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 03-05-2021, 12:48 AM 
		Update - 1
 
 
 
 
 हैलो दोस्तों मेरा नाम अब्दुल अहमद है. मै खोलीपूरा नाम के पिछड़े हुए गांव से हु. मेरी उम्र कुछ 44 साल होगी. दिखने में तो मैं किसी चलते फिरते सांड के जैसा दिखता हू. मेरा निकाह भी अभी अभी ही हुआ है चार साल पहले ही. मेरा निकाह एक रजिया नाम की दो बार की तलाक शुदा औरत से हुआ है. मेरी गरीबी और अनपढ़ होने की वज़ह से निकाह हो ही नहीं पा रहा था और सबसे खास बात मेरी सांड जैसी कसरती बॉडी थी. यहां आप कसरती का मतलब यह मत समझना की बड़े मसल या सिक्स पैक वाली बॉडी होगी. नहीं मेरा तो पेट निकल आया था आगे की और बड़ा सा. देसी मुफ्त की दारू पीने से. मैं भले ही दिखता काले सांड जैसा था पर मे सबसे प्रेम और सम्मान से ही बात करता था. शायद गरीबी और अनपढ़ता करवाती थी.
 
 
 
 
 मैं अपने गांव में निकाह से पहले देसी ठेके पर काम करता था. पर मेरा निकाह ही यही शर्त पर हुआ था कि मुझको निकाह के बाद अपनी बेगम को लेकर शहर जाना होगा और उधर कुछ नोकरी करनी होगी. मै मेरी बीवी को लेकर इंदौर आ गया. और इंदौर आकर मेरी बीवी के नखरे शुरू हो गये उसको झुग्गी झोपड़ी में नहीं रहना था उसको तो किसी बड़े वीआईपी घरों में रहना था या वीआईपी सोसाइटी में. पर मेरी तो इतनी औकात थी नहीं की रह पाउ फिर जैसे तैसे करके एक कमरा खोजा जो किसी वीआईपी नालंदा नाम की सोसाइटी के सामने था. पर वो कमरा सोसाइटी में नही आता था. उसका भाड़ा भी में मुश्किल से दे पा रहा था. फिर मैंने खुद के लिये मुश्किल से एक कॉटन मिल में एक चौकीदार की नोकरी ढूंढी. और वो चौकीदार की नोकरी मिल भी गयी. कॉटन मिल में कुछ वर्कर थोड़ा बहुत कच्चा कॉटन और कपड़ा चुरा कर ले जाते थे उनकी छुट्टी होने के बाद और बाहर सौ या दौसौ में बेच देते थे. मैं भी इनको गेट पर नहीं रोकता था और इनसे दस बीस रुपये की रिश्वत ले लेता था. पर कुछ कहो मैं मेरे गाँव से तो ज्यादा ही रुपया कमा रहा था. भले ही यह कमाई से दो वक़्त का खाना और किराया ही निकल पाता था.
 
 
 
 
 पर कुछ भी कहो मेरे सामने वालीं नालंदा सोसाइटी की औरते काफी सुन्दर और सेक्सी थी. मैंने शहर में आने से पहले कभी ऐसी खूबसूरत औरतों को नहीं देखा था. मादरजात यहां शहरो की और यह वीआईपी नालंदा सोसायटी की औरते कितनी खूबसूरत साड़ी और छोटे ब्लाउज पहनती है और कुछ तो छोटे कपड़े भी पहनती थी. इन छोटे ब्लाउज में इनकी गोरी कमर , खुली सफेद पीठ और बड़े बड़े निप्पल दिखते थे. यहां की औरते हमारे गाँव में लगने वाले सिनेमा की हीरोइन की तरह दिखती थी. कुछ औरतों और ल़डकियों को तो मैं छुप छुप कर देखता भी था.
 
 
 
 
 यही सब में अब तीन महीने निकल गये थे.....................
 
 
 
 
 
 
 मेरी चौकीदार की नोकरी भी ऐसी थी कि कभी दिन में जाना होता तो कभी शाम में तो कभी जाना ही नहीं पड़ता. बढ़िया और सुकून की नोकरी थी. मेरी नौकरी ऐसी थी कि रोज़ मुझे सैलरी के अलावा सौ - दौसों की रिश्वत मिल जाती थी। रजिया यानी मेरी बेगम मुझे ठीक से सेक्स नहीं करने देती थी क्योंकि उसे मोटी भेसी को मेरी कम कमाई और खराब शकल से काफी परेशानी थी। हमारी नौकरानी का नाम सबीना था, उसकी उम्र 41 साल के करीब होगी, वह हमारे यहाँ 3 महीने से काम कर रही थी मैंने मेरी बीवी को खुश करने के लिये यह काम वाली को रख रखा था वो भी मेरे रिश्वत के रुपयों से.
 
 
 
 
 
 सबीना की चूचियाँ तनी हुई और थोड़ी बड़ी-बड़ी संतरे जैसी थीं। अक्सर मैं अपनी बीवी से नज़र बचाकर, जब वो मेरे कमरे में पौंछा लगाती थी तो उसके ब्लाउज से झांकती हुई चूचियों का मज़ा लेता था। एक दो बार उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा भी था और हल्की सी मुस्कुराहट भी दी थी। एक दिन मेरी बीवी रजिया नीचे बाज़ार से कुछ सामान लेने गई तभी सबीना मेरे कमरे में पौंछा लगाने आई और अंगड़ाई लेकर बोली- बाबूजी, आज गर्मी बहुत हो रही है ! और उसने अपने ब्लाउज के तीन बटन खोल लिए। नीचे ब्रा वो नहीं पहने थी पूरी चूचियाँ एकदम से बाहर आ गईं। चुचूक आधे से ज्यादा बाहर थे। पौंछा लगाते लगाते वो मुस्कुरा रही थी। मैं भी अन्दर ही अन्दर खुश होने लगा.
 
 
 
 
 
 
 सबीना मुस्कुरा कर बोली- बाबू, आप मुझे 200 रुपए दे दो ! मेरा लौड़ा पूरा टनटना रहा था, मैं बोला- ठीक है, लो ! और मैं उसे रुपए देने लगा तो उसने जानबूझ कर अपना पल्लू नीचे गिरा दिया। पूरी नंगी होती चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी। सबीना कामुक मुस्कान दे रही थी, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसकी चूचियाँ दोनों हाथों से दबा दीं। इतने से उसका आखिरी बटन भी खुल गया। अब पूरी नंगी चूचियां मेरे सामने थी। मैंने कस कर दो तीन बार उन्हें मसल दिया। सबीना मुझे हटाती हुई बोली- बीबी जी आने वाली हैं, जब मायके जाएँ तब पूरे मज़े ले लेना ! आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो। इतना कह कर उसने हल्के से मेरा लण्ड सहला दिया और मेरे होंटों पर एक पप्पी दे दी।
 
 
 
 
 
 
 दो हफ़्ते बाद ही मेरी बेगम को दस दिन के लिए अपने घर जाना पड़ा। अब मैं घर में इतने दिन अकेला था। मेरे मन में सबीना को चोदने का ख्याल पलने लगा।
 
 
 
 
 
 
 To Be Continued.........
 
	
	
	
		
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		Update - 2
 
 
 
 सुबह सात बजे वो आती थी। बड़ी मुश्किल से मुझे रात में नींद आई। सुबह छः बजे दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने सबीना मुस्कुरा रही थी। मैंने उसके अन्दर घुसते ही दरवाज़ा बंद कर दिया और पीछे से उसकी चूचियाँ पकड़ लीं।
 
 
 
 
 सबीना हँसते हुए बोली- बाबूजी, क्यों परेशान होते हो, आज तो पूरा मज़ा ले लो ! भाभीजी बाहर हैं इसलिए ही जल्दी आई हूँ। हम दोनों कमरे में आ गए हँसते हुए उसने अपना ब्लाउज उतार दिया ब्रा में बंद दोनों चूचियाँ मेरा लण्ड खड़ा कर चुकी थीं। उसने कामुक अंगड़ाई ली और बोली- ब्रा का हुक खोलो ना ! मैं पगला रहा था, मैंने उसे बाँहों में भरा और उसकी ब्रा का हुक खोल कर पलंग गिरा दिया। सबीना की दोनों बड़ी बड़ी संतरे जैसी चूचियाँ बाहर आ गई थीं जिन्हें मैं पागल की तरह दबाने लगा। सबीना रोकते हुए बोली- इतने उतावले क्यों हो रहे हो? लो, पहले मेरे चूचियों को चूसो ! और उसने मेरी शर्ट और बनियान उतारकर मेरा सर अपनी गोदी में रख लिया और मेरे मुँह में अपनी चूची की घुण्डी घुसा दी।
 
 
 
 
 
 
 
 एक बच्चे की तरह मैं उसकी चूची चूसने लगा। उसकी काली चूची चूसने में मुझे मज़ा आ रहा था। सबीना का एक हाथ मेरे पजामे के ऊपर लण्ड पर था, एक तरह से वो मेरे लण्ड को सहला रही थी। थोड़ी देर में उसने मेरा पजामा उतार दिया तो मेरा नंगा लण्ड उसके हाथों में था जिसे वो हल्का हल्का अपनी मुट्ठी में दबा कर मसल रही थी। मैं गर्म हो रहा था और उसकी चूची पीते पीते उसके चुचूक पर काट रहा था।
 
 
 
 
 
 
 मेरा मन सबीना को चोदने का कर रहा था, सबीना इस बात को समझ गई थी। उसने मुझे उठा कर अपना पेटीकोट उतार दिया। उसकी नंगी बालों वाली चूत पूरी चमचमा रही थी। सबीना मुस्कुराते हुए बोली- आज सुबह पाँच बजे उठकर तुम्हारे लिए धों धों कर साफ़ की है ! अब मस्त चोदना ! उसने अपनी दोनों टाँगे चौड़ी कर दीं और बोली- अब अपना लण्ड इसमें घुसा दो ! सच, बहुत दिनों से तुमसे मरवाने का मन कर रहा है, अब रहा नहीं जा रहा है, इस सुसरी को फाड़ दो मेरा चुतिया बेवफा और शराबि शौहर ने मुझको काफी समय से नहीं चोदा. अब चौदो मुझको जल्दी से.
 
 
 
 
 
 तीन महीने से मेरी बीवी ने चूत नहीं दी थी, मुझसे रहा नहीं गया, बिना कंडोम पहने मैंने अपना नौ इंची लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। चूत चुदी हुई थी तो लण्ड आराम से अन्दर घुस गया। मैंने सबीना की चुदाई शुरू कर दी थी, सबीना की चूत में लण्ड घुसा हुआ था, अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर टिका दिए और उन्हें की तरह बजाने लगा साथ ही उसके सुन्दर काली चुची को नोच और मसल रहा था। उसकी चूत मेरे लण्ड के झटके खा रही थी, सबीना मज़े लेते हुए मेरे बाल सहला रही थी। करीब दो मिनट ही मैंने उसको चोदा होगा कि लण्ड ने वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।
 
 
 
 
 
 
 हाँफते हुए मैं उठ गया, जल्दी झड़ने के कारण मैं शरमा रहा था। सबीना उठी और उसने मुझे एक ग्लास पानी लाकर दिया और बोली- साहब शरमाएँ नहीं ! सात दिन में मैं आपको चूत का खिलाडी बना दूँगी, एक-एक घंटे तक यह औरतों की चूत फाड़े रखेगा और एक बार बुढ़िया या जवान जिसको आपने चोद दिया वो आपकी दीवानी हो जाएगी और बार बार चुदवाएगी, आपके लण्ड में अभी बहुत जान है, लाओ मैं इसे चूसती हूँ। सबीना मेरा लण्ड चूसने लगी, मैं आराम से लेटा हुआ था, अब मुझमें इतनी उत्तेजना नहीं थी लेकिन मुझे मस्ती बहुत आ रही थी, पहली बार किसी ने मेरा लण्ड चूसा था। ......... अलग ही मजा था.........
 
 
 
 
 
 
 
 लेकिन यह क्या दो मिनट से कम में ही मेरा लण्ड फिर झड़ गया। सबीना मेरा लण्ड-रस मुँह में पी गई, मैं आँखें नीचे किये था। सबीना मुझे समझाते हुए बोली- आप शरमाएँ नहीं। आप में कोई कमी नहीं है, आप ने शराफत के कारण चूत का असली मज़ा नहीं लिया है। अगर आप रोज़ रजिया की चूत मारते तो यह इतनी जल्दी खाली नहीं होता। मुझे पता है कि तुम लोग बीवी की रोज़ मार नहीं पाते और तेरे जैसे कि बेगम भी खुलकर चूत नहीं देती है और एसे शौहरो का ख्याल भी नहीं रखती है। अब आप देखना, मैं आपको दस दिन में चूत का खिलाड़ी बना दूँगी। सबीना आगे बोली- अब आपका लण्ड पूरा खाली है। आपको मैं एक ग्लास दूध देती हूँ और साथ में ये मुलेठी और शिलाजीत का पाउडर। उसके बाद नहाते समय सरसों के तेल से लण्ड की मालिश करुँगी। शाम तक यह टनटनाने लगेगा। शाम को एक बार मैं आपका लण्ड फिर चूसूंगी, कल फिर आप देखना कैसे यह चूत में हल्ला मचाता है, 15 मिनट से पहले खाली नहीं होगा और दस दिन बाद यह नौ इंच का लण्ड औरतों की 2-2 घंटे फाड़े रखेगा और उनकी चूत 4-4 बार झड़वा देगा।
 
 
 
 
 
 
 सबीना ने मेरा सर अपनी चूचियों में छिपा लिया और मेरे बाल सहलाने लगी। पाँच मिनट बाद सबीना उठी, उसने मुझे एक ग्लास दूध दिया मुलेठी और शिलाजीत का पाउडर मिला कर और बोली- आप अब तली हुई चीज़ मत खाना। मुझे लग रहा था कि सबीना मुझे अब चोदना सिखा देगी। मैंने पूरा ग्लास दूध पि लिया। हम दोनों नंगे बाथरूम में गए, वहाँ सबीना ने मेरे लण्ड की तेल मालिश की और मुझसे चिपक कर फव्वारे में नहाने का मज़ा लिया। मैंने ऐसे मज़े की कभी उम्मीद भी नहीं की थी। शाम को सबीना पाँच बजे आई और काम करने के बाद उसने मुझसे कहा- चलो अब अपना लण्ड चुसवाओ ! मैं पाजामे को उतारने लगा तो मुझे बाँहों में भरती हुई बोली- मेरे शरीफ साहब जल्दी करो और लण्ड बाहर निकालो, उसे मैं चूसूंगी ! कभी पार्क में किसी लड़की या औरत के साथ जाओ तो उसे ऐसे ही लण्ड चुसवाया जाता है। मैंने फटा फट लण्ड निकाल लिया। लण्ड धीरे धीरे टनक रहा था, सबीना ने उसे मुँह में ले लिया और 5-6 बार चूसने के बाद सुपाड़ा चाटने लगी।
 
 
 
 
 
 मैंने कहा- सबीना, चोदने का मन कर रहा है, एक बार चूत मारने दो ! सबीना ने अपने मुख से लण्ड निकाला और उँगलियाँ सुपाड़े पर फिराती हुई बोली- चूत कल मिलेगी ! अभी मैं चूस कर इसे खाली करुँगी ! और उसने अपने हाथों से लण्ड पकड़ कर मुँह में चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी चूचियाँ धीरे धीरे मसल रहा था। करीब 5 मिनट तक मेरे लण्ड से खेलने के बाद बोली- अब इसका रस निकलने वाला है उसे मेरे मुँह में डाल दो ! मैंने उसके कहे अनुसार लण्ड-रस उसके मुँह में डाल दिया। इसके बाद उसने मुझसे कहा- रात को आप एक ग्लास दूध पाउडर वाला लेना और सुबह लण्ड मालिश करके रखना। कल सुबह एक बार फिर आप मेरी चूत मारना।
 
 
 
 
 
 अगले दिन सबीना सुबह 6 बजे आई मैंने लण्ड पर उसके कहे अनुसार तेल मालिश कर रखी थी और रात से मेरा लण्ड बुरी तरह से उसकी चूत मारने को फड़फड़ा रहा था। मैंने सिर्फ लूंगी और बनियान पहन रखी थी। सबीना के घुसते ही मैंने दरवाज़ा बंद किया और उसे गोद में उठा कर पलंग पर पटक दिया मेरी लूंगी खुल गई थी और मेरा नौ इंची लण्ड उसके सामने था। उसने अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और बोली- बाबूजी, लण्ड तो आपका बहुत मस्त हो रहा है, मेरी चूत भी इसे खाने के लिए पागल हो रही है लेकिन थोड़ा सब्र करो, इतने उतावले क्यों हो रहे हो? पहले मुझे नंगी तो कर दो। मैं सबीना का दिवाना हो गया था, मैंने एक एक करके उसकी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया। ब्रा आज वो नहीं पहने थी। नंगी सबीना मेरे लण्ड में आग लगाए हुआ थी। लण्ड पूरा टनटना रहा था, ऐसे में तो बुढ़िया भी सुंदरी लगती है फिर सबीना जैसी मोटे और भरे हुए बदन वालीं औरत तो सेक्सी लगनी ही थी। सबीना ने मुझे पलंग पर बैठाया और अपना मुँह मेरे लण्ड पर लगा दिया। मेरे दोनों हाथों में उसने अपने संतरे पकड़ा दिए। सबीना ने बड़े प्यार से धीरे धीरे 3-4 बार मेरा लण्ड चूसा और मेरे लण्ड के अग्र भाग पर जीभ फिराने लगी। मेरी उत्तेजना चरमसीमा पर थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैं बोला- सबीना अब चूत मारने दो ! अब रहा नहीं जा रहा है। सबीना मुँह से लण्ड निकालते हुए बोली- बाबूजी, चूत तो आपकी गुलाम है लेकिन कुछ इनाम तो दे दो इस नाचीज़ को। मैंने अपनी जेब से निकाल कर तीन सौ रुपए दे दिए।
 
 
 
 
 
 
 मेरे से चिपकती हुई सबीना बोली- आपने मुझे खुश कर दिया, मैं आपको 2-3 दिन में सरप्राइज़ दूँगी। मैं बोला- रानी पहले अपनी चूत मारने दो, अब सब्र नहीं होता। बाद में जो देना हो, दे देना ! सबीना ने मेरी बनियान उतार दी और अंगड़ाई लेती हुई बोली- लो राजा मार लो ! मैंने उसे सीधा लेटा दिया और उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया। अब मैं सबीना के ऊपर चढ़ा हुआ था। आज सच में लण्ड में एक अजीब सी ताकत दिख रही थी। चूची दबाते हुए मैंने उसकी चूत चोदना शुरू कर दी। 2-3 मिनट चोदने के बाद सबीना ने मुझे हटा दिया और बोली- राजा, अब 5 मिनट आराम करो, फिर नई ताकत से चोदना !
 
 
 
 
 
 
 उसने मुझे सीधा लेटा दिया और धीरे धीरे मेरी छाती की घुन्डियाँ काटने लगी और बीच बीच में मेरा लण्ड सहला देती। मुझसे बात करते हुए बोली- आपकी बेगम आपको ठीक से चूत मारने नहीं देती अगर औरत की चूत रोज चोदोगे तो तीन महीने बाद एक घंटे तक चूत बीच बीच मैं 4-5 बार 2-3 मिनट का आराम लेते हुए चोद सकते हो।
 
	
	
	
		
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		Update - 3
 
 
 
 
 आपने रजिया की कभी गाण्ड मारी है या नहीं.........?
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 मैं मुस्कुराते हुए बोला- तू मजाक बहुत करती है ! मैंने आज तक पीछे से चूत नहीं चोदी, तू गाण्ड की बात करती है। तीन महीने में एक बार चोदता हूँ वो भी लाइट बंद करने के बाद और 5 मिनट से कम में ही खेल ख़त्म हो जाता है।
 
 
 
 सबीना बोली- आपको चूत चोदने में तो माहिर करूँगी ही, साथ में गाण्ड का भी मज़ा दिलाऊँगी। आप जितना काला, मोटा और लम्बा लण्ड कम ही लोगों का होता है ! उसने मेरा लण्ड एक बार और सहला दिया जो अब सीधा छत को छूने की कोशिश कर रहा था। सबीना उठी, उसने मेरे लण्ड के सुपाड़े पर अपनी चूत छुलाई और टाँगें चौड़ी करके पूरा लण्ड अपनी चूत में घुसा लिया। अब सबीना मेरे लण्ड पर बैठी थी। उसने मेरे हाथ उठाकर अपनी चूचियों पर रख दिए और बोली- लो राजा, इन्हें दबाओ जितनी जोर से दबाओगे उतना ही उछल उछल कर चुदूँगी। मैं कभी धीरे, कभी तेज उसकी संतरे जैसे चूचियाँ दबाने लगा। वाकई वो भी कभी धीरे कभी तेज मेरे लण्ड पर उछल कर मुझे मजा दे रही थी, ओह आह से कमरा गूंजने लगा।
 
 
 
 
 
 दो मिनट के बाद शांत होकर सबीना मेरे लण्ड पर बैठ गई और बोली- राजा थक गई ! अब तुम जरा अपने चूतड़ हिला हिला कर मेरी भोंसड़ी को चोद दो। मैं लेटे लेटे ही अपने लण्ड को उसकी चूत में गाण्ड उठा के पेलने लगा।
 
 
 
 
 
 
 सबीना चिल्ला रही थी- वाह कुत्ते ! क्या चोद रहा है, मज़ा आ गया ! फाड़ इसे फाड़ हरामजादे ! बहुत मजा आ रहा है ! चोद दे, बना दे इसकी महा भोंसड़ी ! सबीना चुदने में पूरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर में मेरे लण्ड की पिचकारी छूट गई और वो मुझ पर झुक कर चिपक गई मेरा लण्ड उसकी चूत में ख़ाली हो गया था। अब हम दोनों चिपके हुए थे।
 
 
 
 
 
 सबीना रोज आठ बजे तक काम करके चली जाती थी, आज नौ बज रहे थे। तभी सबीना के फ़ोन की घंटी बजी, उधर से एक सुरीली सी आवाज़ आई- सबीना ताई, मैं रूचि अग्रवाल बोल रही हूँ आपकी मैडम जी !
 
 
 
 
 यह आवाज फोन के बाहर तक सुनाई दे रही थी मैंने अपना नंगा लण्ड सहलाते हुए कहा- यह कोन हैं? कहाँ से बोल रही हैं?
 
 सबीना हँसते हुए बोली- यह नालंदा सोसाइटी तेरे सामने वाली .... में रहती हैं आपके यहाँ से थोड़ी दूर ही हैं,
 
 रुचि - ताई आज तुम आयी नहीं अभी तक !
 
 सबीना बोली- नहीं अभी आ रही आज काम थोड़ा ज्यादा है !
 
 रूचि बोली- नहीं यही बोलने के लिये कॉल किया है आज आना नहीं है !
 
 
 रुचि की आवाज़ मुझे सुनाई दी, क्या सेक्सी और सुरीली मादक आवाज थी.
 
 
 सबीना बोल रही थी- अच्छा मेमसाहब तो आज नहीं आना है? ठीक है, शाम को दे दूँगी ! फ़ोन रखने के बाद सबीना मुस्कुरा रही थी।
 
 
 मैं बोला- यह रूचि जी वही हैं न जो हमारे सामने से आगे नालंदा सोसायटी के एक बड़े घर में रहती है.
 
 
 सबीना आँखे मटका कर बोली- हाँ जी, यह वही हैं, जब यह अपनी बालकनी में कुछ उठाने आती थीं तो आप फिक्स दस बजे वहां पैड के पीछे छुपकर देखा करते थे और जब कभी घर से बाहर आती थीं तो आप इनकी चूचियाँ घूर घूर कर देखते थे। आजकल मैं इनके यहां ही काम कर रही हूं। शाम को इनकी साड़ी का ब्लाउज लाकर देना है उस रफीक टैलर से. रुचि मैडम स्लम एरिया में नहीं जाती मुझको भेजती है.
 
 
 
 
 
 अब मेरा लण्ड झुका हुआ था, सबीना ने उसे हिलाया और बोली- आपकी वो किताब कहाँ है जिसमें सुन्दर सुन्दर नंगी लड़कियों की चुदती हुई फोटो लगा रखी हैं?
 
 
 मैं चौंकते हुए बोला- तुझे कैसे पता? यह बात तो मेरी बीवी को भी नहीं पता !
 
 
 बाबूजी, आपकी बीवी को तो यह भी नहीं पता कि आप मेरी चूत का रस चख रहे हैं, आप एक दिन बस स्टैंड के पास फ़ुटपाथ की जिस दुकान से नंगी फोटो खरीद रहे थे वो मेरे पड़ोसी की दुकान है, उसी ने बताया था कि आपको नंगी जवान लड़कियों की सेक्सी फोटो खरीदने का शौक है, अब नखरे न करो, मुझे दिखा दो, नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगी।
 
 
 मैंने कहा- ठीक है, मैं दिखाता हूँ। "
 
 
 यह हुई न बात !" सबीना बोली और उसने मेरे ठन्डे पड़े लण्ड को मुँह में लेकर दो तीन बार चूस लिया, बोली- आप किताब लाओ तब तक मैं आपके लिए गरम दूध बनाकर लाती हूँ पाउडर वाला।
 
 
 
 मैं अपनी सौ पन्नों की फाइल ले आया जिसमें नंगी लड़कियों की हसीन फोटो थीं। उन्हें मैं एक बार देखने लगा जिससे मेरे लण्ड में थोड़ा सा उफान आ गया। सबीना एक ग्लास दूध ले आई थी। मेरी तरफ ग्लास बढ़ाकर बोली- लो साहब दूध पियो ! मैं बोला- मैं ठंडा दूध पीता हूँ ! उसने मेरा दूध मेज पर रख दिया और मेरा लौड़ा सहलाते हुए बोली- राजा, अभी तो एक पारी और हो जाएगी, यह मियां तो फुदकी मार रहें हैं।
 
 
 मैं बोला- तू ग्लास दे। उसने ग्लास मेरी ओर बढ़ा दिया। ग्लास में बहुत मलाई थी, मैं उसे निकालने लगा तो सबीना बोली- यह क्या कर रहे हो? मैं बोला- रानी, मैं मलाई नहीं खाता !
 
 
 
 To Be Continued..........
 
	
	
	
		
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		Next Update do bro jaldi se.
 Bahut time baad koi sahi story mili hai
 
 Interesting story
 
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		Nice start.     दोस्त अब्दुल अहमद को हरामी किस्म का charcterisation सूट करेगा
	 
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		 (03-05-2021, 05:23 PM)DR.DINGDONGDING Wrote:  Nice start.     दोस्त अब्दुल अहमद को हरामी किस्म का charcterisation सूट करेगा 
Thanks for comment
	 
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		 (03-05-2021, 04:54 PM)RAGHAV TAHKUR Wrote:  Next Update do bro jaldi se.
 Bahut time baad koi sahi story mili hai
 
 Interesting story
 
Thanks
	 
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