14-05-2021, 09:53 AM
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Romance मोहे रंग दे
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14-05-2021, 02:59 PM
Babhi ji thoda jaldi jaldi dijiye..update plzz
14-05-2021, 05:04 PM
14-05-2021, 05:05 PM
मालपुआ
हाथ फैला कर बच्चों की तरह वो बोले , " खूब ज्यादा , इत्ता सा " मेरी ननद ने उनसे भी ज्यादा हाथ फैलाया , और बोली , " मुझे भी तुझसे भी ज्यादा बहुत ज्यादा , ...." और उन्ही फैले हाथों से उन्हें बाँहों में भर लिया और सीधे मेरी ननद के होंठ मेरे सैंया के , उसके भैया के , क्या जबरदस्त चुम्मी ली थी उसने , आलमोस्ट उनकी गोद में बैठ के ,.. तभी कम्मो ने इंट्री ली और उसके पीछे खाने पीने के सामान से लदी फंदी मैंने , " है बहन भैया के बीच चुम्मा चाटी हो गयी हो , तो पहले गाड़ी में डीजल भर लो , फिर एक राउंड करवा दूंगी। " कम्मो दोनों को चिढ़ाते बोली। . खाते पीते ही छेड़खानी फिर से शुरू हो गयी थी , मैं अपनी किशोरी. फूल सी कोमल ननद की ओर और , कम्मो अपने देवर की ओर , मैंने पहले इन्हे हड़काया , " हे लालची नदीदे , अकेले अकेले खा रहे हो , मेरी ननद बेचारी ,... " ,और जैसे ही उन्होंने अपने हाथ की गुझिया गुड्डी के गुलाबी होंठों की ओर बढ़ाई , उस ने मुंह बढ़ा के न सिर्फ पूरा गपक किया , बल्कि ,... मैंने हल्का सा इशारा किया और उसने क़च्चाक उनकी ऊँगली काट ली , ... वो बड़ी जोर से चीखे , लेकिन उनकी तरफ से जवाब उनकी तरफदारी कर रही उनकी रसीली भौजी ने दिया , " हे अगर मेरे देवर ने काटा न , तो तेरी ननद बहुत जोर से चिल्लायेगी , ... " : हिम्मत है आपके देवर की , " ननद की ओर से जवाब उसकी मीठी भाभी यानी मैंने दिया। अबकी बिना मेरे इशारे के मेरी ननद ने अपने हाथ का मालपुआ उनकी ओर बढ़ाया , अब वो भी डबल मीनिंग डायलॉग बोलने में हमारे टक्कर की हो गयी , शर्माते खाली उसके भइया थे , अभी चल तो रहे थे अपनी ससुराल वहां उनकी सास सलहज , ... " चल भैया , अब मैं दे रही हूँ , ले ले , ललचा मत , ललचाने से कुछ नहीं होगा , ले लो , ले लो " और पहले हल्का सा जूठा कर के मालपूआ उनकी ओर बढ़ाया , एकदम होंठों के पास उनके , और जब उन्होंने खूब बड़ा सा मुंह खोला और गप्प , गुड्डी पूरा मालपूआ अपने मुंह में ,... गप्प कर गयी , एक बार फिर से वही , उसने वही , वो मुंह खोलते , वो एकदम उनके होंठों से छुला के , अपने मुंह में , लेकिन तीसरी बार , उनकी कम्मो भौजी थीं न , उन्होंने इशारा किया और कुछ इशारों में हड़काया भी ,... बस अबकी ननद ने उन्हें दिखाते , रिझाते, ललचाते मालपुआ अपने होंठों में , तो जैसे वो पहले से तैयार बैठे थे , उस शोख का उन्होंने सर पकड़ा , अपनी ओर खींचा , और उनके होठों उसके होठों पर , उनकी जीभ मालपुआ का टुकड़ा ढूंढती , मेरी और कम्मो की आँखों ने हाई फाइव किया , यही तो मैं चाहती थी , इनकी सास सलहज चाहती थीं , इनकी झिझक लाज हिचक हटे ,
14-05-2021, 05:06 PM
एक छोटी सी चुम्मी
यही तो मैं चाहती थी , इनकी सास सलहज चाहती थीं , इनकी झिझक लाज हिचक हटे , ' अरे एक मालपुवे के बदले यहाँ दो दो हैं , ... अभी मेरा देवर ले लेगा , बहुत ललचा रही थी न तेरी ननद " कम्मो ने उन्हें मेरी ननद के टाइट टॉप में तड़पते छलकते दोनों मालपुओं की ओर इशारा किया , " मेरी ननद डरती थोड़ी है आपके देवर से , वही घबड़ाता है आपका देवर " और कम्मो ने अपने देवर का हाथ मेरी ननद के उभारों पर रख दिया , कुछ देर तक तो वो झिझके फिर हलके हलके सहलाना दबाना शुरू कर दिया " होंठ उनके अपनी बहन के होंठों से चिपके , जीभ उसके मुंह में घुसा , और दोनों हाथ खुल के नए नए आये जोबन का रस लेते ,, पांच मिनट बाद जब कम्मो भौजी देवर और मेरी ननद अलग हुए तो कम्मो ने उस किशोरी को छेड़ा , " देखा ज्यादा ललचाने का खतरा , कभी कभी वो चढ़ के ले लेगा , " " भौजी , मैं ललचाती हूँ , मान गयी , आप के देवर ललचाते हैं , ये आप कह रही हैं , और हाँ , अपने देवर से खुद पूछ लीजिये , कभी मैंने ना की हो " मेरी ननद बढ़ के बोली मेरा ३४ सी का सीना ३६ डी हो गया अपनी ननद की बात सुन के , मैंने उसकी ओर से उन्हें और उनकी भौजी को चैलेंज किया , " देख लीजिये मेरी ननद को , ये पीछे हटने वाली नहीं है , .... आप के देवर की ही हिम्मत नहीं है , ... वरना सच में इसने न पहले मना किया न आज मना कर रही है न आगे कभी मना करेगी ,... " कम्मो बात आगे बढ़ाने में यकीन रखती थी , उसके देवर खाली बॉक्सर शार्ट में थे और चुम्मा चुम्मी में जोबन को दबाने में अब शेर थोड़ा सा जग गया था " देख रही हो इस शेर को अगर एक बार पिंजड़ा खुल गया न तो चीर फाड़ के रख देगा " कम्मो ने गुड्डी को चैलेन्ज किया। " अरे भौजी , कइसन भौजी हो , खोल दो न पिंजड़ा , और शेर तो अबहिन सो रहा था , थक गया है बेचारा पहले उसको जगाइए " और अबकी बजाय मेरे जवाब देने के मेरी ननद ने , एकदम असली ननद की तरह अपनी भौजाई को जवाब दिया। कम्मो को ललकारने का मतलब , उसका हाथ सीधे अपने देवर के , इनके बॉक्सर के अंदर ,... उसकी उँगलियाँ तो सोते शेर को , और इस शेर के साथ तो कितने बार होली खेलते समय कुश्ती लड़ी थी , बस मिनट भर में शेर अंगड़ाई लेने लगा , और जब तक मैं और गुड्डी कुछ समझें , बोले रोकें टोंके , कम्मो ने गुड्डी का टॉप उतार फेंका , " अरे शेर को तो मैं पिजड़े से निकालूंगी लेकिन तानी अपने दोनों कबूतर तो निकालो , " कम्मो बोली , पिंजड़ा भी खुला , शेर भी निकला , लेकिन मैंने और कम्मो दोनों ने उनके ऊपर शर्त लगा दी थी , पहले दस मिनट , नथिंग बिलो द बेल्ट , और ये शर्त मेरी ननद के लिए भी लागू थी , गुड्डी रानी का सर मेरी गोद में था , और मैंने उन्हें आँखों से इशारा किया अपनी ननद के रसीले गुलाबी होंठों की ओर थोड़ी देर पहले मालपुआ का पीछा करते करते वो थोड़ा सा रस तो ले चुके थे , एक छोटी सी चुम्मी , मेरी ननद ने मारे लाज के आँखे बंद कर ली , बोलने की बात और है ,... शरम धीरे धीरे जाती है , लेकिन मुझे पूरा मालुम था कम्मो भौजी इस छोरी की सारी सरम लाज निकलवा के ही दम लेंगी , उन्होंने मुझसे कहा था , बस एक बार चिड़िया चारा खा ले ना तो बस देखना , सारे सहर में आ लगा देगी , हमारी ननदिया , सारे सहर के लौंडे इसका नाम लेकर मुट्ठ मारेंगे , स्साली को सिर्फ छिनार नहीं बनाना है , पक्की रंडी बना दूंगी और चिड़िया को कम्मो ने चारा खिलवा दिया था , पहले हलकी हलकी किस्सी और अब गुड्डी भी धीमे धीमे जवाब दे रही थी , और अबकी गुड्डी की ही जीभ घुसी उनके मुंह में , ... वो होंठ छुड़ाती तो उसके गोरे गुलाबी मालपुआ ऐसे गालों पर इनके होंठ अपने मोहर लगाने लगते , हाथ दोनों जोबन रस ले रहे थे ,
16-05-2021, 06:04 PM
17-05-2021, 04:54 PM
कच्ची अमिया
एक छोटी सी चुम्मी , मेरी ननद ने मारे लाज के आँखे बंद कर ली , बोलने की बात और है ,... शरम धीरे धीरे जाती है , लेकिन मुझे पूरा मालुम था कम्मो भौजी इस छोरी की सारी सरम लाज निकलवा के ही दम लेंगी , उन्होंने मुझसे कहा था , बस एक बार चिड़िया चारा खा ले ना तो बस देखना , सारे सहर में आ लगा देगी , हमारी ननदिया , सारे सहर के लौंडे इसका नाम लेकर मुट्ठ मारेंगे , स्साली को सिर्फ छिनार नहीं बनाना है , पक्की रंडी बना दूंगी और चिड़िया को कम्मो ने चारा खिलवा दिया था , पहले हलकी हलकी किस्सी और अब गुड्डी भी धीमे धीमे जवाब दे रही थी , और अबकी गुड्डी की ही जीभ घुसी उनके मुंह में , ... वो होंठ छुड़ाती तो उसके गोरे गुलाबी मालपुआ ऐसे गालों पर इनके होंठ अपने मोहर लगाने लगते , हाथ दोनों जोबन रस ले रहे थे , कितना ललचाती थी मैं इन्हे इनकी बहन के जोबन के लिए , कच्ची अमिया , कच्चे टिकोरे , और ये भले धत्त बोलते हों इनका खूंटा खड़ा होकर इनके मन की गवाही देता था , जब पहली बार मैंने इन्हे इन चूजों की फोटो दिखाई थी , गुड्डी की ब्रा सुंघाई थी , तीन बार की कुश्ती के बाद भी ,... उन चूजों के बारे में सोच के ही खूंटा खड़ा हो गया था ,... और मेरी वो धुनाई की थी उन्होंने आज वो चूजे उनके हाथों के बीच थे , छोटे छोटे मुलायम फाहे बस अभी उभरते और थोड़ी देर बाद इनके होंठ सीधे मेरी ननद के उरोजों पर , ... लेकिन गुड्डी के होंठ जैसे ही आजाद हुए उसे अपनी भौजी को छेड़ने का मौका मिल गया , कम्मो भौजी को , उनसे वो शोख एकदम असली ननद की तरह बोली , " भौजी कुल काम ननद ही करेगी , आप के देवर का शेर बेचारा शोर कर रहा है , उसे कोई पूछ नहीं रहा है थोड़ा भौजाई का फर्ज भी निभाइये ," इनके गुस्साए शेर को देख कर कम्मो के मुंह में खुद पानी आ रहा था , फिर अगर अपने देवर के शेर को अच्छी तरह जगा भड़का देंगी तो ऐसी की तैसी इस बड़बोली ननद की ही होनी थी , पहली बार में ही इन्हे इतना टाइम लगा था , सेकेण्ड टाइम तो पक्का आधे पौन घंटे से कम नहीं कुटाई होने वाली थी , मेरी ननद की , ,उनकी बांसुरी कम्मो भौजी के होंठों के बीच ननद भौजाई बीच ये तड़पते तरसते मजा लेते मान गयी मैं कम्मो को , मैंने कितनी ही ' वो ' लिप सर्विस वाली पिक्चर्स देखी थीं , किताबें भी , ' हाउ टू ' वाली , लेकिन आज जो आँखों से देख रही थी , वो नीली पीली फ़िल्में मात
17-05-2021, 04:54 PM
बांसुरी
उनकी बांसुरी कम्मो भौजी के होंठों के बीच ननद भौजाई बीच ये तड़पते तरसते मजा लेते ये मान गयी मैं कम्मो को , मैंने कितनी ही ' वो ' लिप सर्विस वाली पिक्चर्स देखी थीं , किताबें भी , ' हाउ टू ' वाली , लेकिन आज जो आँखों से देख रही थी , वो नीली पीली फ़िल्में मात , कम्मो के देवर की हालत खराब अपनी भौजी की जीभ के आगे , सिर्फ जीभ , बल्कि जीभ की टिप ,... सच में ,... मेरी आँखे सब छोड़कर भौजी -देवर पर चिपकी थीं , हाँ पहले तो होंठों का इस्तेमाल हुआ , ' कपड़ा ' , कवर उतारने के लिए , सिर्फ होंठों के हलके से जोर से धीमे धीमे , और चमड़ी सब सरक कर , नीचे और इनका मस्ताया बौराया , खूब फूला , बड़ा सा , बौराया सुपाड़ा (काक हेड ) बाहर। ये तो मुझे मालूम था , नो हैंड्स , सिर्फ लिप्स , पर आज देख रही थी , सिर्फ जुबान ,... जीभ की टिप से कम्मो इनके पी होल , पेशाब वाले छेद को छेड़ती रही , सहलाती रही , सुरसुराती रही , फिर जैसे कोई पतुरिया नाचे , कम्मो की जीभ की टिप इनके खुले कड़े मांसल गुलाबी सुपाड़े पर नाचती , उसे छेड़ती रगड़ती , फिर एक बार सिर्फ जीभ की टिप , जैसे कोई कलम की नोक से कोई इबारत लिखे , कम्मो की जीभ की टिप जहाँ सुपाड़ा चर्म दंड पर मिलता है , बस उसी जगह जोर जोर से बार बार , जीभ की टिप से रगड़ रही थी , मान गयी मैं कम्मो को , जिस कॉलेज में मैंने दाखिला लिया था , सच में उस कॉलेज की वो हेडमास्टरनी थी , और फिर लांग लीक्स , इनके मोटे बित्ते भर के डंडे पर पूरा नीचे से ऊपर , खूब थूक लगा के , अभी तक खूंटे को उसने मुंह में नहीं लिया था , लेकिन इसी में कम्मो के देवर की हालत खराब थी , चाटते चाटते , एक बार जब वो खूंटे के बेस पर पहुंची तो बस हलके से , उसने इनके ' रसगुल्लों ' को भी जीभ से टच कर दिया , जैसे करेंट छू गया हो इन्हे , खूंटा जैसे एकदम पत्थर , और एक बार फिर उसके होंठ इनके सुपाड़े पर , मैं समझ रही थी उसकी शरारत ,... सिर्फ हलके से जोर उसके होंठ इनके खुले सुपाड़े को रगड़ रहे थे , बिना चूसे , सिर्फ होंठों का दबाव , और जब वो होंठ ऊपर तक आये , तो बस उसने खूब जोर से ' ब्लो ' किया , सीधे उनके पी होल पर मेरी भोली ननदिया को नहीं मालूम था की अपनी कम्मो भौजी को चढ़ाकर उसने अच्छे घर दावत दी है , कम्मो जिस तरह अपने देवर के मोटे मूसल को जीभ से होंठों से छेड़ रही थी , उनके तन मन में आग लगा रही थी , उसका असर तो मेरी और कम्मो की ननद को ही भोगना था , ननद का सर मेरी गोद में था और मैं हलके हलके प्यार दुलार से उसके लम्बे लम्बे खुले बाल सहला रही थी कुछ देर पहले तक ये बड़े प्यार से धीमे धीमे , सम्हल सम्हल कर अपनी ममेरी बहन की कच्ची अमिया , बस सहला दुलरा रहे थे , कभी छू लेते कभी सहला देते , कभी झुक कर चूम लेते , लेकिन कम्मो की जीभ, कम्मो के होंठ जिस तरह इनके खूंटे से खिलवाड़ कर रही थी , उसका असर इनके होंठों पर , हाथों पर हुआ , छूना सहलाना , कस कस के मसलने , रगड़ने में बदल गया , बस अब उन्हें इस कच्चे टिकोरों का सारा रस लूटना था , उन्हें कुतरना था , एक हाथ कस कस के उस नयी नयी आयी जवानी वाली छोरी के जोबन को कस के मसल रहा था , दबा रहा था कुचल रहा था , और दुसरे पर , बस अभी आ रहे , भोर की ललछौंही ललाई ऐसे , खेत से न तोड़ी गयी कच्ची मटर के दूध भरे दाने जैसे निपल को , कभी अपनी ऊँगली से फ्लिक करते तो कभी होंठों से चूसते , जोर जोर से लेकिन जब कभी उनकी बदमाश भौजाई , अपने दांत से , नाख़ून से हलके से उनके बॉल्स को , सुपाड़े को खरोंच लेती तो सीधा असर उनके ऊपर होता वो जोर से अपने दांत अपनी ममेरी बहन के छोटे छोटे निप्स पर गड़ा देते , और बेचारी मेरी और कम्मो की ननदिया जोर से चीख उठती , पर यही तो मैं और कम्मो चाहते थे ननद की चीख पुकार , और अब तो उसको हरदम चीखना चिल्लाना था , आज अपने भइया के साथ तो बस कुछ दिनों में मेरे और कम्मो के भाइयों के साथ , कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को ,
17-05-2021, 04:55 PM
ईईईईई उईईईईई
कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को , इनके कस के काटने चूसने ने , रगड़ने मसलने ने मेरी ननदिया को बौरा दिया , और रही सही कसर मैंने पूरी कर दी , कम्मो ने अपने देवर के कमर के नीचे का जिम्मा लिया तो मैंने अपनी ननद का , उसकी चिकनी बिना रोंये वाली गुलाबो का , मेरी उँगलियों ने ननद की बिल में सेंध लगा दी , लेकिन उसके पहले कुछ देर तक मैं उसकी मांसल जाँघों को सहलाती रही , खरोंचती रही , हथेली से हलके हलके उसकी गुलाबी सहेली को सहलाती रही और फिर , सिर्फ मंझली ऊँगली का एक पोर और एक पोर ही काफी था , उस नयी उमर की नयी फसल के लिए , उसकी बिलिया में मेरे साजन की , उसके भैया की गाढ़ी थक्केदार मलाई बजबजा रही थी , बस मैंने थोड़ी सी ऊँगली बिलिया के अंदर के दीवालों पर रगड़नी शुरू की और उसको चींटे काटने शुरू हो गए , वो चूतड़ पटकने लगी , उसकी चूँचियों की जबरदस्त रगड़ाई , मसलाई , चुसाई उसके भैया कर रहे थे और बिल की हाल चाल भाभी पूछ रही थीं , कुछ देर उंगलियाने के साथ साथ जैसे मैंने अंगूठे से बस उसकी क्लिट को छू भर दिया और जैसे वो उछल पड़ी , कांपने लगी , जैसे कम्मो भौजी के सुपाड़ा चूसने का असर सीधे उसके भइया पर पड़ा जो कस कस के उसकी छोटी छोटी चूँचियाँ मसलने रगड़ने लगे , वैसे ही मेरी बदमाशी का असर मेरी छुटकी ननदिया पर पड़ा , उसने कस के अपने भैया को भींच लिया , अपने नाख़ून उनके कंधे पर गड़ा दिए , अपनी देह उनकी देह से रगड़ने लगी , बस चाह रही थी कैसे बस कैसे वो दोनों , ... वो उसके अंदर समा जाएँ , हालत उनकी भी यही हो रही थी , थोड़ी देर ननद के साथ खेल तमाशा करने के बाद मैंने कम्मो की आँखों में देखा , उसने भी ग्रीन सिग्नल दे दिया , हम दोनों ने इनको बोला था , दस मिनट तक सिर्फ कमर के ऊपर ,... दस मिनट कब के ख़तम हो गए थे , दोनों पागल हो रहे थे ,... मैंने झुक के इनके कान में अपनी जीभ से सुरसुरी की , और हलके से बोला , दस मिनट हो गए , कम्मो ने भी इन्हे छोड़ दिया था , बस जैसे ये इन्तजार कर रहे थे , देखते देखते , अबकी न कुछ मुझे कहना करना पड़ा न कम्मो को बिजली की तेजी से , मेरी ननद की दोनों लम्बी गोरी गोरी चिकनी चिकनी टाँगे इनके कंधे पर , जाँघे खुली , बस मुझे इतना मौका मिला की अपनी उस कच्ची उमर वाली ननद के छोटे छोटे चूतड़ों के नीचे दो चार तकिया लगा सकूँ ,... और , एक जबरदस्त धक्का , अबकी न उनकी भौजाई ने अपनी ननद की कुँवारी फांको को पकड़ के जबरन फैलाया था , न उस ननद की भाभी ने इनके खूंटे को पकड़ कर अपनी नन्द की बिल में लगाया था ,न ये झिझके , क्या जबरदस्त धक्का , सटा के मारा इन्होने , और न वो हिचकी , बस मारे डर के उसने आँखे ब्नद कर ली , दोनों हाथों से कस के चादर पकड़ ली , पहला धक्का तो उसने होंठों को भींच के सह लिया , पर दूसरे धक्के में रोकते रोकते भी चीख निकल गयी , सुपाड़ा अब पूरा अंदर था उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्हह नहीं उईईईईई
17-05-2021, 06:12 PM
भाभी आज सुबह से इंतजार कर रही थी मैं तो
उफ्फ क्या मस्त अपडेट दिया है कार्यक्रम कैसा होगा देखना है आगे का
19-05-2021, 06:19 PM
20-05-2021, 08:17 PM
20-05-2021, 08:19 PM
अड़स गया , अटक गया
देखते देखते , अबकी न कुछ मुझे कहना करना पड़ा न कम्मो को बिजली की तेजी से , मेरी ननद की दोनों लम्बी गोरी गोरी चिकनी चिकनी टाँगे इनके कंधे पर , जाँघे खुली , बस मुझे इतना मौका मिला की अपनी उस कच्ची उमर वाली ननद के छोटे छोटे चूतड़ों के नीचे दो चार तकिया लगा सकूँ ,... और , एक जबरदस्त धक्का , अबकी न उनकी भौजाई ने अपनी ननद की कुँवारी फांको को पकड़ के जबरन फैलाया था , न उस ननद की भाभी ने इनके खूंटे को पकड़ कर अपनी नन्द की बिल में लगाया था , न ये झिझके , क्या जबरदस्त धक्का , सटा के मारा इन्होने , और न वो हिचकी , बस मारे डर के उसने आँखे ब्नद कर ली , दोनों हाथों से कस के चादर पकड़ ली , पहला धक्का तो उसने होंठों को भींच के सह लिया , पर दूसरे धक्के में रोकते रोकते भी चीख निकल गयी , सुपाड़ा अब पूरा अंदर था उईईईईई उईईईईई ओह्ह्ह्हह्हह नहीं उईईईईई अड़स गया , अटक गया था , धंस गया था लेकिन जैसे फंस गया था , पर ये रुके नहीं , कस के अपनी बहन की कमर को पकड़ा , एक बार फिर जैसे सेट किया , एक पल रुके और फिर क्या जबरदस्त धक्का मारा , और अब मेरी ननद की चीखे रुक नहीं रही थीं , वो चीख रही थी , चिल्ला रही थी , टप टप आंसू उसके गाल पर गिर रहे थे , अभी जो फटी थी उस समय भी वो इतना चीखी चिल्लाई नहीं थी , लेकिन ये सब उसकी कम्मो भौजी की प्लानिंग थी , उनका मानना था , जितना चीखे चिल्लायेगी उत्ती ही स्साली पक्की छिनार बनेगी, खूंटा इस समय उस जगह को रगड़ रहा था , जहाँ अभी घंटे भर पहले झिल्ली फटी थी , और वो चोट अभी भी ताज़ी थी , और पहली बार तो देसी कडुवा तेल ,... लेकिन इस बार कम्मो ने सुपाड़े पर लगा तेल चूसने चाटने के पहले एकदम साफ़ कर दिया था , तो बस थोड़ा सा कम्मो का थूक , और उनकी बहिनिया की बिल में जो मैंने ऊँगली की थी , उससे जो वो गीली हो गयी थी , बस वही प्योर आर्गेनिक चुदाई , एकदम रगड़ते घिसटते फाड़ते जा रहा था , और वो दर्द के मारे बिलबिला रही थी , चूतड़ पटक रही थी जैसे कोई मछली पकड़ी गयी हो और पानी के बाहर जाल में तड़फड़ा रही हो , मैं सिर्फ यही देख रही थी की कहीं उसके भइया के ऊपर तो कुछ असर नहीं हो रहा है , कहीं वो कई दया माया , लेकिन कच्ची कली की कम उमर वाली माल की चूत , कम्मो का फैसला एकदम सही था , उन्होंने वही किया जो आधा खूंटा धंसने के बाद कोई मरद करता है , एक पल के लिए रुक गए वो और फिर उन्होंने अपने तरकश के बाकी तीर चलाने शुरू कर दिए , होंठ, उँगलियाँ , गाल पर से उसके आंसू उन्होंने चाट लिए हलके से दो चार छोटी चुम्मी ली , उनके हाथ उसके जोबन सहला रहे थे , कभी निपल फ्लिक कर रहे थे , बस दो चार मिनट में चीखें सिसकियों में बदलने लगीं , लम्बी लम्बी साँसे चलनी लगी , अब उन्होंने निपल सक करना शुरू कर दिया , ... दोनों जोबन का रस एक साथ ,
20-05-2021, 08:19 PM
गालों पर हैं किसके निशान
अब उन्होंने निपल सक करना शुरू कर दिया , ... दोनों जोबन का रस एक साथ , एक बार फिर मेरी ननद ने अपने भैया को दबोच लिया , अपने छोटे उभार उनके सीने में रगड़ने लगी , खुद सर उठा उठा कर उन्हें चूमने लगी ,... बस , उन्होंने उसकी आँखों में झाँक कर देखा , एक बार कस के होंठों पर चूमा और उनके दोनों हाथ मेरी टीनेजर ननद की पतली कमरिया पर , मैं और कम्मो एक दूसरे की आँखों में देख कर मुस्कराये , अब होगा असली प्रहार , उन्होंने आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर निकाल लिया , एक बार फिर उसकी दोनों टांगों को अपने कंधे पर एडजस्ट किया , उईईईईई उईईईईई ननदिया एक बार फिर चीखी , चीखती रही , बिसूरती रही , और ननद की गलती नहीं थी , एक तो इनका मोटा कितना था , एकदम बीयर के कैन जैसा , ढाई इंच से थोड़ा ज्यादा , मुट्ठी ऐसा ,... और ऊपर से सिर्फ कम्मो भौजी का थूक लगा , न तेल न वैसलीन लेकिन न ये रुके , न कमर से हाथ हटाया , पेलते रहे , ढकेलते रहे , दो बार तीन बार चार बार , और फिर जब आलमोस्ट पूरा अंदर था , तो एक बार फिर आधे से ज्यादा बाहर निकाल के , उन्होंने अपनी पूरी ताकत से पेल तो पूरा भाला अंदर , मोटे तगड़े सुपाड़े ने सीधे बच्चेदानी पर ठोकर मारी ,... और दर्द के मारे बिसूरते हुए भी , बच्चेदानी पर सुपाड़े की चोट का असर , वो तेजी से कांपने लगी , उसका झड़ना शुरू हो गया था , पर , पर उन्होंने झुक करा कचकचा कर , पूरी ताकत से उसके गाल काट लिए , और दर्द के मारे वो एक बार फिर से चिल्लाने लगी , उसका झड़ना रुक गया। ये कम्मो भाभी की सीख थी , ' जल्दी मत झड़ने देना स्साली को , तड़पने देना छिनार को , खुद चिरौरी मिनती करे, हाथ पैर जोड़े ,तब झड़ने देना ,... " गाल काटने के दर्द से ननद रानी एक बार फिर चीखने लगी , लेकिन यही तो मैं चाहती थी , और कम्मो भौजी भी , साथ में लाइव टेलीकास्ट चल रहा था , सीधे उनकी ससुराल ,... और अब मेरा नंबर था , मेरी छुटकी ननदिया का सर मेरी गोद में , मैं उन्हें इशारे से बता रही थी यहाँ , यहां , उसके मालपूआ ऐसे गोरे गोरे गाल , फूले फूले , डिम्पल वाले , ... जहाँ डिम्पल पड़ता था मैंने वहीँ इशारा किया , और कचकचा कर काट लिया उन्होंने , उईईईईई उईईईईई , जोर से चीखी वो और कस के काटा उन्होंने पूरी ताकत से , उईईई उईईई , और अब वो थोड़ी देर तक उस मस्त गाल को मुंह में लेकर चूसते चुभलाते रहे , जहाँ दांत के निशान लगे थे वहां जीभ से छेड़ते रहे , साथ में दोनों हाथ अब एक साथ दोनों छोटी छोटी चूँचियों को मसल रहे थे , कुचल रहे थे , दोनों टांगें उनके कंधे पर , धक्के जबरदस्त उनकी छोटी बहिनिया की कसी कसी चूत में , और जहाँ उसकी चीख सिसकियों में बदली , मैंने उसी जगह इशारा किया , जहाँ थोड़ी देर पहले उनके दांतों ने कचकचाकर काटा था। एक बार फिर से उन्होंने काटा और वो स्साली चिल्लाई , लेकिन मैं चाहती थी , उसके गालों पर उसके भैय्या दांतो के निशान उसकी सहेलिया चिढ़ायें छेड़े , शर्माए , लजाये , दो तीन बार एक ही जगह पर , और वो गालों के निशान हफ्ते भर तो छूटने वाले नहीं थे ( और फिर एक बार वो कम्मो के चक्कर में फंस गयी , फंसना ही था , फिर तो गालों पर एक नहीं दर्जन भर और सब अलग अलग यारों के ) कुछ देर में जब वो फिर झड़ने के किनारे पहुंची मैंने उसके छोटे जोबन की ओर इशारा किया , ऊपरी हिस्से की ओर , जो बाहर से झलकता कचकचा के उन्होंने इतनी जोर से काटा बस खून नहीं छलछला गया , लाल निशान उभारों पर दर्जनों इनके दांतो के निशान लेकिन जिस तरह से वो मस्त धक्के मार रहे थे , बिना रुके , कोई भी लौंडिया झड़ जाती , और गुड्डी रानी भी झड़ने लगी , उन्होंने भी आलमोस्ट पूरा मोटा बांस , सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया , और फिर एक धक्के में इतना जबरदस्त धक्का , सीधे मोटे सुपाड़े का धक्का बच्चेदानी पर लगा , और तूफान में पत्ते की तरह उसकी देह काँप रही थी , बहना झड़ रही थी , भैया उसके झाड़ रहे थे , उसे कुछ देर के लिए वो रुके , लेकिन फिर बिना एक सूत भी लंड बाहर निकाले , सिर्फ अपने खूंटे के बेस से अपनी बहिनिया के चूत पर रगड़ते रहे घिसते रहे
20-05-2021, 08:21 PM
ननद रानी
बहना झड़ रही थी , भैया उसके झाड़ रहे थे , उसे कुछ देर के लिए वो रुके , लेकिन फिर बिना एक सूत भी लंड बाहर निकाले , सिर्फ अपने खूंटे के बेस से अपनी बहिनिया के चूत पर रगड़ते रहे घिसते रहे थोड़ी देर में झड़ रही थी , और अबकी वो रुकी तो बिना खूंटा बाहर निकाले उन्होंने पोज बदल लिया और क्या आसन लगाया उन्होंने , मान गयी मैं उनकी और ज्यादा उनकी कम्मो भौजी को , वो पोज जो कम्मो भौजी के हिसाब से चार चार बच्चों की माँ , पक्की भोसड़े वाली भी सुहागरात का मजा पाए , और यहाँ तो कच्ची कली थी , जिसने आज के पहले ढंग से ऊँगली भी नहीं घोंटी नहीं थी। मेरे साजन का बित्ते भर लम्बा बांस , मेरी कलाई से भी मोटा उनकी ममेरी बहिन की चूत में तो जड़ तक धंसा था , बहिन उनकी मस्ती से माती , बार बार झड़ रही थी , उसकी दोनों लम्बी पतली गोरी गोरी टाँगे उसके भैया के कंधे पर टिकी थी , बस जरा सा भी बाहर लगाए बिना , उन्होंने उसको दुहरा कर दिया , एकदम मोड़ कर , .... और मैंने भी भाभी का काम निभाया , जब ननदिया चुद रही हो वो भी अपने भाई से , ... उसके छोटे छोटे चूतड़ों के नीचे दो मोटे मोटे कुशन लगा दिए अब सीधे हर धक्का लंड का उसके क्लिट पर लगता , मैं और कम्मो भौजी दोनों लोग सोच रहे थे ननद रानी को तब पता लगेगा जब ये मोटा बाहर निकल कर अंदर जाएगा , और वही हुआ , एक बार फिर मेरी ननद का सर मेरी गोद में , कम्मो भौजी भी उसकी मेरे साथ मेरे बगल में , और उन्होंने जैसे ही थोड़ा सा खींचा , वो लगी चीखने लगा जैसे अंदर की चमड़ी बाहर निकल जायेगी , पर चिल्लाने से क्या होता है , और उसकी एक कलाई मेरी कलाई ने पकड़ रखी थी और दूसरी कम्मो भौजी ने वो चीख रही थी , गांड पटक रही थी , पर उनके ऊपर कोई फरक नहीं पड़ रहा था , ननद रानी की दोनों टाँगे, जाँघे एकदम सटी चिपकी , और आधा खूंटा जब बाहर निकल गया तो उन्होंने क्या करारा धक्का मारा , मेरी ननद के मुंह से जोर से आह निकली और उसकी दोनों भौजाइयों के मुंह से निकला , वाह , पर कम्मो को इतनी आसानी से संतोष नहीं था उन्होंने अपने देवर को जो इस समय नन्दोई का काम कर रहे थे , खूब गरियाया , " स्साले मादरचोद , ई तोहरी महतारी क भोंसड़ा न हो , हमारी ननद की कच्ची चूत हो , पूरा निकाल के धक्के मार स्साले वरना हम आयके मुट्ठी से तोहार गाँड़ मार के बताएंगी कैसे मारा जाता है , " असर तुरंत हुया , एक बार फिर अपनी बहन को उन्होंने दुहरा किया , और आलमोस्ट पूरा बाहर निकाल के क्या धक्के पर धक्के मारा , हर दूसरा तीसरा धक्का सीधे बच्चेदानी पर लगता , बस पन्दरह बीस धक्के , और मेरी ननद इतनी जोर जोर से झड़ रही थी की कह नहीं सकती , दर्द से उसकी पूरी देह , लेकिन वो भी मान गयी मैं कम्मो की बात जिन्होंने मुझसे कहा था , बस एक बार इसकी फड़वा दो , देखना इतनी बड़ी छिनार निकलेगी ये , पक्की चुदवासी हम दोनों ने कब की उसकी कलाई छोड़ दी थी , वो अपनी कलाई से कस कस के बिस्तर की चादर पकडे थी , चेहरे पर अजब मस्ती थी , देह मस्ती से काँप रही थी , सिसक रही थी , एक बार झड़ना रुकती , फिर दुबारा ,... दो चार मिनट वो रुके , फिर बिना बाहर निकाले उन्होंने पोज बदल लिया , उनकी फेवरिट पोज़ में , निहुरा के , कुतिया बना के क्या हचक के चोद रहे थे वो अपनी छोटी ममेरी बहन को , मैं और कम्मो मजे ले लेकर देख रहे थे , आँखों में हाई फाइव कर रहे थे , ... आज है आयी स्साली पहाड़ के नीचे , कुतिया बना के चोदना सारे मर्दों को पसंद होता हैं , एक साथ चूँची , चूत और चूतड़ तीनों का मजा
21-05-2021, 11:36 AM
Ufff भाभी बस लिखती जाओ
मैं पढ़ती जाऊ बहुत मस्ती भरा लेखन उफ्फ्फ माँ
21-05-2021, 02:11 PM
21-05-2021, 03:07 PM
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