिर्फ़ पीठ ही नहीं..दोनो
की हिप्स भी चिपक रहीं थी...
पंडित: अब अपनी बाहें मेरी बाहों में डाल के अपनी तरफ हल्के हल्के
खीँचो...
दोनो एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल के खींच ने लगे....दोनो की नंगी
पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गयी....
पंडित अपनी हिप्स शीला की हिप्स पे रगड़ने लगा....शीला भी अपनी हिप्स पंडित
की हिप्स पे रगड़ने लगी...
शीला की चूत गरम होती जारही थी..
पंडित: शीला.....क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लगा रहा है..?
शीला शरमाई....लेकिन कुछ बोल ही पड़ी...
शीला: हाँ पंडितजी......आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है...
पंडित: ...और नीचे का..?..
शीला समझ गयी पंडित का इशारा हिप्स की तरफ है..
शीला: ..ह..हाँ पंडितजी...
दोनो एक दूसरे की हिप्स को रगड़ रहे थे...
पंडित: शीला.....तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं....कितने
सुडोल...मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं...
शीला: पंडितजी....आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं....
पंडित: अब मैं पेट के बल लेटूँगा...और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना...
शीला: जी पंडितजी...
पंडित ज़मीन पर पेट के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट
गयी...
शीला के बूब्स पंडित की पीठ पे चिपके हुए थे...
शीला का नंगा पेट पंडित की नंगी पीठ से चिपका हुआ था....
शीला खुद ही अपना पेट पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी....
पंडित: शीला.....तुम्हारे पेट का स्पर्श ऐसे लगता है जैसे की मैने शनील
की रज़ाई औड ली हो.....और एक बात कहूँ...
शीला: स...कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारे स्तनो का स्पर्श तो......
शीला अपने बूब्स भी पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी...
शीला: तो क्या....
पंडित: मदहोश कर देने वाला है.....तुम्हारे स्तनो को हाथों में लेने के
लिए कोई भी ललचा जाए...
शीला: स्सह.........
पंडित: अब मैं सीधा लेटूँगा और तुम मुझ पर पेट के बल लेट जाओ....लेकिन
तुम्हारा मुँह मेरे चरनो की और मेरा मुँह तुम्हारे चरनो की तरफ होना
चाहिए...
पंडित पीठ के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट गयी....
शीला की टाँगें पंडित के फेस की तरफ थी........शीला की नेवेल पंडित के
लंड पे थी....वह उसके सख़्त लंड को महसूस कर रही थी.....
पंडित शीला की टाँगों पे हाथ फेरने लगा...
पंडित: शीला........तुम्हारी टाँगें कितनी अच्छी हैं....
पंडित ने शीला का पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और उसकी थाइस मलने लगा....
उसने शीला की टाँगें और वाइड कर दी.....शीला की पॅंटी सॉफ दिख रही
थी...
पंडित शीला की चूत के पास हल्के हल्के हाथ फेरने लगा....
पंडित: शीला....तुम्हारी जाघे कितनी गोरी और मुलायम हैं.....
चूत के पास हाथ लगाने से शीला और भी गरम हो रही थी....
पंडित: तुम्हें अब तक सबसे अच्छा आस्सन कौनसा लगा.?
शीला: स....वो...घुटनो के बल....पीठ से पीठ...नीचे से नीचे वाला.....
पंडित: चलो....अब मैं बैठ-ता हूँ...और तुम्हें सामने से मेरे कंधों पे
बैठना है.....मेरा सिर तुम्हारी टाँगों के बीच में होना चाहिए...
शीला: जी....
शीला ने पंडित का सिर अपनी टाँगों के बीच लिया और उसके कंधों पे बैठ
गयी...
इस पोज़िशन में शीला की नेवेल पंडित के लिप्स पे आ रही थी....
पंडित अपनी जीभ बाहर निकाल के शीला की धुन्नी में घुमाने लगा...
शीला को बहुत मज़ा आ रहा था...
क्रमशः..............................
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गतांक से आगे......................
पंडित: शीला...आँखें बाद करके बोलो..स्वाहा..
शीला: स्वाहा..
पंडित: शीला....तुम्हारी धुन्नी कितनी मीठी और गहरी है..............क्या
तुम्हें यह वाला आससन अच्छा लग रहा है..
शीला: हान्न...पंडितजी....यह आस्सन बहुत अच्छा है....बहुत अच्छाअ...
पंडित: क्या किसी ने तुम्हारी धुन्नी में जीभ डाली है....
शीला: आहह....नहीं पंडितजी...आप पहले हैं...
पंडित: अब तुम मेरे कंधों पे रह के ही पीछे की तरफ लेट जाओ.....हाथों से
ज़मीन का सहारा ले लो...
शीला पंडित के कंधों का सहारा लेकर लेट गयी......
अब पंडित के लिप्स के सामने शीला की चूत थी....
पंडित धीरे से अपने हाथ शीला के स्तनो पे ले गया...और ब्लाउस के ऊपर से
ही दबाने लगा...
शीला यही चाह रही थी.....
पंडित: शीला....तुम्हारे स्तन कितने भर्रे भर्रे हैं.......अच्छे
अच्छे....
शीला: आहह.......
शीला ने एक हाथ से अपना पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और अपनी चूत को पंडित
के लिप्स पे लगा दिया....
पंडित कच्ची के ऊपर से ही शीला की चूत पे जीभ मारने लगा....
पंडित: शीला....अब तुम मेरी झोली मैं आ जाओ...
शीला फॉरेन पंडित के लंड पे बैठ गयी.....उस-से लिपट गयी....
पंडित: आ....शीला...यह आस्सन अच्छा है..?..
शीला: स..स..सबसे.अच्छा....ऊओ पंडितजी...
पंडित: ऊहह...शीला....आज तुम बहुत कामुक लग रही हो.....क्या तुम मेरे
साथ काम करना चाहती हो..?
शीला: हाँ पंडितजी.....सस्स.......मेरी काम अग्नि को शांत
कीजिए....हह...प्लीज़..पंडितजी...
पंडित शीला के बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा....शीला बार बार अपनी चूत
पंडित के लंड पे दबाने लगी...
पंडित ने शीला का ब्लाउस उतार के फेंक दिया और उसके निपल्स को अपने मुँह
में ले लिया.....
शीला: आअहह...पंडितजी....मेरा उद्धार करो....मेरे साथ काम करो....
पंडित: बहुत नहाई है मेरे दूध से.....सारा दूध पीजाउन्गा तेरी
चूचियो का....
शीला: आअहह....पी जाओ.....मैं सीसी...कब मना करती हूँ...पी लो
पंडितजी....पी लो....
कुछ देर तक दूध पीने के बाद अब दोनो से और नहीं सहा जा रहा था...
पंडित ने बैठे बैठे ही अपनी लूँगी खोल के अपने कछे से अपना लंड
निकाला...शीला ने भी बैठे बैठे ही अपनी कच्ची थोड़ी नीचे कर दी....
पंडित: चल जल्दी कर.....
शीला पंडित के सख़्त लंड पर बैठ गयी....लंड पूरा उसकी चूत में चला
गया....
शीला: आअहह......स्वाहा....करदो मेरा स्वाहा..आ...
शीला पंडित के लंड पे ऊपर नीचे होने लगी....चुदाई ज़ोरो पे थी....
पंडित: आहह.....मेरी रानी.....मेरी पुजारन.....तेरी योनि कितनी अच्छी
है....कितनी सुखदायी.....मेरी बासुरी को बहुत मज़ा आ रहा है....
शीला: पंडितजी.....आपकी बासुरी भी बड़ी सुखदायी है....आपकी बासुरी मेरी
योनि में बड़ी मीठी धुन बजा रही है...
पंडित: शिवलिंग को छोड़....पहले मेरे लिंग की जै कर ले.....बहुत मज़ा देगा
यह तेरेको..
शीला: ऊऊआअ....प्प....पंडितजी....रात को तो आपके शिवलिंग ने कहाँ कहाँ
घुसने की कोशिश की......
पंडित: मेरी रानी...एयेए....फिकर मत कर.....स...तुझे जहाँ जहाँ घुस्वाना
है....मैं घुसाऊंगा....
शीला: आअहह......पंडितजी....एक विधवा को...दिलासा नहीं....मर्द का बदन
चाहिए....असली सुख तो इसी में है....क्यूँ.......आआ....बोलिए ना
पंडितजी...आऐईए...
पंडित: हाँ..आ....
अब शीला लेट गयी और पंडित उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा...
साथ साथ वो शीला के बूब्स भी दबा रहा था...
पंडित: आअहह...उस....आज के लिया तेरा पति बन जाऊं...बोल...
शीला: आआई...सस्स.......ई.....हाआन्न....बन जाओ.....
पंडित: मेरा बान (अर्रो) आज तेरी योनि को चीर देगा......मेरी प्यारी....
शीला: आअहह.....चीर दो....आआअहह....चईएर दो नाअ.....आआहह
पंडित: आअहह...ऊऊऊऊ नही स्वाहा
दोनो एक साथ झाड़ गये और पंडित ने सारा सीमेन शीला की चूत के ऊपर झाड़
दिया....
शीला: आहह......
अब शीला पंडित से आँखें नहीं मिला पा रही थी......
पंडित शीला के साथ लेट गया और उसके गालों को चूमने लगा...
शीला: पंडितजी....क्या मैने पाप कर दिया है....?..
पंडित: नहीं शीला.....पंडित के साथ काम करने से तुम्हारी शुधता बढ़
गयी है.....
शीला कपड़े पहेन के और मेकप उतार के घर चली आई.....
आज पंडित ने उसे शिवलिंग बाँधने को नहीं दिया था.....
रात को सोतेः वक़्त शीला शिवलिंग को मिस कर रही थी.......
उसे पंडित के साथ हुई चुदाई याद आने लगी..................वो मन ही मन
में सोचने लगी..'पंडितजी...आप बड़े वो हैं....कब मेरे साथ क्या क्या करते
चले गये..पता ही नहीं चला...पंडितजी...आपका बदन कितना अच्छा
है........अपने बदन की इतनी तारीफ़ मैने पहली बार सुनी है.........आप
यहाँ क्यूँ नहीं हैं..'
शीला ने अपना सलवार का नडा खोला और अपनी चूत को रगड़ने
लगी....'पंडितजी....मुझे क्या हो रहा है'..यह सोचने लगी...
चूत से हटा के उंगली गांद पे ले गयी...और गांद को रगड़ने लगी....'यह
मुझे कैसा रोग लग गया है...टाँगों के बीच में भी चुभन.....हिप्स के
बीच में भी चुभन.....ओह..'...
अगले दिन रोज़ की तरह सुबेह 5 बजे शीला मंदिर आई.....इस वक़्त मंदिर में
और कोई ना हुआ करता था...
पंडित ने शीला को इशारे से मंदिर के पीछे आने को कहा.....
शीला मंदिर के पीछे आ गयी....आतेः ही शीला पंडित से लिपट गयी..
शीला: ओह...पंडितजी....
पंडित: श...शीला........
पंडित शीला को लिप्स पे चूमने लगा....शीला की आस दबाने लगा...शीला भी
कस के पंडित के होंठो को चूम रही थी......तभी मंदिर का घंटा
बजा.....और दोनो अलग हो गये.....
मंदिर में कोई पूजा करने आया था......पंडित अपनी चूमा-चॅटी चोर के
मंदिर में आ गया......
जब मंदिर फिर खाली हो गया तो पंडित शीला के पास आया.
पंडित: शीला....इस वक़्त तो कोई ना कोई आता ही रहेगा.....तुम वही अपने पूजा
के टाइम पे आ जाना...
शीला अपनी पूजा करके चली आई..........उसका पंडित को छोड़ने का दिल नहीं
कर रहा था...खेर....वो 12:45 बजे का इंतज़ार करने लगी.....
12:45 बजे वो पंडित के घर पहुँची......दरवाज़ा खुलते ही वो पंडित से लिपट
गयी...
पंडित ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और शीला को लेकर ज़मीन पे बिछी
चादर पे ले आया.....
शीला ने पंडित को कस के बाहों में ले लिया..... पंडित के फेस पर किस पे
किस किए जा रही थी....अब दोनो लेट गये तह और पंडित शीला के ऊपर
था....
दोनो एक दूसरे के होंठो को कस कस के चूमने लगे...
पंडित शीला के होंठो पे अपनी जीभ चलाने लगा.....शीला ने भी मुँह खोल
दिया...अपनी जीभ निकाल के पंडित की जीभ को चाटने लगी.........पंडित ने
अपनी पूरी जीभ शीला के म्नूः में डाल दी......शीला पंडित के दातों पे
जीभ चलाने लगी....
पंडित: ओह...शीला.....मेरी रानी...तेरी जीभ...तेरा मुँह तो मिल्क-केक जैसा
मीठा है...
शीला: पंडितजी...एयेए......आपके होंठ बड़े रसीलें हैं.....आपकी जीभ
शरबत है..आआहह...
पंडित: ओह्ह्ह...शीला....
पंडित शीला के गले को चूमने लगा......
आज शीला सफेद सारी-ब्लाउस में आई थी......
पंडित शीला का पल्लू हटा के उसके स्तनो को दबाने लगा....शीला ने खुद ही
ब्लाउस और ब्रा निकाल दिया..
पंडित उसके बूब्स पे टूट पड़ा.....उसके निपल्स को कस कस केचूसने लगा....
शीला: ह...पंडितजी.....आराम से.......मेरे स्तन आपको इतने अच्छे लगे
हैं...?...आऐईई....
पंडित: हाँ......तेरे स्तनो का जवाब नहीं.....तेरा दूध कितनी क्रीम वाला
है.....और तेरे गुलाबी निपल्स...इने तो मैं खा जाऊँगा...
शीला: आअहह....ह...ई......तो खा जाओ ना...मना कौन करता है......
पंडित शीला के निपल्स को दातों के बीच में लेके दबाने लगा...
शीला: आऐईए......इतना मत काटो.....आहह....वरना अपनी इस भेंस (काउ) का
दूध नहीं पी पाओगे....
पंडित: ऊओ...मेरी भेंस.....मैं हमेशा तेरा दुदु पीता रहूँगा....
शीला: ई...त..आआ....तो..पी..आ...लो ना.....निकालो ना मेरा
दूध......खाली कर दो मेरे स्तनो को.....
पंडित कुछ देर तक शीला के स्तनो को चूस्ता, चबाता, दबाता और काट-ता
रहा...
फिर पंडित नीचे की तरफ आ गया.....उसने शीला की सारी और पेटिकोट उसके
पेट तक चढ़ा दिए.....उसकी टाँगें खोल दी......
पंडित: शीला....आज कच्ची पहनने की क्या ज़रूरत थी....
शीला: पंडितजी...आगे से नहीं पहेनूगी....
पंडित ने शीला की कच्ची निकाल दी...
पंडित: मेरी रानी....अपनी योनि द्वार का सेवन तो करादे....
यह कह कर पंडित शीला की चूत चाट-ने लगा..........शीला के बदन में
करेंट सा दौड़ गया....शीला पहली बार चूत चटवा रही थी....
शीला: आआहह......म...एमेम..म.....मेरी योनि का सेवन कर लो
पंडितजी.....तुम्हारे लिए सारे द्वार खुले हैं....अपनी शूध जीभ से मेरी
योनि का भोग लगा लो....मेरी योनि भी पवित्र हो जाएगी.......आआहह
पंडित: आअहह...मज़ा आ गया....
शीला: अया....हां..हां.....ले लो मज़ा.....एक विधवा को तुमने गरम तो कर
ही दिया है....इसकी योनि चखने का मौका मत गावाओ.......मेरे
पंडितजी...आआईई..........प......
पंडित ने शीला को पेट के बल लिटा दिया...उसकी सारी और पेटिकोट उसकी हिप्स
के ऊपर चढ़ा दिए..और शीला की हिप्स पे किस करने लगा...शीला की हिप्स
थोड़ी बड़ी थी...बहुत सॉफ्ट थी....
पंडित: शीला.....मैं तो तेरे चूतड़ पे मर जाऊं......
शीला: पंडितजी....आहह...मरना ही है तो मेरे छूतदों के असली द्वार पे
मरो......आपने जो शिवलिंग दिया था वो मेरे छूतदों के द्वार पे आकर ही
फस्ता था...........
पंडित: तू फिकर मत कर.....तेरे हर एक द्वार का भोग लगाऊँगा....
यह कह कर पंडित ने शीला को घोड़ा बनाया...और उसकी गांद चाट-ने लगा....
शीला को इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.........पंडित शीला का अशोल
चाट-ने के साथ साथ उसकी फुददी को रगड़ रहा था.......
शीला: आअहह....चलो...पंडितजी...अब स्वाहा कर दो.....उउस्स्ष्ह
पंडित: चल....अब मेरा प्रसाद लेने के लिए तैय्यर हो जा...
शीला: आहह...पंडितजी.....आज मैं प्रसाद पीछे से लूँगी....
पंडित: चल मेरी रानी....जैसे तेरी मर्ज़ी......
पंडित ने धीरे धीरे शीला की गांद में अपना पूरा लंड डाल दिया......
शीला: आआआहहह......
पंडित: अया...शीला प्यारी....बस कुछ सबर करले....आहह
शीला: आआहह....पंडितजी....मेरे पीछे...आऐईए...पीछे के द्वार मे आपका स्वागत है
पंडित: आअहह....मेरे बान (आरो) को तेरा पिछला द्वार बहुत अच्छा लगा
है.....कितना टाइट और चिकना है तेरा पीछे का द्वार.....
शीला: आअहह....पंडितजी.....अपनेह स्कूटर की स्पीड बड़ा दो....रेस दो
ना....एयेए...
पंडित ने गांद में धक्कों की स्पीड बड़ा दी...
फिर शीला के गांद से निकाल कर लंड उसकी फुददी में डाल दिया....
शीला: आई माआ........कोई द्वार मत छोड़ना........आआ...आपकी बासुरी मेरे
बीच के...आहह......द्वार में क्या धुन बजा रही है..........
पंडित: मेरी शीला.....मेरी रानी....तेरे छेदों में मैं ही बासुरी
बजाओंगा....
शीला: आअहह...पंडितजी....मुझे योनि में बहुत...अया....खुजली हो रही
है.....अब अपना चाकू मेरी योनि पे चला दो......मिटा दो मेरी
खुजली.....मिताआओ ना.....
पंडित ने शीला को लिटा दिया.....और उसके ऊपर आके अपना लंड उसकी चूत
में डाल दिया......साथ साथ उसने अपनी एक उंगली शीला के गांद में डाल
दी....
शीला: आअहह....पंडितजी.....प्यार करो इस विधवा लड़की को......अपनी
बासुरी से तेज़ तेज़ धुन निकालो......मिटा दो मेरी
खुजली................आहहहह....आ.आ..ए.ए.....
पंडित: आआहह...मेरी राअनी.......
शीला: ऊऊहह......मेरे राज्जाअ.......और तेज़ .........अओउुउउर्र्ररर
तेज़्ज़्ज़.....आआहह.........अंदर...और अंदर
आज्ज्जाआ......आअहह....प्प्प...स.स..स.
पंडित: .....आहह...ओह्ह्ह..........शीला...प्यारी....मैं छूट-ने वाला
हूँ....
शीला: आअहह......मैं भीइ....आआ...ई.......ऊऊऊ.....अंदर ही
......गिरा....द...दो अपना....प्रसाद.....
पंडित: आअहह...........
शीला: आआहह..................आ..आह...
आह.........आह..............आह....
भाई लोगो आप सब भी बोलो स्वाहा स्वाहा आहा आहा
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गतांक से आगे......................
सारा माल शीला की फुद्दी में गिराने के बाद पंडित ने अपना लिंग बाहर खींचा ..और शीला को प्यासी नजरों से देखा ..शीला उनके देखने के अंदाज से शरमा उठी ..
शीला : क्या देख रहे है पंडितजी ..
पंडित : देख रहा हु की तुम्हारे अन्दर कितनी कामवासना दबी पड़ी थी ..अगर मैंने तुम्हे भोगा नहीं होता तो ये सारा योवन व्यर्थ चला जाता .. कितने सुन्दर केश है तुम्हारे ..और ये स्तन तो मुझे संसार में सबसे सुन्दर प्रतीत होते है ..और तुम्हारी ये मांसल कमर और नितंभ ..सच में शीला तुम काम की मूरत हो ..
शीला अपने शरीर की तारीफ सुनकर मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी ..उसके गाल लाल सुर्ख हो उठे ..
शीला : आपने मुझे ऐसी अवस्था में पहचानकर मेरा निवारन किया है ..आप ही आज से मेरे गुरु और देवता है ..आप जब भी चाहे मेरे शरीर का अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल कर सकते है ..
जब शीला ने ये कहा तो पंडित का दिमाग घोड़े की तरह से चलने लगा ..
पंडितजी को गहरी सोच में डूबे देखकर शीला उनके पास खिसक कर आई और उनके लिंग को अपने हाथ में पकड़कर उन्हें चेतना में लायी ..
शीला : क्या सोचने लगे पंडित जी ..
पंडित : उम .. नं .कुछ नहीं ...
शीला के हाथो में आकर उनका लंड फिर से अपने प्रचंड रूप में आने लगा ..
पर तभी बाहर *** में किसी ने घंटी बजाई ..पंडित जी ने जल्दी से अपनी धोती पहनी और शीला से बोले : तुम अन्दर जाकर अपने अंगो को पानी से साफ़ कर लो ..मैं अभी वापिस आकर तुम्हे दोबारा स्वर्ग का मजा देता हु ..
पंडित जी की बात सुनकर शीला के स्तनों में फिर से तनाव आ गया,दोबारा चुदने का ख़याल आते ही वो फुर्ती से उठी और नंगी ही अन्दर स्नानघर की तरफ चल दी ..
बाहर पहुंचकर पंडित जी ने देखा की दूसरी गली में रहने वाली माधवी जिसकी उम्र 38 के आस पास थी, वो अपनी बेटी रितु जो 11वीं कक्षा में पड़ती थी, के साथ खड़ी थी .
पंडितजी माधवी को देखते खुश हो गए ..हो भी क्यों न , वो रोज आया करती थी और उसका भरा हुआ जिस्म पंडित जी को हमेशा आकर्षित करता था .. और उसका पति गिरधर जो गली-2 जाकर ठेले पर सब्जियां बेचा करता था, वो पंडितजी का करीबी दोस्त बन चूका था और वो दोनों अक्सर पंडितजी के कमरे में बैठकर शराब पिया करते थे ..और दोनों जब नशे में चूर हो जाते तो अपने-2 मन की बातें एक दुसरे के सामने निकालकर अपना मन हल्का किया करते थे ..और उनका टॉपिक हमेशा सेक्स के आस पास ही घूमता रहता था .. पर उन दोनों की इतनी घनिष्टता के बारे में कोई भी नहीं जानता था, गिरधर की पत्नी माधवी भी नहीं ..
पंडित ने कभी भी गिरधर को ये नहीं बताया था की उनका मन उसकी पत्नी के प्रति आकर्षित है ..गिरधर जब भी पंडित जी के पास आकर बैठता तो वो अपनी जिन्दगी का रोना उनके सामने सुना कर अपना मन हल्का कर लेता था, वो अपनी पत्नी यानी माधवी के सेक्स के प्रति रूचि ना दिखाने को लेकर अक्सर परेशान रहता था ..रंडियों के पास जाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे ..पूरा दिन गलियों में सब्जियां बेचकर वो इतना ही कमा सकता था की अपने परिवार का पालन पोषण कर पाए ..इसलिए रोज रात को शराब लेकर वो पंडित जी के पास जाकर अपने दुःख दर्द सुनाता और पंडितजी भी अपने 'ख़ास' दोस्त के साथ कुछ पल बिताकर अपना रूतबा और पहचान भूल जाते और खुलकर मजा करते .
माधवी : नमस्कार पंडित जी ..
पंडित : आओ आओ माधवी नमस्कार ..आज इस समय कैसे आना हुआ ..
वो अक्सर सुबह ही आया करती थी ..और दोपहर के समय उसको देखकर और वो भी उस वक़्त जब अन्दर कमरे में शीला नंगी होकर उनका वेट कर रही थी ..कोई और मौका होता तो वो भी माधवी से गप्पे मारकर अपनी आँखों की सिकाई कर लेते पर अभी तो उसको टरकाने में मूड में थे ., ताकि अन्दर जाकर फिर से शीला के योवन का सेवन कर पाए .
माधवी : पंडित जी ..आप तो जानते ही है इनके (गिरधर) बारे में ..पूरा दिन मेहनत करते है और रात पता नहीं कहाँ जाकर शराब पीते है और अपनी आधी से ज्यादा कमाई फूंक देते है ..ये मेरी बेटी रितु है और ये पड़ने में काफी होशियार है पर कॉलेज में भरने लायक फीस नहीं है इस महीने ..मैं बस आपसे ये कहने आई थी की अगर हो सके तो आप उनको समझाओ ताकि हमारी बेटी आगे पढाई पूरी कर सके ..वो आपकी बात कभी नहीं टालेंगे ..
माधवी जानती तो थी की गिरधर अक्सर पंडितजी के साथ बैठता है पर वो ये नहीं जानती थी की उनके साथ बैठकर ही वो शराब भी पीता है और उसके बारे में बातें भी करता है .
पंडित : अरे माधवी ..तुम परेशान मत हो ..वो बेचारा भी परेशान रहता है अपने और तुम्हारे संबंधों को लेकर ..
ये बात सुनकर माधवी चोंक गयी पर अपनी बेटी के पास खड़ा होने की वजह से वो पंडितजी से कुछ ना पूछ पायी की क्या -2 बात होती है उन दोनों के बीच ..
पंडित जी : और रही बात रितु की पढाई की तो तुम इसकी चिंता मत करो ..ये कोष में आने वाले पैसो से आगे की पढाई करेगी ..और तुम इसे मना मत करना, क्योंकि ऊपर वाले को यही मंजूर है की तुम्हारी बेटी आगे पड़े और तुम इसे एहसान मत समझना , जब भी तुम्हारे पास पैसे हो तो तुम कोष में डाल कर अपना ऋण उतार देना ..
पंडितजी की बात सुनकर माधवी की आँखों में आंसू आ गए और उसने आगे बढकर उनके पैर छु लिए ..पंडितजी ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी ब्रा को फील लिया और अपने हाथ को वहां रगड़कर उसके मांसल जिस्म का मजा लेने लगे ..
माधवी : रितु ...चल जल्दी से यहाँ आ ..पंडितजी के पैर छु ..इनके आशीर्वाद से अब तुझे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, तू आगे पड़ पाएगी ...
अपनी माँ की बात सुनकर रितु भी आगे आई और उसने झुककर पंडितजी के पैर छुए ..
आज पंडितजी ने पहली बार रितु को गौर से देखा था ..उसके उभार अभी आने शुरू ही हुए थे ..काफी दुबली थी वो ..अपनी माँ से एकदम विपरीत ..पंडितजी ने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके गले से नजरे हटा कर वापिस माधवी के छलकते हुए उरोजों का चक्षु चोदन करने लगे ..
पंडितजी का आशीर्वाद पाकर दोनों उठ खड़े हुए प्रसाद लेकर वापिस चल दिए ..
जाते-2 माधवी रितु को थोडा दूर छोड़कर वापिस आई और पंडितजी से धीरे से बोली : पंडितजी ..इन्होने जो भी आपसे हमारे बारे में बात की है उसके बारे में मैं आपसे विस्तार में बात करने कल दोपहर को आउंगी ..इसी समय ..
इतना कहकर वो चली गयी ..
पंडितजी मन ही मन खुश हो उठे ..पहले शीला और अब ये माधवी ..अगर ये भी मिल जाए तो उनके वारे न्यारे हो जायेंगे ..पर अभी तो उन्हें शीला का सेवन करना था जो अन्दर उनके कमरे में नंगी होकर उनका इन्तजार कर रही थी ..
चुदने के लिए .
पंडितजी वापिस अपने कमरे में आये तो देखा की शीला अभी तक बाथरूम में ही है .
उन्होंने अपने लिंग को धोती में ही मसला और अन्दर जाने के लिए जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो उन्होंने देखा की शीला नहाने के पश्चात अपना बदन पोंछ रही है और उसकी पीठ है उनकी तरफ और वो झुक कर अपनी जांघो और पैरों का पानी साफ़ कर रही है ..
उसकी इस मुद्रा में उभर कर बाहर निकल रही उसकी मोटी गांड बड़ी ही लुभावनी लग रही थी ..और ठीक उसके गुदा द्वार के नीचे उसकी चूत का द्वार भी ऊपर से नीचे की तरफ कटाव में दिख रहे होंठों की तरह दिखाई दे रही थी जिसमे से कुछ तो पानी की बूंदे और कुछ उसके अपने रस की बूंदे निकल कर बाहर आ रही थी ..
इतना उत्तेजित कर देने वाला दृश्य पंडितजी की सहनशक्ति से बाहर था, उन्होंने झट से उसके पीछे झुक कर अपना मुंह दोनों जाँघों के बीच घुसेड दिया ..
शीला अपनी चूत पर हुए इस अचानकिये हमले से घबरा गयी पर पंडितजी की जिव्हा ने जब उसके रस से भरे सागर में डुबकी लगाई तो शीला के तन बदन में आग सी लग गयी ..वो मचल उठी ..और थोडा पीछे की तरफ होकर अपना भार पंडितजी के मुंह के ऊपर डाल दिया ..
''उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडितजी ....क्या करते हो ...बता तो दिया करो ..मेरी फुद्दी को ऐसे हमलों की आदत नहीं है ..''
पंडित : ''अरे शीला रानी ..अब तो ऐसे हमलों की आदत डाल लो ..मुझे हमला करके शिकार करने की ही आदत है ..ऐसे में शिकार को खाने का मजा दुगना हो जाता है ..जैसे अब हो गया है ..देखा तुम्हारी चूत में से कैसे रसीली चाशनी निकल कर मुझे तृप्त कर रही है ..''
पंडित ने अपने पैर आगे की तरफ कर लिए और खुद अपने चुतड गीले फर्श पर टिका कर बैठ गया ..उसने अपने हाथ ऊपर करके शीला के दो विशाल कलश पकड़ लिए और उनके बीच से रिस रहा अमृत अपने मुंह पर गिराकर उसका सेवन करने लगा ..
शीला ने भी अपना पूरा भार पंडित के चेहरे पर गिरा कर अपने आप को पंडितजी के मुंह पर विराजमान करवा लिया ..जैसे पंडित का मुंह नहीं कोई कुर्सी हो ..
पंडित जी की जीभ किसी सर्प की तरह शीला की शहद की डिबिया के अन्दर जाकर उसका पान कर रही थी ..और जब पंडितजी ने उसकी क्लिट को अपने होंठों के मोहपाश में बाँधा तो वो भाव विभोर होकर पंडित जी के मुख का चोदन करने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म्म ....हाँ .....आप कितने निपुण है काम क्रिया में ...अह्ह्ह्ह्ह ऐसा एहसास तो मैंने आज तक नहीं पाया ...अह्ह्ह्ह ....और जोर से चुसो मुझे ...मुझे निगल जाओ ...पंडित ...जॆऎए .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
और कुछ बोलने की हालत में नहीं बची बेचारी शीला ..पंडित ने उसकी क्लिट को अपने होंठों में नीम्बू की तरह से निचोड़ कर उसका रस पी लिया ...
शीला का शरीर कम्पन के साथ झड़ता हुआ उनके चेहरे पर अपना गीलापन उड़ेल कर शिथिल हो गया ..
पंडित जी ने अपने शरीर को नीचे के गीले फर्श पर पूरा बिछा दिया और शीला को घुमा कर अपनी तरफ किया ..और उसकी ताजा चुसी चूत को अपने लंड महाराज के सपुर्द करके उन्होंने एक सरल और तेज झटके के साथ उसके अन्दर प्रवेश कर लिया ..
शीला अभी तक अपने ओर्गास्म से उभर भी नहीं पायी थी की इस नए हमले से उसकी आँखे उबल कर फिर से बाहर आ गयी ..और सामने पाया पंडित जी को ..जो आनंद उसे आज पंडितजी ने दिया था अब उसका बदला उतारने का समय था ..उसने पंडितजी के रस से भीगे होंठो को अपने मुंह में भरा और उन्हें चूसकर अपने ही रस का स्वाद लेने लगी ..
नीचे से पंडित जी ने अपने लंड के धक्को से उसकी मोटी गांड की थिरकन और बड़ा दी ..अब तो उनके हर धक्के से उसका पूरा बदन हिल उठता और उसके स्तन पंडितजी के चेहरे पर पानी के गुब्बारों की तरह टकरा कर उन्हें और तेजी से चोदने का निमंत्रद देते ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह् शीला ....कितना चिकना है तुम्हारा शरीर ...मन तो करता है अपनी पूरी साधना तुम्हारे शरीर को समर्पित करते हुए करूँ .अह्ह्ह्ह्ह ......तुम्हारी फुद्दी को चूसकर मैंने तो आज अमृत को पी लिया हो जैसे ...अह्ह्ह्ह्ह बड़ा ही नशीला है तुम्हारा हर एक अंग ...और खासकर तुम्हारी ये चूचियां ...''
इतना कहकर पंडित ने उसकी चूचियां अपने मुख में डाली और उन्हें जोर-2 से चूसने लगा ..
पंडित जी को अपने शरीर की प्रशंसा करते पाकर वो मन ही मन खुश हो गयी और उसने भी पंडित को अपनी छातियों से नवजात शिशु की तरह से चिपका कर उन्हें अपना स्तनपान करवाने लगी ..और पंडित जी और तेजी से उसकी चूत का मर्दन अपने लिंग से करने लगे ..
गाडी पूरी चरम सीमा पर चल रही थी ..पंडित जी ने अपने रस को आखिरकार उसकी रसीली डिबिया में उड़ेल कर अपने लंड के नीचे लटकी गोटियों का भार थोडा कम किया ..
''अह्ह्ह्ह्ह शीला ......मजा आ गया ...सच में तुम काम की मूरत हो ..तुम जितने दिन तक इन सब से वंचित रही हो मैं उसकी भरपायी करूँगा और तुम्हे हर रोज दुगना मजा दिया करूँगा ...''
शीला पंडितजी की बात सुनकर आनंदित हो उठी और नीचे झुककर उसने पंडित जी के लिंग को अपने मुंह में भरकर पूरी तरह से साफ़ कर दिया ..और फिर दोनों मिलकर नहाए ..
और उसके बाद शीला ने अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से निकल कर जल्दी-2 अपने घर की तरफ चल दी .
और हमेशा की तरह उसे आज भी किसी ने जाते हुए नहीं देखा ..
रात को 9 बजे सभी कार्य से निवृत होकर पंडित जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे , पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई ..
वो समझ गए की गिरधर ही होगा ..ये समय उसके ही आने का होता था ..उन्होंने दरवाजा खोल दिया और गिरधर अन्दर आ गया ..उसकी सब्जी की रेहड़ी बाहर ही खड़ी थी . और हमेशा की तरह उसके हाथ में शराब की बोतल थी और कागज़ के लिफ़ाफ़े में कुछ नमकीन वगेरह ..
आज तो पंडित जी उसकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे ..दोनों अन्दर जाकर बैठ गए और गिरधर ने दो गिलास बनाए ..और दोनों ने पी डाले ..और उसके बाद दूसरा ..और फिर तीसरा ..
हमेशा की तरह गिरधर 2 गिलास पीने के बाद अपनी पत्नी माधवी के बारे में बोलने लगा ..
गिरधर : ''पंडित जी ..आप कितने सुखी हो ..अकेले रहते हो ..कोई टोकने वाला नहीं , घर ग्रहस्ती के बंधन से आजाद हो आप ..और मुझे देखो ..बीबी तो है पर उसका सुख नहीं ..साली ...अपने पास फटकने भी नहीं देती ..बोलती है ..बेटी बड़ी हो गयी है ...शराब पीकर मत आया करो ..अब ये सब शोभा नहीं देता ..अरे पंडित जी ..एक आदमी पूरा दिन कमाई करके जब घर आता है तो उसे दो ही चीज की तमन्ना होती है ..एक दारु और दूसरी, बीबी की चूत ...पर यहाँ तो साली दोनों के लिए मना करती है ..अब आप ही बताओ पंडित जी ..मैं क्या करूँ .''
वो शराब के नशे में बोले जा रहा था और पंडित जी उसकी बातों का मजा लेते हुए सिप भर रहे थे ..
और वो हमेशा ऐसा ही करते थे ..वो सिर्फ उसकी बातें सुनते थे ..अपनी तरफ से कोई राय या सुझाव नहीं देते थे ..पर आज माधवी के साथ हुई मुलाकात को लेकर उन्होंने जो सोचा था उसके लिए गिरधर से बात करना जरुरी था ..
पंडित जी : ''मैं समझ सकता हु गिरधर ..की तुम्हे कितनी तकलीफ होती है ..जब माधवी भाभी तुम्हे अपनी .
चू ... ''
चूत कह्ते पंडित जी रुक गए ..
गिरधर :''हाँ पंडित जी ..साली चूत देने में नखरे करती है ..आपने तो देखा ही है उसको ..कितना भरा हुआ जिस्म है माधवी का ..इतनी बड़ी-2 छातियाँ है ..उन्हें पीने को तरस गया हु पंडित जी ..''
वो शराब के नशे में अपनी पत्नी के बारे में बके जा रहा था ..और पंडित जी का लंड उसकी बाते सुनकर माधवी को सोचकर खड़ा हुए जा रहा था ..
पंडित जी : ''अच्छा सुनो ..मेरे पास एक आईडिया है ..अगर तुम उसपर अमल करो तो तुम्हारी पत्नी तुमसे पहले जैसा प्यार करने लग जायेगी ..''
पंडितजी की बात सुनकर गिरधर की आँखे चमक उठी ..उसका सार नशा रफूचक्कर हो गया ..वो उनके सामने हाथ जोड़कर बैठ गया ..जैसे कोई भक्त निवारण करवाने के लिए आया हो ..
गिरधर :''पंडित जी ...आप अगर ऐसा चमत्कार कर सके तो मैं जिन्दगी भर आपका गुलाम बनकर रहूँगा ..मुझे बताइये क्या करना होगा ..''
पंडितजी मन ही मन मुस्कुराए ..वो जानते थे की उनका शिकार अब बोतल में उतर चूका है और अब वो वही करेगा जो वो चाहते हैं ..
उन्होंने अपनी योजना गिरधर को बतानी शुरू की .
गिरधर के जाने के बाद पंडितजी अपनी किस्मत को सराहते हुए गहरी नींद में सो गए ..
अगले दिन सुबह कार्य से निवृत होकर वो माधवी का इन्तजार करने लगे ..उन्होंने आज सुबह ही कोष में से कुछ रूपए निकाल कर अलग कर लिए थे उसको देने के लिए ..
माधवी ठीक 11 बजे आई ..पंडित जी ने उसको अपने साथ पीछे की तरफ अपने कमरे में आने को कहा ..वो बिना किसी अवरोध के उनके पीछे चल दी, वो भी जानती थी की जो बातें उसे और पंडितजी को करनी है उनके बारे में मोहल्ले के किसी भी व्यक्ति को पता न चले ..इसलिए ऐसी बातें छुप कर करना ही लाभदायक है .
अपने कमरे में जाते ही पंडितजी अपने दीवान पर चोकड़ी मारकर बैठ गए ..माधवी हाथ जोड़े उनके छोटे से कमरे के अन्दर आई और उनके सामने जमीन पर पड़े हुए कालीन के ऊपर पालती मारकर, हाथ जोड़कर बैठ गयी ..
पंडितजी : ''ये लो माधवी ..रितु की पढाई के लिए पैसे ..''
पंडितजी ने सबसे पहले उसे पैसे इसलिए दिए ताकि वो उनकी किसी भी बात का विरोध करने की परिस्थिति में ना रहे ..
माधवी ने हाथ जोड़ कर वो पैसे अपने हाथ में ले लिए और अपने ब्लाउस में ठूस लिए ..
पंडितजी की चोदस निगाहें ऊपर आसन पर उसकी गहराईयों का अवलोकन कर रहे थे ..
माधवी : ''धन्यवाद पंडितजी ..आपका ये एहसान मैं कभी नहीं भुला पाऊँगी ..और मैं वादा करती हु की जल्दी ही ये सारे पैसे मैं वापिस कोष में डालकर अपना बोझ कम कर दूँगी ..''
पंडितजी :'' ठीक है माधवी ..मैं तो बस यही चाहता हु की रितु की पढाई में कोई बाधा ना आये ..''
वो अपने हाथ जोड़कर उनके सामने बैठी रही ..और थोड़ी देर चुप रहने के बाद वो धीरे से बोली : ''और ..और पंडितजी ..आप जो बात कल बोल रहे थे ..वो ..वो ..क्या कह रहे थे हमारे बारे में ..''
पंडित तो काफी देर से इसी बात की प्रतीक्षा में बैठा था की कब माधवी उस बात का जिक्र करेगी .... उसकी बात सुनकर वो धीरे से मुस्कुराए ..
पंडितजी : ''देखो माधवी ..वैसे तो मुझे किसी के ग्रहस्त जीवन में बोलने का कोई हक नहीं है ..पर मैं गिरधर को अपने मित्र की तरह मानता हु ..और वो भी मुझे अपने मित्र की तरह मानकर अपनी परेशानियां मुझे बेझिझक सुना देता है ..अब कल की ही बात ले लो ..रात को आकर मुझे बोल रहा था की तुम उसे अपने जिस्म को हाथ नहीं लगाने देती हो ..और पिछले 1 महीने से तो उसने तुम्हारा चुम्बन भी नहीं लिया ..''
माधवी शर्म से गड़ी जा रही थी पंडितजी के मुंह से अपने बारे में ये सब बातें सुनकर ..
पंडित ने आगे कहा : ''देखो माधवी ..तुम चाहे जो भी कहो, है तो आखिर वो तुम्हारा पति ही न ..और पति-पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्ध उनके साथ रहने में एक अहम् भूमिका निभाते हैं ..हर इंसान चाहता है की उसकी पत्नी मानसिक और शारीरिक रूप से उसे पूरा प्यार दे ..और अगर तुम ये सब नहीं करोगी तो उसका मन भटक जाएगा ..वो बाहर जाकर शारीरिक सुख को पाने का प्रयत्न करेगा ..और ये तुम्हारे संबंधो के लिए हानिकारक हो सकता है ..''
माधवी काफी देर तक पंडितजी की बातें प्रवचन सुनती रही ..और आखिर में वो बोल ही पड़ी : ''पंडितजी ..आपने सिर्फ उनकी बातें ही सुनी है ..और मुझे दोषी बना डाला .. ''
पंडितजी : ''तो बताओ न मुझे ...क्या परेशानी है तुम्हे ..क्यों तुम ऐसा बर्ताव करती हो गिरधर के साथ ..देखो माधवी ..तुम मुझे भी अपना मित्र समझो और मुझे सब कुछ बता दो ..ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी ..इतना तो विशवास कर ही सकती हो तुम मुझपर ..''
कहते-2 पंडित जी ने आगे झुककर माधवी के कंधे पर हाथ रख दिया जैसे वो उसके शरोर को छुकर अपना भरोसा प्रकट करना चाहते हो ..और मौके का फायेदा उठाकर उन्होंने उसके नंगे कंधे के मांसल हिस्से को धीरे-2 सहलाना शुरू कर दिया ..
माधवी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया ,उसकी आँखों में आंसू थे ..: ''पंडित जी ..जिस दिन से इन्हें शराब पीने की लत लगी है, वो अपने आपे में नहीं रहते ..उन्होंने आपको ये तो बता दिया की मैंने एक महीने से उन्हें अपने पास नहीं आने दिया, पर ये नहीं बताया होगा की उन्होंने क्या हरकत की थी जिसकी वजह से मैंने वो सब किया ..
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Baki story bhi collect kaiye please
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(13-10-2021, 08:19 PM)ShaifBD Wrote: Baki story bhi collect kaiye please
sure.will post soon
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गतांक से आगे......................
पंडित जी : नहीं ..मुझे नहीं मालुम ..तुम बताओ मुझे पूरी बात ..
माधवी : पंडित जी ..कहते हुए मुझे काफी शर्म आती है ..पर जब बात यहाँ तक पहुँच ही गयी है तो आपसे मैं कुछ भी नही छुपाऊगी .. ऐसा नहीं है की मेरा मन इन सब चीजों के लिए नहीं करता ..बल्कि मैं तो उनसे ज्यादा तड़पती हु उन सब के लिए ..पहले वो जब भी मेरे साथ प्यार करते थे तो मैं उन्हें हर प्रकार से खुश करने का प्रयत्न करती थी ..जैसा वो कहते थे, वैसा ही करती थी ..वो कहते की अंग्रेजी पिक्चर में जैसे होता है , वैसे करो ..''
पंडितजी ने बीच में टोका : ''अंग्रेजी पिक्चर में ..मतलब ..''
माधवी (शर्माते हुए ) :''वो ...वो अक्सर ...रात को टीवी में अंग्रेजी पिक्चर आती है न ..जिसमे ..जिसमे ..आदमी का ल ..चूसते हुए दिखाया जाता है ...''
वो धीरे से बोली ..
पंडित तो मजे लेने के लिए उससे ये सब पूछ रहा था, वर्ना उस कमीने को सब पता था की रात को केबल वाला ब्लू फिल्म लगाता है , जिसे देखकर वो अपने लंड का पानी कई बार निकाल चुके हैं और गिरधर ने ही उन्हें ये सब बताया था की ब्लू फिल्म देखकर उसने भी कई बार माधवी से अपना लंड चुसवाया है और फिल्म देखने के बाद ही उसे ये पता चला था की गांड भी मारी जाती है ..वर्ना उसे तो बस यही मालुम था की चूत में ही लंड डाला जाता है ..और जब गिरधर ने ब्लू फिल्म में गांड मारने का सीन देखा था , तब से वो माधवी के पीछे पड़ा हुआ था की वो भी उससे गांड मरवाए ..पर वो हमेशा मना कर देती थी ..
माधवी ने आगे बोलना शुरू किया : ''पिछले महीने एक रात जब वो पीकर घर आये तो उन्होंने ..उन्होंने ...रितु को अपने कमरे में बुलाया ..मैं किचन में थी ..काफी देर तक जब रितु वापिस नहीं आई तो मैं उसे देखने के लिए जैसे ही कमरे में गयी तो मेरे होश ही उड़ गए ...इन्होने रितु को अपने सीने से लगाया हुआ था ..और ..और ..उसे ..चूम रहे थे ..''
पंडित जी ने जब ये सब सुना तो उनके रोंगटे खड़े हो गए ..इस बारे में तो गिरधर ने आज तक नहीं बताया था ..साला हरामी ..
माधवी : ''मैंने बड़ी मुश्किल से रितु को इनके चुंगल से छुडाया ...वो बेचारी घबराई हुई सी ..भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और मैंने उन्हें जी भरकर गालियाँ निकाली ..पर वो तो नशे में चूर थे ..मेरी बातों का कोई असर नहीं हुआ उनपर ..इसलिए मैंने निश्चय कर लिया की उन्हें सबक सिखा कर रहूंगी ..जब तक वो अपने किये की माफ़ी नहीं मांग लेते और शराब नहीं छोड़ देते,वो मेरे जिस्म को हाथ नहीं लगा सकते ..पंडितजी ..एक बार तो मेरा मन किया की इनसे तलाक ले लू ..पर हम गरीब लोग हैं ..तलाक लेकर हम लोगो का गुजारा नहीं है ..और ना ही अब वो उम्र रह गयी है की आगे के लिए हमें कोई और जीवनसाथी मिल पाए ..इसलिए मन मारकर मुझे रोज उनकी बातें सुननी पड़ती हैं ..''
माधवी की बातें सुनकर पंडितजी का लंड खड़ा हो चूका था ..वो तो बस यही सोचे जा रहे थे की कैसे गिरधर ने अपनी कमसिन बेटी रितु के गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठों को चूसा होगा ..
रितु के बारे में सोचते ही उनके मन में एक और विचार आया ..
पंडित : ''देखो माधवी ..जो कुछ भी गिरधर ने किया है वो बेहद शर्मनाक है ..पर हो सकता है की तुम्हारे द्वारा दुत्कारे जाने के बाद ही उसके मन में ऐसे विचार आये हो अपनी ही बेटी के लिए ..तुम उसे प्यार से समझा कर शराब छुडवाने की बात करो ..और रही बात रितु की तो तुम उसकी चिंता मत करो, मैं भी गिरधर को समझा दूंगा की अपनी ही बेटी के बारे में ऐसा सोचना पाप है ..तुम बस उसकी पढाई की चिंता करो ..और उसे जितना ज्यादा हो सके पढाई करवाओ ..अगर चाहो तो उसकी टयूशन भी लगवा दो ..''
माधवी : ''पर पंडितजी ..इतने पैसे नहीं है अभी की अलग से टयूशन लगवा सकू उसकी ..''
पंडितजी : ''तुम एक काम करो ..तुम रितु को रोज 2 बजे यहाँ मेरे पास भेज देना ..''
माधवी (आश्चर्य से) : ''आपके पास ..मतलब ..''
पंडितजी : ''अरे मेरी पूरी बात तो सुन लो ..हमारे ही मोहल्ले में वो शर्मा जी की विधवा बेटी है न शीला ..वो अपना खाली समय काटने के लिए आती करती रहती है ..मैंने कई बार उसे सुझाव दिया की अपने मोहल्ले के बच्चो को टयूशन पड़ा दिया करे पर बेचारी का घर इतना छोटा है की वहां कोई जाने से भी कतरायेगा ..वो रोज दोपहर को यहाँ आती है, रितु भी आकर यहीं पढ़ लिया करेगी ..मुझे विशवास है की वो रितु से पैसे नहीं लेगी ..उसका भी मन बहल जाएगा और थोडा आत्मविश्वास आने के बाद वो दुसरे बच्चो को भी पढ़ा सकेगी ..''
______________________________ पंडितजी ने अपनी तरफ से भरस्कर प्रयत्न किया था उसे समझाने के लिए ..इसलिए माधवी ने उनकी बात ख़ुशी-2 मान ली ..
माधवी : पंडित जी ..आप तो मेरे लिए साक्षात् अवतार है ..मेरी सारी चिंताएं दूर हो गयी अब ..''
पंडित : ''सारी चिंताए तो तब दूर होंगी जब तुम्हारे और गिरधर के बीच में पहले जैसा प्यार फिर से होगा ..और अगर तुम चाहो तो सब पहले जैसा हो सकता है ..''
माधवी उनकी बाते सुनती रही ..वो उन्हें मना नहीं कर सकती थी ..पंडितजी ने पहले रितु की कॉलेज की फीस देकर और बाद में उसकी टयूशन का प्रबंध करके उसके ऊपर काफी बोझ डाल दिया था ..
माधवी : ''आप बताइए पंडितजी ..मैं क्या करू ..ताकि हमारे बीच सब पहले जैसा हो जाए ..''
पंडित जी :'' तुम मुझे पहले तो ये बताओ की तुम्हे शारीरिक क्रियाओं में क्या सबसे अच्छा लगता है ..''
पंडितजी के मुंह से ऐसी बात सुनकर माधवी का मुंह खुला का खुला रह गया ..
पंडितजी :'' देखो माधवी ..मुझे गलत मत समझो ..मैं तो सिर्फ तुम्हारी सहायता करने का प्रयत्न कर रहा हु ..मैंने पोराणिक कामसूत्र का भी अध्ययन किया है ..और मुझे इन सब बातों का पूरा ज्ञान है की किस क्रिया को स्त्री और पुरुष अपने जीवन में प्रयोग करके उसका आनंद उठा सकते हैं ..''
पंडितजी की ज्ञान से भरी बातें सुनकर माधवी अवाक रह गयी ..उसे तो आज ज्ञात हुआ की पंडितजी कितने "ज्ञानी" हैं ..
उसने भी मन ही मन निश्चय कर लिया की अब वो पंडितजी की सहायता से अपने बिखरे हुए दांपत्य जीवन को बटोरने का प्रयास करेगी ..
माधवी का चेहरा देखकर धूर्त पंडित को ये तो पता चल ही गया था की वो मन ही मन पंडितजी को सब कुछ बताने के लिए निश्चय कर रही है पर खुलकर बोल नहीं पा रही है ..पंडितजी की पेनी नजरें उसकी छातियों पर जमी हुई थी जिसके बीच की गहरी घाटी में देखकर वो अपना मन बहला रहे थे ..
पंडितजी ने उसे ज्यादा सोचते हुए कहा : "देखो ..माधवी ..तुम अपनी इस समस्या को बीमारी की तरह समझो और मुझे डॉक्टर की तरह , मुझे सब बताओगी तभी तो मैं उसका निवारण कर सकूँगा ..तुम निश्चिंत होकर मुझपर भरोसा कर सकती हो ..जो भी बात हमारे बीच होगी उसका किसी और को पता नहीं चलेगा ..यहाँ तक की गिरधर को भी नहीं .."
माधवी अभी भी गहरी सोच में थी ..इसलिए पंडित ने दुसरे तरीके से माधवी के मन की बात निकलवाने की सोची
पंडित : "अच्छा मुझे ये बताओ ..जब गिरधर तुम्हारा चुबन लेता है ..तो तुम्हे कैसा लगता है ..??"
माधवी ने अपना चेहरा नीचे कर लिया ..वो शर्म के मारे लाल सुर्ख हो चूका था ..
माधवी (धीरे से) : "जी ..जी ..अच्छा ही लगता है .."
पंडित ने अपने पैर नीचे लटका लिए और अपने घुटनों के ऊपर अपनी बाजुए रखकर थोडा आगे होकर बोल : "कहाँ चूमने पर सबसे ज्यादा आनंद आता है .."
माधवी कुछ न बोली ...
पंडित : "तुम्हारे होंठों पर ..या गर्दन पर ..या फिर ..!!!!!"
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..माधवी ने तेज सांस लेते हुए अपना चेहरा ऊपर किया, उसकी आँखों में लाल डोरे तेर रहे थे ..
पंडित : "या फिर ...तुम्हारे स्तनों पर .."
पंडित ने स्तन शब्द पर जोर दिया ..और उसकी छाती की तरफ इशारा भी किया ..
माधवी की साँसे रेलगाड़ी के इंजन जैसी चलने लगी ..पंडित जी को पता चल गया की उन्होंने सही जगह पर चोट मारी है ..
माधवी ने सर हाँ में हिलाया और अपना चेहरा फिर से नीचे कर लिया ..
पंडित : "और क्या गिरधर ने कभी कल्पउर्जा क्रिया का प्रयोग किया है तुम्हारे स्तनों पर .."
माधवी : "ये ..ये क्या होता है .."
पंडित : "ये एक ऐसी क्रिया है जिसमे स्त्री को खुश करने के लिए पुरुष उसके उन अंगो पर विशेष ध्यान लगाता है जिसमे उसे सबसे ज्यादा आनंद प्राप्त होता है ..और ये क्रिया स्त्री और पुरुष एक दुसरे पर कर सकते हैं .."
माधवी :"अच्छा ..ऐसा भी होता है ..पर ना ही कभी इन्होने और ना ही कभी मैंने ऐसा कुछ किया है .."
पंडित : "तुमने जब भी गिरधर के लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसा है ..वो इसी क्रिया का रूप है .."
लंड चूसने वाली बात सुनकर माधवी फिर से शर्मा गयी ..
पंडित : "तभी मैंने पुछा था की तुम्हारे तुम्हे किस अंग पर चुबन लेने से तुम्हे सबसे ज्यादा आनद प्राप्त होता है .."
माधवी उसकी बाते सुनती रही ..आखिर पंडित अपनी बात पर आया ..
पंडित : "अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे ये कल्पउर्जा क्रिया सिखा सकता हु ..जिसका प्रयोग करके तुम फिर से अपने जीवन में खो चुके प्यार को पा सकती हो .."
माधवी : "पर पंडित जी ...वो गिरधर को जो सबक सिखाना था वो .."
पंडित : "देखो माधवी ..मैंने पहले ही तुम्हे कह दिया है की तुम उसकी चिंता मत करो, अगर तुम चाहोगी तो मेरे कहने पर वो तुमसे माफ़ी भी मांग लेगा, शराब भी छोड़ देगा और सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचेगा ..हमारे पुराणिक कोक शास्त्र और कामसूत्र की पुस्तकों में ऐसी सभी समस्याओं का निवारण है ..."
माधवी : "ठीक है पंडित जी ..आप बताइए मुझे क्या करना होगा .."
पंडित : "मैं तुम्हे वो क्रिया सिखाऊंगा ..जिसका प्रयोग करके तुम अपने दांपत्य जीवन में फिर से खुशहाली पा सकोगी .."
माधवी : "ठीक है पंडित जी ..मैं तैयार हु .."
माधवी के आत्मविश्वास से भरे चेहरे को देखकर पंडित जी का लंड खड़ा हो गया ..
पंडित : "तो जैसा मैंने कहा था की कल्पउर्जा क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिसमे स्त्री या पुरुष अपने साथी को उत्तेजना के उस शिखर पर ले जा सकता है जहाँ पर वो आज तक कभी नहीं गया होगा .. अगर तुमने निश्चय कर ही लिया है तो तुम्हे मुझे अपने शरीर के उस अंग यानी तुम्हारे स्तनों पर वो क्रिया करने की अनुमति देनी होगी ..बोलो तैयार हो .."
माधवी पंडित की बात सुनकर फिर से शरम से गड़ती चली गयी ..
पंडित : "तुम ऐसा करो ...अपनी साड़ी उतार कर खड़ी हो जाओ और अपना ये ब्लाउस भी उतार दो .."
माधवी कुछ देर तक सोचती रही ..पर पंडितजी की बातें और उनके उपकार याद करके उसने अपनी आँखे बंद की और दूसरी तरफ चेहरा करके खड़ी हो गयी और अपनी साडी उतारने लगी ..
पंडित : "ये क्या कर रही हो ..तुम ऐसे शरमाओगी तो कुछ भी नहीं सीख पाओगी ..मेरी तरफ मुंह करो और ऊपर से निर्वस्त्र हो जाओ .."
माधवी गहरी सांस लेती हुई पंडितजी की तरफ घूमी और अपनी साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया ..
पंडितजी भी ठरकी सेठ की तरह पालती मारकर उसका शो देखने लगे ..जैसे किसी कोठे पर आये हो ..
साडी का पल्लू गिरते ही माधवी की छातियाँ ब्लाउस में फंसी हुई उसके सामने उजागर हो गयी ..
ब्लाउस के अन्दर ब्रा और उसके नीचे नंगी चुचियों पर लगे मोटे निप्पल पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रहे थे ..
माधवी ने धीरे-2 अपने हुक खोलने शुरू किये ..जैसे-2 हुक खुलते जा रहे थे उसकी छातियाँ अपने अकार में आकर बाहर की तरफ उछलने की तेयारी कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसने आखिरी हुक खोला , उसके ब्लाउस के दोनों पाट बिदक कर दांये और बाएं कंधे से जा टकराए
माधवी की नजरे अभी तक नीचे ही थी ..
पंडित : "माधवी ...मेरी तरफ देखो ..और फिर खोलो अपने अंग वस्त्र को ..वर्ना तुम्हारे अन्दर की शरम तुम्हे आगे नहीं बड़ने देगी .."
माधवी ने अपना चेहरा ऊपर किया ..और पंडितजी की वासना से भरी आँखों में अपनी नशीली आँखों को डालकर अपने ब्लाउस के दोनों किनारों को पकड़ा और एक मादक अंगडाई लेते हुए अपने ब्लाउस को उतार फेंका ..
अब माधवी सिर्फ अपनी ब्लेक ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी ..
पंडित जी ने अपनी धोती में खड़े हुए सांप को सहला कर नीचे की तरफ दबा दिया ..
माधवी ने पंडित की आँखों में देखते हुए अपने हाथ पीछे किये और अपनी ब्रा के हुक खोल दिए ..और ब्लाउस की तरह ही ब्रा भी छिटक कर उसके जिस्म से अलग हो गयी ..माधवी ने अपनी ब्रा के कप के ऊपर अगर हाथ न लगाए होते तो शायद वो ब्रा पंडित के मुंह पर आकर गिरती ..
पंडित : "कितना जुल्म करती हो तुम अपनी छातियों को इतनी छोटी सी ब्रा में कैद करके .."
पंडित की बात सुनकर माधवी के चेहरे पर थोड़ी हंसी आई ..
पंडित : "नीचे गिराओ इस बाधा को ..और देखने दो मुझे अपने सुन्दर उरोजों को ..."
माधवी ने धड़कते हुए दिल से अपने हाथ हटा लिए और उसकी ब्रा सूखे हुए पत्ते की तरह नीचे की तरफ लहरा गयी ..
उफ्फ्फ्फ़ ...क्या नजारा था ..इतनी बड़ी और कसी हुई छातियाँ पंडित ने आज तक नहीं देखि थी ..
शीला से भी बड़ी थी वो ..अपने दोनों हाथ लगाने पड़ेंगे पंडित को ..लगभग 44 का साईस होगा ..पंडित ने मन ही मन सोचा ..
और उसपर लगे हुए बेर जैसे निप्पल ..काले रंग के ..और उनके चारों तरफ दो इंच का घेरा ..कितना उत्तेजित कर देने वाला दृश्य था ...
पंडित जी अब उठ खड़े हुए ..और माधवी के बिलकुल पास आकर खड़े हो गए ..
माधवी पंडित जी के कंधे तक आ रही थी ..पंडित जी ने आँखे नीचे करके उसके मोटे-2 चुचे देखे तो उनसे सब्र नहीं हुआ और उन्होंने हाथ उठा कर अपने दोनों हाथ उसके कलशों पर रख दिए ..
माधवी सिसक उठी ....
स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म ..
पंडित : "माधवी ..मैं सुन्दरता की प्रशंसा करने वाला व्यक्ति हु ..और मैं तुमसे बस यही कहना चाहता हु की मैंने अपने जीवन में ऐसे सुन्दर स्तन आज तक नहीं देखे .."
बेचारी माधवी की हिम्मत नहीं हुई की पंडित से पूछ ले की और कितने स्तन देखे हैं उन्होंने ...
पंडितजी के हाथ की उँगलियाँ सिमटी और उन्होंने माधवी के मोटे निप्पलस को अपनी चपेट में लेकर धीरे से मसल दिया ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह ....
माधवी की आँखे बंद हो गयी, सर पीछे की तरफ गिर गया ..और मुंह से मादक आवाज निकल पड़ी ..
पंडित के सामने माधवी आधी नंगी होकर अपना सब कुछ दिखाने को तैयार खड़ी थी ..पर उन्हें पता था की सब कुछ धीरे-2 और मर्यादा में रहकर करना होगा, जैसा शीला के साथ किया था उन्होंने .
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पंडित की उँगलियाँ माधवी के मुम्मो पर संगीत बजा रही थी ..माधवी भी अपनी आँखे बंद करके उस संगीत का मजा ले रही थी ..उसे क्या मालुम था की जिस मजे के लिए वो इतने दिनों से तड़प रही है उसका इलाज पंडित जी के पास है ..
पंडित : माधवी ..अब मैं वो क्रिया शुरू करने जा रहा हु ..
माधवी : जी पंडित जी ..
पंडित ने कोने में पड़ी हुई दूध से भरी कटोरी उठायी और उसमे अपनी उंगलियां डुबोकर माधवी के स्तनों के ऊपर छींटे मारकर धोने लगा ..ऐसा लग रहा था की किसी हिम शिखर पर दूध की बारिश हो रही है ..दूध की बूंदे थिरक-2 कर मोटे चुचों से नीचे गिर रही थी ..पंडित का तो मन कर रहा था की नीचे मुंह लगाकर वो सारा अमृत पी ले ..पर वो शुरुवात में ही अपना "वासना" से भरा चेहरा दिखाकर अपने "भक्त" को डराना नहीं चाहता था .
दूध की बूंदे नीचे माधवी के पेटीकोट और पैरों पर गिर रही थी ..पंडित ने फिर शहद की शीशी उठायी और उसमे अपनी एक ऊँगली डुबोकर ढेर सार शहद बाहर निकाला और उसे माधवी के दांये निप्पल के ऊपर रगड़ दिया ..और फिर से और शहद निकाल कर दुसरे पर भी रगड़ दिया ..
अब पंडित अपने दोनों हाथों की ऊँगली और अंगूठे से उसके दोनों दानो की मालिश करने लगा ..दूध की महक के ऊपर शहद का मीठापन लगकर माधवी के नशीले उरोजों को और भी मदहोश बना रहा था ..उसके छोटे-2 भरवां निप्पल पंडित की कठोर उँगलियों के बीच पीसकर चकनाचूर हुए जा रहे थे ..और पंडित उन्हें ऐसे निचोड़ रहा था मानो निम्बू के अन्दर का रस निकाल रहा हो ..
माधवी के शरीर का वो वीक पॉइंट थे ..इसलिए वो तो अपनी सुध बुध खोकर पंडित को बिना कोई रोक टोक के सब कुछ करने दे रही थी ..
पंडित : "माधवी ..अब तुम यहाँ आकर लेट जाओ .."
पंडित ने उसे अपने बेड के ऊपर लेटने को कहा ..वो बिना कुछ कहे वहां जाकर लेट गयी ..
उसकी बड़ी-2 चूचियां दोनों तरफ ढलक गयी पर उसकी चोंचे ऊपर की तरफ ही तनी रही ..
पंडित ने अब सरसों के तेल की शीशी उठायी और अपनी हथेली पर ढेर सारा तेल निकाल कर अपने दोनों हाथों पर मला और उसने तेल से भीगे हाथ उसके कलशों पर रख दिए ...
पंडित के गर्म हाथ का सेंक पाकर माधवी फिर से सिसक उठी ...
"अह्ह्ह्ह्ह ..........."
उसने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया ...और उसकी छातियाँ थोड़ी और ऊपर निकल कर गुब्बारे की तरह ऊपर की तरफ उछली .
पंडित : "माधवी ...एक बात पुछु ...?"
माधवी ने बिना आँखे खोले कहा : "जी पंडित जी ..पूछिए ....."
पंडित : "तुमने गिरधर को सजा देने के लिए अपने साथ भी कितनी नाइंसाफी की है ..वो तो बेचारा शराब पीकर अपना गम छुपा लेता है ..पर तुम क्यों अपने शरीर के साथ ऐसा सलूक कर रही हो ....."
माधवी कुछ ना बोली ..
पंडित : "तुम एक काम करो ..गिरधर को एक मौका दो ..उसे अब तुम्हारे प्यार और शरीर की एहमियत का ज्ञान हो चूका है ..तुम क्यों नहीं सब कुछ पहले जैसा कर लेती ..."
माधवी : "पर वो जिस तरह की हरकतें करते हैं ..यानी, शराब पीना , सिर्फ अपनी संतुष्टि का ध्यान रखना ..और अपनी बातें मनवाना ..उनका क्या ....."
पंडित : "उसके लिए मैं गिरधर को समझा दूंगा .."
पंडित अपने दोनों हाथों में माधवी के तरबूजों को बुरी तरह मसल कर उनका रस निकाल रहा था ..
पंडित ने जब पूरा तेल घिसाई कर करके सुखा दिया, तब तक माधवी की हालत बुरी हो चुकी थी ..पर उसने अपने दोनों हाथों से बिस्तर की चादर को पकड़ कर अपनी उत्तेजना पर रोक लगायी हुई थी ..
पंडित : "देखा ..इस क्रिया से मैंने तुम्हारे स्तनों की कितनी सेवा की है ..इस क्रिया के बाद अगर गिरधर तुम्हे भोगना चाहे तो तुम बिना किसी विलम्ब के उसके लिंग को अपने अन्दर समां लोगी ...है ना .."
पंडित जानता था की अगर वो चाहे तो इसी वक़्त माधवी की चूत के ऊपर हाथ लगाकर उसे मोम की तरह पिघाल सकता है ..पर वो उसे थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही अभी ..वो चाहता था की माधवी खुद अपने मुंह से उसके लंड को लेने के लिए कहे और इसके लिए उसे थोड़े दिन इन्तजार करना होगा और उसे अच्छी तरह से तडपाना होगा ..
माधवी ने आँखे खोलकर अपने सोने की तरह चमकते हुए मुम्मों को देखा तो वो भी उनकी सुन्दरता की चमक देखकर हेरान रह गयी ...वो गोल्डन कलर के किसी बड़े गुब्बारे जैसे लग रहे थे जिनपर हीरे के सामान छोटे-2 निप्पल चमककर उनकी शोभा बड़ा रहे थे ..
पंडित : "और कभी गिरधर ने इन सुन्दर स्तनों का पान भी किया है .."
माधवी ये बात सुनकर फिर से तेज साँसे लेने लगी ...
पंडित : "इन्हें पीने की भी एक कला होती है ..रुको ..मैं दिखाता हु .."
माधवी के कुछ बोलने से पहले ही पंडित ने नीचे झुककर अपना मुंह उसकी दांयी छाती पर लगाया और किसी बालक की तरह से उसके बड़े से चुचुक को अपने होंठों के बीच फंसा कर एक जोरदार चुप्पा मारा ...
पुच्च्च्च्छ्ह्ह्ह ......की आवाज के साथ उसने निप्पल को बाहर निकाल दिया ..
दूध, शहद और तेल का मिला जुला स्वाद उसके मुंह में आया ..
माधवी कीचूत में से अविरल जल की धार निकल कर पेटीकोट के साथ-2 पंडित के बिस्तर पर भी अपने निशाँ छोड़ने लगी ..
पंडित ने दोनों तरबूजों को अपने हाथों में भरा और एक-2 करके कभी दांये और कभी बाएं को अपने मुंह में डालकर उनका सेवन करने लगा ..निप्पल को तो वो ऐसे चूस रहा था मानो उनमे से दूध निकल कर उसके मुंह में जा रहा हो ..
माधवी से अब रहा नहीं गया ..उसने पंडित के सर के पीछे हाथ रखकर अपनी छातियों पर जोर से दबा दिया ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी .....म्मम्मम्म ....
माधवी के हाथ में पंडित जी की लम्बी चुटिया आ गयी जिसे उसने अपनी उँगलियों में फंसाया और उसे स्टेरिंग की तरह घुमा-घुमाकर पंडित के सर को अपनी इच्छा के अनुसार ऊपर-नीचे, दांये बाएं करने लगी ..
पंडित भी अपनी कुत्ते जैसी जीभ बाहर निकाले उसके गुब्बारों पर अपनी लार का गीलापान छोड़ रहे थे ..
पंडित का खड़ा हुआ लंड माधवी की जांघ से टकरा रहा था ..उसके अकार और कठोरता को महसूस करते ही माधवी ने एक दबी हुई सी चीत्कार मारी और उसकी योनि से ढेर सारा गाड़ा रस निकल कर बाहर आ गया ...
ऐसी सन्तुष्टि उसे बरसों के बाद हुई थी ..
पंडित समझ गया की माधवी झड चुकी है ...
पंडित : "अब तुम घर जाओ ..और रात का इन्तजार करो ...कल फिर से आना , इसी समय ..जाओ .."
माधवी ने सोचा था की पंडित अभी उसके शरीर के साथ कुछ और प्रयोग करेगा ..पर उसके कहने पर वो बिना कोई सवाल करे उठी और अपने कपडे पहन कर बाहर की तरफ निकल गयी ..
पंडित का लंड स्टील जैसा हुआ पड़ा था ..थोड़ी देर के इन्तजार के बाद जब शीला पीछे के रास्ते से अन्दर आई तो पंडित ने उसे किसी भेडिये की तरह से दबोचा और अपने बिस्तर पर गिराकर उसे बेतहाशा चूमने लगा ..
और चुमते उसे पूरा नंगा कर दिया ..पंडित ने सिर्फ लुंगी पहनी हुई थी ..वो एक ही झटके में उसने गिरा दी ..
शीला : "अह्ह्ह्ह ...पंडित जी ...इतनी अधीरता क्यों ..."
पंडित : "आज सुबह से ही तेरे बारे में सोच-सोचकर मैं पागल हुआ जा रहा हु शीला .."
और उसने शीला की दोनों टांगों को हवा में उठाया और अपना मुंह बीच में डालकर वहां से बह रही मीठे जल की झील में से पानी पीने लगा ..
वो मदहोश सी हो उठी ..पंडित ने उसकी चूत के होंठों को मुंह में लेकर उन्हें जोरों से चूसना शुरू कर दिया ...तभी वो कुछ महसूस करके पंडित जी से बोली : "ये मेरी पीठ के नीचे गीला-2 क्या है .."
उसकी पीठ के नीचे वो हिस्सा था जहाँ माधवी की चूत से निकला रस गिरा था ..और काफी रसीला गीलापन छोड़ गयी थी वो वहां ..
पंडित समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला : "मैंने कहा ना की आज सुबह से ही तुम्हारे बारे में सोच रहा था, बस मेरे लंड का ही पानी है जो मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए निकाल था अभी ..."
शीला : "ये क्या ..आपने मेरी प्रतीक्षा तो की होती ..मैं ही आकर अपने मुंह में लेकर आपको संतुष्टि दे देती ..ये सब खराब तो ना होता .."
और फिर वो पलटी और ओन्धि होकर वहां गिरे हुए माधवी के रस वाले हिस्से को चूसने लगी ...रस इतना अधिक था की चादर को मुंह में लेने से सारा मीठापन निकल कर शीला के मुंह में जाने लगा ..
पंडित ने जब उसे माधवी का रस पीते हुए देखा तो उसके मन में एक विचार आया की क्यों ना शीला और माधवी को एक साथ अपने कमरे में लाकर चोदा जाए ..पर इसके लिए थोडा वेट करना होगा ..
पंडित की आँखों के सामने शीला की उठी हुई गांड थी, उसने अपने लंड के ऊपर थूक लगाई और शीला की गांड के छेद पर अपने लंड को टिका कर एक जोरदार झटका मारा ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....
शीला का मुंह और भी अन्दर घुस गया ...पंडित का लंड एक ही वार में अपने मुकाम तक जा चुका था ..
और फिर पंडित ने अपने झटकों से शीला की चीखें निकलवा दी ..
"अह्ह्ह्ह्ह .....उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी ....कितना लम्बा लंड है आपका ...कितना सकूँ मिलता है।।।। अह्ह्ह्ह ....और तेज मारिये ....आअह्ह्ह्ह ....अह्ह्ह्ह्ह ...हाँ ऐसे ही ...पंडित जी .....उम्म्म्म्म ...अह्ह्ह्ह .... "
पंडित का लंड तो काफी देर से तैयार था ..उसने अगले 5 मिनट के झटकों से अपने लंड के पानी को बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया ...
और शीला भी माधवी के रस को चाटते हुए ,पंडित के लंड को लेकर दो बार झड गयी ..
अंत में उसने लंड को निकाल और शीला के मुंह के सामने कर दिया ...शीला ने उसे सम्मान के साथ अपने मुंह में डाला और उसे पूरा साफ़ करके पंडित जी के साथ ही उनके बिस्तर पर लेट गयी ..
शीला : "पंडित जी ..आज तो आपने मुझे थका ही डाला ..कितने उत्तेजित हो गए थे आज तो आप, जैसे मुझे चोदने की ही प्रतिक्षा कर रहे थे सुबह से .."
पंडित : "ऐसा ही समझ लो .."
पंडित ने आँखे बंद कर ली और शीला के साथ नंगे होकर आराम से सो गया ...
एक घंटे बाद उनकी आँख खुली ...शाम के 5 बज रहे थे ...शीला ने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के रास्ते से बाहर निकल गयी ..
पंडित ने भी अपने शाम के कार्य निपटाए और रात को गिरधर के आने की प्रतीक्षा करने लगा ...
आज गिरधर से उसे काफी बातें जो करनी थी ..
रात के करीब 9 बजे गिरधर पीछे के दरवाजे पर आया, और रोज की तरह उसके हाथ में अधा था, और दुसरे हाथ में प्याज के पकोड़े ..
पंडित ने उसे अन्दर बुलाया और दोनों आराम से नीचे चटाई पर बैठ कर पीने लगे ..
आज पंडित जी का ध्यान पीने से ज्यादा बातों पर था।
पंडित : "और सुनाओ गिरधर ..जैसा मैंने कहा था उसके अनुसार तुमने किया के नहीं .."
गिरधर : "पंडित जी ..आपके कहे अनुसार मैंने बड़े ही प्यार से जाकर माधवी को कल दुबारा समझाया पर उसका गुस्सा अभी तक उतरा नहीं है ..वो मेरी शराब पीने वाली बात को लेकर रोज हल्ला करती है .."
पंडित को गिरधर अभी तक रितु वाली बात नहीं बता रहा था ..
पंडित : "मुझे लगता है बात कुछ और है .."
पंडित की बात सुनकर गिरधर चोंक गया, जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो ..
गिरधर : "कोई ..और बात ...मतलब ..??"
पंडित : "देखो गिरधर ..मुझे तुम कोई आम इंसान मत समझो ..मैं इंसान का चेहरा देखकर उसके अन्दर का हाल जान लेता हु ..मेरी विद्या का तुम्हे ज्ञान नहीं है अभी .."
गिरधर का मुंह खुला का खुला रह गया पंडित जी की बात सुनकर ..वो शायद ये सोच रहा था की पंडित जी को सच्ची बात बताये या नहीं ..
पंडित : "तुम्हारे चेहरे पर लिखा है की तुम अपनी पत्नी के अलावा किसी और को भी अपनी वासना से भरी नजरों से देखते हो .."
गिरधर (हकलाते हुए ) : "किस ....किसे ......?"
पंडित : "रितु को .."
गिरधर के हाथ का गिलास नीचे गीरते -2 बचा ...अब वो पकड़ा जा चुका था ..
पंडित : "देखो गिरधर ..मुझसे कोई भी बात छुपाने का कोई फायेदा नहीं है ..तुम मुझे सारी बात बता दो तभी मैं तुम्हारी मदद कर पाऊंगा ..और तुम अपनी प्यास फिर चाहे किसी के साथ भी बुझा सकते हो .."
पंडित जी का इशारा शायद रितु की तरफ था ..गिरधर को पता चल गया था की अब वो फंस चूका है , ये पंडित जी तो "अन्तर्यामी" है ..इनसे कोई भी बात छुपाना हानिकारक होगा ..इसलिए उसने कबुल कर ही लिया ..
गिरधर : "पंडित जी ..मुझे माफ़ कर दो ..मैंने आपको पूरी बात नहीं बतायी ..दरअसल ..माधवी ने जब से मुझे दुत्कारना शुरू किया है मेरी नजरें हमेशा अपनी बेटी रितु के ऊपर चली जाती है ..वो हमेशा मेरा ध्यान रखती है ..जब भी माधवी और मेरे बीच में झगडा होता है तो वही मेरे लिए खाना बनाती है, मैं जब शराब पीता हु तो मुझे गिलास और पानी लाकर देती है ..और साथ ही खाने के लिए कुछ भी बनाकर लाती है ..और जब वो ये सब काम कर रही होती है तो मेरी नजरें हमेशा उसकी ..उसकी ..उभर रही छातियों के ऊपर रहती है ..जब वो झुकती है तो उसके दानों को देखने की ललक रहती है ..और जब वो चल कर जाती है तो उसकी मांसल गांड को देखकर मैं कितनी बार अपने लंड को मसल देता हु ..और एक दिन जब माधवी किचन में थी तो रितु मेरे लिए कुछ खाने के लिए लायी, मैंने उसे अपने पास बिठा लिया और उससे बातें करने लगा .."
पंडित जी : "कहाँ बिठाया था तुमने .."
गिरधर : "दरअसल ..मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था ..मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया ..और उसकी कमर को पकड़कर मसलने लगा ..उसका चेहरा बिलकुल मेरे चेहरे के पास था ..वो अपने कॉलेज की बातें मुझे बताने लगी ..उसके गुलाबी रंग के होंठ जब हिलते हुए मुझे वो सब बातें सुना रहे थे तो मुझसे रहा नहीं गया ..और मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों पर जोर से किस्स कर दी ..
पंडित : "तुमने जब उसे चूमा तो उसने कोई विरोध नहीं किया ..वो चिल्लाई नहीं क्या ..? "
गिरधर : "नहीं ..शायद वो डर गयी थी ..या शायद उसका मुंह मेरे मुंह में होने की वजह से वो चीख नहीं पा रही थी ..पर उसकी साँसे काफी तेज हो गयी थी ..मैंने अपना दांया हाथ उसकी छातियों के ऊपर लगा कर उसके निम्बू जैसे छोटे -2 स्तन जी भर कर दबाये ..उसके होंठों का रस पीने में इतना मजा आ रहा था जितना मुझे आज तक शराब पीने में भी नहीं आया ..उसकी चूत वाले हिस्से से गर्म हवा के झोंके निकल रहे थे ..मैंने अपना हाथ वहां भी लगाना चाहां पर तभी माधवी वहां आ गयी और उसने सारा काम बिगाड़ दिया ..चिल्ला-2 कर पूरा घर सर पर उठा लिया ..रितु को वहां से ले गयी , मैंने भी उसके मुंह लगना उचित नहीं समझा और पूरी बोतल पीकर सो गया ..बस तभी से माधवी ने मुझे अपने पास नहीं आने दिया .."
पंडित जी का लंड रितु वाले किस्से को सुनकर हिनहिनाने लगा ..
पंडित : "देखो गिरधर ..तुमने जो भी माधवी की नजरों के सामने किया वो गलत था ..पर मेरे हिसाब से तुम भी अपनी जगह सही हो ..वो अगर तुम्हे अपनी चूत नहीं देगी तो तुमने कहीं न कहीं मुंह तो मारना ही है ना ..और जब घर पर ही जवान लड़की हो तो बाहर क्यों जाना ..ठीक है ना .."
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गतांक से आगे ......................
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गिरधर पंडित की बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया और उनकी बातें सुनता रहा ..
पंडित आगे बोला : "देखो गिरधर , मेरी बातों को ध्यान से सुनो ..मैं सिर्फ यही चाहता हु की तुम्हारे घर पर कोई लडाई झगडा ना हो ..मैंने आज माधवी को भी यही बात समझाई थी ...अगर मेरे हिसाब से चलोगे तो तुम अपनी इच्छा को पूरा कर सकते हो .."
गिरधर : "इच्छा ..मेरी कौनसी इच्छा पंडित जी .."
पंडित : "अब भी नहीं समझे तुम ..ठीक है सुनो ..अगर तुम चाहो तो तुम अपनी पत्नी को भोगने के साथ-2 रितु के साथ भी वो सब कर सकते हो जिसके बारे में तुम दिन रात सोचते रहते हो ..और जिसके बारे में सोचकर अभी भी तुम्हारा लंड खड़ा हुआ है .."
गिरधर ने हडबडा कर अपने लंड की तरफ देखा ..उसकी धोती साईड हुई पड़ी थी और उसका 5 इंच का लंड बुरी तरह से तन कर खड़ा हुआ था ..उसने जल्दी से उसे छुपाया ..
पंडित : "अब मेरी बात ध्यान से सुनो ..पहले तुम्हे माधवी को ये विशवास दिलाना होगा की तुम अब से वही करोगे जो उसे पसंद है ..और कुछ दिनों के लिए तुम्हे ये शराब भी छोडनी होगी ..बोलो मंजूर है .."
गिरधर की आँखों के सामने अपनी जवान बेटी का जिस्म घूम रहा था और भरी हुई माधवी की जवानी ..उन दोनों के सामने उसे शराब को छोड़ना काफी छोटा सा काम लगा ..
उसने हाँ कर दी .
पंडित : "अब तुम ठीक वैसा ही करना जैसा मैं कह रहा हु ..आज जब तुम घर जाओ तो पहले की सभी बातों के लिए माधवी से माफ़ी मांग लेना ..और उसे ये भी बोल देना की तुमने शराब पीना छोड़ दिया है ..और रात को जब तुम उसके पास जाओ तो ... "
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..
गिरधर : "तो क्या पंडित जी ..बोलिए .."
पंडित : "देखो गिरधर ..मैं तुम्हे कुछ विशेष बातें बताना चाहता हु ..जिनका प्रयोग करके तुम अपनी पत्नी को और भी ज्यादा ख़ुशी दे सकते हो ..इसलिए मैं जो भी बात माधवी के बारे में या उसके अंगो के बारे में बोलूँगा तो तुम उसका बुरा मत मानना ... "
गिरधर : "ये कैसी बातें कर रहे हैं पंडित जी ..मैं भला क्यों बुरा मानूंगा ..आप मेरे लिए इतना कर रहे हैं ..अगर आप कहें तो मैं माधवी को आपके सामने हाजिर कर दू और आप उसके साथ अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी कर लो ...मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी .."
पंडित उसकी दरियादिली देखकर मुस्कुरा कर रह गया ..
पंडित ने आगे कहा : "अब सुनो ..आज रात तुम जब माधवी के पास जाओ तो तुम उसे जी भर कर चूमना ..और उसे ऊपर से नंगा करके उसके स्तनों का पान करना ..और खासकर उसकी घुंडियों को मसल मसलकर उसे उत्तेजित करना ..अपने होंठों में दबा दबाकर चूसना ..स्तनों पर अपने दांतों के निशान बना देना ..उनका जी भरकर मर्दन करना ..."
पंडित जी ने नोट किया की ये सब बातें सुनकर गिरधर के लंड के साथ-2 उनका भी लंड खड़ा होकर माधवी के मोटे मुम्मों के बारे में सोच रहा है ..
गिरधर : "जी पंडित जी ..फिर आगे .."
पंडित : "बस ..आज की रात यही करना ..उसके ऊपर के हिस्से को तुमने पूजना है ..अपने हाथों और मुंह से ..नीचे चूत वाले हिस्से को हाथ भी नहीं लगाना ..."
गिरधर पंडित जी की बात सुनकर सोच में डूब गया ..
पंडित : "देखो ..अभी जो मैं कह रहा हु, वैसा ही करो ..फिर देखना ..जैसा तुम चाहोगे , वो वैसा ही करेगी ..बस तुम्हे अपने ऊपर कंट्रोल रखना होगा ..बस आगे के बड़े फल यानी रितु के बारे में सोच लेना ..अगर तुम ये सब मेरे अनुसार करते रहोगे तो तुम्हे वो फल जल्दी ही मिलेगा .."
गिरधर ने ज्यादा पूछना उचित नहीं समझा और सर हिला कर उनकी बात मान ली ..
थोड़ी देर तक बैठने के बाद वो घर चला गया और पंडित जी भी आराम से सो गए ..
अब उन्हें इन्तजार था अगले दिन का ..और माधवी के आने का ..
अगली सुबह पंडित हमेशा की तरह 4 बजे उठ गया और पूजा अर्चना करने के पश्चात मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरण करने लगा ..
तभी कॉलेज ड्रेस में उन्हें रितु आती हुई दिखाई दी ..रितु का गुलाब सा चेहरा देखकर ही पंडित का मन खुश हो गया, उनकी खुशकिस्मती थी की उसके बाद कोई और नहीं बचा था मंदिर में ..
रितु ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और झुककर उनके पैर छुए ..
पंडित जी ने उसे कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़कर आशीर्वाद दिया ..: "सुखी रहो रितु .."
रितु : "पंडित जी ..आज से मेरे एग्जाम शुरू हो रहे हैं ..इसलिए आपका और भगवान् का आशीर्वाद लेने आई थी .."
पंडित : "बेटी ..हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है ..ये लो ..प्रसाद .."
पंडित ने एक केला उठा कर उसके हाथ में रख दिया ..और ना जाने क्यों केला देखकर रितु के होंठों पर एक मुस्कराहट तैर गयी ..
पंडित : "क्या हुआ ..क्यों मुस्कुरा रही हो .."
रितु : "जी ..कुछ नहीं ...बस ऐसे ही ..अच्छा ..मैं चलती हु ..और मैं 3 बजे आउंगी ..वो टयूशन के लिए कहा था न आपने .."
पंडित : "हाँ याद है ..जाओ तुम अब ..और अच्छे से एग्साम देना ..और रुको ..."
इतना कहकर पंडित जी पलटे और मंदिर में ही पड़ा हुआ एक पेन उठाकर ले आये
पंडित : "तुम इस पेन से एग्साम देना , मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा हमेशा .."
इतना कहकर उन्होंने पेन को रितु की सफ़ेद शर्ट की जेब में डाल दिया ..और पेन डालते वक़्त उन्होंने दुसरे हाथ से उसकी जेब के किनारे को पकड़ा और पेन को धीरे से अन्दर डाला ..
पंडित को अपने हाथ की उँगलियों पर रितु के उभर रहे स्तनों का गुदाजपन महसूस हो रहा था ..और पेन अन्दर डालते हुए उन्होंने जान बूझकर उसको रगड़कर अन्दर की तरफ फंसाया और पेन की नोक से उन्होंने रितु के खड़े हुए निप्पल को साफ़ महसूस किया ..
एक तो पंडित जी का हाथ अपनी छाती के ऊपर और पेन की रगड़ अपने निप्पल के ऊपर पाकर रितु की साँसे तेजी से चलने लगी ..ऐसा लग रहा था की जैसे उसकी आँखों में गुलाबी रंग का तड़का लग गया है ..
उसके मुंह से कुछ ना निकला और वो जल्दी से पलटी और लगभग भागती हुई सी मंदिर से बाहर निकल गयी ..
पंडित उसकी भरी हुई गांड की थिरकन देखता रह गया और मुस्कुराते हुए अन्दर चला गया ..
पंडित ने नाश्ता किया और फिर थोडा आराम किया ..ये सब करते - करते 11 बज गए ..यानी माधवी के आने का समय हो गया था ..माधवी का ध्यान आते ही उनके लंड का पारा फिर से चढ़ गया और वो अपनी धोती को साईड में करके अपने लंड को बाहर निकाल कर मुठ मारने लगे ..
उनके सामने कल की बातें घूमने लगी, कैसे उसने माधवी के मोटे तरबूजों को अपने हाथों में पकड़ कर मसला था और कैसे उनका पान किया था ..माधवी के मुम्मों का मीठापन अभी तक उसके मुंह में था ..उसके चोकलेट जैसे निप्पल में से कितना रस निकल रहा था ..पंडित बस यही सोचे जा रहा था की तभी बाहर से माधवी की आवाज आई : "पंडित जी ..पंडित जी ..कहाँ है आप .."
पंडित के मन में एक प्लान आया , उसने अपनी धोती को साईड कर दिया और उसमे से अपने लंड को आधा बाहर निकाल कर सोने का बहाना करते हुए आँखे बंद कर ली और माधवी के अन्दर आने का इन्तजार करने लगा ..
माधवी ने थोडा रुक कर पंडित जी के कमरे का दरवाजा खटकाया और कोई जवाब ना पाकर वो अन्दर आ गयी ..कमरे में घुप्प अँधेरा था ..माधवी ने देखा की पंडित जी अपने बेड पर सोये हुए हैं पर अँधेरे की वजह से वो उनके लंड वाले हिस्से को ना देख सकी ..पहले तो वो खड़ी रही पर फिर कुछ सोचकर वो आगे आई और पंडित जी को फिर से पुकारा : "पंडित जी ..उठिए .."
और फिर उनके बेड पर बैठकर उसने पंडित जी के हाथ को पकड़कर जैसे ही हिलाकर उठाना चाहा उसका हाथ वहीँ जम कर रह गया ..उसकी नजर पंडित जी के लंड पर जा चुकी थी ..
माधवी के गर्म हाथ जो पंडित जी के कंधे से अभी-2 टकराए थे , उनके लंड को देखते ही बर्फ जैसे ठन्डे हो गए ..उनमे कम्पन सा शुरू हो गया ..उसकी उँगलियों की पकड़ पंडित जी के कंधे पर कसने लगी ..उसकी साँसे तेज होने लगी ..ठीक वैसे ही जैसे सुबह रितु की साँसे तेज हो गयी थी ..माधवी के लम्बे नाखूनों की चुभन का एहसास पाकर पंडित जी ने अपनी आँखे खोल दी ..माधवी अभी भी उनके कंधे को पकडे हुए उनके लंड को तक रही थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...तुम ..कब आई .."
माधवी ने जल्दी से पंडित जी के कंधे को छोड़ा और उठ खड़ी हुई ..पंडित जी ने आराम से अपने नंगे लंड को ढका और वो भी उठ कर तकिये की ओट लेकर बेड पर आधे लेट गए ....
आज माधवी पीले रंग का सूट पहन कर आई थी वो भी स्लीवलेस और नीचे तंग पायजामी थी ..
माधवी जैसे ही उठी उसकी चुन्नी नीचे गिर गयी पर उसने उसे उठाने की कोई जेहमत नहीं की ..क्योंकि पंडित जी से अब क्या छुपाना था उसे, अपनी चुन्नी से जिन उभारों को ढककर वो आई थी , पंडित तो कल उन्हें चूस भी चूका था ..
पंडित : "आओ ..बैठो ना .."
पंडित ने माधवी के ठन्डे हाथों को पकड़कर उसे दुबारा बेड पर बिठा लिया ..
पंडित : "अब बताओ ..क्या हुआ कल रात .."
पंडित ने एकदम से माधवी से कल रात की बात पूछ डाली जिसकी माधवी को कतई उम्मीद नहीं थी ..वो शरमा कर रह गयी ..
पंडित : "कल रात को मैंने गिरधर को सही तरीके से समझा दिया था ..और मुझे पूरा विशवास है की उसने कोई गलती नहीं की होगी .."
माधवी का चेहरा लाल हुए हुए जा रहा था ..
पंडित : "अब मुझे जल्दी से बताओ की उसने क्या किया ..मेरे समझाने का कोई असर हुआ के नहीं उसपर .."
माधवी धीरे से फुसफुसाई : "जी पंडित जी ..आपके समझाने का असर हुआ था ..उसपर भी और मुझपर भी ..आपके कहे अनुसार मैंने कल गिरधर को बिना किसी आपत्ति के अपने पास आने दिया .."
पंडित : "आराम से बताओ ना ..कैसे क्या हुआ था ..शरमाओ मत , हम दोनों के बीच में कोई भी बात छुपी नहीं है अब तो .."
माधवी ने एक गहरी सांस ली और बताना शुरू किया : "कल रात मैंने रितु को खाना खिला कर जल्दी सुला दिया था क्योंकि उसका आज एग्साम था , वो जब आये तो मैंने उन्हें खाना खिलाया और फिर ..फिर वो कपडे बदल कर मेरे पास आये .."
इतना कहकर वो रुक गयी ..
पंडित : "हाँ ..बोलो ..आगे क्या हुआ .."
उनका लंड फिर से खड़ा होकर हुंकारने लगा था ..
माधवी : "फिर ..फिर उन्होंने बड़े ही प्यार से मुझे लिटाया और मेरा ब्लाउस खोल दिया ..और फिर ब्रा के ऊपर से ही मुझे चूमने लगे .."
पंडित ने नोट किया की ये सब बोल्ते-2 माधवी फिर से तेज साँसे लेने लगी है ..
माधवी : "फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी ..और जिन्दगी में पहली बार उन्होंने पुरे 5 मिनट तक सिर्फ मेरी ब्रेस्ट को चूमा और चूसा ..उन्होंने आज तक ऐसा नहीं किया था ..पर शायद ये आपका दिया हुआ ही ज्ञान था जिसकी वजह से वो ये सब कर रहा था ..है ना .."
माधवी की आँखों में आभार था .
पंडित जी ने हाँ में सर हिलाकर उसका आभार ग्रहण किया ..
माधवी : "उन्होंने मेरे स्तनों पर शहद भी लगाया और उसे चाटा भी .."
पंडित को शरारत सूझी, उन्होंने पूछा : "अच्छा ..फिर तो तुम मुझे ये बताओ की गिरधर ने तुम्हे अच्छी तरह से चूसा या मैंने चूसा था कल .."
पंडित की बात सुनकर माधवी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया ..उसने कांपते हुए होंठों से सिर्फ यही कहा : "गुरु के आगे चेले की क्या बिसात .."
पंडित अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया ..
पंडित : "और फिर ..फिर क्या हुआ .."
माधवी : "और जब वो मेरे स्तनों को चूस रहे थे तो मेरा एक हाथ ...अपनी ..अपनी ..उस जगह पर था ..और मैं जोरों से उसे रगड़ रही थी .."
पंडित : "उस जगह ...यानी ..तुम्हारी चूत पर .."
माधवी ने शरमाते हुए हाँ में सर हिलाया ..
माधवी : "और फिर जोरों से करते-2 मैं वहीँ ..झड गयी ..पर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी ..मैंने जैसे ही उन्हें अपने ऊपर खींच कर बचा हुआ काम पूरा करना चाहा वो एकदम से उठे और बाहर चले गए ..मैं सोचती रह गयी की मुझे ऐसी अवस्था में छोड़कर वो कहाँ चले गए ..थोड़ी देर बाद मैं आधी नंगी अवस्था में उठकर बाहर गयी तो पाया की वो सोफे पर जाकर सो चुके हैं ..मुझे उनका ये बर्ताव समझ नहीं आया ..ना तो उन्होंने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट किया और ना ही खुद संतुष्ट हुए ..जो इन्होने कभी नहीं किया था .."
पंडित जी ने मन ही मन गिरधर की सहनशक्ति की तारीफ की ..अब वो माधवी को क्या बताते की गिरधर किस वजह से उसे प्यासा छोड़कर चला गया ..उसे तो अपने बड़े इनाम यानी रितु को पाने का लालच था ..
पंडित ने उसे समझाया : "देखो माधवी ..तुम चिंता मत करो ..उसने अपनी तरफ से इतना कुछ किया जो पहले कभी नहीं किया था ..शायद थक गया होगा ..अगर तुम अपनी तरफ से कुछ करती तो शायद वो बाहर नहीं जाता .."
माधवी : "मैं ...मैं क्या कर सकती थी .."
पंडित : "अब ये भी मैं बताऊँ क्या ..चलो ठीक है ..सुनो ..तुम उसके लिंग को मुंह में लेकर उसे रोक सकती थी .."
माधवी पंडित की बेशर्मी भरी बात सुनकर हेरान रह गयी ..
पंडित : "देखो माधवी ..काम क्रिया में हमेशा दोनों तरफ से सामान सुख मिलना चाहिए ..तुम्हे तो अपना सुख मिल गया पर उसे तुमने कुछ ना दिया ..शायद तभी वो नाराज होकर चला गया .."
माधवी : "पर ..पर पंडित जी ..मैंने आज तक ऐसा नहीं किया ...मुझे ये सब नहीं आता ..."
पंडित : "देखो ..माधवी ..आज तक गिरधर ने भी कभी तुम्हारे स्तनों की ऐसी सेवा नहीं की थी ..पर जब की तो तुम्हे अच्छा लगा ना ..इसी प्रकार हर पुरुष को अपने लिंग को चुस्वाना अच्छा लगता है ..और जहाँ तक बात सिखाने की है तो तुम उसकी फ़िक्र मत करो ..मैं हु ना .."
पंडित ने शाहरुख़ खान के अंदाज में कहा ..जिसे देखकर माधवी को हंसी आ गयी ..पर अगले ही पल उनकी बात का मतलब समझकर उसका कलेजा धक् से रह गया ..यानी पंडित जी कह रहे हैं की वो उनके लंड को चूसकर प्रेक्टिस करे ..
उसकी तेज साँसों में और भी तेजी आ गयी ..
पंडित जी ने आराम से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर ले गए ...और उसे छोड़ दिया ..
माधवी के बेजान हाथ पंडित के जानदार लंड के ऊपर पड़ते ही कांप सा गया ..धोती के ऊपर से ही उसकी गर्माहट उसके हाथों को झुलसा रही थी ..
अब उससे रुक नहीं गया और उसने एक ही झटके में पंडित जी की लुंगी को साईड में किया और उनके लंड को उजागर कर दिया ..
दोनों के मुंह से सिसकारी निकल गयी ..
पंडित जी का पूरा ध्यान माधवी के फड़कते और गुलाबी होंठों पर था जिनके बीच में उनका लंड थोड़ी ही देर में जाने वाला था ..
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गतांक से आगे ......................
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और माधवी के होंठ सच में फडक रहे थे ..उनमे एक अजीब सा कम्पन भी था ..
पंडित का तो मन कर रहा था की माधवी के फड़कते हुए होंठों को अपने तपते हुए होंठों से जला डाले, पर हमेशा की तरह वो अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था ..
पंडित : "माधवी ..पता है न इसे क्या कहते हैं ..??"
पंडित ने उसकी मस्तानी आँखों में देखते हुए , अपने लंड को जड़ से पकड़ कर उसके सामने लहराया ..
माधवी : " जी ... जी ..पता है ..ल ..लंड ...कहते हैं ..इसको .."
पंडित मुस्कुराया और बोल : "वो तो दुनिया वाले कहते हैं ..तुम इसको देखो और अपने हिसाब से इसका कोई नाम रखो ..और हमेशा फिर इसे उसी नाम से पुकारना .."
माधवी पंडित की शैतानी भरी बात सुनकर बोली : "आप देखने में इतने बदमाश नहीं है जितने असल में हो .."
कहते -2 उसने पण्डित के लंड के ऊपर वाले हिस्से को पकड़ा और धीरे से सहला दिया ..
पंडित : "देखने से तो तुम्हे भी कोई नहीं बता सकता की तुम्हारे अन्दर इतनी आग भरी हुई है ..पर ये तो सिर्फ मुझे पता है ना .."
पंडित ने अपने हाथ की उँगलियाँ उसके भरे हुए कलश के ऊपर फेरा दी ..पीले सूट के अन्दर से लाल रंग के निप्पल उभर कर अपना रंग दिखाने लगे . उसने नीचे आज ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी .
पंडित : "बोलो न ..कोई अच्छा सा नाम दे दो ..अपनी मर्जी से .."
माधवी कुछ देर तक सोचती रही और फिर धीरे से बोली : "घोडा ..."
पंडित जी को अपने लंड का नाम सुनकर हंसी आ गयी ..और बोले : "घोडा ..अच्छा है ...पर घोडा ही क्यों .."
माधवी : "देखो न ..घोड़े जैसा ही तो है ये ..लम्बा ..मोटा ..और मुझे देखकर घोड़े जैसे ही हिनहिना रहा है .."
माधवी अब खुल कर बातें कर रही थी ..और पंडित जी भी यही चाहते थे .
पंडित : "अब तुमने मेरे घोड़े को अस्तबल से बाहर निकाल ही दिया है तो इसको चारा भी खिला दो .." पंडित जी के हाथ थोडा ऊपर हुए और उसके गीले होंठों के ऊपर उनकी मोटी उँगलियाँ थिरकने लगी ..माधवी जानती थी की पंडित जी का इशारा किस तरफ है ..
माधवी ने अपने होंठ खोले , मोती जैसे दांतों के बीच से लाल जीभ बाहर निकली और पंडित जी के "घोड़े" को अपने अस्तबल में ले जाकर चारा खिलाने लगी ..
माधवी ने घोड़े के मुंह यानी आगे वाले हिस्से को अपने मुंह में लिया और अपनी जीभ की नोक से उसके छेद को कुरेदने लगी ..माधवी के हाथों की पकड़ अब पूरी तरह से पंडित के घोड़े के ऊपर जम चुकी थी ..
पंडित ने अपनी आँखे बंद कर ली और आराम से लंड चुस्वायी के मजे लेने लगा ...
पंडित : "तुमने मेरे लंड का नाम तो घोडा रख दिया ..अब मैं भी तुम्हारी चूत का नाम रखना चाहता हु .."
माधवी ने उनके घोड़े को चूसते -2 अपनी आँखे उनके चेहरे की तरफ की और आँखों ही आँखों में पुछा : "क्या नाम ...बोलो "
पंडित : "उसका नाम मैंने रखा है ...बिल्ली .."
जैसे पंडित अपने लंड का नाम सुनकर हंसा था, ठीक वैसे ही माधवी भी अपनी चूत का ऐसा अजीब सा नाम सुनकर हंस दी ..
माधवी : " बिल्ली ...बिल्ली ही क्यों ..."
पंडित : "क्योंकि मुझे पता है ..जिस तरह से तुम मेरे घोड़े को चूस रही हो ..वैसे ही तुम्हारी चूत भी बिल्ली की तरह इसे चाटेगी और इसका सार दूध पी जायेगी .."
पंडित जी की बात सूनते -2 माधवी के चेहरे का रंग बदलने लगा ...वो और भी उत्तेजना से भरकर उनके घोड़े को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..
पंडित जी का हाथ माधवी के सर के पीछे आकर उसे सहला रहा था ..और फिर अचानक पंडित ने उसके सर को अपने लंड के ऊपर दबा कर अपना पूरा घोडा उसके मुंह के अन्दर तक दौड़ा दिया ..माधवी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी ..और घोडा सीधा जाकर उसके गले की दिवार से जा टकराया ..उसे खांसी भी आई पर उसने पंडित जी के घोड़े को अपने मुंह से नहीं निकाला ..पंडित जी आखिर उसे गुरु की तरह एक शिक्षा जो दे रहे थे ..लंड चूसने की ..और जैसा वो चाहते हैं , उसे तो वैसा करना ही होगा ..वर्ना वो बुरा मान जायेंगे ..
माधवी ने उनके घोड़े नुमा लंड को अपनी जीभ, दांत और होंठों से सहलाकर, चुभलाकर और चूसकर पुरे मजे देने शुरू कर दिए ..कोई कह नहीं सकता था की माधवी आज पहली बार किसी का लंड चूस रही है ..
माधवी के मुंह से ढेर सारी लार निकल कर घोड़े को नहला रही थी ..और चूसने पर सड़प -2 की आवाजें भी निकल रही थी ..
पंडित जी ने कुछ और ज्ञान देने की सोची : "माधवी ..सिर्फ घोड़े को चूसने से कुछ नहीं होता ..उसके नीचे उसके दो भाई भी हैं ..उनकी भी सेवा करो कुछ .."
पंडित जी ने अपनी बॉल्स की तरफ इशारा किया ..
माधवी को वैसे भी पंडित जी की बांसुरी बजाने में मजा आ रहा था ..उनके गुलाब जामुन खाकर शायद और भी मजा आये ..ये सोचते हुए उसने अपने मुंह से उनका घोडा बाहर निकाला और उसे अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी ..और अपने मोटे होंठों को धीरे-2 उसपर फिस्लाते हुए नीचे की तरफ गयी ..लंड के मुकाबले वहां की त्वचा थोड़ी कठोर थी ..और वहां से अजीब सी और नशीली सी महक भी आ रही थी ..माधवी ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना मुंह खोलकर पंडित जी के गुलाब जामुन का का प्रसाद अपने मुंह में ग्रहण कर लिया ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उफ्फ्फ्फ़ माधवी .....उम्म्म्म्म्म .....
माधवी को पंडित की सिस्कारियां सुनकर पता चल गया की उन्हें यहाँ पर चुस्वाने में ज्यादा मजा आ रहा है ..
उसके होंठों ने पक्क की आवाजें करते हुए पंडित जी की गोलियों को चुरन की गोलियों की तरह चूसना शुरू कर दिया ..
माधवी ने आँखे खोली, उसके मुंह में पंडित जी की दोनों बॉल्स थी ..और उनका लंड ठीक उसकी दोनों आँखों के बीच में था ..और पंडित जी की आँखों में देखते हुए माधवी ने दांतों से हल्के -2 काटना भी शुरू कर दिया ..
पंडित जी के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ..माधवी जिस तरह से उनके लिंग और उसके नीचे लटके हुए उसके भाइयों को चूस रही थी ..ऐसा लग रहा था की आज वो सब कुछ करने के मूड में हैं ..
पंडित जी का हाथ उसके बिखरे हुए बालों के ऊपर फिसल रहा था ..और आवेश में आकर माधवी ने पंडित के गीले लंड और बॉल्स वाले हिस्से को अपने पुरे चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया ..
उसके होंठों की लाल लिपिस्टिक ...उसकी आँखों का काला काजल ..और उसकी साँसों की गर्माहट अपने निशान वहां पर छोड़ रही थी .
माधवी के चेहरे पर भी काजल और लिपिस्टिक पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी ..
उसके मुंह से उन्नन अह्ह्ह्ह की आवाजें निकल रही थी ...
पंडित जी को अपने ऊपर नियंत्रण रख पाना अब मुश्किल हो गया ..और अगले ही पल, बिना किसी चेतावनी के , उनके घोड़े के मुंह से ढेर सारी सफ़ेद झाग बाहर निकलने लगी ...
माधवी के मुंह के ऊपर गर्म पानी की बोछारें पड़ी तो उसकी आत्मा तक तृप्त हो गयी ...
वो अपना मुंह खोलकर , अपनी आँखे बंद करके उनके लंड को तब तक मसलती रही, जब तक उसमे एक भी बूँद ना बची ..
माधवी का पूरा चेहरा पंडित जी के लंड की सफेदी में नहा कर गीला और चिपचिपा हो गया ..
पंडित : "ये सब साफ़ अपने चेहरे से साफ़ करके पी जाओ ..तुम्हारे चेहरे पर रौनक आ जायेगी .."
पंडित जी की बात का कोई विरोध न करते हुए उसने अपनी उँगलियों से पंडित जी के रस को समेटा और सड़प -2 करते हुए सब साफ़ कर गयी ..वो स्वादिष्ट भी था इसलिए उसे कोई तकलीफ भी नहीं हुई ..
पंडित जी : "अब बोलो ..कैसा लगा .."
माधवी : "अच्छा था ...मतलब ..बहुत अच्छा था ..मैंने तो आज तक इस बारे में सोचा भी नहीं था ..पर मुझे ये करना और इसका स्वाद दोनों ही पसंद आये .."
माधवी ने दिल खोलकर पंडित के लंड और उसके माल की तारीफ की .
पंडित : "ये तो अच्छी बात है ..अब ठीक ऐसे ही तुम्हे गिरधर के घोड़े को भी अपने मुंह का हुनर दिखाना है ..और फिर शायद वो तुम्हारी बिल्ली का दूध भी पी जाये ।।।"
माधवी : "मेरी बिल्ली का दूध वो कभी नहीं पियेंगे ..एक दो बार शुरू में उन्होंने वहां पर चुम्बन दिया था ..पर उससे आगे वो नहीं बड़े ..और सच कहूँ पंडित जी ..मुझे ...मुझे हमेशा से ही ये चाह रही है की कोई ...मेरा मतलब गिरधर ..मेरी चू ...चूत वाले हिस्से को जी भरकर प्यार करें ..."
ये बोलते -2 उसकी आवाज भारी होती चली गयी ..शायद उत्तेजना उसके ऊपर हावी होती जा रही थी ..
पंडित ने फिर से उसी अंदाज में कहा : "वो नहीं करता तो कोई बात नहीं ...मैं हु ना ..."
माधवी को जैसे इसी बात का इन्तजार था ...वो कुछ ना बोली ..बस मूक बनकर बैठी रही ..जैसे उसे सब मंजूर हो ..
पंडित ने उसे खड़े होने को कहा ..और बोले : "तुम अपने सारे कपडे उतार डालो ..सारे के सारे ..."
वो पंडित जी की बात सुनकर किसी रोबट की तरह से उठी और अपने सूट की कमीज पकड़कर ऊपर खींच डाली ..नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..उसके दोनों मुम्मे उछल कर पंडित जी की आँखों के सामने नाचने लगे ..
और फिर उसने लास्टिक वाली पायजामी को पकड़ा और उसे भी नीचे की तरफ खिसका दिया ..सामने थी माधवी की चूत के रस से भीगी हुई फूलों वाली कच्छी ..जिसमे से काम रस छन-छनकर बाहर की तरफ बह रहा था ..
पंडित ने इशारा करके उसे कच्छी उतारने को भी कहा ..माधवी ने पंडित की आँखों में देखते-2 उसे भी नीचे खिसका दिया ..
उसकी चूत वाले हिस्से को देखकर पंडित हेरान रह गया ..
वहां जंगल था ...घना जंगल ..सतपुड़ा के घने जंगल जैसा ..
पंडित : "ये क्या माधवी ..तुमने अपने शरीर के सबसे सुन्दर हिस्से को घने बालों के बीच छुपा कर रखा हुआ है ..इन्हें देखकर तो कोई भी यहाँ मुंह नहीं मार पायेगा .."
पंडित के मुंह से अपनी चूत के बारे में ऐसी बातें सुनकर माधवी का दिल टूट सा गया ..जिसे पंडित ने तुरंत जान लिया ..
पंडित : "मेरा कहने का मतलब ये है माधवी की तुम्हे इसे पूरा साफ़ सुथरा रखना चाहिए ..जैसे तुम्हारे मुंह के होंठ है ना नर्म और मुलायम ..ठीक वैसे ही ये भी हैं ..पर इन बालों की वजह से वो नरमी पूरी तरह से महसूस नहीं हो पाएगी ..समझी .."
माधवी ने हाँ में सर हिलाया ..
पंडित : "तुम एक काम करो, यहाँ बैठो, मैं इसे साफ़ कर देता हु .."
माधवी कुछ बोल पाती इससे पहले ही पंडित नंगा ही भागता हुआ अपने बाथरूम में गया और शेविंग किट उठा लाया ..और पलक झपकते ही उसने शेविंग क्रीम लगायी और रेजर से आराम से उसकी बिल्ली के बाल काटने लगा ..
जैसे -2 उसकी चूत साफ़ होती जा रही थी ..घने और काले बालों के पीछे छुपी हुई उसकी रसीली और सफ़ेद रंग की चूत उजागर होती जा रही थी ..पांच मिनट में ही पंडित के जादुई हाथों ने उसे चमका डाला ...माधवी भी अपनी बिल्ली की खूबसूरती देखकर हेरान रह गयी ..उसे शायद अपनी जवानी के दिनों की बिना बाल वाली चूत याद आ गयी ..आज भी वो वैसे ही थी ..
पंडित ने पानी के छींटे मारकर उसकी चूत को साफ़ किया और अपने कठोर हाथों को पहली बार उसकी चिकनी चूत के ऊपर जोरों से फेराया ..
अह्ह्ह्ह्ह .....म्म्म्म्म्म्म ...
पंडित के हाथ की बीच वाली ऊँगली माधवी की चूत में फंसी रह गयी .....जिसकी वजह से वो तड़प गयी ..उसका शरीर कमान की तरह से ऊपर उठ गया ..पंडित ने अपना मुंह नीचे किया ..और अपनी ऊँगली को एक झटके से बाहर की तरफ खींचा ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........पंडित .....जी ...
पंडित की ऊँगली एक झटके में माधवी की चूत के दाने को रगडती हुई बाहर आई और उसके साथ ही ढेर सारा रस भी छिंटो के साथ उनके मुंह पर बरसा ..एक बूँद उनके खुले हुए मुंह में भी चली गयी ..जिसे उन्होंने चखा और फिर बोले : "तुम्हारी बिल्ली का दूध तो बड़ा ही मीठा है .. "
ये सुनकर माधवी मुस्कुरायी और पंडित के सर को पकड़कर बुरी तरह से अपनी चूत पर दबा दिया और फुसफुसाई : "तो पी लो न पंडित जी ..सब आपके लिए ही है ..."
पंडित ने उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ राखी और सारा रस समेटकर पीने लगा ..अब आँखे बंद करके मजा लेने की बारी माधवी की थी ...
पंडित ने उसकी टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना पूरा मुंह उसकी टांगो के बीच डालकर रसीली पार्टी के मजे लेने लगा ..और जैसे ही पंडित ने अपने होंठों में माधवी की चूत के दाने को पकड़कर मसला ..वो अपना मुंह खोलकर ..उठ खड़ी हुई ..और उनके चेहरे पर जोर लगाकर पीछे धकेलने लगी ...पर पंडित भी खाया हुआ इंसान था ..उसने उसके दाने को अपने होंठों में दबाये रखा और उसे जोर से चूसता रहा ..और तब तक चूसता रहा जब तक माधवी की चूत के अन्दर से उसे बाड़ के आने की आवाजें नहीं आ गयी ..और जैसे ही उसकी चूत से कल कल करता हुआ मीठा जल बाहर की तरफ आया ..पंडित के चोड़े मुंह ने उसे बीच में ही लपक लिया ...और चटोरे बच्चे की तरह सब पी गया ...
माधवी बेचारी अपने ओर्गास्म के धक्को को पंडित के मुंह के ऊपर जोरों से मार मारकर निढाल होकर वहीँ गिर पड़ी ..
आज जैसा सुख उसे अपनी पूरी जिदगी में नहीं आया था ..
पंडित के बिस्तर पर वो पूरी नंगी पड़ी हुई थी ..और सोच रही थी की अब पंडित क्या करेगा ..सिर्फ एक ही तो चीज बची है अब ..चुदाई ..
और चुदाई की बात सोचते ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए ..
गतांक से आगे ......................
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माधवी ने अपनी आँखे बंद कर रखी थी, ये जैसे उसकी तरफ से एक स्वीकृति थी की आओ पंडित कर लो मेरे साथ जो तुम्हारी इच्छा हो ..भोग लो मेरे जिस्म को ...चोद डालो अपनी इस दासी को ..समा जाओ मुझमे आज बहार बनकर ..
ये सब सोचते -2 उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी .वो तो बस इन्तजार कर रही थी की कब पंडित का लंड उसकी चूत पर दस्तक दे और कब वो उनसे लिपट जाए ..
पर काफी देर तक कोई प्रितिक्रिया न होती देखकर उसने आँखे खोली तो पाया की पंडित तो कमरे में ही नहीं है ..वो हेरान-परेशान होकर इधर -उधर देखने लगी ..वो उठी और खिड़की से बाहर झांका तो पाया की पंडित बाहर खड़ा हुआ किसी से बात कर रहा था ..मंदिर में शायद कोई आया था ..समय भी काफी हो चला था ,वो ज्यादा इन्तजार नहीं कर सकती थी ..थोड़ी ही देर में रितु भी आने वाली थी , उसने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी ..
पंडित जब थोड़ी देर में वापिस आया तो माधवी को वहां ना पाकर वो रहस्यमयी हंसी हंसने लगा ..वो जान बूझकर माधवी को प्यासा छोड़कर बाहर निकला था मंदिर के सामने खड़े हुए अपने एक भक्त को अन्दर उससे बातें करने लगा था ..वो माधवी को थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही ..इसलिए वो अपने सारे प्रयोग माधवी पर करना चाहता था ..
थोड़ी देर में ही शीला भी आ गयी ..वो आज पंडित जी के लिए घर से ख़ास पकवान बनाकर लायी थी ..होली जो आने वाली थी 2 दिनों के बाद, उसने घर पर गुजिया और लड्डू बनाए थे, जो वो पंडित जी के लिए लेकर आई और दोनों मिलकर वहीँ मंदिर में बैठ गए और बातें करने लगे ..आज पंडित जी को शीला से कुछ विशेष बात भी करनी थी और इसके लिए मौका भी अच्छा था.
शीला बार -2 पंडित जी की तरफ लालसा से भरी हुई नजरों से देख रही थी , उसकी चूत में खुजली हो रही थी , वो बस यही सोच रही थी की आज पंडित जी इतना विलम्ब क्यों कर रहे है ...अन्दर जाने में ..और उसे चोदने में ..
पंडित भी शीला की कसमसाहट को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..
पंडित : "क्या हुआ शीला ..तुम आज थोडा असहज दिखाई दे रही हो .."
शीला : "जी नहीं ...ऐसा कुछ नहीं ..वो बस मैं ...मैं ...सोच रही थी ..की आज आप अन्दर क्यों नहीं ..चल रहे .."
उसने पंडित के कमरे की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "चलते हैं ..इतनी जल्दी क्या है ..लगता है तुम्हे अब रोज चुदने की आदत सी पड़ गयी है ..है ना ..."
शीला ने शरमा कर अपना मुंह नीचे कर लिया ..
पंडित : "अच्छा सुनो, याद है तुमने कहा था की मुझे किसी भी काम के लिए मना नहीं करोगी .."
शीला : "याद है पंडित जी ..आप आज्ञा कीजिये ..क्या करना है मुझे ..मैं आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हु .."
शीला ने अपना सीना आगे किया और विशवास के साथ पंडित की आँखों में आँखे डालकर बोली .
पंडित : "तो सुनो ..तुम्हे आज रात 9 बजे मेरे पास आना होगा , और जो काम हम रोज दिन में करते हैं , वो आज रात में करेंगे ..और एक नए तरीके से करेंगे .."
पंडित की बात सुनकर शीला चोंक गयी ..रात में पंडित के पास आना काफी मुश्किल था , घर पर माँ-पिताजी आ चुके होंगे ..वो उन्हें क्या बोलेगी, कैसे निकलेगी ..
पंडित ने उसकी परेशानी भांप ली और बोला : "तुम रात की चिंता मत करो ..तुम घर पर बोल देना की आज पंडित जी ने तुम्हारे पति की आत्मा की शान्ति के लिए एक विशेष पूजा रखी है जो रात को ही हो सकती है और तुम्हारा उपस्थित रहना आवश्यक है, कोई तुमपर किसी भी प्रकार का शक नहीं करेगा .."
पंडित जी की फूल प्रूफ योजना सुनकर शीला भी मुस्कुरा दी ..और बोली : "पर पंडित जी ..इतना जोखिम लेकर रात को ही करने की क्या सूझी आपको ..दिन में भी तो वही मजा लिया जा सकता है .."
पंडित : "शीला ...कुछ चीजों का मजा रात को ही आता है ..और आज जो मजा मैं तुम्हे देने की बात कर रहा हु वो लेकर तो तुम रोज रात को ही मेरे पास आया करोगी .."
पंडित जी की लालच भरी बात सुनकर शीला भी सोचने लगी की ये रात कब होगी ..
और दूसरी तरफ, पंडित जी का लंड अभी थोड़ी देर पहले ही झडा था, इसलिए उन्हें किसी प्रकार की कोई जल्दी नहीं थी ..पर हाँ कुछ ऊपर के मजे जरुर लिए जा सकते थे ..शीला के तने हुए मुम्मे देखकर उनके मन में उन्हें दबाने का विचार हुआ और वो उसे धीरे से बोले : "तुम अन्दर जाओ ..और अपनी साड़ी उतार दो ..और ऊपर से ये ब्लाउस और ब्रा भी ..मैं बस अभी आया .."
पंडित जी की बात सुनकर, मन ही मन 'कुछ तो मिलेगा' ये सोचते हुए वो अन्दर की तरफ चल दी .
पंडित जी ने जल्दी-2 मंदिर के काम निपटाए ..और अन्दर आ गए और आशा के अनुरूप शीला अर्धनग्न अवस्था में किसी आज्ञाकारी यजमान की तरह उनके बिस्तर पर बैठी हुई थी ..उसके कड़े -2 निप्पल देखकर पंडित का लंड भी कडा होने लगा ..पर रात की बात सोचकर उन्होंने किसी तरह अपने आप पर काबू किया ..वो आगे आये और अपनी जीभ से शीला के खड़े हुए निप्पल को छुआ ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स ......पंडित जी ...
शीला ने एक ही झटके में पंडित जी का चुटिया वाला सर पकड़ा और अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..
पंडित जा का पूरा मुंह उसके गुदाज मुम्मे के ऊपर धंस सा गया ...जीभ और होंठों की दिवार पार करता हुआ उसका निप्पक बिना किसी अवरोध के पंडित के मुंह में जा घुसा ..आज शीला की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी ..उसके निप्पल के चारों तरफ बने हुए ब्राउन घेरे पर बने हुए छोटे -2 दाने भी आज पंडित को अपनी जीभ और होंठों पर महसुस हो रहे थे ..पंडित के दांत और जीभ उसके मुम्मे की सेवा करने में व्यस्त हो गए ..
पंडित का दूसरा हाथ उसके दुसरे मुम्मे को पीस रहा था ..
पंडित : "ओह्ह्ह ...शीला .....इतने मुलायम और स्वादिष्ट स्तन मैंने आज तक नहीं चखे ...अह्ह्ह्ह ....कितने मस्त है ये ....पुच्च्छ्ह ....."
पंडित में मुंह से अपने शरीर की सुन्दरता सुनने में शीला को बहुत मजा आता था ..वो मंद-2 मुस्कुराती हुई पंडित के सर को अपने स्तनों पर इधर-उधर घुमा रही थी ..और आवेश में आकर वो उसके माथे के ऊपर चुबनों की बारिश करने लगी ...
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म ....चूसिये ...और जोर से चूसिये ...आपके होंठों की कस्मसाहट मुझे अपने स्तनों पर रात भर महसूस होती है ..अह्ह्ह्ह ....चबा जाइये इन्हें ...ये आपके ही है ..."
शीला ने तो जैसे अपने स्तन पंडित जी को दान ही कर दिए, वो उन्हें किसी भी प्रकार से इस्तेमाल करने की पूरी छूट दे रही थी ..और पंडित जी भी इस छूट का पूरा अवसर उठा रहे थे ..और उसके स्तनों को चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे ..
शीला से अब सहा नहीं जा रहा था ..उसने पंडित जी का हाथ पकड़ा और अपनी पेटीकोट के ऊपर से ही अपनी चूत के ऊपर लगा कर जोर से दबा दिया ..
"अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ......क्यों तडपा रहे हो .....देखो ना ...मेरी चूत कितनी गरम हो चुकी है ...अह्ह्ह्ह ...रात को जो करना है वो कर लेना ..पर अभी तो कुछ करो इसका ...नहीं तो मैं मर जाउंगी ...अह्ह्ह्ह ..."
पर पंडित भी काफी समझदार था, वो जानता था की अभी करने से वो रात वाला काम उससे करवा नहीं पायेगा ...
वो उसके स्तनों को ही चूसता रहा ..
शीला कुछ और बोल पाती तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ..
शीला एकदम से चोंक कर उठ बैठी ..
तभी बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ..मैं रितु ...दरवाजा खोलिए ..."
पंडित ने फुसफुसा कर शीला को बताया के ये वही लड़की है जिसे तुमने आज से टयूशन पढ़ाना है .
शीला के गर्म शरीर पर जैसे ठंडा पानी डल गया, पर वो कर भी क्या सकती थी ..पंडित ने उसके कपडे उसके हाथ में पकडाए और बाथरूम में जाकर पहनने को कहा और ये भी कहा की जब तक वो ना बुलाये , बाहर न निकले ..
पंडित ने अपने खड़े हुए लंड को बैठ जाने की रिक़ुएस्ट की और जाकर दरवाजा खोल दिया ..सामने रितु खड़ी थी, सफ़ेद टी शर्ट और घुटनों तक स्कर्ट पहने ..पर ये क्या, उसकी टी शर्ट का दांया हिस्सा , यानी उसकी दांयी चूची पूरी तरह से भीगी हुई थी ..और अन्दर से उसकी शमीज के नीचे छुपी हुई क्यूट सी ब्रेस्ट साफ़ नजर आ रही थी ..खासकर उसके लाल रंग के निप्पल ..
पंडित : "अरे रितु ..आओ ..ये क्या ..तुम भीगी हुई क्यों हो .."
पंडित ने अपनी लम्बी ऊँगली रितु की छाती की तरफ करके पूछा ..और ऐसा करते-2 वो ऊँगली एक बार तो उसकी छाती से छुआ भी दी ..
वो पहले से ही घबराई हुई थी, पंडित की ऊँगली अपने निप्पल पर लगते ही वो हडबडा भी गयी और पंडित जी के शरीर से रगड़ खाते हुए अन्दर आ गयी ..और रुन्वासी होकर बोलने लगी : "देखिये न पंडित जी ..अभी होली आने में दो दिन है, पर फिर भी ये गली के लड़के अभी से होली खेलने लग गए हैं ..घर से निकलते ही मेरे पीछे 2 लड़के पड़ गए ..बचते हुए आई पर एक गुब्बारा मार ही दिया कमीनो ने ..यहाँ ..."
अपनी ब्रेस्ट के ऊपर इशारा करते हुए वो रोने लगी ..
पंडित जी : "अरे ..अरे ..कोई बात नहीं ..गुब्बारा ही तो मारा है ना ..तुम्हे लगा तो नहीं ज्यादा तेज .. "
पंडित आगे आया और उसके कंधे पर हाथ रखकर सहानुभूति जताने लगा ..और सोचने लगे ..सच में कमीने थे ..कितना सटीक निशाना मारा है ..नजदीक आकर खड़े होने से उसकी नजरे ज्यादा करीब से उसकी निप्पल को देख पा रही थी ..जो शायद रितु को नहीं पता था ..
पंडित ने अपना गमछा उसको दिया और पानी पोंछने के लिए कहा ..
और रितु किसी अबोध लड़की की तरह पंडित के सामने ही अपनी गुदाज छातियों के ऊपर वो गमछा मसल -2 कर पानी को साफ़ करने लगी ..वो जब अपनी छातियों को दबाती तो टी शर्ट के ऊपर की तरफ एक गुब्बारा सा बन जाता जैसे सारा मांस बाहर निकल कर आने को आतुर हो ..
पंडित जी गमछे की किस्मत को सरहा रहे थे ..और सोच रहे थे की काश मैं होता गमछे की जगह ..
रितु : "धन्यवाद पंडित जी ..ये लीजिये अपना गमछा ..और वो आंटी अभी तक नहीं आई ..जिन्होंने टयूशन पढाना था .."
रितु की बात सुनते ही पंडित को बाथरूम में छुपी हुई शीला का ध्यान आया ..वो सोचने लगे की कैसे रितु से छुपाकर वो शीला को बाहर निकाले ..
वो बोले : "वो आती ही होगी ..पर तुम्हारा कॉलेज बेग कहाँ है .."
रितु : "ओह ..वो तो बाहर ही रह गया ..मैं भीग गयी थी न , इसलिए मंदिर में ही रख दिया था ..रुकिए ..मैं अभी लेकर आती हु .."
पंडित ने चेन की सांस ली और उसके जाते ही भागकर बाथरूम से शीला को निकाला और उसे पीछे के दरवाजे से बाहर निकाल कर दोबारा अन्दर आने को कहा ..
जैसे ही रितु अपना बेग लेकर वापिस आई, पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई और पंडित ने जाकर खोला ..और शीला को अन्दर ले आये ..
पंडित ने रितु की तरफ देखा और बोले : "यही है वो जो तुम्हे टयूशन पढ़ाएगी ..इनका नाम शीला है .."
ऋतू ने शीला को नमस्ते किया और अपना बेग खोलकर उसमे से बुक्स निकालने लगी .
शीला भी बेमन से उसे पदाने लगी, उसका मन तो अभी तक अपनी अधूरी चुदाई पर अटका हुआ था .
पंडित अपने बेड पर बैठा हुआ था और शीला की पीठ उनकी तरफ थी और वो नीचे बैठ कर रितु को पढ़ा रही थी .
पंडित की नजरों के सामने शीला की नंगी पीठ और रितु का भीगा हुआ स्तन था ..अचानक शीला को अपनी पीठ पर पंडित की उँगलियों का आभास हुआ ..वो कसमसा कर रह गयी ..पंडित अपनी ठंडी-2 उँगलियाँ उसकी गर्दन के नीचे वाले हिस्से पर घुमा रहा था ..शीला के जिस्म के रोंगटे खड़े होने लगे ..
पंडित ने रितु से कहा : "तुम्हारे एग्जाम कब तक हैं .."
रितु : "जी अगले हफ्ते तक ..बस तभी तक की जरुरत है मुझे ..उसके बाद तो अगली क्लास में चली जाउंगी .."
पंडित ने मन ही मन सोचा की उसके पास सिर्फ एक हफ्ते का ही टाईम है रितु की चुदाई करने के लिए ..उसने बैठे हुए मन ही मन तरकीबे बनानी शुरू कर दी .
1 घंटे के बाद पंडित ने शीला से कहा : "आज के लिए इतना बहुत है ..अब इसे कल पढ़ाना ..अब तुम जाओ ..और रात को वो पूजा के समय जरुर आ जाना .."
शीला ने पंडित से कोई सवाल नहीं किया ..और उठकर खड़ी हुई और उन्हें प्रणाम करके अपने घर चली गयी ..
अब उन्होंने अपना पूरा ध्यान रितु के ऊपर लगाया ..जो अपनी बुक्स अपने बेग में डाल रही थी .
पंडित : "रितु ...पढाई के अलावा और क्या रुचियाँ है तुम्हारी .."
रितु : "पंडित जी ..मैं घर पर माँ का हाथ बंटाती हु, सहेलियों के साथ खेलती हु, टीवी देखती हु ..बस .."
पंडित : "तुम्हारी सिर्फ सहेलियां ही हैं ..कोई लड़का दोस्त नहीं है ..?"
पंडित के मुंह से ऐसी बात सुनकर वो उनके मुंह की तरफ आश्चर्य से देखने लगी ..
पंडित : "अरे ..ऐसे क्या देख रही हो ..तुम सुन्दर हो ..जवानी की देहलीज पर खड़ी हो ..ऐसी अवस्था में कोई लड़का दोस्त ना हो , ऐसा तो हो ही नहीं सकता .."
रितु : "जी नहीं पंडित जी ...ऐसा कुछ नहीं है ..मेरा कोई लड़का दोस्त नहीं है ..और ना ही मैं इस बारे में सोचती हु .."
पंडित ने देखा की उसके निप्पल कड़े होने लगे हैं, और बात करते हुए उसके होंठ भी फड़क रहे हैं ..
पंडित : "चलो अच्छी बात है ..कोई नहीं है ..इन चीजों से जितना दूर रहो, उतना ही अच्छा है ..पर कभी तुम्हे किसी ने छुआ भी नहीं ..या फिर कभी किसी ने तुम्हे ..."
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..वो रितु के मुंह से गिरधर वाली बात उगलवाना चाहते थे ..
पंडित की बात सुनते ही रितु कांपने सी लगी ..उसे जैसे वो सब याद आने लगा जब उसके पिताजी ने उसे पकड़कर मसल सा दिया था और उसके नाजुक होंठों को चूस कर उसका सारा रस पी गए थे ..
वो कुछ ना बोली ...बस बैठी रही ..पंडित ऊपर बेड पर बैठा हुआ उसके हाव भाव का जाएजा ले रहा था ..
पंडित : "देखो ..तुम शायद जानती नहीं हो ..मेरे अन्दर अद्भुत शक्ति है ..मैं सामने वाले के मन की बातें जान लेता हु ..तुम जो भी सोच रही हो सब मुझे दिख रहा है .."
रितु का भयभीत चेहरा पंडित को घूरने में लग गया ..पंडित ने वही आईडिया अपनाया था जिसे उसने गिरधर पर आजमा कर उसके मन की बात जान ली थी ..जबकि ये सब कुछ माधवी ने उसे बताया था ..
रितु : "क्या ...क्या दिख रहा है ...आपको ..पंडित जी ..."
वो शायद परखना चाहती थी की पंडित जी सच ही बोल रहे हैं ..
पंडित : "तुम्हे किसी ने अपनि बाहों में दबोचा हुआ है ..और तुम्हे बेतहाशा चूम रहा है .."
पंडित की बात सुनते ही वो उठ खड़ी हुई और पंडित जी के पैरों को पकड़ कर रोने लगी ..: "पंडित जी ..ये बात आप किसी से मत कहना ..प्लीस ...पंडित जी ..मैं बदनाम हो जाउंगी ...अगर किसी को पता चला की मेरे पिताजी ने मेरे साथ ये सब किया ..."
उसने आखिर कबुल कर ही लिया ..पर ये इतना घबरा क्यों रही थी ..पंडित ने उसके मन में विशवास बिठाने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखे और उसे अपने पास बिस्तर पर बिठा लिया : "अरे पगली ...मैं भला ऐसा क्यों करूँगा ..मुझे भी तेरी इज्जत की उतनी ही चिंता है ..जितनी तुझे ..चुप हो जा .."
कहते -2 उन्होंने उसे सर को अपने कंधे पर रख लिया और उसकी कमर सहला कर उसे आश्वासन देने लगे ..
उसने ब्रा तो पहनी नहीं हुई थी ..शर्ट के अन्दर सिर्फ शमीज थी ..ऐसा लग रहा था की उसकी मांसल कमर और पंडित के हाथ में बीच कुछ भी नहीं है ..पंडित भी अपनी आँखे बंद करके उसके टच का मजा लेने लगा ..
पंडित : "पर एक बात सच-2 बताना ..तुम्हे कैसा एहसास हुआ था जब गिरधर ने तुम्हे ...चूमा था .."
पंडित के कंधे रितु का सर था, वो तेज साँसे लेने लगी जो पंडित को अपनी गर्दन पर साफ़ महसूस हुई ..
पंडित ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा : "बोलो ...सच बोलना ..तुम जानती हो न ..मेरी शक्ति के बारे में .."
पंडित ने उसके सामने झूठ बोलने की कोई जगह ही नहीं छोड़ी थी ..पर फिर भी वो सब कुछ बताने में घबरा रही थी ..
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पंडित : "देखो रितु , तूम मुझे अपना हितेषी समझो ..तुम जवानी की जिस देहलीज पर हो, वहां काफी तरह की उलझने मन में होती है जिनका निवारण होना अनिवार्य है ..वर्ना तुम सभी चीजों को अपने हिसाब से सोचने लगती हो और उनसे डर कर एक विचार बना लेती हो ..जो कई बार सही नहीं होता ..मुझे पता है तुम ये सब बातें अपनी माँ से भी नहीं करती हो ..और ना ही तुम्हारी कोई और सहेली इतनी समझदार है जिसे इन सब बातों के बारे में विसतृत जानकारी हो ..इसलिए बोल रहा हु, तुम्हारे मन में किसी भी प्रकार का कोई भय या प्रश्न है, तुम मुझे बता सकती हो, मैं उसका उचित निवारण करूँगा .."
पंडित की बातें सुनकर रितु ने भी सोचा की उनसे डरने का कोई ओचित्य नहीं है, वो तो उसकी मदद ही करना चाहते हैं, इसके लिए उसे सब तरह की शर्म छोड़कर उन्हें अपने मन की बात बतानी ही होगी ..
रितु ने बोलना शुरू किया : "दरअसल ...पंडित जी ...वो ...मुझे ....बस इतना जानना है की ...की ..जो भी पिताजी ने किया ...उसकी वजह से ...मुझे ..कोई ....मेरा मतलब है ..मुझे बच्चा ....तो नहीं हो जाएगा .."
रितु की बचकाना बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराए बिना नहीं रह सके ..दरअसल गलती उसकी भी नहीं थी ..हमारी शिक्षा प्रणाली में अभी तक सही तरीके से लड़कियों और लडको को ये नहीं बताया जाता की क्या करने से बच्चा होता है और क्या करने से नहीं ..और इसी बात का फायेदा पंडित को उठाना था ..
पंडित : "अरे तुम ये कैसी बाते कर रही हो ..लगता है तुम्हे इन सब बातों का कुछ भी ज्ञान नहीं है .. चलो कोई बात नहीं ..मैं तुम्हे सब बता दूंगा ..पर पहले तुम मुझे उस दिन वाली बात विस्तार में बताओ जब गिरधर ने तुम्हे ...पकड़ा था .."
वो बात सुनते ही रितु का चेहरा फिर से लाल हो उठा ..उसकी नजरें फिर से नीचे हो गयी, पंडित उसे समझाने के लिए कुछ बोलने ही वाला था की रितु ने धीरे से बोलना शरू किया : "उस दिन ..पिताजी हमेशा की तरह अपने कमरे में बैठ कर शराब पी रहे थे ..माँ किचन में थी ..पिताजी ने मुझसे कुछ सामान मंगवाया ..मैं जैसे ही उनके पास लेकर गयी, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया ..ये आम बात थी, पर उस दिन उनकी पकड़ कुछ ज्यादा जोर वाली थी , वो बोले 'तुम ही हो जो मेरा पूरा ध्यान रखती हो ..रितु , आओ , इधर आओ , मेरे पास ..' और पिताजी ने मुझे मेरी कमर से पकड़ कर अपने पास खींच लिया .."
पंडित बीच में ही बोल पड़ा : "तुमने उस दिन पहना क्या हुआ था ..?"
रितु : "जी मैंने एक लम्बी फ्रोक पहनी हुई थी ..जो मैं अक्सर रात को पहन कर सोती हु .."
और वो आगे बोली : "उन्होंने मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा बेलेंस नहीं बन पाया और मैं उनकी गोद में जा गिरी ..और उनका हाथ सीधा मेरी ...मेरी ब्रेस्ट के ऊपर आ गया ..मुझे लगा की शायद गलती से लग गया होगा, पर फिर उन्होंने मेरी ब्रेस्ट को ..दबाना शुरू किया तो मुझे पता चल गया की वो जान बुझकर कर रहे हैं ..मुझे तो कुछ समझ नहीं आया की वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..मैंने अपनी सहेलियों से सुना था की ऐसा मर्द और औरत करते हैं बच्चा पैदा करने के लिए ..और वो बात याद आते ही मैं बेचैन हो गयी ..की पिताजी मेरे साथ ऐसा क्यों करना चाहते हैं ..मैं उठने लगी और मम्मी को आवाज देनी चाहि तो उन्होंने मेरे चेहरे को पकड़ा और मुझे चूमने लगे ...उनके मुंह से शराब की गन्दी स्मेल आ रही थी ...उनकी मूंछे मुझे चुभ रही थी ..और वो बड़ी ही बेदर्दी से मेरे होंठों को चूस रहे थे ...और ...और ..मेरी ब्रेस्ट को भी दबा रहे थे .....मेरा तो पूरा शरीर कांपने लगा था ..समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है ...मेरी आँखों से आंसू निकलने लगे ..पर उनपर कोई फर्क नहीं पडा ..वो मुझे चूसते रहे ...और मुझे यहाँ - वहां से दबाते रहे ... "
पंडित : "मतलब तुम्हे वो सब अच्छा नहीं लग रहा था .."
रितु थोडा सकुचाई ..और फिर बोली : "तब तक तो अच्छा नहीं लग रहा था पर फिर ...फिर उन्होंने अपना एक हाथ मेरी फ्रोक के नीचे से अन्दर डाल दिया ...और ...और अपने पंजे से मेरी ...वो शू शू करने वाली जगह को पकड़ लिया ..."
उसकी साँसे तेज होने लगी थी ..पंडित ही पलक झपकाना भूल गया ...और रितु के आगे बोलने का वेट करने लगा ...
एक-दो तेज साँसे लेकर वो आगे बोली : "उनकी उँगलियाँ मेरी उस जगह पर घूम रही थी ..उसकी मालिश कर रही थी ..और वो जगह भी पूरी गीली हो चुकी थी ...मुझे तो लगा शायद डर की वजह से मेरा पेशाब निकल गया है ..पर बाहर नहीं निकला ...मुझे बड़ा ही अजीब सा लगा ...मुझे तब पहली बार अच्छा लगने लगा था ...पर तभी मम्मी अन्दर आ गयी और वो जोर से चिल्लाने लगी ...मैं तो भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और अपने बिस्तरे में घुस गयी ...बाहर से माँ और पिताजी के लड़ने की आवाजें आती रही ...आर मुझे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ...मैंने अपने एक हाथ नीचे लेजाकर वहां लगाया तो देखा की काफी चिपचिपा सा कुछ निकल रहा है ...मैंने बाथरूम में जाकर सब साफ़ किया ..पर मुझे डर लगने लगा था की कहीं मुझे बच्चा ना हो जाए ...इसलिए पिताजी के पास जाते हुए मुझे अब डर लगने लगा था ...और माँ ने भी उनके पास जाने को मना कर दिया .."
पंडित ने उसकी पूरी बात सुनकर एक गहरी सांस ली ..वो समझ गए की रितु बेकार में डर रही है ..वो उसे समझाने लगे ..: "देखो रितु , तुम जो भी सोच रही हो, वो सब गलत है, बच्चा ऐसे नहीं होता ..उसके लिए तो कुछ और करना पड़ता है , जिसे सम्भोग कहते हैं ..और जो भी तुम्हारे साथ हुआ, वो सब तो सम्भोग से पहले की क्रिया है ..जिसके कारण कुछ (बच्चा) होना असंभव है .."
रितु मुंह ताके उनकी ज्ञान भरी बातें सुनती रही ..और आखिर में बोली : "ये ...ये सम्भोग क्या होता है ..."
पंडित ने धीरे से कहा : "चुदाई ...चुदाई को ही सम्भोग कहते हैं .."
चुदाई शब्द सुनते ही रितु का चेहरा लाल सुर्ख हो उठा, उसकी आँखों में लालिमा सी उतर आई ...
पंडित : "और पता है ...चुदाई कैसे होती है ..."
ऋतू ने ना में सर हिलाया ...जिसकी पंडित को पूरी उम्मीद थी .
पंडित : "वो जो तुम्हारे नीचे है, शू शू करने वाली जगह ..उसे क्या कहते हैं ...पता है .."
पंडित की ऊँगली रितु की टांगो के बीच की तरफ थी .
रितु शायद जानती थी ...पर शरम के मारे कुछ ना बोली ..
पंडित : "उसे कहते हैं ...चूत और लडको के पास जो होता है ...उसे कहते हैं लंड "
पंडित ने अपने लंड की तरफ इशारा किया ..
पंडित : "और ...जब ये लंड, चूत में घुसता है ..उसे कहते हैं चुदाई ..और फिर अंत में जब लड़की की चूत और लड़के के लंड में से रस निकलता है तो दोनों मिलकर बनाते हैं बच्चा ..समझी ..."
पंडित ने उसे एक मिनट के अन्दर ही सृष्टि जनन का ज्ञान दे डाला ..
और रितु आँखों में आश्चर्य के भाव लिए उनकी सारी बातें सुनती रही ..वैसे उसके मन में काफी प्रश्न उबाल खा रहे हो ..और पंडित को मालुम था की वो अभी और भी बहुत कुछ जानना चाहती है , पर अब वो चुप होकर बैठ गए और उसके पूछने की प्रतिक्षा करने लगे ..
आखिर रितु ने अपना प्रश्न पूछ ही डाला : "पर पंडित जी ..वो सब तो एक लड़का - लड़की के बीच होना चाहिए ..फिर मेरे पिताजी ..मेरे साथ ऐसा ..क्यों कर रहे थे ..ये तो पाप है .."
पंडित : "देखो रितु , तुम्हारा कहना सही है ..पर सेक्स की दुनिया में कोई किसी का रिश्तेदार नहीं होता, उनमे सिर्फ एक ही रिश्ता होता है ..और वो होता है ..जिस्म का ..इसमें उम्र , रिश्ते , सुन्दरता , कुछ भी मायने नहीं रखते ..मायने रखता है तो सिर्फ एक दुसरे के प्रति आकर्षण और अपनी उत्तेजना को शांत करने की चाहत ....इसलिए उस दिन तुम्हारा दिमाग कुछ और सोच रहा था और तुम्हारा जिस्म कुछ और चाह रहा था ..जिसकी वजह से तुम्हारी चूत में से वो रस निकल रहा था .."
पंडित ने उसके रस निकलने वाली बात के रहस्य से पर्दा उठाया ..रितु को जैसे वो बात समझ आ गयी, उसने अपना सर हिलाते हुए पंडित जी की बात में सहमती जताई ..
पंडित : "मुझे पता है, तुम्हे अभी भी काफी बाते समझनी है, पर इसके लिए मुझे विस्तार से तुम्हे वो सब बताना होगा ..जिसके लिए तुम्हे सोच विचार कर आना है, तुम अभी जाओ, और रात भर सोचो, अगर ठीक लगे तो कल तुम्हारी टयूशन के बाद मैं तुम्हे ये सब बातें विस्तार से और व्यावहारिक (प्रेक्टिकल) रूप में समझा दूंगा .."
रितु उनकी बात का मतलब समझ गयी ...और उसने शरमा कर अपना मुंह फिर से नीचे कर लिया ...यानी पंडित जी कह रहे थे की वो उसे चुदाई के बारे में पूरा ज्ञान दे देंगे ..और ना चाहते हुए भी उसकी नजर पंडित जी की धोती के ऊपर चली गयी, जहाँ पर होती हुई हलचल देखकर उसकी चूत में भी सीटियाँ बजने लगी ...वो फिर से तेज साँसे लेने लगी ...और जल्दी-2 अपना बेग समेत कर बाहर की तरफ भागी ...
पंडित ने अपना चारा फेंक दिया था ...और रितु ने उसे चुग भी लिया था ..अब कल देखते हैं, क्या करती है वो आकर ...पर कल से पहले तो आज रात का इन्तजार था पंडित को ...
रात को उन्होंने शीला को जो बुलाया था ..अपने कमरे में ..उसे एक सरप्राईज देने के लिए ..
पंडित ने अपने दुसरे काम समेटे और शाम को थोडा सामान लेने के लिए वो बाजार की तरफ निकल पड़ा ..
वैसे तो मंदिर में आने वाले सामान से ही उसकी दिनचर्या और खाने पीने की चीजें निकल आती थी पर फिर भी कुछ सामान तो लेना ही पड़ता था ..और उसका रुतबा इतना था की वो कहीं से भी सामान ले, कोई उससे पैसे नहीं लेता था ..
पंडित बाहर निकल कर सीधा परचून की दूकान पर पहुंचा और आटा , मसाले और एक दो चीजें दुकानदार से निकालने को कहा ..पर पंडित ने नोट किया की उस दिन वो दुकानदार कुछ ज्यादा ही दुखी दिखाई दे रहा था ..पंडित ने पुछा : "अरे इरफ़ान भाई ..क्या हुआ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो ..सब ठीक तो है ना .."
इरफ़ान : "अब क्या कहे पंडित जी ..मेरी तो किस्मत ही खराब है ..आप तो जानते ही है, मेरी बेटी
नूरी जिसका पिछले साल ही निकाह हुआ था, वो अक्सर अपने पति से लड़कर मेरे घर आ जाती है ..कल रात भी यही हुआ, पिछले एक साल में 6 बार उसको समझा बुझा कर वापिस भेज चूका हु पर कल रात के बाद तो वो अपने शोहर के पास जाने को राजी ही नहीं है ..वो कहती है की वो उसके लायक नहीं है ...अब आप ही बताएं पंडित जी ..मैं क्या करू .."
नूरी की बात सुनते ही पंडित के शेतानी दिमाग ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी ..वो काफी सुंदर थी, जैसे ज्यादातर ,., लड़कियां होती हैं ..और जब तक वो यहाँ रहती थी, पंडित जी से काफी गप्पे मारती थी, जब भी वो दूकान पर कुछ सामान लेने आते थे ।
वो कुछ देर तक सोचते रहे और फिर बोले : "देखो इरफ़ान भाई, वैसे तो तुम्हारे घर के मामलो में मेरा बोलना मुनासिफ नहीं है, पर अगर हो सके तो उसके दिल की बात जानने की कोशिश करो ..पूछो उससे की क्या परेशानी है ..क्या पता, वो सही हो ..या फिर उसकी बात सुनने के बाद कोई उपाय निकल सके .."
इरफ़ान : "पंडित जी ..वो मुझे तो कुछ बताने से रही ..उसकी अम्मी के इंतकाल के बाद वो मुझसे खुल कर कोई भी बात नहीं करती है .." और कुछ देर सोचने के बाद वो बोले : "अगर आप उससे बात करके देखे तो शायद वो आपसे कुछ बोल पाए ..हाँ ..ये सही रहेगा ..आप उससे बात करो ..और उसके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है, उसका पता करो ..."
पंडित उसकी बात सुनकर चुप रहा, वो जानता था की नूरी उनकी बात मानकर अपने दिल की बात जरुर बता देगी, फिर भी ये बात वो इरफ़ान के मुंह से निकलवाना चाहते थे ,
पंडित : "अगर मेरे समझाने से वो समझ जाए तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है ...पर अभी उससे बात करना सही नहीं है, कल ही आई है वो, और मुझे भी आज कुछ काम है , ऐसा करते हैं, मैं कल आऊंगा , इसी समय, और फिर उससे बात करके समझाने की कोशिश करूँगा ..तुम अब उसको ज्यादा परेशान मत करना ..और बोल कर रखना की मैं कल आऊंगा उससे मिलने .."
इरफ़ान ने पंडित जी का धन्यवाद किया, और उनका सामान बाँध कर उन्हें दे दिया और हमेशा की तरह उनसे कोई पैसे भी नहीं लिए ..
पंडित अपने पिंजरे में एक और शिकार फंसता हुआ साफ -2 देख पा रहा था ..वो उसे अपने मंदिर में तो बुला नहीं सकता था, इसलिए उसके घर पर ही जाने की बात कही थी ..
अब उसके मन में नूरी को लेकर अलग - 2 योजनाये बननी शुरू हो गयी थी .
घर आते-2 8 बज गए , शीला को पंडित ने 9 बजे बुलाया था, अभी 1 घंटा था उनके पास, उन्होंने जल्दी-2 खाना बनाया और खा लिया क्योंकि शीला के आने के बाद तो उन्हें खाने का टाइम ही नहीं मिलता .
रात को 9 बजते ही उनके दरवाजे पर धीरे से दस्तक हुई ..और पंडित ने दरवाजा खोलकर शीला को अन्दर ले लिया ..
शीला ने सलवार कमीज पहना हुआ था, अन्दर आते ही पंडित ने उसे अपनी बाहों में भर लिया और शीला भी उनसे बेल की भाँती लिपटती चली गयी ..
शीला : "अह्ह्ह पंडित जी ..क्यों तडपा रहे हो सुभह से ..आज का पूरा दिन बिना कुछ किये ही निकल गया ...देखो न मेरा क्या हाल हो रहा है .."
शीला ने पंडित का हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया, और जोरों से दबा दिया , उसके सख्त मुम्मे पकड़कर पंडित को 440 वाल्ट का करंट लग गया .
पंडित : "अरे इतनि बेसब्री क्यों हो रही है ...तेरी इसी तड़प को देखने के लिए ही तो मैंने आज पूरा दिन कुछ नहीं किया तेरे साथ ..."
शीला ने पंडित के होंठों को चूमना चाह पर पंडित ने बड़ी चालाकी से अपना मुंह नीचे किया और उसके मुम्मो के ऊपर, सूट के ऊपर से ही , रगड़ने लगा .
"अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....खा जाओ .....ये मिठाई आपके लिए ही है ...." शीला ने सिसकारी मारते हुए अपनी दूकान के पकवान चखने का न्योता दिया ..
पर पंडित के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था , वो उसके वीक पॉइंट्स को मसल कर, सहला कर उसे और भी उत्तेजित करने में लगा हुआ था और टाइम पास कर रहा था ..शीला भी ये बात नहीं समझ पा रही थी की पंडित ने उसके कपडे उतारने शुरू क्यों नहीं किये ..वो तो चुदने के लिए इतनी बेताब थी की अपने हाथों से खुद कपडे उतारने लगी पर पंडित ने उसके हाथों को रोक दिया और इधर -उधर मुंह मारकर कुछ और टाइम पास करने लगा ..
तभी पीछे के दरवाजे पर एक और दस्तक हुई ..शीला ने बदहवासी में पंडित को देखा और आँखों ही आँखों में पुछा , कौन हो सकता है बाहर ...पर पंडित को मालुम था की बाहर कौन है ..शीला कुछ समझ पाती इससे पहले ही पंडित ने दरवाजा खोल दिया ..बाहर गिरधर खड़ा था ..रोज की तरह अपने हाथ में अद्धा और खाने का सामान लिए ..
पंडित ने गिरधर को अन्दर बुला लिया, शीला अस्त - व्यस्त हालत में खड़ी थी , उसे उम्मीद नहीं थी की पंडित ऐसे ही किसी को अपने कमरे में लेकर आ जाएगा खासकर जब वो भी अन्दर ही मौजूद थी ..
अन्दर आते ही गिरधर ने जैसे ही शीला को देखा तो उसकी आँखों में अजीब सी चमक आ गयी, उसने मुस्कुराते हुए पंडित की तरफ देखा तो पंडित के चेहरे पर आई अजीब सी मुस्कराहट देखकर वो साफ़ समझ गया की ये पंडित जी का जुगाड़ है, और शायद आज उसकी भी किस्मत खुल जाए और पंडित इस खुबसूरत और भरी हुई औरत को उसके साथ शेयर कर ले ..और शीला इन सब बातों से बेखबर नीचे देखते हुए अपने पैरों के नाखूनों से जमीन कुरेदने में लगी हुई थी ..
पंडित : "आओ गिरधर ...इनसे मिलो ..ये हैं शीला ..यही रहती है, हमारे मोहल्ले में ..ये अक्सर मुझे खाना बनाकर खिलाने के लिए आती है .."
शीला ने अपना सर ऊपर किया और गिरधर को हाथ जोड़कर नमस्ते किया ..
पंडित : "शीला, तुम अन्दर जाओ और हमारे लिए दो गिलास लेकर आओ .."
पंडित ने गिरधर के हाथ से शराब की बोतल ले ली और अपने बेड पर बैठ गए ..
शीला ने आज पहली बार पंडित जी के हाथ में शराब की बोतल देखि थी , उसे तो विशवास ही नहीं हुआ की पंडित जी भी शराब पी सकते हैं ..वैसे पंडित जी उसके साथ चुदाई कर सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं ...उसने कोई प्रश्न नहीं किया और अन्दर चली गयी ..
उसके जाते ही गिरधर पंडित से बोला : "अरे वह पंडित जी ..आप तो छुपे रुस्तम निकले ..क्या माल है ये औरत तो ..इसके दूध तो देखो जरा ..मन तो कर रहा है की अभी इसके कपडे फाड़ डालू और अपना मुंह लगा कर दूध पी जाऊ कुतिया का .."
लगता है आज गिरधर पहले से ही पीकर आया था, एक तो पिछले 2 महीनो से किसी की नहीं ले पाया था और दूसरा पंडित जी ने उसे माधवी की चूत मारने के लिए भी मना कर रखा था ..और आज शीला को देखते ही उसे ना जाने क्यों ये लगने लगा था की आज उसके लंड को कुछ न कुछ जरुर मिलेगा ..
पंडित : "अरे गिरधर, मैंने तुझे बोला था न की तू फ़िक्र मत कर, मेरे साथ रहेगा तो एश करेगा , तुझे माधवी की भी मिलेगी, इसकी भी दिलवा दूंगा और रितु की भी .."
रितु का नाम सुनते ही गिरधर के लंड ने फिर से एक अंगडाई ली ..और खुली आँखों से सपने देखने लगा ..
तभी शीला वापिस आ गयी और उनके सामने ट्रे में गिलास और खाने का सामान रख दिया ..
पंडित ने उसे वहीँ अपने पास बिठा लिया और गिरधर से पेग बनाने को कहा ..
पेग बनाते हुए गिरधर की नजरें शीला को चोदने में लगी हुई थी ...तभी उसने देखा की पंडित का एक हाथ सरक कर शीला की जांघ के ऊपर आ गया ...और शीला कसमसा कर रह गयी ..
गिरधर ने पेग पंडित को दिया और दोनों पीने लगे ..
पंडित : "शीला, तुम इससे मत शरमाओ ..ये मेरा दोस्त है, और हमारे बीच में कोई भी बात छुपी नहीं रहती .."
पंडित की बात सुनकर शीला ने हेरानी भरी नजरों से उन्हें देखा, मानो पूछ रही हो की क्या हमारी बात भी मालुम है इसे ...
पंडित मुस्कुराते हुए सिप लेते रहे ..
अब पंडित का हाथ उसकी जांघो के बीच जा पहुंचा ..वो तो पहले से ही गर्म हुई पड़ी थी, पंडित के सहलाने से उसकी चूत से ज्वालामुखी जैसी गर्माहट निकलने लगी ..जिसे पंडित साफ़ महसूस कर पा रहा था ..पर गिरधर के सामने बैठे होने की वजह से वो सकुचाये जा रही थी ..
पंडित ने सोच कर रखा हुआ था की आज वो शीला से क्या करवाना चाहता है, उसने शीला को अपना गिलास दिया और बोला : "ये लो ..तुम भी पियो .."
शीला : "नहीं पंडित जी ..मैं नहीं पी सकती ..मैंने आज तक नहीं पी .."
पंडित ने झूठा गुस्सा करते हुए कहा : "नहीं पी तो आज पियो ..तुम मेरी बात को मना कैसे कर सकती हो ...याद नहीं, तुमने क्या कहा था ..पियो इसे .."
पंडित के गुस्से को देखकर वो डर सी गयी और उसने गिलास लेकर एक ही घूँट में पूरी पी डाली ..काफी कडवी थी ..वो खांसी करने लगी ..पंडित ने जल्दी से उसे खाने के लिए नमकीन दी ..और उसी गिलास में थोडा पानी डालकर दिया ..वो कुछ सामान्य हुई ..पर अब उसका सर चकरा रहा था ..आँखे घूम रही थी ..पंडित की हरकत देखकर गिरधर भी अपना मुंह फाड़े उन्हें देखता रहा ..
पंडित ने एक और पेग बनाया और थोड़ी सी पीने के बाद उन्होंने फिर से गिलास शीला को दे दिया, उसने बिना किसी अवरोध के वो भी पी लिया ..अब वो पूरी बहक चुकी थी ..पंडित ने बचा हुआ आखिरी घूँट अपने मुंह में भरा और शीला को अपनी तरफ खींचकर उसके होंठों से होंठ लगा कर वो भी उसके मुंह में डाल दी ..शीला वो भी पी गयी, और पंडित के होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी ..अब उसे गिरधर के सामने बैठे होने से भी कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ..वो गहरी साँसे लेती हुई पंडित के चेहरे को चूमे जा रही थी, एक तो नशे की वजह से और दूसरे सुबह से अपने बदन में छुपाये हुई उत्तेजना की वजह से ..
चूसते -2 शीला पंडित की गोद में ही चढ़ गयी ...और उनके गले में बाहें डालकर , अपनी गांड को उनकी जाँघों पर मसलने लगी ..
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....ये क्या पिला दिया आपने ...मुझे ....उम्म्म्म्म ....इसने तो मेरी आग को और भी भड़का दिया है ..."
पंडित ने उसके कुर्ते को पकड़ कर ऊपर खींचा, शीला ने अपनी बाहें ऊपर करके पंडित की मदद की ..और अब वो सिर्फ ब्रा और सलवार में उनकी गोद में बैठी हुई थी ...
पंडित ने शीला को अपने गले से लगा कर उसके मुम्मो को अपनी छाती से पीस सा दिया ...वो भी सिसक कर अपनी छातियों को पंडित के सीने से लगकर मसलने लगी ..
गले मिलते हुए पंडित के सामने गिरधर का चेहरा था, जो पीना भूलकर , मुंह फाड़े, पंडित की रंगरेलियां देख रहा था ..पंडित ने इशारा करके गिरधर को शीला की ब्रा खोलने को कहा ..गिरधर ने कांपते हुए हाथों से शीला की ब्रा के स्ट्रेप पकडे और उन्हें खोल दिया ..
शीला को तो पता ही नहीं चला की उसकी ब्रा पंडित ने नहीं बल्कि गिरधर ने खोली है ..पर गिरधर ने आज पहली बार इतनी भरी हुई और गोरी औरत के शरीर पर हाथ लगाया था, उसे तो विशवास ही नहीं हुआ ...पंडित के इशारा करने पर वो थोडा आगे आया और अपने हाथ आगे करके उसने शीला की ब्रेस्ट को अन्दर से पकड़ लिया और उन्हें बेदर्दी से दबाने लगा ...
अब जाकर शीला को एहसास हुआ की ये हाथ गिरधर के हैं, क्योंकि पंडित के हाथ तो उसकी गांड को मसलने में लगे हुए थे ..ये एक अलग ही एहसास था उसके लिए ..अब उसे भी लगने लगा था की उसकी तो आज डबल बेंड बजेगी ..
और दूसरी तरफ गिरधर का भी यही हाल था, उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था की उसे ऐसी औरत की मारने को मिलेगी जो हाथ लगाने से भी मेली हो जाए ..
गिरधर के अपने हाथों की उँगलियों में शीला के निप्पल भर लिए , वो इतने बड़े और मुलायम थे मानो शेह्तूत , उनमे से रस निकल कर जैसे बाहर बह रहा था ..
वो थोडा और आगे खिसक आया और बीच में पड़ी हुई प्लेट्स और गिलास को एक तरफ करके ठीक पंडित के सामने बैठ गया ..शीला अभी भी अपनी मोटी गांड को पंडित की जाँघों के ऊपर मसल-2 कर अन्दर से निकल रही अग्नि को बुझाने की कोशिश कर रही थी ..
पंडित ने बीच में लटक रही ब्रा को निकाल कर साईड में फेंक दिया ..अब शीला की नंगी छातियाँ पंडित के सीने से चटखारे ले लेकर मिल रही थी .
पंडित ने अपनी लम्बी जीभ निकाली और शीला के गले से लेकर ऊपर की तरफ पुताई करनी शुरू कर दी ..उसकी गीली जीभ अपना गीलापन छोडती हुई जा रही थी और पंडित शीला के जिस्म का नमक चखकर मजे से उसका भोग लगा रहा था .
पंडित की देखा देखि गिरधर ने भी अपनी कठोर और पत्थर जैसी जीभ निकाली और शीला की मखमली पीठ के ऊपर रगड़ने लगा .
शीला अपने ऊपर हो रहे गीले हथियारों के हमले से बचने के लिए छटपटाने लगी ..वैसे ही उसकी चूत से मेंगो फ्रूटी निकल कर पंडित की जाँघों को गीला कर रही थी, ऊपर से पंडित और गिरधर की जुगलबंदी जीभों ने उसके शरीर के तानपुरे में ऐसे संगीत बजाने शुरू कर दिए जिसे उसने आज तक नहीं सुना था ..और वो संगीत सिस्कारियों के रूप में उसके मुंह से बाहर निकलने लगा ..
'"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ....उम्म्म्म्म्म .....ये क्या कर दिया आपने ....अह्ह्ह्ह .... "
और उसने अधीरता वश पंडित जी की जीभ जो उस वक़्त उसकी ठोडी को कुत्ते की तरह चाट रही थी , उसे अपने दांतों के बीच लेकर जोर से काट लिया ...
पंडित की सिसकारी निकल गयी ..और उसकी जीभ से खून .
शीला का जंगलीपन देखकर पंडित को भी जोश आ गया ..और वो अपनी पूरी ताकत से उसके योवन को अपने हुनर दिखा दिखाकर चूसने लगा .
पीछे से गिरधर ने अपना कुरता, धोती और चड्डी एक ही झटके में निकाल फेंकी ..उसके लंड का बुरा हाल था ..और वो अपने पुरे 7 इंच के आकार में आकर फुफकार रहा था ..
गिरधर ने पीछे से ही शीला के इर्द गिर्द अपनी बाहें लपेटी और उसके दोनों मुम्मों को बेदर्दी से मसलने लगा .उसने शीला के चेहरे को पकड़कर तिरछा किया और अपनी तरफ घुमाया ...और उसके गालों और कानों को उसी तरीके से चाटने लगा जैसे वो उसकी पीठ को चाट रहा था ..उसकी जीभ का खुरदुरापन शीला की नाजुक त्वचा को चुभ सा रहा था ..पर नशे और उत्तेजना के आवेश में उसे वो सब महसूस ही नहीं हो रहा था ..वो तो जैसे हवा में उढ़ रही थी ..किसी उड़नखटोले (पंडित की जाँघों ) पर बैठी हुई थी और दो सेवक मिलकर उसकी सेवा किसी रानी की तरह से कर रहे थे ..
शीला ने आँखे बंद किये -2 ही अपना मुंह खोल और गिरधर के होंठों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..उसके नशीले और शरबती होंठों की मदिरा अब गिरधर खुल कर पी रहा था ..और साथ ही साथ वो अपने हाथों से उसकी छातियों को आटे की तरह से गूंध रहा था ..शीला के मुंह पीछे करने की वजह से उसकी छातियाँ नुकीली सी होकर पंडित के सामने उभर आई और पंडित ने उनकी कठोरता को अपने दांतों से महसूस करना शुरू कर दिया ..
शीला को कुछ भी होश नहीं रह गया था की वो क्या कर रही है और किसके साथ कर रही है ..वो तो बस स्वर्ग का मजा लेने में लगी हुई थी ..
शीला को चूमते-2 गिरधर ने उसे अपनी तरफ खींच लिया और अपनी गोद में ही लिटा लिया ..शीला की दोनों टाँगे पंडित की कमर से बंधी हुई थी और उसकी गांड पंडित के लंड के ऊपर थी ..और पीछे लेटने की वजह से उसकी पीठ अब बेड को छू रही थी और उसका सर गिरधर की गोद में था ..और वो स्पाईडरमेन स्टाईल में शीला के चेहरे को पकड़ कर उलटी किस्स कर रहा था ..और अपने हाथो को आगे लेजाकर उसके पर्वतों की मालिश भी कर रहा था ..
पंडित ने आगे झुककर अपनी जीभ शीला की नाभि के ऊपर रखी और फिर अन्दर घुसा दी ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित ......उम्म्म्म्म्म .......
ये भी उसका वीक पॉइंट था ..जिसे पंडित अपनी जीभ और दांतों से चुभला कर उसे और भी उत्तेजित कर रहा था ..
"
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शीला को सांस लेने की भी फुर्सत नहीं थी ..वो गिरधर के मुंह से निकल रही साँसों से ही काम चला कर जिन्दा रहने का प्रयास कर रही थी .
पंडित ने उसकी नाभि को पूरा छान मारा और उसे चूस चूसकर लाल सुर्ख कर दिया ..अब उसके हाथ शीला की पयजामी पर थे जिसके लास्टिक को पकड़कर उन्होंने उसे नीचे खींच दिया ..कच्छी समेत ..
और सामने से निकलती हुई खुशबु को सूंघकर उन्होंने अपनी आँखे बंद कर ली और एक जोरदार डुबकी मारकर वो उसकी चूत की झील में गुम हो गए ..
शीला ने भी एक जोरदार सीत्कारी मारते हुए पंडित के सर को पीछे से पकड़कर उसे और अन्दर धकेल दिया ..
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .....पंडित जी ....चुसो ....इसे ....सुबह से कुलबुला रही है ....अह्ह्ह्ह्ह ....खा जाओ ....पी जाओ सब कुछ ...उम्म्म्म्म्म ...उफ्फ्फ ....."
पंडित ने उसके कूल्हों पर हाथ रखकर उसे ऊपर उठा लिया और उसकी चूत का पान करने लगे ..जैसे कोई मिठाई की थाली उठा रखी हो और उसमे सीधा मुंह मारकर सब कुछ चट करने में लगे हों ..
शीला को अपने सर के नीचे गिरधर के लंड का एहसास हुआ और उसने अपनी गर्दन तिरछी की उसके देसी लंड को अपने मुंह में भर लिया ..
गिरधर की तो जैसे लाटरी ही लग गयी ...दो दिन पहले माधवी ने जिन्दगी में पहली बार उसके लंड को चूसा था ..और आज शीला भी वही कर रही थी ..इतनी ख़ुशी तो उसने कभी नहीं देखि थी एक साथ .
वो उसके सर को पकड़ कर अपने लंड के ऊपर जोरों से दबाने लगा ..और उसके मुख को चोदने लगा ..
पंडित ने भी आनन् फानन में अपनी धोती और कच्छा निकाल फेंका और घुटनों के बल बैठ कर शीला की जाँघों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा ..और अपने लंड के सुपाडे को उसकी अधीर चूत के ऊपर लगाया ...बाकी का काम शीला ने खुद कर लिया ..अपने शरीर को नीचे की तरफ एक जोरदार झटका दिया ..और पंडित का सुपाड़ा लंड समेत अपने अन्दर घुसेड लिया ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म .....ओघ्ह्ह्ह्ह पंडित जी .....आपके लंड का वेट सुबह से था ...अह्ह्ह ..चोदो मुझे ....अह्ह्ह ....जोर से ....हां ..."
पंडित तो पहले से ही खुन्कार हो चुका था ..शीला की बाते सुनकर वो और भी तेजी से अपने काम में लग गया ..और उसकी चूत के अन्दर अपने लंड के झटके दे देकर उसे बुरी तरह से चोदने लगा ..
"अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ उम्म्म ....उम्म्म अह्ह्ह्ह्ह ...उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ ..... "
उसकी सिस्कारियां पंडित के कमरे में घंटियों की तरह से गूँज रही थी ..
अब गिरधर से भी बर्दाश्त नहीं हुआ, शीला को जो झटके मिल रहे थे और जिस तरह से वो चिल्ला रही थी, उसके लंड को उसने चूसना छोड़ दिया था ..और अब गिरधर अपने हाथों से अपने लंड को मसलते हुए शीला के हिलते मुम्मे और चुदाई देख रहा था ..
पंडित से उसकी हालत देखि नहीं गयी ..उनके मन में एक विचार आया ...उन्होंने अपना लंड शीला की चूत से निकाले बिना ही उसे अपने ऊपर खींच लिया और खुद बेड पर लेट गए ..अब शीला उनके ऊपर थी ..और फिर उन्होंने पीछे से गिरधर को इशारा करके उसकी गांड मारने को कहा ..गिरधर को तो विशवास ही नहीं हुआ की पंडित एक ही बार में उसके दोनों छेदों को फाड़ने की सोच रहे हैं ...वो झट से उठा और अपने लंड को पकड़ कर उनके ऊपर आ गया ...और अपने लंड को उसने शीला की गांड के छेद पर रख दिया ..
अपने पीछे गिरधर के लंड का एहसास पाते ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए ...उसने आज तक ऐसा सोचा तक नहीं था ..पर उत्तेजना के शिखर पर पहुंचकर उसने ये भी कर डालने की सोची और थोडा रूककर उसके लंड को अपनी गांड के छेद में फंसने दिया ..और जैसे ही वो फंसा, गिरधर के जोरदार शॉट मारकर अपने लंड को उसकी गांड की बोड्री लाईन के पार पहुंचा दिया ..
"अह्ह्ह्ह्ह्ह .....धीरे ....अह्ह्ह्ह ..उफ्फ्फ्फ़ ....."
उसकी तो जैसे गांड की नसें ही जाम हो गयी ..उसका सारा नशा रफूचक्कर हो गया ..पंडित और गिरधर का लंड उसकी चूत और गांड के पूरा अन्दर तक समा चुका था ...उसे आज पूर्णता का एहसास हुआ ..और अन्दर से आने वाले सेंसेशन का मजा वो धीरे -2 हिलकर लेने लगी ..
पंडित और गिरधर एक साथ ले मिलाकर उसे चोदने में लग गये ..और अब शीला को भी मजा आने लगा ..
"अह्ह्ह .... उम्म्म्म्म पंडित जी .....सच में .....अह्ह्ह ..मजा आ गया ..ऐसा तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी ..आपने इस विधवा को आज दुगना मजा दिया है ...अह्ह्ह्ह्ह ....ये मैं पूरी जिन्दगी नहीं भूल सकती ...उम्म्म अह्ह्ह्ह और तेज ...करो। ....अह्ह्ह्ह ....तुम भी गिरधर ....जोर से डालो ...अपना लंड ... मेरी गांड में ....अह्ह्ह फाड़ डालो ...आज इसे ..अपने मोटे लंड से ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मर्र्र गयी ....अह्ह्ह्ह .....बहुत मजा आ रहा है ....हाँ ....ऐसे ही ...ओह्ह्ह पंडित जी .....मैं तो गयी ....अह्ह्ह्ह ...."
और वो झड़ने के बाद भरभराकर पंडित के ऊपर गिर गयी ...और बेहोश सी हो गयी .
उसकी चूत से गाड़े पानी की बोछारें निकलकर पंडित के लंड को भिगोने लगी ..
पंडित से भी संभालना मुश्किल हो गया और उसके लंड ने भी अपनी खीर शीला की कटोरी में भर कर उसे तृप्त कर दिया ..
पीछे से गिरधर ने भी अपने पंजे शीला की गद्देदार गांड में फंसाकर अपना पूरा जोर लगाकर एक जोरदार गर्जन के साथ अपना रस उसकी गांड के छेद में निकलने दिया ..
और फिर दोनों गहरी साँसे लेते हुए अपने-2 लंड शीला के अन्दर से निकाल कर वहीँ बेड पर लुडक गए ..
तभी बाहर दरवाजे पर दस्तक हुई ..जिसे सुनकर पंडित और गिरधर एक दम चोकन्ने हो गए ...और एक दुसरे के चेहरे की तरफ देखने लगे ..शीला तो बेहोशी की हालत में पड़ी थी, उसे कोई होश नहीं रह गया था ..
पंडित और गिरधर सोचने लगे की इतनी रात को कौन हो सकता है .
पंडित ने हिम्मत करके पुछा : "कौन है ....?
बाहर से आवाज आई : "पंडित जी ...मैं ...माधवी .."
माधवी की आवाज सुनते ही गिरधर की सिट्टी पिट्टी ही गुम हो गयी ..वो धीरे से फुसफुसाया : "ये इतनी रात को कैसे आ गयी ...पंडित जी ..अगर इसने मुझे ऐसी हालत में देख तो अनर्थ हो जाएगा .."
गिरधर ने अपने और शीला के नंगे शरीर की तरफ इशारा किया ..
शीला अभी तक बेहोशी की हालत में ही थी ..
पंडित ने उसे शांत रहने का इशारा किया और दरवाजे की तरफ मुंह करके बोला : "जरा रुको माधवी ..अभी आता हु .."
और फिर जल्दी से शीला की टाँगे पकड़ी और गिरधर को उसकी बाजू पकड़ने को कहा और दोनों ने उसके नंगे जिस्म को उठा लिया और उसे बाथरूम की तरफ ले गए ..पंडित ने गिरधर को भी अन्दर रहने को कहा और खुद धोती लपेट कर बाहर आ गए और दरवाजा खोल दिया ..
बाहर माधवी खड़ी थी , अपना गाऊन पहने ...और गले में चुन्नी थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...इतनी रात को कैसे आना हुआ ..आओ -२ अन्दर आ जाओ ..?"
माधवी अन्दर आ गयी और पंडित ने दरवाजा बंद कर दिया .
माधवी : "पंडित जी ..वो गिरधर आये हैं क्या यहाँ ..आज तो इतनी रात हो गयी ..इतनी देर तो आज तक नहीं की इन्होने ..."
पंडित ने घडी देखि ...12 बजने वाले थे ..सच में , शीला की चुदाई करते हुए समय का पता ही नहीं चला उन्हें ..
पंडित : "हाँ ....वो आया तो था ..बस आधा घंटा पहले ही गया है ..वो कह रहा था की किसी से पैसे लेने थे, रात के समय ही मिलता है वो ..इसलिए ...आ जाएगा ...तुम चिंता मत करो .."
पंडित की बात सुनकर माधवी को कुछ राहत मिली ...
माधवी ने गाऊन पहना हुआ था और अन्दर आने के बाद पंडित ने गोर से देखा तो उसके निप्पल खड़े हुए साफ़ दिखाई दिए यानी उसने नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..
पंडित की धोती में भी हलचल सी होने लगी ..पर उसका पति भी तो अन्दर ही था ..और शायद दरवाजे में बनी हुई झिर्री से सब देख रहा था ..कुछ सोचते हुए पंडित के मन में एक अजीब सा ख़याल आया ..और उसके चतुर दिमाग ने एक जोरदार और रिस्की प्लान बनाया ..
पंडित : "आओ बैठो माधवी ..अभी उसको आधा घंटा लगेगा वापिस आने में .."
माधवी के शरीर में भी झुरझुराहट सी फेल गयी जब पंडित ने हाथ पकड़ कर माधवी को अपनी तरफ खींचा और उसे सुबह का अधुरा छोड़ा गया काम याद आ गया ...
उस बेचारी को क्या पता था की अन्दर बाथरूम में बैठा हुआ उसका पति गिरधर सब कुछ साफ़ -२ देख रहा है ..पर वो भी पंडित के एहसान के तले दबा हुआ (शीला के नंगे जिस्म को अपने हाथो में समेट कर) अन्दर बैठा हुआ था ..उसे तो ये भी नहीं पता था की पंडित और उसकी बीबी के बीच बात कहाँ तक पहुँच चुकी है ..और जो कुछ भी वो देखने वाला था वो उसके लिए शॉक लगने जैसा ही था ..
माधवी : "पंडित जी ...सुबह तो आप बिना कुछ बोले ही बाहर निकल गए थे ..और अब हाथ पकड़ कर बुला रहे हैं .."
पंडित : "सुबह की बात कुछ और थी ..अभी की और है .."
कहते - २ पंडित ने माधवी के खड़े हुए निप्पल को गाऊन के ऊपर से ही मसल दिया ...उसकी सिसकारी निकल गयी ..और उसने अपना चेहरा पंडित के सामने सियार की भाँती ऊपर उठा दिया और अगले ही पल अपने पंजो पर खड़े होकर उसने पंडित के होंठों का शिकार कर लिया ...
पंडित : "उम्म्म्म्म ......ओह्ह्ह्ह ....माधवी ....सच में ....गिरधर की किस्मत कितनी अच्छी है ...जो हर रात तुम्हारे साथ होता है वो ..और जब मन चाहे कुछ भी कर सकता है ... "
माधवी ने पंडित की गर्दन ..छाती और नाभि वाले हिस्से को चुमते हुए नीचे की तरफ जाना शुरू किया ...और बोली : "ओह्ह्ह्ह पंडित जी ...रात भर साथ रहना तभी मजेदार लगता है जब दूसरा इंसान भी मजे देने वाला हो ...आजकल के मर्द या औरत बाहर क्यों मुंह मारते हैं ..पता है .."
पंडित : "नहीं ...तुम बताओ ..."
माधवी : "क्योंकि घर में उन्हें वो सब नहीं मिल पाता जिसकी उन्हें इच्छा होती है ...जैसे मैं ..मैं चाहती हु की रोज रात को मेरा पति मेरी चूत को चाटे ..मुझे प्यार से किसी राजकुमारी की तरह से मुझे एक औरत होने का एहसास दिलाये ...और बस मुझे ही प्यार करे ..."
उसकी बात सुनकर शायद गिरधर को भी अपनी कमजोरी का पता चल गया होगा ...
पंडित की धोती एक ही झटके में नीचे गिर गयी और उसका शीला के कामरस में डूबा लंड माधवी के सामने लहराने लगा ...
माधवी ने भूखी शार्क की तरह से पंडित की टांगो के बीच फंसी हुई मछली को लपका और तिल्ली वाली कुल्फी की तरह से उसे चूसने और चाटने लगी ...पंडित के लंड में से दूध की बूंदे निकल कर उसके चेहरे पर गिरने लगी ...
माधवी : "ह्म्म्म्म ......आपके लंड में से किसी और की चूत की खुशबू आ रही है ...लगता है मेरे आने से पहले किसी और की सेवा कर रहे थे आप ...पंडित जी .."
पंडित कुछ ना बोला ...ऐसी अवस्था में कुछ भी बोलना सही नहीं था ...वो बस मुस्कुराते हुए माधवी के चोदु मुंह को चोदने में लगा रहा ...
पंडित ने अपने हाथों से अपना डंडा पकड़ा और माधवी के चेहरे पर मारने लगा ...
चमड़ी के डंडे की मार अपने चेहरे पर पड़ती देखकर माधवी और भी खुन्कार हो उठी ....उसने आनन् - फानन में अपना गाऊन निकाल फेंका और नंगी होकर पंडित की गर्दन से झूल गयी ...
उसके बड़े -२ तरबूज पंडित की छाती से पीसकर अपना रस निचोड़ रहे थे वहां ...
पंडित ने उसकी चोडी - चिकनी गांड को अपने हाथों में समेटा और उसे ऊपर उचका कर अपनी गोद में ले लिया ...
माधवी ने अपनी मोटी जांघे पंडित की कमर से लपेट कर उसे हेवन के मजे देने शुरू कर दिए ...अपने होंठों से .
उसके गुलाबी होंठ बड़ी बेदर्दी से पंडित को चूसने और खरोचने में लगे हुए थे और उतनी ही बेदर्दी से वो अपनी छातियाँ पंडित के सीने से झटके दे देकर पीस रही थी ..
अचानक पंडित ने अपनी एक ऊँगली माधवी की गांड के छेद में घुसा डाली ..
"अह्ह्ह्ह्ह .....ओफ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी ....उम्म्म्म्म ....यहाँ नहीं ....दर्द होता है ....अह्ह्ह्ह "
पंडित समझ गया की माधवी की गांड अभी तक कुंवारी है ...मजा आयेगा ..
और अन्दर , गिरधर दरवाजे की झिर्री में आँख लगाए हुए पंडित और अपनी पत्नी की रासलीला देख रहा था ..और गुस्सा होने के बजाये अप्रत्याशित रूप से उसके लंड ने भी अंगडाई शुरू कर दी ...वैसे भी वो पंडित जी को पहले ही बोल चूका था की वो अगर उसकी मदद करे तो उसे अपनी पत्नी और बेटी को उनसे शेयर करने में प्रोब्लम नहीं है ..पर कहने और करने में काफी अंतर होता है, उसके कहने का ये मतलब नहीं था की पंडित सच में ही उसकी पत्नी या बेटी की चुदाई कर दे ...पर अब हो भी क्या सकता था ..बाहर जिस तरह से माधवी पंडित के साथ मजे ले रही थी, उससे एक बात तो साबित हो ही चुकी थी की ये इनका पहली बार नहीं था ... और उसके पास
सिर्फ देखने के और कोई चारा नहीं था ...उसके सामने शीला नंगी पड़ी हुई थी ..उसने टटोल कर उसकी चूत पर हाथ लगाया और पंडित के लंड से निकले हुए रस से भीगी उसकी चूत की मालिश करने लगा ...
बाहर आँख लगाकर उसने देखा की पंडित की ऊँगली अभी तक माधवी की गांड के अन्दर ही है और उसकी मसाज कर रही है ..पंडित का लंड माधवी की गद्देदार गांड को सलामी दे रहा था ..और अब पंडित झुककर उसके आमो का रस पी रहा था ...और माधवी पंडित के सर को अपनी ब्रेस्ट पर जोर से दबा कर उसे और जोर से चूसने के लिए कह रही थी ....
"अह्ह्ह्ह्ह पंडित ....उम्म्म्म्म .....क्या चूसते हो आप ....अह्ह्ह्ह ...मेरे निप्पल तो धन्य हो गए आपके मुंह में जाकर .... अह्ह्ह्ह्ह ....मजा आ रहा है ...."
"साली मुझे तो आजतक ऐसा नहीं बोल इसने ...और पंडित को कैसे चने के झाड़ पर चड़ा रही है ...ये ...." गिरधर बुदबुदाया ...
उसने शीला की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली ...और उसकी चूत पर अपने लंड को लेजाकर एक धक्का मारा ...और उसका उदबिलाव सरकता हुआ शीला की चूत में घुस गया ...
बेहोशी की हालत में के बावजूद शीला के मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी ...
पंडित ने काफी देर से माधवी के भरे हुए जिस्म को उठा रखा था ..और थक गया था ..उसने उसे नीचे उतार दिया ..और वो फिर से पंडित के लंड को अपने मुंह में लेकर उसकी मिठास का आनंद लेने लगी ...
पंडित भी उसके मुंह को चूत की तरह से चोदने लगा ...
अन्दर गिरधर अपनी किस्मत पर फूला नहीं समा रहा था की आज उसे शीला जैसी मस्त माल की गांड और अब चूत भी मारने को मिल गयी है ...और बाहर पंडित ये जानते हुए की माधवी का पति गिरधर अन्दर से सब कुछ देख रहा है , उसकी बीबी का मुख चोदन करने में लगा हुआ था ...
अचानक बिना किसी वार्निंग के पंडित के लंड ने ढेर सारा मीठा नारियल पानी माधवी के मुंह में निकाल दिया ...जिसे वो बिना कोई देरी किये पी गयी ...
अपनी पत्नी की ऐसी करतूत देखकर गिरधर के धक्के और भी तेज हो गए ...शीला की चूत में ..और वो बडबडाने लगा "भेन चोद ....इतने सालों तक मेरा लंड कभी नहीं चूसा ...और अब ऐसे चूस रही है जैसे बरसों से येही पसंद है रांड को ...साली कुतिया ....भेन की लोडी ...."
आवेश में आकर उसके मुंह से गालियाँ निकलती जा रही थी ...वो अपनी पत्नी पर गुस्सा नहीं था ...बस गिला था की उसने ये सब इतना लेट सीखा ...
पंडित ने माधवी को नीचे जमीं पर लिटा दिया और उसकी चूत के अन्दर अपना मुंह लेकर कूद गया ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... .पंडित ....जी ....उम्म्म्म्म ....चुसो इसे ....आपकी जीभ और होंठ इसे बहुत पसंद आ गए हैं ...अह्ह्ह्ह ...." और पहले की तरह ही उसने पंडित की चुटिया को पकड़ कर जोरों से उसके मुंह को अपनी चूत के ऊपर मारना शुरू कर दिया ...और एक मिनट के अन्दर ही उसके अन्दर से निकल रही बारिश से पंडित के मुंह को धोना शुरू कर दिया ...
और दोनों गहरी साँसे लेते हुए एक दुसरे के ऊपर गिर पड़े ...चुदाई अभी भी होनी बाकी थी ....पंडित का लंड फिर से होने में 30 मिनट और लगने थे अभी ...
एकदम घडी की देखकर माधवी हडबड़ा कर उठी और बोली : " अरे आधा घंटा हो गया ...वो आने वाले होंगे ...मैं चलती हु ." और उसने अपने ऊपर गाऊन पहना चुन्नी ली और बाहर निकल गयी ...
पंडित ने भागकर बाथरूम का दरवाजा खोला ...और गिरधर को शीला की चुदाई करते हुए देखा ...शीला भी होश में आ चुकी थी ...और हक्की बक्की होकर ये सोचते हुए की आखिर मैं बाथरूम में कैसे आ गयी और गिरधर का लंड मेरी चूत के अन्दर कब घुसा , धक्के लेने में लगी हुई थी ..
और गिरधर पंडित की तरफ देखते हुए,शीला की टांगो को पकडे हुए,जोर से धक्के मारने में लगा हुआ था ...और आखिरकार उसने भी अपनी पिचकारी शीला की चूत में छोड़ दी ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......."
और उसके ऊपर निढाल सा होकर गिर गया ...
गिरधर ने अपने लंड की आखिरी बूँद भी शीला की चूत में निकाल दी थी ..और अब वो पूरी तरह से खाली हो चूका था ..
शीला की तो टाँगे पूरी सुन्न सी हो चुकी थी ..पहले पंडित और गिरधर ने मिलकर उसकी डबल बजायी और अब गिरधर ने दोबारा से सिंगल ...इतना तो वो आजतक नहीं चुदी थी ..पर पंडित के अलावा गिरधर से भी अपना बेंड बजवाने में उसे काफी मजा आया था ...और उसकी मुस्कराहट उसके अन्दर की ख़ुशी साफ़ बयान कर रही थी .
पंडित ने इशारा करके उसे जाने के लिए कहा ..वो उठी और लडखडाती हुई कमरे में आई और अपने कपडे समेट कर पहने और चुपके से पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर अपने घर चली गयी .
उसके जाते ही पंडित ने गिरधर से कहा : "मुझे मालुम है की तुमने अन्दर से सब कुछ देख ही लिया है की तुम्हारी पत्नी मेरे साथ क्या-२ कर रही थी .."
गिरधर कुछ ना बोला .
पंडित : "देखो गिरधर ...मैंने ये सब तुम्हारी मदद करने के उद्देश्य से किया है ..तुम्ही ने कहा था न की माधवी तुम्हारे किसी भी कार्य में साथ नहीं देती ..जैसे लंड चूसना या चूत चुस्वाना ..मैंने उसे अपने पास बुलाया था और सब समझाया भी था ..पर तुम तो जानते ही हो , जब तक प्रेक्टिकल करके ना दिखाया जाए ये पुराने विचारों वाली औरतें कुछ भी नहीं समझती ..और वो मेरे निर्देशों का ही असर था जब उसने तुम्हारे लिंग को पहली बार चूसा था और अपनी चूत भी चुस्वायी थी .."
गिरधर पंडित की बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था ..
पंडित : "और मेरे साथ ये सब करने में कोई नुक्सान भी नहीं है उसे ..क्योंकि मैं इस बात की भनक किसी को भी नहीं लगने दूंगा, और ये सब करते -२ मैं जल्दी ही रितु को भी तुम्हारे लिए राजी कर लूँगा ..तब तक तुम भी शीला के साथ जब चाहे मजे ले सकते हो ..और अब तो माधवी भी तुम्हे कुछ भी करने से मना नहीं करेगी ..क्यों .. "
पंडित ने अपनी तरफ से लालच का एक और दाना गिरधर के सामने फेंका ..
गिरधर ने सर झुका कर अपना सर हिलाया ..उसके सामने कोई और चारा भी तो नहीं था ..वो पंडित से लडाई भी नहीं कर सकता था की उसने क्यों उसकी बीबी के साथ ऐसे सम्बन्ध बनाए, जबकि वो भी किसी और के साथ वही सब करने में लगा हुआ था और अब उसकी नजर अपनी ही बेटी पर भी थी, उसे पंडित का साथ ही सही लगा, क्योंकि उसकी वजह से ही वो आज शीला जैसे माल के साथ मजे ले पाया था और आगे भी ले सकता था , और रितु भी तो थी आगे के खेल में ..
ये सब सोचकर और समझकर वो पंडित से बोला : "आप ठीक कहते हैं पंडित जी ..जैसा आप उचित समझे वैसा ही कीजिये .."
पंडित मुस्कुराया , वो समझ गया था की आज के बाद गिरधर की तरफ से उसे कोई रुकावट नहीं होगी ..
पंडित : "चलो अब तुम भी घर जाओ ..माधवी तुम्हारे लिए कितनी चिंतित थी ..जल्दी जाओ अब .."
गिरधर ने भी अपने कपडे पहने और बाहर निकल गया .
पंडित ने उसके जाते ही दरवाजा बंद किया और आराम से लेट गया ..और सोचने लगा की कितनी चतुराई से उसने गिरधर के सामने ही माधवी से मजे ले लिए ..और आगे भी ले सकने के दरवाजे खोल दिए ..पर अपनी पत्नी को मेरा लंड चूसते देखकर उसमे काफी उत्तेजना भी आ गयी थी ..और उसने बेहोश पड़ी हुई शीला की चूत बाथरूम में ही मारनी शुरू कर दी थी ..अब गिरधर जाते ही माधवी का बेंड बजा देगा ..और अपना गुस्सा , इर्ष्या और उत्तेजना उसके ऊपर निकालेगा ..
पंडित ये सब सोचते -२ एकदम से उठकर बैठ गया ..और मन ही मन बोला : "यार ...ये सीन तो देखने वाला होगा .."
और उसने जल्दी से अपना कुरता और चप्पल पहनी और एक शाल लेकर गिरधर के घर की तरफ चल दिया ..अपना चेहरा उसने शाल से ढक लिया ताकि कोई उसे पहचान ना सके ..
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गतांक से आगे ......................
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उसके घर के पास पहुंचकर पंडित ने इधर उधर देखा और अन्दर कूद गया ..और पीछे की तरफ से घूमकर गिरधर के कमरे की खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया ..जो खुली हुई थी और वहां काफी अँधेरा भी था ..इसलिए उसे कोई देख भी नहीं सकता था ..
गिरधर थोड़ी देर पहले ही आया था इसलिए अपने कपडे बदल रहा था ..
बाहर से माधवी की आवाज आई : "भूख लगी है तो खाना लगाऊ ?..."
गिरधर : "भूख तो लगी है पर खाने की नहीं ...किसी और चीज की ..जल्दी से अन्दर आ जा अब ..."
पंडित समझ गया की शो शुरू होने वाला है ..
माधवी अन्दर आई, उसके चेहरे की लाली बता रही थी की चुदने की इच्छा उसके अन्दर भी कुलबुला रही है ..पंडित ने उसकी चूत को चाटकर उसके अन्दर की वासना को काफी भड़का दिया था, अब उसे किसी भी कीमत पर अपने अन्दर लंड चाहिए था ..
जैसे ही माधवी ने दरवाजे की चिटखनी लगाई, गिरधर ने पीछे से उसके मुम्मे पकड़ कर जोर से दबा दियी ...माधवी की सिसकारी निकल गयी ..
"अह्ह्ह्ह्ह्ह ....धीरे .....रितु साथ वाले कमरे में ही है ....वो ना जाग जाए ..."
रितु का नाम सुनते ही पंडित के साथ -२ गिरधर का हाथ भी अपने लंड के ऊपर चला गया ...और उन दोनों ने लगभग एक ही अंदाज में रितु के नाम से अपने लंड महाराज को मसल दिया ..
गिरधर के सामने तो माधवी की फेली हुई गांड थी सो उसने अपने लंड का भाला उसके गुदाज चूतडों में घोंप दिया ..पर पंडित बेचारा अपने खड़े हुए लंड को अपने ही हाथों से सहलाकर दिल मसोस कर रह गया ...
माधवी ने अपना चेहरा पीछे करके गिरधर के चेहरे को पकड़ा और उसे चूसने लगी ...
उन्हें चूसते हुए देखकर पंडित का मन हुआ की अन्दर चलकर उनके साथ ही खेल में शामिल हो जाए ..क्योंकि दोनों ही उसे नहीं रोकेंगे ...पर ये समय सही नहीं है ..ये सोचकर वो बस उनका खेल देखने में ही लगा रहा ..
गिरधर ने अपने कपडे जल्दी से उतार दिये और माधवी को अपनी तरफ घुमा कर उसके गाऊन को पकड़कर ऊपर से निकाल दिया और उसे नंगी करके अपने सीने से लगा कर चूमने लगा ..
माधवी उसकी में मचल सी गयी : "अह्ह्ह्ह .....धीरे ....आज मैं कुछ भी करने से मना नहीं करुँगी ....जो भी करना है ...जैसे भी करना है ..कर लो ...और मुझसे भी करवा लो .."
उसकी बात सुनकर गिरधर के साथ -२ पंडित भी उत्तेजित हो गया ...काश हमारे देश की हर औरत अपने पति या बॉय फ्रेंड को ऐसे ही बोले तो कोई भी उनके साथ चीटिंग ना करे और बाहर मुंह ना मारे ..
गिरधर ने उसके सर के ऊपर हाथ रखकर उसे नीचे की तरफ दबा दिया ..और माधवी भी पालतू कुतिया की तरह अपने मालिक की आज्ञा का पालन करती हुई अपने पंजो पर बैठ गयी और गिरधर के लंड को अपने मुंह में लेकर जोरों से चूसने लगी ...
अचानक चूसते - २ उसने लंड बाहर निकाल दिया और गिरधर की तरफ देखकर गुस्से से बोली : " ये किसकी चूत का रस लगा हुआ है तेरे लंड पर ...बोल किसके साथ मजे लेकर आ रहा है .."
पंडित और गिरधर ने अपना -२ सर पीट लिया ..
शीला की चूत मारकर उसने अपना लंड धोया नहीं था ..और जैसे उसने पंडित के लंड को चूसते हुए बोल दिया था वैसे ही उसने अपने पति को भी रंगे हाथों पकड़ लिया ..
गिरधर : "अरे पागल हो गयी है क्या ...मैंने कहाँ जाना है ..."
बेचारा हकलाता हुआ उसे जवाब दे रहा था ..उसकी समझ में नहीं आ रहा था की क्या बोले और क्या नहीं ...
माधवी : "मैं समझ गयी ...तुम जरुर पंडित के घर पर किसी के साथ मजे कर रहे थे ..क्योंकि यही गंध मैंने पंडित के ल ......."
इतना कहते -२ वो रुक गयी ...अपनी गलती पर उसे अब पछतावा हो रहा था ..की आवेश में आकर वो क्या कह गयी ..
तीर कमान से निकल चुका था ..अब कुछ नहीं हो सकता था ..जो माधवी थोड़ी देर पहले गुस्से में पागल होकर गिरधर के ऊपर बरस रही थी अब वो भीगी बिल्ली बनकर उसके पैरों के पास बैठी हुई अपनी नजरें चुरा रही थी ..
गिरधर : "मुझे पता है की तुम पंडित जी के साथ क्या -२ मस्ती लेकर आई हो .."
उसकी बातें सुनते ही उसने चोंक कर अपना सर ऊपर उठाया ..
गिरधर आगे बोल : "पंडित जी को मैंने अपनी समस्या बताई थी और उन्होंने ही मेरे कहने पर तुम्हे वो सब सिखाने के उदेश्ये से किया था ..कल भी और अभी थोड़ी देर पहले भी जो तुमने पंडित जी के साथ किया, मुझे सब पता है उसके बारे में .."
वो चुपचाप बैठी उसकी बातें सुनती रही ..
वो आगे बोला : "और तुम भी सही हो अपनी जगह ..पंडित जी और मैंने मिलकर एक औरत के साथ आज काफी मजे लिए ...उसका नाम शीला है ..तुम शायद जानती हो उसे .."
माधवी को ध्यान आ गया की पंडित जी ने उसी से रितु को पढ़ाने के लिए बोला है ..उसने हाँ में सर हिला दिया ..
गिरधर : "तुमने पिछले २ महीनो से जो व्यवहार मेरे साथ किया है , उसकी वजह से मेरे अन्दर काफी उत्तेजना भर चुकी थी ..जिस्म की प्यास एक ऐसी चीज है जो इंसान से क्या से क्या करवा देती है ..इसलिए जब पंडित जी ने शीला के साथ सेक्स करने का मौका दिया तो मैं मना नहीं कर पाया .. और हमने मिलकर उसके साथ ...चुदाई की ..."
एक साथ २-२ लंडो से शीला की चुदाई की बात सुनकर माधवी के रोंगटे खड़े हो गए ..उसके निप्पल भी अपने 1 इंच के आकार में आकर सामने की तरफ निकल आये ..जिसे पंडित की पेनी नजरों ने दूर से ही देख लिया ..और वो समझ गया की ये बात सुनकर वो उत्तेजित हो रही है ..
गिरधर : "और हम वो सब कर ही रहे थे की तू वहां आ गयी, इसलिए मैं उस शीला के नंगे जिस्म के साथ वहीँ बाथरूम में छुप गया, और मैंने वहां से बैठकर तुझे पंडित के साथ वो सब करते हुए देखा .."
बेचारी ने अपना सर शर्म से फिर से झुका लिया .
गिरधर : "और सच कहु ..तुम्हे पंडित जी का लंड चूसते हुए देखकर मुझे गुस्सा तो बहुत आया था ..पर एक अजीब सा उत्साह और उत्तेजना भी आ गयी थी ..और जिस शीला को थोड़ी देर पहले पंडित जी ने बुरी तरह से चोदा था उसे मैंने वहीँ बाथरूम में फिर से चोदना शरू कर दिया ..इसलिए तुम्हे उस वक़्त पंडित जी के लंड से वही गंध आई जो अब मेरे लंड से आ रही है ..क्योंकि दोनों एक ही जगह से होकर आये हैं .."
गिरधर ने सब सच -२ बोलकर पूरी पिक्चर साफ़ कर दी ..
गिरधर तो आदमी था और आदमी तो ऐसे अवेध संबंधों के बाद नहा धोकर साफ़ हो जाता है पर औरत अगर वही काम करे तो समाज या उसके सगे सम्बन्धी उसे जीने नहीं देते ..ये ना जाने कैसा सामाजिक कानून है हमारे देश का ..
माधवी : "इसका मतलब तुम्हे मेरे और पंडित जी के संबंधों से कोई परेशानी नहीं है ..?"
गिरधर : "नहीं ..अगर तुम इसमें खुश हो और तुम्हे मजा आ रहा है तो इसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है .."
पंडित ने मन ही मन सोचा 'हाँ बेटा ..तुझे क्या परेशानी हो सकती है ..एक तो तेरी पोल पट्टी खुलने के बाद भी तू बच गया ..और ये सब अभी भी इसलिए कह रहा है की आगे के लिए भी तेरा रास्ता साफ़ हो जाए और माधवी भी दोबारा कुछ करने से ना टोके ...'
अपने पति की तरफ से से खुली छूट मिलने की ख़ुशी में माधवी ने एक जोरदार झटके से गिरधर के लंड को दोबारा अपने मुंह में दबोचा और उसे सड़प -२ करके चूसना शुरू कर दिया ..
गिरधर के लंड पर शायद उसके दांत लग गए थे ...वो बिलबिला उठा ..
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......साssssssss लीssssssssss कुतिया .......धीरे ......उन्न्न्न्ह्ह्ह '
अचानक पंडित के कानों में साथ वाले कमरे से कुछ आवाज आई ..वो साथ वाली खिड़की से अन्दर झाँकने लगा ..वहां रितु सोयी हुई थी ..और गिरधर के चिल्लाने की वजह से उसकी नींद एकदम से खुल गयी और वो उठ खड़ी हुई ..और हडबडाहट में वो अपने बेड के साथ पड़े टेबल से जा टकराई ..आवाज धीरे थी जो माधवी और गिरधर तक नहीं पहुंची पर पंडित ने सुन ली थी ..
रितु ने हमेशा की तरह वही लम्बी फ्राक पहनी हुई थी ..वो नींद के आलम में खड़ी हुई सोच रही थी की आवाज कहाँ से आई, तभी गिरधर के मुंह से एक और सिसकारी निकल गयी ..
आज माधवी कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी अपने पति पर ..और वो पंडित से सीखी हुई लंड चुसाई की कला का पूरा उपयोग अपने पति के लंड पर कर रही थी ..
गिरधर : "अह्ह्ह .....धीरे ....चूस ......ऐसी खुन्कार तो तू आजतक नहीं दिखी ..."
अब उसे क्या पता था की ये तो माधवी का ख़ुशी जाहिर करने का तरीका था, गिरधर ने उसे पंडित के साथ मजे करने की पूरी छूट जो दे दी थी ..उसके बदले अपने पति को पूरी ख़ुशी देना तो बनता ही था ना ...
गिरधर के कमरे और रितु के कमरे के बीच एक दरवाजा भी था, जो हमेशा बंद ही रहता था ..दोनों कमरों में जाने के लिए बाहर से ही एक - २ दरवाजा था ..और कभी भी बीच का दरवाजा खोलने की जरुरत नहीं पड़ी ..
रितु अब तक समझ चुकी थी की उसकी माँ और पिताजी के बीच चुदाई का महासंग्राम हो रहा है ..और उसे भी अब तक इन सब बातों का ज्ञान होने लग गया था ..पहले तो उसके पिताजी ने ही उसके कुंवारे होंठों को पीकर उसे जीवन में पहली बार स्वर्ग के मजे दिलाये थे और उसके उरोजों को मसलकर उसकी भावनाओं को भी भड़काया था ..और उसके बाद पंडित जी ने भी अपनी ज्ञान भरी बातों से उसके मन से अज्ञानी बादल हटाये थे ..
वो दबे पाँव दरवाजे के पास पहुंची और इधर - उधर देखकर उसने एक छेद ढून्ढ ही लिया और उसमे आँखे लगा कर दुसरे कमरे में अपने माँ बाप के बीच हो रहे प्यार भरे लम्हों को देखने लगी ..
पंडित ने पहले तो शुक्र मनाया की उसकी आँख पहले नहीं खुली और उसने गिरधर और माधवी के बीच होने वाली बातें नहीं सुनी ..वर्ना आगे के लिए उसे पटाने में प्रोब्लम हो सकती थी ..
दुसरे कमरे में देखते ही उसकी सिट्टी पिट्टी गम हो गयी ...उसके पिताजी का लम्बा खूंटा उसकी माँ चूस चूसकर मरी सी जा रही थी ...ऐसा लग रहा था की जिन्दगी की सबसे बड़ी ख़ुशी माधवी को सिर्फ लंड चूसने में ही मिलती है ..उसका उत्साह और उत्तेजना देखते ही बनती थी ..
रितु के नन्हे -२ निप्पल खड़े हो गए और उसका एक हाथ अपने आप उनपर जाकर उनके अकार का जायजा लेने लगा ..
पंडित का लंड भी धोती में तम्बू बना कर खडा था , उसने अपनी धोती खोल कर जमीन पर गिरा दी और अपने लंड को हाथ में लेकर मसलने लगा ..
पंडित ऐसी जगह पर खड़ा था की एक कदम इधर खिसकने से उसे गिरधर और माधवी के कमरे का नंगा नजारा देखने को मिल रहा था और दूसरी तरफ कदम खिसकाने से रितु अपने छोटे-२ अमरुद मसलती हुई, अपने ही माँ बाप को मजे लेते हुए देखकर, दिखाई दे रही थी ..
गिरधर ने माधवी को ऊपर खींचा उसकी एक टांग उठाकर अपने हाथ में रख ली और अपना थूक से भीगा हुआ लंड उसकी चूत में लगाकर नीचे से एक जोरदार शॉट मारकर अपने अपोलो को उसकी गेलेक्सी में धकेल दिया ..
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म .....ओह्ह्ह ..तरस गयी थी ....मैं ...इसे अन्दर लेने के लिए ...अह्ह्ह्ह .... उम्म्म्म्म ...पुरे दो महीने बाद प्यास बुझी है इसकी ...आज तो इतना चोदो मुझे .....की सारी कसर निकल जाए ...अह्ह्ह्ह ...'
गिरधर को उसकी बातों से ये भी पता चल गया की उसने पंडित के साफ़ सिर्फ चुसम चुसाई ही की है ...चुदाई नहीं . पर पंडित का लंड जब उसकी पत्नी की चूत में जाएगा तो कैसे मचलेगी वो ...ये सोचते हुए उसने अपने धक्कों की स्पीड और तेज कर दी ..
माधवी के मुम्मे गिरधर के लंड के हर झटके से आसमान की तरफ उछल जाते ...और फिर उतनी ही तेजी से दोबारा नीचे आते ..ऐसे झटके जिन्दगी में पहली बार मिल रहे थे माधवी को ...उसने अपनी बातों और हरकतों से गिरधर को इतना उत्तेजित कर दिया था की वो आज उत्तेजना के एक नए आयाम को छुने को आतुर था ..
पंडित ने मन में सोचा 'अगर कुछ गलत काम करने से ऐसे मजे मिले तो वो काम करना गलत नहीं है ..आज उसकी वजह से ही उनके रूखे सूखे दम्पंत्य जीवन में एक नए रक्त का संचार हो पाया है ..'
पंडित मन ही मन अपने किये हुए कार्य पर गर्व महसूस करके मुस्कुराने लगा ..
उसने खिसककर रितु के कमरे में झाँका तो उसकी बांछे खिल उठी ...अपने माँ बाप को बुरी तरह से चुदाई करते हुए देखकर वो भी पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी थी ...उसने अपने स्तनों को बुरी तरह से मसलकर अपने अन्दर मचल रही उत्तेजना को शांत करने की कोशिश की और जब वो नाकाम रही तो उसने एक ही झटके में अपनी फ्रोक को अपने सर के ऊपर से उतार कर एक तरफ फेंक दिया ..और अब था पंडित की लार टपकाती हुई आँखों के सामने कमसिन रितु का नंगा जिस्म ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह .....रितु .....म्मम्मम .
पंडित ने अपना लंड मसलते हुए एक दबी हुई सी सिसकारी मारकर अपने लंड को तेजी से हिलाना शुरू कर दिया ..
[url=https://theadultstories.com/viewtopic.php?f=30&t=296&start=12#top][/url]रितु के छोटे-२ स्तन जो करीब छोटे संतरों के अकार के होंगे उसके सामने थे, और नीचे उसकी पतली कमर और पीछे भरवां गांड ..उसने सोचा 'कसम से एक बार ये मेरे नीचे आ जाए इसको तो बिना टिकट के आसमान की सेर करवा दू ..'
पंडित ने अपने लंड को और तेजी से मसलना शुरू कर दिया ..
अचानक गिरधर के कमरे से माधवी की आवाजें और तेजी से आनी शुरू हो गयी ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह ......ऐसे ही .....चोद ....साले ....अह्ह्ह्ह ......भेन चोद .......डाल अपना लंबा लंड .....और अन्दर ....तक ...अह्ह्ह्ह ......अह्ह्ह्ह ...ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ..."
गिरधर ने उसे अपनी गोद में उठाकर अपना लंड उसकी फुद्दी में जोर - २ से पेलना शुरू कर दिया था ...
और लगभग एक साथ ही दोनों का रस माधवी की ओखली में निकला और दोनों वहीँ बेड के ऊपर लेटकर गहरी साँसे लेने लगे ..
और दूसरी तरफ बेचारी रितु सिर्फ अपने संतरों को मसलकर ही रह गयी ...उसे शायद अभी तक मुठ मारना भी नहीं आता था ..वो अपने हाथों को बस अपनी चूत पर रगड़कर ही रह गयी ..वहां और क्या करने से कैसे मजे मिलेंगे, उसे नहीं पता था ..और उसकी नादानी को देखकर पंडित उसकी कुंवारी चूत को देखते हुए जोरों से बडबडाने लगा ..
'अह्ह्ह्ह ...सा ली ...तुझे तो पूरा तराशना पडेगा ....अह्ह्ह्ह तेरी कमसिन जवानी को तो मैं अपने लंड के पानी से नहलाऊगा ...अह्ह्ह्ह्ह्ह ....ये ले ....नहा ले ..'
और ये कहते हुए उसके लंड ने अपने पानी का त्याग कर दिया रितु की खिड़की पर ...और गाड़े और सफ़ेद रस से खिड़की के नीचे की दीवारें रंग गयी ..
पंडित को पता था की अगले दिन रितु को क्या सिखाना है अब ..वो अपने कपडे समेट कर चुपके से जहाँ से आया था वहीँ से वापिस चला गया ..
अब तो उसे अगले दिन का इन्तजार था ...
वो रात बड़ी ही मुश्किल से कटी थी पंडित की ..
सुबह उठकर हमेशा की तरह पंडित ने मंदिर के सारे कार्य निपटाए, भक्तों को प्रसाद दिया, पूजा अर्चना की और वापिस अपने कमरे में आ गया और थकान दूर करने के लिए चाय पीने की सोची पर चाय पत्ती नहीं थी, कल भी जब वो सामान लेने के लिए इरफ़ान की दूकान पर गया था तो उसे याद नहीं रहा था ..वैसे तो इरफ़ान ने उसे शाम को आने के लिए कहा था पर अभी चाय पत्ती लाना भी जरुरी था, इसलिए वो वहां चल दिया ..
दूकान पर पहुंचकर देखा तो पाया की दूकान तो बंद है ..सुबह के 9 बजने वाले थे, इतनी देर तक तो वो दूकान खुल ही जाती है ..वो कुछ देर तक वहां खड़ा हुआ सोचता रहा की ऊपर उसके घर जाए या नहीं ..पर फिर कुछ सोचकर वो ऊपर चल दिया ..
अन्दर जाने का दरवाजा खुला हुआ था, उसने दरवाजा खोल कर आवाज लगायी : "इरफ़ान भाई ...घर पर ही हो ..."
पर कोई आवाज नहीं आई, वो थोडा अन्दर गया तो बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आई, पंडित ने फिर से पुकारा ..
'इरफ़ान भाई ...ओ इरफ़ान भाई ...'
अन्दर से नूरी की नशीली सी आवाज आई 'कोन है ...'
उसकी आवाज सुनते ही पंडित के शरीर में करंट सा दौड़ गया, पंडित ने अपने आप को संभाला और बोला : "मैं हु ..मंदिर वाला पंडित .."
नूरी : " अरे वाह ...पंडित जी ..रुकिए जरा ...मैं अभी आई ..."
पंडित वहीँ सोफे पर बैठ गया ..और फिर से तेज आवाज में बोला : "इरफ़ान भाई कहाँ चले गए ..आज दूकान भी नहीं खुली ..."
अन्दर से नूरी ने जवाब दिया : "वो आज सुबह -२ हिना खाला का फ़ोन आया था, उनका छोटा बेटा हॉस्पिटल में है ..उन्हें कुछ पैसों की जरुरत थी ..वही देने गए हैं ..२ घंटे में आयेंगे वो .."
इतना कहते-२ वो बाहर निकल आई ...पंडित उसे देखते हुए जैसे सपनों की दुनिया में खो सा गया ...
वो बिलकुल बदल गयी थी ...जिस्म पूरा भर सा गया था ..गोरा चिट्टा रंग ..चमकता हुआ चेहरा, गुलाबी आँखें , पतले और लाल सुर्ख होंठ , और नीचे का माल देखकर तो पंडित की जीभ कुत्ते की तरह से बाहर निकल आई,
उसके दोनों मुम्मे जो पहले 34 के साईज के थे, अब 38 के हो चुके थे , कमर का कटाव उसके कसे हुए सूट में से साफ़ नजर आ रहा था , और उसकी मोटी टांगों का गोश्त तंग पायजामी को फाड़कर बाहर आने को अमादा था ..उसके बाल भीगे हुए थे, जिनमे से पानी की बूंदे अभी तक टपक रही थी ..
पंडित : "मैं तो दूकान से कुछ सामान लेने के लिए आया था ..पर दूकान बंद थी, इसलिए मैंने सोचा की ऊपर आकर देखू की सब ठीक तो है न, वरना इरफ़ान भाई की दूकान कभी बंद तो नहीं होती ..ऊपर आकर देखा तो दरवाजा भी खुला हुआ था ..इसलिए सीधा अन्दर आ गया .."
वो नूरी के जिस्म को घूरने में लगा हुआ था और बोलता भी जा रहा था .
नूरी बोली : "वो अब्बा जान जब गए तो बाहर का दरवाजा बंद करना भूल गयी मैं ...वैसे भी कोई आता ही कहाँ है हमारे घर ..कल रात को अब्बा ने बताया था की आप आयेंगे शाम को ..कुछ बात करने के लिए .."
पंडित : "हाँ ...वो ...दरअसल ..." पंडित को सूझ ही नहीं रहा था की क्या बोले और क्या नहीं ..
नूरी : "मुझे पता है की अब्बा ने आपको सब कुछ बता दिया है मेरे बारे में ..और शायद आपसे बोला भी है की मुझे कुछ समझाए ..इसलिए आपने शाम को आने को कहा था न .."
पंडित ने हाँ में सर हिलाया ..और नूरी की तरफ देखता रहा , वो सब बोलते - २ उसकी आँखों से पानी निकलने लगा था ..वो रोने लगी ..पंडित को सूझ ही नहीं रहा था की वो करे तो करे क्या ..
नूरी रोते -२ उनके पास आई और अपने घुटने पंडित के सामने टिका कर उनके पैरों पर अपने हाथ रखकर बैठ गयी ..और बोली : "पंडित जी ...अब्बा तो समझते ही नहीं है ..जिस तकलीफ से मैं गुजर रही हु वो सिर्फ मैं ही जानती हु ..मैं तो अपनी परेशानी उन्हें बता भी नहीं सकती .."
पंडित के सामने बैठने की वजह से नूरी के दोनों उरोज किसी पकवान से सजी प्लेट की तरह पंडित के सामने थे ..उनके बीच की लकीर (क्लीवेज) लगभग २ इंच तक बाहर दिखाई दे रही थी ..और सूट के अन्दर दोनों मुम्मों को जैसे जबरदस्ती ठूंसा गया था ..वहां का गोरापन भी कुछ ज्यादा ही था ..और पानी की बूंदे वहां भी फिसल कर नीचे की घाटी में छलांग लगा रही थी ..उसकी बातों से ज्यादा पंडित का उसके भीगे हुए हुस्न पर ध्यान था ..
पंडित : "तुम ..अगर चाहो तो मुझे अपनी परेशानी बता सकती हो .."
नूरी कुछ देर तक अपनी नजरें झुका कर बैठी रही ..जैसे सोच रही हो की पंडित को बोले या नहीं .. ..फिर धीरे से बोली : "वो दरअसल ...जब से मेरा निकाह हुआ है, मेरा शोहर और घर के दुसरे लोग चाहते हैं की मैं जल्द से जल्द माँ बन जाऊ , और इसके लिए हमने पहले दिन से ही कोशिश करनी भी शुरू कर दी थी .."
पंडित ने सोचा 'साली साफ़ -२ क्यों नहीं बोलती की बिना कंडोम के चुदाई करनी शुरू कर दी थी तेरे शोहर ने पहली रात को ही ..'
वो आगे बोली : "पर २ महीने के बाद भी कोई रिसल्ट नहीं निकला तो घर वालों ने और मेरे शोहर ने भी मुझे भला बुरा कहना शुरू कर दिया ..घर में लडाई झगडे भी होने लगे , और जब ज्यादा हो जाती तो मैं घर भी आ जाती, पर थोड़े समय के बाद सब कुछ भूलकर लौट भी जाती थी ...पर इस बार तो मैंने सोच लिया है ..मैं वापिस जाने वाली नहीं हु .."
पंडित : "क्यों ..ऐसा क्या हुआ है .."
नूरी : "उन्होंने मेरे सारे टेस्ट करवा लिए, मुझमे कोई कमी नहीं है ..और जब मैंने अपने शोहर को टेस्ट करवाने के लिए कहा तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया ..और बोले की उन्हें ये सब करने की कोई जरुरत नहीं है ..कमी मेरे अन्दर ही है ..और वो दूसरी शादी करके दिखा भी देंगे की वो बच्चा पैदा करने की काबलियत रखते हैं ..पर मुझे मालुम है की दूसरी शादी करने के बाद भी कुछ नहीं होने वाला ..कमी उनके अन्दर ही है ..ये बात मानने को वो तैयार ही नहीं है .."
पंडित : "देखो नूरी ..तुम्हारी बात सही है ..पर हमारा समाज मर्द प्रधान है ..और उसे ही प्राथमिकता देता है ..इन सब बातों के लिए हमेशा से ही औरत को दोषी माना जाता है ..तुम अपनी जगह सही हो ..तुमने सही किया, अगर उसे तुम्हारी कदर होगी तो अपने आप ही आएगा तुम्हे लेने .."
नूरी पंडित की बातें सुनकर मुस्कुरा दी ..उसने सोचा , चलो कोई तो है जिसे उसके निर्णय की कदर है ..
पंडित : "पर तुमने अपने अब्बा के बारे में भी सोचा है कभी ...वो कितने चिंतित रहते हैं ..तुम उन्हें ये सब कुछ बता क्यों नहीं देती .."
नूरी : "नहीं ...नहीं ..मैं उनसे ये सब कभी नहीं बोल सकती ..उन्हें काफी तकलीफ होगी ..उन्हें बी पी की प्रॉब्लम है, ये सब सुनकर और अपनी बेटी का घर उजड़ता हुआ देखकर वो और भी टेंशन ले लेंगे ..नहीं ...मैं उन्हें ये सब नहीं बता सकती .."
पंडित : "फिर एक ही उपाय है इसका ...तुम वापिस अपने घर जाओ ..ताकि तुम्हारे अब्बा की परेशानी कम हो जाए .."
नूरी : "पर वहां जाकर मेरी परेशानी शुरू हो जायेगी, उसका क्या ..उन्हें तो बस मेरी कोख में बच्चा चाहिए, ताकि अपने समाज में वो गर्व से कह सके की उनका लड़का नामर्द नहीं है ..."
उसने अपने दांत पीस कर ये बात बोली ..
फिर कुछ सोचकर वो बोली : "पर एक तरीका है ...जिससे मैं वहां वापिस भी जा सकती हु और उन्हें सबक भी सिखा सकती हु .."
पंडित : "क्या ...??"
नूरी : "मैं किसी और के साथ सम्बन्ध बना लू ..और अपनी कोख से उन्हें अलाद नसीब करवाऊ ...और ये सब जानते हुए की मेरी औलाद मेरे नामर्द पति की निशानी नहीं है, मुझे उन्हें सबक सिखाने का मौका भी मिल जाएगा ..."
पंडित उसकी बातें सुनकर भोचक्का रह गया ...वैसे पंडित के मन में सबसे पहले यही बात आई थी की उसे बोले की तू बाहर से चुद ले और उन्हें बच्चा दे दे ..उन्हें क्या पता चलेगा ...पर यही बात नूरी ने इतनी आसानी से कह डाली, इसका उन्हें विशवास ही नहीं हो रहा था ..और अब पंडित को अपना नंबर लगता हुआ दिखाई दे रहा था ..
पंडित : "देखो… जो भी तुमने सोचा है ..वो गलत तो है ..पर तुम अपनी जगह सही हो ..अपनी ग्रहस्त जिन्दगी बचाने के लिए तुम्हारा इस तरह से सोचना बिलकुल सही है ..मुझे तुम्हारा ये सुझाव पसंद है ..पर क्या ...तुमने ...सोचा है की ...किसके साथ ..मेरा मतलब है .."
नूरी की आँखों में भी गुलाबी डोरे तेरने लगे ..वो धीरे से फुसफुसाई : "वो मैं सोच रही थी ...की ..अपने ...अब्बा को ही ...मतलब ..उनके साथ ...ही कर लू ..."
नूरी की बातें सुनते ही पंडित के सपनों का महल एक ही पल में चूर चूर हो गया ...
नूरी : "आप ही बताइए पंडित जी ..उनसे बेहतर और कौन होगा ...इस काम के लिए ..घर की बात घर पर ही रह जायेगी ...और वैसे भी, अम्मी के इंतकाल के बाद अब्बा की हालत देखि है मैंने ...रात -२ भर जागते रहते हैं ..तड़पते रहते हैं अपने बिस्तर पर ...और ...और ...अपने हाथों से ..खुद ही ..वो भी करते हैं ..."
पंडित उसकी बात सुनकर चोंक गया : "क्या ...क्या करते हैं .."
नूरी : "अपने पेनिस को रगड़ते हैं ...मूठ मारते हैं ...मैंने देखा है ..उन्हें .."
पंडित समझ गया की नूरी का मन शुरू से ही अपने अब्बा यानी इरफ़ान के ऊपर आया हुआ है ..इसलिए वो चुप कर उसकी हर बात पर नजर रखती है ..
नूरी : "पंडित जी ..आपको मैंने ये सब इसलिए बताया की आप मेरी मदद करो ..आप को मैं अपना सच्चा हितेषी मानती हु ..और आप अब्बा को भी अच्छी तरह से जानते हैं ..आप ही कोई रास्ता निकाले जिससे मैं वो सब कर सकू जो मैंने सोच रखा है .."
पंडित समझ तो गया था की वो अपनी बात पर अडीग है .अपने बाप से चुदवा कर और प्रेग्नेंट होकर ही मानेगी ..पर पंडित ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली थी ..वो अपने हाथ आये हुए इतने अच्छे अवसर को नहीं जाने दे सकता था ..उसके मन में प्लान बनने शुरू हो गए ...
पंडित को काफी देर तक चुप रहते और कुछ सोचता हुआ देखकर नूरी बोली : "पंडित जी ..क्या सोचने लगे ..बताइए न, कैसे होगा ये सब ..जो मैंने सोचा है .."
पंडित : "देखो नूरी ..तुम मेरी बात का गलत मतलब नहीं निकालना ..पर जो भी तुम सोच रही हो, वो इतना आसान भी नहीं है ..मैं इरफ़ान भाई को अच्छी तरह से जानता हु ..दरअसल ..हमारी दोस्ती है ही इतनी गहरी की वो अपने दिल की हर बात मुझसे शेयर कर लेते है ..और उन्हें जो प्रोब्लम है वो मुझे भी पता है .."
नूरी (आश्चर्य से ..) : "उन्हें ..उन्हें क्या प्रोब्लम है ..."
पंडित : "वो दरअसल ..इरफ़ान भाई के लिंग में कुछ प्रोब्लम है ..बढती उम्र के साथ वो उनका साथ नहीं दे रहा है ..और मैंने उन्हें कुछ ख़ास किस्म की ओषधि लगाकर अपने लिंग की मालिश करने को कहा है ताकि वो पहले जैसा ताकतवर हो जाए ..और जब तक वो नहीं होगा उनके लिंग से निकले वीर्य में भी कोई शुक्राणु अपना कमाल नहीं दिखा पायेंगे ...और तुम्हारीसारी प्लानिंग धरी की धरी रह जायेगी ."
पंडित ने जल्दबाजी में अपने मन की बनायी हुई झूटी कहानी सुना दी नूरी को ..
पंडित की बाते सुनकर नूरी का मुंह खुला का खुला रह गया ...
नूरी : "पर ...पर पंडित जी ...आप ये सब ..कैसे ..क्यों कर रहे है .."
पंडित : "दरअसल मैंने ओषधि विज्ञान को पड़ा हुआ है और इस बात का तुम्हारे अब्बा को भली भाँती पता है ..इसलिए उन्होंने मुझे अपनी व्यथा बताई थी ..और वही ओषधि का लेप वो अपने लिंग पर रोज करते हैं जिसे तुमने समझा की वो अपने अन्दर की उत्तेजना शांत कर रहे है ...उन्हें पहली जैसी अवस्था में आने के लिए कम से कम 6 महीने का समय लगेगा .."
नूरी : "या अल्लाह ...इतने समय में तो क्या से क्या हो जाएगा ...अब मैं क्या करू ..अच्छा हुआ मैंने अपने मन की मानकर अब्बा को अपने बस में करने की पहले नहीं सोची ...वर्ना सब कुछ करने के बाद भी कुछ ना हो पाता तो मैं उनसे पूरी उम्र नजरें न मिला पाती ...अब क्या होगा मेरा ..."
पंडित अपनी कुटलता पर मन ही मन मुस्कुरा रहा था ..
पंडित : "पर तुम परेशान मत हो .कोई न कोई हल निकल ही आएगा ..तुम्हारे अब्बा के अलावा कोई और भी तो होगा तुम्हारे जहन में जो तुम्हारी ऐसी मदद कर पाए .."
नूरी लगभग टूटी हुई सी आवाज में बोली : "नहीं पंडित जी ...और कोई नहीं है ..मैंने ऐसा कभी सोचा नहीं था ..पर मेरे साथ जो खेल जिन्दगी मेरे साथ खेल रही है , उसकी वजह से मैंने ये कदम उठाने की सोची ..और कोन है जो मेरी मदद करे .."
पंडित का मन कह रहा था की चिल्ला कर बोले 'भेन की लोड़ी , तेरे सामने एक जवान और हस्त पुष्ट इंसान खड़ा है ...मुझे बोल न ..'
तभी जैसे पंडित के मन की बात समझकर नूरी कुछ सोचते-२ पंडित को देखकर दबी आवाज में बोली : "पंडित जी ..अब आप ही है जो मेरी मदद कर सकते हैं ..."
पंडित (अनजान बनते हुए ) : "मैं ...कैसे ..."
नूरी (अपनी नजरें नीची करते हुए ) : "आप मुझे गलत मत समझिएगा ..पर मैं किसी और को कहने से अच्छा आपसे अपनी मदद करने की उम्मीद रखती हु ...अगर आपको कोई प्रॉब्लम न हो तो ...क्या आप… मुझे ...मुझे ..."
वो आगे ना बोल पायी ..
पंडित : "ये क्या कह रही हो तुम नूरी ...मैं कैसे तुम्हारे साथ वो सब ...."
नूरी एकदम से तेष में आते हुए : "क्यों ..क्या कमी है मुझमे ..मैं सुन्दर नहीं हु ..आपको पसंद नहीं हु क्या ..मुझे सब पता है पंडित जी ..आप मुझे किस नजर से देखते हैं ..लड़की को कोनसा इंसान कैसी नजर से देख रहा है और उसके बारे में क्या सोच रहा है उसे सब पता रहता है , फिर चाहे वो लड़की का भाई या बाप हो या फिर रिश्तेदार या कोई और मिलने वाला ..मैंने देखा है आपकी नजरों में भी, वही लालसा , वही प्यास , वही ललक जो मुझे पाना तो चाहती है पर सीधा कहने से डरती है ..है न पंडित जी ..बोलिए ..."
पंडित ने अपना सर झुक लिया, नूरी उनकी समझ से कही ज्यादा चतुर निकली ..
उनका झुक हुआ चेहरा देखकर नूरी बोली : "पंडित जी ..देखिये ..मेरा मकसद आपको ठेस पहुंचाने का नहीं था ...मैं तो सिर्फ .आपसे मदद मांग रही थी ...बोलिए ...आप मेरी मदद करेंगे ना .."
कहते -२ नूरी के हाथ पंडित की जांघो पर चलने लगे ..उसकी साँसे तेज होने लगी ...उसके उभार ऊपर नीचे होने लगे ..और आँखे और भी गुलाबीपन पर उतर आई ..और ये सब पंडित जी से सिर्फ एक फुट की दुरी पर हो रहा था ..
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वो पंडित से चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, पंडित के लंड से चुदकर वो प्रेग्नेंट होना चाहती थी ... अब पंडित के लिए भी अपने आप को संभालना मुश्किल हो गया ..उसने नूरी के नूर टपकाते हुए चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और धीरे से बोले : "ठीक है ..जैसा तुम चाहो ..मैं तैयार हु तुम्हारी मदद करने के लिए ..."
पंडित का इतना कहना था की नूरी की आँखों से आंसू निकल गए और उसने आगे बढकर पंडित के गले में अपनी बाहें डाल दी ..उसके दोनों खरबूजे पंडित की छाती से पीसकर अपना गुदा वहां महसूस करवाने लगे ..
पंडित ने भी उसकी पीठ पर अपनी जकड बनाते हुए उसे अपने ऊपर खींच लिया ..और पीछे की तरफ लेट गया ..नूरी का गदराया हुआ जिस्म पंडित के ऊपर पड़ा हुआ था ..उसके रेशमी बालों ने दोनों तरफ से गिरकर उसके और पंडित के चेहरे को किसी जंगले की तरह से ढक लिया ..नूरी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और पंडित की आँखों में बड़े प्यार से देखा ..और फिर अपनी आँखे बंद करते हुए वो नीचे झुकी और पंडित के होंठों को अपने अन्दर समेट कर उसे जोर से चूम लिया ..
अह्ह्ह्ह्ह ...क्या एहसास था ..उसके गुलाब की पंखड़ियों का ..ऐसा लग रहा था की गुलाब की पत्तियां उसके होंठों को चूस रही है ..इतना कोमल एहसास पंडित को आज तक नहीं हुआ था ...
पंडित ने दुगने जोश के साथ अपनी पकड़ बडाई और उसके होंठों को चूसने लगा ...
'उम्म्म्म ....पंडित जी ....धीरे ...अहह ...आप तो काफी जालिम लगते हैं इस मामले में ...'
नूरी की कम्प्लेंन सुनकर पंडित ने अपना उत्तेजना पर लगाम लगायी ..और अपने हाथ नीचे करके हमेशा से आँखों के आकर्षण का केंद्र रहे उसके उरोजों को पकड़ा और उन्हें सहलाने लगा ...मगर प्यार से.
उसकी ब्रेस्ट पर चमक रहे निप्पल पंडित को साफ़ महसूस हो रहे थे ..वो अभी -२ नहा कर आई थी इसलिए उसके शरीर की ठंडक पंडित को काफी सुखद लग रही थी ..
पंडित ने उसके सूट को नीचे से पकड़ा और ऊपर करके निकाल दिया ...उसने नीचे ब्लू कलर की ब्रा पहनी हुई थी ..पंडित ने उसकी ब्रा भी खोल दी ..और जैसे ही वो खुली, उसमे से पके हुए फलों की तरह उसके दोनों आम बाहर निकल कर पंडित के चेहरे पर आ गिरे ..और पंडित के होंठ और जीभ जोर -२ से उनपर चलने लगे ...नूरी ने सोचा भी नहीं था की धार्मिक काम काज करने वाला ये पंडित सेक्स के ऐसे दांव पेंच भी जानता होगा जिसे देखकर लड़की के मुंह से तो क्या चूत से भी चीखे निकल जाए ...
'अह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....उम्म्म्म ....क्या करते हो ...अह्ह्ह ...बहुत मजा आ रहा है ...अह्ह्ह ...'
पंडित उसे ये सब मजे देने के लिए ही तो सब कर रहा था ...
पंडित के हाथ उसकी पायजामी की तरफ चले, उसने तो जैसे सोच लिया था की आज ही इसे प्रेग्नेंट करके रहेगा ...
पर तभी बाहर का दरवाजा खडका ..दोनों चोंक गए ..
नूरी ने जोर से पुछा : "कोन है ...बाहर "
"बेटा ...मैं ...हु ..खोलो ..." वो इरफ़ान की आवाज थी , कमीना दो घंटे में आने वाला था , पंडित ने मन ही मन सोचा ...
दोनों घबरा गए, नूरी ने जल्दी से अपने कपडे पहने और पंडित को अपने कमरे में लेजाकर बेड के नीचे छुपा दिया और जाकर दरवाजा खोल दिया ..
दोनों की आवाजें पंडित साफ़ सुन पा रहा था ..
नूरी : "अब्बा जान ...आप काफी जल्दी आ गए ..."
इरफ़ान : "हाँ ..मैंने वो पैसे सीधा उसके खाते में जमा करवा दिए ..वो ए टी एम से निकलवा लेगी ..वहां जाने और आने में काफी समय लगता ..शाम को उसे देखने चला जाऊंगा ..अभी दूकान भी तो खोलनी है ..तू मेरे लिए जल्दी से नाश्ता बना, मैं नहा कर आता हु .."
वो नहाने के लिए जल्दी से गुसलखाने में घुस गए, नूरी ने भागकर पंडित को बाहर निकाल और उसे चुपचाप बाहर निकाल दिया ...पंडित को अपनी हालत आजकल के नोजवान आशिक जैसी लग रही थी जो लड़की के घर से उसके बाप के डर से छुप कर भाग रहा था ..पर जो भी हो, नूरी के जलते हुए बदन के आधे अधूरे एहसास ने पंडित के अन्दर की ज्वाला को और भी ज्यादा जला दिया था ..उसे अब जल्द से जल्द उसके साथ चुदाई करनी थी और उसे बच्चा देना था ...वो शाम को आने का वादा करके जल्दी से नीचे उतर गया ..
और वैसे भी , रितु के आने का टाईम भी होने वाला था ..
पंडित अपने कमरे में भागकर पहुंचा, चलते हुए उसका एक हाथ अपनी धोती के ऊपर था, वैसे धोती का तो एक बहाना ही था, असल में वो अपने खड़े हुए लंड को पकड़ कर चल रहा था, उसे डर था की उसका खड़ा हुआ लंड कोई देखा ना ले ..
दरवाजा बंद करके वो अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाते हुए आँखे बंद करके अपने खड़े हुए लंड को मसलने लगा और नूरी के बेपनाह हुस्न को याद करते हुए उसकी धोती कब नीचे गिर गयी, उसे भी पता नहीं चला ...
उसके लम्बे लंड के ऊपर चमक रहे सुपाडे पर नूरी के नाम का पसीना उभर आया ..उसने वो प्रिकम अपने पुरे लंड पर मलकर एक दबी हुई सी सिसकारी मारी ...नूरी के नाम की .
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....नूरी ......क्या माल है ....उम्म्म्म्म ....क्या मुम्मे थे तेरे .....इतने मीठे ....इतने कड़क निप्पल ....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह्ह्ह नूरी ....'
पंडित अपने दरवाजे की ओट लेकर खड़ा हुआ अपना लंड मसल रहा था ...तभी दरवाजे पर धीरे से किसी ने खडकाया ..
पंडित ने आनन् फानन में अपनी धोती ऊपर उठाई और अपने लंड को छुपाने की असफल कोशिश करते हुए जैसे ही पूछना चाहा की कौन है ...बाहर से आवाज माधवी की आवाज आई "पंडित जी ...खोलिए तो जरा ..."
माधवी की रसीली आवाज सुनते ही पंडित के हाथों से धोती छुट गयी और उसने जल्दी से दरवाजा खोलकर माधवी का हाथ पकड़ कर अन्दर खींचा और दरवाजा फिर से बंद कर दिया ..
माधवी को पंडित जी से ऐसे बर्ताव की उम्मीद नहीं थी ..पर अन्दर आकर जैसे ही उसकी नजर पंडित के खुन्कार लंड के ऊपर गयी उसका शरीर कांप सा गया ...उसकी आँखे बोजिल सी हो गयी और वो बेजान सी होकर वहीँ जमीन पर बैठकर पंडित ने नोने से लंड को निहारने लगी ...
पंडित की हालत पहले से ही खराब थी, माधवी की मर्जी जाने बिना ही वो हरकत में आ गया और आगे बढकर अपने श्रीखंड को उसके मुंह में धकेल दिया ...
उम्म्म्म्म .....
पंडित जी का मीठा उपहार पाकर वो गदगद हो उठी ...और उसका मीठा रस पीकर वो अपने मुंह और जीभ को उसपर जोरों से चलाने लगी ...
वैसे भी अपने पति की तरफ से खुल्ली छूट मिल जाने की वजह से वो पंडित से सब कुछ खुलकर करवाने को बेताब थी, और वो ये नहीं जानती थी की पंडित को ये सब पहले से ही पता है ..
पंडित ने अपने फैले हुए हाथों से उसके सर को जोर से पकड़ा हुआ था ...और अपनी हथेलियों से उसके कानों को रगड़ कर उसे और भी गरम कर रहा था ...
आज माधवी ने साडी पहनी हुई थी ..उसका पल्लू कर खिसक कर नीचे ढलक गया, उसे भी पता नहीं चला ..उसके दूध से भरे हुए थन बाहर निकलकर अपना दूध निकलवाने को मचलने लगे ..
पंडित के हाथ खिसकते हुए आगे आये और एक एक करके उसने माधवी के ब्लाऊस के बटन खोलने शुरू कर दिये.
माधवी ने भी पंडित जी की मदद करते हुए अपना ब्लाउस खोल दिया और अपनी ब्रा के कप नीचे खिसका कर अपने उरोज उनके समक्ष उपस्थित कर दिए ..
पंडित ने झुक कर उसके निप्पल अपने दोनों हाथों की उँगलियों में पकडे और उन्हें ऊपर की तरफ खींच दिया ...
माधवी दर्द और आनंद के मिले जुले मिश्रण के साथ सिसक उठी ..
'अह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी .....उफ्फ्फ दर्द होता है ...'
पर पंडित को उसपर कोई रहम नहीं आया, वो उसे ऊपर की तरफ खींचता चला गया, माधवी के मुंह से पंडित का डंडा बाहर निकल गया और उसके पुरे शरीर पर रगड़ खाता हुआ ठीक उसकी चूत के ६ इंच ऊपर आकर रुक गया ..
उत्तेजना के मारे माधवी के मुंह से लार निकल कर उसकी ठोडी और गर्दन को गीला कर रही थी ..पंडित ने अपनी लम्बी जीभ निकाली और उसके होंठों से निकल रहे अमृत को चाटना शुरू कर दिया ...
माधवी के होंठों के ऊपर पंडित की जीभ ऐसे चल रही थी मानो वो कोई आइसक्रीम हो ..गर्दन पर पहुंचकर पंडित के हाथों के पंजे उसके मुम्मों को जोरों से मसलने लगे ...अब माधवी ने पंडित के सर को पकड़कर उसे अपने सीने से लगा लिया और आनंद सागर में गोते लगाते हुए पंडित से मुम्मे चुस्वाने का सुख भोगने लगी ..
माधवी ने सिसकारी मारते हुए कहा : "स्स्स्स पंडित जी ...आज मैं कितने सही समय पर आई आपके पास ...अह्ह्ह्ह्ह ...आई तो कुछ और काम से थी ...पर मुझे क्या मालुम था की मेरी किस्मत में आज सुबह -२ आपका प्रसाद लिखा होगा ...आअह्ह्ह्ह्ह "
कहते -२ उसने एक बार जोर से पंडित के लंड को पकड़ कर मसल दिया ...
पंडित का लंड उसकी चूत में अभी तक एक बार भी नहीं गया था ....और आज वो ये काम किसी भी कीमत पर करना ही चाहती थी ..पंडित की भी हालत खराब थी, नूरी की चूत मारने से वो आज वंचित रह गया था जिसकी वजह से उसके अन्दर काफी गुबार भर गया था .उसने घडी की तरफ देखा, रितु और शीला के आने का समय भी होने वाला था ..और उनके आने से पहले जैसी परिस्थिति हो जाती, जिसमे उसे बिना चूत मारे ही रहना पड़ा था, उसने आनन् फानन में माधवी को अपने बेड पर पटका और उसकी साडी और पेटीकोट ऊपर करके उसकी गीली कच्छी को साईड में किया और अपना दनदनाता हुआ लंड एक ही बार में उसकी गर्म और रसीली चूत में पेल दिया ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह्ह पंडित जी ......उम्म्म्म्म .....मैं तो धन्य हो गयी ....अह्ह्ह्ह ....आपसे चुदवाकर उम्म्म्म्म ......क्या लंड है आपका .....मोटा ....और लम्बा .....उम्म्म्म ....."
वो पंडित के लंड को गिरधर के लंड से कम्पेयर कर रही थी ...इसलिए उसको आज काफी मजा भी आ रहा था ....उसकी साड़ी मोटी जाँघों के ऊपर सिमटी पड़ी थी ...और धक्के लगने की वजह से बुरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुकी थी ...ऊपर के दोनों कबूतर भी हर झटके से ऊपर उड़ जाते पर बंधे होने की वजह से वापिस नीचे आ जाते ..
पंडित खड़े-२ झटके मार रहा था ...उसका पसीने से भीगा हुआ शरीर अपने अन्दर की गर्मी को लंड के जरिये माधवी की चूत में ट्रांसफर करने में लगा हुआ था ...
माधवी के पैर भी नीचे थे और उसने अपने पैरों को दोनों तरफ फ़ेल कर पंडित को बीच में आदर सहित खड़ा किया हुआ था, और उतने ही आदर के साथ उनके खड़े हुए लंड को अपने अन्दर लिया हुआ था ..
अचानक पंडित के झटके तेज होने लगे ...
'अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ माधवी ...उम्म्म ....क्या टाईट चूत है तेरी ...अह्ह्ह ...लगता है गिरधर ने पूरा इस्तेमाल नहीं किया ...अह्ह्ह ...जवान बेटी हो गयी है तेरी ...अह्ह्ह्ह्ह ..फिर भी ....इतनी गरम चूत है तेरी ...'
माधवी के अन्दर की भट्टी भी आग उगलने लगी ..और एक भीषण गर्जन के साथ पंडित के लंड से पानी निकल कर माधवी की भट्टी की आग बुझाने लगा ...माधवी को भी ओर्गास्म के झटके अन्दर से लगने महसूस हुए और उसका पूरा शरीर अकड़ गया ...उसके पैर सामने हवा में सीधे हो गए ...पंडित ने अपने पुरे शरीर को माधवी के ऊपर लिटा दिया ..और बाकी के बचे हुए झटके दोनों ने एक साथ खाए ...एक दुसरे से लिपटे हुए .
'ओह्ह्ह्ह्ह पंडित जी .....आज जैसी चुदाई तो किसी ने नहीं की मेरी ....कितना शक्तिशाली है आपका लंड .....मुझे तो जन्नत की सैर करवा दी आपने आज ...मैं तो आपके लंड की मुरीद हो गयी ...कसम से ..'
पंडित ने उसकी बाते सुनते हुए अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए और माधवी को भी सही अवस्था में आने को कहा ..थोड़ी ही देर में दोनों सही तरीके से अपने आपको दरुस्त करके बैठ गए ..
पंडित ने दोनों दरवाजे खोल दिए और एक अगरबत्ती जला दी ताकि कमरे से सेक्स की महक निकल जाए ...
पंडित : "हां ...माधवी ...अब बोलो ...किस काम से आई थी तुम .."
माधवी शर्माते हुए बोली : "वो ..मैं ..आपको धन्यवाद देने आई थी ...की आपकी वजह से मेरे और गिरधर के बीच फिर से पहले जैसा अपनापन आ गया है .. "
पंडित : "मैं जानता हु ..."
माधवी चोंक कर बोली : "कैसे ????"
पंडित : "भूल गयी ...मैं अंतर्यामी हु ...मुझे सब पता चल जाता है ...तुम्हारे चेहरे को देखते ही मैं समझ गया था की तुम यहाँ किसलिए आई हो ..."
माधवी शरमाने लगी ...और धीरे से बोली : "अच्छा ...तभी आपने बिना कुछ पूछे मुझे अन्दर खींच लिया और ये सब कर डाला ...मुझे तो ऐसा लग रहा था की आप जैसे मेरी ही प्रतीक्षा कर रहे थे की कब मैं आऊ और कब आप मुझे चो ...चोद डाले ..."
पंडित मुस्कुराने लगा ...और सोचने लगा 'अब इस अज्ञानी को कैसे समझाऊ '
तभी बाहर से रितु अन्दर आ गयी ...और अपनी माँ को पंडित के साथ बैठ देखकर बोली : "अरे माँ ...तुम यहाँ हो ...मैं तुम्हे घर पर देख रही थी ...वहां कोई नहीं था, मैं कॉलेज से आकर कपडे भी बदल आई और खाना भी खा लिया ... "
माधवी : "अरे ...पंडित जी से बातें करते-२ मुझे समय का ध्यान ही नहीं रहा ...अच्छा पंडित जी ..मैं चलती हु ...आप बस मेरी बच्ची की पढाई पर ध्यान दीजिये ...अगर हो सके तो अपनी तरफ से भी कोई शिक्षा इसे दे दिया करिए ..शीला जी तो कॉलेज का पाठ्यकर्म पढाती है ...जीवन और ज्ञान से सम्बंधित बातें तो आपही बता सकते हैं न ..."
पंडित : "इसमें कहने वाली क्या बात है माधवी ..तुम चिंता मत करो ..रितु को हर तरह की शिक्षा मिलेगी ...तुम जाओ .."
माधवी पंडित जी को प्रणाम करके वहां से निकल गयी ...पंडित का ध्यान अब रितु के ऊपर गया ...वो आज पिंक कलर की लम्बी सी फ्रोक पहन कर आई थी ...स्लीवलेस थी वो ...और उसके दांये कंधे पर पंडित को उसकी ब्लेक ब्रा का स्ट्रेप भी नजर आ रहा था ...
पंडित बुदबुदाया 'ओह्ह्ह्ह रितु ....क्यों आग लगाती हो ...ऐसे अपने अंगों के दर्शन करवाकर ...'
आज वो रितु को सच में कुछ स्पेशल ज्ञान देने के मूड में था .
रितु के चेहरे पर भी आज एक अलग सी रौनक थी , कुछ नया सीखने की, नया देखने की , जीवन के रहस्यों को समझने की और उन्हें अपनाने की . वो सब कुछ सोचकर मंद -२ मुस्कुरा भी रही थी .
पंडित : " क्या बात है रितु , आज तुम काफी खुश नजर आ रही हो .."
रितु (अल्हड़पन और शोखी भरे स्वर में बोली ) : "आप तो सब चेहरा देखकर ही जान लेते है न ..आप ही बताइए मैं क्या सोच कर खुश हो रही हु .."
पंडित के ज्ञान को उसने सीधे शब्दों में चुनोती दे डाली .
पंडित भी मुस्कुराते हुए उसके पास खिसक आया और धीरे से बोला : "मुझे तो पता है की तुम क्या सोचकर मुस्कुरा रही हो ..पर ऐसा ना हो की मैं तुम्हे बताऊँ और तुम शरमा कर यहाँ से भाग जाओ ..."
रितु (सकुचाते हुए) : "नहीं ...ऐसा नहीं होगा ...आप बताइए तो सही .."
पंडित : "तो सुनो ...तुमने कल रात को अपने माँ पिताजी को वो सब करते हुए देखा जिसके विषय में सोचकर तुम २ दिनों से परेशान हो ..यानी सम्भोग ..है न .."
पंडित की बात सुनकर रितु का मुंह खुला का खुला रह गया ..उसे शायद ये आशा भी नहीं थी की पंडित इतनी आसानी से उसके सामने उसकी पोल पट्टी खोल कर रख देगा ..और शायद ये भी अंदाजा नहीं था की पंडित सच में कल रात वाली बात जानता होगा ..मतलब, उसे ये तो पता था की पंडित मन की बात जान लेता है पर ये बात भी वो जान लेगा उसे उम्मीद नहीं थी ..
अब उस बेचारी को कौन समझाए की पंडित वो सब कैसे जानता है .
पंडित : "और मुझे ये भी पता है की तुम उन्हें देखते -२ क्या कर रही थी ..कैसे तुमने अपनी फ्रोक को उतार फेंका और ..."
"बस पंडित जी ....प्लीस ...और कुछ ना बोलिए ...मुझे शर्म आ रही है ...प्लीस ..." वो गहरी साँसे लेते हुए पंडित जी के पैरों में गिर पड़ी ..जैसे उनके ज्ञान से रूबरू होकर अपनी अज्ञानता की माफ़ी मांग रही हो ..
पंडित ने उसकी गोरी-२ बाजुओं से पकड़ कर उसे ऊपर उठाया और बोले : "इसमें शर्माने वाली कोनसी बात है रितु ...वो सब स्वाभाविक था, तुमने जो देखा उसके परिणामस्वरूप वो सब तो होना ही था ...बस तुम्हे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना नहीं आया ....."
पंडित उसकी आधी अधूरी जानकारी के बारे में जानता था ..इसलिए ये सब बोला ..
रितु : "पंडित जी ..मुझे सच में इन सब चीजों के बारे में कुछ नहीं मालुम ..घर पर भी और कॉलेज में भी कोई ऐसा नहीं है जो ये सब बताये ..आपने भी कल मुझे जो बात बतायी थी वो मेरे लिए बिलकुल नयी थी ..वरना आज तक तो मैं यही समझती थी की शायद किस्स करने से ...ही बच्चा ...हो जाता है ..."
पंडित : "ह्म्म्म ...पर तुम चिंता ना करो ..अब मेरे पास आकर तुम्हारा अज्ञानता का अँधेरा दूर हो जाएगा ...मैं रोज तुम्हे जीवन के हर पहलु से अवगत करवाऊंगा ..."
रितु ने हाँ में सर हिला दिया ..
वो ये सब बातें कर ही रहे थे की बाहर से शीला अन्दर आ गयी और पंडित जी के पैर छु कर वहीँ उनके पास जमीन पर बैठ गयी ..
पंडित ने शीला से कहा : "शीला ...आज हम दोनों मिलकर रितु के कुछ सवालों का निवारण करेंगी ..जो काम क्रीडा यानी सेक्स के बारे में हैं .."
पंडित की बात सुनकर रितु के साथ-२ शीला भी आश्चर्य से उन्हें देखने लगी ..
रितु इसलिए की वो शायद किसी और के सामने या साथ में अपने सवालों का जवाब नहीं चाहती थी ..और पंडित जी शीला के साथ ये सब बातें कैसे करेंगे उसे ये समझने में काफी परेशानी हो रही थी ..
और दूसरी तरफ शीला को इसलिए की पंडित की प्लानिंग वो भी नहीं जानती थी , पंडित के कहने पर उसने गिरधर के साथ डबल मजा किया था जिसमे उसे बहुत मजा भी आया था और अब पंडित जी शायद उसका इस्तेमाल करके उनकी बेटी के साथ भी वही सब करना चाहते हैं ..
पर पंडित जी की हर बात को आँख मूँद कर मानने कर वचन वो दे चुकी थी इसलिए उसकी हिम्मत नहीं हुई की उनसे कोई सवाल करे ..वैसे भी, वो जानती थी की पंडित जी कुछ भी करें , उसे मजा तो आना ही आना है ..और वैसे भी, रितु को कॉलेज की पढाई कराने से ज्यादा उसे सेक्स की पढाई कराने में ज्यादा मजा आएगा ये सोचते हुए वो पंडित जी से बोली : "ठीक है पंडित जी ...आप जैसा कहें .."
पंडित : "शीला ...तुम दोनों दरवाजे बंद कर दो और अपने सारे कपडे उतार दो .."
पंडित की बात सुनकर शीला किसी रोबोट की तरह से उठी और पहले मंदिर की तरफ का और फिर पीछे वाली गली का दरवाजा बंद कर दिया और बीच में खड़ी होकर अपनी साडी खोलने लगी ..
साडी उतारने के बाद ब्लाउस और फिर ब्रा भी ..और नीचे से पेटीकोट उतार कर वो पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में आ गयी ..पिछले २-३ दिनों की तरह आज भी उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी ..
पंडित के नाग ने विराट रूप लेना शुरू कर दिया ..
अपने सामने शीला को पूरा नंगा देखकर रितु पलके झपकाना भी भूल गयी ..कल तक एक अध्यापिका बनकर उसे ज्ञान देने वाली शीला आज पूरी नंगी होकर उसके सामने खड़ी थी ..एक अलग तरह का ज्ञान देने के लिये .
पंडित : "देखो रितु , तुम शायद ये सोच रही होगी की मेरे कहने से शीला इस तरह से क्यों तैयार हो गयी ..सुनो, शीला को भी ऐसे कई ज्ञान और खुशियाँ मैंने प्रदान की है जिसकी वजह से इसका जीवन आज पूरी तरह से बदल चूका है ..इसलिए मेरे साथ किसी भी प्रकार की क्रिया करने से इसे कोई आपत्ति नहीं होती बल्कि ख़ुशी ही मिलती है .."
पंडित की बात सुनकर उसे विशवास ही नहीं हो रहा था की पंडित जी का शीला के साथ कोई सम्बन्ध हो सकता है ..
उसकी दुविधा का निवारण करने हेतु पंडित जी उठे और शीला के सामने जाकर उसके चेहरे को पकड़ा और अपने होंठों को उसके अधरों पर रखकर उनका पान करने लगे .
शीला के हाथों का हार अपने आप पंडित जी के गले में आ गया और वो भी उचक उचक कर उनका साथ देने लगी ...
पंडित जी ने शीला के ऊपर वाले होंठ को अपने दांतों में दबाया और ऊपर की तरफ खीचकर चुभलाने लगे ..और अपने हाथों की उँगलियों से उसके निप्पलस को मसल मसलकर लाल करने लगे .
'अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म ......उफ़ पंडित जी .....आपकी उँगलियों में तो जादू है ...अह्ह्ह्ह ...ह्म्म्म्म ऐसे ही ...दबाइए इन्हें ...रात भर दर्द करते रहते हैं ..अह्ह्ह्ह ...'
शीला की करुण पुकार सुनकर पंडित ने और तेजी से उनका मर्दन करना शुरू कर दिया ..
पंडित का ध्यान रितु की तरफ था, वो ये सब करते हुए रितु को एक -एक एक्शन साफ़ दिखाना और समझाना चाहते थे ..
पंडित : "देखो रितु ...एक औरत के जिस्म के सबसे कामुक और उत्तेजना का संचार करने वाले हिस्से होते हैं ये ..उसके होंठ ...उसके उरोज ..और ये ..उसकी चूत ...इनका सेवन और मंथन करना अति आवश्यक होता है ...तभी उसे मजे आते हैं ..ये देखो ..."
इतना कहकर उसने शीला की साफ़ और चिकनी चूत पर अपनी उँगलियाँ फेराई और एक झटके से अपनी एक ऊँगली अन्दर खिसका दी ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह पंडित ......जी ....उम्म्म्म्म ....मजा आ गया ..."
पंडित : "देखा ...सिर्फ एक ऊँगली अन्दर डालने से इतना मजा आ गया इसे ...सोचो जब वो अन्दर जाएगा तो क्या होगा ..."
'वो' मतलब लंड ...इतना तो वो अच्छी तरह से जानती थी, रात को अपने माँ बाप की पूरी फिल्म जो देख चुकी थी ...
पंडित : "रितु ...तुम शायद नहीं जानती की आदमी और औरत जब सम्भोग करते हैं तो वो सिर्फ बच्चा पैदा करने का माध्यम नहीं होता, बल्कि एक दुसरे को उत्तेजना का वो एहसास दिलाने का माध्यम भी होता है जिसके लिए स्त्री और पुरुष का मिलन होता है ...और वो आनंद स्त्री को देने के लिए पुरुष कई प्रकार की प्रक्रियाएं करते हैं ..जैसे चूत में ऊँगली डाल देना ...या उसे अपने मुंह से चूसना ..और अंत में अपना लंड अन्दर डाल देना ..जिसके घर्षण से दोनों को काफी मजा आता है ..."
और रितु को प्रेक्टिकल दिखाने के लिए पंडित ने शीला को बिस्तर पर लेटने को कहा ..और खुद उसके सामने आकर बैठ गया ..उसकी टांगो को चोडा करके बीच में जगह बनायी और झुककर अपनी एक ऊँगली फिर से शीला की चूत में डाल दी ...वो चिहुंक उठी ..और फिर दूसरी ऊँगली भी ..और फिर तीसरी ...और उन्हें एक लय में लाकर अन्दर बाहर करने लगे ..
रितु भी आज्ञाकारी स्टूडेंट की तरह उनके पास खड़ी होकर उनका प्रेक्टिकल बड़े ही गौर से देख रही थी ..
पंडित की तीनों उँगलियाँ शीला की चूत में थी , शीला की चूत पंडित की लगातार चुदाई की वजह से खुल गयी थी इसलिए खुली हुई चूत अपने सामने देखकर रितु येही सोचने में लगी हुई थी की कैसे पंडित की तीन -२ उँगलियाँ बड़ी आसानी से अन्दर बाहर हो रही है , पर उसकी चूत तो बड़ी टाईट है, उसमे तो एक ऊँगली डालने से भी इतना दर्द होता है ..कैसे हो पायेगा ये सब उसके साथ ..
पंडित ने उसकी दुविधा पड़ ली और बोले : "चूत की कसावट जल्दी ही चली जाती है ...क्योंकि पुरुष इसके अन्दर अपनी उँगलियाँ और लिंग डालता है ...शुरू में थोडा दर्द या परेशानी भी होती है पर बाद में मजा भी बहुत आता है ...देखो तो जरा इसके चेहरे को ..."
पंडित ने रितु को शीला के चेहरे की तरफ देखने को कहा ...जो अपनी आँखें बंद करके पंडित के बिस्तर पर नंगी पड़ी हुई जल बिन मछली की तरह मचल रही थी ...आनंद सागर में गोते लगाती हुई वो सब कुछ भूलकर अपनी चूत में पंडित की उँगलियों का मजा ले रही थी ..
पंडित ने तीन उँगलियों के साथ-२ अपना अंगूठा भी अन्दर दाल दिया और उसकी क्लिट को उँगलियों और अंगूठे के बीच में दबोच कर उसकी मसाज करने लगे ...
अब तो उसकी कसमसाहट और मजा और भी बड़ गए ...उसने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा लिया ..और पंडित की उँगलियों के बदले अपने शरीर को धक्के देकर उनकी उँगलियों को अन्दर बाहर करने लगी ..
उसकी हालत देखकर रितु को साफ़ पता चल रहा था की शीला को कितने मजे आ रहे हैं ..
पंडित : "ये जो दाना होता है न ..इसका घर्षण करने से या मसलने से ही स्त्री को असली मजे आते हैं और उसके अन्दर का पानी बाहर निकलता है ...और ये घर्षण ऊँगली , मुंह और लंड तीनो से हो सकता है ..."
पंडित की बात सुनकर रितु को अक्ल आई, वो समझ गयी की क्यों कल रात को भी वो सिर्फ सुलग कर रह गयी, काश वो अपनी ऊँगली को अन्दर डालकर मसलती तो उसे तड़पते हुए सोना नहीं पड़ता ..
पंडित : "लिंग से निकले रस और स्त्री के अन्दर से निकले पानी के मिश्रण से ही बच्चा बनता है .."
ये बात तो पंडित जी पहले भी बता चुके थे, पर आज अपने समक्ष प्रेक्टिकल होते देखकर उसे सब आसानी से समझ में आ रहा था ..
पंडित जी की पारखी नजरें रितु के शरीर की हर हरकत पर थी ...उसके छोटे-२ चुचुक खड़े हो चुके थे ..और टाँगे भी कांप रही थी ..उसके हाथ की उँगलियाँ अपनी चूत की तरफ जाने को मचल रही थी पर शरम के मारे वो पंडित के सामने कुछ कर नहीं पा रही थी ...
पंडित भी जानता था की स्त्री के बदन की आग कैसी होती है . और वो हमेशा की तरह अपनी तरफ से कोई भी पहल नहीं करना चाहता था ..वो तो उसे तडपा कर उसे उस हालत में लाना चाहता था जहाँ आकर वो मजबूर हो जाए और पंडित के साथ अपनी मर्जी से सब कुछ करे ..
और इसके लिए अभी पंडित को काफी मेहनत भी करनी थी ...
पंडित ने देखा की रितु की नजरें बार बार उनके लंड की तरफ जा रही है ..उनका धोती में खड़ा हुआ लंड उसे काफी आकर्षक लग रहा था ..
जवान लड़कियों की सबसे पहली पसंद अपने सामने नंगा लंड देखने की रहती है ..वो अपने जीवन के 16 -18 साल गुजारने के बाद उस चीज को देखने की लालसा रखने लगती है जिसकी वजह से उन्हें सबसे ज्यादा मजा आने वाला होता है, मूवीज में देखकर या अपनी करीबी सहेली से उनकी रूपरेखा सुनकर उसे देखने की इच्छा और भी प्रबल होती चली जाती है ..वैसे तो रितु भी अपने पिता यानी गिरधर का लंड देख ही चुकी थी, पर वो काफी दूर था, अपने समक्ष खड़ा हुआ लंड देखने का लालच रितु के चेहरे पास साफ़ देख पा रहा था पंडित ..
पर वो उसे अभी और भी तडपाना चाहता था ..
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और इसके लिए उसने रितु को दुसरे आसन यानी मुख चुदाई के बारे में बताना शुरू किया ..
पंडित : "देखो रितु ...अब मैं तुम्हे वो क्रिया दिखाने जा रहा हु जिसे अपने ऊपर महसूस करके औरत को सबसे ज्यादा मजा आता है .."
इतना कहकर पंडित ने शीला की टांगो को पकड़कर दोनों तरफ फेला दिया और खुद उसकी चूत के ऊपर मुंह रखकर सामने लेट गया ...पंडित ने अपनी उँगलियों से शीला की जाँघों को जोर से पकड़ा हुआ था ..
और पंडित के होंठ बिलकुल शीला की चूत के होंठों के ऊपर थे ..दोनों तरफ से गर्मी निकल कर एक दुसरे के होंठों को झुलसा रही थी ..पंडित ने एक गहरी सांस लेकर अपना मुंह शीला की चूत के ऊपर लगा दिया ..वो आनंद से चीत्कार उठी ...
"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म ...पंडित ....जी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ..."
शीला में चेहरे पर आ रहे मादक एहसास को देखकर रितु उसके मजे को नाप रही थी ..कितना अलग और मीठा एहसास हो रहा होगा शीला को , अपनी चूत पर पंडित के होंठों को पाकर ..उसने आँखे मूँद कर वो एहसास अपने शरीर पर महसूस करने की सोची पर जो काम असल में हो वही सही में मजा देता है, सिर्फ सोचकर कुछ नहीं मिलता ..रितु का मन भी विचलित होना शुरू हो चूका था, वो भी अपने ऊपर वो सब कुछ करवाना चाहती थी जो शीला करवा रही थी ..पर पंडित के सामने इतनी जल्दी अपने आप को अर्पित करके रितु भी जल्दबाजी नहीं करना चाहती थी, वो ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने आप पर संयम रखकर अपने आप को बचाकर रखना चाहती थी और इसी बीच ज्यादा से ज्यादा ज्ञान भी लेना चाहती थी .
पंडित के होंठों ने शीला की चूत की फेली हुई परतों को अपने मुंह में दबा कर उसका रस चूसना शुरू कर दिया ..
शीला के हाथ पंडित के चोटी वाले सर को पकड़ कर उसे और जोर से अपनी चूत पर दबा कर उत्साहित कर रही थी की और जोर से चूस ...इतने से कुछ नहीं होने वाला ..
रितु अपने सामने इतना कामुक कार्य देखकर खुद को ना रोक पायी और घुटनों के बल नीचे जमीन पर बैठकर वो और करीब से पंडित के द्वारा की जा रही मुख चुसाई देखने लगी ..इसका दोहरा फायेदा था, एक तो वो और करीब से उन्हें देख पा रही थी, दूसरा उसकी कमर से नीचे वाला हिस्सा पंडित और शीला की नजरों से दूर होने की वजह से वो अपनी चूत के ऊपर हाथ फेरा कर अपनी कसक को दबा सकती थी ..और उसने किया भी ऐसा ही ..बैठने के साथ ही उसका हाथ सीधा अपनी रसीली और कसी हुई चूत के ऊपर गया और उसने अपनी फ्रोक के ऊपर से ही अपनी चूत को जोर से मसल दिया ...
उम्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह ..
एक दबी हुई सी सिसकी उसके मुंह से भी फुट ही गयी, जिसे पंडित के तेज कानो ने सुन लिया ..
और वो मंद ही मंद मुस्कुरा कर शीला के शहद को और तेजी से पीने लगा ..
वो अपनी जीभ से शीला की क्लिट को चुभला भी रहा था ताकि उसे और भी ज्यादा मजे मिल सके ..और उसका मजा देखकर रितु भी और ज्यादा उत्तेजित हो पाए और अपनी शर्म हया छोड़कर पंडित के सामने अपनी इच्छा का इजहार खुल कर कर दे .
अचानक शीला ने अवीश में आकर अपने बांये हाथ से रितु के चेहरे पर अपनी उँगलियाँ फेराई और उन्हें घुमा फिरा कर उसके होंठों पर लेजाकर उसके मुंह में घुसेड दी ..
पहले तो रितु को समझ में नहीं आया की शीला की उगलियों का क्या करे ..पर अन्दर से आ रही आवाज को पहचान कर उसने शीला की उँगलियों को धीरे - २ चूसना शुरू कर दिया ...
अपनी चूत और उँगलियाँ एक साथ चुसवा कर शीला की हालत और भी पतली होने लगी ..और वो और जोर से चिल्ला कर अपनी ख़ुशी का इजहार करने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म्म्म घ्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म .. और तेज .... चॊओस्स ऒऒओ ..... उम्म्म्म्म ...
पंडित और रितु दोनों ने उसकी आज्ञा का पालन करते हुए चूत और ऊँगली और तेजी से चूसनी शुरू कर दी ..रितु की उँगलियाँ और तेजी से अपनी चूत की फांकों पर चलने लगी ..उसके हाथों की थिरकन देखकर पंडित को साफ़ महसूस हो रहा था की वो क्या कर रही है ..
शीला ने अपनी उँगलियों को रितु के दांतों में फंसा कर उसे अपनी तरफ खींचा ..और अपने चेहरे पर लाकर अपना हाथ बाहर खींच लिया ...और उसके कच्चे और कोमल होंठों को अपने मुंह में दबोचकर खुन्कार लोमड़ी की तरह उसे चूसने लगी ..
अपने ऊपर हुए ऐसे हमले की उम्मीद रितु को बिलकुल भी नहीं थी ...वो तो बस शीला की तरफ खींचती चली गयी और उसके परिपक्व होंठों के बीच अपने गुलाबी होंठों की पंखुड़ियों को मसलते पाकर अपनी आँखे बंद कर ली ..
रितु के मुंह से निकली शीला की उँगलियों को पंडित ने अपनी तरफ खींचा और उन्हें चूसने लगा ...
अह्ह्ह्ह ....क्या मीठा एहसास था ...रितु के मुंह से निकली उँगलियों की नमीं का ..कितनी मीठी लग रही थी वो ...अगर उसके होंठों को चूस लिया जाए तो कितनी मिठास निकलेगी उनमे से ...येही सोचकर पंडित काफी उत्तेजित हो गया और उसने एक झटके से अपनी धोती उतार फेंकी और उठकर अपने लंड को शीला की चूत के ऊपर रख दिया ...
अपने चूत द्वार पर लंड महाराज को आया देखकर उसने रितु को समुच करना छोड़ दिया ..और अपना पूरा ध्यान पंडित के लंड के ऊपर लगा दिया ..
रितु तो जैसे किसी सुखद सपने से जागी शीला के कोमल होंठों ने उसे पूरी तरह से चूस डाला था ..और जैसे ही उसने उसे छोड़ा उसने अपनी आँखे खोल दी और शीला की आँखों की तरफ देखा जो पंडित जी के लंड घूर रही थी ...
और जैसे ही शीला की आँखों का पीछा करते हुए रितु की नजरें पंडित के लंड पर गयी उसका मुंह खुला का खुला रह गया ...
''इतना ....बड़ा .......ल .....लंड .......ओह्ह ....माय गॉड .....''
उसने इतनी पास से और इतने बड़े लंड को नहीं देखा था ...गिरधर का ही तो देखा था उसने और वो भी दूर से ...और दूर से देखने पर तो अच्छी खासी चीज भी छोटी ही लगती है ...
पर पंडित के मोटे और लम्बे लंड को देखकर वो पलकें झपकाना भूल गयी और उसे घूर कर देखने लगी ..
पंडित ने बड़े आराम से अपने लंड को मसला और बोले : "रितु ...अब मैं तुम्हे मानव जीवन के सबसे बड़े अध्याय से अवगत करवा रहा हु ...जिसे काम क्रीडा यानी चुदाई कहते हैं ...चुदाई के लिए आदमी अपने लंड को स्त्री की चूत के अन्दर डालता है ....ऐसे ...और अन्दर बाहर धक्के लगता है ..."
और इतना कहकर पंडित ने शीला के अन्दर अपना लंड एक ही झटके में पेलकर जोरों से धक्के मारने शुरू कर दिए ..
शीला की आनंदमयी चीखे उसे मिल रहे मजे को बयान कर रही थी ...
''अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म ....पंडित .....जोर से ...चोदो ओ ...अह्ह्ह्ह्ह ...उम्म्म उ ह्ह्ह्ह ,,,,अह्ह्ह ...अह्ह्ह्ह ...ओफ्फ्फ ओम्म्म्म ....... अह्ह्ह्ह ...अग्ग्ग्घ्ह्ह्ह ...मैं तो गयी ......"
और इतना कहकर वो निढाल हो गयी ...
रितु से सहन करना मुश्किल हो गया ...और उसने अपनी फ्रोक को ऊपर उठाया और कच्छी को साईड में करके अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगी ...जैसा की गुरूजी यानी पंडित ने बताया था ..
पंडित अपने झटके मारता रहा ..और अंत में आकर उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया ...और
रितु के मासूम और कामुक हो चुके चेहरे को देखकर उसने अपने लंड की पिचकारियाँ शीला के पेट पर छोड़नी शुरू कर दी ...
इतना सारा रस निकलता हुआ देखकर रितु ने भी उँगलियों की तेजी बड़ा दी और एक जोरदार विस्फोट के साथ उसकी चूत में से भी ढेर सारा रस पहली बार कोमार्य की कच्ची धानी से निकल कर बाहर आ गया ..
उसकी साँसे फूल गयी ...
उसका सर चकरा गया ...और वो वहीँ शीला की बगल में ढेर हो गयी ...
पंडित ने अपना लंड साफ़ किया ..और समझ गया की अब रितु उसके जाल में पूरी तरह से फंस चुकी है ...
थोड़ी देर तक आराम करने के बाद शीला अपने कपडे पहन कर तैयार हो गयी और जाने लगी ...जाते हुए पंडित ने उसे धीरे से कहा की कल आने की कोई जरुरत नहीं है ...वो समझ गयी की कल पंडित जी रितु का उदघाटन करेंगे ...
थोड़ी देर बाद रितु भी बिना कुछ कहे चली गयी ...
अब पंडित को कल का इन्तजार था ...
पंडित ने उनके जाने के बाद नहा धोकर थोडा आराम किया ..वो काफी थक चुका था ..जब उसकी नींद खुली तो शाम के 4 बजने वाले थे ..अभी मंदिर खुलने में टाइम था, उसे नूरी का ध्यान आया, इरफ़ान भाई को उसने शाम को आने के लिए बोला था ..वो जल्दी से तैयार हुआ और बाजार की तरफ चल दिया ..
इरफ़ान भाई ने दूर से ही पंडित जी को आते हुए देख लिया और अपनी दूकान से बाहर निकल आया ..
इरफ़ान : "नमस्ते पंडित जी ...मुझे तो लगा की आप भूल गए हैं की आपने आज आने का वादा किया था .."
पंडित : "अरे नहीं इरफ़ान भाई, ऐसा कैसे हो सकता है ..बल्कि मैं तो आज सुबह भी आया था पर आपकी दूकान बंद थी इसलिए मैं वापिस चला गया .."
इरफ़ान : "ओह्ह ...दरअसल मुझे सुबह अस्पताल जाना था, मेरी बहन का बेटा दाखिल है वहां ..पर पंडित जी ...मैं नहीं था तो आप ऊपर जाकर नूरी से तो मिल ही सकते थे ना ..इसमें तक्कल्लुफ़ कैसा था .."
अब बेचारे इरफ़ान को कौन समझाए की पंडित सुबह आकर क्या नहीं कर गया उसकी बेटी नूरी के साथ ...
पंडित कुछ ना बोला ...इरफ़ान ने पंडित जी से कहा : "पंडित जी ...आप ऊपर जाइए ...नूरी ऊपर ही है ..मैं जरा अपनी दुकानदारी देख लेता हु तब तक ..और अपनी तरफ से पूरी कोशिश कीजियेगा उसे समझाने की ..मेरी तो सुनती ही नहीं है वो .."
पंडित : "आप फिकर मत करो इरफ़ान भाई ..मैं सब संभाल लूंगा ..आप अपनी दूकान संभालिये ..मैं ऊपर देखता हु .."
इतना कहकर पंडित दूकान के साईड से जा रही सीड़ियों पर चड़ता हुआ ऊपर आ गया ..
ऊपर जाते हुए पंडित नूरी के भरे हुए जिस्म के बारे में सोचता जा रहा था ..और जैसे ही वो ऊपर पहुंचा नूरी बिलकुल सामने खड़ी हुई दिखाई दे गयी ..वो तार पर धुले हुए कपडे डाल रही थी ..उसने पीले रंग का सूट पहना हुआ था ..और कपडे धोने की वजह वजह से वो लगभग पूरी गीली थी ..पंडित जी के क़दमों की आहट सुनकर वो पलटी और भागकर उनसे आकर लिपट गयी ..जैसे जन्मो से उनका इन्तजार कर रही हो ..
नूरी : "ओह्ह्ह ...पंडित जी ...आप तो मुझमे आग लगा कर चले गए ..सुबह से आपका इन्तजार कर रही हु ..अब सहन नहीं होता ..."
और इतना कहते हुए उसने उचक कर फ़िल्मी स्टाईल में पंडित जी के होंठों को अपने मुंह में दबोचा और उन्हें चुसना शुरू कर दिया ..
पंडित : "उम्म्म्म ....दरवाजा तो बंद कर लो ..."
नूरी ने दरवाजा बंद किया ..और पंडित को घसीटते हुए अन्दर ले गयी ..उन्हें बिस्तर पर पटका ..और एक झटके से अपना सूट उतार फेंका ..उसकी काली ब्रा में कैद गोरे मुम्मे पंडित जी को ललचा रहे थे ..नूरी ने बिना देरी किये अपनी ब्रा भी खोल डाली और उछल कर बेड पर आई और पंडित के ऊपर अपने फल लटका कर उन्हें तडपाने लगी ..
अपने चेहरे के 2 इंच की दुरी पर गीले और रसीले फल लटकते पाकर पंडित जी की जीभ बाहर निकल आई और उन्होंने ऊपर मुंह करके नूरी के दांये मुम्मे का लाल निप्पल अपने मुंह में दबोच लिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......स्स्स्स्स्स्स्स ....उम्म्म्म्म्म्म ....ओह्ह्ह्ह्ह पंडित ......उम्म्म्म्म ...सुबह से झुलस रही हु मैं ....आग में तेल डालकर चले गए तुम तो ....अह्ह्ह्ह ....अब जल्दी से मेरी आग बुझा डालो ...जल्दीईईईइ इ .......''
पंडित के सर के नीचे हाथ डालकर उसने उनके सर को पकड़कर अपनी छाती से दबा डाला ...पंडित के मुंह पर उसका पूरा मुम्म पिचक गया मुम्मे का मांस पुरे चेहरे को कवर करता हुआ फेल गया ...पंडित की आँखे भी ढक गयी नूरी के मुम्मे से ..उन्होंने अपने दुसरे हाथ से बांये स्तन को पकड़ा और उसे मसलकर उसका रस निकालने लगे ..
नूरी तड़प उठी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्यीई .......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी .....आपके मुंह के साथ - २ हाथों में भी जादू है ...ऊपर इतना कमाल है तो नीचे क्या धमाल होगा ....हूँ ....''
और इतना कहकर वो नीचे सरक गयी और पंडित के धोती से ढके हुए लंड के ऊपर आकर रुक गयी .
पंडित की धोती के नीचे उनका नाग पूरी तरह से खडा होकर फुंफकार रहा था ..नूरी का चेहरा कामुकता से भरकर बड़ा ही नशीला लग रहा था ...उसके मुंह से गीली जीभ निकल कर बाहर लटक रही थी ..और उसमे से लार निकल कर पंडित जी की धोती पर गिर रही थी .
उसने भूखी कुतिया की तरह अपना मुंह सीधा पंडित के लंड के ऊपर लगा दिया और धोती के कपडे समेत उसे दबोच लिया ...
कपडा होने के बावजूद पंडित को नूरी के दांतों की चुभन अपने हथियार पर महसूस हुई और वो दर्द से बिलबिला उठे ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......धीरे नूरी ...धीरे ...ये प्यार से इस्तेमाल करने वाली चीज है ...हिंसक तरीके से करोगी तो तुम्हारा ही घाटा है ..''
वो उनकी बात समझ गयी और फिर बड़े ही प्यार से उसने पंडित जी की धोती में से प्यारे - सलोने लंड को बाहर निकाला और उसे देखकर उसकी आँखों में चमक आ गयी ..
पंडित जी का लम्बा लंड था ही इतना मस्त की हर किसी की आँखे चमक उठती थी ..
उसने धीरे- २ पंडित जी की धोती को फेला डाला और उन्हें पूरा नंगा कर दिया ...
उनका गठीला शरीर और नीचे उतना ही गठीला लंड देखकर वो पंडित जी की कायल हो गयी ..
नूरी ने अपनी पेनी जीभ बाहर निकाली और पंडित जी के लंड के ऊपर फेरानी शुरू की और फिर धीरे-२ वो उसे चूसने लगी ...और फिर तो वो रुकी ही नहीं ..पंडित को ऐसा लग रहा था की उनका लंड किसी सकिंग मशीन के अन्दर फंस गया है ...और उसकी शक्ति सारा रस निकालने की कोशिश कर रही है ...
''अह्ह्ह्ह्ह पंडित जी .....क्या खूबसूरत चीज है आपके पास ....इतना लम्बा तो मैंने आज तक नहीं लिया ...आज तो मजा आ जाएगा ..मुझे ख़ुशी है की आपके जानदार लंड की वजह से मैं प्रेग्नेंट हो सकुंगी ....''
पर प्रेग्नेंट होने के साथ -2 वो पुरे मजे लेने के मूड में भी थी .. उसने अपने मुम्मे पकडे और पंडित जी के लम्बे लंड को उनके बीच में फंसा कर खुद ऊपर नीचे होने लगी ...वो अपने आप टिट फकिंग करवा रही थी ..पंडित के लिए ये नया अनुभव था ...वो अपनी कोहनियों के बल बैठकर उसके हिलते हुए जेली से भरे मुम्मे को अपने लंड के चारों तरफ फिसलता हुआ देखने लगे ..
बीच -२ में वो अपनी जीभ भी उनके सिरे पर टच कर देती जिसकी वजह से उनके मुंह से सिसकारी निकल जाती ..
आज तो पंडित पुरे मूड में था ... नूरी की चूत का तीया पांचा करने के ...
नूरी के चेहरे पर बिखरी जुल्फों की वजह से पंडित जी को कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था ..लंड चूसते हुए लड़की किस अंदाज से उसे देखती है, ये देखना हमेशा से आदमी का सबसे प्रिय दृश्य रहा है ..
पंडित ने हाथ आगे किये और उसकी लटों को साईड में करके उसके चेहरे को देखने लगे ..
पंडित जी ने अपनी लम्बी टांगो का इस्तेमाल किया और नूरी की पायेजामी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ने लगे ..अपने पैर के अंगूठे से उसकी चिकनी चूत के ऊपर खुजली करके उसे और मचलने पर मजबूर करने लगे .
और फिर उन्होंने अपनी दोनों टांगो के अंगूठे से उसकी पायेजामी के किनारों को पकड़ा और उसे नीचे खिसका दिया ...साथ में कच्छी भी उतर आई ..और पुरे कमरे में नूरी की चूत से निकल रहे रस की गीली - २ सी खुशबू तैर गयी ...पंडित से भी अब सहन करना मुश्किल होता जा रहा था ..उन्होंने नूरी की फेली हुई चूत के द्वार पर अपने अंगूठे को दोबारा लगाया और एक हलके झटके के साथ उसे चूत के अन्दर उतार दिया ...और अंगूठे के साथ वाली उँगलियों को नीचे की तरफ मोड़ दिया ताकि वो ज्यादा से ज्यादा अन्दर जा सके ..
''अह्ह्ह्ह्ह ........अह्ह्ह्ह ....पंडित जी ....आपका तो अंगूठा भी बहुत बड़ा है ...उम्म्म्म्म ....''
और फिर वो उनके अंगूठे के ऊपर अपनी चूत वाले हिस्से से उछल कूद मचाने लगी ..
पंडित जी उसकी क्लिट को अपने अंगूठे के सिरे पर साफ़ महसूस कर पा रहे थे ..नूरी ने भी पंडित के लंड को और जोरों से चूसना शुरू कर दिया ..
कहते हैं, औरत को जितना मजा बिस्तर पर आदमी देगा, उसके बदले में उसे दुगना मजा वो देगी ..बस देर इस बात की होती है की आदमी कितने उत्तेजित और गंदे तरीके से वो सब मजे औरत को दे जिसके बदले में वो भी बिना सोचे समझे उसे ऊपर से नीचे तक चाट कर रख दे .
और यही हाल आज नूरी का था ..पंडित के अंगूठे ने जो धमाल उसकी चूत के तहखाने में मचा रखा था उसका बदले वो पंडित के लंड को बुरी तरह से चूसकर उनके गोडाउन में हंगामा कर रही थी .
आज जैसा मजा शायद ही नूरी को अपने शोहर से आया होगा ..
पंडित ने उसके कन्धों को पकड़ा और उसे ऊपर की तरफ खींच लिया ..उनका अंगूठा भी बाहर आ गया ..अपने चेहरे के ऊपर लाकर उन्होंने उसके स्ट्रोबेरी जैसे होंठों को अपने मुंह में दबोचा और जोरों से उन्हें पीना शुरू कर दिया ...नूरी की कसमसाहट उनके मुंह में ही दब कर रह गयी ..
उन्होंने उसे और ऊपर खींचा और उसके मुम्मों को अपने होंठों से किस्स करते हुए उसके पेट तक आये और फिर थोडा और ऊपर करके उसकी सुगन्धित चूत को ठीक अपने चेहरे के ऊपर लाकर थोडा रुक गए ...
नूरी भी दम साधे पंडित के द्वारा अपनी चूत के निगले जाने की प्रतीक्षा कर रही थी ...उसकी चूत की परतें पूरी तरह से अपने ही रस में डूब कर गीली हो चुकी थी ..जैसे फूल के ऊपर ओस की बूंदे .
उन्होंने अपनी लम्बी सी जीभ बाहर निकाली और ऊपर से ही एक लम्बी चटाई करके डिस्प्ले में आया हुआ सारा पानी पी गए ..
पंडित की गर्म जीभ अपने सबसे कीमती अंग पर लगता देखकर वो जोर से चीत्कार उठी ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ....और करो .....ना ...पंडित जी ....और चाटो ....इसे ...''
पंडित जी को ज्यादा कहने की जरुरत नहीं थी ..वो अपने काम में माहिर थे ..पर अपनी आदत से मजबूर वो लड़की को तदपा कर उसे और ललचाना चाहते थे ..इसलिए उन्होंने उसकी चूत को छोड़कर उसकी अंदरूनी जाँघों के ऊपर अपने दांत गाड़ दिए ...जो औरत के शरीर का सबसे संवेदलशील अंग होता है ..पर चूत से ज्यादा नहीं ...इसलिए नूरी को इसमें उतना मजा नहीं आया जितना पहले आया था ..उसने अपनी चूत वाला हिस्सा उनके मुंह पर रखा और उसे चूसने को कहा ..
''पंडित जी ....यहाँ अपनी कृपा बरसो ...यहाँ ज्यादा जरुरत है ....उम्म्म्म .....''
पर जैसे ही पंडित ने उसकी बात को अनसुना करते हुए वापिस जाँघों को चाटा वो बिदक सी गयी ...और पंडित के सर को अपनी टांगो के बीच दबोच कर सीधा उनके मुंह के ऊपर बैठ गयी ...
''पंडित .....सुनता नहीं ....मैंने कहा ना ..की यहाँ चूस साले ....समझ नहीं आता तुझे भेन चोद ......''
उसका उग्र रूप देखकर पंडित भी सहम गया ...पर वो कुछ ना बोला ..उसकी जरुरत से ज्यादा समझदारी की वजह से ही उसे गालियाँ पड़ रही थी ..पर बिस्तर पर पड़ने वाली गालियों का भी अपना अलग ही मजा है ..उन्होंने भी आखिर उसकी बात मानते हुए अपनी उँगलियों से उसकी चूत की परतों को फेलाया और अपनी लम्बी जीभ रोकेट की तरह उसके अन्दर उतार दी ..
''उम्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह्ह .....यही ....तो .....अह्ह्ह ...मैं .....उम्म्म ...कह ....रही थी ....उम्म्म्म्म्म ......हानsssssss …. ..ऐसे ही ....ओह्ह्ह पंडित जी ....आप तो कमाल है ....उम्म्म्म्म ....जितना लम्बा आपका पैर का अंगूठा ....उम्म्म्म्म उतनी ही लम्बी जीभ भी ....अह्ह्ह्ह ....आपका लंड जब अन्दर जाएगा तो .....क्या होगा ...अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....ओह्ह्ह्ह ...माआआआआ .... .''
पंडित ने अपनी जीभ एकदम से बाहर खींच ली ...और बोले : "भेन की लोड़ी .....तेरी चूत की आग है ही इतनी खतरनाक की मुझे अपने सारे सिपाही इसे बुझाने में लगाने पड़ रहे हैं ....अग्ग्ग्घ्ह्ह .....अभी तुझे बताता हु ...की मेरे लंड में कितनी काबिलियत है ...''
और इतना कहकर उन्होंने उसके मखमली जिस्म को वापिस नीचे की तरफ धकेला और तब तक धकेलते रहे जब तक वो अपनी मंजिल यानी पंडित के लंड तक नहीं पहुँच गयी ...और वो कुछ बोल पाती इससे पहले ही उन्होंने उसकी गांड के चारों तरफ अपने पंजे रखे और उसकी चूत की फांकों को फेलाया और एक जोरदार झटका मारकर अपना बम्बू उसकी शहद की पिटारी में उतार दिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी .......उम्म्म्म्म्म ......क्या बात है .....अह्ह्ह्ह्ह .....इतना भरा हुआ तो मैंने आज तक फील नहीं किया अपने आप को ....उम्म्म्म्म ....ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ......''
उसने अपने मुम्मे पंडित की छाती पर फेला दिए सुखाने के लिए जो उनके चूसने से गीले हो गए थे ...और पंडित के झटकों का इन्तजार करने लगी ..
और वो आये भी ...
मगर धीरे धीरे ...
और वो भी पुरे वाले ...यानी पंडित हर बार धीरे से अपना पूरा लंड बाहर खींच लेता ...और फिर वापिस अन्दर डालता ...उनके सुपाड़े को हर बार अन्दर जाते हुए जो जद्दो जहत करनी पड़ती उसकी वजह से वो तड़प कर रह जाती ...
''उम्म्म्म ..पंडित जी ....क्यों तड़पा रहे हैं ....जोर से करो ना ...लगातार ....लम्बे ...शॉट्स मारो ...ना प्लीस ...प्लीस ना ..''
पंडित माँ दिल पसीज गया ...और उन्होंने उसकी बात मानते हुए अपने धक्के तेजी से मारने शुरू कर दिये ..उन्होंने अपने पैरों को बिस्तर पर जमाया और उसकी गांड को पकड़ कर नीचे से इतने धक्के पे धक्के मारे की नूरी के शरीर की सारी नसें खुल गयी ...और वो सिवाए अपनी ब्रेस्ट को उनके सीने से रगड़कर , अपने दांतों से उनके कन्धों पर कट्टी मारने के सिवाए कुछ ना कर पायी ...
और अंत में एक जोरदार घोषणा के साथ पंडित जी ने अपने लंड का रसीला ...नशीला ...खुशबोदार ...मसालेदार ...रस नूरी की चूत के अन्दर निकाल दिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह नूरी .....उम्म्म्म्म ....सच मे. ......तेरी चूत भी बड़ी मजेदार है ....उम्म्म्म ...बड़ी टाईट है ....ओह्ह्ह्ह्ह ....ये ले .....ले मेरा रस ....और हो जा प्रेग्नेंट ....''
पंडित ने जैसे अपना आशीर्वाद दिया उसे ..
वो तो पता नहीं कितनी बार झड चुकी थी ...पंडित के पाईप से निकल रहे जूस की सप्लाई काफी देर तक होती रही ..और वो जरुरी भी थी ...आखिर उसे प्रेग्नेंट भी तो होना ही था ..
पंडित ने उसे नीचे उतार दिया ..और वो काफी देर तक बिस्तर पर ऐसे ही पड़ी रही ...ताकि उनका रस अन्दर तक असर करे .
पंडित ने अपने कपडे पहने और बाहर जाने लगे ..
नूरी ने पुकारा : "पंडित जी ...एक ही बार में प्रेग्नेंट नहीं होते ...कम से कम 8 - 1 0 बार करना पड़ेगा ...''
पंडित जी मुस्कुरा दिए ..वो भी तो दुबारा आना चाहते थे इस गरम चूत को चोदने के लिए ..
शाम को मंदिर के काम निपटा कर पंडित आराम से अपने कमरे में बैठ गया ..और गिरधर का इन्तजार करने लगा ..शराब के साथ उसकी बीबी और बेटी के बारे में बाते करने के लिए पंडित मचला जा रहा था ..पर लगभग 10 बजे तक इन्तजार करने के बाद भी जब गिरधर नहीं आया तो वो समझ गए की आज वो नहीं आएगा, इसलिए वो खाना वगेरह खा कर सो गया .
अगली सुबह पंडित ने सारे काम निपटाए और रितु के आने की प्रतीक्षा करने लगे ..आज तो उन्होंने शीला को भी आने के लिए मना कर दिया था ताकि वो आराम से रितु का भोग लगा सके ..
रितु के बारे में सोचते हुए उनके लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी ..वो सोचने लगे की उसकी कुंवारी चूत को मारने में कितना मजा आएगा , वो चिल्लाएगी भी ..उसे थोडा आराम से करना पड़ेगा ..वो झट से उठे और बाथरूम से सरसों के तेल की शीशी उठा कर अपने बेड के पास लाकर रख दी ..ताकि रितु की चूत मारते वक़्त उसका इस्तेमाल कर सके ..
अब तो पंडित का लंड भी तैयार था ..उनका बिस्तर भी और उसके किनारे पड़ा हुआ तेल भी ...बस इन्तजार था तो रितु के आने का ..
और जैसे ही घडी में 2 बजे, पंडित के कान दरवाजे पर आती हुई आहट की तरफ चले गए ...
बाहर से रितु की सुरीली सी और दबी हुई सी आवाज आई : "पंडित जी ..खोलिए ...मैं हु रितु ..''
पंडित तो सुबह से ही उसका इन्तजार कर रहा था ..वो झट से उठा और भागकर दरवाजा खोल दिया ..
सामने रितु हमेशा की तरह लम्बी फ्रोक में खड़ी मुस्कुरा रही थी ..वो कुछ बोल पाते तभी रितु के पीछे से एक लड़की निकल कर सामने आई ..पंडित उसे देखकर चोंक गया ..
रितु : "पंडित जी ..ये ...ये मेरी सहेली है ..संगीता ...और संगीता येही है वो पंडित जी ...जिनके बारे में मैंने तुझे बताया था ..''
पंडित जी हेरानी से कभी रितु और कभी संगीता को देखे जा रहे थे ..और सोच रहे थे की आखिर रितु उसे अपने साथ क्यों लेकर आई है और क्या बताया है उसने उनके बारे में संगीता को .
वैसे संगीता देखने में बुरी नहीं थी ..छोटे कद की ..बाल अजीब ढंग से बंधे हुए थे ..काली आँखे थी, सांवला चेहरा , उसने अभी तक कॉलेज की ड्रेस यानी सफ़ेद शर्ट और ग्रे स्कर्ट पहनी हुई थी ....
पर सबसे आकर्षक चीज जो पंडित जी की नजरों में आई वो थे उसके मुम्मे ..जो उसकी उम्र और शरीर के हिसाब से काफी बड़े थे ..
पंडित ने उन दोनों को अन्दर बुलाया और दरवाजा बंद कर दिया ताकि कोई उन दोनों लड़कियों को एक साथ उनसे बातें करते हुए ना देख सके .
अन्दर आते ही संगीता ने बोलना शुरू कर दिया : "ओह्ह्ह वाव ...रितु ...जैसा तूने बताया था ठीक वैसे ही हैं पंडित जी ...ही इज लाईक सलमान खान ...आई लाईक हिम ..''
वो देखने में जितनी भोंदू लग रही थी वैसी थी नहीं …अंग्रेजी में चपर चपर करने में लगी हुई थी ..
पर पंडित यही सोचने में लगा हुआ था की आखिर रितु उसे अपने साथ क्यों लेकर आई है ..
रितु : "मैंने तुझसे पहले ही कहा था की पंडित जी कमाल के है ..तू ही नहीं मान रही थी की मंदिर में पूजा पाठ करने वाले ऐसे नहीं होते ...और तू पूछ रही थी ना की कैसा होता है आदमियों का ..रुक तुझे अभी दिखाती हु ..''
इतना कहकर वो आगे आई और पंडित जी की धोती की तरफ हाथ बढाया ...अब पंडित जी की सहनशीलता की हद पार हो गयी ..
पंडित : "ये क्या है रितु ...कौन है ये ...और किसलिए लायी हो तुम इसे मेरे पास ....क्या देखना चाहती है ये ..''
रितु (सकुचाते हुए ) : "वो ...वो ...पंडित जी ...दरअसल ...ये मेरी बेस्ट फ्रेंड है ... ..मैं इससे कोई भी बात नहीं छुपाती ..और ना ही ये मुझसे ..आज तक जो भी यहाँ हुआ मैंने सब बता रखा है इसे ...पिताजी वाली बात भी बता दी थी मैंने .... और जब कल वाली बात बताई तो ये कहने लगी की वो भी आपको देखना चाहती है ..दरअसल ये भी मेरी तरह ही है ..आज तक इसने कुछ भी नहीं देखा ..और मैंने जो भी पिछले दो दिनों में देखा यानी माँ-पिताजी को करते हुए और फिर कल आपको भी शीला आंटी के साथ सब कुछ करते हुए तो ये जिद्द करने लगी की इसे भी वो सब देखना है ..मेरी जिदगी तो आपने बदल ही डाली है ..आपकी वजह से ही मैं आज कॉलेज में रेगुलर जा पा रही हु, सही ढंग से पढाई हो पा रही है ..और सेक्स से रिलेटिड सभी बातों की जानकारी जिस तरह से आप देते हैं वो तो काबिले तारीफ है ..इसलिए ये मेरे साथ ही कॉलेज से सीधा मेरे घर आ गयी और वो भी इसलिए की आप इसे भी वो सब समझाए और दिखाए ताकि इसका भी उद्धार हो सके .."
पंडित अपना मुंह फाड़े उसकी बातें सुनता जा रहा था ..उसे तो अपनी किस्मत पर विशवास ही नहीं हो रहा था की उसकी झोली में बिना कुछ मांगे एक और कुंवारी चूत आ गिरेगी ..
उसके मुंह से सिर्फ यही निकला : "क ...क्या ..क्या देखना चाहती है ये .."
रितु ने धीरे से कहा : "जी ..जी ..वो ..वो ..आपका ...ल ...लंड "
पंडित के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ..जिस अंदाज से रितु ने उनके लंड के बारे में बोला था उसे सुनकर वो सुरसुरा कर रह गए ..
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