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रोहित ने अपर्णा से कहा, "हाँ, बिलकुल। अब तुम्हें जीतूजी से चुदवाने में कोई रोकटोक नहीं है।" यह कह कर रोहित फ़टाफ़ट बाथरूम में घुसे। अपर्णा तौलिया लपेटे हुए आगे बढ़ी और जीतूजी के पास पहुंची। जीतूजी अपर्णा को तौलिये में लिपटे हुए देख रहे थे। अपर्णा अर्धा बदन छिपाए हुए तौलिये में शर्माते हुए उनके सामने खड़ी थी। जब अपर्णा जीतूजी के सामने आ खड़ी हुई, तो अपर्णा ने देखा की अपर्णा को तौलिये में लिपटे हुए आधी नंगी देख कर जीतूजी ढीला लण्ड फिर खड़ा हो गया। अपर्णा हैरान रह गयी की उसकी इतनी भारी चुदाई करने के बाद और तीन बार झड़ने के बादभी जीतूजी का लण्ड वैसे का वैसा ही खड़ा हो गया था। अपर्णा घबरा गयी की कहीं जीतूजी का फिर उसे चोदने का मन ना हो जाए। वह फिर से जीतूजी से चुदवाना तो चाहती थी, पर उस समय उसकी चूत सूजी हुई थी। जीतूजी ने अपनी बाँहें लम्बी कर अपर्णा को अपने आगोश में ले लिया। अपर्णा ने भी अपने होँठों को आगे कर जीतूजीके होँठोंसे मिला दिए। दोनों प्रगाढ़ चुम्बन में जुट गए। अपर्णाका तौलिया वैसे ही खुल गया। जीतूजी सुनिता के दोनों गुम्बजों को अपनी हथेलियों में भर कर उन्हें दबाकर अपना उन्माद व्यक्त करने लगे। अपर्णा को लगा की जीतूजी एक बार फिर उसे चोदने के लिए तैयार हो रहे थे। तब अपर्णा ने अपने मन को सम्हालते हुए जीतूजी की बाँहें धीरे से और बड़े प्यार से हटा कर कहा, "मेरे प्रियतम, अभी नहीं। मुझे दर्द हो रहा है। पर अब तुम जब चाहोगे मैं तुम्हारे पास दौड़ी चली आउंगी। जितनी व्याकुलता आपको है उससे कहीं ज्यादा मुझे भी है। मैं अब तुम्हारी हो चुकी हूँ और तुम जब चाहो मुझे भोग सकते हो।" जीतूजी ने अपनी आँखें अपर्णा की आँखों में डालकर कहा, "प्यारी अपर्णा, आज मैं तुमसे वादा करता हूँ की आज के बाद मैं तुम्हें और श्रेया को छोड़कर किसी भी औरत की और बुरी नजर से नहीं देखूंगा। आज तुमने मेरी सारी इच्छाएं मेरी सारी मनोकामना पूरी कर दी हैं। मुझे इससे और कुछ ज्यादा नहीं चाहिए। और हाँ, अब हमें यहां से निकले के लिए तैयार होना है।"
यह कह कर जीतूजी धीरे से अपर्णा से थोड़ा हट कर खड़े हुए। उनके खड़े होते ही उनका खड़ा लण्ड हवा में झूलने लगा। अपर्णा ने झुक कर उसे बड़े प्यारसे चूमा और और उसका अग्रभाग अपने मुंह में लेकर उसे चाटने लगी। अपर्णा जीतूजी के लण्ड को चाटती हुई ऊपर नजरें उठाकर जीतूजी की और देखने लगी की अपना लण्ड चुसवा कर जीतूजी के चेहरे पर कैसे भाव दिख रहेथे। जीतू जी अपनी आँखें बंद कर अपर्णा से अपने लण्ड को चुसवाने का मजा ले रहे थे। अपर्णा के बड़े प्यार और दुलार से जीतूजी का लण्ड एक हाथ में पकड़ कर सहलाना और साथ साथ में मुंह में जीभ को हिलाते हुए लण्ड को अपने मुंह की लार से सराबोर करते हुए चूसवाने का अनुभव महसूस कर जीतूजी खड़े खड़े आँखें मूँद कर मजे ले रहे थे। कुछ ही पलों में जीतूजी का बदन जैसे ऐंठ सा गया। उनकी छाती की पसलियां सख्त हो गयीं और वह मचलने लगे। इतनी बार अपर्णा की चुदाई करते हुए झड़ ने के बाद भी जीतूजी एक बार फिर अपना वीर्य अपर्णा के मुंह या हाथ में छोड़ने के लिए तैयार हो रहे थे। अपर्णा ने यह महसूस किया और फुर्ती से जीतूजी का लण्ड हिलाने और बड़े प्यार से चूसने लगी। जीतूजी का सख्त बदन कुछ अजीब सा रोमांचित होते हुए हलके से झटके खाने लगा। अपर्णा ने जब लण्ड को हिलाने की रफ़्तार और तेज की तब जीतूजी से रहा नहीं गया और एक झटके से उनके लण्ड के छिद्र से फिर एक बार उनकी मर्दानगी भरा वीर्य उनके लण्ड से फुट पड़ा।
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अपर्णा ने इस बार जीतूजी के वीर्य के कुछ हिस्से को अपने मुंहमें पाया। शायद पहली बार अपर्णा उसे निगल गयी। हालांकि वीर्य निगलने में उसे कोई ख़ास स्वाद का अनुभव तो नहीं हुआ, पर अपर्णा अपने प्रियतम को शायद यह अहसास दिलाना चाहती थी की वह उन्हें कितना प्यार करती थी। एक औरत जब अपने प्रिय मर्द का लण्ड मुंह में डाल कर चुस्ती है तो वह अपने मर्द को यह अहसास दिलाना चाहती है की उसका प्यार कितना गहरा और घना है। मर्द होने के नाते मेरा यह मानना है की अपना लण्ड चुसवाने में मर्द को औरत को चोदने से ज्यादा मजा नहीं आता। पर हाँ लण्ड चुसवाने से उसका अहम् संतुष्ट होता है। इसमें औरत की मर्द के लण्ड को चूसने की कला में कितनी काबिलियत है यह भी एक जरुरी पहलु है। हालांकि औरत का उलटा है। अपनी चूत अपने मर्द से चुसवाने में औरत को कहीं ज्यादा रोमांच और आनंद की अनुभूति होती है ऐसा मुझे मेरी सारी सैया भागिनिओं ने कहा है। जब जब मैंने अपना मुंह उनकी टांगों के बिच में रखा है, तब तब वह इतनी मचल जातीं हैं की बस, उन्हें मचलती देख कर ही मजा आ जाता है।
अपर्णा हैरान रह गयी की काफी समय तक जीतूजी का गाढ़ा वीर्य उनके लण्ड के छिद्र से निकलता ही रहा। जीतूजी के वीर्य का घनापन देखते हुए अपर्णा के जेहन में एक सिहरन सी फ़ैल गयी। उसे लगभग यकीं हो गया की जब ऐसा गाढ़ा वीर्य जितनी मात्रा में उसकी चूत के सारे कोनों में फ़ैल गया था तो वह कहीं ना कहीं अपर्णा के स्त्री बीज से मिलकर जरूर फलीभूत होगा। क्या अपर्णा को जीतूजी गर्भवती बना पाएंगे? यह प्रश्न अपर्णाके मन में घूमने लगा। खैर कुछ देर वैसे ही खड़े रहने के बाद जीतूजी ने अपर्णा को पकड़ कर खड़ा किया और उसे कस कर अपनी बाँहों में लिया। अपर्णा और जीतूजी के नग्न बदन एक दूसरे से रगने लगे। अपर्णा के गोल गुम्बज जीतूजी के घने बालों से भरे सीने से पिचक कर दब गए थे।
रोहित यह दृश्य कुछ दूर हट कर खड़े रह कर देख रहे थे। अपर्णा अपना मुंह जीतूजी के मुंह के पास लायी और अपने होँठ जीतूजी के होँठों से मिला दिए। एक बार फिर दोनों प्रेमी प्रमिका घने आलिंगन में बंधे एक दूसरे के होँठों और जिह्वा को चूसने और एक दूसरी के लार चूसने और निगलने में जुट गए। जीतूजी अपनी प्रेमिका और अपने दोस्त रोहित की पत्नीको अपने आगोश में लेकर काफी देर तक उसे गहरा चुम्बन करते रहे। फीर थोड़ा सा हट कर अपर्णा के गालों पर एक हलकी सी पप्पी देकर हल्का सा मुस्करा कर बोले, "अपर्णा, आज तुमने मुझे जिंदगी की बहुत बड़ी चीज दी है। मुझे तुमने एक अमूल्य पारितोषिक दिया है। मैं तुम्हारा यह एहसान कभी भी नहीं पाउँगा।" अपर्णा ने फ़ौरन जीतूजी के होँठों पर अपनी पतली सी हथेली रखते हुए कहा, "जीतूजी, यह पारितोषिक मैंने नहीं, आपने मुझे दिया है और उसमें मेरे पति का बहुमूल्य योगदान रहा है। यदि वह मुझे बार बार प्रोत्साहित ना करते तो मुझमें यह हिम्मत नहीं थी की मैं थोडीसी भी आगे बढ़ पाती। और दूसरी बात प्यार में प्रेमी कभी भी एक दूसरे का धन्यवाद नहीं करते। मैं सदा आपकी हूँ और आप सदा मेरे रहेंगे।" यह कहकर अपर्णाने अपने पतिकी और देखा, रोहित जी ने अपना सर हिलाते हुए कहा, "बिलकुल। अब हम चारों एक दूसरे के हो चुके हैं। हम चारों में कोई भेद या अन्तर का भाव नहीं आना चाहिये । मैं श्रेया भी इसमें शामिल कर रहा हूँ।"
अपने पति रोहित की बात सुनकर अपर्णा भावविभोर हो गयी। उसे अपने पति पर गर्व हुआ। वह आगे बढ़कर अपने पति को लिपट गयी और उनके गले में बाँहें डाल कर बोली, "मुझे आप की पत्नी होने का गर्व है। शायद ही कोई पति अपनी पत्नी को इतना सम्मान देता होगा। अब तक मैं पुरानी रूढ़िवादी विचारों में खोई हुई थी। मैं अब भी मानती हूँ की पुराने विचारों में भी बुराई नहीं है। पर आज जो हमने अनुभव किया वह एक तरहसे कहें तो अलौकिक अनुभव है। आज हम दो जोड़ियाँ एक हो गयीं।"
तीनों प्रेमी शारीरिक थकान के मारे कुछ देर सो गए। कुछ देर सोने के पश्चात उन्हें बाहर कुछ हड़बड़ाहट महसूस हुई। सबसे पहले अपर्णा फुर्ती से उठी और भाग कर बाथरूम में जाकर अपने बदन को साफ़कर उसने अपने कपडे पहन लिए।
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पत्नी की अदला-बदली - 10
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अच्छी अच्छी मानिनीयाँ भी चुदवाने को बेताब हुई!
पहले तो पति से ही चुदती थी, गैरों पर क्यों मोहताज हुई!!
दवा जो वफ़ा का करते थे जो ढोल वफ़ा का पीटते थे!
क्यों वह झुक कर डॉगी बन लण्ड लेने को सरताज हुई!!
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जब अपर्णा बाहर निकली तो उसने देखा की रोहित और जीतूजी भी उनके पास जैसे भी कपडे थे वह पहन कर कमरे का दवाजा खोलकर बाहर खड़े थे और कुछ सेना के अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे। दरवाजे के पीछे खड़े हुए अपर्णा ने देखा की घर के बाहर भारतीय सेना की कई जीपें खड़ी हुई थीं। जीतूजी सेना के कोई अधिकारी से बातचीत कर रहे थे। कुछ ही देर में जीतूजी और रोहित उन से फारिग होकर कमरे के अंदर आये और बोले, "हमारी सेना ने हमारा पता लगा लिया है और वह हमें यहां से ले जाने के लिए आये हैं। उन्होंने हमें बताया की सेना ने आतंकियों का वह अड्डा जहां की हम लोगों को कैद किया था उसे दुश्मन की सरहद में घुस कर उड़ा दिया है। पिछले दो दिनों से दोनों पडोसी की सेनाओं में जंग से हालात बन गए थे। पर हमारे बहादुर जवानों ने दुश्मनों को खदेड़ दिया है और अब सरहद पर शान्ति का माहौल है।" कुछ ही देर में बादशाह खान साहब भी आ पहुंचे। जीतूजी और रोहित ने उन्हें झुक कर अभिवादन किया और उनका बहुत शुक्रिया किया। बादशाह खान की दो लडकियां और बीबी भी आयीं और उनकी विदाय लेते हुए, जीतूजी, अपर्णा और रोहित सेना के जीप में बैठ कर अपने कैंप की और रवाना हुए।
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कैंप में सारे सैनिक जवान, अफसर, महिलायें और कर्मचारियों ने जीतूजी, रोहित और अपर्णा के पहुँचते ही उनका बड़े जोश खरोश से स्वागत किया और उन्हें फूलकी मालाएं पहनायीं। सब जगह तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिवादन किया गया। उस शामको एक भव्य भोज का आयोजन किया गया, जिसमें उन तीनों को मंच पर बुलाकर तालियों की गड़गड़ाहट के बिच बहुत सम्मान किया गया और उनके पराक्रम की सराहना की गयी।
अपर्णा वापस आने के फ़ौरन बाद मौक़ा मिलते ही श्रेयाके पास पहुँच कर उनसे लिपट गयीं। अपर्णा के शर्मिंदगी भरे चेहरे को देख कर श्रेया जी समझ गयीं की उनके पति जीतूजी ने अपर्णा की चुदाई कर ही दी थी। श्रेया ने अपर्णा को अपनी बाँहों में जकड कर पूछा, "क्यों जानेमन? आखिर मेरे पति ने तुम्हारी बिल्ली मार ही दी ना? तुम तो मुझसे बड़ी ही बनती फिरती थी। कहती थी मैं राजपूतानी हूँ। मैं ऐसे इतनी आसानी से किसीको अपना बदन नहीं सौपूंगी। अब क्या हुआ जानेमन? मैं ना कहती थी? मेरे पति ठान ले ना, तो किसी को भी अपने वश में कर लेते हैं। ऐसी आकर्षण की शक्ति है उनमें।" औरतों में ऐसी कहावत है की जब कोई मर्द किसी औरत की भरसक कोशिशों के बाद चुदाई करने में कामियाबी हासिल करता है तो कहा जाता है की उसने आखिर में बिल्ली मार ही दी। मतलब आखिर में भरसक कोशिशों करने के बाद उस मर्द ने उस औरत को अपने वश में कर ही लिया और उसे चुदवाने के लिए राजी कर के उसे चोद ही दिया। अपर्णा समझ गयी की श्रेया जी का इशारा किस और था। अपर्णा ने भी अपनी मुंडी हिला कर कहा, "श्रेया, आपके पति ने आखिर में मेरी बिल्ली मार ही दी।" और यह कह कर भाव मरे गदगद होकर रोने लगी।
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श्रेया ने अपर्णा को गले लगाकर कहा, "मेरी प्यारी छोटी बहना। बस अब शांत हो जा। जो हुआ वह तो होना ही था। मेरे पति को मैं भली भाँती जानती हूँ। वह जो कुछ भी ठान लेते हैं वह कर के ही छोड़ते हैं। तेरी बिल्ली तो मरनी ही थी।" दोनों बहने एक दूर के गले मिलकर काफी भावुक होकर काफी देर तक एक दूसरे की बाँहों में लिपटे हुए खड़ी रहीं। फिर अपर्णा ने श्रेया के गालों में चिमटी भरते हुए कहा, "मेरी बिल्ली मरवाने में आपका भी तो बहुत बड़ा योगदान है। आप भी तो दाना पानी ले कर मेरे पीछे ही पड़ गयीं थीं की मेरे पति से चुदवाले। अब मैं करती भी तो क्या करती? एक तरफ आप, दूसरी तरफ मेरे पति और बाकी कसर थी तो वह तुम्हारे रोमांटिक पति जीतूजी ने पूरी कर् ली। उनका तो माशा अल्ला क्या कहना? सब ने मिलकर मेरी बेचारी बिल्ली को कहीं का नहीं छोड़ा।"श्रेया जी और अपर्णा दोनों कुछ देर ऐसे ही लिपटे रहे और बाद में अलग हो कर दोनों ने यह तय किया की उसके बाद वह एक दूसरे से कोई पर्दा नहीं करेंगे। अपर्णा ने जब अपनी सारी कहानी सुनाई तो सुनकर श्रेया जी तो दंग ही रह गयीं। कैसे अपर्णा को वह राक्षशी मोटू परेशान करता रहा और आखिर में जीतूजी ने उन्हें कैसे मार दिया और कैसे अपर्णा को जीतूजी ने बचाया, यह सुनकर श्रेया भी भावुक हो गयी। आखिर में अपर्णा ने अपने आपको कैसे जीतूजी को समर्पण किया वह अपर्णा ने विस्तार पूर्वक अपनी बड़ी बहन को बताया।
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बाकी के उनदिनों की याद सब के लिए जैसे एक मधुर सपने के समान बन गयीं। हर रात, श्रेया जी रोहित के बिस्तर में और अपर्णा जीतूजी की बाँहों में सम्पूर्ण निर्वस्त्र होकर पूरी रात चुदाई करवाते।
कभी दोनों ही बिस्तर पर लेट कर एक दूर के सामने ही एक दूसरे के पति से या फिर अपने ही पति से चुदवातीं।
कभी दोनों बहनें अपने प्रेमियों के ऊपर चढ़ कर उनको चोदतीं तो कभी दोनों बहने एक दूसरे से लिपट कर एक दूसरे को घना आलिंगन कर एक दूसरे में ही मगन हो जातीं।
दिन में काफी चल कर पहाड़ियों में घूमना। रास्ते में जब आसपास कोई ना हो तो एक दूसरे से की छेड़छाड़ करना और शामको थक कर वापस आना। पर रात में मौज करने का मौक़ा कभी नहीं चूकना। यह उनका नित्यक्रम बना हुआ था।
देखते ही देखते हफ्ता कहाँ बीत गया कोई पता ही नहीं चला। आखिर में वापस जाने की घडी आगयी। वापस जाने के लिए तैयार होने पर सब निराश दिख रहे थे। जो आनंद, उत्तेजना और रोमांच उन सबको सेना के उस कैंप में आया था वह अब एक ना भूलने वाला अनुभव बन कर इतिहास बन गया था।
वापस जाने के लिए तैयार होते हुए श्रेया, रोहित, जीतूजी और अपर्णा सब के जेहन में एक ही बात थी की जो समय उन्होंने उन वादियों, झरनों, घने बादलों, और जंगल में बिताया था वह एक अद्भुत रोमांचक, उत्तेजना पूर्ण और उन्मादक इतिहास था। रोमांच, उत्तेजना और उन्माद के वह दिन वह दोनों जोड़ियां कभी भी नहीं भूल पाएंगीं।
समाप्त!!!
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Wish you all a very Happy New Year 2020!????
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(01-01-2020, 12:27 AM)bhavna Wrote: Wish you all a very Happy New Year 2020!????
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Happy New Year...
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मेरे एक पाठक ने ई-मेल पे पूछा है कि...
" महोदय , आप इतनी जल्दी जल्दी पोस्ट क्यों डाल रहे हो...
हम तो पुरा पोस्ट पढ कर कमेन्ट करना चाहते हैं , उतने में आपके 4 नये पोस्ट आ जा रहे हैं...
भाई ... पहली बात - जैसा कि मैं हमेशा कहता हूँ कि मैं ओरिजनल राईटर नहीं हुं... और सेव की हुई कहानियों को पैस्ट करता हुं...
मुझे किसी कि लिखी कहानियों को अपने नाम से छापना या उसका क्रेडिट लेना भी पसंद नहीं है... तो किसी पाठक को अपडेट के लिए वेट क्यों करवाया जाए...
और दुसरा रिज़न ये है कि कुछ चु** पाठक अजीब माँग करने लगते हैं कि ये करवाओ...
वो करवाओ... ऐसे चुसवाओ... मुत पिलाओ... माँ भेन टिचर से करवा... रोल प्ले करवा
ऐसे करवा... वेसे करवा
(भाषा का सटीक उपयोग मेरे उपर किया गया है मित्रों)
तुने ये नहीं करवाया... तो हम कहानि नहीं पढेंगे...
और तो और कभी पोस्ट मैं देर हो जाए तो यही चु**, एम. सी. & बि.सि. पाठक थ्रेड पर धमकी भी देते हैं कि कहानी खत्म नहीं करना थी तो शुरू क्यों कि...
अपनी पसंद का कुछ लिखो तो भी इनका पेट दुखता है... और जल्दी जल्दी पोस्ट देने पर तो मेल पर भी शीकायत करते हैं...
??
ऐसे सभी सम्माननिय पाठकों से नीवेदन है... ये सभी कहानियां मेने अपने मनोरंजन के लिए नेट से ही कापि पेस्ट कि हैं... और चाहता हूं कि आप भी इनका आनंद लें...
मुझे या अन्य किसी लेखक को परेशान किए बगैर...
धन्यवाद
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Mast . Plz update more new web series
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super great story and love it. send more o my id if you have....................
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Surely this story ends here... but my other threads (https://xossipy.com/search.php?action=re...2cb70cbb3b) will continue & give joy's of new Incest, Adultery Non erotic & Erotic stories to all of my friends...
As I always say ... I am not the original writer, I just Copy some best stories from different internet sites & pest them here...
ALL THANKS TO ORIGINAL WRITER'S FOR WRITING SUCH A INTERESTING STORIES
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Bhai xossip per ek story thi Naam tha meri sister or Baad me vhi story meri sisters restarted ke Naam se post hui kya AAP us story Ko post kr sakte ho
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suppppppppppppppppppeeeeeeeeeeeeeeerrrrrrrrrrrrrrrrbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbbb
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Bro, aapki likhavat bahot hee erotic hai. Good narration.
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Thanks for reading this story.
I am always very fond of this kind of slow seductive story. In reality, a woman needs time to involved in an affair. All women are not sex-starved or whore that they can easily be driven by anyone.
Most of the cases, there is a very particular and valid reason to involve in any illicit relationship. Sometimes they forced by other persons, sometimes they forced by the situation which arises unexpectedly in front of her.
I read a lot of stories which look very unrealistic as in those, a married woman shows like a characterless slut, but the reality is different.
I am not the original writer, I collect stories from different internet sites like old EXBII, XOSSIP, RSS, ISS, NIFTY, ASSTR, & LITEROTICA.
I just copy and pest them here for my as well as your enjoyment... all credit goes to the unsung writer's who are the original heroes.
So, I request to all my fellow authors to write more slow seductive real stories regarding married women.
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