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आ गया आने वाला
तभी उनकी दरवाजा खटखटाने की आवाज हुयी ,
कम्मो ने ही दरवाजा खोला।
और उन के घुसते ही कम्मो ने उन्हें दबोच लिया , साथ में गालियों की बौछार ,
" स्साले भोंसड़ी वाले , बनारस अपनी बहिनिया क सौदा करने गए थे , दालमंडी ( बनारस की रेड लाइट एरिया ) में कोठे पे बैठाओगे ,... अरे पहले उसकी नथ उसकी खुद उतार दो , फिर बैठाओ ,.... की भौजी से डर के भाग गए थे , आज घर में भौजी महतारी नहीं है तो कम्मो भौजी आज बिना गाँड़ मारे छोड़ेंगी नहीं , स्साले , बहनचोद , गाँड़ तो चिकने तेरी मारी ही जायेगी , ससुराल में सलहज तो मारेंगे ही , लौण्डेबाज भी बहुत होंगे वहां। "
गालियों के साथ साथ जिस तरह से पीछे से उनकी पीठ पर वो चोली फाडू अपने बड़े बड़े जोबन अपने देवर की पीठ पर रगड़ रही थीं , किसी की भी हालत खराब हो जाती , ये बेचारे तो ,...
पर बच के निकलना कोई इनसे सीखे ,
कम्मो की ऊँगली पर चिकना चमकता रस उन्हें दिखा और उन्होंने बात बदलने की कोशिश की ,
" काहो भौजी , देवर से छुपा छुपा के कौन मिठाई खा रही थी , बहुत जबरदस्त रस लगा है। "
" अरे ख़ास रसगुल्ला हो , ला तुंहु चाटा "
कम्मो ने बोला
और ऊँगली सीधे उनके मुंह में ,
मुश्किल से मैं हंसी दबा पा रही थी , उनकी ममेरी बहन की चूत की चासनी उनके मुंह में , और वो मजे से चाट रहे थे ,
और कम्मो उनकी भौजाई चटवा रही थी , ननद की बुर की चासनी उसके भइया से चटवाये , इससे ज्यादा मजे की बात भाभी के लिए क्या हो सकती थी ,
पर कम्मो इतने पर रुकने वाली नहीं थी ,
" हे तुमहू क्या याद करोगे आज इस रसगुल्ले का पूरा स्वाद चखा दूंगी , ... "और फर्श पर पड़ी गुड्डी की चड्ढी उठा के बोली ,
" चला तब तक रसगुल्ला के डब्बे से चलाय ला , ... " और उनकी ममेरी बहन की चड्ढी सीधे उनके मुंह पे।
मान गयी मैं कम्मो को , उसने बोला था की मैं उसके ऊपर छोड़ दूँ , और सच वो भी न बस पन्दरह बीस मिनट में
कुछ तो उसकी बातें और उस भी बढ़कर उसकी ऊँगली और बड़े बड़े गदराये कड़े कड़े जोबन का जादू ,
अपनी उँगलियों से उसने इनकी शर्ट के बटन खोल कर शर्ट उसी फर्श पर जहाँ उनकी बहन की ब्रा छितरी पड़ी थी , कम्मो की बदमाश उँगलियाँ अब उनके निप्स कभी सहलातीं , कभी नोच लेतीं , एक हाथ पैंट के अंदर घुसा पिछवाड़े को सहलाती , दरार में ऊँगली से रगड़ती ,
बात उसने ये बनायी की उसकी एक बाजी लगी है , एक स्साली से , ( आखिर गुड्डी पर हमारे भाई चढ़ते तो स्साली ही तो होगी वो ) और कम्मो ने जो रूप बताया , किसी ने गुड्डी को एक बार भी देखा होता तो समझ जाता की उसी की बात हो रही है , खूब गोरी , छोटे छोटे लेकिन खूब कड़े कड़े जोबन , एकदम कसी कच्ची कली , अभी तक किसी ने छुआ भी नहीं ,
कम्मो ने तरह तरह की कसमें दिलवाई , उनसे दुहरावायी ,...
मैंने भी कम्मो की बात में हाँ में हाँ मिलाई , सच में एकदम कमसिन , मेरी सहेली ( गुड्डी मेरी सहेली भी तो थी , लेकिन मेरी सहेली के होने के नाते उनकी साली का भी रिश्ता बन गया )
तबतक उनकी पैंट भी उतर गयी , कम्मो ने मुझे इशारा किया और एक ग्लास डबल भांग वाली ठंडाई जो उनकी बहन को पिलाई गयी थी मैंने उन्हें भी ,
और तबतक कम्मो ने उनका तनता मूसल सम्हाल लिया , होली में तो कितनी बार कम्मो भौजी ने अपने देवर के मूसल को खोल के रंग रगड़ा था , सुपाड़ा सहलाया था ,
और कम्मो की उंगलिया , कम्मो की बातें , कच्ची उम्र वाली साली की बात ,
एक झटके में कम्मो ने सुपाड़ा खोल दिया।
अब वो पूरे एक बित्ते का अपने असली रूप में ,
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कम्मो की शर्त
और कम्मो की उंगलिया , कम्मो की बातें , कच्ची उम्र वाली साली की बात ,
एक झटके में कम्मो ने सुपाड़ा खोल दिया।
अब वो पूरे एक बित्ते का अपने असली रूप में ,
और कम्मो ने शर्त बताई ,
कच्ची है तो झिल्ली तो फटेगी ही , लेकिन कम्मो ने शर्त ये लगाई है की सिर्फ तीन बार में पूरा मूसल ठेल देना है ,
पहली बार में सुपाड़ा
दूसरी बार में आधा , और झिल्ली फट जानी चाहिए और
तीसरी बार में जड़ तक मूसल अंदर , तोहरी भौजाई की इज्जत का सवाल है ,
पहले तो वो जोश में आ गए , लेकिन फिर उनकी मन में हिचक आ गयी
" आप तो कह रही थीं की कच्ची उम्र की कच्ची कली तो , एक बार में , मेरा इतना ,... "
" तुंहु न , आखिर तोहार भौजी हूँ , ... ओकर फैलावे क सटावे क जिम्मेदारी मेरी है , बस ओकरे बाद जितनी ताकत हो तोहरे कमर में मार दिहा धक्का , चिल्लाई तो चिल्लाय दिहा , ... "
कम्मो ने रास्ता बताया।
सच में भौजी के लिए अपनी कुँवारी ननद की बुर जबरन फैला के उसमें उसके भइया का लंड सटाने से ज्यादा मजा क्या हो सकता है , ...
मैंने भी अपना रोल निभाया ,
" हे तानी उस स्साली की शर्त भी तो बता दो, उसने कहा था, इनकी आँख पर पट्टी कस के बंधी होनी चाहिए "
मेरी जिमेदारी 'बछिया ' को तैयार करने की थी , और कम्मो की जिम्मेदारी सांड़ को ,
आज कुछ भी हो जाय 'सांड़' को ' बछिया ' पर चढ़ाना ही था ,
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'बछिया '
मैंने भी अपना रोल निभाया ,
" हे तानी उस स्साली की शर्त भी तो बता दो, उसने कहा था, इनकी आँख पर पट्टी कस के बंधी होनी चाहिए "
…..
मेरी जिमेदारी 'बछिया ' को तैयार करने की थी , और कम्मो की जिम्मेदारी सांड़ को ,
आज कुछ भी हो जाय 'सांड़' को ' बछिया ' पर चढ़ाना ही था ,
मेरी बछिया सिकुड़ी , दबकी , घबड़ायी बगल के कमरे में दुबकी बैठी थी , अपने हाथों से दोनों नए आये छोटे छोटे जोबन को छुपाने की कोशिश करती ,
नहीं नहीं हम लोगों ने उसके सब कपडे नहीं उतारे थे सिर्फ टॉप और स्कर्ट उठाके काम चला लिया था , हाँ ब्रा और पैंटी जरूर और बाद में कम्मो ने टॉप भी , स्कर्ट वो अभी पहने थी ,...
पहले तो मैंने उसे गुदगुदी लगाई , कान में फूका , गाल पर हलकी सी चुम्मी ली , चपत लगाई , फिर धीमे से बोली
" हे अभी तो खुद परेशान हो रही थी , भौजी झाड़ दो , झाड़ दो , अब आगया है झाड़ने वाला तो घबड़ा रही है , तेरी दोनों सहेलिया कब की फड़वा चुकी ,.... चल यार , .... "
" नहीं नहीं भाभी , "
उसने अपने दोनों हाथों से पलंग जिस पर वो बैठी उसे कस के पकड़ने की कोशिश की , बस उसके दोनों कच्चे टिकोरे खुल गए और मेरी चांदी हो गयी ,
किसी लड़की की चूँचिया बस मेरे हाथ में आ जाये , दो मिनट में उसे पनिया देने की ट्रिक मेरी गाँव की भाभियों ने मुझे नौवें दर्जे में ही सिखा दी थी , निप्स को कैसे फ्लिक करें , कैसे कभी दबाएं , कभी सहलाएं ,
और मेरी 'बछिया ' मेरी ननद , इनकी ममेरी बहन दो मिनट में गरमा गयी , पनिया गयी ,
उसे गुदगुदी बहुत लगती थी , मेरा एक हाथ उसकी जांघों पर ,... वो खिलखिलाने लगी , फिर तो मेरी हथेली जांघों के बीच , अपनी गदोरी से मैं वहां रगड़ने लगी , पहले से पनिया रही थी , अब तो एकदम गीली ,....
" देख यार , कभी न कभी तो फटनी ही है तो आज ,... मौका भी है , दस्तूर भी है ,... "
मेंने सारे टोने टोटके पहले से कर लिए थे अपनी इस छोटी ननद के साथ , उनके गन्ने का पूरा रस , इसे पिला चुकी थी , उन्ही के सामने ,
उन्हें भी मालूम था की उनकी सीधी साधी बहिनिया उनका गाढ़ा वीर्य रस घोंट रही है ,
और उनकी बहन को भी ,
इनकी सास ने नहीं मेरी सास ने ये टोटका बताया था , किसी मर्द की मलाई अगर किसी कुँवारी लड़की को पिला दो तो बस उस लड़की की गुलाबो पर उस मर्द के खूंटे का नाम लिख जाता है , और अगर उस मरद को उस कुँवारी लड़की की चासनी चटा दो , तो फिर तो खुद ही वो ,...
मुझे मालूम था की इनकी मस्त चढ़ती जवानी में बौराई बहिनिया आने वाली है, बस इनके मोटे कड़े खूंटे को मैंने जम के चूसा , कटोरी से भी ज्यादा रबड़ी मलाई मेरे मुंह में , और बिना ज़रा भी खुद घोंटे इनके सामने ही मेरे मुंह से इनकी बहिनिया के मुंह में ,
इसकी चासनी भी भी मैंने पहले भी चटाई थी इन्हे और आज कम्मो ने भी अपने 'सांड़ ' को ,...
इसने तो उनके मसल की कितनी फोटुएं देखी थी , और मुझे उसे घोटते हुए भी , मन तो उसका कर ही रहा था , बस डर लग रहा था ,
और ये बात उसकी बात से भी जाहिर हो गयी , ...
" भाभी ,... लेकिन ,... लेकिन दर्द बहुत होगा। "
एकदम डरती कांपती थरथराती आवाज में , रुक रुक कर , सहमी हुयी , ...
जैसे किसी बकरी के बच्चे को अंदाज लग जाए की अब उसे छूरी के नीचे जाना है ,
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बस दस मिनट
जैसे किसी बकरी के बच्चे को अंदाज लग जाए की अब उसे छूरी के नीचे जाना है ,
और इस बकरी को तो भोंथरी छुरी के नीचे ,
लेकिन उसके बिना खाने वाले को मजा कैसे आएगा ,...
मैंने भी न उसे झूठा ढांढस दिलाया , न झूठ बोला , साफ़ साफ़ बोली मैं ,
" दर्द तो होगा ही जब फटेगी ननद रानी "
और मैं और कम्मो दोनों चाहती थी ,
ये खूब चीखे चिल्लाये , गाँड़ पटके, नौ नौ टेसुए बहाये ,
जैसे पानी के बाहर निकलने पर मछली की हालत होती है उस तरह तड़फड़ाये ,... और कम्मो का सांड़ , कस के इस बछिया को दबोचे रहे ,
भले ही ये रोती रहे , चीखती रही , इसकी कच्ची कसी चूत फ़ट कर फचफचा कर खूब खून फेंके ,...
अरे नयी ननदें जब गौने से लौटती हैं , तो मेरे गाँव में सारी भौजाइयां , करोद करोद कर कैसे दर्द हुआ जब फटी ,...
और यहाँ तो जब ननद की फटेगी तो दो दो भौजाइयां , साथ साथ सामने देख्नेगी कैसे चीखती है ये ,
और सिर्फ दो भौजाइयां ही नहीं ,... मैंने अपने मायके रीतू भाभी को पांच मिनट पहले बता दिया था जब उनके नन्दोई आये तभी ,बस लाइव टेलीकास्ट होगा
सिर्फ इनकी साली , सलहज ही नहीं , इनकी सास भी इन्तजार कर रही थीं , कैसे ये अपनी ममेरी बहन की फाड़ते हैं , और फिर आगे के लिए वीडियो रिकार्डिंग भी
लेकिन फिर मैंने थोड़ा उसे छेड़ा ,
" हे मुझे भी तो दर्द हुआ था , "
वो थोड़ा सा मुस्करायी , बोली , हाँ बहुत जोर से चीखी थीं दस बजकर सताइस मिनट है न भाभी , ...
मेरी सारी ननदें बाहर छत पर कान फाड़े खड़ी थीं ,
" चल उठ न , फिर मैं और तेरी कम्मो भाभी रहेंगी न साथ में , क्यों घबड़ा रही है , "
मैंने खींच कर उसे उठाया ,
वो खड़ी तो हुयी लेकिन एक बार फिर चलते चलते सहम गयी ,
" नहीं भाभी , नहीं , हिम्मत नहीं पड़ रही है , प्लीज भाभी रहने दीजिये , नहीं ,... "
" अरे यार तुझे क्या करना है , अच्छा एक काम कर मेरी गारंटी , बस दस मिनट के लिए मेरी बात मान ले , उसके बाद तेरी वाली ,... जो तू चाहे ,... तुझे कुछ नहीं करना है , बस निहुर जाना टाँगे फैला कर , ... कस के दोनों हाथ से पलंग का सिरहाना पकडे रखना ,... और हाँ आंखे बंद , बल्कि अभी से आँख बंद , .. मैं हूँ न तुझे हाथ पकड़ा के ले भी चल रही हूँ , बस जहाँ जैसे कहूँगी निहुर जाना , दोनों हाथ से कस के पकड़ लेना , उसके बाद तुझे पता भी नहीं चलेगा , सच्ची , ... भाभी पर विशवास है की नहीं , ... "
" है भाभी , ... "
अब उसने आँखे तो बंद कर ली , लेकिन चेहरे पर दर्द का डर अभी भी था ,...
मैंने उसकी ऊँगली पकड़ ली और उसे लेकर ,..
दस मिनट की बात मैंने इस लिए की थी की एक बार इनका मोटा सुपाड़ा इसकी कुंवारी चूत में धंस जाता तो न ये कुछ कर पाती न इसके भैया ,
फिर तो कम्मो थी न ,...
जब हम दोनों मेरे कमरे में आये ,
'सांड ' सचमुच में एकदम तन्नाया , बौराया ,..
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Bare acche lagte hain...
Ab der nhi kijiye !!
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(06-05-2021, 09:21 PM)UDaykr Wrote: Bare acche lagte hain...
Ab der nhi kijiye !!
Bare ...you mean posts without pictures,...? please clarify ....
aur der nahi bas next post NOW
•
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बछिया -सांड़
" है भाभी , ... "
अब उसने आँखे तो बंद कर ली , लेकिन चेहरे पर दर्द का डर अभी भी था ,...
मैंने उसकी ऊँगली पकड़ ली और उसे लेकर ,..दस मिनट की बात मैंने इस लिए की थी की एक बार इनका मोटा सुपाड़ा इसकी कुंवारी चूत में धंस जाता तो न ये कुछ कर पाती न इसके भैया , फिर तो कम्मो थी न ,...
जब हम दोनों मेरे कमरे में आये ,
'सांड ' सचमुच में एकदम तन्नाया , बौराया ,... कम्मो की ऊँगली का जादू ,... और कम्मो गाँव का सुद्ध कोल्हू का पेरा सरसों का तेल , लेकिन सिर्फ सुपाड़े पर,
एक बार सुपाड़ा अटक गया,धंस गया फिर तो जितना रगड़ता हुए घिसटते हुए जाएगा उतना ही दर्द के मारे ये गाँड़ पटकेगी,चिलायेगी,... सुपाड़ा उनका मोटा भी कितना था, और यहाँ उसकी चीख सुनने वाला था कौन उसकी भौजाइयों के अलावा,
सुपाड़ा उनका मोटा भी कितना था,
और ऊपर से कम्मो ने शर्त लगा दी थी, अगर पहले धक्के में ही सुपाड़ा नहीं अंदर गया तो बस समझ लो , देवर भाभी की कुट्टी पक्की वाली, तो आज तो वो पूरा कमर का जोर, और उनकी कमर का जोर मुझसे ज्यादा कौन जानता था
' बछिया ' मेरी घबड़ा रही थी , डर से काँप रही थी , सिकुड़ी जा रही थी ,
और 'सांड़' एकदम बेताब था , बावला हुआ जा रहा था , उसका बित्ते भर का खूंटा जैसे तन कर गज भर का हो गया था , उसे 'बछिया' की महक मिल गयी थी
जैसे मैंने कहा बस वो निहुर के ,
मैंने उसकी टांगों बीच अपनी टाँगे डाल अच्छी तरह से , चौड़े से फैलवा दी , जितना वो फैला सकती थी , उससे भी ज्यादा ,... उसके मुलायम पेट के नीचे दो मोटे मोटे कुशन रख दिए ,... जिससे 'सांड ' का धक्का सीधे वहीँ ,
स्कर्ट मैंने मोड़ कर छल्ले की तरह अपनी ननद की कटीली पतली कमरिया में फंसा दिया , अच्छी तरह अब कित्ते भी धक्के लगे वो ढीली नहीं होने वाली थी , और हलके से दुलार से उसके छोटे छोटे कसे चूतड़ सहलाते हुए मेरी दो उँगलियाँ उसकी गुलाबो की दरार के बीच धंस गयी ,
गुलाबो मेरी 'बछिया' की दूबदूबा रही थी , यानी मन मेरी 'बछिया' का भी कर रहा था , लेकिन 'सांड़ ' से डर रही थी ,...
कम्मों ने मेरी ओर इशारा किया , ' बछिया' की गुलाबो की ओर , मैं उसे कस के फैला दूँ ,....
मैंने दोनों अंगूठे से उसे फ़ैलाने की कोशिश की , लेकिन कम्मो को मजा नहीं आया , वो खुद अपने 'सांड़ ' को छोड़ कर मेरी ' बछिया' के पास आयी
और मान गयी मैं कम्मो को कितनी बेरहमी से , कितना कस के चियारा उसने मेरी ननद की बुर को , दोनों अंगूठे अंदर डाल के दोनों फांके बाहर की ओरपूरी तरह से फैला रखा था ,
मेरी बछिया दर्द से बिलबिला रही थी , लेकिन उसके बिना इतना मोटा सुपाड़ा ,... मैंने कम्मो की सांड़ की ओर देखा ,
क्या मोटा तन्नाया सुपाड़ा था , कड़ुवा तेल से चुपड़ा चपचपाता ,...
और आँखों पर उनकी ममेरी बहन की ब्रा पैंटी के साथ एक और खूब मोटी सी काली पट्टी , सच में उन्हें कुछ नहीं दिख रहा होगा ,...
मैंने अपने हाथ से ' सांड़ ' का खूंटा पकड़ा और दुबदुबाती अपनी ' बछिया ' की बिल पर सेट कर दिया,
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सांड़ चढ़ा
मेरी बछिया दर्द से बिलबिला रही थी , लेकिन उसके बिना इतना मोटा सुपाड़ा ,... मैंने कम्मो की सांड़ की ओर देखा ,
क्या मोटा तन्नाया सुपाड़ा था , कड़ुवा तेल से चुपड़ा चपचपाता ,...
और आँखों पर उनकी ममेरी बहन की ब्रा पैंटी के साथ एक और खूब मोटी सी काली पट्टी , सच में उन्हें कुछ नहीं दिख रहा होगा ,...
मैंने अपने हाथ से ' सांड़ ' का खूंटा पकड़ा और दुबदुबाती अपनी ' बछिया ' की बिल पर सेट कर दिया,
कम्मो ने बेदर्दी से बिल पूरी तरह फैला रखी थी , वो बेचारी निहुरि जैसे कोई ' बछिया ' पहली बार 'सांड़' के नीचे आ रही हो ,
कम्मो ने मुझे इशारा किया और मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ कर ' उसकी ' पतली कटीली कमरिया पर रख दी , उन्होंने कस के दबोच लिया ,
" पेल स्साले कस के "
फुसफुसाती हुयी कम्मो ने उन्हें ललकारा ,
बस कमरे का फर्श नहीं फटा , ...
बाहर फागुनी बयार में झूमते पलाश के पेड़ रुक गए ,
हवा थम गयी , ...
गजब की ताकत , उससे भी दसगुना जोश , ...
उईईईईई , ...
मेरी ननद की चीख कमरे से गूँज उठी , ... लेकिन उससे पहले कम्मो पहले से ही तैयार थी , उसकी तगड़ी हथेली ने उसका मुंह कस के भींच लिया ,
वो दर्द से तड़प रही थी , बिलख रही थी , बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में आंसू तैर रहे थे ,
मैं उसकी पीठ सहला रही थी , हिम्मत बंधा रही थी और कनखियों से देख रही थी , उसके भइया का मोटा तगड़ा खूब बड़ा सा सुपाड़ा , तीन चौथाई से ज्यादा अंदर धंसा ,
मेरी निगाह वहीँ चिपकी ,
वो पुश कर रहे थे , .... सूत सूत सरक सरक कर , घिसकता , धंसता अंदर ,
पूरी ताकत से वो ठेल रहे थे ,
वो तड़प रही थी , दर्द के मारे बिसूर रही थी पर कम्मो ने कस के उसका मुंह भींच रखा था ,
मैंने भी दोनों हाथों से कस के अपनी' 'बछिया ' की कमर को जकड रखा था , जिससे वो इंच भर भी इधर उधर न सरक सके ,
गप्पांक
सटाक
पूरा सुपाड़ा अंदर था ,
कम्मो ने मेरी ओर देखा , मैंने बिन बोले ही इशारा किया ,
घोंट लिया इसने पूरा सुपाड़ा ,...
बस कम्मो ने मुंह पर से हाथ हटा लिया , जैसे कह रही हो अब चिल्लाने दो स्साली को , पटकने दो चूतड़ ,अब सुपाड़ा पूरा घुस गया है , लाख कमर झटके चूतड़ पटके , अब निकलने वाला नहीं है ,
मेरी ननद हलके हलके कहर रही थी , बिसूर रही थी , मैं हलके हलके उसकी पीठ सहला रही थी , उसकी कमर सहला रही थी , उसके कान में फुसफुसा रही थी
" अब काहें का दर्द , तूने पूरा मोटा तो घोंट लिया , बस अब थोड़ा सा ढीला कर , उधर से ध्यान हटा दे , कस के निहुरी हुयी , हाँ बस , जरा सा टांगे और फैला न , बस ,... हाँ देखों अब दर्द ख़त्म , मज़ा शुरू। "
मैं उसे फुसला बहला रही थी और अब कम्मो एक बार फिर से 'सांड़' के पास ,
मुझे मालूम था की असली दर्द तो अभी बाकी है , जब झिल्ली फटेगी , जब कली फूल बनेगी , तब ,...
और कनखियों से देख रही थी , कैसे कम्मो अपने ' सांड़ ' को उकसा रही थी , गरमा रही थी , भड़का रही थी ,
उसके दोनों बड़े बड़े जोबन इनकी पीठ पर रगड़ रहे थे , फिर उसकी उँगलियों ने नीचे जाकर इनकी बॉल्स के पास , उँगलियों से सहलाया , दबाया और कान में कुछ बोला ,
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सट गया, धंस गया, ,, फट गयीइइइइइइइइ
कम्मो अपने ' सांड़ ' को उकसा रही थी , गरमा रही थी , भड़का रही थी ,
उसके दोनों बड़े बड़े जोबन इनकी पीठ पर रगड़ रहे थे , फिर उसकी उँगलियों ने नीचे जाकर इनकी बॉल्स के पास , उँगलियों से सहलाया , दबाया और कान में कुछ बोला ,
क्या ताकत वाला धक्का था , कस के मेरी बछिया की कमर पकड़ कर ,
ओह्ह उफ़
बाहर चल रही हवा रुक गयी ,
खिड़की का शीशा चटक गया , इतनी जोर से चीखी उनकी छोटी बहिनिया ,
उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह नहीं , उईईईईई
कम्मो ने आँख के इशारे से मना कर दिया , चीखने दे स्साली को , ...
आधे शहर में तो नहीं लेकिन आधे मोहल्ले में जरूर मेरी छोटी ननद की चीख सुनाई दी होगी ,
लेकिन उनकी ससुराल में उनकी बहन की फटने की चीख पूरी तेजी से सुनाई पड़ी ,
मैंने अपने कैमरे को इस तरह से सेट किया था की लाइव टेलीकास्ट सीधे उनकी ससुराल में हो रहा था , सलहज साली को छोड़िए , उनकी सास , नाउन , उसकी बिटिया , नाउन की बहू सब ,
और मैं क्लोज अप वीडयो , स्टिल सब ननद रानी के मोबाइल से ही , और उससे कम्मो के फोन पर , उसकी मेरे , इनके सबके फोन पर , ... और कल कोई चेक भी करता , तो सब की रिकार्डिंग और ट्रांसमिशन उसी के फोन से मिलता ,...
उईईईईई उईईईईई , अबकी चीख पहली बार से भी तेज थी ,
मैं उसकी पीठ सहला रही थी , उसे हिम्मत दिला रही थी , धक्का अब रुक गया था , आलमोस्ट छह इंच से ज्यादा घुस गया था , ...
रुक रुक कर अभी भी चीखे निकल रही थीं ,
एक बूँद , दो बूँद खून , ...खूंटे पर ,
अब मुझे लगा कम्मो की सोच के बारे में , कितना सही किया उसने इनकी आँख पर ये जबरदस्त पट्टी बाँध के ,
एक बूँद खून इनसे बर्दाश्त नहीं होता , यहाँ तो , ....
तभी फचफचा कर इनकी बहन की कसी कुँवारी कच्ची चूत ने खून फेंक दिया ,...
कम्मो मुस्करा रही थी , इसारे से मुझे बोली , घबड़ा मत ,
मैं भी समझ रही थी , एक तो उमर की बारी , कच्ची और दूसरी उसकी झिल्ली भी थोड़ी , ... फिर कभी उसने खुद भी कस के ऊँगली नहीं किया था की ,...
मेरी ननद रानी की जाँघों पर बुर पर हर जगह खून दिख रहा था ,
मैंने ननद को पुचकारना शुरू किया , इनके दोनों हाथ तो कमर पर थे पर मैंने गुड्डी की छोटी छोटी चूचियों को हलके हलके सहलाना शुरू किया , कभी दुलार से उसके गाल सहला देती ,
चीखें अब तक रुक रुक कर आती हिचकियों में बदल गयी थी ,
अब हलकी हलकी मस्ती की सिसकियाँ भी बीच बीच में सुनाई देती ,
पर भौजाई को तो ननद की चीखें ही हैं खास तौर पर जब ननद का भाई नन्दोई बनकर अपनी बहन की कुँवारी कच्ची बिल में मोटा मूसल पेल रहा हो
जब ननद रानी की चीखें एकदम रुक गयीं , तो कम्मो ने मामला अपने हाथ में ले लिया , बस देवर का खूंटा और उनकी कलाई ,
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कम्मो
जब ननद रानी की चीखें एकदम रुक गयीं , तो कम्मो ने मामला अपने हाथ में ले लिया , बस देवर का खूंटा और उनकी कलाई ,
बार बार गोल गोल , जहाँ झिल्ली फटी थी , बस ठीक उसी जगह , रगड़ता , घिसटता , ... थोड़ा आगे बढ़ जाता तो फिर उसी चोटिल जगह पर
और अब चीखें और तेज , बार बार ,...
कुछ देर तंग कर के कम्मो ने अपना हाथ हटा लिया और इन्होने हलक हलके धक्के शुरू किये ,
उन धक्को का असर मुझसे ज्यादा कौन जानता था ,
थोड़ी देर में वही असर इस कच्ची कली पर भी पड़ने लगा , दर्द की जगह मस्ती ने ले ली ,
दो चार मिनट के बाद अचानक कम्मो को याद आया , बात तो एकदम जड़ तक ठेलने की थी और दो ढाई इंच अभी भी मूसल बाहर था ,
मैं खुद पहली बार तो छोड़िये पहली रात भी , ..अगले दिन ,... बहुत मुश्किल से पूरा घोंट पायी थी ये बित्ते भर का खूंटा , और ये कच्ची कली , उमरिया की बारी , पहली बार में ही ,
पर कम्मो तो कम्मो, जब तक कुँवारी कच्ची ननद की फट के चिथड़ा न करवा दे तो कौन भौजाई , उहो , ननद के भइया से ,...
खूंटा उनका न सिर्फ बित्ते भर का था और मोटा भी बहुत ,... उनकी भौजी ने अपने देवर से तीन तिरबाचा भरवाया था , ... पूरा जड़ तक ठेलेंगे ,
और बस कम्मो , ... गालियों की बरसात , और उस के साथ कम्मो का हाथ और उँगलियाँ भी ,
पिछवाड़े कम्मो सहला रही थी , फिर एक साथ दो उँगलियाँ अंदर और ,
" भोंसड़ी के , तोहरी महतारी की गांड तोहरे ससुर से मरवाईं , स्साले ये बाकी का अपनी महतारी के भोसड़े के लिए बचा रखा है , अरे पेल पूरा ,"
कुछ उनकी भौजाई की गालियों का असर , कुछ पिछवाड़े में घुसी दोनों उँगलियों का असर ,
घच्चाक ,
जो मूसल आधे से ज्यादा बाहर उन्होंने निकाल दिया था अब एक झटके में जड़ तक ,
और एक बार फिर मेरी ननद की चीख ,
उईईईईई उईईईईई
दर्द से उसकी देह सिहर गयी , वो तो मैंने कस उसकी देह दबोच रखी थी वरना वो जिस तरह से छटपटा रही थी , फिसलने की कोशिश कर रही थी , मैंने दोनों हाथों से उसकी कुँवारी देह को पूरी ताकत से पकड़ रखा था , एकदम हिलने भी नहीं दे रही थी , लेकिन जिस तरह से वो तड़प रही थी ,
पर वो तड़प ,... मुझे विश्वास नहीं हुआ , उसकी देह हवा में पत्ते की तरह काँप रही थी ,छोटी छोटी चूँचियाँ पत्थर की तरह कड़ी , चेहरे पर एक अलग तरह की मस्ती
चीख सिस्कियों में बदल गयी थी , और मेरी ननद झड़ रही थी ,
उनके लंड का धक्का , सीधे उसकी बच्चेदानी पर लगा था , और उसका वही असर हुआ , जो होना था ,
मैं कम्मो की और देख कर मुस्करायी , वो अपने सांड के पास , मैं अपनी बछिया के पास , .., हम दोनों ने आँखों में हाई फाइव किया , मान गयी मैं कम्मो को
मेरा कहना था की ये कच्ची कली पहली बार में पूरा नहीं घोट पाएगी ,
लेकिन कम्मो ने बोला था की स्साली घोंटेंगी भी अपने भइया का पूरा मूसल और झड़ेगी भी , जो जितना शर्माती है , नखड़े बनाती है वो स्साली एकदम पक्की छिनार होती हैं और ये देखना पहले अपने भइया का घोंटेंगी , फिर हम दोनों के भइया का , ... पक्की छिनार निकलेगी , बस एक बार घोंट ले ,... स्साली
और और क्या झड़ रही थी मस्ती से मेरी ननद , उसकी आँखे पूरी तरह बंद थी , गुलाबो दुबदूबा रही थी , मस्ती से देह काँप रही थी ,
उनके खूंटे ने भी महसूस किया किस तरह , गुलाबो कस कस के उसे भींच रही है , चिपक रही है ,
एक पल के के लिए वो रुके , लेकिन कम्मो ने उन्हें पीछे से पकडे कान में क्या फूंका की एक एक बार फिर धक्के चालू हो गए
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दूध मलाई
एक पल के के लिए वो रुके , लेकिन कम्मो ने उन्हें पीछे से पकडे कान में क्या फूंका की एक एक बार फिर धक्के चालू हो गए ,
उनके दोनों हाथ पतली कमर पर थे , आँखों पर कस के पट्टी बंधी थी , दिख तो कुछ पड़ नहीं रहा था , हाँ उनके हाथ कुछ जैसे ढूंढ रहे थे ,
मैं समझ गयी बस कमर से हटाकर उनके हाथ दोनों छोटे छोटे मस्त जोबन पर ,
कुछ देर तक तो सहलाते रहे वो फिर कस के मसलते , धक्के पर धक्के ,
एक बार फिर ननद मेरी कभी दर्द से चीखती तो कभी मजे से
निहुरा के मारना उनकी फेवरिट पोज थी ,
एक बार फिर से फागुन की मस्तानी हवा चल रही थी , बाहर पलाश खिले हए थे , और मेरी ननद मेरे साजन के नीचे दबी चुद रही थी ,
अब उनके साथ मेरी और कम्मो की उँगलियाँ भी कभी ननद रानी के जोबन पर तो कभी बिल पर ,
थोड़ी देर तक ,
मैं ये नहीं कहूँगी की वो धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी लकिन दर्द के साथ हल्का हलका मजा भी ,
अब वो पूरे जोश के साथ , और एक बार फिर मेरी ननद झड़ने के कगार पर , और कम्मो ने कुछ उन्हें उकसाया चिढ़ाया ,
हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर , और ननद एक बार फिर झड़ रही थी ,...
आधे घंटे तक बिना रुके वो , धक्के पर धक्का , ... और जब ननद रानी तीसरी बार झड़ना शुरू कर दी , तो मेरी बछिया की गुलाबो ने कस के कम्मो के सांड के खूंटे को कस के भींचना शुरू किया और अब की वो भी
झड़ते समय तो उनकी आँखे वैसे ही बंद हो जाती थी , पर कम्मो ने उनकी आँख पर बंधी पट्टी खोल दी , और उकसाया ,
" अरे तनी आपन माल को देख तो लो , कइसन मस्त तोहार माल घोंट रही है, तोहार बहिनिया "
वो इस हालत में थे की बाहर निकाल भी नहीं सकते थे , पिचकारी बार बार दूध मलाई छोड़ रही थी , और मैं और कम्मो उन्हें छेड़ रहे थे ,
क्यों मजा आया बहिन चोद, बहिनिया को चोद के,
क्या हचक हचक के अपनी बहिन क कुँवारी कोरी बुर फाड़े हो , बहिन चोद
थोड़ी देर बाद ,... मैं और कम्मो , भइया बहिनी को छोड़कर नीचे उतर आये थे ,
आखिर गाड़ी में डीजल जो भरना था ,
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(07-05-2021, 08:47 AM)komaalrani Wrote:
Bare ...you mean posts without pictures,...? please clarify ....
Nah ! I was asking about ratio not "posts without pictures". Pictures are okay.
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(08-05-2021, 03:57 PM)UDaykr Wrote: Nah ! I was asking about ratio not "posts without pictures". Pictures are okay.
Thanks
•
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कहानी के साथ चित्रों का ऐसा मनमोहक प्रयोग हमने कभी नहीं देखा और पढ़ा है।
बहुत ही सुन्दर और उत्तेजक अपडेट है कोमल जी।
आपके अगले अपडेट का बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है। आशा करता हूँ जल्दी-जल्दी आता रहेगा। ❤❤❤
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(09-05-2021, 10:06 PM)aky3894 Wrote: कहानी के साथ चित्रों का ऐसा मनमोहक प्रयोग हमने कभी नहीं देखा और पढ़ा है।
बहुत ही सुन्दर और उत्तेजक अपडेट है कोमल जी।
आपके अगले अपडेट का बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है। आशा करता हूँ जल्दी-जल्दी आता रहेगा। ❤❤❤
धन्यवाद बस आज ही,
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एक बार में धड़क,...
थोड़ी देर बाद ,... मैं और कम्मो , भइया बहिनी को छोड़कर नीचे उतर आये थे , आखिर गाड़ी में डीजल जो भरना था ,
लेकिन मेरी एक परेशानी का इलाज नहीं था , कम्मो से भी मैंने नहीं पूछा ,
"चलिए एक बात तो हो गयी , उनकी कोहबर की शर्त , गुड्डी रानी की फट भी गयी , लेकिन कहीं मेरी ननद रानी के मन में सेन्स ऑफ गिल्ट आ जाए , लगे नहीं गलत हुआ , और उसका उतरा चेहरा देखकर ये भी सोचें की उन्हें धोखे में रख कर , ...मज़ाक की भी एक हद होती है , ... "
बार बार ये बात मेरे मन में ये बात उमड़ घुमड़ रही थी ,
मुझे रीतू भाभी की भी एक बात याद आ रही थी ,
अपनी किसी ननद को सीखा रही थीं , एक बार में धड़क नहीं खुलती , कम से कम दो बार , ... पहली बार तो दर्द घबड़ाहट चीख चिल्लाहट में निकलजाता है , दूसरी बार जाकर कहीं लौंडिया को असली मोटे खूंटे का स्वाद मिलता है , हाँ लेकिन अगर एक बाद दूसरी बार घोंट लिया उसने तो खुद ही ,... "
एक बार तो कम्मो ने जुगत लगा कर , लेकिन दूसरी बार कैसे ,...
मैं कुछ खाने का सामान इकठ्ठा कर रही थी , और दूसरे कोने में कुछ ' इनके ' लिए कम्मो , कुछ कम्मो स्पेशल बना रही थी ,
जब हम दोनों सब सामान लेकर ऊपर मेरे कमरे में पहुँच रहे थे , कम्मो ने इशारा कर के मुझे रोका और कमरे में झांकने को कहा ,
गुड्डी एकदम अपने भैया से चिपक के बैठी थी और कुछ बातें कर रही थी , कम्मो ने मुझे रोक दिया , और उन दोनों की ओर इशारा किया ,
वो तो एकदम भकुरे बैठे थे , मुंह लटकाये ,... ( जैसा मुझको डर था , एक बॉक्सर शार्ट पहने जो नीचे जाने के पहले मैंने उनको दे दिया था , और मेरी ननद की स्कर्ट तो उतरी भी नहीं थी , टॉप उसकी कम्मो ने वापस कर दी , हाँ ब्रा और पैंटी जिससे उनकी आँखों पर ब्लाइंड फोल्ड लगाया गया था वो कम्मो ने रख लिया था , उसी से जस्ट फटी चूत , उसमें लगी रक्त मिश्रित मलाई पोंछी थी ) ,
लेकिन उनकी ममेरी बहन मुस्करा रही थी , ...और उनके पास सरक कर , मुस्कराते हुए उनसे पूछ रही थी ,
" भैया , तू गुस्सा हो , "
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भैया तुम गुस्सा हो ?
" भैया , तू मुझसे गुस्सा हो , "
चकित होकर , उन्होंने उसकी ओर देखा और बोल पड़े,
" तुझसे क्यों गुस्सा होऊंगा , लेकिन तू , ... तू मुझसे नहीं गुस्सा है ?"
" वाह अपने इत्ते प्यारे अच्छे मीठे मीठे भैया से क्यों गुस्सा होउंगी , तेरी तरह बुद्धू हूँ क्या "
आँख नचाकर वो शोख छोरी बोली , और उनसे कसकर दबोच लिया .
" तो ये मुंह लटका कर क्यों बैठे हो , किससे गुस्सा हो? "
उसने फिर पूछा और शरारत से बॉक्सर शार्ट में से झांकते थोड़े सोये थोड़े जागे खूंटे की ओर देखते हुए , मुस्कराकर उन्हें छेड़ा ,
" अच्छा सच बताओ , मेरी कसम ,... मजा नहीं आया , ... सच बोलना वरना बहुत पीटूँगी। "
उस नयी नयी कली से फूल बनी ने बड़ी अदा से उन्हें उकसाया।
अब जाकर वो खुले , उसकी आँखों में आँखे डालकर उन्होंने घबड़ाते हुए पूछा ,
" अच्छा सच बोल , तू गुस्सा तो नहीं है ,.... "
" वाह मैं अपने इस मीठे मीठे , भइया से क्यों गुस्सा होउंगी , तेरी तरह बुद्धू हूँ , ... क्या " जैसे सैकड़ों मोती फर्श पर बिखर गएँ हो , उस तरह खिलखिलाती , वो किशोरी बोली।
" असल में , सच बोलूं , मुझे कुछ पता नहीं था , ... भौजी ने मेरी आँख पर पट्टी बाँध दी थी और , ... मुझे नहीं मालूम था की तुम हो ,... बहुत दर्द हुआ न तुझे , एकदम अंदाज नहीं था . "
मेरी ननद की चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल के खनकने की तरह की हंसी पूरे कमरे में गूँज गयी , ...
" बुद्धू , मुझे तो एकदम पता था , मैं बगल के कमरे में से तेरी आवाज सुन रही थी , कब कम्मो भौजी , सच में भौजी बहुत अच्छी हैं , तेरे ऐसे बुद्धू लोगों का इलाज वही है , भाभी ने मेरी आँख बंद करवाई थी , लेकिन निहुरते हुए मैंने कनखियों से देख लिया था , तुम्ही हो , फिर तेरे अलावा और कौन आता इस कमरे में , तुझे तो कम्मो भौजी का थैंक्स करना चाहिए वरना तू न ऐसे का ऐसे ,...
रही दर्द की बात तो ये बात हर लड़की को मालूम होती है की दर्द होता है , बहुत होता है पहली बार , लेकिन क्या लड़कों का ही मन करता है , लड़कियों का मन उनसे ज्यादा करता है , फिर भाभी को दर्द नहीं हुआ था क्या , मुझसे थोड़ी ही तो बड़ी हैं , अगले दिन ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं , दो दो ननदों के कंधे पर हाथ रखकर किसी तरह चिलखती सीढ़ी से उतरीं थी,, लेकिन अगली रात फिर से , ... "
मैं और कम्मो उस की बात सुन रही थीं , मैं सोच रही थी , सच में कितनी समझदार है मेरी ननद ,
( हाँ अगली रात नहीं उसी दिन इन्होने दो राउंड , जब जेठानी जी मुझे ऊपर इसी कमरे में छोड़ आयी थीं , )
अब वो भी मुस्करा रहे थे , जैसे उसने उन्हें पकड़ रखा था उसी तरह उन्होंने भी उसे पकड़ लिया ,
और अब उनकी आवाज खुली , थोड़ा सहमते हुए , रुकते हुए बोले ,
" लेकिन तुझे ,... तुझे बहुत दर्द हुआ ,... है न "
मेरी ननद अब जोर से मुस्करायी , और उनकी नाक पकड़ के जोर से हिलाती बोली ,
" जो बुद्धू होते हैं न वो हरदम बुद्धू ही रहते हैं , हरदम , कोई इलाज नहीं , .... ये तो गनीमत बोल की तुझे मेरी भाभी ऐसी अच्छी अच्छी मीठी मीठी भाभी मिल गयीं , वरना ,... लेकिन पहले तुम मेरे सवाल का जवाब दे न "
मैं मान गयी गुड्डी रानी एलवल वाली की बात , बुद्धू वाली , यही बात तो मैं भी इनसे कहती थी , ...
अब इनके भी मन का डर चला गया था , मुस्कराते हुए कुछ उसे चिढ़ाते , खिजाते बोले ,
" कौन सी बात , ... "
लेकिन मेरी ननद , मेरी ननद थी , पीछे हटने वाली नहीं थी और अब तो उसकी फट भी गयी थी , हंस के बोली ,
" तुझे मजा आया की नहीं , ..सच सच बोलना , ज़रा भी झूठ बोला न तो कौवा तो काटेगा ही मैं भी बहुत पीटूँगी "
मैं भी कान पारे उनके जवाब का इन्तजार कर रही थी ,
और उनकी मुस्कराहट ही उनका जवाब थी , लेकिन अंत में उन्होंने बोल ही दिया , अपनी ममेरी बहन से ,
" हाँ , आया , ... "
पर मेरी ननद इत्ती आसानी से थोड़ी छोड़ने वाली थी ,आखिर अपना कुंवारापन अपने भइया पर लुटाया था उसने ,
" कित्ता , थोड़ा सा की ज्यादा सा , ... "
हाथ फैला कर बच्चों की तरह वो बोले ,
" खूब ज्यादा , इत्ता सा "
मेरी ननद ने उनसे भी ज्यादा हाथ फैलाया , और बोली ,
" मुझे भी तुझसे भी ज्यादा बहुत ज्यादा , ...." और उन्ही फैले हाथों से उन्हें बाँहों में भर लिया और सीधे मेरी ननद के होंठ मेरे सैंया के , उसके भैया के , क्या जबरदस्त चुम्मी ली थी उसने , आलमोस्ट उनकी गोद में बैठ के ,..
तभी कम्मो ने इंट्री ली और उसके पीछे खाने पीने के सामान से लदी फंदी मैंने ,
" है बहन भैया के बीच चुम्मा चाटी हो गयी हो , तो पहले गाड़ी में डीजल भर लो , फिर एक राउंड करवा दूंगी। "
कम्मो दोनों को चिढ़ाते बोली।
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बढ़िया !
डीजल बहुत जरूरी है।
अनुज का भी हाल चाल लेते रहियेगा ।
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maze aa gaye bhabhi jaan.....
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(13-05-2021, 06:42 AM)UDaykr Wrote: बढ़िया !
डीजल बहुत जरूरी है।
अनुज का भी हाल चाल लेते रहियेगा ।
थैंक्स, अभी तो अनुज की छोटी बहन का हाल चाल ले रही हूँ. बाद में उसका भी लूंगी।
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